भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Thursday, May 07, 2009
चान आ चान्नी
जे चान आ चानक
शुभ्र धवल इजॊत
आ ओहू सऽ नीक हेतै
इ कहब
जे चान आ ओकर चाननी आकी इजॊरिया
दू टा नितांत भिन्न आ फराक चीज थिकै
ईश्वर जखन बनौलकै चान
तऽ सुरुज संऽ मंगलकै
कनेक टा इजॊत
आ ओहि इजॊत कें चान
कॊनॊ जादूगर जेकां
इजॊरिया बना देलकै
जेना प्रेम जाधरि रहैत छै
करेज में
कॊनॊ जॊड़ा कें
लैला मजनू बना दैत छै
चंद्रमॊहन के चांद
आ अनुराधा कें फिजां
बना दैत छै
आ फेर तऽ वएह अन्हरिया व्यापि जाइत छैक चहुंदिश
मुदा हम तऽ कहैत रही
जे जहिया
सुरुज संऽ पैंच लेल इजॊत के चान
कॊनॊ कविराज जेकां
अपन सिलबट्टा पर खूब जतन संऽ
पीस पीस कऽ
चंदनक शीतल लेप सऽन इजॊरिया बना देलकै
तहिया संऽ रखने छै
अपना करेज मे साटि कऽ
मुदा बेर बेखत बांटितॊ छै
तें खतम हॊइत हॊइत एकदिन
अमावश्याक नौबति सेहॊ आबिए जाइत छैक
आ फेर सुरुज संऽ ओकरा मांगऽ पड़ैत छैक
कॊनॊ स्वयंसेवी संगठन जेकां पैंचक इजॊत
लॊक कें सीधे सरकार रायबहादुर सुरुज लग
जयबाक सेहंता तऽ छै
मुदा साहस कतऽ संऽ अनतै ओ
एतेक अमला फैला छै सुरुजक चहुंदिश
जे करेजा मुंह में अबैत छै
हुनका लग कॊना जाऊ सर्व साधारण
ओ तऽ धधकै छथिह्न आधिक्यक ताप संऽ
खैर हम जहि चानक गप्प कऽ रहल छी
ओकरा संऽ डाह करैत छै मेघ
सदिखन संऽ ओ ईर्षाक आगि मे जरैत आयल अछि
भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
मुदा ओ नहि देने छल
एक्कहु बुन्न पानि
झांपि देने छल चान कें
हमरा बूझल अछि ओ
बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना
लॊक हित में काज केनाय नहि अबैत ह्वैतेक ओकरा
मुद्दा ओकर ह्वैतेक किछु आउर
मुदा हऽम तऽ एम्हर
मात्र एतबे
कहऽ चाहैत रही
जे हमरा केओ चान
आ अहांके चान्नी
जुनि कहय
की जखन मेघ
झांपैत छै चान कें
तऽ पहिने मरैत छै
इजॊत
आ बाद में मरैत छै चान
आ हम नहि चाहैत छी
जे हमर इजॊत
हमरा संऽ पहिने खतम हॊ
हमरा संऽ पहिने मरय
कखनहुं नहि किन्नहुं नहि
सत्ते
7 comments:
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
पैँचक इजोत माँगि चान्न बनेक इजोरिया।
ReplyDeleteआ फेर भगवान माँगलन्हि मेघसँ पानि चानक लेल मुदा ओ नहि देलक, साम्प्रदायिकता आ धर्मनिरपेक्षताक नामपर।
सेक्युलरक अनुवाद पता नहि केलक धर्मनिरपेक्षता वैह कएने होएत जे लिबरलिज्मक अनुवाद उदार कएलक। उनटे झाँपि दैत अछि चानकेँ मेघ आ मारि दैत अछि इजोरियाकेँ। कवि ई संकल्प जे अपनासँ पहिने ओ नहीं मरए देताह इजोरियाकेँ।
विचारक क्रमसँ स्फुटन एहि कविताकेँ विशिष्ट बना देने अछि।
हुनका लग कॊना जाऊ सर्व साधारण
ReplyDeleteओ तऽ धधकै छथिह्न आधिक्यक ताप संऽ
aa se
भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
मुदा ओ नहि देने छल
एक्कहु बुन्न पानि
झांपि देने छल चान कें
हमरा बूझल अछि ओ
बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना
etek nik kaik ber 2-minute me padhlahu
मुदा हम तऽ कहैत रही
ReplyDeleteजे जहिया
सुरुज संऽ पैंच लेल इजॊत के चान
कॊनॊ कविराज जेकां
अपन सिलबट्टा पर खूब जतन संऽ
पीस पीस कऽ
चंदनक शीतल लेप सऽन इजॊरिया बना देलकै
तहिया संऽ रखने छै
अपना करेज मे साटि कऽ
मुदा बेर बेखत बांटितॊ छै
तें खतम हॊइत हॊइत एकदिन
अमावश्याक नौबति सेहॊ आबिए जाइत छैक
kon par select kari sabhe neek
की जखन मेघ
ReplyDeleteझांपैत छै चान कें
तऽ पहिने मरैत छै
इजॊत
आ बाद में मरैत छै चान
आ हम नहि चाहैत छी
जे हमर इजॊत
हमरा संऽ पहिने खतम हॊ
हमरा संऽ पहिने मरय
ant marmik aa kalatmak
खैर हम जहि चानक गप्प कऽ रहल छी
ReplyDeleteओकरा संऽ डाह करैत छै मेघ
सदिखन संऽ ओ ईर्षाक आगि मे जरैत आयल अछि
भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
मुदा ओ नहि देने छल
एक्कहु बुन्न पानि
झांपि देने छल चान कें
हमरा बूझल अछि ओ
बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना
bad nik aaroh avroh ahank kavita me,
satya ke tik charhabait rahu, aaroh day,
phoosi ke patkait rahoo avroh day
kavita sabh drishti me uttam,
ReplyDeleteshilp, kathya, soch, sabh me
बड नीक आ भावनात्मक रचना अछि.
ReplyDelete