
बेकार नै जिनगी बैतित करू ,
नै समय भेटल अछि गमबैय क
जग में आयल छि अहाँ ,
और सब के कम बनाबैय क
कथनी बरनी से लाभ नै ,
करनी में ध्यान लगा राखू
करनी में शुख आनन्द भेटत ,
कथनी छि मन बहलाबई क
हुनकर जिनगी अछि बातक ,
छैथ जन्मल बात बनाबैय क
पोथी - पत्तरा के ग्ज्ञानी छैथि ,
फुशिये सम्मान क अभिमानी छैथि
नै अनुभव छैन रहन - सहन क ,
भरम में ओ अभिमान सं
जग क ओ मिथ्या कहिते ,
लिकिन जग में आश लगाबैत छैथि
अपन गप्प के शिध्य करै लेल ,
पाबैत नहीं छैथ ठोर- ठिकाना
कथनी से तेज करू करनी क ,
करनी सं बनाबू रहनी क
करनी से चैन मिले रहनी क ,
करनी छी जिनगी सवारै क
आस लगाबी करनी में ,
करनी छी भाव बढा बाई क
अमूल्य बातक ई ध्यान राखी ,
भेटत नहीं ई राज शिखाबई क
राजा रंक फकीरा चाहे ,
अपन जिनगी सफल बनाबाई क
The end
मदन कुमार ठाकुर
पट्टी टोल, कोठिया , भैरव स्थान , झांझर पुर ,मधुबनी , बिहार , ८४७४०४
ई मेल - madanjagdamba@yahoo.com
nik lagal madan ji
ReplyDeletenik madan ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना. नीक लागल
ReplyDeletebahut shundar amuly bat batelo
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