भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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Tuesday, March 03, 2009
शब्द- सतीश चन्द्र झा
निन्न पड़ल निश्बद्द राति मे।
अछि उदंड, उत्श्रृखल सबटा
नहि बूझत किछु बात राति मे।
केना करु हम बंद कान के
उतरि जाइत अछि हृदय वेदना।
बैसि जाइत छी तैं किछु लिखय
छीटल शब्द हमर अछि सेना।
कखनो कोरा मे घुसिया क’
बना लैत अछि कविता अपने
जुड़ल जाइत अछि क्लांत हृदय मे
शब्द शब्द के हाथ पकड़ने।
कविता मे किछु हमर शब्द के
नहि व्याकरणक ज्ञान बोध छै।
सबटा नग्न, उघार रौद मे
नेन्ना सन बैसल अबोध छै।
कखनो शब्द आबि क’ अपने
जड़ा दैत अछि प्रखर अग्नि मे।
कखनो स्नेह,सुरभि,शीतलता
जगा दैत अछि व्यग्र मोन मे।
क्षमा करब जौ कष्ट हुए त’
पढ़ि क’ कविता शब्दक वाणी।
शब्द ब्रह्म अछि नहि अछि दोषी
छी हमही किछु कवि अज्ञानी।
20 comments:
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
अहाँक आगमन मोन झुमा देलक,
ReplyDeleteकखनो कोरा मे घुसिया क’
ReplyDeleteबना लैत अछि कविता अपने
जुड़ल जाइत अछि क्लांत हृदय मे
शब्द शब्द के हाथ पकड़ने।
कविता मे किछु हमर शब्द के
नहि व्याकरणक ज्ञान बोध छै
aha ha
चिकड़ि रहल अछि शब्द आबि क’
ReplyDeleteनिन्न पड़ल निश्बद्द राति मे।
अछि उदंड, उत्श्रृखल सबटा
नहि बूझत किछु बात राति मे।
केना करु हम बंद कान के
उतरि जाइत अछि हृदय वेदना।
ahank aagman ehi blog ke sundar bana delak
shabdak chhi saudagar ahan rahi katay nukayal,
ReplyDeletebajoo baajoo kavi ji ahan,
dosar kavita l;ay kahiya aayab
bad nik lagal ee padya
ReplyDeletebad nik, hriday se niklal
ReplyDeletegambhir chintan se upjal kavita
ReplyDeletegambhir kavita, bad nik lagal
ReplyDeleteचिकड़ा-भोकड़िक शब्द जाल में, सभ साहित्य समाहित अछि
ReplyDeleteउत्कृष्ट शब्द आ एक एक अक्षर, सुंदर आ अनुशासित अछि
नव नव रचना पढ़ितहुँ मैथिलि के, से नेना में रहय उमंग
इन्टरनेट के एहि विकसित युग में, छी गौरवान्वित पाबि अपने सबहक संग
सतीश चन्द्र झा जी अपनेक कविता के बखान करवाक लेल सब्द नहीं अच्छी
ReplyDeleteशब्द ब्रह्म अछि नहि अछि दोषी
ReplyDeleteछी हमही किछु कवि अज्ञानी।........Hamar favourite line.
Bahut neek kavita ai'chh.Humara bad neek lagal.Ahaan ke kavita sab kavita ke gangotri laig rahal ai'chh. Ahan शब्द se shuruat aur शब्द se aant ka deliyei kavita ke...theek baat kahliyei.. शब्द brahma ai'chh.
Keep it up. We are yearning for few more lines to flow from your pen.
आइ हमरा अपना पर गर्व भय रहल अछि की हम आहॉ के भगिनी छी। बच्चे सॅ आहॉ के कविता अौर गीत सुनि कय और गाबि कय पैघ भेलौ॑। आइ महसूस भेल कि आहॉ के इ शब्दक सेना असाधारण अछि। ओहि मे विश्व विजय के छमता छै। हमर सब गोटा के आहॉ सॅ येह अनुरोध अछि कि आहॉ अपन सेना के लय आगू बढू और एक नव युगक के निर्माण करू।
ReplyDeleteरजनी पल्लवी (पम्मी)
bahu t nik lagal ...kavita aa sabd rachana.
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteAhan apan rachna san shabd ke jivit kay deliyaik. Jena jena kavita hum aga padhait gelaun.... anubhav bhel, kavi ta matra eakta madhyam chhaith sabta karya tay sabd kay rahal achhi.Sabdak sunder, sajiv chitran achhi Eak eak shabd santulit aa sundar achhi.
ReplyDeleteHum ki khaoo ahaan ke...
padhait padhait gala bhari ayal
shabdak shakti manav lel sabh se paigh uplabdhi
ReplyDeleteTutal bikhral, shabdak joral,
ReplyDeletechi senani shbdak kavivar ,
Trishna Mithya Ke Tori chalu,
Likhu ahina mithila Dinkar..
Shabdak Atikraman aa bilupt hoit mithili kavita ke ek ta nav roop devak lel dhanyabad. Pushpak mala jenka ek ek shabd guthal.Shshakt abhivyakti aa hridaysparshi muda kathor prahar ohi samuday par je shabdak marm hriday hot karait chaith.
..Ehina Nav nav tarksangat rachna likhu , hamra taraph say rating achi ***********....
Shabdak Atikraman aa bilupt hoit mithili kavita ke ek ta nav roop devak lel dhanyabad. Pushpak mala jenka ek ek shabd guthal.Shshakt abhivyakti aa hridaysparshi muda kathor prahar ohi samuday par je shabdak marm hriday hot karait chaith.
ReplyDelete..Ehina Nav nav tarksangat rachna likhu , hamra taraph say rating achi ***********....
Hats off
Alok from Dubai
your two poem in maithili touched the very core of my heart.Specially "nav aa jeevan" through which you have drawn a vivid picture of life and death ,appled me more. Hoping you shall be serving maithili in future also and waiting for your another poem.
ReplyDeleteबहुत नीक प्रस्तुति।
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