भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor:
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(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html, http://www.geocities.com/ggajendra आदि लिंकपर आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha 258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/ भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA
Tuesday, June 23, 2009
सोमदेव-एकटा अदना सिपाही
अपन सकेत कोठलीमे बैसल
जम्बूद्वीपक एकटा अदना सिपाही
सकेतमे अपन टाँगो नहि पसारि पबै-ए
मुदा खुशफैलमे गोली खूब चलबै-ए
मुइलकें मारैत। मारलकें मालक चाम जकाँ
घीचैत। चामकें
भान पर लदैत...। अपन सकेत कोठलीमे अपन माथ
उतारि क’ राखि आएल बेचारा एकटा अदना सिपाही
चिन्ताक मुरेठा कहुना खलिया पर लपेटने। बेचारा
एकटा अदना सिपाही
हृदय आ हाथ। यन्त्राक दू गोट असम्बद्ध पुर्जा
राजनीति शतरंजक प्यादा। चैबटियाक पेंचसँ कसल
विशेषणहीन। पाइ ओसूलैत। बहादुर। रिक्शा पर।
डण्टा बजारैत। बेचारा सिपाही
अपन सकेत सौंस कोठली बाहु पर उठौने
अशोक वनमे सीता दिस अँखियबैत
अइँठ-कूठि-निंगहेस पेटमे कोंचैत। त्रिजटाकें पछुअबैत
बाल-बच्चाकें लतिअबैत
दुनू मोंछ दुनू तरहत्थी पर रखने। विस्मित। बेचारा
जम्बूद्वीपक एकटा अदना सिपाही
बहीर साँप सभक सुखनीनक वास्ते
सकेत कोठलीवाला गलीक कण्ठ पर पदचाप दैत
‘टेप’ बजा रहल अछि। राति पर बारूदी
लेप सजा रहल अछि।
प्रथम परिचय
हमर नाम नीरज कुमार अईछ... डखराम, दरभंगा हमर पैतृकगाम ऐछ...एखन दिल्ली में छि...
हम एहन मिथिला-पुत्र छि जे सब मैथिलि बाजए छे मुदा लिखय अओर पढयमें लगभग असमर्थ होयत छथीन...एहि कारण जे त्रुटी होय हमर लेखन में , अहाँ सब क्षमा करब आशा करैत छि...
एहि ठाम पोस्ट करै के अनुमति भेटल एहि लेल आभार प्रकट करै छि...
हम काल्हि डॉ कलाम के 'Ignited Mind' केर मैथिलि अनुवाद पढ़त छलिये, डॉ नित्यानंद लाल दास द्वारा 'प्रज्वलित प्रज्ञा' पुस्तक के रूप में प्रकाशित कयल गेल ऐछ... डॉ दास हमर मामा छथिन्ह... ई पुस्तक के विमोचन आओर प्रचार में हम हुनकर संगे छलिय, मुदा मैथिल समाजो में मैथिलि पुस्तक क लेल कोनो उत्साह नहि दिखल...कारण जे मैथिलि भाषा के पाठक बड़ कम भेटत...
ओहि समय हमर मोन में ई विचार उत्पन्न भेल, जे अहाँ सब के सम्मुख प्रकट करै छि...
हम दोसर भाषा के अनेक पुस्तक या रचना सबहक मैथिल अनुवाद पढि चुकल छि मुदा मैथिलि पुस्तक वा कथा- कहानी-कविता के कोनो आओर भाषा में अनुवाद देखनो नहि छि... ऐना कियैक ...
मिथिला के अनेक लोक बाहर रहै छथिन्ह... मिथिला के संस्कृति, संस्कार आओर साहित्य स' दूर
छथिन्ह... यदि हिन्दी वा अंग्रेजी में ई सब उपलब्ध होय त शायद नव पीढी मिथिला, मैथिलि अओर मैथिल दिस आकर्षित होथिन्ह...
मिथिला के लेखक लोकनि स आग्रह ऐछ जे एही दिशा में अपन योगदान देथुन्ह जाहि स हम सब अपन इतिहास स पुनः परिचित होइ... एही तरहे मैथिलि के backlink हेते हिन्दी आओर अंग्रेजी स , जेकर महत्ता अंतरजाल स परिचित लोक खूब समझै छथिन्ह...
आशा ऐछ अहाँ लोकनि हमर 'मैथिलि स अनुवादित पुस्तक' क विषय में हमर ज्ञान वृद्धि करब...
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...