भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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Tuesday, June 23, 2009

प्रथम परिचय

पहिने हम अपन परिचय द रहल छी।
हमर नाम
नीरज कुमार अईछ... डखराम, दरभंगा हमर पैतृकगाम ऐछ...एखन दिल्ली में छि...

हम एहन मिथिला-पुत्र छि जे सब मैथिलि बाजए छे मुदा लिखय अओर पढयमें लगभग असमर्थ होयत छथीन...एहि कारण जे त्रुटी होय हमर लेखन में , अहाँ सब क्षमा करब आशा करैत छि...

एहि ठाम पोस्ट करै के अनुमति भेटल एहि लेल आभार प्रकट करै छि...

हम काल्हि डॉ कलाम के 'Ignited Mind' केर मैथिलि अनुवाद पढ़त छलिये, डॉ नित्यानंद लाल दास द्वारा 'प्रज्वलित प्रज्ञा' पुस्तक के रूप में प्रकाशित कयल गेल ऐछ... डॉ दास हमर मामा छथिन्ह... ई पुस्तक के विमोचन आओर प्रचार में हम हुनकर संगे छलिय, मुदा मैथिल समाजो में मैथिलि पुस्तक क लेल कोनो उत्साह नहि दिखल...कारण जे मैथिलि भाषा के पाठक बड़ कम भेटत...

ओहि समय हमर मोन में ई विचार उत्पन्न भेल, जे अहाँ सब के सम्मुख प्रकट करै छि...

हम दोसर भाषा के अनेक पुस्तक या रचना सबहक मैथिल अनुवाद पढि चुकल छि मुदा मैथिलि पुस्तक वा कथा- कहानी-कविता के कोनो आओर भाषा में अनुवाद देखनो नहि छि... ऐना कियैक ...

मिथिला के अनेक लोक बाहर रहै छथिन्ह... मिथिला के संस्कृति, संस्कार आओर साहित्य स' दूर

छथिन्ह... यदि हिन्दी वा अंग्रेजी में ई सब उपलब्ध होय त शायद नव पीढी मिथिला, मैथिलि अओर मैथिल दिस आकर्षित होथिन्ह...

मिथिला के लेखक लोकनि स आग्रह ऐछ जे एही दिशा में अपन योगदान देथुन्ह जाहि स हम सब अपन इतिहास स पुनः परिचित होइ... एही तरहे मैथिलि के backlink हेते हिन्दी आओर अंग्रेजी स , जेकर महत्ता अंतरजाल स परिचित लोक खूब समझै छथिन्ह...

आशा ऐछ अहाँ लोकनि हमर 'मैथिलि स अनुवादित पुस्तक' क विषय में हमर ज्ञान वृद्धि करब...

4 comments:

  1. niraj ji

    katek nik te ahan likhai chhi,

    2.maithili sahitya-english translation me

    http://madhubani-art.blogspot.com/

    ehi link par uplabdh achhi,

    3. डॉ कलाम के 'Ignited Mind' केर मैथिली अनुवाद लेल डॉ नित्यानंद लाल दासजीकेँ बधाइ।

    4.ई पोथी कतएसँ आ कतेक दामपर (रजिस्टर्ड/ कूरियर सहित) प्राप्त होएत से लिखू।

    5. ई सही अछि जे मैथिली पोथीक ओतेक डिमांड नहीं छै, मुदा तकर कारण सुविधाजनक रूपेँ तकर प्राप्त नहीं भेनाइ सेहो अछि। इंटरनेट आ अन्य माध्यमसँ ई कमी पूर्ण कएल जा सकैत अछि- मैथिल आर मिथिला- एहिमे अहाँक सहयोगक आसमे अछि।

    6. डॉ नित्यानंद लाल दासजीक पोथीक मुख्यपृष्ठक स्कैन कएल इमेज सेहो पठाऊ, से आग्रह ।

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  2. neeraj ji,
    ahank ehi blog me svagat achhi,

    bajnai aa likhnai me kono antar nahi chhai, khuli kay likhoo,
    ahan se aar rachna sabhak aas me

    ReplyDelete
  3. katek nik gap sojha rakhlahu niraj ji

    http://www.videha.co.in/new_page_13.htm

    ehi uparaka prishtha par manak maithili par aalekh chhai je ahan san pratibhavan lokak lel 1/2 hour ke mehanati achhi.

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  4. prajvalit pragya ker dharavahik prastutik aasha me

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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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