भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Tuesday, January 24, 2023

VIDEHA विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण

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सूचना

Videha eJournal (link www.videha.co.in) is a multidisciplinary online journal dedicated to the promotion and preservation of the Maithili language, literature and culture. It is a platform for scholars, researchers, writers and poets to publish their works and share their knowledge about Maithili language, literature, and culture. The journal is published online to promote and preserve Maithili language and culture. The journal publishes articles, research papers, book reviews, and poetry in Maithili and English languages. It also features translations of literary works from other languages into Maithili. It is a peer-reviewed journal, which means that articles and papers are reviewed by experts in the field before they are accepted for publication.

"विदेहक जीवित साहित्यकार-सम्पादक आ रंगमंचकर्मी- रंगमंच-निर्देशक पर विशेषांक शृंखला"

Do not judge each day by the harvest you reap but by the seeds that you plant.

- Robert Louis Stevenson
............................................

Videha: Maithili Literature Movement

विदेह अपन ३६९ म (०१ मई २०२३) अंकमे मैथिली लेखक अशोक पर आ ३७० म (१५ मई २०२३) अंकमे मैथिली लेखक राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' पर विशेषांक निकालत। विशेषांक लेल रचनाकार/ कलाकर्मीक काज, रचना-संपादन, संस्मरण आ अन्य रचनात्मक कार्यपर सभ प्रकारक रचना (संस्मरण, आलोचना, समालोचना, समीक्षा आदि) आमंत्रित अछि। अहाँ अपन रचना ३६९म अंकक विशेषांक लेल २४ अप्रैल २०२३ धरि आ ३७०म अंकक विशेषांक लेल ८ मई २०२३ धरि वर्ड फाइलमे ई-पत्र सङ्केत editorial.staff.videha@gmail.com पर पठा सकै छी। 

विदेह अरविन्द ठाकुर विशेषांक

विदेह जगदीश चन्द्र ठाकुर अनिल विशेषांक

विदेह रामलोचन ठाकुर विशेषांक

विदेह राजनन्दन लाल दास विशेषांक

विदेह रवीन्द्र नाथ ठाकुर विशेषांक

विदेह केदार नाथ चौधरी विशेषांक

विदेह प्रेमलता मिश्र प्रेम विशेषांक

विदेह शरदिन्दु चौधरी विशेषांक

-गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक विदेह, whatsapp no +919560960721 HTTP://VIDEHA.CO.IN/ ISSN 2229-547X VIDEHA

"विदेह द्वारा एक बेरमे कोनो एकटा संस्थाक समग्र मूल्याकंन शृंखला"

Do not judge each day by the harvest you reap but by the seeds that you plant.

- Robert Louis Stevenson
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Videha: Maithili Literature Movement

विदेह अपन ३७१ म (०१ जून २०२३) अंकमे "मिथिला स्टूडेंट यूनियन (एम.एस.यू.)" पर विशेषांक निकालत। मिथिला स्टूडेंट यूनियन (एम.एस.यू.) पर निच्चा लीखल बिंदुपर मैथिलीमे आलेख आमंत्रित अछि।
१) एम.एस.यू. केर गठनक प्रमाणिक इतिहास,
२) एम.एस.यू. आ मिथिला केर नव चेतना,
३) एम.एस.यू. आ विभिन्न जाति केर समन्वय,
४) एम.एस.यू. द्वारा भेल विभिन्न आंदोलन आ तकर लेखा-जोखा एवम् ओकर प्रभाव बा
५) एम.एस.यू. संदर्भित आन कोनो लेख।

३७१म अंकक विशेषांक लेल अहाँ अपन रचना २५ मई २०२३ धरि वर्ड फाइलमे ई-पत्र सङ्केत editorial.staff.videha@gmail.com पर पठा सकै छी। 

-गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक विदेह, whatsapp no +919560960721 HTTP://VIDEHA.CO.IN/ ISSN 2229-547X VIDEHA

"विदेह मोनोग्राफ" शृंखला

विदेह अपन जीवित रचनाकार/ कलाकर्मी पर विशेषांक शृंखलाक अन्तर्गत (१)अरविन्द ठाकुर, (२)जगदीश चन्द्र ठाकुर अनिल, (३)रामलोचन ठाकुर, (४) राजनन्दन लाल दास, (५)रवीन्द्र नाथ ठाकुर, (६) केदार नाथ चौधरी, (७) प्रेमलता मिश्र 'प्रेम' आ (८) शरदिन्दु चौधरी विशेषांक निकालने अछि।
अही सन्दर्भमे आठो साहित्यकार पर "विदेह मोनोग्राफ" शृंखला अन्तर्गत "मोनोग्राफ" आमंत्रित कयल जा रहल अछि।
"
विदेह मोनोग्राफ" शृंखलाक विवरण निम्न प्रकार अछि:
(
१) इच्छुक लेखक ऊपरमे कोनो एक रचनाकार पर अपन मोनोग्राफ लिखबाक इच्छा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठा सकै छथि। मोनोग्राफ लिखबाक अवधि सामान्यः एक मास रहत।
(
२) विदेह आठ रचनाकारपर आठ लेखकक नाम मोनोग्राफ लिखबाक लेल चयनित कऽ ओकर सार्वजनिक घोषणा करत।
"
विदेह मोनोग्राफ" लिखबाक निअम:
(
१) मोनोग्राफ पूर्ण रूपेँ रचनाकारपर केन्द्रित हुअय। साहित्य अकादेमीएन.बी.टी. आ किछु व्यक्तिगत रूपेँ लिखल मोनोग्राफ/ बायोग्राफीमे लेखक संस्मरण आ व्यक्तिगत प्रसंग जोड़ि कय रचनाकारक बहन्ने अपन-आत्म-प्रशंसा लिखैत छथि। "विदेह मोनोग्राफ" फीफा वर्ल्ड कप फुटबाल सन रहत। फीफा वर्ल्ड कप फुटबाल एहेन एकमात्र टूर्नामेण्ट अछि जतय कोनो "ओपेनिंग" बा "क्लोजिंग" सेरीमनी नै होइत छै आ तकर कारण छै जे "ओपेनिंग" बा "क्लोजिंग" मे टूर्नामेण्टमे नै खेला रहल लोक मुख्य अतिथि/ अतिथि होइत छथि आ फोकस खिलाड़ी सँ दूर चलि जाइत अछि। फीफा मात्र आ मात्र फुटबाल खिलाड़ीपर केन्द्रित रहैत अछि से ओकर टूर्नामेण्ट "ओपेनिंग सेरीमनी" नै वरन् सोझे "ओपेनिंग मैच" सँ आरम्भ होइत अछि आ ओकर समापन "क्लोजिंग सेरीमनी"सँ नै वरन् "फाइनल मैच आ ट्राफी"सँ खतम होइत अछि आ फोकस मात्र आ मात्र खिलाड़ी रहैत छथि। तहिना "विदेह मोनोग्राफ" मात्र आ मात्र ऐ "सातो रचनाकार"पर केन्द्रित रहत आ कोनो संस्मरण आदि जोड़ि कऽ फोकस रचनाकारसँ अपनापर केन्द्रित करबाक अनुमति नै रहत।
(
२) मोनोग्राफ लेल "विदेह पेटार"मे उपलब्ध सामग्रीक सन्दर्भ सहित उपयोग कयल जा सकैए।
(
३) विदेहमे ई-प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेहई-पत्रिकामे प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै।
(
४) "विदेह मोनोग्राफ"क फॉर्मेट: रचनाकारक परिचय (रचनाकारक जन्मनिवास-स्थान आ कार्यस्थलक भौगोलिक-सांस्कृतिक विवेचना सहित) आ रचनावली (समीक्षा सहित)।

घोषणा: "विदेह मोनोग्राफ" शृंखला अन्तर्गत (१) राजनन्दन लाल दास जी पर मोनोग्राफ निर्मला कर्ण, (२) रवीन्द्र नाथ ठाकुर पर मुन्नी कामत आ (३) केदार नाथ चौधरी पर प्रेम मोहन मिश्र द्वारा लिखल जायत। मैथिली पुत्र प्रदीप पर "विदेह मोनोग्राफ" लिखताह प्रेमशंकर झा "पवन"।
शेष ५ गोटेपर निर्णय शीघ्र कएल जायत।

घोषणा २: ओना तँ मैथिली पुत्र प्रदीप पर विदेह विशेषांक नै निकालने अछि, मुदा हुनकर अवदान केँ देखैत प्रेमशंकर झा "पवन"क हुनका ऊपर "विदेह मोनोग्राफ" लिखबाक विचार आयल तँ ओकरा स्वीकार कयल गेल। 

-गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक विदेह, whatsapp no +919560960721 HTTP://VIDEHA.CO.IN/ ISSN 2229-547X VIDEHA

४ (१)

विदेह द्वारा जे विशेषांक प्रकाशित होइ छै तकर संगे विदेह ओहन लेखक-साहित्यपर अपन धेआन सेहो केंद्रित करत जिनकापर विदेहक विशेषांक कोनो कारणवश नै प्रकाशित भऽ सकल। ऐ नव विचारक मुख्य बिंदु एना अछि-
१) हम एकटा कोनो लेखक वा कलाकारपर एकाग्र आलोचना करब जकर भाषा मैथिली अथवा अंग्रेजी रहत। ऐ पोथीक पहिल रूप ई-बुक केर रूपमे ऐत आ प्रयास रहत जे एकर प्रिंट सेहो आबए जे कि परिस्थितिपर निर्भर करत।
२) ऐ शृंखलामे सुभाष चंद्र यादवपर केंद्रित "नित नवल सुभाष चंद्र यादव" एवं राजदेव मंडलपर केंद्रित "Rajdeo Mandal- Maithili Writer" प्रकाशित भेल अछि। दुनू पोथीक लोकार्पण ३१ दिसम्बर २०२२ केँ १११म सगर राति दीप जरय मे कएल गेल।
३)आगाँक घोषणा लेल http://videha.co.in/investigation.htm देखैत रही।

 

कमलानन्द झाक पोथी "मैथिली उपन्यास: समय समाज आ सवाल" (२०२१) क शीर्षक भ्रामक अछि। ई हुनकर किछु सवर्ण उपन्यासकारपर किछु सिण्डिकेटेड कथित समीक्षात्मक आलेखक संग्रह अछि, २६३ पन्नाक ई पोथी हार्डबाउण्डमे लाइब्रेरीकेँ मात्र बेचल जा सकत, जतऽ ई सड़ि जायत, अमेजनसँ हम ई चारि सय पाँच टाकामे किनलौं मुदा ऐमे पाँचो पाइक सामिग्री नै अछि।

एतऽ एकटा भूल सुधार अछि, एकटा गएर सवर्ण लेखक सुभाष चन्द्र यादवक उपन्यास 'गुलो'केँ बिनु पढ़ने ओ दू पाँति लिखलन्हि आ निपटा देलन्हि, ओ दुनू पाँति हम एतऽ अहाँक मनोरंजनार्थ प्रस्तुत कऽ रहल छी। अहाँ गुलो पढ़नहिये हएब, जँ नै पढ़ने छी तँ पहिने पढ़ि लिअ, कारण तखन बेशी मनोरंजक अनुभव हएत, गुलो सुभाष चन्द्र यादव जीक अनुमति सँ उपलब्ध अछि विदेह आर्काइवपर ऐ http://videha.co.in/pothi.htm लिंकपर।

"उपन्यासक कमजोरी अछि लेखकक राजनीतिक पूर्वाग्रह। राजनीति विशेषक पक्षधरता रचनाक संग न्याय नहि कऽ पबैत अछि।"

जइ उपन्यासमे राजनीति दूर-दूर धरि नै छै ओतऽ 'राजनैतिक पूर्वाग्रह' आ 'राजनीति विशेषक पक्षधरता'क तँ प्रश्ने नै छै। राजनीतिक पूर्वाग्रह बा पक्षधरताक सोङर धूमकेतु आ यात्री प्रयुक्त केलन्हि। सुभाष चन्द्र यादव जीक 'भोट' जे २०२२मे आयल जे सुभाष चन्द्र यादव जीक अनुमति सँ उपलब्ध अछि विदेह आर्काइवपर ऐ http://videha.co.in/pothi.htm लिंकपर, से राजनीतिपर अछि मुदा ओतहुओ सुभाषजीक भगता शैलीकेँ राजनीतिक पूर्वाग्रह बा पक्षधरताक सोङरक आवश्यकता नै पड़लै। पढ़ू हमर पोथी 'नित नवल सुभाष चन्द्र यादव' जे उपलब्ध अछि ऐ http://videha.co.in/pothi.htm लिंकपर।

कमलानन्द झाक बिनु पढ़ने सुभाष चन्द्र यादवक विरुद्ध ब्राह्मणवादी जातिगत पूर्वाग्रह एकटा खतराक घण्टी अछि। जइ हिसाबे ब्राह्मणवादकेँ आगाँ बढ़बैले कमलानन्द झा वामपंथक सोङर पकड़ै छथि आ सामाजिक न्यायक बलि चढ़बऽ चाहै छथि, तकर प्रति समानान्तर धारा सचेत अछि। ई अपन बायोडाटामे गएर सवर्णसँ छीनि कऽ, समानान्तर धाराक लोकक हककेँ मारि कऽ लेल साहित्य अकादेमीक मैथिल अनुवाद असाइनमेण्टक गर्वसँ चर्चा करैत छथि। आ ई असाइनमेण्ट हिनका मेरिटसँ नै जातिगत टाइटिलसँ भेटल छन्हि, अही सभ किरदानीक एवजमे भेटल छन्हि। हिनका सन लोक लेल मैथिली बायोडेटाक एकटा पाँति अछि, समानान्तर धारा लेल जीवन-मरणक प्रश्न।

आब अहाँ पुछब जे तकर प्रतिकार समानान्तर धारा केना केलक, ओ तँ कन्नारोहट नै करैए, तँ तकर उत्तर अछि हमर ३ टा पोथी जे १११म सगर राति दीप जरय मे लोकार्पित भेल ३१ दिसम्बर २०२२ केँ, वएह सगर राति दीप जरय जकरा साहित्य अकादेमी गत दस बर्खसँ गीड़ि लेबाक प्रयास कऽ रहल अछि। अहाँसँ ऐ तीनू पोथीपर टिप्पणी ई-पत्र सङ्केत editorial.staff.videha@gmail.com पर आमंत्रित अछि। पहिल दू पोथी मे राजदेव मण्डल आ सुभाष चन्द्र यादवक साहित्यक समीक्षा अछि जे हमर तेसर पोथी मैथिली समीक्षशास्त्रक सिद्धांतक आधारपर कएल गेल अछि।

तीनू पोथीक लिंक नीचाँ देल गेल अछि।

Rajdeo Mandal- Maithili Writer (Now with Supplement I & II)

नित नवल सुभाष चन्द्र यादव

नित नवल सुभाष चन्द्र यादव (मिथिलाक्षर)

मैथिली समीक्षाशास्त्र 

मैथिली समीक्षाशास्त्र (तिरहुता)

संगमे पढ़ू कमलानन्द झा क ब्राह्मणवादपर प्रहार:

दूषण पञ्जी- The Black Book

दूषण पञ्जी- The Black Book (मिथिलाक्षर)

-गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक विदेह, whatsapp no +919560960721 HTTP://VIDEHA.CO.IN/ ISSN 2229-547X VIDEHA

४(२)

नित नवल दिनेश कुमार मिश्र

दिनेश कुमार मिश्रक 'दुइ पाटन के बीच मे' कोसी नदीक ऐतिहासिक आत्मकथा थीक, ओ मिथिलाक आन धार सभक ऐतिहासिक आत्मकथा सेहो लिखने छथि जेना बन्दिनी महानन्दा, बागमती की सद्गति!, दुइ पाटन के बीच में.. (कोसी नदी की कहानी), न घाट न घर, बगावत पर मजबूर मिथिला की कमला नदी, भुतही नदी और तकनीकी झाड़-फूंक, The Kamla River and People On Collision Course, Bhutahi Balan- Story of a ghost river and engineering witchcraft, Refugees of the Kosi Embankments। साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदात्री समितिक सदस्य पंकज झा पराशर द्वारा हिनकर पोथी सभसँ पैराक पैरा मैथिली अनुवाद कऽ अपना नामे उपन्यास छपबाओल गेल अछि, जकरा छद्म समीक्षक कमलानन्द झा ऐ चोर लेखकक रिसर्च कहै छथि! एतऽ स्पष्ट कऽ दी जे ई चोर लेखक आ छद्म समीक्षक दुनू अलीगढ़ मुस्लिम विद्यालयक हिन्दी विभागमे छथि। ई रिसर्च दिनेश कुमार मिश्रक थीक, जे आइ.आइ.टी. खड़गपुरसँ सिविल इन्जीनियरिङ मे बी. टेक. १९६८मे आ स्ट्रक्चरल इन्जीनियरिङमे एम.टेक. १९७०मे केने छथि, आ ओइ रिसर्च लेल क्वालिफाइड छथि। जखन कोनो विषयमे नामांकन नै होइ छै तखन लोक हारि-थाकि हिन्दीमे नामांकन लइए, नै तँ कमलानन्द झा केँ बुझऽ मे आबि जइतन्हि जे ई रिसर्च कोनो सिविल इन्जीनियरेक भऽ सकैत अछि, भऽ सकैए बुझलो होइन्ह। हिन्दी मूल आ मैथिलीक स्क्रीनशॉट आँगा संलग्न अछि।

दिनेश कुमार मिश्र मिथिलाक नै छथि मुदा मिथिलाक सभ धारक कथा ओ लिखने छथि, हम सभ हुनका प्रति कृतज्ञ छी आ हुनकर ऋणसँ मिथिलावासी कहियो उऋण नै भऽ सकता, मुदा मूलधाराक पुरस्कार आ पाइ लोलुप लोकसँ कृतघ्नते भेटत से फेर सिद्ध भेल। ऐ लेखककेँ दस बारह बर्ख पहिने सेहो तारानन्द वियोगी उद्धारक भेटल छलखिन्ह जे लिखने रहथिन्ह जे ओ कवितामे प्रभावित भऽ अनायासे अपन रचनामे दोसरक सामिग्री चोरि कऽ लइ छथि, एहने सन। आब ऐ कमलानन्द झा क आश्रय तकलन्हि मुदा दुर्भाग्य! जइ हिसाबे ब्राह्मणवादकेँ आगाँ बढ़बैले कमलानन्द झा वामपंथक सोङर पकड़ै छथि आ सामाजिक न्यायक बलि चढ़बऽ चाहै छथि, तकर प्रति समानान्तर धारा सचेत अछि। सीलिंगसँ बचबा लेल जमीन-जत्थाबला लोक कम्यूनिस्ट बनला आ आब ब्राह्मणवाद बचेबालेल वामपंथक शरण, एहेन लोक सभसँ कम्यूनिज्मकेँ बहुत नुकसान भेल छै।


दिनेश क़ुमार मिश्रक सभटा पोथी आब हुनकर अनुमतिसँ उपलब्ध अछि विदेह आर्काइवमेः
http://videha.co.in/pothi.htm
एतऽ एकटा गप मोन पाड़ि दी जे जखन बिल गेट्सकेँ पूछल गेलन्हि जे की ओ एक्स बॉक्स भारतमे पाइरेशीक डरसँ देरीसँ आनि रहल छथि? तँ हुनकर उत्तर रहन्हि जे माइक्रोसॉफ्ट पाइरेशीक डरे कोनो उत्पाद देरीसँ नै उतारने अछि। से विदेह पेटारमे हम सभ ऐ तरहक रिस्क रहितो एकरा आर समृद्ध करैत रहब, कारण समानान्तर धारामे सड़ल माँछ द्वारे पोखरिक सभ माँछ नै सड़ैए, एतुक्का मलाह गोट-गोट कऽ सड़ल माँछ निकालैत रहल छथि, निकालैत रहता।

सिण्डीकेटेड समीक्षापर अन्तिम प्रहार।

मूल दिनेश कुमार मिश्र (दुइ पाटन के बीच में... २००६): यह ध्यान देने की बात है कि 1923 से 1946 के बीच कोसी क्षेत्र में मलेरिया से 5,10,000, कालाजार से 2,10,000, हैजे से 60,000 तथा चेचक से 3,000 मौतें (कुल 7,83,000) हुईं।
चोर पंकज झा पराशर (साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदात्री समितिक सदस्य) [जलप्रांतर २०१७ (पृ. १०३)]:

मूल दिनेश कुमार मिश्र (दुइ पाटन के बीच में... २००६): भारतवर्ष में बिहार में कोसी नदी को बांधने का काम 12वीं शताब्दी में किसी राजा लक्ष्मण द्वितीय ने करवाया था और इस काम के लिए उसने प्रजा से 'बीर' की उपाधि पाई और नदी का तटबन्ध 'बीर बांध' कहलाया। इस तटबन्ध के अवशेष अभी भी सुपौल जिले में भीम नगर से कोई किलोमीटर दक्षिण में दिखाई पड़ते हैं। डॉ. फ्रांसिस बुकानन (1810-11) का अनुमान था कि यह बांध किसी किले की सुरक्षा के लिए बनी बाहरी दीवार रहा होगा क्योंकि यह बांध धौस नदी के पश्चिमी किनारे पर तिलयुगा से उसके संगम तक 32 किलोमीटर की दूरी में फैला हुआ था। डॉ. डब्लू.डब्लू. हन्टर (1877) बुकानन के इस तर्क के साथ सहमत नहीं थे कि यह बांध किसी किले की सुरक्षा दीवार था। स्थानीय लोगों के हवाले से हन्टर का मानना था कि अधिकांश लोग इसे किले की दीवार नहीं मानते और उनके हिसाब से यह कुछ और ही चीज थी मगर वह निश्चित रूप से कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे। फिर भी जो आम धारणा बनती है वह यह है कि यह कोसी नदी के किनारे बना कोई तटबन्ध रहा होगा जिससे नदी की धारा को पश्चिम की ओर खिसकने से रोका जा सके। लोगों का यह भी कहना था कि ऐसा लगता था कि इस तटबन्ध का निर्माण कार्य एकाएक रोक दिया गया होगा।

 

छद्म समीक्षक कमलानन्द झा द्वारा चोर उपन्यासकारक पीठ ठोकब, देखू छद्म समीक्षक कमलानन्द झा द्वारा उद्धृत चोर पंकज झा पराशर (मैथिली उपन्यास, समय, समाज आ सवाल पृ. २५७-२५८):

 

चोर पंकज झा पराशर (साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदात्री समितिक सदस्य) [जलप्रांतर २०१७ (पृ. ३१)]:

मूल दिनेश कुमार मिश्र (दुइ पाटन के बीच में... २००६): कोसी के प्रवाह कि भयावहता की एक झलकफिरोजशाह तुगलक की फौज के सन् 1354 में बंगाल से दिल्ली लौटने के समय मिलती है। बताया जाता है कि जब सुल्तान की फौजें कोसी के किनारे पहुँचीं तो देखा कि नदी के दूसरे किनारे पर हाजी शम्सुद्दीन इलियास की फौजें मुकाबले के लिए तैयार खड़ी हैं। यह वही हाजी शम्सुद्दीन थे जिन्होंने हाजीपुर तथा समस्तीपुर शहर बसाये थे। फिरोज की फौजें शायद कुरसेला के आस-पास किसी जगह पर कोसी के किनारे सोच में पड़ गईं। नदी की रफ्तार उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही थी। आखिरकार फैसला हुआ कि नदी के साथ-साथ उत्तर की ओर बढ़ा जाय और जहाँ नदी पार करने लायक हो जाय वहाँ पानी की थाह ली जाये। सुल्तान की फौजें प्रायः सौ कोस ऊपर गईं और जियारन के पास, जो कि उसी स्थान पर अवस्थित था जहाँ नदी पहाड़ों से मैदानों में उतरती थी, नदी को पार किया। नदी की धारा तो यहाँ पतली जरूर थी पर प्रवाह इतना तेज था कि पाँच-पाँच सौ मन के भारी पत्थर नदी में तिनकों की तरह बह रहे थे। जहाँ नदी को पार करना मुमकिन लगा उसके दोनों ओर सुल्तान ने हाथियों की कतार खड़ी कर दी और नीचे वाली कतार में रस्से लटकाये गये जिससे कि यदि कोई आदमी बहता हुआ हो तो इस रस्सों की मदद से उसे बचाया जा सके। शम्सुद्दीन ने कभी सोचा भी न था कि सुल्तान की फौजें कोसी को पार कर लेंगी और जब उस को इस बात का पता लगा कि सुलतान की फौजों ने कोसी को पार करने में कामयाबी पा ली है तो वह भाग निकला।

चोर पंकज झा पराशर (साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदात्री समितिक सदस्य) [जलप्रांतर २०१७ (पृ. १०५)]:

(... शीघ्र अही लिंकपर आर स्क्रीनशॉट अपडेट कएल जायत।)

विदेहक ३६३ म अंक दिनांक ०१ फरबरी २०२३ सँ प्रारम्भ... नित नवल दिनेश कुमार मिश्र

http://videha.co.in/ विदेह: प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA (since 2004) पर।

Do not judge each day by the harvest you reap but by the seeds that you plant. -Robert Louis Stevenson

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-गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक विदेह, whatsapp no +919560960721 HTTP://VIDEHA.CO.IN/ ISSN 2229-547X VIDEHA

४ (३)

नित नवल सुशील

कमलानन्द झाकेँ हम किए छद्म समीक्षक कहलियनि?

कारण ओ छद्म समीक्षक छथि।

ओ लिखै छथि- "मैथिली उपन्यास-यात्राक लगभग सय वर्षक बाद मैथिल अन्तरजातीय विवाहक सपना, संघर्ष आ विडम्बना पर गरिमायुक्त उपन्यास लिखबाक श्रेय गौरीनाथकेँ जाइत छनि।"

तँ की कमलानन्द झा सुशीलसँ ई श्रेय छीनि लेलनि? की ई हुनकर ब्राह्मणवादी संस्कारक अहंकार- जे हम ककरो चढ़ा सकै छिऐ आ ककरो उतारि सकै छिऐ- केर पराकाष्ठा थीक, आकि हुनकर अध्ययनक अभावक प्रमाण?

चलू अहाँकेँ लऽ चली कमलानन्द झा केर स्वार्थी दुनियाँसँ दूर, छल-छद्मसँ दूर सुशीलक जादूबला साहित्यक निश्छल दुनियाँमे।

अहाँक स्वागत अछि सुशीलक साहित्यक दुनियाँमे।

प्रस्तुत अछि सुशीलक 'गामबाली' (१९८२) जे आब उपलब्ध अछि विदेह आर्काइवमे लिंक http://videha.co.in/pothi.htm पर।

पहिल पाँतीमे उपन्यास आरम्भसँ पहिनहिये 'गामबाली' उपन्यासक सम्बन्धमे सुशील लिखै छथि-

"विधवा विवाह आ अन्तर्जातीय विवाहक समर्थनमे।"

आ उपन्यास आरम्भ।

गामबालीक मृत्यु आ तखने झमेला, गामबालीक दाह संस्कार के करतै? ब्राह्मण समाज कि जादव समाज?

मैथिलीक सिण्डीकेटेड समीक्षापर अन्तिम प्रहार।

विदेहक ३६३ म अंक दिनांक ०१ फरबरी २०२३ सँ प्रारम्भ... नित नवल सुशील

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विदेहक "साहित्यिक भ्रष्टाचार विशेषांक"

विदेह "साहित्यिक भ्रष्टाचार विशेषांक" लेल निम्नलिखित विषयपर आलेख ई-मेल editorial.staff.videha@gmail.com पर आमंत्रित अछि।
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(क) पुरस्कारक राजनीति
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(ग) सत्तागुट आ अकादमी केर काज करबाक तरीका
(घ) सरकारी सत्ताक छद्म विरोधमे उपजल तात्कालिक समानांतर सत्ताक कार्यपद्धति
(ङ) अकादेमी पुरस्कारमे पाइ फैक्टरः मिथक बा यथार्थ
२. व्यक्तिगत साहित्य संस्थान आ पुरस्कारक राजनीति
३. प्रकाशन जगतमे पसरल भ्रष्टाचार आ लेखक
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५. स्कूल-कॉलेजक मैथिली विभागमे पसरल साहित्यिक भ्रष्टाचारक विविध रूप-
(क) पाठ्यक्रम
(ख) अध्ययन-अध्यापन
(ग) नियुक्ति
६. साहित्यिक पत्रकारिता, रिव्यू, मंच-माला-माइक आ लोकार्पणक खेल-तमाशा
७. लेखक सबहक जन्म-मरण शताब्दी केर चुनाव , कैलेंडरवाद आ तकरा पाछूक राजनीति
८. दलित एवं लेखिका सबहक संगे भेद-भाव आ ओकर शोषणक विविध तरीका
९. कोनो आन विषय।

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