विदेह नूतन अंक मिथिला कला संगीत
१.श्वेता झा चौधरी २.ज्योति सुनीत चौधरी ३.श्वेता झा (सिंगापुर)
१
श्वेता झा चौधरी गाम सरिसव-पाही, ललित कला आ गृहविज्ञानमे स्नातक। मिथिला चित्रकलामे सर्टिफिकेट कोर्स।
कला प्रदर्शिनी: एक्स.एल.आर.आइ., जमशेदपुरक सांस्कृतिक कार्यक्रम, ग्राम-श्री मेला जमशेदपुर, कला मन्दिर जमशेदपुर ( एक्जीवीशन आ वर्कशॉप)।
कला सम्बन्धी कार्य: एन.आइ.टी. जमशेदपुरमे कला प्रतियोगितामे निर्णायकक रूपमे सहभागिता, २००२-०७ धरि बसेरा, जमशेदपुरमे कला-शिक्षक (मिथिला चित्रकला), वूमेन कॉलेज पुस्तकालय आ हॉटेल बूलेवार्ड लेल वाल-पेंटिंग।
प्रतिष्ठित स्पॉन्सर: कॉरपोरेट कम्युनिकेशन्स, टिस्को; टी.एस.आर.डी.एस, टिस्को; ए.आइ.ए.डी.ए., स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, जमशेदपुर; विभिन्न व्यक्ति, हॉटेल, संगठन आ व्यक्तिगत कला संग्राहक।
हॉबी: मिथिला चित्रकला, ललित कला, संगीत आ भानस-भात।
२.
ज्योति सुनीत चौधरी जन्म तिथि -३० दिसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द मिडिल स्कूल़ टिस्को साकची गर्ल्स हाई स्कूल़, मिसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इन्दिरा गान्धी ओपन यूनिवर्सिटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); निवास स्थान- लन्दन, यू.के.; पिता- श्री शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- श्रीमती सुधा झा, शिवीपट्टी। ज्योतिकेँwww.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवार्ड (अंग्रेजी पद्यक हेतु) भेटल छन्हि। हुनकर अंग्रेजी पद्य किछु दिन धरि www.poetrysoup.com केर मुख्य पृष्ठ पर सेहो रहल अछि। ज्योति मिथिला चित्रकलामे सेहो पारंगत छथि आ हिनकर मिथिला चित्रकलाक प्रदर्शनी ईलिंग आर्ट ग्रुप केर अंतर्गत ईलिंग ब्रॊडवे, लंडनमे प्रदर्शित कएल गेल अछि। कविता संग्रह ’अर्चिस्’ प्रकाशित।
३.श्वेता झा (सिंगापुर)
विदेह नूतन अंक गद्य-पद्य भारती
१. मोहनदास (दीर्घकथा):लेखक: उदय प्रकाश (मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल)
२.छिन्नमस्ता- प्रभा खेतानक हिन्दी उपन्यासक सुशीला झा द्वारा मैथिली अनुवाद
उदय प्रकाश (१९५२- ) “मोहनदास”- हिन्दी दीर्घ कथाक लेखक उदय प्रकाशक जन्म १ जनवरी १९५२ ई. केँ भारतक मध्य प्रदेश राज्यक शहडोल संभागक अनूपपुर जिलाक गाम सीतापुरमे भेलन्हि। हुनकर हिन्दी पद्य-संग्रह सभ छन्हि: सुनो कारीगर, अबूतर कबूतर, रात में हारमोनियम, एक भाषा हुआ करती है। हिनकर हिन्दी गद्य-कथा सभ छन्हि: तिरिछ, और अन्त में प्रार्थना, पॉल गोमरा का स्कूटर, पीली छतरी वाली लड़की, दत्तात्रेय के दुख, अरेबा परेबा, मैंगोसिल, मोहनदास। मोहनदास- दीर्घकथा लेल हिनका साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०१० (हिन्दी लेल) देल गेल अछि।
अनुवादक:
विनीत उत्पल (१९७८- ) आनंदपुरा, मधेपुरा। प्रारंभिक शिक्षासँ इंटर धरि मुंगेर जिला अंतर्गत रणगांव आ तारापुरमे। तिलकामांझी भागलपुर, विश्वविद्यालयसँ गणितमे बीएससी (आनर्स)। गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालयसँ जनसंचारमे मास्टर डिग्री। भारतीय विद्या भवन, नई दिल्लीसँ अंगरेजी पत्रकारितामे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्लीसँ जनसंचार आ रचनात्मक लेखनमे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन, जामिया मिलिया इस्लामियाक पहिल बैचक छात्र भs सर्टिफिकेट प्राप्त। भारतीय विद्या भवनक फ्रेंच कोर्सक छात्र। आकाशवाणी भागलपुरसँ कविता पाठ, परिचर्चा आदि प्रसारित। देशक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे विभिन्न विषयपर स्वतंत्र लेखन। पत्रकारिता कैरियर- दैनिक भास्कर, इंदौर, रायपुर, दिल्ली प्रेस, दैनिक हिंदुस्तान, नई दिल्ली, फरीदाबाद, अकिंचन भारत, आगरा, देशबंधु, दिल्ली मे। एखन राष्ट्रीय सहारा, नोएडा मे वरिष्ट उपसंपादक। "हम पुछैत छी" मैथिली कविता संग्रह प्रकाशित।
मोहनदास पोथीक आवरण चित्र मार्कूस फोरनेलक चित्रक उदय प्रकाश द्वारा रूपान्तरण।
(उदय प्रकाश जीकेँ "विदेह" विनीत उत्पलकेँ "मोहनदास"क मैथिली अनुवादक अनुमति देबाक लेल धन्यवाद दैत अछि- गजेन्द्र ठाकुर- सम्पादक।)
मोहनदास : उदय प्रकाश
(मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल द्वारा)
मोहनदास: पाँचम आ अंतिम खेप
ओरियंटल कोल माइंसक इंक्वायरी कमेटीक रिपोर्टक बाद मोहनदास टूटि गेल। घनश्याम आओर गोपालदास जनरल मैनेजर एस.के. सिंहसँ एक बेर आओर भेँट कऽ हुनकासँ दोबारा इंक्वायरी करबाक मांग केलक मुदा ओ कहि देलकन्हि जे बेर-बेर ई नै हएत। हमर सभसँ सक्षम आ ईमानदार अधिकारी एकर जाँच केलक, दोबारा इंक्वायरीक आदेश दऽ कऽ हम हुनकापर संदेह पैदा नै हेबऽ दै चाहै छी। बादमे पता चलल जे बिसनाथ आ अमिता जनरल मैनेजरकेँ सेहो लेनिन नगरक अप्पन घरपर बजा कऽ खुआयब-पिआयब शुरू कऽ देने छल आ ओकर कनियाकेँ सेहो "समाज सेवा' आ किटी पार्टीमे इनवाल्व कऽ देने छल।
कोल माइंसमे अफवाह ईहो छल जे अमिता जनरल मैनेजर एस. के. सिंहकेँ फाँसि लेने छै आ आब रहरहाँ ओकर कार लेनिन नगरक फ्लैट नंबर ए बटा एगारहक बाहर मोहनदास, कनिष्ठ आगार अधिकारीक फाटकपर ठाड़ रहैत छ। खबर ईहो छल जे बिसनाथ सेहो हुनका पटा लेने अछि। सिंह साहेब ओहिनो मौज-मस्ती, खाइ-पीबैक शौकीन लोक छल।
मोहनदास टूटि कऽ छिड़िया गेल। नै तँ ओ ठीकसँ खा सकैत छल, नै तँ सुति सकैत छल। कोनो काजमे ओकरा मोन नै लागै छलै। केहन-केहन प्रश्न आओर संदेह ओकर दिमागमे आबैत छल आ ओ बेचैन भऽ जाइत छल। ओकरा लागैत छल जे जत्ते लोक नौकरीमे छै वा ऊँच जगहपर बैसल छै, कारमे घूमि रहल छै आ जे नाम आ चेन्हसँ ओ सभ जानल जा रहल छै ओ असलमे कियो आर छै आ ओ जालसाजी कऽ कोनो आन मुखौटा लगा रखने छै। की लेनिन नगरमे कोनो असली लोक, अप्पन नाम, वल्दियत, पता-ठेकानक बचलो छै वा सभ बिसनाथे सन बहुरूपिया आ डुप्लीकेट छै? मोहनदासकेँ सेहो अपनापर संदेह हुअए लागल जे आखिर ओ के छी? मोहनदास वा बिसनाथ? आकि ओ एम.जी. डिग्री कॉलेजसँ बी.ए. क परीक्षामे जे डिग्री पौने छल ओ बिसनाथक लेल छल? की सभक संग अहिने होइत छै?
ओ घरक भितरे कोनमे सरकारी रोजगार दफ्तरसँ पठाओल गेल पुरनका पोस्टकार्डकेँ तकैत रहतिऐ। नै भेटलापर कस्तूरीसँ लड़ितिऐ-झगड़ा करितिऐ। ओ किछु बरख पहिलुका एहन कतेक पोस्टकार्ड ताकि कऽ निकालने छल, जइमे ओकर नाम आ पता लिखल छलै। ओ गाममे अप्पन लोककेँ ओ सभ चीज देखाबै छल। लोक सभ या तँ चुप रहैत छल वा ओकरा कोनो अफसर आकि नेतासँ भेंट करबाक सलाह दैत छल। मोहनदास जेहन हालम ल, ओइमे एहन भऽ सकब संभव नै रहि गेल छल। पुरबनराक सरपंच पंडित छत्रधारी सेहो ई लिखित प्रमाणपत्र दऽ देने छल जे बिसनाथ पुरबनराक मोहनदास छी। ओकर बेटा विजय तिवारी तँ ओहिनो बिसनाथसँ मिलल छल। कस्तूरीपर ओकर नजरि सेहो छलै आ गिदरमारा जकाँ ओ अही इंतजारमे छल जे एक नै एक दिन टूटि कऽ मोहनदास ओकर पएरपर आबि खसत आ ओकर महिसवारीक काज सम्हारि लेत।
मोहनदास देखैत छल जे सरकार दिससँ ग्राम पंचायतकेँ जे हैंडपंप स्वीकृत होइत रहै ओ पैघ लोकक घरक आगू लागि जाइ छलै। शिक्षाकर्मीक नियुक्ति होइत छल, स्त्रीगणक लेल आंगनबाड़ी आ शिक्षिकाक पद निकलैत छल, इंदिरा आवास योजनामे घर बनाबै लेल अनुदान भेटै छल, इनार आ खेतकेँ ठीक करबा लेल ग्रामीण विकास विभागसँ टका अबैत छल, नेहरू रोजगार योजनामे शिक्षित बेरोजगारक लेल कोनो परियोजना आबैत छल तँ ई सभ ओइ लोकक बीच बँटि जाइ छलै। शारदा आ देवदास कहैत छै जे स्कूलमे दुपहरियामे जे खेनाइ बँटै छै ओइमे भेदभाव होइत छै।
ओइ दिन मोहनदास कतेक बरखक अप्पन नेनाक संगी बीरन बैगाक घर जा कऽ महुक दारू उतरबौलक आ सुगरक माउस बनबौलक। संगमे ओकर साढू गोपालदास सेहो छल। ओ चारि-पाँच लोक छल आ साँझ सात बजेसँ ओ सभ पिनाइ शुरू कऽ देलक। ढोल-मंजीरक इंतजाम करने रहय। ओइ दिन मोहनदासकेँ "विंध्यांचल हैंडीक्राफ्ट' बला सेठ बाँसक मालक भुगतान केने छल। बारह सए टका ओकरा भेटल छलै। गोपालदासक जेबी सेहो ओइ दिन भरल छल। घर तँ बीरन बैगाक छल मुदा दारू-माउसक सभटा खर्चा मोहनदास उठेने छल। बीरनक घरबाली आ ओकर बहिन महुक दारू एतेक नीक उतारै छल जे भीतपर जोरसँ रगड़ि दियौ तँ भक्कसँ आगि लागि जाइत छल।
मोहनदास ओइ राति अप्पन दोस्तक संग रास-रंगमे किछु क्षण लेल अप्पन सभटा दुख बिसरि गेल छल। बिहारी ढोल बजा रहल छल, परमोदी मंजीरा। मोहनदास मस्ती आ नशामे गाबि रहल छल:
"पता दइ जा रे, पता लइ जा रे...गाड़ीबला....
तोहर नामक, तोहरा गामक
पता दइ जा...
माया रे, मायाक ठाम बताबै मायाक आनथि खबरिया
काया माया दुनू नाच नचाबै, मायाक सगर नगरिया
पता दइ जा रे, पता लइ जा रे...गाड़ीबला...।'
बीरनक घरवाली जखन खाना परसलक तँ रातिक दू बाजि गेल छलै। भूख सभकेँ लागल छलै। तोरीक तेलमे मसल्ला-लहसून-पियाजु दऽ कऽ सुअरक मौस बीरनक बहिन रान्हने छल। रसक गंध पूरा आंगनमे पसरल छल। सभ लोक हाथमे रोटी लऽ कऽ खाइपर टूटि पड़ल। टोकना भरि भात सेहो बनल छल। मुदा मोहनदास चुप छल। गीत गबैत-गबैत ओकरा भीतर कतौ कोनो एकटा फाँस, जना एकबैग गरि गेल छल। ओकर टीस बेर-बेर ओकर छातीक भीतर जागैत छल, जकरा दबाबै लेल आ बिसरैले ओ आर लोकसँ बेसी पी लेने छल।
खाइत-खाइत एकाएक कौर हाथमे रोकि कऽ मोहनदास बेर-बेर सभकेँ देखलक फेर ओकर गरसँ हिचकी निकलऽ लगलै। ओ कूही भऽ कानऽ लागल। गोपालदास, बीरन, बिहारी, परमोदी सभ कियो एत्ते भूखाएल छल आ एत्ते दिनक बाद एत्ते नीक खेनाइ भेटि रहल छलै जे ओकरा सभकेँ मोहनदासक ऐ काल कानब नीक नै लागै छलै। सभ कियो अप्पन मुँहसँ भरि-भरि कौर चबा रहल छल आ पुछैत सेहो जा रहल छल जे की भेल! पहिने खेनाइ किए नै खा रहल छिऐ?
"अहाँ के छी? अहाँक नाम की?'
"हमर नाम छी बीरन। बीरन बइगा।” बीरनकेँ हंसी आबि गेलै।
"आ अहाँक बल्दियत? अहाँक बाप के छथि?” मोहनदास फेर पुछलक।
"हमर बापक नाम डिंडवा बैगा अछि।” बीरन हँसैत जवाब देलक। अहाँकेँ महुक दारू चढ़ि गेल अछि।
सब हँसऽ लागल। मोहनदासक आँखि लाल भऽ गेल। ओ हाथक कौर छिपलीमे दऽ देलक आ गरजि कऽ बाजल:
"हौ बीरन, हौ परमोदी...हम के छी? सत सत बाजू? हमरा बुरबक नै बनाउ। अहाँ सभकेँ मलइहा माइक किरिया!”
"अहाँ छी मोहनदास! अहाँक बाप काबा दास आ माइ पुतलीबाइ!”
बीरन अप्पन अइंठ हाथ मोहनदासक छातीपर गड़ाबैत जोरसँ जवाब देलक। सभ कियो हँसऽ लागल। मोहनदास कनी काल चुपचाप बीरनकेँ निङहारैत रहल, फेर बेरा-बेरी सभकेँ ताकऽ लागल। ओ अप्पन शंका मेटाबऽ चाहै छल जे ओ सभ असली लोक अछि वा कियो आर अछि? कनी-कनी ओकरा लागै छल जे ई सभ ओकरे सन ठकाएल गेल असली लोक अछि। एकरा सभकेँ धोखा देल गेल छै। अन्तर मात्र एतबे जे ओ ऐ रहस्यकेँ बुझि गेल अछि आ एकरा सभकेँ एखन धरि नै पता चलल छै।
मोहनदास अप्पन नेनाक संगी-साथीकेँ बताबऽ चाहै छल जे अहाँ सभ कियो सरकारी दफ्तरमे, शहरक ऊँच-ऊँच बिल्डिंगमे आ पैघ-पैघ बंगला-कोठीमे, कोइला खदान-कारखानामे आ लेनि नगर, गांधीनगर, अंबेडकर नगर, शास्त्रीनगर जेहेन कॉलोनीमे जा कऽ पता करू जे कतौ ओतए अहाँक नाम, बल्दियत आ पता-ठेकानाक कियो दोसर फर्जी जालसाजी तँ नै बैसल अछि, जे अहाँक हक छीन लेने अइ। मुदा निशाँक बादो ओकरा लागि रहल छल जे एहन गप कहलापर ई सभ कियो ओकरासँ कहत जे अहाँपर ठर्रा निशाँ बेसी चढि़ गेल अछि।
बीरन, परमोदी, गोपालदास, बिहारी सभ कियो खाइमे लागल छल। बीरनक घरवाली सितिया आ ओकर बहिन रमोली सेहो आबि गेल छल। ओ दुनू सेहो महु पीबि रहल छल आ चुहुलक जवाब चुहुलसँ दऽ रहल छल। सभ कियो हँसि-बाजि, खा-पी रहल छल। मुदा मोहनदास सभसँ फराक, भीतक कोनमे बोतल लऽ कऽ बैसि गेल छल आ हिचकीक बीच कबीरदासक पद गेबाक संग पीब सेहो रहल छल।
भोरक चारि बाजि गेल छल जखन ओकर संगी ओकरा लादि-टांगि कऽ घर धरि पहुंचौलक। कसतूरी पहिल बेर अप्पन साँयक ई हालत देखले छल। ओ गोपालदास आ बीरनपर कबदय लागल। मुदा जखन गोपालदास ओकर तरहत्थीपर एक हजारसँ ऊपर टका राखलक आ दुखी भऽ कऽ कहलक, "हम कतेक रोकलहुँ जे मोहना नै पी...नै पी मुदा ई नै मानलक। ई टका राखि लिअ। एकर जेबीसँ बाहर खसि पड़ल छल।” तँ कस्तूरी चुप भऽ गेल।
भोर सात बाजल छल जखन काबा दासकेँ खोंखीक दौरा पड़ल। कोनो आन्ही जना खोंखी भेल छल। थमैक नामे नै लऽ रहल छल। आन्हर पुतलीबाइ डोरी टूटल गाए सन चारू दिस खसैत-पड़ैत भसियाएल दौगि रहल छल। ओकर कानब पूरा बस्तीमे गूंजि रहल छलै। कस्तूरी सेहो जागि गेल आ मोहनदासकेँ हिला-हिला कऽ जगेबाक कोशिश कऽ रहल छल।
मुदा ओ महुक नशामे धुत्त पड़ल छल आ उठबाक नाम नै लऽ रहल छल। कस्तूरी डोलमे पानि लऽ कऽ आएल आ ओकरा मोहनदासक ऊपर ढारि देलक। मोहनदासक आँखि खुजल। ओ एतेक लाल छल जे ओकरामे खून हेल रहल छल। ओकर नशा नै उतरल छलै। कस्तूरी चिकरि कऽ बाजल, "उठियौ...यौ! डॉक्टरकेँ लऽ कऽ अबियौ! बाबूकेँ खोंखी भऽ रहल छै!”
गामसँ लोक-वेद आ स्त्रीगण-नेना सभ आबऽ लागल छल। देवदास आ शारदा डरायल अप्पन बाबा काबाक खाट लग ठाढ़ छल। काबाक गर जना फाटि गेल छलै आ ओइमे सँ खून आ मौसक थक्का सभ बेर खोंखीक संग बाहर निकलि रहल छल। धरतीपर चिट्टा-मट्ठाक धारी लागल छल। गिद्धा मांछीक झुंड ओकर चारू कात भिनभिनाइत घूमि रहल छल।
लोक मोहनदासकेँ उलटा-पुलटा रहल छल आ ओकरा जगाबैमे लागल छल। बड़ मुश्किलसँ मोहनदास हाथ टेक कऽ कनी टा उटंगा भेल आ खून जेहन लाल आँखिसँ चारू दिस भकुआएल चोन्हराएल देखऽ लागल। ओ केकरो चिन्ह नै सकै छल। ओकर नजरि कतौ स्थिर नै भऽ रहल छल। एकाएक ओकर ठोढ़पर हँसी एलै। ओ अप्पन आँखिपर जोर लगा कऽ रमइ कक्काकेँ चिन्ह गेल। ओ गरसँ टूटल अवाज निकाललक, "कक्का, हम के छी? हमर नाम की अछि कक्का! हमरा कहू कक्का, हमरा बतबियौ?” आ ओ बेदम भऽ कऽ ओइ ठाम ओंघरा गेल।
गामसँ आएल स्त्रीगणक कानब आ चिकरबाक हल्ला उठल। पुतलीबाइक चिकरब सभसँ ऊँच छल। कनी काल सभ स्त्रीगण जना कोनो लयमे कानै लागल।
काबा दास मरि गेल। ओकर खाटक नीचाँ राखल बाँस आ कचियापर माँछी भिन-भिन करै लागल।
काल्हि अदहा राति धरि ओ टोकरीक लेल कमची छीलैमे लागल छल। काल्हि दुपहरमे बजारक विन्ध्याचल हैंडीक्राफ्ट्ससँ तीस टोकरी आ पच्चीस सूप बनाबैक आर्डर भेटल छलै।
ओइ भोर करीब साढ़े सात बजे कस्तूरीक कोठरीमे बिलैया झपट्टा मारलक आ अलोपी मैनाक जोड़ाकेँ खा गेल। मादा मैनाक पेटमे नब अंडा आएल छल। ओकर नोचल पाँखि आ खूनक दाग कोठरीक माटिक जमीनपर बचल रहि गेल छल। कस्तूरी एक्के दिन पहिने गोबरसँ ओकरा निपने छल।
ओइ दिन मोहनदासकेँ किछु नै बुझल भेलै जे ओकर बाप काबा दासक दाह-क्रिया कोना भेलै, ओकरा ओसारपर नशामे बेहोश छोड़ि कऽ गाम-बिरादरीक लोक काबाक लाशकेँ श्मशान धरि लऽ गेल, ओकर माए पुतलीबाइ कोनो तरहेँ काबाक खाटपर माथ पटकैत रहल आ बाँस, पथिया, कमची, पटिया, लोटा आ कचियासँ ओकर खून धाबैत-धुआबैत कानि-कानि कऽ गाबैत रहए, छोट-सन देवदास कोना अप्पन बाप मोहनदासक बदला अपनेसँ अप्पन बबाक चितामे आगि देलक आ ओकर नेनाक संगी बीरन बैगा ओकर किरिया-करम केलक!
मोहनदासकेँ किच्छो पता नै। गोसार्इं कस्तूरीसँ पाँच सए टका सुतारलक, पाँच सए जंगलक फारेस्टगार्ड लऽ लेलक। ओ पतेरासँ काबाक चिता लेल सुख्खल लकड़ी बिछै लेल नै दऽ रहल छल। कस्तूरी लग ओ सभटा टका खत्म भऽ गेल जे गोपालदास ओकरा देने छल।
मोहनदासक गरसँ फोंफ कटबाक ध्वनि लगातार निकलि रहल छल। एकाध बेर ओ अप्पन आंखिकेँ खोलि, चारू कात एहन तरहेँ देखतियै, जना ओ कोनो नब आ अनचिन्हार ठामपर आबि गेल छै आ फेर ओ सुति जाइत छल। ओ नीन छल वा फेर महुक दारूमे यूरिया वा लैंटिनाक पात मिला कऽ उतारल शराब छल वा सुगरक मौसमे कोनो छूति लागल छल। मुदा एहन हैतियै तँ ओइ राति ओकरा संग खाइ-पीबैबला बीरन, परमोदी, बिहारी, सितिया, रमोलीक संगो एहने हेतियै। ओ सभ कियो तँ ठीक छल आ काबाक मरलापर लकड़ीक जोगाड़सँ लऽ कऽ खांड़ा गाम जा कऽ गोसाईंकेँ बजाबै आ सभटा कर्म निपटाबैमे तँ वएह सभ कियो लागल छल। मोहनदासक नशा साधारण नै छलै।
"दारू दिमाग धरि चढ़ि गेल छै। दहीमे जीरा-जमैन धरिकेँ कंठक भीतर दियौ।” बीरन बैगा सलाह देलक।
कस्तूरी बाटीमे जीरा-जमैनक घोर लऽ कऽ मोहनदास लग आएल आ गोपालदास ओकर माथकेँ अप्पन कोरामे राखि कऽ जखन ओकर मुँह खोलय लागल तँ मोहनदासक आँखि खुजलै। ओ कस्तूरी आ गोपालदासकेँ एना देखलक जना ओ ओकरा चिन्हैत नै छलै। ओ बड़ कमजोर आ खरखरायल अवाजसँ कस्तूरीसँ पुछलक-
"अहाँ के छी बाइ? आ हम के छी? हमरा बताबियौ?' एकर बाद ओ कस्तूरी दिस ताकि-ताकि कऽ मुस्कियाइत नीक अवाजमे गाबऽ लागल-
"अहाँ बिलसपुरहिन छी,
हम छी रैगड़िया,
हमर-अहाँक जोड़ी, सजल अछि बड़ बढ़िया....।"
कस्तूरीसँ रहल नै गेलै। ओ कूही भऽ कानऽ लागल। शारदा सेहो अप्पन पिताक हाल देखि कऽ कानऽ लागल। गोपालदास अपनाकेँ संयमित करैत कस्तूरीक हाथसँ बाटी लऽ लेलक आ मोहनदाससँ कहलक, "लिअ, ई काढ़ा पीब लिअ।”
मोहनदास कतेक रास गहीर आँखिसँ गोपालदासकेँ किछु काल धरि देखलक आ फेर कोनो बच्चा सन बाटी मुँह लगा कऽ सभटा काढ़ा गटागट पीब गेल। शाइत ओकर दिमागक कोनो कोनमे अपनाकेँ ठीक करबाक सेहन्ता एखनो दम मारि रहल छल। कस्तूरी आ गोपालदासकेँ आफियत भेलै। जौं दवाइ असर कऽ जाए तँ ठीक नै तँ डॉक्टरकेँ बजाबऽ पड़त।
मोहनदास फेर सुति गेल।
मोहनदास अप्पन घरक ओसारपर ओनाहिते पाँच दिन आ चारि राति लगातार सुतल रहल। गाममे ई गप पसरि गेल जे ओकर दिमाग सनकि गेल छै आ ओ केकरो चिन्हैत नै अछि, एतए धरि जे अप्पन कनियाँ कस्तूरी आ बच्चा धरिकेँ नहि। कियो कहतिऐ जे महुक दारूमे यूरियाक फेँटक कारण एहन भेल , कियो कहतिऐ जे ओ ओरियंटल कोल माइंसक कॉलोनी लेनिन नगरमे लू लागि गेलासँ खसि गेल छल, तखनेसँ ओकर स्मृति चलि गेल। विजय तिवारी ई गप पसारि देलक जे ओकर कबरा कुत्ता मोहनदासकेँ धोखासँ काटि लेलकै, आब देखैत रहब, जहिना पानि बरसत ओ कुकुर जना भूकत। जतेक मुँह छल ओतेक गप छल। मुश्किल देवदास आ शारदाक संग सेहो छल। ओ स्कूल जाइत छल तँ ओतए मास्टर आ बच्चा ओकरा सँ पुछैत छल, की अहाँक बाप बताह भऽ गेल अछि? अहाँक बाप अहाँकेँ चिन्हैत नै अछि की? की ओ सुतल रहैत अछि? तखन फेर ओकर दातमनि-सफाइ आ हगब-मूतब कोना होइत छै?
एकटा अफवाह इहो पसरल जे एक राति मोहनदास एकाएक उठल आ अप्पन बाप काबा दासक कचिया लऽ कऽ घरक सभ लोककेँ काटै-मारै लेल दौगल। ओ तँ कस्तूरी ओकरासँ ओझरा गेल आ आन्हर पुतलीबाइ ओकरा रस्सीसँ बान्हि देलक, नै तँ पता नै की भऽ जैतिऐ।
(ई सभ घटना ओइ कालक छी जखन "इंडिया शाइन' कऽ रहल छल आ वित्तमंत्री आ विश्वबैंकक दावा छल जे सन १९९० सँ शुरू भेल ५.८ प्रतिशतक आर्थिक विकासक अखुनका विकास दर जौं एतेक साल भरि आओर बनल रहल तँ इंडिया अमेरिका बनि जाएत किएकि ऐ सँ अदहा विकास दरपर पचास बरखक भीतर अमेरिका अमेरिका बनि गेल।
...वएह काल जखन हमरा अस्थि-यक्ष्मा भेल छल आ हमर रीढ़क हड्डी एल.आर-४ आ ५ गलि गेल छल। हम नौ मास ओछाओनपर रहि आ कांधारमे बमियानक पहाड़मे बुद्धक मुस्काइत मूड़ीकेँ फिरकापरस्त ोर लांचर-मिसाइलसँ तोड़ि रहल छलौं...
...वएह काल जखन दिल्लीमे गरीब मजदूरक चारि सालक घामसँ, १९ हजार टन लोहा आ ४ लाख ५७ हजार घन मीटर धरतीकेँ खोदि कऽ एशियाक सभसँ पैघ, दुनियाक सभसँ महग आ आधुनिक मेट्रो रेल बनाओल जा रहल छल...।...जखन साढ़े तीन हजार बान्हक लेल पाँच करोड़सँ बेसी आदिवासी आ दलितक घर-खेत-बाड़ी पानिमे डुमा देल गेल छल...। जखन देशक २० करोड़ लोक लग पिबाक लेल पानि धरि नै छलै...आ साठि करोड़ लोक लग हगै, नहाबैक आ मूतैक लेल जगह नै छलै..
...जखन सरकारमे साझीदार वामपंथी पार्टी पेट्रोलक दाम नै बढ़बै लेल दिल्लीमे हल्ला मचा रहल छल, जखन हिन्दुस्तानक पूरा आबादीक ९० प्रतिशत माने लगभग ९२ करोड़ लोककेँ पेट्रोलसँ किछु लेनाइ-देनाइ नै छल...
...जखन राजस्थानक गंगानगर आ टोंकक एक दर्जन गरीब किसानकेँ पुलिस ऐ लेल गोली चला कऽ मारि देने छल किएकि ओ अप्पन सुखाइत फसिलकेँ पानि पटाबैक लेल पानि मांगैत पत्थरबाजीपर उतरि गेल छल...
...वएह काल जखन अब्दुल करीम तेलगी कतेक हजार करोड़ टकाक जाली टिकट बेचले छल आ ऐ घोटालामे देशक कतेक पैघ अफसर आ नेता मिलल छल!...वएह काल जखन हिन्दीक एकटा बूढ़ आलोचक एक अफसरकेँ मुक्तिबोध आ दोसर खुर्राट दोसर अफसर केँ प्रेमचंद आ फणीश्वरनाथ रेणु घोषित कऽ रहल छल...जखन पोखरणमे बम फूटि गेल छल आ कारगिलक बाद सद्भावना बस चलाओल ज रह छल...
...वएह काल जखन पुरबनराक कठिना धारक पानि एकटा कागजक कारखानाक लेल लकड़ी सड़ाबैक बान्हमे बदलल जा रहल छल आ ओ सभटा हिस्सा पानिमे डूमि गेल छल, जतए मोहनदास पलिया बना कऽ तरबूज, ककड़ी, खरबूज, सजमनि उगाबै छल...
...आ जतए एक राति "हु तु तू...तू तू..' करैत ओ कस्तूरीक छपाकसँ कठिनाक धारमे खसि कऽ प्रेम केने छल आ नक्षत्रक सलेटी आभामे कएल गेल ओइ उद्दाम सहवासक स्मृतिक रूपमे ठीक नौ मासक बाद शारदाक जन्म भेल छल...)
मुदा असलमे मोहनदास नै तँ पागल भेल छल, नै ओकर स्मृतिमे कोनो खोट छल। ओकर चेतनामे जे घाव लागल छल ओ लगभग एक हफ्ताक अखंड नीन, मूर्छा वा नशा काल चुपचाप भरि गेल। जखैन ओ जागल तँ ओ फेर पहिलुके जेहन मोहनदास छल, जे नीक तरहेँ बुझैत छल जे असली मोहनदास वल्द काबा दास, साकिन पुरबनरा, थाना आ जिला अनूपपुर, मध्यप्रदेश वएह रहै, जे आठ-दस बरख पहिने शासकीय एम.जी. कॉलेजसँ बी.ए. कएने छल आ मेरिटमे दोसर ठाम हासिल कएने छल। असली मोहनदास वएह छल जकरा नौकरी ऐ द्वारे नै भेटल छल किएकि ओकरा लग कोनो पैरवी, चिन्हल-जानल तिकड़म आ घूसक लेल टका नै छलै। ओ कोनो गिरोह वा माफियाक सदस्य नै छल, किएकि ओ ओइ जातिक आ वर्गक नै छल, जै जाति-वर्गक लग तागति छल। ओकरा नीक जकाँ बूझल छलै जे ओकरा संग आ ओकरा जेहन असंख्य लोकक संग लगातार पिछला कतेक सालसँ धोखाधड़ी आ छल कएल जा रहल छल मुदा ओ किछु कऽ सकैमे असहाय छल।
मोहनदासकेँ ई सेहो नीकसँ बुझल छलै जे बिछिया टोलाक बिसनाथ बल्द नगेंद्रनाथ, जे लेनिन नगरमे मोहनदास विश्वकर्मा बल्द काबा दास बनि कऽ ओरियंटल कोल माइंसमे कनिष्ठ आगार अधिकारीक नौकरी करैत दस हजारसँ बेसी दरमाहा लऽ रहल छल, ओ कत्तौसँ मोहनदास नै छल। ओ एकटा बदमाश, कट्टर जातिवादी जालसाज अछि, जकर तागति एतेक बेसी छलै जे मोहनदास ओकर आगू कोनो लाचार-बीमार मूस सन छल।
मोहनदास बुझै छल जे ओकर बाप माने असली काबा दास, जे टी.बी.क रोगी छल आ जे खोंीक संग खूनक कै करैत बाँसक टोकरी, सूप आ पटिया बनाबै छल, ओ मरि गेल छल मुदा एकरा साबित कऽ सकब ओकर वशमे नै छलै, किएकि बिसनाथक बाप नागेंद्रनाथ काबा दासक रूपमे बिछिया टोल आ लेनिन नगरमे अखनो रहै छल आ ओकरा सभ लग एकर दस्तावेजी सबूत छलै।
मोहनदास चुप रहब शुरू कऽ देने छल। ओ कम्मे बजैत छल। कठिनामे बान्ह बनि गेलासँ ओकर रोजी-रोटीक एकटा आसरा छिना गेल छलै तइसँ ओ बजारमे इमरानक "स्टार कंप्यूटर सेंटर' पर टाइपिंग, प्रिंट आउट आ जीरॉक्सक काज सीखब शुरू कऽ देलक। ओकर बेटा देवदास, सड़कक कात "दुर्गा ऑटो रिपेयरिंग वर्क्स” मे पंचर लगाबए आ पाना-पेचकसक लमरा-पहुँची करएबला हेल्परक काज करए लागल छल। मासमे सए-दू सए धरि ओ कमा लैत छल आ अप्पन पढ़बाक खर्चा अपनासँ उठाबऽ लागल छल। शारदा तँ दू बरखसँ बिछिया टोलमे बिसनाथक बच्चाकेँ सम्हारैक काज धेने छल आ घरक काज छोड़ि देने छल किएकि रेनुका देवी लेनिन नगर जाए अप्पन वर बिसनाथ लग रहए लागल छल। शारदाकेँ पछिला एक बरखसँ बजारमे "ऐश्वर्या ब्यूटी पार्लर” मे नोकरी भेट गेल छल। ओतुक्का शिखा मैडम ओकरासँ बड़ प्रेम करै छल आ ओकरा पढ़बामे मदति करैत छल। ओ कहैत छल-
"शारदा हम अहाँकेँ एक दिन एहन मॉडल बनाएब जे अहाँ मिस वर्ल्ड बनि जाएब आ टी.वी. पर आच्छादित भऽ जाएब!” आठ बरखक शारदा सत्तेमे रातिमे एहन सपना देखऽ लागल छलि।
कस्तूरी गाम-मोहल्ला मे खेत-मजूरी कऽ फसलक ओगरबाहीक काज कऽ लैत छल। हँ, मोहनदासक माँ पुतलीबाइक दुनू ठेहुन काबा दासक मरलाक बाद पाथर भऽ गेल छल आ ओ चलि-फिरि नै सकै छल। दिशा-फराकत लेल सेहो घिसियाइत-घिसियाइत पछवड़िया कातक बारी धरि जाइत छल आ फेर घुरि कऽ परछीक कोनमे ओछाओल पटियापर बैसि जाइत छल। ओकर आँखिमे अन्हार गहींर भऽ गेल छल।
"स्टार कंप्यूटर सेंटर' मे हर्षवर्धन सोनीसँ मोहनदासक भेंट भेल। हर्षर्धन ओतए किछु अदालती कागजातक फोटोकॉपी आ किछु टाइपिंगक काज करबा लेल गेल छल। ताधरि मोहनदासक टाइपिंग स्पीड ठीक-ठाक भऽ गेल छलै आ ओ कम्मे गलती करैत छल। ओतए मोहनदास अपनेसँ हर्षवर्धनकेँ अप्पन सभटा खिस्सा बतौलक।
बीसम सदीक उत्तरार्धमे जेहन विचारधारा बला पार्टीमे हम लगभग बीस बरख धरि काज कएने रही, हर्षवर्धन सोनी ओही पार्टीमे छल। ओकर जीवन कतेक तरहक दुख-संघर्षसँ आ उत्थान-पतनसँ भरल छल। माध्यमिक स्कूलक एकटा मास्टरक बेटा हर्षवर्धन शुरूहेसँ संवेदनशील आ स्वतंत्र विचारक छल। ओकर पैघ भाए श्रीवर्धन सोनी बी.इ.क परीक्षामे टॉप केने छल आ इंजीनियरिंगक डिग्रीक बादो, छह बरख धरि खींचल बेरोजगारीसँ हताश भऽ, पाँच बरख पहिने एक राति अप्पन कोठलीक सीलिंग फैनमे रस्सीक फंदा लगा कऽ आत्महत्या कऽ लेने छल। बजारमे छोट-सन दुकान चलाबैबला बूढ़ बाप आ मिडिल स्कूलक मास्टरी करएवाली माँक बेटा हर्षवर्धन सोनीक मोनमे अप्पन भाइक आत्महत्याक घटना एकटा एहन गहींर घा छल जे पढ़ै कालेसँ ओ छात्र आंदोलनमे भाग लिअए लागल छल। ओ दोसर जातिमे बियाह केने छल आ ओकर दंडमे ओकरा जातिसँ पैरछा देल गेल छल।
हर्षवर्धन सोनी एल.एल.बी. कऽ लेने छल आ अप्पन पार्टीक संग स्थानीय अदालतमे ओकालतक काज करैत अप्पन आजीविका चला रहल छल। ओ ओइ दिन जखन "स्टार कंप्यूटर सेंटर” मे मोहनदाससँ ओकर खिस्सा सुनलक जे असलमे खिस्सा नै, एकटा असल जिनगीक सत्यक खेरहा छल, तँ ओ ऐ केसकेँ लऽ कऽ अदालतक शरणमे जएबाक फैसला केलक।
"अहाँ लग ऐ लेल कतेक पाइ यए?', मोहनदासक बेरंग, फाटल-चीटल, पैबंद लागल, कोनो जमानामे नील रंग रहल डेनिम पेंटकेँ तकैत हर्षवर्धन बाजल, "हम अहाँक केस लड़ब आ अहाँकेँ न्याय दिआएब।”
मोहनदासक आँखिमे चमक आबि गेल। ओकर दुब्बर-पातर देह एक-दू बेर थरथरायल। एक बेर तँ ओकरा विश्वास नै भेल जे कियो ऐ तरहेँ ओकर संग दऽ सकैत अछि, फेर ओ बाजल, "हमरा संग ऐ काल अस्सीटा टका अछि। दू-चारि दिनमे चालीसक जुगाड़ कऽ देब। इमरानसँ सए-दू सए पेशगी भेट जाएत।”
हर्षवर्धन बुझि गेल जे मोहनदास बेसीसँ बेसी चारि-पांच सए टका जोगाड़ मास भरिमे कऽ सकैत अछि जखन कि अदालतमे केस दाखिल करबामे कुल खर्च करीब पाँच हजार टका छल। एकक बाद दोसर सरकारक ओ आर्थिक नीति, जे देसक महानगरकेँ अमेरिका बना रहल छल, ओही देशक गाम आ पिछड़ल इलाकाकेँ कंगाल बना कऽ ओतए असंख्य इथियोपिया, रवांडा आ घानाकेँ जन्मा रहल छल।
दिल्ली-लखनऊ, मुंबई-भोपाल, कोलकाता-पटनामे जखन सभ राजनीतिक पार्टी आ विचारधाराक प्रोफेसर चालीस-पचास हजार वेतन लऽ रहल छल आ छोटसँ छोट फ्री-लांसर धरि दू पन्नाक रपटपर पाँच सएसँ हजार टका कमा रहल छल, तखन गाम आ छोट कस्बामे, मेहनति कऽ काज करएबला मोहनदास जेहन लोककेँ चारि सए टका जोगाड़ करबामे मास लागि जाइ छै।
हर्षवर्धन बुझि गेल जे मोहनदासकेँ अदालतसँ न्याय दियाबैक लेल ओकरा अपनेसँ टका जमा करए पड़तै। ओ एक हजार टका अपना लगसँ लगेलक, दू हजार किछु दोस्तसँ मांगलक आ बाकी टका लायंस क्लबक चैरिटी फंडसँ डोनेशनमे लेलक, माने संक्षेपमे जे जोगाड़ भऽ गेल। तँ ऐ तरहेँ आखिरीमे मोहनदासक मामला गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी), जे सिगरेट नै पीबै छल आ बड़ दुब्बर छल, जकर गालक हड्डी छुरी सन छल आ उभरल छल आ जकर माथपर असंख्य टेढ़-टूढ़ डड़ीर छलै, क अदालतमे दाखिल भऽ गेल।
मोहनदास बल्द काबा दास जाति विश्वकर्मा, साकिन पुरबनरा, थाना आ जिला अनूपपुर, म.प्र. बनाम विश्वनाथ बल्द नगेंद्रनाथ, जाति ब्राह्मण साकिन बिछिया टोला, हाल-वाशिन्दा ए/11, लेनिन नगर, ओरियंटल कोल माइंस, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।
मामिलाक दाखिल हेबाक संगे अदालत ओरियंटल कोल माइंसक महा-प्रबंधक एस.के. सिंह आ वेलफेयर ऑफिसर ए.के. श्रीवास्तव संग कतेक आओर प्रबंधक श्रेणीक अधिकारीकेँ तलब केलक आ ओकरासँ अदालतक आगू ई साक्ष्य पेश करै लेल कहलक जे ओ प्रमाणित करए जे ओकर कंपनी ओरियंटल कोल माइंसमे जूनियर डिपा. ऑफिसरक पदपर पछिला कतेक बरखसँ काज करैबला मोहनदास विश्वकर्मा असल मे बिछिया टोलाक विश्वनाथ बल्द नगेंद्रनाथ कियो आन नै अछि?
न्यायिक दंडाधिकारी गजानन माधव मुक्तिबोध अनूपनगर आ दुर्गक जिलाधीशकेँ आदेश देलक जे ओ ऐ मामिलाक शासकीय जाँच करए आ दू सप्ताहक भीतर अदालतक सोझाँ अप्पन जांचक रिपोर्ट पेश करए।
बीड़ी पियैबला न्यायिक दंडाधिकारी जी.एम. मुक्तिबोधक ऐ आदेश आ अदालतक सम्मनसँ ओरियंटल कोल माइंसमे हड़कंप मचि गेल। स्थानीय अखबारमे एकर खबरि छपल-
"असल'" मोहनदास के?”
"एन.डी.टी.वी.” आ "आज तक” ैनलक स्थानीय संवाददाता क्रमश: अनिल ादव आ खालिद रशीद ऐ मामलाक बाइट दिल्ली आ भोपाल पठेलक मुदा समाचार "राष्ट्रीय स्तर” आ "अखिल भारतीय परिव्याप्ति” क नै भऽ सकल, कारण जे ऐ मे दिल्ली-भोपाल-लखनऊ क कोनो पैघ नेता वा अफसरक नाम शामिल नै छल, तइसँ ई प्रांतीय वा राष्ट्रीय "खबर” वा "सूचना'क रूपमे प्रसारित नै कएल गेल।
(...ई ओइ कालक ब्यौरा अछि, जखन विधु विनोद चोपड़ाक फिल्म "मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.”, बॉक्स ऑफिसपर सुपर हिट भऽ गेल छल। जॉर्ज बुश आ टोनी ब्लेयर, दुनू अप्पन-अप्पन देशमे दोबारा चुनाव जीति कऽ सत्तामे आबि गेल छल, अमेरिकाक जहलमे भिखमंगा फकीर जेहन दाढ़ी आ नाक, झाइसँ भरल चेहराबला सद्दाम हुसन अरबमे कविता लिखऽ लागल छल आ मंडल आयोगक सिफारिश लागू करैबला भारतक पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंहकेँ कैंसर भऽ गेल छल, किडनी खराब छल। ओ जे.पी. जकाँ डायलिसिसपर छल आ दिल्लीक एक कोनमे कैनवासपर चुपचाप चित्र बना रहल छल...
...वएह काल जखन पटनाक कलेक्टर बाढ़ राहतक करोड़ों टका मारि कऽ नपत्ता भऽ गेल छल आ नव सरकार फिल्म सेंसर बोर्डक पुरान अध्यक्षकेँ हटा कऽ जकरा नव अध्यक्ष बनौने छल, ओ बालीवुड फिल्मसँ बाहर लखाह दैत रहल ओइ दृश्यपर सेंसरक कैंची चलेबापर विचार कऽ रहल छल, जइमे एकटा खानदानी नवाबक जिप्सीसँ शिकारमे मारल गेल कालिया मृग, दूटा खरगोशक लाश, सर्च लाइट आ बंदूकक बरामदगीक शॉट छल।
...ई वएह काल छल जखैन लगातार पंद्रह बरखसँ हिंदी भाषाक संबंधित पदक चयन समितिक सभ सदस्य, खाली पदपर अप्पन जमाय, बेटा, बेटी, समैध, चापलूस, सेवककेँ निर्लज्जतासँ नियुक्ति कऽ दैत छल आ ओइपर नै कोनो सी.बी.आइ. इंक्वायरी होइल छल, नै राज्यसभा वा लोकसभामे कोनो सवाल उठैत छल...
...जखैन सभ सत्ताधारी पार्टी, मानव संसाधन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर भ्रष्ट कारखाना बनि गेल छल आ ई सभ विद्वान, शिक्षामित्र, समाजशास्त्री, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, इतिहासकार, कलाकार, अध्यापकक उत्पादन कऽ रहल छल...
आ बच्चाक दिमागपर कब्जा करै लेल शिक्षा-संस्थानमे इतिहास आ पाठ्य¬पुस्तककेँ दोबारा-तिबारा लिखबाक राजनीतिक जंग चलि रहल छल...
...तखन भारत भ्रष्ट देशक सूचीमे...संसारमे ८३म, परमाणु बम बनाबै बला देश मे ६अम, जनसंख्यामे दोसर आ भयावह गरीबीमे खाली बांग्लादेश टासँ ऊपर छल।)
हर्षवर्धन सोनी आ मोहनदास दुनूकेँ मुदा उम्मीद छल जे न्यायिक दंडाधिकारी जी.एम. मुक्तिबोधक अदालतमे दूधक दूध आ पानिक पानि भऽ जाएत। ऐ विश्वासक पाछाँ दूटा मुख्य कारण छल। पहिल तँ ई जे दंडाधिकारी बीड़ी पिबैत छल आ ठेलाक कड़क चाय सेहो। आ हुनका कोनो तरहक घूस वा लालचसँ भ्रष्ट नै कएल जा सकैत छल...
...आओर दोसर ई जे सत मोहनदास दिस छल किए तँ असल मोहनदास बी.ए. वएह छल।
"झूठक पएर-मूड़ी किच्छो नै होइत अछि! भिनसरेक इजोत सन सभ किछु साफ लखाह भऽ जाएत! जै हो मलइहा माइ! कृपा बनल रहए सतगुरू कबीर!” कस्तूरीक मौलाइल जिनगीमे आशाक एकटा खूब नव हरियर कोमल दूबि उगि रहल छल। पुतलीबाइक आँखिमे अन्हार तँ काबाक जेबाक बादेसँ बढ़ि गेल छल मुदा परछीक कोनमे चटाइपर कोनो बूढ़, पंखझरी चील सन बैसल ओ अप्पन कान लगातार कोनो भीतर कोठली दिस लगओने राखै छल।
आ एक दिन भिनसरे जखन मोहनदास अदालतक पेशीमे जएबा लेल बासि भात आ अल्लूक तरकारी खा रहल छल, तखने एकाएक पुतलीक खुशीसँ भरल बोल आंगनमे गूंजि गेल। ओकरा गरसँ जेना कोनो प्रसन्न चिड़ै बाजि रहल छल:
"हे...ऐ...कनियाँ! हे देवदास! कोठरीक भीतर ताकि कऽ देखियौ! लागैत अछि जे अलोपी मैना नबका घोंसला बनेने छै की? दौगू-दौगू...!”
मोहनदास जल्दी-जल्दी खाइमे लागल छल, जइसँ बेरसँ पहिने अदालत पहुँचि जाए किए तँ लोक कहैत छल जे बीड़ीक सुट्टा मारैबला जज टाइमक बड़ पाबंद अछि। जौं पांच मिनटक बेर भेल तँ पिछला पेशीमे अगला तारीख दऽ कऽ अगला पेशी शुरू कऽ दैत छै।
जखन मोहनदास दिन भरि लेल, भरि पेट भात-तरकारीक कलेवा खा कऽ घरसँ बाहर निकलि रहल छल तँ पाछाँ ओकर आन्हर-बूढ़ चिड़ै सन माँ पुतली जोर-जोरसँ पुलकित भेल गाबि रहल छल:
"चोला तर जइ रामा...तन तर जइ रामा,
सत गुरु साखी ला...चोला तर जइ...
...चोला तर जइ'
अदालत मे ओरियंटल कोल माइंसक महाप्रबंधक एस.के. सिंह हाजिर नै भेल छल। हुनकर अर्जी वकील पेश कऽ देलक। कॉलयरीक वेलफेयर ऑफिसर ए.के. श्रीवास्तव अप्पन इनक्वायरीक सभटा फाइल आ संगमे लागल सभटा दस्तावेज न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणीक अवलोकनार्थ हुनकर टेबुलपर राखि देलक। हर्षवर्धन सोनीक चेहरा उड़ल छलै किए तँ बिछिया टोलासँ जै तीनटा गवाहकेँ अदालतमे आबि कऽ साक्ष्य देबाक छल, जे मोहनदास नामक जे क्यो ओरियंटल कोल माइंसमे पछिला कतेक बरखसँ कनिष्ठ आगार अधिकारीक नौकरी कऽ रहल छल, ओकरा ओ सभ नेनासँ नीकसँ चिन्हैत छल जे ओ मोहनदास नै बिश्वनाथ अछि।
ओइ तीन गवाहमे सँ दूटा गवाह अदालतमे हाजिर नै भेल आ तेसर गवाह दिनेश कुमार साहू पलटी मारैत भरि अदालतमे तस्दीक कऽ देलक जे विश्वनाथ मोहनदास छी। ओ आंगुरसँ ह्षवर्धन सोनी आ मोहनदास दिस इशारा करैत ईहो कहलक जे ई दुनू गोटे मास भरि पहिने ओकर घर आएल छल आ ओकरासँ कहलक जे जौं अहाँ हमर सिखायल बयान कोर्टमे दऽ देब तँ हम अहाँकेँ पाँच हजार टका देब।
न्यायिक दंडाधिकारी गजानन माधव मुक्तिबोध अगला सुनवाईक लेल एक मास बादक तारीख धऽ देलक। हर्षवर्धन आ मोहनदास दुनू स्तब्ध छलाह।
आब सभटा आस जिलाधीशक जाँच रिपोर्टपर लागल छल। मोहनदासकेँ न्याय जौं भेंट सकैत छल, तँ तखन जखन सत आगू आबतिऐ।
अगला पेशीमे दुर्ग आ अनूपपुर, दुनू जिलाक कलेक्टरक जाँच रिपोर्ट जखन अदालतमे पेश कएल गेल तँ हर्षवर्धन आ मोहनदास अवाक रहि गेल। ओइ जाँच रिपोर्टमे छल जे मोहनदास वल्द काबा दास, जूनियर डिपो ऑफिसर, ओरियंटल कोल माइंसक नाम आ शिनाख्तीकेँ लऽ कऽ उठाएल गेल सभटा आरोप निराधार अछि। दस्तावेज, आवश्यक साक्ष्य, परिस्थितिगत प्रमाण, कएकटा ग्रामीण आ पंचायत सदस्यसँ गपसपक बाद निर्विवाद रूपसँ ई सिद्ध होइत छल जे मोहनदास, मोहनदासे अछि, विश्वनाथ नै।
बादमे पता चलल जे विश्वनाथ ऐ बेर दुर्ग आ अनूपपुर दूनू जिलाक संबंधित पटवारीकेँ दस-दस हजार टका घूस आ दारू-मुर्गा देने छल। विजय तिवारी सेहो पुलिस गाड़ीमे बिसनाथकेँ बैसा कऽ पटवारीकेँ घूस पहुँचाबऽ लेल गेल छल। असलमे जेहन प्रशासनिक परिपाटी छल, ओइमे कलेक्टर माने जिलाधीश माने डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेटक इंक्वायरीक असल मतलबे होइत छल संबंधित तहसील वा परगनाक पटवारीसँ जाँच।
जौं कोनो अदालत कलेक्टरकेँ कोनो जाँचक आदेश दैत छल तँ कलेक्टर नोट लगा कऽ ओइ आदेशकेँ अप्पन मातहत, संबंधित इलाकाक एस.डी.एम. केँ पठा दैत छल। एस.डी.एम. ओकरा तहसीलदार आ तहसीलदार ओकरा नयब तहसीलदारकेँ दऽ दैत छल। ऐ तरहेँ रेवेन्यू इंस्पेक्टर माने आर.आर. माने कानूनगोसँ भेल आखिरमे ओ आदेश पटवारी लग पहुँचि जाइ छल। माने आखिरमे पटवारी कलेक्टरक आँखि-कान आ नाक बनि जाइ छल।
ओइ राति जखन गाम बिछिया टोला आ पुरबनराक पटवारी कमल किशोरकेँ बिसनाथ आ विजय तिवारी दस हजार टकाक गड्डी देलक आ मैकडॉवल नंबर वन व्हिस्कीक संग बटर चिकेन आ मटन जींसक कबाब खुएलक तँ कमल किशोर पटवारी जमीनपर दुनूक पएरपर लोटपोट करए लागल।
"यौ, अहाँ सभक हुकुम हम कहियो टारब यौ?...एत्ते एमाउंटमे तँ हम सार मूसकेँ हाथी, खेतकेँ सड़क आ बलगोविनाकेँ छह बच्चाक माए बना देब।” कमल किशोर पटवारी मगन भऽ कऽ नोटकेँ अप्पन झोरामे धऽ कऽ उड़ि रहल छल। ओ मैकडॉवल नंबर वनक पटियाला पैग एक घोंटमे गराक नीचाँ उतारलक आ ओतए ओकर सभका सोझेँ, बिना कत्तौ गेने, मामलाक सभटा तफ्तीश कऽ देलक आ पंद्रह मिनटमे मोहनदास बनाम विश्वनाथ मामिलामे जिलाधीश द्वारा पूर कएल गेल इंक्वायरीक पुख्ता रिपोर्ट सफेद कागजक एकटा पन्नापर तैयार भऽ गेल।
अर्थात अंग्रेजक गुलाम भारतपर शासनक लेल तैयार कएल गेल नौकरशाहीक ऐ बीझ खाएल लौह ढाँचामे, जे आजादीक साठि बरखक बादक आधिकारिक सरकारी दस्तावेज धरि विश्वनाथ वल्द नगेंद्रनाथ छल, केँ मोहनदास वल्द काबा दास बना देलक।
मोहनदास फेर टूटए लागल। ओ लगातार कबीरक जाप करैत छल। मलइहा माइक मढ़ियाक ड्योढ़ीपर ओ घंटो बैसल रहैत छल। मलइहा माइ मलाइ टाक भोग लगाबैत छल। सेहो बकरीटा दूधक मलाइक। ऊँच जातिक लोक ओकर मढ़ियामे नै जाइत छल। ठाकुर, बनिया, बाभन, लालाक देवी-देवता दोसर छल। मलइहा माइक पूजाक काज ब्राहमण नै गोसाईं करैत छल। कहैत छै जे दलित-आदिवासीक संग भात-रोटी, बेटा-बेटीक संबंध बनाबैक कारण, जाति-पातिसँ निकालल गेल ब्राह्मण गोसाईं कहबैत छल।
मोहनदास खाड़ा गाम जा कऽ सिउनारायण गोसाईंकेँ बजौलक, ओकरा बीस टका आओर दालि-चाउर, नून, हरैद, चुदक, सीधा देलक। ओकरासँ ओ मलइहा माइक पूजा करौलक आ शुद्ध बकरीक दूधसँ निकालल गेल पाव भरि मलाइक भोज चढ़ेलक।
ऐहि बीच एकटा घटना आर भऽ गेल। एक दिन भिनसर काल, जखैन कस्तूरी गामक दू-तीन टा मौगी संगे दिशा-फरकत करए लेल गेल, ओकरा सभकेँ जंगल-झाड़क पाछाँ कोनो हलचलक आभास भेलै। जेना कियो ओतए नुकाएल छै। कस्तूरी आइ-काल्हि अप्पन हिफाजत लेल हरदम कछनीमे कचिया खोँसि कऽ राखैत छल। ओकरा ऐ गपक नीकसँ आभास छलै जे दू बच्चाक माए बनि गेलाक बादो ओ एखन धरि गाममे सभसँ सुन्नर काठी आ चेहरा-मोहराक मौगी अछि। आओर कतेक दिनसँ गामक ठकुरान-बभान शोहादक नजरि गिद्ध जेहन ओकरापर गड़ल छै।
कस्तूरी उठि कऽ ठाढ़ भऽ गेल। ओ डाँरमे खोँसल कचिया निकालि कऽ हाथमे थाम्हि लेलक आ समधानल डेगसँ जंगल-झाड़ दिस बढ़ल। ओकर पाछाँ रमोली, सितिया, चंदना आ सावित्री छल।
“की छी...केकर भीतर हबस पैसल छै! निकल तोहर गर्मी निकालि दैत छी टटीबे! मुँहझड़को।” कस्तूरी चिकरलक। बाँकी मौगी सभ सेहो बोन-झाँकुरकेँ घेरब शुरू कऽ देलक। सभक हाथमे एक-एक दिसा-फारकतबला लोटा छलै।
झाँकुरसँ फटाकसँ निकलि कऽ छत्रधारीक लड़का विजय तिवारी भागल। गंजी-जंघियामे ओकर चर्बी चढ़ल थुलथुल देह भागैत काल गोलमटोल तरबूज जेहन लखाह दऽ रहल छल। कस्तूरी किछु दूर धरि हाँसू तानि कऽ ओकरा दिस दौगल। रमोली, सितिया आ सावित्री गरियाबैत पोखरि दिसक लोटा खेंचि-खेंचि कऽ मारलक। दरोगा विजय तिवारी खसैत-पड़ैत लंक लऽ भागि रहल छल। मौगी सभ पाछाँसँ चिकरि रहल छल:
'यौ, टी.वी. बलाकेँ बजाउ, सीन खीचू।'
'दौड़ऽ हे दौगऽ! दरोगा कछियामे हगि रहल छै...'
ओइ दिन सच्चेमे विजय तिवारी डरि गेल छल जे कत्तौ मोहनदास अप्पन वकील हर्षवर्धन सोनी संग मिल कऽ टी.वी. आ अख़बारमे किछु अंट-शंट नै देखा-छपा दिऐ।
(ई सभ किछु ओइ दिनक घटना छी जखन समुच्चा एशियाक राजनीतिक इतिहासमे पहिल बेर एकटा भारतीय स्त्री कम्युनिस्ट पार्टीक पोलित ब्यूरोक सदस्य बनल छलि, एकटा दोसर स्त्री प्रधानमंत्रीक कुर्सी ठुकरा देने छलि......आ स्त्री, संसारक ओइ सभसँ प्रतिष्ठित जूरीक सदस्य बनि गेल छलि, जइमे ऋत्विक घटकक सुवर्ण रेखा वा कोमल गांधार वा शैलेंद्रक तीसरी कसमक स्क्रीनिंग धरि नै भऽ सकल छल......आ ओही काल जखन बगदादक अबू गरीब जेलमे एकटा अमेरिकी स्त्री ईराकी पुरुषकेँ नांगर कऽ ओकरा एक-दोसराक ऊपर लादि कऽ एकटा पिरामिड जेहन बना देल छल आ अमेरिकी झंडा लऽ कऽ ओकर ऊपर चढ़ि गेल छलि......ओही काल जखन पावर सत्यमे जेंडरकेँ परिभाषित कऽ रहल छल!...ओइ काल जखन दिल्लीक धौलाकुआँ लग उत्तर-पूर्वक एकटा लड़कीकेँ कारक भीतर खींच कऽ राजधानीक सभ वी.आइ.पी. सड़कपर अढाइ घंटा धरि लगातार दिल्लीक पाँच पुरुष बलात्कार करैत रहल छल...आ इम्फालमे मनोरमाक बलात्कार आ हत्याक विरोधमे कृष्णक उपासना करएवाली कएक सए मैतेइ स्त्रीगण तामसमे आ हतास भऽ नांगट भऽ गेल छलि......ओइ काल जखन दूटा स्त्री सरदार सरोवरमे ४०.००० दलित आ आदिवासीक घर-जमीन-जायदादकेँ पानिमे डुमा दै बला योजनाक विरुद्ध लड़ाइ हारि गेल छल आ जलप्लावनमे वन्य प्राणी, वनस्पति, गाछ सभ किछु डूमि गेल छल......टी.वी.पर ओइ टटाएल स्त्रीगणक कानैत, हरल चेहरा लगातार लखाह भऽ रहल छल......वएह काल जखन हम दिल्ली छोडि कऽ वैशाली आबि गेल रही आ हमर छतसँ गाजियाबाद ओ झंडापुर साफ लखाह दैत छल, जतए ठीक पंद्रह बरख पहिने ओइ क्रांतिकारी कलाकार आ रंगकर्मीक हत्या भेल छल, जाकर नाम सफ़दर हाशमी छल...)
गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंधाधिकारी (प्रथम श्रेणी) क अदालतमे सभ गवाह, सबूत, जाँच रिपोर्ट एतए धरि जे दू-दूटा जिलाधीशक इनक्वायरी ई सिद्ध कऽ देलक जे बिसनाथे मोहनदास अछि। तखन जे गरीब सन आदमी मोहनदास हेबाक दावा कऽ रहल छल ओ के अछि?- एकर अदालतमे चलि रहल मामलासँ कोनो सोझ कानूनी संबंध तँ नै छलै। ओ एकटा अलग केस भऽ सकैत छल, मुदा से तखन जखन ओकर दरख्वास्त अदालतमे कोनो वकील वादी दिससँ दाखिल करए।
हर्षवर्धन सोनी तीन दिन, तीन राति धरि सुति नै सकल। ओ नीकसँ बुझै छल जे मोहनदास मोहनदास छी, मुदा एकरा प्रमाणित कऽ सकब लगातार कठिनेटा नै असंभव भऽ रहल छलै। ओ हमरा ई-मेल पठेलक:
"ई तँ हद छै! नै हमरा किछु खाएल-पीएल भऽ रहल अछि, नै रातिमे नीन आबैत अछि। ओम्हर मोहनदासक सेहो यएह हालत छै। सभ कियो बुझैत अछि जे असली मोहनदास यएह छी मुदा एकरा साबित कऽ सकब मुमकिन नै रहि गेल छै। की करी किछु सुझैत नै अछि। मोहनदास आ हमरा दुनू गोटेकेँ धमकी देल जा रहल अछि जे चुप भऽ कऽ बैसि जाउ....ऐ बीच पता चलल जे बिसनाथ रासबिहारी रायकेँ अप्पन वकील बनौने अछि। हुनका तँ अहाँ जनैत छियन्हि, सत्ताधारी पार्टीक बड़ पैघ नेता छथिन। वहु नगर निगमक अध्यक्ष छनि आ कतेक सरकारी-गैर-सरकारी संगठनक प्रमुख छथिन। मोहनदासक पक्षमे आब चारि-पाँच लोक गवाही दै लेल तैयार भेल अछि- बीरन बैगा, गोपालदास, बिहारीदास, रमोली, सितिया...मुदा ओकर सभ बगे-बानी एहन छै जे लागैत छै जे एहन गवाह तँ पचीस-पचासमे कत्तौ भेट जाएत। भिखमंगा लागैत अछि सभ गोटे। ...सोचैत छी हम न्यायिक दंडाधिकारीसँ सोझे भेंट कऽ कए देखिऐ। ओ बीड़ी पीबैत छथि आ किछु अजीब सन लागितो छथि। जी.एम. मुक्तिबोध हुनकर नाम छन्हि। मराठी छथि मुदा हुनकर हिन्दी अद्भुत अछि। कोर्टक बाद सड़कक कात रामदीनक ठेलापर कड़क चाह पिबैत छथि। ...हम नोट केने रही जे ओ जखन अदालतमे मोहनदास दिस देखैत छथि तँ ओकर आँखिमे एकटा बेचैनी आबि जाइ छनि। हुनकर माथक एकटा नस उभरल छनि आ जखन ओ किछु सोचैत छथि तँ ओ फुलि जाइ छनि।....हमरा डर लागले रहैत अछि जे कत्तौ कोनो दिन ओ नस फाटि ने जाए। हुनकर आँखिमे किछु एहन तँ अछि जना ओ कोनो जासूस वा खुफियाक आँखि हुअए जे कानि कऽ चुपचाप केकरो आत्माक भीतर धँसि कऽ ओकर सभ किछु पखारि सकैत अछि। ...सभ कहैत अछि जे हुनकर घरमे कतेक रास किताब छन्हि आ ओ तीन बजे राति धरि पढै़त रहैत छथि। एकटा विचित्र सन गप हमरा ईहो पता लागल जे जी.एम. मुक्तिबोध छथि तँ प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी मुदा सरकार हुनकर पाछाँ सी.आइ.डी. लगा कऽ राखने छल...।'
कोनो दोसर बात नै देखि हर्षवर्धन एक तरहेँ जुआ खेलेलक। कोनो विचाराधीन मामिलाक संबंधमे भेंट करब, सेहो एहन जजसँ जे किछु रहस्यपूर्ण देखबामे लगैत अछि, एकटा खतरासँ भरल निर्णय छल। जौं जी.एम. मुक्तिबोध तमसा जेतथि तँ ओकर कैरियर बर्बाद भऽ सकैत छल। हर्षवर्धन सोनीक अतीत ओहिनो बड़ कठिनाइ, संघर्ष आ दु:खसँ भरल छलै, बेरोजगारीमे भाइक हताश आत्महत्या ओकर मनसँ कखनो एक्को पल लेल नै जाइ छलै। वकालत तँ खाली नाम मात्र लेल छलै। ओकरा लग बेसी वएह सभ अबैत छल जकर जेबीमे महग वकील करबा लेल टका नै होइ छलै। मोहनदासक मोकदमामे ओकरा किछु नै भेट रहल छलै, ऊपरसँ ओकरा पाँच हजार टका अपनेसँ जोगाड़ करए पड़ल छल। तकर बादो ओ न्यायिक दंडाधिकारीसँ भेंट करबाक खतरा लेलक।
हर्षवर्धनकेँ आश्वस्ति भेलै जखन अप्पन फ्लैटपर ओकरा देख कऽ गजानन माधव मुक्तिबोधक चेहरापर एहन भाव एलै जना ओकरा पहिनेसँ ओकर एबाक गप बुझल हुअए। जना हुनका पहिनेसँ पता छल जे हर्षवर्धन ओकरा लग अएबे करत। ओ एकरा लेल लकड़ीक एकटा पुरनका कुर्सी राखि देलक आ "बैसू! हम चाह बनाबैत छी!, कहि कऽ भीतर चलि गेल'।
हर्षवर्धन कोठलीमे नजरि दौगेलक। ओतए सभटा चीज बेतरतीब छल। कतेक किताब एतए-ओतए पसरल छल आ ओकरामे सँ कतेक पन्ना खुजल छल, जकर बीचमे पेंसिल, कार्ड आ गाछक पात खोँसल गेल छल। भऽ सकैत अछि जे किताबक ओ पृष्ठ ओकरा बड्ड पसीन हेतै आ ओ बेर-बेर ओकरा पढ़ैत छल होएत। कोठलीक हालत देखि कऽ लागैत छल जे ओ एतए असगरे रहैत छथि। हर्षवर्धनकेँ पता लागल जे ओकर बदली अधिक काल ओइ आदिवासी आ पिछड़ल इलाकामे कऽ देल जाइत अछि, जतए एहन मुकदमा नै आबैत छै, जकरासँ कोनो पैघ लोक आ व्यापारीकेँ कोनो नुकसान भऽ जाए। हर्षवर्धनक आँखि ऊपर उठलै। भीतपर गाँधीजी आ मार्क्सक चित्र टांगल छल। एकटा कोनमे गणेशक प्रतिमा सेहो ाखल छल। वाम भागक भीतसँ लागल बुकसेल्फ छल, जइमे कानूनक कतेक किताब राखल छल, जना ओकरा कतेक बरखसँ खोलले नै गेल हुअए।
जी.एम. मुक्तिबोध चाह लऽ कऽ आबि गेल छल। संगेमे एकटा छिपलीमे कनीटा बेसनक सेब छल। चाहकेँ मचियापर राखि कऽ मुक्तिबोध तख्तापर बैस गेलथि। चाह बड़ कड़गर आ महोर छल। खूब औंटल आ भफाएल।
कतेक काल धरि कोठलीमे सुन-सन्नाटा रहल। हर्षवर्धनकेँ हिम्मत नै भऽ रहल छलै जे ओ ओकरासँ गप शुरू करितिऐ। सोझाँक भीतपर एकटा पुरान घड़ी छल जे चाभी भरलासँ चलैत होएत। मुदा लागैत छल जे कतेक कालसँ कियो ओकरामे चाभी भरनहिये नै अछि। ओ ठाढ़ छल। घरमे एकटा कलेंडर टांगल छल, जइमे माथपर मुरेठा बान्हल बाल गंगाधर तिलकक चित्र छपल छल। हर्षवर्धन देखलक जे ओ कलेंडर सन 1964 क अछि।
-हम जानैत छी जे (एकटा बड़ पैघ कतेक दूरसँ जा कऽ घुरैत साँस).... मोहनदासे असली मोहनदास अछि। न्यायिक दंडाधिकारीक अवाज जना कोनो गहींर इनार वा तरहरिमे सँ आबि रहल छल। बड़ रकम, मद्धिम अवाज। ओ चाहक एकटा बड़का चुस्की भरलक। ओ घोंट आ स्वाद जेना ओकर माथक तनावकेँ कनी कम कऽ देलक।
"...आ ओ दोसर लोक फ्रॉड अछि। ओ सरासर इमपर्सोनेट कऽ रहल अछि। हमरा बुझल यऽ ओ विसनाथ वल्द नगेंद्रनाथ, जूनियर डिपो ऑफिसर छी जे ए बटा एगारह, लेनिन नगरमे अवैध ढंगसँ मोहनदासक आइडेंटिटी, चोरा कऽ रहि रहल अछि। ही इज अ चीट, अ क्रिमिनल। अ स्काउंड्रल!'
हुनकर बाजब बड़ पातर मुदा कोनो धातु जेहन धग्गड़ आ दृढ़ छल। ओ अप्पन जेबीसँ बीड़ीक बंडल निकालन्हि आ ओइमेसँ एकटा बीड़ी निकालि कऽ पहिने ओइमे उल्टा फूक मारलक, फेर सलाइक काठीसँ ओकरा पजारि कऽ एकटा गहींर सन सुट्टा मारलक।
हर्षवर्धनकेँ लागल जेना ओ अप्पन कालसँ बाहर, कोनो टाइम मशीनपर बैसल, कोनो दोसर कालमे पहुँचि गेल अछि। ओ बाजल, "हम यएह तँ बताबैक लेल अहाँ लग आएल रही। मुदा अहाँ कोना जानि लेलिऐ जे असली मोहनदास के छिऐ।'
"एकरा जानब तऽ बड़ हल्लुक अछि। जौं अहाँ लग कनियो संवेदना आ विवेक हुअए”, मुक्तिबोध बाजल आ ओ चिंतित भऽ कऽ किछु सोचऽ लागल। ओ बीड़ीक एकटा खूब गहींर सोंट लेलक। "हम तीन रातिसँ लगातार जागि रहल छी। आइ कांट स्लीप फॉर अ मोमेंट! ...इट इज अबसर्ड एंड अ वेरी टेंस एक्सपीरिएंस।’ हुनक आंगुरक बीचमे फँसल बीड़ी मिझाइबला छल। हुनकर आँखि जेना कत्तौ आर नै, अपनाकेँ देखऽ लागल छल।
"दि होल सिस्टम हैज टोटली कोलैप्सड...! जस्ट लाइक ट्विन टॉवर्स इन न्यूयार्क...नाइन इलेवन!...नाउ व्हाट इज लेफ्ट फॉर दि सबजेक्ट्स एंड पुअर इज अनार्की एंड कैटॅस्ट्राफ!! (सभटा व्यवस्था ढहि गेल अछि, न्यूयार्कक जोड़ा मीनार सन...सितम्बर एगारह!...आब प्रजा आ गरीबक आगू अराजकता आ विनाश टा बचल छै।) हमरा लगैत अछि, पूँजी आ सत्ता...कैपिटल एंड पावरकेँ एकटा एकदम्मे नव रूपमे आगू अछि। मोहनदास इज बिइंग डिनाइड ऑफ अ सिंपल इसेंशियल लीगल जस्टिस, किए तँ ओ न्यायकेँ कीनि नै सकत! ओह!” गजानन माधव मुक्तिबोधक माथक नस फूलि रहल छल। ओकर आंगुर थरथरा रहल छल। ओ बेचैन भऽ कऽ ठाढ़ भऽ गेल छल। ओ मिझाएल बीड़ीकेँ देखलक आ जेबीसँ सलाइ निकालि कऽ ओकरा फेर सुनगाबै लागल।
"सभटा सिद्धांत खत्म भऽ सकैत छै।...कहियो बड़ परिवर्तनकारी लागैबला बौद्धिक आ दार्शनिक संरचना बदलैत कालमे खाली वाग्जाल, अनर्गल बकवास आ ठकक प्रवचनमे बदलि सकैत छै। इतिहासमे एहन बेर-बेर भेल छै। मुदा...'
ओ बीड़ीक एकटा गहीर सोंट भीतर खींच कऽ साँस कनी काल लेल रोकि लेलक। लगैत छल जे ओ अप्पन चढ़ैत बेचैन साँसकेँ निकोटीनक धुआँसँ शांत करबाक कोशिश करैत छल। ओकरा खोंखी भऽ गेलै। बामा हाथसँ ओ अप्पन छातीकेँ किछु काल धरि दबा कऽ राखलक, फेर खरखर अवाजमे बाजल, "मुदा मनुखक भीतर एकटा चीज एहन अछि जे कहियो कोनो जुगमे कोनो तरहेँ सत्तासँ मेटाएल नै जा सकैत अछि!...आ ओ अछि न्यायक आकांक्षा! डिजायर फॉर जस्टिस इज इनडिस्ट्रक्टबल...! इट इज आल्वेज इम्मोर्टल...! न्यायिक आकांक्षा कालातीत अछि!'
ओ अप्पन मध्यमा आ तर्जनीक बीच फसल बीड़ीकेँ खिड़कीसँ बाहर फेकि देलक। ओ मिझा गेल छल।
हर्षवर्धन सोनी मंत्रविद्ध छल। ई केहन लोक अछि। एहन लोककेँ न्यायिक दंडाधिकारीक तरहेँ आइक कालमे देखब कोनो असंभव स्वप्न छल। एकटा दुर्लभ फैंटेसी।
ओ बेचैनीक संग कोठलीमे टहलि रहल छल। एकाएक ओ ठाढ़ भऽ गेल आ ओकर आँखिमे एकटा गहींर आत्मीय हँसी कोनो तरल द्रव्य सन झिलमिल करै लागल।
"अहां जाउ, हर्षवर्धन!...डोंट वरी मच! हमरा पता अछि जे अहूँ पछिला कतेक रातिसँ सुतल नै छी। हमरे सन'! ओ बड़ जोरसँ एकटा ठहक्का लगेलक आ बाजल, "पार्टनर, बेफिकिर भऽ कऽ सुतू। स्लीप लाइक अ डेड हॉर्स। नाउ, आइ हैव गॉट विद समथिंग'।
एकर बाद ओ हर्षवर्धन लग आएल। ओकर कान्हपर ओ हाथ राखलक। हर्षवर्धनकेँ लागल ओकर हाथमे कोनो भार नै छै। कागज, फूल, स्वप्न आ भाषासँ बनल हाथ।
गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी रकमसँ हर्षवर्धनक कान लग फुसफुस कऽ बाजल, "हमरा लग एकटा पावर अछि। बस एकटा पावर। दैट इज... सीक्रेट जूडीशियल इंक्वायरी। हम अपना सँ ई जाँच करब। गोपनीय न्यायिक जांच। जस्ट लीव इट टु मी'।
हर्षवर्धन सोनी जखन मुक्तिबोधक फ्लैटसँ बाहर आएल तँ ओकरा लगलै जे ओ कोनो बड़ पैघ स्वप्नक बीहड़िसँ बाहर निकलि कऽ अप्पन काल आ यथार्थमे घुरि रहल रहए। ओतए जतए मोहनदास अछि, बिसनाथ अछि, ओ सेहो अछि आ आइक यथार्थ अछि।
चारि दिन बादे विश्वनाथ आ ओकर बाप नागेंद्रनाथकेँ जी.एम. मुक्तिबोध न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) क आदेशपर जालसाजी, धोखाधड़ी, फरेब, चोरी आ गबनक जुर्ममे इंडियन पीनल कोडक धारा 419/420/464/467/ आ 403 क तहत गिरफ्तार कऽ जेल पठा देल गेलै। अदालत ओरियंटल कोल माइंसक जनरल मैनेजर एस.के. सिंह केँ आदेश देलक जे ओ मोहनदास विश्वकर्मा उर्फ विश्वनाथ, जूनियर डिपो ऑफिसरक विरुद्ध तुरंते कार्रवाइ कऽ कार्रवाइक सूचना दू हफ्ताक भीतर अदालतमे पेश करए। एकर अलाबे ऐ पूरा प्रकरणमे प्रत्यक्ष आ परोक्ष रूपसँ सम्मिलित आ लिप्त अधिकारी आ कर्मचारीक विरूद्ध उपयुक्त विभागीय जाँच आ कार्रवाई शुरू कएल जाए। जौं ओरियंटल कोल माइंस ऐ सभक विरूद्ध न्यायिक आपराधिक प्रक्रियाक अंतर्गत अपराध काएम करए चाहैत अछि तँ ई न्यायालय एकर अनुशंसा करैत अछि।
हरबिर्रो मचि गेल। अखबारमे नकली मोहनदासक गिरफ्तारीक खबर प्रमुखतासँ छपल। ओरियंटल कोल माइंसे टा नै मुद कतेक खदान आ सार्वजिनक उपक्रम अधिकारी, यूनियन नेता आ कर्मचारीक होश उड़ि गेलै। चारू दिस भागा-दौरी छल। लेनिन नगर, गाँधीनगर, अंबेडकर नगर, जवाहर नगर, शास्त्री, नेहरू आ तिलक नगर जेहेन सुव्यवस्थित कॉलोनीमे हजारो बिसनाथ जेहन लोक छल जे कोनो दोसर पहचान, अधिकार, योग्यता आ क्षमताकेँ चोरा कऽ कतेक बरखसँ बैसल छल आ कएक हजारमे दरमाहा लऽ रहल छल।
बादमे मालूम भेल जे गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी), अनूपपुर, (म.प्र.) अप्पन आपातकालीन सुरक्षित न्यायिक अधिकारक इस्तेमाल कऽ अपनेसँ ऐ मामिलाक गोपनीय जाँच कएले छल।
ओइ राति बड़ी काल धरि ओ पढ़ैत रहल। भोरमे ओ नौ बजे ड्राइवरकेँ फोन कऽ अप्पन सरकारी गाड़ी मंगौलक, जकर इस्तेमाल ओ अदालतेटा जएबा आ ओतएसँ घुरबा लेल करैत छल। दोसर फोन ओ एच.एस. परसाई (हरिशंकर परसाई) केँ कएलक, जे पब्लिक प्रॉसिक्यूटर छल। तेसर फोन ओ एस.बी. सिंह (शमशेर बहादुर सिंह) केँ कएलक, जे अनूपपुरक एस.एस.पी छल। ई सभटा अधिकारी अप्पन-अप्पन कर्तव्यनिष्ठा आ ईमानदारीक लेल जानल जाइत छल। चारिम फोन ओ हर्षवर्धन सोनीकेँ कएलक आ ओकरासँ एतबेटा बाजल- "पार्टनर, स्टैंप पेपर लऽ कऽ तुरत आबि जाउ'!
शमशेर बहादुर सिंह बतौलक जे न्यायिक दंडाधिकारीक गाड़ी सीधा लेनिन नगरमे मटियानी चौक लग, ए/11 नंबरक फ्लैटपर रूकल। बिसनाथ ओइ काल विजय तिवारीक संग कोनो नेताक सरोकारमे बाहर गेल छल। फ्लैटमे ओकर कनियाँ कस्तूरी माने रेनुका देवी टा छल, जे चिटफंड, सोशल सर्विस, किटी पार्टी आ फाइनेंसक धंधा करैत छल। न्यायिक दंडाधिकारी ओकरासँ सोझे ओकर बल्दियत आ ओकर नैहरक पता पुछलक। कस्तूरी मैडम माने रेनुका देवी सरकारी बत्तीनला गाड़ी आ एत्ते लोककेँ देखि कऽ घबड़ा गेल छल।
एकर बाद न्यायिक दंडाधिकारीक गाड़ी लेनिन नगरसँ निकलि कऽ मिर्जापुर-बनारस जाए बला सड़कपर दौगय लागल। ठीक पैंसठि किलोमीटर बाद ई गाड़ी आवाजपुर गाम दिस जाएबला कच्ची सड़कपर उतरि गेल आ आध घंटा बाद लंकापुर नामक गाममे एकटा भव्य पक्काक मकानक आगू ठाढ़ भऽ गल। न्यायिक दंडाधिकारी ओतए ओइ मकानमे रहैबला लालू प्रसाद पांडे आ ओकर कनियाँ जय ललिता पांडेसँ दूटा सवाल केलक। पहिल ओकर आ ओकर बेटा-बेटीक की नाम छै। आ दोसर ओकर जमाय सबहक नाम आ पता। एकर बाद ओ पब्लिक प्रासिक्यूटर एच.एस.परसाईकेँ निर्देश देलक जे ओ हर्षवर्धन सोनीसँ स्टैंप पेपर लऽ कऽ ओकर हलफनामा तैयार कऽ लिअए।
न्यायिक दंडाधिकारीक गाड़ी एकर बाद ग्राम पंचायतक सरपंचक घरपर रूकल, जतए सरपंच आ किछु गवाहक बयान दर्ज कएल गेल।
एस.एस.पी. शमशेर बहादुर सिंह जोरसँ ठहक्का लगा कऽ बाजल, "जालसाज तँ एत्ते धरि सोचलो नै छल आ सभक सभ फँसि गेल। हम तँ लंकापुरसँ अनूपपुर थानाक एस.एच.ओ. केँ फोन कऽ देने रही जे बिछिया टोला आ लेनिन नगर जा कऽ नगेन्द्रनाथ आ बिसनाथकेँ थाना लेने आबू, नै तँ फरार भऽ गेल तँ मोसीबत भऽ जाएत।
एकर बादक विवरण बड़ संक्षिप्त अछि।
हर्षवर्धन सोनी आ मोहनदास दुनू ऐ जीतसँ बड़ खुश भेल। कस्तूरी सौंसे पुरबनरामे नचैत रहल। आन्हर पुतलीबाइ गठुल्लामे लजबिज्जीक बीच नुका कऽ राखल एकटा पोटरी फेर खोजि कऽ निकाललक, जइमे बिसुनभोग चाउर छल। मोहनदासक घरक सभटा कोन बिसुनभोग, खेसारी आ बकरीक दूधसँ बनैबला खीरक गमकसँ गमकि गेल। अलोपी मैनाक खोतामे अंडाक खोलकेँ अप्पन छोट-छोट लोलसँ भीतरसँ फोड़ि कऽ दूटा सुन्नर बच्चा बाहर निकलि आएल छल आ ओकर अबोध चिचियेनाइ कोठरी आ ओसारमे एकटा नव संगीत भरि देलक।
पुतलीबाइक गठियाक दर्द कम भऽ गेल आ पहिलुक बेर ओ आंगन आ परछीमे अपनेसँ बाढ़नि लगेलक। ओ मगन भऽ कऽ चलल जा रहल छल मुदा ओइ गीतमे कोनो प्रसन्न चिड़ैक कंठक संग एकटा कोनो उदास-सन स्वर सेहो छल:
"अहाँ बिन जग लागे सुन्न...
जग लागे सुन्न...
नै भावै हमरा
सोना-चानी महल अटारी...'
हर्षवर्धन सोनी मोहनदाससँ कहलक जे आब अगला केस ओरियंटल कोल माइंसमे तोरा तोहर नोकरी घुरा कऽ दियाबैक लेल दाखिल होएत। अदालत बिसनाथक सर्विस बुकसँ अहाँक सभटा सर्टिफिकेट, मार्कशीट आ टेस्टिमोनियल जब्त कऽ लेने अछि। ओ अहाँकेँ दऽ देल जाएत। मोहनदास हर्षवर्धनसँ लिपटि गेल। ओकर कमजोर-गरीब शरीर थरथरा रहल छलै। ओकर गर भारी छल आ आँखिसँ कृतज्ञता आ आह्लादक नोर लगातार बहि रहल छलै। जना अषाढ़- साओनक तोर लागल हुअए।
बीरन बैगाक घरमे फेर रास रंग भेल। सितिया तोरीक तेल, रसून-प्याज आ गरम मस्सलामे रसदार सुअरक मौस रान्हलक। तीन मटकी महुक शराब उतारलक। ढोलक, मंजीराक संग ऐ बेर राम करन हारमोनिया सेहो लऽ कऽ आएल छल। गोपालदास, बीरन, बिहारी, परमोदी, मोहनदास सभ कियो पीलक। सितिया, रमोली, कस्तूरी, सावित्री सेहो ठर्रा पीब कऽ भेर भऽ गेल। ओ नाचि रहल छल आ गाबि रहल छल। मोहनदासकेँ पता नै कतए-कतएसँ एकक बाद एक गीत मोना पड़ि रहल छलै। सभ मस्त भऽ गेल छल।
कस्तूरीकेँ आइ दारू किछु बेसी चढ़ि गेल छलै। ओ बेर-बेर मोहनदासक हाथ पकड़ि कऽ खींचऽ लागल। "हु तू तू ...तु...तु! हमरा संग कबड्डी खेलब? हु तू तू तू तु तु...!' ओ मोहनदासक देहमे गुदगुदी लगाबऽ लागल।
" जो भाग ऐ ठामसँ! जो दरोगा तिवारीक महिसवारीकेँ सम्हार...!' मोहनदास ओकरासँ चुहुल कऽ रहल छल। सभ हँसैत-हँसैत लोटपोट भऽ रहल छल।
जखन सावित्री एकाएक गरजि कऽ बाजल, "दौगऽ हौ...दौगऽ! तिवारी दरोगा धरियामे हगि रहल अछि!!' तँ हँसी आ ठहक्का एक्के बैग बम जना फूटल, जकर धमक्कासँ आध रातिमे पूरा पुरबनरा डोलि उठल।
मोहनदास आ बीरन बैगा उठि कऽ आंगनक बीचोबीच ठाढ़ भऽ गेल छल। जना ओतए कोनो अदालत चलि रहल हुअए। दुनू डायलॉग मारि रहल छल।
मोहनदास: ए...हे! अहाँ के छी? अहाँक नाम की? चलु कोरटक नाम बताउ!
बीरन बैगा: हमर नाम छी बीरन बैगा। आ हमर बापक नाम अछि डिंडवा बइगा! डिंडवा बइगा!!
मोहनदास: ए हे! आ हम के छी? हमर की नाम?
बीरन बैगा: (आगू बढ़ि कऽ ओकर छातीपर आंगुर गड़ाबैत) हे साँढ़ भुक्खड़! तोहर नाम छियौ मोहनदास! मोहनदास!! (गरजि कऽ) मोहनदास कबीरपंथी बंसोर!!!
मोहनदास: आ हमर बापक नाम की छी?
बीरन बैगा: तोहर बाप तँ मरि गेलौ! तोहर बापक नाम रहौ काबा दास!
मोहनदास: ए हे! हम मोहनदास एम्हर आ हमर बाप काबा दास ओम्हर ऊपर, सरगमे...तँ सार ओ ओम्हर अनूपपुरक जेलखानामे के बैसल अछि?
बीरन दास: (कूदि कऽ हाथ नजाबैत गरजैत अछि)...ओ देहजरा बिसनाथ! चारि सौ बीस...! ओकर बाप डबल चारि सौ बीस! ओकर मौगी चारि सौ बीस...! कोइला खदानबला लेनिन नगरक अफसर नेता सभ कियो चारि सौ बीस!
(परमोदी, सितिया, बिहारी, रामकरन, रमोली, सवित्री, गोपाल दास सभक मिलल ठहाकाक संग ढोलक, मंजीरा, हारमोनियमक संगीत)
ऐ पूरा कथाक उदास, हताश धूसर रंगक बीचमे चटख प्रसन्न रंगक ई छिट्टा अहाँकेँ कोनो क्षेपक सन लागि रहल होएत। कि नै? अहाँक सोच एकदम्मे सत अछि। गरीब आ अन्यायक शिकार लोकक जिनगीक खरखर यथार्थमे एहन सुन्नर रंग कहियो-काल खाली एहने किछु पल लेल अबैत अछि। सत्ता आ पूंजीसँ जुड़ल तागति एकाएक कोनो बाज सन झपट्टा मारि कऽ अलोपी मैनाक खोताकेँ उजाड़ि दैत अछि आ बाहर लखाह दैत छै चिड़ैक छोट-छोट गेल्हक पंख आ खूनक किछु दाग। ई दाग कोनो पार्टीक सरकारक मानव संसाधन मंत्रालयसँ लिखाएल इतिहासक पाठ¬पुस्तकमे कहियो नै लखाह दैत अछि। किएकि इतिहासकारक पेशे अछि जे अपना कालक सत्ताक आँचरक दागकेँ नुकाएब।
ओ मास कतेक रास अजगुत घटनासँ भरल छल। भारतक राजधानी दिल्लीसँ एक हजार पचास किलोमीटर दूर जे किछु भऽ रहल छल, ओकर सूचना आ खबरि ऐ खिस्साक अलाबे अहाँकेँ आर कत्तौसँ नै भेटत। अनूपपुरमे मोहनदासक जीवन जइ हलातसँ गुजरि रहल छलै, ओकर संक्षिप्त विवरण ई अछि:
गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणीक बदली एकाएक राजनांदगांव भऽ गेल आ ओ अनूपपुर छोड़ि कऽ चलि गेल।
बिसनाथक वकील रास बिहारी राय, जे सत्ताधारी पार्टीक पैघ नामवर- मातबर नेता छल आ जकर पुतोहू नगर निगमक अध्यक्ष छल ओ एक्के पेशीमे बिसनाथ आ ओकर बाप नगेंद्रनाथक जमानत करा देलक। रास बिहारी राय एखुनका राजनीतिक माँजल खिलाड़ी छल। विश्वनाथ माने मोहनदासकेँ जेलसँ रिहा करैत, पुलिससँ गठजोड़ कऽ ओ ई चलाकी केलक जे पुलिस रिकार्डमे मोहनदासे नाम दर्ज रहए देलक। किएकि जाधरि अदालत अंतिम फैसला नै सुनैबितिऐ ताधरि मोहनदास माने विश्वनाथ अपराधी नै कानूनी रूपमे खाली संदिग्ध भरि छल। माने पुलिसक दस्तावेज आ आधिकारिक कागजमे अनूपपुर जेलसँ जे दूटा कैदी जमानतपर रिहा कएल गेल छल ओ अप्पन पुरान नाम मोहनदास माने विश्वनाथ आ काबादास माने नगेंद्रनाथक नामसँ जेलसँ बाहर छल। ओइ दुनू टाक रिहाइबला दस्तावेजपर बादबला नाम एहन तरहे लेभरा कऽ लिखल गेल छल जे पढ़बामे नै अबै छल।
ओम्हर एकाएक एक दिन खबर भेटल जे राजनांदगांवमे न्यायिक दंडाधिकारी जी.एम. मुक्तिबोधकेँ ब्रेन हेमरेज भेल अछि आ हुनका अचेतावस्थामे बिलासपुरक अपोलो अस्पतालमे भरती कएल गेल अछि। अपोलोमे कांग्रेस पार्टीक महामंत्री श्रीकांत वर्मा आ मुक्तिबोधक अभिन्न मित्र नेमिचंद जैन हुनका लग छल। मुदा 72 घंटा धरि जीवन-मृत्युक बीच चलल कठिन संग्रामक बाद गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी अप्पन अंतिम साँस लेलक। ...ऐ अंतिम साँसमे ओ "हे राम!' कहलक।
ओकर मृत्युक सूचना भेटलापर हर्षवर्धन सोनीक संग कूही भऽ कानैबला पुरबनरा गामक मोहनदास कबीरपंथी बंसोर सेहो छल। ओकर जिनगीक आशाक असगर इजोत मिझा गेल।
अखुनका हाल ई अछि जे बिसनाथ अप्पन कनिया रेनुका संग मिलि कऽ कोलियरीक दलालीमे बड़ पाइ कमा लेने अछि। विजय तिवारीक संग ओकर बैसकी अखनो चलैत अछि। ओ अखन सोझाँ भऽ राजनीतिमे आबि गेल अछि आ जिला जनपदक अध्यक्ष पदक चुनाव लड़ि रहल अछि। ओकर जाति-बिरादरीक लोक तँ ओहिनो ऊँच जगहपर अछि। ओ सभ तरहेँ ओकर मदति करैत अछि। ओ कहैत अछि, "असली मोहनदास के अछि आ नकली के, एकर फैसला तँ हम करब। ओ सार दू कौड़ीक कल्लर बंसोर हमर इज्जतिपर बट्टा लगौलक, लागल-लगाएल नोकरी छिनलक, आब हम अपन तागति ओकरा देखा देबै।
अखन पछिला हफ्ता जखन हम अप्पन गाम गेल रही तँ हर्षवर्धनक चेहरा उड़ल छलै ओकर आँखि लाल छलै। ओ बाजल, "पछिला तीन रातिसँ हम सुतल नै छी। बुझबामे नै अबैत अछि जे की करी। बिसनाथकेँ लऽ कऽ पुरबनराक लोग सत कहैत अछि। गज भरिक बिसधारी। असल करैत'।
ओ बड़का साँस भरलक आ बाजल, "लेनिन नगरक इलाकामे बिसनाथ सभ दोसर-तेसर दिन कोनो-नै-कोनो क्रिमिनल अपराध करैत अछि। कखनो केकरो चेन खींच लैत अछि, कखनो ककरो संग मारिपीट करैत अछि। ओकर कनियाँ फाइनेंस आ चिटफंडक जइ धंधामे अछि, ओकर वसूलीमे ओ कर्जदारसँ मारिपीट करैत अछि आ घरमे पैसि कऽ समान उठा लैत अछि।...आब थानामे जे एफ.आइ.आर. दर्ज होइत अछि ओ तँ मोहनदासक नामसँ दर्ज होइत अछि किएकि ओतए बेसी लोक बिसनाथकेँ अखन धरि मोहनदासक नामसँ जनैत छल। आ ओम्हर पुलिस पुरबनरा जा कऽ ऐ बेचारा असली मोहनदासकेँ पकड़ि लैत अछि।
हर्षवर्धनक आँखिमे असहायताक नोर छल। बिसनाथ पुलिस इंस्पेक्टर विजय तिवारीसँ भेंट कऽ थानाक सिपाहीकेँ खुआ-पिआ कऽ राखने अछि। ओ मोहनदासकेँ पीट-पीट कऽ ओकर हाथ-पएर तोड़ि देने छल। ओ चलि-फिरि नै सकै छल। ओकर माइ पुतलीबाइ सेहो चारि दिन पहिने इनारमे खसि कऽ मरि गेल छल। कस्तूरी हाड़-तोर मजूरी कऽ कोनो तरहेँ चूल्हाक आगि जरौने रखने छल।
हमर आँखि ऊपर उठल। आगुएसँ मोहनदास नंगड़ाइत बुलल आबि रहल छल। ओकर देहपर पुरनका बेरंग, चिप्पी लागल पेंट आ चेथड़ी भेल चौखुट्टा अंगा नै, एकटा धरियाटा बचल छल। ओकर माथक केस खसि गेल छल आ आँखिमे गोल फ्रेमक सस्ता सन चश्मा लागल छल। ओ रकम-रकम डगमग करैत लाठीक संग कोनो बेमार बूढ जना बुलि रहल छल।
"कका, राम राम'! ओ हमरा देखि कऽ हाथ जोड़लक। ओकर चेहरापर पीड़ा आ हारबाक गहींर डड़ीर आबि गेलै। हम देखलहुँ ओ बड़ बूढ लागि रहल छल। अस्सी-पचासी सालक आसपास। लाठी टेक कऽ ओ ओतए धरतीपर बैस गेल। ओकर गरसँ कुहरैक संग भारी अवाज निकलल, मुदा ओ अवाज जेहन भाषामे छल ओ छल राजभाषा हिन्दी। ओ बाजल:
"हम अहाँ सभक हाथ जोडै़त छी। हमरा कोनो तरहेँ बचा लिअ। हम कोनो अदालतमे चलि कऽ हलफनामा दै लेल तैयार छी जे हम मोहनदास नै छी। हमर बाप काबा दास नै अछि आ ओ मरल नै अछि, अखनो जिबैत अछि। बड़ मारने अछि हमरा पुलिस, बिसनाथक कहलापर। सभटा हड्डी तोड़ि देने अछि। सांसो टा लेबामे छाती दुखाइत अछि।'
हम देख रहल रही, मोहनदासक ठोढ़ कटल छल आ मुँह पोपटा गेल रहै। शाइद थानामे ओकर दाँत तोड़ि देल गेल छल। ओकर अवाज टूटि कऽ छितरा रहल रहै:
"जकरा बनबाक छै बनि जाए मोहनदास। हम नै छी मोहनदास। हम कहियो कत्तौसँ बी.ए. नै केलहुँ। कहियो टॉप नै केलहुँ। हम कहियो कोनो नोकरीक काबिल नै रही। खाली हमरा चैनसँ जिबैत रहल देल जाए। आब हिंसा नै करू। जे लुटबाक अछि लुटि लिअ। अप्पन-अप्पन घर भरू। मुदा हमरा तँ अप्पन मेहनतिपर जियए दिअ। काका, अहाँ सभ हमर संग दिअ'।
पता चलल मोहनदासक बारह बरखक बेटा देवदास दस दिनसँ घर नै घुरल अछि। कियो कहैत अछि जे बिसनाथ ओकरा गाएब करा देलक, कियो कहैत अछि जे ओ डरे मुंबई भागि गेल छै...
...आ कियो-कियो ईहो कहैत अछि जे ओकरा परसू बस्तरक जंगलमे देखल गेल अछि।
(ई ओइ कालक गप अछि, जखन भरूच लगक एकटा ऊँच डिम्हापर राघव नामक एकटा तीस बरखक धनुहार ठाढ़ भेल छल। ओ राति भरि जागि कऽ बाँस चीर-चीर कऽ कतेक रास तीर बनेने छल। ओ धनुषक प्रत्यंचा चढ़ा कऽ आकाश दिस तीर चलबैत छल, फेर दौगि कऽ डिम्हाक नीचाँ खसल तीरकेँ बिछि कऽ आनैत छल।
दोबारा, तिबारा...पता नै कते बेर ओ ऐ तरहे तीर अकाश दिस चलबैत रहल आ धरतीपर ओकरा बिछैत छल। मुदा कतेक रास तीर आब पानिमे डूमए लागल छल। ओकरा ताकब आ बीछब मुश्किल भेल जा रहल छल। किएकि पहाड़क बीच, दूर-दूर धरि पसरल मैदानमे पानि भरल जा रहल छल, गाछ डूमि रहल छल। दिशा आ स्मृति सभ किछु डूमि रहल छल।
...तीस बरखक राघव मुदा ओइ डिम्हाक ऊपरसँ अकाश दिस ताधरि तीर चलबैत रहल आ दौग-दौग कऽ ओकरा बिछैत रहल, जाधरि ओ सेहो डूमि नै गेल...
राघव आब कत्तऽ अछि? जतए ओ छल, ओतए आब पानिये-पानि रहए। अजग अथाह जल।...ओतए बिजली पैदा होएत।...भरूचमे हिलसा माछ होइल छल। भारतक धारक सभसँ महान आ संसारक विलक्षण माँछ। हिलसा बहैत पानि टामे, धारक तेज धारे टामे जिबैत रहि सकैत अछि।
...हिलसा आब ठाढ़ बान्हक बेमार आ प्रदूषित पानिमे मरि गेल होएत।
...ई ओइ कालक गप अछि, जखन हम ई खिस्सा अहाँक लेल जइ भाषामे लिख रहल छी, ओइ भाषाक भीतर हम बगदादक अबु गरीब जेलमे इराकीक तरहे छी! वा 1943 क जर्मनीक कोनो गैस चेंबरमे यहूदी सन! वा कोनो बीमार प्रदूषित ठाढ़ पानिमे डूमल हिलसा माँछ जेहन!...वा अखनो संग्रामरत राघव धनुहार जेहेन!
...ई वएह काल अछि, जइमे मोहनदास अछि, अहाँ छिऐ, हम छी आ बिसनाथ अछि। आ आइक यथार्थ अछि।
...ओइ काल, जकरा एकैसम शताब्दीक पहिल दशकक रूपमे सभ कियो जनैत अछि आ जखन हम सभ हिन्दीक कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंदक सवा सएम जयंती सत्ताधारीकेँ मनाबैत देखि रहल छी...
मुदा सत बताउ, मोहनदासक गाम पुरबनराक नाम की अहाँकेँ पोरबंदरक मोन नै पाड़ैत अछि?...)
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