गजल
मछगिद्ध जँ माछ छोड़ि दिअए त डर मानबाक चाही
लोक जँ नेता भए जाए त डर मानबाक चाही
रंडी खाली देहे टा बेचैत छैक अभिमान नहि
मनुख अस्वभिमानी हुअए त डर मानबाक चाही
अछि विदित शेर नहि खाएत घास भुखलों उत्तर
वीर अहिंसक बनए त डर मानबाक चाही
माएक रक्षा करैत जे मरथि सएह विजेता
माए बेचि जँ रण जितए त डर मानबाक चाही
सम्मानक रक्षा करब उद्येश्य अछि गजल केर
जँ उद्येश्य बिझाए त डर मानबाक चाही
bah bhai, gazal me ahank javab nahi,
ReplyDeletejahi prakare dvandaka madhyama se, viparitata ke pakari kae gazal likhlahu se adbhut.
गजलमछगिद्ध जँ माछ छोड़ि दिअए त डर मानबाक चाही
ReplyDeleteलोक जँ नेता भए जाए त डर मानबाक चाही
नेते किये बन्धु, लोके सँ तँ नेता बनैत छथि
सम्मानक रक्षा करब उद्येश्य अछि गजल केर
ReplyDeleteजँ उद्येश्य बिझाए त डर मानबाक चाही
सहि कह्लहि, अपना ल' कए चल्बाके चाही।
अछि विदित शेर नहि खाएत घास भुखलों उत्तर
ReplyDeleteवीर अहिंसक बनए त डर मानबाक चाही
alankarik gazal
padhba me nik lagal,
ReplyDeletegazal ehne hoi chhaik
"Ahak Jatha enni tatha onni" bad nik lagal . tahi k lel bahut dhanyabad.
ReplyDeletemuda e gajal me kebal shabde ta bhetal pranak kami achhi muda ahak kalam tej achhi ruka nai debai chalabait rahu.
jai maithili.
neeka laagal, kanek halluk aa mongar kavita seho chahi vyast jivnak bad
ReplyDeletebhai ji ekta aar jhamkauwa diyauk
ReplyDeletegazalak dharm nibhbait nik rachna
ReplyDeletegazal vidha maithili me otek pratishthit nahi rahal karan phooharpan beshi chhal, aab lagaiye ahank aagman ekra door kay rahal achhi.
ReplyDeleteनीक गजल।
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