भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Saturday, March 21, 2009
बुढ़ी माता- कथा- अमित कुमार "गोपाल",
बुढी माता - Source of inspiration
ई बात जनवरी १९९५ के छी, मेडिकल केाचिगं क्लास ५.३० बजे भेार साँ हेायत रहै, हम घर साँ अन्हारे ४.३० - ४.४५ में निकलैत रही, पटना में जनवरी मास में बहुत ठंढा परैत छै। वेा समय में आई काल साँ बेसी ठंढा परैत रहे। ठंढा उपर साँ सुनसान रास्ता बहुत डर लागैत रहै, लेकिन इक नया जोश में सब किछ बिसेर जाईत रही, ११ जनवरी के कोचिंग में मेाडयुल टेस्ट रहै ई कारण हम ४.०० बजे भेारे घर साँ निकल परलु जे ठंढा के कारन लेट ने हुए। हम जहिना पुनाईचक-हरताली मेार के बीच रेलवे लाईन लग पहुँच लु, अचानक इक टा घेाघ तानने , करिया कंबल अेाढने एक टा मनुख सामने आबि गेल, डर साँ हम साईकिल सा गिर परलु, वो बहुत बुढ आ कमर लग साँ झुकल लागल। हम ऊठ के ठाढ भेलु...गरदा सब झार कऽ जहिना चले लाऽ भेलु तहिना आबाज देलक सुन...अ....बैाआडर साऽ हालत खराब भ गेल....चारेा तरफ सा सन..सन जकाऽ अवाज महसुस हुए लागल, डरल-डरल आेकरल लग गेलु...पुछलक कताऽ जाए रहल छै...हमरा सा पुछलक (ता तक अपन घेाघ नए हटाने रहे)..डर साँ आवाज जल्दी नेऽ निकलल..लेकिन हिम्मत कऽ के जबाब देलु...केाचिगं जा रहम छी।फेर पुछलक कथी के पढाई करे छैहम कहलु... डाक्टरी के तैयारी करे छी.. अच्छा बेस.देासर पढाई में मेान नेऽ लागे छेा...कनि देर रूक तखन जाभियेता तक टाईम लगभग ४.४५ भऽ गेल रहे, एक..दु टा आदमी सब सडक पर सेहेा नजर आबे लागल, लेट हेाएत रही ए कारन हि्म्मत कऽ के कहलेा.. हमरा लेट भ रहल ये..हमर आइ परीक्षा छी ।कुनु बात नेऽ । जबाब भेटलबर असमंजस में पैर गेलु..की करी नइ करी, एक मेान हेाए रहे राह चलैत लेाग के अवाज दी लेकिन रेाड फेर सुनसान भऽ गेल lतखन वेा अपन घेाघ हटालक हुनकर चेहरा के देखते लगभग बेहोश भऽ गेलु...बुढ झुरीदार चेहरा आ उपर साँ मर्द जका मुछ दाढी..हे भगवान आई तक एहन नेऽ देखने रहु ।हमर हाउ भाउ के देख बाजल - हमरा देख क डर लागे छेा.. नए डर हम देासर कियेा नए छियेा ।पता नए किए वेा किछ अपन जकाँ लागल, ता तक लगभग ५ साँ उपर टाईम भ गेल रहे, रेाड पर दुध बाला, पेपर बाला सब नजर आबे लागल, किछ देर के बाद आवाज भेटल आब तु जेा...घुरेत काल आभये।हम हवा के भाति तीर सा भे बेसी तेज साँ निकलु..बहुत लेट भा गेल रहु साईकिल के अपन क्षमता सा भी तेज स्पीड सा चलाएब सुरु का देलु, जहिना गाँधी मैदान-सब्जी बाग के मुह पर पहुचलु ..देखलु जे जबरदस्त एक्सीडेंट भेल रहे, पुरा रास्ता पुलिस बंद क देने रहे, एक्सीडेंट लगभग १५-२० मिनट पहले भेल रहे जही में ४ टा आउर १ टा चाई बाला दुकानदार मारल गेल रहे.. उ ४ टा हमरे केाचिगं के छात्र रहे, जे चाए पीबा के खातिर रुकल रहे लेकिन ?हमहु अेाहि चाई वाला के दुकान पर रेाज रुकेत रही ( अगर बुधी माता नए भेटतिए ता हमहु उ टाईम चाए के दुकान पर रहतु...फेर पता नए )चाए पीबे के आदत नए रहे लेकिन ठंढा के चलते पीब लेत रही ।कहुना केाचिगं पहुच लु...उ ठाम घटना के सुचना पहुच गेल रहे.. केाचिगं २ दिन के वास्ते बंद भा गेल, छात्र के घर वाला के सुचना द देल गेले, हमहु बुझल मेान साँ घर वापस हुए लागलु घर घुरेत काल वेा बुढिया फेर वही ठाम भेटल वेाहिना घेाघ तानने, लग जा के सब घटना सुनाले के बाद भी हमर जबाब नए देलक...किछ देर के बाद कहलक - बेाआ हमरा भुख लागल ये,कि खेबे - हम पुछलुचुरा आ सकर जबाब भेटल।संयेाग एहन रहे ताबि तक ई सब तरह के समान खरीदे के वास्ते दुकान पर नेए गेल रहु (कारन जे घर मे काज करे लेल ढेर आदमी रहे, आउर हम सब साँ छेाट रही)फिर भी दुकान जा कऽ चुरा सकर किनि काऽ आनलु,किछ देर के बाद हम पुछलु - कतेऽ जेभी हम पहुंचा देबेाकतेा नेऽ - जबाब भेटलरह भी कतऽ - हम पुछलुए जगह - सीधा जबाब भेटलखाना कतऽ खेवी, पुछला पर जबाब भेटल - तु खुआ, बेसी बक-बक ने कर खाए ले दे फेर पुछए जे पुछे के छेा (बिल्कुल रुखल जबाब भेटल)संग ही स्नेह साँ कहलक - तुहेा खेा ।हम ता अजीब मु्स्किल मे पर गेलु, अेाकराअकेले छेाएर के जाए के मेान सेहेा नए करेत रहे..बहुत सोचला के बाद डिसिजन ले लु जे एकरा अपन संग लऽ जाइल जाए ।रिक्सा पर बुढिया माता आ साईकिल साँ हम घर पहुच लु, अेाकरा गेट के बाहर ठाढ कऽ हम घर गेलु, सब कहानी अपन माता जी के बतालु, बुढी माता बाहर ठाढ छे सेहेा कहलु, माता जी के आज्ञा भेल नीचा में एकटा रुम खाली छै अेाए में हुनका जगह देल जाए सब ब्यबस्था (बिछेाना, कंबल ,साफ सारी) कऽ क घर में बेसालु, शाम में बाबु जी आफिस सा एला ता हुनकेा सब कहानी बतालु, बाबु जी पुछला - कहिया तक इ रहतेा, नए पता हम कहलेा, फेर माता जी सब संभाल लेली आ बाबु जी के समझा देलखिन । बुढी माता के सेवा करब हमर रेाज के ड्युटी भ गेल, केाचिग जाए सा पहिने आ आबे के बाद १ सा १.३० घंटा हमर टाईम बुढी माता लग बीते लागल । खाना के अलग-अलग फरमाइश हेाएत सब किछ पुरा करेत १ ह्फता बीतल, एक दिन अपना लग बेसा हमरा बारे में पुछे लागल (जेना अपन दादी, बाबा,अग्ज) अतिंम में कहल गेल देासर पढाई (मेडकल छेार क) कर बहुत नाम हेतेा, बहुत पैसा कमाबे, माइ-बाबु जी के नाम सेहेा हेतेा । १० वाँ दिन रात में बिना कीछ बताने पता नए कतऽ चैल गेली..आइ तक नेऽ भेटली..हम इंतजार करे छी बुढी माता इक दिन जरुर भेटती । बुढी माता के बात बिल्कुल सही निकलल जखन १४-१५ घंटा पढाई केला के बाबजुद सी०बी०एस०सी० मेडिकल मे वेटिगं आबी गेलु, बी०सी०इ०इ० में डेयरी टेडॄ भेटल, एम०डी०ए०टी० में १०० परसेंट चांस रहे(९० परसेंट सही रहे, सलेक्सन ६०-७० परसेंट पर हेाएत रहे) मगर सेंटर केंसिल ब गेल, एही सब कारन साँ हम फरस्टरेसन में रेहा लागलु, पढाई-लिखाइ बंद कऽ देलु जे एतक मेहनत करे के बाद जखन नए सफल भेलु ता आब कहियेा नेऽ हेाएब। हमरा बुढी माता के बात याद आबि गेल..संग ही बाबु जी सेहेा कहला - अपन टेॄक चेंज करु, लगभग वही समय यु०जी०सी० सा ३ टा नया केासॅ पटना युनिवसिटी एवं मगध युनिवसिटी के भेटल ((१) Bio Tecnology (२) Water & Enviromental Management & (३) BCA)। प्रतियेागिता परीक्षा के आधार पर एडमिसन के प्रेासेस सुरु भा गेल, बी०सी०ए) हमर किछ ढंग के क्रेास बुझाएल हमहु प्रतियेागिता परीक्षा में बेसलु आ पास कऽ गेलु, यु०जी०सी० बी०सी०ए० के पहलुक बैच के पहलुक छात्र हम रही जे फाइनल परीक्षा में ८९ परसेंट सा पास करलु, बाबु जी कहला आब यु०पी०एस०सी या ढंग के सरकारी नैाकरी के तैयारी कारु लेकिन हमर सेाच किछ आउर रहे / अखन तक ये । “अगर अपन मेरिट / एविलिटी के युज करना ये ता सरकारी नैाकरी नए करना चाही" फेर पटना बेलटान साँ साफ्टवेयर मे पेास्ट ग्रेगुएट डिप्लोमा करलु, फेर एम०सी०ए० करलु, मैान भेल जे एम०बी०ए० करल जाए (बहुत कठिन रहे आइ० टी० सा एम०बीए०ए० करब) बुढी माता के क्रपा सा एम०बीए०ए० भी कऽ ले लु अपन खचा चलबे लेल पाट टाइम नैाकरी सेहेा करलु, केम्पस सलेक्सन में रिलांयस इनफेाकाँम के आफर भेटल ज्वाइन करलु, फेर एच० डी० एफ० सी० बैंक साँ आफर भेटल ता बैंक ज्वाइन करलु.. दिल में इच्छा रहे टाटा , बिरला में नैाकरी करी बुढी माता कर क्रपा साँ इच्छा पुरा भेल आ बिरला ग्रुप सा निक पेाजिसन के आफर आइब गेल ज्वाइन सेहेा करलु आ अखन तक एही जगह छी ।..आब इच्छा यऽ दि्ल्ली, मुंबई के बहुत सेवा करलु आब अपन बिहार - मिथिला के सेवा करल जाए..बुढी माता के दया साँ सेहेा भा जेते.....लेकिन सबसाँ पैघ इच्छा बुढी माता के दशन के पता नए .................।
7 comments:
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
गोपाल -
ReplyDeleteअपनेक जीवनक वृतांत बहुत निक लागल , अहिना अगर सब ब्यक्ति बुडी माता पर ध्यान देथिन त सब बुर्दपुराण के दुःख दूर भजेतेअन
बहुत बहुत धन्यवाद गोपाल जी
katahu katahu font me garbari achhi muda artha spashtata me kono kami nahi,
ReplyDeleteehan ghatna sabh hoit rahait chhaik sabhak sang, bad me manthan kela par aa paachha takla par ekar bodh dosar roop me hoit chhai,
jaldi se ekta aar katha likhoo.
katha aatmanubhav se likhal atyttam rochak lagal.
ReplyDeleteee katha ahank shridayta dekhbait achhi, nik kathakar lel ee gun minimunm qualification achhi
ReplyDeletesvagat achhi gopal ji, aar rachnak aash rahat
ReplyDeleteसब बंधु-बृन्द के दिल साँ धन्यवाद, विशेस गजेनद्र जी के, हम कुनेा प्रोफेसनल कथाकार नेऽ छी..बस एक टा समान्य जमीन साँ जुरल मैथिल छी, जे सदीखन मदद के वास्ते तैयार रही छी, बुढी माता हमरा वास्ते INVISIBLE SOURCE OF INSPIRATION छी हुनका बिसरब मुश्किल ये । उँच-नीच, पैध-छेाट, जाति-पाति साँ परे छी बस मैथिली आ मिथिला के मामले में कट्टर छी, अपन माँ-बाबु जी के भक्त छी । देासर रचना बहुत जल्द पेास्ट करब अखन समय के अभाव के साथ मार्च क्लेाज के प्रेशर ये ।
ReplyDeleteअहींक ,
अमित कुमार झा "गेापाल"
बहुत नीक प्रस्तुति
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