भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Tuesday, August 13, 2013

‘विदेह' १३७ म अंक ०१ सितम्बर २०१३ (वर्ष ६ मास ६९ अंक १३७) PART I

                     ISSN 2229-547X VIDEHA
विदेह' १३७ म अंक ०१ सितम्बर २०१३ (वर्ष ६ मास ६९ अंक १३७)  

 

अंकमे अछि:-
 सखारी-पेटारी-(लघु कथा संग्रह)- नन्‍द विलास राय

भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली]


विदेह मैथिली पोथी डाउनलोड साइट
VIDEHA MAITHILI BOOKS FREE DOWNLOAD SITE

विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

ब्लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेक्ट कए "फीड यू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहो विदेह फीड प्राप्त कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लेल http://reader.google.com/ पर जा कऽ Add a  Subscription बटन क्लिक करू आ खाली स्थानमे http://www.videha.co.in/index.xml पेस्ट करू आ Add  बटन दबाउ।


विदेह रेडियो:मैथिली कथा-कविता आदिक पहिल पोडकास्ट साइट



मैथिली देवनागरी वा मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below or contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाउ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।
http://devanaagarii.net/
http://kaulonline.com/uninagari/  (एतए बॉक्समे ऑनलाइन देवनागरी टाइप करू, बॉक्ससँ कॉपी करू आ वर्ड डॉक्युमेन्टमे पेस्ट कए वर्ड फाइलकेँ सेव करू। विशेष जानकारीक लेल ggajendra@videha.com पर सम्पर्क करू।)(Use Firefox 4.0 (from WWW.MOZILLA.COM )/ Opera/ Safari/ Internet Explorer 8.0/ Flock 2.0/ Google Chrome for best view of 'Videha' Maithili e-journal at http://www.videha.co.in/ .) 

Go to the link below for download of old issues of VIDEHA Maithili e magazine in .pdf format and Maithili Audio/ Video/ Book/ paintings/ photo files. विदेहक पुरान अंक आ ऑडियो/ वीडियो/ पोथी/ चित्रकला/ फोटो सभक फाइल सभ (उच्चारण, बड़ सुख सार आ दूर्वाक्षत मंत्र सहित) डाउनलोड करबाक हेतु नीचाँक लिंक पर जाउ।
 VIDEHA ARCHIVE विदेह आर्काइव



ज्योतिरीश्वर पूर्व महाकवि विद्यापति। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।



गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'


मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
विदेह जालवृत्तक डिसकसन फोरमपर जाउ।
"मैथिल आर मिथिला" (मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय जालवृत्त) पर जाउ।
 सखारी-पेटारी

(लघु कथा संग्रह)





नन्‍द विलास राय





एकसत्तरि-

१.              असल बेटा
२.              जजाति‍
३.              पोलिथिन
४.              नि‍वास प्रमाणपत्र
५.              नि‍पुतराहा
६.              महाजन
७.              गोबरबीछनी
८.              पोषाहारक गहुम
९.              सभसँ पैघ पूजा
१०.         भोँट
११.         सोइरी छछारब
१२.         ननदि-भौजाइ
१३.         बाबाधाम
१४.         चौड़चनक दही
१५.         जाति-पाति
१६.         विवेकक विवेक
१७.         वाड़ीक पटुआ
१८.         डाक्‍टर बेटा
१९.         प्रोफेसर बेटा
२०.         सोच
२१.         ऐना








असल बेटा

ि‍नर्मली स्‍टेशनसँ पच्‍छि‍म एकटा गाम छै छजना। छजना मधुबनी जि‍लाक लौकही थानामे पड़ै छै। बेस झमटगर गाम। पढ़ल-लि‍खल लोकक गाम। इंजीनियर-डाक्‍टर आ आनो केतेक सरकारी नौकरी करैत गामक लोक। मास्‍टरक कमी नै। ि‍नर्मली बाजार लग रहबाक कारण, कि‍छु लोक बि‍जनैस-बेपार करैत। जेकरा कोनो नौकरी नै, ओ ि‍नर्मली बजारक सेठ-साहुकार ओइठाम नोकरी कऽ अपन गुजर-बसर करैत। कि‍छु लोक ि‍नर्मली बजारमे नि‍जि‍ स्‍कूल खोलि‍ अपन धंधा करैत। कि‍छु लोक बजारेमे चटि‍या सभकेँ ट्यूशन पढ़बैत आ ओइसँ जे आमद होइत तइसँ बेगरता शांन्‍त करैत।
     छजना गाममे एकगोटे छल जीतन मुखि‍या। जाति‍क मलाह, मुदा माछ मारैक कोनो लूड़ि‍ नै। अपन जाति‍क पेशा छोड़ि‍ ि‍नर्मली टि‍शनक बगलमे एकटा चाह दोकान चला अपन परि‍वारक गुजर-बसर करैत। चाह पीबैले रेलबेक कर्मचारी सभ अबैत, चाहो पीबैत आ रंग-बि‍रंगक गपो करैत। टि‍शनक बगलमे चाहक दोकान हेबाक कारणे ट्रेन पकड़ैबला मोसाफि‍र सभ सेहो चाह पीबैत। जीतन नीक चाह बेचैए‍ तँए आनो गहिंकी सभ दोकानपर आबि‍-आबि‍ चाह पीबैत। जीतनकेँ धीरे-धीरे नीक आमदनी हुअए लागल। बजारमे रहैक कारण आ नीक-नीक लोकक गप सुनि‍ जीतनो बुधि‍यार भऽ गेल। चाहक संग ि‍बस्‍कुटो राखए लगल। जइसँ आमदनी आरो बढ़ि‍ गेल। जीतन सेन्‍ट्रल बैंक ि‍नर्मलीमे खाता खोला कि‍छु रूपैआ खातामे जमा करए लगल।
     ि‍नर्मली टि‍शनसँ दच्‍छि‍न ि‍नर्मली हाइ स्‍कूल। स्‍कूलक सटले चाउरक मि‍लक रमना। बि‍स-पच्‍चीस बरख पहि‍ने ओइ रमनापर धान सुखाएल जाइत छल। मुदा एम्‍हर आबि‍ कऽ मि‍ल बन्न भऽ गेल अछि‍। तँए आब रमनापर घास-पात जनमि‍ गेल अछि‍। जीतनकेँ मालूम भेल जे मि‍लक रमनाबला जमीन बीकि‍ रहल अछि‍ ई गप सुनि‍ जीतन मि‍लक मनेजर मि‍श्राजी लग गेल। मि‍श्राजी कखनो-कखनो जीतन दोकानपर चाह पीबै छल। जीतनकेँ देखैत बाजल-
आबह-आबह जीतन बैसह।
जीतन हाथ जोड़ि‍ मि‍श्रा जीकेँ प्रणाम करैत एक बगल ठाढ़ भऽ गेल, बैसल नै। मि‍श्राजी केतबो बैसैले जीतनकेँ कहलखि‍न मुदा जीतन नै बैस बाजल-
माि‍लक ठीके छै, हम तुरत्ते चलि‍ जाएब। कि‍छु गप करबाक अछि‍ तँए एलौं।
मि‍श्राजी लग तीन-चारि‍ गोटे पहि‍नेसँ बैसल छल। मि‍श्राजी पुछलखि‍न-
कोनो खास बात छह की?”
जीतन बाजल-
हँ, माि‍लक। मुदा अखनि‍ अपने लग आरो लोक सभ छथि‍न तँए हम दोसर घड़ी आएब।
मि‍श्राजी कहलखि‍न-
ठीक छै। ठीक छै। तोरा बेसी नै रोकबह, तोहर चाहक दोकान बरदेतह। हम साँझमे बजार जाएब तँ तोरे दोकानपर चाहो पीअब आ गपो बूझि‍ लेब। जा।
जीतन बाजल-
बेस मालि‍क।
जीतन अपना दोकानपर आबि‍ गेल। साँझखि‍न मि‍श्राजी दोकानपर एला। जीतन एकटा स्‍पेशल चाह बना मि‍श्राजीक हाथमे देलक। मि‍श्राजी चाहक चुस्‍की लैत पुछलखि‍न-
कहए जीतन, कोन गपे हमरा डेरापर गेल छेलह?”
जीतन बाजल-
माि‍लक, सुनलि‍ऐ हेन जे रमनाबला जमीन बि‍करू छै। सएह बुझैले गेल रही।
मि‍श्राजी कहलखि‍न-
हँ, जमीन तँ बीकि‍ रहल अछि‍। अदहासँ बेसी जमीन बि‍कि‍ओ गेल। केकरा लेल तँू गप करै छह।
जीतन बाजल-
माि‍लक, एक कट्ठा जमीनक केते रूपैआ देबए पड़त।
मि‍श्राजी कहलखि‍न-
तूँ लेबह तँ तोरा एक्के लाखमे दि‍या देबह। दोसर लेल सबा लाख।
जीतन हाथ जोड़ैत बाजल-
हमहीं लेब मालि‍क। छजनासँ आबि‍ कऽ दोकान खोलैमे अबेर भऽ जाइए। लगमे रहब तँ सबेरे दोकान खोलब आ देरीसँ बन्न करब तँ आमदनीओ दोबर भऽ जाएत। जँ जमीन भऽ जाएत तँ एकटा खोपड़ी लटका देबै।
मि‍श्राजी कहलखि‍न-
ठीक छै। ठीक छै। काल्हि‍ भोरे आठ बजे आबह। जमीनो देखा देबह आ तोरा नामे बुको कऽ देबह। जेतेक रूपैआ हेतह से ताबए जमो कऽ दि‍अह। बाँकी मास भरि‍मे पूरा कऽ दि‍हक। महि‍ना दि‍न पछाति‍ सेठजी दि‍ल्‍लीसँ एता। सबहक रजि‍स्‍ट्री हेतै तहीमे तोरो हेतह।
जीतन हाथ जोड़ैत बाजल-
ठीक छै माि‍लक। हम आठ बजे आबि‍ जाएब।
मि‍श्राजी जखनि‍ चाहक दाम देबए लगला तँ जीतन कहलखि‍न-
नै मालि‍क, पाइ राखू।
मि‍श्राजी कहलखि‍न-
नै जीतन, अखनि‍ नै। जखनि‍ तोरा जमीन भऽ जेतह तखनि‍ चाहो पीअब आ बि‍स्‍कुटो खाएब। अखनि‍ पाइ रखि‍ लैह। ई कहि‍ मि‍श्राजी जीतनक गल्‍लापर एकटा सि‍क्का रखि‍ बजार दि‍स बि‍दा भऽ गेला।
     अगि‍ला दि‍न भोरे जीतन मि‍श्राजीक डेरापर पहुँचल। मि‍श्राजी रमनेक बगलमे अपन घर बनेने छथि‍। जीतनकेँ देखते मि‍श्राजी पहि‍ने जमीन देखौलखि‍न। जीतनकेँ जमीन पसि‍न भऽ गेलै। गद्दीपर आबि‍ अपना नामे बुक करा लेलक। बैंकसँ रूपैआ नि‍कालि‍ मि‍श्राजी लग जमा कऽ आएल। पचासी हजार टाका खातामे छेलै। अस्‍सी हजार नि‍कालि‍ मि‍श्राजी लग जमा कऽ आएल। अगि‍ला महि‍नामे सेठजी दि‍ल्‍लीसँ आबि‍ सभकेँ जमीन लि‍खि‍ देलखि‍न। जीतन अपना जमीनमे माटि‍ भरा एकटा खोपड़ी बना ओइमे रहल लागल। आब ओ सबेरे चारि‍ए बजे दोकान खोलए आ राि‍तक दस बजे बन्न करए।
     जीतन जे चारि‍ बजे भाेरे दोकान खोलि‍ चाह बनाबए तँ सभसँ पहि‍ने एक कप चाह स्‍टेशन मास्‍टर अनील चटर्जीकेँ दऽ अबनि‍। तेकर पछाति‍ ओ अपनो चाह पीबए आ बेचबो करए। ि‍नर्मली स्‍टेशनक स्‍टेशन मास्‍टर अनील चटर्जी लगधग पचपन-छप्‍पन बर्खक बेकती। पत्नी शांति‍नि‍केतनमे प्रोफेसर। एकटा बेटा आसनसोलमे इंजी‍नियर दोसर बेटा अमेरि‍कामे इंजीनियर। बेटी कलकत्तामे बैंक मनेजर। तँए अनील चटर्जी असगरे ि‍नर्मलीमे रहि‍ नोकरी करै छथि‍। चटर्जीक वि‍चार रहनि‍ जे पत्नी नोकरी छोड़ि‍ हमरा संग रहथि‍। मुदा पत्नीक वि‍चार ओइसँ भि‍न्न रहनि‍। हुनकर वि‍चार रहनि‍ जे एम..-पी.एच.डी. केलौं तँ ओकरा बेकार कि‍अए जाए देब। पचास हजार टाका महि‍ना दरमाहा भेटैए। जखनि‍ कि‍ चटर्जी साहैबकेँ पचीसे हजार भेटै छन्हि‍। तँए चटर्जी साहैब असगरे रहै छथि‍। एकटा होटलबला दि‍नक खेनाइ डेरापर पहुँचा दइ छन्‍हि‍। रतुका खेनाइ होटलेमे जा कऽ खाए पड़ै छन्‍हि‍।
जीतन ि‍दनमे चारि‍ बेर हुनका टेबूलपर चाह पहुँचा अबै छन्‍हि‍।
रवि‍ दि‍न दस बजे दि‍नमे जखनि‍ जीतन चाह लऽ कऽ चटर्जी साहैब लग गेल तँ चटर्जी साहैब जीतनकेँ पुछलखि‍न-
कहअ जीतन की‍ हाल-चाल छै।
जीतन जवाब देलकनि‍-
सर, सभ ठीक छै।
आछा जीतन, ई बताबह तोरा केते बाल-बच्‍चा छह।
सर, हमरा दूटा बेटा आ एकटा बेटी अछि‍। जेठकाक नाओं सुकल आ छोटकाक बिकल। सभसँ छोट बेटी अछि‍ जेकर नाओं सुकनी रखने छी। कि‍एक तँ ओ शुक्कर दि‍न जनमल छेलए।
चटर्जी साहैब तीन बर्खसँ ि‍नर्मलीमे स्‍टेशन मास्‍टर छथि‍। तँए थोड़-बहुत मैथि‍ली बजै छला। चटर्जी साहैब जीतनकेँ फेर पुछलखि‍न-
आछा, ई बताबह। बाल-बच्‍चा सभकेँ पढ़बै छहक की नै।
जीतन बाजल-
कहाँ पढ़ाबै छि‍ऐ सर। दुनू बेटा दोकानेपर रहैए। बेटी गाममे रहैए। एकटा बकरी रखने अछि‍।
चटर्जी साहैब कहलखि‍न-
नै जीतन, ई नीक बात नै छी। तँू अपना बच्‍चाकेँ स्‍कूल नै भेजै छह। पढ़बै-लि‍खबै नै छहक। ऐसँ हमरा तोरा प्रति‍ बड़ दुख छह। देखह हमर एकटा बेटा अमेरि‍कामे इंजी‍नियर अछि‍। दोसर आसनसोलमे इंजीनियर अछि‍ आ वाइफ शांति‍ नि‍केतनमे प्रोफेसर आ बेटी बैंक मनेजर अछि‍। हम असगरे एतए रहै छी। दुख सहै छी। सभ अपन-अपन रूपैआ कमाइए। देखह जीतन, काल्हि‍सँ तोहूँ अपन बेटी-बेटीकेँ पढ़ेनाइ शुरू करह। नीकसँ पढ़ाबह। इंजीनि‍यर-डाक्‍टर बनाबह। हमर फादर कलकत्तामे मोटि‍याक काज करैत रहथि‍। बुझहकल जीतन? हमरा बातपर धि‍यान दहक। काल्हि‍ एगारह बजे हम तोरा दोकानपर आएब। जँ तोरा दुनू बेटाकेँ चाहक दोकानपर देखबह तँ तोरा हाथक चाह पीअब छोड़ि‍ देब।
जीतन हाथ जोड़ैत बाजल-
सर, काल्हि‍सँ बच्‍चा सभकेँ इसकुल पठेबै।
चटर्जी साहैब बजला-
सुनह जीतन, सरकारी स्‍कूलमे पढ़ाइ नै होइ छै। तूँ अपना बेटा-बेटीकेँ कन्‍भेन्‍टमे पढ़ाबह। आ डेरापर ट्यूशन सेहो पढ़ाबह।
जीतन हाथ जोड़ैत बाजल-
ठीक छै सर। ज्ञान भारती इस्‍कूलमे नाओं लि‍खा देबै। ओइ इसकुलक हेड मास्‍टर हमरे गामक गोपाल साहु छी। हमरा दोकानपर सभ दि‍न साँझमे चाह पीबैले अबै छथिन। आइ साँझमे हुनकासँ गप करब।
चटर्जी साहैब बजला-
आछा जीतन, आब जाह। हमरा गपक खि‍याल रखि‍अ।
जी सर, एकदम खि‍याल रखब। कहि‍ जीतन अपना दोकानपर आबि‍ गेल।
     साँझमे जखनि‍ गोपाल साहु चाह पीबैले दोकानपर एला तँ जीतन हुनकासँ दुनू बेटा आ बेटीक पढ़ाइ लेल गप केलक।
पचास टाका महि‍नामे तीनू बच्‍चाकेँ पढ़ा देब। ई बात गोपाल साहु कहलखि‍न।
जीतन गोपालजीसँ एकटा ट्यूशनि‍याँ मास्‍टरक सेहो बेवस्‍था करए कहलकनि‍। गोपालजी कहलखि‍न-
हमहीं पढ़ा देब अहाँ चि‍न्‍ता नै करू। महि‍नामे सए टाका देबए पड़त। पहि‍ने काल्हि‍ दस बजे कन्‍भेन्‍टपर आबि‍ तीनूक नाम लि‍खाउ।
जीतन हाथ जोड़ैत गोपालजीकेँ कलकनि‍-
बहुत-बहुत धैनवाद।
गोपाल साहु चाह पीब चलि‍ गेला। दोसर दि‍न जीतन दुनू बेटा आ बेटीकेँ लऽ स्‍कूलपर पहुँच नाओं लि‍खा देलक। साँझमे गाम जा पत्नीओकेँ ि‍नर्मलीए आनि‍ लेलक। पूरा परि‍वारक संग जीतन आब ि‍नर्मलीएमे रहए लगल। एकटा घर रहबै करै एकटा ओरो एकचारी टांगि‍ लेलक। तीनू धि‍या-पुता सभ दि‍न स्‍कूल जाए-अबए लगलै। साँझे-साँझ गोपालजी ट्यूशन पढ़बए जीतनक डेरापर आबए लगलखि‍न।
     समए बि‍तैत देरी नै होइ छै। आइ जीतन ि‍नर्मली हाइ स्‍कूलक बगलमे रमनाबला जमीनपर तीन मंजि‍ला मकान बना लेलक। आब जीतन चाहक दोकान छोड़ि‍ देलक। कि‍एक ने छोड़त दुनू सुकल आ बि‍कल इंजीनियर भऽ गेल। बेटी-सुकनी ि‍नर्मली कन्‍याँ उच्‍च वि‍द्यालयमे शि‍क्षि‍का पदपर कार्यरत भेली। जखैनकि‍ जेठका बेटा-सुकल मुम्‍बइमे इंजीनियर आ छोटका बेटा-बि‍कल दि‍ल्‍लीमे इंजीनियर।
     जीतनक इच्‍छा नै रहए जे चाहक दोकान छोड़ी मुदा बेटा-बेटीक जि‍द्दक कारण दोकान छोड़ए पड़लै। बेटीक जि‍द्द बेसी रहनि‍ कि‍एक तँ ि‍नर्मलीएमे नौकरी करै छथि‍न। मुदा जीतनक इच्‍छा रहै जे एही चाहक दोकानसँ हम एते केलौं तँए एकरा बन्न केनाइ ठीक नै हएत।
     तीनू सन्‍तानक बि‍आह-दुरागमन भऽ गेलै। जेठका बेटा सुक्कल मुम्‍बइमे मकान खरीद ओतइ बसि‍ गेल। छोटका बेटा दि‍ल्‍लीमे जमीन कीनि‍ आलीसान मकान बनेलक। मुदा जीतनक ऊपर दुखक पहाड़ टूटि‍ पड़ल। पत्नी-जीतनी जीतनकेँ छोड़ि‍ दुनि‍याँसँ चलि‍ गेली। माएक कि‍रि‍याक्रममे दुनू भाँइ गाम आएल छल। माएक मरला पछाति‍ सुकनी बापे संग रहल लगली। सुकनीक दुलहा शंकरजी इलाहाबाद बैंक दरभंगामे नोकरी करै छथि‍। शनि‍ए-शनि‍ राति‍मे ि‍नर्मली अबै छथि‍ आ सोमे-सोम भोरे दरभंगा चलि‍ जाइ छथि‍। सुकनी अपना पि‍ता लग रहि‍ हुनक सेवा-टहल करैत नोकरी करैए।
     पत्नीक मुइला तीि‍नए मास पछाति‍ जीतनकेँ लकबा लपकि‍ लेलक। सुकनी पि‍ताकेँ लेने आर.बी.मेमोरियल नि‍जि‍ अस्‍पतालमे भर्ती करौलक कि‍एक तँ सरकारीमे इलाज बढ़ि‍या जकाँ सभकेँ नै होइ छै। पि‍ताक बि‍मारीक खबरि‍ दुनू भैयाकेँ सुकनी मोबाइलपर देलक। दुनू भाँइक बेस्‍तता तंगी आबए तँ नै देलकै मुदा रूपैआ पठा देलकै आ कहलकै जे बढ़ि‍याँ जकाँ इलाज कराही। सुकनी आ हुनकर दुल्हा शंकरजी छुट्टी लऽ जीतनक देख-रेख करए लगलखि‍न। एक हप्‍ता बाद आरबी मेमोरि‍यलक डाक्‍टर सुकनी आ शंकरजीकेँ कहलखि‍न-
रोगीकेँ आब घरे लऽ जाउ। ई आब कि‍छुए दि‍नक मेहमान छथि‍। घरेपर जेतेक सेवा-टहल हएत करै जेबनि‍।
डाक्‍टर साहैबक बात सुनि‍ सुकनी कानए लगल। शंकरजी अस्‍पतालक बकाया चुक्‍ता कऽ एकटा गाड़ी आनलनि‍। ओइ गाड़ीसँ सभ कि‍यो ि‍नर्मली एला। ि‍नर्मली आबि सुकनी भैया सभकेँ सभ समाचार बता देलक। दरभंगासँ एलाक तेसरे दि‍न भने जीतन दम तोड़ि‍ देलक। सुकनीक कनैत-कनैत आँखि‍ लाल भऽ गेलै। गोपालजी मास्‍टर साहैबकेँ पता लगलनि‍ तँ जि‍गेसामे एलखि‍न। सुकनीकेँ असगरे देखि‍ गोपालजी फोनपर दुनू भाँइकेँ जनतब देलखि‍न। गोपालजी सुक्कलकेँ मोबाइलपर पुछलखि‍न-
लहाशकेँ दाहसंस्‍कार कएल जाए आकि‍ अहाँक एला पछाति‍ कएल जेतै?”
सुकल आ बि‍कल दुनू भाँइ कहलखि‍न-
नै गुरुदेव, जाबे धरि‍ हम दुनू भाँइ नै आबि‍ ताबे धरि‍ हमरा बाबूजीकेँ बरफमे राखल जाए। हम सभ बाबू जीक दर्शन करब तेकर बाद दाह-संस्‍कार करब। हम सभ प्‍लेनसँ पटना आएब आ पटनासँ नि‍जि‍ गाड़ी भाड़ा कऽ ि‍नर्मली आएब।
जीतनक मरलाक तेसर दि‍न दुनू भाँइ अपन-अपन परि‍वारक संग बेलेरो गाड़ीसँ ि‍नर्मली पहुँचल। भैया सभकेँ देखि‍ सुकनी कनैत दुनूक पएरपर गि‍र पड़ल। सुकल-बि‍कल अपना बापक पएरपर माथ रगड़ैत-रगड़ैत कानि‍ कऽ आँखि‍ लाल कऽ लेलक। गोपाल बाबूकेँ खबरि‍ भेल तँ ओहो एला। गोपाल बाबूकेँ देखि‍ते दुनू भाँइ हुनका पएरपर गिर आरो जोर-जोरसँ कानए लगल। गोपाल बाबू दुनू भाँइकेँ चुप हुअए कहलखि‍न-
दाह-संस्‍कारक तैयारी करै जाह।
तुरत्ते लकड़ी-सरर-घी-कपड़ा इत्‍यादि‍ इंजाम भेल। तीलजुगा नदीक कछेरमे जीतनक दाह-संस्‍कार कएल गेल। जेठका बेटा सुकल पि‍ताक मुँहमे आगि‍ देलकनि‍। छोट भाए बि‍कल भोज-भातक इंजाममे लगि‍‍ गेल। सुकनी अपन स्‍कूलसँ छुट्टी लऽ कि‍रि‍याक्रमक सामग्रीक ओरि‍यान करए लगली। नह-केस दि‍न कठि‍यारीबला सबहक लेल सुकनी खीरक भोज केलक। श्राद्ध दि‍न पूरा छजना गामक लोक सभकेँ रसगुल्ला-लालमोहनक भोज ि‍खयाएल गेल।
     आइ संपीण्‍डन अछि‍। प्रात: आठ बजेसँ बारह बजे धरि‍ करम भेल। तेकर बाद पाँचटा ब्राह्मणक भोजन सेहो भेल। आइ ि‍नर्मलीक सेठ-साहुकार आ शि‍क्षक, नेता आ आनो-आन प्रति‍ष्ठि‍त बेकती सभ आमंत्रि‍त छथि‍। बढ़ि‍या जकाँ सभ भोजन केलनि‍ आ दुनू भाँइकेँ जश दइ गेलखि‍न।
जखनि‍ गोपालजी अपना सहयोगीक संग भोजन कऽ कुरसीपर बैसला तखनि‍ दुनू भाँइ सुकल-बि‍कल गोपालजीक पएर छूबि‍ प्रणाम केलकनि‍। गोपालजी असीरवाद दैत कहलखि‍न-
भगवान अहाँ दुनू गोटे जकाँ बेटा सभकेँ देथुन। जे माए-बापक कि‍रि‍या-करम, भोज-भात, सेवा-टहल अहि‍ना करतनि‍। अहाँ दुनू भाँइ जीतन जीक असल बेटा सावि‍त भेलौं।
गोपाल मास्‍टर साहैबक ई गप सुनि‍ सुकल बाजल-
नै गुरुदेव, हम दुनू भाँइ बाबूजीक असल बेटा नै छी। हम सभ बाबूजीक सेवा-टहल कहाँ केलि‍यनि‍। हमरा सबहक हाथक एक गि‍लास पानि‍योँ कहाँ भेटलनि‍ बाबूजीकेँ। असल बेटा तँ हमर बहि‍न सुकनी आ बहनोइ शंकरजी छथि‍न। जे बाबूजीकेँ सेवा-सुश्रुसा केलखि‍न।
बि‍च्‍चेमे बि‍कल बाजल-
हँ सर, भैया ठीके कहै छथि‍न...
दुनू भाँइक आँखि‍सँ दहो-बहो नोर जाए लगल।

¦




जजाति‍

हे भगवान जे हमर खेसारी चरेलक तेकर पूतक मौगति‍ देखबि‍हऽ।
ई कहि मैलामवाली बोम फाड़ि कानए लगली। भोरे-भोर ओ कनबो करथि‍ आ गरि‍येबो करथि‍।
भोरे जखनि मैलामवाली छौर लऽ कऽ खेसारीमे छीटैले खेत गेली तँ समुच्‍चा खेतक खेसारी चरल देखली। देखि‍ते झमा गेली। खेतेसँ कनैत आ गरि‍यबैत गामपर एली। गामोपर अनधुन खाली बेटे लगा-लगा गरि‍याबए लगली। मैलामवालीकेँ कनैत आ गरि‍यबैत देखि‍ सौंसे खतबेटोलीक जनि‍जाति‍ सभ जमा भऽ गेल। ओइमे सँ गामवाली पुछलकनि‍-
ऐ दाइ, की भेलनि‍ जे एना बताह भेल छथि?”
मैलामवाली कनैत बजली-
की कहबह कनि‍याँ, पाँच कट्ठामे खेसारी छेलए, फूल-बति‍यासँ लदल रहए, भि‍नसरबामे नै जानि‍ केकर पूत मरल जे महिंससँ समुच्‍चा खेतक खेसारी चरा लेलक। जखनि‍ भोरमे छौर छीटैले गेलौं तँ देखलौं।
गामवाली बाजलि‍-
जूनि‍ कानथु। भगवान ओही चरलाहा खेतमे पुरा कऽ देतनि‍।
मैलामवाली बाजली-
है कनि‍याँ, देखबहक ने तँ धैरजता नै रहतह। कुट्टी-कुट्टी कऽ समुच्‍चा खेतक खेसारी चरा लेलक।
ई कहि‍ मैलामवाली छाती पीटैत फेर गरि‍याबए लगली।
हे बरहमबाबा, जौं खेसारी चरौनि‍हारक पूत मरत तँ हम तोरा जोड़ा छागर ढोल बजा कऽ चढ़ेबह।
     फूलचन राउतक पत्नी तिलाठवालीकेँ गोबर पाथेले कहए आएल छेली। ओहो मैलामवालीकेँ ढेरि‍यापर जनि‍जाति‍ सबहक भीड़ देखि‍ ससरि‍ कऽ लग जा सभ गप बुझलनि। ओहो मैलामवालीकेँ ढाढ़स बन्‍हैत कहलकनि‍-
आब गरि‍एला आ कनलासँ कोन लाभ हेतनि‍। दि‍नकरबाबापर आशा करथु। वएह सभटा पूर करथि‍न।
     फूलचन राउतकेँ गामक सभ गोटे खलीफा कहै छन्‍हि‍। हुनकर देहो खलीफे जकाँ लगै छन्‍हि‍। पहलमानीओ करै छथि‍। गामक अखराहापर नवतुरि‍या सभकेँ कुश्‍तीओ सि‍खबै छथि‍न। मुदा छथि‍ बड़ मोचण्‍ड। हुनकर उमेर लगधग तीस बरख हएत। पाँच बीघा खेत छन्‍हि‍। जोड़ा बरद आ दूटा महिंस पोसने छथि‍। महिंस अपनेसँ चरबै छथि‍। दुहबो-गारबो अपने करै छथि‍। भोरमे महिंस दूहि‍ एक लोटा काँचे दूध नीत पीबै छथि‍। भि‍नसरबामे दुनू महिंस खोलि‍ पोसर चरबै छथि‍। केकरो मसुरी, केकरो खेसारी तँ केकरो गहुम भि‍नसरबेमे चरा अबै छथि‍। जौं कि‍यो देखबो करै छन्‍हि‍ तँ की मजाल जे हुनका उपराग देथि‍न। गामक लोक प्राय: हुनकासँ डरैत रहैए। मुदा हुनकर पि‍ताजी बनबारी मड़र बड़ नीक लोक। गामक लोक हुनका मड़र कहि‍ आदर करै छन्‍हि‍। बनबारी मड़र अपन बेटाक करतूतसँ बड़ दुखी रहै छथि‍। हरि‍दम फूलचनकेँ समझबैत रहै छथि‍न-
बौआ, बड़ मेहनति‍सँ लोक खेती करैए। केकरो जजाति‍ चरेबहक तँ ओ जे कलपत तँ पड़तह। तँए केकरो जजाति‍ नै चराबी। आ ने केकरो कोनो अपराध करहक। गहुमक भुसी आ बाँसक पत्ताक कुट्टी, बरदकेँ खुआबह। महिंसकेँ भुसी आ खेसारीक चुन्नी दहक। अहीमे बर्रकत्ति‍ हेतह।
मुदा फूलचन खलीफाकेँ पि‍ताक बातक कोनो असरि‍ नै। आइओ भि‍नसरबामे मैलामवालीक खेसारी चरा अनलक।
     मैलामवालीक घरबला पंचू दि‍ल्‍लीमे नोकरी करैत। अगहन आ अखार मासमे गाममे रहि‍ खेती-वाड़ी करैए आ आन मासमे दि‍ल्‍लीएमे काज करैए। कि‍एक तँ पंचूकेँ मात्र एक्के बीघा खेत आ पाँच गोरेक आश्रम। एक बीघा खेतसँ परि‍वार चलब मोसकि‍ल तँए दि‍ल्‍लीमे नोकरी सेहो करैत।
     फूलचन खलीफा जखनि‍ जलखै करैले अँगना एला तँ पत्नी-ति‍लाठवाली कहलकनि‍-
हे सुनै छै?”
फूलचन बजला-
की कहै छै?”
मैलामवाली बड़ गरि‍यबै छलि। कहै छेलै सभटा खेसारी चरा लेलक गऽ। खाली बेटे लगा-लगा गरि‍यबै छलि‍। ई ने तँ ओकर खेसारी भि‍नसरबामे चरा अनलक गऽ?”
बेटा लगा-लगा गरि‍याबैत छेलै? ठीक छै। गारि‍सँ हमरा बेटाकेँ कि‍छु ने हएत। गारि‍ देने कि‍छु ने होइ छै। लोक अपना मनकेँ बुझबैए।
हे, हमरा गाइरि‍‍क बड़ डर होइए। हम देखलि‍ऐ मैलामवालीकेँ छाती पीटैत आ कानि‍-कानि‍ खूम गरि‍यबैत। से हमरा नै नीक लगल। भगवान गौनाक दस बरख पछाति‍ एगो बेटा देलनि‍। जौं ओकरा कि‍छु भऽ जाएत तँ एतेक धन कि‍ हएत। एकरा बेर-बेर कहै छि‍ऐ जे केकरो जजाति‍ नै चराबौ।
ई गप होइते छल ताबेतमे फूलचन खलीफाक पि‍ता-बनबारी मड़र जलखै करैले आँगना एला। सभ बात बूझि‍ बजला-
बौआ, बहुरि‍या नि‍के ने कहै छह। हम तोरा बेर-बेर बुझबै छि‍अह। मुदा तूँ हमर गपक कोनो मानि‍ए ने दइ छहक।
फूलचन बजला-
मैलामवाली बड़ गरि‍यबै छेलै तँ ओकर फल ओ अपने भोगि‍ लेत। ओकरा हम हक्कनी नोर नै कनाए देलि‍ऐ तँ हमर नाम फूलचन नै काँटचन। अहाँ सभ जूनि‍ चि‍न्‍ता करू। हमरा बेटाकेँ कुशप कलेप नै लगतै।
     फूलचन खलीफा आ ति‍लाठवालीक दुरागमनक दस बर्खक पछाति‍ एकटा बेटा भेल। जेकर उमेर छह मास अछि‍। ऐ दस बर्खक बीच दुनू परानी कोन-कोन गहबर आ कोन-कोन डाक्‍टर लग ने गेल। राति‍मे फूलचन मैलामवालीक खेतसँ दू कट्ठाक मसुरी उखाड़ि‍ अनलक आ राति‍एमे बरद आ महिंसकेँ खुआ लेलक। जखनि‍ राति‍मे मसुरी बाेझ लऽ कऽ आएल तँ हुनकर बाबूजी जगले रहथि‍न। कहलखि‍न-
बौआ, एहेन काज कि‍अए करै छह। ई नीक गप नै।
फूलचन बापकेँ डँटैत बजला-
तों चूप रहऽ। मैलामवालीक खेतमे कोनो जजाति‍ नै रहए देबै। नै देखलक जे भोरे-भोरे बेटा लगा-लगा गरि‍यौने रहए।
भोरमे मैलामवाली जखनि‍ दुनू कट्ठाक मसुरी उखारड़ल देखलक तँ ओ फेर गरि‍यौनाइ शुरू केलक। मसुरी उखरनि‍हारक बेटाकेँ सरापए लगल।
बनबारी मड़र सोचलक जे आब कोनो उपए करक चाही। नै तँ फूलचनमाक आदति‍मे सुधार नै हएत।
फूलचन खलीफा बेरू पहर ताड़ी पीबैले नरहि‍या गेला तही बीच मड़र ति‍लाठवालीसँ वि‍चार केलक।
बनबारी मड़र ति‍लाठवालीकेँ कहलक-
राति‍मे, अपन कनचनमाबला खेतसँ एक बोझ बदाम उखाड़ि‍ आनब आ बरद-महिंसकेँ खुआ देब। जखनि‍ फूलचनमा भोरमे खेत देखत तखनि‍ ओकरा जजाति‍क नोकसानक मरम बुझेतै। कहबै नै से धि‍यान रखब।
ति‍लाठवाली कहलक-
हमहूँ साँझखि‍न ओछाइन पकड़ि‍ लेब। जखनि‍ खलीफा ताड़ी पीब कऽ नरहि‍यासँ औत तखनि‍ बौआक बेरामक बहन्ना करब। कहबै जे बौआ दुखि‍त भऽ गेल अछि‍। अही बहन्नासँ खलीफाकेँ बुझाएब।
मड़र बजला-
ठीक वि‍चार केलह हेन।
राति‍मे जखनि‍ फूलचन ताड़ी पीब नि‍साँमे बुत्त भऽ माँछ नेने अँगना आएल तँ ति‍लाठवालीकेँ हाक देलक। मुदा ति‍लाठवाली घरसँ नै नि‍कलल आ ने कि‍छु बजबै कएल। तीन-चारि‍ हाक सुनला पछाति‍ ति‍लाठवाली घरेसँ बाजलि‍-
की कहै छै। बौआक बड़ मन खराप छै। माइर चि‍चि‍आइ छेलै। कखनो मुँह सापुटे ने लइ छै। चारि‍ बेर उन्‍टीओ भेलै गऽ। दूधो ने धड़ै छेलै। केतेक गोसाँइ-पीतरकेँ कबुला केलि‍ऐ गऽ तखनि‍ जा कऽ अखनि‍ सूलत गऽ। लोकक हहंकाल पड़ि‍ रहल गऽ। एकरा बेर-बेर कहै छि‍ऐ जे केकरो जजाति‍ नै वि‍द्दत करौ, केकरो कोनो अपराध नै करौ मुदा हमर के सुनै छै।
पत्नीक बात सुनि‍ फूलचनक नि‍साँ फाटि‍ गेल। माँछक झोरा टाटमे टांगि‍ घर गेल आ बेटाकेँ देखलक।
ति‍लाठवाली फेर बाजलि‍-
बड़ी काल तक कनै छलए। अखने सूतल गऽ ई बाहर जाउ। बि‍नु हाथ-पएर धोने बच्‍चा लग आबि‍ गेलै।
फूलचन बजला-
एक कि‍लो भाकूर माँछ अनने छी। माँछकेँ की करब। जौं राति‍मे नै तरब तँ मोहकि‍ जाएत।
ति‍लाठवाली बाजलि‍-
ताबे ई फाँसूल लऽ कऽ माँछ बनौत। बौआ जखनि‍ नीक जकाँति‍ सूति‍ रहत तखनि‍ हम आबि‍ कऽ भानस करब।
     फूलचन अपनेसँ माँछ बनबए लगल। राति‍मे खेनाइ अबेरसँ बनल। खाति‍-पीबैत अधरति‍या भऽ गेल। आइ फूलचन भि‍नसरबामे महिंस पोसर चरबैले नै गेल। कि‍एक तँ अबेर सुतने नीने ने टुटलनि‍।
     भोरमे जखनि‍ ओ पोखरि‍ दि‍स जाइत रहथि‍ तँ अपना खेतमे लगधग दस धूर बदाम उखाड़ल देखलनि‍। देखि‍ते सौंसे देहमे जेना आगि‍ नेस देलकनि‍। बताह भेल गामपर आबि‍ अन्‍ट-सन्‍ट बजए लगला-
केकरा होसपीटल जाइक मन भेलैए जे हमर बदाम उखाड़ि‍ अनलक। जौं कनि‍को पता चलि‍ जाएत तँ ओकरा अधमौगति‍ कऽ होसपीटल पठा देब। गाममे आब केकरो बदाम नै रहब देब। सबहक बदाम उखाड़ि‍-उखाड़ि‍ बरद-महिंसकेँ खुआ देब।
दलानपर घरबलाकेँ बताह भेल देखि‍ ति‍लाठवाली अँगनासँ डेढ़ि‍यापर आबि‍ घरबलासँ पुछलक-
मर, की भेलै गऽ जे एना बताह भेल छै?”
फूलचन बजला-
अपना खेतसँ दू कट्ठा बदाम उखाड़ि‍ कि‍यो लऽ अनलक। हम आब केकरो रवि‍-राइ नै रहए देब। सभटा उखाड़ि‍ आनि‍ माल-जालकेँ खुआ देब।
ति‍लाठवाली बाजलि‍-
एहेन काज फेर जूनि‍ करह। राति‍मे केतेक देवता-पि‍तरकेँ कबुला केलौं तब जा कऽ बौआ नीक भेल। हम धरमराज बाबाकेँ कहलि‍ऐ- जौं हमरा बौआक मन नीक भऽ जाएत तँ फेर खलीफा केकरो कोनो अपराध नै करत।
बेटा नामपर फूलचन कि‍छु शान्‍त भेल। शान्‍त भेल देखि‍ ति‍लाठवाली बाजलि‍-
बदाम उखाड़ि‍ लेलकै तँ की हेतै। भगवान हमरा ओहीमे पूरा कऽ देथि‍न। अहाँ महिंस दूहू चाह बना दइ छी।
ताबेतमे बुरहा बनबारी मड़र पहुँच पुछलखि‍न-
बौआ, कि‍अए हल्‍ला करै छेलहक? हम तोहर हल्‍ला सुनि‍ ि‍बनु कुर्रा केने पोखरि‍क घाटपर सँ दौगल एलौं हेन।
फूलचन बजला-
बाउ हौ, राति‍मे कि‍यो अपना कंचनमाबला खेतसँ दू कट्ठा बदाम उखाड़ि‍ लेलक। तँए जोर-जोरसँ हल्‍ला करै छेलि‍ऐ।
अच्‍छा, पहि‍ने महिंस दूहऽ अबेर भऽ गेल। चाहो पीअब।
ससुरक गप सुनि‍ ति‍लाठवाली बि‍च्‍चेमे बाजलि‍-
बाबू, यएह एकरा समझाबथुन। लोकक हहंकाल पड़ै छै। राति‍मे बौआक मन खराप भऽ गेल छेलै। केतेक काल देव-धरमकेँ सुमरलौं तब बौआ नीक भेल। गौनाक दस बर्खक पछाति‍ धरमराजबाबा एकटा बेटा देलथि‍। गामक लोक बझि‍बा-बझि‍नि‍याँ कहै छेलए। आब जे केकरो ई केकरो कोनो अपराध करत तँ हम बौआ लऽ नैहरा चलि‍ जाएब। अपन बरद आ महिंसकेँ आनक जजाति‍ उखाड़ि‍-उखाड़ि‍ खुआबैत रहत।
बनबारी मड़र फूलचनकेँ कहलखि‍न-
बौआ, बहुरि‍या नीके कहै छह। केकरो जजाति‍ नै वि‍द्दत करहक। जजाति‍ लगबैमे बड़ मेहनति‍ लगै छै। देखहक तँ तोहर बदाम उखाड़ि‍ लेने तोरा केहेन समुच्‍चा देहमे आगि‍ नेसने छह। तहि‍ना तँ आनो गोटेकेँ होइत हएत ने। तोँ केतेक गोटेकेँ खेसारी पोसर खोलि‍ चरबै छह। केतेक गोटेकेँ मसुरी आ बदाम उखाड़ि‍ बरद-महिंसकेँ खुआ दइ छहक। जेहने अपन जजाति‍ तेहने ने अनको। जहि‍ना तोरा आइ कठ होइ छह तहि‍ना ने आनोकेँ होइत हएत।
फूलचनक भक्क खूजि‍ गेल। पि‍ताक पएर छूबि‍ सप्‍पत खेलक। जे आइ दि‍नसँ हम ने केकरो जजाति‍ वि‍द्दत करब आ ने कोनो अपराध।

¦




पोलिथिन

कमलक बेटीक बि‍आह छल। लड़काबलाक कहब छेलै जे खेनाइमे माँछ-भात हेबाक चाही। हम सभ डलडाबला पुरी आ सागरक दूधक बनल मि‍ठाइ नै खाएब। हमरो कमल बि‍आहक काड देने छल तँए हमहूँ बरि‍यातीक स्‍वागत लेल पहुँचल छेलौं। बारह बजे राति‍ बरि‍याती आएल। बारहअना बरि‍याती नि‍साँमे बुत्त रहए। जवान सबहक गप कि‍ कही जे बुढ़बो सभ डीजेक धूनपर नचैत रहथि‍। हम कमलकेँ कहलि‍ऐ-
हौ कमल, बारहअना बरि‍याती पीने छह तँए जल्‍दी-जल्‍दी वि‍धि‍-बेवहार ससारने चलह।
कमल कहलक-
से तँ ठीके कहै छि‍ऐ।
हम कहललि‍ऐ-
सभ बरि‍यातीकेँ पंडालमे बैसाबह। आ चाह-नस्‍ता कराबह। तेकर पछाति‍ वि‍धि‍-बेवहारक काज शुरू करबि‍हऽ।
कमल अपन भाति‍ज ि‍वनोदकेँ बजा कहलक-
मैकसँ सभ बरि‍यातीकेँ पंडालमे बैसैक आग्रह करही।
मैकसँ कतेको बेर आग्रहक पछाति‍ओ अदहा बरि‍याती डीजेक धूनपर नचि‍ते रहल। हारि‍ कऽ जे बरि‍याती पंडालमे बैसल छल ति‍नका सभकेँ नास्‍ता देल गेल। दुल्‍हाक पि‍ताजीकेँ कहल गेल जे राति‍ बेसी भऽ गेल अछि‍ तँए डीजेकेँ बन्न कऽ चाह-नास्‍ता करै जाउ। तेकर पछाति‍ वि‍धि‍-बेवहारक काज हएत। लड़काबला केतेक नि‍होरा-वि‍नती केलक तखनि‍ जा कऽ डीजे बन्न भेल आ बरि‍याती सभ चाह-नास्‍ता लेल पंडालमे बैसल। युवक सभकेँ आश्वासन देल गेल जे चाह-नास्‍ताक पछाति‍ अहाँ सभ डीजे बाजाक आनन्‍द लेब। सएह भेल। नवयुवक बरि‍याती सभ डीजे बाजा चालू करा फेरो नाचए लगल। घरवारी आ बरि‍यातीक बूढ़-बुजुर्ग वि‍धि‍-बेवहारक काजमे लगि‍‍ गेल। मड़बा लग बर-कनि‍याँक ति‍लक पछाति‍ दुर्वाक्षत भेल। बरकेँ बि‍आह करैले छोड़ि‍ बरि‍याती सभ जनवासामे आएल। हम कमलकेँ बजा कहलि‍ऐ-
जल्‍दी-जल्‍दी पंडालमे टेबुल सेट कऽ बरि‍यातीकेँ भोजन लेल बैसाबह।
सएह भेल। पंडालमे बरि‍याती सभ आबि‍ बैसला। डीजे बन्न भेल। बरि‍याती सभ अपन-अपन ग्रुपमे बैसला। सबहक आगू पलेट आ गि‍लास देल गेल। माँछ-भातक संग सलादक सेहो बेवस्‍था छल। जखनि‍ भोजन शुरू भेल तँ कमल हमरोसँ भोजनक आग्रह केलक। हम कहलि‍ऐ-
बरि‍यातीक पछाति‍ हम खेनाइ खाएब।
कमल हमरासँ फेर आग्रह केलनि‍-
तखनि‍ पंडालमे भोजनक बेवस्‍था देखि‍यौ। कोनो टेबुलपर कोनो चीजक अभाव नै हेबाक चाही।
हम पंडालमे गेलौं तँ देखै छी जे लगधग अदहा बरि‍याती पोलि‍थि‍नसँ दारू गि‍लासमे लऽ लऽ पीब रहल छथि‍। कि‍छु बरि‍याती अंग्रेजी दारूक बोतल सेहो खोलने छथि‍। कि‍छुए बरि‍याती छला जे खाली भोजनेटा कऽ रहल छला। देखि‍ कऽ हम छगुन्‍तामे पड़ि‍ गेलौं। पोलि‍थि‍नमे देशी दारू रहैए जेकर गंध हमरा बरदास नै भेल। हम पंडालसँ बाहर भऽ गेलौं।
     बरि‍यातीक भोजन पछाति‍ सर-कुटुम आ गौआँ-घरुआकेँ भोजनक लेल बैसौल गेल। ओहूमे देखै छी जे अदहासँ बेसी लोक पोलि‍थि‍न आ अंग्रेजी दारू भोजनक संग पीब रहल छथि‍। हम एकबेर फेर छगुन्‍तामे पड़ि‍ गेलौं। कमलकेँ कहलि‍ऐ-
हौ कमल, बेसी लोक पीआके भऽ गेल अछि‍।
ओ बाजल-
यौ नन्‍द भायजी, पानि‍ उघैबलासँ लऽ कऽ मड़बा सजबैबला आ रसोइआ सभकेँ बूझू घूसमे पोलि‍थि‍न देबए पड़ल अछि‍। बि‍ना दारूक कोनो काजे नै हएत। पिछला साल मैलाममे एकटा भोज छल। हमर पि‍ति‍या ससूर मरि‍ गेल रहथि‍न। ओहू भोजमे देखलि‍ऐ जे पानि‍ उघैबलासँ लऽ कऽ रसोइआ तककेँ घरवारी पोलि‍थि‍न आनि‍-आनि‍ दइ छेलखि‍न। यौ भाय, आब तँ बि‍नु दारूक कोनो काजे ने ससरैए।
हम कहलि‍ऐ-
हम रूपैआ दऽ देबै मुदा पोलि‍थि‍न वा कोनो दारूक बोतल नै देबै। चाहै हमर काज हुअए अथबा नै हुअए।
कमल बाजल-
जखनि‍ बेर पड़त तखनि‍ बुझबै।
     काति‍क मासक समए। सभ गोटे अपन-अपन वाड़ी-झाड़ीमे तीमन-तरकारी रौपैमे बेस्‍त। हमरो कट्ठा दुइएक भीठ खेत। ओइ कोलामे सभ साल अल्‍लू रोपै छी। एमकीओ भीखनासँ हर मोल लऽ खेत जोता तैयार करेलौं। कि‍एक तँ अपना हर-बरद नै। बरद रखबो करब तँ जोतत के। अपना हर जोतैक लूड़ि‍ नै। दि‍ल्‍ली-पंजाब खुजबाक कारणे हरबाहा भेटब मोसकि‍ल। तँए सभ खेती-गि‍रहस्‍तीक काज टेकटरेसँ होइए। टेकटरबलाकेँ अगुरबारे रूपैआ दऽ अबै छी आ ओ समैपर आबि‍ खेत जोति‍ दइए। मुदा अखनि‍ खेत सभमे धानक फसि‍ल लगल अछि‍। तँए अखनि‍ टेकटरकेँ जाएब मोसकि‍ल। तही दुआरे भीखनासँ हर मोल लऽ अल्‍लूक खेत तैयार करेलौं। घोघरडीहा बजारसँ साइकि‍लपर अल्‍लूक बीआ आ खादो कीनि‍ अनलौं। आब समस्‍या अछि‍। जे रोपत के। बीआ आ खाद तँ अपनो गि‍रा लेब। मुदा कोदारि‍सँ दन के काटत? अपना जौं काटब तखनि‍ तँ पएरे कटि‍ जाएत। पछि‍ला साल सएह ने भेल रहए। जोशमे आबि‍ अपने वि‍दा भेल रही दन कटैले आ पत्नीकेँ खाद आ बि‍आ गि‍रबैले लऽ गेल रही। कोदारि‍सँ दू दन काटि‍ कऽ अल्‍लू तँ रोपलौं मुदा तेसर दनमे तेहन ने पएर कटाएल जे लोक सभ टाँगि‍ कऽ गामपर अनलक। दू सएसँ बेसी रूपैआ दबाइमे लगल आ एक पनरहि‍या चलल-फि‍रल नै भेल।
     राति‍मे खाइतकाल पत्नी बजली-
अल्‍लू पचता भऽ रहल अछि‍। पचता अल्‍लूमे झुल्‍सा पकड़त। लत्ती गलि‍ जाएत आ अल्‍लू कि‍छु ने हएत। केकरो पकड़ि‍ अल्‍लू रोपा लि‍अ।
हम कहलि‍ऐ-
से तँ ठीके कहै छि‍ऐ।
भोरे हम भीखना लग गेलौं आ कहलि‍ऐ-
आइ हमर अल्‍लू रोपि‍ दए।
भीखना बाजल-
हमरा एक्को पलक छुट्टी नै अछि‍। हमरा तँ हरे जोतैसँ छुट्टी नै रहैए। दू सए टाकामे हर बेचै छी। अखने तँ समए अछि‍ जे कि‍छु कमा लेब। जखनि‍ धान कटि‍ जाएत आ खेत खाली भऽ जाएत तब सभ गोटे टेकटरेसँ हर जोताएत। अखनि‍ तँ टेकटर जाइक बाटे नै छै। तँए लोक वाड़ी-झाड़ी करैले हर मोल लइए।
भीखनाक गप सुनि‍ ओतएसँ हम बितबा लग गेलौं ओकरो अल्‍लू रोपैक आग्रह केलि‍ऐ। बितबा कहलक-
हम अपने फि‍रि‍सान छी। मंगली माए नैहर चलि‍ गेल। ओकरा माएकेँ लकबा मारि‍ देलकै। हमरा माल-जाल सभकेँ देखए पड़ैए आ भानसो अपने करए पड़ैए। कि‍एक तँ बेटी जे मंगली अछि‍ ओ पढ़ैले इसकूल चलि‍ जाइए। बूझू अखनि‍ सभ काज अपने करए पड़ैए।
हम कहलि‍ऐ-
हौ, आब अल्‍लू पचता भऽ रहल अछि‍। अपनासँ दन काटले ने हएत।
तब बितबा कहलक-
यौ गि‍रहत, भीलबा लग चलि‍ जाउ। ओकरा बैसले देखै छि‍ऐ। चारि‍म दि‍न पंचाबसँ ऐबे कएल अछि‍।
भीलबा लग गेलौं। ओ मोबाइलमे गीत सुनै छल। हमरा देखते टोकलक-
गि‍रहत गोर लगै छी।
हम कहलि‍ऐ-
नीक्‍के रहऽ। कहि‍या गाम एलहक?”
भीलबा बाजल-
चारि‍म दि‍न एलौंहेँ। केम्‍हर-केम्‍हर आएल छेलि‍ऐ गि‍रहत?”
हम कहलि‍ऐ-
हौ, हमरा अल्‍लू रोपेबाक अछि‍। तँए तोरे लग एलि‍अहेँ। कनी आइ हमर बेगरता सम्‍हारि‍ दैह।
तखनि‍ भीलबा कहलक-
हमर तबि‍यत ठीक नै अछि‍। हमरा सक्क नै हएत।
हम कहलिऐ-
हौ भीलाइ तोरा लग बड़ आशासँ आएल छेलौं। आइएटा हमर काज सम्‍हारि‍ दैह।
ताबेतमे भीलबाक माए अँगनासँ नि‍कलल। ओ भीलबासँ कहलक-
जो गि‍रहतकेँ अल्‍लू रोपि‍ दही गऽ। गि‍रहतक हमरापर बड़ उपकार छै। बैसाखमे अपन बकरी लालबाबूकेँ खेरही चरि‍ नेने रहै तँ ओ बकरी बान्‍हि‍ नेने रहए। हमरा पता लगल तँ लालबाबू लग गेल रही मुदा ओ बकरी नै देलक। कहलक, बकरी सरपंच ओइठाम दऽ अबै छी ओतेसँ लऽ जाएब। इहए गि‍रहत लालबाबूकेँ बुझा अपन बकरी दि‍यौलक। जाही हि‍नकर काज कऽ दही गऽ।
भीलबा बाजल-
गि‍रहत, अहाँक अल्‍लू रोपि‍ देब। मुदा बोइनक ऊपरसँ कि‍छु आरो खरचा करए पड़त।
हम पुछलि‍ऐ-
की खर्च लेबहक? चाह-पान लऽ कि‍छु अलगसँ दऽ देबह।
भीलबा बाजल-
से नै हएत। बोइनक अलाबे एकटा पोलि‍थि‍न देबए पड़त।
हमरा कमलक गप मन पड़ि‍ गेल। मुदा की करब। अल्‍लू पचता भऽ रहल छल। हम सोचमे पड़ि‍ गलौं जौं एकरा पोलि‍थि‍न गछि‍ लइ छी तँ अपन सि‍द्धान्‍तक वि‍परीत काज हएत।
बि‍च्‍चेमे भीलबा टोकलक-
गि‍रहत, बीस टाका तँ अलगसँ खर्च करए पड़त मुदा अल्‍लू तँ रोपा जाएत।
हम कहलि‍ऐ-
हौ बाउ, बात बीस टाकाक नै छै। हम दारू पीनाइकेँ नीक नै बुझै छी। हम तोरा मि‍ठाइ खाइले पच्‍चीस टाका दऽ देबह मुदा पोलि‍थि‍न नै देबह।
भीलबाक माए सभ गप सुनैत, ओ बजली-
जो, गि‍रहतक अल्‍लू रोपि‍ दहि‍न गऽ बोइनक अलाबे कि‍छु नै मांगही। ठीके कहै छथुन ई सभ नै पी।
भीलबा हमरा संगे वि‍दा भऽ गेल।

¦




नि‍वास प्रमाणपत्र
बाल वि‍कास वि‍भागमे कि‍रानी आ चपरासी लेल वि‍ज्ञापन नि‍कलल छल। आवेदन पत्रक संग शैक्षणि‍क योग्‍यता प्रमाण पत्रक अभि‍प्रमाणि‍त छायाप्रति‍ आ नि‍वास प्रमाण पत्रक अभि‍प्रमाणि‍त छायाप्रति‍ देनाइ अनि‍वार्य छल। आरक्षणक लाभ लेल जाति‍ प्रमाण पत्र देनाइ सेहो अनि‍वार्य छल। नै तँ आवेदने रद्द।
     हमरा नि‍वास प्रमाण पत्र नै छल। प्रखण्‍ड कार्यलय गेलौं। ओतए पता चलल जे कोनो प्रमाण पत्र लेल ऑनलाइन आवेदन कएल जाइ छै। एकटा कठघारामे जा फोटो स्‍टेट करैबलासँ नि‍वास प्रमाण पत्रक फार्म कीनि‍लौं। खाली स्‍थानक पूर्ति कऽ लाइनमे लगि‍‍ गेलौं। पता चलल तीन बजे धरि‍ आवेदन लेल जेतै। दू बजैत रहए। हमरा आगूमे लगधग चालि‍स गोटे लाइनमे छल। हमरा पारी अबैसँ पहि‍ने तीन बजि‍ गेल। कि‍रानी, जे आवेदन लइ छला, कहलनि‍-
टेम ओभर, टेम ओभर। अहाँ सभ काल्हि‍ आउ।
कि‍रानीक बात सुनि‍ साइकि‍ल लग जा ताला खोलि‍ वि‍दा भेलौं। रस्‍तामे सोचैत रही जे काल्हि‍ दसे बजे आबि‍ लाइनमे लगि‍ जाएब।
     दोसर दि‍न नअ बजे घरसँ वि‍दा भेलौं जे घंटा भरि‍ लगत पहुँच जाएब। नरहि‍या बजारमे साइकि‍लमे हवा दि‍या वि‍दा भेलौं। बैशाख मासक समए रहए। साइकि‍लक पछि‍ला टाएर कमजोर छल। फुलपराससँ आगू बढ़लौं आकि‍ धरामक अवाज भेल। देखलौं तँ साइकि‍लक पछि‍ला चक्काक टाएर-ट्यूब फाटि‍ गेल छल। स्‍थि‍ति‍ से छल जे बि‍नु बदलने गुनजाइश नै। जेबीमे मात्र पचासी टाका रहए। जखनि‍ कि‍ तीन सएक जरूरति‍ छल। साइकि‍ल गुरकौने बेलहा-बथनाहा चौक तक एलौं। एकटा चि‍न्‍हारए मि‍स्‍त्री लग गेलौं आ कहलि‍यनि अपन दुखरा। मुदा हुनका लग टाएर-ट्यूब नै रहनि‍। तँ कहलि‍यनि‍-
हम काल्हि‍ टाएर-ट्यूब लऽ कऽ आएब। ताबए साइकि‍ल राखू।
मि‍स्‍त्री बजला-
ठीक छै। काल्हि‍ दसे बजे तक आबि‍ जाएब। नै तँ साइकि‍लक जवाबदेही हमरा ऊपर नै। कि‍एक तँ भीड़ बढ़ने तनदेही घटि‍ जाइ छै।
हम बेलहा-बथनाहा चौकसँ पएरे घोघरडीहा दि‍स वि‍दा भेलौं। एगारह बजे प्रखण्‍ड कार्यलय पहुँच लानि‍मे लगि‍ गेलौं। हमरासँ आगू करीब पनरह गोटे छल। बुझाएल डेढ़ बजेसँ पहि‍ने कागत जमा भऽ जाएत। आब हमरासँ आगू मात्र दू गोटे छल। मन तनफनाइत रहए जे आब कागत मांगत तब कागत मांगत। अगि‍ला बेकती बजलै-
ले बलैया, जेनरेटरे खराप भऽ गेलै। कखनि‍ ठीक हएत कखनि‍ नै।
यौ भाय, की भऽ गेलै?” हम पुछलि‍ऐ।
ओ बजला-
देखै नै छि‍ऐ जेनरेटर बन्न भऽ गेलैए। बि‍ना बि‍जलीक कम्‍प्‍यूटर केना चलत। बि‍नु कम्‍प्‍यूटर चलने ऑनलाइन केना होएत।
दू-तीन गोटे हमरासँ पाछू ठाढ़ छल। ओ सभ जेनरेटर लग गेल। ऑपरेटर साहैब मशीन खोलि‍ रहल छला। दस मि‍नट पछाति‍ एक गोटे आबि‍ बाजल-
ऑपरेटरक कहब छै, बि‍ना मि‍स्‍त्रीसँ ठीक नै होइबला छै। आइ आवेदन जमा भेनाइ असंभव।
हमहूँ जेनरेटर लग पहुँच ऑपरेटरसँ पुछलि‍यनि‍-
की यौ बाबू साहैब, कखनि‍ तक मशीन ठीक हेबाक संभावना अछि‍?”
बजला-
आइ तँ कोनो असे ने करू। मि‍स्‍त्री जखनि‍ अबए मुदा साँझ तक मशीन ठीक हएत कौल्हका आशा करू।
हम ओतएसँ ट्रेन पकड़ैले स्‍टेशन दि‍स चललौं। स्‍टेशनपर एलौं तँ पता चलल जे पाँच बजे तक ट्रेन आएत। समए करीब तीन बजैत रहए। अखनि‍ दू घंटा गाड़ी अबैमे देरी अछि‍। सोचलौं कि‍एक ने टेम्‍पू पकड़ि‍ फुलपरास चलि‍ जाइ आ ओतएसँ दोसर टेम्‍पू पकड़ि‍ नरहि‍या चलि‍ जाएब। नरहि‍यासँ पएरे गाम जाइमे अदहा घंटा लगै छै। भाड़ा जोड़लौं तँ पचीस टाकाक खर्च छल। पचीस टाका खर्च केला बादो अदहा घंटा पएरे चलैइए पड़त। ओना ट्रेनसँ गेने परसा हॉल्‍ट उतरब। टि‍कटक कोनो दरकारे नै। परसासँ सबा घंटा गाम जाइमे लगत। नजरि‍पर आएल पैतालीस मि‍नट बेसी चलए पड़त मुदा पचीस टाकाक बँचत हएत। दस रूपैआक चाहे-पान खा लेब तैयो पनरहक नफ्फा। सएह केलौं। चाह-पान खा मुसाफि‍र खानाक विरिंचपर आबि‍ बैस गेलौं। एकटा मुसाफि‍र हि‍न्‍दुस्‍तान पेपर पढ़ै छल। हम हुनकेसँ पेपर मांगि‍ पढ़ए लगलौं। रहि‍-रहि‍ कऽ मोबाइलमे समए देखी। जखनि‍ साढ़े चारि‍ बजल तब स्‍टेशन मास्‍टरसँ गाड़ीक सूर-पता पुछलौं। कहलनि‍-
दू घंटा लेट अछि‍। सात बजेसँ पहि‍ने अबैक कोनो चान्‍स नै।
सुनि‍ते झमा गेलौं। सस्‍ता महग पड़ि‍ रहल छल। साढ़े सात बजे परसा हॉल्‍टपर उतरलौं। ट्रेनसँ उतरि‍ गांधी चौक बसुआरी एलौं तँ आगूमे पाँतर छेलै तँए कोनो संगी मि‍लि‍ जाएत तँ ठीक रहतै। ताकए लगलौं। एक गोटे मि‍लला। हुनको जेबाक रहनि‍ आगू। दुनू गोटे चाह पीब संगे-संग वि‍दा भेलौं। भपटि‍याही दुर्गा स्‍थान तक ओ संग रहला। दुर्गा स्‍थानमे भजन-कीर्तन होइत रहै ओ ओहीठाम रूकि‍ गेला। हम मोबाइलक रोशनीमे आगू बढ़ैत गेलौं। नअ बजे राति‍मे घर पहुँचलौं। घरपर पत्नी आ धि‍या-पुता चि‍न्‍ति‍त रहथि‍। पत्नीकेँ पूरा दि‍नक घटना सुना देलि‍यनि‍।
     दोसर दि‍न भोरे पत्नीसँ तीन सए रूपैआ केकरोसँ पैंच मांगि‍ कऽ लाबए कहलि‍यनि‍ जे साइकि‍लक टाएर-ट्यूब बदलए पड़त। अदहा घंटा पछाति‍ पत्नी आबि‍ कहली-
कि‍यो रूपैआ नै देलक।
आब केना हएत। साइकि‍ल बेलहा चौकपर पड़ल अछि‍।
चुप देखि‍ पत्नी बजली-
तीन सए टाकाक गहुमे दोकानमे बेचि‍ लि‍अ आ चलि‍ जाउ।
पुछलि‍यनि‍-
कि‍ दर चलै छै।
खुदरा नअ सारहे नअ रूपैए लइ छै।
ि‍नरमली-घोघरडीहामे तँ एगारह टके लइ छै?”
पत्नीकेँ हमर बात जेना कान धरि‍ नै गेलनि‍। कि‍छु ने बजली। हमहूँ सोचए लगलौं, साइकि‍लो खरापे अछि‍। ओकरे मरम्मति‍ खाति‍र तँ रूपैआक बेगरता अछि‍। तखनि‍ बाहर केना आ कथीपर भाड़ी लऽ जाएब...। भक्क खूजल।
हम तीस कि‍लो गहुम लऽ दोकान गेलौं। दस टके बेचि‍ तीन सए टाका लऽ घर एलौं। पत्नी खि‍चड़ी आ अल्‍लूक सन्ना बनेने छेली। जल्‍दीए खेनाइ खा ट्रेन पकड़ैले परसा हॉल्‍ट वि‍दा भेलौं। ट्रेन पकड़ि‍ घोघरडीहा एलौं। साइकि‍लक टाएर-ट्यूब कीनि‍ बेलहा-बथनाहा चौक दि‍स वि‍दा भेलौं। लगधग एक बजे चौकपर पहुँचलौं। मि‍स्‍त्रीकेँ दोकानपर नै देखने पता केलौं। पानबला कहलक-
साइकि‍लसँ भोजन करए बथनाहा गेल अछि‍।
मि‍स्‍त्रीकेँ धर बथनहे छै सेहो बुझलि‍ऐ। दू बजे मि‍स्‍त्री एला। हमरा देखि‍ते पुछलनि‍-
कहाँ अछि‍ टाएर-ट्यूब। लाउ पहि‍ने अहींक काज कऽ दइ छी।
पनरह मि‍नटमे ओ साइकि‍ल ठीक कऽ दऽ देलक। दस टका फिंटिंग चार्ज दऽ हम साइकि‍ल लऽ वि‍दा भेलौं। भरि‍ रस्‍ता एतबे सोचै रही जे हमर नि‍वास प्रमाण पत्र केना बनत। अखनि‍ धरि‍ आवेदनो जमा नै भेल अछि‍। सोचलौं काल्हि‍ भोरे जलखै कऽ आठे बजे ब्‍लौक दि‍स वि‍दा भऽ जाएब। भि‍नसर भने चारि‍टा सोहारी आ अल्‍लूक भूजीआ लऽ वि‍दा भऽ जाएब। सएह केलौं। दोसर दि‍न हम नअ बजै ब्‍लौक पहुँचलौं। ब्‍लौक ताबए बन्ने छल। सोचलौं जे आइ सभसँ आगाँ रहब। सभसँ पहि‍ने हमरे कागत जमा हएत। खेनाइ खाइबेर गामेमे रहब। जलखै तँ संगमे अइछे। नअसँ-साढ़े-दस बजल। मुदा आॅफि‍सक गेंटक ताला नै खुगल। हम सोचए लगलौं एते समए भऽ गेलै मुदा अखनि‍ धरि‍ कि‍नको देखै कहाँ छी। आॅफि‍स कि‍अए ने खुलै छै। अावेदनो करैबला दोसर कि‍यो बेकती नै आएल। कहीं आइ छुट्टी तँ नै छै। रोडक बगलमे चाह-पानक दोकान अछि‍। ओही दोकानपर जा पुछलौं-
आइ ऑफि‍स बन्न छै की?”
दोकानदार कहलक-
अहाँकेँ नै बूझल अछि‍। पूर्व मुखमंत्री काल्हि‍हे मरि‍ गेलै।
फेर हम पुछलि‍ऐ-
काल्हि‍ खुलतै की नै?”
ओ हँसैत कहलक-
अहाँकेँ नै बूझल अछि‍, काल्हि‍ रबि‍ छि‍ऐ।
हमरा अपने-आपपर गलानि‍ हुअए लगल। दोकानदार पुछलक-
कोन काज अछि‍ से। कि‍अए एते फि‍रि‍सान छी?”
हम जवाब देलि‍ऐ-
यौ भाय, हमरा नि‍वास प्रमाण पत्र बनेबाक अछि‍। चारि‍ दि‍नसँ आबि‍ रहल छी। मुदा कागत जमे ने भऽ रहल अछि‍।
अहाँ बूड़ि‍ छी। दोकानदार चट दऽ कहि‍ देलक।
हम पुछलि‍ऐ-
से कि‍अए कहै छी?”
बाजल-
चारि‍ दि‍नसँ घुमै छी आ कागत जमा नै भेल। चाि‍र दि‍नमे कमतीमे चालि‍स-पचास टाका खर्च कऽ नेने हएब। घरक काज हरजा भेल से कात। बजारमे शर्मा जीक इन्‍टर नेट सेवापर चलि‍ जइतौं दस टाका दैति‍ऐ आ अहाँक आवेदन ऑनलाइन जमा भऽ जाइत कथीले लाइनमे ठाढ़ रहए पड़ैत।
अनायासे हमरा मुँहसँ नि‍कलि‍ गेल-
यौ भाय, ई गप तँ हमरा बुझले ने छल।
दोकानदार फेर टोकलक-
कतए घर अछि‍?”
सखुआ भपटि‍याही।
अहूँक नरहि‍या बजारमे इंटरनेट सेवा हएत। नै तँ ि‍नर्मलीमे तँ हेबे करत आ फुलपरामे सेहो अछि‍।
हम पुछलि‍ऐ-
यौ भाय आइ ऑनलाइन हएत?”
नै आइ नै हएत आइ बन्न हएत। छुट्टी दि‍न सभ बन्न रहै छै।
सोमदि‍न फुलपरास चलि‍ जाएब। काज भऽ जाएत।
हम पानबलाकेँ धैनवाद दैत गाम दि‍स वि‍दा भऽ गेलौं।
     सोम दि‍न जलखै खा एगारह बजे फुलपरास गेलौं। ओइठाम एकटा दोकानपर जा भाँज लगेलौं आ जगहपर जा कागत आॅनलाइन करबेलौं। आ पुछलि‍ऐ-
प्रमाण पत्र कहि‍या भेटत?”
दोकानदार कहलक-
एक्कैस-बाइस दि‍न पछाति‍ ब्‍लौकमे भेट जाएत।
हम पुछलि‍ऐ-
तइसँ पहि‍ने नै हेतै की। हमरा तँ जरूरी अछि‍। आवेदन करबाक अछि‍?”
ओ कहलक-
हएत तँ मुदा कि‍रानी बाबूकेँ कि‍छु देबए पड़त।
केते देबए पड़तै?”
एकटा प्रमाण पत्रक पचास टाकासँ बेसी नै लेबाक चाही।
दू-तीन दि‍न पछाति‍ ब्‍लौक चलि‍ जाएब आ पता करब। नै हएत तँ कोनो दलालकेँ पकड़ि‍ लेब।
पुछलि‍ऐ-
के दलाल छी से केना बुझबै?”
यौ भाय, वाड सदससँ लऽ कऽ मुखि‍या-समि‍ति‍ सभ दलालि‍ऐ करै छै। से नै बुझै छी। एकरा सबहक अलाबे कि‍छु आरो दलाल अछि‍ जे भरि‍ दि‍न ब्‍लौक-अनुमण्‍डल-जि‍ला आ थानामे घुमैत रहै छै।
हम वि‍चारलौं जे वाड सदस तँ हमरे टोलक छी। जाइ छी राति‍एमे बात कऽ लेब। राति‍मे पहुँचलौं वाड सदस लग। पता चलल अखनि‍ तक ब्‍लौकसँ नै आएल। हुनक पुत्र कहलनि‍ जे पापा लेटसँ अबै छथि‍न से नै तँ भि‍नसरे आउ।
     भोरे वाड सदससँ भेँट कऽ अपन समस्‍या सुनेलि‍ऐ। कहलथि‍-
अहाँ दोसर जगहसँ कागत ऑनलाइन केने छी। तँए काज होइमे कठनाइ अछि‍। जौं ब्‍लौकमे ऑनलाइन करेने रहि‍ति‍ऐ। तँ सए-दू-सए टाकामे काज करा दइतौं। ओना हम जाइ छी कि‍रानी बाबूसँ बात करब। काल्हि‍ भेँट करू।
अँगना एलौं तँ पत्नीकेँ सभ बात कहलि‍यनि। ओ कहलनि-
यौ, मुखि‍याजी तँ अपने जाति‍क छथि‍न। भोँटक समैमे कहने रहथि‍। हमरा जीता दइ जाउ। जौं कोनो काज हएत तँ बि‍नु पाइएक करा देब आ कऽ देब।
हम कहलि‍यनि‍-
से तँ ठीके कहने रहथि‍न।
पत्नी कहली-
एकबेर भेँट करियनु ने। थाहियो तँ लेबे। फेर ने भोँटक समए औत।
     हम मुखि‍याजी सँ भेँट कऽ सभ गप कहलि‍यनि‍। कहलनि‍-
अखनि‍ हम बड़ बेस्‍त छी। मनरेगा तहत पंचायतक खाली जमीन सभपर गाछ-बि‍रि‍छ रोपबाक अछि‍। अखनि‍ एक्को पलक छुट्टी नै अछि‍। हम आइ काल्हि‍ ब्‍लौको नै जाइ छी। हलाँकी अहाँक काजो उकड़ू अछि‍। एना करू, अहाँ प्रमुख साहैबसँ भेँट करि‍यनु। ओ भरि‍ दि‍न ब्‍लौकेमे रहै छथि‍न।
हम कहलि‍यनि‍-
प्रमुख साहि‍बाक पति‍ वि‍पीनजी हमर संगीए छथि‍। वि‍पीने जीकेँ सभ प्रमुख साहैब कहै छन्‍हि‍। हुनकर पत्नी प्रमुख साहि‍बा तँ बैसके-बैसक घोघरडीहा जाइ छथि‍न। वि‍पीनेजी सभ काज करै छथि‍न। अहाँ हुनकेसँ भेँट करू काज भऽ जाएत। स्‍कूलक संगीओ छथि‍।
से तँ छीहे। बाजि‍ ओतएसँ हम वि‍दा भेलौं।
     अगि‍ला दि‍न परसा जा वि‍पीनजी ओतए गेलौं, दरबज्‍जेपर रहथि। देखि‍ते बजला-
आबह भाय, आबह।
एकटा कुरसी देखबैत बैसैक इशारा केलनि‍। हम कुरसीपर बैस गेलौं। एकटा लड़का दरबज्‍जापर पढ़ैत रहए। ओकरा दू कप चाह आनैले वि‍पीनजी कहलखि‍न। कनीए काल पछाति ओ लड़का दू कप चाह नेने एलनि‍। वि‍पीनजी पुछलनि‍-
भाय, जलो पीबहक?”
हम कहलि‍ऐ-
नै जल नै पीअब।
वि‍पीनजी हमरा तरफ चाहक एकटा कप बढ़ौलनि‍ आ अपने एकटा कप लेलनि‍। दुनू गोटे चाह‍ पीबए लगलौं। वि‍पीनजी पुछलनि‍-
केम्‍हर-केम्‍हर आगमन भेलह हेन?”
तोरेसँ कि‍छु काज छल तँए एलौं हेन।
हमरासँ काेन काज कहऽ, हमरासँ जे हएत से करबह। तूँ स्‍कूलक संगी छह।
हम हुनका सभ गप कहलि‍यनि‍। बजला-
तोरा काजमे बड़ खुसामद करए पड़त। काजो हएत कि‍ नै सेहो ठीक नै। तहूमे कहै छहक अप्‍लाइमे तीनि‍ए दि‍न बाँकी अछि‍। ऑनलाइन केला एक्केस-बाइस दि‍नपर प्रमाण पत्र भेटै छै। तोरा तँ से चारि‍ए दि‍न भेलह हेन। जौं कि‍रानीसँ कहब, बड़ जरूरी अछि‍ तँ ओ पाँच सए-छह सए मांगत। बेसी एँठी-मोचार करत। की कहबह। कहैत लाज होइए। मुदा तूँ संगी छह तँए तोरा कहै छीअ। बि‍ना रूपैआक कोनो काज नै हेतह। हमरो बात कर-कि‍रानी नै मानैए। एना करह एकबेर तूँ अपनेसँ परि‍यास करहक। जौं काज भऽ जेतह तँ बड़ नीक नै तँ हम तँ छीहेँ। जे रूपैआ खर्च हएत हएत। काज तँ करक अछि‍।
हम सोचलौं कि‍एक ने कि‍रानीसँ भेँट कऽ अपनेसँ कोशि‍श करी। सएह केलौं। काल्हि‍ पहुँचलौं। पता लगबैत कि‍रानीसँ भेँट कऽ सभ बात कहलि‍यनि। तँ कि‍रानी मुरारीजी बजला-
अखनि‍ तँ सोलह दि‍न बाँकी अछि‍।
हम हाथ जोड़ैत हुनकासँ आग्रह केलि‍यनि‍-
जौं अपनेक कृपा हएत तँ आइओ हमर काज भऽ सकैए। बड़ उपकार मानब। अपने जे कहब, हम तैयार छी।
मुरारीजी बजला-
दू सए टाका जमा करू। तीन बजे पछाति अहाँक नि‍वास प्रमाण पत्र ि‍नर्गत कऽ देब।
हम ऑनलाइनबला रसीद आ एकटा नमरी हुनका हाथमे दैत कहलि‍यनि‍-
आब माफ कएल जाउ।
ओ कहए लगला-
नै हएत, कमतीमे पचासो टाका और दि‍यौ।
हम एकटा पचसटकही औरो देलि‍यनि‍।
मुड़ी डोलबैत कहलनि‍-
अखनि‍ जाउ, तीन बजे भेँट करब।
तीन बजे हुनकासँ भेँट केलि‍यनि‍। ओ हमरा ि‍नवास प्रमाण पत्र देलनि‍। हम हुनका धैनवाद दैत वि‍दा भेलौं। ¦
नि‍पुतराहा
भोरे-भोर नि‍पुतराहाक दर्शन भऽ गेल। आइ अनजलो हएत कि‍ नै से नै जानि‍।
ई कहि‍ औरहावाली मुँह बि‍जकाबए लगली। रीता बजली-
गइ माए, तों की बजै छेँ। ई सभ मात्र कहबी छि‍ऐ। ओहो तँ मनुखे छथि‍न। भगवान बेटा नै देलखि‍न तँ ओ नि‍पुत्तर भऽ गेल। कोनो बाँझ तँ नै छथि‍न। दूटा बेटी छन्‍हि‍हेँ। एकटा बी.. फाइनलमे पढ़ै छन्‍हि‍ आ दोसर इंटरक परीक्षाक फार्म भरने छथि‍न। अपनो बी.एस.सी. पास केने छथि‍न। राजनीति‍ सेहो करै छथि‍न। हुनकर भाषण बड़ जोरगर होइ छन्‍हि‍। सुनै छी ओ साहि‍त्‍यकारो छथि‍न। एहेन लोकक दर्शनकेँ अधला बुझै छि‍ही?”
औरहावाली कहलखि‍न-
गइ तूँ की बुझबि‍ही। नि‍पुत्तर मनुखक दर्शन बड़ अधला। पछि‍ला साल हम उजाला ट्रेनिंगमे शामि‍ल होइले घोघरडीहा जाइत रही, ओइ नि‍पुतराहाक दर्शन भऽ गेल। पाँचे मि‍नट लेल ट्रेन छूटि‍ गेल। सभ दि‍न तँ ट्रेन लेटे रहै छल मुदा ओइ दि‍न ठीक साढ़े दस बजै खूगि‍ गेल। हमरा ट्रेनिंगमे जेनाइ जरूरी छल पछाति‍ तोहर पापा मोटर साइकि‍लसँ घोघरडीहा पहुँचौलनि‍, जइसँ हुनका अपना स्‍कूल पहुँचैमे देरी भऽ गेलनि‍। ओही दि‍न डी.. साहैब एगारह बजै बनगामा हाइ स्‍कूलपर आएल रहथि‍। तोहर पापा साढ़े एगारह बजै स्‍कूल पहुँचल छेलखुन। अदहा घंटा समए हुनका देरी भऽ गेल रहनि‍। डी.. साहैब हुनकासँ स्‍पष्‍टीकरण मंगलकनि‍। ओही दि‍नसँ हम नि‍पुतराहाक दर्शनकेँ खराप बुझै छी।
रीता बजली-
ई सभ संजोगक बात छी। तूँ तँ मास्‍टरी करै छीही। पढ़ल-लि‍खल छेँ। तखनो ऐ रूढ़ीवादीकेँ मानै छीही? कह तँ जौं ई बात विमलकाकाकेँ पता चलतनि‍ तँ हुनका केतेक दुख हेतनि‍? हमरा बि‍आहमे ओ केते खटल रहथि‍। सभ बरि‍यातीकेँ भोजन करा सबहक पात वि‍मलेकाका फेंकने रहथि‍न।
से तँ तूँ ठीके कहै छेँ। तोरा बि‍आहमे ओ बड़ खटल रहथि‍न। मुदा जहि‍या हमर ट्रेन छूटि‍ गेल आ तोहर पापाकेँ डी.. साहैब झमेलामे दऽ देलखि‍न तहि‍यासँ ओकर दर्शनकेँ हम बड़ अधला बुझै छि‍ऐ।
     ई सभटा बात औरहावाली आ हुनकर बेटी रीताक बीच चलै छल जखनि वि‍मलजी नि‍र्मली जाइत रहथि‍न आ हुनके देख कऽ औरहावाली मुँह बि‍जकबैत बाजए लगल रहथि‍न। औरहावालीक मकान सड़कक कातेमे अछि‍। मकानमे सड़को दि‍ससँ ओसारा छै। तही ओसारापर दुनू माइधी बैसल छेली।
     वि‍मलजी बी.एस.सी. पास छथि‍। हुनकर उमेर लगधग चालि‍स बर्ख छन्‍हि‍। कखनो काल मैथि‍लीमे कथा-कवि‍ता-हैकू-टनका-वाका सेहो लि‍खै छथि‍। पाँच बर्ख तक एकटा संस्‍कृत उच्‍च वि‍द्यालयमे वि‍ज्ञान वि‍षयक पदपर शिक्षणक काज सेहो केला। स्‍कूल मंजूर नै भेने बेरोजगारे रहि‍ गेला। सामाजि‍क काजमे रूचि‍ सेहो छन्‍हि‍। हि‍नका दूटा बेटीएटा छन्‍हि‍। बड़की बेटी वीणा बी.. कऽ रहल छथि‍न आ छोटकी इंटर।
     औरहावालीक पति‍ दि‍नेशजी वनगामा उच्‍च वि‍द्यालयक प्रधानाध्‍यापक छथि‍न। औरहावाली गामेक प्राथमि‍क स्‍कूलमे शि‍क्षि‍का छथि‍न। दूटा बेटी आ एकटा बेटा छन्‍हि‍। जेठकी बेटी रीना सासुरवास छथि‍न। छोटकी बेटी रीताक बि‍आह कनीय अभि‍यंतासँ भेल अछि‍। इंजीनि‍यर साहैब झारखण्‍डमे नोकरी करै छथि‍न। नव-नव नोकरी छन्‍हि‍। तँए रीता अखनि‍ नैहरेमे अछि‍। सभसँ छोट संतान संदीप छन्‍हि‍।
     रीता सोचए लगली, माएक वि‍चार केतेक संकुचि‍त अछि‍। वि‍मलकाका समाजक सबहक दुख-सुखमे हाथ बटबै छथि‍न। केकरो बेटीक बि‍आहमे बि‍नु बजौने जा अपना सक्क भरि‍ मदति‍ करै छथि‍न। हमर पापा तँ बि‍नु सूदि‍ लेने केकरो पाँचो रूपैआ नै दइ छथि‍न। बड़की बहि‍न रीना कहि‍यासँ एकटा टेलीवि‍जन लेल कि‍लोल करैए मुदा ओ पाइ रहि‍तो साधारण मांगक पूर्ति नै कऽ पबै छथि‍न। जखैनकि‍ एक मासक दरमाहा मि‍ला कऽ अस्‍सी हजारसँ ऊपरे होइ छन्‍हि‍। तैपरसँ कमतीमे बीस हजार रूपैआ महि‍ना सूदि‍-बि‍आजसँ आमदनी अलग छन्‍हि‍। मुदा हमर माए-बाबू एक नम्मरक मखीचूस। वि‍मलकाका हमरा पापासँ नीक लोक छथि‍न। एहेन नीक लोकक प्रति‍ माएक ई सोच छन्‍हि‍!
     दि‍नेशजी बेटा संदीप भोपालमे इंजीनि‍यरक पढ़ाइ कऽ रहल अछि‍। डोनेशनपर नामांकन भेल छै। तीन बेर कम्‍पीटीशनमे बैसला पछाति सफल नै भऽ सकलै तखनि‍ जा कऽ डोनेशन दऽ पि‍ता नाओं लि‍खौलकनि‍। आइ-काल्हि‍ संदीप गामे अछि‍। माए-बापक दुलरुआ बेटा।
वि‍मल जीक मामाकेँ लकबा मारि‍ देलकनि‍। हुनका इलाज लेल आर.बी.मेमोरि‍यल, लहेरि‍यासरायमे भर्ती करौल गेल। वि‍मलजी सेहो संगे रहथि‍न। एक सप्‍ताहक इलाजक पछाति‍ स्‍वास्‍थमे सुधार हुअए लगलनि‍। वि‍मलजी चाह पीबैले आर.बी.मेमोरि‍यरक बाहर एला तँ हुनकर नजरि‍ दि‍नेशजीपर गेलनि‍। दि‍नेशजी एकटा बोलेरो गाड़ीसँ उतरै छला। वि‍मलजी गाड़ी लग पहुँचला तँ गाड़ीमे संदीपकेँ बेहोश देखलखि‍न। औरहोवाली गाड़ीएमे छेली। वि‍मलजी पुछलखि‍न-
की भेलैए संदीपकेँ? एकरा माथमे पट्टी कि‍अए बान्‍हल छै?”
औरहावालीक आँखि‍सँ दहो-बहो नोर जाए लगलनि‍। दि‍नेशजी कहलखि‍न-
पहि‍ने संदीपकेँ उतारि‍ भीतर लऽ चलू। भर्ती करा इलाज चालू कराउ। हालति‍ बड़ खराप छै।
मोटर साइकि‍ल दुर्घटनामे संदीपकेँ माथा फाटि‍ गेलै। बड़ लहू बहलै हेन। खून सेहो चढ़बए पड़तै। फुलपरास रेफरल अस्‍पतालमे पट्टी बान्‍हि‍ डी.एम.सी.एच. रेफर कऽ देलकै। पहि‍ने तँ डी.एम.सी.एचे. अस्‍पताल लऽ गेल हरथि‍न दि‍नेशजी मुदा ओइठाम डाक्‍टर सबहक हड़तालसँ बन्न रहने गाड़ी घूमा आर.बी.मेमोरि‍यल नि‍जी अस्‍पताल आनल गेल।
वि‍मलजी आ दि‍नेशजी दुनू गोरे संदीपकेँ उठा अस्‍पतालक भीतर लऽ गेलखि‍न। इमरजेंसी वार्डमे भर्ती करौल गेल। डाक्‍टर साहैब कहलखि‍न-
रोगीकेँ बड़ खूनक कमी भऽ गेल अछि‍। जल्‍दी पहि‍ने खूनक बेवस्‍था करै जाउ।
संदीपक खूनक जाँच भेल। जइ ग्रुपक खून संदीपक शरीरमे छल ओइ ग्रुपक खून अस्‍पतालमे उपलब्‍ध नै छेलै। दि‍नेशजी आ औरहावाली सेहो दुनू गोटेक खूनक जाँच भेल। दि‍नेशजी खूनक ग्रुप संदीपक खूनक ग्रुपसँ मि‍लल। एक बोतल खून नि‍कालि‍ तत्काल संदीपक इलाज शुरू भेल। डाक्‍टर कहलखि‍न-
एक बोतल आरो चाही।
दि‍नेश जीक शरीरसँ अखनि‍ आरो खून नै नि‍कालल जा सकै छल। कि‍एक तँ कमजोर जकाँ बूझा रहल छेलखि‍न। वि‍मलजी डाक्‍टरसँ अपन खूनक जाँच करैले कहलखि‍न। हुनका खूनक ग्रुप संदीपक खूनक ग्रुपसँ मि‍लि‍ गेल। वि‍मलजी डाक्‍टरकेँ कहलखि‍न-
जेते खूनक खगता अछि‍। हमरा देहसँ नि‍कालि‍ संदीपकेँ चढ़ा दि‍यौ।
तत्काल खगता भरि‍ खून वि‍मल जीक देहसँ नि‍कालि‍ संदीपकेँ चढ़ा इलाज बढ़ौल गेल। जखनि‍ वि‍मल जीक देहसँ खून नि‍कालि‍ संदीपक देहम डाक्‍टर चढ़बैत रहथि‍न तखनि‍ वि‍मलजी दि‍नेश जीकेँ कलखि‍न-
चलू एक-एक कप चाह पीबी। चाहो पीअब आ गपो करब। भौजीले चाह सोहो नेने आएब। जगहपर आबि‍ गेल छी इलाजो भाइए रहल अछि‍। भगवानक कृपासँ आब संदीपकेँ कि‍छु नै हएत।
दुनू गोटे चाहक दोकानपर जा दोकानदारसँ वि‍मलजी दूटा चाह दइले कहलखि‍न। दोकानदार दू कप चाह पकड़ा देलक। दुनू गोटे चाह पीबए लगला। वि‍मलजी पुछलखि‍न-
आब कहू संदीपक माथ केना फाटल?”
दि‍नेसजी कहलखि‍न-
अहाँकेँ तँ बुझलै अछि‍ संदीप क्रि‍केटक पाछू बताह अछि‍। आइ झंझारपुरमे क्रि‍केटक मैच छल। सबेरे आठ बजे मोटर साइकि‍लसँ बल्‍ला लऽ वि‍दा भेल। गाड़ीपर तीन गोटे बैस गेल जखनि‍ फुलपरास लोहि‍या चौकसँ बढ़ल तँ एकटा कुत्ता मोटर साइकि‍लसँ टकारा गेल। गाड़ी स्‍पीडमे रहै नाचि‍ कऽ सकड़पर गि‍रल। तखने ओकर कपार फाटि‍ गेल। हेलमेट पछि‍ला संगीकेँ देने रहए।
घंटा भरि‍ पछाति‍ संदीप होशमे आएल। आँखि‍ खोललक। डाक्‍टर कहलखि‍न-
आब खतराक कोनो डर नै। संदीपक जान बँचि‍ गेल।
     औरहावाली भरि‍ पाँजमे वि‍मल जीकेँ लऽ कानए लगली-
बौआ यौ बौआ, आइ अहाँ नै रहि‍तौं तँ हमरा बेटाकेँ की होइत से नै जानि‍ यौ बौआ। हम अहाँक दर्शनकेँ बड़ अधला बुझै छेलौं। हमरा माफ कऽ दि‍अ यौ बौआ।
वि‍मलजी बजलखि‍न-
हमरा खून देलासँ संदीप बँचि‍ गेल। हमरा लेल ऐसँ पैघ काज दोसर की भऽ सकैए। भगवान संदीपकेँ जल्‍दी स्‍वस्‍थ करथुन, सएह कामना अछि‍।
औरहावाली सोचए लगली, एहेन पैघ वि‍चारक लोकक प्रति‍ हमर केतेक खराप सोच छल। रीता ठीके कहै छल...
औरहावालीक आँखि‍क नोर बन्न नै भऽ अनवरत बहि‍ते रहलै।

¦



महाजन
महाजन गोड़ लगै छी।
नि‍क्के रहअ। कहअ हजारी नि‍क्केना रहै छह कि‍ने?”
की नि‍क्के रहब महाजन। अखार आबि‍ गेल मुदा अखनि‍ धरि‍ खुट्टापर बरद नै आएल।
कि‍अए, पहुलका बरद किभेलह।
पहुलका बरद मरि‍ ने गेल। डकहा भऽ गेल रहै। एक हजार टाका श्‍यामजी डाक्‍टरकेँ देलि‍यनि‍। ओहो बड़ मेहनति‍ केलनि‍ मुदा हमर भाग्‍ये खराप अछि‍। बरद नै बँचि‍ सकल। श्‍यामजी अपन मेहताना कि‍छु नै लेलनि‍ खाली दबाइएक दाम लेलनि‍। बड़ नीक लोक छथि‍न श्‍यामजी।
अच्‍छा केते दामक बरद लेबह। लगलेसुरे लालबाबू पुछलखि‍न।
बरदक दाममे तँ आगि‍ लगल अछि‍। पचीस हजारसँ कममे जोतै जोकर तँ हेबे ने करत। हजारी बाजल।
लालबाबू फेर पुछलखि‍न-
अखनि‍ लेबह रूपैआ?”
नै महाजन, एतेक रूपैआ घरमे रखनाइ नै ठीक हएत। फूसक घर छी चोरि‍ भऽ जाएत तँ ऊहो आफदे। काल्हि‍ जखनि‍ लौफा हाट जाए लगब तखनि‍ लेब। हजारी कहलक।
लालबाबू बजलखि‍न-
ठीक छै जेहेन तोहर वि‍चार।
     लालबाबू आ हजारी दुनू गोटेक घर मैनहा गाममे। मुदा टोल अलग-अलग। लालबाबूक घर अमतटोलीमे जखैनकि‍ हजारीक घर खतबेटोलीमे। अलग-अलग टोल भेने सभ घटना सभ नै बूझि‍ सकए। तँए हजारीक बरद डकहा बि‍मारीसँ मरल ई बात लालबाबूकेँ नै मालूम भऽ सकल।
     लालबाबूक पूरा नाओं धनीलाल राउत छि‍यनि‍ मुदा सभ कि‍यो हुनका लालबाबू कहै छन्‍हि‍। आब तँ महाजन सेहो केते लोक कहै छन्‍हि‍। बापक एकलौता बेटा। बुझू, छोट-छीन जमीनदार। पक्काक घर। समूचा घर आ दरबज्‍जा देबालसँ घेरल आगूमे लोहाक फाटक। सभ कि‍यो हुनका घरकेँ हवेली कहैत अछि‍। दरबज्जापर पति‍यानी लगल बखारी छन्‍हि‍। पि‍ताक अमलदारीमे सभटा बखारी धानसँ भरल रहै छल। जौं कोनो साल रौदी भऽ जाइ छेलै तँ लोककेँ खेनाइमे दि‍क्कत नै होइ तइले पोखरि‍ उराहै छला। पोखरि‍मे काज करैबला बेकती सभकेँ जलखै-कलौक अलाबे पाँच सेर धान बोइन दइ छेलखि‍न। अखनो गाममे पाँचटा पोखरि‍ लालबाबूकेँ छन्‍हि‍। जइमे माँछ पोसल जाइए। हाल धरि‍ हुनका दरबज्जापर हाथी-घोड़ा आ पाँच जोरा बरद छेलनि‍। मुदा अखनि‍ तँ समए बदलि‍ गेल अछि‍। आब, घोड़ा तँ दर-देहातमे अछि‍यो मुदा हाथी तँ सरकसेटामे देखै छी। हाथीक जगहपर लालबाबू बोलेरो गाड़ी, घोड़ाक जगहपर बुलेट मोटर साइकि‍ल रखने छथि‍ तहि‍ना बरदक काज टेकटरसँ करै छथि‍न। अखनो हुनका कमतीमे अस्‍सी पचासी बीघा खेत हेतनि‍। सि‍लिंग एक्‍ट एलासँ कि‍छु जमीन हुनकर पि‍ता बेटीकेँ लि‍खि‍ देने रहथि‍न। जन-मजदूर नै भेटैक कारण कि‍छु जमीन लालोबाबू अपना हाथे बेचि‍ देलखि‍न। जमीन बेचलासँ जे रूपैआ भेल रहनि‍ ओहीसँ लगानी-भि‍रानी करै छथि‍। मात्र पाँच बीघा खेत जे घर लग छन्‍हि‍ से अपनासँ उपजबै छथि बाँकी सभटा मनखप लगेने छथि‍। कमतीमे पनरह-सोलह सए मन धान अखनो भऽ जाइ छन्‍हि‍। पाँच सए मन धान बखारीमे ढारि‍ बाँकी धान वेपारी हाथे अगहने-पूसमे बेचि‍ दइ छथि‍न। अखनि‍ हुनकर मुख्‍य पेशा लगानी-भि‍रानी भऽ गेल अछि‍। अपन गाम छोड़ि‍ पास-पड़ोसक दस गाममे हुनकर लहनापाती चलै छन्‍हि‍। धान सबाइपर दइ छथि‍न माने आसीन-काति‍कमे एक मन धानक पूस-माघमे सबा मन लइ छथि‍न आ रूपैआ तीन रूपैए सैकड़ा सूदि‍पर। आन गोटे तँ पाँच रूपैए सैंकड़ा सूदि‍पर लगबैए। अनगौआँकेँ जेबर रखि‍ अथवा जमीन भरना लि‍खा कर्जा दइ छथि‍न मुदा गौआँकेँ बि‍नु जमीन लि‍खौने आ जेबर लेने कर्जा दइ छथि‍न। जौं कोनो खौदका लचरि‍ जाइए तँ ओकरा सूदि‍ माफ कऽ मात्र मूरि लऽ फारकती कऽ दइ छथि‍न।
     तेसर सालक गप छी। जंगलक बापकेँ लकबा लपकि‍ लेलक। जंगल लालबाबूसँ पचीस हजार टाका कर्जा लऽ पि‍ताकेँ दरभंगामे इलाज करौलक मुदा पि‍ता नै बँचि‍ सकलनि‍। एमकी जंगल दि‍ल्‍लीसँ आएल आ कर्जाक हि‍साब सुनलक तँ ओकरा माथमे चक्कर आबए लगल। साढ़े तीन बरखमे मूरि सूदि‍ लगा दोबर भऽ गेल। ओ कानए लगल। दि‍ल्‍लीसँ दस हजार टाका महाजने नामे पठेने छल। बीस हजार संग अनने छल। महाजनक पएर पकड़ि‍ कानए लगल। लालबाबू पुछलखि‍न-
कहऽ जंगल कि‍अए कनै छह?”
जंगल बाजल-
महाजन, अहाँक कर्जा नै सदहा सकलि‍ऐ। बीसे हजार टाका छै। दि‍ल्‍लीमे दुखि‍त पड़ि‍ गेलि‍ऐ। कमाएल नै भेलै। केतएसँ अहाँ कर्जा सदहाएब। जौं अहाँक कर्जा नै चुकता करब तँ समाजमे बेर-बेगरतापर के मदति‍ करत। सभ कहत जंगला बेइमान अछि‍।
लालबाबू बजलखि‍न-
सुनह जंगल, कानए जुनि‍। लाबह कहाँ छह टाका।
जंगल बौगलीसँ टाका नि‍कालि‍ लालबाबूक हाथमे देलक। लालबाबू रूपैआ गनि बजला-
बीस हजार छह। दस हजार पहि‍ने भेजने रहक।
जंगल ठाढ़ भऽ हाथ जोड़ैत बाजल-
हँ महाजन, बीसे हजार अछि‍।
लालबाबू पुछलखि‍न-
आब कहऽ की कहै छहक?”
जंगल हाथ जोड़ने‍ बाजल-
हम की बाजू महाजन, केना बाजू। अहाँ एक मुस्‍त पचीस हजार टाका देने रही...। कोन मुहेँ बाजी।
लालबाबू पुछलखि‍न-
आरो केते दऽ सकै छहक?”
जंगल बाजल-
महाजन, एमकी आसीनमे जीड़ी कटैले पंजाब जाएब। ओतएसँ जे कमा कऽ आनब से अहाँक पएरपर दऽ जाएब।
लालबाबू बजलखि‍न-
ठीक छै। तोरे धरमपर छोड़ि‍ दइ छि‍अह। जीड़ी कटैसँ जे आमदनी हेतह पहुँचा जाइहऽ। तोरा फारकती दऽ देबह।
जंगल एकबेर फेर हाथ जोड़ैत बाजल-
जी महाजन, जे हएत पहुँचा देब।
लालबाबू कहलखि‍न-
अच्‍छा जा।
जंगल चलि‍ गेल।
     लालबाबू एम.. पास छथि‍। उमेर साठि‍-पैंसठि‍ हेतनि‍। जइ समैमे एम..पास केने रहथि‍न। कतेको कौलेजमे प्रोफेसरक नोकरी भऽ सकै छल मुदा बाबूजी कहने रहनि‍ जे‍ नोकरी नै करह। अपने सम्‍पति‍केँ लड़ाबह-चराबह। अहीसँ वि‍कास हेतह।
     लालबाबूकेँ दूटा बेटा आ दूटा बेटी। दुनू बेटी सासुर बसैत। दुनू जमाए इंजीनि‍यर। छोटका बेटा संजीत इंजीनि‍यरक पढ़ाइ पढ़ैत आ जेठका रंजीत बी..पास कऽ गामेमे खेती-पथारी आ लगानीक काज देखैत मुदा अखनो जुति‍ लालेबाबूक छन्‍हि‍ घरमे।
     लालबाबूक सार हाइस्‍कूलक शि‍क्षक। ओ लालबाबूकेँ कहैत रहै छथि‍न जे आब हाथ-पएर समटू माने लगानी-भि‍रानी बला काज बन्न करू। जमाना बदलि‍ गेल अछि‍। कखनि‍ के बेइमानी कऽ लेत तेकर कोन ठेकान। मुदा लालबाबूपर सारक बातक कोनो असरि‍ नै। अखनो लगधग पनरहसँ बीस लाख टाकाक लगानी छन्‍हि‍।
     दि‍यारी पछाति‍ जंगल पंजाबसँ आएल। भोरे हवेलीपर गेल। लालबाबू दरबज्जेपर छेलखि‍न।
महाजन गोड़ लगै छी। जंगल गेँटेपरसँ हाथ जोड़ैत बाजल।
लालबाबू बजलखि‍न-
आबह-आबह जंगल। कहि‍या एलह पंजाबसँ?”
राति‍ए एलौं हेन महाजन। जंगल जवाब देलकनि‍।
अच्‍छा बैसह, केहेन रहलह कमाइ-धमाइ?” लालबाबू पुछलखि‍न।
मंगल जवाब देलक-
मि‍ला-जुला कऽ ठीके रहल महाजन। बाजि‍ जंगल जमीनपर बैस गेल।
लालबाबू कहलखि‍न-
विरिंचपर बैसह ने।
जंगल बाजल-
नै महाजन, हम नि‍च्‍चेमे ठीक छी।
लालबाबू पुछलखि‍न-
हमरा दइले केतेक पाइ अनलहक?”
सात हजार टाका महाजन।
कहाँ छह पाइ लाबह।
जंगल बौगलीसँ टाका नि‍कालि‍ महाजनक हाथमे दैत बाजल-
महाजन, हमरा फारकती दऽ दि‍अ।
लालबाबू पुछलखि‍न-
पंजाबसँ एतबे अनलहक?”
जंगल बाजल-
नै महाजन, आठ हजार भेल जइमे पाँच सए तँ टि‍कटेमे चलि‍ गेल आ पाँच सए पावनि‍ ले रखने छी। जँ अपने कहब तँ ऊहो पाँच सए टाका अपनेक पएरपर रखि‍ देब।
लालबाबू बजलखि‍न-
नै, राखए पावनि‍ ले। साल भरि‍क पावनि‍ छी। देखहक तँ रंजीत हवेलीमे अछि‍?”
जंगल हवेलीक गेँटपर जा हाक देलक-
रंजीत माि‍लक, रंजीत माि‍लक?”
रंजीत चाह पीब रहल छल। कप हाथेमे नेने सोझहा आबि‍ बाजल-
कहए जंगल, की बात छि‍ऐ?”
जंगल कहलक-
महाजन अपनेकेँ खोज करै छथि‍न।
चलह चाह पीने अबै छी। रंजीतक मुँहसँ बहराएल आ कनीए काल पछाति‍ दरबज्‍जापर आएल।
लालबाबू रंजीतकेँ कहलखि‍न-
कनी बही नि‍कालह तँ।
रंजीत अलमारी खोलि‍ बही नि‍काललक। लालबाबू फेरो बजलखि‍न-
जंगलक नाओंपर सात हजार जमा कऽ दहक आ बही छेकि‍ देहक। वेचाराक बापो मरि‍ गेल। फि‍रीसान अछि‍। बाजि‍ लालबाबू जंगल दि‍स देखैत कहलखि‍न-
तूँ जा, पावनि‍-ति‍हारक समए छी। केतेक रंगक काज हेतह घरपर।
जंगल हाथ जोड़ैत बाजल-
महाजन, हमरा फारकती देलि‍ऐ ने?”
लालबाबू-
हँ हौ, फारकती कऽ देलि‍अ। सुनलहक नै जे रंजीतकेँ बही छेकैले कहि‍ देलि‍ऐ।
धनि‍ छी महाजन अपने। ई कहैत जंगल लालबाबूक पएर छूबि‍ प्रणाम करैत वि‍दा भऽ गेल।
     मर ई की केलि‍ऐ बाबूजी। साते हजार लऽ बही छेका देलि‍ऐ। जंगलपर तँ पचपन हजार टाका बनै छै। जइमे तीस हजार पहि‍ने देने रहए आ सात हजार अखनि‍ देलक हेन। अठारह हजार टाका छूटि‍ गेल। एना जे फारकती देबए लगबै तँ सभ अहि‍ना करत।
रंजीत तूँ तँ बी.. पास छह। महाजनक अर्थ बुझै छहक?”
हँ बुझै छि‍ऐ। महा माने बड़ जन माने आदमी। बड़ आदमी।
एकटा गप कहऽ तँ, गाँधीजी केँ लोक महात्‍मा कि‍अए कहैत अछि‍? आ महात्‍माक की अर्थ होइत अछि‍?” लालबाबू फेर पुछलखि‍न।
ई सुनि‍ रंजीत चुप्‍पे रहला। चुप देखि‍ लालबाबू बजला-
हौ, महात्‍माक अर्थ होइत अछि‍ महान आत्‍मा। जेकर अत्‍मा महान अछि‍ वएह महान भेल। आ से छला गाँधीजी। हुनकर अत्‍मा बड़ महान छेलनि‍। दोसरक दुख देखि‍ ओ तुरत दुखी भऽ जाइ छला। सभ जीवकेँ समान नजरि‍सँ देखै छला तँए सभ हुनका महात्‍मा कहैत अछि‍। तहि‍ना महाजन, महा यानी महान आ जन माने आदमी। महान आदमी। सोचहक, लोक हमरा महान आदमी कहैत अछि‍। महान कथी? धनीक छी तँए महान? नै, जेकर दि‍ल महान हुअए। जेकर आत्‍मा महान हुअए। जेकर मन महान हुअए। जेकर चरि‍त्र महान हुअए। वएह महान आदमी हएत आ महाजन कहौत। बुझलहक?”
रंजीत कहलकनि‍-
हँ बाबूजी बूझि‍ गेलि‍ऐ।
     मैनहे खतबे टोलीमे एकगोटे रहए जामुन। जेहने पाकल जामुन कारी होइए तेहने ओकर चेहराक रंग कारी रहए। ओहो लालबाबूसँ महिंस कीनैले तीस हजार टाका नेने रहए। सोचने रहए जे दूध बेचि‍ महाजनक पाइ सठा देब। मुदा भाग साथ नै देलकै। महिंसकेँ साँप काटि‍ लेलकै जइसँ महिंस मरि‍ गेलै। लालबाबूकेँ पता चललनि‍ तँ ओ जि‍गेसा करए जामुन ओइठाम गेलखि‍न। जामुन लालबाबूक पएर पकड़ि‍ कानए लगल। लालबाबू कहलखि‍न-
जुनि‍ कानह, कनलासँ कोनो लाभ नै। भगवानपर भरोस करह वएह पुरा करथि‍न।
जामुन कनैत बाजल-
महाजन, अहाँक कर्जा कतएसँ सठाएब।
लालबाबू कहलखि‍न-
तीन बापूत कमाइबला छह। तीन महि‍ना जँ गाम छोड़ि‍ देबहक तँ हमर पाइ सठा देबहक।
हँ महाजन, सएह करए पड़त। दस कट्ठा रोपनि‍ रहि‍ गेल अछि‍। रोपनि‍ कऽ तीनू बापूत नि‍कलि‍ जाएब।
     जामुन सएह केलक। पाँचे दि‍न पछाति‍ जामुन तीनू बापूत दि‍ल्‍ली जा एकटा दालि‍ मीलमे लागि‍ गेल। दि‍यावती पछाति‍ जेठका बेटाकेँ गाम पठेलक। ओकरा कनि‍याँक पएर भारी छल। जामुनक जेठका बेटा चौठिया डबल मचंड। बाप तँ महाजनक पुरा टाका जोड़ि‍ कऽ बेटा मारफद भेजलक। मुदा चौठिया पुरा पाइ नै देलक। ओ सोचए, महिंस तँ मरि‍ गेल तइ दुआरे महाजनक सूदि‍ कि‍अए देब। मूड़ दऽ दइ छी सएह बहुत।
चौठिया लालबाबू ऐठाम जा तीस हजार टाका नि‍कालि‍ कऽ देलकनि‍। लालबाबू चौठियाकेँ पुछलखि‍न-
जामुन नै आएल?”
चौठिया जवाब देलकनि‍-
बाउ, माघमे औत। कहलनि‍ हेन बोही छेकि‍ दइले।
लालबाबू फेरो पुछलखि‍न-
बाबू सूदि‍ कि‍छु ने देबए लेल कहलकह?”
चाैठया बाजल-
यौ महाजन, महिंस मरि‍ गेल। मूड़ दऽ दइ छी यएह बहुत। सूदि‍ केतएसँ देब?”
रंजीतो लालबाबूक बगलमे बैसल छल। जवान खून। तैसमे आबि‍ गेल। ठाढ़ भऽ चौठियाकेँ कहलक-
तोरा महिंसक हम ठेका लेने रहि‍यौ की? साँप काटि‍ लेलकौ आ मरि‍ गेलौ तँ हमरे पाइ नै देमए। फेरो बेगरता नै पड़तौ की?”
चौठिया बाजल-
नै देब तँ की कऽ लेब? गोली मारि‍ देबै की?”
     लालबाबू बात बढ़ैत देखि‍ बेटाकेँ चुप रहैले कहलखि‍न आ चौठिया दि‍स देखैत कहलखि‍न-
ठीक छै। हम पाइ जमा कऽ दइ छी। जखनि‍ जामुन औत तँ हम गप करब।
चौठिया कहलकनि‍-
आब कि‍छु नै देब महाजन। बही छेकि‍ दि‍औ। बाउसँ कथी गप करब?”
लालबाबू कहलखि‍न-
तोँ जा ने। पाइ तोहर बाबू ने लऽ गेल छल। तँए ओकरेसँ गप करब।
चौठिया भनभनाइत वि‍दा भेल।
     जामुन चौठियासँ फोन कऽ पुछलक-
महाजनक कर्जा फरि‍छा देलि‍हीन?”
चौठिया कहलक-
हँ तीस हजार दऽ देलि‍ऐ। मुदा महाजन बोही नै छेकलक।
तैपर जामुन पुछलक-
आ सूदि‍ बास्‍ते जे पाँच हजार देने रहि‍औ, से की केलही?”
चौठिया बाजल-
महिंस मरि‍ गेल तँ सूदि‍ कि‍अए देति‍ऐ। मूड़ दऽ देलि‍ऐ यएह बहुत।
जामुन कहलक‍-
ई नीक काज नै केलहँ। तोरा बेर-बेगरतामे कि‍यो एक्को पाइ नै देतौ।
चौठिया बाजल-
नै देत तँ हम बूझब। कहि‍ फोन काटि‍ देलक।
     एक्के मास पछाति‍ चौठियाक घरवाली बरहावालीकेँ भोरेसँ दर्द शुरू भेल। चौठिया आशा लग गेल। आशा फोन कऽ अस्‍पतालसँ एम्‍बुलेंस मंगौलक। चौठिया आशा आ चौठियाक माए बरहावालीकेँ लऽ फुलपरास रेफरल अस्‍पताल गेल। एक दुपहरि‍या अस्‍पतालमे रहल मुदा जन्‍माशौच नै भेल। एक बजे दि‍नक बाद डाक्‍टर कहलखि‍न-
हि‍नका डी.एम.सी.एच. लऽ जाए पड़त। भऽ सकैए ऑपरेशन करए पड़नि‍।
चौठिया पुछलक-
ऑपरेशनमे केते खर्चा औत?”
लगधग पनरहसँ बीस हजार टाका तँ पड़ि‍ए जाएत। जँ तेलक पाइ जमा कऽ देबहक तँ एम्‍बुलेंसेसँ दरि‍भंगा भेज देबह।
चौठिया बाजल-
अखनि‍ तँ पाँचे सए टाका अछि‍।
डाक्‍टर साहैब कहलखि‍न-
गाम जा कऽ घंटा भरि‍मे टाकाक ओरि‍यान कऽ आबह। जेतेक देरी हेतह, रोगीक हालति‍ तेते खराप हेतह।
     आब तँ चौठियाक माथा चकराएल। सोचए लगल, एतेक टाका के देत। महाजन तँ देत नै। हुनकर सूदि‍ नै देने रहि‍ऐ। रंजीतसँ मुहोँ लगा लेने रही। अच्‍छा गाम जाइ छी। केते गोटेकेँ दारू पीऔने छी। देखै छि‍ऐ बखतपर के काज आबैए। चौठिया टेम्‍पु पकड़ि‍ गाम अाएल। गाममे जेते संगी-साथी, हि‍त-बोन छल सभसँ पाइ मंगलक मुदा कि‍यो एक्को टाका चौठियाकेँ नै देलकै जइसँ अोकर दि‍मागे ने काज करै। हारि‍ कऽ बाबूकेँ दि‍ल्‍ली फोन केलक। सभ गप कहलक। जामुन फोनपर कहलक-
तूँ महाजनक सूदि‍ नै देलि‍हीन। तोरा के पाइ देतौ। जँ महाजनकेँ सूदि‍ देने रहि‍तँए तँ जेते टाका हुनकासँ मंगि‍तीहीन ओ दऽ देतहुन। अाब कोन मुहेँ हुनकासँ पाइ मांगब।
चौठियाकेँ अपन गलती महसूस भेल। पि‍ताकेँ कलहक-
बाउ, हमरासँ गलती भेल। हम पंजाब कमा महाजनक पाइ चुक्‍ता करब। तूँ महाजनसँ बीस हजार टाका बेवस्‍था करा दैह।
जामुन बाजल-
तूँ महाजन लग जो। हुनकासँ गलती माफ करैले नि‍होरा करि‍हनि‍ आ सभ गप कहि‍यनि‍। हुनकर कलेजा बड़ कोमल छन्‍हि‍। हमरा बि‍सवास अछि‍ जरूर मदति‍ करथुन। अगर नै देतहुन तँ हमरा फोन करि‍हेँ आ गप करबि‍हेँ।
     चौठिया लालबाबू दरबज्‍जापर गेल। लालबाबू पेपर पढ़ैत रहथि‍न। चौठिया एक कात ठाढ़ भऽ गेल बाजल कि‍छु नै। जखनि‍ लालबाबूक नजरि‍ चौठियापर गेलनि‍ तँ पुछलखि‍न-
कहऽ चौठी केम्‍हर-केम्‍हर एलह हेन?”
चौठिया धरती दि‍स आँखि‍ गड़ौने बाजल-
महाजन हमरासँ गलती भऽ गेल छल। माफ कऽ दि‍अ। हमहूँ अहींक बाल-बच्‍चा छी।
लालबाबू पुछलखि‍न-
अच्‍छा, कहऽ की बात अछि‍?”
चौठिया सभ गप सुना देलक।
लालबाबू कहलखि‍न-
तोरा प्रति‍ तँ हमरा बड़ दुख छह। मुदा तोहर कनि‍याँक जान खतरामे छह आ दोसर बात जे जामुन नीक लोक अछि‍। टाका लऽ जा आ नीकसँ इलाज कराबह। कहैत लालबाबू ति‍जोरीसँ बीस हजार टाका नि‍कालि‍ चौठियाकेँ देलखि‍न। चौठिया लालबाबूक पएरपर खसि‍ दुनू हाथे गोर लागि‍ भरल आँखि‍सँ पहुलका गलती लेल एक बेर फेर गलतीक माफी मांगलक।
लालबाबू कहलखि‍न-
जल्‍दीसँ फुलपरास जा आ कनि‍याँकेँ लऽ दरि‍भंगा जा। अबेर भेलासँ रोगीक हालति‍ खराप भऽ सकैत अछि‍।
चाठया टेम्‍पू पकड़ैले सड़क दि‍स वि‍दा भऽ गेल।


¦