भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

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Monday, September 13, 2010

'विदेह' ६६ म अंक १५ सितम्बर २०१० (वर्ष ३ मास ३३ अंक ६६)- PART- I


'विदेह' म अंक १५ सितम्बर २०१० (वर्ष ३ मास ३ अंक ६)NEPAL       INDIA
                                                     
 वि  दे   विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
एहि अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य








 

 

३. पद्य





३..गजेन्द्र ठाकुर- घृणाक तरहरिमे बुढ़िया डाही संग अछि

३.७.१.इन्द्र भूषण-हम की करू? २.राजेश मोहन झा-“साओन कुमार‍
  


४. मिथिला कला-संगीत-१.श्वेता झा चौधरी- करिया झुम्मरि ज्योति सुनीत चौधरी

 

५. गद्य-पद्य भारती: डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्रक दुइ गोट लघुकथा-  लेखिकाक संस्कृत लघुकथा संग्रह लघ्वीसँ मैथिली रूपान्तर: डॉ. योगानन्द झा

 

६. बालानां कृते-. ब्युटी कुमारी- राहुलजी एक  नजरिमे २.अर्चना कुमर  १.आस, २.विद्वान-१ (दादीसँ सुनल कथाक पुनर्लेखन) .डॉ. शेफालिका  वर्मा- स्मृति-शेष

 

 


७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]




 

9. VIDEHA MAITHILI SAMSKRIT EDUCATION (contd.)



विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

ब्लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेक्ट कए "फीड यू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहो विदेह फीड प्राप्त कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लेल http://reader.google.com/ पर जा कऽ Add a  Subscription बटन क्लिक करू आ खाली स्थानमे http://www.videha.co.in/index.xml पेस्ट करू आ Add  बटन दबाऊ।

मैथिली देवनागरी वा मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below or contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाऊ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।
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example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभूमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।

example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'


मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
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 १. संपादकीय

डॉ. जयमन्त मिश्रक निधन दरभंगामे ७ सितम्बर २०१०केँ भऽ गेलन्हि।

डॉ. जयमन्त मिश्र १९२५-२०१०
जन्म १५-१०-१९२५ मृत्यु ०७-०९-२०१०
, गाम-ढंगा-हरिपुर-मजरही। १९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य) लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली।

सगर राति दीप जरय क ७१म आयोजन- दिनांक ०२-१०-२०१० केँ संध्या ६ बजेसँ मध्य विद्यालय
, बुढ़ियागाछी, बेरमा (मधुबनी)मे श्री जगदीश प्रसाद मंडल जीक संयोजकत्वमे समस्त बेरमा ग्रामवासी द्वारा आयोजित अछि। एहि अवसरपर मौलिक मैथिली कथाकार आ कथाप्रेमी श्रोताक उपस्थिति प्रार्थित अछि। एहि स्थल पहुँचबाक लेल- ई स्थल तमुरिया (मधुबनी जिलान्तरगत) रेलवे स्टेशनसँ ३ कि.मी. उत्तर-पश्चिम आ चनौरागंज बस अड्डासँ ३ कि.मी. दक्षिण पूबमे स्थित अछि।

विशेष: विदेह आर्काइवक आधारपर बाल चित्रकथा आ कॉमिक्स महिला वर्गमे विशेष लोकप्रिय भेल अछि। महिलावर्ग द्वारा कीनब ओहि पोथीक बच्चा सभक हाथमे जएबाक सूचक अछि। हमरा सभक सफलता अहीमे अछि जे ई बाल-साहित्य
टारगेट ऑडियेन्सलग पहुँचल अछि। यएह स्थिति आन पोथी सभक संग सेहो अछि।

विदेह आर्काइवक आधारपर प्रकाशित मैथिली पोथी एहि सभ ठाम उपलब्ध अछि:

पटना: १.श्री शिव कुमार ठाकुर: ०९३३४३११४५६

२.श्री शरदिन्दु चौधरी: ०९३३४१०२३०५

राँची: श्री सियाराम झा सरस: ०९९३१३४६३३४

भागलपुर: श्री केष्कर ठाकुर: ०९४३०४५७२०४

जमशेदपुर: १.श्री शिव कुमार झा: ०९२०४०५८४०३

२.श्री अशोक अविचल: ०९००६०५६३२४

कोलकाता: श्री रामलोचन ठाकुर: ०९४३३३०३७१६

सहरसा: श्री आशीष झा: ०९८३५४७८८५८

दरभंगा: श्री भीमनाथ झा: ०९४३०८२७९३६

समस्तीपुर: श्री रमाकान्त राय रमा: ०९४३०४४१७०६

सुपौल:श्री आशीष चमन:०७६५४३४४२२७

झंझारपुर: श्री आनन्द कुमार झा: ०९९३९०४१८८१

निर्मली: श्री उमेश मंडल: ०९९३१६५४७४२

जनकपुर: श्री राजेन्द्र कुशवाहा: ००९७७४१५२१७३७

जयनगर: श्री कमलकान्त झा: ०९९३४०९८८४४

दिल्ली: १.श्रीमती प्रीति ठाकुर: ०९९११३८२०७८

२.श्री मुकेश कर्ण: ०९०१५४५३६३७

मधुबनी: १.श्री सतीश चन्द्र झा:०९७०८७१५५३०

२.मिश्रा मैगजीन सेन्टर (प्रो. श्री अमरेन्द्र कुमार मिश्र)
, शंकर चौक, मधुबनी ०९७०९४०३१८८

किछु आर स्थल शीघ्र...


(विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ एखन धरि १०५ देशक १
,५०५ ठामसँ ४८,६६० गोटे द्वारा विभिन्न आइ.एस.पी. सँ २,६३,०१८ बेर देखल गेल अछि; धन्यवाद पाठकगण। - गूगल एनेलेटिक्स डेटा।)
 

 

गजेन्द्र ठाकुर

२. गद्य








 


शम्भु कुमार सिंह
जन्म: 18 अप्रील 1965 सहरसा जिलाक महिषी प्रखंडक लहुआर गाममे। आरंभिक शिक्षा, गामहिसँ, आइ.ए., बी.ए. (मैथिली सम्मान) एम.ए. मैथिली (स्वर्णपदक प्राप्त) तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। BET [बिहार पात्रता परीक्षा (NET क समतुल्य) व्याख्याता हेतु उत्तीर्ण, 1995] मैथिली नाटकक सामाजिक विवर्त्तन विषय पर पी-एच.डी. वर्ष 2008, तिलका माँ. भा.विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। मैथिलीक कतोक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे कविता, कथा, निबंध आदि समय-समय पर प्रकाशित। वर्तमानमे शैक्षिक सलाहकार (मैथिली) राष्ट्रीय अनुवाद मिशन, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर-6 मे कार्यरत।सम्‍पादक



निबंध : मैथिलीक प्रमुख उपभाषाक क्षेत्र आ ओकर प्रमुख विशेषता
                          (यू. पी. एस. सी. परीक्षार्थीक हेतु उपयोगी)      
निबंधकार :   डॉ. शंभु कुमार सिंह


मैथिलीक प्रमुख उपभाषाक क्षेत्र आ ओकर प्रमुख विशेषता

मैथिली भारोपीय भाषा परिवारक, भारतीय आर्यभाषासँ उत्पन्न एक महत्वपूर्ण आर्यभाषा थिक। एहि भाषाक उद्भव ओ विकासक जेहन प्राचीन साहित्यिक मान्यता उपलब्ध अछि ओहन भारतक कोनो आधुनिक आर्य आ द्रविड़ भाषाक नहि अछि।
कोनो सशक्त भाषाक अन्तर्गत ओकर अनेक बोली अथवा उपभाषाक निर्माण कालक्रमसँ क्षेत्रानुसार अवश्य होइत रहैत अछि। तकर कारण अनेक अछि। प्रत्येक भाषा अपन चारूकातक भाषा सँ प्रभावित होइत अछि। एहि क्रममे इहो कहल जाइत अछि जे प्रत्येक कोस पर बोली बदलैत अछि आ प्रत्येक जाति वा समाजक भाषा भिन्न होइत अछि। डॉ. सुभद्र झा एवं ग्रियर्सन सन विद्वान लोकनि ई पहिनहि स्पष्ट क देने छथि जे मैथिली एक स्वतंत्र का सशक्त भाषा थिक। एहि भाषाक चारूकात चारि गोट भाषा अछि। एकर पूबमे बंगला भाषा, पश्चिममे भोजपुरी, उत्तरमे नेपाली आ दक्षिणमे मगही भाषा अछि। इहो स्वतः सिद्ध अछि जे कोनो भाषा अपन निकटवर्ती भाषा सभसँ प्रभावित होइत रहैत अछि।
उपर्युक्त कारणसँ मैथिली भाषामे अनेक बोली अथवा उपभाषाक जन्म भ गेल अछि।
सर्वप्रथम मैथिली भाषाक विभिन्न उपभाषाक परिचय डॉ. ग्रियर्सन अपन “Linguistic Survey of India” क दोसर भागमे प्रस्तुत कएने छथि। हिनका अनुसारेँ मैथिलीक छः गोट उपभाषा अछि:- (1) मानक मैथिली (2) दक्षिणी मानक मैथिली (3) छिका-छिकी बोली (4) पूर्वी मैथिली (5) पश्चिमी मैथिली (6) जोलहा बोली।
ग्रियर्सनक उपर्युक्त उपभाषा वा बोलीक वर्णनसँ पं. गोविन्द झा सहमत नहि छथि। हिनक कहब छनि जे मैथिलीक विभिन्न बोलीकेँ क्षेत्रानुसार पाँच उपभाषामे बाँटल जा सकैछ: (1)  पूर्वी मैथिली (2) दक्षिणी मैथिली (3) पश्चिमी मैथिली  (4)  उत्तरी मैथिली (5) केन्द्रीय मैथिली वा उपभाषा।
उपर्युक्त विवेचना सँ लगैत अछि जे गोविन्द झा सेहो ग्रियर्सनक मतानुसार मैथिलीक उपभाषाक वर्णन केने छथि। ओना ओ कतहु-कतहु विभिन्न उपभाषाक क्षेत्र आदिमे कनेक अन्तर क देने छथि, अस्तु मैथिलीक वर्तमान रूपकेँ देखल जाय तँ ज्ञात होइत अछि जे ग्रियर्सनक समयमे जे मैथिलीक विभिन्न उपभाषाक क्षेत्र आ रूप छल ओहिमे परिवर्तन भ गेल अछि। एकर अतिरिक्त नेपालक तराईमे जे मैथिली बाजल जाइत अछि ओकरो एकटा फराक रूप छैक। एहना स्थितिमे मैथिलीक उपभाषाक वा बोलीक आठ गोट भेद कएल जा सकैत अछि:
1.      मानक मैथिली:--  एकर क्षेत्र केन्द्रीय ओ उत्तरीय पुरना दरभंगा जिला (मधुबनी, दरभंगा आ समस्तीपुर) थिक। ओना तँ डॉ. ग्रियर्सनक अनुसारेँ मानक मैथिली दरभंगा आ भागलपुर जिलाक उत्तरी क्षेत्रक आ पुर्णियाँ जिलाक पश्चिमी क्षेत्रक ब्राह्मण  लोकनि बजैत छथि। हिनका  लोकनिक अपन साहित्य आ परंपरा छन्हि जे एहि भाषाक विकृत प्रवाहकेँ मन्द कएने अछि। वर्तमान मे ई स्पष्ट भ गेल अछि जे मानक मैथिली ब्राह्मणे टाक बोली नहि छन्हि, किएक तँ मैथिली भाषाक पठन-पाठनक प्रवृति ब्राह्मण सँ आनो जातिक मध्य पूर्ण रूपसँ जागल अछि। एहि हेतु मानक मैथिली मिथिलाक सभ जातिक बोली कहल जा सकैत अछि।
2.      दक्षिणी मैथिली:-- डॉ. ग्रियर्सनत दक्षिणी मानक मैथिलीकेँ दक्षिणी मैथिलीमे राखल जा सकैत अछि। एकर क्षेत्र मुंगेर, मधेपुरा, सहरसा ओ समस्तीपुर धरि मानल जा सकैत अछि।
मानक मैथिली आ दक्षिणी मैथिलीमे निम्न अन्तर अछि—(I) मानक मैथिली मे जतए धातु स्वर ह्रस्व रहैत अछि ओतए दक्षिणी मैथिलीमे दीर्घ  जाइत अछि। जेना-मानक मैथिलीमे, जनै छी होइत अछि आ दक्षिणी मैथिलीमे, जानै छी
(II) सर्वनामक रूपमे मानक मैथिलीमे हमर, तोहर, अहाँ, अपने, आदि प्रयुक्त होइत अछि। दक्षिणी मैथिलीमे मोर, तोर, तोहे सर्वनामक प्रयोग होइत अछि।
(III) क्रियापदमे सेहो भिन्नता देखल जाइत अछि, उदाहरणस्वरूप मानक मैथिली अछिदक्षिणी मैथिलीमे अछ जाइत अछि।
3.      पूर्वी मैथिली:--  ग्रियर्सन एकरा गँवारी मैथिलीक संज्ञा देने छथि। एकर क्षेत्र पूर्णियाँ जिलाक केन्द्रीय आ पश्चिमी भाग, संथाल परगनाक पूर्वी भाग, साहेबगंज आ देवघर धरि अछि। ग्रियर्सन कहैत छथि जे, ई भाषा अशिक्षित वर्ग द्वारा बाजल जाइत अछि।
पूर्वी मैथिली, दक्षिणी मैथिली आ दक्षिणी मानक मैथिलीसँ साम्य रखैत अछि। ओना कनेक अन्तर सेहो देखना जाइत अछि(I) दक्षिणी मैथिलीमे सम्बन्ध कारकमे के प्रयोग होइत अछि, मुदा पूर्वी मैथिलीमे केर चिह्नक प्रयोग होइत अछि। (II) दक्षिणी मैथिलीमे छिक क्रियाक प्रयोग होइत अछि, मुदा पूर्वी मैथिलीमे ओकर बदलामे छिकई क्रियाक प्रयोग होहत अछि।
4.      छिका-छिकी बोली:--  ई गंगाक दक्षिणी मुंगेरक पुबारी भागमे, दक्षिणी भागलपुर ओ संथालपरगनाक उत्तरी ओ पश्चिमी भागमे बाजल जाइत अछि। ई दक्षिणी मानक मधेपुराक बोलीसँ अत्यधिक साम्य रखैत अछि। एहिमे शब्दक अन्तमे की वा हो क उच्चारण कएल जाइत अछि, जेनाअपनो, खएबहो, कहबहो, सुनलहो आदि।
5.      पश्चिमी मैथिली:-- एकर क्षेत्र मुजफ्फरपुर ओ चम्पारण जिलाक पुबरिया भाग थिक जाहिपर भोजपुरीक व्यापक प्रभाव अछि। ग्रियर्सनक अनुसारेँ एहि क्षेत्रक कतिपय लोक जे बजैत छथि तकरा भोजपुरी कहल जाय अथवा मैथिली ई कहब कने कठिन। ओना मुजफ्फरपुरसँ अलग भेल वैशाली जिलाक क्षेत्रक भाषाक नाम बज्जिका भाषा देल गेल अछि। एहि भाषाक नामकरण लिच्छवी वंशक इतिहासक आधार पर कएल गेल अछि।
6.      उत्तरी बोली:-- एकर क्षेत्र नेपालक तराई आ वर्तमान सीतामढ़ी जिलाक उत्तरी भाग धरि मानल जा सकैत अछि। एहि भाषा पर नेपली भाषाक प्रभाव बुझना जाइत अछि।
7.      जोलहा बोली:-- पुरना दरभंगा जिलाक मुसलमानक बोलीकेँ डॉ. ग्रियर्सन जोलहा बोली मानैत छथि। ओना हिनक कहब छनि जे मिथिलाक मुसलमान मैथिली नहि बजैत छथि। मुजफ्फरपुर आ चम्पारण जिलाक मुसलमान जे बोली बजैत छथि ओहि पर अवधि भाषाक प्रभाव अछि। एकर अतिरिक्त वर्तमान कालक मुसलमानक बोली पर उर्दू आ हिन्दीक प्रभाव सेहो परिलक्षित होइत अछि।
8.      केन्द्रीय मैथिली:-- मध्य मिथिलाक (दरभंगा, मधुबनी, पंचकोशी) सम्पूर्ण क्षेत्रक भाषा जकर निकट कोनो आन भाषा नहि अछि, तकरा केन्द्रीय मैथिलीक नामसँ जानल जाइत अछि। केन्द्रीय मैथिली साहित्यक भाषाक अत्यन्त नजदीक कहल जा सकैत अछि। मानक मैथिली आ केन्द्रीय मैथिलीमे बहुत सामीप्य देखल जाइत अछि।
वर्तमानमे मैथिलीक दू टा उपभाषाक नवीन नामकरण भेटैत अछिअंगिका ओ बज्जिका। छिका-छिकी, अर्थात् पूर्वी बोलीकेँ अंगिका कहल जाइत अछि जकर केन्द्र स्थल थिक भागलपुर। प्रायः भागलपुर महाभारत कालीन अंग राज्यक राजधानी छल तैँ एहि क्षेत्रक भाषाकेँ अंगिका कहल जाइत अछि। बज्जिकाक सम्बन्धमे विवेचना कएल जा चुकल अछि।
एतावता ज्ञात होइत अछि जे मैथिली भाषाक क्षेत्रानुसार अनेक उपभाषा अछि। एखनहुँ धरि एकर पूर्णरूपेण सर्वेक्षण नहि कएल गेल अछि नहि तँ किछु आओर उपभाषाक सम्बन्धमे ज्ञात होइत, तैँ एहि बिन्दु पर भाषावैज्ञानिक दृष्टिएँ सर्वेक्षण होएब अत्यंत आवश्यक अछि।
१.साकेतानन्द-कथा-आछे दिन पाछे गए २.प्रो. वीणा ठाकुर-कथा- परि‍णीता

साकेतानन्द
(1) लेखकीय नाम : साकेतानन्द. (2)पत्रकारिताक नाम : बृहस्पति. (2) असली नाम : साकेतानन्द सिंह (एस.एन.सिंह).(3) पिता : स्व. श्री विजयानन्द सिंह. माता: स्व.श्रीमती राधारमा जी. (4) जन्म : 27 फरवरी 1940 कुमार गंगानन्द सिंहक तत्कालीन आवास सचिव_सदन” 5, गिरीन्द्र मोहन रोड, दरभंगा. (प्रमाण पत्रमे_26 जनवरी 41 ). (5) शिक्षा: क्रमशः राज स्कूल दरभंगा/ बुनियादी स्कूल श्रीनगर, पूर्णियाँ/ विलियम्स मल्टीलेटरल स्कूल,सुपौल/ पश्चात पटना एवं मगध विश्वविद्यालय सअंग्रेजी औनर्स आ मैथिलीमे स्नात्कोत्तर । (6) व्यवसाय: आजीवन आकाशवाणीक चाकरी । आठ राज्यक नौ केन्द्रमे विभिन्न पद पर काज । लटे_पटे 40 वर्षक कार्यकाल । पटना, दरभंगा एवं भागलपुरमे बीसो साल तक मैथिली कार्यक्रमक आयोजन, प्रस्तुतिकरणमे लागल । ओतबे दिन क्रमशः आकाशवाणी पटनाक ग्रामीण कार्यक्रम चौपाल
दरभंगाक गामघरकार्यक्रमके मुख्य स्वरजीवछभाइक रूपमे ख्यात। आकाशवाणी दरभंगाक संस्थापक_स्टाफ । (7) साहित्यिक गतिविधि: मैथिली कथा साहित्यमे 1962 सक्रिय । गोडेक चालिस_पचास टा कथा, रिपोर्ताज. संस्मरण, यात्रा_विवरण मैथिलीमे प्रकाशित अधिकांश पत्र_पत्रिकामे छपल । पहिल मैथिली कथा ग्लेसियर” 1962मे मिथिलामिहिरमे प्रकाशित । हिन्दियोमे दू दर्जन कथा आदि प्रकाशित । सन 99मे छपल पहिल कथा_संग्रहगणनायकके ओही वर्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार। पैघ बान्धअबैबला विपत्तिके रेखांकित करैत, पर्यावरण के कथा वस्तु बना कराजकमल प्रकाशन सप्रकाशित एवं अत्यंत चर्चित उपन्यास (डौकूमेंट्री फिक्शन’) “सर्वस्वांत
  प्रकाशित। आकाशवाणीक विभिन्न केन्द्र लए लिखल आ प्रस्तुत कैल नाटक, डौकुमेंट्री संख्या बहुत रास। आकाशवाणीक राष्ट्रीय कार्यक्रममे प्रसारित दू टा उल्लेखनीय वृत्त रूपक_ ‘महानन्दा अभयारण्यपर आधारित जंगल बोलता हैएवं झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रक ज्वलंत डाइनक
समस्या पर आधारित वृत्तरूपक नैना जोगन चर्चित एवं प्रसिद्ध । मैथिली नाटकक कैकटालैंडमार्कयथा डा.रामदेव झा विरचित दू टा नाटक विद्यापतिहरिशचन्द्र’ ; डा. मणिपद्मक चुहड मल्लक मोछ। सल्हेस, दीनाभद्री, विदापत आदि लोक गाथा, लोक_नृत्य सब के लोक_गायकक मध्य जा क’, मूल वस्तुक ध्वन्यंकन एवं ओकर संपादन आ प्रसारण गणनायककथासंग्रह के राजस्थानी अनुवाद, राजस्थानी साहित्यक जानल_चीन्हल नाम श्री शंकरसिंह राज पुरोहित एवं हिन्दी अनुवाद, मैथिलीक ख्यातनामा अनुवादिका श्रीमती प्रतिमा पांडॆ केलनि अछि; आ दुनू के साहित्य अकादमिये प्रकाशित केलक । (8) संप्रति: सन 2001मे आकाशवाणी हज़ारीबाग सकेन्द्र_निदेशक के पद सअवकाश प्राप्त केलाक बाद पूर्ण रूपेण मिटः रूपेण मैथिली लेखन, मिथिला क्षेत्रक समस्या सब पर वृत्त__चित्र बनेबाक, मैथिलीक किछु नीक कथा सब
के फिल्म रूपांतरणक गुनान__धुनानमे लागल ।
आछे दिन पाछे गए 
            
                   आइ दिने खराब छनि,  भोर नंइ  जानि ककर मुंह देखने रहथि मोन नंइ
छनि। जे क्यो रहल हुए, अभगला के नीक नंइ हेतै । डेरा स निकलले छला कि बगलबला छौंडा तेना
छिकने रहनि जे लगलै जेना नाके देने अंतडीं-भोंतडी निकलि जेतै । बडा अबंड सब छैक चारू भर...
वैह मिड्ल-क्लास मानसिकता बला लोक। अनेरे एक दोसरा के जिनगी मे ताक-झांक करैत रहत ।
मिश्रा जीक छोटका बेटा सुनाइये क नंइ कहि देलकनि जे ई हमरा सीधे क्लास-वन नंइ बुझाइ छथि, क्लास-वन कत्तौ अहिना रहै छै...हौ खाली हिंदी अखबार पढैत देखलहक है कोनो एस.पी. कलक्टर के ?”  हिनका हिंदिये स काज चलि जाइत रहनि। भरि दिन त टीभी देखिते छथि, सब त वैह खबरि
रहै छैक, तखन गाम-घरक खबरि जेहन ई अखबार मे रहै छै….फेर अपन एकटा गौंआँ छनि अहि अखबारमे।
आइ अठारहम दिन छियनि....रिटायर भ गेला अछि से दिन भरि मे कैक  बेर की कही पग-पग पर
मोन पडै छनि...एखन ओ बस कि टैक्सी- स्टैंड दिस लपकलो जाइ छथि आ सोचियो रहल छथि जे
कथी स जाथि ? जं टेम्पो रिजर्व करता त एकटा नम्बरी त खाइये जेतनि...एह!औफिस के तीन टा
गाडी रहै। जं कोनो खराब भेल त शहर मे टैक्सी छलै । सामने स एकटा औटो सर्र स निकलि
गेलनि। ई जाबे हाथक इशारा कि जोर स चिकडि क ओकरा रोकितथिन---ओ गोली जेकां निकलि गेल
रहै। ताबे सिटी बस बगल स पास केलकनि । नंइ जानि कोन रौ मे ओ लपकल रहथि आ पौ-दान
पर पैर रोपिते  जेना बस चलल छल, जे आइ नंइ मरितथि त घायल जरूरे होइतथि । हुनका एना
लपकि क चढति देखि बस मे पहिने स ठाढ दू टा छौंडा हिनका दिस कनडेरिये देखैत किछु बाजल...
की बाजल हैत ? चलैत बस मे  ठाढेठाढ मचकी झूलैत ओ  यैह सोचि रहला अछि जे आगां मे
हिनके जेकाँ मचकी झूलैत  दुनू कौलेजिया की गप्प केने हैत.. कहीं हुनका एना उचकि क चलती बस चढैत देखि ओकरा अपन क्षेत्र मे अतिक्रमण बुझायल होइ....जे से !आइ हुनका येन-केन-प्रकारेण अपन चेक--अप करेबाक छनि,बाइ-पास भेल छनि । तैं अइमे त कोनो आसकतिक बाते नंइ छैक; डा.मेहरोत्रा नामी हर्ट-स्पेशलिस्ट छथि...ई बुझिते जे हम पूनाक डिफेंस कारखानाक नामी हेड माने एम.डी छी...जकरा युनिट के अनेक बेर कमांडर-इन-चीफ माने माननीय राष्ट्रपति महोदय सम्मानित क चुकल छथिन; ओ अति प्रसन्न भेला। ओ सेल्फ-डिफेंस लेल हथियार खरीद चाहैत रहथि । तैं ओइ ठाम पंहुचैक देरी छै...डा.मेहरोत्रा स की एप्वायंटमेंट लेता....पांच मिनटक त काज !  बाबू , भले हिनका सनक लोक सब सीमा पर नंइ लडैत अछि, मुदा कि हिनका लोकनि सन लोक ज राति-दिन नंइ खटै, नंइ पसेना बहबे, की सीमा पर फौज लडत...?
किन्नहु ने। कारगिल युध्धक समय....कैक महीना तक  कहां  क्यो औफ लेलक...अहर्निश कारखाना
चलैत रहलइ। समय-समय के बात... बाबा ! कने आगाँ बढियौ । हमरा सब लए जगह छोडबैक कि
नंइ ?” ओ धडफडा गेला । धडफडा क ओ दुनू छौंडा स कने बेसिये दूर चल गेल छला । यैह, अही
सब ठाँ अपन सवारीक कमी खलै छै...की ओ सत्ते एहन भ गेला अछि जे ई दुनू छौंडा हुनका स
काकु करनि ? माने एहन बूढ...नंइ-नंइ एखन त रिटायरे केलनि अछि….एखनो टी-शर्ट धारण करै
छथिन त की कहै छैक...बाइसेप्सट्राइसेप्स बांहि मे उछलि जाइ छनि । अपन समयक नीक टेनिसक
खेलाडी, एक समय मे हिनका संगे एक्को सेट खेलाइ लए क्लबक सब(पढल जाय सुंदरी सब)लालाइत
रहैत छल। से धरि ठीके ; जे केलखिन ताहि मे हरदम औव्वलि...हरदम अलग...सब स नीक ।
से आइ ओ एना कियैक सोचि रहला अछि ?रिटायर्ड भेला अछि टायर्ड नंइ ?आइ‌काल्हि साठि
कोनो वयस भेलै ? मुदा एकटा बात ! ओ सेवा समाप्त भेला स पहिनंहे ई रिटायरमेंटक समय कोना कटता तकर सब बेवस्था क लेने रहथि । एत्ते तक जे बुढारी मे बेटा सबहक आगाँ हाथ ने पसार पडनि तकर नीक इन्त्जाम ओ बहुत पहिनहें क लेने रहथि...इहो सोचने रहथि जे ओ कोनो बेटाक आश्रम मे ताबे तक नंइ रहता,जाबे शरीर की समय सकपंज नंइ क दनि । ताबे कथी लए ककरो पर भार बनथिन.........
औ बुढा ! कत जैब ? आब त अंतिम स्टौप आब बला छै ?”
मोन त पितेलनि। मोन भेलनि जे ठांइ-पठांइ किछु कहि दियनि तेहन, जे फेर अनटोटल बजबे बिसरि
जाथि ई तेजस्वी नवयुवक ! मुदा बात बढेबा स की फैदा ? एखन काल्हि तक एहन-एहन मथदुक्खा
सब स बांचल रहै छला...गाडी रहै छलनि । नंइ जानि कियैक, नौकरी जाइ स बेसी आहि-- हुनका सर
-कारी गाडीक सुविधा खतम भ जेबाक अबै छलनि ।
डा. मेहरोत्रा हिनका चिन्हैत रहथिन, मुदा सब त नंइ चिन्हैत रहनि। बस स उतरि क अस्पताल पंहु-
-चैत-पंहुचैत पसीना स भीज गेल रहथि। पैर पटकि क गर्दा झाडिते छला---एत्तएना जुत्ता झाडै छी,से कने बाहरे बढि क झाडितंहु से नंइ  ?” बजै बला कंपाउंडर सनक लगलनि ।  सपरतीव केहन  !हिनका शिक्षा द रहल छनि ।
डा. साहेब कखन एथिन ?” ओ बात के नंइ सुनैत बजला ।
समय भ गेलनि अछि, अबिते हेता । से कियैक देखेबै ?”
हं, हमरा पेसमेकर लागल अछि....
से त बड बेस, मुदा नंबर लगेने छी ने ?”
डा. साहेब अपेक्षित छथि....तैं !
तखन त नंइ देखायल भेल आइ
से कियैक ?”
केहनो अपेक्षित क्यो कियैक ने होथि---डाक्टर साहेब बिनु नंबरे नंइ देखै छथिन ।
                       ताबे डा.साहेब के गाडी पोर्टिको मे आबि कलागल।  ई लपकि क आगाँ
बढला जे कहीं बाटहि मे काज बनि जानि । मुदा डाक्टर एको बेर नजरिओ उठा क हिनका दिस तकबो ने केलखिन त हिनका बड आश्चर्य लगलनि। मर, ओना घुठ्ठी-सोहार छलनि, क्लिनिक मे अबिते की भ गेलनि, एक बेर ताकियो लितथिन ने त कने सांत्वना भेटितनि । मुदा डाक्टर त घाड
निहुरेने तेना गेलखिन जेना कि कहियो देखनंहु ने होथिन। बेस, हारि क ओ बडा याचनाक स्वर मे कंपाउंडर के कहलथिन जे ओ सेनाक कारखाना मे एम.डी.क पद पर स हाले रिटायर भेला अछि...बिच्चे मे ओ कंपाउंडरबा बात के लोकति कहकनि‌‌-- अपने एम.डी. रहियै ने, आब नंइ ने छियै....अइ पुर्जा पर अपन  नाम आ पता लिख दियौ बाबू साहेब ! चौथा दिन फोन करि क पूछि लेबै...लंबर आबि जायत।
….ताबे बाहर कोनो गाडी के रुकब आ चपरासी आ सिक्योरिटी के दौडति देख बुझबा मे भांगठ नंइ
रहलनि जे बाहर कोनो भी.आइ.पी.क गाडी लगलै ।



भी.आइ.पी. के रहथि से ई की जान गेलथिं। ई त साढे चौबीसे वर्षक वयस मे पूना मे जे नौकरी धेलनि से आब यैह रिटायर भेलाक बाद घुरला अछि । अइ ठामक सब वस्तु तैं ने अनचिन्हार लगै छनि ।फेर भी.आइ,पी. आ हुनका संगे अनेकानेक  चमचाज़ एन्ड लगुआ‌‌-भगुआ के सड-सडायल डाक्टरक चेम्बर मे ढुकति देखलखिन-- मोन खट्टा भ गेलनि । बगल मे ठाढ लोक स पुछलखिन त पता लगलनि जे ई अइ ठामक मेयर सैहेब छथि; आइ.ए.एस. ! हिनका पुर्जा कटेबाक कि लाइन मे लगबाक कोनो जरूरति नंइ ? कियैक त ई आइ.ए.एस. अहि ठामक मेयर साहेब छथि ।कियै; अपने जखन एम.डी. रहथि त अपने ई सुख नंइ भोगने रहथि की ? अपने प्रश्न पर सहमि गेला ओ ! चारू कात हियासलखिन....सबतरि निश्चिंतता पसरल छलै । ने हर्ष आ ने विस्मय । पेशेंट सब पैर मोडि क कुर्सी पर बैसल, गपियाति किछु गोटे हफियाति आ किछू झुकति । अजीब लगलनि हुनका। जेना समय रुकि गेल हुए । जेना एत्तुक्का सब गोटे मिलि क समय के ठुठुआ देखा रहल हुए ।  अपन-अपन दहिना हाथ सामने तनने, औँठा के बामा-दहिना घुमबति । डक्टरक चेम्बर स गल्लगुल्ल आ ठहाका । एत्ते लोक इम्हर मांछी मारैत अछि त मारौ । आगंतुक मेयर छियै, सकैत छै डाक्टरक दोस्त हुए । एतबा तसब दोस्त एक दोसरा लए करै छै।
की गुन-धुन मे लागल छी यौ बाबा ?” कंपाउंडर हिनका दिस आंखि गुडारि क देखलक--- किछु
करब डाक सैहेब, बिनु नंबरे किन्न्हु नंइ देखता ।
हुनका मोन मे एलनि कि आइ स किछुए दिन पहिने अइ तरहक लोक के अइ तरहे बजबाक साधंस
होइतै ?से छोडूने ! डक्टरबेक ई हिम्मति होइते जे एना भावे ताच्छिल करैत...जेना हम त कहियो किछु रहबे ने करी...हमरा स ओकरा कहियो भेंटो नंइ....आदि इत्यादि बात सोचैत ओ तय केलनि
जे आब फेर कहियो एकरा क्लिनिक पर पैर ने देता । हुनका लगलनि जे डाक्टर मेह्रोत्रा स देखेबाक हुए त दुखित पडै स तीन मास पूर्वहिं नंबर लगा लिय’, नंइ त जाबे डाक्टरक नंबर आओत ओइ स पहिने भगवानक घरक नंबर आबि जेतै कारनीक ।  ई सब सोचैत, आजुक दिन आ आजुक जमाना के मोन भरि गरियबैत आ श्राप दैत ओ फैसला केलनि जे मौगी छैक त की हेतै ? अपन अस्पतालक डा.यास्मीन नीक डाक्टर छथि। हुनके स अपन रूटिन चेकप करेता । ओना ओ स्वस्थ छथि, मुदा शरीर त अबल भैये गेलनि। जखने देहके काटखोंट भेल, कि फेर पहिने बला बात नंहि ने रहि जाइ छै ?से त पचपने मे सीवियर नंहि त माइल्ड धरि हर्ट एटैक रहबे करनि; तीन घंटा पर होश आयल रहनि। फेर मोन पडलनि आइ-काल्हुक रंगताल । आब कोनो डाक्टरक पुर्जा ल कत्तौ दबाइ नंइ खरीदल जा सकैत अछि। जै मोहल्लाक डाक्टर ओही मुहल्लाक दबाइक दोकान मे हुनकर लिखल  दबाइ भेटत । तैं सोचलनि जे दबाइ खरिदिये कजाथि । मुदा ओत्तुक्का भीड....बापरे! कत्ते लोक दुखीत पडैत छैक ? काल्हि तक ई फार्मेशियोक मुंह ने देखने रहथिन । आब लाइन मे लाग पडतनि। अइमे त सांझ भ जेतनि ? से जे भ जाउन ! आइ आब रत्तन सिंघ की रामगुलाम लाल बाडाबाबू नंइ छथिन-- जे सब काज साम दाम दंड भेद” ,माने जे कोनो ने कोनो प्रकारे कैये या करवाइये लैत रहथि...आब ओ स्वंय छथि, सब मोर्चा पर पुनश्च असकर, नितांत एकसर ।  
मुदा ई काज हुनका कर पडतनि । संभवतः तीस-चालिस वर्षक बाद फेर स हुनका लाइन मे लागपड
--तनि ? अत्यंत कटु सत्य यैह छियै--- एना कछ-मछ कियै क रहल छी बुढा...कलमच रहब से
नंइ ?”क्यो हिनका नसीहत देलकनि। पांच बाजि गेलै जखन हिनकर हाथ मे मास दिनुका दबाइ एलनि।रौद एखनंहु मुंह पर थापड जेकाँ लागि रहल रहै। घर मुंहा जैं भेला कि सामने स खाली औटो जाइत देखखिन । हाथ देलखिन, बैसला आ पांचो डेग ने औटो गेल हेत जे दू टा बलिष्ट कसरतिया जवान हिनका रौद दिस ठेलैत बैस लगलनि तहां-हांकर लगला।मुदा हिनकर ;हाँ-हाँ के ओ दुनू पर कोनो प्रभाव नंइ पड्लै ।ओइ मे स जकरा गरा मे ताबीज रहै से हिनका कने आर रौद मे ठेलति बिहुंसलनि आ कहलकनि---बहुत दिन छाहरिक सुख भोगलें बबा ! आबे हमरा सिनी जुआन-जहान के नम्मर छै । आ दुनू ठठा कहंसि देलकनि।
२.
प्रो. वीणा ठाकुर 1954-

कथा
परि‍णीता
आइ डोमेस्‍टि‍क एयर पोर्ट दि‍ल्‍लीमे श्‍यामाक भेँट नीलसँ भेल छलन्‍हि‍। श्‍यामा थोड़ेक काल धरि‍ हतप्रभ रहि‍ गेल छलीह। नील-नील कहि‍ मोनक कोनो कोनमे हहाकारक लहरि‍ उठि‍ गेल छल। एतेक वर्ष बीत गेल। नील एखनहुँ ओहने छथि‍, कोनो परि‍वर्त्तन नहि‍ भेल छन्‍हि‍। आकर्षक नील, हँसमुख नील, पुर्ण पुरूष नील, उच्‍च पदस्‍थ नील, नील-नील। श्‍यामा कहि‍यो नीलकेँ बि‍सरि‍ नहि‍ सकल छलीह। सभटा प्रयासश्‍यामाक वि‍फल भऽ गेल छल। नील सदि‍खन छाया सदृश्‍य श्‍यामाक संग लागले रहलथि‍। नील कतेक दूर भऽ गेल छथि‍, श्‍यामा आब चाहि‍यो कऽ नीलकेँ स्‍पर्श नहि‍ कऽ सकैत छथि‍, ओहि‍ना जेना छाया संग रहि‍तहुँ स्‍पर्श नहि‍ कएल जा सकैत अछि‍, मनुष्‍यक संग छायाक अस्‍ति‍त्‍व तँ सदि‍खन रहैत छैक, मुदा ओकर आकार तँ सदि‍खन नहि‍ रहैत छैक। श्‍यामाक जि‍नगी नील, श्‍यामाक सोच नील, श्‍यामाक सभ ि‍कछु नील। श्‍यामाक तन्‍द्रा भंग भऽ गेल छल, नीलक चि‍र परि‍चि‍त हँसि‍ सुनि‍, नील आश्‍चर्यचकि‍त होइत प्रसन्न भऽ कहने छलाह- श्‍यामा, माइ डि‍यर फ्रेंड हमरा वि‍श्‍वास होइत अछि‍, अहाँ फेर भेँट हएत। श्‍यामा अहाँ एखनहुँ ओहि‍ना सुन्‍दर छी, यु आर टु मच ब्‍युटि‍फुल यार, आइ कैन नॉट वि‍लि‍भ।‍
  और पुन: ठहाका मारि‍ हँसने छलाह। नील संगक युवतीसँ श्‍यामाक परि‍चए करबैत कहने छलाह- श्‍यामा, मीट माइ वाइफ नीलि‍मा, ओना हमर नीलू- नीलू माइ वेस्‍ट फ्रेंड श्‍यामा।
  नीलू बहुत शालीनतासँ श्‍यामाक अभि‍वादन करैत कहने छलीह- गुड मॉनि‍ंग मैम।‍ और नील हँसेत बाजि‍ गेल छलाह- देखू हम आइयो अहाँक पसन्‍दक ब्‍लू पैंट शर्ट पहि‍रने छी।‍ कि‍छु आॅपचारि‍क गप्‍प भेल छल। एयरपोर्टपर एनाउन्‍समेंट भऽ रहल छल, संभवत: नीलक फ्लाइटक समए भऽ गेल छल। श्‍यामा पाछासँ नील और श्‍यामाक जोड़ी नि‍हारैत रहि‍ गेल छलीह। कतेक सुन्‍दर जोड़ी अछि‍- राधा-कृष्‍ण सदृश्‍य। नीलि‍मा कतेक सुन्‍दर छथि‍, एकदमसँ नील जोगड़क। लगैत अछि‍ जेना ब्रह्मा फुर्सतमे नीलि‍माकेँ गढ़ने होएथि‍न्‍ह। सुन्‍दर, सुडॉल शरीर, श्‍वेत वर्ण, सुन्‍दर लम्‍बाइ, उमंग और उत्‍साहसँ पूर्ण नीलि‍मा। नीलि‍माक प्रत्‍येक हाव-भाव सुसंस्‍कृत होएवाक परि‍चायक अछि‍। श्‍यामा अपलक देखैत रहि‍ गेल छलीह। तावत धरि‍ जावत दुनू श्‍यामाक आँखि‍सँ ओझल नहि‍ भऽ गेल छलथि‍।
     घर अएलाक पश्‍चात् बि‍नु कि‍छु सोचने आएना लग आबि‍ अपनाकेँ देखय लागल छलीह। केशक एकटा लटमे कि‍छु श्‍वेत केश देखि‍ श्‍यामाकेँ आश्‍चर्य भेल छलन्‍हि‍ जे एखन धरि‍ हुनक नजरि‍ एहि‍पर नहि‍ पड़ल छल। फेर जेना श्‍यामाकेँ संकोच भेल छलन्‍हि‍ जे अबैत देरी आखि‍र अएनामे की देख रहल छथि‍। भरि‍सक नीलक प्रशंसा एखनहुँ श्‍यामाकेँ ओहि‍ना आह्लादि‍त कऽ गेल छल। ई तँ कि‍छु वर्ष पहि‍ने होइत छल। आब तँ प्राय: श्‍यामा नीलकेँ, नीलक संग बि‍तायल क्षणकेँ बि‍सरवाक प्रयास कऽ रहल छथि‍। आखि‍र नील एखन धरि‍ श्‍यामाक मस्‍ति‍ष्‍कपर ओहि‍ना आच्‍छादि‍त छथि‍। समएक अन्‍तराल कि‍छु मि‍टा नहि‍ सकल। मि‍टा देलक तँ श्‍यामाक जि‍नगी, श्‍यामाक खुशी। श्‍यामाक जि‍नगी भग्‍न खण्‍डहर बनि‍ कऽ रहि‍ गेल, जाहि‍मे नील आइ हुलकी दऽ गेल छलाह। की नील एखन धरि‍ श्‍यामाकेँ बि‍सरने नहि‍ छथि‍? श्‍यामाक पसन्‍द एखनहुँ मोन छन्‍हि‍? श्‍यामाक महत्‍व एखनहुँ बॉंचल अछि‍? नहि‍ तँ नील एना नहि‍ बजि‍तथि‍।
     चारू-कात देखलनि‍, ओछाओनसँ लऽ कऽ टेबुल धरि‍ कि‍ताब छि‍ड़ि‍याएल छल। मोन थोड़ेक खौंझा गेल छलन्‍हि‍, एहन अस्‍त-व्‍यस्‍त घरक हालत देखि‍। तथापि‍ कि‍ताब एक कात कऽ श्‍यामा अशोथकि‍त भऽ ओछाओनपर पड़ि‍ रहल छलीह। मोन एकदम थाकि‍ गेल छल, मुदा दि‍माग सोचनाइ नहि‍ छोड़ि‍ रहल छल। श्‍यामा अपन आदत अनुसार डायरी लि‍खैले बैसि‍ गेल छलीह।

आजुक पन्ना-नीलक नाम-
     नील, आजुक पन्ना अहाँक नाम अछि‍। हमरा बुझल अछि‍, आब नहि‍ तँ हमर डायरी कहि‍यो जबरदस्‍ती पढ़ब, नहि‍ हमरा पढ़ब। नील पाँच वर्ष अहाँक संग बि‍ताएल अवधि‍ हमर जीवनक संचि‍त पूँजी थि‍क, एहि‍ पूँजीकेँ बड़ नुका कऽ मोनक कोनमे राखने छलहुँ। कतहु एहि‍ अमूल्‍य नि‍धि‍केँ बॉटवाक इच्‍छा नहि‍ छल, कागजक पन्नोपर नहि‍। मुदा आइ एतेक पैघ अन्‍तरालक पश्‍चात, अहाँकेँ देखि‍ मोन अपना वशमे नहि‍ रहल। मोन की हमरा वशमे अछि‍। अहाँक संग रहि‍ हम तँ दि‍न-दुनि‍याँ बि‍सरि‍ गेल छलहुँ, कहि‍यो कि‍छु कहबाक इच्‍छा होएबो कएल तँ अहाँ सुनए लेल तैयार नहि‍ भेलहुँ। अहाँ सतत् कहैत रहलहुँ- हमरा अहाँक मध्‍य नहि‍ कहि‍यो तेसर मनुष आएत और नहि‍ कोनो व्‍यर्थक गप्‍प, बस मात्र हम और अहाँ, और कि‍छु नहि‍।‍ हम मन्‍त्र मुग्‍ध भऽ अहाँक गप्‍प सुनैत सभ कि‍छु बि‍सरि‍ गेल छलहुँ। मुदा आइ सभ कि‍छु बदलि‍ गेल। आइ जँ सभ कि‍छु लि‍ख अहाँकेँ समर्पित नहि‍ कऽ देब तँ मोन और बेचैन भऽ जाएत। अहाँ हमरासँ दूर भऽ गेल छी, तथापि‍ आइ सभ कि‍छु, जे नहि‍ कहि‍ सकल छलहुँ, हम डायरीमे लि‍ख रहल छी। जखन हम अपनाकेँ अहाँकेँ समर्पित कऽ देलहुँ, तखन कि‍छु बचा कऽ राखब उचि‍त नहि‍।
     हमर पि‍ता उच्‍च वि‍द्यालयमे शि‍क्षक छलाह, नाम छलन्‍हि‍ पं. दि‍वाकर झा। हम दु बहि‍न एक भाए छी, हम सभसँ पैघ, बहि‍न श्‍वेता और भाए वि‍कास। हमर वर्ण कि‍छु कम छल, ताहि‍ कारणे बाबूजी आवेशमे हमर नाम रखलन्‍हि‍ श्‍यामा। बाबूजी हरदम कहैत छलाह- ई हमर बेटी नहि‍ बेटा छथि‍, हमर जीवनक गौरव छथि‍ श्‍यामा। छोट बहि‍नक नाम श्‍वेता अछि‍, श्‍वेता गौर वर्णक छथि‍, तेँ माए श्‍वेता नाम राखने छलथि‍न्‍ह। मैट्रि‍कमे हमरा फर्स्‍ट डि‍वि‍जन भेल तँ बाबूजी कतेक प्रसन्न भेल छलाह। महावीर जीकेँ लड्डु चढ़ौने छलाह। सौंसे महल्‍ला अपनहि‍सँ प्रसादक लड्डु‍ बॉंटने छलाह। हमरा जि‍द्दसँ कॉलेजमे हमर नाम लि‍खओल गेल छल। माए तँ वि‍रोध कएने छलीह। जखन हम बी.ए. पास कऽ गेलहुँ, तँ हमर वि‍याहक चि‍न्‍ता बाबू जीकेँ होमए लागल छलन्‍हि‍। एकठाम वि‍याह ठीक भेल तँ बड़क माए-बहि‍न हमरा देखय लेल आएल छलथि‍, मुदा श्‍वेताकेँ पसि‍न्न करैत अपन नि‍र्णए सुना देने छलथि‍न्‍ह जे अपन बेटाक वि‍आह श्‍वेतासँ करब। बाबूजी कतेक दुवि‍धामे पड़ि‍ गेल छलाह। पैघ बहि‍नसँ पहि‍ने छोटक वि‍आह कोना संभव अछि‍। मुदा माए बाबूजीकेँ बुझाबैत कहने छलथि‍न्‍ह-जे काज भऽ जाइत छैक से भऽ जाइत छैक। वि‍आह तँ लि‍खलाहा होइत छैक। नील शास्‍त्रक कथन अछि‍-माए बापक असि‍रवाद फलि‍त होइत छैक। जँ असि‍रवाद‍ फलि‍त होइत छैक तँ माए बापक नि‍र्णए सन्‍तानक भाग्‍यक नि‍र्धारण सेहो करैत हेतैक। भरि‍सक माएक नि‍र्णए हमर भवि‍ष्‍य भऽ गेल। श्‍वेताक वि‍आह ओहि‍ वरसँ भऽ गेलनि‍।
     क्रमश: