भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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Friday, July 24, 2009
अहां कोना रहै छी भौजी....
हमरा दस साल पहिने के बात मोन पड़ैत अछि। शैलेन्द्र भैया के ससूर गाम आयल रहथिन्ह आ बड़का कका सं कहलखिन्ह- आब हमरा अहां के संबंधक कड़ी खत्म भय गेल। बड़का कक्का पहिने नहि बुझलखिन्ह, लेकिन कनिये कालक बाद हुनका आंगन में कन्ना रोहटि उठि गेल। पूरा गामक लोग जमा भ गेल। पता चलल जे शैलेन्द्र भैया नहि रहलाह। बड़का कक्का के जीवन में पहिल बेर कनैत देखने छलियन्हि, 65 साल के अवस्था में अंगना में ओ ओगरनिहया मारि का कानि रहल छलाह।
लक्ष्मी तहिया छोट छल, प्राय चारि या पांच साल के। ओकर छोटकी बहिन रागिनी 2 साल के हेतैक। शैलेंद्र भैया एखन रहितथि त 44-45 के रहितथि। भैया के कका हुनका एनटीपीसी में नौकरी लगा देने रहथिन्ह। ओ जमाना छलै जहिया एडहाक पर बहाली होईत छलैक आ बाद में हाकिम ओकरा किछु दिनुका बाद परमानेंट कय दैक। शैलेंद्र भैया ताबत परमानेंट नहि भेल छलाह, इम्हर घर पर घटक सबहक लाईन लागि गेलन्हि। हाय रे मिथिला के बेटी सब, आई हुनका परमानेंट नौकरी रहितन्हि त भौजी के ई दिन थोड़े देखय पड़ितन्हि। शैलेंद्र भैया के बियाह नीक परिवार में भेलन्हि। भौजी के बाप ततेक धड़फडेल रहथिन्ह जे बेटी के मेट्रिक के परीक्षेक साल बियाहि देलखिन्ह। भौजी आ भैया के अबस्थो में बढ़िया अंतर छलन्हि...लेकिन सबकिछु के दरकिनार करैत बियाह भ गेल। आब सोचति छी, त बुझायत अछि जे ई एकटा मैथिल पिता के विवशता स बेसी किछु नहि छल।
शैलेन्द्र भैया आ भौजी अनपरा चलि गेला..जतय एनटीपीसी में ओ क्लर्क छलाह। जमाना बदैल रहल छल। दिल्ली में नब आर्थिक व्यवस्था लागू भ रहल छल, उदारीकरण के नाम पर कयकटा नियम बनायल आ हटायल जा रहल छल।
भैया के परमानेंट होई के संभावना दिन पर दिन क्षीण हुअय लगलन्हि। आब त एडहाक के दरमाहो कम पड़य लगलन्हि जहिया स बियाह भेल छलन्हि। ताबत लक्ष्मी आ रागिनी दुनिया में आबि गेल छल। भैया शराब पिबय लगला। पति-पत्नी के बीच संबंध खराब हुअय लगलन्हि। धीरे-2 शराब हुनकर स्वास्थ्य के प्रभावित केरय लगलन्हि। हुनकर किडनी खराब भय गेलन्हि। ओ छुट्टी लय क गाम आबि गेलाह। ओ छुट्टी पर छुट्टी लेने जाईथ। लेकिन एडहाक के नौकरी में लंबा छुट्टी-कतेक दिन चलितन्हि। गामों में हुनकर शराब के नशा नहि छुटलन्हि। पाई नै रहन्हि त अन्न पैन बेच क पी लथि। पोलीथीन आ सस्ता शराब सेहो। कखनो पोखरिक महार पर त कखनो नहरिक कात में। जन हरवाह सब देखय, त कक्का के कहनि। जहि खानदान में एकोगोटे भांग आ बीड़ी सिगरेट नहि पीबय ओहि आदमी के बेटा के बारे में शराबी होई के चर्चा कतेक अपमानजनक आ लज्जास्पद हेतैक-ई हमरा सबके ओतेक छोट अवस्था में नहि बुझे पड़े। लेकिन आब कल्पना करैत छी, त मोन केना दनि कर लगैत अछि।
भौजी के सासु के व्यवहार दिन पर दिन भौजी के प्रति बिपरीत भेल जाईन्ह। आब त ओ खुलेआम कहय लगलीह जे अही मौगी के पेरे हमर बेटा के मोन खराब भेल जाईये। बात-2 पर रक्षिसिया आ गारि भौजी के नियति बनि गेलन्हि। एकटा कुलीन घर के कन्या-जकर कुलशील के गवाह मिथिला के तमाम पंजीकार छलाह-जे पारंपरिक मिथिला के सर्वोत्तम गांव में स आयल छलीह-हुनकर ई हाल हमर मोन के विदीर्ण कय दिए। ओहि समय हम पटना में छलहुं। मैट्रिक पास कय मेडिकल के तैयारी करी, कहियो काल गाम जाई। मोबाईल के जमाना नहि छल। मां स चिट्टी-पर बात हुए या गाम जाई तखने। एतेक नहि बुझियै।
साल 2001 के पितरपक्ष में गामे में रही। शैलेन्द्र भैया के अंगना में हमरा नोत रहै। हम खा क उठले रही की, भैया के ससूर अयलाह। तकर बाद कन्ना रोहटि उठि गेल।
तकर बाद के कहानी भौजी के दुख, अपमान, मानसिक यातना आ संघर्ष के कहानी छन्हि। तीन साल तक भौजी कोनो तरह कटलीह। लक्ष्मी आ रागिनी के चमकैत चेहरा मलीन भेल गैलैक। ओ आब पूर्ण ग्रामीण वाला लागय। लेकिन लक्ष्मी तीन साल तक अनपरा के पब्लिक स्कूल में इसाई टीचर सं अंग्रेजी पढ़ने रहय। ओकर अंग्रेजी एखनो नीक रहै। दूनू बहिन आब गामें में बिहार सरकार के स्कूल में जाई।
कोनो तरहे समय बीतल। भौजी के शिक्षा मित्र में भय गेलन्हि। डेढ़ हजार महीना पर। नबका युवा मुखिया शैलेन्द्र भैया के दोस्त रहन्हि। ओ भरल पंचायत में बाजल जं एकटा वेकेंसी हेतैक त शैलेन्द्रक कनिया के हेतैक।
आई अहि बात के चारि साल बीत गेल। आई नीतीश सरकार शिक्षा मित्र सबके दरमाहा साढ़े सात हजार कय देलकैक। आब ओकर नाम पंचायत शिक्षक भय गैलैक आ ओ परमानेंट सेहो भय गैलेक। आब भौजी के सासु के व्यवहार बदलि गेलन्हि। भौजी घर चलबै छथि। आब ओ सोचैत छथि जे ओ त बेसी नहि पढ़ि पेली लेकिन दूनू बेटी के जरुर इजिनियरिंग करेती। ओ हमरा स पूछैत रहैथ, जे अहां सब त पत्रकार छी-कतेक जान पहचान हेत,कनी देखबै।
हमरा लक्ष्मी के आंखि में ओज देखा रहल अछि। ओकरा अगर मौका देल जाई त ओ जरुर किछु करत। हेडमास्टर यादवजी के कथन सही छन्हि...। लेकिन की ई कहानी एतय खत्म भय जेबाक चाही ? की लक्ष्मी आ रागिनी के भविष्य सुनिश्चित भय गेनाई अहि खिस्सा के सुखद अंत मानल जाई ?
भौजी के अवस्था एखनो 31 साल छन्हि। जहिया बियाह भेल छलन्हि तहिया 17 साल के छलीह। हुनकर की हेतन्हि...?? .हुनकर के छन्हि.?? .की हुनकर सुखदुख के कोनो मोल नहि...?? ई सवाल मुंह बौने ठाढ़े अछि...मिथिला के समाजक समाने...आ हर साल सैकड़ों मैथिलानी अहि सवालक सामने हारि जाइत छथि....जे हमर के अछि...?? की हमर सुखक कोनो मोल नहि...?
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...