भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Thursday, May 07, 2009

चान आ चान्नी

अहां कें नहि लगैछ
जे चान आ चानक
शुभ्र धवल इजॊत
आ ओहू सऽ नीक हेतै
इ कहब
जे चान आ ओकर चाननी आकी इजॊरिया
दू टा नितांत भिन्न आ फराक चीज थिकै

ईश्वर जखन बनौलकै चान
तऽ सुरुज संऽ मंगलकै
कनेक टा इजॊत
आ ओहि इजॊत कें चान
कॊनॊ जादूगर जेकां
इजॊरिया बना देलकै
जेना प्रेम जाधरि रहैत छै
करेज में
कॊनॊ जॊड़ा कें
लैला मजनू बना दैत छै
चंद्रमॊहन के चांद
आ अनुराधा कें फिजां
बना दैत छै
आ फेर तऽ वएह अन्हरिया व्यापि जाइत छैक चहुंदिश

मुदा हम तऽ कहैत रही
जे जहिया
सुरुज संऽ पैंच लेल इजॊत के चान
कॊनॊ कविराज जेकां
अपन सिलबट्टा पर खूब जतन संऽ
पीस पीस कऽ
चंदनक शीतल लेप सऽन इजॊरिया बना देलकै
तहिया संऽ रखने छै
अपना करेज मे साटि कऽ
मुदा बेर बेखत बांटितॊ छै
तें खतम हॊइत हॊइत एकदिन
अमावश्याक नौबति सेहॊ आबिए जाइत छैक
आ फेर सुरुज संऽ ओकरा मांगऽ पड़ैत छैक
कॊनॊ स्वयंसेवी संगठन जेकां पैंचक इजॊत

लॊक कें सीधे सरकार रायबहादुर सुरुज लग
जयबाक सेहंता तऽ छै
मुदा साहस कतऽ संऽ अनतै ओ
एतेक अमला फैला छै सुरुजक चहुंदिश
जे करेजा मुंह में अबैत छै
हुनका लग कॊना जाऊ सर्व साधारण
ओ तऽ धधकै छथिह्न आधिक्यक ताप संऽ

खैर हम जहि चानक गप्प कऽ रहल छी
ओकरा संऽ डाह करैत छै मेघ
सदिखन संऽ ओ ईर्षाक आगि मे जरैत आयल अछि
भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
मुदा ओ नहि देने छल
एक्कहु बुन्न पानि
झांपि देने छल चान कें
हमरा बूझल अछि ओ
बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना
लॊक हित में काज केनाय नहि अबैत ह्वैतेक ओकरा
मुद्दा ओकर ह्वैतेक किछु आउर

मुदा हऽम तऽ एम्हर
मात्र एतबे
कहऽ चाहैत रही
जे हमरा केओ चान
आ अहांके चान्नी
जुनि कहय

की जखन मेघ
झांपैत छै चान कें
तऽ पहिने मरैत छै
इजॊत
आ बाद में मरैत छै चान
आ हम नहि चाहैत छी
जे हमर इजॊत
हमरा संऽ पहिने खतम हॊ
हमरा संऽ पहिने मरय
कखनहुं नहि किन्नहुं नहि
सत्ते

7 comments:

  1. पैँचक इजोत माँगि चान्न बनेक इजोरिया।
    आ फेर भगवान माँगलन्हि मेघसँ पानि चानक लेल मुदा ओ नहि देलक, साम्प्रदायिकता आ धर्मनिरपेक्षताक नामपर।
    सेक्युलरक अनुवाद पता नहि केलक धर्मनिरपेक्षता वैह कएने होएत जे लिबरलिज्मक अनुवाद उदार कएलक। उनटे झाँपि दैत अछि चानकेँ मेघ आ मारि दैत अछि इजोरियाकेँ। कवि ई संकल्प जे अपनासँ पहिने ओ नहीं मरए देताह इजोरियाकेँ।


    विचारक क्रमसँ स्फुटन एहि कविताकेँ विशिष्ट बना देने अछि।

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  2. हुनका लग कॊना जाऊ सर्व साधारण
    ओ तऽ धधकै छथिह्न आधिक्यक ताप संऽ

    aa se
    भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
    मुदा ओ नहि देने छल
    एक्कहु बुन्न पानि
    झांपि देने छल चान कें
    हमरा बूझल अछि ओ
    बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना

    etek nik kaik ber 2-minute me padhlahu

    ReplyDelete
  3. मुदा हम तऽ कहैत रही
    जे जहिया
    सुरुज संऽ पैंच लेल इजॊत के चान
    कॊनॊ कविराज जेकां
    अपन सिलबट्टा पर खूब जतन संऽ
    पीस पीस कऽ
    चंदनक शीतल लेप सऽन इजॊरिया बना देलकै
    तहिया संऽ रखने छै
    अपना करेज मे साटि कऽ
    मुदा बेर बेखत बांटितॊ छै
    तें खतम हॊइत हॊइत एकदिन
    अमावश्याक नौबति सेहॊ आबिए जाइत छैक

    kon par select kari sabhe neek

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  4. की जखन मेघ
    झांपैत छै चान कें
    तऽ पहिने मरैत छै
    इजॊत
    आ बाद में मरैत छै चान
    आ हम नहि चाहैत छी
    जे हमर इजॊत
    हमरा संऽ पहिने खतम हॊ
    हमरा संऽ पहिने मरय

    ant marmik aa kalatmak

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  5. खैर हम जहि चानक गप्प कऽ रहल छी
    ओकरा संऽ डाह करैत छै मेघ
    सदिखन संऽ ओ ईर्षाक आगि मे जरैत आयल अछि
    भगवान मङने रहथिह्न वृष्टि मेघ संऽ चान लेल
    मुदा ओ नहि देने छल
    एक्कहु बुन्न पानि
    झांपि देने छल चान कें
    हमरा बूझल अछि ओ
    बनऔने हॊयत धर्मनिरपेक्षता आ सांप्रदायिकताक बहाना

    bad nik aaroh avroh ahank kavita me,
    satya ke tik charhabait rahu, aaroh day,
    phoosi ke patkait rahoo avroh day

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  6. kavita sabh drishti me uttam,
    shilp, kathya, soch, sabh me

    ReplyDelete
  7. बड नीक आ भावनात्मक रचना अछि.

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