भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Wednesday, March 30, 2011

'विदेह' ७८ म अंक १५ मार्च २०११ (वर्ष ४ मास ३९ अंक ७८) PART III



विदेह नूतन अंक मिथिला कला संगीत
१.श्वेता झा चौधरी २.ज्योति सुनीत चौधरी ३.श्वेता झा (सिंगापुर)

श्वेता झा चौधरी
गाम सरिसव-पाही, ललित कला आ गृहविज्ञानमे स्नातक। मिथिला चित्रकलामे सर्टिफिकेट कोर्स।
कला प्रदर्शिनी: एक्स.एल.आर.आइ., जमशेदपुरक सांस्कृतिक कार्यक्रम, ग्राम-श्री मेला जमशेदपुर, कला मन्दिर जमशेदपुर ( एक्जीवीशन आ वर्कशॉप)।
कला सम्बन्धी कार्य: एन.आइ.टी. जमशेदपुरमे कला प्रतियोगितामे निर्णायकक रूपमे सहभागिता, २००२-०७ धरि बसेरा, जमशेदपुरमे कला-शिक्षक (मिथिला चित्रकला), वूमेन कॉलेज पुस्तकालय आ हॉटेल बूलेवार्ड लेल वाल-पेंटिंग।
प्रतिष्ठित स्पॉन्सर: कॉरपोरेट कम्युनिकेशन्स, टिस्को; टी.एस.आर.डी.एस, टिस्को; ए.आइ.ए.डी.ए., स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, जमशेदपुर; विभिन्न व्यक्ति, हॉटेल, संगठन आ व्यक्तिगत कला संग्राहक।
हॉबी: मिथिला चित्रकला, ललित कला, संगीत आ भानस-भात।


२.

ज्योति सुनीत चौधरी
जन्म तिथि -३० दिसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द मि‌डिल स्कूल़ टिस्को साकची गर्ल्स हाई स्कूल़, मिसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इन्दिरा गान्धी ओपन यूनिवर्सिटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); निवास स्थान- लन्दन, यू.के.; पिता- श्री शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- श्रीमती सुधा झा, शिवीपट्टी। ज्योतिकेँwww.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवार्ड (अंग्रेजी पद्यक हेतु) भेटल छन्हि। हुनकर अंग्रेजी पद्य किछु दिन धरि www.poetrysoup.com केर मुख्य पृष्ठ पर सेहो रहल अछि। ज्योति मिथिला चित्रकलामे सेहो पारंगत छथि आ हिनकर मिथिला चित्रकलाक प्रदर्शनी ईलिंग आर्ट ग्रुप केर अंतर्गत ईलिंग ब्रॊडवे, लंडनमे प्रदर्शित कएल गेल अछि। कविता संग्रह अर्चिस्प्रकाशित।


३.श्वेता झा (सिंगापुर)




विदेह नूतन अंक गद्य-पद्य भारती
१. मोहनदास (दीर्घकथा):लेखक: उदय प्रकाश (मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल)
२.छिन्नमस्ता- प्रभा खेतानक हिन्दी उपन्यासक सुशीला झा द्वारा मैथिली अनुवाद

उदय प्रकाश (१९५२- ) “मोहनदास”- हिन्दी दीर्घ कथाक लेखक उदय प्रकाशक जन्म १ जनवरी १९५२ ई. केँ भारतक मध्य प्रदेश राज्यक शहडोल संभागक अनूपपुर जिलाक गाम सीतापुरमे भेलन्हि। हुनकर हिन्दी पद्य-संग्रह सभ छन्हि: सुनो कारीगर, अबूतर कबूतर, रात में हारमोनियम, एक भाषा हुआ करती है। हिनकर हिन्दी गद्य-कथा सभ छन्हि: तिरिछ, और अन्त में प्रार्थना, पॉल गोमरा का स्कूटर, पीली छतरी वाली लड़की, दत्तात्रेय के दुख, अरेबा परेबा, मैंगोसिल, मोहनदास। मोहनदास- दीर्घकथा लेल हिनका साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०१० (हिन्दी लेल) देल गेल अछि।

अनुवादक:
विनीत उत्पल  (१९७८- )
आनंदपुरा, मधेपुरा। प्रारंभिक शिक्षासँ इंटर धरि मुंगेर जिला अंतर्गत रणगांव आ तारापुरमे। तिलकामांझी भागलपुर, विश्वविद्यालयसँ गणितमे बीएससी (आनर्स)। गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालयसँ जनसंचारमे मास्टर डिग्री। भारतीय विद्या भवन, नई दिल्लीसँ अंगरेजी पत्रकारितामे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्लीसँ जनसंचार आ रचनात्मक लेखनमे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन, जामिया मिलिया इस्लामियाक पहिल बैचक छात्र भs सर्टिफिकेट प्राप्त। भारतीय विद्या भवनक फ्रेंच कोर्सक छात्र। आकाशवाणी भागलपुरसँ कविता पाठ, परिचर्चा आदि प्रसारित। देशक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे विभिन्न विषयपर स्वतंत्र लेखन। पत्रकारिता कैरियर- दैनिक भास्कर, इंदौर, रायपुर, दिल्ली प्रेस, दैनिक हिंदुस्तान, नई दिल्ली, फरीदाबाद, अकिंचन भारत, आगरा, देशबंधु, दिल्ली मे। एखन राष्ट्रीय सहारा, नोएडा मे वरिष्ट उपसंपादक। "हम पुछैत छी" मैथिली कविता संग्रह प्रकाशित

मोहनदास पोथीक आवरण चित्र मार्कूस फोरनेलक चित्रक उदय प्रकाश द्वारा रूपान्तरण।

(उदय प्रकाश जीकेँ "विदेह" विनीत उत्पलकेँ "मोहनदास"क मैथिली अनुवादक अनुमति देबाक लेल धन्यवाद दैत अछि- गजेन्द्र ठाकुर- सम्पादक।)

मोहनदास : उदय प्रकाश
(मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल द्वारा)
 मोहनदास: पाँचम आ अंतिम खेप
ओरियंटल कोल माइंसक इंक्वायरी कमेटीक रिपोर्टक बाद मोहनदास टूटि गेल। घनश्याम आओर गोपालदास जनरल मैनेजर एस.के. सिंहस एक बेर आओर भेट कऽ हुनकास दोबारा इंक्वायरी करबाक मांग केलक मुदा ओ कहि देलकन्हि जे बेर-बेर ई नैत।  हमर सभसँ सक्षम आ ईमानदार अधिकारी एकर जाकेलक, दोबारा इंक्वायरीक आदेश  दऽ कऽ हम हुनकापर संदेह पैदा नै हेबऽ दै चाहै छी। बादमे पता चलल जे बिसनाथ आ अमिता जनरल मैनेजरके सेहो लेनिन नगरक अप्पन घरपर बजा कऽ  खुआय-पियब शुरू कऽ देने छल आ कर कनियाके सेहो "समाज सेवा' आ किटी पार्टीमे इनवाल्व कऽ देने छल।

कोल माइंसमे अफवाह हो छल जे अमिता जनरल मैनेजर एस. के. सिंहके फाँसि लेने छै आ आब रहरहाँ ओकर कार लेनिन नगरक फ्लैट नंबर ए बटा एगारहक बाहर मोहनदास, कनिष्ठ आगार अधिकारीक फाटकपर ठाड़ रहैत छ। खबर ईहो छल जे बिसनाथ सेहो हुनका पटा लेने अछि। सिंह साहेब ओहिनो मौज-मस्ती, खा-पीबैक शौकीन लोक  छल।

मोहनदास टूटि कऽ छिड़िया गेल। नै त ओ ठीकस खा सकैत छल, नै त सुति सकैत छल। कोनो काजमे ओकरा मोन नै लागै छलै। केहन-केहन प्रश्न आओर संदेह ओकर दिमागमे आबैत छल आ ओ बेचैन भऽ जाइत छल। ओकरा लागैत छल जे जत्ते लोक नौकरीमे छै वा ऊच जगहपर बैसल छै, कारमे घूमि रहल छैजे नाम आ चेन्हससभ जानल जा रहल छै ओ असलमे कियो आर छै आ ओ जालसाजी कऽ कोनो आ मुखौटा लगा रखने छै। की लेनिन नगरमे कोनो असली लोक, अप्पन नाम, वल्दियत, पता-ठेकानक बचलो छै वा सभ बिसनाथे सन बहुरूपिया आ डुप्लीकेट छै?  मोहनदासकेसेहो अपनापर संदेह हुए लाग जे आखिर ओ के छी?  मोहनदास वा बिसनाथ? कि ओ एम.जी. डिग्री कॉलेजस बी.. क परीक्षामे जे डिग्री पौने छल ओ बिसनाथक लेल छल?  की सभक संग अहिने होत छै?

ओ घरक भितरे कोनमे सरकारी रोजगार दफ्तरसँ पठाओल गेल पुरनका पोस्टकार्डकेँ तकैत रहतिनै भेटलापर कस्तूरीसड़िति-झगड़ा करिति। ओ किछु बरख पहिलुका एहन कतेक पोस्टकार्ड ताकि कऽ निकालने छल, मे कर नाम आ पता लिखल छलै। ओ गाममे अप्पन लोककेँ ओ सभ चीज देखाबै छल। लोक सभ या त चुप रहैत छल वा ओकरा कोनो अफसर आकि नेतास भेंट करबाक सलाह दैत छल। मोहनदास जेहन हालम ल, मे एहन भऽ सकब संभव नै रहि गेल छल। पुरबनराक सरपंच पंडित छत्रधारी सेहो ई लिखित प्रमाणपत्र दऽ देने छल जे बिसनाथ पुरबनराक मोहनदास छीकर बेटा विजय तिवारी त ओहिनो बिसनाथस मिलल छल। कस्तूरीपर कर नजरि सेहो छलैगिदरमारा जकाँ ओ अही इंतजारमे छल जे एक नै एक दिन टूटि कऽ मोहनदास कर परपर आबि खसत आ ओकर महिसवारीक काज सम्हारि लेत।

मोहनदास देखैत छल जे सरकार दिसस ग्राम पंचायतके जे हैंडपंप स्वीकृत होत रहै ओ पै लोकक घरक आगू लागि जाइ छलै। शिक्षाकर्मीक नियुक्ति होत छल,  स्त्रीगणक लेल आंगनबाड़ी आ शिक्षिका पद निकलैत छल, इंदिरा आवास योजनामे घर बनाबै लेल अनुदान भेटै छल, इनार आ खेतके ठीक करबा लेल ग्रामीण विकास विभागस टका बैत छल, नेहरू रोजगार योजनामे शिक्षित बेरोजगारक लेल कोनो परियोजना आबैत छल त ई सभ ओ लोकक बीच बटि जाइ छलै। शारदा आ देवदास कहैत छै जे स्कूलमे दुपहरियामे जे खेनाइटै छै ओमे भेदभाव होइत छै।

दिन मोहनदास कतेक बरखक अप्पन नेनाक संगी बीरन बैगाक घर जा कमहुक दारू उतरबौलक आ सुरक माउस बनबौलक। संगमे ओकर साढू गोपालदास सेहो छल। ओ चारि-पाच लोक छल आ साझ सात बजेस ओ सभ पिनाइ शुरू कऽ देलक। ढोल-मंजीरक इंतजाम करने रहय। ओ दिन मोहनदासके "विंध्यांचल हैंडीक्राफ्ट' बला सेठ बासक मालक भुगतान केने छल। बारह स टका ओकरा भेटल छलै। गोपालदासक जेबी सेहो ओ दिन भरल छल। घर त बीरन बैगाक छल मुदा दारू-मासक सभटा खर्चा मोहनदास उठेने छल। बीरनक घरबाली आ कर बहिन महुक दारू एतेक नीक उतारै छल जे भीतपर जोरस रगड़ि दियौ त भक्कस आगि लागि जाइत छल।

मोहनदास ओ राति अप्पन दोस्तक संग रास-रंगमे किछु क्षण लेल अप्पन सभटा दुख बिसरि गेल छल। बिहारी ढोल बजा रहल छल, परमोदी मंजीरा। मोहनदास मस्ती आ नशामे गाबि रहल छल:

"पता दइ जा रे, पता लइ जा रे...गाड़ीला....
तोहर नामक, तोहरा गामक
पता दइ जा...
माया रे, मायाक ठाम बताबै मायाक आनथि खबरिया
काया माया दुनू नाच नचाबै, मायाक सगर नगरिया
पता दइ जा रे, पता लइ जा रे...गाड़ीला...।'

बीरनक घरवाली जखन खाना परसलक त रातिक दू बाजि गेल छलै। भूख सके लागल छलै। तोरीक तेलमे मसल्ला-लहसून-पियाजु दऽ कऽ सुअरक मौस बीरनक बहिन रान्हने छल। रसक गंध पूरा आंगनमे पसरल छल। सभ लोक हाथमे रोटी लऽ कऽ खापर टूटि पड़ल। टोकना भरि भात सेहो बनल छल। मुदा मोहनदास चुप छल। गीत गबैत-गबैत ओकरा भीतर कतौ कोनो एकटा फा, जना एकबैगरि गेल छल। ओकर टीस बेर-बेर ओकर छातीक भीतर जागैत छल, जकरा दबाबै लेल आ बिसरैले ओ आर लोकस बेसी पी लेने छल।


खाइत-खाइत एकाएक कौर हाथमे रोकि क मोहनदास बेर-बेर सभके देखलक फेर ओकर गरसहिचकी निकलऽ लगलै। ओ कूही भऽ कान लागल। गोपालदास, बीरन, बिहारी, परमोदी सभ कियो एत्ते भूखाएल छल आ एत्ते दिनक बाद एत्ते नीक खेनाइ भेटि रहल छलै जे ओकरा सभके मोहनदासक काल कानब नीक नै लागै छलै। सभ कियो अप्पन मुहस भरि-भरि कौर चबा रहल छल आ पुछैत सेहो जा रहल छल जे की भेल! पहिने खेनाइ किए नै खा रहल छि?
"अहा के छी? अहाक नाम की?'
"हमर नाम छी बीरन। बीरन बइगा।बीरनके हंसी आबि गेलै
"आ अहाँक बल्दियत? अहाक बाप के छथि?मोहनदास फेर पुछलक।
"हमर बापक नाम डिंडवा बैगा अछि बीरन हसैत जवाब देलक। अहाके महुक दारू चढ़ि गेल अछि।
सब ह लागल। मोहनदासक आखि लाल भऽ गेल। ओ हाथक कौर छिपलीमे दऽ देलक आ गरजि बाज:
"हौ बीरन, हौ परमोदी...हम के छी? सत सत बाजू? हमरा बुरबक नै बना। अहा सभके मलइहा माक किरिया!
"अहा छी मोहनदास! अहाक बाप काबा दास आ मा पुतलीबा!
बीरन अप्पन अइंठ हाथ मोहनदासक छातीपर गड़ाबैत जोरस जवाब देलक। सभ कियो हलागल। मोहनदास कनी काल चुपचाप बीरनके निहारैत रहल, फेर बेरा-बेरीभकेँ ताकऽ लागल। ओ अप्पन शंका मेटाबऽ चाहै छल जे ओ स असली लोक अछि वा कियो आर अछि? नी-कनी ओकरा लागै ल जे सभ ओकरे सनकाएल गेल असली लोक अछि। एकरा सभके धोखा देल गेल छै। अन्तर मात्र एतबे जे ओ रहस्यकेँ बुझि गेल अछि आ एकरा सभके एखन धरि नै पता चलल छै।

मोहनदास अप्पन नेनाक संगी-साथीके बताब चाहै छल जे अहा सभ कियो सरकारी दफ्तरमे, शहरक ऊच-ऊच बिल्डिंगमे आ पै-पै बंगला-कोठीमे, कोला खदान-कारखानामे आ लेनि नगर, गांधीनगर, अंबेडकर नगर, शास्त्रीनगर जेहेन कॉलोनीमे जा क पता करू जे कतौ ओत अहाक नाम, बल्दियत आ पता-ठेकानाक कियो दोसर फर्जी जालसाजी तँ नै बैसल अछि, जे अहाक हक छीन लेने अइ मुदा निशाँक बादो ओकरा लागि रहल छल जे एहन गप कहलापर ई सभ कियो ओकरासकहत जे अहापर ठर्रा निशाँ बेसी चढि़ गेल अछि।

बीरन, परमोदी, गोपालदास, बिहारी सभ कियो खामे लागल छल। बीरनक घरवाली सितिया आ ओकर बहिन रमोली सेहो आबि गेल छल। ओ दुनू सेहो महु पीबि रहल छल आ चुहुलक जवाब चुहुलस दऽ रहल छल। सभ कियो हँसि-बाजि, खा-पी रहल छल। मुदा मोहनदास सभसँ फराक, भीतक कोनमे बोतल लऽ कऽ बैसि गेल छल आ हिचकीक बीच कबीरदासक पद गेबाक संग पीब सेहो रहल छल। 

भोरक चारि बाजि गेल छल जखन ओकर संगी ओकरा लादि-टांगि क घर धरि पहुंचौलक। कसतूरी पहिल बेर अप्पन सायक ई हालत देखले छल। ओ गोपालदास आ बीरनपर कबदय लागल। मुदा जखन गोपालदास कर तरहत्थीपर एक हजारस ऊपर टका राखलक आ दुखी भऽ कऽ कहलक, "हम कतेक रोकलहु जे मोहना नै पी...नै पी मुदा ई नै मानलक। ई टका राखि लिअ। एकर जेबीस बाहर खसि पड़ल छल।  कस्तूरी चुप भऽ गेल।

भोर सात बाजल छल जखन काबा दासके खोंखीक दौरा पड़ल। कोनो आन्ही जना खोंखी भेल छल। थमैक नामे नै लऽ रहल छल। आन्हर पुतलीबा डोरी टूटल गाए सन चारू दिस खसैत-पड़ैत भसियाल दौगि रहल छल। ओकर कानब पूरा बस्तीमे गूंजि रहल छलै। कस्तूरी सेहो जागि गेल आ मोहनदासके हिला-हिला कगेबाक कोशिश कऽ रहल छल।
मुदा ओ महुक नशामे धुत्त पड़ल छल आ उठबाक नाम नै लऽ रहल छल। कस्तूरी डोलमे पानि लऽ कऽ आल आ ओकरा मोहनदासक ऊपर ढारि देलक। मोहनदासक आखि खुल। ओ एतेक लाल छल जे ओकरामे खून हेल रहल छल। ओकर नशा नै उतरल छलै। कस्तूरी चिकरिबाजल, "उठियौ...यौ! डॉक्टरके लऽ कऽ बियौ! बाबूके खोंखी भऽ रहल छै!

गामस लोक-वेद आ स्त्रीगण-नेना सभ आब लागल छल। देवदास आ शारदा डरायल अप्पन बाबा काबाक खाट लग ठाढ़ छल। काबाक गर जना फाटि गेल छलै आ ओमे स खून आ मौसक थक्का सभ बेर खोंखीक संग बाहर निकलि रहल छल। धरतीपर चिट्टा-मट्ठाक धारी लागल छल। गिद्धा मांछीक झुंड ओकर चारू कात भिनभिनाघूमि रहल छल।

लोक मोहनदासकेँ उलटा-पुलटा रहल छल आ ओकरा जगाबैमे लागल छल। बड़ मुश्किलसमोहनदास हाथ टेक कऽ कनी टा उटंगा भेल आ खून जेहन लाल आखिस चारू दिस भकुआएल चोन्हराएल देख लागल। ओ केकरो चिन्ह नै सकै छल। ओकर नजरि कतौ स्थिर नै भऽ रहल छल। एकाएक ओकर ठोढ़पर हँसी एलै। ओ अप्पन आखिपर जोर लगा क रम कक्काके चिन्ह गेल। ओ गरसँ टूटल अवाज निकाल, "कक्का, हम के छी? हमर नाम की अछि कक्का! हमरा कहू कक्का, हमरा बतबियौ?आ ओ बेदम भऽ कऽ ओ ठाम ओंघरा गेल। 

गामसँल स्त्रीगण कानब आ चिकरबाहल्ला उठल। पुतलीबाक चिकरब सँ ऊँच छल। कनी काल सभ स्त्रीगण जना कोनो लयमे कानै लागल।
काबा दास मरि गेल। ओकर खाटक नीचा राखल बास आ कचियापर माछी भिन-भिन करै लागल।


काल्हि अदहा राति धरि ओ टोरीक लेल कमची छीलैमे लागल छल। काल्हि दुपहरमे बजारक विन्ध्याचल हैंडीक्राफ्ट्सस तीस टोकरी आ पच्चीस सूप बनाबैक आर्डर भेटल छलै

भोर करीब साढ़े सात बजे कस्तूरीक कोठरीमे बिलैया झपट्टा मारलक आ अलोपी मैनाक जोड़ाके खा गेल। मादा मैनाक पेटमे नब अंडा आल छल। ओकर नोचल पाँखि आ खूनक दाग कोठरीक माटिक जमीनपर बचल रहि गेल छल कस्तूरी एक्के दिन पहिने गोबरस ओकरा निने छल।

दिन मोहनदासके किछु नै बुझल भेलै जे ओकर बाप काबा दासक दाह-क्रिया कोना भेलै, ओकरा ओसारपर नशामे बेहोश छोड़ि क गाम-बिरादरीक लोक काबाक लाशके श्मशान धरि लऽ गेल, ओकर मा पुतलीबा कोनो तरहे काबाक खाटपर माथ पटकैत रहल आ बा, पथिया, कमची, पटिया, लोटा आ कचियास ओकर खून धाबैत-धुआबैत कानि-कानि गाबै रह, छोट-सन देवदास कोना अप्पन बाप मोहनदासक बदला अपनेस अप्पन बबाक चितामे आगि देलक आ ओकर नेनाक संगी बीरन बैगा ओकर किरिया-करम केलक!
मोहनदासके किच्छो पता नै। गोसार्इं कस्तूरीस पाच स टका सुतारलक, पासए जंगलक फारेस्टगार्ड लऽ लेलक। ओ पतेरास काबाक चिता लेल सुख्खल लकड़ी बिछै लेल नै दऽ रहल छल। कस्तूरी लग ओ सभटा टका खत्म भऽ गेल जे गोपालदास ओकरा देने छल।
मोहनदासक गरसँ फोंफ कटबाक ध्वनि लगातार निकलि रहल छल। एकाध बेर ओ अप्पन आंखिके खोलि, चारू कात एहन तरहे देखतियै, जना ओ कोनो नब आ अनचिन्हार ठामपर आबि गेल छै आ फेर सुति जात छल। ओ नीन छल वा फेर महुक दारूमे यूरिया वा लैंटिनाक पात मिला कऽ उतारल शराब छल वा सुरक मौसमे कोनो छूति लागल छल। मुदा एहन हैतियै त राति ओकरा संग खाइ-पीबैबला बीरन, परमोदी, बिहारी, सितिया, रमोलीक संगो एहने हेतियै। ओ सभ कियो त ठीक छल आ काबाक मरलापर लकड़ीक जोगाड़स लऽ क खांड़ा गाम जा कऽ गोसाईंके बजाबै आ सभटा कर्म निपटाबैमे तएह सभ कियो लागल छल। मोहनदासक नशा साधारण नै लै 

"दारू दिमाग धरि चढ़ि गेल छै। दहीमे जीरा-जमैन धरिकेँ कंठक भीतर दियौ।बीरन बैगा सलाह देलक।
कस्तूरी बाटीमे जीरा-जमैनक घोर लऽ कऽ मोहनदास लग आल आ गोपालदास ओकर माथके अप्पन कोरामे राखि क जखन ओकर मुह खोलय लाग मोहनदासक आखि खुजलै। ओ कस्तूरी आ  गोपालदासके एना देखलक जना ओ रा चिन्हैत नै छलै। ओ बड़ कमजोर आ खरखरायल वाजसँ कस्तूरीस पुछलक-

"अहा के छी बा? आ हम के छी? हमरा बताबियौ?' एकर बाद ओ कस्तूरी दिस ताकि-ताकि क मुस्कियाइत नीक वाजमे गाब लागल- 
"अहा बिलसपुरहिन छी,
हम छी रैगड़िया,
हमर-अहाँक जोड़ी, सजल अछि बड़ बढ़िया....।"
कस्तूरीस रहल नै गेलै। ओ कूही भऽ कान लागल। शारदा सेहो अप्पन पिताक हाल देखि क कान लागल। गोपालदास अपनाके संयमित करैत कस्तूरीक हाथस बाटी लऽ लेलक आ मोहनदासस कहलक, "लिअ, ई काढ़ा पीब लि

मोहनदास कतेक रास गहीर आखिस गोपालदासके  किछु काल धरि देखलक आ फेर कोनो बच्चा सन बाटी मुह लगा कऽ सटा काढ़ा गटागट पीब गेल। शाइत ओकर दिमागक कोनो कोनमे अपनाके ठीक करबाक सेहन्ता एखनो दम मारि रहल छल। कस्तूरी आ गोपालदासकेँ आफियत भेलै। जौं दवा असर कऽ जाए तँ ठीक नै डॉक्टरके बजाब पड़त।

मोहनदास फेर सुति गेल।
मोहनदास अप्पन घरक ओसारपर ओनाहिते पाच दिन आ चारि राति लगातार सुतल रहल। गाममे ई गप पसरि गेल जे ओकर दिमाग सनकि गेल छै आ ओ केकरो चिन्हैत नै अछि, एत धरि जे अप्पन कनिया कस्तूरी आ बच्चा धरिके नहि। कियो कहति जे महुक दारूमे यूरियाक फेँटक कारण एहन भेल , कियो कहति जे ओ ओरियंटल कोल माइंसक कॉलोनी लेनिन नगमे लू लागि गेलाँ खसि गेल छल, तखनेसँ ओकर स्मृति चलि गेल। विजय तिवारी ई गप पसारि देलक जे ओकर कबरा कुत्ता मोहनदासके धोखास काटि लेलकै, आब देखैत रहब, जहिना पानि बरसत ओ कुकुर जना भूकत। जतेक मुह छल ओतेक गप छल। मुश्किल देवदास आ शारदा संग सेहो छल। ओ स्कूल जाइत छल त ओत मास्टर आ बच्चा ओकरा स पुछैत छल,  की अहाक बाप बताह भऽ गेल अछि? अहाक बाप अहाके चिन्हैत नै अछि की? की ओ सुतल रहैत अछि? तखन फेर कर दातमनि-सफाइ आ हगब-मूतब कोना होछै?

एकटा अफवाह इहो पसरल जे एक राति मोहनदास एकाएक उठल आ अप्पन बाप काबा दासक कचिया लऽ कऽ घरक सभ लोकके काटै-मारै लेल दौल। कस्तूरी ओकरासँ ओझरा गेल आ आन्हर पुतलीबाओकरा रस्सीस बान्हि देलक, नै पता नै की भऽ जैति
(ई सभ घटना ओ कालक छी जखन "इंडिया शाइन' कऽ रहल छल आ वित्तमंत्री विश्वबैंकक दावा छल जे सन १९९० सँ शुरू भेल ५.८ प्रतिशतक आर्थिक विकासक अखुनका विकास दर जौं एतेक साल भरि आओर बनल रहल त इंडिया अमेरिका बनि जाकिएकि ँ अदहा विकास दरपर पचास बरखक भीतर अमेरिका अमेरिका बनि गेल।

...एह काल जखन हमरा अस्थि-यक्ष्मा भेल छल आ हमर रीढ़क हड्डी एल.आर-गलि गेल छल। हम नौ मास ओछाओनपर रहि आ कांधारमे बमियानक पहामे बुद्धक मुस्काइत मूड़ीके फिरकापरस्त ोर लांचर-मिसाइलस तोड़ि रहल छलौं...

...एह काल जखन दिल्लीमे गरीब मजदूरक चारि सालक घामसँ, १९ हजार टन लोहालाख ५७ हजार घन मीटर धरतीके खोदि क एशियाक सभसँ पै, दुनियाक सभसँ महग आ आधुनिक मेट्रो रेल बनाओल जा रहल छल...।...जखन साढ़े तीन हजार बान्हक लेल पाच करोड़स बेसी आदिवासी आ दलितक घर-खेत-बाड़ी पानिमे डुमा देल गेल छल...। जखन देशक २० करोड़  लोक लग पिबाक लेल पानि धरि नैलै...आ साठि करोड़ लोक लग हगै, नहाबैक आ मूतैक लेल जगह नैलै..

...जखन सरकारमे साझीदार वामपंथी पार्टी पेट्रोलक दाम नै बढ़बै लेल दिल्लीमे हल्ला मचा रहल छल, जखन हिन्दुस्तानक पूरा आबादीक ९० प्रतिशत माने लगभग ९२ करोड़ लोकके पेट्रोलस किछु लेना-देनाइ नै छल...

...जखन राजस्थानक गंगानगर आ टोंकक एक दर्जन गरीब किसानकेँ पुलिस लेल गोली चला कमारि देने छल किएकि ओ अप्पन सुखाइत फसिलकेँ पानि पटाबैक लेल पानि मांगैत पत्थरबाजीपर उतरि गेल छल...
...एह काल जखन अब्दुल करी तेलगी कतेक हजार करोड़ टकाक जाली टिकट बेचले छल आ घोटालामे देशक कतेक पै अफसर आ नेता मिलल छल!...वएह काल जखन हिन्दीक एकटा बूढ़ आलोचक एक अफसरके मुक्तिबोध आ दोसर खुर्राट दोसर अफसर के प्रेमचंद आ फणीश्वरनाथ रेणु घोषित कऽ रहल छल...जखन पोखरणमे बम फूटि गेल छल आ कारगिलक बाद सद्भावना बस चलाल ज रह छल...
...एह काल जखन पुरबनराक कठिना धारक पानि एकटा कागजक कारखानाक लेल लकड़ी सड़ाबैक बान्हमे बदलल जा रहल छल आ ओ सभटा हिस्सा पानिमे डूमि गेल छल, जत मोहनदास पलिया बना क तरबूज, ककड़ी, खरबूज, सजमनि उगाबै छल...
...आ जत एक राति "हु तु तू...तू तू..' करैत ओ कस्तूरीक छपाकस कठिनाक धारमे खसि कऽ प्रेम केने छल आ नक्षत्रक सलेटी आभामे कल गेल ओ उद्दाम सहवासक स्मृतिक रूपमे ठीक नौ मासक बाद शारदाक जन्म भेल छल...)



मुदा असलमे मोहनदास नै पागल भेल छल, नै ओकर स्मृतिमे कोनो खोट छल। ओकर चेतनामे जे घाव लागल छओ लगभग एक हफ्ताक अखंड नीन, मूर्छा वा नशा काल चुपचाप भरि गेल। जखैन ओ जागल त ओ फेर पहिलुके जेहन मोहनदास छल, जे नीक तरहेँ बुझैत छल जे असली मोहनदास वल्द काबा दास, साकिन पुरबनरा, थाना आ जिला अनूपपुर, मध्यप्रदेश वएह रहै, जे आठ-दस बरख पहिने शासकीय एम.जी. कॉलेजस बी..एने छल आ मेरिटमे दोसर ठाम हासिल कएने छल। असली मोहनदास वएह छल जकरा नौकरी द्वारे नै भेटल छल किएकि ओकरा लग कोनो पैरवी, चिन्हल-जानल तिकड़म आ घूसक लेल टका नैलै। ओ कोनो गिरोह वा माफियाक सदस्य नै छल, किएकि ओ ओ जातिक आ वर्गक नै छल, जै जाति-वर्गक लग तागति छल। ओकरा नीजकाँ बूझल लै जे ओकरा संग आ ओकरा जेहन असंख्य लोकक संग लगातार पिछला कतेक सालस धोखाधड़ी आ छल कल जा रहल छल मुदा ओ किछु कऽ सकैमे असहाय छल।
मोहनदासके ई सेहो नीकसँ बुझल लै जे बिछिया टोलाक बिसनाथ बल्द नगेंद्रनाथ, जे लेनिन नगरमे मोहनदास विश्वकर्मा बल्द काबा दास बनि कऽ ओरियंटल कोल माइंसमे कनिष्ठ आगार अधिकारीक नौकरी करैत दस हजारसँ बेसी दरमाहा लऽ रहल छल, ओ कत्तौस मोहनदास नै छल। ओ एकटा बदमाश, कट्टर जातिवादी जालसाज अछि, जकर तागति एतेक बेसीलै जे मोहनदास ओकर आगू कोनो लाचार-बीमार मूस सन छल।

मोहनदास बुझै छल जे ओकर बाप माने असली काबा दास, जे टी.बी.क रोगी छल आ जे खोंीक संग खूनक कै करैत बासक टोकरी, सूप आ पटिया बनाबै छल, ओ मरि गेल छल मुदा एकरा साबित कऽ सकब ओकर वशमे नैलै, किएकि बिसनाथक बाप नागेंद्रनाथ काबा दासक रूपमे बिछिया टोल आ लेनिन नगरमे खनो रहै छल आ ओकरा सभ लग एकर दस्तावेजी सबूत छलै

मोहनदास चुप रहब शुरू कऽ देने छल। ओ कम्मे बजैत छल। कठिनामे बान्ह बनि गेलास ओकर रोजी-रोटीक एकटा आसरा छिना गेल छलै तइसँ ओ बजारमे इमरानक "स्टार कंप्यूटर सेंटर' पर टाइपिंग, प्रिंट आउट आ जीरॉक्सक काज सीखब शुरू कऽ देलक। ओकर बेटा देवदास, सड़कक कात "दुर्गा ऑटो रिपेयरिंग वर्क्स” मे पंचर लगाब आ पाना-पेचकसक लमरा-पहुची करबला हेल्परक काज कर लागल छल। मासमे स-दू स धरि ओ कमा लैत छल आ अप्पन पढ़बाक खर्चा अपनास उठाबलागल छल। शारदा त दू बरखस बिछिया टोलमे बिसनाथक बच्चाकेम्हारैकाज धेने छल आ घरक काज छोड़ि देने छल किएकि रेनुका देवी लेनिन नगर जाअप्पन र बिसनाथ लग रह लागल छल। शारदाकेछिला एक बरखस बजारमे "ऐश्वर्या ब्यूटी पार्लरमे नोकरी भेट गेल छल। ओतुक्का शिखा मैडम ओकरासँ बड़ प्रेम करै छल आ ओकरा पढ़बामे मदति करैत छल। ओ कहैत छल-

"शारदा हम अहाके एक दिन एहन मॉडल बनाब जे अहा मिस वर्ल्ड बनि जाब आ टी.वी. पर आच्छादित भऽ जाब!आठ बरखक शारदा सत्तेमे रातिमे एहन सपना देखलागल छलि

कस्तूरी गाम-मोहल्ला मे खेत-मजूरी कऽ फसलक ओगरबाहीक काज कऽ लैत छल। हँ, मोहनदासक मा पुतलीबादुनू ठेहुन काबा दासक मरलाक बाद पाथर भऽ गेल छल आ ओ चलि-फिरि नै सकै छल। दिशा-फराकत लेल सेहो घिसियाइत-घिसियाइत पछवड़िया कातक बारी धरि जाइत छल आ फेर घुरि कऽ परछीक कोनमे ओछाओल पटियापर बैसि जाइत छल। ओकर आखिमे अन्हार गहींर भऽ गेल छल।

"स्टार कंप्यूटर सेंटर' मे हर्षवर्धन सोनीस मोहनदासक भेंट भेल। हर्षर्धन ओत किछु अदालती कागजातक फोटोकॉपी आ किछु टाइपिंगक काज करबा लेल गेल छल। ताधरि मोहनदासक टाइपिंग स्पीड ठीक-ठाक भऽ गेल छलै आ ओ कम्मे गलती करैत छल। ओत मोहनदास अपनेस हर्षवर्धनके अप्पन सभटा खिस्सा बतौलक।

बीसम सदीक उत्तरार्धमे जेहन विचारधारा बला पार्टीमे हम लगभग बीस बरख धरि काज कने रही, हर्षवर्धन सोनी ओही पार्टीमे छल। ओकर जीवन कतेक तरहक दुख-संघर्षस आ उत्थान-पतनस भरल छल। माध्यमिक स्कूलक एकटा मास्टरक बेटा हर्षवर्धन शुरूहे संवेदनशील आ स्वतंत्र विचारक छल। ओकर पै भा श्रीवर्धन सोनी बी.इ.क परीक्षामे टॉप केने छल आ इंजीनियरिंगक डिग्रीक बादो, छह बरख धरि खींचल बेरोजगारीस हताश भऽ, पाच बरख पहिने एक राति अप्पन कोठलीक सीलिंग फैनमे रस्सीक फंदा लगा क आत्महत्या कऽ लेने छल। बजारमे छोट-सन दुकान चलाबैबला बूढ़ बाप आ मिडिल स्कूलक मास्टरी करएवाली माक बेटा हर्षवर्धन सोनीक मोनमे अप्पन भाक आत्महत्याक घटना एकटा एहन गहीर घा छल जे पढ़ै काले ओ छात्र आंदोलनमे भाग लिअए लागल छल। ओ दोसर जातिमे बियाह केने छल आ ओकर दंडमे ओकरा जातिसँ पैरछा देल गेल छल।

हर्षवर्धन सोनी एल.एल.बी. कऽ लेने छल आ अप्पन पार्टीक संग स्थानीय अदालतमे कालतक काज करैत अप्पन आजीविका चला रहल छल। ओ ओ दिन जखन "स्टार कंप्यूटर सेंटरमे मोहनदासस ओकर खिस्सा सुनलक जे असलमे खिस्सा नै, एकटा असल जिनगीक सत्यक खेरहा छल, केसकेँ लऽ कऽ अदालतक शरणमे जएबाक फैसला केलक।

"अहा लग ऐ लेल कतेक पाइ यए?', मोहनदास बेरंग, फाटल-चीटल, पैबंद लागल, कोनो जमानामे नील रंग रहल डेनिम पेंटकेँ तकैत हर्षवर्धन बाजल, "हम अहाक केस लड़ब आ अहाके न्याय दिआएब।

मोहनदासक आखिमे चमक आबि गेल। कर दुब्बर-पातर देह एक-दू बेर थरथरायल। एक बेर तँ ओकरा विश्वास नै भेल जे कियो तरहे ओकर संग दऽ सकैत अछि, फेर ओ बाजल, "हमरा संग काल अस्सीटा टका अछि। दू-चारि दिनमे चालीसक जुगाड़ कऽ दे। इमरानस-दू सपेशगी भेट जात।

हर्षवर्धन बुझि गेल जे मोहनदास बेसीस बेसी चारि-पांच स टका जोगाड़ मास भरिमे कऽ सकैत अछि जखन कि अदालतमे केस दाखिल करबामे कुल खर्च करीब पाच हजार टका छल। एकक बाद दोसर सरकारक ओ आर्थिक नीति, जे देसक महानगरके अमेरिका बना रहल छल, ओही देशक गाम आ पिछड़ल इलाकाके कंगाल बना क ओत असंख्य इथियोपिया, रवांडा आ घानाके जन्मा रहल छल।
दिल्ली-लखनऊ, मुंबई-भोपाल, कोलकाता-पटनामे जखन सभ राजनीतिक पार्टी आ विचारधाराक प्रोफेसर चालीस-पचास हजार वेतन लऽ रहल छल आ छोटस छोट फ्री-लांसर धरि दू पन्नाक रपटपर पाच स हजार टका कमा रहल छल, तखन गाम आ छोट कस्बामे, मेहनति काज करबला मोहनदास जेहन लोकके चारि सए टका जोगा करबामे मास लागि जाइ छै।

हर्षवर्धन बुझि गेल जे मोहनदासके अदालतस न्याय दियाबैक लेल ओकरा अपनेस टका जमा कर पड़तै। ओ एक हजार टका अपना लगसगेलक, दू हजार किछु दोस्तस मांगलक आ बाकी टका लायंस क्लबक चैरिटी फंडस डोनेशनमे लेलक, माने संक्षेपमे जे जोगाड़ भऽ गेल। तँ ऐ तरहेआखिरीमे मोहनदासक मामला गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी), जे सिगरेट नै पीबै छल आ बड़ दुब्बर छल, जकर गालक हड्डी छुरी सन छल आ उभरल छजकर माथपर असंख्य टेढ़-टूढ़ ड़ीर छलै, क अदालतमे दाखिल भऽ गेल।

मोहनदास बल्द काबा दास जाति विश्वकर्मा, साकिन पुरबनरा, थाना आ जिला अनूपपुर, .प्र. बनाम विश्वनाथ बल्द नगेंद्रनाथ, जाति ब्राह्मण साकिन बिछिया टोला, हाल-वाशिन्दा ए/11, लेनिन नगर, ओरियंटल कोल माइंस, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़।

मामिलाक दाखिल हेबाक संगे अदालत ओरियंटल कोल माइंसक महा-प्रबंधक एस.के. सिंह आ वेलफेयर ऑफिसर ए.के. श्रीवास्तव संग कतेक आओर प्रबंधक श्रेणीक अधिकारीके तलब केलक आ ओकरा अदालतक आगू ई साक्ष्य पेश करै  लेल कहलक जे ओ प्रमाणित करए जे कर कंपनी ओरियंटल कोल माइंसमे जूनियर डिपा. ऑफिसरक पदपर पछिला कतेक बरखस काज करैबला मोहनदास विश्वकर्मा असल मे बिछिया टोलाक विश्वनाथ बल्द नगेंद्रनाथ कियो आन नै अछि?

न्यायिक दंडाधिकारी गजानन माधव मुक्तिबोध अनूपनगर आ दुर्गक जिलाधीशके आदेश देलक जे ओ मामिलाक शासकीय जाच कर आ दू सप्ताहक भीतर अदालतक सोझा अप्पन जांचक रिपोर्ट पेश कर

बीड़ी पियैबला न्यायिक दंडाधिकारी जी.एम. मुक्तिबोधक आदेश आ अदालतक सम्मनस ओरियंटल कोल माइंसमे हड़कंप मचि गेल। स्थानीय अखबारमे एकर खबरि छपल-

"असल'" मोहनदास के?

"एन.डी.टी.वी.” आ "आज तकैनलक स्थानीय संवाददाता क्रमश: अनिल ादव आ खालिद रशीद मामलाक बाइट दिल्ली आ भोपाल पठेलक मुदा समाचार "राष्ट्रीय स्तरआ "अखिल भारतीय परिव्याप्तिनै भऽ सकल, कारण जे मे दिल्ली-भोपाल-लखनऊ क कोनो पै नेता वा अफसरक नाम शामिल नै छल, ई प्रांतीय वा राष्ट्रीय "खबरवा "सूचना'क रूपमे प्रसारित नै कएल गेल।

(...  कालक ब्यौरा अछि, जखन विधु विनोद चोपड़ाक फिल्म "मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.”, बॉक्स ऑफिसपर सुपर हिट भऽ गेल छल। जॉर्ज बुश आ टोनी ब्लेयर, दुनू अप्पन-अप्पन देशमे दोबारा चुनाव जीति कऽ सत्तामे आबि गेल छ, अमेरिकाक जहलमे भिखमंगा फकीर जेहन दाढ़ी आ नाक, झाइ भरल चेहराबला सद्दाम हुसन अरबमे कविता लिख लागल छल आ मंडल आयोगक सिफारिश लागू करैबला भारतक पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंहके कैंसर भऽ गेल छल, किडनी खराब छलओ जे.पी. जकाँ डायलिसिसपर छल आ दिल्लीक एक कोनमे कैनवासपर चुपचाप चित्र बना रहल छल...

...एह काल जखन पटनाक कलेक्टर बाढ़ राहतक करोड़ों टका मारि क नपत्ता भऽ गेल छल आ न सरकार फिल्म सेंसर बोर्ड पुरान अध्यक्षके हटा कऽ जकरा नअध्यक्ष बनौने छल, ओ बालीवुड फिल्मस बाहर लखाह दैत रहल ओ दृश्यपर सेंसरक कैंची चलेबापर विचार कऽ रहल छल, मे एकटा खानदानी नवाबक जिप्सीसशिकारमे मारल गेल कालिया मृग, दूटा खरगोशक लाश, सर्च लाइट आ बंदूकक बरामदगीक शॉट छल।
...ई वएह काल छल जखैन लगातार पंद्रह बरखस हिंदी भाषाक संबंधित पदक चयन समितिक सभ सदस्य, खाली पदपर अप्पन जमाय, बेटा, बेटी, समैध, चापलूस, सेवककेँ निर्लज्जतासँ नियुक्ति कऽ दैत छल आ ओपर नै कोनो सी.बी.इ. इंक्वायरी होल छल, नै राज्यसभा वा लोकसभामे कोनो सवाल उठैत छल...

...जखैन सभ सत्ताधारी पार्टी, मानव संसाधन मंत्रालय, पब्लिक सेक्टर भ्रष्ट कारखाना बनि गेल छल आ ई सभ विद्वान, शिक्षामित्र, समाजशास्त्री, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, इतिहासकार, कलाकार, अध्यापकक उत्पादन कऽ रहल छल...

आ बच्चाक दिमागपर कब्जा करै लेल शिक्षा-संस्थानमे इतिहास आ पाठ्य¬पुस्तकके दोबारा-तिबारा लिखबाक राजनीतिक जंग चलि रहल छल...

...तखन भारत भ्रष्ट देशक सूचीमे...संसारमे ८३म,  परमाणु बम बनाबै बला देश मे ६अम, जनसंख्यामे दोसर आ भयावह गरीबीमे खाली बांग्लादेश टासँ ऊप छल।)

हर्षवर्धन सोनी आ मोहनदास दुनूकेँ मुदा उम्मीद छल जे न्यायिक दंडाधिकारी जी.एम. मुक्तिबोधक अदालतमे दूधक दूध आ पानिपानि भऽ जात। विश्वासक पाछा दूटा मुख्य कारण छल। पहिल त ई जे दंडाधिकारी बीड़ी पिबैत छल आ ठेलाक कड़क चाय सेहो। आ हुनका कोनो तरहक घूस वा लालचस भ्रष्ट नै ल जा सकैत छल...

...आओर दोसर ई जे सत मोहनदास दिस छल किए तँ असल मोहनदास बी..एह छल।

"झूठक पर-मूड़ी किच्छो नै होइत अछि! भिनसरेक इजोत सन सभ किछु साफ लखाह भऽ जात! जै हो मलइहा मा! कृपा बनल रह सतगुरू कबीर! कस्तूरीक मौलाइल जिनगीमे आशाक एकटा खूब नरियर कोमल दूबि उगि रहल छल। पुतलीबाक आखिमे अन्हार त काबाक जेबाक बादेस बढ़ि गेल छल मुदा परछीक कोनमे चटापर कोनो बूढ़, पंखझरी चील सन बैसल ओ अप्पन कान लगातार कोनो भीतर कोठली दिस लगओने राखै छल।

आ एक दिन भिनसरे जखन मोहनदास अदालतक पेशीमे जएबा लेल बासि भात आ अल्लूक तरकारी खा रहल छल, तखने एकाएक पुतलीक खुशीस भरल बोल आंगनमे गूंजि गेल। ओकरा गरस जेना कोनो प्रसन्न चिड़ै बाजि रहल छल:
"हे......कनिया! हे देवदास! कोठरीक भीतर ताकि क देखियौ! लागैत अछि जे अलोपी मैना नबका घोंसला बनेने छै की? दौगू-दौगू...!

मोहनदास जल्दी-जल्दी खामे लागल छल, बेरस पहिने अदालत पहुँचि जाए किए तँ लोक कहैत छल जे बीड़ीक सुट्टा मारैबला जज टाइमक बड़ पाबंद अछि। जौं पांच मिनटक बेर भेल त पिछला पेशीमे अगला तारीख दऽ कऽ अगला पेशी शुरू कऽ दैत छै।
जखन मोहनदास दिन भरि लेल, भरि पेट भात-तरकारीक कलेवा खा कऽ घरसबाहर निकलि रहल छल त पाछा ओकर आन्हर-बूढ़ चिड़ै सन मा पुतली जोर-जोरस पुलकित भेल गाबि रहल छल:
"चोला तर ज रामा...तन तर ज रामा,
सत गुरु साखी ला...चोला त...
...चोला तर ज'
अदालत मे ओरियंटल कोल माइंसक महाप्रबंधक एस.के. सिंह हाजिर नै भेल छल। हुनकर अर्जी वकील पेश कऽ देलक। कॉलरीक वेलफेयर ऑफिसर ए.के. श्रीवास्तव अप्पन इनक्वायरीक सभटा फाइल आ संगमे लागल सभटा दस्तावेज न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणीक अवलोकनार्थ हुनकर टेबुलपर राखि देलक। हर्षवर्धन सोनीक चेहरा उड़ल लै किए तँ बिछिया टोलास जै तीनटा गवाहके अदालतमे आबि क साक्ष्य देबाक छल, जे मोहनदास नामक जे क्यो ओरियंटल कोल माइंसमे पछिला कतेक बरखस कनिष्ठ आगार अधिकारीक नौकरी कऽ रहल छल, ओकरा ओ सभ नेनास नीकस चिन्हैत छल जे ओ मोहनदास नै बिश्वनाथ अछि।

तीन गवाहमे स दूटा गवाह अदालतमे हाजिर नै भेल आ तेसर गवाह दिनेश कुमार साहू पलटी मारैत भरि अदालतमे तस्दीक कऽ देलक जे विश्वनाथ मोहनदास छी। ओ आंगुरस ह्षवर्धन सोनी आ मोहनदास दि इशारा करैत हो कहलक जे ई दुनू गोटे मास भरि पहिने ओकर घर आल छल आ ओकरास कहलक जे जौं अहा हमर सिखायल बयान कोर्टमे द देब त हम अहाके पाच हजार टका देब।

न्यायिक दंडाधिकारी गजानन माधव मुक्तिबोध अगला सुनवाईक लेल एक मास बादक तारीख धऽ देलक। हर्षवर्धन आ मोहनदास दुनू स्तब्ध छलाह

आब सभटा आ जिलाधीशक जाच रिपोर्टपर लागल छल। मोहनदासके न्याय जौं भेंट सकैत छल, तखन जखन सत आगू आबति
अगला पेशीमे दुर्ग आ अनूपपुर, दुनू जिलाक कलेक्टरक जाच रिपोर्ट जखन अदालतमे पेश कल गेल त हर्षवर्धन आ मोहनदास अवाक रहि गेल। ओ जाच रिपोर्टमे छल जे मोहनदास वल्द काबा दास, जूनियर डिपो ऑफिसर, ओरियंटल कोल माइंसक नाम आ शिनाख्तीकेँ लऽ कऽ उठाल गेल सभटा आरोप निराधार अछि। दस्तावेज, आवश्यक साक्ष्य, परिस्थितिगत प्रमाण, कएकटा ग्रामीण आ पंचायत सदस्यस गपसपक बाद निर्विवाद रूपस ई सिद्ध होइत छल जे मोहनदास, मोहनदासे अछि, विश्वनाथ नै 

बादमे पता चलल जे विश्वनाथ बेर दुर्ग आ अनूपपुर दूनू जिलाक संबंधित पटवारीके दस-दस हजार टका घूस आ दारू-मुर्गा देने छल। विजय तिवारी सेहो पुलिस गाड़ीमे बिसनाथके बैसा कऽ पटवारीके घूस पहुचाब लेल गेल छल। असलमे जेहन प्रशासनिक परिपाटी छल, मे कलेक्टर माने जिलाधीश माने डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेटक इंक्वायरीक असल मतलबे होत छल संबंधित तहसील वा परगनाक पटवारीस जाच। 
जौं कोनो अदालत कलेक्टरके कोनो जाचक आदेश दैत छल त कलेक्टर नोट लगा कऽ ओ आदेशके अप्पन मातहत, संबंधित इलाकाक एस.डी.एम. के पठा दैत छल। एस.डी.एम. ओकरा तहसीलदार आ तहसीलदार ओकरा नयब तहसीलदारके दऽ दैत छल। तरहे रेवेन्यू इंस्पेक्टर माने आर.आर. माने कानूनगोस भेल आखिरमे ओ आदेश पटवारी लग पहुँचि जा छल। माने आखिरमे पटवारी कलेक्टरक आखि-कान आ नाक बनि जाइ छल।

राति जखन गाम बिछिया टोला आ पुरबनराक पटवारी कमल किशोरके बिसनाथ आ विजय तिवारी दस हजार टकाक गड्डी देलक आ मैकडॉवल नंबर वन व्हिस्कीक संग बटर चिकेन आ मटन जींसक कबा खुलक त कमल किशोर पटवारी जमीनपर दुनूक पपर लोटपोट करए लागल।

"यौ, अहा सभक हुकुम हम कहियो टारब यौ?...एत्ते एमाउंटमे हम सा मूसके हाथी, खेतके सड़क आ बलगोविनाके छह बच्चाक माना देब। कमल किशोर पटवारी मगन भऽ कऽ नोटके अप्पन झोरामे धऽ उड़ि रहल छल। ओ मैकडॉवल नंबर वनक पटियाला पैग एक घोंटमे गराक नीचा उतारलक आ ओत ओकर सभका सोझेँ, बिना कत्तौ गेने, मामलाक सभटा तफ्तीश कऽ देलक आ पंद्रह मिनटमे मोहनदास बनाम विश्वनाथ मामिलामे जिलाधीश द्वारा पूर कल गेल इंक्वायरीक पुख्ता रिपोर्ट सफेद कागजक एकटा पन्नापर तैयार भऽ गेल।

अर्थात अंग्रेजक गुलाम भारतपर शासनक लेल तैयार कल गेल नौकरशाहीक बीझ खाल लौह ढाचामे, जे आजादीक साठि बरखक बाद आधिकारिक सरकारी दस्तावेज धरि विश्वनाथ वल्द नगेंद्रनाथ छल, के मोहनदास वल्द काबा दास बना देलक।

मोहनदास फेर टूट लागल। ओ लगातार कबीरक जाप करैत छल। मलइहा माक मढ़ियाक ड्योढ़ीपर ओ घंटो बैसल रहैत छल। मलइहा मा मलाटाक भोग लगाबैत छल। सेहो बकरीटा दूधक मलाक। ऊच जातिक लो कर मढ़ियामे नै जाइत छल। ठाकुर, बनिया, बाभन, लालाक देवी-देवता दोसर छल। मलइहा माक पूजाक काज ब्राहमण नै गोसाईं करैत छल। कहैत छै जे दलित-आदिवासीक संग भात-रोटी, बेटा-बेटीक संबंध बनाबैक कारण, जाति-पाति निकालल गेल ब्राह्मण गोसाईं कहबै छल 
मोहनदास खाड़ा गाम जा सिउनारायण गोसाईंकेजौलक, ओकरा बीस टका आओर दालि-चाउर, नून, हरैद, चुदक, सीधा देलक ओकरास मलइहा माक पूजा करौलक आ शुद्ध बकरीक दूधस निका गेल पाव भरि मलाक भोज चढ़ेलक

हि बीच एकटा घटना आर भ गेल एक दिन भिनसर काल, जखैन कस्तूरी गामक दू-तीन टा मौगी संगे दिशा-फरकत कर लेल गेल, ओकरा सभकेँ जंगल-झाड़क पाछा कोनो हलचलक आभास भेलै। जेना कियो ओत नुकाल छै कस्तूरी आइ-काल्हि अप्पन हिफाजत लेल हरदम कछनीमे कचिया खोसि क राखैत छल ओकरा   गपक नीकस आभासलै जे दू बच्चाक मानि गेलाक बादो एखन धरि गाममे सभसँ सुन्नर काठी आ चेहरा-मोहराक मौगी अछि आओर कतेक दिनस गामक ठकुरान-बभान शोहादक नजरि गिद्ध जेहन ओकरापर गछै। 

कस्तूरी उठि ठा गेल ओ डाँरमे खोसल कचिया निकालि क हाथमे थाम्हि लेलक आ समधानल डेगस जंगल-झाड़ दिस बढ़ल ओकर पाछा रमोली, सितिया, चंदना आ सावित्री छल

की छी...केकर भीतर हबस पैसल छै! निकल तोहर गर्मी निकालि दैत छी टटीबे! मुँहझड़को।” कस्तूरी चिकरलक बाकी मौगी स सेहो बोन-झाँकुरके घेरब शुरू क देलक सभक हाथमे एक-एक दिसा-फारकतबला लोटा छलै। 

झाँकुरटाकस निकलि छत्रधारी लड़का विजय तिवारी भागल गंजी-जंघियामे ओकर चर्बी चढ़ल थुलथुल देह भागैत काल गोलमटोल तरबूज जेहन लखाह द रहल छल कस्तूरी किछु दूर धरि हाँसू तानि क ओकरा दिस दौ रमोली, सितिया आ सावित्री गरियाबैत पोखरि दिसक लोटा खेंचि-खेंचि मारलक दरोगा विजय तिवारी खसैत-पड़ैत लंक लऽ भागि रहल छल मौगी सभ पाछा चिकरि रहल छल:

'यौ, टी.वी. बलाके बजा, सीन खीचू'

'दौड़ हे दौगऽ! दरोगा कछियामे हगि रहल छै...'
दिन सच्चेमे विजय तिवारी डरि गेल छल जे कत्तौ मोहनदास अप्पन वकील हर्षवर्धन सोनी संग मिल टी.वी. आ अख़बारमे किछु अंट-शंट नै देखा-छपा दिऐ।

(ई सभ किछु दिनक घटना छी जखन समुच्चा एशियाक राजनीतिक इतिहासमे पहिल बेर एकटा भारतीय स्त्री कम्युनिस्ट पार्टीक पोलित ब्यूरोक सदस्य बनल छलि, एकटा दोसर स्त्री प्रधानमंत्रीक कुर्सी ठुकरा देनेलि......आ स्त्री, संसारक ओभसँ प्रतिष्ठित जूरीक सदस्य बनि गेल छलि, मे ऋत्विक घटकक सुवर्ण रेखा वा कोमल गांधार वा शैलेंद्रक तीसरी कसमक स्क्रीनिंग धरि नै सकल छल......ओही काल जखन बगदादक अबू गरीब जेलमे एकटा अमेरिकी स्त्री राकी पुरुषके नांगर क ओकरा एक-दोसराक ऊपर लादि क एकटा पिरामिड जेहन बना देल छल आ अमेरिकी झंडा ल ओकर ऊपर चढ़ि गेल छलि......ओही काल जखन पावर सत्यमे जेंडरकेँ परिभाषित क रहल छल!... काल जखन दिल्लीक धौलाकुआ लग उत्तर-पूर्वक एकटा लड़कीकेँ कारक भीतर खींच क राजधानीक सभ वी.आइ.पी. सड़कपर अढा घंटा धरि लगातार दिल्लीक पाच पुरुष बलात्कार करैत रहल छल...आ इम्फालमे मनोरमाक बलात्कार आ हत्याक विरोधमे कृष्णक उपासना करएवाली कएक सए मैते स्त्रीग तामसमे आ हतास भऽ नांगट भ गेल छलि...... काल जखन दूटा स्त्री सरदार सरोवरमे ४०.००० दलित आ आदिवासीक घर-जमीन-जायदादकेँ पानिमे डुमा दै बला योजनाक विरुद्ध लड़ा हारि गेल छल आ जलप्लावनमे वन्य प्राणी, वनस्पति, गाछ सभ किछु डूमि गेल छल......टी.वी.पर ओ टटाल स्त्रीगणक कानैत, हरल चेहरा लगातार लखाह भ रहल छल......एह काल जखन हम दिल्ली छोडि क वैशाली आबि गेल रही आ हमर छतस गाजियाबाद ओ झंडापुर  साफ लखाह दैत छल, जत ठीक पंद्रह बरख पहिने ओ क्रांतिकारी कलाकार आ रंगकर्मीक हत्या भेल छल, जाकर नाम सफ़दर हाशमी छल...)       

गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंधाधिकारी (प्रथम श्रेणी) क अदालतमे स गवाह, सबूत, जाच रिपोर्ट एत धरि जे दू-दूटा जिलाधीशक इनक्वायरी ई सिद्ध क देलक जे बिसनाथे मोहनदास अछि। तखन जे गरीब सन आदमी मोहनदास हेबाक दावा कऽ रहल छल ओ के अछि?- एकर अदालतमे चलि रहल मामलास कोनो सोझ कानूनी संबंध त नैलै। ओ एकटा अलग केस भऽ सकैत छल, मुदा से तखन जखन ओकर दरख्वास्त अदालतमे कोनो वकील वादी दिसस दाखिल कर
हर्षवर्धन सोनी तीन दिन, तीन राति धरि सुति नै सकल। ओ नीकस बुझै छल जे मोहनदास मोहनदास छी, मुदा एकरा प्रमाणित कऽ सकब लगातार कठिनेटा नै असंभव भऽ रहल छलै। ओ हमरा ई-मेल पठेलक:

"ई त हद छै! नै हमरा किछु खाल-पीभऽ रहल अछि, नै रातिमे नीन आबैत अछिम्हर मोहनदासक सेहो यएह हालत छै। सभ कियो बुझैत अछि जे असली मोहनदास यएह छी मुदा एकरा साबित कऽ सकब मुमकिन नै रहि गेल छै। की करी किछु सुझैत नै अछि। मोहनदास आ हमरा दुनू गोटेकेँ धमकी देल जा रहल अछि जे चुप भऽ कऽ बैसि जा.... बीच पता चलल जे बिसनाथ रासबिहारी रायकेँ अप्पन वकील बनौने अछि। हुनका त अहा जनैत छियन्हि, सत्ताधारी पार्टीक ब पै नेता छथिन। वहु नगर निगमक अध्यक्ष छनि आ कतेक सरकारी-गैर-सरकारी संगठनक प्रमुख छथिन। मोहनदासक पक्षमे आब चारि-पाच लोक गवाही दै लेल तैयार भेल अछि- बीरन बैगा, गोपालदास, बिहारीदास, रमोली, सितिया...मुदा कर सभ बगे-बानी एहन छै जे लागैत छै जे एहन गवाह त पचीस-पचासमे कत्तौ भेट जात। भिखमंगा लागैत अछि सभ गोटे ...सोचैत छी हम न्यायिक दंडाधिकारीस सोझे भेंट कऽ कए देखि। ओ बीड़ी पीबैत छथि आ किछु अजी लागितो छथि। जी.एम. मुक्तिबोध हुनकर नाम छन्हि। मराठी छथि मुदा हुनकर हिन्दी अद्भुत अछि। कोर्टक बाद सड़कक कात रामदीनक ठेलापर कड़क चाह पिबैत छथि। ...हम नोट केनेही जे ओ जखन अदालतमे मोहनदास दिस देखैत छथि त कर आखिमे एकटा बेचैनी आबि जाइ छनि। हुनकर  माथक एकटा नस उभरल छनि आ जखन ओ किछु सोचैत छथि ओ फुलि जाइ छनि।....हमरा डर  लागले रहैत अछि जे कत्तौ कोनो दिन ओ नस फाटि ने जा। हुनकर आखिमे किछु एहन त अछि जना ओ कोनो जासूस वा खुफियाक आखि हुअए जे कानि चुपचाप केकरो आत्माक भीतर धँसि ओकर सभ किछु पखारि सकैत अछि। ...सभ कहैत अछि जे हुनकर घरमे कतेक रास किताब छन्हि आ ओ तीन बजे राति धरि पढै़त रहैत छथि। एकटा विचित्र स गप हमरा हो पता लागल जे जी.एम. मुक्तिबोध छथि प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी मुदा सरकार हुनकर पाछा सी.इ.डी. लगा कऽ राखने छल...।' 

कोनो दोसर बात नै देखि हर्षवर्धन एक तरहे जुआ खेलेलक। कोनो विचाराधीन मामिलाक संबंधमे भेंट करब, सेहो एहन जजसँ जे किछु रहस्यपूर्ण देखबामे लगैत अछि, एकटा खतरासँ भरल निर्णय छल। जौं जी.एम. मुक्तिबोध तमसा जेतथि ओकर कैरियर बर्बाद भऽ सकैत छल। हर्षवर्धन सोनीक अतीत ओहिनो बड़ कठिना, संघर्ष आ दु:खस भरल छलै, बेरोजगारीमे भाक हताश आत्महत्या ओकर मनस कखनो एक्को पल लेल नै जालै। वकालत त खाली नाम मात्र लेललै। ओकरा लग बेसी वएह सभ बैत छल जकर जेबीमे महग वकील करबा लेल टका नै होलै। मोहनदासक मोकदमामे ओकरा किछु नै भेट रहल छलै, ऊपरस ओकरा पाच हजार टका अपनेसँ जोगाड़ करल छल। तकर  बादो ओ न्यायिक दंडाधिकारीस भेंट करबाक खतरा लेलक।

हर्षवर्धनकेँ आश्वस्ति भेलै जखन अप्पन फ्लैटपर ओकरा देख क गजानन माधव मुक्तिबोधक चेहरापर एहन भाव एलै जना ओकरा पहिने ओकर एबाक गप बुझल हुए। जना हुनका पहिने पता छल जे हर्षवर्धन ओकरा लग अएबे करत। ओ एकरा लेल लकड़ीक एकटा पुरनका कुर्सी राखि देलक आ  "बैसू! हम चा बनाबैत छी!,  कहि कऽ भीतर चलि गेल'

हर्षवर्धन कोठलीमे नजरि दौगेलक। ओत सभटा चीज बेतरतीब छल। कतेक किताब एत-ओत पसरल छल आ ओकरामे स कतेक पन्ना खुल छल, जकर बीचमे पेंसिल, कार्ड आ गाछक पात खोसल गेल छल। भऽ सकैत अछि जे किताबक ओ पृष्ठ ओकरा बड्ड पसीन हेतै आ ओ बेर-बेर ओकरा पढ़ैत छल होएतकोठलीक हालत देखि कऽ लागैत छल जे ओ एत असगरे रहैत छथि। हर्षवर्धनकेँ पता लागल जे कर बदली अधिक काल आदिवासी आ पिछड़ल इलाकामे कऽ देल जाइत अछि, जत एहन मुकदमा नै आबैत छै, जकरास कोनो पै लोक आ व्यापारीकेँ कोनो नुकसान भऽ जाए। हर्षवर्धनक आखि ऊपर उठलै। भीतपर गाधीजी आ मार्क्सक चित्र टांगल छल। एकटा कोनमे गणेशक प्रतिमा सेहो ाखल छल। वाम भागक भीतस लागल बुकसेल्फ छल, मे कानूनक कतेक किताब राखल छल, जना ओकरा कतेक बरखस खोलले नै गेल हुअए 

जी.एम. मुक्तिबोध चा लऽ कऽ आबि गेल छल। संगेमे एकटा छिपलीमे कनीटा बेसनक सेब छल। चाहकेँ मचियापर राखि कऽ मुक्तिबोध तख्तापर बैस गेलथि। चा बड़ कड़गर आ महोर छल। खूब औंटल आ भफाएल  

कतेक काल धरि कोठलीमे सुन-सन्नाटा रहल। हर्षवर्धकेँ हिम्मत नै भऽ रहल छलै जे ओ ओकरासँ गप शुरू करितिसोझाँक भीतपर एकटा पुरान घड़ी छल जे चाभी भरला चलैत होत। मुदा लागैत छल जे कतेक कालस कियो ओकरामे चाभी भरनहिये नै अछि। ठाढ़ छल। घरमे एकटा कलेंडर टांगल छल, मे माथपर मुरेठा बान्हल बाल गंगाधर तिलकक चित्र छपल छल। हर्षवर्धन देखलक जे ओ कलेंडर सन 1964 अछि 

-हम जानैत छी जे (एकटा बड़ पै कतेक दूरस जा कऽ घुरैत सास).... मोहनदासे असली मोहनदास अछि। न्यायिक दंडाधिकारीक वाज जना कोनो गहीर इनार वा तरहरिमे स आबि रहल छल। बड़ रकम, मद्धिम वाज। ओ चाक एकटा बड़का चुस्की भरलक। ओ घोंट आ स्वाद जेना कर माथक तनावके कनी कम कऽ देलक।

"...आ ओ दोसर लोक फ्रॉड अछि। ओ सरासर इपर्सोनेट कऽ रहल अछि। हमरा बुझल यऽ ओ विसनाथ वल्द नगेंद्रनाथ, जूनियर डिपो ऑफिसर छी जे ए बटा एगारह, लेनिन नगरमे अवैध ढंगस मोहनदासक आइडेंटिटी, चोरा क रहि रहल अछि। ही इज अ चीट, अ क्रिमिनल। अ स्काउंड्रल!'

हुनकर बाजब बड़ पातर मुदा कोनो धातु जेहन धग्गड़ आ दृढ़ छल। ओ अप्पन जेबीस बीड़ीक बंडल निकालन्हि आ ओमेस एकटा बीड़ी निकालि क पहिनेमे उल्टा फूक मारलक, फेर सलाक काठीस ओकरा पजारि कऽ एकटा गहीर सन सुट्टा मारलक।

हर्षवर्धनके लागल जेना ओ अप्पन कालस बाहर, कोनो टाइम मशीनपर बैसल, कोनो दोसर कालमे पहुँचि गेल अछि। ओ बाजल, "हम यएह बताबैक लेल अहा लग आल रही। मुदा अहा कोना जानि लेलि जे असली मोहनदास के छि'

"एकरा जानब तऽ बड़ हल्लुक अछि। जौ अहा लग कनियो संवेदना आ विवेक हु,  मुक्तिबोध बाजल आ ओ चिंतित भऽ क किछु सोच लागल। ओ बीड़ीक एकटा खूब गहीसोंट लेलक। "हम तीन रातिस लगातार जागि रहल छी। आइ कांट स्लीप फॉर अ मोमेंट! ...इट इज अबसर्ड एंड अ वेरी टेंस एक्सपीरिएंस। हुनक आंगुरक बीचमे फसल बीड़ी मिझाइबला छल। हुनकर आखि जेना कत्तौ आर नै, अपनाके देख लागल छल।

"दि होल सिस्टम हैज टोटली कोलैप्सड...! जस्ट लाइक ट्विन टॉवर्स इन न्यूयार्क...नाइन लेवन!...नाउ व्हाट इज लेफ्ट फॉर दि सबजेक्ट्स एंड पुअर इज अनार्की एंड कैटॅस्ट्राफ!! (सभटा व्यवस्था ढहि गेल अछि, न्यूयार्कक जोड़ा मीनार सन...सितम्बर एगारह!...आब प्रजा आ गरीबक आगू अराजकता आ विनाश टा बचल छै) हमरा लगैत अछि, पूजी आ सत्ता...कैपिटल एंड पावरके एकटा एकदम्मे नव रूपमे आगू अछि। मोहनदास इज बिइंग डिनाइड ऑफ अ सिंपल सेंशियल लीगल जस्टि, किए तँ ओ न्यायके कीनि नै सकत! ओह! गजानन माधव मुक्तिबोधक माथक नस फूलि रहल छल। कर आंगुर थरथरा रहल छल। ओ बेचैन भऽ कऽ ठा भऽ गेल छल। ओ मिझाल बीड़ीके देखलक आ जेबीस सला निकालि क ओकरा फेर सुगाबै लागल।

"सभटा सिद्धांत खत्म भऽ सकैत छै।...कहियो बड़ परिवर्तनकारी लागैबला बौद्धिक आ दार्शनिक संरचना बदलैत कालमे खाली वाग्जाल, अनर्गल बकवास आ ठक प्रवचनमे बदलि सकैत छै। इतिहासमे एहन बेर-बेर भेल छै। मुदा...'

ओ बीड़ीक एकटा गहीर सोंट भीतर खींच क सास कनी काल लेल रोकि लेलक। लगैत छल जे ओ अप्पन चढ़ैत बेचैन सासके निकोटीनक धुआ शांत करबाक कोशिश करैत छल। ओकरा खोंखी भऽ गेलै। बामा हाथस ओ अप्पन छातीके किछु काल धरि दबा क राखलक, फेर खरखर वाजमे बाजल, "मुदा मनुखक भीतर एकटा चीज एहन अछि जे कहियो कोनो जुगमे कोनो तरहे सत्तास मेटानै जा सकैत अछि!...आ ओ अछि न्यायक आकांक्षा! डिजायर फॉर जस्टिस इज इनडिस्ट्रक्टबल...! इट इज आल्वेज इम्मोर्टल...! न्यायिक आकांक्षा कालातीत अछि!'
ओ अप्पन मध्यमा आ तर्जनीक बीच फसल बीड़ीकेँ खिड़कीस बाहर फेकि देलक। ओ मिझा गेल छल।

हर्षवर्धन सोनी मंत्रविद्ध छल। ई केहन लोक अछि। एहन लोकके न्यायिक दंडाधिकारीक तरहेक कालमे देखब कोनो असंभव स्वप्न छल। एकटा दुर्लभ फैंटेसी।

ओ बेचैनीक संग कोठलीमे टहलि रहल छल। एकाएक ओ ठाढ़ भऽ गेल आ कर आखिमे एकटा गहीर आत्मीय हसी कोनो तरल द्रव्य सन झिलमिल करै लागल।

"अहां जा, हर्षवर्धन!...डोंट वरी मच! हमरा पता अछि जे अहूँ पछिला कतेक रातिस सुतल नै छी। हमरे सन'! ओ बड़ जो एकटा ठहक्का लगे आ बाजल, "पार्टनर, बेफिकिर भऽ कऽ सुतू। स्लीप लाइक अ डेड हॉर्स। नाउ, हैव गॉट विद समथिंग'

एकर बाद ओ हर्षवर्धन लग आल। ओकर कान्हपर ओ हाथ राखल। हर्षवर्धनके लागल कर हाथमे कोनो भार नै छै। कागज, फूल, स्वप्न आ भाषास बनल हाथ।

गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी रकमस हर्षवर्धनक कान लग फुसफुस क बाजल, "हमरा लग एकटा पावर अछि। बस एकटा पावर। दैट इज... सीक्रेट जूडीशियल इंक्वायरी। हम अपना स ई जाच करब। गोपनीय न्यायिक जांच। जस्ट लीव इट टु मी'

हर्षवर्धन सोनी जखन मुक्तिबोधक फ्लैटस बाहर आल त ओकरा लगलै जे ओ कोनो बड़ पै स्वप्नक बीहड़िसँ बाहर निकलि कऽ अप्पन काल आ यथार्थमे घुरि रहल रह। ओत जत मोहनदास अछि, बिसनाथ अछि, ओ सेहो अछि आ आक यथार्थ अछि।
चारि दिन बादे विश्वनाथ आ ओकर बाप नागेंद्रनाथके जी.एम. मुक्तिबोध न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) क आदेशपर जालसाजी, धोखाधड़ी, फरेब, चोरी आ गबनक जुर्ममे इंडियन पीनल कोडक धारा 419/420/464/467/ 403 क तहत गिरफ्तार कऽ जेल पठा देल गेलै। अदालत ओरियंटल कोल माइंसक जनरल मैनेजर एस.के. सिंह केँ आदेश देलक जे ओ मोहनदास विश्वकर्मा उर्फ विश्वनाथ, जूनियर डिपो ऑफिसरक विरुद्ध तुरंते कार्रवा कऽ कार्रवाक सूचना दू हफ्ताक भीतर अदालतमे पेश कर। एकर अलाबे ऐ पूरा प्रकरणमे प्रत्यक्ष आ परोक्ष रूपस सम्मिलित आ लिप्त अधिकारी आ कर्मचारीक विरूद्ध उपयुक्त विभागीय जाच आ कार्रवाई शुरू कल जाए। जौं ओरियंटल कोल माइंस सभक विरूद्ध न्यायिक आपराधिक प्रक्रियाक अंतर्गत अपराध काम कर चाहैत अछि त ई न्यायालय एकर अनुशंसा करैत अछि।

हरबिर्रो मचि गेल। अखबारमे नकली मोहनदासक गिरफ्तारीक खबर प्रमुखतास छपल। ओरियंटल कोल माइंसे टा नै मुद कतेक खदान आ सार्वजिनक उपक्रम अधिकारी, यूनियन नेता आ कर्मचारीक होश उड़ि गेलै। चारू दिस भागा-दौरी छल। लेनिन नगर, गाधीनगर, अंबेडकर नगर, जवाहर नगर, शास्त्री, नेहरू आ तिलक नगर जेहेन सुव्यवस्थित कॉलोनीमे हजारो बिसनाथ जेहन लोक छल जे कोनो दोसर पहचान, अधिकार, योग्यता आ क्षमताके चोरा कऽ कतेक बरखस बैसल छल आ कएक हजारमे दरमाहा लऽ रहल छल।

बादमे मालूम भेल जे गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी), अनूपपुर, (म.प्र.) अप्पन आपातकालीन सुरक्षित न्यायिक अधिकारक इस्तेमाल कऽ अपनेसँ ऐ मामिलाक गोपनीय जाच कले छल।

रातिड़ी काल धरि ओ पढ़ैत रहल। भोरमे ओ नौ बजे ड्राइवरके फोन कऽ अप्पन सरकारी गाड़ी मंगौलक, जकर इस्तेमाल ओ अदालतेटा जएबा आ ओत घुरबा लेल करैत छल। दोसर फोन ओ एच.एस. परसा (हरिशंकर परसाई) केलक, जे पब्लिक प्रॉसिक्यूटर छल। तेसर फोन ओ एस.बी. सिंह (शमशेर बहादुर सिंह) केलक, जे अनूपपुरक एस.एस.पी छल। ई सभटा अधिकारी अप्पन-अप्पन कर्तव्यनिष्ठा आ ईमानदारीक लेल जानल जाइत छल। चारिम फोन ओ हर्षवर्धन सोनीकेलक आ ओकरास एतबेटा बाजल- "पार्टनर, स्टैंप पेपर लऽ कऽ तुरत आबि जा'!

शमशेर हादुर सिंह बतौलक जे न्यायिक दंडाधिकारीक गाड़ी सीधा लेनिन नगरमे मटियानी चौक लग, ए/11 नंबरक फ्लैटपर रूकल। बिसनाथ ओ काल विजय तिवारीक संग कोनो नेताक सरोकारमे बाहर गेल छल। फ्लैटमे ओकर कनिया कस्तूरी माने रेनुका देवी टा छल, जे चिटफंड, सोशल सर्विस, किटी पार्टी आ फाइनेंसक धंधा करैत छल। न्यायिक दंडाधिकारी ओकरासँ सोझे कर बल्दियत आ कर नैहरक पता पुछलक। कस्तूरी मैडम माने रेनुका देवी सरकारी बत्तीनला गाड़ी आ एत्ते लोकके देखि कऽ घबड़ा गेल छल।
एकर बाद न्यायिक दंडाधिकारीक गाड़ी लेनिन नगरस निकलि कऽ मिर्जापुर-बनारस जा बला सड़कपर दौय लागल। ठीक पैंसठि किलोमीटर बाद ई गाड़ी आवाजपुर गाम दिस जाबला कच्ची सड़कपर उतरि गेल आ आध घंटा बाद लंकापुर नामक गाममे एकटा भव्य पक्काक मकानक आगू ठाढ़ भऽ गल। न्यायिक दंडाधिकारी ओत मकानमे रहैबला लालू प्रसाद पांडे आ कर कनिया जय ललिता पांडेस दूटा सवाल केलक। पहिल कर आ कर बेटा-बेटीक की नाम छै। आ दोसर कर जमाय सहक नाम आ पता। एकर बाद ओ पब्लिक प्रासिक्यूटर एच.एस.परसाईके निर्देश देलक जे ओ हर्षवर्धन सोनीस स्टैंप पेपर लऽ कऽ कर हलफनामा तैयार कऽ लिअ
न्यायिक दंडाधिकारीक गाड़ी एकर बाद ग्राम पंचायतक सरपंचक घरपर रूकल, जत सरपंच आ किछु गवाहक बयान दर्ज कल गेल।
एस.एस.पी. शमशेर बहादुर सिंह जोरस ठहक्का लगा क बाजल,  "जालसाज त एत्ते धरि सोचलो नै छल आ सभक सभ फसि गेल। हम त लंकापुरस अनूपपुर थानाक एस.एच.. के फोन कऽ देनेही जे बिछिया टोला आ लेनिन नगर जा नगेन्द्रनाथ आ बिसनाथके थाना लेने आबू, नै फरार भऽ गेल त मोसीबत भऽ जात। 

एकर बाद विवरण बड़ संक्षिप्त अछि।

हर्षवर्धन सोनी आ मोहनदास दुनू जीतस बड़ खुश भेल। कस्तूरी सौंसे पुरबनरामे नचैत रहल। आन्हर पुतलीबा गठुल्लामे लजबिज्जीक बीच नुका कऽ राखल एकटा पोटरी फेर खोजि क निकाललक, मे बिसुनभोग चाउर छल। मोहनदासक घरक सभटा कोन बिसुनभोग, खेसारी आ बकरीक दूधस बनैबला खीरक गमकस गमकि गेल। अलोपी मैनाक खोतामे अंडाक खोलके अप्पन छोट-छोट लोल भीतरस फोड़ि क दूटा सुन्नबच्चा बाहर निकलिल छल आ ओकर अबोध चिचियेनाइ कोठरी आ ओसारमे एकटा न संगीत भरि देलक।

पुतलीबाक गठियाक दर्द कम भऽ गेल आ पहिलुक बेर ओ आंगन आ परछीमे अपनेस बाढ़निगेलक। ओ मगन भऽ कऽ चलल जा रहल छल मुदा ओ गीतमे कोनो प्रसन्न चिड़ैक कंठक संग एकटा कोनो उदास-सन स्वर सेहो छल:

"अहा बिन जग लागे सुन्न...
जग लागे सुन्न...
नै भावै हमरा
सोना-चानी महल अटारी...' 

हर्षवर्धन सोनी मोहनदासस कहलक जे आब अगला केस ओरियंटल कोल माइंसमे तोरा तोहर नोकरी घुरा दियाबैक लेल दाखिल होत। अदालत बिसनाथक सर्विस बुकस अहाँक सभटा सर्टिफिकेट, मार्कशीट आ टेस्टिमोनियल जब्त क लेने अछि। ओ अहाके दऽ देल जात। मोहनदास हर्षवर्धनस लिपटि गेल। ओकर  कमजोर-गरीब शरीर थरथरा रहल छलै। ओकर गर भारी छल आ आखिस कृतज्ञता आ आह्लादक नोर लगातार बहि रहल छलै। जना षाढ़- सानक तोर लागल हुए।  

बीरन बैगाक घरमे फेर रास रंग भेल। सितिया तोरीक तेल, रसून-प्याज आ गरम मस्सलामे रसदार सुअरक मौस रान्हलक। तीन मटकी महुक शराब उतारलक। ढोलक, मंजीराक संग बेर राम करन हारमोनिया सेहो लऽ कऽ आल छल। गोपालदास, बीरन, बिहारी, परमोदी, मोहनदास सभ कियो पीलक। सितिया, रमोली, कस्तूरी, सावित्री सेहो ठर्रा पीब क भेर भऽ गेल। ओ नाचि रहल छल आ गाबि रहल छल। मोहनदासके पता नै कत-कत एकक बाद एक गीत मोना पड़ि रहल छलैसभ मस्त भऽ गेल छल। 

कस्तूरीके दारू किछु बेसी चढ़ि गेल छलै। ओ बेर-बेर मोहनदासक हाथ पकड़ि  क खींच लागल।  "हु तू तू ...तु...तु! हमरा संग कबड्डी खेलब? हु तू तू तू तु तु...!' ओ मोहनदासक देहमे गुदगुदी लगाब लागल।

" जो भाग ठामस! जो दरोगा तिवारीक महिसवारीकेम्हार...!'  मोहनदास ओकरास चुहुल कऽ रहल छल। ससैत-हसैत लोटपोट भऽ रहल छल।

जखन सावित्री एकाएक गरजि बाजल, "दौगऽ हौ...दौगऽ! तिवारी दरोगा धरियामे हगि रहल अछि!!' सी आ ठहक्का क्के बैग बम जना फूटल, जकर धमक्का आध रातिमे पूरा पुरबनरा डोलि उठल।

मोहनदास आ बीरन बैगा उठि कऽ आंगनक बीचोबीच ठा भऽ गेल छल। जना ओत कोनो अदालत चलि रहल हुए। दुनू डायलॉग मारि रहल छल।

मोहनदास: ए...हे! अहा के छी? अहाक नाम की? चलु कोरटक नाम बता!

बीरन बैगा: हमर नाम छी बीरन बैगा। हमर बापक नाम अछि डिंडवा बइगा! डिंडवा बइगा!!

मोहनदास: ए हे! हम के छी? हमर की नाम?

बीरन बैगा: (आगू बढ़ि क ओकर छातीपर आंगुर गड़ाबैत) हे साढ़ भुक्खड़! तोहर नाम छियौ मोहनदास! मोहनदास!! (गरजि) मोहनदास कबीरपंथी बंसोर!!!

मोहनदास: आ हमर बापक नाम की छी?

बीरन बैगा: तोहर बाप त मरि गेलौ! तोहर बापक नाम रहौ काबा दास!

मोहनदास: ए हे! हम मोहनदास म्हर आ हमर बाप काबा दास म्हर ऊपर, सरगमे...त सारम्हर अनूपपुरक जेलखानामे के बैसल अछि?

बीरन दास: (कूदि क हाथ नजाबैत गरजैत अछि)...ओ देहजरा बिसनाथ! चारि सौ बीस...! ओकर बाप डबल चारि सौ बीस! ओकर मौगी चारि सौ बीस...! कोला खदानबला लेनिन नगरक अफसर नेता सभ कियो चारि सौ बीस!

(परमोदी, सितिया, बिहारी, रामकरन, रमोली, सवित्री, गोपाल दास सभक मिलल ठहाकाक संग ढोलक, मंजीरा, हारमोनियमक संगीत)

पूरा कथाक उदास, हताश धूसर रंग बीचमे चटख प्रसन्न रंगक ई छिट्टा अहाके कोनो क्षेपक सन लागि रहल होत। कि नै? अहाक सोच एकदम्मे सत अछि। गरीब आ अन्यायक शिकार लोकक जिनगीक खरखर यथार्थमे एहन सुन्नर रंग कहियो-काल खाली एहने किछु पल लेल बैत अछि। सत्ता आ पूंजीस जुड़ल तागति एकाएक कोनो बाज सन झपट्टा मारि क अलोपी मैनाक खोताके उजाड़ि दैत अछि आ बाहर लखाह दैत छै चिड़ैक छोट-छोट गेल्हक पंख आ खूनक किछु दाग। ई दाग कोनो पार्टीक सरकारक मानव संसाधन मंत्रालयस लिखाल इतिहासक पाठ¬पुस्तकमे कहियो नै लखाह दैत अछि। किएकि इतिहासकारक पेशे अछि जे अपना कालक सत्ताक आँचरक दागके नुकाब।

मास कतेक रास अजगुत घटनास भरल छल। भारतक राजधानी दिल्लीस एक हजार पचास किलोमीटर दूर जे किछु भऽ रहल छल, ओकर सूचना आ खबरि खिस्साक अलाबे अहाके आर कत्तौस नै भेटत। अनूपपुरमे मोहनदासक जीवन ज हलातस गुजरि रहल छलै, ओकर संक्षिप्त विवरण ई अछि:

गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणीक बदली एकाएक राजनांदगांव भऽ गेल आ ओ अनूपपुर छोड़ि क चलि गेल।

बिसनाथक वकील रास बिहारी राय, जे सत्ताधारी पार्टीक पै नामवर- मातबर नेता छल आ जकर पुतोहू नगर निगमक अध्यक्ष छल ओ एक्के पेशीमे बिसनाथ आ ओकर बाप नगेंद्रनाथक जमानत करा देलक। रास बिहारी राय एखुनका राजनीतिक माजल खिलाड़ी छल। विश्वनाथ माने मोहनदासकेँ जेलस रिहा करैत, पुलिसस गठजोड़ कऽ ओ ई चलाकी केलक जे पुलिस रिकार्डमे मोहनदासे नाम दर्ज रह देलक। किएकि जाधरि अदालत अंतिम फैसला नै सुनैबिति ताधरि मोहनदास माने विश्वनाथ अपराधी नै कानूनी रूपमे खाली संदिग्ध भरि छल। माने पुलिसक दस्तावेज आ आधिकारिक कागजमे अनूपपुर जेलस जे दूटा कैदी जमानतपर रिहा कल गेल छल ओ अप्पन पुरान नाम मोहनदास माने विश्वनाथ आ काबादास माने नगेंद्रनाथक नामस जेलस बाहर छल। ओ दुनू टाक रिहाबला दस्तावेजपर बादबला नाम एहन तरहे लेभरा लिखल गेल छल जे पढ़बामे नै बै छल।

म्हर एकाएक एक दिन खबर भेटल जे राजनांदगांवमे न्यायिक दंडाधिकारी जी.एम. मुक्तिबोधके ब्रेन हेमरेज भेल अछि आ हुनका अचेतावस्थामे बिलासपुरक अपोलो अस्पतालमे भरती कल गेल अछि। अपोलोमे कांग्रेस पार्टीक महामंत्री श्रीकांत वर्मा आ मुक्तिबोधक अभिन्न मित्र नेमिचंद जैन हुनका लग छल। मुदा 72 घंटा धरि जीवन-मृत्युक बीच चलल कठिन संग्रामक बाद गजानन माधव मुक्तिबोध, न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम श्रेणी अप्पन अंतिम सास लेलक। ... अंतिम सासमे ओ "हे राम!'  कहलक।

कर मृत्युक सूचना भेटलापर हर्षवर्धन सोनीक संग कूही भऽ कानैला पुरबनरा गामक मोहनदास कबीरपंथी बंसोर सेहो छल। कर जिनगीक आशाक असगर इजोत मिझा गेल।

खुनका हाल ई अछि जे बिसनाथ अप्पन कनिया रेनुका संग मिलि कोलियरीक दलालीमे बड़ पा कमा लेने अछि। विजय तिवारीक संग ओकर बैकी खनो चलैत अछि। ओ अखन सोझाँ भऽ राजनीतिमे आबि गेल अछि आ जिला जनपदक अध्यक्ष पदक चुनाव लड़ि रहल अछि। ओकर जाति-बिरादरीक लोक त ओहिनो ऊच जगहपर अछि। ओ सभ तरहेँ ओकर मदति करैत अछि। ओ कहैत अछि, "असली मोहनदास के अछि आ नकली के, एकर फैसला त हम करब। ओ सा दू कौड़ीक कल्लर बंसोर हमर इज्जतिपर बट्टा लगौलक, लागल-लगानोकरी छिनलक, आब हम पन तागति ओकरा देखा देबै।

खन पछिला हफ्ता जखन हम अप्पन गाम गेल रही हर्षवर्धनक चेहरा उड़ल छलै ओकर आखि लाल छलै। ओ बाजल, "पछिला तीन रातिस हम सुतल नै छी। बुझबामे नै बैत अछि जे की करी। बिसनाथकेँ लऽ कऽ पुरबनरा लोग सत कहैत अछि। गज भरिक बिसधारी। असल करैत'

ओ बड़का सास भरलक आ बाजल, "लेनिन नगरक इलाकामे बिसनाथ सभ दोसर-तेसर दिन कोनो-नै-कोनो क्रिमिनल अपराध करैत अछि। कखनो केकरो चेन खींच लैत अछि, कखनो ककरो संग मारिपीट करैत अछि। ओकर कनिया फाइनेंस आ चिटफंडक ज धंधामे अछि, ओकर वसूलीमे ओ कर्जदारस मारिपीट करैत अछि आ घरमे पैसि समान उठा लैत अछि।...आब थानामे जे एफ.इ.आर. दर्ज होत अछि मोहनदासक नामस दर्ज होत अछि किएकि ओत बेसी लोक बिसनाथके खन धरि मोहनदासक नामस जनैत छल। आ म्हर पुलिस पुरबनरा जा कऽ बेचारा असली मोहनदासकेँ पकड़ि लैत अछि।

हर्षवर्धनक आखिमे असहायताक नोर छल। बिसनाथ पुलिस इंस्पेक्टर विजय तिवारीस भेंट कऽ थानाक सिपाहीके खुआ-पिआ क राखने अछि। ओ मोहनदासके पीट-पीट क ओकर हाथ-पएर तोड़ि देने छल। ओ चलि-फिरि नै सकै छल। ओकर मा पुतलीबा सेहो चारि दिन पहिने इनारमे खसि क मरि गेल छल। कस्तूरी हाड़-तो मजूरी कऽ कोनो तरहे चूल्हाक आगि जरौने रखने
हमर आखि ऊपर उठल। आगुएस मोहनदास नंगड़ात बुलल आबि रहल छल। ओकर देहपर पुरनका बेरंग, चिप्पी लागल पेंट आ चेथड़ी भेल चौखुट्टा अंगा नै, एकटा धरियाटा बचल छल। ओकर माथक केस खसि गेल छल आ आखिमे गोल फ्रेमक सस्ता सन चश्मा लागल छल। ओ रकम-रकम डगमग करैत लाठीक संग कोनो बेमार बूढ जना बुलि रहल छल।

"कका, राम राम'! ओ हमरा देखि क हाथ जोड़लक। ओकर चेहरापर पीड़ा आ हारबाक गहीर डड़ीआबि गेलै। हम देखलहु ओ बड़ बूढ लागि रहल छल। अस्सी-पचासी सालक आसपास। लाठी टेक कऽ ओ ओत धरतीपर बैस गेल। ओकर गरस कुहरैक संग भारी वाज निकलल, मुदा ओ वाज जेहन भाषामे छल ओ छल राजभाषा हिन्दी ओ बाजल:

"हम अहा सभक हाथ जोडै़त छी। हमरा कोनो तरहे बचा लिअ। हम कोनो अदालतमे चलि क हलफनामा दै लेल तैयार छी जे हम मोहनदास नै छी। हमर बाप काबा दास नै अछि आ ओ मरल नै अछि, नो जिबैत अछि। बड़ मारने अछि हमरा पुलिस, बिसनाथक कहलापर। सभटा हड्डी तोड़ि देने अछि। सांसो टा लेबामे छाती दुखाइत अछि।'

हम देख रहल रही, मोहनदासक ठोढ़ कटल छल आ मुह पोपटा गेल रहै। शाद थानामे ओकर दात तोड़ि देल गेल छल। ओकर वाज टूटि क छितरा रहल रहै: 

"जकरा बनबाक छै बनि जा मोहनदास। हम नै छी मोहनदास। हम कहियो कत्तौस बी.. नै केलहु। कहियो टॉप नै केलहु। हम कहियो कोनो नोकरीक काबिल नैहीखाली हमरा चैनस जिबैत रहल देल जाए। आब हिंसा नै करू। जे लुटबाक अछि लुटि लिअ। अप्पन-अप्पन घर भरू। मुदा हमरा त अप्पन मेहनतिपर जिय दिअ। काका, अहा सभ हमर संग दि'

पता चलल मोहनदासक बारह बरखक बेटा देवदास दस दिनस घर नै घुरल अछि। कियो कहैत अछि जे बिसनाथ ओकरा गाब करा देलक, कियो कहैत अछि जे ओ डरे मुंबई भागि गेल छै...
...आ कियो-कियो ईहो कहैत अछि जे ओकरा परसू बस्तरक जंगलमे देखल गेल अछि।
(ई ओ कालक गप अछि, जखन भरूच लगक एकटा ऊडिम्हापर राघव नामक एकटा तीस बरखक धनुहार ठा भेल छल। ओ राति भरि जागि क बास चीर-चीर क कतेक रास तीर बनेने छल। ओ धनुषक प्रत्यंचा चढ़ा क आकाश दिस तीर चलबैत छल, फेर दौगि डिम्हाक नीचा खसल तीरके बिछि कऽ आनैत छल।

दोबारा, तिबारा...पता नै कते बेर ओ तरहे तीर काश दिस चलबैत रहल आ धरतीपर ओकरा बिछैत छल। मुदा कतेक रास तीर आब पानिमे डूमए लागल छल। ओकरा ताकब आ बीछब मुश्किल भेल जा रहल छल। किएकि पहाड़क बीच, दूर-दूर धरि पसरल मैदानमे पानि भरल जा रहल छल, गाछ डूमि रहल छल। दिशा आ स्मृति सभ किछु डूमि रहल छल।

...तीस बरखक राघव मुदा ओ डिम्हाक ऊपरस काश दिस ताधरि तीर चलबैत रहल आ दौ-दौ ओकरा बिछैत रहल, जाधरि ओ सेहो डूमि नै गेल...

राघव आब कत्त अछि? जत ओ छल, ओत आब पानिये-पानि रह। अजग अथाह जल।...ओत बिजली पैदा होत।...भरूचमे हिलसा माछ होल छल। भारतक धारक सभसँ महान आ संसारक विलक्षण माछ। हिलसा बहैत पानि टामे, धारक तेज धारे टामे जिबैत रहि सकैत अछि।
...हिलसा आ ठाढ़ बान्हक बेमार आ प्रदूषित पानिमे मरि गेल होत।

...ई ओ कालक गप अछि, जखन हम ई खिस्सा अहाक लेल ज भाषामे लिख रहल छी, भाषाक भीतर हम बगदादक अबु गरीब जेलमे इराकीक तरहे छी! वा 1943 क जर्मनीक कोनो गैस चेंबरमे यहूदी सन! वा कोनो बीमार प्रदूषित ठा पानिमे डूल हिलसा माँछ जेहन!...वा खनो संग्रामरत राघव धनुहार जेहेन!
...ई वएह काल अछि, मे मोहनदास अछि, अहा छि, हम छी आ बिसनाथ अछि। आ आक यथार्थ अछि।

...काल, जकरा एकैसम शताब्दीक पहिल दशकक रूपमे सभ कियो जनैत अछि आ जखन हम सभ हिन्दीक कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंदक सवा सएम जयंती सत्ताधारीके मनाबैत देखि रहल छी...
मुदा सत बता, मोहनदासक गाम पुरबनराक नाम की अहाके पोरबंदरक मोन नै पाड़ैत अछि?...)

ऐ रचनापर अपन मतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।

No comments:

Post a Comment

"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:-
1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)|
2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)|
3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)|
4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।

अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि।
अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।