भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Saturday, August 30, 2008
कोसी- गजेन्द्र ठाकुर
सगर परबत से नाम्हल कोसिका माता, भोटी मुख कयेले पयाम
आगू-आगू कोयला वीर धसना खभारल, पाछू-पाछू कोसिका उमरल जाय
नाम्ही-नाम्ही आछर लिखले गंगा माता, दिहलनि कोसी जी के हाथ
सात रात दिन झड़ी नमावल चरहल चनन केर गाछे ये
चानन छेबि-छेबि बेड़ बनावल, भोटी मुख देव चढ़ी आय ये
गहिरी से नदिया देखहुँ भेयाउन, तहाँ देल झौआ लगाय
रोहुआक मूरा चढ़ी हेरये कोसिका, केती दूर आबैय छे बलान
मार-मार के धार बहिये गेल, कामरू चलल घहराय
पोखरि गहीर भौरये माता कोसिका, कमला के देल उपदेस
माछ-काछु सब उसरे लोटाबय, पसर चरयै धेनु गाय
गाइब जगत के लोक कल जोरी, आजु मइआ इबु न सहाय।
मिथिलाक धरती बाढ़िक विभीषिकासँ आइ काल्हि जूझि रहल अछि। कुशेश्वरस्थान दिसुका क्षेत्र तँ बिन बाढ़िक बरखाक समयमये डूमल रहैत अछि। मुदा ई स्थिति १९७८-७९ केर बादक छी। पहिने ओऽ क्षेत्र पूर्ण रूपसँ उपजाऊ छल, मुदा भारतमे तटबन्धक अनियन्त्रित निर्माणक संग पानिक जमाव ओतए शुरू भए गेल। मुदा ओहि क्षेत्रक बाढ़िक कोनो समाचार कहियो नहि अबैत अछि, कहियो अबितो रहए तँ मात्र ई दुष्प्रचार जे ई सभटा पानि नेपालसँ छोड़ल गेल पानिक जमाव अछि। ओतुक्का लोक एहि नव संकटसँ लड़बाक कला सीखि गेलाह। हमरा मोन अछि ओऽ दृश्य जखन कुशेश्वरस्थानसँ महिषी उग्रतारास्थान जएबाक लेल हमरा बढ़िक समयमे अएबाक लेल कहल गेल छल कारण ओहि समयमे नाओसँ गेनाइ सरल अछि, ई कहल गेल। रुख समयमे खत्ता, चभच्चामे नाओ नहि चलि पबैत अछि आऽ सड़कक हाल तँ पुछू जुनि। फसिलक स्वरूपमे परिवर्तन भेल, मत्स्य-पालन जेना तेना कए ई क्षेत्र जबरदस्तीक एकटा जीवन-कला सिखलक। कौशिकी महारानीक एहि बेरक प्रकोप ओहि दुष्प्रचारकेँ खतम कए पाओत आकि नहि से नहि जानि!
पहिने हमरा सभ ई देखी जे कोशी आऽ गंडकपर जे दू टा बैराज नेपालमे अछि ओकर नियन्त्रण ककरा लग अछि। ई नियन्त्रण अछि बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक लग आऽ एतए बिहार सरकारक अभियन्तागणक नियन्त्रण छन्हि। पानि छोड़बाक निर्णय बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक हाथमे अछि। नेपालक हाथमे पानि छोड़बाक अधिकार तखन आएत जखन ओतुक्का आन धार पर बान्ह/ छहर बनत, मुदा से ५० सालसँ ऊपर भेलाक बादो दुनू देशक बीचमे कोनो सहमतिक अछैत सम्भव नहि भए सकल। किएक?
सामयिक घटनाक्रम- कोशीपर भीमनगर बैरेज, कुशहा, नेपालमे अछि। १९५८ मे बनल एहि छहरक जीवन ३० बरख निर्धारित छल, जे १९८८ मे बीति गेल। दुनू देशक बीचमे कोनो सहमति किएक नहि बनि पाओल? छहरक बीचमे जे रेत जमा भए जाइत अछि, तकरा सभ साल हटाओल जाइत अछि। कारण ई नहि कएलासँ ओकर बीचमे ऊंचाई बढ़ैत जाएत, तखन सभ साल बान्धक ऊँचाई बढ़ाबए पड़त। एहि साल ई कार्य समयसँ किएक नहि शुरू भेल? फेर शुरू भेल बरखा, १८ अगस्तकेँ कोशी बान्धमे २ मीटर दरारि आबि गेल। १९८७ ई.क बाढ़ि हम आँखिसँ देखने छी। झंझारपुर बान्ध लग पानि झझा देलक, ओवरफ्लो भए गेल एक ठामसँ, आऽ आँखिक सोझाँ हम देखलहुँ जे कोना तकर बाद १ मीटरक कटाव किलोमीटरमे बदलि जाइत अछि। २७-२८ अगस्त २००८ धरि भीमनगर बैरेजक ई कटाव २ किलोमीटर भए चुकल अछि। आऽ ई करण भेल कोशीक अपन मुख्य धारसँ हटि कए एकटा नव धार पकड़बाक आऽ नेपालक मिथिलांचलक संग बिहारक मिथिलांचलकेँ तहस नहस करबाक। नासाक ८ अगस्त २००८ आऽ २४ अगस्त २००८ केर चित्र कौशिकीक नव आऽ पुरान धारक बीच २०० किलोमीटरक दूरी देखा रहल अछि। भीमनगर बैरेज आब एकटा कोशीक सहायक धारक ऊपर बनल बैरेज बनि गेल।
राष्ट्रीय आपदा: जाहि राज्यमे आपदा अबैत अछि, से केन्द्रसँ सहायताक आग्रह करैत अछि। केन्द्रीय मंत्रीक टीम ओहि राज्यक दौरा करैत अछि आऽ अपन रिपोर्ट दैत अछि जाहिपर केन्द्रीय मंत्रीक एकटा दोसर टीम निर्णय करैत अछि, आऽ ओऽ टीम निर्णय करैत अछि जे ई आपदा राष्ट्रीय आपदा अछि वा नहि। बिहारक राजनीतिज्ञ अपन पचास सालक विफलता बिसरि जखन एक दोसराक ऊपर आक्षेपमे लागल छलाह, मनमोहन सिंह मंत्रीक प्रधानक रूपमे दौरा कए एकरा राष्ट्रीय आपदा घोषित कएलन्हि। कारण ई लेवल-३ केर आपदा अछि, कारण ई सम्बन्धित राज्यक लेल असगरे, नहि तँ वित्तक हिसाबसँ आऽ नहिए राहतक आबंटनक/ सक्षमताक हिसाबसँ , एहिसँ पार संभव अछिअछि। आब राष्ट्रीय आकस्मिक आपदा कोषसँ सहायता देल जाऽ रहल अछि, किसानक ऋण-माफी सेहो सम्भव अछि।
उपाय की हो? कुशेश्व्रर स्थानक आपदा सभ-साल अबैछ, से सभ ओकरा बिसरिए जेकाँ गेलाह। मुदा आब की हो? दामोदर घाटीक आऽ मयूरक्षी परियोजना जेकाँ कार्य कोशी, कमला, भुतही बलान, गंडक, बूढ़ी गंडक आऽ बागमतीपर किएक सम्भव नहि भेल? विश्वेश्वरैय्याक वृन्दावन डैम किएक सफल अछि। नेपाल सरकारपर दोषारोपण कए हमरा सभ कहिया धरि जनताकेँ ठकैत रहब। एकर एकमात्र उपाए अछि बड़का यंत्रसँ कमला-बलान आदिक ऊपर जे माटिक बान्ध बान्हल गेल अछि तकरा तोड़ि कए हटाएब आऽ कच्चा नहरिक बदला पक्का नहरिक निर्माण। नेपाल सरकारसँ वार्ता आऽ त्वरित समाधन। आऽ जा धरि ई नहि होइत अछि तावत जे अल्पकालिक उपाय अछि, जेना बरखा आबएसँ पहिने बान्हक बीचक रेतकेँ हटाएब, बरखाक अएबाक बाट तकबाक बदला किछु पहिनहि बान्हक मरम्मतिक कार्य करब। आऽ एहि सभमे राजनीतिक महत्वाकांक्षाकेँ दूर राखब। कोशीकेँ पुरान पथपर अनबाक हेतु कैकटा बान्ह बनाबए पड़त आऽ ओऽ सभ एकर समाधान कहिओ नहि बनि सकत।
स्कूल कॊलेजमे छुट्टी गर्मी तातिलक बदलामे बाढ़िक समए देबामे कोन हर्ज अछि, ई निर्णय कोन तरहेँ कठिन अछि?
5 comments:
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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ee blog samyikta ke nahi bisarait achhi, sukho me dukho me, dhanyavaada.
ReplyDeletesabh bindi vichar karba lel badhya karait achhi.
ReplyDeleteehi sabh bindu par chintan hebak chahi.
ReplyDeleteee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.
ReplyDeletedr palan jha
bad nik aalekh
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