भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Monday, April 06, 2009
लल्लन प्रसाद ठाकुर- 1
श्रीमती सुभद्रा देवी आ श्री हीरानंद ठाकुरक द्वितीय बालक श्री लल्लन प्रसाद ठाकुरक जन्म ५फरवरि १९५१, नरकनिवारण चतुर्दशी कs मुंगेर मेभेल छलैन्ह।हिनक ग्राम- समौल,जिला-मधुबनी, आ कर्म स्थली जमशेदपुर छैन्ह। स्कूल-वॉट्सन हायर सेकेंडरी स्कूल ,कॉलेज -एम .आई .टी मुजफ्फरपुर।
स्कूली शिक्षा मधुबनिक वॉट्सन स्कूल सs केलाक बाद मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज सs सिविल इंजीनियरिंग केलाह। नेन पनि सs हिनक अभिरुचि कला आ साहित्य कs प्रति रहलैंह आ अनेको कार्यक्रम मेभाग लैत रहलाह। अपनहीं लिखल नाटकक मंचन ओ अपन स्कूले सs करैत रहलाह।
कॉलेज कs पहिले बरख मेअपन कॉलेजक सांस्कृतिक कार्यक्रमक भार हिनका दs देल गेलैंह। कॉलेजक द्वितीय बरख सs लs कs अन्तिम बरख तक अपन कॉलेजक छात्र संघक जेनेरल सेक्रेटरी रहलाह।
कॉलेजक पढ़ाई पूर्ण भेला पर टाटा स्टील मेकार्यरत भेलाह। ऑफिसक व्यस्तताक बावजूद ओ अपन साहित्यिक गतिविधि कs आगू बढ़ाबति रहलाह। ओ सदिखन अपने लिखल नाटकक मंचन करैत छलाह आ ओहि मेहुनक मुख्यभूमिका रहैत छलैन्ह। प्रकाश झा कs फ़िल्म "कथा माधोपुर की "मेमुख्य भुमिका सेहो केने छथि। हुनक लिखल सब नाटक मिथांचल मेअखैनो खेलायल जायत छैक।
हुनक लिखल किछु प्रसिद्ध मैथिलि नाटक छैन्ह:
१ - बडका साहेब
२ - मिस्टर निलो काका
३ - लोंगिया मिरचाई
४ - बकलेल
५ - आदि वा अंत
लल्लन प्रसाद ठाकुर जी मैथिलि मे अनेको नाटक संग कैयक टा गीत आ कव्वाली लिखने छथि जाहि मे सs हुनकर लिखल एकटा गीत नाटिका अत्यन्त लोकप्रिय भेलैंह, इ तीन भाग में छैक। : १- घटकैती, २ - सभागाछी , ३- साढूनामा। ओकर लिंक हम अपन अहि ब्लॉग में दs रहल छी। लिंक:
www।lallanprasadthakur.blogspot.com/
एही बेर सs हिनक लिखल पहिल मैथिलि नाटक "बडका साहेब" " रांची विश्वविद्यालय" में मैथिलिक बी.ए. (hounors) में पढ़ाई होयत।
5 comments:
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
एहि प्रस्तुतिक लेल धन्यवाद कुसुमजी।
ReplyDeletelalan jik vishay me nik jankari, hunkar rachna punah pathakak sojha aybak chahi
ReplyDeleteuttam prastuti, hunka vishay me pahi ber sunlahu. hunkar natak ker bahut sankshipt ansh ahank blog par achhi, muda jatbi achhi nik lagal
ReplyDeletenik lagal padhi kay
ReplyDeletelalan jeek doo got natak dekhbak saubhagya prapt bhel achhi kolkata me, baklel aa laungiya mirchai,hinak natak ati sarthak aa prerak achhi.
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