भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Saturday, October 11, 2008
कान्तिपुर, नेपालक तुलजाभवानी मंदिरक शिलालेख पर अंकित प्रतापमल्लक मैथिली गीत
कवीन्द्र प्रतापमल्ल(१६४१-७४)- नरसिंहमल्लक पश्चात् कान्तिपुरक राजसिंहासनपर बैसलाह। हिनकर भक्तपुर, पाटन आऽ मधेसपर धाक छलन्हि। हिनकर वैवाहिक सम्बन्ध कूचबिहारक राजा वीरनाराय़णक पुत्री रूपमती, कर्णाट-कन्या राजमती, महोत्तरी राज्याधिप कीर्तिनारायणक पुत्री लालमीत ओ अनन्तप्रिया, प्रभावतीक सग छलन्हि। संस्कृत, नेवारी, मैथिली आऽ नेपालीक संग आन भाषा सभक विद्वान् छलाह आऽ तिरहुता समेत पन्द्रह तरहक लिपिक सूचना हुनकर शिलालेखमे प्राप्त होइत अछि।
हेरह हरषि दूष हरह भवानि।
तुअ पद सरण कएल मने जानि।।
मोय अतुइ दीन हीन मति देषि।
कर करुणा देवि सकल उपेषि॥
कुतनय करय सहस अपराध।
तैअओ जननि कर वेदन बाध॥
परतापमल्ल कहए कर जोरि।
आपद दूर कर करनाट किशोरि॥
17 comments:
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
जितेन्द्र झा (जीतू) जी, अहाँ मिथिला आर मैथिलपर स्वागत अछि। नेपालक मैथिल समाज आऽ साहित्यसँ एहिना आगाँ सेहो अहाँ हमरा लोकनिक परिचय करबैत रहब, से आशा अछि। आइ एहि ब्लॉगमे एकटा आर विशेषता जुड़ि गेल।
ReplyDeleteগজেন্দ্র ঠাকুব
आदरणीय झाजी प्रणाम
ReplyDeleteमैथिल आर मिथिला पर अपनेक स्वागत अछि ! अपनेकेँ एहीठाम देखि काँ बहुत खुश भेलो जकर दुईगोट कारण अछि, पहिलुक ई जे आहाकेँ आर हमर नाम एके अछि, दोसर अपने नेपालसँ पधारल छी ! सच पुछूतँ आई अपनेक उपस्थितिसँ हम महसूस केलो की हमर मेहनत सफल भोs गेल ! अपनेसँ हमर अनुरोध अछि जे नेपालक सभ मैथिली प्रेमी लोकेनकेँ एहिठाम जोरे के प्रयास करब ....
धन्यवाद ....
svagat achi jitendra ji, active roop me likhait rahi se aagrah.
ReplyDeleteJitu ji, ee blog bad din se dekhi rahal chhi, stutya prayas achhi.
ReplyDeletebad nik, dunu jitu bhaiya mil ke jhamka deliyaik.
ReplyDeleteपरतापमल्ल कहए कर जोरि।
ReplyDeleteआपद दूर कर करनाट किशोरि॥
bah, bar nik jitendra ji.
svagat achi jitendra ji.
ReplyDeletejitendra ji ahan ke aagman ehi blog ke sundarta me chari chand laga delak
ReplyDeleteनमस्कार जीतू जी। शुरुआत बड्ड नीक। आब अपन लिखल रचना सेहो पोस्ट करू, बेसब्रीसँ प्रतीक्षा क' रहल छी।
ReplyDeleteexcellent beginning jitendra ji. keep it up.
ReplyDeleteहेरह हरषि दूष हरह भवानि।
ReplyDeleteतुअ पद सरण कएल मने जानि।।
मोय अतुइ दीन हीन मति देषि।
कर करुणा देवि सकल उपेषि॥
कुतनय करय सहस अपराध।
तैअओ जननि कर वेदन बाध॥
परतापमल्ल कहए कर जोरि।
आपद दूर कर करनाट किशोरि॥
bah
bad nik, apan rachna seho jaldi se post karu.
ReplyDeletedhamgijjar kay delho jitendra ji, apan rachna seho pathau, jaldi se
ReplyDeleteउच्चस्तरीय रचना अछि एतए।
ReplyDeleteडॉ. पालन झा
हेरह हरषि दूष हरह भवानि।
ReplyDeleteतुअ पद सरण कएल मने जानि।।
jay ma, jhuma delau jitu bhai, dunu jitu bhai
जितमोहन जी अहां के ब्लोग बहुत मौलिक अईछ.डिजाईन और सन्ग्र्ह अत्यंत उत्तम श्रेणी के अईछ। ब्लोग्गिं जारी राखू । बेस्ट Wishes !
ReplyDeleteatyttam
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