भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor:
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(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html, http://www.geocities.com/ggajendra आदि लिंकपर आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha 258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/ भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA
Saturday, April 04, 2009
विदेह ३० म अंक १५ मार्च २००९ (वर्ष २ मास १५ अंक ३०)-part-iii
महावीर
विदेहक राजधानी छल वैशाली,
गण्डकी बहैत रहथि ओतए,
लिच्छवीगणक गणराज्य,
गण्डकीक तटपर दू टा टोल,
ब्राह्मण आ क्षत्रियक कुण्डग्राम,
क्षत्रिय कुण्डग्राममे जनम लेल ज्ञातृकुलक मुखिया सिद्धार्थ पिता,
मुखिया चेतकक बहिन त्रिशला छलि माता,
जाहि राति आएल गर्भ भेल माताकेँ स्वप्न,
भोरमे पण्डितगण कहलन्हि एकर अर्थ,
होएत प्रतापी पुत्र
ज्योति
एक हेरायल सखी
भरल पूरल जीवन मे किछु हेरायके आभास
एक विचित्र दु:ख सऽ सखी अछि उदास
फुन्गी पर जेना फुलैल एक असगर पलास
नोरके नुकाबैत ऑखि करैत हॅंसक प््रायास
जीवन तऽ निरन्तर बढ़ल जा रहल छल
लेकिन ओकर मोन घुरि-घरि जा अटकल
जतऽ बितौने छल अल्हड़ता सऽ भरल
जीवनके अनुशासनहीन मुदा उन्मुक्त पल
एक हमरे लग छल ओकर अन्तर्मन देखार
सोचलहुॅं समयके फैसलाके करी स्वीकार
परन्तु अहि सऽ नहिं दूर भेल मोनक विकार
एना तऽ हम्मर संगी भेनाई भेल धिक्कार
बीतल बात बिसरऽओकरो कहलियै जाहिदिन
उपाय सुझेनाई जेना भऽ गेल आर कठिन
अपन हठमे दृढ़ होयत गेल दिन प््रातिदिन
की जानि ककर भरोसमे छल अभागिन
नहिं कम कऽ सकलहुॅं ओकर आसक्ति
कतेक क्रोध छल भरल ओकरा प््राति
बस सोचैत रहलहुॅं ओकरे दऽ दिन राति
ओ व्यस्त भऽ लिख रहल छल प््रोमक पाती
कामिनी कामायनी: मैथिली अंग्रेजी आ हिन्दीक फ्रीलांस जर्नलिस्ट छथि।
चक्काी
चक्काी जे संस्कृति के शान छल ़
आब उन्नति के पहचान बनि गेल ।
अहि सभ्य समाज में जे जतेक नमहर
तेकरा लग ततेक चक्काे
बङका दाैङल छाेटका दाैङल
तेकरा पाॅछा नेंगङा दाेैङ रहल अछि
आ दाेेैङि दाैङि क बैसाहय लागल
नब नब पेेैघ पेेेेेेेेेैघ सुन्नर सुन्नर चक्काह
जेकर किछु पूछ नेेेेेै छले
ैसेहाे गुङकि रहल अछि
चारू कात चक्केह चक्का
आ ़ ‘ अहि चक्का् सॅ जाम भ रहल अछि
नगरक महानगरक सीमित सङक
गारा गारी ठाेकम ठाेक
थाना पुलिस काेट कचहरी जेळ
सबहक पाछा लागि गेल अछि चक्का
चक्काप हटै तखन नेेै जाम हटतै
डंडा बरसाबेेेेेेेेेैत पुलिसबाे थकले
ेैकाेनाे राेक नै
इर् ससरति ससरति
टतेक ऊपर पहुॅच गेल अछि
जत्त सॅ नीचा
महाविनाशक ढलान छेेै
चक्कान के नियति आब की
प्रगति आगाॅ बढते क़त्त
ढलान प चढि
आेहि ठाम विराम लेतए
त काेना
कि अहि प साेचलन्हि कहियाे
आधुनिक विज्ञानी लाेक
डॉ पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाट चपराँव कोठी, सहरसा। प्रारम्भिक शिक्षासँ स्नातक धरि गाम आऽ सहरसामे। फेर पटना विश्वविद्यालयसँ एम.ए. हिन्दीमे प्रथम श्रेणीमे प्रथम स्थान। जे.एन.यू.,दिल्लीसँ एम.फिल.। जामिया मिलिया इस्लामियासँ टी.वी.पत्रकारितामे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। मैथिली आऽ हिन्दीक प्रतिष्ठित पत्रिका सभमे कविता, समीक्षा आऽ आलोचनात्मक निबंध प्रकाशित। अंग्रेजीसँ हिन्दीमे क्लॉद लेवी स्ट्रॉस, एबहार्ड फिशर, हकु शाह आ ब्रूस चैटविन आदिक शोध निबन्धक अनुवाद। ’गोवध और अंग्रेज’ नामसँ एकटा स्वतंत्र पोथीक अंग्रेजीसँ अनुवाद। जनसत्तामे ’दुनिया मेरे आगे’ स्तंभमे लेखन। रघुवीर सहायक साहित्यपर जे.एन.यू.सँ पी.एच.डी.।
रावलपिंडी - पंकज पराशर
(एक)
रावलपिंडी सँ आइयो बहुत दूर लगैत छैक लाहौर
बहुत दूर...
जतय स्वतंत्रता केर समवेत स्वर
प्रचंड नरमेधक अनंत इतिहास मे बदलि गेल छल
दूर-दूर होइत समय मे अनघोल करैत अनंत स्वर-श्रृंखला
...जेहो सब छल निकट से दूर भेल जा रहल अछि
दूर-दूर होइत बहुत किछु
विलीन भेल जा रहल अछि
चारू दिशा मे टहलैत इंसाफी मरड़ आ छड़ीदार लोकनि
इंसाफ करबाक लेल अपस्यांत
वर्तमान सँ भविष्य धरि आश्वस्त होइत
अगुताएल छथि इतिहासो मे घुरि कए
इंसाफ करबाक लेल
(दू)
जखन हम फोन पर होइत छी खांटी मातृभाषी
मायक लेल बजैत चिंताहरण बोल
आ कि टैक्सी रोकैत ड्राइवर करीम खान
अविश्वास आ आश्चर्य भरल स्वर मे पुछैत अछि
--भाय तोंय हिंदुस्तानी छहो?
हमरा अब्बा सँ तनी मिलभो
-हुनि बोलइ छथिन इएह बोलीजे तोंय अखनी बोलइ रहो
आ शनै: शनै: पसरि जाइत अछि हमरा टैक्सी मे
आकुल-व्याकुल
अविभाजित देशक भागलपुर आ मुंगेर
लाहौरक बाट मे
(तीन)
हमरा डाकघरक मोहर मे आइयो कायम अछि मुंगेर
आ एतय कतरनी धानक चूड़ा मोन पाड़ैत करीम खानक वृद्ध पिता
दुनिया सँ जयबा सँ पूर्व एक बेर जाइ चाहैत छथि अपन देसकोस
एकटा देश भेटबाक बादो ओ तकैत छथि
अपन देसकोस
अपन देस स नगर-नगर बौआइत कइक कोस
हम पहुंचल छी रावलपिंडी
जतय आइयो पछोड़ धयनें अछि
देसकोस
कोस-कोस पर परिवर्तित होति पानि
एतेक कोस दूर ओहिना लगैत अछि
जेहन अपन गाम केर इनारक
आ दस कोस पर परिवर्तित होइत बोली
साठि-एकसठ बरखक बादो ओहने लगैत अछि
जेहन आजुक भागलपुरक
हम तकैत छी इतिहास दिस
आ सामूहिक स्मृति सँ विलीन इतिहास हमरा दिस
जे भेटैत अछि हमरा कइक कोस दूर
रावलपिंडी मे
(चारि)
जतय एक्के संग घटि रहल अछि अनेक घटनाचक्र
गहूमक चिक्कस लेल तनाइत ए.के-सैंतालिस
सैंतालिस सँ सैंतालिसक चक्रवृद्धि देखैत
ठाम-ठाम सँ आयल रावलपिंडीक किछु वृद्धजन
उच्चरित करैत छथि मंत्र जकां
-इस्लामाबाद
इस्लाम-आबाद
आ...बाद
आबाद लोकक बीच
सब बरबाद
(पांच)
बाघाक बाधा
ब्रह्मांडक संपूर्ण बाधा सँ बेशी मोसकिल छैक नुनू
तोंय अइलहो हमरा सँ मुलाकात करलहो
...मिललहो
मिल विलीन होइत अस्सी बरखक जमकल नोर मे
हमरा मात्र लहो...लहो...लहो...केर सृष्टिक सब सँ आदिम स्वर पंचम मे
भागलपुरक सामूहिक स्मृति सँ विलीन इतिहासक
जीवंत कथा
वर्तमानक कैनवास पर पसरि रहल छल!
(2008)
सुबोध ठाकुर
1
मनमे उठैये बेर-बेर विचार
नहि सहबए आब अत्याचार
शब्दक वाण चलेबए
हम अपन सौम्य शक्ति बढ़ेबए
सुन्दर मिथिला पेंटिंग ओ संस्कृति सँ
खान-पान मिथिलाक वैभव सँ
दुनियाँमे विदेहक माँटिक अलख जगेबए
हम अपन सौम्य शक्ति बढ़ेबए
मृदु भाषा अछि अपन धरोहर
जाहिसँ बनब हम सभक ह्र्देश्वर
से आब सभकेँ जनेबए
विदेहक म्काटिक अलख जगेबए
2
पिया हमर परदेशिया
होली खेलब ककरा संग पिया हमर परदेसिया यौ
के बुझत हमर उदगार,के दोसर करत विचार
पिया हमर परदेशिया औ।
केश फुजल मन अछि सुतल
हृदय के वेदना अछि मुदा जागल
के दोसर करत एकर परितिकार,
नाहि से बुझै हमर सनेहिया यौ
होलि खेलब ककरा संग पिया हमर परदेशिया यौ।
बैरि बानाल हमर मधुमास, जगबै रहि-रहि कामना और आश,
कोयलिया के कुहुक मन के सतबै
से नहि बुझै नीरमोहिया यौ
होली खेलब ककरा संग पिया हमर परदेशिया यौ ।
कहै सुबोध धनि जुनि कानु जुरशितल मे करै ले शितल
औताह अहां के मनबसिया यौ ।
मूल अँग्रेजी कथा : अनदर संडे
कथाकार : गैस्पर अल्मीडा
मैथिली रूपान्तरण : डॉ. शंभु कुमार सिंह
एकटा आर रबि
ओ अपन पड़ोसक पाथरसँ भरल फर्श वला हातामे जयबाक लेल जहिना दरबज्जा खोललक, भोरक शीतल हवा ओकर स्वागत केलकैक। ओतए केवल पाँचे टा घर छलैक जाहिमे रह’ वलाक अपन पुश्तैनी नाम छलैक, ओकर वार्ड केर पुश्तैनी नाम छलैक, अल्मीडा वाडो। दरबज्जाक बाहर पुरनका कल, जकरा बहुत पहिनहि नबका कल केर कारणेँ छोड़ि देल गेल छलैक, ताहिसँ नमगर नोकगर बरफ लटकल रहैक। ओकरासँ सटले इनार देख-रेख केर अभावमे सूखि गेल छलैक। तैयहुँ एहिपर एखनधरि बालु नहि जमल छलैक।
रोल्डाओ ब्रेगेन्जा झुकल, आँगुरसँ ओकरा पकड़लक आ ओहि जमलका बरफकेँ एखनहि पूरब दिससँ आबि रहल सुरूजक किरण केर समक्ष उठौलक। ओहि बरफ पर प्रकाश केर किरण पड़ितहि इन्द्रधनुषी रंग जगमगा उठलैक।
छोटगर-सन गेट, जाहिपर स्पष्ट रूपसँ ब्रेगेन्जा विला लिखल छलैक, अपन कब्जा पर झुलल चर्र-चर्र केर आवाज भेलैक, ई आवाज हाता केर जानवरकेँ सचेत क’ देलकैक। जे कि ओकर प्रतीक्षा क’ रहल छल, बुझनामे आयल जे ओ सभ कहि रहल हो, “चारा केर समय तँ कखनहि भ’ चुकल छैक?
रोल्डाओ पाथरक बाट छोड़ि भूसासँ झाँपल धरती पर आएल आर पयरक नीचाँ नरम मौसममे बनल खुरसँ बनल उभर-खाभर बाट महसूस कएलक। पूबरिया देवालक इमारतकेँ पार क’ कए जखन ओ दरबाजा खोललक तँ ओकर स्वागत बाछाक आवाज आर परिचित जानवर सभक महक कएलक।
उठलका कूड़ादानक मुँह खुजल आर देवालसँ लागि कए टनटनाएल, आर एकटा भुरा केश (फर) फहराएल, जेना जलखै क’ रहल मूस उछलि पड़ल हो। ओकरा ठोरपर छोट-सन अपभाषा एलैक आ ओ चारा नापै वला बरतनसँ मूसकेँ मारलक। आगूक एक घंटामे ओ बिना किछु बिसरने अपन दिनचर्या एक नियत गतिसँ पूर्ण कएलक। ओ अपन भोरक कएल गेल काजसँ आनन्द उठौलक आ परिचित दायित्व ओकरा आत्मसंतुष्टिक अनुभूति देलकैक।
रोल्डाओ बहुत बेसी प्रेम व्यक्त कर’ वला व्यक्ति नहि छल, मुदा चारा देबा काल बाछा ओकर हाथ चाटैत रहैक आ बिलाइ ओकरा पयरसँ अपन पीठ नहु-नहु रगड़ैत छल, एहिसँ ओ बेसी आह्लादित भ’ रहल छल, जाहि भावकेँ ओ प्रायः छिपौने रहैत छल, ताकि लोक भाँपि नहि सकए। ओकर सब काज पूर्ण होइत-होइत सुरूज बगैचा आ आन गाछ-विरीछ पर पड़ल ओसकेँ मेटाबैत-जराबैत अपन छाँही छत आर बगैचाक अधखुला स्थान पर पसारने जाइत छल। भानसघरमे घुसतहिँ ओकरा एकटा सुखद अनुभूति भेलैक किएत तँ मद्धिम आँच पर सूगरक माउस शनैःशनैः सीझैत रहैक, जकर तेज महक ओकरा आह्लादित कएलक। अपना जेबीमे हाथ डालि ओ सलाय निकाललक जकरा ओ प्रायः एकटा चामक बौगलीमे राखैत रहैक, आ एक दिन पहिलुका पाईपकेँ भर’ आ सुनगाब’ क लेल ओ बढ़ल। ओकर ई काज ओकर स्थिर आ मन्द गति वला नियामकक अनुरूप छलैक। जेना-जेना प्रकाश अपन पयर पसारलक, मद्धिम लील रंगक मेघसँ हवा भरि गेलैक। स्टोवक लौ जहिना एकटा भभकारक संग कम-बेसी होइक तहिना ओकर ध्यान प्रतिदिनक चीज-बीत पर चलि जाइक। जाड़मे बाहर अएलाक बाद ओकरा भानसघरक गरमी दिवास्वप्न जकाँ बुझाइक। क्यो ओकरा आइ याद केने हेतैक, ओ सोचलक, मुदा नास्ता पर किछु बाजि नहि भेलैक.....कखनहुँ किछु बेसी नहि कहल गेलैक, कतेक समय बीत गेलैक एखन धरि? ओ साठिक अछि वा एकसठि केर? ओ स्मरण नहि क’ सकल।
ठीक! ओ धीरे सँ बाजल, “जँ हम नहि याद क’ सकैत छी तँ क्यो आन किएक?” ओ अपन पयर पसारलक आ ठाढ़ भ’ गेल। दरबज्जा लग खूँटीसँ टाँगल कोट केँ पार करैत ओ अपन जैकैट पहिरलक ओ कोनमे राखल छड़ीकेँ हाथमे एना पकड़लक जेना ओ ओकर पुरान मीत होइक।
रोल्डाओ दरबज्जासँ बाहर निकलि सड़क पार कएलक, चारू दिस गामक अवलोकन कएलक। कोना एहन एहि छोट-सन गाम ‘पारा’ मे सभ चीज बदैल गेलैक। वर्षक अवधिमे सभ किछु उसराह भ’ गेलैक, मुदा ओ जानैत छलैक जे धरतीक नीचाँ सूतल जीवन समयक जादूसँ फेर जागि उठतैक। ओ घुमल आ नापल-जोखल पयरेँ सड़कक नीचाँ दिस चलि पड़ल, एकटा छोटका बाट पर जतए एकटा करिया-झबड़ा कुकुर प्रतिदिन दौड़क प्रत्याशामे प्रतीक्षा करैत छल। कुकुर अपन उर्जाक पहिल स्फोटमे गाछ आ झुरमुट दिस दौड़ पड़ल, ओ विभिन्न प्रकारक गंधकेँ सूँघलक आ निरीक्षणक बाद नव आनन्दमे डूबि गेल।
कुकुर ‘ब्लैकी’ रूकल, अपन कानकेँ ठाढ़ कए बुझू जेना हवामे अपन परिचित जूताक चालिक ध्वनिकेँ पकड़’ चाहैत हो। उर्जाक दोसरहि स्फोटमे ओ सक्रिय भ’ गेल, अपन मालिकक चालिक अनुसरण करए लागल, सड़कक कात-कात रोचक चीज सभकेँ ओ जाँच’ लागल। पयर उठाकए ओ अपन जागीरकेँ कुकुरक मुद्रामे निश्चिन्तताक संग चिह्नित कएलक।
गलीक मोड़ पर रोल्डाओ अपन छड़ीकेँ एकटा प्लास्टिक बैग, जाहिपर—दुबई ड्यूटी फ्री—फ्लाई दुबई—स्पष्ट रूपसँ लिखल रहैक आ जकरा जारमे कोनो लापरवाह फेक देने छलैक, ताहिमे खोधबाक लेल रूकल। ओ सावधानीसँ एहि वस्तुकेँ उठाकए कूड़ेदानी दिस ल’ गेल, ई सोचैत जे ओ एना करबलाक बगैचामे फेकि देत। मोनमानी जेहन चीज ओकरा भीतर क्रोध उत्पन्न क’ दैत छलैक, ओ व्यवस्था ओ नियमक पक्षधर छल, सभ चीज-बीतक लेल एकटा नियत स्थान आ सब स्थानक चीज-बीत अपन स्थान पर। कोनो चीज खराब नहि होइत छलैक, तागक टुकड़ी सभ जमा कएल जाइत छलैक आ प्लास्टिक के पन्नी धरि तह लगा कए राखल जाइत छलैक। जकरा ओ व्यर्थ पदार्थ बुझैत छल ओकरा अपन पियरगर लाल रंगक टाइलसँ बनल घरक पिछुआड़मे उचित मौसम आ हवाकेँ देखिकए ओकरा जरा दैत छलैक।
रोल्डाओ एक जागरूक व्यक्ति छल, भोरसँ ल’ कए साँझ धरि काज करबाक आदति ओ अपन उमिरक आरम्भिकहि अवस्थामे डालि नेने छल, माँटिसँ जीविका निकालबाक आ ओकरा संगहि अपन परिवारक जीवन-यापन चलएबाक लेल अपना-आपकेँ योग्य बनएबाक ओकरा गर्व छलैक। ओकरा अपना-आप पर गर्व हेबाक एकटा आर कारण छलैक ओ ई जे ओ ने तँ ककरहुँ सँ किछु माँगैत छल आ ने ओकरा पर ककरहुँ कोनो कर्ज छलैक। ओकरा भगवानसँ डर लागैत छलैक आ ओ ईश्वरीय तत्वकेर निर्भरतासँ अवगत छल, मुदा गामक चर्च-प्रशासन, संगहि पवित्र क्रॉस केर छोट पदाधिकृत छोट चैपल केर आलोचक सेहो छल। ओ ने केवल अपन विचार सबकेँ वा अपन कोनो जान’वलाकेँ सुनबैत छल, अपितु अपन भावनाकेँ अपन स्पष्ट मुखमुद्रासँ व्यक्त सेहो क’ दैत छल अथवा गप्पक काल विषयक उत्तर चुप्पीसँ द’ दैत छल।
नमहर तंग सड़कसँ खेत धरि ओकर यात्रा आर एक छोट नदी पतझड़ केर पातसँ भारी भ’ गेल छल आ ओकरा पयर तर दबा गेल छलैक, कखनहुँ-कखनहुँ डारिकेँ टुटबाक आवाज केँ छोड़ि। कुकुर अपन नाँगरि आ मुँहक संग कखनहुँ-कखनहुँ कटनूर मूसक बिलक लग सूँघि लैत छल, जतय मूस भोरे-भोर अपन घरक विस्तार करबाक हेतु बहुत रास माटि बहार कएने छल, ओ ओकर ताजा गंध चिन्हैत छल।
जहिना ओ गाछसँ बाहर आएल, रूकि गेल। कुकुर “ब्लैकी” फव्वारासँ जे कि सालो भरि बलबलाइत रहैत छलैक, पानि पी कए खद्धासँ बाहर आएल, माथ हिलाकए पानि झाड़लक आ एकटा चिपकल गुरचाकेँ निकालबाक लेल ओ अपन कान हिलबैत नीचाँ बैसि गेल। अपन प्रेक्षण स्थानसँ रोल्डाओ गाड़ीक बाट देख’ लागल, मानू गाम पर कोनो चोटकेर निसान छैक, शोरगुल करैत गाड़ी धुइयाँ निकालैत एना बुझाइक जेना कंकरीटक फीता पर चुट्टी चलि रहल हो। गामक शांतिक भीतर आत्मघातक जल्दीबाजीमे ओ गाड़ी सभ चुपचाप देख’ जायसँ अन्जान बढ़ल जाइत छल।
रोल्डाओ बनाओल जा रहल सड़ककेँ ध्यानसँ देखलक, अमोल जमीनसँ हाथ धो लेबाक कारणेँ ओकरा दुख छलैक, मुदा ओकरा बदलामे देल गेल हरजानासँ ओ खुश छल। ओ माँटि खोध’ वला उपकरणसँ चकित छल, ओकर आकार आ काज करबाक क्षमतासँ ओ अभिभूत छल, अंततः परिणाम जे ओ आश्चर्यचकित छल किएकतँ जे किछु ओकरा देखा पड़ैत छल ओ ओकरा समझसँ दूर छलैक। अपना जवानीक दिनकेँ याद करैत ओ अपन साठि बरखक अवस्थासँ पाछू देखलक, जखन केवल खेत आ गाछ-बिरीछ, पड़ोसक गाम नगोआ, सेलिगाओ धरि देखल जा सकैत छल आर पहाड़क उपर मान्टे-डी-ग्यूरिम इसकूलक भवन..... जतय धरि ओकर दृष्टि जा सकैत छल।
कैक तरहक परिवर्तन भेल छलैक मुदा रोल्डाओ स्पष्टतः एकरा स्वीकार नहि क’ सकल जे, जे किछु भेलैक से नीकेक लेल भेलैक। भिनसरबाक काजक लेल आवाज दैत चर्च केर घंटा हवामे स्पष्ट सुनबामे आएल, समय देखबाक लेल ओ दहिना हाथ सँ वास्कट वला जेबीसँ घड़ी निकाललक आ कैक बेर घुमा-फिरा कए देखलाक बाद ओकरा आपिस राखि देलक। फेर ओ पाइप भरबाक लेल अपना हाथ पर तमाकुल रगड़लक, अपन अभ्यस्त हाथक आँगुरसँ विधिवत पाइप भरलक आ आगिक सुलगा सोंटलक। आगू बढ़बासँ पूर्व ओ कैक बेर सोंट मारि धुइयाँ निकालि अपनाकेँ आश्वस्त कएलक जे तमाकू बरोबरि जड़ैत रहए।
घरक बाहर लटकल धातुक बुरूश सँ ओ अपन जूत्तामे लागल माटि झारलक आ फेर बुरूश सँ गंदगी साफ कएलक। ओ भानसघरमे गेल जूता उतारलक आ दरबज्जा लग पुर्तगाली कुर्सी पर बैसि गेल, अपन पछिला जनमदिन पर भेटल पनही (चप्पल) अपन पयरमे पहिर लेलक।
दुपरहक भोजन (डिनर) बारह बजे मेज पर राखल जाइत छलैक। आन चीज जकाँ भोजन सेहो नियत समय पर खा लेल जाइत छलैक, लंच शब्दक प्रयोग नहि होइत छलैक. दूध दूह’ आर चारा देलाक पश्चात् नाश्ता आठ बजे देल जाइत छलैक। बारह बजे डिनर, चारि बजे चाह आर दस बजे सपर (रातिक भोजन) । एहि तरहेँ सभ दिनक दिनचर्या नियत छलैक, ई क्रम तखनहि बदलैक जखन क्यो भेंट कर’ आबैक वा कोनो समाचार देब’ आबैक।
मेज पर बैसैत ओहि रबिक भोजन करबाक हेतु ओ काँटा आ चक्कू उठौलक.....बदामी रंगक भाफ निकलैत सालनसँ झाँपल पुडिंग केर सुनहरा रंग पैघ टुकड़ा। एकर बाद ओकरा समक्षहि बीफ (सुगरक माउस) राखल रहैक, जकरा ओ अपन समक्ष राखल चक्कूकेँ स्टील पर धार तेज करैत निकाललक। ककरहुँ आन प्रकारक भोजन पसिन्न हेबाक स्थितिमे ओहो सभ भोज्य पदार्थ ओतए राखल रहैक, सामान्यतः रबिक भोजन ककरहुँ लेल पर्याप्त होइत छल।
चाहक समय चारि बजे भलैक। चाह पीलाक पश्चात् ओ खिड़कीसँ आबैत रोशनीक दिस पीठ क’ कए बैसबाक लेल सामने वला घरमे गेल। अपन चश्मा लगौलक आ शेष दुनियाँक समाचार जानबाक लेल ओ रबि दिनका समाचार-पत्र उठौलक। ओ शीघ्रहि अलसा गेल, जहिना ओकरा पर निन्न सवार होमए लागलैक, ओ माथकेँ आरामसँ कुरसीक कुशन पर राखि देलक।
घर मे लोकक आवाजसँ रोल्डाओ जागि गेल—दौड़बाक कारणेँ पयरक खड़बड़ाहटि आ दूई बच्चा द्वारा एक दोसराकेँ धकेलैत दरबाजा खोलबाक आवाज, ओहि दुनूकेँ ओकरा लग पहुँचि पार्सल देबाक जल्दी। ओ कुरसी पर चढ़ल ओकरा चुमलकै आर जन्मदिन केर बधाई देलकैक, ओ बड़ कुशलतासँ एक दोसराकेँ अपन बाहुपाशमे जकड़लक।
पहिने ककर पार्सल खोलल जाय? एहि समस्याक समाधान ‘लेडीज फर्स्ट’ कहि कए समाधान कएल गेल। बालक बाजल, “दादा नीक चीजकेँ बादक लेल राखैत छथि”। जहिना टकराव केर स्थिति उत्पन्न भेलैक, ओ ओहि दुनूकेँ कपड़ा बदलबाक आ बाहर जा कए खेलबाक लेल कहलकैक। जेना ओकरा दुनूकेँ मोनमे आनन्दक अनुभूति भेलैक, ओकरा कानमे हँसी केर आवाज आबि टकराएल।
भानसघरमे नओ बजबाक आवाज सुनबा धरि, दुपहरसँ साँझ धरि ओकर मीत, संबंधी लोकनिक बधाई ओ उपहार ल’ कए अएबाक क्रम चलितहि रहलैक। ओ रातिकेँ पहिर’ जाएवला पयजामा पहिरलक, खूट्टीसँ स्कार्फ खींचलक गरदनिमे लपेटलक आ जाड़क अनुसारेँ ओकरा नीक जकाँ बान्हलक, सभ दिनक रात्रिकालीन नियमक अनुसार लकड़ीक नमगर ‘अदाम्बो’ सँ मुख्य द्वार धरि खिड़की ओ दरबज्जाक छिटकिनी जाँचलक। खिड़की लग राखल एक बहुत महत्वपूर्ण चीज—छओ सेलवला बड़का टार्च उठौलक, ओकर प्रकाशमे अपन सभ सामान केर निरीक्षण कएलक।
ओकरासँ कनेक आगू सदा ओकरा संग रह’वला ओकर कुकुर ब्लैकी ओकरा संगहि-संग घूमल। अकाशमे जगमग करैत तरेगण केर रातिमे जहिना ओ उपर देखलक, शीतल बसात ओकरा गाल पर थपेड़ा मारलकैक, एकटा मद्धिम प्रकाशक संग चान फार्म केर घरकेँ आलोकित करैत रहैक।
आपस आबैत ओ सभ दरबाजाकेँ बंद कएलक आर ई सुनिश्चित कएलक जे सभ किछु सुरक्षित अछि कि नहि। तखन ओ उठिकए भानसघरमे राखल चमचम करैत कागदक टुकड़ा उठौलक। कागदक नीचाँ लिखल शब्द रहैक, “जन्मदिन मुबारक.....दिन मंगलमय हो ”।
ओ लिखावट पर ध्यान देलक, शब्दकेँ धीरे-धीरे पढ़लक आर फेर मोनहि-मोन मुसकी देलक आ जोरसँ कहलक।
“भगवानक सौगन्ध, हँ........ई एकटा नीक रबि रहल।”
बालानां कृते- 1. मध्य-प्रदेश यात्रा आ 2. देवीजी- ज्योति झा चौधरी
1. मध्य प्रदेश यात्रा
छठम दिन :
२८ दिसम्बर १९९१ , शनिदिन :
आई जबलपुरमे हमर सबहक यात्राक पहिल स्थान छल द्यमोतीलाल नेहरू पार्क'।अतक बगान विभिन्न प््राकारक पुष्प सऽ सुसज्जित छल।जगह जगह पर राखल हाथी, बाघ, चीता इत्यादिक मूर्त्ति सेहो आकर्षक छल।संध्याकालमे होए वला संगीतमय फब्बाराके हमसब नहिं देख सकलहुॅं।अतय एकटा छोट स्वीमिंग पुल छै।एक ठाम रानी दुर्गावतीक विशाल प््रातिमा छै जाहिके नीचा रानीक जीवनी संक्षेपमे लीखल अछि।अहि अनुसारे रानी दुर्गावतीक जन्म सन् १५२४ ईसवी में तथा मृत्यु सन् १५६४ ईसवीमे भेल छलैन।अकर बाद हमसब चिल्ड्रेन्स पार्क पहुॅंचलहुॅं जतय झूला, स्लाइड इत्यादि छल।
आगॉं रानी दुर्गावतीक संग्रहालय छै जतय प््राागैतिहासिक कालक वस्तु सब राखल छै।किछु प््रातिमा तऽ बाहर बगान मे राखल छल।जेनाकि त्रिमुख कार्त्तिकेय (११म शताब्दी), सूर्य प््रातिमा (१०म शताब्दी), राजलक्ष्मी (११म शताब्दी), देव एवम् उपासक (१३म शताब्दी), साधु (१०म शताब्दी), चतुर्भुजी देवी (१०म शताब्दी), नाग दम्पति (१०म शताब्दी), युगल दम्पति (११म शताब्दी), लक्ष्मीनारायण (१०म शताब्दी), देवी (११म शताब्दी) इत्यादि।अहि संग्रहालयक शिलान्यास मुख्यमंत्री पंडित उारिका प््रासाद मिश्रक कर्मठ करसऽ नगर निगम जबलपुर उारा आयोजित कैल गेल छल।अहि संग्रहालय के अनेक दीर्घामे बॉंटल गेल छै।
दीर्घा नंबर 1 मे शैव मत सऽ सम्बन्धित प््रातिमा सब छै।ई सब मूर्त्ति जबलपुर के दमाई जिलाक भिन्न भागसऽ प््रााप्त भेल छै।एहेन अनुमान छै जे अहि सबहक निर्माण १०म एवम् १२म शताब्दीक बीच भेल छै।अहि दीर्घामे उमा, महेश्वर, पार्वती, शिवस्नातक, हरिहर, भैरव इत्यादि के प््रातिमा विराजमान छै।दीर्घा नम्बर २ मे भगवान विष्णुक विभिन्न रूपक प््रातिमा सुरक्षित राखल छै।ई सब उत्तर मध्यकालक निर्मित्त छै।दीर्घा नम्बर ३ मे जैन तीर्थकर और जैन शासक देवी सबहक प््रातिमा छै जे त्रिपुरीके कलचुरी राजाक राज्यकालमे निर्मित्त भेल छै।
अहि सबहक अतिरिक्त अहिसंग्रहालयमे अनेको प््रााचीन शिलालेख सुरक्षित छै।अहिमे सऽ एक शिलालेख ब्राह्मी लिपि भटगॉंव सऽ प््रााप्त भेल छै।अहिमे मनुष आऽ पशुक चित्रक खुदाई कैल गेल छै।अतय लोहगा आऽ चन्देलकालक आयताकार शिलालेख सेहो छै।
अहि ठाम सऽ बहरा हमसब भोजन केलहुॅं। भोजनोपरान्त हमसब भेड़ाघाट पहुॅंचलहुॅं।जबलपुर सऽ मात्र २३ किलोमीटरक दूरी पर स्थित संगमरमरक पहाड़क बीच विशाल जलप्रपातक भव्यताक वर्णन शब्दमे केनाई असम्भव लागैत अछि।अखन तक जतेक जलप््रापात देखने रही ई सबस सुन्दर आऽ विशाल छल।अमरकण्टकमे नर्मदाक बाल्यकाल अवलोकित होइत अछि आऽ अतय नर्मदाक युवावस्थाक उन्मत्त रूपक दर्शन होएत अछि।जल प््रावाहक ध्वनि सऽ पूरा वातावरण तरंगित छल तथा जलक छोट छोट कण पूरा वातावरण मे भरल छल। शान्त भऽ कऽ अतय घण्टों बिताबक मोन होइत छल।अतक स्थानीय गरीब निवासी सब जाहिमे १२ वर्ष तक के छोट बच्चा सब सेहो शामि छल पाई उारे लोक सबके झरना सबसऽ घिरल अतेक वेगवान धारमे डुबकी करतब देखा पर्यटक सबहक मनोरंजन करैत छल।
भेड़ाघाटक मुख्य आकर्षण आर एकटा छै।से छै चौंसठ योगिनी मन्दिर।ई मंदिर एकटा पहाड़ी पर स्थित छै।अहिमे चारू दिस चौसठ टा मन्दिर योगिनी सबहक छै आर बीचमे महादेवक मन्दिर छै।अहि मंदिरक निर्माण ८म शताब्दीमे भेल छलै।तखन अहिपर छत नहिं छलै।मुदा १०म शताब्दीमे अहिपर छत बना देल गेलै।अकरा किछु लोक तांत्रिक के सिद्धिस्थल मानैत छथि।अकर बाद हमसब नर्मदा नद के एक आर स्वरूप मार्बल रॉक्स देखैलेल गेलहुॅं।अतय संगमरमर के पहाड़ीक बीच बहैत नर्मदा नद अत्यंत रमणीय लागैत छै।अतय पत्थड़के नक्काशी कैल समान सब कम दाम मे आ बहुत सुन्दर डिज़ाइन सब उपलब्ध छै।कोनो नाम वा वाक्य संगमरमरके पत्थर पर खुदवायल जा सकैत छै। मोल मोलाई खूब चलैत छै। हमरा एकटा सीनियर लड़का दू टा फूलदानी एकटाके दाम मे खरीदवा देलक।अहि ठाम नौका विहार सेहो खूब होइत छल। हमहु सब बहुत उत्सुक भेलहुॅं मुदा शिक्षक सब नहिं मानलैथ।
अकर बाद हमसब जवाहरलाल नेहरू पर्यटक पार्क गेलहुॅं जतय विभिन्न जन्तुके पिंजरामे बन्द पौलहुॅं।ई पार्क कम आ चिड़ियाघर बेसी लागैत छल।अकर बाद हमसब अपन अस्थायी बसेरा द्यपॅंवार होटल' आबि गेलहुॅं।
2.देवीजी :
देवीजी ः रामायण सप्ताहमे चित्रकला प््रािदर्शनी
देवीजी सबलग रामायण सप्ताह पर चर्चा कऽ रहल छली।ताहि पर रामायणक विशेषता पर ज्ञानवर्द्धन हुअ लागल।आेना तऽ रामायणक नाम के नहिं सुनने अछि।हिन्दू धर्मावलम्बी सब अहि महाकाव्यके पूज्य मानै छैथ।वाल्मिकि रचित संस्कृत के रामायण के अनेकाें भाषामे अनुवाद भेल अछि।लेकिन भगवान रामक जीवनीके सर्वप््रांथम हिन्दीमे लिखिकऽ ‘राम चरित मानस’ के रूपमे घर्र घर तक पहुॅंचाबै वला महामानव छलैथ महाकवि तुलसीदास जिनका अहि काव्यक रचनामे दू वर्ष सात महिना छब्बीस दिन लगलैन।संवत् 1631 कऽ रामनवमी दिन वैह याेग रहै जेना कि त्रेतायुगमे रामजन्म दिन रहै। तुलसीदासजी आेहि दिन रामचरित मानस लिखनाइर् प््राेारम्भ केला आर संवत् 1633 के मार्गशीर्ष शुक्लपक्षमे रामविवाहक दिन साताे काण्ड पूर्ण भेलैन।प््रााारम्भमे ज्ञानी पण्डित सब अहि महाकाव्यके हिन्दी रूप आऽ जर्नजन तक पहुॅंचैत देखि अप््रा्सन्न छलैथ मुदा बादमे श्री मधुसूदन सरस्वतीजी अपन सम्मति अहि श्लाेक सऽ देलखिन ःर्
“ आनन्द कानने ह्यस्मिनजंगमस्तुलसीतर ्उः।
कवितामञ्जरी भाति रामभ्रमरभूषिता।। ”
अर्थात् अहि काशीरूपी आनन्दवनमे तुलसीदास चलैत फिरैत तुलसी के गाछ छैथ जिनकर कविता रूपी मंजरी बहुत सुन्दर छैन आ ताहिपर राम रूपी भॅंवरा सदैव मंडराइत रहैत अछि।
रामायणमे युगपुर ् उष रामके जीवनी छैन जाहिमे सबसऽ महत्वपूर्ण घटना अछि रावणक पराजय। अहिमे सतयुगक अलर्गअलग परिस्थिति के निमित्त अनेकाे आदर्श चरित्र प््रा स्तुत कैल गेल अछि। आ अहिके प््रादतिदिन पाठ घरमे सुख शान्ति आनैत अछि। तैं आे कहलखिन जे घरमे रामचरितमानस जरूर राखी आ पढ़ी। अकर हर प््राधसंग मनुष्यके किछु शिक्षा दैत छै आ मार्गदर्शन करैत छै।
देवीजीक अहि वक्तव्य सऽ सब प््राकभावित छल। आगामी रामायण सप्ताहमे रामायणक चरित्र पर विचारविमर्श तथा रामायणक प््राैसंग पर समीक्षाक कार्यक्रम बनल। विद्यार्थी सब रामायणक विभिन्न प््रा्संगपर चित्रकलाक प््राैदर्शनी लगेलैथ। शिक्षक सब लेल नूतन पीढ़ी रामायणक प््राेसंगके काेनाकऽ प््रारस्तुत कऽ रहल छथि से बहुत महत्वपूर्ण छलैन।
बच्चा लोकनि द्वारा स्मरणीय श्लोक
१.प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त्त (सूर्योदयक एक घंटा पहिने) सर्वप्रथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई श्लोक बजबाक चाही।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
करक आगाँ लक्ष्मी बसैत छथि, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ब्रह्मा स्थित छथि। भोरमे ताहि द्वारे करक दर्शन करबाक थीक।
२.संध्या काल दीप लेसबाक काल-
दीपमूले स्थितो ब्रह्मा दीपमध्ये जनार्दनः।
दीपाग्रे शङ्करः प्रोक्त्तः सन्ध्याज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
दीपक मूल भागमे ब्रह्मा, दीपक मध्यभागमे जनार्दन (विष्णु) आऽ दीपक अग्र भागमे शङ्कर स्थित छथि। हे संध्याज्योति! अहाँकेँ नमस्कार।
३.सुतबाक काल-
रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।
शयने यः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नस्तस्य नश्यति॥
जे सभ दिन सुतबासँ पहिने राम, कुमारस्वामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक स्मरण करैत छथि, हुनकर दुःस्वप्न नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
४. नहेबाक समय-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू॥
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु आऽ कावेरी धार। एहि जलमे अपन सान्निध्य दिअ।
५.उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
समुद्रक उत्तरमे आऽ हिमालयक दक्षिणमे भारत अछि आऽ ओतुका सन्तति भारती कहबैत छथि।
६.अहल्या द्रौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।
पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशकम्॥
जे सभ दिन अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एहि पाँच साध्वी-स्त्रीक स्मरण करैत छथि, हुनकर सभ पाप नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
७.अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरञ्जीविनः॥
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनूमान्, विभीषण, कृपाचार्य आऽ परशुराम- ई सात टा चिरञ्जीवी कहबैत छथि।
८.साते भवतु सुप्रीता देवी शिखर वासिनी
उग्रेन तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।
सिद्धिः साध्ये सतामस्तु प्रसादान्तस्य धूर्जटेः
जाह्नवीफेनलेखेव यन्यूधि शशिनः कला॥
९. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥
१०. दूर्वाक्षत मंत्र(शुक्ल यजुर्वेद अध्याय २२, मंत्र २२)
आ ब्रह्मन्नित्यस्य प्रजापतिर्ॠषिः। लिंभोक्त्ता देवताः। स्वराडुत्कृतिश्छन्दः। षड्जः स्वरः॥
आ ब्रह्म॑न् ब्राह्म॒णो ब्र॑ह्मवर्च॒सी जा॑यता॒मा रा॒ष्ट्रे रा॑ज॒न्यः शुरे॑ऽइषव्यो॒ऽतिव्या॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोग्ध्रीं धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः सप्तिः॒ पुर॑न्धि॒र्योवा॑ जि॒ष्णू र॑थे॒ष्ठाः स॒भेयो॒ युवास्य यज॑मानस्य वी॒रो जा॒यतां निका॒मे-नि॑कामे नः प॒र्जन्यों वर्षतु॒ फल॑वत्यो न॒ऽओष॑धयः पच्यन्तां योगेक्ष॒मो नः॑ कल्पताम्॥२२॥
मन्त्रार्थाः सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव।
ॐ दीर्घायुर्भव। ॐ सौभाग्यवती भव।
हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आ’ सर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होथि, आ’ शुत्रुकेँ नाश कएनिहार सैनिक उत्पन्न होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सक्षम होथि आ’ घोड़ा त्वरित रूपेँ दौगय बला होए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबामे सक्षम होथि आ’ युवक सभामे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आ’ नेतृत्व देबामे सक्षम होथि। अपन देशमे जखन आवश्यक होय वर्षा होए आ’ औषधिक-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहए। एवं क्रमे सभ तरहेँ हमरा सभक कल्याण होए। शत्रुक बुद्धिक नाश होए आ’ मित्रक उदय होए॥
मनुष्यकें कोन वस्तुक इच्छा करबाक चाही तकर वर्णन एहि मंत्रमे कएल गेल अछि।
एहिमे वाचकलुप्तोपमालड़्कार अछि।
अन्वय-
ब्रह्म॑न् - विद्या आदि गुणसँ परिपूर्ण ब्रह्म
रा॒ष्ट्रे - देशमे
ब्र॑ह्मवर्च॒सी-ब्रह्म विद्याक तेजसँ युक्त्त
आ जा॑यतां॒- उत्पन्न होए
रा॑ज॒न्यः-राजा
शुरे॑ऽ–बिना डर बला
इषव्यो॒- बाण चलेबामे निपुण
ऽतिव्या॒धी-शत्रुकेँ तारण दय बला
म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीर
दोग्ध्रीं-कामना(दूध पूर्ण करए बाली)
धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी र्वोढा॑न॒ड्वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-त्वरित
सप्तिः॒-घोड़ा
पुर॑न्धि॒र्योवा॑- पुर॑न्धि॒- व्यवहारकेँ धारण करए बाली र्योवा॑-स्त्री
जि॒ष्णू-शत्रुकेँ जीतए बला
र॑थे॒ष्ठाः-रथ पर स्थिर
स॒भेयो॒-उत्तम सभामे
युवास्य-युवा जेहन
यज॑मानस्य-राजाक राज्यमे
वी॒रो-शत्रुकेँ पराजित करएबला
निका॒मे-नि॑कामे-निश्चययुक्त्त कार्यमे
नः-हमर सभक
प॒र्जन्यों-मेघ
वर्षतु॒-वर्षा होए
फल॑वत्यो-उत्तम फल बला
ओष॑धयः-औषधिः
पच्यन्तां- पाकए
योगेक्ष॒मो-अलभ्य लभ्य करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षा
नः॑-हमरा सभक हेतु
कल्पताम्-समर्थ होए
ग्रिफिथक अनुवाद- हे ब्रह्मण, हमर राज्यमे ब्राह्मण नीक धार्मिक विद्या बला, राजन्य-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जन्तु, उद्यमी नारी होथि। पार्जन्य आवश्यकता पड़ला पर वर्षा देथि, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपत्ति अर्जित/संरक्षित करी।
इंग्लिश-मैथिली कोष/ मैथिली-इंग्लिश कोष प्रोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आ योगदान ई-मेल द्वारा ggajendra@videha.com पर पठाऊ।
Input: (कोष्ठकमे देवनागरी, मिथिलाक्षर किंवा फोनेटिक-रोमनमे टाइप करू। Input in Devanagari, Mithilakshara or Phonetic-Roman.)
Language: (परिणाम देवनागरी, मिथिलाक्षर आ फोनेटिक-रोमन/ रोमनमे। Result in Devanagari, Mithilakshara and Phonetic-Roman/ Roman.)
विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.
१.पञ्जी डाटाबेस २.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
१.पञ्जी डाटाबेस-(डिजिटल इमेजिंग / मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण/ संकलन/ सम्पादन-पञ्जीकार विद्यानन्द झा , नागेन्द्र कुमार झा एवं गजेन्द्र ठाकुर द्वारा)
जय गणेशाय नम:
उँ नमस्य शिवाय:
उँ नमस्य शिवाय:
(70) ''27''
(38/03) कुलपति सुतौ मांगुक: बहेराढ़ी सँ पांखू दौ।। (09/04) त्रिपुरे (40/07) पौखूक: परसंडा सं श्री दत्त दौ।। पॉखू सुता 48/0438/06 रतिमति बाबूचान्दाठ 31।।07 खौआनादू सुत चन्द्र क से अलयसॅ कारू द्दो. ‘’ एवं ठ. रघुपर्ति विवाह संकायं’’ ठ. धराधर सुता बेहर करमहा सॅ बाबू सुत कृष्णरपति दौ।। 27/01/66/07 मानू सुता हरखू 168।।09 37105 जयदेवा: सरिसबसॅ महिपाणि दौ।। 20/04।। माने सुतौ गंगेश्व/र: बलि बसाउन दौ।। 270।।09 सुतौ रतनपाणि महिपाणि माण्डणर सँ प्रसाद सुभंकर: अलयसॅ गणेश दौ ।। ए सुतौ 38।।06 बुद्धकर: पानि नोने दौ ‘’18/05’’ नोने सुता हरि शिव नहियमीय: विस्फी0 संज्ञानक दौ महिपाणि सुता नयपति उँमापति रविपति शुभपति यथा क्रम यथा क्रम डीगरू निकट 53/10 निकरू 56/07 यौ होरिला: 52/05 मंगरौनी हरि दामु दौ’’ 25/07’’ केशव सुतौ समूक: परिवर्द्धमान दौ ‘’23/06’’ फनन्दतह सॅ नरसिंह द्दौ।। 39।।05 दामू सुता माण्डरर सॅ गिरीश्व7र खैं 27/05’’ कुजौली सॅ मित द्दौ।। 49/01 हरखू सुतौ सदु. राघव: रैयाम सोदर माघूसुत गवेशदॉ ‘’22।।0/0’’ म. म. 30/07 रघुनाथ सुतौ धानू सिरू कौ बलियास सॅ श्री वश्ेवर सुत शिवादित्यस सॅ टकबाल सँ लाखू द्दौ 50/07 सिर्फ प्र; श्री पति सुतौ माधव मनोरयौ पनि चोमसॅ पुलहारी दिनकर दौ।। 17:07 पुलाहारी दिनकर सुतो भवदत: दरिहरासॅ कीर्तिशर्म सुत केशव दौर यमुगामसॅ आडबनि द्दौ।। मिमांशक 42।।05 माधव सुता हरिकेश गणेश। नारायण अनन्तु चतुर्भुजा: बुधबाल सॅ महेश्व र सुत शिरू दौ ।। 19।।06 शिरू सुतौ 66/02 रघु मैबधवास सरि. मोरि दौ ‘’27।।03’’ गंगेश्वमर सुता गौरि 35।।05 मोरि
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सोरि कुलपतिय: खैआलसॅ नोने दौ।। सोरि सुता माण्डमर सॅ कान्हय दौ ।।09।।03’’ कान्ह’ सुतौ गोपीनाथ: बेलउँचसॅ र्ध्मा दित्यु दौ ‘’16/05 खैआलसँ उँमापति द्दौ गणेश सुता दरिहरा सॅ जीवे दौ ‘’25//06’’ शक्तूा सुतो जीवेक: हरिअम सँ दिन दौ ‘’ ‘’16।।07’’ माण्ड रसॅ नगाई द्धौ ‘’42।।88 जीवे सुतो 79।।05 रामदेव: महिषी पालीसॅ शिवधों 19/07’’ धरादित्यमसुतौ देवे 40।।03 रतनू कौ बलि हरादित्य7 दौ 10/10’’ हरिदित्य सुतौ पनिधोध 36/04 सुधाकर मटिबोध शुभंरो फन नरसिहं द्दौ प्र. देवादित्यत सुता शिव गागु 35/535।।02 बागे का: खनदजासँ दै दौ ‘’05/08’’ कामेश्वयर सुतौ भवाई हराय कौ 33/07 बहे रति दौाा 07/05 निखूति सँजगद्दा द्धौ. ‘’ भवाई सुतौ दवेक: बमनि कुमर दौ ‘’14/06’’ सक. गिरीश्व र द्दौ देवे सुता खौआलसॅ रघुपति दौ. 07।।09’’ नरउनसॅ कोने द्दौ।। 30।।02 शिव सुतौ 56/07 नरपति: माण्ड र सँ सुपन दो।। 09/06 ‘’ हरिकर 35/07 हरिकर सुता रतिकर 29।।05 मुधकर 36/09 खंतरा: टकबालसॅ बाटू दौ ‘’ 09/05 नरउनसॅयशु दौ खांतर सुता सुपन रूपन 56101 टलधरा: वेल धर्मादित्यट दौ 16/05 खैआलसॅ उँमापति दौ।। सुपन सुता सुधे महाई राम नोने कोने नाउनसॅ खातू सुत सुचिदौ 27/06’’ बनियानस सॅ इश्वनर द्दौ।। एवं राघव मात्रिकचदुं।। सदुपाध्या य राघव सुता बाबू बनाई 94।।05 53/37 विराई बाबा का सिमावाड़ सोपरपरुसॅ माधू दौ हलधर सुतो वास्त्रबक कमेली व्याॅसकंठ दौ।। वास्तु ओं राम 55/04 33/06 राम हरि कौ सक एजू दौ पा; नारायण द्दौ हरि सुता 35।।011 137/04 बसावन नाेने मतिश्वसरा: सत चान्दू पौ 26 9208 चान्द्रद मुतौ दूबसे शिरू कटक ग्रहेश्ववर दुमौ मतिश्व र सुता जनार्दन प्रा जाने अच्यु त श्री निवास 46/05 नीना: खैआलसॅ गोन्दूश दौ।। 21/0/0’’ 30/04 बादू सुतो गोन्दू क: अलसयॅ रतनधरसुत हरदत हरदतदौ गंगोलीसॅ साधुकर द्दौ गोनू सुता जागे माधव गोपी मुरारी मुकुन्द0 केशवा: नाउनसॅ ऐंठो दो ‘’27/002 बागे सुतौ एंहोक: माण्डनरसॅ दामसुत मांगु दौ पानीसँ रामदत्त दौ
(72) ‘’28’’
ऐंठो सुतो हेलअन्दूस कौ कर वाट सुत महिपति दौ गंगोली 28 रामद्दौ. माधव 80/109 माधू सुतौ माण्डसरसॅ काशी दौ भवसुतौहलसर: नरउन खांतू दौ ।। 19।।02 माण्डसरसॅ बागेद्दौ. 145/02 हलसर सुतौ काशीक: पालनीसॅ रूद दौ।। 23/11’’ देवे सुतौ रूद: दौ 23/11’’ देवे सुतौ रूद: नरउन सॅ उदयकर दौ तरूद सुता बलिनयास सॅ नारू दौ 21/;8 जीवेश्वेर सुतौ 59/10 रतिकर: ए सुतौ नारूक: धुसौत सॅ रविकर दौ 19/011 माण्ड’रसॅ हरदन्तत नारू 43//01 सुतौ चमरू क: 56/06 कामहा सॅ गौरीपति सुत बादूदौ एक साष्ट1दौ 58/07 काशीगता मरिअम सॅमहाई दौ ‘’25//08 चान्दक सुतौ मितूक: मण्ड0रसँमिक गयन सुतवीर दौ कु सुधाकर द्दौ 191/011 माण्डेरसॅ हरदन्त द्दौ नारू 43।।01 सुतौ चमरू 56/06 कामहा सॅ गौरीपति सुत बादूदों एक साष्ट5 द्दौ।। 58/07 काशीसुता हरिअम सॅमहाई दौ ‘’25।।08 चान्द सुतौ मितूक: माण्ड9रसॅमिक गयन सुत वीर दौ कु. सुधाकर द्दौ।। मितू सुतो 77/02 कोचे महाई सुखति पांखू का श्रीर विदॉं ‘’ 15/02 डाल सुते रविकार:सुतौ हरिनाथ: ए सुता गंगेश्व र हल्लेईश्व र श्रावेश्व‘र बलियाससॅ गौरि दौ।। भवेश्वतर सुता मिमायंक रूद धर्माध्किर वाट राजपंडित 43/04 गढ्कू 67/96 वर्णों का जालय से महिधर दौ।। मिश्र रूद्र सुता रविकर बुद्धिकर 262/08 गुणाकारा: अलयसॅ रतनधर दौ।। बुद्धिकर सुता उचति सॅ सुन्द्र दौ।। 06/03 हलधर सुत सुन्द र सुतौ येध: खण्डन महादेव दौ एवम चक्र बाबू सुतो रतिधर हरिपति कृष्णौपति कृष्णार 123/06: हारीसोदर जयदेव दौ।। 22/06 रति सुतौहौ रे नाने कौ कुजौली रविकर दौ 23/03’’ अलय सँ धर्माधिकार गंगाधर हारे सुता मणि शशि वाधे कृष्णा : जगति सँ रूद दौ ‘’27/08 भवै सुतौ रूद: जजि देव सुताधामदौ वलि सुफ द्दौ।।
नम: (73)
रूद सुतौ 35/06 नानक: उचतिसॅ कान्ह/ सुत पशुपति दौ गंगोली सॅ जोर द्दौ. मिश्र मणि सुता बासुदेव 88।।05 कामदेव जयदेवा: पनि. बुद्धिकर दौ ‘’26/06’’ धराई सुतौ विभाकर: दरिहरासँ श्रीपति सुत हरपल दौ टकबाल गांगु द्दौ विभाकर सुता गुणाकर बुद्धिकर दिवाकर 93/03 प्रभाकर खौआलसॅ रघुनाथ दौ 21।।04 गंगोली केशव बुद्धिकर सुता माण्ड’रसॅ महाई दौ साधव सुत श्रीवेश्वॅर सुतौ कोने देवेक: सुरगनसँ लक्ष्मी कर दौ ए सुतौ महाइक: करमाहासॅ शुभे दौ।। महाई सुता पाली सैरूद सुत उगारूदौ दरिहरासँ महेश्ववर दौ।। एवं जयदेव मातृक चक्रं मिश्र 76/06 जयदेव सुता नगवाडधोसोत सॅ महामहोपाध्धिपति दौ ‘’19।।011’’ रविकर सुतौ रूद बुद्धिकरौ दरिहरासँ गुणीश्वार दो बुद्धिकर सुतौ हलधर 5204 म. म. उ. पा. राम दौ।। पॉंखू सुतौा कोने केशवो माण्डदरसँ विशोसुत प्रसाद शुभंदर दौ पनि नोने द्दौ. केशवसुता बलिमतिकर दज्ञै मएइस बमन दौर महामहोपाध्याँद गोविन्द सुता महामहो लक्ष्मी नादो 209/05 परनामक ढकस म;प; उपा; 65।।05 विघापति म. प. पा. 102/03 दामोदर म.प.उ. पा. 178।।07 रामनाथ आगमचार्दक म. म.उ.प 96।।04 देवनाथ तर्क पच्चाबनन म. म. उ. प. गोपीनाथ कन्टरको द्वाराकारक महामहोपाध्याहय 39/04 मधुसूदन महमहो 105/09 जनदिना: माण्ड5रसँ दूखडि़ दौ।। 20/08 दुखडि सुता रघु राम रवि प्र नाने का: एकहरासँ एकहरासँ वगीश्व्र दौ।। 28।।06’’ गंगेश्वार सुतौ बागीश्वरर गणेश्वनरौ 51/01 गणेश्वँरौ कर श्रीनाथ दौ ‘’ वागीश्व।र सुता सकराढ़ी सँ गिरीश्वार सुत महेश्व्र दौ डरमहासँ सुपन द्दौ।। एवम् वर्ग विद्यापति माहक चक्रां।।
(74) ‘’29’’
महोमहोपाध्या)य विद्यापति सुता मुनिरूद्ध अनन्तव अच्युतता: एकहरासँ काशी दौ 29 ‘’25।।01’’ माधव सुतौ सन्याहसी काशी या 09 ओने को पालीसँ गुणाकर दौ 24/04 गुणाकर सुता माण्डसरसँ सुश्ससर दौ 22।।02 कुजौली राजू दौ सन्यातसी 134/04 काशीसुता सोदपासँ लाखन दौ 27/09 गोपीनाथ सुता हाऊ प्र. माण्ड9र महामहोपाध्याूय पशुपति दौाा 18/08 अलय सँ म.म. उ. प. रामेश्व र दौ वाहाउँ प्र. 43।।05 रतनाक सुता राम लाखन भव 63।।03 जीवे का करमहासँ माधव दौ 02।।09 माधव सुतौ हदसर्वेश्व0रौ माण्ड रसँ रतिकरदौ 28/05 34।।05 रतिकसुता दूबे 32/10 गुणाकर 82।।09 प्रतिकए: बहेराढ़ीसॅ रवि दौ ।। 09।।04 माण्डतर सँ विमू द्दौणा लाखन सुता बासुदेव 53/08 जनार्दन गोवी नरहरिय: खौभालसँ जीवे दौ ।। 25।।04 अपरा 55/02 हरिकर सुतौ जीवे जोरो तक 132।।08 तक प्रथमा परोक्षे भवदत्त स्यै5व दौ सुरगनसँ भगव दौ जीवे सुता करमहासँ शिरू सुत गंगाधर दौ जांजवाल सँ मीनू दौतिय दौ एवम कृष्णत पति मात्रक चक्रं।। कृष्णहपति सुता खौआल सँ रतनपति सुत परशुराम दोषे 14।।05 बुद्धिकर 80।।05 बुद्धिकर सुतौ कृष्णिपति गाउल करमहासँ साधुकर दौ 21/09 रूपन सुता साधुकर सुर्यकर 83।।07 पिरतू का: खौआल से रतन दौ 26/05 रतनू सुतौ डालूक गंगोरसँ सुधाकर दौ 19/06 44/15 चन्द्र कर: 40/06 माण्डौरसँ डालू दौ साधुकर सुतौ भवनाथ रामनाथौ बेसडँल धरम् दौ 22।।09’’ कृष्ण0पति सुता भाषाकंठ श्री कंठ सबुकंठ प्र; धण्डुौआसँ शुभंकर दौ पाण्डु ग्रापासं बीजी म. म. उ. पाठक गोविन्दण: ए सुतौवामन: सुता सदु. हरि सदुपाध्यााय विष्णुप सदुपाध्याय डालू सडपाजायछीतू चन्द्र कार:।। छीतू सुतौ पृथ्वीाघर मनोधरौ महोमनोघर सुतौ हेमधर: ए सुतौ गुणाकर: ए सुतौ प्राणघर:
(75)
प्राणघर सुतौआनन्दरकर: ए सुता कान्ह माधव केशव नारायणा: तकरतिपति दौ।। कान्हु सुता रामकर रतनाकर शुभंकर सुतौ सूर्यकर विभाकरौ नदाम सँ नरायण दौ।। धरमू सुता सक धनपति दौ।। 14/07 सदुसुपे सुतो दामोदर: एक सुतौ डालूक: पवौली सँ गोढिस 34/06 डालू सुतो विद्यापति 74/02 धनपति बुधपालसं वासुदेव दौ सुरगन सँ केशव दौ धनपति सुतों जोर 53/03 सकौना सँ रघु दौ अपरौ टचसूक: पालीसँ हरिकर सुत वाठन दज्ञै बलि कान्हर दज्ञै एवं कृष्णवपति मत्रिक चक्रं।। कृष्णक पति सुतौ रतनपति: फरहरा बुधवाल सँ मानु सुत परखू दौ 19/06 मानू सुतौ पुरखू नारायणो मिद्धि खैआलसँ गिरूदौ 28/09 37।।01 बाटू सुतौ गिरू क: करमहासँ महिपति दौ गंगोलीसँ राम दौ ।। गिरू सुता हरखू 48/09 गणेश हमेशा: भख कुजौली शुभकर दौ 23/03 सुपन सुताश्रीकर शुभंकर हरिकरा: दरिहरा सँ सुपन दौ 22।।04 सुपन सुतौ गांगु विशोंको एकहर सँ हारू दौ शुभंकर सुता मेघू पागु दिन शुचि जागे का: खैआलसँ शुभे दौ 23/02 शुभे सुतौ माणेक: सोदापुरसँ महामहोपा रघुनाथ दौ 27।07 32/05 सुतौ जोरि बलि माचू दज्ञै 15/04 माधू सुतो 47/09 रूद शम्भूा कौ आपससँ म. म. उ पा. रामेशवर दौ 02।।01 दरि. रति दौ पूरख सुतौ महामयो रामदेव: पबौलीसँ रघुदन्तभ दौ 34/01 शिवदत्त सुता 46/06 रूचिदनत रामदन्तक 36।।07 रूचिदत्त शुभदत्ता मौआल माण्ड रसँ सर्वाई दौ 22/07 सर्वाई सुतौ की 16/09 कर केउदू कौर सुपन दौ 26/08 गंगुआल स गोविन्दआ दौ रूचि दत्त सुता रघुदत्त जान 39/07 65/03 160/07 मुरारी
(76) ‘’30’’
गादू का: पनिक लाखू दौ।। 17/10 56/09 लाखू सुतौ श्री निवास प्र. श्री राम: सकराढीसँ हरिश्वदर दौ।। 05/05 हरिश्व र 12/02 सुतौरतीश्वशर कर मांगु सुत प्रज्ञाक दौ।। 37/06 करमहासँ पशुपति दौ ‘‘03/07’’ म.म.उपा. रतिघर सुता महो 76/04 कुलपति सदु: पशुपति कृष्णसपति विष्णुकपति 43/06 विष्णु/पुरी कात महो 306/03 रमापतिय: सोदरपुरम टेलू दौ 21/07 ग्रहेश्व्रसुनौ हेलूक: उचति होरे दौ।। हेलू सुतौ 45/02 येध: नाउन सें ग्रहेश्वुर सुत सुधाकर दौ दरि. गुणाकर दौ. 39।।01 पशुपति सुता सकराढी सँ राजू दौ 06/04 राजू सुतोहोरे शोरे कौ: बहेराढी सँ विरखू दौ 07/10’’ विरखू 77//05 सुतौ 44/011 वेणी वाछ कौ: नाउन स रतिकर दौ।। 19।।02 रतिकर सुता करमहा सँ बाद दौ ‘’21/08’’ तल्ह नविर छॉंप एवम। रतनपति मात्रक चक्रं रतनपति सुतौ परशुराम: और खण्डह बलासँ महामहोपाध्या/य ठ. गोपाल दौ 04/06 महामहोपाध्यप (उदयपुर राजगुरू महेश सुता म. म. उ. रामचन्द्रग महोपाध्यामय गोपाल महामपोध्या्य अच्युित र्ध्मपकर्मावतार राजनैतिक म. प. परमानन्दा : महिषी पाली सँ शिव सुत दाम दौ 28/05 अपरा शिव सुता दाम 75/08 83/05 कान्ह जीवे का: बेलउँच सँ होरे दौ ।। 25/05’’ रूप्रादित्यत सुतौ होरेक: 182/02 होरे सुतौ अमरूक: सोदरपुरसँ रामनाथ सुतकान्ह दौ 23//09 78/01 रामनाथ सुतौ कान्ह दरिहरासँ हरिहर दौ।। कान्ह/ सुतौ 1308/04 58/05 बांसू नोने को नरउनसँ चन्द्र करसँ चन्द्रदकर दों माण्ड।रसॅ विशो दौ 76/08 दामू सुता दरिहरा स गुणे दौ 22।। 05 75/09 शिव सुतौ गुणेक: द्वारम वेलउँच शिरू दौ।। 10।।03।। महो जयादित्या 139/07 सुता हरदत्त 33/04 सुधे शिरू 37/08 का: पण्डु आसँ प्राणघर सुत हल्लेाश्व।र दौ मन्द0वालसँ शिरू दौ शिरू सुतौ 75/09
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गंगाधर लक्ष्मीाधरौ पालीसँ दिनकर दौ ‘’12/05’’ हचलू सुतौ दिनकर: नरउन सॅ योगेश्व्र दौ पालीसॅ हलधर दौ. ।। दिनकर सुता कटौना माण्ड9रसॅ सुरसरदौ ‘’22।।02 कु. रामू दौ।। कु. रामू दौ।। गुणे सुतौ 70/09 गणेश: कटमा हरिअमसँ रामकर दौ।। 16।।08।। रामकर दौ।। 16।।08।। रामकर सुतौ 96।।05 हरिहर: पचही जजिमितू दौ ।। 17।।04।। गोपाल सुता मितू दिन पिरतू पर्वत 58/06 हिरइ का: बलियास सँ सुधाकर दौ।। मितू सुतौ ओहरि: उचतिसँ थानू सुत होरे दौ खण्ड0बलासँ भीम दौ।। एवम् गोपाल मात्रिक चक्रं कर उपाध्यािय ठ. 93/01 गोपाल सुतौ माधव: बलि. हरिआमसँ सुधाकर दौ ।।27/05 कुश सुतौ सुधाकर: महनौरा खौआससॅं डालू दौ ।।19/04।। 38/03 रामकर सुतौ डालूक: पालीसँ गोपालनदं माण्डहरसँ वीर दौ.।। 83।।07 डालू सुतौ उधोरण: 84।।07 पचही जजिवालसँ शंकर दौ ।।17।।04।। 38/02 माधव सुतौ 77/02 शंकरौ सकराढ़ी सँ जगद्धर सुत आडनि दौ केउॅरामसँ मधुर द्दौ।। शंकर सुता हरिपति गणपति गुदे खांतरा: सकरादीसँ रतीश्व र सुत गौढि दौ ।।24।।03।। गोढि सुता सोने गणपति मशे मुरारी शिरूका: बहेएढींस विशो सुत वागीश्वरर दौ गंगोरसँ हरिहर दौ मिश्र सुधाकर सुतो 252/07 रघुनाथ: गौर सादोपुरसँ सुधाधर दौ ।।19।।0/।। बाटू सुता सुधाधर 57/09 मणिधर 54/02 रामधर रूपधरा: जगति सॅभवे दौ जजि. धाम द्दौ 44/08 सुधाधर सुता 36/2 बासुरे मिश्र सुधाकर सुतो 252/07 रघुनाथ: गौर सोदरपुरसँ सुधाधर दौ ।।19।।01।। बाटू सुता सुधाधर मणिधर 57/09 54/02 राम धर रूपधरा: जगति सँभवे दौ जजि धाम द्दौ।। 44/08 सुधाधर सुता 36/2 बासुरे 86/03 चक्रर्याण पद्मनाभा: माण्ड रसँ नोने दौ ।। 18/03।। महामहो रतिपति सुता चान्द/ 35।।03 54।।08 दूबेकुशे का: मलिछाम परउन सँ डालू सुत मधुकर दौ ।।08।।03।। वलियासँ यशोधर द्दौ मोन शावर पुरूक।। कुचित पानि शौशे द्दौ।। कू. न. शाखा. लेखक: डोमाई मिश्रा।। चाण प्र. 39।।04 चन्द्रौपति सुता बासू प्र. बसुपति सूर्यपति शम्भूशपति गंगापति 45/06 मानू का: सिरखंडिया 3/4/03 लेखक लूटन झा
(79) ‘‘31’’
जजि नारू दौ ।।20।।09।। खौआलसँ विश्वपनाथ द्दौ।। बाटन सुतौ पदूम 96//01 छीतरौ माण्डजरसँ हरिनाथ दौ ।।25/02 पदम सुतौ हरिनाथ: सरिसबसँ कुल पति दौ।। 28/01।। 87/01 कुलपति सुतौ विशोक: दरि गांगुदौ।। हरिनाथ सुतौ श्रीपति: बेहद कर. नरहरि दौ।। 26।।09।। हरसुतौ 76/04 गोविन्द नरहरि सिमरी बलिठाससँ जोर दौ ।।30/07।। माधव सुतौ नारायण: एकहरासँ सुधाकर दज्ञै ।। नारायण सुता जोर 44/10 महन् 36।।09 शिरू का: बेलउँचसँ धर्मादित्यध दौ।। 16/05 खौआलसँ उँमापति दौ।। जोरसुतो रघुनाथ 40//05 बहेराढ़ी सँ विश्वदरम्म र दौ।। 07।।06।। खौआलसँ रघुपति दौ।। नरहरि सुतौ गोन्दूरक: हरिहरा सँथेध दौ ।।21//09।। बुद्धिकर सुतो थेध: सोदर रघुनाथ दौ 130/07।। रघुनाथ सुतौ 48।।05 महिपति गंगापति तिसूरीसँ ग्रहेश्व9र दौ।। थेध सुतौ लक्ष्मी: पति गौरीपति हारी पालीसँ कान्ह0 दौ ।।21//03।। कान्ह सुता 39/03 विष्णु पति 35//09 रघुपति नरपति 83/01 रमापति इन्द्रिपति हरिपति 142/08 सुरपतिय: सकराढ़ीसँ गणेदौ।। एवम छीतर मात्रिक चक्र।। 81/07 छीतर प्र परशुराम सुतौ 106/03 भोरानाथ: रजौश्रा माणरसँ रघुनन्दीनसँ ।।18//01 यग्य पति सुता 46/02 सुता अपुल 75/08 वेणी नरहरि 152/07 शशिधरा: आदया पालीसँ रूद दौ।। 28।।02 वलियारू सँ नारू दौ।। अन्योर पालसँ रविनाथ्तँ दौ 20/10 खौ रविनादह म.म.उ पा 56/03 हरिसुतौ धनेश: शोधोलि आलयसँ वेणी दौ ।।15/03।। हरि सुतौ रघुक: खौआलसँ शुचिकर दौ बुधवालसँ मानु दौ।। 66//08 रघु सुतो वेणीक खौआलह नारायण दौ ।।21/05।। नारायण सुता 61/02 खण्ड6कता सँ नरहरि दौ 22/02 नरउनसँ चन्द्र1कर द्दौ वेणी सुतौ देवनाथ: 46/06 माण्ड1रसँ देहरि दौ 29/04 गुणाकर सुतौ देहरि: कुजौली सैश्री वर्द्धन सुत हरिहर दौ वेणी सुतौ देवनाथ: 46/06 माण्डररसँ देहरि दौ 29//09 गुणाकर सुतौ देहरि: कुजौली सँश्री वर्द्धन सुत हरिहर दौ माण्डसरसँ वागीश्वमर द्दौ देहरि सुता जीवे बासू 131/03 यश का 131/03 सरिसबसँ भवादित्यर सुत रवि दज्ञै सकराहीसँ नन्दीदश्ववर द्दौ।।
(80) ।।32।।
धनेश सुता रघुनन्द न गोविन्दद 2/19//02 परमानन्दाव: 92//05 पबौलीसँ रतन् दौ।। 30/08।। 32 शिवदत्त सुता भानुदत्त 43//08 कृष्णेदत्त हरदत्त 62//07 रूपदत्ता: 63//08 टकबालसँ शिरू दौ।। 09/06।। माण्ड रसँ सुधाकर दौ।। हरदत्त सुतौ रतनूक: खौआलसँ हरि दौ 22/01।। 169/01 हरिसुता सोदरपुरसँ हरि दौ 28/08 सत: चान्दत दौ।। रतन 43/09 सुतो गोढ़ाई अफेलौ पनि हरि दौ ।। 17/011 82/07 बाध सुतौ हरि गोपाली 77/06 दरि कुसुमाकर दौ 24/09 फनन्दरहरसँ गोविन्द1 द्दौ।। हरिसुता राजनपुरा दरिदरासँ जीवेदौ 16/01 दिवाकर सुतौबाटूक: सरिसबसँ माने दौ।। 27//03 वलि बसाउन द्दौ।। 32//07 बाटू सुतौ 78//03 पराउ जीवे कौ महिपासोदारपुरसँ हरिनाथ दौ ।।23/10।। कु वंशवर्द्धन द्दौ।। जीव सुतौ विष्णुूपति गणपति रखवारी हरिअम सँ खूदी दौ ।।31//09।। 139/04 खूदी सुतौ 48/05 धरमूक: कटमा माण्डहर सँ रविपति दौ ।। 24/05। म. म. उ. प. रविपति सुतौरतनू राम 178/01 36//105 लाखन बुद्धिकरा: उजान बुधवालसँ देवे ।। 22//08 बेलउँच सँ गयादित्य द्दौ।। रघुनन्द0न सुता और खण्डवबलासँ म.म. उ. प. विश्व भर दौ ।। 04//06 म.म.उ पा. दामोदर सुतौ अग्नि होत्रिक म.म.उ.पा. विश्व भार: हरिअमसँ गयन दौ । 19/03।। गयन सुता राजनपुरा दरिहरा सँ बसावन दौ 32/04 बाटू 34/08 सुतौ बसावन: बहेराढ़ीसँ जनार्दन दौ ।। 10/01 जनार्दन सुता नाउन सँ कोने दौ।। 14//05 सकराढ़ी सँ जीवेश्व र द्दौ।। 53//04 बसावन सता सोदरपुरसँ म.म.उ.पा. नासे दौ ।।23/01।। म.म. भासेसुता दामोदर पुरूपोषत्तम कृष्णा : सत शंकर द्दौ 24/07 89/06 शंका सुता रतिहर 41/07 लक्ष्मीमकर बुद्धिकरा: फनन्दाहसँ वासुदेव सुत महेश्वोर दौ कुजौली सँ शशिकर अग्नि होमिक महामहोपाध्या/य विश्वीम्भरर 95//08 सुतौ भवेश: 49/06 दरिहरासँ महेश दौ ।। 23//03 दाशेसुता 2777//03 247//03 शंकर महेश महादेव भीम
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रामदेवा: 81//03 शक्रिरायपुरनाउनसँ नारू दौ।। 25/05 जगद्धर 318/08 प्र. मुशे सुतौ लाखू नारू शै बेलउँचसँ जयादित्य3 दौ।। 30//09 पण्डुरआसँ हल्ले्श्व1र द्दौ।। नास सुतौ हल्लेमश्वूर 85//05 बेटर माण्डधरसँ सोम दौ ।।20//011 सोम सुता 54/10 रतिकर बाटू चाणा 13/05 सरिसबसँ माने सुत गंगेश्व्र दौ।। 27//09 खौआलसँ नाने दौ।। महेशा।। सुतौ भवानी 42/02 नाथ: कटमा हरिअमसँ भवपति दौ 25/09 विमू सुता 61/06 बसावन जसाइन विष्ण2पति भवपति गिरिपतिय: दिगउन्धद खौआल सँ तनू दौ 11/02 नाने सुतौ श्रीधर: धोसोतसँ रविकर दौ ।। श्रीधर सुतौ 56//03 रालूक: पनिचोभसँ धराई दौ 26/06 सबुणीय द्दौ।। शत सुता हलधर कानह शिव महिपतिक: कुजौली सँ दिवाकर सुत मधुकर दौ पनिचोभ मांगु दौ ।। 21/10 फनन्दशहसँ मोरि द्दौ रूपे सुतौ 60/01 नाह प्र गया धर 2066/06 गाग प्र नारायण कौ उजान बुध्वािलस दैवे दौ 22//08 बेलउँच सँ गयादित्य दौ।। एवं धराधर विवाह समांप्त ।। शुभ शाके 1778 सनद्य 1263 साल श्रावणा कृष्णचतृतीययायं दिनकरौ पण्डुधमासँ वां हर्कनसिवत मिदं ठ लक्ष्मीवधर सुतो गणेश: पतनुका माण्डणरसँ धनश्यादम दौ 22/04 विध्ूपतिसुता प्राणपति जीउँतपति प्रभापति वेशी का राधवास सरिसबसँ गंगेशवर दौ 27/07 खैआलसँ नाने द्दौ।। प्राणपति सुता काशी 44/09 लड़ावन नरसिंहाि देउँरी खण्डँबाला सँ सान्हि दौ 22/09 सकराढीसँ देवे दौ लड़ाउ सुतो रामदेव
(82) ।। 33।।
होराई कौकन्हौलली एकहरा सँट्रनी दौ ।। 25//01।। ट्रनी सुतो हरिपति कुजौलीसॅ 33 गिरीश्वीर सुत हरीश्वकर दौ माण्डीरसँ नोने द्दौ।। होराई सुता मधुसूदन गोपनीय लक्ष्मीुदेवा: गढ़ खण्ड बलासँ माधव दौ 28/04 हराई सुतौ माने सोना की दरिहरासँ ग्रहेश्वमर दौ अल्यषसँ साढूर्क्षेण माने सुता धारू 74/008 चाण 38/05 जीवे का: बुधवाल सँ गंगेश्वयर दौ।। 11/06 माण्डबर सँ जीवेश्व र द्दौ।। चान्द0 सुतौ माधव: नरउन सँ दिवाकर सुत दिनकर दौ 24/08दरिकुसुमाकर द्दौ माधव सुता बेलऊंच सं भवादित्य दौ 30//09 63//06 हरदत्त सुता पौखू रति भवादित्यक सोमा शक्रिरायपुर नरउनसँ योगीश्विर सुत हरिश्व0र दौ 25/05 विस्की सँ होरई दौ 71/08 भवादित्यम प्र भवाई सुता शंकर रघु गोढ़े का द्वारम खौआल सँ धारू दौ ।। 21//04 धारू 83/10 सुता शिरू पदम लखू गादूका: एकहरासँ श्री कर सुत चान्द दौ खौआल मूसेहर मधुसूदन सुता उमापति 84/01 विद्यापति 26/103 लक्ष्मी पति प्र भट्टा: अनलपुर कर महासू रघु सुत शिव दौ 02//10// भवेश्वपर सुतौ धर्मादित्यर: नाउनसँ गौरीश्वमर दौ ।।03।।07 टकबाल सँ यद द्दौ धर्मादित्य् सुतौ बासुदेव: ब्रहमपुर जजिबालसँ कान्ह् सुत नारू दौ ।।25/08।। वरूमालीसँ रवि प्रसिद्ध रूचिकर दौटि भेदों 74//07 वासुदेव सुतौ रघु खूदे कौ मुराजपुर वलियास सँ शिवादित्यू सुत सर्वादित्य दौ 12/09।। शिवादित्य सुतौ सर्वादित्य : हारीपालीसँ राम दत्त दौ।। 41//02।। पवौलिसँ बागे द्दौं।। साध्य सर्वादित्य 70/02 सुता बाढ़ सोढ़ू नोने गोढ़े का: फरहरा बुधवालसँ भानु सुत महेश्व।र दौ ।।19/04 माण्ड र से रविदत्त दौटित्र दौ रघुसुता शिव दामू मधुसूदन सोदापुरसँ सोदेन दौ ।। 21/07।। सोल्ह4न सुता श्री 82/02 पति दूबेमुरारि का: कन्हौधली बेलऊँच हरि दौ।। 10/04 प्राणादित्यस
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सुतौहरि 70/09 गयनौ 14/03 गयनौ फनन्द/हसँ बासुदेव सुत महेश्ववर दौ कुजौली सँ शशिधर दौ।। हरि सुतौ विश्वा सनाथ प्र. रविनाथ देवनाथौ गढ़धोतोसँ रविपतिसुत कुलपति दौ ।। 25/10 वलियास सँ मधुकर द्दौ।। शिव सुता महनौरा खैभाल सँ जीवे दौ 20//09 मित्रकर 48/02 सुतौ हरखू 55//06 हरखू जीवेकौ काको बेलउँच सँ केशव दौ 21/07 के शव सुतोगोन बागे कौ पालीसँ लक्ष्मीरधर प्र. माधव सुत गोपाल प्र. गोप दौ जजिवाल सँभव द्दौ जीवे सुतो पीताम्बरर: दिगउन्ध्क सोदाउरसँ शक्तूु सुत उद्योरण मधुकरपन्नेौ दरिहरासँ शंकर दौ 11//08 गुणाकर सुता शंकर चन्द्र्कर सूर्यकरा: विठुआल सँ नोने दौ।। 36//02 शंकर सुता विरपर सोदपुरसँ रूद्रंश्विर सुत हरिहर दौ बेलउँच से रूद्रादित्यद दौ।। उद्योग 57/07 सुतौ गंगाधर: कड़राइन बन नियामसँ ग्रहेश्वररसुत होरें दौ।। 22/10 होरे सुतौ विष्णुरपति: सकराढ़ीसँ गुणपति दौ।।30 या डालू सुतौ रघुपति कुलपति से दौ ।। रघुपति सुतौ गुणपति शिवपति कुजौलीसँ रूपन दौ गुणपति सुता जजिवालसँ हरिहर सुत पुराई दौ सरौसँ पुराई द्दौ एवम् भट्ट मात्रिाक चन्द्राुभट्ट सुता घनश्याणम राम श्री कृष्णास बेहर खण्डँवलासँ जनार्दन दौ 01//07।। महिपति सुतौ कान्हश: राजनपुरा दरिहरासँ दिवाकर सुतकर दौ बाटू, सुता अलयसँ नारायण सुत श्रीकरसॅ खैआल सँ शुचिक द्दौ.।। ठ. 72//02 कान्ह सुतौ विष्णुरपति: कुरैलसकरीढ़ीसँ रूचिकर दौ।। 24/03 लाख सुता रूचिकर।।
(84) ।।34।।
शुचिकर मतिकर 59/07 रासकर 46/03 कृष्ण 52/06 करा: पाली सँ गंगाधर सुत नरसिहं दौ 34 वलियाससँ रति द्दौ।। रूचिकरसुतौ 46/09 सुतौ अफेल पइमो 36/03 पालीसँ सुधाकर सुतमुशे दौ 24/03 सुधाकर सुतौ मित्रकर प्र मुसेक: बलियास सँ रूचिकर दौ।। मुझे सुता खौआलसँ डालूसुत विद्यापति दौ भण्डाररिसम सँ शुभे द्दौ।। ठ.। ठ. 91/10 विष्णुझपति सुतौ जनार्दन बुआ तिसउँतसॅ जीवेश्वभर सुत नन्दसन दौ।। 14/05 गणपति सुतौ नन्दी श्वसर रघुरामों बरेबा सें देवे दौ।। नन्दीशश्वरर सुता गौरी मौदि खण्डेौश्वलर रबी का: पचाउँहसँ कीर्ति शर्म्मु दौ।। चण्डे श्व।र सुतौ श्रीवेश्वतर: दिशोसँ बासुदेव सुत रति सर्म्म् दौ कूचित पण्डो लसँयन दौ मून शा पनि व्न् दपतिदा। जीवेश्वनर सुता रघुपाणि हरिपाणि रंजन 51/06 राम नन्द न 36/02 माधूका: सुदै बेसउँचसँ होरे दौ 30/07 सोदरकान्हर दौ।। 147/05 नन्द न सुतौ गोपीनाथ विजहरा माण्ड र सँ शिरू दौ 29/03 रतिकर सुतौ हेलूक: पबौली सँ श्रीदत्त सुता माण्ड र सँ बागेश्वतर दौ 17/01 कुजौली सँ राजू राजू द्दौ।। हेलू सुता विद शिरू लाख परमू जाना: कुजौलीसँ सुपन दौ 30/05 हरिहरासँ सुपन दौ शिरू सुता साधुकर 37/04 मानुकर भस्कौरा: सकुरी गंगोली सँ आलू सुत सुरेदौ ।।05।।04 विश्व रूप बड़गाम सुतौवहुरूप ए सुतौ मधुकर: ए सुतौ सर्वदन्त : ए सुतौ लक्ष्मी।दत्त: ए सुतौ भवदत्त: सुतो सोमदत्त: ए सुतौ डालूक: ए सुता रघुपति 44/07 कान्हौ सुरेश्व।रा: बरेबासँ साउले दौ।। सुरेश्वतर सुतों होरे शोरेकौ भन्द वालसँ विध सुत फूलहर दौ माण्ड्रसँ सागर द्दौ।। एवम् जनार्दन मात्रिक चक्रम।।
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ठ. जनार्दन सुता बाबू प्र 95//04 रघुदेव जयकृष्णो जयराम 111/02 जय शिव श्याफम गोविन्दा:गंगौरा बुधवाससॅ रामदेव दौ ।।/03।। रूचिकर 37/03 सुतौ रविकर बुद्धिकररौ एक थानू दौ 22/08।। दरि प्रतिशर्म्मॅ दौ।। रविकर सुता माधव साधुकर अमरू 85/01 लोटना: 137/04 ओमोसिबेलउँच सॅ धरादित्यम सुत बाढ़ दौ 10/05।। बाढ सुता जाने माने महेश्वार गौरीश्वार 45/07 चान्दाॅ: भरेहासँ गणपति सुत केशव दौ सुगनसँ देवनाथ द्दौ।। माधव 47/02 सुतौ परमके: महिया सोदारपुरसँ रूचिनाथ 23/01 पालीसँ गांगु द्दौ।। परमसुता बासुदेव रामदेव गोविन्दाक: खढ़ीक खौआल सँ गौरीनाथ दौ।। 24/03 गौरीनाथ 62/09 सुतौ अमरू उद्धवो पालीसॅ देवादित्ये सुत गांगु दौ ।। 28/03 गांगु सुता विदू कुलपति श्री पति 332/09 जागे का: केउँरगामा सोदरपुरसँ बादू दौ।। 19/0 माण्ड।रसॅ होरे द्दौ।। रामदेव सुतौ नारायण: जगति सँकाशी दौ 29/01 नाने सुता मिमांशक 87/05 मिसरू होरे 15/08 वेणी 43/03 काशीका: करमा हरिअमसँ मितू दौ।। 28//04 दरिहरासँ रविदौ।। काशीसुतौ भवानीनाथ विठौली सोदरपुरसँ नोने दौ 30/07 48/05 जोर सुतौ नोने हचलू कौ माण्डतरसँ विशोसुत हरिकर दौ 28/05 हरिकर सुतौ वेणी बुद्धिकरो 173/04 गंगरौना हरिअमसँ केशव दौ।। 27/05 हरिहरा सँवर्द्धमान द्दौ।। नोने सुता परान विष्णु7पति एकमा बलियासँ रघु दौ।। 16//03।। विभाकर सुता गुणाकर मतिकर दिवाकरा: गंगोरसँ देवनाथ दौ मतिकर सुतौ रघु पुनन्द/हसँ माधवदौ ।। रघु सुतौ महाईक: गाउल करमहासँ बाटू सुत हरिदौं सकराढ़ीसँ लनिद्दौ।। एवम् घनश्यािम मातुबुचक्रम।। घनश्यादम 109/04 सुतौ कुनाईक: 116/03 कन्हौ ली
(86) ।। 35।।
सोदरपुरसँ छोटाई दौ।। 28/081 बसाउन सुता पशुपति विद्यापति 35 73/02 महिपति 49/07 उँमापतिका: खौआन सँ गोविन्दर सँ गोविन्दि दौ 22/01।। खण्डसवाससँ नरहरि द्दौ।। पशुपति सुता 78/05 नरहरि श्री हरिय: 44/02 महिषी पालीसँ महिषी पालीसँ बागे दौ 28/03 बागे सुता येध ठालू रघुपतिय: भौआन दरिहरा सँ कारू दौ 23//09 कारू 40/04 कारू सुतौ रति महाईकौ झंझारपुर करमहा सॅ राम दौ।। 02/09 राम सुतौहरिहर दिवाकरौ जगौर माण्ड र सँ पघुपति दौ।। 23/06 सोदर खांतू द्दौ।। नरहरिसुता 11/05 रामदेव कामदेव लोटाई छोटाई का: 120/07 हारीपाली सँ जसाई दौ।। 32/05 रघुपति 42/05 सुतौ जसाई वाचस्पईतिडीह दरिस्राौसँ भवे दौ 28/05 रवि सुतौ भवेक: हरिअम सँ नोने दौ।। 16/03।। वलियास सँ नितिकर द्दौ भवेसूत्रों में पाकर प्र. मेध रतनाकर: बघवास सरिसवसँ गौरि दौ।। 27//09 गौर सुतौ जोर: टकवालसँ शिरू दौ।। 09/06 माण्डतरसँ सुधाकर द्दौ।। जसाई सुता लाखू 51/07 शंकर 89/03 गणेशा: हसौली सोदरपरसँ शिव दौ।। 23/02 दूबे 48/06 सुतौ चौबेक: 53/01 पवौलिसँ देवदत्त दौ ।।24/0/।। देवदत्त सुता वलियासँ दूबेसुत शक्रि दौ गंगोलीसँ सोमदत्त दौ।। शिवसुताध्यस शोभाज्ञानोंकें वमनियामसँ कुलपति दौ ।।27/07।। कुलपति दौ ।।27/07 ।। कुलपति 81/06 सुतों जादू बाटू कौ माण्डँरसँ किरतू दौ।। 22/02 किरतू 230//01 सुतो दूबेक: सुपरानी गंगोलीसँ शोनूसुत शिवदो पनिचोभ से के उदू द्दौ एवम् छोटाई मात्रिक चक्रं।। 103/01 छोटाई सुतौ अनिरूद्ध: मलंगियह कुजौलीसँ हरिनाथ दौ।। 18/02 जीवे सुतो महाई गारी कौ माण्ड रसँ सुधाकर सुत चाण दौ उध दामू द्दौ।। 37/08 महाई सुतोगोपीनाथ: पालीसँ कुलपति दौ।। 26/04 गुरू सुतो कुलपति महिपति के उँटू का:
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कुजौलीसँ लक्ष्मी श्व7र दौ गंगोलीसँ हरिश्वगर द्दौ.।। कुलपति सुतो मुथेक: खौआलसँ हरपति दौ।। 25/04।। हरपति सुता चान्द् माने सोनेका: 43/09 38//07 77//05 पाली सँ गोपाल दौ 31//06।। खैआल सँ शुचिकर सँ शुचिकर दौ.।। गोपीनाथ सुतौ प्रितिनाथ हरिनाथों बुआ तिसउँतसँ माधू दौ।। 34/05 माधू सुतौ रूचिदत्त लोकयं सकराढ़ी सॅ गिरीश्व र दौ ।।27/05।। कुजौली सँ मितू दौ।। दूबे सुतौ गोविन्दा: बलियान सँ मितू दौ 28/03 महिधोध सुधाकर सुतौभितूक: टकबालसँ सोम दौ।। मितू सुता गुणेशंकर महाई गहाईका: सोदर माधवदत्त दौ सत रतनाकर द्दौ.।। हरिनाथ मातृक चक्रं।। हरिनाथ सुता सोम आनन्दक मांझी डुमरा बुधवाल सँ गुणपति दौ।। 19/04 विश्वृश्वहर 44/10 सुता कुशे प्रश्नध देवानन्दर 151/08 बसाउन 67/07 राज 173/09 परानमणिका: 52/05 का: बेल. रूद्रादित्यल दौ नरहरिश्व र दौ।। क्वुचित वलि जोर दौ ।। 32/03।। वहे ठ. विश्वशभर दौ ।। कू: न शाएबा ।। सदु. मणि सुता 82/10 गणपति विष्णु पति उँमापति सुरपतिय: 40/03 जैरामाण्ड सँ यग्य।पतियो ।।32/0;7 पालीसँ रूद द्दौ।।गुणपति सुतौ गोविन्द : सोदर वासुदेव दौ 31/07। वासुदेव 40/03 सुता पालीसँ होराइ होरिल दौ।। सुतथ सुतोनाथू पॉंथू 169/09 मणिधर माण्डिरसँ मधुकर दौ।। 28/05 मधुकर सुता जोर जान बलभद्रा: करमहासँ प्रजाकर दौ ।। नाथू सुतौ होराई क: पबौलिसँ देवदत्त सुत शिवदत्त दौ ।30/08।। माण्डनरसँ सर्वाई दौ।।.
(88) ।। 36।।
होराई सुता कुजौली सें बैजू सुत औहरि दौ।। 23/03।। यशोधर सुतौ 36 वैजू कौ विशो कौ सोदरपुरसँ वर्द्धन दौ 21/02।। माणरसँ भवदत्त दौ।। बैजू सुतो नोने ओहरि असयसँ बुद्धिपर प्र. बुधेदो।। 18/02 हरि गौरी दौ मो.न.था गंगोली शिरू द्दौ।। झू.न. ओहरि सुतो गणपति पशुपति दरिहरासं शंकर दौ 34/05 शंकर 41/08 सुता वमनियामसॅ रूचिकर दौ 15/04 रूचिकर सुता खौआल सँ श्रीधर दौ 33/04 पनि. धरादित्य0 द्दौ.।। (म.न.श.वैजू द्दौ।।) एवम् ठ. लक्ष्मीरधर प्रथम विवाह समाप्तद।। ठ. गणेश सुतो बैदेयनाथ दुर्गदत्तौ पुड़े नाउन सँ रमाकान्त( दौ ।। 24/08।। विर 76/07 सुतौ ज्योण रामनाद: माण्ड़र सँ रतिपति सुत सारवन दौ।। 32/06।। लाखन सुते मेध 247/06 धरम कौ कुजौलीसँ श्रीकर दौ।। 30/06 श्रीकर सुतों ज्ञान 131/06 मधुकरपट्टो दरिरासँ चाण दौ।। ।। 19/07 पवौलीस देव धर दौ।। कल्या6ण सुता करमहास विद्यापति दौ ।।26/09।। शम्मौ 58/05 सुता विद्यापति धनपति महिपतिय: माण्ड6रसँ मनोरथ दौ ।। 09/03।। मनोरथ सुता जीवे शीरू 71/01 चणों: जालयसँ रामेश्वहरसुत महिघर दौ यमुगामसँ गेणाई द्दौ।। विद्यापति सुतो भगीरथ: बलियास सँ शीरू दौ 32/03 शीरू सुता 57/03 बसाउन 85/02 भवनाथ नाने सोने का 90/10
(89)
बहेराढ़ी सँ नरहरि सुत विश्वाम्मर दौ ।।07।।06।। खैआलसँ रघुपति दौ।। श्रीधर सुता गणेश्व़रोत्तम धरनीधए: सोदरपुरसँ वेणीसुत रतिनाथ दौ ।। 35।।06।। वासुदेवस वेणी काशी कौ माण्डवर सँ नगाई सुत विश्व:म्भपर दौ फनन्दथहसँ जगन्नाशथ द्दौ।। वेणी सुतो रतिनाथ: पालीसँ देवादित्यस सुत बागे दौ।।35/02 दरिहरासँ कारू द्दौ।। रतिनाथ सुतो श्री 165/08 अच्युमतौ पालीसँ विष्णोतदेवसुत कामदेव दौ ।। 32/05।। विष्णुरपति सुता बासुदेव कामदेव 03/10 सोमदेवा माण्डोरसँ बसाउन सुत दशरथ दौ सरिस:हलधर दौहित्र दौ।। कामदेव सुता माण्डकरसँ शिरू सुत साधुकर दौ।। 34/07।। साधुकर सुतो नरपति रवि: हरिअमसँ विमूसुत जसाउन दौ।। 33/03 जसाउन सुता माण्ड3र सँ सुबे सुत गिरू दौ पालीसँ वद दौ।। धरनीधर सुतौ रमाकान्तम कमलाकान्तो बेहर 91/07 करमहासँ रामचन्द्रद दौ 27/02 जयदे सुतौ बासुदेव शिवदेवों 98/06 पवौलीसँ रूचिदत्त सुत रघुदन्त9 दौ ।। 30//01 रघुदत्त सुता बलियाससँ होरे सुत सोंढू दौ ।। 15/04।। दूबे सुता शक्ति श्रीधर गणतिका पालीसं नरसिंह दौ।। गणपति सुता हेलू 47/01 सुरे होरेका आदया गंगोलीसँ सोखदत्त दौ।। अन्योा टकबालसँ माधव दौ।। 09/07।। दरिहरा सँ सोढू द्वौणा होरे सुतौ बादू सौठ कौ बेलऊँचसँ दिनकर दौ।। सौ 128/24 सोठ सुता कुजौलीसँ जीवे सुत महाई दौ 135/01।। महाई सुतौ रतन पूरखू कौ सोदरपुरसँ 34/04 देवनाथ दौ देवनापरूतोनाथ 70/10 ।।73।।03 पाथू कौ पालीसँ नादू सुत यशु दौ सरिसबसँ खांतू द्दौ।। बासुदेव सुतौ रामचन्द्रर भगीरथौ 78/06 सोदरपुरसँ निकार दौ।। 23/02 म.म. गोविन्द 49/03 सुता रघुनन्द्न 39/08
(90) ।। 37।।
गोन्टूद 66/04 निकारा: खौआल सँ वीर दौ ।। 30/05।। बाटू 44/03 सुतौ वीर: बेलउँच सँ धरादित्य सुत महादित्यई दौ एक. दूनम द्दौ वीर 47/07 सुतौ रंजन 73/05 परानौ हरिअमसँ लाख दौ ।। 25/08 लाख 65/06 सुतौ खखनू धारू कौ दरिहरासँ नारू सुत लाखू दौ बुधवलसँ गंगादित्यू द्दौ। निकार सुता महिपति 77/04 272/04 चूड़ामणि विष्णु 103/04 कृष्णे हरिनन्द।न 75/01 लक्ष्मपन अच्यु4ता: 63/08 बुधवालसँ चाण सुत धारू दौ।। 35/01।। रूचिकर सुता चाण 46/03 दिनकर नोनेका: 49/02 माण्डुरसँ कौने सुत जीवेश्वुर दौ बुधवासँ उत द्दौ।। चाण सुता मानू 48/06 73/06 नीति रतिपति 52/08 श्री पति 77/07 धरापति प्र धारू का: वेलउँच सँ गयादित्य सुत कृष्ण0पति दौ।। 29/08 पणडुआसँ शुभंकर द्दौ।। 77/01 चारू सुतौ रघुनाथजी 89/09 जी वनाथों 78/10 एकहरा संकृराणपति सुत श्री पति दौ।। 22/08 दिन 42/03 सुता गुणपति 304/04 कृष्णदपति सुधापति नरपतिय: अलयसँ हरि दौ।। कृष्ण4पतिसुता 45/01 कुलपति 50/07 श्रीपति रमापतिय: जजिवालसँ लाखू दौ।। 17//03 गौरीश्वणर सुत रतनपाणि सुतौ जीवे लाखू कौ फनन्द/हसँ विदू दौ।। लाखू सुतौ रथुपाणि 72/05 हरिपाणि 189/04 करनहासँ गंगेश्व/रसुत राम ।।35/03।। माण्ड रसँ रघुपति द्दौ।। श्रीपति सुता सोदरपुरसँ भद्रेश्वसर सुत सोम्हशल दौ।। 33/01।। बेलउँचसॅ हरि द्दौ।। रामचन्द्र सुता रामकृष्णात हष्णु लक्ष्मीवकांता दरिहरा सँ रामचन्द्रद दौ।। 22//05।। हरि 47/03 सुता मति गोविन्द् दामू 75/02 मधुसूदन श्री हरि का: 114/03 बेलउँच सँ जयादित्यौ सुत सुधे दौ।। 30।।09 सुधेसुता 43/07 माधू मित्रकर 60/09 यशु 51/09 गुणोका: पालीसँ हचससुत दिनकर दो 135/01।। माण्ड रसँ सुरसर द्दौ।। माण्ड/रसँ सुरसर द्दौ।। गोविन्दु सुताकेशव अर्जून प्रदभूभना: करमहासँ रवि सुतमांगु दौ।। 20/08।। रवि सुतो गांगुक: तल्हन पुरसं गोविन्दि सुत गोपाल दौ
(91)
25/10/0।। पालीसँ नन्दी श्वदर द्दौ।। मांगू सुतामहाई 179/0668/05 नरिहरि विशोका दरिहरा सँ हरिकर सुत पदमकर दौ ।।10/09।। पद्यकर सुतो 58/01 रघु कान्हु9 कौ जजिबाल सँ सोमसुत माधव दौ।। 31/माधव सुतौ देध: उचति सँ हटवय सुत माधव दौ खौआल सँ भवे द्दौ।। प्रदयूम्मा सुता रामचन्द्रर रामभद्र वलभद्रा: 160/01।। बलभद्रा: 106 बुधवालसँ मणि सुत विष्णुापति दौ।। 36/07।। विष्णु1पतिक शिवनाथ: खौआन सँ यशोधर दौ ।। 31/04।। रामकर सुता हरि 39/03 गणपति कुशा: हरिअम्बशसँ हारू सुत शिरू दौ।। 19/01 वलियास सँ रूचि द्दौ।। गणपति सुतौ यशौपार सीरसद केशव दौ।। 29/06।। वलियाससँ नितिकर द्दौ।। यशोधर सुत जजिवालसँ रघु दौ।। 12/08।। शंकर सुता भैरवपुर होरे शोरे का दरिहरासँ धराधर सुत लाख दो करमहस धार रघुसुतौ देवदत्त भवे कौ माण्ड रसॅ रतनू सुत बागे दौ रउन सँ शशि दौ रामचन्द्र सुतौ रघुनन्द3न 102/04 हरिनन्दमनौ 83/06 खण्डौबलासँ रतिनाथ दौ।। 33/10।। की सुता रामनाथ पॉथू हरिहरा बेल. बाढ सुत मानू दौ नरउन सँ शशि दौ।। रामचन्द्रर सुतौ रघुनन्द।न 102/04 हरिन्द्ह नौ 83/06 खण्डबबलासँ रतिनाथ दौ।। 33/03।। की सुता रामनाथ मॉथू हरिहरा बेल बादू सुत मानू दौ पालीसँ शुभंकर द्दौ।। 64/08 पाथू सुतौ रतिनाथ बहेशंकर दौ।। 27/10।। मतिश्व र सुताजोर महनबुशे जीवे शंका सकण्निरतिकर दौ।। शंकर सुताहोरिल रनतपाणि राघव 236//01 शूलपाणि का सरिसबसँ इन दौ ।। 20/04।। ग्रहेश्व र 69/01 सुतारद चाण 44/03 इन महेन्द्रस 147/08 रषिका: 60/02 करमहासँ लक्ष्मीरपतियां इनसुतों केध सुधाकरौ पनि महि सुत रतनू दो माण्डारसँ नगाई दौ।। रतिनाथ सुता महिषी बुधवालसं डालूसुत श्री दत्त दौ ।। 10/01।। सूर्यकर सुतौ राम लखन खण्ड।बलासँ बलभद्र दौ लाखन प्र. लक्षमन सुन्त1 ग्रहेश्व र 57/09 भोगीश्वजर मतिश्व र नन्दीणश्वबरा: तत्राद्यो तिसूरीसँ गुणेश्वनर दौ अन्रौयो पण्डुरचासँ हरेश्वरर दौ भोगीश्वररसुतो धारधाने कौ उपरसँ दोसर पंक्रिकदीप: अपरप्रदमन सुत्गर गौरीपति 97/03 रघुनाथ 78/04 लक्ष्मीदनाथ खण्डद मेघ दौ खौजार:
(92) ।। 38।।
माण्ड2रसँ सागर दौ।। धारू सुता श्रीपति गिरपति ठालू प्र. रतिपति मणिपति गणपतिकां वलियाससँ विभाकर सुत मित्र मित्रकर दौ गंगोली सादू द्दौ।। रतिपतिय प्र. डालूसुता जतज अमांई दौ।। 12/05।। ग्रेहश्वौर प्र. अमांइ सुता दरिहरासँ पॉंथू दौ ।। 23/08 कोने सुतो पॉंथूक: फन व्हीौरिनाथदौ ।। पॉंथू सुता सोदव देवनाथ दौ श्री दत्त सुता कृष्णरदाश पुरूषोत्तम वलभद्रा: माण्डहरसँ विशो सुत बासुदेव दौ।।27/01।। कुलपति सुतौ विशांक: करमहा सँ जागू दौ ।। 53/06 विशो सुतो वासुदेव: बुधवालसँ देखे सुत रवि दौ तिसुरीसँ खाजो द्दौ।। वासुदेव सुतो रूपधर: पानी सॅ सुरपति दौ।। 25/10/0।। बागू सुता गोविन्दँ 62/02 दामोदर माधवहरिहरा: 89/08 81/04 माण्डिरसँ बुद्धिकर दौ।। 27 बुद्धिकर सुताभवनाथ रवि 64/02 गोरीका ।। गोविन्दौ सुतो सुरपति मनमानी ऋषिकेशा: दरि.रवि सुत भवे दौ सरि.गोगी द्दौ।। सुरपतिसुता खौआलसँ माने दौ।। 36/01।। माने सुता वेद गर्व90/09 नोन गोविन्द धाने अमरूशंकरा: बहेराढ़ी सँ गदाघर दौ।। 25/04।। गदघर सुतो विष्णु्पति 49/03 सकराढ़ी सँ गोविन्द सुत चाणो दौ ।।05/08 प्रबन्धत मेंध दौ एवम् रमाकान्त मातृचक्रं ।। रमाकान्तन सुता सिहानि माण्डररसँ महिपति सुत वलदेव दौ।। 31/08।। दूबे 54/02 सुतौ विभाकर भागीरथ सोदापुर से वर्द्धनसुत हरिनाथ दौ ।।21/03 दरिहरासँ राम द्दौ। विभाकर सुतौ वैदिक विश्वमम्भसर हीरे वौ बुधवालसँ लाखूसुत गोपी ।। 19।।09।। लाख सुता
(93)
सुता गोपी 85/07 गौरी रूदा: खौआल सँ बुद्धिकर दौ ।।14//05।। बभनि. रूचिकर द्दौ।। गोपी सुतो दामोदर: खौआलसँ सोजू दौ।। 19/09।। किशोटू सुता विशोरघुशोभीक टक. प्रतिकर दौ।। रघु सुतो साजू 85/07 जगन्ना।थौ करमहासँ गणपति दौ जजि. सोम द्दौ.।। सोजू सुतो रंजन: पानिलाख दौ 30/01।। सकराढ़ी सँ हरिश्वनर द्दौ।। वैदिक: विश्व्मभर 86/01 सुतो हरिपति 92/01 महिपति खण्ड0बलासँ म.म. ढ़ दामोदर दौ।। 32/107।। हरिअमसँ गयात द्दौ।। महिपति 77//03 सुता बलदेव जयदेव भागीरथ: घुसौतसँ जगतगुह. सदानन्दौ दौ।। 29/0 कंटकाद्वारकरक म.म. मधुसूदन 182/02 सुतो कृष्णा नन्दद 82/05 जगतग्रह म.म. सदानन्दो7 दरिहरासँ शक्त सुत इन दौ ।।25/06।। शक्तू0 सुता होरे चाण इन शोरे 49/01 महिन्द्रा : 66/02 बेलउँच सुधे दौ।।37।।08।। पालीसँ दिनकर दौ।। इन सुतो श्रीराम: 128/02 हरिअमसँ पीताम्बकर दौ ।।31/08।। मांगु सुतो पीताम्ब8र गुदीकौ माण्ड रसँ रमायति दौ।। 22/04 पक्षघर सुतो महिपति अपरा लाखू सुतो सुधाकर: कर बाराह दौ ।।20/8।। खण्डा. ज्ञानपति रमापति तिसुरी संग्रहेश्व र दौ ।। रमापति सुता नरउनसँ खांतू दौ ।। 19/03।। माण्डडर सें वागीश्वमर द्दौ।। पीताम्बअर सुता सकराढ़ी सं सुधकर दौ 34/09।। पालीस हरियाणि सुधाकर दुतो परमूक: पालीसँ दौ ।।31/06
२.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
मैथिलीक मानक लेखन-शैली
1. नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक उच्चारण आ लेखन शैली आऽ 2.मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली
1.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक उच्चारण आ लेखन शैली
मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन
१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संधि, खंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्ग, चवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंक, चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओलोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोकबेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोटसन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽकऽ पवर्गधरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽकऽ ज्ञधरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।
२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र् ह”जकाँ होइत अछि। अतः जतऽ “र् ह”क उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ़ लिखल जाए। आनठाम खालि ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकनि, ढाठ आदि।
ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आदि।
उपर्युक्त शब्दसभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैत अछि। इएह नियम ड आ ड़क सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।
३.व आ ब : मैथिलीमे “व”क उच्चारण ब कएल जाइत अछि, मुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथ, बिद्या, नब, देबता, बिष्णु, बंश, बन्दना आदि। एहिसभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथ, विद्या, नव, देवता, विष्णु, वंश, वन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकील, ओजह आदि।
४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उच्चारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अछि, मुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जदि, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आदि कहल जाएवला शब्दसभकेँ क्रमशः यज्ञ, यदि, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम लिखबाक चाही।
५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहि, एना, एकर, एहन आदि। एहि शब्दसभक स्थानपर यहि, यना, यकर, यहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारूसहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे “ए”केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ “य”क प्रयोगक प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैल, हैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो “ए”क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।
६.हि, हु तथा एकार, ओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हि, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहि, अपनहु, ओकरहु, तत्कालहि, चोट्टहि, आनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनके, अपनो, तत्काले, चोट्टे, आनो आदि।
७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खड़यन्त्र), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आदि।
८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क)क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमेसँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।
अपूर्ण रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।
पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।
(ख)पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।
(ग)स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापद, संज्ञा, ओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ)वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ैत अछि, बजैत अछि, गबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढ़ै अछि, बजै अछि, गबै अछि।
(ङ)क्रियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौक, छियैक, छहीक, छौक, छैक, अबितैक, होइक।
अपूर्ण रूप : छियौ, छियै, छही, छौ, छै, अबितै, होइ।
(च)क्रियापदीय प्रत्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हि, कहलन्हि, कहलहुँ, गेलह, नहि।
अपूर्ण रूप : छनि, कहलनि, कहलौँ, गेलऽ, नइ, नञि, नै।
९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटिकऽ दोसरठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन), पानि (पाइन), दालि ( दाइल), माटि (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्दसभमे ई नियम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।
१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्दसभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषासम्बन्धी नियमअनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरणसम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेटिकऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनिकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽवला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषीपर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पड़िरहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषतासभ कुण्ठित नहि होइक, ताहूदिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ चलबाक प्रयास कएलहुँ अछि।
पोथीक वर्णविन्यास कक्षा ९ क पोथीसँ किछु मात्रामे भिन्न अछि। निरन्तर अध्ययन, अनुसन्धान आ विश्लेषणक कारणे ई सुधारात्मक भिन्नता आएल अछि। भविष्यमे आनहु पोथीकेँ परिमार्जित करैत मैथिली पाठ्यपुस्तकक वर्णविन्यासमे पूर्णरूपेण एकरूपता अनबाक हमरासभक प्रयत्न रहत।
कक्षा १० मैथिली लेखन तथा परिमार्जन महेन्द्र मलंगिया/ धीरेन्द्र प्रेमर्षि संयोजन- गणेशप्रसाद भट्टराई
प्रकाशक शिक्षा तथा खेलकूद मन्त्रालय, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र,सानोठिमी, भक्तपुर
सर्वाधिकार पाठ्यक्रम विकास केन्द्र एवं जनक शिक्षा सामग्री केन्द्र, सानोठिमी, भक्तपुर।
पहिल संस्करण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)
योगदान: शिवप्रसाद सत्याल, जगन्नाथ अवा, गोरखबहादुर सिंह, गणेशप्रसाद भट्टराई, डा. रामावतार यादव, डा. राजेन्द्र विमल, डा. रामदयाल राकेश, धर्मेन्द्र विह्वल, रूपा धीरू, नीरज कर्ण, रमेश रञ्जन
भाषा सम्पादन- नीरज कर्ण, रूपा झा
2. मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली
1. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-
ग्राह्य
एखन
ठाम
जकर,तकर
तनिकर
अछि
अग्राह्य
अखन,अखनि,एखेन,अखनी
ठिमा,ठिना,ठमा
जेकर, तेकर
तिनकर।(वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ, अहि, ए।
2. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैक्लपिकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।
3. प्राचीन मैथिलीक ‘न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ‘न’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।
4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।
5. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।
6. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।
7. स्वतंत्र ह्रस्व ‘ए’ वा ‘य’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।
8. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, विआह, वा धीया, अढ़ैया, बियाह।
9. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।
10. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:-हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ‘क’ क वैकल्पिक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अछि।
11. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।
12. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।
13. अर्द्ध ‘न’ ओ अर्द्ध ‘म’ क बदला अनुसार नहि लिखल जाय, किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।
14. हलंत चिह्न नियमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।
15. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क’ लिखल जाय, हटा क’ नहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।
16. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रा पर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं।
17. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।
18. समस्त पद सटा क’ लिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि क’ , हटा क’ नहि।
19. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।
20. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।
21.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा' ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।
ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६
आब 1.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली आऽ 2. मैथिली अकादमी, पटनाक मानक शैलीक अध्ययनक उपरान्त निम्न बिन्दु सभपर मनन कए निर्णय करू।
ग्राह्य / अग्राह्य
1.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/ होएबाक
2. आ’/आऽ आ
3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल
5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
6. लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’
7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला
8. बला वला
9. आङ्ल आंग्ल
10. प्रायः प्रायह
11. दुःख दुख
12. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
13. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
14. देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
15. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
16. चलैत/दैत चलति/दैति
17. एखनो अखनो
18. बढ़न्हि बढन्हि
19. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) ओ
20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
21. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
22. जे जे’/जेऽ
23. ना-नुकुर ना-नुकर
24. केलन्हि/कएलन्हि/कयलन्हि
25. तखन तँ तखनतँ
26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल
27. निकलय/निकलए लागल बहराय/बहराए लागल निकल’/बहरै लागल
28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए
29. की फूड़ल जे कि फूड़ल जे
30. जे जे’/जेऽ
31. कूदि/यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद
32. इहो/ओहो
33. हँसए/हँसय हँस’
34. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/नौ वा दस
35. सासु-ससुर सास-ससुर
36. छह/सात छ/छः/सात
37. की की’/कीऽ(दीर्घीकारान्तमे वर्जित)
38. जबाब जवाब
39. करएताह/करयताह करेताह
40. दलान दिशि दलान दिश
41. गेलाह गएलाह/गयलाह
42. किछु आर किछु और
43. जाइत छल जाति छल/जैत छल
44. पहुँचि/भेटि जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल
45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)
46. लय/लए क’/कऽ
47. ल’/लऽ कय/कए
48. एखन/अखने अखन/एखने
49. अहींकेँ अहीँकेँ
50. गहींर गहीँर
51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ
53. तहिना तेहिना
54. एकर अकर
55. बहिनउ बहनोइ
56. बहिन बहिनि
57. बहिनि-बहिनोइ बहिन-बहनउ
58. नहि/नै
59. करबा’/करबाय/करबाए
60. त’/त ऽ तय/तए 61. भाय भै
62. भाँय
63. यावत जावत
64. माय मै
65. देन्हि/दएन्हि/दयन्हि दन्हि/दैन्हि
66. द’/द ऽ/दए
67. ओ (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
68. तका’ कए तकाय तकाए
69. पैरे (on foot) पएरे
70. ताहुमे ताहूमे
71. पुत्रीक
72. बजा कय/ कए
73. बननाय
74. कोला
75. दिनुका दिनका
76. ततहिसँ
77. गरबओलन्हि गरबेलन्हि
78. बालु बालू
79. चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
80. जे जे’
81. से/ के से’/के’
82. एखुनका अखनुका
83. भुमिहार भूमिहार
84. सुगर सूगर
85. झठहाक झटहाक
86. छूबि
87. करइयो/ओ करैयो
88. पुबारि पुबाइ
89. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँटि
90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
91. खेलएबाक खेलेबाक
92. खेलाएबाक
93. लगा’
94. होए- हो
95. बुझल बूझल
96. बूझल (संबोधन अर्थमे)
97. यैह यएह
98. तातिल
99. अयनाय- अयनाइ
100. निन्न- निन्द
101. बिनु बिन
102. जाए जाइ
103. जाइ(in different sense)-last word of sentence
104. छत पर आबि जाइ
105. ने
106. खेलाए (play) –खेलाइ
107. शिकाइत- शिकायत
108. ढप- ढ़प
109. पढ़- पढ
110. कनिए/ कनिये कनिञे
111. राकस- राकश
112. होए/ होय होइ
113. अउरदा- औरदा
114. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
115. बुझएलन्हि/ बुझयलन्हि (understood himself)
116. चलि- चल
117. खधाइ- खधाय
118. मोन पाड़लखिन्ह मोन पारलखिन्ह
119. कैक- कएक- कइएक
120. लग ल’ग
121. जरेनाइ
122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ
123. होइत
124. गड़बेलन्हि/ गड़बओलन्हि
125. चिखैत- (to test)चिखइत
126. करइयो(willing to do) करैयो
127. जेकरा- जकरा
128. तकरा- तेकरा
129. बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
130. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ
131. हारिक (उच्चारण हाइरक)
132. ओजन वजन
133. आधे भाग/ आध-भागे
134. पिचा’/ पिचाय/पिचाए
135. नञ/ ने
136. बच्चा नञ (ने) पिचा जाय
137. तखन ने (नञ) कहैत अछि।
138. कतेक गोटे/ कताक गोटे
139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई
140. लग ल’ग
141. खेलाइ (for playing)
142. छथिन्ह छथिन
143. होइत होइ
144. क्यो कियो
145. केश (hair)
146. केस (court-case)
147. बननाइ/ बननाय/ बननाए
148. जरेनाइ
149. कुरसी कुर्सी
150. चरचा चर्चा
151. कर्म करम
152. डुबाबय/ डुमाबय
153. एखुनका/ अखुनका
154. लय (वाक्यक अतिम शब्द)- ल’
155. कएलक केलक
156. गरमी गर्मी
157. बरदी वर्दी
158. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
159. एनाइ-गेनाइ
160. तेनाने घेरलन्हि
161. नञ
162. डरो ड’रो
163. कतहु- कहीं
164. उमरिगर- उमरगर
165. भरिगर
166. धोल/धोअल धोएल
167. गप/गप्प
168. के के’
169. दरबज्जा/ दरबजा
170. ठाम
171. धरि तक
172. घूरि लौटि
173. थोरबेक
174. बड्ड
175. तोँ/ तूँ
176. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
177. तोँही/तोँहि
178. करबाइए करबाइये
179. एकेटा
180. करितथि करतथि
181. पहुँचि पहुँच
182. राखलन्हि रखलन्हि
183. लगलन्हि लागलन्हि
184. सुनि (उच्चारण सुइन)
185. अछि (उच्चारण अइछ)
186. एलथि गेलथि
187. बितओने बितेने
188. करबओलन्हि/ करेलखिन्ह
189. करएलन्हि
190. आकि कि
191. पहुँचि पहुँच
192. जराय/ जराए जरा’ (आगि लगा)
193. से से’
194. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
195. फेल फैल
196. फइल(spacious) फैल
197. होयतन्हि/ होएतन्हि हेतन्हि
198. हाथ मटिआयब/ हाथ मटियाबय
199. फेका फेंका
200. देखाए देखा’
201. देखाय देखा’
202. सत्तरि सत्तर
203. साहेब साहब
204.गेलैन्ह/ गेलन्हि
205.हेबाक/ होएबाक
206.केलो/ कएलो
207. किछु न किछु/ किछु ने किछु
208.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ
209. एलाक/ अएलाक
210. अः/ अह
211.लय/ लए (अर्थ-परिवर्त्तन)
212.कनीक/ कनेक
213.सबहक/ सभक
214.मिलाऽ/ मिला
215.कऽ/ क
216.जाऽ/जा
217.आऽ/ आ
218.भऽ/भ’ (’ फॉन्टक कमीक द्योतक)219.निअम/ नियम
220.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
221.पहिल अक्षर ढ/ बादक/बीचक ढ़
222.तहिं/तहिँ/ तञि/ तैं
223.कहिं/कहीं
224.तँइ/ तइँ
225.नँइ/नइँ/ नञि
226.है/ हइ
227.छञि/ छै/ छैक/छइ
228.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
229.आ (come)/ आऽ(conjunction)
230. आ (conjunction)/ आऽ(come)
231.कुनो/ कोनो
ON ENGLISH_MAITHILI DICTIONARY BY GAJENDRA THAKUR-
PROFESSOR UDAYA NARAYANA SINGH
Only when Samuel Johnson's A Dictionary of the English Language (1755) was published, the English scholars and students could get an actually reliable lexicon of their language with a great degree of sophistication. Most early efforts in English lacked maturity. The 1604 dictionary called A Table Alphabeticall by Robert Cawdrey, or other works by many imitators who followed it were no match vis-a-vis the tradition of dictionary-making in the rest of Europe. But the early bilingual dictionaries that involved French, Italian or Latin words along with definitions of the foreign words in English were much better, and the 1592-glossary of Richard Mulcaster could be given as one instance. These were still not comparable with Arabic dictionaries were compiled between the 8th and 14th centuries, especially the general purpose dictionaries like the Lisan al-`Arab (13th c.).
English as we know her now has been a relatively recent phenomenon in the world history of languages, perhaps a little older than Maithili. This is because when the oldest available treatise in Maithili by Jyotirishwara was being written, that was the time of Chaucer in English. The oldest known western dictionaries were created in the erstwhile Akkadian empire with bilingual Sumerian-Akkadian wordlist (found in Ebla, Modern Syria) and dating roughly 2300 BC. But the oldest Greek lexicon by Apollonius the Sophist (fl. 1st century CE), which lists Homeric vocabulary and meanings set an example. The 2nd millennium BC Urra=hubullu glossary with such bilingual Sumerian wordlists is another example of old lexicographical accounts, comparable only with the Chinese tradition of the 3rd century B.C. The early Japanese attempt of 682 CE Niina glossary of Chinese characters, or the oldest existing Japanese dictionary, Tenrei Banshō Meigi (835 CE) were also important steps.
In India, preservation of the Vedic literature was the biggest motivation for grammatical and lexicographical works. In Panini as well as other grammatical traditions in Sanskrit, it was a common and very basic task to segment Vedic sentences into words, and words into root-suffix components. In the process, morphological, phonological as well as morpho-phonological theories were also developed. Nighantu (700BC) on which Yaska is believed to have written a commentary called Nirukta is the oldest known treatise, and this tradition continued to Pali tradition as well. They arranged lexical material from the point of view of Synonymy as well as Homonymy. The first and the foremost popular name of lexicon work in Classical Sanskrit is Amarasimha’s Amarakosa (6h century AD). The Catalogous Catalogorum lists at least 40 commentaries on Amarakosa alone, which shows how important and popular this synonyms dictionary was in Ancient India. There were many other léxica created more or less in the
style of Amarakosa, which included the following (cf. Malhar Kulkarni, in TDIL site):
1. Naamamaalikaa of Bhoja (11 C)
2. SiddhashabdaarNava of Sahajakirti- (17th C)
3. Shaaradiiyaakhyaanaamamaalaa of Harsakirti- (17th C)
4. Paryaayashabdaratna of Dhananjaya-Bhatta
5. Koshakalpataru
6. Naanaartharatnamaalaa of Irugapa Dandadhinatha (14th C)
7. Naanaarthamañjarii of Raghav a
8. DharaNiikosha of Dharanidas a (12th C)
9. Shivakosa of Sivadatta-Misra
10. Ekaarthanaamamaalaa-dvyaksharanamamaalaa of Saubhari.
11. Paramaanandiiyanaamamaalaa of Makrandadasa
The first modern-day dictionary of Sanskrit made using the western principles was the Sanskrit-English Dictionary compiled by Professor H.H. Wilson and published in 1813. Two Indian dictionaries came out soon after, namely, the Sabdakalpadruma of Pt Sir Raja Radhakanta Dev and the Vacasptya compiled by Pt Taranatha Tarkavacaspati.
To my mind, Practical lexicography, or the science and art of compiling, writing and editing lexicons meant for different purposes is as important as Theoretical lexicography. Lexicography as an expression occurs only in 1680 A.D., although the term Dictionary makes its appearance in English in 1526 A.D., as the Merriam-Webster’s tells us. We are told that a dictionary must be the following:
1 : A reference source in print or electronic form containing words usually alphabetically arranged along with information about their forms, pronunciations, functions, etymologies, meanings, and syntactical and idiomatic uses
2 : A reference book listing alphabetically terms or names important to a particular subject or activity along with discussion of their meanings and applications
3 : A reference book giving for words of one language equivalents in another
4 : A computerized list (as of items of data or words) used for reference (as for information retrieval or word processing)
The activities associated with the practice of this rare and time-intensive art involves at least the following:
• Identification of the end-users and their requirements
• Decision on a limited set of defining words based on common people’s vocabulary
• Decision on how to organize definitions and explications
• Identifying what the communicative and cognitive functions of the lexicon might be
• Identification of the different components of the dictionary
• Choice of appropriate structures for data storage and display (i.e. frames, categorization, classification, distribution, and cross-references)
• Selecting head words and affixes for lemmatization
• Highlighting the collocations and combinations
• Adding IPA or Bloch & Tragger symbols marking pronunciation of words
• Adding stylistic and dialectal variations
• Choice of equivalents in the target languages in case of multilingual dictionaries
• User access keys and facilities in both print and e-dictionaries
The Gangetic plain in Bihar and the Terai region at the foothills of the Himalayas in Nepal that together define the cultural space of Maithili and Mithila was talked about by George Abraham Grierson (1908) long ago, although he was mainly concerned with what is traditionally known as Mithila within India. There had been many changes and redrawing of borders in this region. Grierson had considered the speech area of Maithili to be the entire districts of Darbhanga and Bhagalpur of Bihar in the early 20th century. In addition, he had enlisted Maithili as a language spoken by the majority of people living in the districts of Muzaffarpur, Mongyr, Purnea and Santhal Parganas. But as we know, some of these have now been a part of Jharkhand state.
It should also be mentioned that in between, during the recognization of the state, only 5 out of 17 districts (viz. Bhagalpur, Purnea, Saharsa, Darbhanga and Muzaffarpur) were generally taken as Mithila-speaking districts of Bihar. Paul Brass(1974) in his detailed study of the Maithili movement in his "Language religion and politics in North India" had taken this as broadly defining the geographical space of Mithila. After Bihar was split up into 31 districts in early 1980s, in a project report (entitled "The Maithili language movement in North Bihar: a sociolinguistic investigation") prepared by me jointly with N. Rajaram and Pradip Kumar Bose, we had taken the position that 10 out of 31 districts should be considered as Maithili speech area: Bhagalpur, Katihar, Purnea, Saharsa, Madhubani, Darbhanga, Samastipur, Sitamarhi, Muzaffarpur and Vaishali. In conclusion, the geographical boundaries have changed both because of natural changes (as the river Koshi has changed its course seven times in the last 200 years) as well as because of reorganization of districts.
It is obviously a great challenge for anyone who wishes to attempt a gigantic dictionary of Maithili as Gajendra Thakur has attempted. The situation is more complex because Maithili lexis is likely to be affected partly or greatly by the 12 other languages spoken in the same cultural area. There are about 12 other languages worth mentioning. The major languages spoken around Maithili are Bhojpuri and Magahi with Hindi being a super-imposed language spoken by all the three speech communities. But Bihar being a multi-lingual state, one can also find Nepali and Bengali speakers in good number. In addition, since Maithili speakers are found in good numbers in the Jharkhand region too, one has to take it that Oraon, Mundari, Ho, Bihar, Dhangar, Santali and a number of the smaller Austric language speakers too co-exist with them. Although a lot of Muslims in Mithila region return their mother tongue as Maithili, a number of them also claim to be speakers of Urdu. Of these, only four have constitutional recognition: Hindi, Urdu, Bengali and Nepali. To my mind, Maithili has had influences at the syntactic levels from many, including from the Austric languages but at the lexical level, the additions and adaptations have been limited to limited sources such as Urdu, Hindi, Bhojpuri and Magahi. The dictionary captures native lexis as much as the nativized ones. This is also because I think not more than 25% to 30% speakers are monolingual speakers of Maithili, as most are quite proficient in other tongues. Those Maithili speakers living near western Bihar also speak in Bhojpuri and those in the Patna-Ranchi-Gaya-Monghyr region know Magahi, too, in addition to Hindi. But only a tiny percentage, say - less than 3% to 5% of Maithils, can also speak effectively in English. But borrowing from English into Maithili at the word level is as rampant as in case of other New Indian Languages (NIA).
Many might raise this doubt as to what would be the number of people who would be benefitted by an attempt such as Gajendra-ji’s? Although the Official figures of speakers of Maithili have not remained stable. But this obviously needs some elaboration. The Census figures are not realistic as 2001 figures are: 1,21,79,122. The skepticism is confirmed, when we see that there have been tremendous fluctuations in the decennial estimates of Maithili speakers as can be shown from a comparison of decennial increase or decrease of all Census figures since 1891 base:
1901 - 11: + 3.12%
1911 - 21: - 0.77%
1921 - 31: + 7.68%
1931 - 41: + 9.13%
1941 - 51: Not conducted
1951 - 61: + 22.35%
1961 - 71: + 20.89%
1971 - 81: + 24.19%
In actuality, the number of Maithili speakers have reasonably steadily increased. Some indications could be given only from my guess-work, which is estimated to be 40 million. In 1891, Grierson (1908) had estimated the number of speakers of Maithili as 9,289,376. As against this, the Census 1961 figures showed 4,982,615. Obviously, the Census 1961 figures were not realistic. Although Grierson’s (1909) population estimates based on his survey done in 1891 were not agreed upon by all, at the turn of the present century Maithili was spoken in the following regions:
i. all Darbhanga and Bhagalpur,
ii. 6/7th of Muzaffarpur
iii. 1/2 of Monghyr
iv. 2/3rd of Purnea, and
v. 4/5 of the so-called "Hindi" speakers (enumerated in the Census) under the Santhal Parganas.
During 1816, a part of the northern speech area was permanently annexed by the Kingdom of Nepal. Therefore, to the total number of speakers, about 14% population of Nepal will have to be added. Paul Brass (1974: 64-6) uses Gait's computation (cf. Census 1901) based on various documents available through 1885, and arrives at the figure of 16,565,477. The calculation here is based on Grierson's estimates plus the growth of overall population for Bihar over these 8 decades. On the basis of 1981 figures, and considering the figures of scattered Maithilis outside the Mithila area, and considering the population in the 10 districts (out of 31), I and my colleagues had, in mid-1980s, arrived at the figure of 22,972,807 (cf. Singh, Rajaram & Bose 1985). This figure, considering the decennial increase of population, has gone up to 40 million, to my mind, and that many people stand to gain by a gigantic effort such as this dictionary. It is generally presumed that Maithili is spoken only by the Brahmins in the Mithila region. This seems to be a disinformation spread earlier to somehow fit it as a dialect of Hindi, mainly in order to increase the official figure of speakers of Hindi. But a look at the caste composition in North Bihar and the actual census returns for Maithili would tell the true story. The relatively high returns for Maithili in some census reports could be explained only by the fact that although 46.84% people living in the Mithila-speaking districts are Muslims, as against 31.06% Hindus in Mithila, there could not have been an overwhelming support for Maithili unless a good number of them returned Maithili as their mother tongue.
A survey of language use in Mithila could show that although the language had been shrinking in use in the formal domains. But it is also true that literary productivity and achievements are better noticed on all-India scale now more than they were 20 years ago. Madhubani painting or Mithila Art have become famous all over India, and has reached the world market, too. Only if the new generation of Maithili speakers decides to shift their cultural-linguistic identity, there could be a threat. In my perception, denial of constitutional rights has been a boon in disguise for Maithili, because that has added vigor to its literary-cultural activity. It has already overtaken several constitutionally recognized languages such as Manipuri, Konkani, Nepali and even Sindhi. And now that it is in the 8th Schedule, it should get the official and other kind of patronage it deserves. It should also get the support of its users who would now look for the modern tools such as on-line e-zines, e-dictionaries, hand-held mobile glossaries, and the automated Q-A systems etc. To that extent, this dictionary of Maithili which will be available in both web and printed version will be a significant contribution by the compiler. Gajendra Thakur and the publishers deserve all commendation from the Maithili speech community in particular, and from the scholars in translation in general. It is true that Maithili lexicography bloomed very late, much after M.M. Dinabandhu Jha’s efforts and only now we have some significant works like KalyaaNii-kosha by Pt. Govind Jha, or the Brihat Maithilii Shabdakosha by Jayakant Mishra, Mithila Shabda-Prakasha by Pt. Matinath Mishra ‘Matanga’, or Basic Colloquial Maithili: A Maithili-Nepali-English Vocabulary by Alice Davis. The Sankshipta Maithili Shabdakosha and the Bilingual Maithili Dictionary, planned by the Maithili Academy, Patna are yet to see the light. The plan of the National Translation Mission (see www.ntm.org.in) to come out with a Longman-CIIL Basic English-English-Maithili based on corpora will also be an interesting product. But all said and done, the significance of this work will be understood more and more as time will pass by.
28.2.2009.
Mysore
Prof. Udaya Narayana Singh
Director
CENTRAL INSTITUTE OF INDIAN LANGUAGES (CIIL)
Born in 1951 at Calcutta, Dr Udaya Narayana Singh writes in both Maithili (in which he has 3 collections of poems, 11 plays, and a few books in translation) with a pen-name �Nachiketa� and also in Bengali (with two collections of poems, 3 books of translation, 7 edited books of essays and scores of literary essays). He has also translated from and into Bengali, Hindi, Gujarati, Maithili, Sanskrit and English, and has edited the first poetry journal in Maithili called Maithili Kavita for a number of years. His research publications in Linguistics and Translation Studies are over 150, and they are in varied fields.
Dr Singh earned Linguistics honours at Sanskrit College, Calcutta, and later at the Univ of Delhi (Ph.D., 1979). He taught at several Indian universities, including MSU-Baroda (1979-81), SGU-Surat (1981-85), Univ of Delhi (1985-87), and later at the University of Hyderabad (1987-2000). Currently, he is the Director of the Central Institute of Indian Languages, Mysore � the apex institution dealing with Indian languages.
Dr Singh has been an Eshan Scholar of the University of Calcutta (1972), UGC Fellow (1994-99), a recipient of LSA fellowship at Urbana (1978), CIPL-grant for visiting Berlin (GDR) (1987), a member of the Indo-Italian Cultural Exchange Programme for Creative writers, and a member of the Official delegation of scholars to Trinidad & Tobago (2002). He has been Chief Editor of Indian Linguistics, 1988-1990, and a Visiting Professor of IIAS (1989), and delivered many prestigious lectures in India, Bangladesh, Nepal, Pakistan, Thailand, Singapore, Russia, Sweden, Germany (including erstwhile East Germany), and USA.
He has been a Life Member of numerous academic bodies and societies, including LSI, DLA, ASRC, Canadian Studies, and Comparative Literature Association, and has completed several major projects in Sociolinguistics, NLP, and Translation Studies, besides supervising a large number of doctoral and M.Phil. students in Linguistics, Translation and Comparative Literature.
English Translation of Gajendra Thakur's (Gajendra Thakur (b. 1971) is the editor of Maithili ejournal “Videha” that can be viewed at http://www.videha.co.in/ . His poem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scattered and is in print in single volume by the title “KurukShetram.” He can be reached at his email: ggajendra@airtelmail.in )Maithili Novel Sahasrabadhani translated into English by Smt. Jyoti Jha Chaudhary
Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.com and her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.
SahasraBarhani:The Comet
translated by Jyoti
His body was stretched and senseless. The fear of death of Nand turned the environment very sad. Aaruni was shocked. The doctor from the upper floor came and declared death of Nand. Aaruni’s friend called his friends without delay. Everyone got their job- one at the entrance to guide people, one in the drawing room and so on. His friends rolled the required things in the bedding and brought to Aaruni.
“You will have to prepare for funeral; you will need to go arrange bamboo bed to lift the body to the bamboo ghat. I am going to arrange the vehicle,” said Aaruni’s friend.
“My father was very attached to the village. He used to say that he would not come to the city for next seven births. Ba’s funeral was done in Patna. The bridge of Patna was not made during those days. But now it is possible to take the body of my father to the village by any vehicle so funeral can be done in the early morning,”said Aaruni.
“I am arranging that”, replied his friend.
That friend of Aaruni was like Hanuman there arranging everything so quickly including the vehicle.
“You must have the identity card of your uniform”, said his friend.
“Yes I do have,” said Aaruni.
“However there is less chance to be any destruction in the way to home but keep it with you for the safer side,” advised his friend.
House was vacant. That was locked. Both brothers along with their mother started towards the village in that night of Shukla Paksha.
(continued)
महत्त्वपूर्ण सूचना (१):महत्त्वपूर्ण सूचना: श्रीमान् नचिकेताजीक नाटक "नो एंट्री: मा प्रविश" केर 'विदेह' मे ई-प्रकाशित रूप देखि कए एकर प्रिंट रूपमे प्रकाशनक लेल 'विदेह' केर समक्ष "श्रुति प्रकाशन" केर प्रस्ताव आयल छल। श्री नचिकेता जी एकर प्रिंट रूप करबाक स्वीकृति दए देलन्हि। प्रिंट रूप हार्डबाउन्ड (ISBN NO.978-81-907729-0-7 मूल्य रु.१२५/- यू.एस. डॉलर ४०) आऽ पेपरबैक (ISBN No.978-81-907729-1-4 मूल्य रु. ७५/- यूएस.डॉलर २५/-) मे श्रुति प्रकाशन, १/७, द्वितीय तल, पटेल नगर (प.) नई दिल्ली-११०००८ द्वारा छापल गेल अछि। 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश २.अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। संप्रति मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोश-खण्ड-I-XVI. लेखक-गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा, दाम- रु.५००/- प्रति खण्ड । Combined ISBN No.978-81-907729-2-15 e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com website: http://www.shruti-publication.com
महत्त्वपूर्ण सूचना:(२). पञ्जी-प्रबन्ध विदेह डाटाबेस मिथिलाक्षरसँ देवनागरी पाण्डुलिपि लिप्यान्तरण- श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। पुस्तक-प्राप्तिक विधिक आऽ पोथीक मूल्यक सूचना एहि पृष्ठ पर शीघ्र देल जायत। पञ्जी-प्रबन्ध (डिजिटल इमेजिंग आ मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण)- तीनू पोथीक संकलन-सम्पादन-लिप्यांतरण गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा द्वारा ।
महत्त्वपूर्ण सूचना:(३) 'विदेह' द्वारा धारावाहिक रूपे ई-प्रकाशित कएल जा' रहल गजेन्द्र ठाकुरक 'सहस्रबाढ़नि'(उपन्यास), 'गल्प-गुच्छ'(कथा संग्रह) , 'भालसरि' (पद्य संग्रह), 'बालानां कृते', 'एकाङ्की संग्रह', 'महाभारत' 'बुद्ध चरित' (महाकाव्य)आ 'यात्रा वृत्तांत' विदेहमे संपूर्ण ई-प्रकाशनक बाद प्रिंट फॉर्ममे। - कुरुक्षेत्रम्–अन्तर्मनक, खण्ड-१ आ २ (लेखकक छिड़िआयल पद्य, उपन्यास, गल्प-कथा, नाटक-एकाङ्की, बालानां कृते, महाकाव्य, शोध-निबन्ध आदिक समग्र संकलन)- गजेन्द्र ठाकुर
महत्त्वपूर्ण सूचना (४): "विदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-प्रकाशित तँ होएबे करत, संगमे एकर प्रिंट संस्करण सेहो निकलत जाहिमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सम्मिलित कएल जाएत।
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पीले कागज़ की उजली इबारत : कैलाश बनवासी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
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संदेश
१.श्री प्रो. उदय नारायण सिंह "नचिकेता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक दिन मैथिली भाषाक इतिहासमे होएत। आनन्द भए रहल अछि, ई जानि कए जे एतेक गोट मैथिल "विदेह" ई जर्नलकेँ पढ़ि रहल छथि।
२.श्री डॉ. गंगेश गुंजन- एहि विदेह-कर्ममे लागि रहल अहाँक सम्वेदनशील मन, मैथिलीक प्रति समर्पित मेहनतिक अमृत रंग, इतिहास मे एक टा विशिष्ट फराक अध्याय आरंभ करत, हमरा विश्वास अछि। अशेष शुभकामना आ बधाइक सङ्ग, सस्नेह|
३.श्री रामाश्रय झा "रामरंग"(आब स्वर्गीय)- "अपना" मिथिलासँ संबंधित...विषय वस्तुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अछि।
४.श्री ब्रजेन्द्र त्रिपाठी, साहित्य अकादमी- इंटरनेट पर प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" केर लेल बाधाई आ शुभकामना स्वीकार करू।
५.श्री प्रफुल्लकुमार सिंह "मौन"- प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" क प्रकाशनक समाचार जानि कनेक चकित मुदा बेसी आह्लादित भेलहुँ। कालचक्रकेँ पकड़ि जाहि दूरदृष्टिक परिचय देलहुँ, ओहि लेल हमर मंगलकामना।
६.श्री डॉ. शिवप्रसाद यादव- ई जानि अपार हर्ष भए रहल अछि, जे नव सूचना-क्रान्तिक क्षेत्रमे मैथिली पत्रकारिताकेँ प्रवेश दिअएबाक साहसिक कदम उठाओल अछि। पत्रकारितामे एहि प्रकारक नव प्रयोगक हम स्वागत करैत छी, संगहि "विदेह"क सफलताक शुभकामना।
७.श्री आद्याचरण झा- कोनो पत्र-पत्रिकाक प्रकाशन- ताहूमे मैथिली पत्रिकाक प्रकाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भविष्य कहत। ई हमर ८८ वर्षमे ७५ वर्षक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर श्रद्धापूर्ण आहुति प्राप्त होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।
८.श्री विजय ठाकुर, मिशिगन विश्वविद्यालय- "विदेह" पत्रिकाक अंक देखलहुँ, सम्पूर्ण टीम बधाईक पात्र अछि। पत्रिकाक मंगल भविष्य हेतु हमर शुभकामना स्वीकार कएल जाओ।
९. श्री सुभाषचन्द्र यादव- ई-पत्रिका ’विदेह’ क बारेमे जानि प्रसन्नता भेल। ’विदेह’ निरन्तर पल्लवित-पुष्पित हो आ चतुर्दिक अपन सुगंध पसारय से कामना अछि।
१०.श्री मैथिलीपुत्र प्रदीप- ई-पत्रिका ’विदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर पूर्ण सहयोग रहत।
११.डॉ. श्री भीमनाथ झा- ’विदेह’ इन्टरनेट पर अछि तेँ ’विदेह’ नाम उचित आर कतेक रूपेँ एकर विवरण भए सकैत अछि। आइ-काल्हि मोनमे उद्वेग रहैत अछि, मुदा शीघ्र पूर्ण सहयोग देब।
१२.श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमर, जनकपुरधाम- "विदेह" ऑनलाइन देखि रहल छी। मैथिलीकेँ अन्तर्राष्ट्रीय जगतमे पहुँचेलहुँ तकरा लेल हार्दिक बधाई। मिथिला रत्न सभक संकलन अपूर्व। नेपालोक सहयोग भेटत से विश्वास करी।
१३. श्री राजनन्दन लालदास- ’विदेह’ ई-पत्रिकाक माध्यमसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नातिक एहिठाम देखलहुँ। एकर वार्षिक अंक जखन प्रिट निकालब तँ हमरा पठायब। कलकत्तामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता लिखाए देने छियन्हि। मोन तँ होइत अछि जे दिल्ली आबि कए आशीर्वाद दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-विदेशक मैथिलकेँ जोड़बाक लेल।
१४. डॉ. श्री प्रेमशंकर सिंह- अहाँ मैथिलीमे इंटरनेटपर पहिल पत्रिका "विदेह" प्रकाशित कए अपन अद्भुत मातृभाषानुरागक परिचय देल अछि, अहाँक निःस्वार्थ मातृभाषानुरागसँ प्रेरित छी, एकर निमित्त जे हमर सेवाक प्रयोजन हो, तँ सूचित करी। इंटरनेटपर आद्योपांत पत्रिका देखल, मन प्रफुल्लित भ' गेल।
विदेह
मैथिली साहित्य आन्दोलन
(c)२००८-०९. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन। विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।(c) 2008 सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ' आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ' संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। रचनाक अनुवाद आ' पुनः प्रकाशन किंवा आर्काइवक उपयोगक अधिकार किनबाक हेतु ggajendra@videha.co.in पर संपर्क करू। एहि साइटकेँ प्रीति झा ठाकुर, मधूलिका चौधरी आ' रश्मि प्रिया द्वारा डिजाइन कएल गेल। सिद्धिरस्तु
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
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