भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आधर्मशास्त्री विद्यापतिकस्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महानपुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभूमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिलालोकनिकचित्र'मिथिला रत्न'मे देखू।
गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि।मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नवस्थापत्य, चित्र, अभिलेखआ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू'मिथिलाक खोज'
वैदिक आ मैथिली छन्दक गणना अक्षरसँ होइत अछि से तँ कहिये गेल छी, गुरु-लघुकविचार ओतए नहि भेटत। मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ लौकिक संस्कृत आहिन्दीसँप्रभावित छथि मुदा गएर मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थक शब्दावलीमे ढेर रासशब्द भेटत जे वैदिक संस्कृतमे अछि मुदा लौकिक संस्कृतमे नहि, तेँ कमदूषितआ खाँटी मैथिली भाषा हुनके लोकनिक अछि आ तेँ छन्दक गणना अक्षरसँ करबाक आरबेशी आवश्यकता। गायत्री-२४ अक्षर उष्णिक्- २८ अक्षर अनुष्टुप् – ३२ अक्षर बृहती- ३६ अक्षर पङ्क्ति- ४० अक्षर त्रिष्टुप्- ४४ अक्षर जगती- ४८ अक्षर
शूद्र कवि ऐलुष आ आन गोटे द्वारा रचित ऋक् वेद मे गायत्री, त्रिष्टुप् आजगतीक छन्द सर्वाधिक परिमाणमे भेटैत अछि से एहि तीनूपर विचारी।
गायत्री: ई चारि प्रकारक होइत अछि- द्विपदी, त्रिपदी, चारि पदी आपाँचपदी।चारि पदी मे ८-८ अक्षरक पद आ एक पदक बाद अर्द्धविराम आ दू पदक बादपूर्णविराम दए सकै छी। माने एक गायत्री शेर तैयार।
त्रिष्टुप्: चारि पद, ११-११ अक्षरक पद आ एक पदक बाद अर्द्धविराम आ दू पदकबाद पूर्णविराम दए सकै छी। माने एक त्रिष्टुप् शेर तैयार।
जगती: चारि पद १२-१२ अक्षरक पद आ एक पदक बाद अर्द्धविराम आ दू पदक बादपूर्णविराम दए सकै छी। माने एक जगती शेर तैयार।
आब जेना पहिने कहल गेल अछि जे गायत्रीमे एक-दू अक्षर कम वा बेशी सेहो भएसकैत अछि माने २२ सँ २६ अक्षर धरि गायत्रीक प्रकार भेल- विराड् गायत्रीभेल-२२ निचृद् गायत्री भेल- २३ भुरिग् गायत्री भेल- २५ आ स्वराड् गायत्री भेल२६ अक्षरक। तँ निअमक अन्तर्गत भेटि गेल ने छूट आ स्वतंत्र भऽ गेल नेमैथिलीगजल।
पूर्ण विराम छोड़ियो सकै छी।
आउ आब गजल कही:
गायत्री गजल त्रिष्टुप् गजल जगती गजल
आउ आब गजल कही: गायत्री गजल छै सुनि देखि रहल , छै ककरासँ ककर कोन गपक सहल, छै ककरासँ ककर हे अछि देखि सहल, अछि की टीस उठल रे चिन्हलकेँ चीन्हल, छै ककरासँ ककर ई सभ सत्यक संगी , सभ छै भेष बदलि के अछि मुँह फेरल, छै ककरासँ ककर हे बिजुलौका देखियौ, छै उकापतङ्ग जेकाँ की माथ सुन्न कएल, छै ककरासँ ककर अगिनवान मैथिली, की सुखि जाएत धार कहै किदनि कहल, छै ककरासँ ककर करू कोन समझौता, करू कोन निपटारा के ललकारि रहल, छै ककरासँ ककर के अछि उठा रहल, अछि के झुका रहल के अछि बाजि रहल, छै ककरासँ ककर ऐरावत छै चकित, अछि की सोचि रहल ई कर्णधार बँचल, छै ककरासँ ककर त्रिष्टुप् गजल अछि चोरबा संग देखू ठाढ़, देखैत रहलि डकलिलामी नहि होएत आब बरदाश्त, डाक- डकौअलि डकलिलामी ई सुरकि रहल छल आब, नै भेटत आब फेर की खाद्य अछि कोना भेल ई असम्हार, डघरब चलि डकलिलामी कोना तड़फड़िया सभ अछि, डगहर थस लेने की बात नञि निचेन भेल अछि बाप, ओ मुहानी आनि डकलिलामी औ बुझारति होएत फेरसँ, भेल की ई ढिंढमदरा आब ई ढाबुस बेंगक अछि ठाढ़, ई ककर चालि डकलिलामी पुक्की पाड़ि के रहल पुकारि, बहीर बनि भने अछि ठाढ़ नहि ककरो सुनब पुकार, ई हथौड़ा मारि डकलिलामी कहू यौ किएक छी हूस ठाढ़, ऐरावतक फोंफक अबाज नहि किए बनल बौक ठाढ़ , चिपैले सुआदि डकलिलामी जगती गजल भगवानक बनाओल ई गाम, जखन अछि हो भोर बकटेंट नहि तँ भेटत की कोनो विराम, अछि भेल कोना भेर बकटेंट औ की नहि भेटत आबहु त्राण, छी सुनल सएह सरनरिया कोना मिरदङिया देलक थाप, ई मिरहन्नी शेर बकटेंट जाए रहल पछताए रहल, नहि बाट कोनो सुझाए रहल अछि गोलहत्थी खाइत ई छौड़ा, पँचागि ई बिहटार बकटेंट मोचण्ड बूड़ि रौदमुँहा होइत, साँझक लकधक बैसि रहल धमधूसर सभ बेर लगौरी, आनि रहल गनौर बकटेंट गदा रे गुइँ गुइँ मार गदा रे, गदा रे पुइँ पुइँ, मुक्का मारल गताखोरक छै ई हेँज चलल, गतात संग पथार बकटेंट बेराम पड़ब नै आउ सकल, बेपर्द करब बेदरंग भेल ऐरावत चीन्हि बेपारी सभकेँ, करू भाषाक व्यापार बकटेंट
बहुत सुन्दर आ सम्पन्न विवेचन।गायनक सम्बन्ध मे बेस मेंही विवेचनअछि।दोसरभागक प्रतीक्षा रहत।
फेर:
वेद मे सब किछु छै।ओहि मे रसायन विज्ञान छै। कम्प्यूटर आ इन्टरनेट छै।ओहिमे एड्स के इलाज छै।ओहि मे परमाणु विज्ञानो छै।वेद जिन्दाबाद छै। गजल केबापक दिन छियै जे ओ वेद मे नहि रहतै?लेकिन बन्धु, हमर विचार जे फारसीककाव्यशास्त्र के हिन्दुत्वीकरण के बदला मौलिक गजल-रचना मे हिन्दुत्व आनलजाय तं से बेसी श्रेयस्कर।की करबै? दिल पर पाथर राखि लिय" जे ओहि विधर्मीसभक लग मे सेहो काव्य छलै, काव्यशास्त्र छलै।
उत्तर:१.गजलक बापक दिन छिऐ वा नै से तँ नञि बुझल अछि, मुदा वेदमे आन चीजजेहोइ मुदा गजल नञि छै आ ओ काव्यशास्त्र फारसक फेर अरबक अछि से जगतख्यातअछि, आ एहिमे हमरा वा ककरो कोनो संदेह नञि होएबाक चाही।
४.प्रायः मैथिली भाषामे गजल जे हम लिखी तँ छन्दशास्त्रक अनुसार लिखी, आसेछन्दशास्त्र हम अरबी-फारसीक प्रयुक्त करी, प्रायः अहाँक मंतव्य से अछि।मुदाओ ट्राइ कऽ कए हम नञि आनो भाषाबला सभ (जेना अंग्रेजी गजलक शास्त्रकारलोकनि)थाकि गेल छथि, ओहिमे ने लय बनि पबै छै आ ने सरलता आबि पबै छै।ऋगवैदिक छन्दशास्त्र टगण-मगण सँ बेशी वैज्ञानिक आ सरल छै आ मैथिली गजललिखबा-पढ़बा-गुनगुनएबामे लोककेँ सुविधा होएतैक से हमर विश्वास अछि- वेदकसमएमे हिन्दू शब्दक जन्मो नहि भेल रहै से वैदिक छन्दशास्त्रक प्रयोगमात्रमैथिली गजलकेँ हिन्दू बना देतै से हमरा नञि लगैए।
५.तहिना जखन हम "मैथिली हाइकूशास्त्र" लिखने रही तहिया सेहो हमरा लग "वार्णिक"आ "मात्रिक"मे एकटा चयन करबाक छल, आ तहियो हम "वार्णिक"क अक्षर गणनापद्धतिक चयन कएलहुँ। "शिन्टो" धर्मावलम्बी जापानी (किछु बौद्ध सेहो) सभकलिपि आ तकर छन्दशास्त्र जे प्रयोग करी तँ मैथिलीमे हाइकू कहियो नञि लिखलजासकत; कारण ओकर काव्यशास्त्र जापानी भाषा आ ओकर कएक तरहक लिपिक सापेक्ष छैआओहिमे धर्म अबितो छलै (टनका/ वाका- ईश्वरक आह्वाण)। अरबी-फारसी गजल मुदाधर्म निरपेक्ष छै, मुदा ओकर काव्यशास्त्र ओकर अपन भाषा-लिपि लेल छै। सेभाषा-निरपेक्ष ने जापानी काव्यशास्त्र भऽ सकै छै आ ने अरबी-फारसीकाव्यशास्त्र।
सादर
गजेन्द्र
३
गौतम राजरिशी
पिछला तीन-चार दिन स पढि रहल छि इ आलेख....हिंदी आ उर्दू के ग़ज़ल-शास्त्र सत भलि भांति परिचित रहि, मैथिली के लेल जानकारी बड निक लागल। बहुत मेहनत आलगन स लिखल आलेख- सेव कs लेलौं घोटै खातिर। मुदा आलेख के आखिर पंक्ति "मैथिलीगजलकेँ सेहो ई छूट भेटबाक चाही" स सहमत नै छि। कविता के अ-कविता होय लs दियो, मुदा ग़ज़ल के सर्वदा ग़ज़ल ही रहैक चाहि...अ-ग़ज़ल नै। हमर उस्ताद कहित छथिनकिरचना करि काल सुविधा नै खोजबाक चाहि।
अपनेक फोन नंबर चाहि गजेन्द्र जी...मैथिली शब्द के उच्चारन हेतु किछुशंकानिदान करबाक अछि। ग़ज़ल त सब टा खेल अछि उच्चारणक...
उत्तर:राजर्षिजी
मैथिलीमे उच्चारण निर्देश, मैथिली गजल-शास्त्र- भाग-२ मे देल गेल अछि।
हमर मो.नं. ९९११३८२०७८ अछि।
सादर
४
आशीष अनचिन्हार
काफिया केखनो शब्दक नहि , वर्ण आ मात्राक होइत छैक। जेना हमरापर आ ओकरापरदूनू शब्द मे र काफिया छैक। तेनाहिते आरे आ माँड़े(हमर गजलक) मे ए मात्राकफिया छैक।
एकै भाव बला गजल दूषित मानल जाइत अछि।
उत्तर:मैथिली आ संस्कृतमे मात्र तुकान्त (अन्तक तुक) लयक निर्माण नहि करैछै, मुदा करितो छै।
से ई गप जे-
जे तुक मिलानीक दृष्टिएँ ओहूमे शब्दक आरम्भ-मध्य-आखिरीक किछु अक्षर नहिबदलैछै।
सायास लिखल गेल अछि।
वेद-ए-मुकद्दस मे वेदक विषएमे अली सरदार जाफरी लिखै छथि- शुऊरे-इन्साँ केआफताबे-अजीम की अव्वलीं शुआएँ- मनुष्यक चेतनाक पहिल किरिण।
जेना तमिलमे संस्कृत शब्दक आ तुर्कीमे अरबी शब्दक बहिष्कारक आन्दोलन चललतहिना फारसीमे (फारसक प्राचीन ग्रन्थ अवेस्ता आ वैदिक-संस्कृतक मध्यसमानताद्रष्टव्य) सेहो अरबी शब्दक बहिष्कार आ तकरा स्थानपर आर्य भाषा-समूहकशब्दकग्रहणक आन्दोलन चलल अछि। मैथिलीमे सेहो हिन्दी-उर्दू शब्दक बहुलतासँप्रयोगभाषाक अस्तित्वपर संकट जेकाँ अछि, खास कऽ मिथिलाक्षरक मैथिल ब्राह्मणसंप्रदाय द्वारा दाह-संस्कार कएलाक बाद।
आब उर्दू गजलपर आबी। १८९३ ई.मे हाली मुकद्दमा-ए-शेर-ओ-शायरी लिखलन्हि जेहुनकर काव्य-संग्रहक भूमिका छल। ओहि समए धरि उर्दू गजलक विषय आ रूप दुनूमृतप्राय छल से हाली विषय-परिवर्तनक आह्वान तँ केबे कएलन्हि संगहि काफियाआरदीफक सरल स्वरूपक ओकालति कएलन्हि। ओ लिखै छथि जे एकाधे टा शेर आइ-काल्हिनीक रहैए आ शेष गजल फारसीक शब्द सभसँ भरि देल गेल शेरक संकलन भऽ जाइएजाहिसँओकर स्तरहीनतापर लोकक ध्यान नञि जाए। से उर्दू गजल धार्मिक कट्टरतापरव्यंग्यक क्षेत्रमे फारसी गजलसँ आगाँ बढ़ि गेल।
संगीत आ गजल गायन
ठाठ कल्याणक अन्तर्गत राग यमनमे त्रिताल १६ मात्रा (दू पाँतिक अनुष्टुप् – ३२ अक्षर) क एतए प्रयोग भऽ सकैए। ठाठ बिलावलक अन्तर्गत राग बिलावल एकताल१२मात्राक होइत अछि, एतए गायत्री-२४ अक्षरक गजलक प्रयोग भऽ सकैए। कारणवार्णिक गणनाक उपरान्त रेघा कऽ गायककेँ कम गाबए पड़तन्हि आ शब्द/ अक्षरकअकाल नहि बुझना जाएत।
ई मात्र उदाहरण अछि आ से गायकक लेल मैथिली गजल लिखनिहारक लेल नहि।
मैथिलीमे एखन धरि जे गजल लिखल गेल अछि ओहिमे बहरक एकरूपताक कोनो विचारनहिराखल गेल अछि। ने से बहर-विचार फारसी काव्यशास्त्रक हिसाबसँ राखल गेल छै आने भारतीय काव्यशास्त्रक हिसाबसँ। आ ताहि कारणसँ मैथिली गजल सभकेँ “गजलसनकविता” मात्र कहि सकै छिऐ। ओना बहरक एकरूपता गजलकार लोकनि द्वारा गजललिखलाक बाद एक गजलपर आध घण्टा लगेला मात्रसँ कएल जा सकैए।
गजल सहस्राब्दीक हारि हमर आ जीत ओकर, नै जातिवादीक सोझाँ होएब लरताङर भेष बदलि जातिपंथी जीति रहल कवि, ऐलुष नै फेर हम हएब लरताङर
दुश्मनके नाइट भिजन हेलिकप्टर सँ राइत भइर बमबारी के बादो जनसेनाद्वारा कएल गेल घेराबन्दी नइ टुटल रहइ। जेना सिनेमा मे होइछै, चहुदिस पसरल अन्हारमे एम्हर बम खइस रहल अइ, ओम्हर बम खइस रहल अइ आ लोकसब दौड रहल अइ चइल रहल अइ , तहिना शाही सेना के घेराबन्दी कएनेजनसेना मुख्य मोर्चा पर लइड रहल छल । युद्ध मोर्चामे एकटा खपरैल स्कूल के एकटा कोठरी के प्राथमिक अस्पताल बना क घायल जनसैनिकसबके प्रारम्भिक उपचार क कयुद्धक्षेत्र सँ बाहर पठाओल जा रहल छल ।
ई काजरो सँ कारी अमवस्या के राइतबला अन्हरिया राइत के बम के विस्फोट आ स्वचालित हथियारसब स कखनो निरन्तर कखनो रूइक रूइक कफुलझडी जकाँ निकलल गोली सब के लाल पियर बैगनी इजोत मात्र प्रकाशित करैत छल। नइ तलम्बा मीलो पसरल सुखलका नदी के ओ क्षेत्र अन्हारे मे युद्धक साक्षी बइन रहल छल । युद्धक मुख्य मोर्चा बनल चूरे पर्वत श्रेणी के ओहि टिला स आइब रहल बम मसिनगन आ विविध आग्नेयास्त्रक समवेत भयावह आवाज एना बुझाइत छल जेना अअनेको ज्वालामुखी एक साथ फूइट रहल हो । आअ ोतह उइठ रहल आर्त चित्कार , क्रन्दन, नरकक आभास दइत छल ।...
ठीके युद्ध नरके होइत अइछ ।–एकटा घायल जनसैनिकके स्ट्रेचर पर सुताक दू गोटेके कन्हा पर रखैत हम बजलहुँ ।
अहाँ ठीक कहलहुँ , मुदा एहि नरकके समाप्तिक हेतु ई बाध्यात्मक युद्ध अछि । हमरा सहयोग क रहल प्रारम्भिक अस्पतालक रेखदेखक लेल नियुक्त कयल गेल कमाण्डर बाजल ।बगल स निर्देशनात्मक आवाज आएल–ठाढे ठाढे नइ, बेन्ड भ क डाँड मोइडक । अन्हारमे आँइख चियाइर क देखलियै, स्थानीयबासीसब आबाल वृद्ध युद्धक्षेत्र स बाहर भाइग रहल छल आ जनसैनिक आ युद्ध सहयोगी सब ओकरा सबके सुरक्षित पलायन मे सहयोग क रहल छल। करिब आधा किलोमीटर चौडाइबला एहि सुख्खल नदीके पछियारी किनारा सुरक्षित छल । ओकरा ओइकात एकटा छोट गाम छल जतह शरण लेल जा सकैत छल ।
फायर के गर्जनयुक्त आदेश सँगे शुरु भेल लडाइ भोर के करिब साढे तीन बजे तक चलल । भोरका इजोत शाही सेना के अतिरिक्त बल मगाब मे सहयोगी भ सकैत छल आ शायद अहि दुआरे रिट्रीट (लौटबाक) आदेश आएल ।युद्ध क मुख्य मोर्चा पर निरन्तर विस्फोट आ फायरिंगक लयबद्धता टुइट रहल छल । स्वास्थ्य मोर्चा पर नियुक्त आ सहयोगी व्यक्तिसब लौटैटजनसैनिक सबके अन्हारमे ठिकियाक चिन्हबाक कोशिस क रहल छल । ओकर चिन्हल लौट रहल अइछ कि नइ ? ई प्रश्न आ उत्सुकता सबहक चेहरा पर नाइच रहल छल ।युद्ध मोर्चा क समाचार आब चारुदिस पसैर रहल छल । जनसेनाक तीन तरफा मजबूत घेराबन्दी मे परल शाही सेना के एक सय अठारह जवानबला जत्था मे स कम स कम चौंसठ गोटे मारल गेल छल ।
ओ त करिब एक्के डेढ बजे दुश्मन निःसहाय भ क आत्मसमर्पण के मुद्रा मे एकटा कोना मे दुबैक गेल छल । हम सब त दू घण्टा स अन्हारे मे अपने मे फायरिंग क रहल छलहुा । जाँघ मे छर्रा लाइग क घायल एकटा सैनिक बाजल– नइ त जीत निश्चित छल ।
युद्ध के अधूरा छोरबाक चिरचिराहट प्रायः सब के चेहरा पर छल , जे लौटैत आ घायल सैनिकके स्थलगत देखरेखमे भेल तिल मात्र कोताही के बाद क्रोध पूर्ण व्यवहार मे प्रकट भ रहल छल ।
एहि भीषण युद्ध मे जनसेना दिस चालीस स बेसी घायल भेल छल आ पचीस गोट शहादत प्राप्त कयलक ।
।जनसेना के ई सिपाही सब जनता के ओह वर्गक धियापुता सब अइछ जे शासन आ अभिजात्य तथा सम्पन्न वर्गक पकडबला समाजद्वारा युग युग स कछेर पर ठाढ क देल गेल अइछ । एकरा सबके नइ कोनो दरमााक मोह नइ कोनो नीजी सुख सुविधाके मोह । बस एक्केटा आस जे जनयुद्ध सफल होएत त घूरत । सुखके दिन टुटली मरैया तक पहुँचत । लूट आ शोषण बला शासन अन्त होएत। लाल सलाम, जनताके सर्वोत्तम धीया पुता सब ।लाल सलाम , महान शहदि सब ।।–अपने आप हमर कसल मुठी सलामीक मुद्रामे अकाश दिस उइठ गेल । भोरका इजोत होब लागल छल । नदीके पछियारी काते काते दक्षिण दिस जाइत हम सब युद्ध मोर्चा स क्रमशः दूर होइट जा रहल छलहुँ । दुश्मनके अतिरिक्त बल हेलिकप्टर स पहुँच चुकल छल । मुदा शायद जनसेनाके वीरता स संत्रस्त दुश्मनके फाइटर हेलिकप्टर आकाशमे घुइम घुइमक एखनो तक बम खसाइए रहल छल । हमरा संगे चइल रहल एकटा कम्पनी कमाण्डर पाछु स हमर पिठ्ठी थपथपएलक ।आकाश दिस उठैत हमर कसल मुठ्ठी ओ देखि नेने छल ।उनैटक हम तकलहुँ । शायद ओ हमरा मन मे उठैत भावके पइढ लेने छल । राइत भइरके युद्धक थकान संगहि ओकरा आँइखमे उदासी सेहो छल । शायद ओकरो मनमे हमरे जकाँ भावसब उमइर घुमइर रहल छल । ओ कमाण्डर छल युद्ध मोर्चाक । ओकरो नेतृत्वमे युद्ध भेल छल जाहिमे सेहोशहीद आ घायल भेल छल कइएकटा जनसैनिक । के सब शहीद भेल? क ीओ जनैत अइछ? ....निश्चय ओ जनैत अइछ। ओकर आँइखक उदासी सैह कहैत अइछ । के सब भ सकैत अइछ? –मन भेल पुइछतिअइ, मुदा पुछलहुँ नइ, आ चलैत रहलहुँ चुपचाप ।
एहि सुखलाहा नदी के पछयारी कातक जंगलमे युद्धक तैयारी आ प्रशिक्षणक अनितम क्षणमे जनसेनाके जवान सबके एकटा बटालियनके सलामी स्वीकार करैत आजवान सबस गर्मजोशी पूर्ण कडगर हाथ मिलाक बिदा करैत काल मनमे उठल भाव याद परल –एहिमे स के लौटत के नइ लौटत ? चिन्हल चेहरा सब एक एक क आँइखक आगू घूमए लागल । महोत्तरीके बुधनी , जकर पार्टी नाम छल कमरेड उष । तीन वर्ष पहिने पार्टी प्रवेश करैत कालके अन्तरमुखी विधवा आ सम्पत्तिक कारण अपन सासुर स प्रताडित बुधनी युद्ध प्रशिक्षणक क्रममे एक दिन हमरा कहने छलिह– कमरेड, सुबोध कमरेड हमरा प्रेम प्रस्ताव कएने अइछकमाण्डरके हम सब संयुक्त आवेदन सेहो देने छी । जौं सब ठीक रहल त तीन महिनाके बाद हम सब विवाह करब । अहाँ जतह रही , अहाँके आब परत ।
गोर, हसमुख रेशबहादुर मगर याद परल , धनुषामे जकर पत्थर कूटएबाली विधवा बुढिया माय कनैत कहने रहइ–बौआ, तों त पहाडमे लड चइल जाइछे, मुदा हमरा के ओ देख बला नइ रहि जाइए ।बोखार लगला पर दबाइयो देब बला के ओ नइ रहि जाइए । मुदा ओ युद्ध स नइ लौटल । एकटा कवितामे ओ लिखने रहए– माय , हम नइ चाहैछी कोनो माय पत्थर कूटो, तय हम युद्ध मे छी ।
हमरा याद परल ओ नेवार्नी करिकबी दुबर पातर कमरेड कामिनी , जकरा मजदूर पतिके शाही सेना सब माओवादी होबके शंका मे निर्ममतापूर्वक पिटिपिटिक माइर देलकै । आ ओ अपन दू टा अबोध बच्चाके नाना नानी ग ध के जनसेनामे सामिल भ गेली ।हमर अनेको चिन्हल जानल सबमे स ई करिकबी नेवार्नी अत्यन्त प्रिय छलिह । ओ हमरे नइ सबहक प्रिय छलिह । कम मुदा मृदुभाषी, प्रत्येक मोर्चा पर सबस आगू बइढक लडनिहार । तैं सब कमाण्डर सब हुनका अपने समूहमे राख चाहैत छल ।
एक बेर हम बिमार भेल छलहुँ, बेहोश रहलहुा कए दिन । एहन अवस्थामे ओ हमर सब तरहक सेवा कएने रहथि । दोसर हुनक वर्गीय प्रेम आ बौद्धिकता हमरा हुनका संगे भावनात्मक सम्बन्ध बना देने छल । हम दाई (भैया) छलहुँ आ ओ छलिह बहिनी( बहिन) ।
दाई, आई हमरे क्याम्पमे खाउने ।–युद्धस एक दिन पहिने ओ हमरा नेओत देने छलिह । हम हँसिक आगू बइढ गेलहुँ, मुदा ओ दौडक हमरा मूँहमे माँउस एकटा टुकडा राइख देलनि आ हँस लगलिह ।.....एहन बहुतराश चिन्हल चेहरा आँइखक आगू नाच लागल ।
ककरो चिनहलियै की ? के सब शहीद भेल ? –रहल नइ गेल, आ सँगे चलैत कम्पनी कमाण्डरस हम पुछिए लेलियै ।
ओ किछु बाजए ओहिस पहिने हम दोसरो प्रश्न कयलियै जाहिमे हमर चिन्हल जानल कतेको नाम छल। भावना जेना हमरा गरसि रहल छल । राइतक युद्ध मोर्चाक कमरेड हम एकटा सामान्य मानवमे बदइल रहल छलहुँ ।
दोसर दिन । किछु शहीद सबके लाश प्राप्त भेल छल । हमरा जानकारी भ चुकल छल– रेश बहादुर आ कमरेड कामिनी शहीद भ चुकल छलिह । कमरेड कामिनी बायच सकैत छलिह मुदा एकटा घायल जनसैनिकके सहारा द क लबैत काल हुनका गोली लागल छल ।
हमर मन भावना स भइर गेल छल । कमरेड कामिनीके स्मृति हमरा विचलित क रहल छल । निर्मम युद्धके भावना स कोनो मतलब नइ होइछै
सब शहीद सबके लाश सबके हसुवा हथौडी बला झण्डा ओढाओल गेल, सलामी देल गेल आ शहीदक चिता धुधुवा उठल । थाकल पैर आ भारी मन स हम सब सेल्टर दिस लौटलहुँ । मन नइ लाइग रहल छल । ओ कम्पनी कमाण्डर हमरा सँगे छल । ओ अखनो उदास आँइख नेने चुप छल । भावना स द्रवित मन एन भरल छल जेना सब किछु रुइक जाएत । अपन क्याम्पमे प्रवेश कयलहुँ त किछु पुरुष आ दू टा युवती प्रतिक्षा क रहल छलिह । हमर सहायक जानकारी करौलक जे ई सब जनसेनामे सामिल भेल नव कार्यकर्ता अइछ । मूँडी उठाक एकटा युवती के पुछलियै–की नाम अइछ?
रुपकुमारी
दोसरके सेहो पुछलियै –आ अहाँ के की अइछ ?
कामिनी
हम ओकर मूँह तकैत रहलहुँ , किछु काल निर्निमेष । फेर फूर्तिस क्याम्प स बाहार निकललहुँ आ ओहि कम्पनी कमाण्डरके जोडस बजैलियइ आ कहलियै–आउ कमरेड, देखियौ , कामिनी जीविते अइछ ।
हँ , कमरेड। शहीद सब अमर होइत अइछ ।–ओ बाजल ।
गोर मूहँबाली मैथिलानी कामिनी क्याम्पकद्वार पर स हमरा देखि रहल छलिह । आ हम देखि रहल छलहुँ क्याम्पक आगू मेफर्फराइत ललका झण्डाके मैथिलानी कामिनीके आ एम्हर ओम्हर गतिशील आ पुनः लयबद्ध होइत जनसेनाके पंक्ति सबके । हमर सहायक धीरे स बाजल–शाही सेना मे मरबलामे एकटा हमर सबहक कम्पनी कमाण्डरक जेठ भाय से हो छल । आब हमर दृष्टि ओहि कमाण्डर पर स्थिर छल । ओकर आँइखक गँहीर उदासीक अर्थ आब हमरा लाइग रहल छल । ललका झण्डा अकाशमे र्फफराइए रहल छल, आस्था मन मे आर गँहीर भेल जा रहल छल । आ विश्वास पर एकटा आओर ईट रखा गेल –टुटली मरैया सके जीत निश्चित अइछ ।
२
कपिलेश्वर राउत
कथा-
सलाह
फागुन बीत रहल छल आ चैतक आगमन भऽ रहल छल। समए तेहन ने बीकट जे बातरस बलाक लेल बर उकरू छल। फागुन चैतमे जेहने गर्मी तेहने हार तक डोलवेबला जार। तेँ ने एकटा कहावत छै जे एकटा ब्रह्मण गाए बेचि कऽ चैतमे कम्बल खरीदने रहथि। तेहने समए अहू बरि छल। बातरसोकेँ जन्म एहने समएमे होइत छै।
सुमनजी बजला- “हम जना-जना कहै छी तना-तना करू। सीधा भऽ कऽ बैसू एक नम्बर पएर पसारू आ अंगुरीकेँ मोरू आ सोझ करू। दोसर पाएरक पंजाकेँ अंगुरीकेँ मोरू आ सोझ करू। दोसरक पंजाकेँ आगॉं झूकाउ आ सोझ करू। आब दुनू पाएरकेँ सटा कऽ गोल कए कऽ घुमा, पॉंच बेरि एक मुँहेँ तँ पॉंच बेरि दोसर मुँहे।” चारीम- जॉंघमे हाथसँ गहुआ लगा कऽ छावाकेँ जना साइिकल चलबैत छी तना चलाउ उपरसँ नीचॉं मुँहे आ नीचॉंसँ उपर मुँहे इहो पॉंच बेरि। आ हे याद राखब रीढ़क हड्डी सीधा रहक चाही।” पॉंचम-
क्रमश:
३
कुमार मनोज कश्यप
ईमानदार
ओ मंत्रालय मे संयुत्तᆬसचिव आछ । जतबे ओ कंर्तव्यनिष्ठ, स्वप्नदर्शी, अनुशासनप््रिायआ सहयोगी मानल जाईछ ओहि सँ एकंो मिसिया कंम ईमानदार नहिं। सिविल सोसाईटी मे ओकंर गुणकं दोहाई देल जाईत छैकं ़़़़ पोलिटीकंल सर्किल मे ओकंर कंार्यक्षमताकं चर्चा भेल कंरैछ । अपन मंत्री के तऽ ओ मुँहलगुआ बनि गेल आछ़़़क़ंोनो कंटिन सँ कंठिन कंाज हो ओकंरा लेल सामान्य़़़़क़ेहनो जटिल समस्या हा े; ओ ओकंरा लग ओकंर समाधान चुटकंी मे तैयार ़़़क़ंोनो बातकं नकंारात्मकं जवाब तऽ ओकंरा लग छलहिये नहिं । कंाज मे तऽ आगया-बेताल आछ ओ़़़़ऑफीस मे कंाज़़़़घर पऱ़़़हरदम कंाजे-कंाज ।
मंत्री लग बात उठलै जे विभाग द्वारा नियंत्रित केंद्रीय योजना अपेक्षित परिणाम देबा मे समर्थ किंयैकं नहिं भऽ रहल छै ? समस्या समाधान हेतु स्वभाविके सचिव आ मंत्री के ध्यान ओकंरे दिस गेलैकं । ओकंरा भार देल गेलैकं - ' समस्या के अध्ययन कंऽ कंऽ एकं महिना मे योजना के दुरूस्त कंरकं उपाय सुझाऊ ।' ओ अपन मिशन पर लागि गेल़़़़रिपोर्ट बनेलकं, प््रोजेंटेशन केलकं । सार तत्वई जे योजना के ठीकं सँ लागू नहिं हेबाकं कंारण छैकं ब्लॉकं आ जिला स्तरकं आधकंारी-कंर्मचारी के योजना के बारे मे अल्प किंवा अग़्यानता । ओकंर सुझाव छलैकं जे जौं जमीनी-स्तरकं कंार्मिकं सभकं क्षमता-निर्माण कंयल जाय तऽ एहि योजनाकं कंी ; सभ केंद्रीय आ राज्य योजना के सफलता सुनिश्िचत बुझु । सुझाव नीकं छलैकं़़़़मंत्रीजी तऽ एतेकं भावविह्वल भऽ गेलाह जे ओकंर पीठ ठोकिं कंऽ शावासी देलखिन । तत्कंाल आदेश भेलैकं जे ओ अपन कंार्य-योजना पर आगू बढ़य । एहि हेतु साधनकं कंोनो कंमी नहिं होमय देबाकं आश्वासन मंत्रीजी देलखिन ।
ओ आगू बढ़ल । सभ सँ पहिने अपन प््रिाय आधकंारी आ कंर्मचारीकं एकंटा टीम बनेलकं । तकंरा बाद एकंटा गाईड-लाईन मंत्रीजी सँ अनुमोदित कंरेलकं जाहि मे पाँच लाख तकं के राशि स्वीकृत कंरबाकं आधकंर संयुत्तᆬ-सचिव स्तर के आधकंारी के छलैकं । पेᆬर ओ देशकं चारू क्षेत्र मे चारि टा संसाधन-केन्द्र बनेलकं जाहि मे ओकंर परिचित यूनिवर्सिटी-प््राोपेᆬसर, रिसर्चर आदि सभ शामिल कंयल गेलैकं । संसाधन-केन्द्र सरकंार सँ प््रााप्त अनुदानकं दस प््रातिशत अपन स्थापना पर खर्च कंऽ सकैत छल जाहि मे वेतन, यातायात, कंम्प्यूटर सहित अन्य खर्च शामिल छलैकं । प््राति क्षेत्रिय सेमीनार तीन लाख रूपया आ राष्ट्रीय हेतु सामान्य खर्च सीमा पाँच लाख छलैकं जे परिस्थितिवश बढ़ाओल सेहो जा सकैत छलैकं । एहि सभ लेल संसाधन-केन्द्र सभ के सालकं शुरूहे मे दू-दू कंरोड़ रूपया बाँटि देल गेलैकं । ई रूपया खर्च भेला परओ सभ उपयोगिता-प््रामाणपत्र दऽ कंऽ आओर रूपया माँगि सकैत छल । ओकंर सर-वुᆬटुम्बकं आनो आन लोकं सभ जोगाड़ लगा कंऽ संसाधन-केन्द्र मे अपन नोकंरी पक्कंा केलकं । अपन लोकं केकृतग़्य कंरबाकं यैह तऽ मौकंा छलैकं ओकंरा ।
संसाधन-केन्द्र सभ के कंार्यशाला, सेमीनार, सम्मेलन आदि आयोजित कंऽ कंऽ ब्लॉकं, जिला, राज्य स्तर के कंार्मिकं सभ के प््राशिक्षण आ जागरूकं कंरकं छलैकं । केन्द्र सभ के एहि तरहें अपन कंार्य-व्रᆬम कंरकं छलैकं जे सभ शनि आ रवि कंऽ कंतहु ने कंतहु कंार्यशाला वासेमीनार वासम्मेलन होईतैकं । एहि हेतु ओकंरा सभ के अपन वार्षिकं-कंार्यव्रᆬम पहिनहिं अनुमोदित कंरेबाकं व्यवस्थाछलैकं । संसाधन-केन्द्र सभकं बीच मे नीकं ताल-मेल बनेबाकं लेल व्यवस्थाछलैकं जे ओ व्याख्यान, प््रास्तुतिकंरण आदि हेतु दोसर संसाधन-केन्द्र सँ साधन-सेवी सभ के आमंत्रित कंरय । ओ (संयुत्तᆬसचिव) तऽ अपने बड़ पैघ साधन-सेवी छल ़़़़ ओकंरा अतेकं योजना के बारे मे कंकंरा बुझल छलैकं । तैं ओ सभ कंार्यशाला, सेमीनार आदि मे आमंत्रित होईत आछ । नियमनुसार प््राति व्याख्यान ओकंरा दस हजार रूपया सेहो भेटैत छैकं । ओहदा अनुसार एबा-जेबा एवंरहबाकं व्यवस्था अलग सँ ।
गरीबी दूर कंरबाकं योजना पर विचार-विमर्श पाँच-सितारा होटल सभ मे होईत छैकं - एहि पर किंछु मीडीया मे चर्चो होईत रहलैकं । ओ संसाधन-केन्द्र के प््राधान सभ के एकंटा मिटींग बजेलकं आ सुझाव देलकै जे कंार्यशाला सभ मे स्थानीय पत्रकंार सभ के सेहो बजाओल जाय । आखिर एहि मे कंोन दिक्कंत- ओ सभ लंच कंरत आ एकं-एकं टा बैग लेत - सैह ने ? मुदा फायदा तऽ देखू - ओ सभ हमर कंार्यव्रᆬम के प््राशंसा कंरत आ नीकं मीडीया कंवरेज भेटत ।
आबसभ खुश आछ ।
डॉ. शंभु कुमार सिंह
जन्म: 18 अप्रील 1965 सहरसाजिलाकमहिषी प्रखंडक लहुआर गाममे। आरंभिक शिक्षा, गामहिसँ, आइ.ए., बी.ए. (मैथिली सम्मान)एम.ए.मैथिली (स्वर्णपदक प्राप्त) तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। BET [बिहार पात्रता परीक्षा (NET क समतुल्य) व्याख्याता हेतु उत्तीर्ण, 1995] “मैथिली नाटकक सामाजिक विवर्त्तन” विषय पर पी-एच.डी. वर्ष 2008, तिलका माँ. भा.विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। मैथिलीक कतोक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकासभमे कविता, कथा, निबंध आदि समय-समयपर प्रकाशित। वर्तमानमे शैक्षिक सलाहकार (मैथिली) राष्ट्रीय अनुवाद मिशन, केन्द्रीयभारतीय भाषा संस्थान, मैसूर-6 मे कार्यरत।
“रमखेलाैन ’हम अकचकैलियै ‘आे कत्त के प्राेफेसर ।हमरा जनितब त’ बी ए कहुना चीट पुरजा सॅ पास केनेआेहाे थर्ड डिविजन स्त्री पत्रिका सरिता गृहशाेभा़ आदि पैढ पैढक’ राजनीति के ककहरा जानबाक काेरसिस कएल ।’ ‘हॅ हाै से सब त’ शत प्रतिशत सत्य छैक मुदा आयकाल्हि आेकरे सबहक राज्य छै देखहक़ केहेन पैघ बहुमत सॅ जीत क’ आयल अछि।दाेसऱ बङका जाति जकाॅ घमंड सेहाे नहिं सबहक मूॅह ठाेर पकङने रहैत अछि ।’
‘फरिछा क’ कहु नै जे दशद्वारी छै बराे के माए कनियाे के माए़ जत्तए काेउ नृप हाेहूॅ हमें का हानी़ बला खिस्सा छै़आेहिठाम आे घरे घर जा क’ सबहक माेन जीत चुकल अछि ।आेना इहाे सूचना अछि जे चाेरी चपाटी में सेहाे आे विशेष पारंगतकआेलेज में पढनाय सॅ बेसी आेकर धियान काॅमन रूमक सामान चाेरेनाय में छल़ आे हाे टेनिसक टेबुल एत्ते पैघ समान से धरि गायब करि देने छल ।’
‘इ सब गप बाजय बला नहि छै़ ताैं बेवकूफी नै करहकआे अहि पार्टी के एकटा मजगूत हाथ छै काेनाे दलके पूर्ण बहुमत त’ छै नै तखन सबके मिला क’ गाङी हाॅकबा के छै’।” “आ’ आे जे सभा मध्य में रूपकुमरि आसन ग्रहण केने बैसल छथि हुनका काेन इन्द्रासन प’ बैसेबा के माेन बनाैने छियै ।”हमर इसारा ब्ूाझि ककाजी कनी बिहुॅसला।हुनक थाकल झमारल मुख मंडल प’ प्रथम बेर सलज्ज भाव सॅ ऊर्जा के प्रवेश भेल छल आ’ आे कनीताेतराति कनी हकलाति बजला ‘आेत आे त स्त्री कल्याण विभाग़ ।’
जखन सब किछु निर्णय लइये चुकल छीत’घाेषणा करय में विलंब कियेक़ ।शीघ्र एकटा समस्या त’ घटत।’
“हेऽऽ्ऽऽ् एना उधियेला सॅ बाैआ काज नै चलै छै ।कनि थमि जा ऽऽ ।देखहक राजनीति के शतरंजी चालि ।’ हुनक मुॅहक काेमल भाव द्रुत गति सॅ बदलि गेल रहैन्हआ’ काेच सॅ उठि पुठि क’ काेठरी सॅ बहराइत फेर सॅ अपन सिंहासैन प’ आबि बैसला । “अपने सब की अथ उथ में पडल छी बजियाै किछु आखिर नब राज्यक गठन भ’ रहल छै।”
ककाजीक कठाेर अध्यादेश सुनि कंटीर बाबू साेझाॅ टेबुल प’ राखल बङका टाके कटाेरा सॅ रसगुल्ला निकालि चम्मसे सॅ मुॅह में रखलाआ’ मिचङा मिचङा क’ लगला बाजै ‘एतेक शीघ्र काेना भ’ जेतैइ समाधाऩ कत्तेक सूझबूझ देखबए पङतैजाहि सॅ जन प्रतिनिधि असंतुष्ट सेहाे नहिं हाेबैथ आ’ एकटा सबल मंत्रि परिषदक गठन सेहाे भ’ जाए ।’ उपस्थित जन अहि प्रस्ताव के बङ प्रशंसा करैत एगारहम बेररसगुल्ला प’ झपटल रहैथ ।
विवादित शिक्षा के एक दिस टरका क’ दाेसर विषय प’ विचार विमर्श प्रारंभ भेल ।दाेसर सबसॅ जटिल प्रश्न छल स्वास्थ ।इहाे शिक्षे जकाॅ विवादक शिकार हाेमए लगलै़ करीब करीब आठ टा डाक्टऱ एक टा नैचराेपैथ चुनि क’ आयल छलाह आ’ सब के सब स्वास्थ विभागक लेल कच्छा पहिर मल्ल जुद्व में भिरल ।
आ’ राति भरियाति देखि सभा’ दाेसर दिनक बैसारी के आसरा में अनिर्णित समाप्त करि देल गेल छल ।
सब गेाटे के स्वस्थान प्रस्थानक पश्चात हम ककाजी सॅ निवेदन करैत कहलयिन्ह‘इ छाेट राज्य बना क’ भारत सरकार अपन फिरीशानी सुरसा के मुॅह जकाॅ बढा रहल अछि ।कि अहि सॅ राज्यक विकास संभव छैक ।आ’ भ्रष्टाचार जङ समूल नष्ट भ’ जेतैक ।’
ककाजी टेबुल प’राखल साेनक पनबट्टा उठा आेहि सॅ मगही पान क’ डबल खिल्ली निकालि कल्ला तर राखैत कनि लटपटाइत स्वर में बजला‘आजुक समय छाेट राज्यक डिमांड करै छैक ।’ ‘ स्वतंत्रता सॅ पूर्व त’ भारत में छाेटे राज्यक चलन छलै़ पाॅच साै पैंसठ राज्य़ तखन किएक सरदार पटेल के सुदृढ केन्द्र बनब’ लेल एकीकरणक मार्ग अख्तियार करए पडलै।’हमर अहि प्रश्न परकुरसी के कात में राखल पिकदानी में पीक फेकैतबजला‘सेऽऽ््््ऽ्ऽऽ्त आेकरा पाछाॅ दाेसर कएक तरहक तर्क छलै़ आ’ आेही समय वएह परम आवश्यकता रहल हेतैक ।’
ककाजी के’ राजनीति के बङ गहीङ अनुभवसत्त कही त’ आे चाणक्य छथि ।मुदा समयक निर्दय हाथे थकुचायल कहियाैन्ह समय आ’ परिस्थिति कहियाे संग नहिं देलकैन्हत’ अपन प्रकांड विद्वता आ’ सर्जनात्मक क्षमता समाजक समक्ष रखबा में बङ देर लागि गेलैन्ह़ मुदा प्रजातंत्र में देर अबेर त’ हाेइते रहै छै़ ।कत्तेकाे चुनाव निर्दलिए भ’ लङल ।पाटी में आबि इ पहिल विजय छलैन्ह ।
तखन शनैः शनैः उमिर सेहाे बढैत रहलैन्ह आ’ अजाेध नेता सबहक पाॅति में आे अग्रगण्यग्रह नक्षत्र सबटा अनुकूल़ अहि चुनावक’ जीत हुनके नेतृत्वक नाम प’ भेल छलैन्ह़ आने की पहिने सॅ मुख्य मंत्री के कुरसी रिजर्व ।
गप्पे गप में राज्यक राजधानी के विषय में चर्च भेलै़ त’ कहलैन्ह जे दङिभंगा के छाेङि आर काेन शहरि के डाढ में एतेक दम छै जे राजधानी कहाति ।’‘मुदा शहर त’ बङ गंदा छै़ चारूकात उभचुभ करैत नाला के गंधाति पानि प’ जखन सूरूजक कीरन पङै छैत’ लगै छै फराक सॅ जेना ग्रेनाइट वा मार्बल्सक’ टाइल्स लागल हाेए टावरक चारूकात गंदगी़ अनकंट्राेल्ड टै्रफिक़ जतए ततए थूकैत़ नरगैाना पैलेस के देवार धरि नहि छाेङने पानक प्रेमीसब़ ।आ’ टीसन देखलियै दरिभंगा के रतुका गाङी सॅ जखन आबै छी पटाेपट नीचा सॅ ऊपर बेंच धरि गुदङी चेथरी चिक्कट आेढने पङल मनुक्ख ।इ सूतनिहार सब के । जेकरा गाङी पकङबा के रहतै़ से एना निफिकिरभ’ क’ सूततैएकर समाधान त’ हेबाक चाही नै किछु़ ।’ ककाजी अकाश में चमकैत पूर्ण चान दिस तकैत कनि चिंतित स्वर में बजला‘हाैऽ््ऽऽ सबटा समस्या के समाधान हेतैक़ शहरक सबटा राह बाटक साैंदर्यीकरण कएल जेतै़ ।नाला नाली झाॅपि झूपि क’आेकर काते कात फूल पाैध लगाएल जेतै ।महाराजक सबटा महल के सेहाे काया कल्प कएल जेतै ।टीसन के कात में ‘गरीब नमाज सबके लेल फराक सॅ माेसाफिर खाना बनाआेल जेतै अनाथालय वृद्वाश्रम सबटा बनतै ।’
‘हॅ ककाजी अहि संग आेहिठाम लंगरक सेहाे व्यवस्था करबा देबै ।मुदा नियम बना देबै चारि दिन लगातार खेनिहार केजाैं आेअत्यंत वृद्व बीमार वा एकदम अपंग नहिं छथि त’ प्रतिदिन दू घंटा श्रमदान अवस्स करए पङतैन्ह ।आ’ अहि श्रमदानक तहत स्टेशनक आगू पाछू दूर दूर धरि सफाइर् कराआेल जेतै़ आेहिना अस्पताल सब में भाेजनक व्यवस्था करि चारू कात सफाइर् राखल जा सकैत अछि ।इ खेनाय के याेजना एकटा सक्षम आ’ ठाेस कदम हेतै़जे काेनाे राज्य अपनगरीब जनता लेल निञ्ंा प्रारंभ कएने हाेयत ।’
ककाजी कनि मुॅह टेढ करि क’ हमर मूर्खता प’ मुस्कैत बजला ‘हाै ताेहर इ यूटाेपियन स्कीम लागू करबा में बङ दीक्कत हेतै़ दरिद्र राज्य छै़ जहाॅ सुनतै लाेक कि फाेकट में खेनाए भेटैंत छै़ हजारक स्थान प’ पाॅच हजार पहुॅच जेतै मुदा काज करबा काल त’ एकाे साै भेट जाए त बङका भाग्य कहबाक चाही ।पाछाॅ सॅ विराेधी पार्टी टीक पकङने ‘ वेलफेयर गवर्नमेंट के मतलब की फंड अहाॅ जन लुभावन काज में खरीच देबै़ ।उपर सॅ बेगार खटनाए के विराेध करबा लेल़ हजार टा नेता पेट भरिते मातर जनमए लगतै’।’
‘मुदा अहि दिशा में प्रयास त’ कएले जा सकैत अछि।’
“आब देखहक पहिने मंत्रि परिषदक गठन त’ माॅ जगदंबा के कृपा सॅ शुभ शुभ संपन्नभ’ जाए ।’
‘से त’ भइये जेतै़ मुदा चाेर बनाेर के मंत्री नै बनेबै चाहे जे
किछु भ’ जाए़ ।अपन राज्य बनि रहल छै राजा विदेहक किछु आदर्श त’ अवस्से स्थापित करबा के हेतै ।’
‘मर्रऽऽ्््ऽ््् जीत क’ एलै हैं चाेर बनाेऱ आ’ मंत्री लेल घरे घरे जाकए ताकू इर्मानदारसत्यवादी राजा हरिश्चन्द।जखन लाेक पंच बनै छै़ परमेश्वरक गुण आपरूपी आबि जाए छै़ ।’
‘बेस़ तखन पडाेसिया काेडा में किएक नहिं परमेश्वरत्व एलैमूॅह में बकार नै़ लाेक त’ कहै छै एत्तेक शुद्वजेना गायदिमाग में सेहाे टनक टन भूस्से भरल ।मुदा चारि हजार कराेङक गबन करि केहेन ध्वजा फहरा देलकै ।’
“ढेर रास प्लेन अछि प्लेनक’ काेन कंम्मी़ पहिल त’ राजधानिए के विश्व स्तरक हेरिटेज सिटी जकाॅ बनाैल जेत्ते ।समस्त़़गामक पाेखरिक उत्थान के संग भसियायल पाेखरिक निर्माणमहाङ सब पक्का कैल जेत्ते़ लग पासम्ेंा इस्कूल़ जत्त’सॅ लाेक वेद पाेखरि प’ नजरि रखता अंत्याेदय कार्यक्रमक तहत बी पी एल बला सबके घरे घर शाैचालय बनाैल जायतजाहि सॅ आे सब चारूकात गंदा नै करै सस्ती राेटी के दाेकान फेर सॅ खाेलल जेतै ।धिया पुत्ता के अनिवार्य शिक्षा अनिवार्य हेतै भाेट देनाय़संतति उत्पादन प’ कंट्राेल खेल कूद सेहाे अनिवार्य माेबाइल काेर्ट दरवज्जा प’ अदालत़ ।
माछ केराजकीय चेन्ह त’ नहिं बना सकैत छी मुदा माछ आ मखान के उत्पादन में त’ पुरकस जाेर लगैल जा सकैत अछ़ि पहिने पुरूखक उत्थान आे आलस तजि कर्मठ बनाैथ संगही संग स्त्री शिक्षा के कारगर बनैाल जेतै़ बेराेजगारी हटेबा लेल उद्याेग धंधा के बढैल जेतै ।’
ककाजी अहाॅक प्लेन त’ सर्वथा सार्थक़ वाह़ मन गदगदि करि देलहूॅ ‘आन्हर की चाही़ बस दू टा आॅख़ि ।हमरा त’ इर् बूझना पङि रहल अछ़ि सरिपहुॅ राजा जनकक राज्य कायम हाेमए जा रहल अछि ।फिलाेसाेफर किंग के चर्च सेहाे विश्व इतिहास में भेल अछ़ि अहाॅ के इर् पाकल उमीऱ पाेपल मुॅह आ’ जर्जर शरीरत’ अवस्से सदाचरणक पाठ पढबैत़ सत्यम वद़ धर्मम चर वा तेन त्यक्तेन भून्जीथा़ के शिक्षा दैतपरमात्मा आ’ पराेपकार में मन वचन सॅ लागल रहए बला साबित हेतै़ ।’
अहि प’ नै जानि की साेचि क’ कनि रसिक भाव सॅ मुस्कैत बजला‘से नै कह’आब जाैबन के लाेक ययाति जकाॅ येन केन प्रकारेण जीत क’ ऋण पैंच लक’जीवनक आनंद अंतिम क्षण धरि भाेगय लेल बेकल रहैत छै़ जुग वैराग्य शतक के नहिं श्रृंगार शतकक आबि गेल छै़ अखन आेहि स्वनाम धन्य उपराज्यपाल महाेदयक नाम की लेल जाए़ जे गुलगुल सङल पिचकल आम बनल छियासी बरीखक उमीर में राजभवन में मेनका रंभा ऊर्वशी सब संगे परम आध्यात्मिक सुख भाेगैतरंगल हाथे पकङल गेला़ ताहि सॅ उमीर प’ नहिं जा कदाचरणक काेनाे बयस नहिं हाेय छै ।’
हम चुप्प हाथ सॅ जेना ताेता उङि गेल ।कका अपन श्रीमुख सॅ जखन अहि संभावित पक्ष के उघारि क’ हमरा साेझाॅ राखि देला तखन फेर बाॅचल की़ आब़ ।
आेना एखन हुनक उमीर त’ सत्तरिए बरख छेन्ह़ ।हम अपन गप के एना बीच्चे में बजारिक पराजय स्वीकार करि लीसे त’ सुभाव आ’ संभव नहिं ।अपन दिश सॅ मक्खन लगबैत हुनक चारित्रिक गाैरवक गुणगान करैत आगाॅ बढलहुॅ । ‘जे नन्हू से गर्भहिं नन्हूॅ अंगरेजाे सब कहै छै’ मानिंर्ग शाेज द’ डे’ अपनेक त’ चरित्र के इर्मानदारी के ध्वज एखन धरि फहरा रहल अछ़ि पाइर् पाइर् के लेल तरसैत गिरहस्थी सॅ आखीर तंग आबि मटिया तेल सॅ अपन शरीर सिक्त करैत एक टा लुत्ती के बल प’काकी अहाॅक’ संग की दुनिए सॅ विदा भ’ गेलथ़ि त’ आब अहाॅ की पथ भ्रष्ट हाेयब ।’
‘पहिने इर् बताबजे ताैं हमर प्रशंसा करैत छ वाहीनताय ।’
“केहेन गप करैत छी इर् त’ अहाॅक चारित्रिक बलक प्रशंसा अछि ।संसार में लाेक जतेक प्रकारक पाप छल प्रपंचदुष्कर्म करैत अछ़ि आे सब गिरहस्थिए के आङ में ।आ’ ताहू काल अहाॅ नै डिगलियै़ भीष्म पितामह जकाॅ अडिग रहलियै़ एकरे कहल जाए छै न’ चारित्रिक बल ।’
“ताहि समय हम छलियै की़ भाखा के एक टा प्राेफेसर आेहाे एफिलिएट काॅलेज में दरमाहा छाै छाै मास धरि बन्ऩ डिगतियै त’ आखिर कथि प’कि कआेलेजक संस्थापकक घेंट काटि लेतियैक़ कि विद्यार्थी सबहक घर में डाका पाङितियैक़ लिखेत रहलहूॅ किस्सा पिहानी जीबनक़़ तपैत राैद में बसि क’ मधुर रसक’ ।मुदा तकराे पाय घरे सॅ लागै़ क्षेत्रिय भाखा के लेखक के वाहवाही आ लाेकक करतल ध्वनि तॅ भेट जायछै मुदा द्रव्यक प्रश्न प’ सब कियाे ठगि लैत छै़ केकर केकर नाम गिनबिय़ आेहि दारूण दुखकवर्णन करैत़ । आब भगवति के कीरपा सॅ पाॅवर एलै है त’ देखहक़ कहबी छै जे पाॅवर करप्ट एवरी बडी़ ।’आ’ बङका टा के रहस्यमय चुप्पी ।
हमरा आब अपना आप प’ बङ ग्लानि हाेमय लागल छल ।राजनीति में आबिबुढापे मेंइर्हाे अपन मटकूङी आगि प’ साेनहा क’ रखने छथि ।आने आय धरि जे लाेक हिनका इर्मानदार बूझल़ सब परम भ्रम में जीबि रहल छल ।
रहल नै गेल आगाॅ बढि क’ अपन चुप्पी ताेङैत बजलहूॅ ‘सत्तरि बरखक अवस्था में सुकरातअपन सिद्वांत लेलसत्ता सॅ भीङ गेलै विषपान करि लेलक मुदा अपन संगी हित चिंतक सभकदेश छाेङबा के़ जेहल सॅ पङेबा केआग्रहहार्दिक अनुनय विनय के़ ठाेकर मारि देलकै़ ।आेहाे त ‘एकटा एहेन उदाहरण प्रस्तुत क’ देलक जे आए धरि लाेकक ह्दय प्रदेश में बसि क’ असीम श्रद्वा सॅ आेकरा अमर रखने छै़ ।’
‘ हे़ सुनि लिए कान खाेलिक’ हम नै सुकरात छी़ आ’ नै बनब चाहै छी ताैं बनिह़ ।’आे पीत्ते आन्हर हाेमए लगला।
गप के आन दिसजाइत देखि हम अविलंबचारू कात सॅ घेर घारि क’लक्ष्य दिस बढेलहुॅ“खैर आे सब त’ बादक गप छै़ मुदा ‘ “अपन राज्यक” रूपरेखा लेल अहाॅक’ आलेख त’ बङ दमदाऱ बङ तथ्य पूर्ण छल़ आ’ सुनबा में आयल जे प्रधान मंत्री सेहाे अहि सकारात्मक प्रस्ताव’के बङ सराहलन्हि । ‘
आब आे कनि तनाव रहित नजरि आैलाह़ ‘हाै जखन राम राज्यक परिकल्पने करबा के छै़ त’ लिखनम की दरिद्रता आ’ कवि आ’ लेखक सॅ बेसी कल्पना शील प्राणी आर के हाेइत अछि।’
“जाैं आबए बला चुनाव में हम जीत गेलहूॅ त’ ताेरा अवस्स अपन स्ेाक्रेटरी बनैब। ‘आे विनाेदक मूड में आबि गेल छलाह। ‘एहेन काज जूनि करब़ विगत में एकटा चचाअपन स्ेाक्रेटरी बनल भातीजके’लंका में विभिषन कहि पद प्रहार करैत अपन घर सॅ निष्कासित क’ चुकल अछि ।’
आ’ अहि हॅसी ठठा में अपन राज्यक गप बुढिया के फुइस जकाॅ हवा बसात में उङि विलुप्त भ’ गेल छल ।
१.प्रकाश चन्द्र- पोथी-समीक्षा२.बिपिनझा-मजदूर सँ दूर मजदूर दिवस
१
प्रकाश चन्द्र
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा,
-भगवानदास रोड, नई दिल्ली – 01
पोथी-समीक्षा
जहिना विद्यापतिक बिना मिथिलाक परिकल्पना केनाई असभंव भ’ गेल अछि ओहिना विद्यापतिक रचना संसार हुनक श्रेष्ठ गद्य रचना पुरुष परीक्षा क बिना हुनकर अधूरा अछि ।
एहि सँ पहिनेएक बेर हम मलंगिया जीक संग मैथिली अकादेमी, पटना गेल रही आ ओही ठाम पुरुष परीक्षा किनलहु । मुदा, ओहि समय भाषाक जटिलता आ एकर गद्य रूप बेसी आकर्षित नए केलक । बाद मे पढल जायत ई सोचि किताबक रैक मे सजि गेल । लगभग पाँच साल बाद एहि बेर फेर मधुबनी भ्रमणक समय मलंगिया सर संग योगानंद सुधीर स’ भेंट होबाक मौका भेटल । परिचय पात भेलाक तुरत बाद योगानंद जी पुरुष परीक्षा हाथ मे थमौलनि । ई पोथी विद्यापति लिखल पुरुष परीक्षाक नाट्य रूप अछि । एक त’ ई दोसर मौका छल जे पुरुष परीक्षा हमरा हाथ मे आयल आ ओहो नाट्य रूप मे । अति प्रसन्नता भेल । दिल्लीक लेल गरीब रथ मे बैसल रही । गाड़ी नौ घंटा लेट । फाइदा ई जे एहि पार स’ ओहि पार पुरुष परीक्षा समाप्त । घर अयला बाद, फेर स’ निकाललहु राखल किताब ( विद्यापति कृत पुरुष परीक्षा; सम्पादक : श्री सुरेन्द्र झा ‘सुमन’) ओकरो समाप्त केलहु एक्के दिन मे ।
सुमन जीक संपादकत्व मे प्रकाशित पुस्तकक भूमिका अति सारगर्भित अछि । एहि मे सुमन जी लिखैत छथि – “विद्यापतिक धारणा छनि जे पुरुषक आकार धारण कयनिहार तँ बहुतो भेटताह किंतु वास्तव मे ओ पुरुष नहि पुरुषाभासे थिकाह । पुरुष तँ ओ थिकथि जनिकामे पुरुष लक्षण होनि । अर्थात जनिका मे वीरता, बुद्धि ओ विद्या होनि जे धर्म, अर्थ, काम ओ मोक्ष ई चारू पुरुषार्थ केँ सिद्ध कयनिहार होथि । एहि सँ आन जे छथि से पुरुष रूपमे जेना पुच्छहीन पशुए ।” विद्यापतिक पुरुष परीक्षा चारि परिच्छेद मे विभाजित अछि । पुरुष लक्षणक अनुसार प्रथम मे – वीरक, दोसर मे सुवुद्धिक, तेसर मे सविधक ओ चारिम परिच्छेद मे चारू पुरुषार्थक प्रतिपादक कथा अछि ।
सुरेन्द्र झा सुमन जीक भूमिका सँ बहुत रास तथ्य ओहिना एहि नाट्य रुपांतरण मे राखल गेल अछि । एहि नाट्य रूपक प्रकाशकीय मे लिखने छथि जगदीश मिश्र : पुरुष परीक्षाक सबस’ पहिने बँगला अनुवाद 1815 ई. मे पं. हर प्रसाद राय द्वारा कयल गेल । वर्ष 1830 मे एकर अंग्रेज़ी अनुवाद राजा कालीकृष्ण बहादुर द्वारा कयल गेल । आगू जाक’ एक बेर फेर अँग्रेज़ी मे जॉर्ज अब्राहम ग्रिअर्सन पुरुष परीक्षाक अनुवाद अँग्रेज़ी मे केलनि । संस्कृत मे लिखल पुरुष परीक्षाक मैथिली भाषा मे पहिल अनुवाद कवीश्वर चन्दा झा 1888 ई. मे केलनि । एकर बाद त’ कतेको बेर एकर संस्करण आ मैथिली करण होइत रहल अछि ।
एहि पुस्तक में प्रकाशकीय, अवतरणिका, पुरोवाक चरिटा परिच्छेद अछि । चरिटा परिच्छेद में बाँटल गेल अछि । एहि अनुक्रमणिकाक प्रथम परिच्छेद मे नौ, द्वितीय परिच्छेद में सात, तृतीय परिच्छेद में चौदह तथा पन्द्रहटा पाठ अछि । कुल मिला क’ पैंतालीस । अपन पुरोवाक में योगानंद जी सूचना दैत छथि जे ई रूपांतरण वर्ष 1990-95 के बीच कयल गेल आ 2005 ई. क अप्रैल स’ सप्ताहिक प्रसारण प्रसार भारती, पटना सँ भ’ चुकल अछि । एहि पुस्तक लेल ई महत्वपूर्ण अछि जे एकर नाट्य रूपांतरण रेडियो विधा में अति सुन्दर तरीका सँ प्रस्तुत होयत कारण एकर प्राय: सभ कथाक नाट्य मंचन 20-30 मिनटक होयत आ संगहि सभ कथा अपना आम में सम्पूर्णता लेने अछि । रेडियो नाटकक लेल जतेक तत्वक आवश्यकता होइछ से सब रूपांतरण में विद्यमान अछि ।
एहि ठाम हम विद्यापति लिखल पुरुष-परीक्षा का सन्दर्भक विशेष चर्चा नहि क’ क’ योगानंद सुधीर द्वारा कयल गेल एकर नाट्य रूपांतरणक चर्चा करब ।
ई निश्चित जे एहि तरहक काज करबा स’ विद्वतजन प्राय: कतराइत रहैत छथि । तकर कतेको कारण अछि – पहिल त’ एहन काज करबा लेल एक संग मूल पाठ आ नाट्य विधाक सेहो पूर्व जानकारी होयब जरूर होइछ । जकर प्राय: अभाव छै । दोसर ई जे एहन काज करबा लेल असीम धैर्यक आवश्यकता होइछ तकरो अभाव अछि । एहि संग आरो कतेको कारण अछि ।
पुरुष परीक्षाक सभ कथा के अध्ययन क’ओकर नाट्य रूपातरण करब अति कठिन काज छल । मूल पुस्तक मे प्राय: सभ कथा एक दोसर स’ जुड़ल अछि । एहि ठाम योगानन्द जी अत्यंत गंभीरता संग दुनू बातक ध्यान रखलनि अछि । पहिल त’ जे सभ नाट्यरूप एक दोसर स’ जूड़ल होयबाक चाही दोसर इहो जे सभ अपना आप मे स्वतंत्रो ओतबे होइ आ एहि दुनू सीमा पर योगानंद जी नीक जेना ठाढ़ भेलैत छथि ।
एहन ऎतिहासिक पुस्तक के नाट्यरुप मे सुगम संवादक संग प्रस्तुत करबा स’ मैथिली संसार समृद्ध भेल अछि । कोनो साहित्य नाट्यरूप मे संवाद प्रति संवाद मे पाठक के बेसी आकर्षित करैत छै तेँ एहि पुस्तकक इहो महत्वपूर्ण विशेषता भेल । कथाक नाट्यरूप बनेबाक लेल लेखक कतेको ठाम अपना दिस स’ पात्र गढ़लनि अछि से आरो कठिन काज छल । हँ ! कतौ कतौ पात्रक बीच संवादक बटबारा मे असंतुलन भ’ गेल अछि । कोनो कोनो पात्र के संवाद अत्यधिक लम्बा भ’ गेल अछि जेना – दयावीर-2 मे अल्लावद्दीन आ हम्मीरदेवक संवाद, चोर-5 मे विक्रमक संवाद, सुबुद्धि-॥ मे गणेश्वर आ वामदेवक संवाद आदि । कोनो नाट्यरूप बहुत छोट भ’ गेल अछि जेना तमोगुणी धार्मिक-31 ।
अंत मे हम ई त’ नहि कहि सकब जे एहि पुस्तकक कतेक नाट्य रूपक मंचन कयल जायत मुदा ई त’ निश्चित जे मैथिली नाट्य साहित्य के योगानंद सुधीर जी अति महत्वपूर्न पुस्तक प्रदान केलैथ अछि । एहि लेल हमरा सभकेँ हुनकर आभारी होमक चाही ।ई पुरुष परीक्षाक नाट्य रूपांतरण साहित्यिकी प्रकाशन, सरिसब पाही, मधुबनी सँ प्रकाशित कयल गेल अछि । पुस्तकक मूल्य 200 टाका आ कुल पृष्ठ सं. 318 अछि । पुस्तक प्राप्ति स्थान – प्रो. योगानन्द सिंह झा, वार्ड नं.- 06, विनोदानंद झा कॉलोनी, मधुबनी- 847211 (बिहार) ।
२
बिपिनझा
मजदूर सँ दूर मजदूर दिवस
मजदूर दिवस पर किछु लिखै लय सोचलहुँ त विभिन्न लेबर चौराहा पर भौरे-भोर एकत्रित भेल मजदूर सभक छबि सामने आबि जाइत अछि। दीन हीन दशा कमजोर स्वास्थ्य, चेहरा पर काज भेटैकऽ आशा धारण करने, अवैवला व्याqक्त (मालिक) के तरफ दौगैइक सिलसिला आ कते दिन १२-१ बजे तक काज नै भेटला पर आशा समाप्त भेला पर निस्तेज चेहरा लेने घर वापस जाइक प्रक्रम इ सभटा उपनिषद्वाक्य `श्रमेव जयते' कऽ असली आयना देखवै छैक। इ सभटा मजदूर मुल्कराज आनन्द कऽ उपन्यास `कुली' के कुली कऽ भूमिका में एकदम फिट वैसैत छै।
आखिर इ प्रश्न बार-बार दिमाग में कौध जाइत अछि जे आइ कऽ श्रम प्रधान विश्व में, श्रमकऽ पूजा करैवला भारत वर्ष में मजदूर वर्ग कऽ विशेषकर असंगठित क्षेत्रकऽ मजदूरकऽ इ कारुणिक दुर्दशा किया छैक। ओकर की अपराध? गरीब भेनै, शोषित भेनै, मजबूर भेनै अथवा विधाता कऽ जगत् प्रपंच कऽ हिस्सा भेनै?
र्आिथक असुरक्षा - सामाजिक असुरक्षा - उद्योगपति मालिक वर्ग के शोषण - तथाकथित उच्च वर्ग के अपमानपूर्ण दृष्टिकोण - सरकारी उपेक्षा - भयंकर निम्न जीवन स्तर के अपन नियति माननिहार श्रमिक वर्ग कऽ इ दशा कोनो प्रगतिशील उद्यमशील समाज पर कलंक थीक।
यद्यपि श्रमिक वर्ग कऽ कल्याण - न्याय के हेतु कते तरह कऽ नाटक साम्यवाद माक्र्सवाद समाजवाद, Nउध्, ट्रेडयूनियनवाद के रूप में कियान भेलै इ सभ श्रमिक वर्ग कऽ दशा कऽ इंटलेक्चुअल मार्वेâिंटग कय अपन दुकान चले लथि आ परिणाम कऽ के रूप में वार्तानाम केवलम्।
ग्रामीण क्षेत्र में चलैत नरेगा कऽ नाम पर सरकार भले कते किया। अपन पीठ ठोकटि वास्तविकता त इ थीक जे इ सभटा कार्यक्रम अपन उद्देश्य सँ कोसो दूर अछि।
वास्तव में इ समाज सरकार के प्राथमिक कर्तव्य हेवाक चाही कि ओ समाज क इ मजबूत हाथ के मजबूती प्रदान करैथि अन्यथा राष्ट्र अपन आत्मा कऽ हनन कय किन्हऊ आगा नहि बढ़ि सवैâत अछि। आशा अछि जे इ मजदूर दिवस किछु विशेष रहत जे श्रमिक वर्ग के जीवन में किछु प्रकाश अवश्य आनत ताकि हम सब श्रमेव जयते कऽ सार्थक कय सकी।