भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

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Saturday, March 13, 2010

'विदेह' ५४ म अंक १५ मार्च २०१० (वर्ष ३ मास २७ अंक ५४)- PART I





'विदेह' ५४ म अंक १५ मार्च २०१० (वर्ष ३ मास २७ अंक ५४)NEPAL       INDIA                     
                                                     
 वि  दे   विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
एहि अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य






३. पद्य





३.५.सरोज खिलाडी‘-गीत

३.६.कामिनी कामायनी-बाजार मे स्त्री



 

4. बालानां कृते-. जगदीश प्रसाद मंडल-किछु प्रेरक कथा


5. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]



 

विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

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मैथिली देवनागरी वा मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below or contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाऊ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।
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example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभूमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।

example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'


मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
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१. संपादकीय

आचार्य रमानाथ झा रचनावली (पाँच खण्डमे)भारतीय भाषा संस्थानक सहयोगसँ वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित भऽ गेल अछि। एहिमे स्वर्गीय रमानाथ झाक मैथिली, हिन्दी, इंग्लिश आ संस्कृत लेखनकेँ एक ठाम समेटबाक प्रयास कएने छथि संकलनकर्ता-सम्पादक श्री मोहन भारद्वाज।
एहिमे पहिल खण्डमे विद्यापति
दोसर खण्डमे मैथिली साहित्य
तेसर खण्डमे मिथिला ओ मैथिली
चारिम खण्डमे विविध
आ पाँचम खण्डमे संस्कृत रचना
देल गेल अछि। स्वर्गीय रमानाथ झा जीक रचना सभ बड्ड दिनसँ अनुपलब्ध छल । एहि रचनावलीक सम्पूर्ण सेट रु.५०००/- मे उपलब्ध अछि।
पुस्तक प्राप्ति स्थान:
वाणी प्रकाशन, ४६९५,२१-A,दरियागंज, नई दिल्ली-११०००२
६८म सगर राति दीप जरए ०३ अप्रैल २०१० केँ जनकपुरमे भऽ रहल अछि, संयोजक छथि श्री राजाराम सिंह राठौर।

मैथिलीक सुपरिचित गायक हेमकान्त जी नहि रहलाह, हुनकर आत्माक शान्ति लेल ईश्वरसँ प्रार्थना।
संगहि "विदेह" केँ एखन धरि (१ जनवरी २००८ सँ १३ मार्च २०१०) ९६ देशक १,१९४ ठामसँ ३९,८९० गोटे द्वारा विभिन्न आइ.एस.पी.सँ २,३१,३३२ बेर  देखल गेल अछि (गूगल एनेलेटिक्स डाटा)- धन्यवाद पाठकगण।


सूचना: पंकज पराशरकेँ डगलस केलनर आ अरुण कमलक रचनाक चोरिक पुष्टिक बाद (proof file at http://www.box.net/shared/75xgdy37dr  and detailed article and reactions at http://groups.google.com/group/videha/web/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%95+%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8+%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE?hl=en ) बैन कए विदेह मैथिली साहित्य आन्दोलनसँ निकालि देल गेल अछि।

गजेन्द्र ठाकुर

ggajendra@videha.com

२. गद्य





 

 सुभाष चन्द्र यादव

जगदीश प्रसाद मंडल
मैथिली साहित्यमे जगदीश प्रसाद मंडलक पदार्पण किछु-किछु ओहिना भेल अछि जेना कहियो विवेकानन्द ठाकुरक भेल छल। जहिना विवेकानन्द ठाकुर अपन जीवनक उत्तरार्धमे बहुत बहुत आकस्मिक ढ़ंगे मैथिलीमे प्रगट भेलाह, तहिना जगदीश प्रसाद मंडल एकबैग अपन अनेक कथा आ उपन्यास लऽ कऽ उपस्थित भेल छथि। विवेकानन्द ठाकुरक काव्यमे पाठककेँ ग्रामीण परिवेशक जेहन टटका बिम्ब आ नव सुआद भेटल छलनि, जगदीश प्रसाद मंडलक कथामे ओहने टटका चित्र आ नव आस्वाद भेटतनि। दुनू रचनाकार मिथिलाक ग्राम्य-जीवन संस्कृतिसँ मोहाविष्ट छथि। दुनुक शैली वर्णनात्मक अछि।

लेकिन आगमन, विषयवस्तु, दृष्टि आ शैलीमे समानता होइतहु दुनूमे क्यो ने तँ ककरो अनुकरण कएने छथि ने एक दोसरासँ प्रभाव ग्रहण कएने छथि। दुनुक अपन स्वतंत्र लेखकीय व्यक्तित्व छनि।
ठेलाबला, रिक्शाबला, चूनवाली, इन्जीनीयर, डॉक्टर इत्यादि शीर्षकसँ लागत जेना जगदीश प्रसाद मंडल वर्ग संघर्षक कथाकार हेताह। लेकिन ओ जनवादी या प्रकृतिवादी कथाकार नहि छथि, जीवन-संघर्षक कथाकार छथि।

हुनक कथाक सन्दर्भमे जे सर्वाधिक उल्लेखनीय बात अछि से ई जे हुनक सभ कथामे औपन्यासिक विस्तार अछि। वर्तमान समएमे प्रचलित आ मान्य कथासँ हुनक कथा भिन्न अछि। हुनक कथा घटना बहुलता आ ऋजुसँ युक्त अछि।
जगदीश प्रसाद मंडल जीवनमे प्राप्य जिजीविषा, मानवीयता एवं आदर्शकेँ सुदृढ़ आ पुनर्प्रतिष्ठित करबाक उद्देश्यसँ अनुप्राणित छथि।
 
विनीत उत्पल

 कथा
निमंत्रण
नीताक एकटा मेल सचिनक दिमागकेँ सोचैक लेल मजबूर कऽ देलकै। आजुक बाजारवादक युगमे संबंध एहने भऽ गेल छैक जे काज भेलाक बाद लोक एक-दोसराकेँ बिसरि जाइत अछि। संबंध एहन वस्तु भऽ गेल अछि जेकरा प्रयोग केलाक बाद छोड़हिमे लोक नीक बुझैत अछि। दू गोटेक अंतरंगताक मूल्य किछु नहि अछि। केकरोसँ अपनत्व मात्र स्वार्थ लेल बनाओल जाइत अछि। सचिनकेँ मोन पड़ै लागल नृत्यांगना नीताक दोस्ती आ अंतरंगता।
.............................................


ओ जूनक महिना छल जहिया पहिलुक बेर ओ नीताकेँ देखने छल। ओहि काल सचिन दिल्लीसँ ठामे दूर फरीदाबादमे काज करैत छल। ओ देशक प्रतििष्ठत एकटा अखबारमे रिपोर्टर छल। काजक संगे हुनका पढ़ै-लिखैमे बेसी मन लागैत छल। जखन ओ फरीदाबादमे छल तखन एकटा संस्था वाइस ऑफ फरीदाबादनामक कार्यक्रम कएने रहै जइमे नीता निर्णायक बनि आएल छल। संजोग छल जे ओहि प्रोग्रामकेँ कवर करबाले सचिन अपन संस्थान दिससँ गेल छल। प्रोग्राममे नीतासँ ओकरा नीक जेकाँ भेंट तँ नहि भेलै मुदा सचिन ओकर फोन नंबर लऽ कऽ घुरि गेल। संगे कहि देलक जे काल्हि ओ फोन करत आ एकटा छोट सन इंटरव्यू लेत। दोसर दिन जखन आफिसक मीटिंग-सिंटिंगक निपटारा कऽ सचिन नीताकेँ फोन केलक तँ नीताक खुशीक ठेकाना नहि रहलै। गपे-गपमे सचिन जानि गेल जे ओ सेहि बिहारेक अछि। दिल्लीमे काकाक संग रहैत छलीह नीता। ओ दिल्लीक कथक केंद्रसँ कथकक प्रशिक्षण लेलक अछि। संगे-संग पूरा इंटरव्यू बड नीक भेलै जे दू दिन बाद अखबारमे छपलै।
भोरे-भोर जखन सचिन सुतले छलाह तखने नीताक फोन मोबाइल पर अएलै। आँखिकेँ मिरने सचिन अपन मोबाइलपर नबका नंबर देखि कऽ अलसा गेल आ साइलेंटमे कऽ देलक। किछु काल बाद फेरसँ मोबाइल टनटनाए लागल। ताधरि हुनकर निन्न टूटि गेल छलै।
-हेलो, के...?
-हम नीता बाजैत छी।
-की, की हाल ?
-नीक अछि, आइ हमर इंटरव्यू छपल, अहाँक अखबारमे।
-हँ, से तँ अछि।
-आँय यौ, अहाँ तँ बड्ड नीक लिखैत छी।
-नहि, ओतेक नहि, जतेक अहाँ सोचैत छी।
-तखन कहियौ, दिल्ली कहिया आबि रहल छी।
नीता बाजि गेलीह।
-देखियौ, कहिया धरि आबैत छी, जहिया आएब, कहि देब। चलु हम फोन राखैत छी। एखन धरि बिछोनकेँ नहि छोड़ने छी।
-हँ, हँ, अहाँ जाऊ, फ्रेश भऽ आऊ।
-ओ.के. बाय।
-ओ.के. बाय।
ई तँ मात्र अरम्भक गप छल जकरा बाद दुनू गोटेमे राति-बिराती गप हुअए लागल। एहि बीचमे नीता किछु प्रोग्राम करबाक लेल अमेरिका गेलीह। हुनका जाइसँ पहिलुक साँझ सचिन फरीदाबादसँ दिल्ली आएल छल आ नीतासँ मंडी हाउसमे मिलल छल। मंडी हाउसमे ओहि समए वाणी प्रकाशनक एकटा किताबक दोकान छल, जाहि ठामसँ कतेको किताब ओ किनने छल। नेनेसँ सचिनकेँ पोथी किनैक शौक रहै जे एखनो धरि छलै। अमेरिका गेलापर दू दिन नीता सचिनकेँ फोन केलक। जखन नीता अमेरिकामे छल तखने सचिनकेँ अपन आफिसक नबका बॉससँ सामान्य गपपर झगड़ा भऽ गेलै। सचिन तखन किछु बाजल तँ नहि मुदा ओहि गपक पाँचम दिन ओ नोकरी छोड़ि देलक। ओ आगराक एकटा अखबार ज्वाइन कऽ लेलक। भरि ठंढी ओ सभ दिन फरीदाबादसँ पाँच घंटाक रस्ता ट्रेनसँ कऽ आगरा जाइत छल। बादमे एकटा डेरा फरीदाबादमे आ एकटा डेरा आगरामे राखलक। एहि बीच नीता अमेरिकासँ घुरि गेल छल। दुनू मोबाइल फोनसँ भोर आ साँझ एक-दोसराक हालचाल लैत छल। एक बेर तँ एहन भेल जे एक महीनाक मोबाइल फोनक बिल एत्ते अएलै जतेक सचिनक दरमाह रहै। कारण फरीदाबादमे जे मोबाइल फोन हुनका संग छल ओ आगरामे रोमिंगपर छलै। ओहिपर इनकमिंग अएलापर सेहो पाइ कटैत छलै।

दुनू युवा छल आ ओहि समएमे वैलेंटाइन डे एकटा एहन डेबनि गेल छल जाहि दिन सभ प्रेमी एक-दोसराकेँ विशकरैत छल। संजोग छल जे तेरह तारीकक रातिमे सचिन दिल्ली आबि गेल छल, कोनो काजक लेल। ई गप नीताकेँ बुझल भऽ गेल छलै। ओ सचिनकेँ नाकोदम कऽ देलकै जे आइ अहाँ मंडी हाउसक रेस्टोरेंटमे आऊ। भोर भेलापर सचिन भेँट करबाक लेल मंडी हाउस पहुँचलाह तँ नीता पहिनेसँ ओत्तै बाट ताकैत रहै। दुनू गोटे नास्ता कऽ चाह पीबि हाय-हेलो कहि कऽ बिदा भेल। साँझ खन जखन ओ आगरामे अपन ऑफिसमे काजमे लागल छल तखने नीताक फोन अएलै आ ओ ऊकरा प्रपोज कऽ देलकै।

ओहि दिन नीता सचिनक जिनगीमे पहिल लड़की छल जेकरा ओ प्रेमक प्रस्ताव देने छल। ओकर दिमाग कनी काल लेल सुन्न भऽ गेलै जे ई की सुनि रहल छी। दोसर दिन पन्द्रह तारीख छल आ नीता ओकरा दिल्ली आबैक लेल जिद करए लागल। एखन धरि सचिनकेँ दिल्ली काटि रहल छलै आ ओ दिल्लीक नाम पर नाक-भौंह सिकुड़ैत छल। मुदा एहि गपक बाद ओकरा ताजमहलक नगरी आगरासँ विरक्ति होमए लगलै। ओ जिदिया गेल छल। दोसर दिन अपन बॉससँ छुट्टी मांगलक मुदा नहि भेटलै। ओकरा एतेक तामस उठलै जे ओ नोकरी छोड़ि कऽ दिल्ली बिदा भऽ गेल। नहि आगाँक सोचलक आ नहिये पाछाँक जे दिल्लीमे आगू की करब। खाली एकेटा गप मोनमे छलै जे आब ओकर जिनगीमे नीता आबि गेल छै, किछु ने किछु तँ कैये लेत।

दिल्ली अएलापर ओकर शुरू भऽ गेलै द्वारि-द्वारि भटकब आ घूमब आ ताकब नोकरीक नब ठिकाना। एहि बीच सचिनकेँ गोसाँइ भऽ गेलै। जहि दिन ओकर जन्म दिन छल ओही दिन ओ गोसाँइक कारण बोखारसँ जड़ि रहल छल। एहि दिन पहिलुक बेर दिल्लीक शकरपुरक डेरापर नीता ओकरा देखबा लेल आएल छलि। सचिनकेँ सभ किछु एकटा सपना सन लागैत छलै। ओहि दिन गपे-गप मे सचिन नीतासँ पुछिये देलखिन।
नीता, अहाँ हमरासँ दोस्ती किऐ करैले चाहै छी।
अहाँमे हम एकटा किछु पाबैत छी, जे हमरा नीक लगैत अछि।
देखियौ नीता, जिनगी बड पैघ अछि, हमन एखन छी बेरोजगार। हमरा संगे अहाँ खुश नहि रहि सकब।
ओ सभ छोड़ि दियौ। से कहब तखन तँ हम तँ नृत्य करैत छी। जखन कोनो कार्यक्रम भेटैत अछि तखने हम कमबैत छी। से ताहि हिसाबे हम तँ अहूँसँ पैघ बेरोजगार छी।

ई कहि कऽ नीता ठठा कऽ हँसि देलक। नीताक तर्क आ गोसाँइ भेलापर मना करबाक बादो देखैले आबैक गप सचिनक आत्मामे बसि गेलै। ओ सोचै लगलाह जे गोसाँइक कारण दुनियामे कतेक लोक मरि गेल। हुनकर नीक दोस्तो छाँह काटैए। ई छूतिक बीमारी छिऐ तखनो नीता हुनका देखबा लेल आएलि। ई कतेक सोचै बला गप अछि।
समए बीतैत गेल, दुनूक दोस्ती प्रगाढ़ भेल गेल। एहि बीज सचिनकेँ एक ठाम नौकरी लगलै मुदा दू मास नहि बीतल होएतैक जखन ओकरा फेर नीक अखबारमे नौकरी भऽ गेलै। पी.एफ कटै लगलै, नीक दरमाहा भेटै लगलै। एहि बीच एक दिन जखन सचिन दिल्लीक पश्चिम-विहारमे नीताक घर गेलाह तँ ओ नीताकेँ चुम्बनक प्रस्ताव रखलखिन तँ ओ मानि मुदा दुनूक मुँह लाल-लाल भऽ गेलन्हि।

एहि बीच दुनू एक-दोसराक पूरक भऽ गेल छल। जतए सचिन नीकसँ अपन ऑफिसमे काज करैत छल ओतए नीता बाल-उत्सव, बिहार-उत्सव आ आर कतेक कार्यक्रमक नीकसँ आयोजन कएलक। संगे-संग दुनू खूब घुमैत छल। कहियो सचिनक डेरापर नीता आबि जाइत छलि तँ कहियो नीताक घरपर सचिन पहुँचि जाइत छल। दुनू गोटेकेँ निन्न एक दोसराकेँ शुभ-रात्रि करबाक बादे आबैत छलै। नीताक सभटा मेल सचिन आपरेट करैत छल।
अमृतसरक एकटा नामी स्कूल लेल नीताकेँ प्रोजेक्ट भेटलै। ओ ओतए जाए लगलीह आ बिदा करबाक लेल सचिन नई दिल्ली स्टेशन पहुँचल छल। ओ चिंतित छल जे जाहि लड़कीक लेल ओ एतेक समए बरबाद कऽ रहल छल से ओकर जिनगीसँ जा तँ नहि रहल छलै।
गपमे सचिन कहि देलखिन-
 हे नीता, एहन पागल लोककेँ अहाँ देखने छिऐ जेकरा बुझल छै जे ई ओकरा नञि भेटतै तकरा बादो ओ प्रेम करैत अछि।

पत्रकार हेबाक कारण सचिन कोनो गप एहन आसानीसँ कहि दैत छल जे ककरो मोनकेँ तीत कऽ दैत अछि। ई ओकर आदति बनि गेल रहै जेकरा ओ चाहियो कऽ नहि बदलि सकैत छल।

ई गप सुनि कऽ नीता ओकर हाथ पकड़ि लेलक आ आपन आंगुरकेँ ओकर आंगुरमे फँसा कऽ कहलक-
सचिन, एना अहाँ किऐ बाजैत छी। जे भगवान चाहलक तँ हम अहाँक भऽ जाइब।
तखन की हमर मरण होएत। एक दिस घरक लोक रहत, दोसर दिस हमर प्रेम।

ई सुनि लागल जे नीताक देहमे जान नहि छैक। ओकर मुँह चुप रहि गेल आ ओ एकटक्कीसँ सचिनक मुँह देखए लागल। ताधरि शताब्दी ट्रेनक सीटी बाजि गेल आ दुनू गोटे एक-दोसरक गरा मिलि बिदा लेलक। जाधरि ट्रेन नई दिल्लीक एक नंबर प्लेटफार्मसँ निकलि नहि गेल ताधरि सचिन चलैत ट्रेनकेँ देखैत रहि गेल।



सत मानू तँ दुनू गोटाक बीच प्रेम तकरा बादे बढल। अमृतसर तँ नीता चलि गेलि मुदा कोनो दिन नहि बीतल होएत जाहि दिन भोर ओ रातिमे सुतएसँ पहिने फोन नहि करथि। आठ दिन बीतल, एना लागैत छल जेना आठ बरख बीति गेल छल। बारह बजे राति तँ छोड़ि दियौ चारि बजे भोर सेहो नीता फोन करैत छल। जेखनकि ओ जानैत छल जे तीन बजे सचिन आफिससँ आबैत अछि।
अमृतसरक डी.ए.वी. कॉलेजक छात्र-छात्राकेँ ओ नृत्य सिखाबैत छल। ओकर कोरियोग्राफी क्षमताक आकलन एना कऽ सकैत छिऐ जे ओहि साल डी.ए. वी. कॉलेज ऑल इंडिया इंटर कॉलेज कंपीटिशनमे पहिल रहल। जखन ओकर सिखायल टीम एनाउंस भेल छल, नीताक आँखिमे पानि आबि गेल छल। सचिनसँ फोनपर गप करबाक लेल ओ व्याकुल भऽ गेल।
ठामसँ बाहर निकलि ओ फोनपर कहलक,
हेलो। सचिन अहाँकेँ बुझल अछि ?’
की ?’
हमर टीम देशमे फर्स्ट आएल छल। जहिना रिजल्ट एनाउंस भेल तहिना प्रिसिंपल सभ लोकक आगू मंचपर गरा लगा लेलक।
ओहो। की गप अछि, अहाँकेँ मेहनतिक फल भेटि गेल।
हँ, से तँ अछितखने सचिन हंसी-ठठ्ठा कएलक।
मुदा अहाँ जेकरासँ प्रेम करैत छी से ई रिजल्ट नहि होइत तँ की होइत ?’
हँ, अहाँक संग नहि भेटितए तँ ई नहि भऽ सकैत छल’- सकुचाइत नीता फोनपर बाजलि।
एहिमे हमर की योगदान अछि ? अहाँक मेहनति अछि।
देर राति भऽ गेल छल। नीताक प्रेमक अंकुरण ओकर मोनमे भऽ रहल छलै।
अन्तमे बाजल-
आइ अहाँक मोन पड़ि रहल अछि।
किए ?’
किएक तँ हम अहाँसँ प्रेम करैत छी ।
 चलू अहाँ खेनाइ खा कऽ जा कऽ सुति जाऊ, भोरेसँ कार्यक्रममे लागल छी ।
एकर बाद दूनू गोटे फोन राखि देलखिन।
दूनू गोटे कैरियरकेँ लऽ कऽ सीरियस रहथि। सचिन एहि बीच नीताक वेबसाइटो बना देलखिन। सभटा फोटो खीचाबैक लेल नीता सचिनक संग दिल्लीक लोधी गार्डन गेल छल। जेना-जेना सचिन कहलक तेहने-तेहने फोटोग्राफर फोटो खिचलक। सभटा फोटो हुनकर बेवसाइटपर धऽ देलखिन्ह। एहि बीच फोर्ड फाउंडेशनक फार्म भरैक आवेदन निकलल। अहाँकेँ बता दी जे जिनका फोर्ड फाउंडेशनक अन्तर्गत स्कॉलरशिप भेटल अछि ओ दुनियाक कोनो संस्थानसँ एम.ए. क पढ़ाइ कऽ सकैत अछि। सभटा पाइ संस्थान दैत अछि।

सचिन अप्पन तँ नहि मुदा नीताक फार्म भरि देलखिन। संजोग एहन जे पहिलुक स्टेपमे नीताक चयन भऽ गेल। नीताक सफलता सचिनक सफलता छल। दुनू गोटे खुश भऽ गेलाह आ घरक लोक सेहो खुश भऽ गेल। भोरसँ लऽ कऽ रातिमे सुतै धरि पचासो बेर फोनसँ सभटा गप दूनू एक-दोसराकेँ बताबथि। दुनू झगड़ो खूब करथि मुदा प्रेममे कोनो कमी नहि आएल। सचिन तँ हुनका पर एकटा कवितो लिखने रहथि। दुनू दिल्लीक मंडी हाउससँ लऽ कऽ लक्ष्मीनगर, मयूर विहार फेज तीन, रमेशनगर, पश्चिम विहार आर कतेक ठाम जाइ छलाह।

एहि बीच नीताक स्तनमे दर्द रहए लागल। हुनका डर भऽ गेलन्हि जे ब्रेस्ट कैंसर भऽ गेल छनि। दिल्लीमे ओ अपन काकाक संग रहैत छल से हुनका ई गप नहि कहि सकल। ओ सचिनकेँ ई गप कहलन्हि। नीता चिंतामे रहए लागल जे कैंसर भऽ गेल छन्हि। आब जिनगी तँ ओंगरीपर गनैक गप अछि। ओ डॉक्टरोसँ देखबैक पक्षमे नहि छल। मुदा सचिन अप्पन जिदपर नीताकेँ एस्कार्ट अस्पताल लग होली फैमिली अस्पतालमे देखाबैक लेल लऽ गेल। सचिनक कहब छलनि जे होली फैमिलीमे देखा लेब। नहि किछु भेटत तँ ठीक, नहि तँ दोसर अस्पतालमे देखाएब।

दुनू गोटे अस्पताल गेलाह मुदा किछु नहि भेटलन्हि। डॉक्टर कहलखिन जे पीरियडक आगू-पाछू भेलासँ एना भऽ जाइत अछि। किछु दिन बाद ठीक भऽ जाएत। नीता डॉक्टरक एहि गपसँ संतुष्ट नहि भेल। ओ किछु दिन धरि परेशान रहलि मुदा एकटा पुरान दोस्तक संग सर गंगाराम अस्पतालमे जाँच करौलनि। दू दिन धरि भाग-दौड़ कएलनि आ सचिनकेँ ओतए आबैसँ मना कऽ देलखिन। ओतहु जाँच भेल मुदा रिपोर्ट पहिलुके जना रहल।
अहाँ ई गप मानू वा नहि मानू मुदा अपना सभक इलाज सस्तेमे भऽ जाइत अछि तँ मोन संतुष्ट नहि होइत अछि। जखन कोनो डॉक्टर इलाजक खूब पाइ लैत अछि आ खूब आडंबर देखाबैत अछि तँ अपना सभकेँ लागैत अछि जे ई नीकसँ इलाज केलक। आर जखन कोनो डॉक्टर इलाज काल खूब इंतजार करबैत अछि तँ हम ई बुझैत छी जे ई डॉक्टर बेसी व्यस्त अछि ताहिसँ ई नीक डॉक्टर अछि। ई गप सत्तो होइत अछि मुदा देशमे 90 प्रतिशत डॉक्टर नौटंकी करैत अछि। नीता ओहि समाजसँ छल जे एहि गपकेँ नहि बुझैत छल। सर गंगाराम अस्पतालमे जखन पाइ खर्च भेल तखन हुनका संतुष्टि भेलन्हि जे हमर इलाज भेल। एहि बीच दुनू गोटेक घरक लोग ब्याह करैक लेल गप शुरू कएने छल। सचिनक घरक लोक ब्याहक लेल कएक गोटेक संग गप चलौलक मुदा पसीन नहि पड़लैल। दोसर कात नीताक ब्याहक लेल सेहो गप चलैत छल। दूनू एक-दोसराकेँ सभटा गप कहैत छल, दुनू एक-दोसरासँ प्रेम तँ करैत छल, मुदा बियाहक लेल चुप छल।

एहि बीच भगवान जानए जे की भेल। नीताक बात-व्यहार बदलि गेल छल। कोनो ने कोनो गपपर ओ सचिनसँ झगड़ा कऽ लैत छल। सचिन तखन तँ नहि किछु बाजैत छल। घर एलाक बाद ओकर आँखिमे नोर आबि जाइत छल जे जकरासँ ओ प्रेम करैत अछि, ओ एना किए करैत अछि। नीता आब एहन भऽ गेल छल जे रिक्शापर, ऑटोपर, मेट्रोपर जतए मौका भेटैत छल ओ सचिनसँ झगड़ैत छल। जखन सचिनसँ काज पड़ैत छलै तखन ओ नीक भऽ जाइत छल मुदा काज भेलाक बाद मीन-मेख निकालैत छल। लोकक आगू सचिन लग एना ओ रहए लागल जे ओकरा नहि चिन्हैत अछि।
जूनक मास छल जखन नीताकेँ फेर अमेरिका जएबाक छलै। एक महीना रहैक छलै आ कतेक कार्यक्रम छलै। दू दिन पहिने ओ सचिनकेँ अप्पन घर बजौलखिन। हुनकर परोक्षमे जे सभटा काज होएत, सभटा कागज, एतए तक तक जे अपन साइन कऽ खाली चेक दऽ देलक। घरमे कियो नहि छल। दूनू गोटा खूब एक-दोसराक प्रेममे डूमि गेल छल। संगे खेनाइ खएलक। तकर बाद अप्पन-अप्पन काजक लेल कनॉट प्लेस पहुँचि कऽ बिदा भऽ गेल। दुनूक बीच संबंध तहिना छल। कखैन झगड़ा भऽ जाइत कियो नहि जनैत छल। हँ एकटा गप जरूर छल जे बिना नागा दू सालसँ रातिमे सुतैसँ पहिने नीता गुड नाइटक संदेश मोबाइलसँ जरूर दैत छल। कहियो आई लव यूआई किस यूक मैसेजो भेज दैत छल।
जाहि दिन नीताकेँ अमेरिका जएबाक छल ओहि भोर ओ सचिनकेँ अपन घरपर बजौलखिन। जखन सचिन नीताक घर पहुँचलाह तँ ओ फोनसँ टैक्सीबलासँ गप कऽ रहल छल। ओ कहि रहल छल जे एयरपोर्टसँ ओकरा एक गोटाकेँ लऽ कऽ मुखर्जीनगर जाए पड़तै। मुदा नीता सचिनकेँ देखितहि तुरंत फोन राखि देलक। सचिन एहि गपकेँ अन्ठिया देलक। दुनू गोटे संगे चाह पीबि कऽ घरसँ बहरेलाह। नीता कहलक जे हुनकर काका एयरपोर्ट छोड़ए लेल जएताह। ताहिसँ ओ अपन काज करए। ओकरा कोनो दिक्कत नहि होएतैक।

नीताकेँ नाट्य वैले सेंटर जेबाक छलै आ सचिनकेँ ऑफिस। शिकागोक होटलक टिकट नीताक मेलसँ निकालि कऽ, दऽ कऽ ओ शकरपुरक दोस्तक कमरामे आराम करै लेल आबि गेल। दोस्त संग गप करैत सचिनकेँ निन्न आबि गेलै। ओ ओतए सुति गेल। निन्न खुजल तँ साँझक चारि बजैत छल। हनकर ऑफिस साँझ छह बजेसँ छल। फटाफट तैयार भऽ कऽ आफिस लेल बिदा भेल तँ नीताकेँ कऽ फोन लगौलखिन। आवाज कोनो पुरूखक आएल-
हेलो
हेलो के
नीतासँ गप करबाक अछि
ओ तँ एतए नहि अछि
तँ कतए अछि
अहाँ कहू, की गप अछि आ के बाजैत छी
हम सचिन बाजैत छी, अहाँ के
हम समरेंद्र, नीता तँ घरपर अछि, हम घर पहुँचि कऽ अहाँसँ गप करबा देब

ई सुनि कऽ सचिनक तामस सातम आसमान छुबै लागल। ओकरा नहि रहल गेलै-
अहाँ झूठ किऐ बाजि रहल छी
हुनका हम किछु काल पहिने कनॉट प्लेसमे छोड़ि कऽ आएल छी
 ओ घर कतएसँ पहुँचि गेल
 हम घर पहुँचि कऽ अहाँसँ गप कराबैत छी

कहि समरेंद्र फोन काटि देलक। सचिन खून घोंटि कऽ रहि गेल। मुदा ओकरा ऑफिस जएबाक रहै से ओ चलि गेल। ऑफिस पहुंचि ओकरा मोन नहि लागलै। कनी देरीमे नीताक फोन आएल। खूब तमसाएल जे फोन उठाबै बलासँ एना किऐ बाजलिऐ। एहि गपपर सचिन आर तमसा गेल। दुनू गोटामे घोर बहस भेलै। नीता अपन घुंघरूक सप्पत खाइत रहि गेल जे ओ ओकरेसँ प्रेम करैत अछि। दूनू गोटामे ताधरि बहस होइल रहल जाधरि नीता हवाइ जहाजपर चढ़ि गेल। सचिनकेँ बेसी तामस एहि गपक छल जे समरेंद्र किए नीताकेँ छी लेल हवाइ अड्डा गेल छल। सचिनकेँ सभसँ बेसी तामस एहि गपक छल जे आगू बला लोक किए झूठ बाजैत छल। नीताक एकटा झूठ ई छल जे ओकर चाचा ओकरा एयरपोर्ट छोड़ै लेल जाएत आ गेल छल समरेंद्र। आ झूठ बाजैबला लोकक संग ओ एयरपोर्ट गेल। ओकरा मोनमे ओ गप आबि गेलै जे भोरमे नीता फोनपर करैत छल। मुखर्जीनगरमे समरेंद्र रहैत छल।

आब साफ-साफ सभ किछु सचिनकेँ बुझबामे आबै लागल।
अमेरिका गेलाक बाद आठ दिन तक नीताक कोनो फोन नहि अएल। ओहि बीच सचिनकेँ हैदराबाद जाए पड़लै, बहिनकेँ पहुँचाबैक लेल। हैदराबादसँ दिल्ली आबैक रस्तामे ओ छल जखन नीताक फोन आएल। ओ कहलक-
सुनु सचिन, हम समरेंद्रसँ ब्याह कऽ रहल छी, घरक लोककेँ ओ पसीन अछि।
अहाँ जनैत छी जे की कहि रहल छी
हँ, अहाँक संग हमर जिनगी नहि कटि सकत, आइ हम निर्णय लऽ लेलहुँ
आब, हम की कहू। अहाँ जे निर्णय लेने छी ओ नीके होएत
अहाँ नीकसँ रहू, खुश रहू आर हम की कहि सकैत छी।’- सचिन बजलाह।
मुदा, अहाँ नीक काज नहि कएलहुँ। समरेंद्र नीक आदमी नहि अछि
अहाँ हुनका लऽ कऽ किछु नहि कहू
हँ, हम तँ कहब किएक तँ ओ झूठ बाजैत अछि। आ हम नहि चाहब जे हमरासँ जे लड़की प्रेम करैत छल से कोनो झूट्ठाक संग जीवन जिऐ।

ई सुनि नीता अपनाकेँ बिसरि गेल। ओ तमैस कऽ जतेक श्राप आबैत छलै से ओ आ॓ सचिनकेँ देलक। सचिन सुनि कऽ काँपै लागल जे नीता ओकरा एतेक श्राप कोना दऽ रहल अछि।

सचिनक मुँहक खखार सुखा गेलै, कोनो बकार बाहर नहि आबैत छलै। ओ आस्तेसँ एतबे कहलक-
गिद्धक श्रापसँ गाए नहि मरैत अछि आ अहाँ अप्पन श्राप अपनहि लग राखू, हम नहि लेब, जखन जरूत होएय लेने जाएब अहाँ।
कहिके फोन राखि देलक।
एहि बीच नीता अमेरिकासँ घुरि गेल छल। दूनू एक-दोसरक सभटा समान घुरा देलक। दूनूमे गप बंद भऽ गेलै। सचिन अपनाकेँ असगर अनुभव करए लागल आ कहुना कऽ अपनापर नियंत्रण राखलक। दोसर कियो रहितए तँ पागल भऽ जैतए।


एहि बीच एक दिन सचिनक मोबाइलपर नीताक फोन आएल-
हेलो सचिन
हँ
केहेन छी अहाँ
जी, नीक छी। अहाँक बात भऽ गेल। समरेंद्र मरि गेलाह।
ओह, अहाँ की कहि रहल छी
हँ, अहाँ आब खुश भऽ जाउ
अहाँ झूठि बाजि रहल छी, एना नहि भऽ सकैत अछि
हँ, ई सत अछि
कोना भेल ई गप
अहाँक श्राप हमरा लागि गेल
हम तँ अहाँकेँ कोनो श्राप नहि देलहुँ, अहीं देने छलहुँ
हँ, तँ सभटा हमरा परल
ई गप सुनि कऽ सचिन जतए ठाढ़ छल ओतहि ठाढ़ रहि गेल। ओकरा नहि फुरल जे ओ की बाजै।
सचिन आजुक बाद अहाँ कहियो हमरा फोन नहि करब। हम अहाँक संग कोनो संबंध नहि रखैत छी।ई कहि नीता फोन काटि देलखिन।
सचिन सोचए लागल जे ई की भऽ गेल। हुनकासँ जे प्रेम करैत छल ओ आइ एतेक दूर भऽ गेल छल जे चाहियो कऽ ओ किछु नहि कऽ सकैत छल।


मुदा, समए सभकेँ अपना तरहे जीबाक योग्य बना दैत अछि। सभ लोक कालक मोहरा अछि आ शतरंजक प्यादासँ अलग केकरो अस्तित्व नहि अछि। समय बीतैत गेल आ सचिन आइ एकटा अखबारमे नीक पोस्टपर पहुँचि गेल अछि। असगरे जखन रहैत छल तखन नीताक याद ओकरा तंग कऽ दैत छल। ताहि लेल ओ हरदम अपनाकेँ व्यस्त राखैत छल। नीतासँ दूर भेलाक बाद एखन धरि ओ तीनटा किताब लिख लेने छल। एहि बीच नहि तँ नीता ओकरा कहियो फोन कएलक आ नहि सचिन नीताकेँ केलक।

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आइ कएक साल बाद नीताक संस्थान मेलसँ नीता सचिनकेँ अपन कार्यक्रमक निमंत्रण पठेने छल। मंडी हाउसक एल.टी.जी. सभागारमे मंगल दिन साँझमे नृत्यक कार्यक्रम अछि। आइ सोम दिन अछि।
तखने सचिनक मोबाइल फोनक घंटी बाजल। दोसर तरफ ओकर बॉस छल।
जी सर
सचिन, अहाँकेँ आइ साँझमे न्यूयार्कक फ्लाइट पकड़हि पड़त। एखन दू बाजि रहल अछि, साँझ छह बजैत टिकट आबि जाएत। जल्दीसँ घर जा कऽ तैयार भऽ जाउ। ओतए अहाँकेँ तीन दिन धरि संयुक्त राष्ट्रसंघक अधिवेशनकेँ संबोधित करए पड़त। भारत सरकार एकमात्र अहाँकेँ अपन प्रतिनिधि बना कऽ पठा रहल अछि।
फोन राखि सचिन अमेरिका जाइ लेल तैयार होमए लेल मेल बंद कऽ आफिससँ बिदा भऽ गेल।

मनोज झा मुक्ति-
          मिथिला महोत्‍सव आ एकर उपलब्‍धि
                                    मनोज झा मुक्‍ति
      जगत जननी माता जानकी अर्थात माँ मैथिलीक जन्‍मस्‍थल, प्राचीन विदेह राज्‍यक राजधानी आ अखुनक परिवेशमे प्रस्‍तावित मिथिला राज्‍यक प्रमुख नगरी जनकपुरमें अखन मिथिला महोत्‍सवक तैयारी धुमधामसँ भऽ रहल अछि । जनकपुरके यथासंभव चिक्‍कनचुनमुन देखयवाकलेल युद्ध स्‍तरपर काज कयल जाऽरहल अछि । ओना एहि तरहें जनकपुरकेँ सजएवाक काज ई पहिलके खेप नहिं भऽरहल अछि, एहिसँ पहिनहुँ बहुतोवेर जनकपुरके सजाओल गेल छल । कहियो मिथिला महोत्‍सवक नामपर त कहियो कोनो राजनीतिक पार्टीक महाधिवेशन, सम्‍मेलन आ कहियो विवाहपञ्‍चमी त कहियो आनआन प्रयोजनक नामपर ।
      मिथिलाक संस्‍कृति केहन अछि, एतुक्‍का वातावरण केहन अछि, बाहरसँ आओल पाहुन सबके सैह देखएवाक लेल नाना प्रकारक तामझाम कएल जाइत अछि । जनकपुर संसारक सबठामक हिन्‍दूक लेल आस्‍थाक केन्‍द्रके रुपमे रहल अछि । जे कियो रामायण पढने या सुनने छथि, हुनका जीवनमें जनकपुर जाएव सम्‍भवतः एकटा प्रवल मनोभावना बढि जाइत छन्‍हि । ताँए बहुत दुरदुरसँ लोक जनकपुर देखवाकलेल अवैत छथि । ईच्‍छा होइतो जे देशी/विदेशी कहियो जनकपुर नहि आएल रहैत छथि, हुनका सबके एहि तरहक सम्‍मेलन/महोत्‍सव अएवाकलेल नीक अवसर जुरवैत अछि ।
      सम्‍मेलन/महोत्‍सवक दिनक अलावा आनदिन सेहो जनकपुरमे प्रायः भिडभाड रहिते अछि, तथापि विषेश अवसरमें अनदिनासँ तेब्‍बरचौबर लोकक भिडभाड़ लागि जाइत अछि । एहि तरहक विषेश प्रयोजनकलेल जखन जनकपुरके सजाओल जाइए, तहन ई सोंचवाकलेल विवश होमय पड़ैए जे विषेश प्रयोजन बाहेक जनकपुरक कोनहुँ महत्‍व नहिं ? जौं आनदिन सेहो  जनकपुरक महत्‍व हमसब बुझितहुँ  त जनकपुरके ई दुर्दशा किया रहैत ? सामान्‍य दिनमे दूर्गन्‍धित आ अव्‍यवस्‍थित शहरक नमूना लगैत जनकपुरमें विषेश दिन या महोत्‍सवमें मात्र डेन्‍टपेन्‍ट कऽ कऽ हमसब कि देखबऽ चाहैत छी ?
      कोनहुँ पार्टीक महाधिवेशन या सम्‍मेलन जनकपुरमें होइत अछि त ओहि पार्टीक नेता आ कार्यकर्ता जनकपुरके जीजानसँ लागिकऽ सजवैत अछि । विवाहपञ्‍चमी या परिक्रमा सन धार्मिक प्रयोजनकलेल गुठी संस्‍थानक माध्‍यमसँ आ निजी स्‍तरसँ मठमन्‍दिरसब खर्च कऽ जनकपुरके सजाओल करैत अछि । तहिना मिथिला महोत्‍सव सन सन काजकलेल वृहत्तर जनकपुर क्षेत्र विकास परिषद अपन साधनश्रोतसब परिचालन कऽकऽ जनकपुरके सजएवामे कोनो कसर बाँकि नहि रखैत अछि । आ ई अवस्‍था अर्थात जनकपुरके सजएवाक काज प्रत्‍येक ६ मास/एक वर्षपर होइते रहैत अछि, जाहिमें लगभग सऽभ मिलाकऽ करोड़ो रुपैया खर्च भऽ जाइत अछि । आ फेरफेर हमसब एहि खर्चके निरन्‍तरता देवामे अपनाके गर्वान्‍वित महशुश करैत छी । मात्र आ मात्र क्षणिक प्रशंसाकलेल जनकपुरके सजएबाक काज हमसब कहिया धरि करैत रहब ? सम्‍मेलन/महोत्‍सवक बाद जनकपुरके किया ओ सम्‍मेलन/महोत्‍सवक आयोजक सबके जनकपुर बिसरा जाइत छन्‍हि ?
      जनकपुरक विकासकलेल दीर्घ योजना नहि बनऽमें कोन कारण अछि ? बेरबेर जनकपुरेक सजाबऽमे जे खर्च कएल जाइत अछि से ठोसरुपसँ एकैबेर किया नहि करबाक सोंच किनकोमे अवैत अछि ? कोनो विषेश प्रयोजमे नीक आ सामान्‍य दिनमें अशान्‍त, अव्‍यवस्‍थित आ दूर्गन्‍धित रहऽवला जनकपुरके, सऽभ दिनलेल किया नहिं नीक आ आकर्षक/मनमोहक बनाओल जाऽ सकैया ?
      सम्‍मेलन/महोत्‍सवक वाहेक जनकपुरक विकासके ध्‍यान नहिं देवाक कारण बहुतो भऽ सकैय । राजनीतिक पार्टीक नेता सबहक गैर जिम्‍मेवारीपन, स्‍थानियवासीक जनकपुरक विकासमे अभिरुचि नहिं लेब, राज्‍यद्वारा जनकपुरके उपेक्षाक  सिकार बनाएब, सार्वजनिक सम्‍पतिके व्‍यक्‍तिगत प्रयोजनमे नेता, मठाधिश सबद्वारा प्रयोग करबाक प्रवृति । एहिके अतिरिक्‍त जनकपुरक विकास नहिं होएबामे एकटा प्रमुख कारण अछिएक्‍कहिटा काजक नामपर फेरफेर खएबाक मनोवृति । किछुलोक एहनो छथि जिनकर सोंच रहैत छन्‍हि जे काज जौं एक्‍कहि वेरमे नीक भऽगेल त फेरसँ ओही नामपर पाई नहि निकालल जा सकैय, ताँए काज एहन कमजोर हुए जे फेरफेर करबाक मौका अवैत रहय । किछु काज जनकपुरमे एहनो देखलगेल जे दोसर प्रमुख जौं कऽदेने अछि त ओकरा फेरसँ तोरबाओलगेल आ पुनःनिर्माणक नामपर बजेटके उड़यबाक काज सेहो भेल । सबसँ प्रमुख बात ई अछि जे हमसब जनकपुरक विकासके नामपर कमाए चाहैत छी, कि वास्‍तविकरुपमे जनकपुरके विकास करऽ चाहैत छी ? ताइमे प्रष्‍ट होमय पड़त ।
      मिथिला महोत्‍सव मनाएब बहुत नीक बात अछि, मुदा ई निर्भर करैत अछि एकरा आयोजन करबाक मनसाय पर । जौं वास्‍तविक रुपमे मिथिलाक संस्‍कृति, मैथिली भाषाक विकासक लेल एहि तरहक आयोजन होइत अछि त स्‍वागत योग्‍य आ प्रशंसनिय काज अछि । आ जौं अपना पार्टीक नेताके चाकड़ी करबाकलेल, एकर नामपर बजेट खएवाकलेल आ मात्र सुरखुरु बनवाक मनसायसँ  महोत्‍सवक आयोजन कएल जाइत अछि त मिथिला एवं जनकपुरकलेल ओहिसँ पैघ दुर्भाग्‍य किछु नहि होएत । चार दिनकी चान्‍दनी फिर आधेरी रातजे हिन्‍दीक कहवी अछि सैह जनकपुरके नियति बनल अछि । जनकपुरके एहिसँ उठएवाक दायित्‍व कि एहि तरहक सम्‍मेलन/महोत्‍सवक आयोजककेँ नहिं ? जनकपुर, मिथिला आ मधेशक राजनीतिकके प्रमुख केन्‍द्रक रुपमे रहल अछि । जनकपुर मिथिला, मधेश, नेपाल आ सम्‍पूर्ण हिन्‍दू सबहक परिचायक अछि । जौं जनकपुरके सबदिनलेल स्‍वच्‍छ आ व्‍यवस्‍थित हमसब राखऽसकलहुँ त जनकपुरके परिचय करेबाकलेल सम्‍मेलन आ महोत्‍सव अएनाइ या मनेनाई जरुरी नहि रहि जायत । मात्र सम्‍मेलन आ महोत्‍सवमे जनकपुरके सजाएव अखन कौआके बकुला बनाएब जकाँ हाँस्‍यास्‍पद काज मात्र प्रतीत होइत अछि । किया त अनदिना अर्थात सम्‍मेलन आ महोत्‍सवक बाहेकदिनक जनकपुर  हमरा सबके वास्‍तविक परिचय दैत अछि ।
  कहियाधरि जनकपुर नीक बनवाकलेल सम्‍मेलन आ महोत्‍सवेके बाट जोहैत रहत ? हमसब सोंचव की... ?
सुजीतकुमार झा
नेपालमे मैथिली भाषामे पढाइ: उत्‍साह कम निराशा बेसी

अपन मातृभाषाक उत्‍थानक लेल नेपालक हरेक जनता जागल अछि ।
कोना बेसी अधिकार प्राप्‍त हुए ताहिमे सम्‍बन्‍धित भाषीसभ लागल रहैत अछि । नेपालक राजा सभद्वारा लागु कएल गेल एकटा भाषा आ एकटा भेषक सूत्रमे परिवर्तन भऽ रहल अछि ।
एहनमे सभ अपन अधिकारक लेल सचेत अछि ।
कोनो भाषाक विकासमे ओकर इतिहास, साहित्‍य आ लिपीके जहिना योगदान होइत छैक ताहि सँ कम ओकर भाषामे पढाइ आ भाषाक माध्‍यम सँ रोजागारीके सेहो नहि होइत छैक ।
मैथिलीके स्‍वर्णिम इतिहास अछि एकर अपन लिपी अछि एकर पढाई सेहो प्राथमिक विद्यालय सँ लऽ कऽ स्‍नात्तकोत्तरधरि होइत अछि । नेपाल आ भारतक लाखो व्‍यक्तिक मातृभाषा मैथिली अछि । मुदा एकर विकास जाहि गति सँ होएबाक चाही से नहि भऽ रहल अछि । उपलब्‍धी सेहो ओतेक नहि अछि ।
पढाइके स्‍थिति
मैथिलीमे प्राथमिक विद्यालय सँ स्‍नात्तकोत्तरधरि पढाइ होइत अछि । नेपाल भारतक विभिन्‍न विश्‍वविद्यालय में एकर पढाइके मान्‍यता अछि । नेपालमे मिथिला राज्‍य स्‍थापनाकें चर्चा चलिते विद्यार्थीसभ मैथिली पढाइके अपन भविष्‍य बनाबय लागल छथि ।
नेपालक त्रिभुवन विश्‍वविद्यलय अन्‍तर्गत भऽ रहल एमएकेँ पढाईमे मैथिली विषय लऽ कऽ जनकपुरमे मात्र एक सय सँ बेसी विद्यार्थी अहि वर्ष नामाकंन करौने छथि । पाँच वर्ष पूर्व एमए मे दूटा तीनटा विद्यार्थी रहैत छल । मुदा तीन वर्ष सँ विद्यार्थीसभक चाप एकाएक बढल मैथिली विभागक तथ्‍यांक देखबैत अछि । तहिना नेपालमे एफएम रेडियो सभक विकासक कारण सेहो मैथिली भाषामे पढाइ दिस लोक अग्रसर भेल अछि । नेपालक ४० टा एफएम रेडियो मैथिली भाषामे समाचार आ कार्यक्रम प्रशारण करैत अछि । नेपालक किछ टेलिभिजन सेहो मैथिलीमे समाचार देबय लागल अछि । अहि सभ सँ मैथिली भाषा लिखय आ जानयबलाके मँाग कसि कऽ बढ़ल अछि । 
फेर प्राथमिक विद्यालयमे सेहो नेपालमे मैथिलीकेँ पढाइ होइत अछि । २०५६ सालमे मैथिलीकेँ प्राथमिक तहमे पढाइक लेल किताब छपाएल । तहिया सँ विभिन्‍न विद्यालय सभमे पढाइ होइत अछि । अहि क्रममे अखन फेर सँ प्राथमिक स्‍तरक पढाईक लेल ४० हजार किताब छपाबयकेँ काज चलि रहल अछि ।
 नेपालक सप्‍तरीमे मैथिली पढाइकेँ केना व्‍यवस्‍थित कएल जाए ताहि लेल बभनगामा कट्टीक प्राधानाध्‍यापक जबाहर लाल देबक नेतृत्‍वमे मैथिली पढाइ उत्‍प्रेरक कार्यदल गठन कएल गेल अछि ।
ओ दल विभिन्‍न जिल्‍लामे कोना किताब पठाओल जाए सँ लऽ कऽ पढाइ केना शुरु कएल जाए ताहिमे अग्रसर रहल कार्यदलक सचिव देवेन्‍द्र मिश्र जानकारी देलन्‍हि । धनुषाक बहुअर्बा माध्‍यमिक विद्यालयक पूर्व प्राधानाध्‍यापक अयोध्‍यानाथ चौधरी धनुषामे पहिलवेर प्राथमिक तहमे पढाइ शुरु कएलन्‍हि । ओ विद्यालयमे प्राथमिक तह तथा ९ आ १० कक्षामे एखनो मैथिलीमे पढाइ होइत अछि ।
पढाईकेँ इतिहास
भारतमे बहुत पहिनहि सँ मैथिलीमे पढाइ शुरु भऽ गेल मुदा नेपालमे २००८ साल सँ पढाइ शुरु भेल इतिहास अछि । जानकी आधार स्‍कुलमे एकर पहिल पढाई शुरु भेल अछि । ओना २०१९ सालमे सरकारद्वारा पूर्वीय भाषाके रुपमे ९ आ १० कक्षामे पढाइके लेल अनुमति देलाक बाद जोड सँ शुरु भेल अछि । जनकपुरक सरस्‍वती माविमे पण्‍डित सच्‍चिानन्‍द झा मैथिली पढाइ शुरु कएलन्‍हि । फेर धनुषाक विभिन्‍न विद्यालयमे क्रमशः मैथिली पढाइ शुरु भेल । धनुषाक बभनगामा मावि आ नगराइन माविमे बहुत विद्यार्थी रहैत छल । बभनगामामे मैथिलीक प्रसिद्ध नाटककार महेन्‍द्र मलंगिया लम्‍बा समयधरि मैथिलीमे पढबैत रहलाह ।
क्‍याम्‍पसक इतिहासक बात कएल जाए तऽ २०१४ साल साउन १४ गते इन्‍टर कलेजक नाम सँ क्‍याम्‍पसकेँ स्‍थापना भेल आ स्‍थापने काल सँ मैथिलीक अध्‍ययन शुरु भेल । मैथिलीक प्रथम प्राध्‍यापकक रुपमे पण्‍डित सूर्यकान्‍त झा नियुक्त भेलाह आ डा. धीरेश्‍वर झा धिरेन्‍द्रके आगमन १९६१ इ.धरि ओ कुशल शिक्षकके रुपमे सुशोभित रहलाह । डा. धीरेन्‍द्रक करिश्‍माई व्‍यक्तित्‍वक कारण सभक ध्‍यान मैथिली दिस आएल । डा. धीरेन्‍द्रक प्रयासमे २०३८ सालमे जनकपुरमे त्रिभुवन विश्‍वविद्यालय मैथिलीकेँ केन्‍द्रीय विभाग खोललक । ओहि साल सँ मैथिलीके स्‍नात्तकोत्तरमे पठन पाठन शुरु भेल । पहिल ब्‍याच मे १६ गोटे छात्र रहथि ।
एखन क्‍याम्‍पसक बात कएल जाएत तऽ जनकपुरक अतिरिक्त सिरहा, सप्‍तरी आ महोत्तरीमे मैथिलीके पढाइ होइत अछि । ई जिल्‍ला सभमे रहल प्‍लस टू क्‍याम्‍पस सभमे सेहो मैथिलीके पढाइ होइत अछि ।
अवरोधक रुपमे मैथिली विभाग

नेपाल सरकार मैथिली भाषाक विकासक लेल त्रिभुवन विश्‍वविद्यालय अन्‍तर्गत केन्‍द्रीय मैथिली विभाग खोलने अछि ।
ओकर कार्यालय जनकपुरमे रहला सँ आ मैथिली भाषाक लेल सरकारक उच्‍च निकाय सेहो रहला सँ विभागक दायित्‍व किछ आओर बढि जाइत अछि । मैथिली भाषाक स्‍नात्तकोत्तरमे मात्र एक सँ बेशी विद्यार्थी नयाँ ब्‍याचमे अध्‍ययन कऽ रहल अछि । मुदा पढाई नहि होइत अछि । एकर मुख्‍य जिम्‍मेदार विभागाध्‍यक्ष डा. पशुपति नाथ झा छथि जे तलब भत्ता पकाबय पर मात्र ध्‍यान केन्‍द्रित कएने छथि ।
नेपाल सरकार सँ भाषिक शिक्षाक विकास विस्‍तारक जिम्‍मा पौने विभागकेँ अहि क्षेत्रक अन्‍य क्‍याम्‍पस सभमे मैथिलीमे पढाई विस्‍तारक लेल अखन धरि कोनो योजना नहि लौने अछि । आइए, बीए कोनो विषय सँ करु मुदा एमए मे मैथिली पढि सकैत छी मैथिली विभागद्वारा आनल गेल नयाँ नीति मैथिलीकेेँ समाप्‍त करबाक प्रयास रहल जानकारसभ कहैत छथि । मैथिली विभागद्वारा आनल गेल नयाँ पाठ्यक्रम सेहो विवाद सँ मुक्त नहि रहल अछि । मैथिली विभागमे कार्यरत सहप्राध्‍यापक परमेश्‍वर कापड़ि कहैत छथि –‘मैथिली विभागक प्रमुख डा. पशुपति नाथ झा मैथिलीकेँ आन्‍दोलनी नहि मैथिलीक कर्मचारीकेँ रुपमे काज करैत छथि । हुनकर दीर्घ योजना किछ नहि छन्‍हि । ताहि लेल एतेक समस्‍या भऽ रहल अछि । ओना डा. झा नयाँ पाठ्यक्रममे किछ गल्‍ती भेल स्‍वीकार करैत अहिमे सुधार करब बतबैत छथि । ओना मैथिलीकेँ सभ सँ बडका आन्‍दोलनी अपने रहल प्रसंगक क्रममे बेर बेर कहलन्‍हि ।

पढाइक लेल बर्तमानमे प्रयास
पढाईक लेल जे नेपालमे माहौल बनि रहल अछि । ताहि हिसाव सँ विशेष रुप सँ प्रयास नहि भऽ रहल अछि । तखन मैथिलीक यूवा साहित्‍यकार धीरेन्‍द्र प्रेमर्षिक प्रयास सराहनीय रहल अछि । ओ कान्‍तिपुर एफएमक हेल्‍लो मिथिला मार्फत अभियान चला रहल छथि ।
मैथिली पढाई उत्‍प्रेरक दल सप्‍तरीक सचिव देवेन्‍द्र मिश्र स्‍वीकार कएलन्‍हि यदि धीरेन्‍द्र प्रेमर्षि बेर बेर नहि खोंचारितथि तऽ सप्‍तरीमे कार्यदल नहि बनैत ।ओना जनकपुरक मिथिला नाट्यकला परिषद, युवा साहित्‍यकार नित्‍यानन्‍द मण्‍डल, मानवअधिकारवादी विजय दत्तक सेहो महत्‍वपूर्ण योगदान रहल छन्‍हि ।
जनकपुरमे अन्‍तराष्‍ट्रीय मातृभाषा दिवसक अवसर पर अहिबेर निकालल गेल जुलुसमे मातृ भाषा शिक्षा पर विशेष जोड देल गेल छल ।
आब की ?
मैथिली भाषाक विकासक लेल बहुत काज भेल अछि । मुदा एतहि सन्‍तोष करबाक अवस्‍था नहि अछि । विश्‍वविद्यालयक पढाईमे हरेक तहमे मैथिली भाषाक पढाई सञ्‍चालन करबाक लेल लविङ्ग ,कैम्‍पानिङ्ग, प्रचार प्रसार, क्षेत्र विस्‍तार, अवसरके सृजना, योजना , अनुगमन, कार्यनीति, रणनीति आ व्‍यवस्‍थापनक आवश्‍यक्ता अछि । अहिके लेल त्रिभुवन विश्‍वविद्यालय, नेपाल सरकार, गैर सरकारी संस्‍था, स्‍थानीय निकाय सहितक अग्रसरताक आवश्‍यक्ता अछि । तहिना आवश्‍यक्ता अछि आन्‍दोलनक आ ओकर कुशल नेतृत्‍वकेँ । मुदा ई जिम्‍मेबारी के लेत ? मिथिला ओकर प्रतिक्षा कऽ रहल अछि ।
बिपिन झा
बिपिन झा
कृतारिषड्वर्गजयेनमानवीम्
(सफलताक मूलसूत्र)
आजुक युवा में एकटा बहुत पैघ कमी देखै में आबय लागल अछि, जे बाहरी शत्रु पर तऽ ओ सहजता सँऽ विजय प्राप्त कय लैत छथि मुदा आन्तरिक शत्रु काम, क्रोधादि पर ओ विवश भय जाइत छथि। जाहि कारण बहुत बेर ओ सफलता सँऽ वंचित रहि जाइत छथि अथवा ई कहब उचित होयत जे आंशिक सफ़लता प्राप्त करैत छथि।
 Earl Nightingale केर अनुसार सफलता क  आशय “Progressive realization of worthy goal” अछि। अस्तु, सफलता क्षणभरिक कार्य सँ नहि अपितु निरन्तर उद्यम सँ संभव अछि।
एहि संदर्भ में किरातार्जुनीयम् (महाकवि भारवि केर अनुपमकृति, संस्कृत महाकाव्य) क प्रथम सर्गक एकटा श्लोक स्मरण में अछि जतय दुर्योधन कें एहि कारण प्रशंसा कयल गेलैक जे ओ अपन समस्त आन्तरिक शत्रु पर विजय प्राप्त कय समय केर नियमपूर्वक विभाजन कय जनता क सेवा में लागल अछि। ओतय ओकर सम्बोधन दुर्योधन केर् अपेक्षा सुयोधन कहनाई उचित बुझल गेल छैक।
यदि आन्तरिक शत्रु पर विजय प्राप्त कयल जाय तऽ दुःसाध्य काज सेहो सम्भव छैक। क्षणभरि धैर्य नहि रहब साल भरिक परिश्रम कें व्यर्थजँका सिद्ध कय दैत अछि (’जकाएहि कारण कहल गेल जे परिश्रम कखनहु व्यर्थ नहिं जाइत अछि )। धैर्य केर उदाहरण एहि प्रकारें देल जा सकैत अछि-
एक व्यक्ति केर व्यापार ओहि समय ठप्प भय गेलैक जखनि ओ मात्र २१वर्षक छल। २२ वर्षक अवस्था में ओ चुनाव लडल आ हारि गेल। पुनः व्यापार में आयल जाहि में समुचित सफलता नहिं भेटलैक ओहि समय ओ मात्र् २४वर्षक छल। जखनि ओ २६ वर्षक छल अपन प्रियतमा सँ सदाक लेल दूर भय गेल, स्वाभाविक अछि ओ किछु वर्ष धरि नर्वस जका भय गेल। हारि नहिं मानलक पुनः कांग्रेसियल रेस में आयल किन्तु सफलता नहिं भेटलैक ओहि समय ओ ३४ वर्षक छल। एहि तरहें ओ जीवन रूपी समरांगण में सतत् संघर्ष करैत रहल हारि नहिं मानलक। अन्ततः ओ अमेरिका केर प्रथम राष्ट्रपति बनल। ओ छलाह अब्राहम लिंकन।
कहबाक आशय मात्र एतवा अछि जे जाहि क्षेत्र में रुचि हो, ओहि क्षेत्र में बिना विचलित होइत निरन्तर आगू बढी कियाक तऽ एहि राष्ट्र कें विकसित राष्ट्र के पंक्ति में आनव मात्र सरकारी योजना सं संभव नहि अपितु समस्त नागरिक केर अथक, सांविधिक आ नैतिक नियमानुकूल समुचित कार्य सँऽ संभव छैक।

 १. बेचन ठाकुर,नाटक-छीनरदेवी२.राधा कान्त मंडल रमण’-कने हमहूँ पढ़व
बेचन ठाकुर , चनौरा गंज, मधुबनी, बिहार।
छीनरदेवीबेचन ठाकुरक-



बेचन ठाकुर
(
चनौरा गंज)
दृश्य तेसर

(
स्थान-सुभाष ठाकुरक घर। दुनू परानी ललनक विषएमे गप-सप करैत छथि।)
मीरा- यै ललनक बाबू, हमर विचार अछि जे आब ललनकेँ कोनो बढ़ियाँ धाइमसँ देखाए दियौक।
सुभाष- यै ललनक माए, रातिमे अपन घरक गोसांइ काली बंदी हमरा सप्पन देलनि जे बौआकेँ कोनो चिक्कन धाइमसँ देखा। हम पुछलियनि जे के चिक्कन धाइम छथि तऽ ओ कहलनि जे खोपामे रोडक कातमे परवतिया कोइर नामक एकटा धाइम छथि, एकदम सिद्ध धाइम छथि आ ओ जे किछु कहैत छथि से उचितो मे उचित। ओतए तोरा मोनक भ्रम दूर भऽ जेतौक।
मीरा- ललन बाउ, घरक गोसांइ बड़ पैघ होइत छथिन्ह हुनक कहल नहि करबनि तँ किनक कहल करबनि।
सुभाष- हँ हँ हुनक कहल करबाके अछि! ललन, ललन, बौआ ललन।
(
ललनक प्रवेश। ललन बताहक अवस्थामे छथि।)
ललन- हमरा तों बौआ किएक कहैत छह? हम तोहर बौआ नहि छियह। हम तोहर नाना छियह। आइसँ तों हमरा नाना कहह।
सुभाष- ललन नाना, हमरा सङे चलू एकठाम मेला देखै लए। मएओ जेतीह।
ललन- हम पएरहि नहि जेबह। हम कनहापर जेबह।
सुभाष- चलह ने, बेसी कनहेपर चलिह आ कने-मने पएरो।
ललन- बेस चलह। हमरा ओतए रसगुल्ला, लाय मुरही, झिल्ली किनि दिह। बगियो कीनि दिह।
मीरा- चल ने, सबटा कीनि देबौक।
(
सुभाष, मीरा ओ ललन जा रहलाह अछि परबतिया कोइर ओहिठाम। परबतिया गहबरमे बैसल छथि! मृदंग बाजि रहल अछि। किछए कालमे परबतियाक देहपर काली बंदी सवार भऽ जाइत छथिन्ह। मृदंग बजनाइ बन्द भऽ जाइत अछि)
परबतिया- होऽऽऽ बोल जय गंगा। बोल जय गंगा। काली बंदी छियह हम। बोल जय गंगा। बाजह, के कहाली छह? बोल जय गंगा। जल्दी लग आबह। बोल जय गंगा जल्दी आबह। हमरा जेबाक छह बाबा धाम। फेर गंगोकेँ देखनाइ अछि।

(
तीनू परानी लग जाइत छथि। ललन देह-हाथ पटकि रहल अछि। मूरी हिलाए रहल अछि। भगत पीड़ि परसँ माटि लऽ कऽ ललनक देहपर फेंकलथि। ललन शांत भऽ जाइत अछि। भगत ललनक माथक पूरा पकड़ैत छथि।)
परबतिया- हओ बाबू, एकरा केलहा नहि छह। जे कियो तोरा कहैत छह जे एकरा केलहा अछि से तोहर कट्टर दुश्मन छियह। तोरा दुनू दियादमे झगड़ा लगाबए चाहैत छह। बोल जय गंगा। काली बंदी छियह। हओ बाबू ओ तोरासँ ऊपरे ऊपर मुँह धएने रहैत छह। ओ आस्तीनक साँप छियह। हओ बाबू तोड़ै लऽ सब चाहैत अछि मुदा, जोड़ै लऽ कियो नहि। बोल जय गंगा। ओ बड़का धुर्त्त छह, मचण्ड छह।
सुभाष- सरकार, हमरा बहुते लोक कहलक जे अहाँक छोटकी भाबो पहुँचल फकीर अछि। ओकरहि ई कारामात छी।
परबतिया- बोल जय गंगा। हओ बाबू, कने तोहुँ सोचहक, अकल लगाबहक जे जदि डाइनकेँ एतेक पावर रहितैक तँ ओ अपन विद्यासँ सौंसे दुनियाँपर शासन करैत रहितैक। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्री, एस.डी.ओ., कलक्टर, थाना-पुलिस बैंक सभटा वएह रहितैक ने। बोल जय गंगा। हओ बाबू, डायनपर विश्वास केनाइ खाटी अंध विश्वास छी। ई मोनक भ्रम छी। ई मोनक शंका छी। बोल जय गंगा। हओ बाबू, अगर शंकाबला आदमी केकरो हँसैत देखि लेलक तँ ओकरो होइत छैक जे ओ हमरेपर हँसल। तें हम यएह कहबह जे तों नीक लोक लागैत छह, एहि भ्रममे नहि पड़ह। नहि जौं पड़लह तँ सत्यानाश भऽ जेतह। हम तोरहि घर गोसांइ काली बंदी बाजैत छियह। बोल जय गंगा। हओ बाबू, आब हमरा देरी भऽ रहल छह, हमर विमान ऊपरमे लागल छह।
मीरा- सरकार, ई ठीक कोना होएत, से उपए बता दथुन्ह न? ई एना किएक करैत अछि?
परबतिया- बोल जय गंगा। हओ बाबू, एहि छौंड़ाकेँ छीनर देवी लागलि छह।
सुभाष- छीनरदेवी हटत कोना?
परबतिया- हँ हटत, नहि किएक हटत? जल्दी तों एकर बिआह केहनो लड़कीसँ करह। सभ ठीक भऽ जेतह। आओरो कोनो कष्ट छह?
सुभाष- नहि सरकार, जदि अपने सहाय रहबैक तँ कोनो कष्ट नहि होएतैक।
मीरा- सरकार, कने विभूति दए दिअ।

(
परबतिया मीराकेँ विभूति देलनि।)
परबतिया- बोल जय गंगा। बोल जय गंगा। बोल जय गंगा। आब हम जाइ छियह। बाबा धाम।
(
कहैत कहैत काली बंदी चलि जाइत छथि।)
सुभाष- सरकार, अपनेक दक्षिणा?
परबतिया- पाँच टका मात्र।
सुभाष- सरकार एतबै?
परबतिया- हँ पाँचहि टका मात्र। उहो गहबरमे प्रसाद चढ़ाबए लेल। हमरा गहबरमे ठकै फुसलबै बला काज नहि होइत अछि। हमरा गहबरमे कलयाणक आ संतोषक गप होइत अछि। शंका वा भ्रम बढ़ाबए बला नहि, पूर्णतः हटाबए बला गप होइत अछि आब अपने सभ जाउ। एकर बिआह जल्दी करु, छीनरदेवी भागि जाएत।
(
तीनू परानी माथा टेक कऽ प्रणाम करैत छथि आ आर्शीवाद लऽ कऽ प्रस्थान करैत छथि।)
पटाक्षेप
दृश्य चारिम क्रमशः
 
2.
राधा कान्त मंडल रमण
जन्म- 01 03 1978
पिता- श्री तुरन्त लाल मण्डल
गाम- धबौली, लौकही
भाया- निर्मली
जिला-मधुबनी
षिक्षा- स्नातक

मैथिली एकांकी

कने हमहूँ पढ़व

पात्र परिचय
1.
धनिकलाल पंचाइतक मुखियाजी छथि।
2.
चम्पत लाल मुंशी मुखियाजीकेँ
3.
दुखना गरीव व्यक्ति
4.
दुखनी ‘‘ ’’
5.
अमर ‘‘ ’’
6.
रीता ‘‘ ’’

प्रथम दृश्य

(
दुखना दुखनी अपन घरमे जीवनकेँ पलक घड़ी दुखसँ वितबैत छलै जेकरा एक सांझक भोजनपर आफद छल। ई बात अपनामे विचार करैत दुखना आ दुखनीक प्रवेश होइत अछि। दुखनी आंगन घरक काज करैत छलि आ मने-मन विचारैत छल जे हे भगवान आइ हम आ हमर धिया पुता खाएत की तहि बीचमे दुखनाक प्रवेश)

दुखना- सुनै छहक ने?

दुखनी- अहाँ बाजू ने की भेल हेँ?

दुखना- आइ बच्चा सभ की खतौ घरमे किछो छौ कि नाइ, हम तू तँ भूख मेटा लेव आ बच्चा कोना रहतौ।

(
अमरकेँ प्रवेश)
अमर- बाबू बाबू हमरा भूख लागल अछि माए भनस कहाँ करै छै?

दुखनी- (अमरकेँ कोरामे लैत भगवानकेँ तरफ देखि कऽ छनि) हे भगवान हम तँ नोर पी कऽ अपन जीवन बीता रहल छी आ ई बच्चा कोना जीयत? (दुखनी यएह बजैत सोचमे डूबि जाइत अछि।)


दोसर दृश्य


(
मुखिया जी आ हुनक मुंशीकेँ संग बात चीत)

धनिक लाल- (मुंशीकेँ इशारा करैत) हे रौ हे रौ मुंशिया से कतेक दिन भऽ गेलौ बही खाताकेँ लेखा जोखा, बही खाता ठीक छौ की ने।

चम्पतलाल- (डराइत बाजल चम्पतलाल मुंशी बाजल) जी ......जी मुखिया जी, ठीके -ठाक छै।

धनिकलाल- हेरौ आय कालि तँ लेन-देनक कार-बार भऽ रहल छै किने।

दुखनाक प्रवेश

दुखना- (मुखिया जीक पएरपर गीर पडैत अछि।) मालिक भऽ....भगवान हमर......।

(
परएपर सँ दुखनाकेँ उठबैत मुखियाजी)

मुखिया- रै दुखन बाज तोरा की भेलौ जे तू एतै व्यग्र छे।

दुखना- मुखिजी हमरा घरवालीकेँ बहुत जोर मन खराप भऽ गेलै से अपने लँग दोगल एलौंहेँ घरमे फूटल कौड़ीओ नै छै जे इलाज करबै लऽ जेबे हम अहा पास रुपैआ ले ऐलौं हेन।

मुखियाजी- बाज तोरा कतेक टाकाक जरुरी छौ?

दुखना- पा..... पाँच सौ रुपैआ।

मुखियाजी- (मुंशी तरफ इशारा करैत) हे रौ मुंशीया तिजोरीसँ पाँच सौ टाका दुखनकेँ दही आ सुन ओकरा सँ वापसीक एग्रीमेट करबाले बुझलेँ की नै।

मुंशी- (रुपैआ दैत) ले रौ दुखना ई टाका ले आ हमरा सादा वहीपर एग्रीमेट कर।

दुखन- (औठामे निशान लगबैत) ई मालिक कतए कऽ देव, आइ अहीं हमर भगवान छी।

(
दुखनकेँ प्रस्थान)

मंुशी- दुखनसँ सुन अगर ई टाका तों समएपर नहि देबही तँ तोरा टाकाक व्याजक ब्याज लगतौ आ सब गिरबी रखऽ पड़तौ से सुनि ले।

मुखियाजी- कतेक दिनक बाद ई एकट मोकिर धरैलो हेँ।

मुंशीजी- मऽ ... मालिक वहीपर दुखनक नाम कतेक मारबै?

मुखियाजी- (तमसाइत बजलाह) रौ मुऽऽ........मुंशीया तोरा हमर छाली घी मठ्ठा खा कऽ बुद्धिये ने तँ मोटा गेलौ।

मुंशी- (कपैत बाजलाह) जी......जी हुजूर हम आब बुझि गेलौं, जे...... जे पाँच हजारमे जेतै न मुऽऽ....मुखिया जी।

मुखियाजी- (हँसैत) ई भेलौ ने एकटा मुंशीया बुद्धि ई तँ बुझि जे हमरा अन्नक असर।

तेसर दृश्य- क्रमशः
.ऋषि वशिष्ठ-अन्हरजाली
२.उमेश मंडल-रोहनियाँ आम ३.
कपिलेश्वर राउत-तरकारी खेती
 १.
ऋषि वशिष्ठ
अन्हरजाली

कोर्ट परिसर भीड़सँ खचाखच भरल छलै। सह-सह करैत भीड़मे कियो प्रसन्न मुद्रामे नहि छल! सबहक मुँह-कान सुखाएल-टटाएल। फूफड़ी पड़ैत ठोर जेना जाड़क पछबापर राँइ-बाँइ फाटि गेल हो। वकील सभ वकालत खानामे बैसल बात-विचार करैत छलाह। कियो अपन मोकिरकेँ बुझबैत तँ कियो आश्वस्त करैत छल। मोकिर सबहक मुहेँ देखलासँ ओ असंतुष्ट आ दुविधाक सिथतिमे बुझाइत छल। वकील मुदा ओकरा विश्वास देबाक लेल अनेक उदाहरण दैत छल। एकटा मोकिर हाथ जोड़ने वकील सँ विनती करैत छल-
‘‘ओकील साहेब, हमर घर-घरारी सब दखल कऽ लेने अछि। कहुना उजड़ल के बसाउ, ओकील साहेब।’’
वकील साहेब ओकर स्थितिकेँ सुनैत बजलाह-
‘‘फैसला तँ अहाँक पक्षमे भइये जाएत, खाली अहाँ डाँड़ मजगुत केने ठाढ़ टा रहियौ।..........एखुनका समएमे जेहन माल तेहन कमाल।’’
मोकिरक मलिन मुखड़ापर जेना कनेक प्रसन्ताक रेखा उभरलै। वकील साहेब अपनैतीक भावसँ पुछलनि-
‘‘अहाँ समंगर छी कीने यौ?........कहबी ठीके छलै जे दस टके नै नितराइ, दस समांगे नितराइ।’’
मोकिरक कपाड़पर जेना तीनटा रेखा उभरि गेलै। चिन्ताक रेघा।
वकील साहेब अपन बड़ाइक मुद्रामे बजलाह-
‘‘हमरा सभ लग नहि चलतै। अहाँकेँ किग्री दिया देब। उचित आकि अनुचित, हमरा सभ लग नहि चलै। जकरा चाहबै जीततै।..........मुदा, सहर जमीनपर कब्जा तँ अपनहि करए पड़त।’’
उदास भेल मोकिर बाजि उठल-
‘‘तखन तँ जेहने जिनते तेहने हारने। ओइ राक्षसक पालासँ जमीन छोड़ाएब हमरा बुते कहियो पार लागत? से जँ बुत्ता रहैत तँ न्यायालय किएक अबितौं।’’
वकील साहेबकेँ कोनो अशुभक अनुमान लगलनि। ओ मोकिरकेँ उत्साहित करैत बजलाह-
‘‘तैलय चिन्ता करबाक काज नहि छैक। सभ बेवस्था छै किने! पहिने हमरा केश तँ जीतऽ दिअ।’’
मोकिर जेना आरो गंभीर भऽ गेला। वकील साहेब रंग-बिरंगक आर व्यान सभ सुनबए लगलखिन-
‘‘एन्ना, फल्लाँ ठाँ मामिला छलै......... तँ एन्ना जीता देलियै!.......एसेटा पठेलियै कि बस्स......... सभ घर धऽ लेलकै! अपनहि जग्गह खाली कऽ देलकै।’’
मोकिर तैयौ जेना आश्वस्त नहि भऽ रहल छल।
हल्ला-गुल्ला सबहक बेचैनी जेना बढ़ले जाइत छलै। भीड़मे कियो स्थित भऽ ठाढ़ नहि छल। सभ अपसियाँत भेल। एम्हर-ओम्हर झटकरैत। एकटा अधवयसू खसैत-पड़ैत वकालतखान दिस दौड़ल आएल। कहाँ छथि ओकील साहेब
?..... हमरा बचाउ ओकील साहेब! हमरासँ घोर पाप भऽ गेलए।’’
वकील साहेब सभ साकंच भऽ बैसलाह। सभ एहि मोकिरसँ गप्प करए चाहैत छलाह।
आखीर की बात छै
? ओना ई मोकिर अछि बेस आर्त्त। अर्थात मोटगर असामी’’ तखन एकरासँ जे मांग करियौ भेटतै।....... मुदा ई लक्ष्मी ककरा कपारमे लिखल छथि से नहि जानि.........!’’ सभ वकील यएह सोचैत छलाह। एकटा सीनियर वकील जेना मोकिरकेँ झपटलनि- ‘‘की बात छै से तँ बाजू। तखन ने कोनो रास्ता निकालब हमसभ।’’
मोकिर मुँहसँ जेना अनायास बजा गेलै-
‘‘भोर-भोर टहलैत छलाह, सड़कक कातमे एकटा मुर्दा छलै। हम ठाढ़ भऽ ओकरा देखिते छलौं कि केम्हरोसँ पुलिस आएल।........ओ कहए लागल जे तोंही खून केलहीए?’’
सीनियर वकील गंभीर भऽ प्रश्न कएलनि-
‘‘पुलिस अहीकेँ खूनी कहैए?’’
-
‘‘हँ! मुदा.......?’’
-
‘‘मुदा तुंदा किछु नहि। पुलिस खूनी कहि देलक तँ अहाँ सरकारक घरमे खूनी घोषित भऽ गेलहुँ। .......आब जखन अहाँकेँ ई प्रायश्चित लागि गेल तँ एकरा कटेबाक प्रयास करु।’’
-
‘‘एहनो अनर्गल भेलैए?’’ - मोकिर आश्चर्यचकित भऽ प्रश्न कएलनि।
सीनियर वकील मोकिरकेँ बुझबैत बजलाह-
‘‘देखियौ, उचित-अनुचितक फेरिमे जाएब तँ बातक बतंगर भऽ जाएत। बुधियारी अहीमे अदि जे कहुना एहिसँ फारकत्ती पाउ।’’
मोकिर चिन्तित भऽ बाजल-
‘‘तँ हमरा कहुना उबारु!’’
सीनियर वकील कागजपर किछु लिखए लगलाह। देासर टपकैत बाजल-
‘‘ओना तँ ई खूनी केश छै, एहिमे सजाए फाफ होएब आ सोंस-घड़ियारलक मुँहसँ जीबैत निकलब एक्के बात भेलै।’’
सीनियर वकीलकेँ जेना केश छिनेबाक अनुमान लगलनि। अेा दोसर वकीलकेँ डपटैत बजलाह-
‘‘खूनी केश छै तँ कि भेलै। हम दस आना गारेंटी लेबै जीतबाक।’’
दोसर वकील टेबुल ठोकलक-
‘‘सीनियर भऽ कऽ दसे आना गारेंटी? हम तँ बारह आना गारेंटी लेबनि।’’
मोकिर दुविधामे ठाढ़ भेल दुनूक मुँह तकैत छल।
सीनियर वकील अपन बेइज्जतीक अनुभव केलनि ओ तमकेत बजलाह-
‘‘चलह, चलह! कीदन नै चलय तँ केराके भार! सीनियर भेलौं हम आ ठीका लेथिन ई! कहलके जे......मुहक खतियौन नहिये होइछै।’’
मोकिर गुम्मी लधने दुनूक उतरा चौरी देखैत रहल। सभ वकीलो किछु कहबाक लेल सगबगाइत छलाह मुदा सीनियर वकीलक तामस देखि चुप्प छलाह।
दोसर वकील गप्पकेँ आगाँ बढ़बैत बाजल-
‘‘हम मुँहसँ दाबी नहि करै छियै, जीता कऽ देखा दै छियै। आइ तक हम एहन एकोटा केश नहि हारलैंहेँ.......ई हमर रेकार्ड अछि।’’
मोकिर देासर वकील दिशि आकृष्ट भेल।
सीनियर वकील जेना दोसरकेँ चित्त करबाक प्रयास केलनि-
‘‘ई सरकारी केश भेलै आ सरकारी केश हम आइतक नहि हारलौंहेँ। हमरा आगाँ सरकारी वकीलक कहियो गजहा नहि ठहरै छै। ओ तँ हमरा देखिते नाङरि सुटकाकऽ बिल धऽ लैइए।’’
मोकिर किछु निर्णय लेबामे असमर्थ छल। सीनियर वकील अपनाकेँ निर्लोभ साबित करबाक प्रयार केलनि-
‘‘औ बाबू, हमरा अहाँक केश लड़बाक सेहन्ता नहि अछि अहींक नीक लए कहलौं। आब अहाँकेँ जे नीक बुझाए सएह करु....।’’
देासर वकील संकेतक भाषामे बाजल-
‘‘जाउ! कटाउ ग!’’
एतबा कहैत दोसर वकील ओतए सँ ससरि गेल।
मोकिर आ सीनियर वकीलमे खूब विचार-विमश्र भेलै। समए बितैत गेल। वकील साहेब मोकिरकेँ ब्यान देबाक अभ्यास करबैत रहलाह। किछुए दिन कचहरीक दौड़-बढ़हा केने मोकिर सेहो चरफर भेल गेल।
......आइ मोकिरकेँ न्यायाधीसक सोझाँ ब्यान देबाक छलै। सरकारी वकील भिन्ने मोंछ ऐंठैत छल आ सीनियर वकील भिन्ने। न्यायाधीश न्यायालयमे बैसि गेल छलाह। खूनी मामिला छलै तेँ लोकोक भीड़ जूटल छलै- ब्यान सुनबाक लेल। बाहर लोकसब कलबल-कलबल करैत छल आ भीतर मोकिर
, सरकारी वकील। सीनियार वकील आ पेशकार जजक समक्ष अपन-अपन भाव भांगिमा बना रहल छल। जजक आदेशसँ कार्यवाही शुरुह भेल-


क्रमशः
२.

उमेश मंडल
रोहनियाँ आम

ओसारक ओछाइनपर सुतल सुगियाकेँ भोरहरबेमे निन्न टुटि गेल। निन्न टुटिते आंगन दिस तकलक। अमावश्याक बारह बजे रातिक अन्हार तँ नहि मुदा ओहिसँ कने साफ-फरिच्छ देखि तीनि बर्खक बेटा डोमनाक मँुह देखलक। मन कनए लगलै नीन टुटलापर की खाइले देबै..... साँझे सुति रहल तेँ ने
, नै तँ रातियोमे कनैत।’’
दुनू हाथसँ दुनू आँखि मीड़ि ओछाइनसँ उठि
, बाढ़नि लऽ आंगन बहारए लगल। एहि आशाक संग जे नहि बहारने लछमीक बास नहि होइत छनि।
मनमे उठलै
, भोरसँ लऽ कऽ आध पहर राति धरि खटै छी तइयो दुनू साँझ चुल्हि नहि पजडै़त अछि। भुखल जिनगी जीवैसँ नीक बिनु दुख कटने मरि जाएब नीक। कोन लोभे जीवै छी। एत्तेटा दुनियाँमे हमर किछु नहि छी? जँ किछु नहि छी तँ रहब कतए? जँ रहौ चाहब तँ रहए के देत? विस्मित भऽ सोचैत टाटक खूँटामे बाढ़नि झाड़ि रस्ता दिशि देखए लगल।
ओछाइनपर पड़ल गुलेतीक मनमे नचैत जे ने एको धुर खेत अछि जइमे खेती करब आ ने गाममे काज लगैत अछि जे खटियो कऽ गुजर करब। सरकारो तेहन धौंछ अछि जे घरारीक लेल चारि डिसमिल कि दू डिसमिल देत से जोड़िनिहारे ने कियो छैक। तखन ककरो घरारियो कना हेतइ। सोगक तर गुलेतीक मन पिचाए लगलै। मुदा तरे-तर बुद्धि ससरि बहराए गेलै। बुद्धिकेँ बहराइतै आंगन दिस तकलक तँ मन पड़लै चान। जहि ठाम लोक पहुँच रहल अछि। मनमे खुशी एलै जे एहिठामसँ नीक बास ओइठीन हएत। केहन शीतल जगह
, मड़कड़ीक इजोत सन इजोत। अशोभक गाछ तर बुढ़िया टौकरी कटैए। मुदा लगले मन कसाइन हुअए लगलै। जहि चान सन रुपक आ अंगूर सन फलक बेटीक पाछु कते कोठा-कोठी, खेत-पथार डूबि गेल तेकर तयात नहि।
अंगनाक मुहथरिये लगसँ सुगिया डोमन दिशि तकलक। मातृत्व जगलै। बाढ़िनिकेँ टाटक कातमे रखि बेटा लग आबि बैसलि। हवाक झोंक मनमे लगलै। अनायास मुँहसँ निकलए लगलै... नीन टुटतै कनिते उठत। साँझे सुति रहल तेँ ने
, नइ तँ रातिमे सुतैयो नइ दइते। जेकरा दस मास पेटमे रखलौं तकर नोरो पोछै जोकर नइ छी। छातियो छुट्टिये गेले नइ तँ छतिये लगा लैतिऐक। तहि काल डोमन कनैत उठल। पुचकारि कऽ सुगिया कोरामे वैसाए कहलक-
‘‘धान रोपै जेबै।
तइमे धान फड़तै।
धान काटि अनवै।
तेकर चूड़ा कुटबै।
नीकहा थारीमे वौआकँे
आम-चूड़ा देवई।
वौआ हमर खेतै।
माइयक गीति सुनैत-सुनैत डोमन चुप भऽ बाजल-
‘‘हमहूँ धान रोपए जेबउ।’’
मुस्कुराइत सुगिया बाजलि-
‘‘ताबे बुलू-भाँगू। लगले हम अबै छी।’’
सुगियाकेँ मन पड़ल रहै रोहनिया आमक चोकर।
जेठक रोहणि नक्षत्र। वर्खा नहि भेने सुपक तँ नहि मुदा रौद-पक्कू रोहनिया पकै लगल। घरसँ थोड़वे हटिकेँ एकटा गाछी। आम नहि पकने बगवार नहि रहैत। आठ-दस दिनसँ चोकर सभ खसैत। जे सुगियाकेँ बुझल। तहूमे काल्हि एकटा पाकल सेहो भेटल रहै। ओहि आशासँ सुगिया गाछी गेलि। गाछक उपरमे कौआ सभ आँखि गुरेड़ि-गुरेड़ि पकलाहा आम तकैत रहए। कौआक लोल मारल दूटा आम खसल। दुनू आम नेने हँसैत सुगिया आंगन आबि बेटाकेँ दैत पुछलक-
‘‘कोन आम छियै बौआ?’’
डोमन बाजल-
‘‘लोहनिया।’’

३.
कपिलेश्वर राउत
तरकारी खेती

गणेश्वर नाथ महादेव स्थानमे हाट लगैत छले। हाटपर लोकक करमान लागल छल। गणेश्वर नाथ महादेवक स्थापना गणेश झाकेँ पोता जे एस. पी भेल छला
, बाबाकेँ नामपर महादेवक स्थापना कऽ एकटा भव्य मंदीरक निर्माण करौलनि। अगल-बगलमे दोसरो-तेसरो भगवानक मंदिर अछि। आगाँमे पोखरि सेहो अछि। पोखरिक रकबा विघा पाँचेकसँ उपरे अछि। वएह पोखरिक पुबरिया मोहारपर हाट लगैत अछि। एकटा प्राइमरी स्कूल सेहो उत्तरबरिया मोहारपर अछि। बरसातक समए मे रौद आ पानिसँ बचबाक लेल एकटा पैघ बनौल अछि। ऊपरमे सिमटीक चद्दरासँ झाँपल अछि।
ललन हाटपर कोबी बेचबाक लेल आएल अछि। हाटपर रंग-विरंगक समान सभ रहैत छै से रहै। करीब दस कट्ठामे हाट लगैत अछि। नून तेलसँ लऽ कऽ कपड़ा-लत्ता
, सिनुर-टिकुलि, चन्द तरहक मसल्ला सभ, मास-माउस तककेँ बिकरी होइत अछि।
माघ मास बित रहल छल आ फागुनक चढ़ंत रहै। कोवी
, भाँटा, सीम, टमाटर, सालगम, आलू, मुरै, फर माने अरुआ, पालक साग, बथुआ, सरसो, तोरी, कोवी, लौफा इत्यादि ओहि दिन खूब पहुँचल छल जे पएर रक्खेक जगह नै छल। कोवी भाव दस रुपैये पसेरीसँ लऽ कऽ बीस रुपैये पसेरी छल। कोवीबला सभ माथा हाथ देने छल। ओहिमे एक शिवलाल आ ललन सेहो। ललन शिवलालकेँ पुछलक- ‘‘कि हौ भाय, की हालत छै?’’
शिवलाल कहलक-
‘‘धू, सभ चौपट्ट भऽ गेल। दुइये कट्ठामे एहि बेर मगही कोबी केने छलौं बर मेहनत भेल रहए। दस किलो डी.ए.पी, पाँच किलो पोटास, एक किलो जिंक आ छौड़-गोबरकेँ देने रहिये। तखन कोवी रोपने छलौं। दू बेर पानि से देलिये। कोबियो नीक भेल। देखि कऽ मन बड़ खुश रहए। दू किलोसँ छ-छ किलो धरि एकहक गो छत्ता अछि। मुदा भाव देखिते छहक जे पुजिओ उपर हएत कि नाइ। सुने छी जे पंडित सभ एहिबेर लगल नहि बनौने अछि। किछु लगन छैहो से जेठ-अखाढ़मे।’’
ललन बाजल-
‘‘हमरो हालत तँ सएह अछि। तू तँ दुइये कट्टामे केने छह। हमर तँ पाँच कट्टामे कएल अछि। मुदा, किछु रुपैआ नैै भेल।’’
थोडे काल उदास रहल मुदा चौंकेत शिवलाल बाजल-
‘‘हे प्याजक विआक हालत ठीक अछि। दू कट्टामे प्याजक विआ पाड़ने छी अखन सोलह रुपैयेसँ लऽ कऽ पच्चीस रुपैये तक अछि। तहन दुनूकेँ मिला कऽ घाटा नै लागत। मुदा, जे चाहैत छलौं से नै भेल।’’
ललन बाजल-
‘‘हुअअ तोरा मिला-जुला कऽ पुजी बँचलह।’’ दुनूक बीच गप-सप्प होइते छल आकि तखने बगलमे बैसल रामरुप पुछलक- ‘‘ऐना किए मुँह लटका कऽ दुनू गोटे गप-सप्प करै छह। की बात छियै?’’
ललन उत्तर देलक-
‘‘ऐँह, कोबी भावकेँ बारेमे गप-सप्प करै छी।’’
रामरुप-
‘‘धू, एहिक लेल कियो चिन्ता करए खेती छिये हौ। एकटमे जेतै तँ एकटामे आओत हम तू खेती करैत छह जँ ओकरा छोड़ि देबहक तँ कि करब। कोनो कि बाहरक आमदनी छहजे ओहिसँ गुजर जेतह। 1987ईमे बाढ़ि एलै तँ सभटा दहा भसिया कऽ लऽ गेले। मुदा लोक सभ कहाँ कोनो खेती छोड़ि देलकै। एहिबेर पानक हाल देखहक ने ततेक ने पाला खसले जे इलाकाक पान सुड्डाह भऽ गेलै। तइयो पानबला सभ पानक खेती छोड़ि देलकै। कहाँ ककरो मुँह मलीन छै। हँ तहन एकटा बात छै जे खेती एक्के रंगक नै करक चाही। जेना तरकारीये उपजाबै छह तँ दू कट्ठामे कोबी, त दू कट्ठामे बैगन, कमसँ कम दस घूरमे मूरै, दस धूरमे टमाटर, किछु मे प्याजक बिया एहिना थोरेक-थोरेक आनो-आनो खेती करक चाही। लाटमे इहो सभ रहत ने तँ मुँह मलीन कहियो नै हेतह। केहेन बढ़ियाँ शिबलाल कहलक हेन जे प्याजक बियाक बिक्रीसँ नीक आमदनी भेल। तेँ तरीकासँ काज मेहनत करह।’’
ललनकेँ रामरुपक बात जँचलै। मने-मन बिचारलक जे आगुसँ सभ तरहक खेती करब।