१. संपादकीय संदेश
२. गद्य
गजेन्द्र ठाकुर- उल्कामुख (आगाँ)
मनोज झा मुक्ति- विद्यापति स्मृति समारोह वास्ते हमर दरभंगा यात्रा २.
नरेन्द्र मिश्र ३.
नवेंदु कुमार झा- मिथिला राज्यक विरोध मे उतरलाह डा॰ मिश्र/ पर्यटनक उद्योग पर सरकारक बढ़ल जोर विकसित होएत हलेश्वर पुनौरा आ पंथपाकर/ लोकायुक्तक मामिला मे सत्ता आ विपक्ष मे गतिरोध/ मनाओल गेल दरभंगा महाराजक जन्म दिवस/ प्रदेश मे खूजत पशु विश्वविद्यालय/ टाका नहि खर्च कएला पर बंद होएत आवंटन ४.
प्रभात राय भट्ट- रोटी रोजीक खोजी३. पद्य
३.७.१.
डॉ॰ शशिधर कुमर २
नवीन कुमार "आशा"४. मिथिला कला-संगीत-१.
ज्योति सुनीत चौधरी २.
श्वेता झा (सिंगापुर) ३.गुंजन कर्ण
४.
राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) ५.
उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)
६.बालानां कृते-
डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”
७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]
9. VIDEHA MAITHILI SAMSKRIT EDUCATION
बिपिन कुमार झा-संवादः(contd.)
http://devanaagarii.net/
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भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'
मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
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१. संपादकीय
रचना आ रचनाकारपर अपन प्रतिक्रिया ggajendra@videha.com वा https://www.facebook.com/groups/videha/permalink/207867575958045/ थ्रेडक कमेन्ट बॉक्समे दी से आग्रह। ई समस्त डिसकशन ३१ दिसम्बर २०११ धरि चलत। तकर बाद रचना/ रचनाकार शॉर्टलिस्ट कऽ कऽ वोटिंग १ जनवरी २०१२ सँ शुरू हएत।
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१२-१३ :ऐ लेल श्री राजनन्दन लाल दास, श्री डॉ. अमरेन्द्र आ श्रे चन्द्रभानु सिंहक नामक प्रस्ताव हम दऽ रहल छी। हिनकर सभक समग्र योगदानपर पाठकसँ टिप्पणीक संग कोनो आन नाम जे पाठक देबए चाहथि, आमंत्रित अछि।
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी मूल पुरस्कार -१२ : ऐ लेल श्री बेचन ठाकुरक “बेटीक अपमान आ छीनरदेवी”(दूटा नाटक), श्री राजदेव मण्डलक “अम्बरा” (कविता-संग्रह), श्रीमती शेफालिका वर्माक “किस्त-किस्त जीवन (आत्मकथा), श्रीमती आशा मिश्रक “उचाट” (उपन्यास), श्री उदय नारायण सिंह “नचिकेता”क “नो एण्ट्री:मा प्रविश (नाटक), श्रीमती विभा रानीक “भाग रौ आ बलचन्दा” (दूटा नाटक), श्री सुभाष चन्द्र यादवक “बनैत बिगड़ैत” (कथा-संग्रह), श्रीमती पन्ना झाक “अनुभूति” (कथा संग्रह), संग समय के (कविता संग्रह)- महाप्रकाश, भावनाक अस्थिपंजर (कविता संग्रह)- वीणा कर्ण, तारानन्द वियोगी- प्रलय रहस्य (कविता-संग्रह) आ श्री महेन्द्र मलंगियाक “छुतहा घैल” (नाटक)क नामक प्रस्ताव हम दऽ रहल छी। हिनकर सभक पोथीपर पाठकसँ टिप्पणीक संग कोनो आन नाम जे पाठक देबए चाहथि, आमंत्रित अछि। ई पोथी सभ २००८, २००९ वा २०१० मे प्रकाशित हेबाक चाही।
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार -१२ : ऐ लेल हम श्री जगदीश प्रसाद मण्डल जीक “तरेगन”(बाल-प्रेरक कथा संग्रह), जीवकांत - खिखिरक बिअरि आ मुरलीधर झाक “पिलपिलहा गाछ”क नामक प्रस्ताव हम दऽ रहल छी। हिनकर सभक पोथीपर पाठकसँ टिप्पणीक संग कोनो आन नाम जे पाठक देबए चाहथि, आमंत्रित अछि। ई पोथी सभ २००६सँ २०१० धरि प्रकाशित हेबाक चाही।
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार -१२ : ऐ लेल हम श्रीमती ज्योति सुनीत चौधरीक “अर्चिस” (कविता संग्रह), श्री विनीत उत्पलक “हम पुछैत छी” (कविता संग्रह), कामिनीक “समयसँ सम्वाद करैत”, (कविता संग्रह), आदि यायावरक “भोथर पेंसिलसँ लिखल” (कथा संग्रह),, श्री उमेश मण्डलक “निश्तुकी” (कविता संग्रह), श्री प्रवीण काश्यपक “विषदन्ती वरमाल कालक रति” (कविता संग्रह), श्री दिलीप कुमार झा "लूटन"क जगले रहबै (कविता संग्रह), श्री आशीष अनचिन्हारक "अनचिन्हार आखर"(गजल संग्रह) आ श्री अरुणाभ सौरभक “एतबे टा नहि” (कविता संग्रह)क नामक प्रस्ताव हम दऽ रहल छी। हिनकर सभक पोथीपर पाठकसँ टिप्पणीक संग कोनो आन नाम जे पाठक देबए चाहथि, आमंत्रित अछि। ई पोथी सभ २०११ धरि प्रकाशित हेबाक चाही।३१ दिसम्बर २०११ धरि प्रकाशित रचना अहाँ दऽ सकै छी, कारण ई डिसकशन ३१ दिसम्बर २०११ धरि चलत; तकर बाद रचना/ रचनाकार शॉर्टलिस्ट कऽ कऽ वोटिंग १ जनवरी २०१२ सँ शुरू हएत।
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार -१३ : ऐ लेल हम श्री नरेश कुमार विकल (ययाति,मराठी उपन्यासक अनुवाद मूल लेखक श्री विष्णु सखाराम खांडेकर), श्री महेन्द्र नारायण राम (कार्मेलीन,कोंकणी उपन्यासक अनुवाद मूल लेखक श्री दामोदर मावजो), श्री देवेन्द्र झा (बांग्ला उपन्यासक अनुवाद मूल लेखक श्री दिव्येन्दु पालित) आ श्रीमती मेनका मल्लिक (देश आ अन्य कविता सभ- रेमिका थापा, नेपाली), कृष्ण कुमार कश्यप आ शशिबाला- मैथिली गीतगोविन्द (जयदेव - संस्कृत) क नामक प्रस्ताव हम दऽ रहल छी। हिनकर सभक पोथीपर पाठकसँ टिप्पणीक संग कोनो आन नाम जे पाठक देबए चाहथि, आमंत्रित अछि। ई पोथी सभ २००९, २०१० वा २०११ मे प्रकाशित हेबाक चाही।३१ दिसम्बर २०११ धरि प्रकाशित रचना अहाँ दऽ सकै छी, कारण ई डिसकशन ३१ दिसम्बर २०११ धरि चलत; तकर बाद रचना/ रचनाकार शॉर्टलिस्ट कऽ कऽ वोटिंग १ जनवरी २०१२ सँ शुरू हएत।
रचना आ रचनाकारपर अपन प्रतिक्रिया ggajendra@videha.com वा https://www.facebook.com/groups/videha/permalink/207867575958045/ थ्रेडक कमेन्ट बॉक्समे दी से आग्रह। ई समस्त डिसकशन ३१ दिसम्बर २०११ धरि चलत। तकर बाद रचना/ रचनाकार शॉर्टलिस्ट कऽ कऽ वोटिंग १ जनवरी २०१२ सँ शुरू हएत।
पूर्व पीठिका:
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान दिसम्बर मासमे कोलकाता, दरभंगा, झंझारपुर आ पटनामे देल जाएत, ऐमे प्रशस्ति-पत्र आ पदक देल जाएत। विस्तृत विवरण शीघ्र देल जाएत। ऐ बेरुका पुरस्कारक सूची:-
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान
१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२
२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)
सूचना: २. गूगल मैथिली: गूगल लैंगुएज टूल-
http://www.google.com/transconsole/giyl/chooseProject अपन योगदान गूगल ट्रांसलेट लेल करू, आ कएल सम्पादन बदलबा काल कारण मे (अंग्रेजीमे) "बिहारी" नाम्ना कोनो भाषा नै हेबाक चर्चा करू। ऐ लिंकपर अनुवाद करू; गूगल एकाउंट सँ लॉग इन केलाक बाद ।
http://www.google.com/transconsole/giyl/chooseActivity?project=gws&langcode=bh
ऐ लिंक http://www.google.co.in/language_tools?hl=en केँ मैथिलीक उपलब्धता लेल चेक करैत रहू।
सूचना: ३.विकीपीडिया मैथिली:
मीडियाविकीक २६०० संदेश अंग्रेजीसँ मैथिलीमे विदेहक सदस्यगण द्वारा अनूदित कऽ देल गेल अछि। आब http://translatewiki.net/wiki/Special:Translate?task=untranslated&group=core-mostused&limit=2000&language=mai ऐ लिंकपर Group मे जा कऽ ड्रॉपडाउन मेनूसँ अ-अनूदित मैसेज अनूदित करू। जँ अहाँ विकीपीडियाक ट्रान्सलेटर नै छी तँ http://translatewiki.net/wiki/Project:Translator ऐ लिंकपर मैथिलीमे ट्रान्सलेट करबाक अनुमतिक लेल अनुरोध दियौ, ऐ सँ पहिने ओतै ऊपरमे दहिना कात लॉग-इन (जँ खाता नै अछि तँ क्रिएट अकाउन्ट) कऽ आ प्रेफरेन्समे भाषा मैथिली लऽ अपन प्रयोक्ता खाताक लिंककेँ क्लिक कऽ अपन प्रयोक्ता खात पन्ना बनाउ। किछु कालमे अहाँकेँ ट्रान्सलेट करबाक अनुमति भेट जाएत। तकरा बाद अनुवाद प्रारम्भ करू।
http://translatewiki.net/wiki/Project:Translator
http://meta.wikimedia.org/wiki/Requests_for_new_languages/Wikipedia_Maithili
http://translatewiki.net/wiki/Special:Translate?task=untranslated&group=core-mostused&limit=2000&language=mai
http://incubator.wikimedia.org/wiki/Wp/mai
http://translatewiki.net/wiki/MediaWiki:Mainpage/mai
विदेहक तेसर अंक (१ फरबरी २००८)मे हम सूचित केने रही- “विकीपीडियापर मैथिलीपर लेख तँ छल मुदा मैथिलीमे लेख नहि छल,कारण मैथिलीक विकीपीडियाकेँ स्वीकृति नहि भेटल छल। हम बहुत दिनसँ एहिमे लागल रही आ सूचित करैत हर्षित छी जे २७.०१.२००८ केँ (मैथिली) भाषाकेँ विकी शुरू करबाक हेतु स्वीकृति भेटल छैक, मुदा एहि हेतु कमसँ कम पाँच गोटे, विभिन्न जगहसँ एकर एडिटरक रूपमे नियमित रूपेँ कार्य करथि तखने योजनाकेँ पूर्ण स्वीकृति भेटतैक।” आ आब जखन तीन सालसँ बेशी बीति गेल अछि आ मैथिली विकीपीडिया लेल प्रारम्भिक सभटा आवश्यकता पूर्ण कऽ लेल गेल अछि विकीपीडियाक “लैंगुएज कमेटी” आब बुझि गेल अछि जे मैथिली “बिहारी नामसँ बुझल जाएबला” भाषा नै अछि आ ऐ लेल अलग विकीपीडियाक जरूरत अछि। विकीपीडियाक गेरार्ड एम. लिखै छथि ( http://ultimategerardm.blogspot.com/2011/05/bihari-wikipedia-is-actually-written-in.html )
-“ई सूचना मैथिली आ मैथिलीक बिहारी भाषासमूहसँ सम्बन्धक विषयमे उमेश मंडल द्वारा देल गेल अछि- उमेश विकीपीडियापर मैथिलीक स्थानीयकरणक परियोजनामे काज कऽ रहल छथि, ...लैंगुएज कमेटी ई बुझबाक प्रयास कऽ रहल अछि जे की मैथिलीक स्थान बिहारी भाषा समूहक अन्तर्गत राखल जा सकैए ?..मुदा आब उमेश जीक उत्तरसँ पूर्ण स्पष्ट भऽ गेल अछि जे “नै”। ”
रामविलास शर्माक लेख (मैथिली और हिन्दी, हिन्दी मासिक पाटल, सम्पादक रामदयाल पांडेय) जइमे मैथिलीकेँ हिन्दीक बोली बनेबाक प्रयास भेल छलै तकर विरोध यात्रीजी अपन हिन्दी लेख द्वारा केने छलाह , जखन हुनकर उमेर ४३ बर्ख छलन्हि (आर्यावर्त १४/ २१ फरबरी १९५४), जकर राजमोहन झा द्वारा कएल मैथिली अनुवाद आरम्भक दोसर अंकमे छपल छल। उमेश मंडलक ई सफल प्रयास ऐ अर्थेँ आर विशिष्टता प्राप्त केने अछि कारण हुनकर उमेर अखन मात्र ३० बर्ख छन्हि। जखन मैथिल सभ हैदराबाद, बंगलोर आ सिएटल धरि कम्प्यूटर साइंसक क्षेत्रमे रहि काज कऽ रहल छथि, ई विरोध वा करेक्शन हुनका लोकनि द्वारा नै वरन मिथिलाक सुदूर क्षेत्रमे रहनिहार ऐ मैथिली प्रेमी युवा द्वारा भेल से की देखबैत अछि?
उमेश मंडल मिथिलाक सभ जाति आ धर्मक लोकक कण्ठक गीतकेँ फील्डवर्क द्वारा ऑडियो आ वीडियोमे डिजिटलाइज सेहो कएने छथि जे विदेह आर्काइवमे उपलब्ध अछि।
TIRHUTA UNICODE
See the final UNICODE Mithilakshara Application (May 5, 2011) by Sh. Anshuman pandey http://std.dkuug.dk/JTC1/SC2/WG2/docs/n4035.pdf at Page 23 the Videha 80th issue (Tirhuta version) is attached"Figure 11: Excerpt from a Maithili e-journal published as PDF (from Videha 2011: 22" and at Page 12 Videha is included in References Videha: A fortnightly Maithili e-journal. Issue 80 (April 15, 2011), Gajendra Thakur [ed]. http://www.videha.co.in/. and role of Videha's editor is acknowledged on Page 12 "Gajendra Thakur of New Delhi graciously met with me and corresponded at length about Maithili, offered
valuable specimens of Maithili manuscripts, printed books, and other records, and provided feedback regarding requirements for the encoding of Maithili in the UCS."
( विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ अखन धरि ११६ देशक १,९६२ ठामसँ ७०,३९८ गोटे द्वारा विभिन्न आइ.एस.पी. सँ ३,३१,७७९ बेर देखल गेल अछि; धन्यवाद पाठकगण। - गूगल एनेलेटिक्स डेटा। )
गजेन्द्र ठाकुर
ggajendra@videha.comhttp://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html
२. गद्य
गजेन्द्र ठाकुर- उल्कामुख (आगाँ)
मनोज झा मुक्ति- विद्यापति स्मृति समारोह वास्ते हमर दरभंगा यात्रा २.
नरेन्द्र मिश्र ३.
नवेंदु कुमार झा- मिथिला राज्यक विरोध मे उतरलाह डा॰ मिश्र/ पर्यटनक उद्योग पर सरकारक बढ़ल जोर विकसित होएत हलेश्वर पुनौरा आ पंथपाकर/ लोकायुक्तक मामिला मे सत्ता आ विपक्ष मे गतिरोध/ मनाओल गेल दरभंगा महाराजक जन्म दिवस/ प्रदेश मे खूजत पशु विश्वविद्यालय/ टाका नहि खर्च कएला पर बंद होएत आवंटन ४.
प्रभात राय भट्ट- रोटी रोजीक खोजी
मुन्नाजीक संग
रामभरोस कापड़ि “भ्रमर”क बातचीतक अंश:









बृषेश चन्द्र लालजी सँ
मुन्नाजी पुछैत छथि ढेर रास गप
१.अपने अपन साहित्यिक यात्रा मादेँ कही जे एकर शुरुआत कतऽसँ आ कोना भेल ?
हम अपनाकेँ साहित्यकार नहि मानैत छी । कारण, हमरा ज्ञानेँ साहित्यकारक औसत पंक्तिमे ठाढ़ हुअएवास्ते भाषा आ साहित्यक औपचारिक नहि तँ किछु अनिवार्य अध्ययन अवश्य हएबाक चाही जे हमरामे नहि अछि । हँ, हमरा अपन मातृभाषामे लिखएमे मोन लगैत अछि । एकर कएटा कारण छैक —प्रथमतः, हमरा लगैत अछि जे हम मैथिलीमे सहजतासँ अपन अभिव्यक्ति कऽ सकैत छी आ एहिलेल कोनो अनुवादक अभ्यास नहि करए पड़ैत अछि । दोसर, हम जीवनभरि आत्मसम्मान, व्यक्तिक स्वतन्त्रता, सभक अपन खास परिचय सहितक सम्मानित विविधता आ बहुलवादी समाजक निर्माणहेतु लड़ैत अएलहुँ । मैथिलीमे लिखैत काल हमरा लगैछ जेना हम ओही लड़ाईकेँ आगाँ बढ़ारहल छी । तेसर, इहो जे लोक लिखैत अछि लोककेँ सुनाबए–बुझाबएलेल आ भाषा वएह प्रयोग कएल जाइत छैक जे एहि कार्यलेल सभसँ उपयुक्त होइक ।
ओना हम जहिआ आठ कक्षामे पढ़ैत रही, मैथिलीक कक्षादिस छात्र–छात्राक ठहक्का सुनि कऽ आकर्षित भेलहुँ । पं. सच्चिदानन्द झा मैथिली पढ़बथिन्ह । हुनक शिक्षणक शैली एतेक रोचक आ हँसीठट्ठाबला रहन्हि जे विद्यार्थीसभ सोझहिं आकर्षित भऽ जााइक । दोसर कक्षाक विद्यार्थीसभ सेहो आबिकए बैसि रहैक हुनकर गप्प सुनएलेल । हमरो बड्ड नीक लागल । रोचक, जानकारीमूलक, मनोरंजक आ सहजेँ बुझएमे आबएबला विषय के नहि चुनत ? हमहुँ मैथिली विषय लऽ लेलहुँ । ओ मिथिला मिहिरक चर्च बरोबरि करथिन्ह । हमर अग्रज गरिश चन्द्र लाल आ शिबेन्द्र लालजी मिथिला मिहिरक प्रेमी, तैँ हमरा ओतए मिथिला मिहिर नियमित अबैक । बस पढ़ए लगलहुँ । नेनाभुटका स्तम्भ हमरा बेस आकषर््िात कएलक आ इच्छा भेल जे हमहुँ लिखतहुँ । मुदा साहस नहि हुअए । कहुना कऽ बतहु मामापर एक गोट कथा लिखलहुँ आ डेराइत–डेराइत गुरुजीकेँ ( पं. सच्चिदानन्द झा) देलिअन्हि । ओ पढ़लखिन्ह, नीक लगलन्हि आ बड्ड खुश भेलाह । मैथिलीक कक्षामे हमर खूब प्रशंसा कएलन्हि आ ओ अपनेसँ मिथिला मिहिरमे पठा देलखिन्ह ।
एना, हमर पहिल रचना आईसँ ४३ वर्ष पहिने प्रकाशित भेल छल । लेखनक शुरुआत एतहिंसँ बुझू । तकरबाद हमर आत्मविश्वास बढ़ि गेल । हमरासभक स्कूलमे (श्री सरस्वती बहुउद्देश्यीय माध्यमिक विद्यालय, जनकपुर) प्रत्येक शुक्रदिन १ घण्टा सांस्कृतिक कार्यक्रम होइक । ओहिमे जरुर भाग लिऐक हमसभ । कहियो कविता तँ कहियो प्रहसन लऽ कऽ । हम आ परमेश्वर कापड़ि जे एखन मैथिली विभागक प्राध्यापक छथि जनकपुरमे, लेखनक काज करिऐक । हम खास कऽ हास्य–व्यङ्गक कविता प्रहसन तैयार करी । परमेश्वर बेसी रचनात्मक रहए ।
२. अहाँ एकटा राजनेता सेहो छी तँ कहू जे साहित्य आ राजनीति मध्य की समानता वा विषमता देखाइए ?
बहुत मुश्किल प्रश्न अछि । एहिमादेँ हम कहियो सोचबे नहि कएलहुँ । हमरा लगैत अछि राजनीतिसँ साहित्य अलगो नहि भऽ सकैत अछि आ दुनू एकदम अलग सेहो अछि । वास्तवमे कही तँ ई सोचपर निर्भर करैत छैक । यदि साहित्य समाजक झरोखा अछि तँ ई राजनीतिसँ कोना पृथक रहि सकत ? राजनीति समाजक एकटा अङ्ग छैक ने ! फेर अहाँ झरोखासँ जे देखैत छी सएह अभिव्यक्त करैत छी । कोनो राजनैतिक उद्देश्यसँ परिचालित वा पूर्वाग्रही नहि छी तँ तखन निश्चय ओ रचनासभ राजनीतिक उद्देश्यसँ अलग भऽ जाइत छैक । ओना कही तँ हमरा जनिते समाजमे गुणात्मक परिवत्र्तनवास्ते यदि राजनीतिक उद्देश्योसँ अभिप्रेरित भऽ रचना रचित होइत अछि तँ ओ स्वागतयोग्य अछि । आखिर साहित्यमे प्रगतिशीलता एकरे ने कहतैक ! बहुतो महानुभावसभ निरन्तर घोषित करैत रहैत छथि जे हुनक साहित्य राजनीतिसँ अलग छनि मुदा तरेतर वएह पूर्वाग्रही रहैत छथि, कोनो स्वार्थसँ परिचालित रहैत छथि । एहन अवस्थामे साहित्यक स्वतन्त्रताप्रति बलात्कार होइत छैक । एहिसँ नीक जे ओ अपन राजनीतिक उद्देश्यकेँ घोषित करथि आ फेर रचैथ । एहिसँ आम जनताकेँ आ पाठककेँ मूल्याङ्कन करएमे आ रचनाक भीतरतक जाएमे सुगम हएतैक ।
३. राजनीतिक रुपेँ अपनाकेँ कतेक सफल बुझैत छी वा राजनीतिमे अपनाकेँ कतऽ पबैत छी ?
हम फेर कहब जे सफलताक सम्बन्धमे सेहो अपन–अपन दृष्टिकोण होइत छैक । बहुतो राजनीतिमे सफलताकेँ पद प्राप्तिसँ जोड़ि कऽ देखैत छथि । ताहि हिसाबेँ हम एहि क्षेत्रमे अपनाकेँ ओतेक सफल नहि बुझैत छी । हमरासभ जहिआ राजनीतिमे अएलहुँ तहिआ पदक बारेमे कोनो सोच नहि रहैत छलैक । हमसभ राजाशाहीक अन्त्य आ लोकतन्त्रकक स्थापनाक लेल राजनीतिमे कूदल रही । हमसभ राजनीति शब्दो नहि बुझिऐक । संघर्ष, बलिदान आ त्यागक मात्र गप्प–सप्प होइक । एहि क्षेत्रमे प्रवेशक अर्थ रहैक कखन मारल जाएब वा कखन पकड़ाकए जेलमे जाएब से अनिश्चित मुदा पूर्ण सम्भावनायुक्त । पूर्ण रुपसँ अनुशासित रहए पड़ैक । हमर शिक्षा सेहो नेपालेमे भेल । स्नातक आ स्नातकोत्तर हम जेलसँ कएलहुँ तैँ भारतमेक लोकतन्त्रक सियासी जोड़तोड़सँ सेहो परिचय नहि भेल । किछु मित्रसभ एहि मामिलामे अनुभवी छलाह तैँ जोड़तोड़मे हम सभ दिन पाछाँ रहलहुँ । बेसी परिवत्र्तनकामी आ मुहँफट भेलाक कारणेँ सेहो बहुतो सहए पड़ल । मुदा, हम सन्तुष्ट छी । लोकतन्त्रलेल लड़ल आ एखन नेपालमे लोकतन्त्र छैक । ज्ञानेन्द्रक समयमे लोकतन्त्रपर ग्रहण लागि गेल छलैक । हम प्रतिगमनक विरुद्ध सेहो वएह लगनसँ लड़लहुँ । हमरासभक कतेक मित्र काठमाण्डूक रत्नपार्कमे दिन देखारे हमरासभकेँ छोड़ि कऽ ज्ञानेन्द्रक (तत्कालिन राजा) कित्तामे चलि गेलाह मुदा हम कहिओ सम्झौता नहि करएबलामे समूहमे रहलहुँ । तैँ राजनीतिमे हमरा कहिओ हीन भावना वा पश्चाताप नहि भेल । हम जे कऽ रहल छी ताहिमे हमरा नीक लगैत अछि । तैँ करैत छी । एहि दृष्टिकोणेँ हम राजनीतिमे पूर्ण सफल छी ।
४. प्रश्न ः लोकतन्त्रक हेतु संघर्षमे कतेक दिन जेल रहलहुँ । कतेक यातना भोगए पड़ल ?
हम लोकतन्त्रक लडाईमे १७ बेर गिरपm्तार भेल छी । बहुतबेर दिन वा महीनामे जेलमे रहलहुँ । ५ बेर नाम अवधि तक किछु वर्षकलेल । लगभग ८ वर्ष जेलजीवन बिताबए पड़ल अछि । १९७३–१९९० धरि बेसी काल जेलमे बीतल । फेर ज्ञानेन्द्रक समयमे ।
........ जेल जेलेसन होइत छैक । हरीसमे ठोकि दैक । चित्त सुतए पड़ल । करोट नहि फेर सकैत छी । किछु बजलिऐक कि सटकासँ मारि–मारि सोझ कऽ दैक । पेशाप लागल तँ लोटामे करु । उड़िस आ कीराक प्रकोप अलगे । भेँट नहि करए देत परिवार वा मित्रजनसँ । वर्षातमे चुअएबला घरमे कोंचि दैक । कतेक कहू । हमरा तँ जेलेसँ दू बेर हत्या करक योजना बनल । १९७५मे हमरा, बिमलेन्द्र निधि, महेन्द्र मिश्र आ रामप्रसाद गिरिकेँ काठमाण्डूक केन्द्रिय कारागारसँ मारकलेल निकालल गेल मुदा पता नहि फेर की भेलैक घुमाकए नखुजेलमे पहुँचा देल गेल । साँझमे गोकर्ण, ठगी सहित ४ गोटेक नखुक कातमे हत्या कऽ देलकैक । दोसर बेर हमरा, रामचन्द्र तिवारी, स्मृतिनारायण आ युवराज खातीकेँ जलेश्वर जेलसँ सिन्धुली लऽ जा कऽ मुदा हत्याकलेल पुलिसकेँ अनुकूलता नहि भेलैक । हत्यासँ पहिने भारतीय दैनिक आजमे समाचार छपि गेलैक आ फेर आन्दोलन लगले सफल सेहोभऽ गेलैक । सिन्धुलीसँ हमरासभकेँ रिहा कएल गेल । ........ बहुतोकेँ अहूसँ विकट–विकट यातना भोगए पड़ल छन्हि ।
५. साहित्य लेखन आ राजनीति, पहिल शुरुआत अहाँकेँ कै सँ भेल आ दोसर दिस कोना उन्मुख भेलहुँ ?
ओना सालक गणना करी ता लेखनक शुरुआत पहिने भेल । मुदा राजनीतिमे संलग्नता अपनेआप होइत गेलैक । वस्तुतः हाइस्कूलेसँ हम राजनीतिमे लागि गेलहुँ मुदा प्रत्यक्ष आ पूर्ण संलग्नता ३९ वर्ष पहिने भेल । हम काठमाण्डूक अमृत साइन्स कलेजमे छात्र यूनियनक चुनाव लड़ल रही । हम तहिआ नेपाली काँग्रेसक नेता बोधप्रसाद उपाध्याय, सरोजप्रसाद कोइराला आ महन्थ ठाकुरक निर्देशनमे काज करी । बादमे वीपी कोईराला, कृष्णप्रसाद भट्टराई, गिरिजाप्रसाद कोईराला, महेन्द्रनारायण निधि, महेश्वर प्रसाद सिंह आदिक प्रत्यक्ष सम्पर्क आ संगे काज कएलहुँ ।
लेखन निरन्तर चलैत रहल । हमर बहुतो रचना संग्रहित नहि अछि । वास्तवमे कही तँ हम एहिदिस ओतेक गम्भीर नहि रही । लिखी सुना दिएैक, हँसि ली मुदा प्रयोगक बाद ओकर संरक्षण नहि होइक । ई हमर जीवनक बहुत बड़का कमजोरी रहल । बहुत संगी एखन स्मरण करबैत छथि — स्कूलिया जीवनक रचनासभ, जेलक गीत, प्रहसन, व्यङ्ग आदि ।
हम वास्तवमे एकटा छोड़ि दोसरदिस उन्मुख नहि भेलौं । हमरा कनेको समय भेटैत अछि वा असगर रहैत छी तँ लिखए लगैत छी । बड्ड आनन्द अबैत अछि । हम पूर्णतः अपन आनन्दलेल लिखि लैत छी । हमर रचनासभक कहिओ कोनो उल्लेख्य समीक्षा नहि भेल । हम एहिलेल कहिओ प्रयत्नशील सेहो नहि रहलहुँ । हमरा बस आनन्द अबैत अछि । मुदा एकटा गप्प कहब, मैथिलीमे साहित्यकारलोकनि एको अहं के रोगसँ ग्रसित छथि । एकरा एकटा समूहक जातिक धरोहर बुझैत छथिन । अपनेसभमे समीक्षा करब, अपनेसभक चर्च करब, अपनेसभ पुरस्कार लऽ लेब — एकटा प्रवृति छैक । हम अपन आदतिसँ मजबूर छी मित्रगण क्रोधित भऽ जएताह । तैया,े हम एखनतक नहि बुझए सकलिएैक जे एहिसँ लाभमे के रहैत छथि ? साहित्यकेँ तँ पूरा हानि होइत छैक ने ! ई मानसिकता जे हटि जएतैक तँ मैथिलीक विकास अत्यन्त दु्रत गतिसँ होइतैक । नव पीढ़ीमे एहि मादेँ किछु परिवत्र्तन देखएमे आएल अछि । ..... कतेक बेर तँ इहो देखएमे अबैत अछि जे नव साहित्यकार किछु दिनतक एहन मानसिकतासँ मुक्त रहैत छथि मुदा जेनाजेना स्थापित होइत जाइत छथि वएह भायरससँ संक्रमित भऽ जाइत छथि ।
६. अहाँँक पार्टीक मुख्य ध्येय की अछि ? ई पार्टी जनहितमे कतेक निकटतम देखाइए ?
एखन हम तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीमे छी । हम एकर प्रथम ९ संस्थापक सदस्यमेसँ एक छी । हमर राजनीति नेपाली काँग्रेससँ प्रारम्भ भेल । लोकतन्त्रलेल लडैत अएलहुँ । दिर्घ संघर्षक बाद लोकतन्त्रक स्थापना सेहो भेलैक आ अभ्यास सेहो । मुदा हमसभ महशूस कएलिऐक जे लोकतन्त्र यदि समावेशी नहि अछि , विविधताक सम्मानमे विश्वास नहि करैत अछि तँ ओहन लोकतन्त्र किछु लोकक लोकतन्त्र भऽ जाइत छेक । एहिसँ पिछड़ल, विभेदमे पड़ल लोक आ समुदायक कल्याण सम्भव नहि छैक । नेपालमे मधेशीक प्रति राज्य प्रायोजित विभेद होइत आएल छैक । तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी एकर समाधान चाहैत अछि । संघीयताक अभ्यास सँ सभ प्रकारक विभेदक अन्त्य चाहैत अछि । हमर पार्टी संघीयतामे अपन क्षेत्रमे स्वशासन आ फेर केन्द्रमे सहशासनलेल प्रतिवद्ध अछि । हमरा लगैत अछि मधेशमे विभेद अन्त्य करक यएह एक गोट उपयुक्त उपाय छैक ।
७. की अपन विचारक विस्तार वास्ते साहित्यक उपयोग करैत छी ?
से हमरा नहि बुझल अछि भऽ सकैछ जे हमर लेखनमे एकर प्रभाव होइक मुदा हमर ध्येय से नहि रहैत अछि । हमरा जे लगैत अछि हम लिखए चाहैत छी । हम पहिनहिं कहलहुँ जे हम एकदम अपना सुखलेल लिखैत छी आ हमरा अपना जे महशूस भेल रहैत अछि लिखएमे आनन्द अबैत अछि । हमर कथा संग्रह माल्होमे बेसी कथा राजनीतिक आसपड़ोसक छैक । एकर कारण कएटा — १. हम राजनैतिक व्यक्तिसभक समुदायसभक पीड़ा उगलए चाहलहुँ, २. हमरा अही क्षेत्रक बेसी अनुभव अछि जे हम व्यक्त करए चाहलहुँ ३ं राजनीति सेहो समाजेक अङ्ग छैक एकरा अछूत किआ मानी । ...... हमर किछु कवितासभ गुणात्मक परिवत्र्तनवास्ते, समाजकेँ सचेत करकलेल राजनीतिक उद्देश्यसँ प्रेरित सेहो अछि । ई कोनो अपराध नहि थिकैक ।
मैथिलीमे सभ किछु रहौक सेहो चाहना रहैत अछि । तैँ कहिओ मैथिलीक डिस्को तैयार करैत छी तँ कहिओ अन्य किछु । कहिओ बालगीत आदि आदि । ई हमर अपन शौख अछि । हमरा नीक लगैत अछि ।
८. नेपालमे मैथिली साहित्य आ अन्यान्य रानेताबीच अपनाकेँ कतऽ ठाढ पबैत छी ?
हम पहिनहिं कहलहुँ जे हम अपनाकेँ साहित्यकार नहि बुझैत छी । साहित्यकार हुअएलेल किछु जानकारी आवशयक छैक । साहित्यकलेल प्रतिवद्ध रहब सेहो जरुरी मानैत छी हम । साहित्य जिविकोपार्जनक सहयोगी हएब आपत्तिजनक नहि मुदा साहित्यककेँ वा अपनासभक सन्दर्भमे कहू तँ मैथिलीप्रतिक अनुरागकेँ अपन नफाक हेतु दोकानदारीमे प्रयोग करब हम नीक नहि मानैत छी । बहुतोकेँ देखैत छिअनि जे ओ एना करैत छथि । साहित्यमे माफियाक निर्माण करएमे रुचि रखैत छथि । दोसर केओ उभरि ने जाओ ताहिसँ डेराएत छथि । लगैत छन्हि जे केओ दोसरो दोकान थापि लेत तँ हमर बिक्री कमि जाएत । ....... ठीक एहिना राजनीतिमे सेहो होइत छैक तैँ हम दुनू ठाम अपनाकेँ एकहि ठाम पबैत छी । हमरा अपन स्थानसँ पूरा संतुष्टि अछि ।
लेखन हम आत्मतुष्टिलेल करैत छी , कोनो दोसर आकांक्षा नहि अछि तैँ संतुष्ट छी । राजनीति अपन विचारलेल करैत छी जाहिसँ कहियो सम्झौता नहि कएलहुँ , तैँ संतुष्ट छी ।

९. अपनेक एहि कथ्यसँ जे राजनीति आ साहित्य दुनू एकटा समूह विशेषमे बन्हल अछि , हमहुँ सहमत छी । अहाँ दुनूमे अपनाकेँ कतेक नफा÷नोक्सान होइत पबैत छी ?
व्यक्तिगत नफा नोक्सानक सवाल नहि छैक । एहिसँ समाज आ साहित्य नोक्सानमे अछि । क्रान्तिकारिता अथवा प्रगतिशीलता जे कहिऔक, अपने मुहेँ मियाँ मिट्ठूसँ सम्भव नहि हएत । एहिलेल गुणात्मक परिवत्र्तनक निरन्तरता जरुरी छैक । क्रान्तिकारी वा प्रगतिशील वएह जे गुणात्मक परिवत्र्तनलेल प्रतिवद्ध होथि । राजनीति वा साहित्यकेँ समूह विशेषमे बान्हएमे जे जिममेवार होथि ओ समाज आ साहित्यक विकाशक बाटमे अवरोधक आ प्रतिगामी छथि । नव प्रतिभासभकेँ छेकक कार्य करैत छथि ।

१०. अहाँक पार्टी सत्तामे आबि जाएत तँ मैथिली साहित्यकेँ कतेक फायदा पहुँचा सकत ?
तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी व्यक्ति–समुदायक परिचय, स्वाभिमान आ आत्मसम्मानक प्रतिष्ठापन चाहैत अछि । विविधताक सम्मान अर्थात् असली बहुलवादक समर्थक अछि ई पार्टी । कहिओ मैथिली नेपालमे राजभाषाक रुपमे सम्मानित छल । काठमाण्डू उपत्यकाक राजामहाराजा मैथिलीमे साहित्यिक रचना कऽ अपनाकेँ धन्य बुझैत छलाह । तेहन स्थिति छल । जौँ हमरासभक पार्टी प्रभावकारी ढंगसँ सत्तामे आओत तँ निश्चिते मैथिली भाषा आ साहित्यकेँ सम्मान भेटतैक । एखनो संविधानसभामे बहुतो मैथिलीमे शपथ ग्रहण कएलनि । अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलनक आयोजनमे हमर पार्टीक लोकसभक प्रत्यक्ष आ खुला सहभागिता छल । ..... राज्यक यदि सहयोग रहैक तँ भाषा आ साहित्यक प्रभाव बढैत छेक । छोट उदाहरण अछि — १९ वर्ष पहिने जखन हम जनकपुर नगरपालिकाक प्रमुख पदपर विजयी भेल रही तँ मैथिलीक सम्मान आ प्रतिष्ठा बढाबएलेल बहुत किछु कएल गेल रहैक । नगरपालिका अपन सभ प्रमुख अपील मैथिलीमे सेहो छापय । तिरहुत रनिंग शिल्ड प्रतियोगिताक आयोजन प्रारमभ भेल रहैक । प्रत्येक वर्ष मैथिलीमे गीत रचना, गायन, संगीत आदि विधापर नगरपालिका पुरस्कार दैक । रश्मि, सुनील मल्लिक, अशोक दत्त आदि एहिसँ नीक परिचय प्राप्त कएलनि । होरीसँ १५ दिन पहिनेसँ आयोजन आ प्रस्तुतिक क्रम जारी रहैत छलैक । ... तँ असर तँ पड़िते छैक ने ।
११. एखन अपने बालकविता÷गीतपर बेसी ध्यान देने छिऐक ?
हँ, एखन हमरा बालगीत आकर्षित कएने अछि । हमर मित्र परमेश्वर हमरा एम्हर घुमाबक बरोबरि प्रयत्न कएलाह अछि आ तकरे प्रभाव थीक । बालगीतक रचनामे वृद्धि हएबाक चाही । नेनभुटकाक गीतसभकेँ संगीतवद्ध सेहो करबाक चाही जाहिसँ बच्चासभकेँ ई नहि लगैक जे ओकर अपन मातृभाषामे एकर आभाव छैक । ..... हम एहि दिशामे प्रयत्नशील छी । हमरासभद्वारा सञ्चालित जानकी एफ.एम.क स्टूडियो नीक छैक । शिघ्र एकगोट बालगीतक एल्बम निकालक योजनापर काज भऽ रहल छैक ।
१२. एखनतक अपनेक कएगोट पोथी प्रकाशित भेल अछि ?
ह्मर एकगोट छोटछिन कविता संग्रह आन्दोलन, वीपी कोइरालाक प्रसिद्ध उपन्यासिका मोदिआइन जे महाभारतपर मिथिलाञ्चलक परिवेशमे लिखल अछि तकर मैथिली रुपान्तरण, माल्हो कथा संग्रह, संघीयताक सम्बन्धमे स्वीस विद्वान डा.निकोल टपरविनक लेखसभक मैथिली अनुवाद — एतेक मैथिलीमे । ट्रेड यूनियनः एक परिचय, संघीय स्वशासनतिर नेपालीमे । सभ मिलाकए छ टा ।
धन्यवाद ! अपन बहुमूल्य समय दऽ उतारा देबएलेल ।
मुन्नाजीसँ
रमेश रंजनक अन्तर्वार्ताहम लेखकसँ पहिने रंगकर्मी छलहुँ । मिनाप जनकपुरसँ संलग्नता छल । नाटक, ताहूमे
अभिनयमे रमल रहै छलहँु । मिनापक वातावरण साहित्यिक सेहो छलै । डा. धीरेन्द्र, डा.
विमल,महेन्द्र मलंगिया सन गुरुक सानिध्य भेंटल । मिनापक तात्कालीन अध्यक्ष योगेन्द्र साह
नेपालीक अभिभावकत्व । ओहि कालखण्डमे श्यामसुन्दर शशि, धर्मेन्द्र झा, धीरेन्द्र प्रेमर्षि,सुनील
मल्लिक सन समकालीन मीत्र रचना करऽ लागल छलाह । हुनका लोकनिक दवाबसँ हमहूँ
किछु–किछु लीखऽ लगलहुँ । हमर पहिल रचना छल, कविता जकर शिर्षक छलै– कचोट, आ
हमर पहिल कविते प्रकाशितो भेल छल जकर शिर्षक छलै–साकार । अइ कविताक नेपाली
अनुवाद तात्कालीन नेपाल राजकीय प्रज्ञा–प्रतिष्ठानक पत्रिका समकालीन सहित्यमे प्रकाशित
भेल छल ।
२. शुरुआतेसँ कथा लेखन केलहँु ? आओर कि सभ लिखलहँु अछि ?
नइ, कथा तँ हम बहूत बादमे लीखऽ लगलहुँ । सगर राति दीप जरए साहित्कि क्षेत्रमे जागरण
लाबि देने रहै । जर्वदस्त चर्चा भऽ रहल रहै । मुदा मैथिलीक केन्द्र जनकपुरमे आयोजन नइ भऽ
सकल रहै । जनकपुरमे आयोजन लएबाक हेतु हमरा कथा लीखऽ पड़ल रहए । पन्द्रहम् समारोह
पैटघाटमे हम कथा लीख कऽ सहभागी भेंलहुँ आ सोलहम समारोह जनकपुरमे हमरा
संयोजकत्वमे सम्पन्न भेल । आओर विधामे लिखबाक बात छै तँ हम सभ ओहिठामक लोक
छी जाहिठाम संख्यात्मक रुपें लिखनिहारक अभाव रहलै । तें आवश्यकता अनुसार लिखबाक
विवशता सेहो रहल । ओना कविता, कथा, नाटक, उपन्यास, आलोचना, वृतचित्र, फिल्म आ
टेलीसिरियलक लेखन सेहो कऽ रहल छी ।
३. अहाँक कथा कथानक कि रहैछ, आ ओकर मूल ध्येय की रहैछ ?
हमरा कथाक विषयवस्तुक लेल बौआए नइ पड़ैए । अपन परिवेश आ आहि भितरक द्वन्दके
चिन्हित करै छी । ओकर सुख, दुःख, आन्नद, पीड़ा, संधर्षके भोक्ताक रुपमे अनुभूति करै छी ।
एकटा चेतना हमरा निर्देशित करैत अछि – ओ छै माक्र्सवादी सौन्दर्य चेतना । हमरा बुझने
हमर साहित्यक ध्येय के आओर स्पष्टीकरण्क अवश्यकता नइ छै ।
४. अहाँ अपन कथा लेखनक प्रारम्भिक दौरसँ अखन धरिक यात्रामे की परिवर्तन पबैत छी ?
विचारक स्तरपर खास नइ । प्ररम्भमे आवेश छल– अनियन्त्रित आवेश, आब थोड़े नियन्त्रणमे
अछि । कहन शैली पहिनेसँ थोड़े परिपक्व बूझारहल अछि । अर्थात शिल्प आ भाषाक स्तरपर
थोड़े प््रभावशाली लेखन कऽ रहल छी, सन बुझाइए ।
५. नेपाली आ मैथिली कथा साहित्य मध्य मैथिली कथा कतऽ अछि ? दुनूमे समानता आ
भिन्नता की छै ।
जे भारतीय मैथिलीमे हिन्दीक आगू मैथिलीक अवस्था छै । नेपाली राज्य संरक्षित भाषा छै ।
राज्य अपार संभावना बनौलकै ओहि भाषामे तें संख्यात्मक आ गुणात्मक दुनू रुपें पर्याप्त लेखन
भऽ रहल छै । मैथिलीमे सेहो समकालीन कथा साहित्यिक प्रतिनिधि कथा लेखन होइ छै, मुदा
संख्या अत्यन्त न्यून छै । समानता आ भिन्नताक बात जहाँ तक छै तँ देश भितरक
औपनिवेशिकताके भोगिरहल अछि मिथिलाक लोक । ओ समानता चाहैए, नागरिक अधिकार
चाहैए, मुक्तिक छटपटी छै मैथिली साहित्यमे, नेपाली शासक वर्गक भाषा छै । मुदा नेपाली
कथामे नेपालक प्रतिनिधि कथाक अभाव छै, जातीय कथाक संकीर्ण घेरासँ बाहर नइ निकलि
सकल अछि ।
६. अहाँ रंगकर्मसँ सेहो शुरुएसँ जुड़ल रहलहुँ अछि । कि कोनो नाटको लिखलहँु अछि ? अहाँक
विचारमे लेखन आ रंगकर्ममे शुलभ आ सम्प्रेषनीय ककरा मानैत छी ?
हँ, से तँ हम अपनो स्पष्ट कऽ चूकल छी । नाटक लिखलहुँ अछि । आधा दर्जनसँ बेसी मंचीय
नाटक, ओतबे नुक्कड़ नाटक आ रेडियो नाटक सेहो खूबे लिखलहुँ अछि । हमर विचार कि ?
सर्वमान्य विचार छै जे नाटक शुलभ आ सम्प्रेषानीय होइ छै । श्रव्य आ दृश्य गुणक कारण ।
७.अहाँ अपन रंगकर्म मध्य अपनाके कतऽ मानै छी ? अहिमे मिनापक योगदान कत्ते मानै छी ?
अपना विषयमे मूल्याङकन करब कठीन होइ छै । नाटक अहूना समूह कार्य छै । तें समूहक
सफलता–विफलतामे व्यक्तिक सफलता–विफलता जुड़ल रहैत छैक । जँ मिनाप सफल छै तँ
हमहूँ सफल छी । हमरा रंगकर्मक प्रारम्भमे हमर गाम परवाहा आ हमर रंग–यात्राके एतऽ धरि
पहुँचाबऽमे सम्पूर्ण योगदान मिनापे के छै ।
८. नेपाली रंगकर्मसँ मैथिली रंगकर्म स्तरीयताक मादे कत्तेक लग आ दूर अछि ?
विश्व रंगमंचक प्रयोग आ प्रविधिसँ नेपाल परिचित भऽ रहल अछि । नेपालसँ हमर अर्थ अछि
कोनो खास भाषा नइ सम्पूर्ण नेपाल । जकरामे जहिना व्यावसायिक दृष्टिकोण छै, तकरामे
रंगमंचीय ज्ञानक विस्तार ताही रुपें भऽ रहल छै । समकालीन नेपालक रंगमंच मध्य मैथिली
अत्यन्त सम्मानित अवस्थामे अछि । मुदा नेपालीक तुलनामे मैथिलीक रंग समूह कम छै ।
नेपालीमे सेहो स्थायी स्वरुपक समूह बहूत थोड़ छै । मुदा एम्यचोर थिएटर कएनिहारक संख्या
बहूत छै । तखन मिनाप मात्रक प्रतिनिधित्वसँ गर्व कएल जा सकैए ।
९. कहल जाइ छै महेन्द्र मलंगिया मिनापके गोड़सि लेने छलाहा । सभ रंगकर्मी हुनक पछलग्गू
मात्र भऽ कऽ रहि गेल छल । हुनका गेलाक बाद अपने सभके विकसित होएबाक मौका भेटल
अछि कि नइ ?( रामभरोस कापड़िक मिथिला दर्शनक लेख )
अपनेक प्रश्नपर हमरा ठहक्का लगएबाक मोन होइए । मुदा ई विचार अपने कत्तौसँ ग्रहण केलहुँ
अछि तें बातके स्पष्ट करब उचित । ३२ वर्षक अइ संस्थाके एक गोट व्यक्ति कोना कव्जा कऽ
सकैत अछि ? ई मिथ्या आ काल्पनिक सोच छै । कोनो एक गोटेक सृजनात्मक क्षमताक बलपर
मात्र मिनाप ने तँ ई उपलब्धी प्राप्त केलकैए ने ऊँचाइ । महेन्द्र मलंगिया मिनापक सिर्जनात्मक
नेतत्वकर्ता छलाह, छथि । समूहक मान्यता आ समूह संचालन विधिसँ संस्था निर्देशित होइ छै
आ नेतृत्व सेहो । मलंगिया सर ओहिसँ फरक नइ छलाह । सामूहिक निणर््ाय आ व्यक्तिगत
जिमेबारीक मान्यतासँ मिनाप संचालित होइत रहल अछि । स्वयं द्वारा निर्धारित अनुशासनके
कियो तानाशाहक क्रुरता बुझै छै तँ बूझक लेल छोड़ि देल जाए ।
हुनका गेलाक बाद विकसित होएबाक बात छै तँ ओ एखनो गेल नइ छथि ओ भौतिक रुपमे
थोड़े कम उपस्थित भऽ रहल छथि । मिनापक एक–एक गोटेक व्यक्तिगत सफलता उदाहरणीय
छै । आ प्रत्येक व्यक्तिक सफलतामे मलंगियाजीक प्रेरक व्यक्तित्वक पैघ योगदान छै ।
१०.मिनापसँ एखन सरिपहुँ अहाँक अटूट जुड़ाब देखल जा रहल अछि, एखन धरि अहाँ मिनापके
कि देलियै आ मिनाप अहाँके की देलक ?
जरुर ! मिनाप हमरा सभकिछु देलक । व्यक्तिगत प्रगति आ सार्वजनिक जीवनमे सम्मानक
अन्तर कारण मिनाप अछि । देशक नाट्य सङ्गीत क्षेत्रक सर्वोच्च संस्था नेपल सङ्गीत तथा नाट्य
प्रज्ञा–प्रतिष्ठानक प्राज्ञ परिषद सदस्य आ नाट्य विभाग प्रमुखक नियूक्तीमे मिनापक सेहो मुख्य
भूमिका छै । हम की देलियै तकर मूल्याँकन अन्य मीत्र लोकनि करथि । हँ, एतेक जरुर कहव जे
अपना जीवनक सर्वाधिक उर्जाशील समय मिनापके देलियैक अछि ।
११. अहाँ अपना अगिला पिढ़ी (बेटी प्रियंका ) के अहिसँ जोड़बाक कि ध्येय अछि ? कि
मिनापक कलाकार मिनापसँ (यथा फिल्म अभिनय ) आगू जा सकल अछि ? ( अपनाके बाड़ि
कऽ कहू )
ओकरो हमरे जकाँ रंगकर्म करबाक इच्छा भेलै, हम रोकलियै नइ बड़ु प्रोत्साहित कएलियै ।
समान्यतः ई कहल जाए जे हम रंगकर्मके नइ तँ अछूत कार्य मानलियै ने निकृष्ट तें नइ
रोकलियै । मिनापक कलाकार मिनापसँ आगू ? ई कोना हतै ? मिनापक कोनो कलाकारक
मिनापसँ आगूक ध्येय नइ छै । कलाक सम्पूर्ण साधना आ क्षमतमके मिनापक हेतु समर्पित करऽ
चाहैए मिनापक कलाकार । मिनापसँ आगू अपने फिल्म दिश संकेत केलहुँ अछि, तँ ई मान्यता
हम स्वयं नइ रखै छी । नाट्य अभिनयसँ पैघ फिल्म अभिनय नइ भऽ सकैए । चर्चा आ
व्यावसायिक सफलता आगू जएबाक मापदण्ड नइ छियै । ओना फिल्मसँ परहेज नइ छै
मिनापक कलाकारके । ओहो अभिनये छै । मिनापक अधिकांश कलाकार फिल्म क्षेत्रमे सेहो
स्थापित अछि । मुदा मिनापक अधिकांश कलाकार फिल्मसँ बेसी नाटकके प्रथमिकता दैए ।
१२.मैथिली रंगकर्ममे तकनिकी सुलभताक कारण चूनौती आओर बढ़ि गेलैए ? रंगकर्मक भविष्य
कि छै ?
जतऽ चूनौती छै ओत्तै संभावना छै । तकनिकक सुलभता तँ छै, मुदा मैथिली रंगमञ्च ओहिसँ
परिचित भऽ रहल अछि कि नइ ? समान्यतः मैथिली रंगकर्म मध्कालीन अवस्थामे अछि ।
भौतिक पूर्वधारक अभाव छैके । मिथिलाक मूल भूमिमे रंग गतिविधि शून्य छै । अप्रवासी रंगकर्म
कृतिम स्वाँस आपूर्ति मात्र छै । तें पाठ आ मंच दुनूक तकनिकी वैशिष्ठ्यक निरन्तर अन्तरघुलन
मैथिली रंगमञ्चक भविष्य निर्धारण करतै ।
१३. नेपालमे मैथिली सहित्यक भविष्य केहन देख रहल छियै, कत्ते दिन टिक पाओत ?
भविष्य बेजाए नइ छै । भाषिक चेतनाक स्तर उठलैए । खतरो ओतबे बढ़लैए । मुदा समग्रतामे
बहूत चिन्ताजनक अवस्था नइ छै । कत्ते दिन टिक पाओत ? एखन भविष्यवाण्ी नइ करी । ई
मृत्यूक समय निर्धारण जकाँ भऽ जाइ छै । भाषाके मूर्त बनबै छै साहित्य कला तें ई मरब तँ
स्वयंके मृत्यू छै एकर कल्पना नइ करी ।
१४. मैथिली साहित्यपर शुरुसँ जाति विशेषक बर्चस्व रहलै । आब झूण्डक–झूण्ड सक्रिय
पिछड़ल समूदायक लोकक प्रवेशसँ एकर भविष्य केहन मानिरहल छी ?
ई यर्थाथ छै । मिथिलाक सामाजिक संरचना सामन्ती रहलै । कर्मकाण्डीय लोकक बर्चस्व ।
संस्कृतक विरुद्ध आम लोकक भाषाके सिर्जनात्मक अभिव्यक्ति देबाक लेल मैथिलीक जन्म भेल
छलै । मुदा संस्कृत पूनः अजगर जकाँ गछेर लेलकै । आम लोक अहि भाषासँ दूर होइत गेल ।
खाँटी मैथिली पिछड़ल वर्ग संगे छै । अधिकांश गाममे रहनिहार अहि वर्गक संग अभिव्यक्तिक
हेतु दोसर भाषा नइ छै । संस्कारमे मैथिली छै । पूजा, पाठ, अनुष्ठान, गाथा सभमे मैथिली छै ।
कथित देव भाषाक प्रभावसँ बँचल अछि ओ समूदाय । तें सूच्चा मैथिल जँ मैथिलीके नेतृत्वमे
आँगा अबैत अछि तँ अहिसँ आह्लादकारी आओर की हेतै ।
१५.कि मिनाप जाति–पाँतिक फाँट मध्य टीकल अछि ? कि ओहो कोनो द्वन्दक शिकार अछि ?
नेपालमे अखन ई विषय प्रवेशे कएलकै अछि । समान्यतः ई वहशक विषय छै । वहश करब
समस्याके निरुपण करब छियै । कानो गम्भिर द्वन्द नइ छै मिनापमे ।
१६.अन्तमे अपन पछिला आ नवका रचनाकार , रंगकर्मी कि कहऽ चाहब अहाँ ?
कोनो खास नइ । बहूत किछु कहि चूकल छी, आब कहब आवश्यक नइ छै । अनेरो उपदेश नइ
छाँटल जाए ।
श्री राजेन्द्र बिमलसँ हुनक रचना यात्रा मादेँ गप केलनि विहनि कथा रचनाकार
श्री मुन्नाजी।
गजेन्द्र ठाकुर

















