भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Friday, May 30, 2008

खट्टर काका सं वार्तालाप (मिथिला के संदर्भमे)



(हम खट्टर काका के दलान पर जखन पहुचलो खट्टर काका भोजनोपरांत कुर्सी पर बैसल छालैथ)

हम कहाल्यैन खट्टर काका गोर लगैत छी !

खट्टर काका - जिवैत रहू हम आहा के पह्चैन नै पेलो आहा के थिको !

हम - हम मैथिल और मिथिला सं आयल छी , हमर नाम मदन कुमार ठाकुर भेल, हमर घर कोठिया - पट्टीटोला अछि

खट्टर काका - तखन आहा हमरा सं की पुछेय चाहैत छी !

हम - आई सं किछ साल पहिने अपनेक ओहिठंम हरिमोहन भईया आयल छालैथ ओ आहा सं चुरा दही चीनी के मूल तत्व के वर्णन जाने आयल छलाह ! तीनो लोक से मिल के बनल अछि जे इ चुरा दही चीनी से आहा सं जानकारी हुनका भेटलैन ! ओही उद्देश सं हम आय अपनेक समक्ष मिथिला विकाश के संदर्भ मं किछ बात करै लेल आयल छी यदि अपनेक के आज्ञा होय त हम किछ अर्ज करी !

खट्टर काका - बाजल जाऊ आहा की पूछे चाहेत छी !

हम - खट्टर काका हम मिथिला के संस्कृति पर पहिने ध्यान देब चाहैत छी जे हमर संस्कृति कहेंन अछि, एकर मान - सम्मान, आचार - वैवहार एक दोसर के प्रति आदर - सत्कार, प्रेम - भावना कहेंन अछि ! आगा जेके एकर मिथिला के उत्पवित संतान पर कतेक प्रभाव परते और नारी जाती के कतेक सम्मान रहते ! मिथिला महान बनत की नै से हम अपने सं जाने चाहे छी !

खट्टर काका - मदन बाबु यदि मिथिला के संस्कृति के बात करी त पहिने बीतल इतिहास के देखि ! आय से कई साल पहिने विद्यापति जी छला मंडनमिश्र, अयाची मिश्र शंकराचार्य जी इत्यादि अनेक महाविद्वान सब भेलैथ ओ सब अपन - अपन कर्तव्य पुरा के क मिथिला के मान - सम्मान दैत चल बैसला ! एतबे नै हम राजा जनके लग सं सुनैत छी मिथिला वर्णन, मिथिला दर्शन, मिथिला के आचार - बिचार दोसर के प्रति सदभावना मधुरबचन इ सब त अपन मिथिला के देन अछि ! दोसर थम कथापी इ कतो नै भेटत क्येक त इ मिथिला मेखूबी छै जे एक - दोसर सं प्रेम मधुर बोली केना बाजल जायत अछि, आय यदि मिथिला बासी चाहैथ जे हमरा संस्कृति पर कुनू आंच नै आबय त पहिने अपन घर के संस्कृति पर ध्यान देब परतेय ! क्येक त हम आय घर - घर मे देखैत छी जे अपन संस्कृति के छोड़ी विदेशी कल्चर लोग अपनाबैत अछि ! माँ - बाबूजी कहब त दूर आब मोम - डैड कहल जायत अछि ! एक दोसर के प्रणाम केनाय त दूर आब हेल्लो - हाई बाजल जायत अछि ! मानलो आई - कैल मे लोग सब किछ अंग्रेजी ज्यादा पैढ़ - लिख लेलक अमेरिका लन्दन सब जाय लागल तकर माने की हम अपन संस्कृति के छोरी दिए इ हमर कर्तव्य अछि इ हमर अधिकार अछि जे विदेशो मे जाय के अपन संस्कृति के उपयोग करी ताहि मे हमर सब मिथिला वासी के कल्याण होयत , और हर मिथिला राज्य आगा - आगा मार्ग पर चलैत रहत ! हमर इ कामना आर दुवा अछि !

हम - खट्टर काका हम देखैत छी जे हमरा मिथिला मे महान - महान कविगन, लेखक, डॉक्टर, इंजिनियर,प्रेस रिपोर्टर सब छैथ ताहि उपरांत हमर मिथिला राज्य आगा विकाश क्येक नै के रहल अछि ! एकर की कारन अछि ?

खट्टर काका - देखु मदन बाबु आय कैल के जूग मे सब अपन - अपन रोजी - रोटी के मार्ग बनबैत छैथ ! दोसर से दोसर के ककरो - ककरो त मेलो - मिलाप नै होइत छैन ताहि हेतु ओ मिथिला विकाश की ओ त अपन घरो के विकाश नै कs सकैत छैथ !

हम - खट्टर काका हम देखैत और सुनैत छी जे आय कैल मे सरकार शिक्षा पर पूर्णरुपे खर्चा कs रहल अछि ! ताहि उपरांत कुनू परिवर्तन नै देखैत छी , सब कियो दिल्ली - मुम्बई भागैत फिरैत अछि !

खट्टर काका - सुनु सब के मन के सोच अपन अलग - अलग होइत छै यदि कुनू आदमी के पैसा ज्यादा भ जायत छै त ओकरा पैसा कूट-कूट काटे लगे छै त ओ अपन पाई के जोगार करतै न ! हुनके सब के देख के आस - पास के जे रहनिहार सब छैथ सब सोचैत छैथ जे फलना के बेटा दिल्ली गेले त हमर बेटा क्येक नै मुम्बई जेता इ जे गाम-घर के रित रिवाज बनल अछि दे बड ख़राब अछि ! अहि मे शिक्षक गन की करता ओ अपन हाजरी लगबैत छैथ और तनखा पबैत छैथ ! अहि मे मारल जायछी हम गाम - घर के गरीब लोकसब (नै घर के नै घाट के) और विषेस की कहब !

हम - खट्टर काका हम हर सहर मे सुनैत छी जे उत्तरी बिहार के सब जिला के सड़क यातायात पर केन्द्र सरकार के सेहो नज़र गेलैन हं ओ नितिस जी के माध्यम सं दिल्ली आसाम रोड सेहो बनी रहल अछि और साथ मे ग्रामीण सरक व्यवस्था के सेहो सूधार भ रहल अछि !

कट्टर काका - हाँ हाँ से तs हमहू सुनैत और देखैत छी सब इ चैल नेता सब के जे N H और ग्रामीण सरक व्यवस्था भ रहल अछि ! की कहू आहा के आय सs साठ साल पहिने हमरा गाम से पूरब पुल टूटल से त एखन तक कियो सोंगर दै बाला नही आयल ! बाढ़ी मे गामक गाम दैह गेल से तs देखेय लेल कियो नही आयल और आहा कहैत छी जे रोड बनबैत अछि ! पिछिला साल न्यूज़ मे सुनलो जे केवल मधुबनी बिकाश के लेल चारी हजार करोड़ रुपैया केन्द्र सरकार देल्कैय से तs नेता और मुखिया सब कुनू पैर - पैखी नही लगेय देल्कैय आ आहाँ कहैत छी जे यातायात व्यवस्था बरहल अछि यो मदन बाबु सब कियो अपन कुर्सी के फ़ायदा उठा रहल अछि !

हम - खट्टर काका तखन किसान भाई के लेल सेहो काफी मुवाब्जा भेट रहल अछि जेनाकी दहार के सुखार के और जगह जगह पर बिजली पम्प के व्यवस्था हर गाव हर पंचैत मे चालू होई बाला अछि कई जगह सब मे नहर के सेहो व्यवस्था भगेल और भो रहल अछि ! अहि विषय पर अपने'क की विचार अछि !

खट्टर काका - सुनू मदन बाबु हमरा सं जे पूछी तs हम सचे कहब की गामक - गाम दहा जायत छै आ मुवाब्जा भेटैय छै एक दु गाम मं जिनकर गाम मे कुछ नाम गाम छै ओ अपन पुरा पुरा प्रोपटी के नाम लिखा दैत छै इये हाल सब जिला के हरेक ब्लोक मे अछि ! और बिजली व्यवस्था के की कहू जिला मे दु तीन थम के नाम सुन्लीय हम आ नहर व्यवस्था व्यवस्था सब चौपट कs गेल जेता किसान भाई के खेती करैय बाला जमीन छल से तs नहर मे चल गेल ओ खेती की करता ! खेत गेला के बात हम १० वर्ष से देखैत छी जे नहर मे पैन नै, आब कतेक नहर पैन के आशा ओ तs धन्यवाद दियोंन इन्द्र देवता के जे हुन्कर कखनो कखनो दया दृष्टि हमरो सब पर भो जैट छैन !

हम - खट्टर काका हम मिथिला बासी के मुह सं सुनैत छी जे हमरा मिथिला राज्य चाही ताहि मे अपने'क की राय अछि ?

खट्टर काका - यदि हमर मिथिला राज्य अलग भो जायैत अछि तs बहुत गर्व के बात छी फेर पुनः मिथिला विदेहक नगरी कहाओत और मिथिला के मान - सम्मान पान मखान सं होयत

जय मैथिली, जय मिथिला

~: लेखक :~
मदन कुमार ठाकुर
कोठिया पट्टीटोला
झंझारपुर (मधुबनी)
बिहार - ८४७४०४
मो - ०९३१३०१९९३२

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~: धन्यवाद :~

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