भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Sunday, February 07, 2010

19

कपड़बिन्नी कपड़बिन्नी कपड़ा+ बिन्नीन
धुरकिल्लीी धारा+ किल्लीम
टाल बटाम टाल+ बटाम
दुकस्सीम दू+ कस्सीी
धुरकिल्ली धूरा+ किल्लीम
पेटलरदी पेट+लरदी
बन्हरनचचच्छा बन्हरन + चच्छा
इच्चाद,
गैना,
गोइठी
घन्नी ,
टहुका,
भौकी,
मौनी,
लूही,
हड़ी,
कडच्छुी,
कोसिया,
कोइला,
खडक्कीी
खिड़की
खल्लाी
खलड़ा
घग्घार
घघरा
घट्टो
घाट
चट्टू
चटुआ
अग्घा ण
अघायल
उड्डसो
खरहिओ
खऽढ़
कर्म्मालर,
पुष्पम,
कम्बपल,
ति‍ल,
विल्लीा
अंकुश,
पातिल,
शकर,
शाखा,
हारा
तकता-पटरा
ओस्ताीद-महादेव,
ओस्ताीद-महादेव
सोबर्ना-बधना,
कटोरा-पेआलासा,
थारी-पश्तपरी,
छिपली-रिकबी
औजार,
गुमुज,
शराब,
सिक्को,
सुराही,
सुदूक,
हुक्कार
कुर्त्ता,
कैंची,
जाजिम,
तकिया,
तोशका,
बुलकी
आदि तुर्की ओ कबा,
खासदान,
गुलमेख,
गुलाबपास,
तकथा,
दारू,
दुरुक्खा,,
देग,
बर्फी,
मसाला,
मैदा,
रुमाल,
लिबास,
सिपहा,
हलुआ,
आलपिन,
आलमारी,
इस्पाीत,
कत्ता,
कनस्तीर,
कोच,
किरीच,
जङला,
तौनी,
तौलिया,
परात,
परेग,
पीपा,
पतलून,
फीता,
फार्मा,
फर्मा,
बाल्टीू,
बुइयाम,
बुताम,
बोतल,
मुस्तूूल,
मर्तौल,
मार्का,
लबादा,
साया,
अपर,
अलमुनिञा,
आयरन,
ऐरिंग,
कल्टीि,
क्लिप,
गिलास,
गिरमिट,
चेन,
जैन,
टप,
टेप,
टेबुल,
ट्रंक,
ड्राम,
नट,
पलेना,
पाइनर,
पालिस,
पोटिंग,
फाइल,
बाबिन,
बुरुश,
बेंच,
बैस,
रिपीट,
रोला,
लुप्पीञ,
शेटल,
स्टापम,
सलाइरिंज,
सुलेशन,
सिल्भनर,
सीट,
हामरा,
हुक,
हैंडिल
बाँस,
माटि,
पानि
राजाशाही,
बालूशही,
बरहीखाना,
सौराबचबा,
पासीखाना,
ताड़ीखना
अगिनबोट,
मोडुआ टेबुल
नीमगोल
परेसपट्टी
हुकहसकल,
लमचुसिया,
लमनचुसिया,
तिजकरनी,
रिंगकटनी,
शूतल्लाी
फ्रीतमथी,
रूलदार
दराजीटेबुल
बासुल
बसुला
बसुला
लाडु
लडू
लडुब्बाब
काँटी कील
काँटी मत्य्बाबविशेष
गगरा धातुपात्र विशेष
गगरा मत्य्ात्विशेष
दोआली दू आङूर फानवला जाल,
दोआली बरहीक औजार विशेष।
पाटा (क) राजक औजार विशेष
पाटा (ख) हलुआइक पूड़ी बेलबाक पीढ़ी
फूल (क) पुष्पक
फूल (ख) धातु-विशेष
बर्फी (क) मिष्टा न्न विशेष
बर्फी (ख) तगाइक प्रभेद
लादी (क) माँटिक गँहीर बासन विशेष
लादी (ख) गदहापर लादल कपड़ाक मोटा
अड़ानी (क) ढेका चलबयकाल आसक हेतु दूटा खुअट्टापर अवलम्बित दण्डट जकरा पकडि़ चलौनिहार स्थिर रहैछ
अड़ानी (ख) कोरोकेँ पाढि़ दिस ससरबासँ रोकाबाक हेतु दूनूक बीच ठोकल काष्ठुखंड
अड़ानी (ग) केबाड़क लतमाराक कोनमे ठोकल लकड़ी जे केबाड़केँ स्व त: बन्द होयबासँ रोकैछ।
कुच्चाँ (क) रन्दात आदि द्वारा काठक छीलल अंश
कुच्चा (ख) आम निर्मित तीमन विशेष
कुच्चाि (ग) लोहाक टुकड़ीकेँ काटि देला उत्तर बचल अकार्यक खंड
मुहला (क) भाथीक तीनू तकथाको तकथाकेँ सम्बकद्ध करऽवला घनाकार वस्तुब
मुहल (ख) डिबियाक मुन्ना
मुहल (ग) आबाक मुखभाग
खुट्टी (क) खड़ामक अवयवविशेष
खुट्टी (ख) छोट खुट्टा
खुट्टी (ग) जनउ खेहबाक उपकरण विशेष
खुट्टी (घ) कपड़ा टँगबाक उपादान विशेष ।
नाम-नमाका
ठाढ़-ठढ़का
चाकर-चकरका
थार-थारी,
आरा-आरी,
बोआर-बोआरी,
कठौता-कठौती
नट-ढिबरी,
रन्दान-पलेन,
कुम्हनर-भतुआ,
घाठि-बेसन,
आबा-चोङ्गा
बण्डीन-सदरी
जेना-कुन्नी -भुस्सीि,
छेंट-कुटका,
पटरी-तकथी,
साया-तहबन,
एकवर्णा-सुकार,
फटौन-छेना,
पाङब-छकड़ब
मुङरा-पिटना
चितरन (तासक रंगक आकृति विशेष)
लौंग (लौंगक फूलक आकृतिक गहना विशेष)
बँसपतिया (बाँसक पातक आकृतिक माछविशेष),
कर्पूरिया (कर्पूरक सुगंधसँ युक्तर पान विशेष)
मुट्ठी (मुट्ठीसँ आबद्ध करबाक समाठक मध्यकवर्ती भाग )
डँड़कस (खिड़कीक मध्यतवर्ती काष्ठिदंउ)
पात (पात सन पातर ओ चाकर बाँसक वस्तुओ विशेष)
दाँत (आरीक दाँत, पटहाक खिरहिरी)
पथरौटी (पाथर सदृश कठोर माटि)
गिलासी (गिलासक आकृतिक नक्कािसी)
गउमुखी (गाइक मुखाकृतिक वस्त्रइ विशेष)
लहसुनिञा (लहसुनक पोरक आकृतिक गहना विशेष ।
सौतिनिञा (सौतिनक आकृतिसँ युक्तौ गहना विशेष)।
पोखरिया (पोखरिक आकृतिक तगाइ विशेष),
चाउर (चाउरक आकृतिक धोबीक चेन्हाृसी विशेष)
मखानी (मखन सदृश फूटल अन्नम)
मसुआयब (मासं जकाँ चिम्मवर होयब)
लालजामुन (लाल रंगसँ युक्तव जामुनक आकृतिक मिष्टा त्र विशेष)
बैसक्खाआ (बैशाख मासमे चुअऽवला ताड़ी, बैशाख मासमे प्राप्तऽ मधु)
टेटिया,
रूनुझुनु,
झमकायब,
कलकल,
छलछल,
गछउठौनी,
कठअथरी,
रोटपक्काछ
बनउआ बनौआ ।
पनिझाओ पनिझाव ।
बहियाँ बहिञा
चान्द खोल
भुजबन्न।
अ अमच्छ्
अ अगम,
अ अथाह,
अ अदरस,
अ अदरस,
अ अकाठ,
अ असार,
अ अकामिल
कु कुबान्ह।,
कु कुडओल,
कु कुकाठ,
कु कुघट
खर खराबुसुली
खर खरचून
खर खरबत्ती
नीम नीमस्ती न
नीम नीलगोल
ब बजाल
भत भतलोह
भत मिलाउ-भतरोइयाँ, भतोल।
सु सुडओल,
सु सुबान्ह , सुरेब ।
करछु + ल्ली, करछुल्ली+
करछु + उल्ली करछुल्ली
करछु+ ल-करछुल + ली- करछुल्ली-
करछुल + ई करछुल्ली-
अङूगर लोहसॅं लोहङ्गर
अठ अठा
अठ अठ्ठा
अठ एठा
अठ एठा-चाउरसँ
अठ चौरठा-चौरठ्ठा
अठ चौरठ्ठा-चौरेठा
अठ तुलनीय-मुरेठा
अन्नीय गोड़हासँ गोड़हन्नीर
आली दूसँ दोआली
आय तेलसँ तेलाय
आंय गोड़सँ गोड़ांय
उनी नाथसँ नथुनी
एठ अरबा
एमा मूड़ीसँ
एना मूड़ीसँ
एमा मुरेमा
एना मुरेमा
एमा मुरेना
एना मुरेना
ऐला खोङ्हैला
ओठा-औठा भैंससँ भैंसोठा
ओठा-औठा भैंसौठा
ओल सातसँ सतोल
ओली खञ्चा
अंडी जोलहासूं जोलहंडी
कानी बच्चाससँ बचकानी ।
कुचाह बालुसँ बलुकुचाह
कुचाहि बालुसँ बलुकुचाह
कुचाह बलुकुचाहि
कुचाहि बलुकुचाहि
कुन ताड़सँ तड़कुन
कुन ताड़कुन
कूह काँचसँ कचकूह
कुआह काँचसँ कचकूह
कूह कचकुआह,कचकूह + आह-कचकुहाह,
कुआह कचकुआह,कचकूह + आह-कचकुहाह
ङा लोहसँ लोहङा
चट भुन्नाल
चट्टा भुन्नाल
चट्टी भुन्नाल
चट भुनचट
चट्टा भुनचट
चट्टी भुनचट
कक चट भुनचट्टा
चट्टा भुनचट्टा
चट्टी भुनचट्टा
चट भुइंचट्टी
चट्टा भुइंचट्टी
चट्टी भुइंचट्टी
चन्नाट भाकर
चन्नाट भकुरचन्नाङ
चन्नीन गरइ
चन्नीन गरचुन्नी‍
छन-छाह मैलसँ मेलछन,
छर नोनसँ नोरछर
छराइन नोनछराइन
छराह नोनछराह
छराही नोनछराही।
झाओ पानिसँ पनिझाओ
हुर पीर
हुर पिरहर
हुल सोनसँ सोनहुल
हुला सोनहुला ।
हुली सोनहुला
हुली सुनहला,
हुली रूपहला।
अइ श्री गोविन्द झा एहि प्रत्योसँ मात्र दुइयेटा शब्द् चतुरइ आ अङनइक निष्पदत्ति कहने छथि
अओन संख्याथवाची शब्दतसँ डेढ़ओन
आउनी संख्या वाची शब्दतसँ एकाउनी
आउनी दोआउनी,
आउनी तेआउनी,
आउनी पचाउनी
आँठ विद्योतनमे एहि प्रत्यतसँ मधुरांठ शब्द्क निष्पात्ति देखाओल गेल अछि
ओनहा संख्या वाची विशेषणसँ दसोनहा
ओनहा सतोनहा
ओनहा अठोनहा
औनी पोखरिसँ पोखरौनी
औनी पौचीनी
औनी चौनी
औला सोनसँ सोनौला
औली रूपसँ रूपौला
कम मूल कम,
कम व्य वसायवाची शब्द्क निष्पमत्तिमे जेना कठकम, लहकम, बसकम, मटिकम
खा डा. सुभद्रझा करखा शब्दप मात्रमे एहि प्रतययक योजना कहने छथि।
खा मुदा करिखाक निष्पकत्तिक हेतु कारी + ख-कारिख+ आ-करिखा।
खी डा. सुभद्रझा-खी प्रत्य यपर स्व्तंत्र विचार नहि कयने छथि मुदा गनतीक हेतु व्य वहृत शब्दतक क्रममे एकर उल्लेयख कयने छथिक।
न्ही संख्याथवाची विशेषण दूसँ दोन्हीउ
ला कोहासँ कोहला
सारि कमारसँ कमरसारि
सारी कमारसँ कमरसारि
साही साधुसँ साधुसाही
संकर हाथसँ हथसंकर
ही काठसँ कठही
अइल फेकसँ फेकैल
अठान अठाउन-अठाउनि-अठाउनी
अठान कमायबसँ कमठान
अठान कमठाउनि
अठान कमठाउन
अठान कमठउनी ।
अड़ चर् सँ चरड़
अबा उल् सँ उलबा ।
अबी कट् सँ कटबी
अहा फुट्सँ फुटहा।
ओर हिल् सँ हिलोर
ओरा हिलोरा ।
औंत सुख सँ सुखौंत।
औंस औंसी-अनौंस
औंस चालूसँ चलौंस
औंस चलौंसी-चलनौंस
आम खोधसँ खोधामा
आमा खोधसँ खोधामा
अम्मा खोधसँ खोधामा
ड़ हाथसँ हाथड़
थरि गोरसँ गोरथरि
थारी गोरथारी
थरिया गोरथरिया
दो फूलसँ फुलदो
बाँस डाँडसँ डड़बाँस
मास डड़मास
लास लोहासँ लोहालास
लास सुम
लास सुन
लास सुम्ही
लास सँही
लास सुमनी
लास सुन्द र
लास सुन्द री
लास बालूसँ बलसुम
सौर पीर
हम माटिसँ मटिहम
हन्नाँ सिरसँ सिहन्नाा
हान सिरसँ सिहन्नाा
हाना सिरसँ सिहन्नाा
अगरैलही
पौआ पौआही
आइ लाइठ
आउ देसाउर
इअ हरिअर
इआ पोठिआ
इअ दीअर
उआ आ
उआँ सिसुआ
उइ कुइट
ऊआ चूआ
एआ नेआर
एओ डेओढ़ा ।
ओआ दोआति
ओइ वा
ओंइ गोइठी
अइआ अथवा
ऐआ कइआ
अउआ अथवा
औआ कलापौआ
इअउ अथवा
इऔ खिऔटी
इआइ पलिआएब
उइआ रुइआ (तूर) ।
ओइआ बखरोइआ
क्को झिक्का
च्च् कच्चकक
च्छच छुच्छी
ट्ट फुट्टा
ट्ठ मिट्ठा
त्त पित्तर
त्थ् हत्थार
प्पथ चप्पात
प्फप रप्फूर
ग्गफ तग्गूर
ग्घग घग्घूर
ज्जघ धज्जीर
ज्झज मज्झार
ड्ड लड्डू
ड्ढ गड्ढा
द्द कसिद्दा
दध दुद्धी (पेड़ल दूधक द्रवभाग)
रर तिर्री
स्स् दस्सीी
ङ्ग लोहङगर (लोहाक पैघ छड़)
ङ्ङ झिङ्ङा
ञ्च पि‍ञि्चस
ञ्ज पञ्जा
ण्टज कण्टीाल
न्तट अन्तीा
न्थत रन्थी
न्दथ रन्दाा
न्नद पन्निख
म्पन कलम्पू
बरही,
डोम,
कुम्‍हार,
मलाह,
सूड़ी-कलवार,
मालि
सोनार
हलुआइक
डोम
कुम्हा र,
बरइ,
मालि
कलवार स्त्री कलवारिन ।
कलवार चौधरी,
कलवार चौधरी,
कलवार जायसवाल,
कलवार साहु ।
कलवार काली,
कलवार बन्दी।,
कलवार महामाया ।
कसेरा स्त्रीम.-कसेरिन
कसेरा कसेरनी
कानू स्त्री . कानुनि।
कुम्हा र स्त्री .-कुम्है।नि ।
कुरेड़ी स्त्रीी.-कुरेडि़न ।
करोड़ी स्त्रीी.-कुरेडि़न ।
गरेड़ी स्त्री . गरेडि़न ।
चमार स्त्री .-चमैनि
चमार दगरिन।
जोलहा स्त्री .-जोलहिन
डोम स्त्री .डोमिन।
ततमा स्त्री .-ततमीनी
तेलि स्त्री .-तेलिन ।
तेली स्त्री .-तेलिन।
दर्जी स्त्री .-दर्जिन
धुनिञा स्त्री .-धुनिञानि।
धोबि स्त्री .धोबिन
नोनिञा स्त्री .-नोनिञानि।
पटवा स्त्री .-पटमीनी।
पासी स्त्री .-पासिन।
बरइ स्त्री .-बरैनि।
बरही (स्त्रीा. बरहिनि)
बरही कमार
बरही (स्त्रीा. कमैनि)
मलाह (स्त्रीा.-मलाहिन)।
मालि स्त्रीत.- मालिन ।
रङरेज स्त्रीत.-रङरेजिन
लहेरी स्त्रीत-लहेरिनङ
लोहार स्‍त्री.लोहैन।
सूँड़ी स्त्री .-सूँडि़न।
सोनार स्त्री .-सोनारिन।
हलुआइ (स्त्रीा.हलुआइनि)।
पटवा स्त्रीत.-पटमीनी
पासी स्त्रीत.-पासिन।
बरइ स्त्रीत.-बरैनि
बरही (स्त्रीा. बरहिनि)
कमार (स्त्रीा. कमैनि)
मलाह स्त्रीत.-मलाहिन।
मालि स्त्रीत.मालिनि।
माली स्त्रीत.मालिनि।
रङरेज स्त्रीत.-रङरेजिन ।
लहेरी स्त्रीत.-लहेरिन।
लोहार स्त्रीत.लोहैन।
सूँड़ी स्त्री .-सूँडि़न।
सोनार स्त्री .-सोनारिन।
हलुआइ (स्त्रीा. हलुआइनि) ,
कलवार कलबरबाके बेटा भुक्खेा मरय, लोक कहल जे पीने छइ। कल-कलवार कल्लाम ओदार।
कसेरी ठठेरी ठठेरी नहि बदलाय
कानू तीन बेर बजौलासँ आबय नउनिञा ।
कानू आधा भार लऽ कऽ भूजय कनूनिञा ।
कुम्हानर उट्ठा के बैठा कहय, चलती के गाड़ी । मुरुख के पंडित कहय, पंडित के भिखाड़ी ।
कुम्हािर एक बरही दू लोहार बाले बच्चे लगय
कुम्हाचर कुम्हाचराक कुकुर जकरे पोनमे मोटि लागल देखय, तकरे संगे चलि देअय।
कुम्हालर कुम्हाराक बेटी के ने नैहरे बास, ने सासुरे बास।
कुम्हाबर कोइरी कुम्हाहरके बास नइ। बाभन ताभन के पुछैए ?
कुम्हाेर ढाकन कुम्हारन के, घी यजमान के, स्वाजहाय नम: स्वाजहाय नम: ।
कुम्हाार पनिञा पड़लै नोनिञा मरलै कुम्हारा करय किलोल।
चमार अगहन रजपुत अहिर अषाढ़, भादो भैंसा चैत चमार। आ गे दगरनि आ न दगरिन गोर तोरा लगियौ, दरद मोरा छूटि गेल लोल तोरा दगियौ। कारी बाभन गोर चमार, एक संग ने उतरय पार
चमार चमारक कहने कतहु गाय मरय
जोलहा अप्पान मामा मरि मरि गेल, जोलहा धुनिञा मामा भेल ? आठटा जोलहाके नओटा हुक्काे, ताहू पर उठय थुक्कयमथुक्काक ।
जोलहा करिगह छाडि़ तमाशा जाय, नाहक मारि जोलाहा खाया।
जोलहा कायथ-बाभन भेल मरचुनिञा, कारि करय जोलहा-धुनिञा ।
जोलहा कौआ चलल बास कऽ, जोलहा चलल घास कऽ।
जोलहा खेत खाय गदहा, मारि खाय जोलहा।
डोम ऊँचे बाभन नीचे डोम, की तारय बाभन की तारय डोम। डोम लेखे धोबी नीच ।
डोम बाँसक बारि मे डोम कनाह।
डोम डोमिनि गाबय ताल-बेताल।
तेलि कहाँ राजा भोज कहाँ भोजबा तेली। तेलियासँ की धोबिया घाटि, ओकरा मुङरा एकरा जाठि।
तेलि तेलीक तेल जरय, मशालचीक किदन फाटय ।
तेलि सड़लो तेली तँ नओ सय अधेली। मूड़ पलटय नाचय साहु।
तेलि तेलिन रुसली, कुप्पार लऽ बैसली।
दर्जी धोबी नाऊ दर्जी, ई तीनू अलगरजी। आकाशे फाटल अछि तँ दर्जीक बापो ने सीबि सकत।
धुनिञा अब्बञल धुनिञा जिस्ता भारी। जतिनहैं मीयाँ धुनै के बेरिया। इत्ता रूइया को धुनिहैं।
धोबि जब धोबी पर धोबी बसे, तब खेन्ह रा पर साबुन पड़े। जेहन धोबिगामा तेहन धाह नइ।
धोबि धोबिक कुकुर/गदहा ने घरकू ने घाटक।
धोबि धोबिक घर विआह गदहाक माथा मौड़ ।
धोबि धोबिया केने आन बहान, गदहा के ने आन किसान ।
धोबि नीन्दस ने जानय टूटी खाट, प्यायस ने मानय धोबीघाट ।
बरही बूड़े बरही छोट लोहार, घीच तीर कऽ पुरबय चमार। ई बुडि़ बरही गाम कमयता, जनिका बसिला ने रुखान।
मलाह गोआरक सराहल माछ आ मलाहक सराहल दही दूनू एके रङ। जते माछ जाल देखैए तते जँ मलाह देखय तँ छातिए फाडि़ कऽ मरि जाय।
मलाह मुसहर के चल-चल, मलाह के पैस-पैस।
मलाह रहै छी सदिखन पानिञे मे मुदा नहाइ छी कहियो ने ।
मलाह सब ठाम राम-राम बाड़ी पर नइ राम-राम।
लोहार सोनार के ठुक ठुक, लोहार के ठाँइ । सौ चोट लोहार के। लोहाहारक कुच्चीो आगि-पानि दूनू मे।
सोनार नहि गढ़ायब तँ कनी देखहुँ कनी देखहुँ दिअऽ । तीन फूके चानी।

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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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