- की यौ , बहुत दीन बाद दर्शन देलहुँ , कतय रहैत छी महराज , औ आर सुनाऊ गाम जाए के की प्रोग्राम अछि , एवं प्रकार बहुत रास गप ता' एके साँस में भ' गेल.
हमर कार्यालयमे हमरा संगे आर जे दोसर कलीग सब छलाह ओ सब चुपचाप सुनि-सुनि मुस्करा रहल छलाह , मुदा हमर ध्यान हुनका सब दिस नहि छल. हाँ एतेक हमरा अंदाजा भ' गेल छल जे पहिल बेर हमरा मुंह सँ एकटा अलग भाषा सुनि क' सब कियो चकित अवश्य भ' रहल छला. खैर जतेक काल मित्र रहला हम दुनु गोटे खूब गप- सडक्का कयलौं.
मित्र के अरियाति क' जहाँ वापस पहुँचलौं ता सब एक दीस सँ पूछए लागल- कहए लागल जे-
एतए एकटा दोसर घटनाके जिक्र करए चाहैत छी. अपन माता जीक असामयिक निधनक कारण जहाँ हम पिछला बेर गाम गेल रही तँ बहुत रास कारण सं बाजार जाए पडल. जाहि दोकान पर जाइ तँ अपना आदतिक मुताबिक (दरअसल ई एकटा स्वाभाविक आदति बनि गेल अछि जे जखने गाम दिस बिदा होईत छी आ जखने से गाम घर के महक मोन - मस्तिष्कमे पड़ैत अछि तखन अपने आप बोली आ भाषा सेहो बदलि जाइत अछि ) सबसँ मैथिलीमे जे पुछबाक या कहबाक होइत छल कहैत छलहुँ मुदा दुःख आ आश्चर्य ई भेल जे लगभग सब गोटेके जवाब हिन्दीमे भेटल. हालाँकि हम राष्ट्र भाषाके पुरा सम्मान करैत छी तथापि हमरा किछ नीक नहि लागल ई बदलाव.
किंतु खुशी के गैप ई छल जे आगू बाजार हाटमे घुमला पर देखलहुँ जे मारते रास मैथिली पिक्चर के पोस्टर साटल. गीत संगीत तँ पहिनहुँ काफी सुनैत छलहुँ आ ई सकारात्मक बदलाव देखि मोन केँ किछ सुकून भेटल. आ ई सच अछि जे मैथिलि सत्ते मे मीठ भाषा अछि.