भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

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Tuesday, March 01, 2011

'विदेह' ७७ म अंक ०१ मार्च २०११ (वर्ष ४ मास ३९ अंक ७७) PART I



                     ISSN 2229-547X VIDEHA
'विदेह' ७७ म अंक ०१ मार्च २०११ (वर्ष ४ मास ३९ अंक ७७) NEPALINDIA   
                                                     
 वि  दे   विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine   नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own script Roman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
ऐ अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य
















३. पद्य




  






३.६.१.  डॉ. शेफालिका वर्मा २. प्रभात राय भट्ट

३.७.१. राम वि‍लास साहु- नैनाक खेल




४. मिथिला कला-संगीत-१.श्वेता झा चौधरी २.ज्योति सुनीत चौधरीश्वेता झा (सिंगापुर)

 

५. गद्य-पद्य भारती: मोहनदास: (दीर्घकथा):लेखक :  उदय प्रकाश (मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल)

 

६. बालानां कृते-१.संस्कृति वर्मा- मेहनत  २.नवीन कुमार "आशा"- मस्ती करू यौ बौआ मस्ती करू


 

७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]




 

9. VIDEHA MAITHILI SAMSKRIT EDUCATION (contd.)बिपिन कुमार झा- लैटेक्स : परिचयः उपादेयता च



विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

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example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभूमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।

example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'


मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
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संपादकीय

विदेशी पूँजीक भारतमे सोझ निवेश दोसर देशक फर्मसँ मिलि कऽ वा ओकर सम्पत्ति वा ओकर स्टॉक कीनि कऽ होइत अछि। ओ ऐ लेल स्वॉट अनेलिसिस करै छथि आ अपन प्रवेशक लेल अपन कम दाममे उत्पादन आ सेहो तीव्र गतिसँ कएक तरहक उपाय द्वारा करबाक क्षमताकेँ देखैत करै छथि। कोन देशमे विदेशी पूँजी निवेश होएत से किछु गपपर निर्भर करैत अछि। चीनमे भारतक बनिस्पत बेशी विदेशी पूँजी आओत कारण भारतमे कार्य करबा लेल ढेर रास लोकतंत्रीय प्रक्रिया सभ छै जे उत्पाद केर दाम बढ़बैत छै। ई एना बूझि सकै छी जापान आ स्विटजरलैण्ड आदि देशमे विदेशी पूँजी कम आएल बनिस्पत स्पेनक। आ ऐ तरहेँ तुलना करी तँ नेपालमे भारतक अपेक्षा तुलनात्मक पूँजी निवेश बेशी आओत। मैथिली आ आन भाषामे विदेशी पूँजी निवेशक आगमनक सम्भावना देखी तँ तुलनात्मक रूपमे मैथिलीमे बेशी पूँजी आओत, नेपाली वा हिन्दीक तुलनामे। आ मैथिलीक सन्दर्भमे नेपालक मैथिलीक भविष्य भारतक मैथिलीक भविष्यक तुलनामे बेशी नीक बूझि पड़त जँ विदेशी पूँजीक गप आओत।

मुदा विदेशी पूँजी मात्र प्रबन्धन वा अर्थशास्त्रक उपरोक्त सैद्धांतिक प्रतिफल टा नै अछि। एतए हम राजनैतिक स्थिरता आ सामाजिक संकट दुनूकेँ सोझाँ पबै छी। भारतक भयंकर लाइसेंस फीस जेना सूचना आ प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे मैथिलीक दुर्दशाक लेल जिम्मेद्दारी लेलक से नेपालमे नै अछि। से ओतए रेडियो आ टी.वी.पर मैथिली नीक दशामे अछि। मुदा राजनैतिक अस्थिरता कखनो काल नेपालमे पूँजी निवेशमे बाधक भऽ जाइए। तहिना नेपालक मैथिलीक सामाजिक आधार विस्तृत अछि मुदा भारतक तेहन नै अछि। से भारतमे मैथिलीक लेल पूँजी निवेशक ई ऋणात्मक गुणक अछि।
यूनेस्को कहैत अछि जे भारत विश्वक ६ठम सभसँ पैघ पुस्तक प्रकाशक अछि जतए अंग्रेजी लगा कऽ २५ मान्यताप्राप्त भाषामे पोथी प्रकाशन होइ छै। अंग्रेजीक पोथी प्रकाशनमे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका आ ग्रेट ब्रिटेनक बाद तेसर स्थानपर अछि। मुदा चौबीस मुख्य भाषामे सँ यूनेस्कोक अनुसार पुस्तक प्रकाशन लेल मात्र १८ भाषा महत्वपूर्ण अछि आ ऐ १८ भाषामे मैथिली नै अछि। मैथिली ऐ १८ मे नै अछि। फेडरेशन ऑफ इण्डियन पब्लिशर्सक अनुसार मोटामोटी भारतमे १६००० प्रकाशक छथि जे सालमे ७०००० पोथी प्रकाशित करै छथि। ऐमे २१,००० पोथी अंग्रेजीमे छपैए आ तहूसँ बेशी पोथी हिन्दीमे छपैए। भारतमे साक्षरताक स्थिति जेना-जेना नीक हेतै, तेना-तेना पोथी पढ़ैबलाक संख्यामे सेहो वृद्धि हेतैक। नेपालमे मुख्यतः नेपालीक पोथी छापल जाइत अछि। भारत आ नेपाल दुनू ठाम मैथिली पोथीक प्रकाशन गुण आ संख्या दुनूमे पछुआएल अछि।
सरकारी संस्थाक संग विदेशी निवेशकक सहयोग: आब प्रकाशन उद्योगसँ आगाँ बढ़ी आ सूचना-प्रसार माध्यमक आन क्षेत्र जेना टी.वी., रेडियो आ ऑनलाइन भाषाइ उपकरणपर आउ। एतऽ विदेशी निवेशक हमरा सभ लेल डॉक्यूमेन्टरी, मनोरंजन आ भाषाइ उपकरणक निर्माणमे सहयोग दऽ सकै छथि। सरकार मान्यताप्राप्त भाषा लेल बिना बजारकेँ ध्यानमे रखने खास कऽ मैथिली सहित ओइ छह भाषाकेँ ध्यानमे राखैत काज करए तँ बजारक दृष्टिसँ जे सांस्कृतिक ह्रास सूचना-प्रौद्योगिकी मध्य देखबामे आबि रहल अछि से मैथिलीमे नै आओत। द एकोनिमिस्ट मे एकटा खबरि आएल अछि। अरबी भाषाकेँ फंडक कोनो कमी नै छै मुदा ओ भाष किए मरि रहल अछि, जखन ओकरा पक्षमे सरकारी कामकाज छै, मस्जिद छै, शिक्षा पद्धति छै। लेबनान, जोर्डन आ इजिप्टक अतिरिक्त सउदी अरब आ आन गल्फ देशक एकरा संरक्षण छै। मुदा पाइ एकरा लेल आफत बनल छै। सभ शेख विदेशसँ पढ़ि कऽ अबैत छथि आ मिश्रित अरबी बजै छथि आ तकरा फैशन मानल जा रहल छै। जै अरबीमे कुराण लिखल गेल आ आइ काल्हिक शैक्षिक आधुनिक मानकीकृत अरबी- मॉडर्न स्टैण्डर्ड अरेबिक- (एम.एस.ए.)मे बड्ड पैघ भेद आबि गेल छै। ई आधुनिक मानकीकृत अरबीबाजै जाए बला अरबीसँ फराक भऽ गेल अछि आ एकर काज मात्र सभ अरब देशक बीच सूत्रबद्ध करबा धरि सीमित भऽ गेल छै, जइसँ सभ एक दोसराकेँ बुझि पाबए। मुदा यएह आधुनिक मानकीकृत अरबीदृश्य-श्रव्य-प्रिंटमे अछि जे ककरो मातृभाष नै छिऐ वरन व्याकरण पढ़ि कऽ सीखल जाइ छै। विदेशी निवेशककेँ जे सरकार मैथिली लेल मनोरंजक कार्यक्रमकेँ मैथिलीमे डब करबाक लेल सहायता करए तँ कार्टून चैनल सभक कार्यक्रम आ धारावाहिक सभ मैथिलीमे प्रसारित भऽ सकत भने ओकरा विज्ञापन भेटौ वा नै। आ एक बेर जे ई पहिया घुमत तँ मैथिली जीबि उठत। आ ई पहिया तखने घुमत जखन मधुबनी-दरभंगा-सहरसा-सुपौलक कथित पुरान साहित्यकार लोकनि मैथिलीकेँ जीबि उठऽ देताह, अपन ऋणात्मक ऊर्जाकेँ विराम देताह, समाजक सभ वर्ग जे मैथिलीसँ जुड़ि रहल अछि ओइमे बाधा देबाक बदला सहयोग करताह। समाजक राक्षसी प्रतिभायुक्त ई सर्वहारा वर्ग मैथिलीक रक्षा लेल समर्पित हसेरी बनत तखने ई भाषा आब बचत।
मुख्य विदेशी निवेशक: अखन धरि हार्पर कॉलिन्स, पेंगुइन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, मैकमिलन, रैंडम हाउस, पिकाडोर, हैचेट आ रुटलेज हावर्ड बिजनेस पब्लिशिंग अपन शाखा वा भारतीय सहयोगीक माध्यमसँ भाषायी क्षेत्रमे निवेश केने अछि। मुदा से निवेश अंग्रेजी धरि सीमित भऽ गेल अछि। भारतमे प्रकाशन उद्योगमे विदेशी खिलाड़ी अएलाक बाद एकटा पेंगुइन हिन्दीकेँ छोड़ि देल जाए तँ विदेशी निवेश भारतीय भाषामे लगभग नगण्य अछि। एकर कारण सेहो स्पष्ट अछि। भारतीय भाषाक प्रकाशक सरकारी खरीदपर निर्भर छथि आ गएर सरकारी खरीदमे ओ टेक्स्टबुक छपाइपर जोर दै छथि। विदेशी निवेशक सरकारी खरीद आ टेक्स्टबुक छपाइक आधारपर अपन नीति निर्धारित नै करै छथि। मैथिलीक लेल ई वरदान होइतए मुदा जे भविष्यक साक्षरता वृद्धिक अनुमान लैयो कऽ चली तँ नव साक्षर मैथिली पढ़ताह तकर आशा वर्तमान शिक्षा प्रणालीमे मैथिलीक कतिआएल स्थितिकेँ देखैत असम्भवे बुझा पड़ैत अछि, आ मैथिलीमे ने सरकारी लाइब्रेरीक खरीदक आशा छै आ ने टेक्स्ट बुक छपाइक। पाठकक संख्या तखन इन्टरनेटपर बढ़ाबए पड़त, आ जे पाठक कहियो सरकारी शिक्षा प्रणालीमे मैथिली नै पढ़ि सकल छथि तिनका प्रारम्भमे मंगनीमे डाउनलोडक सुविधा देबऽ पड़त। मैथिलीसँ अंग्रेजी आ संस्कृत आ तकर माध्यमसँ आन भाषामे अनुवाद द्वारा सरकारी आ संस्थागत पुरस्कार पद्धति द्वारा कतिआएल पोथी सभकेँ सोझाँ आनए पड़त जइसँ मैथिली साहित्यक उत्कृष्टता विदेशी निवेशकक सोझाँ आबए। आ ओम्हर सरकारी स्कूलक अतिरिक्त पब्लिक स्कूल सभमे सेहो मैथिलीक पढाइ
हुअए तइ लेल समर्पित हसेरी तैयार करए पड़त। एक दोसरापर प्रत्यारोप लगेलाक बदला (कायस्थ आ ब्राह्मण द्वारा एक दोसरापर, मधुबनी-सहरसा-मधेपुरा-समस्तीपुर-बेगुसराय-पूर्णियाँक लोक द्वारा एक दोसरापर आरोप-प्रत्यारोप जे मैथिलीक दुर्दशा लेल हम नै ओ जिम्मेवार छथि- तइसँ हटि कऽ) एकमुखी, एक स्तरीय आ एक यत्नसँ प्रयास करए पड़त। आ जनताकेँ जोड़ए पड़त। हा पुरस्कार केलाक बदला जन साहित्यकारकेँ चिन्हबापर, जन नेताकेँ चिन्हबापर, जन विक्रेताकेँ चिन्हबापर अपन जान-जी लगाबऽ पड़त।
विदेशी निवेशसँ छोड़ू भारतीय प्रकाशक जे कहियो ऐ क्षेत्रमे आबऽ चाहलक वा सरकारी खरीदक मशीनरी जे कोनो मैथिलीक पोथी कीनऽ चाहलक वा अनुवाद लेल कोनो स्वयंसेवी संस्था मैथिली पोथी सभक चयन करऽ चाहलक तखनो मैथिली साहित्यक पुरोधा लोकनि द्वारा, जे सलाहकार बनलाह, द्वारा भ्रमित सूची देल गेल, कतेक रास मिथिलाक्षरक पाण्डुलिपि देशक बाहर टपा देल गेल आ मारते रास लोक द्वारा ढेर रास बखेरा ठाढ़ कएल गेल। से सभ कियो भागि गेलाह, बाहरियो आ मैथिली सेवी सेहो। 

सरकारी खरीद गुणक आधारपर नै भेल, पैरवी-पैगाम आ ढेर रास आन गुणकक आधारपर भेल। विदेशी निवेशकक लग ई सभ ऋणात्मक पक्ष लऽ कऽ हमरा सभ कोना जा सकब।
विदेशी निवेशककेँ मैथिलीमे निवेश केलासँ लाभ: विदेशी निवेशक कल्याणकारी कार्य सेहो करै छथि। हुनका मैथिलीक विशेषता बुझाबए पड़त। विश्व प्रसिद्ध वायोलिन वादक स्व. येहुदी मेनुहिन मैथिलीकेँ संसारक सभसँ लयात्मक आ मधुर भाषा कहने छलाह। विदेशी निवेशकक किछु निवेश यूनेस्कोक भाषा सम्बन्धी नीतिक आधारपर सेहो करैत अछि। आ ई कल्याणकारी निवेश लाभपर आधारित नै होइत अछि, सरकारी खरीदपर आधारित नै होइत अछि, विज्ञापनपर आधारित नै होइत अछि। अन्तर्राष्ट्रीय सर्टिफिकेशनपर आधारित गएर सरकारी संस्था सभक माध्यमसँ मैथिलीमे शैक्षिक पोथी आ मनोरंजन आ स्वास्थ्य आधारित फिल्म डोक्यूमेन्टरीक मैथिली भाषी क्षेत्रमे ग्राम पंचायतक स्कूल सभक माध्यमसँ कएल जाए तँ मैथिली भाषी लोकक हीन भावनामे कमी आओत आ भाषायी क्रान्तिक संगे आर्थिक क्रान्ति सेहो आएत।  
मैथिलीक स्वॉट Strenghth- Weakness- Opportunity- Threat (SWOT) एनेलेसिस आ विदेह मैथिली साहित्य आन्दोलन (अपन गुरु चमू कृष्ण शास्त्रीक सहयोगसँ)
मैनेजमेन्टमे एकटा विषए छैक स्वॉट अनेलिसिस। मैथिलीक वर्तमान समस्याकेँ आ विदेह मैथिली साहित्य आन्दोलनक कार्ययोजनाकेँ एहि कसौटीपर कसै छी।
Strenghth-
शक्ति, सामर्थ्य, बल
मैथिली लेल हृदएमे अग्नि छन्हि, से सभक हृदएमे, परस्पर एक दोसराक विरोधी किएक ने होथु। जनक बीचमे एहि भाषाक आरोह, अवरोह आ भाषिक वैशिट्यकेँ लऽ कऽ आदर अछि आ एहि मे मैथिली नहि बजनिहार भाषाविद् सम्मिलित छथि। आध्यात्मिक आ सांस्कृतिक महत्वक कारण सेहो मैथिली महत्वपूर्ण अछि। एहि भाषामे एकटा आन्तरिक शक्ति छै। बहुत रास संस्था, जाहिमे किछु जातिवादी आ सांप्रदायिक संस्था सेहो सम्मिलित अछि, एकर विकास लेल तत्पर अछि। एहि भाषाक जननिहार भारत आ नेपाल दू देशमे तँ रहिते छथि आब आन-आन देश-प्रदेशमे सेहो पसरल छथि।

Weakness-
न्यूनता, दुर्बलता, मूर्खता
प्रशंसा परम्परा जाहिमे दोसराक निन्दा सेहो एहिमे सम्मिलित अछि, एकरे अन्तर्गत अबैत अछि- माने आत्मप्रशंसाक।
परस्पर प्रशंसा सेहो एहिमे शामिल अछि। सरकारपर आलम्बन, प्राथमिकताक अज्ञान- जकर कारणसँ महाकवि बनबा/ बनेबा लेल कवि समीक्षक जान अरोपने छथि- जखन भाषा मरि रहल अछि। कार्ययोजनाक स्पष्ट अभाव अछि आ जेना-तेना किछु मैथिली लेल कऽ देबा लेल सभ व्यग्र छथि, कऽ रहल छथि। स्वयं मैथिली नहि बाजि बाल-बच्चाकेँ मैथिलीसँ दूर रखबाक जेना अभियान चलल अछि आ एहिमे मीडिया, कार्टून आ शिक्षा-प्रणालीक संग एक्के खाढ़ीमे भेल अत्यधिक प्रवास अपन योगदान देलक अछि। मैथिलीक कार्यकर्ता लोकनिक कएक ध्रुवमे बँटल रहबाक कारण समर्थनपरक लॉबिइंग कर्ताक अभाव अछि। मैथिलीकेँ एहिअँ की लाभक बदला अपन/ अप्पन लोकक की लाभ एहि लेल लोक बेशी चिन्तित छथि। मैथिली छात्रक संख्याक अभाव। उत्पाद उत्तम रहला उत्तर सेहो विक्रयकौशलक आवश्यकता होइत छै। मैथिलीमे उत्तम उत्पादक अभाव तँ अछिए, विक्रयकौशलक सेहो अभाव अछि।
Opportunity-
अवसर, योग, अवकाश
विशिष्ट विषयक लेखनक अभाव, मात्र कथा-कविताक सम्बल। मैथिलीमे चित्र-शृंखला, चित्रकथा, विज्ञान, समाज विज्ञान, आध्यात्म, भौतिक, रसायन, जीव, स्वास्थ्य आदिक पोथीक अभाव अछि। ताड़ग्रन्थक संगणकक उपयोग कऽ प्रकाशन नहि भऽ रहल अछि। छात्र शक्तिक प्रयोग न्यून अछि। संध्या विद्यालय आ चित्रकला-संगीतक माध्यमसँ शिक्षा नहि देल जा रहल अछि। दूरस्थ शिक्षाक माध्यमसँ/ अन्तर्जालक माध्यमसँ मैथिलीक पढ़ाइक अत्यधिक आवश्यकता अछि। मैथिलीमे अनुवाद आ वर्तमान विषय सभपर पुस्तक लेखन आ अप्रकाशित ताड़ ग्रन्थ सभक प्रकाशनक आवश्यकता अछि। मैथिलीक माध्यमसँ प्रारम्भिक शिक्षाक आवश्यकता अछि। प्रवासी मैथिल लेल भाषा पाठन-लेखन-सम्पादन पाठ्यक्रमक आवश्यकता अछि।
Threat-
भीषिका, समभाव्यविपद्
हताशा, आत्महीनता, शिक्षासँ निष्कासन, पारम्परिक पाठशालामे शिक्षाक माध्यमक रूपमे मैथिलीक अभाव, विरल शास्त्रज्ञ, ताड़पत्रक उपेक्षा आ विदेशमे बिक्री, भाषा शैथिल्य, सांस्कृतिक प्रदूषण आ परिणामस्वरूप भाषा प्रदूषण, मुख्यधारासँ दूर भेनाइ आ मात्र दू जातिक भाषा भेनाइ, शिक्षक मध्य ज्ञान स्तरक ह्रास, राजनैतिक स्वार्थवश मैथिलीक विरोध ई सभ विपदा हमरा सभक सोझाँ अछि।
विदेहक मैथिली साहित्य आन्दोलन मैथिलीकेँ जनभाषा बनएबाक प्रक्रममे लागल अछि। पाक्षिक रूपेँ मासमे दू बेर एहिपर विचिन्ता होइत अछि। नकारात्मक चिन्तन, परदूषण आ अभाव भाषण द्वारा ई आन्दोलन नहि अवरोधित होएत आ एकरा न्यून करबाक आवश्यकता अछि। ई सभटा ऊपरवर्णित बिन्दु प्रबन्धन-विज्ञानक कार्ययोजनाक विषय अछि, आ भाषणक नहि कार्यक आवश्यकता अछि आ से हम सभ कऽ रहल छी। सम्भाषण, मैथिली माध्यमसँ पाठन, नव सर्वांगीन साहित्यक निर्माण लेल सभकेँ एकमुखी, एक स्तरीय आ एक यत्नसँ प्रयास करए पड़त। धनक अभाव तखने होइत अछि जखन सरकारी सहायतापर आस लगेने रहब। सार्वजनिक सहायताक अवलम्ब धरू, दाताक अभाव नहि स्वीकारकर्ताक अभाव अछि।  

सूचना:
डॉ. नित्यानन्द लाल दास केँ साहित्य अकादेमीक मैथिली अनुवाद पुरस्कार २०१० देल जाएत।
डॉ. नित्यानन्द लाल दास , पिता स्वर्गीय सूर्यनारायण दास। फारबिसगंज कॉलेज, फारबिसगंज सँ अंग्रेजी विभागाध्यक्ष पदसँ अवकाशप्राप्त। डॉ. सुरेन्द्र झा "सुमन"क संयोजकत्वक कार्यकालमे "मैथिली परामर्शदातृ समिति" (साहित्य अकादेमी, दिल्ली)क सदस्य। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलामक अंग्रेजी पोथी "इग्नाइटेड माइण्ड्स"क मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा" नामसँ अनुवाद। मैथिली पत्रिका सभ जेना बटुक, प्रयाग; मिथिला मिहिर, पटना; स्वदेश, दरभंगा; पहुँच, पटना आ परती पलार, अररियामे रचना प्रकाशित। १९६७ ई. सँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मे सक्रिय। प्रांतीय प्रतिनिधि २००४ धरि जिला सरसंघचालक। जे.पी.आन्दोलनमे लोकतंत्र सेनानी।
नेपाल आ भारतक किछु प्रमुख सम्मानक सूची
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता (नेपाल देशक भाषा-साहित्य,  दर्शन, संस्कृति आ सामाजिक विज्ञानक क्षेत्रमे  सर्वोच्च सम्मान)
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता
श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव

फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ

साहित्य अकादेमी  फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)


           १९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र यात्री १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।


           २०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) -
मैथिली साहित्य लेल।




साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
           

           २००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
            पं. श्री उमारमण मिश्र


 
साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली

 
१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)
१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)
१९६९- उपेन्द्रनाथ झा व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)
१९७०- काशीकान्त मिश्र मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)
१९७१- सुरेन्द्र झा सुमन” (पयस्विनी, पद्य)
१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)
१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)
१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक विधु” (सीतायन, महाकाव्य)
१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)
१९७८- उपेन्द्र ठाकुर मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)
१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)
१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)
१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)
१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)
१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)
१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)
१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)
१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)
१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)
१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)
१९८९- काञ्चीनाथ झा किरण” (पराशर, महाकाव्य)
१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)
१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)
१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)
१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)
१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)
१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)
१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)
१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)
१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)
१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)
२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)
२००१- बबुआजी झा अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)
२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)
२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)
२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)
२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)
२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)
२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)
२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)
२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)
२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)
 

 
साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार

 
१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)
१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)
१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)
१९९५- सुरेन्द्र झा सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)
१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)
१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)
१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)
१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)
२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)
२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)
२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)
२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)
२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंहमौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)
२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)
२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)
२००७- अनन्त बिहारी लाल दासइन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)
२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)
२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी-  सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)
२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)


साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार
 
२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल"  लेल

 
प्रबोध सम्मान

 
प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )
प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )
प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )
प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )
प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )
प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )
प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )
प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )
 

 
यात्री-चेतना पुरस्कार

 

 
२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा सुमन”, दरभंगा;
२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;
२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;
२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;
२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;
२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा विनोद”, रहिका, मधुबनी;
२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;
२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;
२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी
२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा
२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा

 


कीर्तिनारायण मिश्र साहित्य सम्मान

 
२००८ ई. - श्री हरेकृष्ण झा (कविता संग्रह एना त नहि जे”)
२००९ ई.-श्री उदय नारायण सिंहनचिकेता” (नाटक नो एण्ट्री: मा प्रविश)
२०१० ई.- श्री महाप्रकाश (कविता संग्रह संग समय के”) 


भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता
युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।


भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर
रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त
 
रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।

मैलोरंग, दिल्लीक ज्योतिरीश्वर रंगकर्मी सम्मान
2010- श्रीमति प्रेमलता मिश्र 'प्रेम'  

सूचना: विदेहक १५ मार्च २०११ अंक होली विशेषांक रहत। होली विशेषांक लेल हास्य विधाक गद्य-पद्य रचना अहाँ १३ मार्च २०११ धरि पठा सकै छी। रचना मेल अटैचमेण्टक रूपमे  .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठाओल जाए। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहए जे ई रचना मौलिक अछि आ पहिल प्रकाशनक लेल विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि।

( विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ एखन धरि १०७ देशक १
,७११ ठामसँ ५७, ०४४ गोटे द्वारा विभिन्न आइ.एस.पी. सँ २,९३,१३७ बेर देखल गेल अछि; धन्यवाद पाठकगण। - गूगल एनेलेटिक्स डेटा। )

 

 गजेन्द्र ठाकुर
http://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html