भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Monday, April 20, 2009

एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी(छठम कड़ी )



दादी बाबा कs गाम गेलाक बाद माँ, बाबुजी, हम सब छहु भाई बहिन, आ ई ओहि दिन मोतिहारी रही गेल रही। हमारा सब कs दोसर दिन मोतिहारी सs मुजफ्फरपुर जेबाक छsल। साँझ मे ई हमरा कहलाह माँ के कहि दियौन्ह आ चलू हम सब सिनेमा देख कs अबैत छी। पहिने तs हम तैयारे नहि होइत छलिये मुदा जखैन्ह ई बहुत कहलाह तs
हम जएबाक लेल तैयार तs भs गेलहुँ मुदा माँ सs कहबा मे हमारा लाज होयत छलs। जखैन्ह हम माँ सs कहय लेल तैयार नहि भेलहुँ तs ई हमर छोटकी बहिन अन्नू के बजा कs कहलथिन, "अहाँ अपन माँ सs चुप चाप कहि दियौन हम दुनु गोटे सिनेमा जाइत छी"। अन्नू बेचारी तs ठीके माँ सs चुप चाप जा कs ई गप्प कहलथि, मुदा कोना नय कोना हमर तेसर बहिन बिन्नी ई गप्प सुनि लेलथिन आ तकर बाद एक के बाद एक सब भाई बहिन सब सिनेमा जएबाक लेल हल्ला करय लागय गेलीह, सब छोटे छोट छलथि। माँ सब के बुझबति छलिह मुदा कियो मानय लेल तैयार नहि छलथि।बहुत बुझेला पर आओर सब गोटे तs मानि गेलिह बिन्नी नहि मानलिह। हमरा आर हिनका "अपना देश ", विवाह कs बादक पहिल सिनेमा बिन्नी कs सँग देखय परल। हम सब सिनेमा की देखब बिन्नी के सम्हारय मे हमर सबहक समय बीति गेल।हम की कहियो ओहि दिनका देखल सिनेमा बिसरी सकैत छी।


दोसर दिन भोरे हम सब मुजफ्फरपुर के लेल बिदा भs गेलहुँ। पहिने तs हमर सबहक कार्यक्रमक अनुसारे हमारा सबके मुजफ्फरपुर मे रहबाक नय छलs मुदा हिनकर आग्रह के बाबुजी मानि गेलाह आ हमसब मुजफ्फरपुर मे सेहो दू दिन रहि गेलहुँ। ओहि दिन हमरा सब के पहुँचलाक बाद इ अपन हॉस्टल इ कहि कs गेलाह जे अपन सामान राखि आ जानकारी लs कि कॉलेजक हरतालक की भेलैक इ आबि जेताह आ दिनका भोजन इ हॉस्टल सs करि कs अओताह। दुपहर मे इ अयलाह आ हिनक सँग हमर दीयरि सल्लन जी, जे हिनका सs दू बरखक छोट छथि आ हिनके कॉलेज मे पढैत छलाह हमारा सs भेंट करय कs लेल सेहो अयलाह।


सल्लन जी सs हमरा पहिल बेर भेंट छल। बरियाति आयल छलाह, मुदा एक तs गामक बरियाति, दोसर बरियाति सब पहिने आँगन मात्र सुहाग देबय कs लेल आबति रहथि। थोरेक काल गप्प, आ चाह नाश्ताक बाद इ हमरा आ सब बच्चा(हमर भाय बहिन) सब के सिनेमा लs जयबाक लेल कहि तैयार होयबाक लेल कहलथि सब खुशी खुशी तैयार भs जाय गेलथि आ हमर छोटका भाय के छोरि, बाकि पूरा बटालियनक सँग हम सब सिनेमा देखबाक लेल बिदा भs गेलहुँ। हमरा सब सँग सल्लन जी सेहो रहथि हम मोने मोन सोचलहुं आय इ एतेक गोटे सँग सिनेमा देखबाक लेल तैयार कोना भs गेलाह। फेर मोन मे आयल ओहि दिन बच्चा सब कानैत रहथि, इ सोचि सब के लs जयबाक सोचने होयताह, सल्लन जी आ बौआ(हमर बडका भाय ) सेहो सँग रहबे करथि।


घर सs निकलतहि रिक्शा भेंट गेलs एक टा रिक्शा पर हम दुनु गोटे आ बाकि दू टा पर सल्लन जी आ बौआक सँग सब बच्चा सब बैसि जाय गेलथि। ओना हम मुजफ्फरपुर दोसर बेर आयल छलहुँ, मुदा पहिल बेर मात्र राति भरि जनकपुर सs राँची जाय काल लंगट सिंह कॉलेजक गेस्ट हाउस मे रहि। हमर सबहक रिक्शा पाछू छलैक आ तेहेन ख़राब सड़क जे हमर ध्यान दोसर दिस नहि छल, हमरा होयत छल कहीं खसि नय परी। हम मात्र सड़क आ रिक्शा दिस देखैत सिनेमा हॉल लग पहुँची गेलहुँ।


रिक्शा सs उतरतहि इ रिक्शा वाला के पाई दs हमरा कहलथि चलू। हम किछु बूझलियैक नहि आ पुछलियैन्ह,"आ बाकि सब गोटे"? इ मुस्कुरैत कहलाह बच्चा पार्टी के सल्लन अपना सँग दोसर सिनेमा देखाबय लेल लs गेलाह। हम हुनका सँग सिनेमा हॉल मे जा जखैन्ह बैसलहुं तs सिनेमा शुरू होयबा मे थोरेक समय छलैक। इ हमरा
कहलाह हमरा सिनेमा देखबाक ओतेक इच्छा नहि छलs हमरा तs अहांक सँग रहबाक छलs आब फेर कतेक दिनक बाद भेंट होयत नहि जानि, आ ओहि ठाम इ सम्भव नहि छलs। हमर कोरा वाली सारि सब जे छथि, ओ हमरा एको मिनट असगर कथि लेल रहय देतीह। सल्लन हमरा सँग आबिते छलाह, हुनका अहाँ सs भेंट करबाक छलैन्ह। हम सोचलहुं सिनेमा देखबाक नाम पर सब तैयार भs जेतिह , आ सल्लन सs पुछलियैन्ह तs कोरा खेलाबय वाली सारि सब सँग सिनेमा देखय लेल तैयार भs गेलाह। ओहि ठाम कहितौंह त फेर हल्ला भs जायत तकर आशंका सs हम अहूँ के किछु नहि कहलहुं। प्रकाश(हमर पैघ भाय ) आ सल्लन के सबटा बुझल छलैन्ह, ताहि लेल हुनकर सबहक रिक्शा आगू गेलैन्ह आ हमर सबहक पाछू छsल । इ सुनि हमरो निक लागल, जखैन्ह सs हम सब गाम सs निकललहुं तखैन्ह सs नहि जानि कियाक हमरो मोन इ सोचि उदास छलs जे पता नहि आब कहिया भेंट होयत। हमरो आ हिनको दुनु गोटे के कॉलेज खुजल छsल दोसर हमरा लागैत छsल जे रांची सs मुजफ्फरपुर बहुत दूर छैक।


हम सब सिनेमा की देखब गप्पे मे समय बीति गेल। इ तs निक छsल जे दीपक सिनेमाक सब हिनका चिन्हैत छलैन्ह दोसर ओहि दिन एकदम कम भीर छलैक आ हमरा सब के एकदम कात में सीट भेन्टल छल जाहि ठाम कियो बैसल नही छलथि राति मे हम सब आपस अयलहुं तs बच्चा सब सल्लन जी आ बौआ कs सँग आपस हमरा सब सs पहिनहि आबि गेल रहथि हमरा तs होयत छल हमर बहिन सब हमरा सब के देखि कs हल्ला करतीह मुदा ओ सब किछु नही बजलिह। सल्लन जी अपन हॉस्टल आपस चलि गेलाह।


ओहि राति हमरा एको रत्ती नींद नहि भेल। दोसर दिन हमर सबहक रेल गाड़ी छल। हिनकर कॉलेज तs खुजि गेल छलैन्ह मुदा इ हमरा कहि देने रहथि जे एक दिनक गप्प छैक, ताहि लेल इ हमरा सबके गेलाक बाद सs अपन क्लास करताह। साँझ मे हमरा सब के छोरय के लेल हमरा सब सँग इहो स्टेशन अयलाह हमरा स्टेशन पर ठाढ़ हेबा मे सब दिन सs बड़ ख़राब लागैत छsल मुदा ओहि दिन नहि जानि कियाक, होइत छsल जे रेल गाड़ी जतेक देरी सs आबैक से निक। कथी लेल, गाड़ी अपन निर्धारित समय पर आबि गेलैक आ हमरा ओहि पर सवार होमय परल।


रेल गाड़ी खुजय सs पहिनहि इ मौका देखि कs चुपचाप हमरा लग आबि कहलाह "आब चिट्ठी अवश्य लिखब नहि तs हमारा पढ़य मे मोन नहि लागत"। हमहू मुडी हिला जवाब दs देलियैन्ह। जहिना जहिना गाड़ी खुजय के समय होयत छलैक हमरा बुझाइत छsल जेना हमरा कियो जबरदस्ती पठा रहल अछि। गाड़ी आब ससरय लागल मुदा हम दूनू गोटे एक टक एक दोसरा के ताबैत देखैत रही गेलहुँ जाबैत धरि आँखि सs ओझल नहि भs गेलहुँ।


रांची पहुँचलाक दोसर दिन हम कॉलेज गेलहुँ मुदा हमर कॉलेज मे एको गोट हमर स्कूलक
संगी नहि भेंटलिह। हम चुप चाप जा कs पछुलका बेंच पर बैसी गेलहुँ। क्लास मे हम असगर रही जनिकर कि बियाह भेल छलैक। हमरा क्लास मे नन(nun) सब सेहो कैयेक टा छलिह। हमरा बगल मे सब दिन आबि कs एकटा नन बैसि जाइत छलिह।


एक सप्ताहक बाद बाबुजी जएबाक चर्च करय लगलाह, हुनका गेनाइ आवश्यक छलैन्ह। ओ तs आयल छलाह नीलू दीदी, हमर पितिऔत बहिनक बियाहक हिसाबे छुट्टी लs कs मुदा हमर विवाहक चलते हुनका छुट्टी बढाबय परि गेलैन्ह । हमर माँ बाबुजी अरुणाचल मे रहैत छलथि, जाहि ठाम मात्र छोटका बच्चा सब के लेल स्कूल छलैक ।हम आ बौआ (हमर बडका भाय ) तीन चारि बरख सs पढ़ाई लेल माँ बाबुजी लग नहि रहि छोटका काका लग राँची मे रहैत छलहुँ। हुनका लोकनि के जएबाक चर्च जखैन्ह जखैन्ह होय हमर मोन छोट भs जायत छsल, हम कात मे जाय खूब कानी। हमर माँ सैत इ देखि लेत छलिह, एक दिन हमरा पुछि देलथि "अहाँ कियाक कानैत छी"। हमरा आओर कना गेल मुदा हम बजियैन्ह किछु नहि। हमरा सब दिन सs इ रहल, यदि हमरा मोन मे दुःख होइत अछि तs हम किनको किछु नहि कहैत छियैन्ह आ कात मे जा असगरे कानैत छी।एक दिन माँ हमरा असगरे लs जाय कs पुछलथि हमरा कहु अहाँ कियाक कानैत छी नय तs हमरा ओतहु जाय कs ध्यान लागल रहत। इ सुनतहि हमरा आओर कना गेल। माँ तखैन्ह बुझि गेलैथ आ पुछलैथ कहु तs हम नहि जाई आ किछु दिन अहाँ लग रही जाइ, अहाँक बाबुजी असगरे चलि जयताह। हम किछु नहि बजलियैन्ह मुदा हमरा इ सुनि निक लागल।


हमर माँ, बाबुजी के कहि सुनि कs हुनका असगर जएबाक लेल तैयार कs लेलकनि।
हमर काका सुनि s पहिने माँ के रूकबा लेल मना कयलथि मुदा माँ के मोन देखि s ओहो चुप s गेलथि। एक सप्ताहक बाद बाबुजी के अरुणाचल जायब तय भेलैंह। बाबुजी के रांची सs मुजफ्फरपुर जा ओतहि सs अवध आसाम मेल सs अरुणाचल जएबाक छलैन्ह।

8 comments:

  1. ek ber pher bad nik prastuti

    ReplyDelete
  2. katha aab khoob sundar aaga badhal, eke ber me sabh ta padhi gelahu

    ReplyDelete
  3. ee kari padhlahu, kathak prasang, manviya bhavnak abhivyaktik utkrishta udaharan

    ReplyDelete
  4. kusum jee,
    sasneh abhivaada, jahan ahaan sabke rachnaa aa pravaah dekhait chhee ta mon mein glani hoit aichh je kahin ham aitay blog ke sundartaa nasht ta nahin ka rahal chhee, keeyak ta hamar star ahan sab san bahut neechaan aichh, jeetu jee yadi ahaan chaahab takhne ham aagu leekhab , anyatha nahin, ehen nahin hue je hue je hamar post sa blog ke rutbaa mein kichh kamee aaieb jaay, jehen aagyaa bhetat saih karab.....

    ReplyDelete
  5. अजय जी एहिमे कोनो शक नहीं जे कुसुमजीक आगमनसँ ई ब्लॉग आर सुन्दर भए गेल अछि, मुदा अहाँ सेहो नीक लिखैत छी, जारी राखू आ पैघ-पैघ आलेख लिखू।


    कुसुमजी, अहाँक प्रस्तुतिक ई कड़ी सेहो बड्ड नीक अछि।

    ReplyDelete
  6. लेखक के सफलता के श्रेय पाठक के जाइत छैन्ह एहि में कोनो दू मत नहि। हमर अजय जी के शुभ कामना आ आशीर्वाद, ओ एक दिन अवश्य अपन लेखन सs सबके आश्चर्य चकित कs देताह। कखनहु हारि नहि मानबाक चाहीं।

    ReplyDelete
  7. हमर कोरा वाली सारि सब जे छथि, ओ हमरा एको मिनट असगर कथि लेल रहय देतीह। सल्लन हमरा सँग आबिते छलाह, हुनका अहाँ सs भेंट करबाक छलैन्ह। हम सोचलहुं सिनेमा देखबाक नाम पर सब तैयार भs जेतिह , आ सल्लन सs पुछलियैन्ह तs कोरा खेलाबय वाली सारि सब सँग सिनेमा देखय लेल तैयार भs गेलाह।


    ekdam satik kathopakathan ker sthapnak lel dhanyavad

    ReplyDelete
  8. ee kari seho otabe nik jatek puranka episode,yadi kahi te kanek beshiye nik ehi ber lagal

    ReplyDelete

"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:-
1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)|
2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)|
3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)|
4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।

अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि।
अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।

Join videha WhatsApp channel

 Join videha WhatsApp channel  https://whatsapp.com/channel/0029VaNyM6R5q08ZPuSPxN0U