कूदू फान्दू बउवा येऊ,
मादक हवा कही रहल ऐच्छ,
आइबे रहल आइछ फगुवा यौ ॥
रंग-अबीर सं चमकत अंगना,
बल्जोरी के जोर चालत,
दू गिलास भांग के बाद,
बीस ता मल्पूआ यौ॥
नाक-भों जे कियो चढायब,
या की रंग पैइन सं घब्रायब,
जे करतेई बेसी लतपत,
रंग सं भ जीते थौवा यौ..
गोर्की भौजी, छोटका बउवा,
पहिरू पूर्ण अंगा, पुरना नुवा,
रंग-अबीर पोलिस सं,
सब गोते लागब कौवा यौ॥
बड नीक ई पाबैइन आइछ,
सबके मोंन के भाबैईत ऐच्छ,
एके रंग मैं सब रंगेतय ,
के धनीक, के बिल्तौवा यौ॥
फगुवा के यह मज़ा त छाई ,
तैयारी के ने आवश्यकता छाई,
रंग पैइन दुनु छाई सस्ता,
नई खर्चा हित दहौउअया यौ॥
फगुवा के तैयारी करू...
भैया अपने के बहुत - बहुत धन्यवाद जे एतेक सुन्दर होली कविता अपने अई मैथिली ब्लोग पर प्रस्तुत केलो उम्मीद करैत छलो जे अपने के कलम सा और बहुत किछ पढ़ई लs मिलत ! अपने के कविता "आइबे रहल ऐच्छ फगुआ याऊ" कावीले तारीफ अच्छी !
ReplyDeletepriya jeetu,
ReplyDeleteshubh sneh. kavita neek laagal , dhanyavaad. mudaa maithili ke shabd translate kariat mein kichh kathinaaee hoet aichh aa hum etek takneekee gapp nahin jainat chhe . yadi kuno galti bha jaay ta samhaarab.
सरजी अपने के होली कविता (आइबे रहल ऐच्छ फगुआ याऊ) बहुत निक अछि ! सच पुछू त अपने के कलम के बाते किछ और अछि !
ReplyDeleteआत्मासँ हृदयसँ लिखल एहि ब्लॉगक सभ पद्य हृदयकेँ छुबैत अछि।
ReplyDeleteগজেন্দ্র ঠাকুব
गोर्की भौजी, छोटका बउवा,
ReplyDeleteपहिरू पूर्ण अंगा, पुरना नुवा,
रंग-अबीर पोलिस सं,
सब गोते लागब कौवा यौ॥
बड नीक ई पाबैइन आइछ,
सबके मोंन के भाबैईत ऐच्छ,
एके रंग मैं सब रंगेतय ,
के धनीक, के बिल्तौवा यौ॥
फगुवा के यह मज़ा त छाई ,
तैयारी के ने आवश्यकता छाई,
रंग पैइन दुनु छाई सस्ता,
नई खर्चा हित दहौउअया यौ॥
फगुवा के तैयारी करू...
eti sundar
ee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.
ReplyDeletedr palan jha