उमेश कुमार- पुत्र श्री केशव महतो, बहादुरगंज
तीन मूरी बला....
एकटा राजा रहए। ओकरा एकटा बेटा रहए। ओकर राजपाट खूब शांति सँ चलैत रहए। राजा जखन बीमार भेलए तँ बेटाकेँ कहलकए।
१. फी कओरमे सीरा खाइले।
२. द्वारपर हाथी बन्हबा कऽ राखय ले।
३. वैर भाव नहीं राखएले।
४. बाहर निकलैपर छाँहमे रहबा ले।
राजकुमार एकर अर्थ नहि बुझि पओलक। राजा मरि गेलैक।
राजकुमार राजा बनि गेल।
पिताजीक गपपर ओ अमल करए लागल।
१. फी कोरमे सीरा खेबाक मतलब ओ बुझलकै जे सभ दिन खस्सी कटबा कए सीरा खेनाइ आ बचल मासु नोकर सभ केँ देनाइ आ ओ सएह करए लागल।
२. द्वारपर ओ एकटा हाथी कीन कए रखबा देलक आ चारि टा नोकर ओकर देखभाल लेल राखि देलक।
३. ओ सभटा बैरक गाछ काटि कए हटा देलक।
४. ओ दू टा नोकर राखलक जे गाछ काटि कए जतए जतए राजा जाइत रहए ओतए-ओतए लए जाइत रहए।
एना किछु दिन ओ राजपाट चलेलक। एना करिते-करिते राजपाट खतम भए रहल छलैक, कारण खर्चा बेसी भए गेलै आ आमदनी कम, सभ गाछ कटि गेलैक।
गामक एक बुजुर्ग सँ ओ पुछलक जे हमर राजपाट किएक खतम भए रहल अछि। तँ ओ बुजुर्ग ओकरा बुझेलक जे जाऊ आ तीन मूरी बला आदमी सँ पुछू।
चारू तरफ राजा खोजलक मुदा तीन मूरी बला आदमी ओकरा नहि भेटलैक। फेर ओही बुजुर्ग आदमी सँ पुछलक जे हमरा तँ तीन मूरी बला आदमी नहि भेटल।
बुजुर्ग कहलकै जे ७० बरख सँ ८० बरखक आदमी केँ तीन मूरी बला कहल जाइत छैक कारण जे जखन ओ बैसैत अछि तँ ओकर मूरी झुकि जाइ छैक आ ठेहुन ऊपर उठि जाइत छैक आ से ओ तीन मूरी जकाँ भए जाइत छैक।
राजा एहेने एकटा मनुक्खकेँ ताकि क' पुछलक।
“पिताजी मरए से पहिने की की बतेने रहथि”। ओ तीन मूरी बला मनुख पुछलक।
राजा कहलक।
“ओ बतेलथि-
१. फी कओरमे सीरा खाइले।
२. द्वारपर हाथी बन्हबा कए राखए ले।
३. वैर भाव नहीं राखए ले।
४. बाहर निकलैपर छाँहमे रहबा ले”।
“पहिलाक मतलब छी- एक पाव डेढ़का मांछ लए कए बनबा कए खाउ ओकर सभ कओरमे सीरा भेटत।
दोसराक मतलब घरक आगाँ घूर लगा देबा लए जाहिसँ द्वारपर हरदम १० गोटे बैसल रहत।
तेसरक मतलब झगड़ा-झाँटि सँ दूर रहि दोस्ती मिलान सँ रहू।
चारिमक मतलब दू रुपैयाक छाता लऽ छाहमे चलू”। तीन मूरी बला मनुक्ख बतेलक।
एकरापर अमल केलापर राजाक राजपाट वापस आबए लगलैक।
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