भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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Monday, March 03, 2008

छोट - छोट बात

अपन सबहक़ जीवन इश्वर के देल एक सर्वश्रेष्ठ उपहार अछि ! अई जीवन रूपी उद्यान क सुगंध सs परिपूर्ण बनाबई हेतु आर खुद क संतुष्ट राखै के लेल किछ बात ध्यान म राखब अति आवश्यक अछि ! अगर हम सब इ बात क सदैव ध्यान म राखी त निश्चित रूप स हम सबतरह सs आत्मिक शांति के सुख प्राप्त के सकब ! कखनो किनको स किछ प्राप्त करे के आशा नै करबाक चाही ! कियेकी इ जरुरी नै अछि की किनको पर करल गेल अपने के अपेक्षा हरदम पूरे हुवे ! आशा के विपरीत भेला पर यदि आहा के मन मए दुःख होई या त किनको दोसर स हम कुनू अपेक्षा करबे किये करब ?

हमेशा धीरज स काम लेबाक चाही, कियेकी रास्ता लम्बा जरुर होइत अछि मुदा अंतहीन नै ! कुनू कदम उठावे स पहिने भली भाति सोइच - विचैर लेबाक चाही

क्रोध क अपन वश म राखी कियेकी क्रोध मुर्खता स आरंभ आर पश्चाताप पर समाप्त होइत अछि !

सदैव याद राखी की "मधुर वचन अछि औषधि आर कटू वचन अछि तीर" इ शब्द क ध्यान म रैख क बाजी !

शेक्सपियर कह्लाखिन रहे " संक्षेप बुद्धिमत्ता के आत्मा होइत अछि ! आवश्यकता स अधिक बात किनको सुने हेतु बाध्य नै कारियोंन ! कहल गेल अछि वार्तालाप जतेक लम्बा होइत अछि ओकर प्रभाव ओतेके कम होइत अछि !

अपन प्रशंसा करे के भूल नै करी ! आई स आहा दोसर पर प्रभाव नै डेल सकब, सामना बाला क खुद पता चले दीयोंन की आहा एहेंन सीधा सरल व्यक्तित्व कतेक गुण स परी पूर्ण छी ! हुनका आहाके बरे म खुद अनुमान लगबे दीयोंन !

परनिंदा, आलोचना नै करी, दोसर के दोष निकाले के पाछा नै रही ! इ सब आदत उन्नति आर सफलता म बाधक सिद्ध होइत अछि !

इष्या आदमी कs ओही तरह खोखला बनबैत अछि जय तरह लकड़ी क दीमक ! इ भावना नै हमरा प्रसन्नता देत अछि नै दोसर कए ! हमरा सब क दोसर के सुख म सुखी, आर दोसर के दुःख मए दुखी होबक चाही !

प्रेम जीवन के सब कठिनाई आर समस्या क आत्मसार करैत अछि ! सदैव प्रेम के भावना रख्बाक चाही !

हमेशा आत्मविश्वासी रही, आत्मविश्वास जीवन के हर क्षेत्र म सफलता के ले जरुरी अछि ! जखन धन , ज्ञान , साथ नै दै छई तखन आत्मविश्वास काज आबे य !

दोसर के हित म अपन हित देखल करू , किनको दोसर के दुःख म अपन सुख के त्याग बहुत संतोष दै छई ! इ सच्ची सेवा कह्लाबे य ! दोसर के सेवा करबाक चाही किये की हर मनुष्य म इश्वर विधमान रहे छथिन ! किन्कारो आंसू पोछब मुसीवत म सहायता करब इश्वर के प्रार्थना के तुल्य होई छई !

5 comments:

  1. jeetu jee,
    shubh sneh . chot chot baat bahut neek laagal , hamra khyaal san katek raas baat ke mitr je kahlaith ta tahi anusaare ta aheen ke blog ke ektaa badkaa maithili blog ke roop mein vistaar del jay ta theek rahat. ona hum apan maithil blogger sab ke ahee blog ke parichay aa khaasiyat bataa rahal chhiyen ahan prayaas jaaree raakhoo, hum sang chhe.jaldi agla post "badail rahal aichh gaam-ghar " likhab.

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  2. भैया प्रणाम !

    छोट - छोट बात अपने पसंद केलो ताहि लेल बहुत बहुत धन्यवाद" जते तक ब्लोग के विस्तारक बात अछि त कुनू ब्लोग के विस्तार हुवे ( मैथिली भाषा के विस्तार हुवे ) ओही मs हमर ख़ुशी अछि ! जहा तक प्रयाश जारी राखे के बात अछि त हमर प्रयाश जारिये अछि और जारी किये नए रहत जखन अपने के आशीर्वाद हमरा संग छल ?

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  3. जीतमोहन जी अपने के आलेख पैढ़ क सच पुछू त मोन हर्सित भो जैत अछि ! (छोट - छोट बात) म बहुत निक गप कहालिये अपने ! अहिना मिथिला लेल लिखैत रहू ! संगे हम ऊपर अजय झाजी द्वारा कहलगेल बात के समर्थन करे छी ! की इये ब्लोग (मैथिल और मिथिला) के विस्तार किये नै हुवे ?

    धन्यवाद !!

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  4. baDDa nik blog achhi ee

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  5. ee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.

    dr palan jha

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