इन्फॉरमेशन सोसाइटी एवं सार्वभौम मानवाधिकार घोषणा :अन्तस्सम्बन्ध
इन्फॉरमेशन सोसाइटी किंवा सूचना-आधारित-समाज एकटा ओहेन समाज अछि जाहिमे सूचनाक निर्माण, वितरण, प्रसार, उपयोग, एकीकरण आ संशोधन, एकटा महत्त्वपूर्ण आर्थिक, राजनीतिक आ सांस्कृतिक क्रिया होइत अछि। आ एहि समाजक भाग होएबामे समर्थ लोक अंकीय वा डिजिटल नागरिक कहल जाइत छथि। एहि उत्तर औद्योगिक समाजमे सूचना-प्रौद्योगिकी उत्पादन, अर्थव्यवस्था आ समाजकेँ निर्धारित करैत अछि। उत्तर-आधुनिक समाज, उत्तर औद्योगिक समाज आदि संकल्पना सँ ई निकट अछि। अर्थशास्त्री फ्रिट्ज मैचलप एकर संकल्पना देने छलाह। हुनकर ज्ञान-उद्योगक धारणा शिक्षा, शोध आ विकास, मीडिआ, सूचना प्रौद्योगिकी आ सूचना सेवाक पाँचटा अंगपर आधारित छल। प्रौद्योगिकी आ सूचनाक समाजपर भेल प्रभाव एतए दर्शित होइत अछि।
अनुच्छेद 18
प्रत्येक व्यक्तिकेँ विचार, विवेक आ धर्म रखबाक अधिकार छैक। एहि अधिकारमे समाविष्ट अछि धर्म आ
विश्वासक परिर्वतनक स्वतन्त्रता, एकसर वा दोसराक संग मिलि प्रकटतः वा एकान्तमे शिक्षण, अभ्यास,
प्रार्थना आ अनुष्ठानक स्वतन्त्रता।
अनुच्छेद 19
प्रत्येक व्यक्तिकेँ अभिमत एवं अभिव्यक्तिक स्वतन्त्रताक अधिकार छैक, जाहिमे समाविष्ट अछि बिना
हस्तक्षेपक अभिमत धारण करब, जाहि कोनहु क्षेत्रसँ कोनहु माध्यमेँ सूचना आ विचारक याचना, आदान
प्रदान करब।
अनुच्छेद 27
1. प्रत्येक व्यक्तिकेँ समाजक सांस्कृतिक जीवनमे अबाध रूपेँ भाग लेबाक, कलाक आनन्द लेबाक
तथा वैज्ञानिक विकासमे आतकर लाभमे अंश पएबाक अधिकार छैक।
2. प्रत्येक व्यक्तिकेँ अपन सृजित कोनहु वैज्ञानिक, साहित्यिक अथवा कलात्मक कृतिसँ उत्पन्न,
भावनात्मक वा भौतिक हितक रक्षाक अधिकार छैक।
अनुच्छेद 12
केओ व्यक्ति कोनो आन व्यक्तिक एकान्तता, परिवार, निवास वा संलाप (पत्राचारादि) मे स्वेच्छया हस्तक्षेप
नहि करत आने ओकर प्रतिष्ठा आख्याति पर प्रहार करत। प्रत्येक व्यक्तिकेँ एहन हस्तक्षेप वा
प्रहारसँ कानूनी रक्षा पएबाक अधिकार छैक।
सूचना समाजपर पहिल संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन दिसम्बर २००३ मे भेल जाहिमे मानवाधिकार आ सूचना प्रौद्योगिकीक बीचमे सम्बन्धकेँ मान्यता देल गेल छल।
अंकीय वा डिजिटल विभाजन एकटा ज्ञानक विभाजन, सामाजिक विभाजन आ आर्थिक विभाजन देखबैत अछि आ बिना भेदभावक एकटा सूचना समाजक निर्माण आवश्यकता देखाबैत अछि जाहिसँ सूचना प्रौद्योगिकीपर विकासशील देशमे सार्वभौम अधिकार रहए।
मानवाधिकार आ सूचना प्रौद्योगिकीक मध्य व्यक्तिक एकान्तक अधिकार सेहो साम्मिलित अछि। विद्वान, मानवाधिकार कार्यकर्ता आ आन सभ व्यक्तिक अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता, सूचनाक अधिकार, एकान्त, भेदभाव, स्त्री-समानता, प्रज्ञात्मक संपत्ति, राजनीतिक भागीदारी आ संगठनक मेलक संदर्भमे सूचना आ जनसंचार प्रौद्योगिकीक सन्दर्भमे एहि गपपर चरचा शुरू भेल अछि जे सूचना समाज मानवाधिकारकेँ बल देत आकि ओकरा हानि पहुँचाओत।
ऑनलाइन पत्राचारक गोपनीयताक अधिकार, अन्तर्जालक सामग्रीक सांस्कृतिक आ भाषायी विविधता आ मीडिया शिक्षा। सूचना समाजक तकनीकी अओजार ओकर अधिकार आ स्वतंत्रतासँ लाभान्वित होइत अछि आ समाजक समग्र विकास, अधिकार आ स्वतंत्रताक सार्वभौमता, अधिकारक आपसी मतभिन्नता, स्वतंत्रता आ मूल्य निरूपणमे सहभागी होइत अछि।
एहिसँ सूचना, ज्ञान आ संस्कृतिमे सरल पइठक वातावरण बनैत अछि आ ई उपयोगकर्ताकेँ वैश्विक सूचना समाजक अभिनेताक रूपमे परिणत करैत अछि। कारण ई उपयोगकर्ताकेँ पहिनेसँ बेशी अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता आ नव सामग्री आ नव सामाजिक न्तर्जाल-तंत्र निर्माण करबाक सामर्थ्य दैत अछि। एहिसँ एकटा नव विधि, आर्थिक आ सामाजिक मॉडेलक आवश्यकता सेहो अनूभूत कएल जा रहल अछि जाहि मे साझी कर्तव्य, ज्ञान आ समझ आधार बनत। बच्चाक हित एकटा आर चिन्ता अछि जे पैघक हितसँ सर्वदा ऊपर रखबाक चाही। आधुनिक समाजक आर्थिक, सामाजिक आ सांस्कृतिक धनक एकत्र करबाक प्रवृत्ति सूचना समाजमे बढ़ल अछि आ प्रौद्योगिकी एकटा आधारभूत बेरोजगारी अनलक अछि। गरीबी, मजदूरक अधिकार आ कल्याणकारी राज्यक संकल्पना लाभ-हानिक आगाँ कतहु पाछाँ छूटल जा रहल अछि। आब मात्र किछुए अभिनेता चाही, प्रकाशक लोकनि सेहो मात्र किछु बेशी बिकएबला पोथीक लेखकक प्रचार करैत छथि। यैह स्थिति रंगमंच, पेंटिंग , सिनेमा आ आन-आन क्षेत्रमे सेहो दृष्टिगोचर भऽ रहल अछि। मुदा सूचना सर्वदा लाभकारी नहि होइत अछि। ई मात्र कला, ग्रंथ धरि सीमित नहि अछि वरन सट्टा बाजार आ प्रायोजित सर्वेक्षण रपट सेहो एहिमे सम्मिलित अछि। समय आ स्थानक बीचक दूरीकेँ ई कम करैत अछि आ दुनूक बीचमे एकटा सन्तुलन बनबैत अछि। मानवक गरिमा मानवक जन्म आधारित सामाजिक स्थानसँ हटि कऽ मानवक गरिमाक अधिकारपर बल दैत अछि। मुक्ति आ स्त्री-मुक्ति आन्दोलन एहि दिशाक प्रयास अछि। दुनू विश्वयुद्ध आ फासिज्मक चुनौतीक बाद १० दिसम्बर १९४८ केँ संयुक्त राष्ट्रसंघक महासभा द्वारा मानवाधिकारक सार्वभौम घोषणाक उद्घोषणा कएल गेल आ एकरा अंगीकार कएल गेल। ई घोषणा राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आ धार्मिक भेदभावरहित एकटा सामान्य मानदण्ड प्रस्तुत करैत अछि जे सभ जन-समाज आ सभ राष्ट्र लेल अछि। सूचनाक स्वतंत्र उपयोग सीमित अछि, लोकक एकान्त खतम भऽ रहल अछि। बिल गेट्ससँ जखन हुनकर भारत यात्राक क्रममे पूछल गेल छलन्हि जे माइक्रोसॉफ्टक एक्स-बॉक्स भारतमे पाइरेसीक डरसँ देरीसँ उतारल गेल तँ ओ कहने रहथि जे माइक्रोसॉफ्ट कहियो कोनो उत्पाद पाइरेसीक डरसँ देरीसँ नहि आनलक। स्पैम आ पाइरेसीक डर खतम होएबाक चाही।
सूचना समाज वैह समाज छी जकर बीचमे हम सभ रहि रहल छी। लोकतंत्र आ मानवाधिकारक सम्मान सूचना-समाज आ उत्तर सूचना-समाजमे होइत रहत। अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता, एकान्तक अधिकार, सूचना साझी करबाक अधिकार आ सूचना धरि पहुँचक अधिकार जे सूचनाक संचारसँ सम्बन्धित अछि, ई सभ राज्य द्वारा आ सूचना-समाजक बाजारवादी झुकावक कारण खतराक अनुभूतिसँ त्रस्त अछि।
अन्तर्जाल लोकक मीडिआ अछि आ एकटा एहन प्रणाली अछि जे लोकक बीच सम्वाद स्थापित करैत अछि। एहिसँ संचार-माध्यमक मठाधीश लोकनिक गढ़ टुटैत अछि। अन्तर्जालमे कोनो सम्पादक सामान्य रूपसँ नहि होइत छथि। एतए लोक विषयक आ सामग्रीक निर्माण कए स्वयं ओकर संचार करैत छथि। एहिसँ कतेक रास सामाजिक सम्वादक प्रारम्भ होइत अछि। मुदा कतेक रास समाज-विरोधी सामग्री सेहो अबैत अछि। तँ की ओहिपर प्रतिबन्ध होएबाक चाही। मुदा जे सॉफ्टवेयरक माध्यमसँ मशीनकेँ सामग्रीपर प्रतिबन्ध लगेबाक अधिकार देब तखन ई अभिव्यक्तिक स्वतंत्रतापर पैघ आघात होएत।
बौद्धिक सम्पदाक अधिकार लेखककेँ मृत्युक ६० बरख बादो प्रकाशन आ वितरणक अधिकार दैत अछि। अन्तर्जालमे सेहो पाइरेसीकेँ प्रतिबन्धित करए पड़त आ कमसँ कम लेखकक मृत्युक २० बरख बाद धरि लेखकक अधिकार ओकर सामग्रीपर रहए, से व्यवस्था करए पड़त। मुदा पेटेन्टक बेशी प्रयोग विकाशसील देशक सूचना अभिगमनमे बाधक होएत आ प्रौद्योगिकीक विकासमे सेहो बाधा पहुँचाओत। कॉपीराइटसँ सांस्कृतिक विकास मुदा होएत, जेना संगीत, फिल्म, आ चित्र-शृंखला(कॉमिक्स)क विकास। डिजिटल वातावरणमे प्रतिकृतिक बिना अहाँ अन्तर्जालपर सेहो सामग्री नहि देखि सकब, से ऑफ-लाइन कॉपीराइट आ ऑनलाइन कॉपीराइट दुनू मे थोड़बेक अन्तर अछि। ऑनलाइन कॉपीराइट प्रतिकृतिकेँ सेहो प्रतिबन्धित करैत अछि। आ प्रतिकृति कएल सामग्रीकेँ दोसर वस्तुमे जोड़ब वा संशोधित करब सेहो बड्ड सरल अछि। से नाम आ चित्र बिना ओकर निर्माताक अनुमतिक नहि प्रयोग होअए, दोसराक व्यक्तिगत वार्तालाप-चैटिंग-मे हस्तक्षेप नहि होअए आ दोसराक विरुद्ध कोनो एहन बयानबाजी नहि होअए जाहिसँ कोनो व्यक्तिक विरुद्ध गलत धारणा बनए।तहिना नौकरी-प्रदाता द्वारा कोनो प्रकारक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपन कर्मचारीक नियन्त्रण लेल लगबैत अछि तँ से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संघक दिशा-निर्देशक अनुरूप होएबाक चाही। ई-पत्रमे अनपेक्षित सन्देश आ चिकित्सकीय रिपोर्टक अनपेक्षित संग्रह आ उपयोग सेहो मानवाधिकारक हनन अछि।
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