भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Sunday, July 05, 2009

कविता-संग्रह- सहस्राब्दीरक चौपड़पर - गजेन्द्र ठाकुर

खण्ड-३

कविता-संग्रह


सहस्राब्दीरक चौपड़पर


सहस्राब्दीoक चौपड़पर

शामिल बाजाक दुन्दभी वादक
मोनक रंगक अदृश्य देबाल
मन्दाकिनी जे आकाश मध्य
देखल आइ पृथ्वीक ऊपर
पक्काक जाठि
निन्नक जीवन विचित्र
बंशी पाथि पकड़बाक प्रयास
अगिलही
अभिनव भातखण्डे
शिल्पी
मोनक तटपर
सूर्य-चन्द्र गबाह
वस्सावस
स्थितप्रज्ञतामे लिबैत सत्यक प्रति
पुरान भेल गप
यौ शतानन्द पुरहित
निगदति कुसुमपुरेऽभ्यर्चितं ज्ञानम्
हमर बारह टा हैकू
पुरहित
इच्छा-मृत्यु
वार्ड नं २९ बेड नं. ३२ सँ
ट्रेन छल लेट

सूर्य-नमस्कारक बहन्ने
सन सत्तासीक बाढ़िक बहन्ने
महाबलीपुरम समुद्र तटपर
स्मृति-भय
गाय
श्राद्ध ने मरा जाय
जाति
पुत्रप्राप्ति
गुड-वेरी गुड
हर आ बड़द
गंगा ब्रिज
मुँह चोकटल नाम हँसमुख भाइ
सपना
चित्रपतङ्ग
बिसरलहुँ फेर कर्णक मृत्युक छोट- छीन रूप
शलातुर गाम
काल्हि
मोन पाड़ैत
पथक पथ
मिथिलाक ध्वज गीत
बड़का सड़क छह लेन बला
पता नहि घुरि कए जाएब आकि



शामिल बाजाक दुन्दभी वादक
देखैत दुन्दभीक तान
बिच्चहि शामिल बाजाक

सुनैत शून्यक दृश्य
प्रकृतिक कैनवासक
हहाइत समुद्रक चित्र

अन्हार खोहक चित्रकलाक पात्रक शब्द
क्यो देखत नहि हमर चित्र एहि अन्हारमे
तँ सुनबो तँ करत पात्रक आकांक्षाक स्वर

सागरक हिलकोरमे जाइत नाहक खेबाह
हिलकोर सुनबाक नहि अवकाश

देखैत अछि स्वरक आरोह अवरोह
हहाइत लहरिक नहि ओर-छोर

आकाशक असीमताक मुदा नहि कोनो अन्त
सागर तँ एक दोसरासँ मिलि करैत अछि
असीमताक मात्र छद्म
घुमैत गोल पृथ्वीपर
चक्रपर घुमैत अनन्तक छद्म

मुदा मनुक्ख ताकि अछि लेने
एहि अनन्तक परिधि
परिधिकेँ नापि अछि लेने मनुक्ख

ई आकाश छद्मक तँ नहि अछि विस्तार
एहि अनन्तक सेहो तँ ने अछि कोनो अन्त?
तावत एकर असीमतापर तँ करहि पड़त विश्वास!

स्वरकेँ देखबाक
चित्रकेँ सुनबाक
सागरकेँ नाँघबाक
समय-काल-देशक गणनाक


सोहमे छोड़ि देल देखब
अन्हार खोहक चित्र
सोहमे छोड़ल सुनब
हहाइत सागरक ध्वनि

देखैत छी स्वर सुनैत छी चित्र
केहन ई साधक
बनि गेल छी शामिल बाजाक
दुन्दभी वादक

*राजस्थानमे गाजा-बाजावलाक संग किछु तँ एहेन रहैत छथि जे लए-तालमे बजबैत छथि मुदा बेशी एहन रहैत छथि जे बाजा मुँह लग आनि मात्र बजेबाक अभिनय करैत छथि । हुनका ई निर्देश रहैत छन्हि जे गलतीयोसँ बाजामे फूक नहि मारथि, यैह छथि शामिल बाजा ।

मोनक रंगक अदृश्य देबाल
ढहैत भावनाक देबाल
खाम्ह अदृढ़ताक ठाढ़

आकांक्षाक बखारी अछि भरल
प्रतीक बनि ठाढ़
घरमे राखल हिमाल-लकड़ीक मन्दिर आकि
ओसारापर राखल तुलसीक गाछ
प्रतीक सहृदयताक मात्र

मोन पाड़ैत अछि इनार-पोखरिक महार
स्विमिंगपूलक नील देबाल बनबैत पानिकेँ नील रंगक
मोनक रंगक अदृश्य देबाल
ढहैत

खाम्ह अदृढ़ताक ठाढ़
बहैत




मन्दाकिनी जे आकाश मध्य
देखल आइ पृथ्वीक ऊपर
बद्री विशाल केदारनाथ
अलकनन्दा मन्दाकिनीक मेल
हरहड़ाइत धार दुनू मिलैत
मेघसँ छाड़ल ई ककर निवास !

बदरी गेलाह जे
नहि घुरलन्हि ओदरी हुनक ताहि
आइ बाटे-बाट आएल
शीतल पवनक झोंक खसि रहल भूमि
स्खलन भेल जन्तु सबहिक
हिम छाड़ल ई ककर वास !

हृदय स्तंभित देखि धार
पर्वत श्रेणीक नहि अन्त एतए
कटि एकर तीव्र नीचाँ अछि धार
दुहू कात छाड़ल पर्वतसँ ई
अलकनन्दे ई सौन्दर्य अहींक
मन्दाकिनी जे आकाश मध्य
देखल आइ पृथ्वीक ऊपर
हरहड़ाइत ई केहन फेनिल
स्वच्छ निर्मल मनुक्ख निवसित
नव दृष्टि देलक देखबाक आइ
शीतल पवनक छाड़ल ई सृष्टि

पक्काक जाठि
तबैत पोखरिक महार दुपहरियाक भीत
पस्त गाछ-बृच्छ-केचली सुषुम पानि शिक्त

जाठि लकड़ीक तँ सभ दैछ
पक्काक जाठि ई पहिल
कजरी जे लागल से पुरातनताक प्रतीक

दोसर टोलक पोखरि नहि
अछि डबरा वैह
बिन जाठिक ओकर यज्ञोपवीत नहि भेल
कारण सएह

सुनैत छिऐक मालिक ओकर अद्विज छल
पोखरिक यज्ञोपवीतसँ पूर्वहि प्रयाण कएल

पाइ-भेने सख भेलन्हि पोखरि खुनाबी
डबरा चभच्चा खुनेने कतए यश पाबी !

देखू अपन टोलक पक्काक जाठि ई
कंक्रीट तँ सुनैत छी पानियेमे रहने होइछ कठोर
लकड़ीक जाठि नहि
जकर जीवन होइछ थोड़



निन्नक जीवन विचित्र
डैनियाही दुपहरियाक घामक बीच
सपनाइत सहस्रबाढ़निक दानवाकार आकृति

प्रेयसीपर झपटैत ओकर कंठ मचोड़ैत
प्रेमी पकड़ैत अछि सहस्रबाढ़निक झोंट
पोखरिमे अछि खसबैत प्रेमीकेँ पएर बान्हि लेलक झोंटासँ
डैनियाही दुपहरियामे पोखरिक झोंटाबला पनिडुब्बी

तांत्रिक-सहस्रबाढ़निक झोँझसँ निकलि
अपन प्राणान्त करैत प्रेयसीकेँ बचबैत
प्रेमीक निन्न अछि खुजैत रौदसँ घमैत घामसँ नहाएल
घोर निद्राक तृप्ति रहैछ मुदा हेराएल

देखैत देशवासीकेँ पछाड़ैत
मंत्र-तंत्रयुक्त दुपहरियामे जागल
गुनधुनी बला स्वप्न
बनैत अछि सभसँ तीव्र धावक
अखरहाक सभसँ फुर्तिगर पहलमान
दमसाइत मालिकक स्वर तोड़ैत छैक ओकर एकान्त

कारिख चित्रित रातिक निन्न
टुटैत-अबैत-टुटैत निन्न आ स्वप्नक तारतम्य
बनि राजनेता करैत देशक समस्याक अन्त
बड्ड थोपड़ी अछि बजैत न्यायक डंका गुंजैत
धर्म-जाति-आतंकवाद समस्या-समझौता करैत
प्राणघातक प्रहारकेँ छातीपर सहैत- जितइत
निन्न अछि टुटैत मुदा तकर अछैत
घोर-निद्रा तृप्तिक अनुभूति अछि छुटैत

निन्नकेँ आस्ते-आस्ते देलक माहुर् मिलि कए सभ
मित्र
कएलक निन्नक जीवन विचित्र

बंशी पाथि पकड़बाक प्रयास !
बंशी पाथि पकड़बाक प्रयास !
आकांक्षाक पंखयुक्त अश्वकेँ
बोर देने सफलताक सूत्रक
अनन्त प्रतीक्षा निस्बद्ध चुप्पीक

पानिक तल स्थिर नियन्ताक रूप
छोट कीड़ीक गमन उठबैत अछि सूक्ष्म हिलकोर
आशाक विश्वासक प्रतिरूप

बंशी पथने ठाढ़ पाथि पकड़बाक प्रयास
अंधविश्वासक छोर विज्ञानक ओर
बोर देने ज्ञानक पिण्ड
प्रतीक्षाक अन्त ! प्रशान्त शान्ति
सोंस काछु हरकाछुसँ रिक्त पानि
निर्माताक निर्मितिक अंत कएल व्याधि

बीया-जीरा माछक रोपि
बंशी पाथि पकड़बाक कएल हियाउ
आकांक्षाक अश्व सफलताक सूत्र
ज्ञानक पिण्ड निर्माताक निर्मितिक साधांश
ठाढ बिच्चहि अनन्त अकास
यंत्रवत बिच्चहि अनन्त विस्तार
शान्त-प्रशान्त-वाकहीन मनुक्ख

सूक्ष्मतर भावनाक जखन आबए हिलकोर
विह्वल करैत मनुक्खकेँ छल जे छुच्छ-रुक्ख

अगिलही
सुरसराइत ग्वालक झुण्ड

कमलाक धारमे पिछड़ि हेलबाक द्वंद
धारक विरुद्ध चलबाक क्रम
ढेकरैत माल-जालक अबैए शब्द
घुरि जाइछ गाम दिस झुण्डक-झुण्ड

घरक वातावरण गारि-मारिक
बकरीक नेड़ीक बीच जीवन साइत
पलायन नगर दिस भेल आब ई दैव
घृणा विरक्ति प्रदूषण आ ई एड्स

कैक संगी मृत एड्सक भेँट
नगरक चमक मोन पाड़ैछ गामक द्वैध
अगिलही पहिने आब सुन्न अछि घर-द्वार
कोठा-कोठामे भेल मुदा की सुखहाल?

गामक गाम सुड्डाह पलायनक अगिलहीमे
नहि जानि की षडयंत्र अछि ई महीमे?
गाममे बेचने तरकारी लोक की कहत
नगरमे के ई जाए देखत?

आह भेल नजरिक भेद लोकक एतहु
चारू कात ताकी अपन जे भेटत कतहु

अपन लोक सेहो अछि दैत अहम्
अहमक मारि मरैत पुस्तक-पुस्त आगाँक

आह ई खून-खुनाहनि असामक
ई हाल की निचुलका पीढ़ीक होएत भरि भारत

तखन कोन भयेँ छोड़ल अपन देस
केकर षडयन्त्र किए नहि बुझि पाओल कियो ?
छोड़ल धरती जड़ि नहि ताकि पाओल किएक


तहिया मोन खराप भेने नहि डॉक्टर छल
बाढ़ि अकालमे के ककर आसरा बनत
जाति-पाति-धर्मक देबाल बिच्चहि
पिचाएल जाइत मनुक्खक पलायन बाट छल

देस-कोस घर-द्वार आब हमर ईएह
वेदना हमरामे अछि
अगुलका पीढ़ीक
तँ ई सम्बलो ने हएत

अभिनव भातखण्डे
भातखण्डेक अमरत्वक
पाश्चात्य संगीतक जे रहए षडयन्त्र
भारतीयताक भारतक संगीतक स्वाधीनताक अपहरण
दृष्टिदोषक कारण जतए
राजनैतिक नेतृत्व भेल पराजित
स्वाधीनता भेल अपहृत
मुदा भातखण्डेक चरित्र
रोकि देलक संगीतक पराधीनता

हे रामरंग अहाँक अभिनव गीताञ्जलि
पढ़लहुँ हम सम्पूर्ण आ
ठीके छी अहाँ अभिनव भातखण्डे
मिथिलाक धरतीक रत्न

कोनो मातवरक नामवरक नहि अधीन
अहाँक पचासो बरखक साधना
कंठक शास्त्रसँ स्वाधीनताक परिभाषा
हनुमान-भक्त रामरंग अहाँक
सम्पूर्ण संगीत-रामायणक आस्वाद लेने
मोन पड़लथि तुलसीदास

हुनक स्त्री-शूद्रक प्रति दुर्भावपर
अहाँक संगीत रामायणक विजय
स्वाधीनताक नव-नव अर्थ दैछ

राग वैदेही भैरव राग
तीर भुक्ति
राग विद्यापति कल्याण मिथिलाकेँ देल
राग भूपाली आ राग बिलावलमे मैथिली भाषाक रचना कएल
राग विद्यापति कल्याणक द्रुत आ विलम्बित खयाल
अहाँक देल संगीत मिथिला ध्वज गीतकेँ देलक नव अर्थ
नव अनुभूति

ध्वजक फहरएबाक अर्थ अछि स्वाधीनता
स्वाधीनता मनसिक
नाम अछि खसि कए ठाढ़ होएबाक
आ बैशाखी छोड़ि दौगबाक

घृणाक आस्वाद कएनिहारक मस्तिष्कक
प्रक्षालन करैत संगीत लहरीसँ

हे सुखदेव झाक पुत्र
खजुरा गामक लोक भेटताह तँ कहबन्हि
रामरंगक मूर्ति गाममे लगबाए
नहि होमए जाएब उऋण हे बहिन-भाए
स्वाधीनताक शाखाक करए जाऊ विस्तार

रामरंग रहि वाराणसी-प्रयागक गंगा तटपर
कएल स्वाधीन संगीतकेँ ओ ऋषि
स्व अधीन विचार-बात होएत
तखने होएत श्रद्धांजलि रामरंगक हे खजुरावासी

युगक अन्त भेल आइ माँगनक स्वरमे गाबए छी
माँगनक-रामरंगक नाम लिअ नहि लिअ
मुदा मोन राखू स्वाधीनताकेँ

पएर भने बैशाखीपर रहए माथ मुदा स्वाधीन रहए
विश्वाससँ निकलैत आत्मविश्वासकेँ राखू आगाँ
नहि बान्हि राखू मस्तिष्ककेँ सिक्कड़िमे

(शास्त्रीय संगीतक शास्त्रकार आ गायक श्री रामाश्रय झा “रामरंग” जीक मृत्यु १ जनवरी २००९ केँ भऽ गेलन्हि हमर रचित “मिथिलाक ध्वज गीत”क संगीत हुनके देल छन्हि, हुनकर स्नेहमे ।)

शिल्पी
शिल्पी बलिराजगढ़क
हड़ाही पोखरिक
पस्टनक अकौरक आ नाहर-भगवतीपुरक बौद्ध खोह

अवलोकितेश्वर ताराक प्रतिरूप उच्चैठक मूर्ति
स्त्रीगणक गीत सहस्राब्दि भरि सुनि-सुनि बनलीह काली-भगवती

वैजयन्तीपुर-जनकपुर आ मिथिलानगरीक उत्थान
अरि मर्दनक भूमि
मथल जाइत छल जतए शत्रुकेँ
जन आ विश केर साम्राज्ञ जनक केर भूमि
दलित शिल्पीक सभटा ई कृति

मुदा आब के देत ओकर महत्व
चरण रज धोबि पीबू हिनक पएर
एतेक भेलोपर निष्कपट कएलन्हि मातुक सेवा
कमलाक भगता बनि जनकपुरक प्रदिक्षणा
मिथिलाक वृहत परिक्रमा

गहबर सभकेँ गोहारिकेँ
मुदा बनलाह अछूत
गामसँ बाहर के पठेलकन्हि हुजूर

तैयो संस्कृतिक ई शिल्पी
बनाओल बुद्धायन
अहांक बुद्ध अहींक शिव राम कृष्ण
मन्दिरमे प्रवेश निषेधक अछैत
नहि कएलन्हि पलायन
धर्म-जातिक बोझ माथपर लेने रहलाह
पूजन करू पएर रज पखारि कऽ
बौद्ध मूर्तिक शिल्पी ब्रह्मा विष्णुक मूर्तिक आधार
कलाकृति भाँसि गेल हेराएल
केलहुँ सभ मिलि गामक बाहर हिनका ठाढ़

तखन विनती
दीन भदरी छेछन महाराज गरीबन बाबा लालमइन बाबा
अमर बाबा मोती दाइ गांगो देवी कृष्णाराम सलहेसक मूर्ति बनाऊ
चरण रज पूजि मुदा

मोनक तटपर
हँसीमे बिसरैत छी
फेकैत छी अपन सभटा दुःख
दुःखक संगे अपन सभटा महत्वाकांक्षा
प्रेरणा दैत अछि सम्भावना
आत्मविश्वास अबैत अछि फुर्तिक संग
अभिलाषाक पूर्तिक बढ़बैत आकांक्षा

आँखिक मिलन भेने
दूर ओहिना होइत अछि चिन्ता
सागर तटपर जेना लहरि लऽ जाइत अछि
सभटा पात-खाद्य वस्तुकेँ करैत स्वच्छ
सभटा फिकिर तहिना बहैछ
शान्त स्वच्छ बनैछ मोनक तट

बिसरैत अपनाकेँ आँखिमे
स्नेहसँ गप करब
मात्र एतबे
अनैत अछि कतेक सम्भावना आ परिणाम

मुदा एकर विपरीत...

सूर्य-चन्द्र गबाह
आर्यभट्टक पाटलिपुत्रमे उद्घोष
आन विद्याक तँ होइत अछि भेद-विभेद-प्रतिवाद
मुदा विज्ञानक तँ अछि ई सूर्य-चन्द्र गबाह

चन्द्रायणक स्वप्न पूर्ण केलन्हि वाह
लीलावती पढ़ि सूर्य-चन्द्र-तरेगणक दूरी नापबाक कला

आइ पूर्ण सफल भेल परिश्रम जाए
अग्नि-ब्रह्मोस पूर्ण कएल ई अर्थ
ब्रह्मास्त्र-पाशुपतास्त्र केर अर्थ बुझलनि जाए आइ

वस्सावस
जनक याज्ञवलक्य विदथ माथव
मल्ल जगत्प्रकाश-जगतज्योतिर्र
माँगन खबास रामरंग यात्री हरिमोहन
सुन्दर झा शास्त्रीक पएरमे सिकड़ि बान्हल जेलक चित्र
सीरध्वज वेदवती मैथिली मैत्रेयी

जयमंगला-असुर-अलौली-कीचक-वरिजन-बेनू नौला गढ़ सभ
आ गढ़ बलिराजपुरक

बुद्ध-महावीरक वस्सावसक भूमि
शिल्पी कृषकक क्षेत्र
खिखीर शाही नीलगाएक भ्रमण
आँखि लागल सभटामे !

हजारक-हजार साल जे भूमि कएलक निर्वहण
से अछि पलायनक भूमि आब
पचास सालमे की भेल जे
हजार सालमे नहि छल प्राप्त
लोचनक रागतरंगिणीक चर्च भातखण्डेमे
भातखण्डेक चर्च रामरंगमे
गंगेश वाचस्पतिक तर्कक बीच
कुतर्की कहियासँ भेलहुँ जाए

याज्ञवल्क्य द्वारा गुरुक शिक्षाक त्याग
शुक्ल यजुर्वेदक निर्माणक नव अध्याय
मुदा पछातिक जाति-मंडित शास्त्र
इतिहाससँ तैयो क्षमाक करैत आश !
तँ शुरु किएक नहि करैत छी
आबहु जाए
इतिहासक नव अध्याय !

स्थितप्रज्ञतामे लिबैत सत्यक प्रति
पिताक छल आश असत्यक सर्वदा त्याग
सभ होअए समृद्ध उत्तम विचारक बीच
देशक लेल जे जाए प्राण अन्तिम इच्छा होअए सएह

करैत पालन देखल जे
नहि बुझैत अछि लोक
नहि बुझैत अछि सत्यक मोल आ समृद्धिक अर्थ
स्वतंत्रता आ देश नहि कोनो मोल छैक लेने स्वार्थक आगाँ
तँ की बदली ? अपन शिक्षाक अर्थ !

त्यागि रस्ता मुदा वैह लक्ष्य
आ रस्ता जिदियाहवला !

मुदा बजने की ? मात्र करैत रहू
सोझाँवलाकेँ बुझए दियौक
जे अछि बुझैत
बुझए दियौक आ करए दियौक खलनायककेँ महिमामण्डित
महिमामण्डित आ शक्तिशाली बुझए दियौक दुराचारीकेँ
जावत बुझत भऽ जएतैक हारि !

पिताक सत्यकेँ लिबैत देखने रही स्थितप्रज्ञतामे
तहिये बुझने रही जे
त्याग नहि कएल होएत
रस्ता ई अछि जे जिदियाहवला

पुरान भेल गप
सरोजिनी नगर मार्केटक बम विस्फोट

डस्टबिनमे राखल बमक विस्फोट
उड़ैत लोक कार वस्तु-जात
खूनक धार टटका निकलल लाल

पुरनाएल गप खून खरकटि गेल
कारी स्याह बनल
आ एम्हर ब्रेकिंग न्यूज - दिल्ली नगर फेर आबि गेल पटरीपर !

दिलवलाक छी ई नगर तेँ !

मुदा जिनका घरमे रोटी कमाएवलाक मृत्यु अछि भेल
हुनक जीवनक रेल
एक दू दिन की
भरि जिनगीयो
की आबि सकत पटरीपर !

यौ शतानन्द पुरहित
यौ शतानन्द पुरहित

अगहन शुक्ल विवाह पंचमी
विवाहक सभसँ नीक दिन
पुरहित शतानन्द
राम सीताक विवाह कएल सम्पन्न

खरड़ख वाली काकीक विवाह
सेहो विवाह पंचमीएकेँ भेल
पुरहित सेहो कोनो पैघे पण्डित रहथि

सीता दाइ कतेक कष्ट कटने रहथि !

मड़बापर चित्रकला लिखल रहए मिथिलाक
परिछन नैना-जोगिन सभटा भेल छल
ओहिना जेना भेल रहए सीता दाइक विवाहमे

बाल-विवाह तँ भेले रहन्हि खरड़ख वाली काकीक
विवाहोक दिन सभसँ नीक
नैना जोगिन जोगक गीत
किछुओ कहाँ बचा सकल
भऽ गेलीह विधवा

कहैत छथि हमर संगी
जहिया लऽ जाइत छथि ओ अपन भौजीकेँ
पेंशनक लेल दानापुर कैण्ट
विधवा भौजीकेँ देखि
भीतरे-भीतरे कनैत रहैत छथि
बाबूकेँ कहलन्हि जे विधवा विवाह हेबाक चाही
तँ मारि-मारिकेँ ओ उठलखिन्ह
नेऊराक राजपूत बाबूसाहेबक ई खानदान
बड़ काबिल भेलाह ई !

“मुदा अछि बुझल हमरो
कुहरैत रहैत छथि बापो


मुदा बोझ उठेने छथि कुरीति समाजक
उपाय कतए छनि कोन दोसर”?

यौ शतानन्द पुरहित
अगहन शुक्ल विवाह पंचमीक
दिनक महत्व दिअ ने बुझाए

निगदति कुसुमपुरेऽभ्यर्चितं ज्ञानम्
चन्द्रयाणक पूर्वापर
आर्यभटक उद्घोष पड़ैत अछि मोन

एहि कुसुमपुरमे करैत छी ज्ञानक वर्णन
नापल पृथ्वी सूर्य आ चन्द्रक व्यास
पृथ्वी अचला नहि
अछि गतिमान ई भू
भं अछि तरेगण जे अछि अचल
ग्रहण नहि राहुक ग्रास वरण अछि मात्र छाह

चलू चन्द्रयाणक लेल बधाई
इसरोक वैज्ञानिक लोकनिकेँ आ माधवन नायरकेँ
आएल आर्यभट्टक पंद्रह सए साल बादो तँ की !
ओहि देशवासी लए नहि विलम्बित
लीलावती पढ़ियो कए जे नहि गानि सकलाह तरेगण
कुसुमपुर नहि तँ श्रीहरिकोटामे सैह ई दिन

कुसुमपुरमे ज्ञानक वर्णन नहि तँ
कमसँ कम कसुमपुरसँ दए तँ दियौक बधाइ
चन्द्रमाकेँ छूबाक लेल थाड़ीमे पानि नहि राखब आब
आर्यभटस्त्विह निगदति कुसुमपुरेऽभ्यर्चितं ज्ञानम्
कमसँ कम कसुमपुरसँ दए तँ दियौक बधाइ

हमर बारह टा हैकू
अ.वास मौसमी,

मोजर लुबधल

पल्लव लुप्ता

आ.घोड़न छत्ता,

रेतल खुरचन

मोँछक झक्का

इ. कोइली पिक्की,

गिदरक निरैठ

राकश थान

ई.दुपहरिया

भुतही गाछीक

सधने श्वास

उ.सरही फल

कलमी आम-गाछी,

ओगरबाही

ऊ.कोलपति आ

चोकरक टाल,

गछपक्कू टा

ऋ.लग्गा तोड़ल

गोरल उसरगि

बाबाक सारा

लृ.तीतीक खेल

सतघरिया चालि

अशोक-बीया

ए.कनसुपती,

ओइधक गेन्द आ

जूड़िशीतल

ऐ.मारा अबाड़

डकहीक मछैड़

ओड़हा जारि

ओ.कबइ सन्ना

चाली बोकरि माटि,

कठफोड़बा

औ.शाहीक-मौस,

काँटो ओकर नहि

बिधक लेल

पुरहित
अर्थशास्त्र बनबैत अछि कम्पनीकेँ मनुक्ख
आ मनुक्ख बनैछ कनमुँह

घृणाक आस्वाद आ घृणामे लेने आस्वाद
वेश्यावृत्तिक संसार-
आब नर्तकीक घर नहि
गेल अछि पैसि
राजनीति धननीति
एहि पर्यटननीतिमे !

आम्रपाली पहिरि चश्मा करैत छथि चालन वाहनक
नायक मृच्छकटिक भऽ गेल छथि होटल व्यवसायी
नव जाति व्यवस्थाक पुरोहित
आम्रपाली बनलि अनुलोम व्यवस्थाक शकुन्तला

संवादक अन्त मतवैभन्यक प्रारम्भ !
आ तेँ गाम एखनो वैह
विधवा दलित गरीबीक खेरहा सैह

पीयर आ लाल होइत
चौबटियाक बत्ती सभ
लुधकैत गाड़ीक शीसा पोछैत
अखबार पत्रिका बेचैत
नव जाति-व्यवस्थाक दलित
बचिया-बच्चा सभक पाँती

कोरामे बच्चा लेने युवा भिखमंगनी
निरीह आँखि पैर खञ्जित
खञ्जित पएरे बढ़ैत आगाँ
मुदा भने ओहि चौबटियापर
शानसँ भीख मँगैत अछि बालगोविनक झुण्ड
भीख नहि आशिरवादी
पाइ देलहुँ तँ ठीक नहि तँ
गारिक प्रसादी

औद्योगिक क्षेत्रमे सेहो
कोयलाक भट्ठीक धुँआसँ
कारी भूत भेल श्रमिक
ईहो छथि नव जाति व्यवस्थाक दलित

लघु उद्योगक पुरोहितक
घर जेना राजा सभक
दारू पीबि मँतल
मुदा सरकारक छन्हि जिद्द
लघु उद्योगकेँ करताह समृद्ध
लघु उद्योगकेँ वा लघु उद्योगक पुरोहितकेँ

बना कय कम्पनी लए सरकारी ऋण
बन्द करथि कम्पनी
कम्पनीक मालिक नहि निदेशक छी हम
कम्पनीकेँ होइछ घाटा तँ
श्रमिक छथि मरैत
नहि किछु होइछ निदेशकक
कम्पनी अछि मरैत

अर्थशास्त्र बनबैत अछि कम्पनीकेँ मनुक्ख
आ मनुक्ख बनैछ कनमुँह

दिल्ली-मुम्बइक हाट
तरकारी माँछक बजार
होटलक बनथि भनसिया
पुत्र-पुत्रीक विवाह दुनूमे जाति गौण
विधवा-विवाह क्षम्य
मुदा जखन यैह सभ घुरैत छथि गाम
नील-टीनोपाल दए नव व्यवस्थाक दलित
बनि जाइत छथि पुरातन व्यवस्थाक पथिक
तरकारी बेचनिहार बनथि जयबार
औद्योगिक क्षेत्रक कारी मुरुत
साबुनसँ रगड़ि चाम
भए जाथि गामक भलमानुष !

होटलक भनसिया भऽ जाइत छथि सोइत
सरदारजीक मोहर्रिर बनैत छथि कायस्थ
पासवानजी भऽ जाइत छथि दलित
घुरैत काल ट्रेनहिमे फेर सभ मिलि
नव व्यवस्थाक आ पुरातनक करथि मेल

ट्रेन अछि साक्षी एहि मनसि द्वैधक
अमूर्त व्यवस्थाक धँसल आँखिक
उजड़ा नूआक व्यथाक युवा विधवाक
आम्रपालीक आ
मृच्छकटिक नायक चारुदत्तक
आ बसन्तसेनाक
घृणाक आस्वाद आ घृणामे लेने आस्वाद
वेश्यावृत्तिक संसार-आब नर्तकीक घरमे
गेल अछि पैसि राजनीति धननीति
एहि पर्यटननीतिमे !

इच्छा-मृत्यु
हे भीष्म अहाँक कष्टक बखान सुनल छल खाइत पान-मखान
मुदा बुझलहुँ नहि ई बात इच्छा-मृत्यु किए कै तात !
भीषणताक कथा नहि थोड़ , भूख अत्याचार गरीबपर जोड़
केलन्हि अहाँक क्षत्रिय भयावह शक्ति आ धनक द्वन्दक परिधि
घोषनि-ब्राह्मण सभ सएह , रटि रटन्ता विद्या फेर वएह !
तखन..एक युधिष्ठिरपर छोड़ि कए राज , भीष्म छोड़ल अहाँ निसास !

हमर युधिष्ठिर पाँच सए चालीस पहिरथि खादी-रेशमी खालिस
आ समस्या वैह द्वन्दक परिधि टा टूटल परिभाषा बदलि
ओहिना देशवासी दए इच्छा-मृत्यु अपन भावना आ इच्छाकेँ
छोड़ल अछि सभटा कर्तव्य अपन गणतांत्रिक युधिष्ठिर सभपर होइत कात
बुझल भीष्म हम आब ई बात , पेलहुँ इच्छा-मृत्युएँ अहाँ निजात


वार्ड नं २९ बेड नं. ३२ सँ
सफदरजंग हॉस्पीटलसँ
आइ देखल हम मीत
डॉक्टर
पेशेंट फ्री इलाजक
दंभ भरइ छथि हा इष्ट
साबुन-तेल सभपर टैक्स
भरइ छथि सभ वासी
हॉस्पीटलक लैटरीन गंदा अछि पुछने
नर्स बिगड़ि देखबइ छथि
अपोलोक पगपाती
जाऊ अपोलो
गंदगी ज्योँ लागय
टैक्सक बात
फिनान्स मिनिस्टरेकेँ जाऊ बुझाबय

ट्रेन छल लेट
जायब दिल्ली कोना
अस्पतालक भर्ती कक्षमे भरती होएबाक लेल
ट्रेन अछि लेट
पहुँचलहुँ दिल्ली कोनहुना
मुदा एतए डॉक्टर अछि व्यस्त
दिल्लीक सरकारी डॉक्टर
आउ आइ काल्हि परसू
भेलहुँ पस्त
दिल्ली दूर अस्त
युग बदलल गणतंत्र आयल
मुदा ट्रेन दिल्ली जायबला लेट
आ डॉक्टर फुर्र

दिल्ली अखनहुँ अछि दूर



सूर्य-नमस्कारक बहन्ने
ॐ मित्राय नमः
आँखि करत ठीक हिनकर लाली
जे अछि सूर्य-ग्रहणक एकटा वर्ण उगैत-डुमैत कालक भ्रम
ग्रहण नहि अछि राहुक ग्रास
हनुमानक सूर्यक ग्रहण करब पड़ल मोन ओ दोसर ग्रहण
मुदा कोनो ग्रहणक लेल राहुक नहि काज
चन्द्रमा बीचमे किरणक करै छथि ग्रास
विज्ञानक छैक सभ बात
कहलन्हि कुलदीप काक
सभ गणना कय ठामे देल
बूड़ि पंडित केलक अपवित्रक खेल

गंगामे गोदावरी आ तीरथमे प्रयाग
धन्यभाग कौशल्यामायकेँ
राम लेल अवतार
स्नानक बादक मंत्रक ई भाग
की खोलत भरत प्रगति-एकताक द्वार ?
खेल-खेलमे देश गेल पाछू
आबहु तँ सभ आगू ताकू
शक्ति देहु हे भानु मामहः
ॐ रवये नमः

मेरुदण्ड-पग होयत सबल
सूर्य-नमस्कारक परञ्च पाठ प्रबल
सूर्यवंशीयोक अहह अभाग
कर्ण-तर्पणक नहि करू बात
जाति-कर्मक ज्ञानक ओर छल ओतय
नहि किएक पकड़ल राहू-ग्रासक बातक मर्म अहह
ॐ सूर्याय नमः

सात अश्व-रथक उमंग पनिसोखाक सात रंग प्रकाशक रथमूसल अजातशत्रुक संग महाशिलाकंटकक जोड़ केलक मगध काज नहि थोड़ जर्मनी-इटलीक एकताक प्रयास दुइ सहस्त्राब्दी पहिनहि काश रश्मिक सात-अश्वक रहस्य बूझल मगध ताहिये पहर छोड़ल भाव पकड़लहुँ अर्थ हा भरतपुत्र केलहुँ अनर्थ भरु शक्ति हे सूर्य अहाँ
ॐ भानवे नमः

श्वासक-कुंभक केलहुँ अभ्यास मोन पड़ल कुन्तीक अनायास सूर्यमेल सुफल भऽ गेल कवच-कुण्डल भेटल सेहो इन्द्रहि संगे गेल एकलव्यकेँ पहिनहि द्रोण केलन्हि फेल
अर्जुनक कर्णपर विजय ? क्षय प्रतिभाक रूप विकृत कैल अखनहुँ धरि की तू ई सहबह ॐ खगाय नमः
सूर्या आश्विन गमनमे फेर अछि परस्पर द्वंदक देरि गुरु बृहस्पति ठाढ़े-ठाढ़ करतथि ई सभक उद्धार
अखनहुँ गुरु छथि गूड़
जोर दैत जोड़ पर हम ऋणी
बनओताह हमरा प्रबल रहि स्वयं अब्बल
गुरुक-गुरुत्व उष्ण-सुड्डाह हह
ॐ पूष्णे नमः

जकर अंकसँ निकलल विश्व
विश्वक प्राण आ तकर श्वासोच्छवास
गुरुत्वक खेलकेँ बनेलहुँ अहाँ
काछुक
सहस्त्रनागक फनि
जानि कि-की ?
रहस्य आर गहिंरायल भरत-पुत्र गेल हेरायल
तकर ध्यान हेयास्तदवृत्तयः;
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
सूर्यकिरण पसरि छल गेल कतेक रहस्य बिलाएल तिमिरक धुँध भेल अछि कातर मुदा ई की अद्भुत ? रात्रि-प्रहर देखलहुँ सप्त-ऋषिगण दिनमे सभ-किछु स्वच्छ मुदा नहि तरेगणक लेल सत्यक तह तहियायल बनल खेल हा विश्ववासी शब्दक ई मेल अहाँक दर्शनक स्तंभ किए ते व्यक्तसूक्ष्मा गुणात्मानः ॐ मरीच्ये नमः
अहँक तेजमे हे पतंग प्रभाकर सागराम्बरा अछि जे नहायल सौर ऊर्जाक नव-सिद्धांत नहि की देलक कनियोटा आस

मेघा-मास नहि अहाँक अछि जोड़ तखन मनुक्खक बात की छोड़ पढ़ल ग्रंथ ब्रह्मांडक बात तरणि सहस्त्र एकरा पार अंशुमाली तपनसँ पैघगर गाल तकर ऊष्णता की हम सहब ? ॐ आदित्याय नमः

पिताक बात अछि आयल मोन बिना सावित्रीक गायत्रीक की मोल ? दुइ वस्तुक मेल कखनहुँ नीक कहुखन परिणाम भेल विपरीत कटहर-कोआ खेलाह तात देलन्हि ऊपर पानक पात पेट फूलल भेल भिसिण्ड परल मोन रसायन-शास्त्र तीव्रसंवेगानामासन्नः; ॐ सवित्रे नमः

पृथ्वी घुमैछ पश्चिम सँ पूर्व आ
सूर्य केँ घूमबैत अछि पूर्व सँ पश्चिम
मुदा कहू जे गर्मीमे उत्तर-पूर्व आ
जाड़मे उत्तर-पश्चिम कियै छथि सूर्य?
की नहि चलैत छथि अपन अक्ष ?

सूर्य ग्रहणक छाह जयद्रथक खिस्सामे सेहो
दिनमे रातुक आहटि वएह सूर्य-ग्रहण छल होएत
राहू-केतु सभक दिन आबो गेल ?

पुनि-पुनि करि दण्ड हम देल
स्थिरचित्त नेत्र लेल
ध्यान धरह आ ई कहह
ॐ अर्काय नमः
पोथीक भाष्य आ भाष्यक भाष्य
अलंकारक जाल-जंजाल आ एहि बिच्चहि
सूर्यनमस्कारक सेहो ई बिध-बाध
करु स्वीकार हे हे सविता
दुःखमोचन दूर करू विकार संपूर्ण
केलहुँ सूर्य-नमस्कार हम पूर्ण

विज्ञानक पाखंड ऋतम्भरा बुद्धि कत्तऽ
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः
ॐ भास्कराय नमः


सन सत्तासीक बाढ़िक बहन्ने
कमलामहारानीकेँ पार कएल पैरे बलानकेँ मुदा नाहसँ मुदा आइ ई की भेल बात दुनू छहरक बीच ई पानि झझा देत किछु कालमे लिअ मानि

चरित्रक ई परिवर्तन देलक डराय
नव विज्ञानक बात सुनाय
बाँध-बान्हि सकत प्रकृति की ? भीषण भेल आर अछि ई
हृदयमे देलक भयक अवतार देखल छल हम गामक बात बड़का कलम आ फुलवारीमे बड़का बाहा देल छल गेल पानिक निकासी होइत छल खेल
नव विज्ञानी केलथि बाहा बन्न सभटा
फाटक लागल छहरक भीतर बालु कएल बन्न मूँहकेँ एक पेरिया पर छलहुँ चलल हम आरिये-आरिये देखल रुक्ष पहिने छल अरिया दुर्भिक्ष आब दुर्भिक्ष अछि छुच्छ
सिल्ली नीलगाय सभटा सुन्न विधमे शाही काँट अनुपलब्ध जूड़िशीतलक भोगक छल राखल गाछक नीचाँ सप्ताह बीतल नहि क्यो वन्यप्राणी आयल खाय चुट्टीक पाँत टा पसराएल
छहरपर ठाढ़ अभियन्ताक गप छलहुँ सुनैत हम निर्लिप्त मुदा जाहि धारकेँ कएल पएरे पार तकर रूप अछि ई विस्तार !

नवविज्ञानक चरित्रानुवाद होयत एहन नहि छल हम जानल मुदा देने छल ओकरा दुत्कार कुसियारक किछु गाछ बाढ़िक पानिक बीचमे ठाढ़ माटिक रंगक पानि आ हरियर कचोड़ गाछ छहरक ऊपरसँ झझायल पानि लागल काटय छहरकेँ धारक धार
ठाम-ठाम क़टल छल छहर ऊपरसँ बुन्नी पड़ि रहल सभटा धान चाउर भीतक कोठी टूटि खसल पानिक भेल ग्रास
हेलिकॉप्टरसँ खसल चूड़ा-गूड़ जतय नहि आयल छल बाढ़ि किएक तँ पानिमे खसिकय होएत बर्बाद हेलीकॉप्टरक नीचाँ दौगैत छल भीड़ भूखल पेट युवा आ वृद्ध

ओ बूढ़ खा रहल छथि गूड़-चूड़ा बेटा-पुतोहुक शोक की करि सकत दूर पेटक क्षुधा?

एकटा बी.डी.ओ.क बेटा छल मित्र कहलक ई सरकार अछि क्षुद्र ओकरा पिताकेँ शंटिंग केलक पोस्टिंग गिरीडीह सँ झंझारपुरक डिमोशन कनिंग
मुदा भाग्यक प्रारब्ध अछि जोड़ आयल बाढ़ि पोस्टिंग भेल फिट
सोचलहुँ जे हमरेटा प्रारब्ध अछि नीच शनियो नीच सरस्वती मँगेतथि की भीख? पहुँचलहुँ गाम पप्पू भाइक मोन छोट विकासक रूपरेखा जल-छाजन निकासी.....

बात पर बात फेर सरकारक घोषणा बाढ़ि राहत एक-एक बोरा अनाज सभ बोरामे पंद्रह किलो निकाललथि ब्लॉकक कर्मचारी बूरि छी पप्पू भाई अहुँ मँगनीक बड़दक गनैत छी दाँत पिछला बेर ईहो नहि प्राप्त
हप्ता दस दिनक बादक बात
क्यो गेल बंबई क्यो धेलक दिल्लीक बाट गाममे स्त्री वृद्ध आ बच्चा बंबइमे तँ तरकारी बेचब बोझो उठायब सभ क्यो केलक ई प्रण मायक स्वप्न अछि कोठाक होअए घर अगिलहीक बाद फूस आ खपड़ा पुनः बनायल बखारी जखन भेल बखड़ा
भने भसल बाढ़िमे भीत बनायब कोठाक घर हे मीत
खसए लागल ईंटा गाममे कोठा-कोठामे भेल ठाम-ठाममे पुरनका कोनटा सभ गेल हेराय जतय हेरयबाक नुक्का-छिप्पी खेलायल हम भाए

आब सुनु सरकारक खटरास आर्थिक स्थिति सुधारल हम मेहथमे कऽ खास आदर्श ग्राम प्रखंडक एकरा बनाओल कहैत छी जे हम बंबई-दिल्लीमे कमाओल !
सुनु तखन ई बात ज्योँ रहैत अस्थिर सरकार तँ रहैत नहि दिल्ली नहि बम्मई विजयनगरम् साम्राज्यक हाल पुरातात्विककेँ अछि बूझल ई बात
धन्यभाग ई मनाऊ हमरा जितबिते रहू हे दाऊ प्रगति-परिश्रम अहाँ करू हमर समस्यासँ दूर रहू
बाढ़ि आएल सत्तासीमे तबाही देखलहुँ मुदा कहैत छी हम देखू आबाजाहीकेँ

धन्यभाग अहीसँ तँ मनोरंजन मेला-ठेला खतम भेल हुक्कालोली भेल दिवाली आ जूड़िशीतलक थाल-कादो-गर्दा भेल होली तखन अहुँक बात सुनने दोष नहि
कमाय लेल हमहुँ तँ दिल्ली-बंबईमे छी कमसँ कम अहाँक ई बड़कपन जे गामकेँ नहि छोड़ल मनोरंजनो करैत छी कमाइतो छी खाइतो छी आ दिल्ली बंबइ सेहो घुमैत छी

महाबलीपुरम समुद्र तटपर
असीम समुद्रक कातक दृश्य हृदय भेल उमंगसँ पूरित
सूर्य-मंदिर पांडव-रथ संग आकाश-द्वीपक दर्शन कयल हम
नुनगर पानि जखन मुँह गेल भेलहुँ आश्चर्यित गेलहुँ हम हेल
लहरिक दीवारिसँ हम टकराय अंग-अंग सिहरि-सिहराय
देखल सुनल समुद्रक बात बिसरल मन-तन लेलहुँ निसास
सुनेलक मणि गाइड ई बात अएलथि विदेशी खोललथि ई सत्य पल्लव वंशक ई छल देन भारतवसी बिसरल तनि भेर
मोन पड़ल अंकोरवाटक मंदिर राजा खतम भेल बिसरल जन हरि-हरि
टूटल इतिहासक तार जखन स्वाति भेल ह्रास अखन
कास्पियन सागरक पानिक भीतरक मंदिर भारतीय व्यापारीक द्वारा निर्मित

आब एखन अछि हम्मर ई हाल गामक बोरिंग पम्पसेट अमेरिकन इंजीनियरक खैरात छोडू भसियेलहुँ कतय अहाँ फेर प्रीति-पत्नी हँसि-हँसि भेलथि भेर



स्मृति-भय
नगरक नागरिक कोलाहलमे बिसरि गेलहुँ कतेक रास स्मृति आ एकरा संग लागल भय भयाक्रांत
शिष्यत्व-समाजीकरणक
समयाभाव आकि फूसियाहिंक व्यस्तता स्मृति भय आकि हारि मानब समस्यासँ
आ भऽ जायब स्मृतिसँ दूर भयसँ कात सामाजिकरणसँ फराक
खाँटी पारिवारिक
मुदा फेर भेटल अछि समय युगक बाद बच्चा नहि भऽ गेलहुँ पैघ
फेरसँ उठेलहुँ करचीक कलम लिखबाक हेतु लिखना मुदा दवातमे सुखायल अछि रोशनाइ युग बीतल स्मृति बिसरल
भेलहुँ एकाकी

सहस्त्रबाढ़नि जेकाँ दानवाकार घटनाक्रमक जंजाल
फूलि गेल साँस
हड़बड़ाकऽ उठलहुँ हम
आबि गेल हँसी स्वप्नानुशासन
लटपटाकेँ खसलहुँ नहि
धपाक भऽ गेलहुँ अछि पैघ
बच्चामे कहाँ छल स्वप्नानुशासन खसैत छलहुँ आ उठैत छलहुँ शोनितसँ शोनितामे भेल उठिकय
होइत घामे-पसीने
नहायल
स्मृति-भयक छोड़ नहि भेटल ब्रह्मांडक कोलाहल
गुरुत्वसँ बान्हल चक्कर कटैत
करोड़क-करोड़ मील दूर सूर्य आ तकर पार कैकटा सूर्य
के छी सभक कर्ता-धर्ता आ ज्योँ अछि क्यो तँ ओकर
निर्माता अछि के ?
ओह ! नहि भेटल छोर
लेलहुँ निर्णय
पढ़िकेँ दर्शन नहि करब चिन्तन
तोरल करची-कलम आ दवात
के छी ई सहस्त्रबाढ़नि घूमि रहल अछि एकटा परिधिमे
शापित दानव आकि कोनो ऋषि ताकैत छोर समस्याक आ समस्या तँ वैह के ककर निर्माता
आ तकर कतय अंतिम छोर के ककर स्वामी
आ सभक स्वामी के ? आ तकरो के अछि स्वामी !

भेटल स्वप्नानुशासन टूटल शब्दानुशासन तकबाक अछि समाधान फेर गेलहुँ स्वप्नमे लटपटाय खसब नहि धपाक तकबाक अछि छोर

शंका-समाधान लग
डगमग होमय लागल
अपना पर विश्वास
जेना कोनो भय कोनो अनिष्ट बढ़ा देलक छातीक धरधड़ी आ कि नेनत्वक पुनरावृत्ति !
जन्म-जन्मांतरक रहस्य आत्माक डोरी ? आ कि किण्वन
आ विज्ञान केलक
सृष्टिक निर्माण!
पीयूष आ विषक संकल्पना स्वाद तीत कषाय क्षार अम्ल कटु की मधुर ! सुन्न बोनमे उठैत स्वर षडज ऋषभ गान्धार मध्यम पंचम धैवत निषाद ! खोजमे निकलि गेलथि अत्रि अंगिरा मरीचि संग लेने पुलऋतु पुलस्त्य आ वशिष्ठ प्राप्त करबालेल अष्टसिद्धि अण्मिक महिमाक गरिमाक लघिमाक प्राप्तिक प्राकाम्यक ईशित्व आकि वशित्व सप्तऋषिक अष्टसिद्धि
नौ निधिक खोज
पद्म महापद्म शंख मकर कच्छप मुकुन्द कुन्द नील आ खर्व बनल आधार दशावतारक
मत्स्यावतार बचेलन्हि वेद सप्तर्षिकेँ आ संगे मनुक परिवार कूर्मावतार संग मंदार-मेरु
आ वासुक व्याल आनल सुधा-भंडार वाराहावतार आनल पृथ्वीकेँ बाहर चारि अंबुनिधिक कठोर छल जे पाश मारल हिरण्याक्ष

नरसिंह भगवान बचाओल प्रह्लाद मारिकय हिरण्यकश्यप
वामन मारल बालि नापल दू पगमे पृथ्वी
आ तेसरमे दैत्यराज
परशुराम राम आ कृष्ण
केलन्हि असुरक संहार आ बुद्ध बदललन्हि तकर विचार
तैं की जे हुनक प्रतिमा खसौलक देवदत्तक संतान छिः क्यो रोकि नहि सकल बामियान
नहि कल्कि नहि मैत्रेय जल्दीसँ आऊ श्वेत-सैंधव सवारि चौदह भुवन आ तेरह विश्वक अनबा लेल युग-कलधौत अर्णवक कोलाहलमे जाय छल नेनत्व डराय
मुदा अखन विज्ञान टोकलक मोन ई तँ अछि किण्वनक सिद्धांत दशावतारे तँ छथि उत्पत्तिक आधुनिक सिद्धांत
मत्स्य कूर्म तखन वाराह फेर नरसिंह तखन वामन एकसँ दोसर कड़ी मनुष्यक रंग-रूपक ताकय लेल छल निकलल
दऽ देलन्हि अवतारक नाम भरत-तनय रोकलन्हि वैज्ञानिक सोच कड़ी गेल टूटि ताकयमे कल्कि ओ ताहि द्वारे तँ नहि एलाह मैत्रेय
लागि रहल अछि भेटल सूत्रक ओर
आर फूसिये छलहुँ डरायल करब षोडषोपचार
वेद पुराण महाभारत रामायण अर्थशास्त्र
ओ आर्यभट्टीय लीलावती भामती
राजनीति गणित भौतिकी केर समग्र चरित्र कर्मक शिक्षा गेल ऊधियाय
बिहारिमे अंधविश्वासक
दर्शन भेल जतय अनुत्तरित आ विज्ञान देलक किछु समाधान तँ पकरब छोर एकर गुरुवर जे केलक समस्या दूर नहि दूरि
एकर परिधि भने अछि छोट मुदा परिधि करब पैघ तँ फेर बदलताह दर्शनक कांट्रेक्टर दर्शनकेँ धर्ममे आ धर्मकेँ नरक-स्वर्गक प्रकार-प्रकारान्तरमे

भौतिकी आ एस्ट्रोनोमीकेँ बनेलथि एस्ट्रॉलोजी
विज्ञान बनल अंधविश्वास
जखन नेति-नेति बनत उत्तर
तखन भने रहय दियौक प्रश्ने अनुत्तरित

सभ गेलथि आगू मुदा भरत-तनय छथि पाछू लीलावतीयोमे भानुमतीयोमे
कोना कए तकताह जातिगत भेद एकलव्यक प्रशंसामे व्यासजीक लेख
मुदा कार्य नहि क्यो बढ़ेलक आगू
सहस्राब्दीक अंतराल देलक जातिगत करताल विज्ञान आ कला
भूख आ अन्न
भेलाह जातिगत छोड़ताह की स्वाछन्न
मोन पड़ल गामक भोजक फराक पाँति पहिल पाँतिमे खाजा-लड्डू परसन पर परसन दोसर पाँतिमे एक्के बेर रोकल कला-विज्ञानक भागीरथीक धार भेटल राहूक ग्रास
मोन पड़ैछ पिताक श्राद्धकर्म
भरि दिन कंटाहा ब्राह्मणक अत्याचार आ साँझमे गरुड़ पुराणक मारि
सौर-विज्ञानक रूपांतर
आ ग्रहणक कलन दक्षिणाक हेतु भेल कलुषित
रक्षा-विज्ञानक रामायणक पाठ कखन सिखेलक भीरुताक अध्यात्म?
ब्यासजीक कर्ण-एकलव्य-कृष्णक पाठ
सामाजिक समरसताक अखनहु धरि अछि जीवंत
नहि भेल खतम दू-सहस्राब्दी पहिनेक उदारवादी सोच सुखायल किएक विद्या
सरस्वती-धार जेकाँ भेल अदिन

तखनहि जखन विद्या-देवी छोड़लन्हि सुखा गेलीह बिन पानिक बिन बुद्धिक फेर अओतीह कि घुरि कए बदलि भेष एतय हम्मर भारत देश?
हजार बर्षक घोँघाउज कि होएत बंद ? आकि एकलव्य-कर्ण-कृष्णक पाठ छोड़ि युधिष्ठिर-शकुनिक एक्का-दुक्का-पंजा-छक्काक पढ़ब पाठ कच्चा बारहकेँ शकुनि बदलताह पक्का बारहमे आ करताह अपन पौ-बारह
तीनटा पासा आ चारि रंगक सोरे-भरि गोटी करत भाग्यक निर्माण? चौपड़क चारि फड़ आ एक फड़मे चौबीस घर की ई फोड़त भारतक घर?
युधिष्ठिर ज्योँ भेटताह तँ कहितियन्हि जे चारि लोकक सोझ कला पासाक खेलयतहुँ जकर नियम होइछ हल्लुक
दू व्यक्तिक रंगबाजी खेलकेँ अहाँ ओझरेलहुँ खेला खेलक संग नहि वरन् खेलेलहुँ देश आ स्त्रीक संग तैं ई उपराग शकुनियोसँ पैघ कैल अहँ अपराध
जकरे नाम लालछड़ी सैह
सतघरिया; ती-ती –
बच्चामे खेलाय छलहुँ आमक मासमे ई खेला
पासाक खेल सेहो खेलेलहुँ
द्विरागमनक बाद भरफोड़ी धरि कनियाक संग वासर-रैन हे युधिष्ठिर-रूपी
भरत-तनय
नहि खेलाऊ ई खेल सभकेँ दिअ ई शिक्षा
आ संगीतक मेल स्मृति भय तोड़ल सुर
दियह सुमति वर जे
गोसाञुनि गाबि सकी
कज्जल रूप तुअ काली मात्र ईएह नहि सत्य उज्जल रूप तुअ वाणी; सएह होएत परिणीत
झम्पि बादर दूर भेल भय गगन गरजि उठेलक
हुतासन हृदय मध्य बाउग कए मौलि-मउल छाउर दए शंख-फूकब वीर रस भय-भंजन स्मृति-स्वप्नक दंडसँ तोड़ब खन-खन
करब मंथन

सगर-द्वारि पर भुजदंडसँ गामक दूटा पाँतिक भोजनक आस्वादन
खोलब बंद बुद्धि-विवेक
रुण्डमालमसानी तोड़ब पाँति नहि तँ
नगरकेँ पलायन गाम गाम रहत नहि तँ डुमत भागीरथीक धारसँ
जे रोकलथि एकर धार प्रलय-सन डूबताह-डूबेताह दू पाँतिबला गामकेँ
अपन कुकर्मसँ
भूमि विलास कानन निविल बोन विहसि कण्टक मध्य कुसुम विकल दर्शन घोषनि-ब्राह्मणमे ओझरल
धरणि विखिन
गंगा-तनु झामर
नहि कल-कल
विज्ञान गणितक कोमल-गल अभाग्य तापिनिक छल
बुद्धक नगर बसत देव स्वर्ग करि-केलि गामक लोक ठाम सोंपलि गाम पाँति दर्शन-अद्वैत गामेमे नव-दर्शनक गीत
अपन दर्शनक लेल जे देलक गामक वनवास तकर बदला देब अहाँकेँ निसास
अपन दर्शनक लेल
दुइ सहस्राब्दिक खेल खेलेलन्हि जे तनिकर गामक स्वरूप कानन बुद्धक नगर बनेलन्हि जे कण्टक कुसुम ततय आओत
सयमे दू
दर्शन लेल
फाजिल पासा फेकब
सहस्त्राब्दीक चौपड़ चारि युग पर
जे अज्ञात तकरो ताकब हम तात परञ्च जे ज्ञात
तकर तँ करए दिअ हिसाब-किताब

भगवानक सृष्टि बिना कोनो सीमा आ बन्धनक ?
तखन कोन आधार पर बनओलन्हि ओ घर
आ जे आधार चुनबाक नहि छल स्वातंत्र्य हुनका
तँ कोन निअम बनेलन्हि एहि ब्रह्माण्डक लेल ?
तखन जे सूर्य चन्द्र आ तरेगणक मृत्युक संगे
ओहि निर्माता भगवानक मृत्यु सेहो होएत ओहि निअमक अन्तर्गत

आ जे सेहो नहि तँ ब्रह्माण्ड निर्माणक लेल भगवानक कोन प्रयोजन
स्वयं निर्मित ई सृष्टि
विश्वदेवाः
आ ओकर भगवानक मस्तिष्क
की सोचनी पैसल अछि ओहि मस्तिष्कमे
नील-पद्म सूर्यसँ भरल ई ब्रह्माण्ड आ ओकर मध्य
ई एकटा साधारण तरेगण हमर सूर्य
ओकर सृष्टिमे हम एकटा क्षुद्र उपग्रहक प्राणी
सोचैत छी जे कए देब नष्ट अस्त्रसँ ई सृष्टि ?


गाय
लाठी मारबामे कोनो देरी नहि बाछी भेला पर शोको थोड़ नहि परन्तु छी पूजनीया अहाँ निबंध लिखैत छी अहाँपर
क्षमा !


श्राद्ध ने मरा जाय
एक मृत्यु फेर दोसर मृत्यु नेनाक पिताक आ काकाक
कक्काक लोकवेद छलन्हि दबंगर से चिन्तित छल छोटका भाए
श्राद्धावधिमे दोसर मृत्यु भेने एक्के श्राद्धसँ होइछ दोसराक श्राद्ध एकक श्राद्ध जायत मराय छल चिंतित दुनू भाय
कमजोरहाक संग पण्डितो देत नहि शास्त्र धरि किछुओ कहय
मामागाम खबरि दियौक पिताक श्राद्ध ने मरा जाय


जाति
ऑफिसमे छल काज बाँझल किरानी पर एकगोट तमसायल कोन जातिक छी अहाँ धैर्य आब नहि बाँचल दशो लोककेँ कैक दिनसँ छी झुट्ठो घुमाओल

छाती ठोकिकय जातिक नाम छल ओ बाजल दसो लोकक दिशि निन्गहारि ताकल ताहिमेसँ एक सजाति उठल बाजल -

घोल-आसमर्द्दक बीच कहलक “नहि बाजू जातिक नाम धय कय ई यादि राखू
काज अछि हमरो बाँझल मुदा जातिक अछि बात ज्योँ अछि कलेजावला जाति ई से काज कतबो लेट हो”



पुत्रप्राप्ति
लुधियानाक मन्दिर पर रहैत छी पूजा पाठ करैत छी करबैत छी
कहैत छी अहाँ ठकि कय हम खाइत छी गाममे तँ एक साँझ भुखले रहैत जाइत छी
दस गोटेकेँ पुत्र प्राप्तिक आशीर्वाद देल पाँचटा केँ फलीभूत भेल
पुत्री जकरा भेलैक से हमरा बिसरि गेल मुदा पुत्रबला कएलक हमर प्रचार मिथिलाबाबाकेँ ठक कहैत छह गामक हमर औ दियादी डाह

गुड-वेरी गुड
भारतीय वाङमय केर व्याख्या एहि तरहेँ भेल ज्योँ किछु नीक भेल तँ नीक आ ज्योँ उलटा तँ सेहो ठीक
प्रारब्धक भेल मेल आ लिखलहाक भेटबाक बात नीक भेल तँ गुड आ
वेरी गुड ज्योँ भेल अधलाह


हर आ बड़द
मोन गेल भोथियायल जोति बड़द सोचिमे पड़लहुँ
एतय-ओतय केर बात हर जोतने भेल साँझ हरायल बड़द ताकी चारू कात
कहबय ककरा ई गप्प सुनि हँसत हमरा पर आइ मोने अछि भोथियायल अप्पन सप्पत कहय छी भाय

गंगा ब्रिज
मोन पड़ैत अछि मजूर सभक मृत्यु चक्करि खाइत खसैत नीचाँ पानिमे पचास टा मृत्युमे सँ दस टाक भेल रिपोर्ट चालीस गोटेक कमपेनसेसन गेल खाय नेता ठीकेदार आ अफसर
एहि खुनीमा ब्रिजक हम इंजीनियर कहैत छी हमरा ईमानदार घूस कोना लेल होएत
देखैत गुनैत ई सभ यौ सरकार


मुँह चोकटल नाम हँसमुख भाइ
मुँह चोकटल नाम छन्हि हँसमुख भाइ बहुत दिनसँ छी आयल करू कोनो उपाय मारि तरहक डॉक्युमेंट देलन्हि देखाय पुनः-प्रात भऽ जायत देल नीक जेकाँ बुझाय शॉर्ट-कट रस्ता सुझाय देलन्हि मुस्काय मुँह चोकटल नाम हँसमुख भाय

सपना
सपना सुन्दर सुन्दर?

नञि नञि छल ओतेक सुन्दर
बच्चामे ई खूब डरओलक तोड़ैत
आँखिसँ छिनैत सुतबाक उत्सुकता
जखन मोन उखड़ैत छल घबड़ाइत

देश कालक सीमा बन्हलहुँ
पुरखाक भ्रमकेँ अपनओने
मुदा प्रथम बीजी-पुरुषक छद्म
नहि छल जाइत मोनक भ्रम

बचहनक मोनक-छाती धक-धक
करैत छल खोज जगक जन्मक
नहि पओने कोनो प्रश्नोत्तर
छोड़ैत ईश्वर पर ई शाश्वत

मुदा ईश्वरक मोन आ शाश्वत स्वरूपक
नहि सोझ भेल ससरफानी पड़ल गिरह
छाती-मोनक करैछ बढ़ल जे धकधकी
सपना सेहो नञि ज्योँ अबैछ निन्न बेशी

संसारकेँ सहबाक ईहो अछि प्रहेलिका
बिनु समस्या समाधानक करैत छी
हँसैत बिहुँसैत बनबैत सर्वोपरि भाग्यराजकेँ
करैत छी सभटा अपने आ ई छी कहैत
कहैत जे हम छी भाग्यराजक कठपुतली

ईश्वरक ई लीला ? अछि मोनक छातीक संग
भौतिक छातीकेँ सेहो जे धकधकी ई बढ़बैत

सपना सुन्दर आकि डरओन नहि कोनो
अछि आब अबैत

चित्रपतङ्ग
उड़ैत ई गुड्डी हमर महत्वाकांक्षा जेकाँ लागल मंझा बूकल शीसाक जेना प्रतियोगीक कागज-कलम
कटल चित्रपतङ्ग देखबैत अछि वास्तविकताक धरा जतयसँ शुरू ओतहि खत्म
मुदा बीच उड़ानक स्मृति उठैत काल स्वर्गक आ खसैत काल ...

बिसरलहुँ फेर कर्णक मृत्युक छोट- छीन रूप
खूब ठेकनेने जाइत जे नहि बिसरब आइ मुदा गप्प पर गप्प चलल कृत्रिमता गेल ढ़हाइत
फेर काजक बेर मोन नहि पड़ल पड़ैत-पड़ैत मोन कर्णक मृत्युक छोट- छीन रूप आ तकरा बाद मसोसि कय
रहि जाइत छी गुम्म

शलातुर गाम
तक्षशिला अछि पाकिस्तानमे इतिहासक उनटबैत पन्ना
चक्र घूमल टूटल हमर देश अराड़ि ठाढ़ कएलक दियाद
युआन च्वांगक विवरण
व्याकरणक आचार्य सभ शलातुर गाममे
काबुल आ सिन्धु धारक मिलन पर स्थित
पाणिनीक जे छल गाम आ मामागाम आजुक लहुर गाम
आब तँ तोड़ि रहल छथि बामियानमे बुद्धक मूर्ति
पाणिनीक वंशज युसुफजाइ पठान
इतिहासक आ दक्ष देशक ई प्रयाण

इतिहासक घुमैतचक्रसँ आएल अछि ई विचार
मुदा सोचैत छी चक्र घूमल टूटल हमर देश अराड़ि ठाढ़ कएलक दियाद जे भने दियाद अछि लग आ कएने अछि अराड़ि ताहि बहन्ने छी हम सजग
करैत रहैत छी तैयारी

१९६२ धरि हिमालयकेँ बुझल बेढ़ जेना १४९८ धरि छल समुद्र द्वार खोलैत छल खैबर दर्रा मात्र
पड़ोसीयो पर आक्रमण होइत छल दूर-दूरसँ अबैत छल अत्याचारी चक्र घूमल टूटल हमर देश अराड़ि ठाढ़ कएलक दियाद भने दियाद अछि कएने अराड़ि जे करैत रहैत छी तैयारी

काल्हि
भोरे उठि ऑफिस जाइत छी आ साँझ घुरि खाय सुतैत छी कतेक रास काज अछि छुटैत अनठाबैत असकताइत मोन मसोसैत
जखन जाइत छी छुट्टीमे गाम आत्ममंथनक भेटैत अछि विराम पबैत छी ढ़ेर रास उपराग तखन बनबैत छी एकटा प्रोग्राम
कागजक पन्ना पर नव राग विलम्बक बादक हृदयक संग्राम चलैत छल बिना तारतम्यक बिना उद्देश्यक-विधेयक कनेक सोचि लेल छुट्टीमे जाय गाम
विलम्बक अछि नहि कोनो स्थान फुर्तिगर साकांक्ष भेलहुँ आइ जे सोचल कएल नित चलल जीवनक सुर भेटल आब जाए

मोन पाड़ैत
मोन अछि नहि पड़ि रहल पाड़ि रहल छी मोन
लिखना करची कलमसँ लिखैत फेर फाउन्टेन पेनक निबमे बान्हि ताग छलहुँ लिखाइकेँ मोट करैत
मास्टर साहब भऽ जाइथ कनफ्यूज

केलहुँ अपने अपकार ठाढ़े-ठाढ़ अक्षर अखनो हमर नहि सुगढ़

फेर मोन पाड़ैत छी दिनमे बौआइत रही कलममे बाँझी तकैत दोसर ठाढ़ि तोड़ने पड़ैत छल बुरबक होयबाक संज्ञा ईहो छी नहि बुझैत मोजर होइत तँ खैतहुँ आम अगिला साल
बाँझीमे नहि कोनो आस घूरमे होइछ मात्र काज
फेर छी पाड़ैत अंडीक बीया बीछब पेराय अनैत छलहुँ तेल बनबाय ओहिमे छानल तिलकोड़क स्वाद राजधानीक शेफकेँ करैछ मात
तेलक कमीसँ भभकैत कबइक स्वाद की नीक बनल ! केर मिथ्यावाद महिनामे आध किलो करू तेलक खर्च भऽ जाइत एक किलो माश्चर्ज
कंजूसी नहि ...
मोन पाड़ैत छी धानक खेत
झिल्ली कचौड़ी लोढ़ैत काटल धानक झट्ठा ओहि बीछल शीसक पाइसँ कीनल लालछड़ी ‘जकरे नाम लाल छड़ी’ आ सतघरियाक खेल

आमक जाबी
बंशीसँ मारैत माछ खुरचनसँ सोहैत आम काँच चूनक संग काँच आमक मीठ स्वाद बड़का दलान
दाउन बाढ़िक पानि सँ डूबल शीस
होइत खखड़ी
धानमे मिला देला पर पकड़ैत छल कुञ्जड़नी

भैरव स्थानक काँच बैरक स्वाद बिदेसरक रवि दिनक बूझल ? फूल-लोटकीसँ बिदेसर पूजल चूड़ा लय जाइत रही गामसँ दही-जिलेबी कीनि घुरैत भोजन कय
जमबोनीक बनसुपारीक पुरनाहाक धातरीमक गाछ साहर दातमनिक सोझ नीक छड़ जे अनैछ
छी बुधियारी तकर

तित्ती खेलाइत बाल गुल्ली डंटा गोलीक खेल अखराहाक झमेल हुक्का लोलीक बाँसक कनसुपती फेर कपड़ाक गेनी मटिया तेलमे डुबाय
छलहुँ रहल जराय
छठिक भोरमे फटक्का फोड़ल जूड़िशीतलक धुरखेल खेलएल

आयल बाढ़ि दुर्भिक्ष छोड़ल गाम यौ मित्र मोन नहि पड़ैछ
छी पाड़ैत बैसि बैसि बैसि

पथक पथ
स्मृतिक बन्धनमे
तरेगणक पाछाँसँ
अन्हार गह्वरक सोझाँमे
पथ विकट आशासँ !

पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब

विश्वक प्रहेलिकाक
तोड़ भेटि जायत ज्योँ
इतिहासक निर्माणक
कूट शब्द ताकब ठाँ

पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब

विश्वक मंथनमे
होएत किछु बहार आब
समुद्रक मंथनमे
अनर्गल छल वस्तु-जात

पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब

मिथिलाक ध्वज गीत
मिथिलाक ध्वज फहरायत जगतमे
माँ रूषलि भूषलि दूषलि देखल हम
अकुलाइत छी भँसियाइत अछि मन

छी विद्याक उद्योगक कर्मभूमि सँ
पछाड़ि आयत सन्तति अहाँक पुनि
बुद्धि चातुर्यक आ शौर्यक करसँ
विजयक प्रति करू अहँ शंका जुनि

मैथिली छथि अल्पप्राण भेल ज्योँ
सन्ध्यक्षर बाजि करब हम न्योरा
वर्ण स्फोटक बनत स्पर्शसँ हमर
ध्वज खसत नहि हे मातु मिथिला

बड़का सड़क छह लेन बला
माए !
माए धानक खेत लग
जे बड़का सड़क बनल अछि
छह लेनक
तीन टा आबएबला आ तीनटा जाइबला

ओतए आइ
कतेक नीक लाल रंगक कार
सीसा खुजल नहि रहए जकर
रहए बन्न
देखलहुँ आइ
जखन बेचैत रही हम चिड़ै



एकटा बच्चा जिदिया गेल
खोलबेलक कारक शीसा आ
कीनि लेलक हमर सभटा चिड़ै
पानि रहए ओहि बच्चाक मूहपर
सीसा खुजिते बहार भेल ठंढ़ा हबा
कार ए.सी. बलासँ
कार जे रहए लाल रंगक

माए !
माए ई जे धानक खेत लग
जे बड़का सड़क बनल अछि
छह लेनक रंग-बिरंगक गाड़ी सभक लेल
तीनटा आबएबला आ तीनटा जाइबला ओतहि
माए !
ई तँ अपने गामक सड़क भेल ने
मुदा अपन गामक तँ सभ गोटे गेलाह
जाइ गेलाह कमएबाक लेल दिल्ली आ पैंजाब

गाममे माटिक घर
फूस आ खपड़ाक चार
मुदा धानक खेत लग
जे बड़का सड़क बनल अछि
पक्काक
चिक्कन आ घरोसँ बेशी सुन्नर ई सड़क
ओतहि देखलहुँ ई आइ

माए !
सुनै छिऐ बनल अछि कोनो
वर्ल्ड बैंकक फंडसँ
पकिया चिक्कन-चुनमुन ई सड़क
छह टा लेनबला
सीसा सन अछि ई चमकैत !

माए !
जे परुकाँ साल काकाक
घर जे काकाक बनल रहए पक्काक
गिलेबा बला
जे कनिये दिनमे खसि गेल रहए
ओहो कोनो सरकारी फन्डसँ बनल रहए !

कहाँ छल चमकैत ओ शीसा सन
ओहिमे रहितो लोक छल डराइत
भने खसि पड़ल

मुदा होएत ओ कोनो नकली फन्डसँ बनल
आइ तँ ओहि कारक शान देखलहुँ
वर्ल्ड बैंकक फन्डसँ बनल
अप्पन गामक एहि छह लेनबला सड़कपर !

माए !
ई वर्ल्ड बैंक बला फन्ड कोनो नीक फन्ड अछि !
एहि निकहा फन्डसँ घर नहि बनैत छैक की ?
खेनाइ भोजन आ रोजगार जे दैतैक ई निकहा फन्ड तँ
तँ किएक लोक पड़ाइत दिल्ली आ पैंजाब

किएक सुनितए राज ठाकरेक गारि
किएक जाइत गए खुनाहनि होइ लेल असाम
सुनै छिऐक पढ़ै जाइ छै बिहारी कहि गारि

माए !
एहि वर्ल्ड बैंक बला निकहा फन्डसँ
जे बनि जइतैक अपन गामक घर आँगन
तँ ओ थोड़बेक रहितैक गिलेबा बला पक्काक कोठा सन !
ओ तँ रहितैक ओहने सुन्नर सीसा सन चिक्कन आ ठोस
छह लेनक धानक खेतक कात बला एहि सड़क सन

आ जे रोजगारो ओहि फन्ड सँ भेटितैक
तँ लोको सभ रहितैक घरमे
गामक घर सभ एखन जेकाँ भकोभन्न थोड़बे रहितैक
चुहचुही रहितैक अपनो गाममे

आ तखन जे देखबा जोग रहितैक शान अपन गामक !
आ देखबा जोग रहितैक शान एहि छह लेन बला सड़कक सेहो !
हमरो सभक अंगपर रहितए जे वस्त्र
ओहने वस्त्र
जेहन ओहि लाल कारमे बैसल बच्चाक रहए !

माए!
हमरा तँ लगैत रहैए जे
अपन गामक ई सड़क
ओहि लाल परदेशीक ओहि लाल कारसँ बेशी अछि लग
दुनू टा लगैए बिदेशी सन

लागल आइ जे
जे ओहि लाल कारक हबा सेहो अपन हबा नहि
लागल जेना ओ हबा आ ओ कार हमरासँ छुता गेल होअए
छुता गेल होअए हमर स्पर्शसँ

अपन गाम अछि मयूर
आ ओ छह लेन बला सड़क अछि एकर पाँखि
आ हम सभ छी पएर ओहि मयूरक
ई सड़क अप्पन गामक रहितो लागैए फॉरेनर

माए !
सभ दिन बकड़ी चरबैत
देखैत रहैत छी हम शान अप्पन गामक ओहि सड़कक
जे अछि छह लेन बला !


पता नहि घुरि कए जाएब आकि
“पता नहि घुरि कए जाएब
आकि एतहि मरि-खपि
बिलायब

घर आँगन बहारि
गाममे
आबी दुआरि
दए दूभि गाएकेँ
मालक घरमे घूर लगाय

फेर पैंजाबमे
चाहक स्वाद कतेक नीक
दिन भरि खटनीक बादो
नहि थाकए छलहुँ मीत
आब सुनैत छियैक जे चाहमे हफीम रहैत छल मिलाओल”

तखने ओहि बच्चाक सोझाँ
घोरनक छत्ता खसल
मोन पड़लए गाम

घुरि चलू देश बजाओल
मिथिलाक माटिक वास
आमक आएल अछि मास

गाछक पात खसि रहल
लजबिज्जी सभ पसरल होएत
गाछक जड़िक चारूकात


नहिए गाछक जड़ि बनेलहुँ
नहिए पोखरिक घाट
एक पेरियोपर जनमल होएत
अक्खज दूभि आ काँट

तरेगणक तँ दर्शनो नहि होइए
प्रदूषण किदनि एतए
रोकलक चन्दमामाकेँ
थारीयोमे आबएसँ

हमरा ई सभ किदन बिहारी कहैए
क्यो लए चलू देश घुरा कए
मोन नहि एतए लगैए

माएक बरतन टिनही जहिया किनाएल
कतेक हँसल रही प्रसन्न भए सभ भाए
बेरा-बेरी खाइत ओहि थारीमे

एहि दिल्ली नगरियामे
स्टीलक बरतन बासन
मुदा स्वाद ओहि टिनही थारीक
जे स्वादि-स्वादि खयने रही
पता नहि घुरि कए जाएब
आकि एतहि मरि-खपि
बिलायब


बकड़ीक भेराड़ी
खरड़इत सुखाएल पात
पोखरिक महारपर
बबूरक काँट
उज्जर सपेत बिखाह

मुदा एहि दिल्ली नगरियाक
उज्जर सपेत लोकसँ बेशी बिखाह नहि
जतेक बिखाह बोल
ओहूसँ बेशी मारूख घृणायुक्त दृष्टि

बिहारी ! बिहारी ! स्वरक बीच !
बेचैत छी ककबा पापड़ मसाजर

जाड़क राति
ठिठुरैत ई गाछ
बसात सेहो ओहने चण्डाल

सोझाँमे एकटा गाछमे अछि छह मारल
निकलैत अछि ओकरासँ खून
उज्जर-ललौन
मुदा फेर बनैए थलथल ठोस लस्सा

जाड़मे सुखाएल सन
गरमीमे झरकल सन
ई गाछ-पात
सिखबैए रहनाइ असगर आ एकेठाम
बिनु भेने अकच्छ
सालक साल

ददिया जे दैत रहए अर्घ्य दिवाकरकेँ
पाछूमे खसबैत रहथि पानि तड़ाक
बौआ माने हम
पएर पटकि कूदए छलहुँ छपाक छपाक

पता नहि घुरि कए जाएब
आकि एतहि मरि-खपि
बिलायब

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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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