भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Friday, May 29, 2009

गजल-आशीष अनचिन्हार

गजल

एना हमरा दिस किएक देखैत छी अहाँ

लाल टरेस आखिँए किएक गुम्हरैत छी अहाँ

कोन खराप जँ अहाकँ करेज पर लिखा गेल हमर नाम

जँ मेटा सकी तँ मेटा सकैत छी अहाँ

पीअर रौद मे नाचि रहल उज्जर बसात अनवरत

उदास सन गाम मे केकरा तकैत छी अहाँ

पानि जेना बचए तेना बचाउ एखन ,हरदम

जल-संकटक समय मे किएक कनैत छी अहाँ

धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय

राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ

9 comments:

  1. धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय
    राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ.

    बहुत सुन्दर.

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  2. badhiya kam aapne kiya. mujhe bhi prerna mili.apne priy lekhak 'RENUJI' lo behtar tareeke se jan paunga,yah ummed jagi.

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  3. धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय
    राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ

    गजलक आत्मा मे अहाँ पैसि गेल छी आकि गजल अहाँक हृदयमे बसि गेल अछि, आ सएह कारण अछि दिन प्रतिदिन अहाँक गजलक नूतनताक।

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  4. पीअर रौद मे नाचि रहल उज्जर बसात अनवरत उदास सन गाम मे केकरा तकैत छी अहाँ

    bahut nik aashis ji

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  5. aashish ji ahan maithili gazalak udiyman nakshatra chhi

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  6. aashish ji ahan gazal samrat chhathi

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  7. katek phuraiye aashis ji, vicharak te kono kami nahi achhi

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  8. एना हमरा दिस किएक देखैत छी अहाँ लाल टरेस आखिँए किएक गुम्हरैत छी अहाँ कोन खराप जँ अहाकँ करेज पर लिखा गेल हमर नाम जँ मेटा सकी तँ मेटा सकैत छी अहाँ पीअर रौद मे नाचि रहल उज्जर बसात अनवरत उदास सन गाम मे केकरा तकैत छी अहाँ पानि जेना बचए तेना बचाउ एखन ,हरदम जल-संकटक समय मे किएक कनैत छी अहाँ धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ

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  9. एना हमरा दिस किएक देखैत छी अहाँ लाल टरेस आखिँए किएक गुम्हरैत छी

    aashish ji ekdam innovative

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