भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Friday, July 04, 2008

'विदेह' १५ जून २००८ ( वर्ष १ मास ६ अंक १२ )http://www.videha.co.in/

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'विदेह' १५ जून २००८ ( वर्ष १ मास ६ अंक १२ ) एहि अंकमे अछि:-
महत्त्वपूर्ण सूचना: २० म शताब्दीक सर्वश्रेष्ठ मिथिला रत्न श्री रामाश्रय झा 'रामरंग' जिनका लोक 'अभिनव भातखण्डे' केर नामसँ सेहो सोर करैत छन्हि, 'विदेह' केर हेतु अपन संदेश पठओने छथि आऽ ताहि आधार पर हुनकर जीवन आऽ कृतिक विषयमे विस्तृत निबंध विदेहक संगीत शिक्षा स्तंभमे ई-प्रकाशित करबाक हमरा लोकनिकें सौभाग्य भेटल अछि।
१.नो एंट्री: मा प्रविश श्री उदय नारायण सिंह 'नचिकेता'
मैथिली साहित्यक सुप्रसिद्ध प्रयोगधर्मी नाटककार श्री नचिकेताजीक टटका नाटक, जे विगत २५ वर्षक मौनभंगक पश्चात् पाठकक सम्मुख प्रस्तुत भ' रहल अछि। सर्वप्रथम विदेहमे एकरा धारावाहिक रूपेँ ई-प्रकाशित कएल जा रहल अछि। पढ़ू नाटकक तेसर कल्लोलक पहिल खेप।
२. शोध लेख: मायानन्द मिश्रक इतिहास बोध (आगाँ)
३. उपन्यास सहस्रबाढ़नि (आगाँ)
४. महाकाव्य महाभारत (आगाँ)
५. कथा - गंगेश गुंजन- गोबरक मूल्य
गजेन्द्र ठाकुर- पहरराति
६. पद्य
मैथिली हैकू पद्य- रवीन्द्रनाथ ठाकुर सेहो हैकू लिखलन्हि, मुदा मैथिलीमे पहिल बेर जापानी पद्य विधाक आधार पर "विदेह" प्रस्तुत कए रहल अछि ई विधा।
पद्य:
अ. विस्मृत कवि स्व. रामजी चौधरी,
आ.ज्योति झा चौधरी आऽ इ. गजेन्द्र ठाकुर
७. संस्कृत मैथिली शिक्षा(आगाँ)
८. मिथिला कला(आगाँ)
९.पाबनि-संस्कार- तीर्थ - डिस्कवरी ऑफ मिथिला
१०. संगीत शिक्षा -श्री रामाश्रय झा 'रामरंग' ११. बालानां कृते- मूर्खाधिराज/देवीजी: पिंजराक पक्षी
१२. पञ्जी प्रबंध (आगाँ) पञ्जी-संग्राहक श्री विद्यानंद झा पञ्जीकार (प्रसिद्ध मोहनजी )
१३. संस्कृत मिथिला १४.मैथिली भाषापाक
१५. रचना लेखन (आगाँ)
16. VIDEHA FOR NON RESIDENT MAITHILS -Videha Mithila Tirbhukti Tirhut...
महत्त्वपूर्ण सूचना:(१) विस्मृत कवि स्व. रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख विदेहक पहिल अँकमे ई-प्रकाशित भेल छल।तकर बाद हुनकर पुत्र श्री दुर्गानन्द चौधरी, ग्राम-रुद्रपुर,थाना-अंधरा-ठाढ़ी, जिला-मधुबनी कविजीक अप्रकाशित पाण्डुलिपि विदेह कार्यालयकेँ डाकसँ विदेहमे प्रकाशनार्थ पठओलन्हि अछि। ई गोट-पचासेक पद्य विदेहमे नवम अंकसँ धारावाहिक रूपेँ ई-प्रकाशित भ' रहल अछि।
महत्त्वपूर्ण सूचना:(२) 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर मैथिली-अंग्रेजी आऽ अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश (संपादक गजेन्द्र ठाकुर आऽ नागेन्द्र कुमार झा) प्रकाशित करबाओल जा' रहल अछि। प्रकाशकक, प्रकाशन तिथिक, पुस्तक-प्राप्तिक विधिक आऽ पोथीक मूल्यक सूचना एहि पृष्ठ पर शीघ्र देल जायत।
महत्त्वपूर्ण सूचना:(३) 'विदेह' द्वारा धारावाहिक रूपे ई-प्रकाशित कएल जा' रहल गजेन्द्र ठाकुरक 'सहस्रबाढ़नि'(उपन्यास), 'गल्प-गुच्छ'(कथा संग्रह) , 'भालसरि' (पद्य संग्रह), 'बालानां कृते', 'एकाङ्की संग्रह', 'महाभारत' 'बुद्ध चरित' (महाकाव्य)आऽ 'यात्रा वृत्तांत' विदेहमे संपूर्ण ई-प्रकाशनक बाद प्रिंट फॉर्ममे प्रकाशित होएत। प्रकाशकक, प्रकाशन तिथिक, पुस्तक-प्राप्तिक विधिक आऽ पोथीक मूल्यक सूचना एहि पृष्ठ पर शीघ्र देल जायत।
महत्त्वपूर्ण सूचना (४): श्री आद्याचरण झा, श्री प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' , श्री प्रेमसकर सिह, श्रीमति विभा रानी, श्री मैथिली पुत्र प्रदीप,श्री कैलाश कुमार मिश्र (इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र), श्री श्याम प्रकाश झा आऽ डॉ. श्री शिव प्रसाद यादव जीक सम्मति आयल अछि आऽ हिनकर सभक रचना अगिला १-२ अंकक बादसँ 'विदेह' मे ई-प्रकाशित होमय लागत।
विदेह (दिनांक १५ जून, २००८)
१.संपादकीय २.संदेश
१.संपादकीय वर्ष: १ मास: ६ अंक:१२
मान्यवर,
विदेहक नव अंक (अंक १२ दिनांक १५ जून २००८) ई पब्लिश भ’ रहल अछि। एहि हेतु लॉग ऑन करू http://www.videha.co.in |
नचिकेताजीक नाटक नो एंट्री: मा प्रविश तेसर कल्लोलक पहिल खेप ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि। गगेुश गुंजन जीक कथा आऽ विस्मृत कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर सेहो हैकू लिखलन्हि, मुदा मैथिलीमे पहिल बेर जापानी पद्य विधाक आधार पर "विदेह" प्रस्तुत कए रहल अछि ई विधा।
शेष स्थायी स्तंभ यथावत अछि।
अपनेक रचना आऽ प्रतिक्रियाक प्रतीक्षामे। वरिष्ठ रचनाकार अपन रचना हस्तलिखित रूपमे सेहो नीचाँ लिखल पता पर पठा सकैत छथि।
गजेन्द्र ठाकुर
३८९, पॉकेट-सी, सेक्टर-ए, बसन्तकुंज,नव देहली-११००७०.फैक्स:०११-४१७७१७२५
ggajendra@videha.co.in ggajendra@yahoo.co.in
२.संदेश
१.श्री प्रो. उदय नारायण सिंह "नचिकेता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक दिन मैथिली भाषाक इतिहासमे होएत। आनन्द भए रहल अछि, ई जानि कए जे एतेक गोट मैथिल "विदेह" ई जर्नलकेँ पढ़ि रहल छथि।
२.श्री डॉ. गंगेश गुंजन- "विदेह" ई जर्नल देखल। सूचना प्रौद्योगिकी केर उपयोग मैथिलीक हेतु कएल ई स्तुत्य प्रयास अछि। देवनागरीमे टाइप करबामे एहि ६५ वर्षक उमरिमे कष्ट होइत अछि, देवनागरी टाइप करबामे मदति देनाइ सम्पादक, "विदेह" केर सेहो दायित्व।
३.श्री रामाश्रय झा "रामरंग"- "अपना" मिथिलासँ संबंधित...विषय वस्तुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अछि।
४.श्री ब्रजेन्द्र त्रिपाठी, साहित्य अकादमी- इंटरनेट पर प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामना स्वीकार करू।
५.श्री प्रफुल्लकुमार सिंह "मौन"- प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" क प्रकाशनक समाचार जानि कनेक चकित मुदा बेसी आह्लादित भेलहुँ। कालचक्रकेँ पकड़ि जाहि दूरदृष्टिक परिचय देलहुँ, ओहि लेल हमर मंगलकामना।
६.श्री डॉ. शिवप्रसाद यादव- ई जानि अपार हर्ष भए रहल अछि, जे नव सूचना-क्रान्तिक क्षेत्रमे मैथिली पत्रकारिताकेँ प्रवेश दिअएबाक साहसिक कदम उठाओल अछि। पत्रकारितामे एहि प्रकारक नव प्रयोगक हम स्वागत करैत छी, संगहि "विदेह"क सफलताक शुभकामना।
७.श्री आद्याचरण झा- कोनो पत्र-पत्रिकाक प्रकाशन- ताहूमे मैथिली पत्रिकाक प्रकाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भविष्य कहत। ई हमर ८८ वर्षमे ७५ वर्षक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर श्रद्धापूर्ण आहुति प्राप्त होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।
८.श्री विजय ठाकुर, मिशिगन विश्वविद्यालय- "विदेह" पत्रिकाक अंक देखलहुँ, सम्पूर्ण टीम बधाईक पात्र अछि। पत्रिकाक मंगल भविष्य हेतु हमर शुभकामना स्वीकार कएल जाओ।
१. नाटक
श्री उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’ जन्म-१९५१ ई. कलकत्तामे। १९६६ मे १५ वर्षक उम्रमे पहिल काव्य संग्रह ‘कवयो वदन्ति’। १९७१ ‘अमृतस्य पुत्राः’ (कविता संकलन) आऽ ‘नायकक नाम जीवन’ (नाटक)| १९७४ मे ‘एक छल राजा’/ ’नाटकक लेल’ (नाटक)। १९७६-७७ ‘प्रत्यावर्त्तन’/ ’रामलीला’(नाटक)। १९७८मे जनक आऽ अन्य एकांकी। १९८१ ‘अनुत्तरण’(कविता-संकलन)। १९८८ ‘प्रियंवदा’ (नाटिका)। १९९७-‘रवीन्द्रनाथक बाल-साहित्य’(अनुवाद)। १९९८ ‘अनुकृति’- आधुनिक मैथिली कविताक बंगलामे अनुवाद, संगहि बंगलामे दूटा कविता संकलन। १९९९ ‘अश्रु ओ परिहास’। २००२ ‘खाम खेयाली’। २००६मे ‘मध्यमपुरुष एकवचन’(कविता संग्रह। भाषा-विज्ञानक क्षेत्रमे दसटा पोथी आऽ दू सयसँ बेशी शोध-पत्र प्रकाशित। १४ टा पी.एच.डी. आऽ २९ टा एम.फिल. शोध-कर्मक दिशा निर्देश। बड़ौदा, सूरत, दिल्ली आऽ हैदराबाद वि.वि.मे अध्यापन। संप्रति निदेशक, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर।
नो एंट्री : मा प्रविश
(चारि-अंकीय मैथिली नाटक)
नाटककार उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’ निदेशक, केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर
(मैथिली साहित्यक सुप्रसिद्ध प्रयोगधर्मी नाटककार श्री नचिकेताजीक टटका नाटक, जे विगत २५ वर्षक मौन भंगक पश्चात् पाठकक सम्मुख प्रस्तुत भ’ रहल अछि।)
तेसर कल्लोल जारी....विदेहक एहि बारहम अंक १५ जून २००८ सँ।
नो एंट्री : मा प्रविश

तेसर कल्लोल पहिल खेप


तेसर कल्लोल
[भाषण - मंचपर नेता आ वामपंथी युवा पूर्ववत ठाढ़ छथि—हुनके दुनू पर प्रकाश पड़ैत छनि। बाकी मंच पर लगइत अछि एखनहु भोरूका कुहेस अछि—सब क्यो अर्ध- जाग्रत अर्ध-मृत जकाँ पड़ल छथि। मात्र चारि टा मृत सैनिक बन्दूक तानने भाषण - मंचक आस - पास पहरा दैत नजरि आबि रहल छलाह। तीनटा स्पॉट लाईट—दूटा भाषण-मंच पर आ एकटा बुलंद दरबज्जा पर पड़ल।]

वामपंथी : (क्षुरधार स्वरमे) एकटा बात साफ-साफ बाजू त’...
नेता : कोन बात ?
वामपंथी : इयैह, ई चोरबा जे किछु बाजि रहल छल...
नेता : से ?
वामपंथी : अहाँ तकर सभटा विश्वास करै छी ? (नेता हँसि दैत छथि। से देखि वामपंथी युवा खिसिया जाइत छथि।) हँसि कियै रहल छी ?
नेता : कियै ? हँसी पर पानंदी छैक की ?
वामपंथी : हँसी पर कियैक रहत पानंदी ? मुदा आर कतेको बात पर पानंदी त’ छैक.. अहाँक पार्टी तकरा मानत तखन ने ?
नेता : हमर पार्टी जकरा मानलक अछि, हमरा ताहि पर कोन आपत्ति ?
वामपंथी : (बातकेँ काटैत) झूठ ! सबटा फूसि !
नेता : से कोना ?
वामपंथी : (तर्क दैत) कियैक ? ई नञि निश्चित भेल जे हमसब बान्हल रहब एकटा बंधन मे ?
नेता : हँ, गठ-बंधन त’ भेल छल, जेना मिलल-जुलल सरकार मे
होइ छइ...?
वामपंथी : (व्यंग्य करैत) आ तकर कैकटा असूल सेहो होइत छैक....
नेता : जेना ?
वामपंथी : जेना सबटा महत्वपूर्ण बात पर आपसमे बातचीत क’ कए तखन दुनियाक सामने मुँह खोलब... की ? एहन निश्चय भेल छल वा नञि ?
नेता : हँ...!
वामपंथी : आ ताहि बातपर हमसब सरकार केँ बाहर सँ समर्थन द’ रहल छी... छै कि नञि ?
नेता : बेशक ! ठीके बात बाजि देलहुँ।
वामपंथी : मुदा अहाँ की क’ रहल छी ?
नेता : की ?
वामपंथी : (आर धीरज नञि ध’ पबैत छथि--)
तखन बात - बात पर हमरा सब सँ हँटि कए बिल्कुल आने बात कियै करै लागै छी ? सदिखन विरोध कियै करै चाहै छी ?
नेता : “वाह रे भैया ! वाह कन्हैया—
जैह कहै छी जतबे टा हो—
सब मे कहि दी ता-ता-थैया ?”
की बुझै छी , अहाँ सबक नाङरि धैने चलत हमर पार्टी ?
वामपंथी : प्रयोजन पड़त त’ सैह करै पड़त !
नेता : हँ ! से हिंछा त्यागिये दी त’ नीक ! की त’ हम सरकार केँ नैतिक समर्थन दै छी ? तकर माने की, इयैह जे अहाँ अंट - संट जैह किछु बाजब , हँ-मे-हँ कह’ पड़त ? (वामपंथी किछु कह’ चाहैत छथि) बात त’ ओ कलाकार लाख टाकाक कहि रहल छल। चोरी करैत छल तैं की ? तर्क त’ ओ ठीके देने छल...झूठ त’ नञि बाजि रहल छल ओ !
वामपंथी : तखन आर की ? चोर उचक्के केँ अपन पार्टी मे राखि लियह।
नेता : कियै ? राजनीति मे एत्तेक बड़का-बड़का चोरी क’ कए कतेको गोटे त’ प्रख्यात भैये गेल छथि। आब हुनका सभक पास हैरैबाक योग्य कतेको वस्तु हेतनि ! मुदा तकरा लेल अहाँ आ अहाँक पार्टी कियै डरै छी ?
वामपंथी : हम सब कियै डरब ? हम सब की सरकार चलबै छी जे डर हैत ?
नेता : (हँसैत) ठीके कहलहुँ ! सब सँ नीक त’ छी अहीं सब-ने कोनो काज करबाक दायित्व ने कोनो हेरैबाक दुश्चिन्ता, मात्र बीच-बीच मे हिनका सवाल पूछू त’ हुनका खेदाड़ि केँ भगाउ ! नहि त’ हमरा सभक पार्टिये केँ खबरदार करै लागै छी...... डरा धमका क’ चाहै छी बाजी मारि ली---
वामपंथी : ई त’ अहाँक सोच भेल। हम सब त’ मात्र सदर्थक आलोचना करैत छी—“कॉन्सट्रक्टिव क्रिटिसिज्म” !
नेता : आ हम सब अहाँ लोकनिक पाछाँ घुरिते फकरा कहै छी—
“वाह रे वामा बम-बम भोले !
दाहिना नञि जो बामा बोलै !
दच्छिन घुरने प्राण रहत नञि !
अंकक जोरो साथ रहत नञि !
कतय चकेवा, सामा डोलै,
“वाह रे वामा बम-बम बोलै !”
वामपंथी : (एसगरे व्यंग्य करैत थपड़ी पाड़ैत छथि) वाह ! कविता त’ नीके क’ लै छी।
नेता : हम सब छी राजनीतिक उपज, हमरा सब बुते सबटा संभव अछि.....
वामपंथी : छी त’ नेता, मुदा भ’ सकैछी....
नेता : (बात केँ जेना लोकि लैत छथि) अभिनेता सेहो !

[कहिते देरी बाहर हल्ला मचै लागैत अछि—जेना उच्च-स्वरमे फिल्मक गीत बाजि रहल हो ; तकरहि संगे तालीक गड़गड़ाहटि, सीटीक आवाज सेहो ।
हो-हल्ला होइत देरी मंचो पर सुस्तायल लोग सबटा मे जेना खलबली मचि गेल हो। सब क्यो हड़बड़ा कए उठैत एक–दोसरा सँ पूछि रहल छथि—‘की भेल, त’ की भेल ?’
तावत एकटा नमहर माला पहिरने एकटा फिल्मी हीरो प्रवेश करैत छथि। पाछाँ-पाछाँ पाँच-दसटा धीया-पुता सब ‘ऑटोग्राफ’क लेल धावित होइत छथि। दू-चारि गोटेक खाता पर गर्वक संग अपन हस्ताक्षर करैत—“बस, आब नञि, बाँकी बादमे....” कहैत अभिनेता मंचक दिसि अगुआ आबैत छथि। आँखिक करिया चश्मा खोलि हाथ मे लैत छथि। मंच परक लोक सब तालीक गड़गड़ाहटि सँ हुनकर स्वागत करैत छथि—तावत् धीया-पुता सभ धुरि जाइछ।]
अभिनेता : (भाषण-मंच पर चढ़ैत) नमस्कार बदरी बाबू, जय सियाराम !
नेता : नमस्कार ! मुदा अहाँ केँ की भेल छल जे एत’ आब’ पड़ल ?
अभिनेता : वैह... जे होइते छैक... अपन ‘स्टंट’ अपनहि क’ रहल छलहुँ मोटर साइकिल पर सवार भ’ कए ....आ कि ऐक्सिडेंट भ’ गेल... आ सोझे एत’ चल अयलहुँ...
नेता : अहो भाग्य हमरा सभक।
अभिनेता : (हाथ सँ हुनक बात केँ नकारबाक मुद्रा दैखबैत) जाय दिअ ओहि बात केँ, (वामपंथी युवा केँ देखा कए) मुदा.. हिनका नहि चिन्हलियनि।
नेता : ओ-हो ! ई छथि नवीन निश्छल ! कॉमरेड हमर सभक समर्थक थिकाह।
अभिनेता : (सलाम ठोकैत) लाल सलाम, कॉमरेड !
वामपंथी : (हाथ जोड़ि कए नमस्कार करैत छथि—ततबा प्रसन्न नहि बुझाइत छथि।) नमस्कार !
नेता : (अभिनेताक परिचय कराबैत) हिनका त’ चिन्हते हैबनि....!

[वामपंथी युवा केँ माथ हिलाबै सँ पहिनहि बाँकी जनता चीत्कार करैत कहैत अछि—“विवेक कुमार !”आ पुनः ताली बजा कए हिनक अभिनन्दन करैत अछि। आभिनेता अपनहु कखनहु झुकि कए, कखनहु आधुनिक भंगिमामे हाथ हिला कए त’ ककरहु दिसि “आदाब” करबाक अभिनय करैत छथि—हुनक हाव-भाव सँ स्पष्ट अछि जे अपन लोकप्रियताक खूब उपभोग क’ रहल छथि।]

वामपंथी : हिनका के नहि जानत ? टी.वी. केर छोट पर्दा सँ ल’ कए फिल्मक पर्दा धरि ई त’ सदिखन लखा दैत छथि---
अभिनेता : (एकाधिक अर्थमे) छी त’ हम सबटा पर्दा पर, मुदा पर्दाफाश करबा आ करैबा लेल नञि... मात्र अभिनय करबा लेल !
वामपंथी : ‘पर्दाफाश’ कियै नञि..
अभिनेता : (वाक्य केँ पूरा नहि करै दैत छथि) हम तँ मात्र सैह बाजै छी जे बात आने क्यो गढ़ैत अछि....
नेता : ठीक ! पर्दाफाश त’ ओ करत जकरा सदिखन किछु नव कहबाक आ नव खबरि बेचबाक ‘टेनशन’ रहल हो ! (‘हेडलाइन’ दैखैबाक लेल दुनू हाथ केँ पसारि कए-) ‘ब्रेकिंग न्यूज’ नवका खबरि, टटका खबरि, हेडलाइन !
अभिनेता : औ बाबू—हम ने नव बात कहै छी आ ने कहि सकै छी... हमर डोरि त’ कथाकार आ निर्देशकक हाथ मे रहैत अछि... ओ कहैत छथि ‘राम कहू’ त’ ‘राम’ कहै छी, कहै छथि ‘नमाज़’ पढ़ू त’ सैह करै छी।
अनुचर 1 : कहल जाइ छनि, बाम दिसि घुरू आ खूब नारा लगाउ....
अनुचर 2 : त’ शोर कर’ लागैत छथि “मानछी ना” “मानबो ना” !
अनुचर 1 : मानब नञि, जानब नञि...
तोरा आर केँ गुदानब नञि...
अनुचर 2 : हम जे चाही मानै पड़त,
नञि त’ राज गमाबै पड़त !
(नेता आ दुनू अनुचर हँसि दैत छथि। अभिनेता सेहो कौतुकक बोध करै छथि)
वामपंथी : (व्यंग्य करैत) माने ई बुझी जे अहाँ जे किछु करै छी, सबटा घीसल-पीटल पुरनके कथा पर....?
अभिनेता : घीसल हो वा पीटल, तकर दायित्व हमर थिक थोड़बे ?
वामपंथी : त’ ककर थिक ?
अभिनेता : तकर सभक दायित्व छनि आन-आन लोकक... हमर काज मे बाँकी सबटा त’ पुराने होइ छइ...कहियहु- कखनहु ‘डायलॉग’ आ गीतक बोल सेहो ...मुदा किछु रहिते छइ नव, नञि त’ तकरा पब्लिक कियै लेत ? (एतबा सुनतहि चोर उठि कए ठाढ़ होइत अछि)
चोर : अरे, इहो त’ हमरहि बात दोहरा रहल छथि...जे...
अनुचर 1 : नव नञि, किछु नञि, किछु नव नञि...
अनुचर 2 : बात पुराने, नव परिचय...
अनुचर 1 : सौ मे आधा जानले बात...
अनुचर 2 : बाँकी सेहो छइहे साथ !
चोर : (दुनूक कविता गढ़बाक प्रयास केँ अस्वीकार करैत आ अपन तर्क केँ आगाँ बढ़बैत) नञि, नञि हम ‘मज़ाक’ नहि करै चाहै छी...इयैह त’ हमहूँ कहै चाहै छलहुँ जे संसार मे सबतरि पुराने बात पसरल अछि...नव किछु होइ छइ... मुदा कहियहु - कखनहु...
बाजारी : (गला खखारि कए...एतबा काल, जागि जैबाक बादो मात्र श्रोताक भूमिकाक निर्वाह क’ रहल छलाह) हँ-हँ, आब मानि लेलियह तोहर बात नव- पुरान दय... मुदा कहै छह ‘संसार’ सँ बाहर निकलू तखन नव-पुरानक सबटा हिसाब बदलि जाइ छइ ?
चोर : हमरा सन चोर की जानत आन ठामक खबरि ?
अनुचर 1 : ठीक !
अनुचर 2 : चोर की जानत स्वर्गक महिमा ?
चोर : जतय हम सब एखन छी, भ’ सकैछ एतहुका नियम किछु आर हो...
अभिनेता : ठीक कहलह हौ ! भ’ सकैछ, एतय ने किछु नव होइ छइ, आ ने कछु पुरान !
नेता : ने क्यो दच्छिन रहि सकैछ आ ने बाम !
चोर : आ ने नेता आ अभिनेताक बीच मे कोनो फर्क रहि जाइछ...
अभिनेता : (हँसैत) ओहुना, हमरा सभक पृथ्वी पर नेता थोड़े कोनो नव बात कहै छथि... खाली हमरे सब पर दोष कियै दै जाइ छइ लोक ?
वामपंथी : आ बिनु अभिनेता भेने कि क्यो नेता बनि सकैत अछि ?
चोर : किन्नहु नञि !
नेता : ओना देखल जाय त’ दुनियाँ मे एखन ‘कॉम्पीटीशन’ बड़ बेसी छैक...सबटा अभिनेता चाहै छइ जे हमहूँ नेता बनि जाइ... हमहूँ कियै नञि देश चला सकै छी ?
चोर : खाली हमरे सभक जाति-बिरादरी छइ जे कखनहु सपनो नञि दोखि सकै छइ नेता बनबाक....चोर- उचक्का-भिखारी- रद्दीवला छी...छलहुँ आ सैह रहि जायब...
वामपंथी : मुदा अहूँ सब केँ मोसकिल होमै वला अछि....
चोर : कियै ?
वामपंथी : कियै त’ चोर नहियो नेता बनि सकय, नेता-लोकनि त’ चोरी करै मे ककरहु सँ पाछाँ नञि होइ छथि। जेम्हरे देखू... सब ठाम ‘स्कैंडल’ एक सँ बढ़ि कए एक...
नेता : (खौंझैत) मोन राखब...अहूँक पार्टीमे गुंडा-बदमाश भरल अछि....सब छटल चोर-उचक्का...(एहि बात पर चोर-उचक्का-भिख-मंगनी आदि सब हँसि दैत छथि।)
अभिनेता : (वामपंथी, नेता केँ किछ कटु शब्द बाजै लगताह से बूझि , तकरा रोकैत) औ बाबू ! हम त’ एत’ नव छी , मुदा हमरा त’ लागैये .... एत’ ने किछु ‘हम्मर’ थीक आ ने कछु अनकर तैं ने चोरीक प्रश्न उठै छइ आ ने सीना जोरीक !
चोर : ठीक...ठीक ! बिल्कुल ठीक कहलहुँ।
(अभिनेताक बात शुरू होइत देरी मंच पर एक गोट उच्च- वंशीय महिला प्रवेश करैत छथि आ अभिनेताक बाद चोर केँ उठि कए ठाढ़ भए बात करैत देखि सोझे चोरेक लग चलि आबै छथि अपन प्रश्न पूछै।)
महिला : (चोर सँ) एकटा बात कहू... एत’ स्वर्गक द्वार त’ इयैह थिक कि नहि ? (बंद दरबज्जा केँ देखा कए)
चोर : आँय !
महिला : स्वर्गक दरबज्जा.... ?
रमणी मोहन : (उत्सुकता देखबैत, उठि कए लग अबैत) हँ-हँ ! इयैह त’ भेल स्वर्गक प्रवेश द्वार !
महिला : (रमणी-मोहन दिस सप्रश्न) त’ एत’ की कोनो क्यू- ‘सिस्टम’ छइ ?
बाजारी : (उठि कए ठाढ़ भ’ जाइत छथि, जेना पुन: कतार बनाबै लेल जुटि जैताह) हँ से त’ छइहे....
(क्रमश:)

२.शोध लेख
मायानन्द मिश्रक इतिहास बोध (आँगा)
प्रथमं शैल पुत्री च/ मंत्रपुत्र/ /पुरोहित/ आ' स्त्री-धन केर संदर्भमे
श्री मायानान्द मिश्रक जन्म सहरसा जिलाक बनैनिया गाममे 17 अगस्त 1934 ई.केँ भेलन्हि। मैथिलीमे एम.ए. कएलाक बाद किछु दिन ई आकाशवानी पटनाक चौपाल सँ संबद्ध रहलाह । तकरा बाद सहरसा कॉलेजमे मैथिलीक व्याख्याता आ’ विभागाध्यक्ष रहलाह। पहिने मायानन्द जी कविता लिखलन्हि,पछाति जा कय हिनक प्रतिभा आलोचनात्मक निबंध, उपन्यास आ’ कथामे सेहो प्रकट भेलन्हि। भाङ्क लोटा, आगि मोम आ’ पाथर आओर चन्द्र-बिन्दु- हिनकर कथा संग्रह सभ छन्हि। बिहाड़ि पात पाथर , मंत्र-पुत्र ,खोता आ’ चिडै आ’ सूर्यास्त हिनकर उपन्यास सभ अछि॥ दिशांतर हिनकर कविता संग्रह अछि। एकर अतिरिक्त सोने की नैय्या माटी के लोग, प्रथमं शैल पुत्री च,मंत्रपुत्र, पुरोहित आ’ स्त्री-धन हिनकर हिन्दीक कृति अछि। मंत्रपुत्र हिन्दी आ’ मैथिली दुनू भाषामे प्रकाशित भेल आ’ एकर मैथिली संस्करणक हेतु हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेलन्हि। श्री मायानन्द मिश्र प्रबोध सम्मानसँ सेहो पुरस्कृत छथि। पहिने मायानन्द जी कोमल पदावलीक रचना करैत छलाह , पाछाँ जा’ कय प्रयोगवादी कविता सभ सेहो रचलन्हि।
मायानन्द मिश्र जीक इतिहास बोध
प्रथमं शैल पुत्री च/ मंत्रपुत्र/ /पुरोहित/ आ' स्त्री-धन केर संदर्भमे

पुरोहित
पुरोहित हिन्दीमे अछि आऽ शृखलाक तेसर पोथी थीक। दूर्वाक्षत जकरा मायानन्दजी सुविधारूपेँ आशीर्वचन सेहो कहि गेल छथि सँ एकर प्रारम्भ भेल अछि।
पुरोहित केर आरम्भ दूर्वाक्षत आशीर्वचन मंत्रसँ होइत अछि। शुक्ल यजुर्वेदक अध्याय २२ केर मंत्र २२ “ॐ आब्रह्मन…” सँ “नः कल्प्ताम्” धरि अछि। मिथिलामे एहि मंत्रक संग अन्तिममे “ॐ मंत्रार्था सिद्धयः संतु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव”॥ एकर सेहो मंत्रोच्चार होइत अछि, आऽ एहि अन्तिम दू श्लोकसँ ई मंत्र आशीर्वचनक रूप लए लैत अछि। कारण यजुर्वेदीय २२/२२ मंत्र सौसेँ भारतमे देशभक्त्ति गीतक रूपमे मंत्रोच्चारित होइत अछि। तकर बाद लेखकीय प्रस्तावना जकरा पुरोहितमे विनियोगक नाम देल गेल अछि, केर प्रारम्भ होइत अछि। पुरोहित शतपथ ब्राह्मणकालीन समाज पर आधारित अछि।
विनियोगमे पूर्व आऽ उत्तर वैदिक युग, महाभारत काल इत्यादिक काल निर्धारण पर चरचा कएल गेल अछि। संन्यास आऽ मोक्ष धारणाक प्रवेश, सूत्र साहित्य, आरण्यक आऽ उपनिषद आऽ ब्राह्मण ग्रंथक रचनाक सेहो चरचा अछि।कर्मणा केर बदलामे जन्मना सिद्धांतक प्रारम्भ आऽ शूद्र शब्दक उद्भव, नगरक, आहत मुद्राक, उद्योगक सुदृढ़ीकरणक आऽ लोहाक प्रयोगक सेहो चरचा भेल अछि। फेर मायानन्द जी ई लिखि जाइत छथि, जे दाशरज्ञ युद्ध ई.पू. १८०० मे भरत आऽ कुशिक-कस्साइटक सम्मिलित समूह सरस्वती तटसँ व्यास नदी पार करैत इलावृत पर्वत प्रदेश होइत ओऽ लोकनि कोशल मिथिलाक राजतंत्रक, कुरु-पांचालक संस्कृतिक विकसित होएबासँ पूर्वहि, स्थापना कएने छलाह।
पुरोहित तेरह टा सर्गमे विभक्त्त अछि आऽ एकर अन्त उपसंहारसँ होइत अछि। प्रथम सर्ग दक्षिण पांचालक कांपिल्यनगरसँ शुरू होइत अछि। अथर्वणपल्लीक पशुशाला, साँझ होइत देरी उठैत धुँआक चरचा अछि। मेधा आऽ कुशबिन्दुसँ कथा आगू बढ़ैत अछि। ऋषि गालबक आश्रममे ऋगवेदकेँ कंठाग्र कराएल जएबाक आऽ बादमे जाऽ कए कृषि संबंधी शिक्षा देल जएबाक वर्णन अछि।
दोसर सर्गमे राजा प्रवाहण जैबालिक मूर्ख पुत्र द्वारा ब्राह्मणक अपमानक, प्रथम श्रोत्रिय आऽ दोसर पुरोहित ब्राह्मणक वर्णन अछि।
तेसर सर्गमे आचार्य चाक्रायणक अपमानक कारण पुरोहित वर्ग द्वारा पौरहित्य कर्म नहि करबाक निर्णयसँ प्रजाजनक दैनिक अग्निहोत्र कार्य, आऽ बिना लग्नक कृषि आऽ वाणिज्य कार्यमे होय बला भाङठक वर्णन अछि।
चतुर्थ सर्गमे व्यास कथा आऽ भारत युद्धक चर्चा अबैत अछि आऽ एतय मायानन्द जी पाश्चात्य दृष्टिकोणक अनुसरण करैत छथि। जय काव्यकेँ भारत युद्ध कथाक रूप दए देल गेल- ई वक्त्तव्य अनायासहि दए रहल छथि मायानन्द मिश्र।
पाँचम सर्गमे वैश्य द्वारा उपनयन संस्कार छोड़बाक चरचा अछि, मुदा क्षत्रिय पुत्र आऽ पुत्री दुनूक उपनयन करैत छलाह। वैश्य कन्या शिक्षासँ दूर जाऽ रहल छलीह आऽ ब्राह्मण कन्या गुरुकुलक अतिरिक्त पितासँ शिक्षा लए रहल छलीह। ब्राह्मणकेँ पौरहित्यसँ कम समय भेटैत छलन्हि।
छठम सर्गमे ब्राह्मण पुरोहित द्वारा अथर्व वेदकेँ नहि मानबाक चरचा अछि।
सातम सर्गमे अथर्वनपल्लीमे अथर्ववेदीय संस्कारक शिक्षा आऽ प्रथम श्रेणीक ब्राह्मण द्वारा ओतए नहि जएबाक चरचा अछि।
आठम सर्गमे इद्रोत्सवमे रथदौड़, अश्वारोहण, मल्लयुद्ध, असिचालन, लक्ष्यभेद आऽ विलक्षण अनुकृतिक चरचा अछि, आऽ व्यासपल्लीक लोक द्वारा अनुकृति करबाक चरचा अछि। व्यासपल्लीमे व्रात्य करुष भारत युद्धक कथा कहि रहल छलाह। भारत युद्धक बहुत पूर्व भरत, त्रित्सु, किवी आऽ सृंजय मिश्रित जनक आर्यव्त्तमे शूद्र नामसँ सुमेरियाक जियसूद्रक स्मृतिमे अपनाकेँ गौरव देबाक हेतु सूद्र कहबाक वर्णन अछि।
नवम सर्गमे तन्तुवाय द्वारा स्त्री निमित्त वस्त्रमे तटीयता देल जएबाक कारण भेल अन्तरक चरचा अछि, पहिने ई अन्तर नहि छल। अथर्वण आऽ याज्ञिक ब्राह्मणमे भेदक चरचा अछि।
दशम् सर्गमे शिश्नदेवक पूजा अनार्य द्वारा होएबाक आऽ अथर्वण पुरोहित द्वारा एकर अनभिज्ञताक चरचा अछि। व्यासपल्लीमे अक्षर लिपिक प्रयोग आऽ आचार्य गालबक श्रुति आश्रममे अंक लिपिक अतिरिक्त्त किछु अन्य देखब वर्जित होएबाक गप कहल गेल अछि।
एगारहम सर्गमे गालब आश्रममे दण्डनीति पर चरचा निषिद्ध होएबाक बादो दक्षिण पांचालक सभासदक आग्रह पर एतद संबंधी चरचा होएबाक गप अछि। राजा शिलाजित द्वारा राजपद प्रधान पुरोहितकेँ देबाक चरचा अछि।
बारहम सर्गमे भारत युद्धक बाद नियोग प्रथाक अमान्य भऽ बन्द भऽ जएबाक बात अछि। शिश्नदेवक शिवदेवसँ एकाकारक चरचा सेहो अछि।
तेरहम सर्गमेक्रैव्यराजक अभिषेक उत्सवक चरचा अछि। दूर्वाक्षत मंत्रमे
“ॐ मंत्रार्था सिद्धयः संतु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव” आऽ दीर्घायुर्भव केर मेल शुक्ल यजुर्वेदक २२/२२ मंत्रसँ कए दूबि अक्षत लए विशेष लए ताल गति यति मे गएबाक वर्णन अछि। अनुवाद सेहो मायानन्द जी देने छथि, जे ग्रिफिथक अनुवादसँ प्रेरित अछि।
समस्त विश्वमे ब्राह्मण विद्याक तेजक वर्चस्व स्थापित करए बला, सर्वत्र, वाण चएबामे निपुण, निरोगि, महारथी, शूर, यजमान राज्य सभक जन्म होए, सर्वत्र अधिकाधिक दूध दएबाली धेनु होए, शक्तिशाली वृषभ होए, तेजस्वी अश्व होए, रूपवती सध्वी युवती होथि, विजयकामी वीरपुत्र होथि, जखन हम कामना करी पर्जन्य वर्षा देथि, वनस्पतिक विकास होए, औषधि फलवती आऽ सभ प्राणी योगक्षेमसँ प्रसन्न रहथि।राजन शतंजीवी होथि।
क्रैव्यराजक अभिषेकक लेल ई मंत्र हाथमे अक्षत, अरबा, ब्रीहि आऽ दूर्वादल लए आऽ मंत्र समाप्ति पश्चात राजा पर एकरा छीटबाक आऽ फेर दहीक मटकूरीसँ दही लए महाराजक भाल पर एहिसँ तिलक लगएबाक वर्णन अछि। एहि प्रकरणमे मायानन्द जी लिखैत छथि, जे एहि मंत्रक, जकरा मिथिलामे दूर्वाक्षत मंत्र कहल जाइत अछि, रचना याज्ञवल्क्य द्वारा वाजसनेयी संहिताक लेल कएल गेल। एहि मंत्रक उपयोग मिथिलामे उपनयनक अवसर पर बटुकक लेल आऽ विवाहक अवसर पर वर-वधुककेँ आशीर्वचनक रूपमे प्रयुक्त होए लागल।
पुरोहितक अन्त होइत अछि उपसंहारसँ। एतय वर्णित अछि, जे काशीक रस्ताक अनार्य ग्रामक आर्यीकरण भेल आऽ व्रात्यष्टोम यज्ञ भेल। शिश्नदेवाः पर चरचा अछि, शुनःशेष आख्याण आऽ भारत कथाक कहबाक परम्पराक प्रारम्भ आऽ मगध् द्वारा आर्य धर्मक प्रति वितृष्णाक चर्च सेहो अछि।
(अनुवर्तते)


३.उपन्यास
सहस्रबाढ़नि -गजेन्द्र ठाकुर

नन्दक दुनू बेटा वर्गमे प्रथम अबैत छलन्हि। किछु दिन धरि सभटा ठीक-ठाक चलैत रहल। पुरनका सभटा चिन्ता-फिकिर लगैत छल जेना खतम भए गेल होए। गामक एक दू गोटे सेहो पटनामे रहैत छलाह। महिनामे एकटा रवि निश्चित छल, जाहि दिन सभ गोटे कतहु घुमए लेल जाइत छलाह। एक रवि कोनो गौँआक अहिठाम तँ कोनो आन बेर चिड़ियाखानाक यात्रा। एक बेर चिड़ियाखाना गेल रहथि सभ गोटे तँ आरुणि नन्दकेँ पुछलखिन्ह- “हमरा सभ आयल छी चिड़ियाखाना, बाहरमे बोर्ड लागल अछि बोटेनिकल गार्डेनक आऽ गेटक ऊपरमे लिखल अछि बायोलोजिकल गार्डेन”।
“पहिने सोनपुरमेला सभमे अस्थायी चिड़ै सभक प्रदर्शन होइत छल आऽ लोकक जीह पर ओकरा लेल चिड़ियाखाना शब्द आबि गेल। मुदा एतए तँ कताक बीघामे वृक्ष सभ लागल अछि, प्रत्येक वृक्ष पर ओकर नाम आऽ वनस्पतिशास्त्रीय विवरण सेहो लिखल अछि, आऽ ताहि द्वारे एकर नाम अंग्रेजीमे वनस्पति उद्यानक लेल बोटेनिकल गार्डन पड़ि गेल। मुदा बादमे अनुभव कएल गेल जे जन्तु आऽ वनस्पतिक रूपमे दू तरहक जीवविज्ञान अछि। एहि उद्यानमे वनस्पति, चिड़ै आऽ बाघ-सिंह इत्यादि सेहो प्रदर्शित अछि। ताहि द्वारे एकर नाम बायोलोजिकल गार्डन वा जैविक उद्यान दए देल गेल। पुरनका बोर्ड जतए-ततए रहिये गेल”।
एक बेर सभ गोटे गेल रहथि एकटा गौँआक अहिठाम। ओतए चर्चा चलए लागल जे गंगा पुल केर उद्घाटन दू तीन सालसँ एहि साल होयत, अगिला साल होयत एहि तरहक चरचा अछि।
नन्दसँ ओऽ लोकनि पुछलखिन्ह, “अहाँक बुझने कहिया धरि एहि पुलक उद्घाटन भए जएतैक। मुख्यमन्त्री तँ कहने छथि जे एहि साल एकर उद्घाटन भए जएतैक”।
“कहियो नहि होएतैक। दू-तीन सालसँ तँ सुनि रहल छियैक। यावत एकटा पाया बनैत छैक, तँ ओहिमे ततेक न बालु देने रहैत छैक जे किछु दिनमे दरारि पड़ि जाइत छैक। फेर राता-राती ओकरा तोड़ि कए फेरसँ नव पाया बनेनाइ शुरू करैत जाइत अछि”।
गंगा पुलक चरचा सुनि नन्दक सोझाँ पाया परसँ गंगाजीमे खसैत जोन-मजदूर सभक चित्र नाचि जाइत छलन्हि। नन्दक विवाद ओहि समय ठिकेदार आऽ संगी अभियन्ता सभसँ काजक संबंधमे होइत रहैत छलन्हि। एकटा पायाक कार्यक संबंधमे नन्द अपन विरोध प्रकट कएने छलाह, किछु दिनुका बाद ओऽ पाया फाटि गेल, एकटा पैघ दरारि पड़ि गेल छल बीचो-बीच। राता-राती ठिकेदार-अभियन्ता लोकनि ओकरा तोड़बेलन्हि। रातिमे कतहुसँ ओतेक विशाल पाया टूटि सकैत छल? से अगिला दिन दरारिक स्थान पर तिरपाल बिछाओल गेल, जे ककरो नजरि नहि पड़ि जाइ।
(अनुवर्तते)
(अनुवर्तते)
४.महाकाव्य
महाभारत –गजेन्द्र ठाकुर(आगाँ) ------
सैरन्ध्रीक प्रति भए श्रद्धा दुनू पसरल,
दुर्योधन छल बुझल अज्ञातवासक कथा,
छल ताकिमे तकबाक पाण्डवक पता,
छी ई द्रौपदी सैरन्ध्रीक भेषमे अभरल।

पाण्डव छद्म-भेष बनओने छथि गांधर्वक,
कीचकसँ अपमानित राजा त्रिगर्त देशक,
मिलि दुर्योधनसँ कए गौ-हरणक विचार
विराट राजसँ ओऽ लेत बदला आब।

दुर्योधन लए संग भीष्म,द्रोण,कृप, कर्ण,
आक्रमण विराट पर लए अश्वत्थामा संग।
त्रिगर्त राज सुशर्मा घेरि गौ-विराटराजक,
बान्हि विराटकेँ जखन ओऽसोझाँ आयल।

ललकारि कएल भीमकेँ सोर युधिष्ठिर-कंक,
वल्लभ-भीम ग्रंथिक-नकुल तंत्रिपाल-सहदेव।
खोलि बन्धन विराटक बान्हि देल सुशर्मन्,
वृहन्नला बनि सारथी पुत्र विराटराज उत्तमक।

रथ आनल रणक्षेत्र उत्तमकुमार भेल घबरायल,
गेल अर्जुन शमी गाछ लग उतारि शस्त्र आयल,
गाण्डीव अक्षय तुणीर आनि परिचय सुनाओल।

उत्तमकुमार बनल सारथी वृहन्नला-अर्जुनक संग,
वेगशाली रथ देखि दुर्योधन पुछल हे भीष्म।

अज्ञातवासक काल भेल पूर्ण वा न वा कहू,
भीष्म कहल पूर्ण तेरह वर्षक अवधि भेल औ।

अर्जुन उतारल अपन रोष कर्ण पुत्र विकर्ण पर,
मारि ओकरा बढ़ल आगाँ कर्णकेँ बेधल सेहो।

द्रोण भीष्मक धनुष काटल मूर्च्छित कएल सेना सकल,
द्रोण-कृप-कर्ण-अश्वत्थामा-दुर्योधनक मुकुट वस्त्र सभ,
उत्तमकुमार उतारल सभटा गौ लए नगर तखन घुरल।

मूर्च्छा टूटल सभक जखन कहल करब युद्ध पुनः,
भीष्म नहि मनलाह दुर्योधन घुरु बहु भेल आब अः।

उत्तमकुमार नहि करब प्रगट भेद हमर अर्जुन कहल,
विराट भेल प्रसन्न वीरता सुनि उत्तमक आबि घर।

पञ्च पाण्डव द्रौपदीक तखन परिचय हुनका भेटल,
प्रस्ताव कएल पुत्री उत्तराक विवाह अर्जुनसँ करब।

अर्जुन कहल पढ़ेने छी हमर शिष्या अछि ओऽ रहल,
पुत्र अभिमन्युसँ होयत विवाहित उत्तरा ई प्रस्ताव छल।

कृष्ण-बलराम द्वारकासँ बरियाती अभिमन्युक लए अएलाह,
उत्तराक विवाह अभिमन्युक संग भेल बड़ टोप-टहंकारसँ।


५.उद्योग पर्व


छलाह आएल राजा वृन्द अभिमन्युक विवाह पर,
भेल राजाक सभा जतए कृष्ण कएल विनती ओतए।
द्यूत खेल शकुनीक अपमान द्रौपदीक कएल जे,
दुर्योधन छीनल राज्य युधिष्ठिरक अधर्मसँ से।
बाजू प्रयत्न राज्य-प्राप्तिक कोना होयत वा,
दुर्योधनक अत्याचार सहैत रहथु पाण्डव सतत।

द्रुपद उठि कहल दुराचारी कौरवकेँ सभ जनञ छथि,
कर्तव्य हमरा सभक थिक सहाय बनी पाण्डव जनक।

(अनुवर्तते)
५कथा
1. गंगेश गुंजन -गोबरक मूल्य

2. गजेन्द्र ठाकुर- पहरराति
1. गंगेश गुंजन श्री गंगेश गुंजन(१९४२- )। जन्म स्थान- पिलखबाड़, मधुबनी। एम.ए. (हिन्दी), रेडियो नाटक पर पी.एच.डी.। कवि, कथाकार, नाटककार आ' उपन्यासकार। मैथिलीक प्रथम चौबटिया नाटक बुधिबधियाक लेखक। उचितवक्ता (कथा संग्रह) क लेल साहित्य अकादमी पुरस्कार। एकर अतिरिक्त्त हम एकटा मिथ्या परिचय, लोक सुनू (कविता संग्रह), अन्हार- इजोत (कथा संग्रह), पहिल लोक (उपन्यास), आइ भोट (नाटक)प्रकाशित। हिन्दीमे मिथिलांचल की लोक कथाएँ, मणिपद्मक नैका- बनिजाराक मैथिलीसँ हिन्दी अनुवाद आ' शब्द तैयार है (कविता संग्रह)।
गोबरक मूल्य
भागलपुर मे एकटा उनटा पुल कहबैत छैक। उनटा पुलसँ दक्षिण मुँह जे सड़क जाइत छैक, तकरा बौंसीे रोड कहल जाइत छैक। बौंसी रोड पर कएक टा बस्ती-मोहल्ला लगे-लग पड़ैत छैक। बहुत रास दोकान आ लोकक, ट्रक-बस, टमटम, रिक्शा सभक खूब घन आवाजाही। सुखायल मौसम मे भरि ठेहुन ध्ूरा आ भदवारि मे भरि ठेहुन पानि-कादो। शहरी नाला सभक कारी गंदगीसँ सड़क भरल-पूरल। कैक समय तं पयरे आयब-जायब कठिन ।
मुदा सड़क छैक पीच। मोजाहिदपुर मिरजान हाट चौक, हबीबपुर आ हुसैनाबाद तथा अलीगंज। कैक जाति आ पेशाक लोक । काठ गोदामसँ ल क तसरक उद्योगी ध्रि आ जानवरक गंध् तोड़ैत हड्डीक टालसँ ल क हरियर टटका तरकारी सभक हाट ध्रि । तहिना टिक टिक घोड़ासँ ल क बड़दोसँ बत्तर ठेलासँ छातीतोड़ श्रम करैत घामे-पसेने तर माल उघैत मजूर सेहो। बच्चा, सियान सभक भीड़ भेटत । कतहु दोकानमे लागल पफलकल कोबीक छत्ता जकाँ कतहु अलकतराक उनटल पीपा जकां। ई दृश्य थिक सड़कक दुनू कातक उनटा पुलसँ ता अलीगंज।
अलीगंजसँ किछुए आगाँसँ सड़क खूब पकठोस छैक। चिक्कन कारी। तेहन जे कैक टा परिवार ओहिपर मकै-गहूम पर्यन्त पथार द क सुखबैत भेटत।
ओही इलाकाक एकटा घटना थिक। आने बीच सड़क परक अलीगंज बस्ती जत खतम होइत छैक ताही ठाम सड़कक कातमे एकटा आर कल छैक जे हरदम अबन्ड छौँड़ा जकाँ छुरछुरबैत रहैत छैक। यद्यपि भागलपुर मे पीबाक पानिक कष्ट बड़ सामान्य बात अछि, मुदा एत पानिक उदारता देखिक से समस्या अखबारी पफूसि बनि जाइत छैक। खैर, ताहू दिन खूब तेजीसँ पानि छुरछुरा रहल छलैक। क्यो भरनिहार नहि रहैक। खूब रौद रहैक। चानि खापड़ि जकाँ तबैत। तेहन सन जे चानि पर यदि बेलिक रोटी ध् देल जाइक तँ पाकि जयतैक।
एहना मौसम मे कलसँ सटले दस गोटे बीस गोटे अपन चानि तबबैत यदि घोलिमालि करैत ठाढ़ हो तँ ध्यान जायब स्वाभाविके। हमहूँ अपनाके ँ रौद, लू आ उमसमे उलबैत पकबैत ओहि द क ल जाइत रही। एकटा उपयुक्त कारण बुझायल सुस्तयबाक। भने किछु लोक
घोँघाउज क रहल छलैक। लगमे कलसँ ओतेक प्रवाह सँ जल झहरि रहल छलैक से एकटा मनोवैज्ञानिक शीतलता पसारि रहल छलैक मने।
जखन ओहि गोल लग पहुँचलहुँ तँ ईहो देखबा योग्य भेल जे ओहि घोँघाउजि मण्डलीसँ आगाँ एक टा मिनी बस ठाढ़ छैक। सन्देह नहि रहल जे कोनो दुर्घटना सँ पफराक किछु बात नहि छैक। एहन दुर्घटना मे सड़कपर ककरो मृत्यु सामान्य बात थिक। डेग अनेरे किछु झटकि गेल। लग पहुँचलहुँ आ ओहि घरेलू घोंघाउजिक कन्हापरसँ हुलकि क देखलहुँ तँ बीचमे दू पथिया गोबर हेरायल बीच सड़कपर। एक टा छौंँड़ा हुकुर-हुकुर करैत...। घोंघाउजि खूब जोरसँ चलि रहल छल। ओही लोकक गोलमे एक कात करीब १०-१२ बर्षक दूठा छौंड़ी आदंकेँ चुप्प ठाढ़ि आ कनैत... खरफकी पहिरने खूजल देह, छिट्टा सन केश...। ओहिमे सँ एक टा छौंड़ीक जमड़ी लागल अगंिह मे पफाटल पैंट, ताहिपर टटका गोबर लेभरल। दुनू छौँड़ीक गालपर हाथमे, सौँसे देहपर गोबर लागल आ दुर्घटनाग्रस्त छौँड़ाक छातीपर गोबर लागल । दू टा नान्हि टा हाथक छाप यद्यपि ओहि कड़ा रौदमे सुखा गेल रहैक, मुदा स्पष्ट रहैक।
आदंकमे पड़लि दुनू छौँड़ी, अंदाज करैत छी, गोबरबिछनी छैक। बाट-घाट जाइत अबैत गाय-महींसक गोबर जमा अछि, भरि दिन तकर गोइठा थोपैत अछि, माय वा परिवारक क्यो लोक तकरा सुखबैत अछि आ बड़का पथियामे सजाक शहर जाक बेचैत अछि । जीविकाक एक साध्न यैह गोइठाक आमदनी। गोइठा जाहिसँ बनय से गोबर आबय कतसँ एहिना अनिश्चित। कहियो एको पथिया कहियो किछु नें। तेेँ एहि सड़कपर गोइठा बिछनी छौँड़ी सभक आपस मे होइत झोंटा-झोंटीक दृश्य बड़ आम घटना रहैत छैक। आ ओकरा माय-बाप केँ गारि-सराप देलक, ओ ओकरा माय बहिनके ँ घोड़ासँ वियाह करौलक... एकहि दिन पहिने दूटा छौँड़ी बीच सड़कपर तेना पटकम-पटकी करैत रहय आ एक दोसराक झोंटाके ँ तेना नोचि रहल छल जे दया आ क्रोध् दुनू आबय मनमे, मुदा समाधन की। गोबर जकर जीविका छैक ताहि परक आपफत तँ ठीके नै सहल हेतैक ओकरा ताहूमे एक दिन हम एकटा छौँड़ी के ँ पुछने रहिऐक-÷तोरा सिनी केहने एना झगड़ा करै छे ँ, जरी टा गोबर के वास्ते?'
- ÷जरी टा छलै? एतना छलै, हम्मे जमा करी क रखलिऐ आरू ई रध्यिा मोटकी-ध्ुम्मी ने अपने छिट्टामे ध्री लेलक। आय हमरा केतना मारतै माय ? माय तँ इहे ने कहतै जे हम्मे गोबर नहि बीछय छलियै, कहीं दिन भर खेली रहल छलियै? की खयतै लोगें?'
हमर प्रश्न हमरे खूब भारी चमेटा जकाँ बुझायल, हम चोट्टहि ससरि गेल रही।
मुदा ओहि दिनुका दृश्य बड़ भार्मिक छलैक। आदंके ँ चुपचाप दहो-बहो कनैत दुनू छौँड़ी एक बेर चारू कातक लोकके ँ एक बेर शोणित बहैत बच्चाके ँ देखैत ठाढ़ि रहैक।
- ÷की होलै भाइ जी?' हम एकटा सज्जनसँ पुछलियनि।
- ÷अरे कलियुग छौं भाई जी। बताब जरी टा गोबर के वास्ते एकरा सिनी मे आपसे मे झगड़ा होलै आरू हौ छौ ँड़ी एकर छोट भाइके ँ ध्केली देलकै मिनी बसके आगूमे। देखै नै छहौ जे घड़ी मे दम टुटल छै छौँड़ाके आहा...
- ÷जरी टा गोबर छलै उफ? माय किरिया खा के कही तँ लछमिनियाके ँ जे हमर एक चोत गोबड़ छलय कि नै ?' अचानक जेना खूब साहस करैत आदंकित एक टा छौंड़ी कनिते बाजलि-
हमरा अकस्मात लोकसभपर खासक ओही भाइ साहेबपर क्रोध् उठल।
- ÷विचित्रा बात तोरा की नहि देखाइ रहल छ जे ई बुतरू मरि रहल दै आ अस्पताल पहुँचाबै के पिफकिर नै करीक दबकि बनल खाड़ छ ध्क्किार।'
सभ जेना हमरेपर गुम्हर लागल।
- ÷आब की ई बच पाड़तै? की पफयदा लय गेलासँ।'
- ÷तैयो लै जायमे की हर्जा? भाइ-साहेब ठीके तँ कही रहल छै हौ।' एक गोटे अपन विचार देलकैक।
मुदा तकर कोनो प्रयोजन नहि भेलैक। घोल-पफचक्का मचिते रहलैक, ओ दुनू गोबरबिछनी छौंड़ी आदंके ठाढ़िए रहलि लोकसँ घेरायलि। बीच बाटपर ओहि घायल नेनाक प्राण छुटि गेलैक। एक चुरफक पानियो ने देलकै क्यो।
एहि संदर्भमे एकटा लेखकक टिप्पणी प्रस्ताव करैत छी जे ई दृश्य छल एकटा नहि, कैकटा गोबर पर जिनहार परिवारक बच्चाक संघर्षक। एक बहिन ककरो एक चोत गोबर चोरा लेलकै तँ तामसमे ओ चौरौनिहारक छोट भाइके ँ सड़कपर ध्क्का द देलकै आ मिनीबस ओकरा पीचि देलकै। पीचपर शोणित आ गोबर बराबरि दामक भेल जे रौदमे सुखाइत रहलैक।
बौंसी रोडक ई दृश्य जे देखने होयता सैह बुझने होयता - एतबे कहब।
हमरा तँ ईहो नहि बुझल अछि जे मुइल छौंड़ाक मायो-बाप छलैक कि नहि? छलैको तँ ओकरा कखन खबरि भेल होयतैक जे ओकर बेटा मिनीबसमे पिचा क मरि गेलैक। वा मिनीबसक ड्राइवर कोन थानामे जाक कहने होयतैक जे हम एकटा निरीह छौंड़ाके ँ खून क क आबि रहल छी?
हमरा तँ नहि बूझल अछि ओहि दुनू छौंड़ियो क, मुदा ओहि घटनाक बादसँ मनमे एहि बातक अंदेशा अवश्य होइत रहैत अछि जे कतहु दुनू छौंड़ी पफेर ने एहि बौंसी रोडपर गोबर बीछैत भेटि जाय... कतहु पफेर ने भेटि जाय।.....
आ, सत्य पूछी तँ आब हमरा सभटा गोबर बिछनी एक्के रंग लगैत अछि।
2.. गजेन्द्र ठाकुर-
पहरराति

“सुनू। प्रयोगशालाक स्विच ऑफ कए दियौक”। चारि डाइमेन्शनक वातावरणमे अपन सभटा द्वि आऽ त्रि डाइमेन्शनक वस्तुक प्रयोग करबाक लेल धौम्य प्रयोगशालामे प्रयोग शुरू करए बला छथि। हुनकर संगी-साथी सभ उत्सुकतासँ सभटा देखि रहल छथि।
“दू डाइमेन्शनमे जीबए बला जीव तीन डाइमेन्शनमे जीबए बला मनुक्खक सभ कार्यकेँ देखि तऽ नहि सकैत छथि, मुदा ओकर सभटा परिणामक अनुभव करैत छथि। अपन एकटा जीवन-शैलीक ओऽ निर्माण कएने छथि। ओहि परिणामसँ लड़बाक व्यवस्था कएने छथि। तहिना हमरा लोकनि सेहो चारि डाइमेन्शनमे रहए बला कोनो सम्भावित जीवक, वा ई कहू जे तीनसँ बेशी डाइमेन्शनमे जिनहार जीवक हस्तक्षेपकेँ चिन्हबाक प्रयास करब”। धौम्य कहैत रहलाह।
एक आऽ दू डाइमेन्शनमे रहनहारक दू गोट प्रयोगशालाक सफलताक बाद धौम्यक ई तेसर प्रयोग छल।
“एक विमीय जीव जेना एकटा बिन्दु। बच्चामे ओऽ पढ़ैत छलाह जे रेखा दू टा बिन्दुकेँ जोड़ैत छैक। नञि तऽ बिन्दुमे कोनो चौड़ाइ देखना जाइत अछि आऽ नहिये रेखामे। रेखा नमगर रहैत अछि, मुदा बिन्दुमे तँ चौड़ाइक संग लम्बाइ सेहो नहि रहैत छैक। एक विमीय विश्वमे मात्र अगाँ आऽ पाछाँ रहैत अछि। नञि अछि वान दहिनक बोध नहिये ऊपर नीचाँक। मात्र सरल रेखा, वक्रता कनियो नहि। आब ई नहि बुझि लिअ जे अहाँ जतय बैसल छी, ओतए एकटा रेखा विचरण करए लागत। वरण ई बुझू जे ओऽ रेखा मात्र अछि, नहि कोनो आन बहिः।
“द्वि बीमीय ब्रह्माण्ड भेल जतए आगू पाछूक विहाय वाम दहिन सेहो अछि, मुदा ऊपर आऽ नीछाँ एतए नहि अछि। ई बुझू जे अहाँक सोझाँ राखल सितलपाटीक सदृश ई होयत, जाहिमे चौड़ाइ विद्यमान नहि अछि।“
“ मुदा श्रीमान् ई चलैत अछि कोना। गप कोना करत एक दोसरकेँ संदेश कोना देत”।
“आऊ। पहिने एक विमीय ब्रह्माण्डक अवलोकन करैत छी”।
धौम्य एक विमीय प्रयोगशालाक लग जाइत छथि। ओतए बिन्दु आऽ बिन्दुक सम्मिलन स्वरूप बनल रेखा सभ देखबामे अबैत अछि। ई जीब्व सभ अछि। एक विमीय ब्रह्माण्डक जीव, जे एहि तथ्यसँ अनिभिज्ञ अछि जे तीन विमीय कोनो जीव ओकरा सभकेँ देखि रहल छैक।
“देखू। ई सभ जीव एक दोसराकेँ पार नहि कए सकैत अछि। आगू बढ़त तँ तवत धरि जाऽ धरि कोनो बिन्दु वा रेखासँ टक्कर नहि भए जएतैक। आऽ पाछाँ हटत तावत धरि यावत फेर कोनो जीवसँ भेँट नहि होयतैक। एक दोसराकेँ संदेश सेहो मात्र एकहि पँक्त्तिमे दए सकत, कारण पंक्त्तिक बाहर किछु नहि छैक। ओकर ब्रह्माण्ड एकहि पंक्त्तिमे समाप्त भए जाइत अछि।
“आब चलू द्वि बीमीय प्रयोगशालामे”।
सभ क्यो पाछाँ-पाछाँ जाइत छथि।
“एतय किछु रमण चमन अछि। पहिल प्रयोगशाला तँ दू तहसँ जाँतल छल, दुनू दिशिसँ आऽ ऊपरसँ सेहो। मात्र लम्बाइ अनन्त धरि जाइत छल। मुदा एतय ऊपर आऽ नीचाँक सतह जाँतल अछि। ई आगाँ पाछाँ आऽ वाम दहिन दुनू दिशि अनन्त ढरि जा रहल अछि। ताहि हेतु हम दुनू प्रयोशालाकेँ पृथ्वीक ऊपर स्वतंत्र नभमे बनओने छी। एतुक्का जीवकेँ देखू। सीतलपाटी पर किछुओ बना दियौक। जेना छोट बच्चा वा आधुनिक चित्रकार बनबैत छथि। एतय ओऽ सभ प्रकार भेटि जायत। मुदा ऊँचाइक ज्ञान एतए नहि अछि। एक दोसरकेँ एक बेरमे मात्र रेखाक रूपमे देखैत अछि ई सभ। दोसर कोणसँ दोसर रेखा आऽ तखन स्वरूपक ज्ञान करैत जाइत अछि। लम्बाइ आऽ चौड़ाइ सभ कोणसँ बदलत। मुदा वृत्ताकार जीव सेहो होइत अछि। जेना देखू ओऽ जीव वाम कातमे। एक दोसराकेँ संदेश ओकरा लग जाऽ कए देल जाइत अछि। पैघ समूहमे संदेश प्रसारित होयबामे ढ़ेर समय लागि जाइत अछि”।
“श्रीमान, की ई संभव अछि, जेना हमरा सभक सोझाँ रहलो उत्तर ओऽ सभ हमरा लोकनिक अस्तित्वसँ अनभिज्ञ अछि तहिना हमरा सभ सेहो कोनो चारि आऽ बेशी विमीय जीवक अस्तित्वसँ अनभिज्ञ होञि”।
“हँ तकरे चर्चा आऽ प्रयोग करबाक हेतु हमरा सभ एतए एकत्र भेल छी। अहाँने सँ चारि गोटे हमरा संग एहि नव कार्यक हेतु आबि सकैत छी। ई योजना कनेक कठिनाह छैक। कतेक साल धरि ई योजना चलत आऽ परिणाम कहिया जाऽ कए भेटत, तकर कोनो सीमा निर्धारण नहि अछि”।
पाँच टा विद्यार्थी श्वेतकेतु, अपाला, सत्यकाम, रैक्व आऽ घोषा एहि कार्यक हेतु सहर्ष तैयार भेलाह। धौम्य पाँचू गोटेकेँ अपन योजनामे सम्मिलित कए लेलन्हि।
“चारि बीमीय विश्वमे तीन बीमीय विश्वसँ किछु अन्तर अछि। तीन बीमीय विश्व भेल तीन टा लम्बाइ, चौड़ाइ आऽ गहराइ मुदा एहिमे समयक एकटा बीम सेहो सम्मिलित अछि। तँ चारि बीमीय विश्वमे आकि पाँच बीमीय विश्वमे समयक एकसँ बेशी बीमक सम्भावना पर सेहो विचार कएल जायत। मुदा पहिने चारि बीमीय विश्व पर हमरा सभ शोध आगाँ बढ़ायब एहिमे मूलतः समयक एकटा बीम सेहो रहत आऽ ताहिसँ बीमक संख्या पाँच भए जायत। समयकेँ मिलाकए चारि बीमक विश्वमे हमरा सभ जीबि रहल छी। जेना वर्ण अन्धतासँ ग्रसित लोककेँ लाल आऽ हरियरक अन्तर नहि बुझि पड़ैत छैक, ओहिना हमरा सभ एकटा बेशी बीमक विश्वक कल्पना कए सकैत छी, अप्रत्यक्ष अनुभव सेहो कए सकैत छी”। धौम्य बजलाह।
सभा समाप्त भेल आऽ सभ क्यो अपन-अपन प्रकोष्ठमे चलि गेलाह। सैद्धांतिक शोध आऽ तकर बाद ओकर प्रायोगिक प्रयोगमे सभ गोटे लागि गेलाह। त्रिभुज धरातल पर खेंचि कए एक सय अस्सी अंशक कोण जोड़ि कए बनएबाक अतिरिक्त्त पृथ्वीकार आकृतिमे खेंचल गेल त्रिभुज जाहि मे प्रत्येक रेखा एक दोसरासँ नब्बे अंशक कोण पर रहैत अछि, मुदा रेखा सोझ नहि टेढ़ रहैत अछि। ओहिना समय आऽ स्थानकेँ तेढ भेला पर एहन संभव भए सकैत अछि जे हमरा सभ प्रकाशक गतिसँ ओहि मार्गे जाइ आऽ पुनः घुरि आबी। प्रकाश सूर्यक लगसँ जाइत अछि तँ ओकर रस्ता कनेक बदलि जाइत छैक।
श्वेतकेतु आऽ रैक्व एकटा सिद्धान्त देलन्हि- जेना कठफोरबा काठमे वृक्षमे खोह बनबैत अछि, तहिना एकटा समय आऽ स्थानकेँ जोड़एबला खोहक निर्माण शुरू भए गेल। अपाला एकटा ब्रह्माण्डक डोरीक निर्माण कएलन्हि, जकरा बान्हि कए प्रकाश वा ओहूसँ बेशी गतिसँ उड़बाक सम्भावना छल। सत्यकाम एकटा एहन सिद्धान्तक सम्भावना पर कार्य शुरू कएने छलाह, जकर माध्यमसँ तीन टा स्थानिक आऽ एकटा समयक बीमक अतिरिक्त्त कताक आर बीम छल जे बड़ लघु छल, टेढ छल आऽ एहि तरहेँ वर्त्तमान विश्व लगभग दस बीमीय छल। घोषा स्थान समयक माध्यमसँ भूतकालमे पहुँचबासँ पूर्व देशक विधिमे ई परिवर्त्तन करबाक हेतु कहलन्हि जाहिसँ कोनो वैज्ञानिक भूतकालमे पहुँचि कए अपन वा अपन शत्रुकेँ जन्मसँ पूर्व नहि मारि दए। घोषा विश्वक निर्माणमे भगवानक योगदानक चरचा करैत रहैत छलीह। जौँ विश्वक निर्माण भगवान कएलन्हि, एकटा विस्फोट द्वारा, आऽ एकरा सापेक्षता आऽ अनिश्चितताक सिद्धांतक अन्तर्गत छोड़ि देलन्हि बढ़बाक लेल, तँ फेर समयक चाभी तँ हुनके हाथमे छन्हि। जखन ओऽ चाहताह फेरसँ सभटा शुरू भए जायत। जौँ से नहि अछि, तखन समय स्थानक कोनो सीमा, कोनो तट नहि अछि, तखन तँ ई ब्रह्माण्ड अपने सभ किछु अछि, विश्वदेव, तखन भगवानक कोन स्थान? घोषा सोचैत रहलीह।
आब धौम्यक लेल समय आबि गेल छल। अपन पाँचू विद्यार्थीक सभ सिद्धांतकेँ ओऽ प्रयोगमे बदलि देलन्हि। आऽ आब समय आबि गेल। पहरराति।
पुष्पक विमान तैयार भेल स्थान-समयक खोहसँ चलबाक लेल। ब्रह्माण्डीय डोरी बान्हि देल गेल पुष्पक पर। धौम्य सभसँ विदा लेलन्हि। प्रकाशक गतिसँ चलल विमान आऽ खोहमे स्थान आऽ समयकेँ टेढ़ करैत आगाँ बढ़ि गेल। ब्रह्माण्दक केन्द्रमे पहुँचि गेलाह धौम्य। पहरराति बीतल छल। आगाँ कारी गह्वर सभ एहि समय आऽ स्थानकेँ टेढ़ कएल खोहमे चलए बला पुष्पकक सोझाँ अपन सभटा भेद राखि देलक। भोरुका पहरक पहिने धौम्यक विमान पुनः पृथ्वी पर आबि गेल। मुदा एतए आबि हुनका विश्व किछु बदलल सन लगलन्हि। श्वेतकेतु, अपाला, सत्यकाम, रैक्व आऽ घोषा क्यो नहि छलाह ओतए। विमानपट्टी सेहो बदलल सन। विश्वमे समय-स्थानक पट्टी सभ भरल पड़ल छल।
“यौ। समय बताऊ कतेक भेल अछि”।
“कोन समय। सोझ बला वा स्थान-समय विस्थापन बला। सोझ बला समय अछि, सन् ३१०० मास...”।
ओऽ बजिते रहि गेल छल मुदा धौम्य सोचि रहल छलाह जे स्थान-समय विस्थापनक पहररातिमे हजार साल व्यतीत भए गेल। ककरा बतओताह ओऽ अपन ताकल रहस्य। आकि एतुक्का लोक ओऽ रहस्य ताकि कए निश्चिन्त तँ नहि भए गेल अछि?
६. पद्य
1.
मैथिली हैकू पद्य- रवीन्द्रनाथ ठाकुर सेहो हैकू लिखलन्हि, मुदा मैथिलीमे पहिल बेर जापानी पद्य विधाक आधार पर "विदेह" प्रस्तुत कए रहल अछि ई विधा।
2.
अ.पद्य विस्मृत कवि स्व. श्री रामजी चौधरी (1878-1952)
आ.पद्य ज्योति झा चौधरी
इ.पद्य गजेन्द्र ठाकुर
मैथिली हैकू
हैकू सौंदर्य आऽ भावक जापानी काव्य विधा अछि, आऽ जापानमे एकरा काव्य-विधाक रूप देलन्हि कवि मात्सुओ बासो १६४४-१६९४। एकर रचनाक लेल परम अनुभूति आवश्यक अछि। बाशो कहने छथि, जे जे क्यो जीवनमे ३ सँ ५ टा हैकूक रचना कएलन्हि से छथि हैकू कवि आऽ जे दस टा हैकूक रचना कएने छथि से छथि महाकवि। भारतमे पहिल बेर १९१९ ई. मे कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर जापानसँ घुरलाक बाद बाशोक दू टा हैकूक शाब्दिक अनुवाद कएले रहथि।


पुरनोपुकुर
व्यंगेरलाफ
जलेर शब्द
आऽ
पचाएडालि
एकटा के
शरत्काल।
हैकूक लेल मैथिली भाषा आऽ भारतीय संस्कृत आश्रित लिपि व्यवस्था सर्वाधिक उपयुक्त्त अछि। तमिल छोड़ि शेष सभटा दक्षिण आऽ समस्त उत्तर-पश्चिमी आऽपूर्वी भारतीय लिपि आऽ देवनागरी लिपि मे वैह स्वर आऽ कचटतप व्यञ्जन विधान अछि जाहिमे जे लिखल जाइत अछि सैह बाजल जाइत अछि। मुदा देवनागरीमे ह्रस्व 'इ' एकर अपवाद अछि, ई लिखल जाइत अछि पहिने, मुदा बाजल जाइत अछि बादमे। मुदा मैथिलीमे ई अपवाद सेहो नहि अछि- यथा 'अछि' ई बाजल जाइत अछि अ ह्र्स्व 'इ' छ वा अ इ छ। दोसर उदाहरण लिअ- राति- रा इ त। तँ सिद्ध भेल जे हैकूक लेल मैथिली सर्वोत्तम भाषा अछि। एकटा आर उदाहरण लिअ। सन्धि संस्कृतक विशेषता अछि? मुदा की इंग्लिशमे संधि नहि अछि? तँ ई की अछि- आइम गोइङ टूवार्ड्सदएन्ड। एकरा लिखल जाइत अछि- आइ एम गोइङ टूवार्ड्स द एन्ड। मुदा पाणिनि ध्वनि विज्ञानक आधार पर संधिक निअम बनओलन्हि, मुदा इंग्लिशमे लिखबा कालमे तँ संधिक पालन नहि होइत छैक , आइ एम केँ ओना आइम फोनेटिकली लिखल जाइत अछि, मुदा बजबा काल एकर प्रयोग होइत अछि। मैथिलीमे सेहो यथासंभव विभक्त्ति शब्दसँ सटा कए लिखल आऽ बाजल जाइत अछि।
जापानमे ईश्वरक आह्वान टनका/ वाका प्रार्थना ५ ७ ५ ७ ७ स्वरूपमे होइत छल जे बादमे ५ ७ ५ आऽ ७ ७ दू लेखक द्वारा लिखल जाए लागल आऽ नव स्वरूप प्राप्त कएलक आऽ एकरा रेन्गा कहल गेल। रेन्गाक दरबारी स्वरूप गांभीर्य ओढ़ने छल आऽ बिन गांभीर्य बला स्वरूप वणिकवर्गक लेल छल। बाशो वणिक वर्ग बला रेन्गा रचलन्हि। रेन्गाक आरम्भ होक्कुसँ होइत छल आऽ हैकाइ एकर कोनो आन पंक्त्तिकेँ कहल जाऽ सकैत छल। मसाओका सिकी रेन्गाक अन्तक घोषणा कएलन्हि १९म शताब्दीक प्रारम्भमे जाऽ कए आऽ होक्कु आऽ हैकाइ केर बदलामे हैकू पद्यक समन्वित रूप देलन्हि। मुदा बाशो प्रथमतः एकर स्वतंत्र स्वरूपक निर्धारण कए गेल छलाह।
हैकू निअम १. १७ अक्षरमे लिखू, आऽ ई तीन पंक्त्तिमे लिखल जाइत अछि- ५ ७ आऽ ५ केर क्रममे। रचना लिखबासँ पहिने स्तंभमे मात्रिक छन्दक वर्णन क्रममे हम लिखने रही जे संयुक्त्ताक्षरकेँ एक गानू आऽ हलन्तक/ बिकारीक/ इकार आकार आदिक गणना नहि करू।
हैकू निअम २.व्यंग्य हैकू पद्यक विषय नहि अछि, एकर विषय अछि ऋतु। जापानमे व्यंग्य आऽ मानव दुर्बलताक लेल प्रयुक्त विधाकेँ "सेर्न्यू" कहल जाइत अछि आऽ एहिमे किरेजी वा किगो केर व्यकरण विराम नहि होइत अछि।
हैकू निअम ३. प्रथम ५ वा दोसर ७ ध्वनिक बाद हैकू पद्यमे जापानमे किरेजी- व्याकरण विराम- देल जाइत अछि।
हैकू निअम ४. जापानीमे लिंगक वचन भिन्नता नहि छैक। से मैथिलीमे सेहो वचनक समानता राखी सैह उचित होएत।
हैकू निअम ५. जापानीमे एकहि पंक्त्तिमे ५ ७ ५ ध्वनि देल जाइत अछि। मुदा मैथिलीमे तीन ध्वनिखण्डक लेल ५ ७ ५ केर तीन पंक्त्तिक प्रयोग करू। मुदा पद्य पाठमे किरेजी विरामक ,जकरा लेल अर्द्धविरामक चेन्ह प्रयोग करू, अतिरिक्त्त एकहि श्वासमे पाठ उचित होएत।
हैकू निअम ६. हैबुन एकटा यात्रा वृत्तांत अछि जाहिमे संक्षिप्त वर्णनात्मक गद्य आऽ हैकू पद्य रहैत अछि। बाशो जापानक बौद्ध भिक्षु आऽ हैकू कवि छलाह आऽ वैह हैबुनक प्रणेता छथि। जापानक यात्राक वर्णन ओऽ हैबुन द्वारा कएने छथि। पाँचटा अनुच्छेद आऽ एतबहि हैकू केर ऊपरका सीमा राखी तखने हैबुनक आत्मा रक्षित रहि सकैत अछि, नीचाँक सीमा ,१ अनुच्छेद १ हैकू केर, तँ रहबे करत। हैकू गद्य अनुच्छेदक अन्तमे ओकर चरमक रूपमे रहैत अछि।- सम्पादक
प्रस्तुत अछि ज्योतिक ९५ टा मैथिली हैकू। हुनकर ९६ सँ १०० धरि हैकू अंग्रेजीसँ मैथिलीमे सम्पादक द्वारा अनुवादित अछि, तकर अंग्रेजी अंश सेहो देल गेल अछि। तकरा बाद गजेन्द्र ठाकुरक १२ टा हैकू आऽ एकटा हैबुन देल गेल अछि।

ज्योतिकेँwww.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवार्ड (अंग्रेजी पद्यक हेतु) भेटल छन्हि। हुनकर अंग्रेजी पद्य किछु दिन धरि www.poetrysoup.com केर मुख्य पृष्ठ पर सेहो रहल अछि। ज्योति मिथिला चित्रकलामे सेहो पारंगत छथि आऽ हिनकर चित्रकलाक प्रदर्शनी ईलिंग आर्ट ग्रुप केर अंतर्गत ईलिंग ब्रॊडवे, लंडनमे प्रदर्शित कएल गेल अछि।
ज्योति झा चौधरी, जन्म तिथि -३० दिसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द मि‌डिल स्कूल़ टिस्को साकची गर्ल्स हाई स्कूल़, मिसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इन्दिरा गान्धी ओपन यूनिवर्सिटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); निवास स्थान- लन्दन, यू.के.; पिता- श्री शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- श्रीमती सुधा झा, शिवीपट्टी। ''मैथिली लिखबाक अभ्यास हम अपन दादी नानी भाई बहिन सभकेँ पत्र लिखबामे कएने छी। बच्चेसँ मैथिलीसँ लगाव रहल अछि। -ज्योति
(१)
तारा दूरसँ
बुझाइत कतेक शीतल
वास्तवमे जड़ैत
(२)
शाखासँ लागल
पुष्प आऽ पत्रसॅं आच्छादित
अछि झूलैत लता
(३)
पक्षी विश्राम कएल
बड़का यात्राक उपरान्त
एखनो जे अपूर्ण
(४)
अद्रभुत अपवाद छैक
नागफनीक कॉँटक बीच
कुसुम खिलायल
(५)
नीलांबरमे मेघ
विचरैत अछि कोना जेना
सागरमे होए शार्क
(६)
भावी संकट केर
पशु पक्षीमे पूर्वाभास
प्रभुक दिव्य आशिष
(७)
कोमल पंखुड़ी
सुगन्धक संग सजाओल
एक पुष्पक रूपमे
(८)
नदीक तरंग
ओहिना लागैत अछि जेना
ओकर घुरमल केश
(९)
दू टा पसरल पाँखि
बाज उड़ऽ लेल तैयार अछि
पूर्ण रूपसॅं जागरूक
(१०)
पहाड़ीक ढलान
ताहि पर एकमात्र गाछक छाह
भेल यात्रीक विश्राम
(११)
संध्याक बेला
सुनसान आऽ शान्त पोखरिक कात
एक एकान्त स्थान
(१२)

मेघ रूपी बर्फमे
अछि हवाई जहाज पिछड़ैत
आकाशमे विचरैत
(१३)
कठोरतम भूमि
समुद्रक छोर पर बसल
अछि पाथरक किनार
(१४)
विलक्षण अपवाद
आकाश जरैत संध्याकाल
समुद्रक उपरि
(१५)
पहाड़सॅं उदित
सूर्यसॅं आकाश भेल जागृत
ज्वालामुखी सन
(१६)
उगैत सूर्य संगे
आयल अंधकारक उपरान्त
अंतहीन दिनक आस
(१७)
दिवस आब थकल
रातिक स्वागतमे लीन साँझ
मिझाइत सूर्य दीप
(१८)
गाछ भने हरियर
ग्रीष्मोमे देखु पतझड़
भोरक आकाशमे
(१९)
पक्षीक चहक
आऽ आकाशक लाली संग
प्रकृति जागल
(२०)
अतिसुन्दर जाड़
मेघक घिस घिस छिड़यौलक
हिमपातक रूपमे
(२१)
तैयार उड़ऽलेल
पक्षी विश्रामसॅं जागल
वा अछि शुरूआत
(२२)
पक्षीक निरीक्षण
छूटल अन्नक फेरमे
कटनी भेलाक बाद
(२३)
फूलक हुँजक बोझ
शाखा केँ झुका रहल
बसंत आयल अछि
(२४)
तितलीक पंख
अंकित रंग बिरंग आकार
प्रभुक चित्रकला
(२५)
मनुष लेल कठिन
किन्तु जीवन ओतहु अछि
शीतलतम स्थान
(२६)
उच्चतम शिखरसॅं
धुन्ध भरल हरियर घाटी
निहारक इच्छा
(२७)
विभिन्न प्रकारक
घास पात जमीन पर उगल
आइरसँ दूर बॅंचल।
(२८)
ओसक बूँद पाबि अछि
घासक फुनगी आह्‌लादित
हीरा सन चमकैत
(२९)
बाहर घूमऽ निकलल
बतख अपन बच्चा संग
गर्मीक दिनमे
(३०)
बतख हेल रहल अछि
पानिक ऊपरी सतह पर
लक्ष्यक दिस निरंतर
(३१)
स्प्रेसो
आस्ते पिब लेल
गर्म देल गेल
(३२)
ईश्वर केँ तकनाइ
नहि कठिन पाबू ओकरा
पवित्र हृदयमे
(३३)
दृष्टि भ्रमणमे
घाटी पर दूर दूर धरि
भटकि सकैत अछि
(३४)
घोड़ा भटकि रहल
उद्देश्यहीन बिन घुड़सवार
भेल अनुशासनहीन
(३५)
स्थिर पानिमे
प्रकृतिक प्रतिबिम्ब
साफ लेकिन उलटा
(३६)
प्राकृतिक दृष्य
पानिक प्रतिरूप बिना
अपूर्ण बुझाइत अछि।
(३७)
पतझड़क पात
पसारलक अप्पन सतरंजी
हरियर घास बदला।
(३८)
समुद्रक तहमे
विभिन्न आकार प्रकारक
रंग बिरंग जीवन।
(३९)
नटखट समुद्र
तटक आरामसँ वंचित
कएने बेर बेर तंग।
(४०)
पहाड़क चोटी
आर बेसी ऊँच लागैत अछि
गहीँर घाटीक बीच
(४१)
पोखरिमे देखु
प्रकृतिक प्रतिबिम्ब
उलटल बुझाइत अछि
(४२)
तितलीगण उतरल
पंखरूपी पैराशूट लऽ
फुलक झुण्ड पर।
(४३)
उच्चतम शिखर पर
गुफासँ दृष्टिगोचर
होइत रमणीय दृष्य
(४४)
बच्चाक संग खेलमे
एकेटा खुशीक आभास
ओकर किलकारी
(४५)
टेढ़ मेढ़ रेखा अछि
बरसातक बहैत पानिसँ
खिड़कीक काँच पर बनल
(४६)
बादलसँ छनल
समुद्रक लहरिक तरंग
उपर चमकैत किरण
(४७)
पानिक तरंग केँ
पक्षी बदलि रहल अछि
कलरवक लयमे
(४८)
मरुस्थलमे रेत
अछि हवासँ बहारल
सतह भेल समतल
(४९)
कतेक बेसी ध्यान
पातक प्रारूप देबऽमे
ईश्वर देने छथि
(५०)
बरसात खतम भेल
पानि तइयो झरि रहल अछि
गाछक पात सब सऽ
५१
समुद्रक लहरि
लगातार टकरा रहल
पाथर तइयो स्थिर
५२
मनोरम दृष्य
जेना चिन्नीक चाशनीमे लिप्त
अछि गाछ जाड़मे
५३
अपने रंगहीन अछि
गाछ केँ रंगीन बनौलक
नीचा गड़ल जड़ि
५४
शीतल प्रकाश युक्त
सुर्योदयक पहिनेक समय
सर्वोत्तम काल
५५
पाँखिक शाल ओढ़ने
प्रकृतिक भ्रमण हेतु
पक्षी निकलल जाड़मे
५६
चिडैय़ाक बच्चा
माए बाप संगे अछि ताबञ
जाबञ पंख नहिक छैक।
५७

प्रवासी पक्षी
मीलक मील उड़िक आयल
गर्मीक आनन्द लय।
५८
उछलैत पानि
नदीसँ भेँट लेल
खसल झरनाक रूपमे ।
५९
नागफणीक गाछ सभ
मरुस्थल्मे सेहो अछि
मजबूतीसँ ठाढ़।
६०
कठोर पातसँ लिप्त
नागफनीक चोटी पर अछि
कोमल फूलक ताज
६१
आर सजायल गेल
कैक रंगक फूल आऽ लाइटसॅं
क्रिसमसक साँझमे
६२
एक नारिकेरक फल
कठोर केशयुक्त कवचमे
मीठ उज्जर फल अछि
६३
भुखाएल बगुला
नदीक कातमे ठाढ़ अछि
माछक ताकिमे
६४
अतिथिक आगमन
कौआक कर्कश काँव काँवसँ
पूर्वसूचित भेल अछि
६५
सागरमे डॉलफिन
खतरनाक जीवक बीचमे
मनुषक साथी
६६
जिग ज़ैग ध्वनि केँ
गाड़ी दोहरा रहल अछि
भीजल सड़क पर
६७
भूकम्पक श्राप अछि
अज्ञात अपराधक सजा
मनुषकेँ भेटल
६८
छोट किन्तु तेज अछि
अपन लक्ष्य चिनहऽमे
भड़ल भीड़क बीच
६९
समुद्रक नीचाँ
कतओ जायकाल रहैअ
छोट माछ सब झुण्डमे
७०
अंगूरक फल अछि
मीठ जेल जमाकऽ रखने
छोट छोट आकारमे
७१
स्वर्ग सदृश दृश्य
हरियर प्राकृतिक संग
चिड़ैआक कलरव
७२
राति हुअक पहिने
आकाश दहकि रहल
सूर्यास्तक पहिने
७३
खिलखिलाइत झरना
मधुर ध्वनि घोरि रहल
चारू दिशामे
७४
सूर्यक अएलापर
रातिक अन्हार भागि गेल आऽ
भोर शुरु भऽ गेल
७५
छाया उपर्युक्त अछि
गोबरछत्ता केँ उगऽ
आऽ पसरऽ लेल
(७६)
एकटा पओलाक बाद
खरहा फेर भागि रहल अछि
आर भोजन लेल

(७७)
गाछक स्वर्णिम रंग
पतझड़क आगमनक
घोषणा अछि करैत ।
(७८)
गरमीक ऋतु
कहॉँ ओतेक दुखद अछि
शुरुक दिनमे
(७९)
स्वयम्‌ सिद्ध मकरा
अपन सुरक्षा हेतु
जाल अछि बुनैत
(८०)
कोनो आकारमे
ढलि जाएत पानि मुदा गहराई
एकर अपन गुण
(८१)
आकाश अखनो ऊँच
बादल पहुँचमे बुझाएल
ई धुन्धक रूपमे
(८२)
रातिमे इजोत दैत
बर्फसँ परावर्तित होइत
प्रकाशपुँज जाड़मे
(८३)
लुक्खी सब निकलल
अपन घड़सँ आलस त्यागि
वसन्त ऋतुमे
(८४)
सोन सन सूरज भेल
उज्जर चमकैत हीरा सन
दिनकेँ अएला पर
(८५)
गाछ सब अछि होड़मे
सबसँ पहिने पाबऽ लेल
सूरजक रोशनी
(८६)
एकटा मन्दिर अछि
खजूरक गाछ भीड़मे
एक पोखरि कातमे
(८७)
सुखाएल छोट पातसभ
गाछसँ नीचाँ खसैत अछि
नबकेँ अवसर दैत
(८८)
गाछक शाखासभ
अतेक ऊँचाई पर पसरल
जड़ि ततब्बे गहिँर
(८९)
भोरक अयला पर
गाछ पर लादल ओस भेल अछि
चमकैत हॅँसी सन
(९०)
सोन सन कम्बल अछि
ओढ़ने गहुमक खेत सभ
कटाइक पहिने
(९१)
चक्रवातीय पवन
जीवनसंहारक बनि गेल
जीवनरक्षक छल।
(९२)
प्रदान करैत अछि
पक्षी आऽ हिरण सभकेँ
गाछ आऽ वृक्ष आश्रय
(९३)
फूलसँ भरल अछि
एकटा घाटी एहन अछि
जेना खुशी मुस्काइत।
(९४)
पानि बढ़ि रहल
रस्ताक गाछ आऽ पाथर सभ
विदा करैत ठाढ़
(९५)
जाड़क गाछ अछि ठाढ़
वसन्तक प्रतीक्षामे
पात सभसँ भिन्न भऽ
(९६)
Illusion of eye
Colourful appearance of
Rainbow in the sky
आँखिक भ्रम,
आभास वर्णमय
पनिसोखा द्यौ

(९७)
Rainbow declares
Beginning of bright days and
End of rainy ones
पनिसोखाक,
शुभ्र दिन आबह
खिचाहनि जाऽ

(९८)
Filled with smoky fog
The wood seems to be burning
Thou' it is winter
धुँआ कुहेस
जेना जड़ैत काठ,
अछि ई जाड़
(९९)
The words sound so sweet
imitated by parrots
Like baby babbles
गुञ्ज मधुर
सुग्गाक अभिनय,
तोतराइत स्वर
(१००)
The sky is bright
The wind has cleared the clouds
Some still needs force
अकाश श्वेत
वायु टारैत मेघ,
कनेक बल
(९६ सँ १०० धरि इंग्लिशसँ मैथिली अनुवाद संपादक द्वारा कएल गेल)
गजेन्द्र ठाकुरक १२ टा हैकू
१.वास मौसमी,
मोजर लुबधल
पल्लव लुप्ता
२.घोड़न छत्ता,
रेतल खुरचन
मोँछक झक्का
३. कोइली पिक्की,
गिदरक निरैठ
राकश थान
४.दुपहरिया
भुतही गाछीक
सधने श्वास
५.सरही फल
कलमी आम-गाछी,
ओगरबाही
६.कोलपति आऽ
चोकरक टाल,
गछपक्कू टा
७.लग्गा तोड़ल
गोरल उसरगि
बाबाक सारा
८.तीतीक खेल
सतघरिया चालि
अशोक-बीया
९.कनसुपती,
ओइधक गेन्द आऽ
जूड़िशीतल
१०.मारा अबाड़
डकहीक मछैड़
ओड़हा जारि
११.कबइ सन्ना
चाली बोकरि माटि,
कठफोड़बा
१२.शाहीक-मौस,
काँटो ओकर नहि
बिधक लेल
हैबून १
सोझाँ झंझारपुरक रेलवे-सड़क पुल। १९८७ सन्। झझा देलक कमला-बलानक पानिक धार, बाढ़िक दृश्य। फेर अबैत छी छहर लग। हमरा सोझाँमे एकठामसँ पानि उगडुम होइत झझात बाहर अछि अबैत। फेर ओतएसँ पानिक धार काटए लगैत अछि माटि। बढ़ए लगैत अछि पानिक प्रवाह, अबैत अछि बाढ़ि। घुरि गाम दिशि अबैत छी। हेलीकॉप्टरसँ खसैत अछि सामग्री। जतए आयल जलक प्रवाह ओतए सामग्रीक खसेबा लए सुखाएल उबेड़ भूमिखण्ड अछि बड़ थोड़। ओतए अछि जन- सम्मर्द। हेलीकॉप्टर देखि भए जाइत अछि घोल। अपघातक अछि डर हेलीकॉप्टर नहि खसबैत अछि ओतए खाद्यान्न। बढ़ि जाइत अछि आगाँ। खसबैत अछि सामग्री जतए पानि बिनु पड़ैत छल दुर्भिक्ष, बाढ़िसँ भेल अछि पटौनी। कारण एतए नहि अछि अपघातक डर। आँखिसँ हम ई देखल। १९८७ ई.।
पएरे पार
केने कमला धार,
आइ विशाल


विस्मृत कवि स्व. रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख विदेहक पहिल अँकमे ई-प्रकाशित भेल छल।तकर बाद हुनकर पुत्र श्री दुर्गानन्द चौधरी, ग्राम-रुद्रपुर,थाना-अंधरा-ठाढ़ी, जिला-मधुबनी कविजीक अप्रकाशित पाण्डुलिपि विदेह कार्यालयकेँ डाकसँ विदेहमे प्रकाशनार्थ पठओलन्हि अछि। ई गोट-पचासेक पद्य विदेहमे एहि अंकसँ धारावाहिक रूपेँ ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि।
विस्मृत कवि- पं. रामजी चौधरी(1878-1952) जन्म स्थान- ग्राम-रुद्रपुर,थाना-अंधरा-ठाढ़ी,जिला-मधुबनी. मूल-पगुल्बार राजे गोत्र-शाण्डिल्य ।
जेना शंकरदेव असामीक बदला मैथिलीमे रचना रचलन्हि, तहिना कवि रामजी चौधरी मैथिलीक अतिरिक्त्त ब्रजबुलीमे सेहो रचना रचलन्हि।कवि रामजीक सभ पद्यमे रागक वर्ण अछि, ओहिना जेना विद्यापतिक नेपालसँ प्राप्त पदावलीमे अछि, ई प्रभाव हुंकर बाबा जे गबैय्या छलाहसँ प्रेरित बुझना जाइत अछि।मिथिलाक लोक पंच्देवोपासक छथि मुदा शिवालय सभ गाममे भेटि जायत, से रामजी चौधरी महेश्वानी लिखलन्हि आ’ चैत मासक हेतु ठुमरी आ’ भोरक भजन (पराती/ प्रभाती) सेहो। जाहि राग सभक वर्णन हुनकर कृतिमे अबैत अछि से अछि:
1. राग रेखता 2 लावणी 3. राग झपताला 4.राग ध्रुपद 5. राग संगीत 6. राग देश 7. राग गौरी 8.तिरहुत 9. भजन विनय 10. भजन भैरवी 11.भजन गजल 12. होली 13.राग श्याम कल्याण 14.कविता 15. डम्फक होली 16.राग कागू काफी 17. राग विहाग 18.गजलक ठुमरी 19. राग पावस चौमासा 20. भजन प्रभाती 21.महेशवाणी आ’ 22. भजन कीर्त्तन आदि।
मिथिलाक लोचनक रागतरंगिणीमे किछु राग एहन छल जे मिथिले टामे छल, तकर प्रयोग सेहो कविजी कएलन्हि।
प्रस्तुत अछि हुनकर अप्रकाशित रचनाक धारावाहिक प्रस्तुति:-
14.

महेशवानी

विधि बड़ दुःख देल,
गौरी दाइ के एहेन वर कियाक लिखि देल॥
जिनका जाति नहि कुल नहि परिजन,
गिरिपर बसथि अकेल,
डमरू बजाबथि नाचथि अपन कि भूत प्रेत से खेल॥
भस्म अंग शिर शोभित गंगा,
चन्द्र उदय छनि भाल
वस्त्र एकोटा नहि छनि तन पर
ऊपरमे छनि बघछाल,
विषधर कतेक अंगमे लटकल,
कंठ शोभे मुंडमाल,
रामजी कियाक झखैछी मैना
गौरी सुख करती निहाल॥

15.

विहाग

वृन्दावन देखि लिअ चहुओर॥
काली दह वंशीवट देखू,
कुंज गली सभ ठौर,
सेवा कुंजमे ठाकुर दर्शन,
नाचि लिअ एक बेर॥
जमुना तटमे घाट मनोहर,
पथिक रहे कत ठौर,
कदम गाछके झुकल देखू,
चीर धरे बहु ठौर॥
रामजी वैकुण्ठ वृन्दावन
घूमि देखु सभ ठौर,
रासमण्ड ल’ के शोभा देखू,
रहू दिवस किछु और।।
16.
विहाग

मथुरा देखि लिअ सन ठौर॥
पत्थल के जे घाट बनल अछि,
बहुत दूर तक शोर,
जमुना जीके तीरमे,
सन्न रहथि कते ठौर॥
अस्ट धातुके खम्भा देखू,
बिजली बरे सभ ठौर,
सहर बीच्मे सुन्दर देखू,
बालु भेटत बहु ढ़ेर॥
दुनू बगलमे नाला शोभे,
पत्थल के है जोर
कंशराजके कीला देखू
देवकी वो वसुदेव॥
चाणूर मुष्टिक योद्धा देखू
कुबजा के घर और,
राधा कृष्णके मन्दिर देखू,
दाउ मन्दिर शोर॥
छोड़ विभाग
रामजी मधुबन, घूमि लिअ अब,
कृष्ण बसथि जेहि ठौर॥
गोकुल नन्द यशोदा देखू
कृष्ण झुलाउ एक बेर॥
17.
महेशवानी

भोला केहेन भेलौँ कठोर,
एक बेर ताकू हमरहुँ ओर॥
भस्म अंग शिर गंग विराजे,
चन्द्रभाल छवि जोर।।
वाहन बसहा रुद्रमाल गर,

भूत-प्रेतसँ खेल॥

त्रिभुवन पति गौरी-पति मेरो जौँ ने हेरब एक बेर,

तौँ मेरो दुःख कओन हरखत

सहि न सकत जीव मोर॥

बड़े दयालु जानि हम अयलहुँ,

अहाँक शरण सूनि शोर,

राम-जी अश्रण आय पुकारो,

दिजए दरस एक बेर॥

(अनुवर्तते)


इ.पद्य ज्योति झा चौधरी


ज्योतिकेँwww.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवार्ड (अंग्रेजी पद्यक हेतु) भेटल छन्हि। हुनकर अंग्रेजी पद्य किछु दिन धरि www.poetrysoup.com केर मुख्य पृष्ठ पर सेहो रहल अछि। ज्योति मिथिला चित्रकलामे सेहो पारंगत छथि आऽ हिनकर चित्रकलाक प्रदर्शनी ईलिंग आर्ट ग्रुप केर अंतर्गत ईलिंग ब्रॊडवे, लंडनमे प्रदर्शित कएल गेल अछि।
ज्योति झा चौधरी, जन्म तिथि -३० दिसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द मि‌डिल स्कूल़ टिस्को साकची गर्ल्स हाई स्कूल़, मिसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इन्दिरा गान्धी ओपन यूनिवर्सिटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); निवास स्थान- लन्दन, यू.के.; पिता- श्री शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- श्रीमती सुधा झा, शिवीपट्टी। ''मैथिली लिखबाक अभ्यास हम अपन दादी नानी भाई बहिन सभकेँ पत्र लिखबामे कएने छी। बच्चेसँ मैथिलीसँ लगाव रहल अछि। -ज्योति

मेघक उत्पात
कनिक काल दऽ पानिक फुहार
फेर लेलक अपन ऑँजुर सम्हारि
देखू मेघक उत्पात
लोकक आशाक उपहास करैत
कखनो दर्शन दऽ बेर-बेर नुकाइत
मौलाऽगेल गाछ आऽ पात
कखनो गरजि भरि कऽ रहि गेल
कखनो बरसि-बरसि कऽ भरि गेल
डूबल पोखरिक कात
कोसीक प्रवाह सब बॉँन्ह तोड़लक
गामक गाम जलमग्न कएलक
ततेक भेल बरसात
किसानक भविष्य मेघपर आश्रित
मेघक इच्छा पूर्णतः अप्रत्याशित
सभसालक अनिश्चित अनुपात

गजेन्द्र ठाकुर

पथक पथ

स्मृतिक बन्धनमे
तरेगणक पाछाँसँ
अन्हार गह्वरक सोझाँमे
पथ विकट। आशासँ!

पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।

विश्वक प्रहेलिकाक
तोड़ भेटि जायत जौँ
इतिहासक निर्माणक
कूट शब्द ताकब ठाँ।

पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।

विश्वक मंथनमे
होएत किछु बहार आब
समुद्रक मंथनमे
अनर्गल छल वस्तु-जात

पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।

7. संस्कृत शिक्षा च
मैथिली शिक्षा च (मैथिली भाषा जगज्जननी सीतायाः भाषा आसीत् - हनुमन्तः उक्तवान- मानुषीमिह संस्कृताम्)
(आगाँ)
-गजेन्द्र ठाकुर

सुभाषितम्

वयम् इदानीम एकं सुभाषितं श्रुण्मः।

आयत्यां गुणदोषज्ञः
तदात्वे क्षिप्रनिश्चयः।
अतीते कार्यशेषज्ञो
विपदा नाभिभूयते॥
वयम् इदानीम यत सुभाषितम् श्रुतवन्तः तस्य अर्थः एवम् अस्ति।

कश्चन् उत्तम कार्यकर्ता कथं व्यवहारं करोति। भविष्यत् काले यत् कार्यं करणीयम्। कार्यस्य गुणाः के अवगुणाः के इति सः चिन्तयति तदात्वे क्षिप्रनिश्चयः। यदा कार्यं सन्निहतं भविष्यति तदा अनुक्षणं निर्णयं करोति। अतीते कार्यशेषज्ञः यद कार्यं शिष्टं भवति, तस्य किम् इति चिन्तयति, एवं यद् कार्यम् अतीतम् अस्ति तत्र किम् शिष्टम् इति चिन्तयति- विपदा नाभिभूयते।

कथा

पूर्वं रायगढ़ दुर्गम् आसीत्। शिवाजी महाराजः तस्य पालनं करोति स्म। एका महिला आसीत्। सा प्रतिदिनं क्षीरविक्रयणं करोति स्म। रायगढ़ दुर्गस्य अन्तः आगत्य क्षीरविक्रयणं करोति स्म। तस्याः लघु पुत्रः आसीत्। तम् गृहे तिक्तवा दुर्गस्य अंतः आगत्य क्षीरविक्रयणं करोति स्म। प्रतिदिनम् अंधकारात् पूर्वं क्षीरविक्रयेण समापयित्व बहिः आगच्छति स्म। एकस्मिन् दिने सा क्षीरं विक्रयेण कुर्वति आसीत् तदा विलम्बः जातः। अंधकारः जातः। यदा महिला क्षीर विक्रयेणं समाप्य द्वार समीपम् आगतवती- तदा दुर्गस्य द्वारं पिहितम् आसीत्। सा तद्दृष्टवा रक्षकवटम् उक्तवती- कृपया द्वारम् उद्घाटयतु। मम शिशुः गृहे अस्ति। रक्षकवटः द्वारम् उद्घाटयतुं निराकृतवान्। पुनः सा महिला प्रार्थितवती। रक्षकवटं सा प्रार्थितवती- कृपया उद्घाटयतु। अहं बहिः गच्छामि। गृहे मम लघु-शिशुः अस्ति। तस्मै भोजनं दातव्यम् अस्ति। कृपया उद्घाटयतु। भवान् किमर्थं न उद्घाटयति। सा पृष्टवती। रक्षकवटः उक्तवान्- शिवाजी महाराजस्य सूचना अस्ति। अंधकारस्य अनन्तरं द्वारस्य उद्घाटनं न करणीयम्। इति। तद् श्रुत्वा सा महिला दिग्भ्रान्ता जातः। अहम् इदानीम गृहं कथं गच्छामि। सा तत्रैव मार्गस्य अन्वेषणं कृतवती। सर्वत्र अटितवती। एकत्र दुर्गस्य भित्तिः शिथिला आसीत्। सा महिला भित्तिम् आरूढ़वती। पार्श्वे एकः वृक्षः आसीत्। वृक्षस्य शाखां गृहित्वा उत्तिर्य सा कथमपि दुर्गात् बहिः आगतवती। अनन्तर दिने शिवाजी महाराजः एतां वार्तां श्रुतवान। सः ताम महिलाम् आहूतवान। ताम सः पृष्टवान। भवती कथं गतवती। तदा सा उक्तवती। अहं किमपि न जानामि। तदा मम कर्णयोः केवलं मम शिशोः क्रन्दनं श्रुयति स्म। अहं कथमपि दुर्गात् बहिः गतवती। तत श्रुत्वा शिवाजी महाराजः संतुष्टः अभवत्। तस्यै महिलायै सः पारितिषिकं दत्तवान।


सम्भाषणम्

एकवचनतः बहुवचनं प्रति परिवर्त्तनं कृतम् अस्ति।
बालकः विद्यालयं गतवान। बालक विद्यालय गेलाह।
बालकाः विद्यालयं गतवन्तः। बालक लोकनि विद्यालय गेलाह।

इदानीम् एकवचनतः बहुवचनं प्रति परिवर्तनं कुर्वन्ति एव।

युवकः योगाभ्यासं कृतवान। युवक योगाभ्यास कएलन्हि।
युवकाः योगाभ्यासं कृतवन्तः। युवक लोकनि योगाभ्यास कएलन्हि।
नर्तकः नृत्यं कृतवान। नर्तक नृत्य कएलन्हि।
नर्तकाः नृत्यं कृतवान। नर्तक लोकनि नृत्य कएलन्हि।
अलसं निद्रां कृतवान। आलसी निद्रा कएलन्हि।
अलसाः निद्रां कृतवन्तः। आलसी लोकनि निद्रा कएलन्हि।
सैनिकः जयं प्राप्तवान। सैनिक जय प्राप्त कएलन्हि।
सैनिकाः जयं प्राप्तवन्तः। सैनिक लोकनि जय प्राप्त कएलन्हि।
बालकः ग्रन्थं स्मृतवान। बालक ग्रंथ यादि कएलन्हि।
बालकाः ग्रन्थं स्मृतवान। बालक लोकनि ग्रन्थ यादि कएलन्हि।

बालिका पाठं पठितवती। बालिका पाठ पढ़लन्हि।
बालिकाः पाठं पठितवत्यः। बालिका लोकनि पाठ पढ़लन्हि।
बालिका विद्यालयं गतवती। बालिका विद्यालय गेलीह।
बालिकाः विद्यालयं गतवत्यः। बालिका लोकनि विद्यालय गेलीह।
वैद्या चिकित्सालयं गतवती। वैद्या चिकित्सालय गेलीह।
वैद्याः चिकित्सालयं गतवत्यः। वैद्या लोकनि चिकित्सालय गेलीह।
सखी नगरं गतवती। सखी नगर गेलीह।
सख्याः नगरं गतवत्यः। सखी लोकनि नगर गेलीह।
लेखिका लेखं लिखितवती। लेखिका लेख लिखलन्हि।
लेखिका लेखं लिखितवत्यः। लेखिका लोकनि लेख लिखलन्हि।
भगिनी गानं गीतवती। बहिन गीत गओलन्हि।
भगिन्यः गानं गीतवत्यः। बहिन लोकनि गीत गओलन्हि।
नटी नृत्यं कृतवती। नर्तकी नृत्य कएलन्हि।
नट्यः नृत्यं कृतवत्यः। नर्तकी लोकनि नृत्य कएलन्हि।
अहं रामायणं, महाभारतं, भगवतगीतां च पठामि।
हम रामायण, महाभारत आऽ भगवतगीता पढ़ैत छी।
अहम् अन्नं, पायसं, लड्डूकं च खादामि।
हम अन्न, पायस आऽ लड्डू खाइत छी।
सुब्रमण्यं लेखनीं, करवस्त्रं च आनयतु।
सुब्रमण्यं कलमअ आऽ रुमाल आनू।

सुब्रमण्यं लेखनीं, करवस्त्रं च नयतु।
सुब्रमण्यं कलमअ आऽ रुमाल लए जाऊ।

मम गृहे माता, पिता, भ्राता च सन्ति।
हमर गृहमे माता, पिता आऽ भ्राता छथि।

भवतः गृहे के के सन्ति।
अहाँक गृहमे के के छथि।

भवत्याः गृहे के के सन्ति।
अहाँसभक गृहमे के के छथि।

भवत्याः किम् किम् खादन्ति।
अहाँ सभ की की खाइत छी।

भवत्याः कां कां भाषां जानन्ति।
अहाँ सभ कोन कोन भाषा जनैत छी।

भवन्तः किम् किम् कुर्वन्ति।
अहाँ सभ की की करित छी।

भवती किम् किम् करोति।
अहाँ की की करैत छी।

इदानीं भवन्तः च योजयित्वा वाक्यानि वदन्ति एव।
आम् वदामः।

अहं चेन्नै नगरं, मुम्बइ नगरं, दिल्ली नगरं च दृष्टवान।
हम चेन्नै नगर, मुम्बइ नगर आऽ दिल्ली नगर देखलहुँ।

अहं चेन्नै नगरं, मुम्बइ नगरं, दिल्ली नगरं च दृष्टवती।
हम चेन्नै नगर, मुम्बइ नगर आऽ दिल्ली नगर देखलहुँ।

भवन्तः किम् किम् दृष्टवन्तः।
अहाँ लोकनि की की देखलहुँ।

अभिषेकः कोलाहलं करोति- अतः अहं ताडयामि।
अभिषेक कोलाहल करैत छथि- ताहि द्वारे हम मारैत छियन्हि।

मम बहु पिपासा अतः अहं जलं पीबामि।
हमरा बड़ प्यास लागल अछि ताहि द्वारे हम जल पिबैत छी।

मम बहु बुभुक्षा अस्ति, अतः भोजनं करोमि। हमरा बड़ भूख लागल अछि, ताहि द्वारे भोजन करैत छी।

वाहने ईंधनं नास्ति, अतः वाहनं न चलति। वाहनमे ईंधन नहि अछि, ताहि द्वारे वाहन नहि चलैत अछि।

अतः- उपयोगं कृत्वा वाक्यानि वदन्ति एव।

गोपालः रुग्नः अस्ति, अतः सः शालां न गच्छति।
गोपाल दुःखित अछि, ताहि द्वारे पाठशाला नहि जाइत अछि।
गोपालः रुग्नः अस्ति, अतः निद्रां करोति।
गोपाल दुःखित अछि, ताहि द्वारे सुतैत अछि।

गोपालः रुग्नः अस्ति, अतः चिकित्सालयं गच्छति।
गोपाल दुःखित अछि, ताहि द्वारे चिकित्सालय जाइत अछि।

गोपालः रुग्नः अस्ति, अतः न क्रीडति।
गोपाल दुःखित अछि, ताहि द्वारे नहि खेलाइत अछि।

मंत्री आगच्छति, अतः कार्यक्रमः भवति।
मंत्री अबैत छथि, ताहि द्वारे कार्यक्रम होइत अछि।
मंत्री आगच्छति, अतः सर्वे तम नमन्ति।
मंत्री अबैत छथि, ताहि द्वारे सभ हुनका नमस्कार करैत छथि।
मंत्री आगच्छति, अतः सर्वे उत्तिष्ठन्ति।
मंत्री अबैत छथि, ताहि द्वारे सभ उठैत छथि।

परीक्षा अस्ति, अतः छात्राः निद्रां न कुर्वन्ति।
परीक्षा अछि, ताहि द्वारे सभ छात्र निद्रा नहि करित छथि।
परीक्षा अस्ति, अतः सर्वे छात्राः शालां आगच्छन्ति।
परीक्षा अछि, ताहि द्वारे सभ छात्र पाठशाला अबैत छथि।
परीक्षा अस्ति, अतः वयं सर्वे अधिकः पठामः।
परीक्षा अछि, ताहि द्वारे सभ छात्र अधिक पढ़ैत छथि।
उत्सवः अस्ति, अतः अहं सम्यक् मधुरं खादामि।
उत्सव अछि, ताहि द्वारे हम बहुत रास मधुर खाइत छी।
उत्सवः अस्ति, अतः सर्वे जनाः उत्सुकाः भवन्ति।
उत्सव अछि, ताहि द्वारे सभ लोक उत्सुक होइत छथि।

उत्सवः अस्ति, अतः सर्वे जनाः देवालयं गच्छन्ति।
उत्सव अछि, ताहि द्वारे सभ लोक देवालय जाइत छथि।

मम हस्ते नानकम् अस्ति। हमर हाथमे पाइ अछि।
नानकम वाम हस्ते अस्ति वा दक्षिण हस्ते अस्ति वा?
पाइ बाम हाथमे अछि आकि दहिन हाथमे अछि?
वदन्तु। बाजए जाऊ।
वाम हस्ते। न दक्षिण हस्ते।
बाम हाथमे। नहि दक्षिण हाथमे।
नानकं वाम हस्ते एव अस्ति।
पाइ बाम हाथहिमे अछि।

अहं चायम् एव पिबामि।
हम चाहेटा पिबैत छी।
मम पिता कार्यालय एव अस्ति।
हमर पिता कार्यालयअहि मे छथि।
अहं सत्यमेव वदामि।
हम सत्ये टा बजैत छी।
अहं प्रातः रोटिकां खादामि।
हम भोरमे सोहारी खैत छी।

अत्र एव योजयित्वा वाक्यं वदन्ति एव- यथा अहं प्रातः एव रोटिकां खादामि। सायंकाले खादन्ति। न। मध्याह्णकाले खादन्ति। न।

मालती। आम। मम उपनेत्रं कुत्र अस्ति।
मालती। हँ। हमर चश्मा कतए अछि।
तत्रैव अस्ति। ओतहि अछि।
अत्र कुत्रापि नास्ति एव खलु।
एतए कतहु नहि अछि।
तत्रैव अस्ति भः।
ओतहि अछि, यौ।
अत्र नास्ति एव। एतए नहि अछि।
अहं जानामि भोः। तत्रैव अस्ति।
हम जनैत छी। ओतहि अछि।
अत्र नास्ति एव भोः।
एतए नहि अछि।
अहो पश्यतु। अत्रैव अस्ति।
अहा। देखू। एतहि अछि।

अहं प्रतिदिनं शालां गच्छामि।
हम सभ दिन पाठाशाला जाइत छी।

अहं न श्रुतवान। सः किम् इति उक्तवान।
हम नहि सुनलहुँ। ओऽ की बजलाह।
सः अहं प्रतिदिनं शालां गच्छामि इति उक्तवान।
ओऽ हम सभ दिन पाठशाला जाइत छी ई बजलाह।

सा किम् इति उक्तवती।
ओऽ की बजलीह।
सा रमा प्रतिदिनं देवालयं गच्छति इति उक्तवती।
ओऽ रमा प्रतिदिन विद्यालय जाइत छथि ई बजलीह।
अहम् एकं शब्दं लिखामि।
हम एकटा शब्द लिखैत छी।

अहं किम् इति लिखितवान।
हम की लिखलहुँ।
भवान् परीक्षा इति लिखितवान।
अहाँ परीक्षा ई लिखलहुँ।

सः कर्णे किम् वदति।
ओऽ कानमे की बजैत छथि।
एषः अहं शालां गच्छामि, इति उक्तवान।
ई हम पाठशाला जाइत छी, ई बजलाह।


साधयतु अथवा विनश्यतु, इति महात्मा गाँधी उक्तवान।
करू वा मरू ई महात्मा गाँधी बजलाह।
(कः किम् इति उक्तवान।
के की बजलाह।)

अहं पत्राणि प्रदर्शयामि।

शरीर माध्यं खलु धर्म साधनम् इति कालिदासः उक्तवान।
शरीर मात्र धर्मक साधनक माध्यम ई कालिदास बजलाह।

जय जवान जय किसान इति लाल बहादुर शास्त्री उक्तवान।
जय जवान जय किसान ई लाल बहादुर शास्त्री बजलाह।

गृहे माता अस्ति। माता सम्यक पठतु इति वदति।
गृहमे माता छथि। माता मोनसँ पढ़ु ई बजैत छथि।

मम माता अधिकं दूरदर्शनं न पश्यतु इति उक्तवती।
हमर माता बेशी दूरदर्शन नहि देखू ई बाजल/ बजलीह।

मम पिता सत्यं वद इति उक्तवान।
हमर पिता सत्य बाजू ई बजलाह।

गृहे अन्य के के किम् वदन्ति इति वदतु।
घरमे आन के के की की बहैत छथि से बाजू।
८. मिथिला कला (आगां) श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर, उम्र 60 वर्ष, ग्राम- हैँठी-बाली, जिला मधुबनी।
नीचाँक चित्र अँगनाक पश्चिममे बनल कुल-देवताक घर जे ’गोसाउनि घर’ कहबैत अछि, ओतए बनाओल जाइत अछि। पश्चिम देबाल पर कारी छोड़ि दोसर रंगसँ ई चित्र बनाओल जाइत अछि। एकरे सरोवर कहल जाइत छैक।

अनुवर्तते)
९. पाबनि संस्कार तीर्थ
डिस्कवरी ऑफ मिथिला
१.गौरी-शंकर स्थान- मधुबनी जिलाक जमथरि गाम आऽ हैंठी बाली गामक बीच ई स्थान गौरी आऽ शङ्करक सम्मिलित मूर्त्ति आऽ एहि पर मिथिलाक्षरमे लिखल पालवंशीय अभिलेखक कारणसँ विशेष रूपसँ उल्लेखनीय अछि। ई स्थल एकमात्र पुरातन स्थल अछि जे पूर्ण रूपसँ गामक उत्साही कार्यकर्त्ता लोकनिक सहोयोगसँ पूर्ण रूपसँ विकसित अछि। शिवरात्रिमे एहि स्थलक चुहचुही देखबा योग्य रहैत अछि। बिदेश्वरस्थानसँ २-३ किलोमीटर उत्तर दिशामे ई स्थान अछि।
२.भीठ-भगवानपुर अभिलेख- राजा नान्यदेवक पुत्र मल्लदेवसँ संबंधित अभिलेख एतए अछि। मधुबनी जिलाक मधेपुर ठानामे ई स्थल अछि।
३.हुलासपट्टी- मधुबनी जिलाक फुलपरास थानाक जागेश्वर स्थान लग हुलासपट्टी गाम अछि। कारी पाथरक विष्णु भगवानक मूर्त्ति एतए अछि।
४.पिपराही-लौकहा थानाक पिपराही गाममे विष्णुक मूर्त्तिक चारू हाथ भग्न भए गेल अछि।
५.मधुबन- पिपराहीसँ १० किलोमीटर उत्तर नेपालक मधुबन गाममे चतुर्भुज विष्णुक मूर्त्ति अछि।
६.अंधरा-ठाढ़ीक स्थानीय वाचस्पति संग्रहालय- गौड़ गामक यक्षिणीक भव्य मूर्त्ति एतए राखल अछि।
७.कमलादित्य स्थान- अंधरा ठाढ़ी गामक लगमे कमलादित्य स्थनक विष्णु मंदिर कर्णाट राजा नान्यदेवक मंत्री श्रीधर दास द्वारा स्थापित भेल।
८.झंझारपुर अनुमण्डलक रखबारी गाममे वृक्ष नीचाँ राखल विष्णु मूर्त्ति, गांधारशैली मे बनाओल गेल अछि।
९.पजेबागढ़ वनही टोल- एतए एकटा बुद्ध मूर्त्ति भेटल छल, मुदा ओकर आब कोनो पता नहि अछि। ई स्थल सेहो रखबारी गाम लग अछि।
१०.मुसहरनियां डीह- अंधरा ठाढ़ीसँ ३ किलोमीटर पश्चिम पस्टन गाम लग एकटा ऊंच डीह अछि।बुद्धकालीन एकजनियाँ कोठली, बौद्धकालीन मूर्त्ति, पाइ, बर्त्तनक टुकड़ी आऽ पजेबाक अवशेष एतए अछि।
११.भगीरथपुर- पण्डौल लग भगीरथपुर गाममे अभिलेख अछि जाहिसँ ओइनवार वंशक अंतिम दुनू शासक रामभद्रदेव आऽ लक्ष्मीनाथक प्रशासनक विषयमे सूचना भेटैत अछि।
१२.अकौर- मधुबनीसँ २० किलोमीटर पश्चिम आऽ उत्तरमे अकौर गाममे एकटा ऊँच डीह अछि, जतए बौद्धकालक मूर्त्ति अछि।
१३.बलिराजपुर किला- मधुबनी जिलाक बाबूबरही प्रखण्डसँ ३ किलोमीटर पूब बलिराजपुर गाम अछि। एकर दक्षिण दिशामे एकटा पुरान किलाक अवशेष अछि। किला पौन किलोमीटर नमगर आऽ आध किलोमीटर चाकर अछि। दस फीटक मोट देबालसँ ई घेरल अछि।
१४. असुरगढ़ किला- मिथिलाक दोसर किला मधुबनी जिलाक पूब आऽ उत्तर सीमा पर तिलयुगा धारक कातमे महादेव मठ लग ५० एकड़मे पसरल अछि।
१५.जयनगर किला- मिथिलाक तेसर किला अछि भारत नेपाल सीमा पर प्राचीन जयपुर आऽ वर्त्तमान जयनगर नगर लग। दरभंगा लग पंचोभ गामसँ प्राप्त ताम्र अभिलेख पर जयपुर केर वर्णन अछि।
१६.नन्दनगढ़- बेतियासँ १२ मील पश्चिम-उत्तरमे ई किला अछि। तीन पंक्त्तिमे १५ टा ऊँच डीह अछि।
१७.लौरिया-नन्दनगढ़- नन्दनगढ़सँ उत्तर स्थित अछि, एतए अशोक स्तंभ आऽ बौद्ध स्तूप अछि।
१८.देकुलीगढ़- शिवहर जिलासँ तीन किलोमीटर पूब हाइवे केर कातमे दू टा किलाक अवशेष अछि। चारू दिशि खाइ अछि।
१९.कटरागढ़- मुजफ्फरपुरमे कटरा गाममे विशाल गढ़ अछि, देकुली गढ़ जेकाँ चारू कात खधाइ खुनल अछि।
२०.नौलागढ़-बेगुसरायसँ २५ किलोमीटर उत्तर ३५० एकड़मे पसरल ई गढ़ अछि।
२१.मंगलगढ़-बेगूसरायमे बरियारपुर थानामे काबर झीलक मध्य एकटा ऊँच डीह अछि। एतए ई गढ़ अछि।
२२.अलौलीगढ़-खगड़ियासँ १५ किलोमीटर उत्तर अलौली गाम लग १०० एकड़मे पसरल ई गढ़ अछि।
२३.कीचकगढ़-पूर्णिया जिलामे डेंगरघाटसँ १० किलोमीटर उत्तर महानन्दा नदीक पूबमे ई गढ़ अछि।
२४.बेनूगढ़-टेढ़गछ थानामे कवल धारक कातमे ई गढ़ अछि।
२५.वरिजनगढ़-बहादुरगंजसँ छह किलोमीटर दक्षिणमे लोनसवरी धारक कातमे ई गढ़ अछि।
२६.गौतम तीर्थ- कमतौल स्टेशनसँ ६ किलोमीटर पश्चिम ब्रह्मपुर गाम लग एकटा गौतम कुण्ड पुष्करिणी अछि।
२७.हलावर्त्त- जनकपुरसँ ३५ किलोमीटर दक्षिण पश्चिममे सीतामढ़ी नगरमे हलवेश्वर शिव मन्दिर आऽ जानकी मन्दिर अछि। एतएसँ देढ़ किलोमीटर पर पुण्डरीक क्षेत्रमे सीताकुण्ड अछि। हलावर्त्तमे जनक द्वार हर चलएबा काल सीता भेटलि छलीह। राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी) आऽ जानकी नवमी (वैशाख शुक्ल नवमी) पर एतए मेला लगैत अछि।
२८.फुलहर-मधुबनी जिलाक हरलाखी थानामे फुलहर गाममे जनकक पुष्पवाटिका छल जतए सीता फूल लोढ़ैत छलीह।
२९.जनकपुर-बृहद् विष्णुपुराणमे मिथिलामाहात्म्यमे जनकपुर क्षेत्रक वर्णन अछि। सत्रहम शताब्दीमे संत सूर किशोरकेँ अयोध्यामे सरयू धारमे राम आऽ जानकीक दू टा भव्य मूर्त्ति भेटलन्हि, जकरा ओऽ जानकी मन्दिर, जनकपुरमे स्थापित कए देलन्हि। वर्त्तमान मन्दिरक स्थापना टीकमगढ़क महारानी द्वारा १९११ ई. मे भेल। नगरक चारूकात यमुनी, गेरुखा आऽ दुग्धवती धार अछि। राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी),जानकी नवमी (वैशाख शुक्ल नवमी) आऽ विवाह पंचमी (अगहन शुक्ल पंचमी) पर एतए मेला लगैत अछि।
३०.धनुषा- जनकपुरसँ १५ किलोमीटर उत्तर धनुषा स्थानमे पीपरक गाछक नीचाँ एकटा धनुषाकार खण्ड पड़ल अछि। रामक तोड़ल ई धनुष अछि। एहिसँ पूब वाणगंगा धार बहैत अछि जे लक्ष्मण द्वारा वाणसँ उद्घाटित भेल छल।
३१.सुग्गा-जनकपुर लग जलेश्वर शिवधामक समीप सुग्गा ग्राममे शुकदेवजीक आश्रम अछि। शुकदेवजी जनकसँ शिक्षा लेबाक हेतु मिथिला आयल छ्लाह- एहि ठाम हुनकर ठहरेबाक व्यवस्था भेल छल।
३२.सिंहेश्वर- मधेपुरासँ ५ किलोमीटर गौरीपुर गाम लग सिंहेश्वर शिवधाम अछि।
३३.कपिलेश्वर-कपिल मुनि द्वार स्थापित महादेव मधुबनीसँ ६ किलोमीटर पश्चिमम्,मे अछि।
३४.कुशेश्वर- समस्तीपुरसँ उत्तर ई एकटा प्रसिद्ध शिवस्थान अछि।
३५.सिमरदह-थलवारा स्टेशन लग शिवसिंह द्वारा बसाओल शिवसिंहपुर गाम लग ई शिवमन्दिर अछि।
३६.सोमनाथ- मधुबनी जिलाक सौराठ गाममे सभागाछी लग सोमदेव महादेव छथि।
३७.मदनेश्वर- मधुबनी जिलाक अंधरा ठाढ़ीसँ ४ किलोमीटर पूब मदनेश्वर शिव स्थान अछि।
३८.बसैटी अभिलेख- पूणियाँमे श्रीनगर लग मिथिलाक्षर ई अभिलेख मिथिलाक पहिल महिला शासक रानी इद्रावतीक राज्यकालक वर्णन करैत अछि। एकर आधार पर मदनेश्वर मिश्र ’एक छलीह महारानी’ उपन्यास सेहो लिखने छथि।
३९.चण्डेश्वर- झंझारपुरमे हररी गाम लग चण्डेश्वर ठाकुर द्वारा स्थापितचण्डेश्वर शिवस्थान अछि।
४०.बिदेश्वर-मधुबनी जिलामे लोहनारोड स्टेशन लग स्थित शिवधाम स्थापना महाराज माधवसिंह कएलन्हि। ताहि युगक मिथिलाक्षरमे अभिलेख सेहो एतए अछि।
४१.शिलानाथ- जयनगर लग कमला धारक कातमे शिलानाथ महादेव छथि।
४२.उग्रनाथ-मधुबनीसँ दक्षिण पण्डौल स्टेशन लग भवानीपुर गाममे उगना महादेवक शिवलिंग अछि। विद्यापतिकेँ प्यास लगलन्हि तँ उगनारूपी महादेव जटासँ गंगाजल निकालि जल पिएलखिन्ह। विद्यापतिक हठ कएला पर एहि स्थान पर गना हुनका अपन असल शिवरूपक दर्शन देलखिन्ह।
४३.उच्चैठ छिन्नमस्तिका भगवती- कमतौल स्टेशनसँ १६ किलोमीटर पूर्वोत्तर उच्चैठमे कालिदास भगवतीक पूजा करैत छलाह। भगवतीक मौलिक मूर्त्ति मस्तक विहीन अछि।
४४.उग्रतारा-मण्डन मिश्रक जन्मभूमि महिषीमे मण्डनक गोसाउनि उग्रतारा छथि।
४५.भद्रकालिका- मधुबनी जिलाक कोइलख गाममे भद्रकालिका मंदिर अछि।
४६.चामुण्डा-मुजफ्फर्पुर जिलामे कटरगढ़ लग लक्ष्मणा वा लखनदेइ धार लग दुर्गा द्वारा चण्ड-मुण्डक वध कएल गेल। ओहि स्थान पर ई मन्दिर अछि।
४७.परसा सूर्य मन्दिर- झंझारपुरमे सग्रामसँ पाँच किलोमीटर पूर्व परसा गाममे सढ़े चारि फीटक भव्य सूर्य मूर्त्ति भेटल अछि।
४८.बिसफी- मधुबनी जिलाक बेनीपट्टी थानामे कमतौल रेलवे स्टेशनसँ ६ किलोमीटर पूब आऽ कपिलेश्वर स्थानसँ ४ किलोमीटर पश्चिम बिसफी गाम अछि। विद्यापतिक जन्म-स्थान ई गाम अछि। एतए विद्यापतिक स्मारक सेहो अछि।
४९.मंदार पर्वत-बांका स्थित स्थलमे मिथिलाक्षरक गुप्तवंशीय ७म् शताब्दीक अभिलेख अछि। समुद्र मंथनक हेतु मंदारक प्रयोग भेल छल।
५०.विक्रमशिला-भागलपुरमे स्थित ई विश्वविद्यालय बौद्ध नालन्दा विश्वविद्यालयक विपरीत सनातन धर्मक शिक्षाक केन्द्र रहल।
५१.मिथिलाक बीस टा सिद्ध पीठ- १.गिरिजास्थान(फुलहर,मधुबनी),२.दुर्गास्थान(उचैठ, मधुबनी),३.रहेश्वरी(दोखर,मधुबनी),४.भुवनेश्वरी स्थान(भगवतीपुर,मधुबनी),५.भद्रकालिका(कोइलख, मधुबनी),६.चमुण्डा स्थान(पचाही, मधुबनी),७.सोनामाइ(जनकपुर, नेपाल),८.योगनिद्रा(जनकपुर, नेपाल)९.कालिका स्थान(जनकपुर स्थान),१०.राजेश्वरी देवी(जनकपुर, नेपाल),११.छिनमस्ता देवी(उजान, मधुबनी),१२.बन दुर्गा(खररख, मधुबनी),१३.सिधेश्वरी देवी(सरिसव, मधुबनी),१४.देवी-स्थान(अंधरा ठाढ़ी,मधुबनी),१५.कंकाली देवी(भारत नेपाल सीमा आऽ रामबाग प्लेस, दरभंगा)१६.उग्रतारा(महिषी, सहरसा), १७.कात्यानी देवी(बदलाघाट, सहरसा),१८.पुरन देवी(पूर्णियाँ),१९.काली स्थान(दरभंगा),२०.जैमंगलास्थान(मुंगेर)
१०. संगीत शिक्षा-गजेन्द्र ठाकुर
रामाश्रय झा “रामरग” (१९२८- ) विद्वान, वागयकार, शिक्षक आऽ मंच सम्पादक छथि।
अभिनव गीतांजलि, हुनकर उच्चकोटिक शास्त्र रचना अछि, जे पाँच भागमे अछि। अपन साहित्यिक वाणी, शाब्दिक रूप जे होइत अछि कोनो संगीत रचनाक, आऽ धातु जे अछि स्वरक लयक रचना आऽ एहि सभ गुणसँ युक्त्त छथि “रामरंग”। रामरंगक बंदिश वा रचनामे अहाँकेँ भेटत स्वर, शब्द आऽ मात्राक लयबद्ध बंधन। पुरान ध्रुपद जेकाँ पद्य आऽ स्वरकेँ ओऽ तेनाकेँ बान्हि दैत छथि, जे दुनू एक दोसरमे मिलि जाइत अछि। हुनकर रचना हुनकर उच्चारणसँ मिलि कए मौलिक तात्त्विक स्थायी भरण, सभ बितैत दिन एकटा नव आत्मनिरीक्षण एकटा नव स्थायी।
रामरंगमे संगीतक लाक्षणिक तत्त्व प्रखर होइत छन्हि। संगीतक व्याकरणक सम्पूर्ण पकड़ छन्हि, जाहिसँ उचित शब्दक प्रयोगक निर्णय ओऽ कए पबैत छथि। छन्द शास्त्रक, कोषक, अलंकारक, भावक आऽ रसक वृहत् ज्ञान छन्हि रामरंगकेँ। संगहि स्थानीय संस्कृतिक, विभिन्न भाषाक आऽ ललित कलाक सिद्धान्तक सेहो गहन अध्ययन छन्हि रामाश्रय झा जीकेँ। वादन, गाय आऽ नृत्यक, साधल-कण्ठ, लय-ताल-काल, देशी राग, दोसराक मनसमे जाऽ कए बुझनिहार, नव लय आऽ अभ्व्यक्त्ति, प्रबन्धक समस्त ज्ञान, कम समयमे गीत रचना, विभिन्न मौखिक संरचना निर्माण, आलापक प्रदर्शन आऽ गमक एहि सभटामे पारंगत छथि रामरंग।


११. बालानां कृते-गजेन्द्र ठाकुर
बालानां कृते
-गजेन्द्र ठाकुर
१.मूर्खाधिराज-गजेन्द्र ठाकुर
२. देवीजी: पिंजराक पक्षी- ज्योति झा चौधरी
१.मूर्खाधिराज

चित्र: ज्योति झा चौधरी
एकटा गोपालक छल। तकर एकटा बेटा छल। ओकर कनियाँ पुत्रक जन्मक समय मरि गेलीह। बा बच्चाक पालन कएलन्हि। मुदा ओऽ बच्चा छल महामूर्ख। जखन ओऽ बारह वर्षक भेल तखन ओकर विवाह भए गेल। मुदा ओऽ विवाहो बिसरि गेल।
बुढ़िया बाकेँ काज करएमे दिक्कत होइत छलन्हि। से ओऽ बुझा-सुझाकेँ ओकरा कनियाकेँ द्विरागमन करा कए अनबाक हेतु कहलन्हि। बा ओकरा गमछामे रस्ता लेल मुरही बान्हि देलन्हि। रस्तामे बच्चाकेँ भूख लगलैक। ओऽ गमछासँ मुरही निकालि कए जखने मुँहमे देबए चाहैत छल आकि मुरही उड़ि जाइत छल। बच्चा बाजए लागल- आऊ, आऊ उड़ि जाऊ।
लगमे बोनमे एकटा चिड़ीमार जाल पसारने छल, मुदा बच्चाक गप सुनि कए ओकरा बड्ड तामस उठलैक। ओकरा लगलैक जेना ई बच्चा ओकर चिड़ैकेँ उड़ाबए चाहैत अछि। चिड़ीमार बच्चाकेँ पकड़ि कए पुष्ट पिटान पिटलक। बच्चा पुछलक- हमर दोख तँ कहू? चिड़ीमार कहलक- एना नहि। एना बाजू। आबि जो। फँसि जो।
आब बच्चा सैह बजैत आगू जाए लागल। आब साँझ भए रहल छल। बोन खतम होएबला छल। ओतए चोर सभ चोरिक योजना बनाए रहल छलाह। ओऽ सभ सुनलन्हि जे ई बच्चा हमरा सभकेँ पकड़ाबए चाहैत अछि। से ओऽ लोकनि सेहो ओकरा पुष्ट पिटान पिटलन्हि। बच्चा फेर पुछलक- हम बाजी तँ की बाजी? चोरक सरदार कहलक- बाज जे एहन सभ घरमे होए।
आब बच्चा यैह कहैत आगाँ बढ़ए लागल। आब श्मसानभूमि आबि गेल। एकटा जमीन्दारक एकेटा बेटा छलैक। से मरि गेल छल आऽ सभ ओकरा डाहबाक लेल आबि रहल छलाह। ओऽ लोकनि बच्चाक गप पर बड़ कुपित भेलाह आऽ ओकरा पुष्ट पिटलन्हि। फेर जखन बच्चा पुछलक जे की बाजब उचित होएत तँ सभ गोटे कहलखिन्ह जे एना बाजू- एहन कोनो घरमे नहि होए। बच्चा यैह गप बाजए लागल। आब नगर आबि गेल छल आऽ राजाक बेटाक विवाहक बाजा-बत्ती सभ भए रहल छल। बरियाती लोकनि बच्चाकेँ कहैत सुनलन्हि जे एहन कोनो घरमे नहो होए तँ ओऽ लोकनि क्रोधित भए फेर ओहि बच्चाकेँ पिटपिटा देलखिन्ह। जखन बच्चा पुछलक जे की बजबाक चाही तँ सभ कहलकन्हि जे किछु नहि बाजू। मुँह बन्न राखू।
बच्चा सासुर आबि गेल। ओतए नहिये किछु बाजल नहिये किछु खएलक, कारण खएबामे मुँह खोलए पड़ितैक। भोरे सकाले सासुर बला सभ अपन बेटीकेँ ओहि बच्चाक संग बिदा कए देलन्हि। रस्तामे बड्ड प्रखर रौद छलैक। ओऽ सुस्ताए लागल। मुदा कलममे सेहो बड्ड गुमार छलैक। कनियाकेँ बड्ड घाम खसए लगलैक आऽ ताहिसँ ओकर सिन्दूर धोखरि गेलैक। बच्चाकेँ भेलैक जे सासुर बला ओकरासँ छल कएलक आऽ ओकरा भँगलाहा कपार बला कनियाँ दए जाइ गेल अछि। एहन कनियाँकेँ गाम पर लए जाय ओऽ की करत। ओऽ तखने एकटा हजामकेँ बकरी चरबैत देखलक। ओकरासँ अपन पेटक बात कहबाक लेल अपन मुँह खोललक आऽ सभटा कहि गेल। हजाम बुझि गेल जे ई बच्चा मूर्खाधिराज अछि। ओऽ ओकरा अपन दूध दए बाली बकड़ीक संग कनियाँक बदलेन करबाक हेतु कहलक। बच्चा सहर्ष तैयार भए गेल। आगू ओऽ बच्चा सुस्ताए लागल आऽ खुट्टीसँ बकड़ीकेँ बान्हि देलक। बकड़ी पाउज करए लागल तँ बच्चाकेँ भेलैक जे बकड़ी ओकर मुँह दूसि रहल अछि। ओऽ ओकरा हाट लए गेल आऽ कदीमाक संग ओकरो बदलेन कए लेलक। गाम पर जखन ओऽ पहुँचल तँ ओकर बा बड्ड प्रसन्न भेलीह। हुनका भेलन्हि जे कनियाँक नैहरसँ सनेसमे कदीमा आएल अछि। मुदा कनियाँकेँ नहि देखि तकर जिगेसा कएलन्हि तँ बच्चा सभटा खिस्सा सुना देलकन्हि। ओऽ माथ पीटि लेलन्हि। मुदा बच्चा ई कहैत खेलाए चलि गेल जे कदीमाक तरकारी बना कए राखू।
२. देवीजी: पिंजराक पक्षी



चित्र: ज्योति झा चौधरी

एकटा शिक्षिका छलीह, जिनका गाम पर सभ देवी जी कहैत छलन्हि। हुनकासॅं सभ विद्यार्थी डेराइतो छल, मुदा सम्मान सेहो करैत छल। एक दिन ओऽ एकटा कक्षामे गेलीह तँ हुनका एकटा छात्र पिंजरामे बंद एकटा सुग्गा देलकन्हि, जकरा 'देवी जी’ बजनाइ सिखा देल गेल छल । ओकरा बजैत सुनि सभ छात्र प्रसन्न भऽ हॅंसऽ लागल। देवीजी ओकरा तत्काल स्वीकार कऽ पढाबऽ मे लागि गेलीह । बादमे ओऽ ओहि बालकसँ पुछलखिन्ह जे '' जौं अहाँकेँ क्यो अपन शौक पूरा करऽ लेल सभसँ अलग कऽ छोट जगह पर बान्हि कऽ राखए तँ केहन लागत। हमरा एहि भेँटसँ कोनो खुशी नहि भेल”। बालककेँ अपन गलतीक अनुभव तुरत भऽ गेलैक। ओऽ तुरत ओहि पक्षीकेँ पिंजरासॅं मुक्त कऽ देलक।
अगिला दिन देवी जी सभकेँ पक्षी देखबाक अलग तरीका सिखेलखिन्ह। पाठशालाक प्रांगणक एकान्त स्थान पर एकटा पुरान टेबुल राखि देलखिन्ह। ताहि पर मकई, चाउर, गहुम, अंकुरैल चना, रोटीक टुकड़ा, कटोरीमे पानि आदि राखि देलखिन्ह। सभ क्यो दूर बैसि कऽ प्रतीक्षा करऽ लगलैथ। कनिके देरीमे तरह-तरहक पक्षी ओतए हलचल करय लागल। ई दृष्य सभक लेल ओहि पिंजरामे पक्षी देखबासँ बेसी सुखद छलैक। तखन देवीजी कहलखिन्ह ''असली खुशी दोसराक खुश करबामे छैक। अपन स्वार्थ मात्र लेल दोसराकेँ कष्ट देनाइ पाप कहाइत छैक। सभ बच्चा शपथ लेलक जे आब कोनो पक्षीकेँ पिंजरामे बन्द नहि करत।
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बच्चा लोकनि द्वारा स्मरणीय श्लोक
१.प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त्त (सूर्योदयक एक घंटा पहिने) सर्वप्रथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई श्लोक बजबाक चाही।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
करक आगाँ लक्ष्मी बसैत छथि, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ब्रह्मा स्थित छथि। भोरमे ताहि द्वारे करक दर्शन करबाक थीक।
२.संध्या काल दीप लेसबाक काल-
दीपमूले स्थितो ब्रह्मा दीपमध्ये जनार्दनः।
दीपाग्रे शङ्करः प्रोक्त्तः सन्ध्याज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
दीपक मूल भागमे ब्रह्मा, दीपक मध्यभागमे जनार्दन (विष्णु) आऽ दीपक अग्र भागमे शङ्कर स्थित छथि। हे संध्याज्योति! अहाँकेँ नमस्कार।
३.सुतबाक काल-
रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।
शयने यः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नस्तस्य नश्यति॥
जे सभ दिन सुतबासँ पहिने राम, कुमारस्वामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक स्मरण करैत छथि, हुनकर दुःस्वप्न नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
४. नहेबाक समय-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू॥
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु आऽ कावेरी धार। एहि जलमे अपन सान्निध्य दिअ।
५.उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
समुद्रक उत्तरमे आऽ हिमालयक दक्षिणमे भारत अछि आऽ ओतुका सन्तति भारती कहबैत छथि।
६.अहल्या द्रौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।
पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशकम्॥
जे सभ दिन अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एहि पाँच साध्वी-स्त्रीक स्मरण करैत छथि, हुनकर सभ पाप नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
७.अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरञ्जीविनः॥
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनूमान्, विभीषण, कृपाचार्य आऽ परशुराम- ई सात टा चिरञ्जीवी कहबैत छथि।
८.साते भवतु सुप्रीता देवी शिखर वासिनी
उग्रेन तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।
सिद्धिः साध्ये सतामस्तु प्रसादान्तस्य धूर्जटेः
जाह्नवीफेनलेखेव यन्यूधि शशिनः कला॥
९. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥

१२. पञ्जी प्रबंध-गजेन्द्र ठाकुर
पञ्जी प्रबंध

पंजी-संग्राहक- श्री विद्यानंद झा पञ्जीकार (प्रसिद्ध मोहनजी)
श्री विद्यानन्द झा पञीकार (प्रसिद्ध मोहनजी) जन्म-09.04.1957,पण्डुआ, ततैल, ककरौड़(मधुबनी), रशाढ़य(पूर्णिया), शिवनगर (अररिया) आ’ सम्प्रति पूर्णिया। पिता लब्ध धौत पञ्जीशास्त्र मार्त्तण्ड पञ्जीकार मोदानन्द झा, शिवनगर, अररिया, पूर्णिया|पितामह-स्व. श्री भिखिया झा | पञ्जीशास्त्रक दस वर्ष धरि 1970 ई.सँ 1979 ई. धरि अध्ययन,32 वर्षक वयससँ पञ्जी-प्रबंधक संवर्द्धन आ' संरक्षणमे संल्गन। कृति- पञ्जी शाखा पुस्तकक लिप्यांतरण आ' संवर्द्धन- 800 पृष्ठसँ अधिक अंकन सहित। पञ्जी नगरमिक लिप्यान्तरण ओ' संवर्द्धन- लगभग 600 पृष्ठसँ ऊपर(तिरहुता लिपिसँ देवनागरी लिपिमे)। गुरु- पञ्जीकार मोदानन्द झा। गुरुक गुरु- पञ्जीकार भिखिया झा, पञ्जीकार निरसू झा प्रसिद्ध विश्वनाथ झा- सौराठ, पञ्जीकार लूटन झा, सौराठ। गुरुक शास्त्रार्थ परीक्षा- दरभंगा महाराज कुमार जीवेश्वर सिंहक यज्ञोपवीत संस्कारक अवसर पर महाराजाधिराज(दरभंगा) कामेश्वर सिंह द्वारा आयोजित परीक्षा-1937 ई. जाहिमे मौखिक परीक्षाक मुख्य परीक्षक म.म. डॉ. सर गंगानाथ झा छलाह।
संस्कृत श्लोकक अर्थ एवं प्रकारे अछि-
*वरक मातृकुलक पुरुषसँ कन्या पाँचम पीढ़ी धरिक सन्तान नहि होथि।वरक पितृकुलक छठम पीढ़ी धरिक सन्तान नहि होथि।
*जे कन्या वरक मातृ कुल ओऽ पितृकुलक सपिण्ड अहि होथि से द्विजाति वरक हेतु उद्वाह कर्मक लेल प्रशस्त।
*मातृकुलमे पाँच आऽ पितृकुलमे सात पीढ़ी धरि सपिण्ड रहैछ।

कोनो कन्याक छठिक अन्वेषण हेतु ३२ मूलक उतेढ बनाबए पड़ैत छैक। ताहिमे सर्वप्रथम उतेढ़क वाम भागमे कन्याक ग्राम, मूल ग्राम लिखल जाइत छैक। तहिसँ अव्यवहित दहिन भागमे मूल आऽ तकर नीचाँ कन्याक अति वृद्ध प्रपितामह, वृद्ध प्रपितामह, वृद्ध पितामह, प्रपितामह, पितामह आऽ तखन पिताक नामोल्लेख अवरोही क्रमसँ लिखल जाइत छैक। एहि मध्य वृद्ध प्रपितामह पहिल छठि कहओताह, जनिकासँ कन्या छठम स्थानमे पड़ैत छैक। प्रस्तुत उदाहरणमे करमहा मूलक बेहट मूलग्रामक विट्ठो ग्रामवासी (दरभंगा) पीताम्बर झाक पौत्री श्री शशिनाथ झाक पुत्री भौर ग्रामवासी खण्डबला मूलक भौर मूलग्रामक नारायणदत्त ठाकुरक दौहित्री- धरमपुर दरभंगा- क अधिकार दरिहरा मूलक रतौली मूलग्रामक लोहनावासी गोपीनन्द झाक पौत्र श्री कृष्णानन्द झाक बालक करमहा मूलक बेहट मूल ग्रामक बिट्ठो निवासी कन्हैय्या झाक दौहित्रसँ जँचबाक अछि।
द्वितीय छठि-
(अनुवर्तते)

१३. संस्कृत मिथिला –गजेन्द्र ठाकुर
संस्कृत मिथिला
-गजेन्द्र ठाकुर

जनक
’वैदेह राजा’ ऋगवेदिक कालक नमी सप्याक नामसँ छलाह, यज्ञ करैत सदेह स्वर्ग गेलाह। ऋगवेदमे वर्णन अछि। ओऽ इन्द्रक संग देलन्हि असुर नमुचीक विरुद्ध आऽ ताहिमे इन्द्र हुनका बचओलन्हि।
पुरोहित गौतम राहूगण ऋगवेदक एकटा महत्त्वपूर्ण ऋषि छथि। शुक्ल यजुरवेदक लेखक रूपमे याज्ञवल्क्य प्रसिद्ध छथि। शतपथ ब्राह्म्णक माथव विदेह आऽ पुराणक निमि दुनू गोटेक पुरोहित गौतम छथि से दुनू एके छाथि आऽ एतएसँ विदेह राज्यक प्रारम्भ देखल जाऽ सकैत अछि। माथवक पुरहित गौतम मित्रविन्द यज्ञक/बलिक प्रारम्भ कएलन्हि आऽ पुनः एकर पुनःस्थापना भेल महाजनक २ केर समयमे याज्ञवल्क्य द्वारा। निमि गौतमक आश्रमक लग जयन्त आऽ मिथि जिनका मिथिला नामसँ सेहो सोर कएल जाइत छन्हि, मिथिला नगरक निर्माण कएलन्हि।
’सीरध्वज जनक’ सीताक पिता छथि आऽ एतयसँ मिथिलाक राजाक सुदृढ़ परम्परा देखबामे अबैत अछि। ’कृति जनक’ सीरध्वजक बादक 18म पुस्तमे भेल छलाह।
कृति हिरण्यनाभक पुत्र छलाह, आऽ जनक बहुलाश्वक पुत्र छलाह। याज्ञवलक्य हिरण्याभक शिष्य छलाह, हुनकासँ योगक शिक्षा लेने छलाह। कराल जनक द्वारा एकटा ब्राह्मण युवतीक शील-अपहरणक प्रयास भेल आऽ जनक राजवंश समाप्त भए गेल (अश्वघोष-बुद्धचरित आऽ कौटिल्य-अर्थशास्त्र)
१४.मैथिली भाषापाक
इंग्लिश-मैथिली कोष
मैथिली-इंग्लिश कोष

इंग्लिश-मैथिली कोष प्रोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेल द्वारा ggajendra@yahoo.co.in वा ggajendra@videha.co.in पर पठाऊ।
मैथिली-इंग्लिश कोष प्रोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेल द्वारा ggajendra@yahoo.co.in वा ggajendra@videha.co.in पर पठाऊ।



adh-annt अधअन्नी् आधा आनाक सिक्काt। half an anna coin n
adhaor अधजोड़ पंजेबा आदिक आधा खण्ड । half piece (of brick etc) n
adhað° अद्य:0 नीचा दिस। down adv n नीचॉं खसब, हास। down-fall. Also अधस्0 अधो0।
adhak अधक1 क्षिप्तस विलोकन, अझक। passing glance [अर्द्धाक्षु] n adj [अधर्ष्यक] ढीठ, निर्लज्जष। insolent. 0पन n.
adhak अधक2 अध्यkक्ष, प्रभारी। superintendent, officer-in-charge [VR] obs n
adhkachrà अधकचरा आधा कए अपूर्ण छोड़ल (काज)। imperfectly done अर्द्धकृत्य क adj
adhkachchù अधकच्चूc 1. आधा कॉंच आधा पाकल, अर्द्धसिद्ध।
2. अपरिपक्व्। 1. imperfectly boiled
2. raw-hand adj
adhkaâât अधकट्टी रसीदक आधा भाग जे फाडि़कें भुगतानकर्ता/दाताकें देल जाइल छैक। counterfoil n
adhkap àrt अधकपारी 1 आधा माथ दुखएबाक रोग।
2 जौऑं सुपारी जे अर्द्धगोलाकार होइत आछि; धारणा अछि जे ई लटकओने अधकपारी रोग दूर होइल छैक। 1. hemicromia, headache felt only in half portion
2. twin betel nut [अर्द्धकापालिक] n
adhkàr अधकार आसवन-पात्रक ढक्क न। lid of distilling vessel n
adhakki अधक्कीi माड़बामे नहि लजएनिहर, असन्तोमषी। bold, insolent n
adhkhãû अधरखैड़ आधाआधा कए दू खण्डिमे टूटल (चाउर आदि)। broken into halves (foodgrains) adj
adhkhal अधरखल आधा खाली। half vacant adj
adhkhijja अधखिज्जूa आधा खिजल। partially husked adj
adhaæa, °anì अधड़ा, 0ड़ी एक जलचर खाद्य पक्षी। a table bird n
adhachh अथछ सोझॉं, समक्ष। in presence of. [अध्यnक्ष] adv
adhjanmu अद्यजनमू आधा जनमल/मल partially coagulated. adj
adhœãûer अधडॅड़ेर (धड़क) मध्य बिन्दु । middle point of body/trunk n
adhtèrah अद्यतेरह आधा कम तेरह, साढे बारह। thirteeen minus half, 125. [VR] obs nu
adhdhotià अथधोतिआ धोतीक आधा भाग पहरिने आ आधा भाग ओढने। covering one's body with the upper half of dhòti while lower half being wrapped round the waist adv
adhnaâh अधनठ धरकट, विवेकहीन, क्षमता रहलहुपर आनक उपकार नहि कएनिहार। narrowminded, selfish adj
adhnappht अधनप्कीh लाभमे आधाआधा पएबाक व्यnवस्था पर कएल संयुक्तए उद्यम। joint venture sharing profit equally. n
adhnèâh अधनेठ See अधनठ।
adhannl अधन्नीl आधा आनाक सिक्काठ। half an anna coin n
adhpakka अथपक्कूa आधा/अपूर्ण पाकल। half ripe/matured adj
adhpàjrà अथपैंजरा पशुक एक रोग। a cattle disease n Also अधपजरिया।
adhpathrà अथपथरा आधा पसरी अँटबा, जोग (पात्र
)। a measure of half capcity [VR, अर्धप्रस्थc] adj
adhpahrà अधपहरा ज्यौरतिषमे प्रतिदनक
किछु नियत कालखण्डम
जे शुभकर्ममे वर्जित आछि inauspicious hours of the day n पसेरी
adhpèâà अधपेटा केवल आधा पेट (क्षुधा)
भरनिहार अर्थात् अपपर्याप्तd
(भोजन)। (food) filling only half stomach. insufficient adj
adhpai अधपै आधा पाओ मानक नपना/बटिखारा। a measure of half a quarter n
adhphàkkà अधफक्काk आधा फॉक कएल। cut in two halves adj
adhbaesu अधबएसू जे जीवनक आधा भाग बिताए चुकल। middle-aged adj
adhbaû अधदड़ See अधओड़।
adhbahuà अधबॅहुआ आधा बाहिं (आस्तीकन) बाला (अंगा)। half-sleave adj
adhba अथवा पानक गनतीक एक मात्रक। a unit of counting [अर्धपाद] n पान See T.I.X.
adhbaû अधवाड़ See अधजोड़।
adhbolià अधोवोलिया अर्द्धस्फुदट भाषा जेना शिशु बजैत अछि। lisping, child's imperfect speech n
adham अधम नीच, निक़त्टe, अधलाह, पापी। base, mean, inferior adj
adhmar अधमर आधा फूटल, अधबाड़ (पजेबा, खपरा)। half-piece (of bricks) adj
adhmaro, °mirit, °mirut अधमरू, 0मिरित, 0मिरूत अर्धमृत, मृतप्राय। half dead Also अधमौअति।
adhmòni अधमोनी आधा मन भार/क्षमताबाला। weighing/measuring half a mound adj
adhar अथर निचला ठोर। lower lip cls n निचला ठोर। ~मे लटकल adj स्थलगित, जकथक।
adhrati, °tia अधरति, 0तिआ 1 मध्यaरात्रि।
2 एक तारा जे मध्यतरात्रि उगैत आछि। 1. midnight
2. a star rising at midnight n
adhram अधरम See अधर्म।
adhrà अधरा आधार, आहार। diet, food n
adhrati, °ti अधराति, 0ती मध्यत रात्रि। midnight n
adhri अधरी तेलिक कोल्हु क एक पुरजा। a component of oil-crusher. n
adharm अधर्म पाप, अनैतिक कर्म, अन्याआय। sin, immoral act, injustice n अधर्मी adj.
adhià अधला छोट करनी। small trowel of mason n
adhlabhà अधलाभा लाभमे आधाआधा अंशक करारबाला (साझी कारबार)। (joint venture) one the term of half and half [अर्धलाभ] n
adhlah अधलाह निम्नh कोटिक, अधम, असुन्दयर। bad, inferior [अधर-] adj
adhlahà अथलाहा अनिष्टà भवितव्यhता। bad fate n
adhsar अधसर एक साप। a highly poisonous snake n
adhsargi अधसरगी अनिश्चित। uncertain [अर्धस्वiर्गीय] adj
adhsijjha अधसिज्झूa आधा सिझल। cooked only party adj
adhsèrà अथसेरा आधा सेरक बॉटखरा। a weight of half a secr n
adhàâhì अधाठी आधा लाठीक वराबरि व एक मीटर लम्बााइ। Linear measure about half a rod i.e one metre n
adhàr अधार आधार। support n
adhi° अधि0 उच्च°ता, उत्था न, उत्कृरष्टnता आदिक सूचक उपसर्ग। Denotes superimposition, mounting. rising, supersession etc
adhià अथिआ आधा-आधा अंशबाला। division in equal halves adj
adhiàeb अधिआएब आधा पर पहुंचब। finish a half n vi
ãdhiàr अँधिआर अन्हारर dark obs adj
adhik अधिक बेसी। much, surplus
1. maximum
2. most adj 0तम
1 बेसीसँ बेसी। maximum.
2 सभसॅ बेसी। most 0तर adj आधासॅ अधिक। more than half. ~ रास बहुत मात्रामे।amply, sufficiently.
adhikaraça अधिकरण 1. विशेश-विषयक न्यामयापीठ।
2. व्याशकरणमे आधारार्थक कारक। 1. tribunal
2.locative case n
adhikaeb अधिकाएब अधिक होएब, बढब। increase vi
adhikàæsh अधिकांश अधिकतर भाग। most, major part n
adhikàr अधिकार 1 हक, अकतिआर, जूनि, प्रभुत्वक।
2 पात्रता, अर्हता, ग्राहता।
3 विशेषत: पअजीक व्य वस्थारनुसार कन्यारक हेतु वरक ग्राहाता जे रक्तासम्बेन्धाक दूरत्ववपर नियत अछि। 1. right, authority, power
2. eligibility, ability
3. admissibility of marriage, i.e. being mutually beyond the prohibited degree of relationship 0माला कन्याrक हेतु ग्राहा वरक सूची जे
पञ्जीकार बनबैतछथि। (q.u.). adj अधिकारवान्। deserving, having rightful title/claim. n अफसर, हाकिम, शासक। officer one vested with authority, official. अधिकृत adj अधिकारप्राप्तd। authorized n नेपालगे अफसर। (in Nepal) officer.
adhikòsh अधिकोष बड़्क। bank n
adhigàt अधिगत साधिकार प्राप्त । acquired, obtained adj
adhigrihit अधिगृहीत सनाद्वारा स्वाiयत्तीoकृत। acquired by authority adj अधिग्रहण n.
adhinàyak अधिनायक नानाशाह। dictator n
adhiniyam अधिनियम संसद/विधानमंडल द्वारा बनाओल कानून। parliamentary act n
adhip, °pati अधिप, 0पति 1 स्वाyमी, मालिक।
2 शासक, प्रभु। 1. owner, lord, maseter
2. ruler n
adhibhàr अधिभार अतिरिक्त, देय। surcharge n
adhimàn अधिमान अग्रता । preference n
adhimàs अधिमास See सलमास ।
adhirànì अधिरानी राजाक वरिष्ठ स्वीर। seniormost queen n
adhiròhan अधिवक्ताn ओकील, mounting एडभोकेट।
adhibaktà अधिवास मूल निवासस्थाानसें अन्यात्र कएल गेल निवारा। pleader, advocate n
adhibàs अधिवास मूल निवासस्थाcनसें अन्यअत्र कएल गेल निवारा। domicile n
adhibeshan अधिवेशन सभाक बैसाड़। meeting, session, sitting of a congregation adj
adhisâhàtà अधिष्ठाàता अध्य्क्ष। presldent n अधिष्टित adj आरूढ। placed stop.
adhisùchnà अधिसूचना आधिकारिक विज्ञप्ति। notification n
adhikŸaç अधीक्षण पर्यवेक्षण। superintendence n
adhita अधीत पढल। read adj
adhìin अथीन मानहत, बशवर्ती। subordinate, dependent adj adv अन्दaर, अन्त,र्गत, हिन्दीv तहत। under subject to.
adhìr अथीर धैर्यहीन, विहल, व्यातकुल। impatient adj
adhish, adhishvàr अधीश, अधीश्वहर प्रभु, मालिक, स्वा मी। lord, master, ruler n
adhunàtan अधुuनातन See अद्यतन।
adhèr अधेड़ अधबएसू। middle-aged adj
adhèlà अधेला सभसॅ छोटका करनी। mason's smallest trowel n
adho° अद्यो0 नीचॉ। down-fall, degradation, deterioration [all of अध:] 0गति n पतन। down-fall, degradation, deterioration. 0मुख adj
1. लटकल मुहवाला। having the face down ward.
2. नीचॉ जाइन। declining. 0वायु n नदीमामें पेटसें बहराएल वायु। wind passing through anus.
adhòkhà अधोखा आधा उठाओल टाट वा देवाल जे कक्षविभाजकक या पदाक काज करैत अछि। partition wall n अधोखी d.
adhoû अधोड़ See अधओड़ ।
adhòsàdhar अधोसाथर चौरासी सिद्ध सन्तामे एक। one of the 84 saints of cult [VR] n सिद्ध
adhyakeà अध्यaक्ष समूहक सर्वोच्च् अधिकारी। presiding authority, chairperson, head, president n
adhyayan अध्यaयन पढनाई। study, learning, reading n
adhyabsàe अध्यaव्य वसाय 1 कोनो-ने-कोने काजमे निरन्तार लागल रहनाइ।
2 उद्यम, श्रम, प्रयास। 1. diligence, perseverance
2. enterprise, pursuit n
adhy àtmabidyà अध्याiत्मrविद्या वेदान्तy-दर्शन, आत्माचिन्त न-शास्त्र , उपनिषद। theosophy n
adhy àdèsh अध्याàदेश सर्वोच्च‍ सत्ताn द्वारा प्रख्यासपित आदेश। ordinance n
adhy àpak अध्याàपक पढओनिहार, शिक्षक, गुरू। teacher n अध्या पन n
adhyàya अध्याyय ग्रन्थaक वा पठ्य पुस्त क भाग जे एक तोड़मे पढल पढाओल हो। chapter n
àdhyètà अध्येtता पढनिहार। reader, scholar, student n
an° अन्0 अभाव निषेधक उपसर्ग जे स्वसरादिए शब्द क संड़्ग लगैत अछि। Debites negation/absence and precedes words beginjning with vowel n Ex अन्+अन्त+=अनन्तx "endless".
an° अन01 अभावनिषेधक बोधक उपसर्ग जे केवल तदभव शब्दकमे लगैत आछि। Denotes negation and precedes only word. pre तदभव Ex अनचिन्हा र "not acquainted; stranger".
an° अन02 आन, अन्य । other, different [w of आन<अन्यअ] n see below.
an-kaâ अनकट नहि कटबाजोग, अखण्ड नीय। irrefutable adj
an-kaââhal अनकट्ठल अनसोहॉत, अप्रिय। inappropriate, out of place, unpalatable, displeasing adj
ankaâh अनकठ अकट, अनटोटल। absurd adj
an-kar अनकर आनक, परकीय। other's adj other's अनका n
1. आनकें। to other.
2. [ obl of आनक] ।आनक other's
an-kahal अनकहल कहल (आज्ञा) नहि माननिहार। disobedient adj
ankur अनकुर अरूचिकर, अप्रिय। unpalatable adj
an-khad अनखद केवल अन्नl खएनिहार। living only on food grains adj
an-khanãt अनखनात कोनो आन क्षणमे, कखनहु। on some other occasion, sometime [अन्यoक्षणात] adv
ankha làgab अनखा लागब अप्रिय होएब। be disliking vi
ankhàh अनखाह सभ वस्तु दूसि व्यeर्थ तमसएनिहार। detractor, fretful adj
an-khunàh अनखुनाह अनकर भल नहि देखनिहार, दुष्टर स्वरभावक। malicious, evil minded adj
ankhauk अनखौक अन्नक खएनिहार (बच्चार) (baby) taking solid food adj
an-ganit अनगनित अगणित। countless adj
angar अनगर प्रचुर अन्नnबाला। rich in food-grains adj
anguti अनगुति भोरमे सूर्योदयसँ पहिनहि early, before sun-rise [अनुदिते] adv
angauà अनगौऔं आन गामक निवासी। inhabitant of an other village [अन्यnग्राम-] adj opp गौऑं "co-villagers"
an-ghõl अनघोल हल्लाg, जनरव। uproar n
ananga अनड़्ग कामदेव। Cupid cls n
an-chit अनचित फिकिर, चित्त क व्य्ग्रता। pensiveness n
an-chinhàr अनचिन्हा-र अपरिचित। stranger, unacquainted adj
anchòk अनचोक 1. असावधान स्थिति।
2. अचानक। 1. unaware
2. unperceptibly, abruptly [अन्यcचक्षु-] adv
an-janama, °nuà अनजनमा, 0नुऑ परपुरूषसें जनमल। illegitimate, ill-born adj
an-jàn अनजान अनचिन्हा र। stranger adj n अज्ञान।
anaâ अनट आराधनामे एहन विघटन जाहिसं आराध्यम देव कुपित होथि। untoward/forbidden action causing wrath of God n [अनृत] - बनट, - बिनट,- सनट rep. अनटाह adj (एहन देवता) जे आराधनामे भेल त्रुटि क्षमा नहि करधि, उग्र। (deity) apt to punish for any fault in service.
an-âan अनटन See अनबन।
an-âuââù अनटुट्टू अन्नटक (भोजनक) कष्टें। टूटत। sick due to malnutrition adj
an-âeâar अनटेटर See अनटोटल।
an-âeâah अनटेटाह विचित्र/असार य स्वजभावक। of odd behaviour adj
an-âòâal अनटोटल असड़्गत, अजीब। incongruous, improper, absurd adj
an-âoâàh अनटोटाह अनटोटल कथा बजनिहार। apt to speak absurd thing adj
an-âhaeb अनठाएब अनास्था /उपेक्षा करब। neglect, ignore; over-look, pay no heed to [अनास्थाa-] vt मनठाएब rep.
anâhàn-nabe अनठानवे आठ अधिक नब्बेe। 98, ninety eight [अष्टाyनवति] nu
anâhia अनठिया आन स्थाटनक, अपरिचित। outsider, stranger, unknown person [अन्य,त्रस्थित] adj Also अण्ठिआ।
anâhèkàb màrab अनठेकान, मारब माथ पर घैल आदि लए बिनु पकड़ने निधोक चलब। move freely with a pitcher or so on one's head without supporting it with one's hand vt
an-âhekàn °ni अनठेकान, 0नी बिनु ठेकान/लक्ष्यaक, बिनु निश्चित ज्ञानक, बिनु जननहि। aimlessly, at random adv
an-œhan अनढन अण्टe-सण्ट , तर्कहीन। absurd, insane adj अनढनाह adj.
elsewhere अनतए अनतह आन ठाम। outisider, not local [अन्यrत्र] adv अनतहिआ adj अन्यित्र रहनिहार।
an-dinà अनदिना विवाहादिक व्यiग्रतासॅ रहित सामान्य दिन। regular days usually free from special activities n
an-dèkh अनदेख नहि देखल not in sight adj
an-dèst विदेशी। outsider, of a different region [अन्य,देशीय] n
an-dhan अन-धन अनाज आ नगद (सोना चानी) सम्त्तिन । wealta in cash and kind [अन्नn-धन] n
an-dhanà अनधुना धान में सिझर अन्यd प्रभेदक धान। paddy mixed with another variety of it [अन्यo-मान्यe] n
an-dhun अनधुन अन्धान-धुंध ऑख मुनिकें, बिना देखनेसुनने (मारि- पीट) blindly (fighting). adv
andhairj अनधैर्य अधीरता। impatience n
anadhyàe अनध्याàय ओ दिन जहिआ पढब शास्त्रeसे वर्जित अछि, विद्यालय-अवकाश। days on which study is forbidden, school holiday n
ananta अनन्तa अन्ततहीन। endless, unending adj n 1. एक देवता जनिक पूजा भाद्र शुक्लभ चतुर्दशीके होइत आछि। a deity worshipped on the 14th day of भाद्र शुक्लf।
2. चौदह ग्रन्थिबाला एक डोरा जे अनन्तजक पूजा दिन बाहिमे बान्हाल जाइत अछि। a string with 14 knots tied round the arm after worshipping अनन्तi -चतुर्दर्शी n उक्तत चतुर्दशी जहिआ अनन्त् पूजल जाइत छथि। the said day of ananta worship. - मूल n शारिबा एक वनौषिधि the herb periploca indica.
anantar अनन्तaर पछाति, तदन्तeर। therefater, afterwards adj
anannàs अनन्नाsस सफरी कटहर। pine apple n
ananya अनन्यa एकनिष्ठp। exclusive; close, intimate adj
ananvit अनन्वित संड़्गविहीन। incoherent adj
anpach अनपच भोजन नहि पचबाक रोग। indigestion n
anpaâ अनपट1 महामारी। epidemic [अन्ध1पट] n
anpaâ अनपट2 खोलसा। band for covering the eyes of cattle. [अन्ध -पट्ट] n
anpaûh अनपढ बिनु पढल-लिखल, निरक्षर। illiterate, uneducated adj
anapatya अनपत्यy नि:सन्ताcन। issueless cls adj
anparàsan अनपरासन शिशुकें पहिल बेर अन्नd खोअएबाक उत्सकव। ceremony of feeding solid food to a baby [अन्नaप्राशन] n
anban अनबन नहि बनब, नहि पटब, खटपट, झगड़ा। discord, rift n
anbàcb अनवायब आनब केर प्रेरणार्थक, मड़बाएब। get anything brought, procure, import [can of आनब] vt
anbari अनवारी See (अलमारी)
anbàh अनवाह हरबाहक सहायक जन। ploughman's helper n
anbisbàs अनविसवास अविश्वासस। lack of faith/trust n
anbujh अनबुझ बुद्धिहीन। innocent (child), stupid adj
anbharòs अनभरोस निराशा, अनदेखा। lack of confidence n
anabhal अनभल अपकार, अहित। harm n
anabhigyà अनभिज्ञ अनाड़ी inapt adj
an-bhuar अनभुआर अनचिन्हा-र, अपरिचित। stranger, unaquainted adj Also अनभोआर।
anman अनमन1 अन्यnमनस्कभ, उदास, खिन्नग। absentminded, unfocussed [अन्यnमन] adj
quite similar अनमन2 एकदम मिलैत-जुलैत adj
an-manas अनमनस अन्यसमनस्कr। absentminded adj
anmana अनमना मन बहटारबाक साधन। object for diverting mind, diversion n
anmanàeb अनमनाएब विमन/उदास होएब। be dejected vi
anmunàh अनमुनाह दुष्टा। treacherous adj
anmuh अनमुह आन दिस मुह कएने, अप्रौढ। looking astray. shy. [अन्यaमुख] adj
anmèl अनमेल अननुरूप, बेमेल। unlike, incompatible, dissimilar adj
anmòl अनमोल अमूल्य,, मूल्यlवान। priceless, valuable adj
anras अनरस अजीर्ण, बिपाक। dyspepsia, indigestion n
anarsà अनरसा एक पक्वा न्नn। a kind of pastry n
anràt अनरात अन्तत:पुर। harem n
anrìti अनरीति परम्पिराविरूद्ध आचार। transgression of custom/courtesy/convention n
anargal अनर्गल असंड़त, अनुचित। incosistent, improper adj
anarth अनर्थ 1 अनिष्टm घटना, विपत्ति।
2 अन्याटय। 1. untoward event, mishap
2. injustice n
anal अनल आगि। fire cls n
see अनलेख अलेख।
anabdhàm अनवधानं अन्यामनस्क , असावधान। carcless, absent-minded adj
anabrat अनवरत निरन्तtर। uninterruptedly, continuously. adv
anabsar अनवसर अनुपयुक्तp, क्षण, असमय। inopportune moment, out of context n
anabasthà अनवस्थाh असुरक्षाक स्थिति, उपेक्षा, दुरवस्थान। negligence, neglect. n
anashàn अनशन भोजनत्या गरूप हड़ताल। hunger strike. n
anasthari, °thair उपेक्षित स्थाhन। उपेक्षित स्थाhन। neglected place. n
ansàh अनसाह आनक नीको काजमे दोष देखनिहार, असूयक। envious, jealous. n
an-sun, °nì अनसुन, 0नी नहि सुनबाक बहाना। posing as being unaware. n
ansain अनसैन आतड़्क। terror. n
ansohàt अनसोहॉंत नहि सोहाएबाला। indecent, unseemly. [अन+शोभा]adj
an-had अनहद अत्य न्तश, असीम। beyond limt. adv
an-hà अनहा1 आन्हnर। blind. adj
an-hà अनहा2 धान रोपबासॅ पहिने दोसर बेर जोतब। second ploughing before starting transplantation of paddy. n
an-hàr अनहार अन्हा.र । darkness. (अन्ध.कार] n
an-hit अनहित अहित। ill, harm. adj n adj अननुकूल, प्रतिकूल।
an-hònì अनहोनी असम्भाaव्यन घटना। miracle. n
anàit अनाइत आनक वशमे पड़ल, परवश, विवश। helplesseness. [अन्याnयत] adj
anàet अनायत See अत्या.ज्य ।
anàeb अनाएब मड़ाएब। get something brought. [cau of आनब] vt


adbud अदबुद obs See अदभुत।
boiling water for cooking rice or lentils ad-han अदहन रन्हbबाक हेतु बरतनमे खलबलाइत पानि। n
for this very reason ataèb अतएब एहीकरणे | adv
immovable, firm; fixed, still achal अचल स्थिर, द़ढ. | adj भारथी n कदाचिते घरसँ बाहर गेनिहार लोक (निन्दाbमे) | one who rarely goes out of his home (der).
indecent, abhadra अभद्र अशिष्टa, adj
(be in loss) undeservingly aœanœ अडण्डn बिनु अपराधें, अकारण (हानि सहब) | [अदण्डध] adv
(croup/paddy) not yet fully ripe as indicated by green stems adnàr अदनार जकर डॉट सुखाएल नहि होइक, अंधपक्कूd। [अर्द्रनाल] adj
(fish) have eggs developed àûàeb अडाएब पेटमे अण्डा पाएब | [अण्ड्] vi (माछ)
(labour) obtained by engagement. aûhauà अढौआ अढाएकें आनल (जन) | adj
(lying) easily with limbs spread wide athàn-bithan अथन-विथन सुविधापूर्वक हाथा पाएर पसारि (सुतब) adv
(said of seeds) germinate in patchy way leaving gaps àtràeb अंतराएब बाओग कएल बीआक अन्तrर कए दूर-दूर पर जनमव | nvi
(they) are achhathi अदथि संस्क़hत सन्ति | [अच्छ‍न्ति] obs vi (आदरणीय अन्युतपुरूष) छथि, संस्क़्त सन्ति |
(water) perfurned and cooled for 48 hours aâhpahari अठपहरि आठ पहर सुवासित आ शीतल कएल (जल) | [VR] n
(we) are achhayò अक्षओ (हमसभ) छी |
1. a revenue statement of 68 items requiring long time to post duly. 2. (hence delay, impediment aûsaââhà अडसटठा 1 अठसठि घरक एक राजस्वdविवरण, जे बनएबामे बड समय लगैत छैक | 2 (अत-) विलम्बे, बाधा | [अष्ट‍षष्टिका] n ~ लागब vi विलम्बल/बाधा पडब |be delayed.
1. apt to generate heat 2.jealous agiàh अगिआह 1. तापजनक, धाह फेकएबाल |2. डाही, ईर्श्याtलु | [आगि-] adj
1. arson 2. accidental outbreak of fire agilagg ì अगिलग्गीì 1. आगि लगएबाक अपराध |2. आगि लगबाक उत्पा त | n
1. astonishment 2.clay-shelf placed on a pole used for keeping cooking pots achàmbhà अचम्भाh 1. आश्चpर्य | 2. खुट्टा पर बनल माटिक कोठी/चक्काo जाहिमे भॉंड. राखल जाइ छल, मोढा | n
1. big earthen cooking pot 2. rice cooked in such pot and offered to lord jagannatha in pun (orissa) àtkà अटका 1 पैघ हॉडी | 2 उक्त हॉडी में रान्ह,ल आ पुरामे जगन्नाॉथके चढाओल गेल भात | n
1. body 2. limb 3. component, part aæga
1. body 2. limb 3. component, part aæga अंग 1आड. देह |2 अवयव |3 भाग | n component, part. -भड. करब vt अवयत्र विच्छिन्नo करब | mutilate. °राग cls n शोभार्थ त्व्चासे लगएबाक चूर्ण लेप | face powder. ~लगाएब vt शरीरसॅ यथोचित प्रयास करब | exert physically and sincerely.
1. body garment in general 2. a kind of rice angà अंगा 1 अड.रखा |2 एक धान | n
1. clay tub 2. mason's pan athrà अथरा 1 माटिक अढिया। 2 गिलेवा उघबाक बासन। n अथरी d.
1. collyrium, black eye-liner 2. eye-salve 3.soot anjan अच्जnन 1. काजर | 2. ऑजन |3. कजरी | n
1. cruel 2. wild, offensive (cattle) 3. one who has learned without guru (in music) atài अताइ 1. हिसंक, क़ूर, हिंसोद्यत | 2. मरखाह (माल) | 3. बिनु गुरू विद्या पओनिहार (संगीतमे) | adj
1. egg 2. testicle anœa अण्डg 1 अण्डाt | 2 ऑड | cls n - कोष n चर्माव़त अण्डम | scrotum. व़द्धिड n औंडमे जल सअचित होएबाक रोग | hydrocele.
1. embrace 2. endure aæejab अडे.जब 1 अड. लगाएब |2 अभ्याcस द्वारा सहा करब | [P] vt
1. fine cloth arishu
1. fire 2. firegod agin, °ni अगिन, 0नि 1. आगि 2. अग्निदेव n - काज n अग्नि संस्काार | ceremony of burning dead body. 0बान n 1 एक तान्त्रिक प्रयोग | a fire missile of Tantric cult.2 एक घाओ | an ulcer. 0दगधा adj एक गारि | scorched (abuse).
1. firegod2. fire2. fire agni अग्नि 1 आगिक देवता |2 आगि | n - काण्डi n आगलग्गी | conflagration, outbreak of fire; arson. कोण n पूर्व दक्षिण कोण | south-east. - मान्द्यa n पाचनशक्तिक दुर्बलता | loss of appetite. , संस्काणर n शवदाह कर्म |, burning of dead body. -- स्थाnपन n हवनक हेतु विधिवत् आगि पजारब | ceremony
1. firepot 2. pyre agihar अगिहर 1. बोरसि | 2. चिता | [आगि-घर] n
1. fringe of sari 2. piece of loin cloth worn by girl as skirt 3. towel, napkin àchrà अंचरा 1 साडीक ओ भाग जे छातीक आवरण होइत अछि, ऑचर | 2 कपडाक टुकडाक टुकडा जे कुमारि कन्याक घघरी जकॉं पहिरैत अछि 3 गमछा | [अच्च|ल] n अँचरी n 1. छोट ऑंचर | d of ऑंचर | 2. चारमे जोड.ल भाग | cxtended part of a roof.
1. fringe, of sari 2. revenue circle anchal अव्वaल 1. कोर, किनार, विशेषत साडीक अग्रभाग जाहिंस छाली झौपल जाइत आछ, ऑचर | 2. सर्किल, राजस्वl-प्रखण्डक n
1. go ahead, advance, overtake2. escort a guest aguàeb अगुआएब 1. आगु बढब2. अरिआतब | n vi
1. going ahead to receive a guest2. obj see aguàn अगुआन 1 आगॉं बढि आरिआतिके अननाइ |2 अग्रज्ञान [अग्रयान] n obj See अगरजान
1. half of anything of brick 2.a unit for measuring toddy addhà अद्धा 1 पजेबाक आध टुक। 2 ताड़ीक एक माप। [अर्धक] n अद्धी n. 1 पुरनका आध पैसा मूल्येक सिक्का्। an old coin of half a paisa value . 2 एक प्रकारक मलमल। a variety of muslin.
1. internalisation, admission, confession2.adoption 3. promise, assurance aægìkaraç, °kàr अंगीकरण 0कार 1 स्वी क़ति | 2 ग्रहण |3 वचन देब, गछब | n
1. leading person, pl2. marriage negotiator3.front bracelet3.front bracelet aguà अगुआ 1. अग्रगामी, मुखिआ, प्रमुख |2. घटक वैवाहिक वार्ताकार |3. चडिक आगॉ पहिरवाक वलय | n
1. leather 2. a leather strap worn along with janeu in upanayan ajin अजिन 1 बाहर वाला शिक्षाओल चाम | 2 विशेषत म़गमर्मक फाता में उपनयन में जनउक संग पहराओल जाइल अछि n
1. matchless 2.immense atul.atol अतुल, अतूल 1. बेजोड़, अनुपम । 2. अपार । adj
1. moving spirit 2.dash against something flying ajhat अझट 1. चलैत-फिरैते प्रेत | 2. चलायमान वस्तुटक अग्रभागक चोट | n
1. off-shore, bank of river/tank other than bathing/landing place 2. (fig) out of way place; lonely place, secret place for natural ablution aghaâ अघट 1 पोखरि नदीमें घाटसें भिन्नl तट |2 कुत्सित मार्ग | n
1. Part portion,2. title in part. 3. ,degree, extent.4. a fraction of divinity arish अंश भाग, टुकड़ा, खण्ड. N
1. place 2. balcony/terrace on top floor. aâàrì अटारी 1 विशाल प्रासाद | 2 झरोख | [अट्टालिका] n
1. ploughman's assistant,2. one who works on the term of getting a plough in place of wage aæbria अड.बरिआ 1 हरबाहक सग देनिहार जन |,2 बोनिक बदला हर लए काज कएनिहार | n
1. protable firetray for warming2. stretching and twisting of body aæiâhì अडैठी 1 बोरसि, आगि तपबाक माटिक बासन |2 अड. ऐंठब | n मोड. rep.
1. See 2. a kind of silk anœi अण्डीì 1 अडरी | 2 एक प्रचारक रेशमी कपडा | n
1. sign, mark 2. figure, numeral 3. number4.serial number of a periodical 5. act of drama 6. lap aæka 1 चिन्ह5 |2 संख्या4बोधक रेखाक़ति3 संख्याm 4 नियतकालिक पत्रिकाक निर्गमक्रम संख्याक 5 नाटकक द़श्यमखण्डक |6 कोर | n lap. - गणित n संख्यायक जोड् घटाओ आदि क्रिया | arithmetic ~ लगाएब vt कोर करब | embrace ~लागब vi ककरो आश्रम से आएब get a shelter.
1. the tree Agusta grandiflora agasti अगस्ति 1. एक फूलक गाछ | n
1. unbreakable, firm, sound. 2. abundant aâuâ अटूट 1 नहि टुटनिहार, द़ढ, पक्काो | 2 अपार | [अ-त्रुट] adj
1. upper extremity, fore part.2. rope around the neek of horse, 3. top piece of sugarcane agàû अगाड. 1. अग्रभाग, 2. घोडाक गरदनिमे बन्हeबाक डोरी 3. कुसिआरक छीप | [अग्र] n अगाडी n see अगाड (1-3) adv आगॉं | ahead.
1. vacate/reserve for something 2. occupy engage ajbàrab अजाबारब 1 कोनो स्था न पावकें प्रयोजन बशात खाली आरक्षित करब | 2 छेकब, आक्रान्तह करब | vt Ex धन राख हेतु छीटा अजबारह "empty the basket for storing paddy" डेओढी अजबारह "Make the inner aparlments free of the4 presence of men " हमर घर अहॉं नहि अजबारू Donot occinpu my room."
1. weight of one (7 pound 11 ounce) 2. multiplication table of two and a half aûhià अढैया 1 एक आढक (पक्कीo अढाए सेर) भार-मान | आढक (7 pound 11 cunce). See T.I.V. 2 [अढाए-] अढाए गुनाक खात | multiplication table of two and a half. [आढकिक] n
1. what? beg your pardon. 2. surprising! aè अऍं 1. की कहल 2. आश्चiर्य int
1.lump of dung 2. molehill athàri अथारि 1 गोबर/लीदीक चोत। 2 मूसक माटिक ढेर। n
108, eight plus one hundred (old way of reckoning) aâhotar sae अठोतर सए आठ अधिक सए | [अष्टोएत्तuर शत] nu
128, twenty eight plus one hundred (old way of reckoning) aâhaisà sae अठैसा सए एक सए अट्टाइस | [अष्टसविंश सह शत] nu
18, eighteen aâhàrah अठारह आठ से अधिक दस | [अष्टाकदश] nu
2. sari, skirt Arishuk
2. the star Canopus 2. एक तारा |
28, twentyeight aââhais अट्ठाइस आठ अधिक बीस | [अष्टाीविशति] nu
28, twentyeight aâhàis अठाइस आठ अधिक बीस | [अष्टबविशति] nu
38, thirty eight aâhtìs अठतीस आठ अधिक तीस | nu
48, fortyeight athtàlis अठतालिस आठ अधिक चालीस | [अष्टचचत्वािरिशत्] nu
58, fiftyeight aâhàban अठावन आठ से अधिक पचास |
68, sixtyeight aâhsaâhi/ °saiâh अठaसठि आठ अधिक साठि | [अष्टअपष्टि] nu
78, seventyeight aâh-hattari/°air अठहत्तvरि आठ अधिक सतरि | [अष्टससप्तaति] nu
8, eight ath° अठ0 आठ | [ w of आठ, अष्ट ] nu 0कपारि [अष्ट कापालिक] n एक तान्त्रिक मार्गक साधक जकर दर्शन अशुभ मानल जाइल अछि | mendicant of a Tantric cult whose appearance is taken to be inauspicious. °कौसल n 'आठ जनक कुमन्त्र णा, षड्यन्त्रo | intrigue of eight, conspiracy. "खेल n
88, eightyeight aâhàst अठासी आठ अधिक अस्सीh | [अष्टासशीति] nu
8th day of moon phase aâhmì अठमी आठम तिथि | [अष्ट मी] n ~ फेटा n उपनयनक धोती-मुरेठा | a garment worn in 'upnayan'
9 the Hindu month ag-han अगहन नवम मास | [अग्रहायण] n See T. III. अगहनी, 0नुआ adj अगहनमे भेनिहार ( फसिल) | (crop) harvested in December.
a blemish of ox: inequality of flans aûhaipàjr à अढैपैंजरा बडदक एक दोष - दूने पॉजरक असमान होएब | [अढाए पॉजर] n Also अढैपॉजर |
a coat, body garment of specific type achkan अचकन अंगा | n
a fraction of divinity arish a fraction of divinity a fraction of divinity a fraction of divinity
a frame of reeds in weaver's loom àtràon अंतराओन करधाक एक अंग जे तानीकें दू भागमे बटैत अछि | n
a herbal root; atìs अतीस एक वनौषधि n
a kind of boaf. athaisa अठैसा एक प्रकार नाओ | [VR] n
a kind of fruit ajnàs अजनास एक फल n
a kind of snake aâhait अठैत सर्पविशेष | n
a lentil of inferior quality; vicia sativa akâäta/akâàta अकटा;अँकटा एक मिसिआ n rep
a local variety of cloth agàemèru अजयमेरू एक देशीय वस्तt | [VR] obs n
a medicinal preparation administered after child delivery adrasi अदरस्सीi परसौतीक एक औषध। [आर्द्रकरस-] n
a nursery rhyme atkan-maâkan अटकन-मटकन शिशुक एक की़डा गीत | n
a portion of post Ashadha and pre Shravana months abhijit अभिजित ज्यौितिषमे उत्तरआषाढ़ ओऽ श्रावण नक्षत्रक किछु भाग n
a set of eight; playing card having eight pips and so aââhà अट्ठा आठक समूह- आठ अंगवाला तास आदि | [अष्ट क] n ~ गोटी n एक खेल | a game. ~ बज्ज]र खसब vt 'एक संग अनेक विपत्तिक आएब | 'fall of eight thunder bolts at a time' befalling of several untoward events simultaneously. ~ बज्जrर खसाएब vt दुराग्रह करब | impose in destructive way.
a sore in finger joints ariurkattà अडुरकटटा आडुरक एक घाओ | [अंडलिकर्तक] n अडुरी [अडुली] n आडु.र | finger, toe. ~ उठाएब vt दोषारोपण करब | cast aspersion on, censure.
a stick of about 50 inchces aûhaihatth अढैहत्थीt अढाए हाथक फराठी | [अढाए हाथ-] n
a Tantric cult. aghòr अघोर एक तान्त्रिक पन्थी | n 0पन्थीी n अघोर मार्गक साधक | follower of the aghor cult.,अघोरी n 1. गन्दाो रहनिहार लोक nasty, abhorrent. nasty, abhorent , 2. see अघोरपन्थीh |
absurd, nonsensical akaâta अकट3 नञि कहबा जोग, अनटोटल adj
absurd, nonsensical atpat अटपट अण्टt-सण्ट adj Also अटपटाक |
abundant, in plents ajàsra अजस्र प्रचुर ढेर | adj
accurate addal अद्दल पक्काa। adj
acting abhinae अभिनय अनुकरणात्मक प्रदर्शन n adj अभिनेत्री f.actress
address abhibhakhaç अभिभाषण उद़बोधक भाषण n
address for respectable men ao अओऽ आदरणीय पुरूषक सम्बोaधन [आर्य] voc, Cf अए, Also अओजी
address for respectable women ae अए आदरणीय महिलाक लेल सम्बो धन आँय voc
admit, accept àgirab अगिरब गछब, स्वी कार करब, मानब | [अडीक-] obs ut
advance agàu अगाउ अग्रिम | [अग्र-] Also अगाउडर |
advance agoû अगोड अगुबार, अग्रिम | n
advance agubàr अगुवार अग्रिम | n See अगाउ
aimless, bewildered adig अदिग दिशाहीन। [दिश] obs adj
alone akèl अकेल असगर obs adj एकसर |
alump of clay stuck to a branck of tree for reproduction anâà अण्टा गाछक डारिमे बान्हcल माटिके पिण्ड जे सीर चलला पर काटिकें रोपल जाइल आछि | n
amla; emblic myrobalan aorà अओरा धातरीम,धात्री n
an eruption caused by heat exposure agià अगिआ धाहसँ उत्पnन्नy एक घाओ | [आगि] n ~ वान See अगिनबान | ~ बेताल n विक्रमादित्य]क कथाक एक असाध्यासाधक बेताल: तत्सरद़श साहसी पुरूष | date devil like one in Vikramaditya legend.
an incense tree, Aquailaria Agalocha agar अगर1 धूपयोग्य1 लकुड़ीबला गाछ n
anger leading to non-cooperation. malice aûkhis अडखीस खीस (क्रोध) से काजमे अडब n (Cf अढा‍हिस्सीa), कानि, द्वेष |
annas per rupee rate of interest per month aâhrahani अठरहनि सूदिक एक दर जाहिमे 16 आना एक मास पर 18 आना भए जाइत अछि | [अठारह-] 2
arrived only to impede the work going on aâhbàsal अठवासल काजक बेर बाधक रूपमे आबि तुलाएल | adj
arrogant (woman) aâhulahi अठुलहि घमण्डीh (महिला) adj
attache case aâaicht अटैची हथलग्गू बकसा | [E] n
attendant in travel aæbàr अड.वार यात्रा संग सेनिहार परिचारक | [अंगपाल ?] n
authorised agent, stockist aûhtià अढतिआ व्याआपारी द्वारा अधिक़त विक्रता | [अ‍ाढिता-] n
awkwardly large ak-hútth अकहुत्थl बेसम्हाlर बेशी adj
axis akshaà अक्ष धुरी, रूद्राक्ष n
axle of the pedal for husking grain akhaut अखौत ढेकी ढेकुलक धूरी n
back-biting akchì-bakchì अकची बकची चुगलपनी, दोसराक निन्दाi। n
bad juck. adintà अदिनता दुर्भाग्यल। n
balls of lentil paste mixed with ginger dried in the sun and used in vegetable preparations adauûi अदौड़ी घाठिमे आद मिलाए रौदमे सुखाओल बड़ी (गोली) जे तरकारीमे देल जाइत आछि। [आर्दकवटी] n
bamboo strips placed alternately in thatching roof àâarbàt अतरबात छारबामे एकएक बाती छाडि स्थाaपित बाती | [w of आंतर, अन्ततरा] n
basin for washing hands or feet aûhià अढिआ पाएर धोएबाक बरतन | [आढिका पथिआ प्रस्थिका] n
be contained/accommodated àtab अटब समाएब | vt
be puzzled/startled, be taken aback. akchak karab, akchakaeb अकचक करब, अकचकाएब आश्च र्यसँ एम्हकर-ओम्ह र ताकब, चकित होएब vi
be restless akulàeb अकुलाएब व्यााकुल होएब vi अकुलाहटि n.
be vain agdhab अगधब गर्व देखाएब vt Also अगधाएब
bemused, of puzzling nature. akchakàh अकचकाह अकचकी Adj n.
beyond limit, extreme atattah अततह पराकाष्टाm, हद | n
beyond physical pereception atìndriya अतीद्रिय जकर
bigbodied, enormous atikàe अतिकाय विशाल शरीरवाला | adj
blackmail, put obstruction for bargain aûàeb अडाएब अवरोध करब | [cau of अडब] vt
blow abhighat n अभिघात चोट n adj
boa python ajgar अजगर एक विशालकाय सॉप | n (fig) ईश्व रक क़पासें बैसले ठाम भोजन पओनिहार अकर्मण्य) व्यtक्ति | one who sits idle and lives on what God grants.
body garment, i.e coat, shirt etc., a particular dress aærakhà अड.रखा धड.मे पहिरबाक सीअल वस्त्र, | [अंगरक्षक] n
body see below an° अड.0 देह | [ w of आड. < अंग] n
bold agarjìt अगरजीत ढीठ, प्रगल्भस adj
cardamon aûàchì अडॉची एला | [एलाची] n दाना n अडाचीक दाना दए बनाओल चीनी गोली | a candy containing cardamom seed inside.
careless, inactive negligent of cleanliness of one's own body (different from) achèŸâa अचेष्टa चेष्टाaशून्यn | adj निष्चेयष्टo |
cast evil eyes àkhiàeb अँखिआएब नजरि लगाएब nvi
cast paddy seeds in wet soil achhàrab अछारब पनिआएल खेतमे बीआ बाओग करब | vt
cattle pen aûgaûa अडगडा अपराधी पशुक कएदखाना | [अर्गला] n
censure achhraæg अछरगं दोषारोपण | n
change the topic. divert' to another issue agaudhì màrab अगौथी मारब प्रासडिंग गपकें टारि दोसर गप उठाएब | [अग्रबुद्घि] vi
china rose, Hibiscus. aû-hul अडहुल ओडहुल | [ओड़फुल] n
coming from time immemorial, ancient adau अदौ सनातन, आदिकालसें चलि अबैत। adj
consecrated abhimantrit अभिमन्त्रित मन्त्रा्ओल Adj.
considered opinion abhimat अभिमत विवेकजन्यd विचार n adj
continuously atoh अतोह निरंतर, लगातार। [अस्तोsभ]
Court of judicature, specially civil adàlat, °ti अदालत, 0ति न्यातयालय, विशेषत: व्यnवहार- न्याबयालय कचहरी। [A] n अदालती adj 1 न्यावयिक। judicial. 2 व्य वहार-सम्ब न्धीe, दीवानी।
crab-louse, a cattle bug having eight legs, tick, flea aâhaurì अठौरी आठ आडुरबाला एक कीडा जे पशुक देहमे लगैत अछि | [अष्टालडगुलिक] n
decoction taken after child-birth achhumànì अछुमानी परसोतीकें देबाक एक काढा | n
deed of confirmation of others title atàenàmà अताएनामा अन्यन व्यiक्तिक स्वlत्व स्वीlकार करबाक संलेख | [P] n
delay, lapse of proper time atikàl अतिकाल विलम्ब , अबेर | n
delaying of both sides aûsà अडसा विलम्बn | [A अर्सा] n अडसी दूनू पक्षसे विलम्ब |
denotes absence, contrast, etc. aº अº अभाव, अनौचित्यt आदिक द्योतक Prefix अबोध “ignorance”, अधर्म “injustice”, अकाज misdeed”
Denotes begining atha अथ आव, अत: पर। cls adv - उत n द्विविधजनक स्थित, किंकर्तव्यa विमूढता । state of indecision. अथ च adv किंच, आओर besides, more over.
Denotes encompassing abhiº अभि0 व्याºप्ति द्योतक उपसर्ग | pre
Denotes rejection, disgust etc. að/àð अह अस्वीeकृति, विमति आदिक व्य ज्ज क int अह,अहह।
dense forest akãbòn अकाबोन घनगर बोन n
dense overgrowth due to seeds sown exceedingly athar-bõn अथरबोन अधिक बीआ पड़ने बेसी घन जनमल जजात। n
desisting from work on some pretest due to jealousy aûhãhissì अढहिस्सीì ईर्ष्याीवश अडब | n
destestable akâthain अकठाइन कठाइन See अकठाएल adj अनसोहाँत
discipline, courtesy adab अदब विनय, अनुशासन, नम्रता। [A] n
disgrace infamy, ill ropute ajas अजस अप्रातष्ठाn | [अ-वश,] n अजमी adj क़तघ्नं उपकार कहालह पर जस नाह देनदार | ungrdtetul
disturbance akùbà अकूबा झगडा-फसाद n
dysentery, diarrhoea atisàr अतिसार अनपच रोग, पेचिस ।
early in the morning, roughly one hour before sun-rise atyukha अत्युhष अहलभोर । n
effect atòp अटोप प्रभाव, n परिणाम | [अटोप] n effect. Cf टोप |
eggs anœà अण्डाट [अण्ड‍क] n ~ उडिआएब vt असम्भfव गप्पत हॉकब | spread rumour as unbelievable as flying of eggs. ~ डेबब vt अण्डाi पर बैसि ओकरा गरमआने रहब | brood eggs. ~पाडव vt अण्डािक प्रसव करब | lay eggs. अण्डााएब nvi अण्डाासें युक्तघ होएब जेना माछक | be pregnant with eggs (said o
elephant having no tusk akunã-makunã अकुना-मकुना अदन्तa हाथी | n opp दन्ताnर with tusk
embrace aækama, aækima अड.कमश, अडिंम हदय लगाएब| obs n
employed on daily basis aûhauti अढौती प्रतिदिन अढाओल गेनिहार (जन) adj
engage, employ aûhàeb अढाएब कोनो काज करए कहब | vt
Englishman; European Christian aærèj अडरेज n इड.लैण्डन द्वीपक मूल निवासी प्रजाति यूरोपिअन इसाइ | n अंगरेजी n अड.रेजक भाषा | English Language.
enmity, confrontation aûàri/ai/aûàir अडारि झगडा, शत्रुता | n
enocounter, meet accidentally abhrab अभड़ब भिड.व अकस्मात् स्पlर्शसँ बुझाएब, आकस्मिक भेंट vi
enormous agah-bigah अगह-बिगह adj विशाल |
enormously large aggah-biggah अग्गhह बिग्ग ह परम विशाल कार्य | adj
enormously tall/ large akàe अकाए विशाल adj
entire akhil अखि‍ल समस्तe cls adj
essential àtràhit अंतराहित अत्याहवश्यaक adj
eternal akshar अक्षर क्षयरहित adj n अक्षरशः ndv शब्दशः, verbatim
ever young, immortal ajar अजर कहिओ जीर्ण व़द्ध नहि भेनिहार | adj
evil days adin अदिन दुर्भायवाला समय। n
exaggeration, overkill atyukti अत्युtक्ति अतिरअिजत कथा । n
excessive. atishaya.atisae अतिशय अत्ययन्त , बहुत अधिक । adj अतिशयोक्ति n1. काव्यबक एक अलंकार। a figure of speech 2. बढ़ा चढ़ाकए कहनाइ, अतिरअजन।exaggeration
excluding; in addition to atirikta अतिरिक्तg सिवाए छोडि़के । adv adj additional
extremity, top. agra अग्र उपरकाउबका भाग, छीप, शिखर नीक | n adj 1. अगिला earlier, initial, 2 उत्त।रवर्ती, परवर्ती |, latter. 0ज adj जेठ |senior, elder. n जेठ भाए |, elder brother. 0णी n मुखिआ, नेता, leader, fore runner. 0सर adj अगुआ | going ahead leading a group. , 0सोची adj दूरदर्शी |, prudent. अग्रिम adj अ
eye akshi अक्षि आँखि cls n
eye-sore Àkhi~utthi आँखि ~उठ्ठी आँखि नोराएब n ~फोडा n एकटा कीड़ा, grass hopper. ~मुन्नी n ऑखि मुनबाक खेल hide-and-seek.
famine akãl अकाल दुर्भिक्ष ~मृत्युn premature death
fate adrisâa अद़ष्टa भाग्यट नियति। n 0घटटू adj अभागल। unfortunate. 0पूर्वमे कहिओ नहि देखल गेल। unprecedented.
fathomless' very deep, profound agàdh अगाध अथाह, बड. गॅहीर | adj
feel disagreeable akhûab अखड.ब अनसोहाँत लागब vt
feel heat generated due to being pressed hard agiaeb अगिआएब बहुत काल जीतल रहने तापोज्स र्जक (गरम) होयब | [आगि-] nvi
feigned pleasure akhlàs अखलास कृत्रिम उल्लाuस n
felicitation abhinandan अभिनन्दdन सौभाग्यdक कथन n.
fief, estate granted for service ag-haeà अगहरा जागीर, बिरता | [अग्रहार] obs n
fig anjìr अन्जीगर एक प्रकार गूलरि फल | [P]
finger, toe aæguli अड.गुलि आडुर | cls
fire-ball aægàr अंगर आगिक गोला | n
fire-ball, ember aæòr अडोर अग्निपिण्डe | [अग्निगोलक] n अडोरा |
fire-place, fire round which people warm themselves. agìãsì अगिआसी घूड | n
firm ajrail अजरैल द़ढ | [अजरशील] obs adj
firm, steadfast, unyiclding aâal अटल अविचल | adj
first letter of svaras (alphabet) a अ वर्णमालाक पहिल अक्षर अ ~ आ करब vt विद्यारम्भa करब start learning
flow irrigation agarpàât अगरपाट सहज प्रवाहसँ पटौनी | n
for this reason atað अत- एहीकारणें | adv 0पर adv एकराबाद | after this.
forbidden for sexual contact agamya अगम्यa अगम adj See अगम्याo f
fourth month akhàrh अखाढ चारिम मास n
front agu° अगु0 अम्र | [ w of आगु < आग्र] n
front direction agadig अगदिग अग्रदिशा n
front part/ side of house aguati अगुअति घरक मुखभाग | [अग्रवती] n opp पछुअति |
front seat of a boat agaùædinga अगअडिंग अगिला माडि. | n
front yard of a dwelling house. aguàû अगुआड. चरक अगॉक खाली जगह | [अग्रवाट] n अगुआडी adv आगॉ दिस, आगॉं मुहे | towords front side.
frontage of dwelling house agbàs अगबास बासगृहक आगाँक परती n
fruitless akãrath अकारथ निष्फtल adj
full satiation, achhaò अछओं पूर्व त़प्ति | [अक्षम] adj आओर खएबामे असमर्थ, surfeited, utterly satiated surfeited, utterly satiated See अछओ |
gathering place, meeting centre, haìt, base aœœà अड्डा एकत्र भए टिकबाक स्थाtन | ~ जमाएब vt मित्रमण्डsलीक संग कतहु एकव भए गप्पर लडाएब | gather friends for merrymaking. अडो n 1 जुटबाक संकेतिक स्थाgन | appointed place of meeting in challenge. 2 जुआक कॉंति | stake in gambling. अडैल adj अड्डा पर डटनिहार | stubborn.
gone beyond sight atamit अतमित अस्ततगंत | [अस्त‍मित] obs adj
grape aægùr अंगुर दाख जातिक एक फल n
grown scantly àtràh अंतराह विपन्नत | adj
guardian abhibhabak अभिभावक संरक्षक n
guess, esnmation, assessment atkar अंटकर अनुमान, अंदाज, आकलन | n
guess, reckon, conjecture àtkàrab अटकारब अनुमान/अन्दाtज लगाएब | vt
guest atithi अतिथि अभ्याiगत, पाहुन । n [अत् "to go"]
gunny bag of pack animals akkhà अक्खा पशुक पीठ पर लदबाक बोरा n
half adh° अध0 आधा दू समान भागमे एक।
having no other recourse agatyà अगत्या आन उपाय नहि रहने adv
heap araæ अड.ड ढेर, सच्य | n
hear attentively akãnab अकानब कान पाथब vt
heavy udder aûuàr अडुआर पैघ थन | n
high-born, elite, noble abhijat अभिजात उच्चा कुलमे उत्प न्न | adj
high-handedness, scuffle. ajrà-jòri अजरा-जोरी बल-प्रयोग n
highly adorable (used exclusively in addressing son-in-law); atyàràdhya अत्याàराध्यe परम मान्या, विशेषत: जमाए व ताहि कोटिक सम्बान्धी् । adj Cf परमाराध्यि।
hook, goad aækush अडकुश आंकुस |
house, store; rich in agàr अगार घर आकर [अगार] obj n Ex गुनक अगार "rich in virtues"
hurry up. agutàeb अगुताएब हडबडाएब, शीघ्रता करब शीघ्रता करवालए प्रेरित करब | vi/vt अगुताइ n. अगुताह adj हडबडिआ | habitually hasty, poking other to make haste
idea, thought aâòr अटोर विचार | n
identical, close abhinna अभिन्नa आत्मीय, एक adj
ignorance, lack of knowledge agyàn अगान अज्ञानी n adj अबोध | unwise.
ignorant ajan अजान जनहानि, अनाभिग [अजान] adj n [A] ईश्व र प्रार्थना (इस्लाiम) pravertin Islam.
ignorant of one's line of descent, of low descent agòt अगोत गोत्र-प्रवरादि नहि जननिहार अकुलीन | [अगोत्र] adj
ignorant, layman agyà अंग नाह जननिहार | adj
ignorant. ageàn अगेआन ज्ञानहीन, अबोध | [अज्ञान] obs adj
ill fame abhãr अभार कलडक. अजस n
immature, tender (fruit/vegetable) ajoh अजोह बिनु जुआएल, कोमल (फल) | adj
impediment, obstruction aûbarigà अडबगा बाधा, अवरोध | n
in hard times adinà अदिना कष्टाक समयमे। adv
in plenty achhinrè अछिनरे बहुता मात्रामें adv
in wood knotty bulky point àkhuà अखुआ काठमे गीरह/ कनोजरि चालए बला स्था)न | n
inaccessible agam अगम दुर्गम adj See अगरजानी |
inattentive akãn अकान सुनबामे मतिसुन्न adj (der.)
inauspicious period (die to irregular movement of jupiter) during which marriage and other auspicious rites are not allowed to take place atichàr अतिचार ग्रहस्थितविशेषवश विवाहादि शुभकार्यमे वर्जित कालावधि । n
incapable aksham अक्षम असमर्थ adj
indecision adgud अदगुद अनिश्चsय, संशय । n
indication abhàs आभास लक्षण n
indigestion undigested ajirça अजीर्ण अपच | n adj अपक्वe |
individual, item adad अदद मद, नम्ब र, गोट, टा। [A] n Ex पॉच अदद ''पॉंच गोट'' "frve items/individuals"
inefficient akãrjak अकार्यक पटु नहि adj
inexhaustible akashaya अक्षय अविनाशी adj
infalliable, sure to succeed achùk अचूक अव्यkर्थ, अमोघ | adj
infirm (limb/health) adardiãh अदिरदिआह कज्जूि, अद़ढ। adj
infringement of order adal-hukmì अदलहुकमी आज्ञाक उल्लtघंन। [A अदम?] n
insatiable akhannar अखन्नnर असन्तोaषी adj
intact akshunna अक्षुण्ण बिनु घाड़ल cls n
intact, unbroken abhanga अभंग अखण्डित adj
intellect akil अकिल बु‍द्वि A. n
interchange adal-badal अदल-बदल हेराफेरी,विनमिय। [A बदल] rep n
intertwine aûàchab अडॉचव दू वस्तु कें जोडि बान्‍'हब | vt अडाच n अडॉचबाक हेतु बॉटल मीट डोरी |rope suitabvle or interwining.
intestine. ãtari अतडी आत, भॉटी [अन्त्रa-] n -भोतडी rep
intouchable achhòp अछोप नहि छ़बाक योग्य | [अ+छुव] adj
irrefutable akaâta अकट2 अकाट्य, अखण्डीnय adj
irrefutable akàâtya अकाट्य अखण्डयनीय adj
irrepressible, insurmountable adamya अदम्यa नहि दबएबायोग्य । adj
is achhi/aichh अछि हिन्दीa है, संस्क़यत अस्ति | vi
is athik, athikah अथिक, अथिकह थिक। [अस्ति ] obs vi
is exists achh अछ अस्तित्व वाचक धातुक अन्यoपुरूष वर्तमान रूप, हिन्दीध है, संस्क़तत अस्ति | [older form of अक्षि] vi
Jeal for wrestling akhalbàhi अखलबाहि कुस्तीि लड़बाक व्य सन | n
jester Akàââti अकटी अनटोटल बात कहि हॅसओनिहार/कचकचओनिहार adj
junk aûjàl-kharjàl अडजाल-खडजाल बेकार टूटल फूटल वस्तुनक ढेर | n
latitude akhàænsh अक्षांश भूमध्यशरेखासँ दूरी| n
left over food akhrì अखरी उच्छिष्ट adj n
leughter bââahàs अट्हास ठहाका | n
living burdensome long life akkhaj अक्खaज कठजीब adj
looking glass aenà अएना दर्पण [P आएना] n
loss of favour, displeasure a-kripà अकृपा अप्रसन्न ता | n
loss, risk atipàta अतिपात विसर्जन, हानि । cls n प्राणातिपातेन Ex on the risk of life."
luck; bad lick adisâa अदिष्टb भाग्यट; दुर्भाग्ये। n 0घट्टू adj अभागल। unfortunate (man).
make sheaves of straw etc àâìeb ऑटिआएब खढ आदिक ऑटी बान्हtव | [ऑटो-] nvt अटिया d of ऑटी |
marking aækan अड्कन चेन्हn लगाएब | n
matchless, solitary, sole advitie अद्वितीय बेजोड़, अतुल। adj
miscreant, mischief maker agilagàon अगिलाओन आगि (झगडा) लगओनिहार, उत्पाnती | adj
miscreant; inciter of violence, strife agimutt ù अगिमुत्तू; 'आगि मुतनिहार', झगडलगाओन, उत्पाटती | [अग्निमूत्रक] adj
misdeed akàj अकाज अनुचित काज n अकाजक adj useless.
miser, close-fisted adatta अदत्तa क़पण adj
misfortune abhag/ºgya अभाग/ 0 ग्यn दुर्भाग्यa adj
molecule, granule açu अणु परमाणुके छाडि सथसें छोट कण | n
mountain, hill adri अद्रि पर्वत। adri cls
museum ajreb-ghar अजाएब-घर वुरातात्विक संग्रहालय | n
nanny goat ajà अजा बकरा cls n
narrow space, isolated corner akòl अकोल सिकस्त जगह, एकोर | n
naughty agattì अगत्ती उत्पाीती adj
naughty, miscreant, mischievous agilah अगिलह उत्पाhती, उकाठी | adj अगिलहि f.
near about agal-bagal अगल-बगल आस-पड़ोस adv
near relation aægìt अंगित निकट सम्बtन्धी n
necessary, pressing atyàbashyak अत्यbवाश्यgक परम प्रयोजनीय । adj
neighbourhood aûòs-paûòs अडोस-पडोस निकटवर्ती क्षेत्र | [rep of पडोस, प्रतिवेश] n निकटवर्ती क्षेत्र |
never bathed in River Ganges agaæन्g अगङ गङ्गा नहि नहाएल adj
newspaper akhbàr अखबार समाचारपत्र [A] n
nex, following, ensuing agilà अगिला परिवर्ती, बादबाला | [आगिल, अम्र-] adj Also अगिलुका |
next agulkà अगुलका अगिला | adj
nonsense bçâ-baçâ, açâ-saçt-saçâ n किंदन-कहॉंदन |
now akhan अखन एखन adv
numerous. aganit अगणित असंख्य cls adj
Obs See ओछ। aochhã अओछ Obs See ओछ। Obs See ओछ।
of bad reputation akhòr अखोर कुकर्मी n
of grand father level ajia अजिआ पितामह पितामही कोटिका | [आजा, आयंका] adj ~ ससुर " ससुरक पिता | grand fater-in-law. ~ सासू n grand mother- in-law अजिओग n परमेश्वूरक घर | home of grand father-in-law.
of present day, modern, contemporary ajuka अजुका वर्तमान दिनक | [आजुक अद्युक] adj
of this place atratya अत्रत्य एहिठामक। cls adv
one of the 84 saints of cult achit अचित चौरासी सिद्व सन्तnमे एक | [VR] n सिद्ध्
one who goes on speaking ahead of others without knowing the fact agaltâètâ अगलटेँट बिनु बुझनहिं आगाँ-आगाँ बजनिहार adj
or, alternatively athbà अथवा जै से नहि तें,विकल्पात:। or, alternatively.
origin, descent abhijan अभिजन मूल, वंश cls n
ornament. abhran अभरन गहना आभरण n
orthography akharatâì अखरौटी वर्तनी n
other aoka, ºkà अओकº का आन obs adj पुरातन प्रयोग old usage
out of place, at the wrong place athàm अठाम अकारण | [आस्थाaमे] obs adv
outcaste, lower castes ajati/ajait अजाति आनसून जान से बाहर कुल adj
outspoken agaradhatta अगड़धत्तa मुहफट N p
outspoken akkhaûra अक्खaड. मुँहफट adj
oven aæèâhà अडेठा भट्ठी | n
oven dug for burning dead body achhia अछिआ चिताक चूल्हि | [मुण्डाह] n
overcolouring, exaggeration atiranjan अतिरअजन बढा चढाकए कहब। n
overwhelmed abhibhut अभिभूत चमत्काuरी प्रभावसँ विह्वल adj
pad for landing bucket for irrigation aûàs अडॉस पटौनीमे कूडि उझिलबाक गद्दी | n
paid off adàe अदाए चुकाओल, शोधित। [A] adj
palace attalicà अट्टालिका अटारी | n
palm folded like a boat anjali अन्जlलि ऑजुर n
papaya aûàrnèbà अडँरनेबा एक फल, हिन्दीb पतीता | [एरण्ड नेबा] n
passing glimpse, glance. ajhak अझक क्षणिक झलक | [अध्यलक्ष] n
past atìt अतीत बीतल । adj
past the proper age for sacred thread/marriage ajag अजग विहित घायस बितलहू पर जकर उपनयन/विवाह नहि भेल हो | [अयग] adj Also अजग्गि, अजग्गि |
penniless akinchan अकिंचन निर्धन adj
period of eight days aâhbàr अठबार आठ दिनक कालावधि | [अष्टकवार] n आठवारे adv प्रत्येरक आठम दिन | every eighth day.
pertinacious, obstinate aûial अडियल अडबाक स्वाuभाव वाला (घोडा) | adj
physical/facial appearance aæòth अडोठ अड.साद़श्यe, शारीरिक आक़ति | n
pickle àchàr अंचार अम़त फलके रौंदमे सिझाए बनाओल तीख-चोख खाद्य | [ po अचार] n
pioneer, advance party for protection agirànì अगिरानि अग्रगामी रक्षक-दल [VRअग्रयानिक] n
plantain leaf chopped from the top ag-harì अगहडी आगोंसे काटल केराक पात | [अग्रखण्डित] n cf भालडि. |
plough wet field without harrow aûàhab अडाहव बिनु हेडाक कदबा करब | vt
poking a yoked ox on the scrotum to urge it on àûpenà अड्पेना ऑडमे पैना भोकि बडदकें प्रेरित करब | [अण्डाप्रेरणा] n
potentiality of words to express meaning abhidhà अभिधा शब्दाक आऽ शक्ति जाहिसँ अर्थक बोध होइत आछि | n.
pounding of paddy jointly by eight Brahmans, a ritual of marriage ceremony aâhòæar अठोडर आठ ब्राहमण मिलि धन कूटब - विवाहक एक विधि | [अष्ट मंगल] n
prattle adar-badar अदर-बदर अण्टt-सण्ट] ono adv
presentiment agarjàn अगरजान भविष्यद्रष्ट n अगरजानी
priest's kept aside before storing agaõ अगओँ दानक हेतु उपजासँ फुटा कए राखल अन्न n
prolonging enmity akhaj अखज पुरान शत्रुता n
properly piled aâènal अंटेनल सरिआएकें ढेर कएल | adj
purpose abhiprae अभिप्राय आशय n adj.
queer unusual ajab अजब अदभुत, विचित्र | [A] adj
raw rice meant for pooja akshat अक्षत धार्मिक प्रयोजनार्थ अरबा चाउर n.
recent abhinava अभिनव टटका adj
recollection akhias अखिआस स्मआरण n [ A] अखिआसब मोनन पारब try to recollect.
rep aæòchh अडोछ See अडपोछ | -मडोछ
repent; hesilate achhtàeb-pachhtaeb अछताएब- पछताएब पश्चाबताप करब, गुनधुन करब | obs vi
reserved; vacated ajbari/ajbàir अजबारि रिक्ति, आरक्षिअत, छेकल | adj
resist, stand firmly, be obstinate aûab अडब प्रतिरोध करब, टिकब | अडनाइ n
ring leader (der) agrès अगरेस दलपति n
rinse akhãrab अखारब पानिमे धोखारि धोएब vt
rough-spoken agilkaçâha अगिलकण्ठh कटुभाषी, अग्रवादी | [अग्निकण्ठ ] adj
scarecrow hung on a tree akãsi अकासी कौआकेँ भगएबा लए गाछपर लटकाओल खढ.पुतरी n ~ देखब vt मूर्ख जकाँ अकास दिस ताकब look up vacantly like a fool. ~ वृत्ति n अनिश्च्चित आयबाला uncertain livelihood
scent pot atar, àtar अतर, अंतर सुगन्धà | [ इत्र] n 0दान n अंतर रखबाक पात्र | scent pot
scraps agram-bagram अगड़म-बगड़म अकार्यक वस्तुग-जात n
scrotum àûkòs अडकोस पुरूषक एक अंग | [अण्डककोष] n
seasoned akhaûhia अखढि.या अखाढमे खेलाएल दुर्जेय बलवान adj n~ पहलवान wrestler.
sect akhàrhà अखाढा सम्प्रàदाय n.
See अखरा akhûà अखड़ा See अखरा See अखरा
See अभक्ष्यव | abhachchha अभच्छh See अभक्ष्यव | See अभक्ष्यव |
See आकार akãr See आकार See आकार
See खामखा akha-makha अखा-मखा See खामखा See खामखा
See under अभिनय abhiæni+ अभिनी+ See under अभिनय See under अभिनय
See अकट-मकट akhar-bakhar अखर-बखर See अकट-मकट See अकट-मकट
See अकट-मकट | akach-dakach अकच-दकच See अकट-मकट | See अकट-मकट |
See अकतिआर akhtiàr अखतिआर See अकतिआर See अकतिआर
See अक्खअज akhambhar अखम्भbर See अक्खअज See अक्खअज
See अखढ़िआ akhriial अखड़िअल See अखढ़िआ See अखढ़िआ
See अखाढा akhàra अखाडा See अखाढा See अखाढा
See अखाढा akhrahà अखड़ाहा See अखाढा See अखाढा
See अगराएब agrainì अगरैनी See अगराएब See अगराएब
See अघट। aghat aoghat अओघट See अघट। See अघट।
See अछि achi ai अई See अछि See अछि
See अविचाड़िक abhicharik अभिचाड़िक See अविचाड़िक See अविचाड़िक
See आओर aor अओर See आओर See आओर
See आक akòn अकोन See आक See आक
See ऐ+/ऐं+/ ai+/ aì+ अइ+/अई See ऐ+/ऐं+/ See ऐ+/ऐं+/
See ओलती agri अगरी See ओलती See ओलती
seedlings so grown achhrà °rì अछरा, 0री अछारिकें माड.ल बीआक गाछ | n
self-earned property agbìt अगबीत अपन अरजल धन n
senseless, unconscious achèt अचेत बेहोस, असंग | adj अचेतन adj जड. | inert.
shade; shadow achhàh अछाह छाया, प्रतिबिम्बj | [आच्छा या] n
shocking surprise agud अगुद छगुनता, उकमूडी | n
show pampered behaviour agràeb अगराएब दुलारसँ अभद्र चेष्टाo करब vi
shower of rain achhàr अछार अल्पà बरखा | n
shy aœhiâh अ-दीठ अनिर्भय, अप्रौढ. | adj
side support, prop aâhaænì अठडनी टूटैत देबालक अवलम्बान n
sin agh अघ cls n
sky akãs अकास आसमान n n (der) - ~दीप See आकाशदीप
slight remnant (of fever etc.) anias अन्जsस जवादिक अल्पaमात्र अवशेष | n
slightìy sour atikhàin अतिखाइन तीतसन सोआदबाला । [आतिख, अतिक्त ] adj Also अतिखाह ।
small hook used for plucking flowers/ fruits àkusi/aùksì अँकुसी छोट आँकुस/ लग्गीi n
small inner couryard aænà अडना आड.न | See अड.नै n छोट आड.न अडनैस [आडनपति] n ग़हपति head of the household, host.|
small winding reel used in entwining ornaments anâì अण्डी पटबाक छेटकी बटनी | n
snatch, seize achòrab अछोरब छीनब | obs vt
soon achira अचिर शीघ्र | cls adv
sour only around stone (said of mango) àâhiammat अठिअम्मaत केवल ऑठी लग अम्ममत (आम) | [अष्टि-अम्ल‍त्व(] ऑठिया adj ऑठीबाला | stony (fruit). Also अठिगर |
sport ajai jaeb अजाइ जाएब देर बाद होएब vt
spreading fire agûàrahì अगड़ाही पसरैत आगिक उत्पा त n
sprout aækur अंडकुर अकुरा n
sprout. àkurab/ aùkrab अँकुरब गोजाएब vi n, आंकुसलागल लोहाक छड. iron rod fitted with a hook , लोहारक खोरना smith's poker
spying aâòh अटोह गुप्तg रूपे अन्वेरषण | n
Status, economic capacity aokàti/ okàti अओकाति सामर्थ्यo, आर्थिक सामर्थ्य । [A]., Also ओकाति
stay, linger, stop; be hundered/obstructed atkab अटकब रूकब, ठहरब | vt
steep river bank aûàrà अडारा नदीक किनहेरि | n
steo ib, go ahead agusarab अगुसरब आगा बढ.ब | [अग्रसु-] obs vi
stop suddenly be obstructed aûalab अड.कब अचानक रूकब | vi अडकन n स्थिर रखबाक हेतु लगाओल अवरोधक | prop,support.
stop, side support, barrier aûànt अडानी ठेकना, टेक | n
strange, queer ajib अजीव विचित्र [P] adj
strange, surprising ajgut अजगत असगंत, विचित्र आश्च|र्यजनक | [] adj n आश्च‍र्यजनक घटना | miracle.
stubborn aûbèæal अडबेडल ऐंठल, अगराएल, अडल | adj
stumbling block aûaægà अड.ड बाधा | n
stumbling block impediment aûchan अरचन बाधा | n
suddenly achànchak अचाच्चhक अचानक, दैवात् सहसा | adv
suddenly akãmik अकामिक अकस्माlत् obs adv
suddenly akasmàt अकस्माtत् सहसा adv
surfeit, satiate aghàeb अघाएब पूर्ण त़प्तt होएब | [अग़धाय-?] vi n. अघान n.
surprise achak अचक विस्मiय | [अचक्ष] n अचक्कीथ adj अकारण अकवकएनिहार | person displaying surprise often. (der).
surprised akkà-chakkà अक्काi चक्काr विस्मित adj
surprising agmat अगमत अजगुत adj
tale of grievances. abhni-gabhni अभनी-गभनी उलहन-उपराग| n
tale-bearing, back-biting adgoi-badgoi अदगोइ-बदगोइ दुगिलपन। [p बदगो-] rep n
term of address for non-honorific woman agè अगे असम्माfनजनक सम्बो धन (महिलाक हेतु) vac
terrible (snake), very aged ajodh अजोध विकराल (साप) [अयोध्यs] adj Cf अजोध पाछ |
terrifyingly large akãdãrun अकादारून भयङ्कर adj (der)
test by experiment ajmàeb अजमाएब व्यावहार द्वारा जॉचब | [P] vt
'that's that's, Signifies that the speaker does not remember the appropriate word he wants to say athì अथी अमुक, किदन, फलॉं । pro
the 6th constellation adrà अदरा आर्द्रा नखत्र। [आर्द्रा] n
the 8th month of Gregarian calendar agasta अगस्तa अड.रेजी आठम मास | [ E August] n
the fourth compiìation of the Vedas athatbbed अथर्ववेद चारी वेद में अंतिम। n
the last bullock tied to the stake in treading out the grain agdàè अगदाएँ दाउनिमे अन्तिम बडद n
the least degree of mass açimà अणिमा अणुता, पर लघुता | [अणु-] n
the tree Ricinus communis (from its seed oil is extracted) ãûarì अडरव रिरिआएब | vi
the waterpot used by potters while working athbànì अथबानी ओ जलपात्र जे कुम्हाyर बासन गढबाकाल लगमे रखैत अछि। [हस्ततपानीय] n
therefore atae अतए ते | [अतएव] obc adv
thick rope used for netting a cot along foot-side ajbàin अजवाइन खाटक घोरसे गोड लगक मोटका रस्सीc | n
thumb aæuâhà अडुठा बुढ.वा आडुर | n See ऑठा |
thumb anguŸâh अंगुष्ठर औंठा | cls
tireless athàk अथक जे नहि थाकाए। adj
to much aâatâa अटद्ध अत्यधधिक | adj
today adya° अद्य0 आइ। [अ this +दिवस् day] cls adv
Tom, Harry and Dick adnà अदना तेसर/साधारण व्यoक्ति। [A] n - पदना rep तुच्छi व्‍‍यक्ति। insignificant person.
too old to move about athbal अथबल शक्तिहीन, चलबोफिरबामे असमर्थ (व़द्ध) [अस्त बल] adj
tool, implement aojãr अओजार उपकरण, हथिuयार A. n.
transgression, crossing over atikramaç अतिक़मण उल्ल़डघ्नo | n अतिक़ान्तo adj lapsed, passed.
trifle adnì bàt अदनी बात तुच्छब बात । n
two and a half aûhàe अढाए आधा अधिक टू | [अधित़तीय] adj
tyranny, highhandendness atyàchàr अत्याhचार क्रूर व्यhवहार । अत्यरचारी adj
unaccounted, given as an advance. adal-hisàb अदलहिसाब बिनु लेखा-जोखाक। [A अदम?] adv
unavoidable, indispensible, such near relative who cannot be left uninvited on festive occasion atyàj °jya अत्या ज, 0ज्यa नहिं छोड़बाजोग, विशेषत: एहन सम्बtन्धीu जनिका काज-करतेबतामे नेओतब परम आवश्य क होइछ। adj
uncastrated (bull/horse) àûià अडिया बिनु बधिआ कएल (बडद) [अण्डआ] adj
unconquerable ajeya अजेय जे जीतल नहि जाए | adj
unedible akhãdya अखाद्य नहि खएबाक योग्यl adj
unexpectedly abhabirit अभाविरित अकस्माित adv
unfathiomable, very deep athàh अथाह अगाध। adj
unforeseen, unexpected atarkit अतर्कित जकर तर्क (अनुमान) पूर्वमे नहि कएल जाए सकल हो | adj
unmixed agbà अगबे अमिश्रित A adj
unsteady, monentary athir अथिर चच्चrल, अस्थारयी, नाशवान् । [अस्थिर]
untouchable achhùt अछूत अछोप | n
unwholesome, hard to digest (food) akaâta अकट1 कठिन पचबाक भोज्यd वस्तुo rep
upside down aòdh अओढ. परोक्ष अदृश्यज अढ n अवरोध
vanity adhimàn अभिमान घमण्डन n adj घमण्डीव See Also
veiled aorh अओढ. परोक्ष अदृश्य adj Also
verbal signal for moving elephant forward agat अगत हाथीकेँ आगाँ हँकबाक मौखिक ध्वhनिसंकेत int
very much atìb अतीव अत्य धिक, अत्य‍न्त adj
very much, excessive atyantà अत्यnन्तc बहुत अधिक । adj
very much, to much, excessive ati अति बहुत अधिक, यत्पsरोनास्ति | adj Pre आधिक्य्, मर्यादक उल्लंनघन, असीमता आदिक द्योतक; देखू नीचां |Denotes excess, abundance, trans gression, surpassing : See below.
very old atibriddhà अतिवद्ध बहुत बूढ़ । adj प्रपितामह n पितामहक प्रपितामह । fifth ancestor form father - प्रपौत्र n प्रपौत्र ।fifth descendant form son. 0प्रमातामह n मातामहक प्रपितामह । great grand father of maternal father.
Vexed, annoyed, disgusted. akachchha अकच्छc दिक, उदबेग Adj अकछाएब vi आजिज होएब be fed up, have one's patience tried to the limit
wage ajurà अजूरा n बोनि, वेतन |
wage paid in advance. agraur अगरौर अगाउ n
walnut akhrõât अखरोट अकरोट n
want abhãb अभाव खगता n
was/were achhal अछल छल, संस्क़oत आसीत/आसन् | obs vi
wash mouth after meal' assist someone to do so by pouring water àchàeb अंचाएब भोजनोत्त र हाथ मुह धोएब /धोआएब [आचम्] vi/vt अंचाओन n.
watch, ward agõrab अगोरब रखबारि करब vt अगोर n पहरा, रखबारि | warding. अगोरबाह रखबार |watchman. अगोरबहि n w/w.
watchman agorià अगोरिआ अगोरबाह n
Water for pooja achhinjal अछिङ्जल पूजाक हेतु राखल जल adj
water meant for worship and not used partly otherwise achhinjal अछिनजल पूजाक हेतु आनक जल जे अंशत- अन्यt प्रोजनमे खर्च कएने अपवित्र भए जाइत अछि | n
weak infirm adaddt अदरदिआह, अबल। adj
weed akharh अखढ. फसिलक बीचमे अनेरुआ उपज n अपत़ण |
well- conversant abhigya अभिज्ञ नीक जकाँ जननिहार adj n
well, okay achchà अच्छाà ठीक, बेस | int
What to say more ao अओ2 आदरणीय पुरूषक सम्बोtधन obs see आओर Ex अओ की कहू
while (someone/something) exists achhait अछैत रहैत | [prp of अछ] adv while (someone/something) exists. Ex हमरा अछैत अहाँ चिन्ताm नहि करू "Donot worry while I am here"
white sari with fringe coloured red àchraot अँचरोत उज्जोर साडी जकर ऑचरक कोर लाल रंगमे रंगल हो | [अच्च‍लावरक्तऑ] n
whole akhanda अखण्डd सम्पूdर्ण adj
wild custard apple attà अत्ताc बनैआ सरीफा। n
will akhat अखत अनुद्घाटित गुप्त पत्र | n
wiping body with soaked towel in lieu of taking bath aæpòchh अड.पोछ स्नाcनक बदला भीजल कपडासें देह पोछब | [अडप्रोक्षण] n अडपोछा n देह पोछबाक कप्पाg | napkin for wiping body, lovel.
with T. I. àchab° अँचव0 See अँचाएब
with T.l. aûhab° अढ.व0 See अढाएब with T.I.
without fear abhae अभय निर्भय adj n
wonder achraj अचरज अचम्भाt | [आश्च‍र्य] n
wonderful, mirachlous, unusual. adbhut अदभुत विचित्र, अजब। adj
wood of inferior type akath अकाठ निम्नo कोटिक काठ [अपकाष्ठe] n opp सुकाठ , good timber see अकट-मकट
worth 8 annas aâhanìà अठनिआ आठ आना मूल्यिक | [आठ आना-] adj worth 8 annas. अठन्नीg n आठ आना मूल्याक सिक्काo | coin of 8 annas/half a rupee value.
worth reproval adùs अदूस निन्द नीय। adj
written message akhar° अखर0 लिखित समाद n adj
yet to start teething adant अदन्तo जे दॅतल नहि हो। adj
young and yet untrained (ox) adàr अदार हर बाहबामे अनभ्यtस्तस कॉंच बएसक (बड़द) adj

१५. रचना लेखन-गजेन्द्र ठाकुर
जखन हमरा सभकेँ गप करबाक इच्छा होइत अछि, तखन संकल्पसँ जठराग्नि प्रेरित होइत अछि। नाभि लगक वायु वेगसँ उठैत मूर्धा धरि पहुँचि, जिह्वाक अग्रादि भाग द्वारा निरोध भेलाक अनन्तर मुखक तालु आदि भागसँ घर्षित होइत अछि आऽ तखन वर्णक उत्पत्ति होइत अछि। कम्पन भेलासँ वायु नादवान आऽ यैह गूँजित होइत पहुँचैत अछि मुँहमे आऽ ओकरा कहल जाइत अछि घोषवान, नादरहित भए पहुँचैत अछि श्वासमे आऽ ओकरा कहल जाइत अछि अघोषवान्।
श्वास प्रकृतिक वर्ण भेल ’अघोष’ , आऽ नाद प्रकृतिक भेल ’घोषवान्’। जाहि वर्णक उत्पत्तिमे प्राणवायुक अल्पता होइत अछि से अछि ’अल्पप्राण’ आऽ जकर उत्पत्तिमे प्राणवायुक बहुलता होइत अछि, से भेल ’महाप्राण’।
कचटतप केर पहिल, तेसर आऽ पाँचम वर्ण भेल अल्पप्राण आऽ दोसर आऽ चारिम वर्ण भेल महाप्राण। संगहि कचटतप केर पहिल आऽ दोसर भेल अघोष आऽ तेसर, चारिम आऽ पाँचम भेल घोषवान्। य र ल व भेल अल्पप्राण घोष। श ष स भेल महाप्राण अघोष आऽ ह भेल महाप्राण घोष।स्वर ओइछ अल्पप्राण, उदात्त, अनुदात्त आऽ स्वरित।

(अनुवर्तते)
मैथिलीक मानक लेखन-शैली

1. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-
ग्राह्य अग्राह्य
एखन अखन,अखनि,एखेन,अखनी
ठाम ठिमा,ठिना,ठमा जकर,तकर जेकर, तेकर तनिकर तिनकर।(वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य) अछि ऐछ, अहि, ए।
2. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैक्लपिकतया अपनाओल जाय: भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।
3. प्राचीन मैथिलीक ‘न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ‘न’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।
4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।
5. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत: जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।
6. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।
7. स्वतंत्र ह्रस्व ‘ए’ वा ‘य’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।
8. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, विआह, वा धीया, अढ़ैया, बियाह।
9. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।
10. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:- हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ‘क’ क वैकल्पिक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अछि।
11. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।
12. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।
13. अर्द्ध ‘न’ ओ अर्द्ध ‘म’ क बदला अनुसार नहि लिखल जाय(अपवाद-संसार सन्सार नहि), किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।
14. हलंत चिह्न नियमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।
15. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क’ लिखल जाय, हटा क’ नहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।
16. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रा पर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि।यथा- हिँ केर बदला हिं।
17. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।
18. समस्त पद सटा क’ लिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि क’ , हटा क’ नहि।
19. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।
20.
ग्राह्य अग्राह्य
1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला होयबाक/होएबाक
2. आ’/आऽ आ
3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ ल’/लऽ/लय/लए
4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल
5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
6. लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’
7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला
8. बला वला
9. आङ्ल आंग्ल
10. प्रायः प्रायह
11. दुःख दुख
12. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
13. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
14. देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
15. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
16. चलैत/दैत चलति/दैति
17. एखनो अखनो
18. बढ़न्हि बढन्हि
19. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) ओ
20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
21. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
22. जे जे’/जेऽ
23. ना-नुकुर ना-नुकर
24. केलन्हि/कएलन्हि/कयलन्हि
25. तखन तँ तखनतँ
26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल
27. निकलय/निकलए लागल बहराय/बहराए लागल निकल’/बहरै लागल
28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए
29. की फूड़ल जे कि फूड़ल जे
30. जे जे’/जेऽ
31. कूदि/यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद
32. इहो/ओहो
33. हँसए/हँसय हँस’
34. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/नौ वा दस
35. सासु-ससुर सास-ससुर
36. छह/सात छ/छः/सात
37. की की’/कीऽ(दीर्घीकारान्तमे वर्जित)
38. जबाब जवाब
39. करएताह/करयताह करेताह
40. दलान दिशि दलान दिश
41. गेलाह गएलाह/गयलाह
42. किछु आर किछु और
43. जाइत छल जाति छल/जैत छल
44. पहुँचि/भेटि जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल
45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)
46. लय/लए क’/कऽ
47. ल’/लऽ कय/कए
48. एखन/अखने अखन/एखने
49. अहींकेँ अहीँकेँ
50. गहींर गहीँर
51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ
53. तहिना तेहिना
54. एकर अकर
55. बहिनउ बहनोइ
56. बहिन बहिनि
57. बहिनि-बहिनोइ बहिन-बहनउ
58. नहि/नै
59. करबा’/करबाय/करबाए
60. त’/त ऽ तय/तए
61. भाय भै
62. भाँय
63. यावत जावत
64. माय मै
65. देन्हि/दएन्हि/दयन्हि दन्हि/दैन्हि
66. द’/द ऽ/दए
किछु आर शब्द
मानक मैथिली_३
तका’ कए तकाय तकाए
पैरे (on foot) पएरे
ताहुमे ताहूमे
पुत्रीक
बजा कय/ कए
बननाय
कोला
दिनुका दिनका
ततहिसँ
गरबओलन्हि गरबेलन्हि
बालु बालू
चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
जे जे’
से/ के से’/के’
एखुनका अखनुका
भुमिहार भूमिहार
सुगर सूगर
झठहाक झटहाक
छूबि
करइयो/ओ करैयो
पुबारि पुबाइ
झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँटि
पएरे-पएरे पैरे-पैरे
खेलएबाक खेलेबाक
खेलाएबाक
लगा’
होए- हो
बुझल बूझल
बूझल (संबोधन अर्थमे)
यैह यएह
तातिल
अयनाय- अयनाइ
निन्न- निन्द
बिनु बिन
जाए जाइ
जाइ(in different sense)-last word of sentence
छत पर आबि जाइ
ने
खेलाए (play) –खेलाइ
शिकाइत- शिकायत
ढप- ढ़प
पढ़- पढ
कनिए/ कनिये कनिञे
राकस- राकश
होए/ होय होइ
अउरदा- औरदा
बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
बुझएलन्हि/ बुझयलन्हि (understood himself)
चलि- चल
खधाइ- खधाय
मोन पाड़लखिन्ह मोन पारलखिन्ह
कैक- कएक- कइएक
लग ल’ग
जरेनाइ
जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ
होइत
गड़बेलन्हि/ गड़बओलन्हि
चिखैत- (to test)चिखइत
करइयो(willing to do) करैयो
जेकरा- जकरा
तकरा- तेकरा
बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ
हारिक (उच्चारण हाइरक)
ओजन वजन
आधे भाग/ आध-भागे
पिचा’/ पिचाय/पिचाए
नञ/ ने
बच्चा नञ (ने) पिचा जाय
तखन ने (नञ) कहैत अछि।
कतेक गोटे/ कताक गोटे
कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई
लग ल’ग
खेलाइ (for playing)
छथिन्ह छथिन
होइत होइ
क्यो कियो
केश (hair)
केस (court-case)
बननाइ/ बननाय/ बननाए
जरेनाइ
कुरसी कुर्सी
चरचा चर्चा
कर्म करम
डुबाबय/ डुमाबय
एखुनका/ अखुनका
लय (वाक्यक अतिम शब्द)- ल’
कएलक केलक
गरमी गर्मी
बरदी वर्दी
सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
एनाइ-गेनाइ
तेनाने घेरलन्हि
नञ
डरो ड’रो
कतहु- कहीं
उमरिगर- उमरगर
भरिगर
धोल/धोअल धोएल
गप/गप्प
के के’
दरबज्जा/ दरबजा
ठाम
धरि तक
घूरि लौटि
थोरबेक
बड्ड
तोँ/ तूँ
तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
तोँही/तोँहि
करबाइए करबाइये
एकेटा
करितथि करतथि
पहुँचि पहुँच
राखलन्हि रखलन्हि
लगलन्हि लागलन्हि
सुनि (उच्चारण सुइन)
अछि (उच्चारण अइछ)
एलथि गेलथि
बितओने बितेने
करबओलन्हि/ करेलखिन्ह
करएलन्हि
आकि कि
पहुँचि पहुँच
जराय/ जराए जरा’ (आगि लगा)
से से’
हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
फेल फैल
फइल(spacious) फैल
होयतन्हि/ होएतन्हि हेतन्हि
हाथ मटिआयब/ हाथ मटियाबय
फेका फेंका
देखाए देखा’
देखाय देखा’
सत्तरि सत्तर
साहेब साहब

१६. VIDEHA FOR NON RESIDENT MAITHILS
VIDEHA MITHILA TIRBHUKTI TIRHUT---


The site near Darbhanga Railway Station, Harahi, meaning in Maithili language, the site of bones is still unclassified and unstudied. The study of primitive castes and tribes of Mithila may however be conducted. As early as the 5th century A. D. several tribes made up the Vajjian Confederacy one of the constituent was Lichhavis, for a long time they were considered as foreign stock Jyotirisvara's Varnaratnkara enumerates various other tribes, namely, Tatama, Dhanukha, Goara, Khatbe, Amata.
The Brahmanas did not cross Sadanira. When Malhava reached the Sadanira he asked the Agni, where shall be his abode. Agni replied that to the east of Sadanira. Agni did not burnt the Paurava territory including N. Panchala and the Ayodhya as these were and they remained cultivated regions even in early times which is absurd. 1f it enshrines any historical truth, it might mean that the reformed Brahmanism passed from the Bharata Kingdom to Ayodhya and then to Vidcha.

Videha country was following Vedic culture long before the Brahmana age in the early Samhita age of the Rigveda. Yajurveda Samhita mentions the cows of Videha as particularly famous in Ancient India. In Brihadaranyaka Upanishad Samrat Janaka is mentioned as a great patron of Vedic culture and the Videha Brahmanas were superior to the Kuru Panchalas in the Upanishadic phase of the development of Vedic culture. A particular sacrificial rite fire adds, Gautama Rahugana is credited with the discovery of the Mitravinda sacrifice, further revived by Emperor Janaka, through Yajnavalkya. Nami Sapya Vaideha Raja performed elaborate sacrifices and reached heaven, the name of this King appears in several passages in the Rigveda , e.g., Nami was the friend and associate of Indra in quarelling the Asura Namuci and in the fight with Namuci Indra protected Nami Sapya.

Maithila Raja learnt the science of fighting with mace from Duryodhana. When the centre of power shifted from the city of Mithila to the city of Vaisali about 34 kms. north of Muzaffarpur, here the Videhan princes formed one of the eight important clans of Vajjian confederacy.
During the age of Mauryas Mithila became subject to the suzerainty of Magadh but Lichchhavis were not completely exterminated. Their name ,however, is conscpicious by its absence at the Second Buddhist council held in c 377 B.C or when Asoka installed an uninscribed pillar at this place in 250 B.C. But after two centuries from then Kautilya speaks about Sangha form of government and advises King Chandra-gupta Maurya of Magadha to seek the help of these Sanghas which, on account of their unity and concord were almost unconquerable.
During the age of the Guptas the Lichchhavis appear to have possessed considerable political power in North East India. Chandragupta has Lichehhavi wife Kumaradevi. Chandragupta II ‘s son Govindgupta was the governor appointed over the Province which came to be known as Tirabhukti. Excavations at Basarh, the ancient site of Vaisali have yielded a hundred and twenty varieties of seals, and a variety of coins of the Gupta Age. The seals are those of Officials, which were attached to the governors or chiefs of that district residing at Vaisali. The number of seals attached to letters sent by merchants and bankers, point to the large commercial transactions that were conducted in these days between the chiefs and important traders from Patliputra and other cities. It seems that a chamber of commerce like institution was in force.

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रचनाक अनुवाद आ' पुनः प्रकाशन किंवा आर्काइवक उपयोगक अधिकार किनबाक हेतु ggajendra@videha.co.in पर संपर्क करू। एहि साइटकेँ प्रीति झा ठाकुर, मधूलिका चौधरी आ' रश्मि प्रिया द्वारा डिजाइन कएल गेल।
सिद्धिरस्तु



17. मैथिली आ' मिथिलासँ संबंधित मुख्य साइट:-
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http://www.maithils.net/
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http://gov.bih.nic.in/
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http://www.sahitya-akademi.gov.in/
http://www.csuchico.edu/anth/mithila/
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http://www.southasianist.info/india/mithila/index.html
http://www.mithilalive.com/
http://www.ethnologue.com/show_language.asp?code=mai
http://linguistlist.org/forms/langs/LLDescription.cfm?code=mai
http://www.languageshome.com/English-Maithili.htm
http://www.rosettaproject.org/archive/mai
http://www.nepalgov.gov.np/
http://maithili-mp3-songs.folkmusicindia.com/
http://www.ciil.org/
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http://www.fortunecity.com/victorian/charcoal/49/
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दूर्वाक्षत मंत्र (शुक्ल यजुर्वेद अध्याय 22, मंत्र 22)
आ ब्रह्मन्नित्यस्य प्रजापतिर्ॠषिः। लिंभोक्त्ता देवताः। स्वराडुत्कृतिश्छन्दः। षड्जः स्वरः॥
आ ब्रह्म॑न् ब्राह्म॒णो ब्र॑ह्मवर्च॒सी जा॑यता॒मा रा॒ष्ट्रे रा॑ज॒न्यः शुरे॑ऽइषव्यो॒ऽतिव्या॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोग्ध्रीं धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः सप्तिः॒ पुर॑न्धि॒र्योवा॑ जि॒ष्णू र॑थे॒ष्ठाः स॒भेयो॒ युवास्य यज॑मानस्य वी॒रो जा॒यतां निका॒मे-नि॑कामे नः प॒र्जन्यों वर्षतु॒ फल॑वत्यो न॒ऽओष॑धयः पच्यन्तां योगेक्ष॒मो नः॑ कल्पताम्॥२२॥
मन्त्रार्थाः सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव।

हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आ’ सर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होथि, आ’ शुत्रुकेँ नाश कएनिहार सैनिक उत्पन्न होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सक्षम होथि आ’ घोड़ा त्वरित रूपेँ दौगय बला होए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबामे सक्षम होथि आ’ युवक सभामे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आ’ नेतृत्व देबामे सक्षम होथि। अपन देशमे जखन आवश्यक होय वर्षा होए आ’ औषधिक-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहए। एवं क्रमे सभ तरहेँ हमरा सभक कल्याण होए। शत्रुक बुद्धिक नाश होए आ’ मित्रक उदय होए॥
मनुष्यकें कोन वस्तुक इच्छा करबाक चाही तकर वर्णन एहि मंत्रमे कएल गेल अछि।
एहिमे वाचकलुप्तोपमालड़्कार अछि।
अन्वय-
ब्रह्म॑न् - विद्या आदि गुणसँ परिपूर्ण ब्रह्म
रा॒ष्ट्रे - देशमे
ब्र॑ह्मवर्च॒सी-ब्रह्म विद्याक तेजसँ युक्त्त
आ जा॑यतां॒- उत्पन्न होए
रा॑ज॒न्यः-राजा
शुरे॑ऽ–बिना डर बला
इषव्यो॒- बाण चलेबामे निपुण
ऽतिव्या॒धी-शत्रुकेँ तारण दय बला
म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीर
दोग्ध्रीं-कामना(दूध पूर्ण करए बाली)
धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी र्वोढा॑न॒ड्वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-त्वरित
सप्तिः॒-घोड़ा
पुर॑न्धि॒र्योवा॑- पुर॑न्धि॒- व्यवहारकेँ धारण करए बाली र्योवा॑-स्त्री
जि॒ष्णू-शत्रुकेँ जीतए बला
र॑थे॒ष्ठाः-रथ पर स्थिर
स॒भेयो॒-उत्तम सभामे
युवास्य-युवा जेहन
यज॑मानस्य-राजाक राज्यमे
वी॒रो-शत्रुकेँ पराजित करएबला
निका॒मे-नि॑कामे-निश्चययुक्त्त कार्यमे
नः-हमर सभक
प॒र्जन्यों-मेघ
वर्षतु॒-वर्षा होए
फल॑वत्यो-उत्तम फल बला
ओष॑धयः-औषधिः
पच्यन्तां- पाकए
योगेक्ष॒मो-अलभ्य लभ्य करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षा
नः॑-हमरा सभक हेतु
कल्पताम्-समर्थ होए
ग्रिफिथक अनुवाद- हे ब्रह्मण, हमर राज्यमे ब्राह्मण नीक धार्मिक विद्या बला, राजन्य-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जन्तु, उद्यमी नारी होथि। पार्जन्य आवश्यकता पड़ला पर वर्षा देथि, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपत्ति अर्जित/संरक्षित करी।

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सिद्धिरस्तु



1 comment:

  1. मान्यवर,
    1.अहाँकेँ सूचित करैत हर्ष भ’ रहल अछि, जे ‘विदेह’ प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/ पर ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ’ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ’ सातो दिन उपलब्ध होए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होए आ’ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ’ भौगोलिक दूरीक अंत भ’ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ’ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ’ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। पुरान अंक pdf स्वरूपमे डाउनलोड कएल जा सकैत अछि आ’ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ’ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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