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चीनी निगम क मिठास सँ दूर निवेशक, नीलामीक बढ़ल समय सीमा
बिहार राज्य चीनी निगम क बंद पड़ल चीनी मिल क नीलामीक चारिम चरण में 9 मिलक नीलामी करबाक निर्णय सरकार लेने छल। एहि लेल नीलामी क समय सीमाक भीतर निवेशक कम रूचि देखौलाक बाद सरकार नीलामी क तिथि बढ़ा देलक अछि। नीलामी चारिम चरणक आवेदन पत्रक बिक्री क तिथि 24 अक्टूबर छल। जकरा बढ़ा क आब 30 नवम्बर सं बढ़ा क 22 दिसम्बर कऽ देल गेल अछि। गन्ना आयुक्त विमलानन्द झा जनतब देलनि अछि जे पहिने घोषित 24 अक्टूबर कऽ अंतिम तिथि धरि 18टा निवेशक एहि मिलक नीलामी मे रूचि देखौनि छलाह। आब जखन कि समय सीमा बढ़ा देल गेल अछि निवेशक संख्या बढ़बाक उम्मीद अछि आ उम्मीद अछि जे नव समय सीमा कऽ अर्न्तगत अंतिम समय धरि गोटेक 50टा निवेशक एहि नीलामी में सम्मिलित भऽ सकैत छथि।
सरकार प्रदेश मे बंद पड़ल चीनी निगमक 9टा मिल लोहर, गोरौल, सीवान, न्यू सीवान, वारसलिगंज, हथुआ, गुरारू, समस्तीपुर आबनमनखी स्थित चीनी मिलक नीलामी चारिम चरण मे कऽ रहल अछि। एहि सँ चीनी मिगम के 278 करोड़ टाका भेटबाक उम्मीद अछि एहि मिल सभक वास्ते निवेशक के आकर्षित करबाक लेल सरकार कतेको छूट सेहो दऽ रहल अछि। एहि मिल सभके पहिने 60 वर्षक लेल पट्टा पर देल जाएत आ बाद मे निवेशक मांग पर एकरा 30 वर्षक लेल बढ़ालओल जा सकत। एहि जमीनक उपयोग निवेशक अपना मर्जी सँ उद्योग लगबइ लेल कऽ सकताह। चीनी निगमक बंद पड़ल 15 चीनी मिल मे सँ 6 मिलक नीलाम पहिनहि तीन चरण मे भऽ चूकल अछि।
प्रदेश मे 1997 40टा चीनी मिल छल जाहि सँ ओहि समय से प्रति वर्ष 3 लाख टन चीनी कऽ उत्पादन होइत छल मुदा वर्तमान मात्र 12टा चीनी मिल कार्यरत अछि आ 6 लाख चीनीक उत्पादन भऽ रहल अछि। एहि तरहे कुसियारक उपज पहिने 40 लाख टन प्रति हेक्टेयर छल जे एखन 57 लाख टन प्रति हेक्टेयर भऽ गेल अछि। अगिला दू वर्ष मे कर्नाटक आ महाराष्ट्र जकां 100 लाख टन प्रति हेक्टेयर कुसियार उपजक लक्ष्य राखल गेल अछि।
एहि मध्य प्रदेश मे अगिला मौसम सँ पाच टा चीनी मिल सँ हरिनगर, रोगा, लौरिया, नरकटियागंज आ सुगौली चीनी मिल सँ प्रतिदिन 270 लीटर इथनाल कऽ उत्पादन प्रारंभ भऽ जाएत। एहि मिल सँ स्प्रिट कऽ उत्पादन सेहो प्रारंभ होएत।
केसीसीक लेल लागल शिविर
बिहार सरकार प्रदेशक सभ किसान के वर्त्तमान वित्तीय वर्षक अंत धरि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) उपलब्ध करैबाक लेल प्रयास मे तेजी अनलक अछि। एहि वास्ते जिला स्तर पर जिलाधिकारीक अध्यक्षता मे अनुश्रवण समिति गठित करबाक निर्देश देल गेल अछि। एहि समितिक बैसक सभ मास मे होएत जाहि मे केसीसी बटबाक कार्यान्वन आ अनुश्रवण सुनिश्चित कएल जाएत। अगिला मास 7 सँ 18 नवम्बरक मध्य प्रखंड सभ मे आयोजित कएल जाए वाला कृषि उत्सव मे केसीसीक लेल शिविर लगाओल जाएत। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अधिकारी सभके निर्देश देलनि अछि जे 9 दिसम्बर 2011 आ 9 जनवरी 2012 के सभ प्रखंड मुख्यालय मे मेगा किसान क्रेडिट कार्ड शिविर आयोजित आयोजित करथि। कृषि विभागक विषय वस्तु विशेषज्ञ आ कृषि सलाहकार किसान सभ सँ केसीसीक लेल आवेदन पत्र लऽ बैंक के उपलब्ध करौताह। बैंक के सेहो किसान सभ सँ सीधा आवेदन लेबाक निर्देश देल गेल अछि। बैंक के भेटल आवेदन कऽ निपटारा जल्दी कऽ दस दिनक भीतर किसान क्रेडिट कार्ड देबऽ लेल कहल जाएत।
उत्तर बिहार तीन टा रेल लाइनक दोहरीकरणक प्रयास मे आएल तेजी
पूर्व मध्य रेलवे उत्तर बिहारक तीन टा मुख्य रेल लाइनक दोहरीकरणक प्रयास मे तेजी अनलक अछि। पूर्व मध्य रेलवेक सोनपुर मंडल महत्वपूर्ण मुजफ्फरपुर सँ हाजीपुरक मध्य रामदयाल-हाजीपुर रेल लाइनक दोहरीकरणक लेल तेसर बेर रेलवे बोर्ड के प्रस्ताव पठौलक अछि। 50 किलोमीटर कऽ एहि रेल लाइन पर 172 करोड़ टाका खर्च होएबाक संभावना अछि। एकर अलाबा सोनपुर मंडल द्वारा हाजीपुर-बढ़बाड़ा, आ कोसी रेलपुल (कटरिया-कुरसेला) रेल लाइनक दोहरीकरणक प्रस्ताव के अगिला रेल बजट मे स्वीकृतिक लेल पठौलक अछि। ज्यो एहि तीनु प्रस्ताव के स्वीकृति भेटि जायत तऽ सोनपुर मंडल सँ गुजरऽ बाला सभ रेल लाइनक दोहरीकरण भऽ जायत। एहि तीनु लाइनक दोहरीकरणक लेल मंडल कार्यालय तीन वर्ष सँ प्रयासरत अछि। वित्तीय वर्ष-2010-11, आ 2011-12 मे एहि लाइनक दोहरीकरणक प्रस्ताव पठाओल गेल छल जकरा रेलवे बोर्ड खारिज कऽ देने छल। रेल मंत्रालयक कमान बिहारक हाथ सँ छुटलाक बाद बिहारक प्रति रेलवेक उदासीनता सँ मंडल आ क्षेत्रीय कार्यालयक प्रयासक कोनो सकारात्मक प्ररिणाम नहि नकलल।एक बेर फरे वित्तीय वर्ष-2012-13क बजट मे एहि तीनू लाइन के स्वीकृत करैबाक लेल सोनपुर मंडल प्रयास सएलक अछि। गोटेक 541 करोड़ टाकाक संभावित खर्च बाला एहि तीनू रेल लाइनक दोहरी करण मेला सँ उत्तर बिहार सहित सम्पूर्ण मिथिलांचल मे आबाजाहि आसान भऽ सकत। एखन ई तीनू रेल लाइन पर सिंगल टैªक अछि जाहि सँ एहि तीनू लाइन पर टैªकक कमीक कारण गाड़ी सभ कतेको घंटा धरि फसल रहैत अछि। एहि योजना कें पूरा मेला सँ एहि रेल लाइन पर माल गाड़ीक परिचालन मे सेहो सुविधा होएत। पूर्व मध्य रेलवेक अन्तर्गत एखन सोनपुर-हाजीपुर आ कुरसेला-काढ़गोलाक रेल लाइनक दोहरीकरणक काज चलि रहल अछि। दोहरीकरणक लेल प्रस्तावित हाजीपुर बछवाड़ा रेल लाइनक 60 किलोमीटरक दोहरीकरण पर गोटेक 28 करोड़ टाका आ कोसी रेल पुल (कटरिया-कुरसेला) दोहरीकरण पर गोटेक 81 करोड़ टाका खर्च होएबाक अनुमान अछि।
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सुखा गेल मुँह , नाक , कान सभटा , पैर तरक धरा मे दरार पड़ि गेल अछि....सौंसे खेत मे ,
मूड़ी ऊपर उठेलहुँ तँ लागल जेना चुनरी ओढा देलक कियो मुँहपर .........!
हे भगवान् बज्जर खसौ ई करिया बदरा केँ। सभ दिन कऽ अपन सकल देखा कऽ ...मुँह दुइस कऽ भागि जाइए! कनेकबो दर्द नै छै कोंढ़मे बेदर्दाकेँ ......!
आह ..हा ...नाक पर एगो शीतल बूंद खसल ओढ़नी सँ चुबि कऽ .......मोनक भ्रम अछि की .....
भेल अछि .....संतोख भेल भीतरसँ कने !
ठनका ,ठनकल जोरसँ तखने ........!
कतऽ गेल गै छौड़ी ........अमोट सुखाइ छौ अंगनामे उठा ले ने, पाइन एलै...... भिजलौ सभटा !
यै भौजी, असगनीपर सँ कपड़ा उतारू सभटा ..........भिजल ........( अमोट उठबैत एगो भौजीयोकेँ काज अरहेने गेल दुलरिया )
एक अछार बरिस कऽ रुकि गेल तँ निकलि गेलौं खेत दिस कने .......... आह हा ........ह्रदयक गहराइ तक उतरि गेल ओ सोन्ह्गर माटिक सुगंध पहिल अछारक बाद दबने छल जे बहुत दिनसँ भीतरमे !
मृग मरीचिका जेना भटकलौंहेँ कने काल ....., ओर ने कोनो छोर ओइ सुगंधक ,...
चारु दिस सुन्न पड़ल अछि खेत, नबका फसलक इंतजारमे!
सरजू काका महिना भरिसँ हरक शान चढ़ा रहल छथि फारक, बड़द सभकेँ खुआ-पिया कऽ टनगर बनेने निङहारैत छलथि आकाश ..
लिअ आइ बरसि पड़ल !
भरि गर्मीकेँ निन आँखिमे घुरमैत छल !
भोरे उठि दलानपर बैसि कऽ चाह पिबैत रही.....चन्दन बाबू कान्हपर कोदारि नेने दौगल जाइत छलाह बाध दिस ......
हे यौ, ई चन्दन बाबूकेँ की भऽ गेलनिहेँ, भोरे -भोरे .....- सरजू काका ओम्हरसँ अबैत रहथि, पुछलियनि।
हौ बौआ हुनकर खेतक पाइन सभटा बहल जाइत छनि, गेलाहेँ आइर बान्हऽ ,
संझाक बेर बिदा भेलहुँ पोखरि दिस .....लागल, बेंगक अज्ञातवास खतम भऽ गेल .......टर्र.. टर्र ... करैत खत्ताक ओइ पारसँ अइ पार तक .........
सबहक धानक बीया खसि पड़ल .........लुटकुन बाबूक बीया बड़ जोरगर छनि ....हेतै कोना ने, बेचारा ..राति दिन एक कऽ कऽ छाउर आ गोबरसँ खेतकेँ पाटि देने छलखिन! हुनकर खेतो तँ सभसँ पहिने गाममे रोपा जाइत छनि ...!
आइयो कादो कऽ कऽ एलैथहेँ .......झौआहमे ..!
गमछामे किछु फड़फराइत देखलियनि.....पुछलियनि काका की अछि तौनी मे ......?
हौ, खेत मे बड़ माछ छल गमछा सँ माँरलहुँहेँ ! काल्हि निचका बला खेत मे चास देबै, भेज दिहक छोटका केँ, बड़ माछ छै ..ओहू खेत मे !
ठीक छै ......कहलियनि ......!
मंगनीक माछ खाइमे बड़ मोन लगै छै मुँहमे पाइन आबि गेल सुनि कऽ!
जल्दी अबिहेँ, मशाला पिसबा कऽ रखने रहबौ ..............( छोटका केँ जाइत-जाइत कहलिऐ। )
३. पद्य
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३.७.१.
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विद्यापति सन जतए कवि महान
मण्डन मिसरक जनमक थान
जे अछि विदेह जनक केर धाम
मिसरी सन वणी जाहि ठाम के
बनला पहुन राम ओहि ठाम के
जननि जतए माँ सिया भेली
जाहि ठाम गंगा चलि कऽ ऐली
जतए छ्ल- छ्ल, बहि रहल अछि
कमला , कोसी, जीबछ, बलान
हर आङन तुलसीक चौड़ा
घर घर होअए चण्डी पाठ जतए
माँ सरस्वतीक बास जाहि ठाम
एहन सुन्नर कहु ठाठ कतए
दही चूड़ाक भोग जतए
भिनसरे लैथि भगवान
सगरे जगत मे कतए भेटैए
रसगुल्ला, माँछ, पान, मखान
कतौ सोहर कतौ बट गबनी
कतौ चैता, फगुआ, बरहमासा
समदाओनक राग कतौ सॅ
कतौ सांझ,पराति, छमासा
छठि,दिवाली,दुर्गा पुजा
फगुआ आ सौराठक मेला
कतै पायब साम-चकेवा
आ झीझिया के खेला
स्वर्ग सनक ई नगरी बापि
नै पायब दोसर ठाम
गर्व सॅ कहु जै मिथिला ,जै मैथिली,
जै जै मिथिला धाम
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२
मिथिला राज चाहैत छी,
ई हमर भीख नहि बुझु
अधिकार अपन माँगै छी,
जाहि दिन धीर हम अधीर भेलौंह
वीर हम वीरता देखा देब
नहि, फेर विश्वास करू हमर
की एक चाणक्य हम आर बना देब।
३
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हमर प्रियतम !
अपन वचनक अनुसार .
आ हमरा मिलाबैत एलौं /
ओहि परम आनंद सँ /
जतय कोनो दर्दक अनुभूति नहि रहि जाइत छै /
कोनो अपूर्ण इच्छाक टीस नहि रहि जाइत छै /
एकटा तृप्ति होइ छै जीवनकेँ जी लेबाक /
आ संतुष्टि होइ छै अहाँकेँ पाबि सब किछु बिसरि जेबाक .
जेना अहाँ कहियो हुसलौं नहि अपन वचन सँ /
जेना अहाँ कहियो भटकलौं नहि अपन कर्त्तव्य सँ .
ओहिना /
जखन कोनो अप्पन के बिछड़बाक दुःख गहीर उतरि कऽ करेजा मे भूर करय लगै /
जखन ककरो उपकारक कर्ज मन-ओ-मस्तिष्क केँ अपना बोझक निच्चा दाबि मरदय लगै /
जखन ककरो वचन दय अंतिम समय पर नहि भेंट कय पेबाक टीस अपराध-बोधक आगि मे जराबय लगै /
आ जखन ककरो लेल किछु करबाक प्रेममय तीव्र इच्छा दम तोडि मिसिया-मिसिया कय मरबा लय बाध्य करय लगै /
तखन अहाँ आयब आ हमरा सम्हारि लेब /
देखू हमरा तिल-तिल कय मरय नहि देब .
हमरा विश्वास अछि /
अहाँ आयब आ हमरा सम्हारि लेब /
अहाँ हमरा मिसिया-मिसिया कय मरय नहि देब .
किएकि /
हमर तँ जिजीविषाक श्वास-नलिये टूटि गेल छल /
तखन सँ अहींक देल भरोसाक सांस पर तँ जीबि रहल छी .
कतेक अहाँक प्रशंसा करू /
कोना अहाँकेँ धन्यवाद कहू /
किछु बुझबामे नहि आबि रहल अछि .
मुदा अहाँ समय सँ आबि जायब /
देखू , आबै मे देरी नहि लगायब .
हे हमर प्रियतम !
हे हमर मृत्यु !
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पले पल अपन अंतर्मनक आगि मे सुनगैत अंशुमाला भs गेलहु
खने हर्ख स्मृतिक, खने दुखक आगि मे पजरैत, अंशुमाला भs गेलहु
जीवनक बदलैत मौसमक डुबैत-उगैत चान सुरुजक रूप धs
खने स्याह अन्हार, खने इन्द्रधनुखक विहुँसैत अंशुमाला भs गेलहु
अल्हड़ कुमारिक सिहरैत सर्दी मे जाधरि गुदगुदी रहैक मुस्कैत
लोक कहै हम ओसाइत इजोरियाक ठहकैत अंशुमाला भs गेलहु
मधुगंध आ नव आस लs कs जखन आयल बियाह राति केर बसंत
मोन मे रहै भ्रम हम उखा-अरूषक बिहुँसैत अंशुमाला भs गेलहु
प्राणक प्यास आ टुटल आस लs कs जखन आयल गुरदा-रोगक ग्रीष्म
पीय विस्वासघातक प्रचंड दुपहरी मे जड़ैत अंशुमाला भs गेलहु
शुभेच्छुक आशीख आ मायक वात्सल्य वरखा आपस अनलैथ पावस
हम घुरि नव उम्मेदक दियाबाति मे टिमकैत अंशुमाला भs गेलहु
"शांतिलक्ष्मी" कहैथ स्त्रीशक्तिक पावनि तिहार लs घुरि आयल अछि जाड़
मानु हे सखि, अहाँ तँ धुमन आरतीमे गमकैत अंशुमाला भs गेलहु
.........................वर्ण २७....................
(अपन अनचिन्हार सखि अंशुमाला झा केँ समर्पितl
एहि गजल मे अंशुमाला शब्दक प्रयोग कतहुँ व्यक्तिवाचक नहि अछिl
शाव्दिक अर्थक अनुसार शब्दक प्रयोग प्रकाशक लड़ीक रूप मे भेल अछिl)
वियाहजनमलाह नवरूपक अवतार लs
इन्टरनेटक ’मेट्रीमोनियल साइट’ आ
प्रिंट-मिडियाक रविवारीय पन्नाक
वैवाहिक विज्ञापन/कथा-उथान मेl
तयौ सभ पर भारी छै आइयो घरकथाl
गान्धर्व वियाह छै एखनो झाँपले-तोपल,
शरशय्या सौराठक अपन करूण व्यथाl
चाही मनपसंद अधुना-अर्वाचीन कनियाँ,
तकै जाइत छथि वैवाहिक-विज्ञापन सँ
सुन्नरि, अंग्रेजी स्कुल-कालेज शिक्षित,
मुदा अपन ’कल्चर-ट्रेडिशन’ मे ’वेल-ट्रेन्ड’l
आधुनिक वर मे पसरैत ई छै नव ’ट्रेन्ड’l
पुरुखगण पकरै छथि बदलैत समयक नब्ज़,
कनियाँ देशी वयना मे फ़ेटल अंग्रेजी शब्दl
वरक अप्पन आ घरक लोकक पसिन्न-
होइ छैक अकसर मुरी मुरी मतरभिन्नl
कटगर मुँह-कान, होइ पतरका नाक-ठोर,
ललकी गोराइ होइ आकि दक-दक गोरl
आमक फ़ारा आ डोका सन-सन आँखि,
नमगर-छहरगर, मुँहक खिलता पानिl
घिचल-घिचल आंगुर, हाथ-पारि सुकुमार,
शैलज्ज, शालिन, सददि हँसमुख व्यवहारl
सुचेष्टा, चलव-बुलब, पहिरव-ओढ़व आर-
गप्पे-सप्प सँ बुझाइत नीक आचार-विचारl
बढिया होइक जवानियो केर लहरैत उफान,
छौड़ीक देह मे होइ देखनुगर वयसक चढ़ानl
यौवन धन होइक उत्तम/सवोत्तम, सोहनगर,
लड़की भेटय परम सुपवित्र, देहक रौनकगरl
नोकरिया वरक बेशीतर नोकरिये मन,
तहु मे जेहने अपन नोकरी तेहने पसन्नl
वा पढ़ैत इंजीनियर, डाक्टर, एम.बी.ए.,
आकि एम.ए.सी. इन माइक्रोबाइलोजीl
मास्टर डिग्री इन सोसलसाइंस/सोसलवर्क,
वा स्पेसल ट्रेनिंग इन ह्युमेन-साइकोलोजीl
नहि तँ कम सँ कमतर इयह सेहन्ता-
बी.एड. होइ, आनि कि स्कुली शिक्षिकाl
ग्रेजुएट तकैत जाइत छथि केहनो ग्रेजुएट
मास्टर धारी केँ चाही साइंस/आर्ट मास्टरl
गाम-घरक मुरखो-मोचन्ड आब माँग करै
हमर कनियाँ हुअय पढ़ल-लिखल साक्षरl
एहि मादे बिना दुविधे बुझु जे ऐहन-
सीता, सावित्री, गौरी सनक हुअय पतिव्रता,
भारती, मैत्रेयी, गार्गी सनक सुबुद्धिमताl
सास-ससुरक सेवा सँ कखनो नै औगताय,
कुल-मान हेतु केहनो बिपत्तिये नै घबरायl
पर-पाहुन संग करैथ उचित व्यवहार,
माय बाप सिखेनै हेथीन मिथिलामक आचारl
बुझैथ पुजा-पाठ, उपास-हरिवास, पावनि-तिहार,
आर आनो-आन छै मैथिलाक मेहका सँस्कारl
गोसौनीघर, पंचमुख/कृतमुख/पार्थिव महादेव,
शुभ/अशुभक अरिपैन, आ जनैथ सामा-चकेवl
सौहर, समदौन, रास, गवैथ फ़ागु, चेतार,
गोसाउनिक गीत, बुझैथ मैयाक सोलहो श्रृंगारl
हवाबड़ी, अदौरी, कुम्हरौरी बनैब मिथिलामेक अंग,
बिलिन नै हुअए जनउ बाँटब, माजब, रंगैय तंतl
मैथिल ’कल्चर-ट्रेडिशन’क ओना बड़-बड़ गुण,
कनिया हुअय एहि सभ कला मे अधछिधो निपुनl
पाय खरच नै हैत- ताहि लेल नै रहु दुमरजाl
बेटी जँ जनमेने छी तँ ई स्पष्ट बनै छै आधार,
दहेज पुरुखक पिताक थिकै जनमसिद्ध अधिकारl
बुधियार बेटीक बाप केर तेँ अगिते अभियर्थना,
"डिसेन्ट मैरेज"क पहिने दs दैय छथि सुचनाl
लड़कीक रूप, गुण, सुसंस्कृति, नोकरी, शिक्षा-
तय करै इयह दहेजक लेन-देनक गुण आ मात्राl
तैयो कलक्टर/एस.पी दहेज लै छैथि पुरा करोड़,
डाक्टर/इंजीनियर सेहो अक्सर मँगै अधा करोड़l
बी.डी.ओ./पी.ओ./मेनेजर छथि डाक्टरे पदक साख,
किरानी, पुलिस, मास्टर माँगेय पाँच सँ आठ लाखl
आदर्शो वियाह मे बेशीठाम भेटत अजगुत रीत,
कथा तय भेलाक बाद भेटत समानक फ़ेहरिस्तl
"नो डाउरी" लिख बेटाक बाप पसारय छथि जाल,
किछ तँ ठीक छथि, मुदा बेशी लोक रंगल सियारl
परिणय संस्कार केर बाद शुरु हैत अटपट माँग,
मनक दबल अपेक्षा खुजत तखन लागत उटपटाँगl
ई नै देलहु, ओ नै देलहु, सभ सेहन्ताक भेल सराध-
लिअ सुनैत रहु ताजीवन आब जरल-जरल उपरागl
निरीह गाय सन भल बेटी मे ताकत तेहन नै अपाय,
हक्कन कानैत रहैक सिवा नै बचै तखन कोनो उपायl
बेटीक हँसब गेल, तन गेल, फेर मानसिक स्वास्थ्य,
मुरूत सन बेटी देखते-देखते भs गेली जिन्दा लहासl
तलाक, पुनर्विवाह नै छियै मिथिला मे एकर उपचार,
एक बेर ओझरेलौ तँ बुझु जिनगी भs जाइत पहाड़l
केहनो मजगूत हृदयक बेटी तखन लगावै छथि आगि,
बेटीक एहने चिता मे जड़ै अछि बेटी जनमावैक लागिl
पहिल कन्या धरि भरोस धरे, दु बेटीक बाद हहरै कोढ़,
एक्केटा लक्ष्मीक बाद डरैल बापक दस दिस दौड़ै मोनl
देखै दिल्ली, कोलकाता, पटना, दरभंगा, दुनियाँ जहान,
गुम्मे-गुम करै लिंग परीक्षण आ गर्भपातक ओरीयानl
दहेजक राकस पेटे मे दै नवपीढ़ीक कनिया केँ मरौरी,
भावी सीता-सावित्री, भारती-मैत्रेयी केँ अंडे मे घिकौरिl
दिनोंदिन लड़की केँ कम होइ पर लोक करै बाप-बाप,
तैयौ मिथिला मे पसरले जाइ छैक दहेजक अभिशापl
मोगीक जीवन थैरक गोवर-करसी, खेतक ठोकरा-कूर
जैड़ जेती कोनो आड़ि-मेड़, तापि लेल जेती कोनो घूरl
आकि सड़ैत गलैत बढ़वैत रहती अपन धराक उपजा,
सीते लग सँ सहैत एलि, सहि लेति अजुको विपदाl
अथवा काली तारा दुर्गा भs कs लेती प्रचंड अवतार
तैरि जेति मिथिलाक नारी आ तारि देति जग-संसारl
पापी-सुर कहिया हैत हंत, शिकार पर छथि नवतुर-युवाll
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रंग ग्राम्य जीवन
मे पेबै अहाँ
घोर गरीबीयो मे
सब व्यस्त आ सब मस्त ।
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आगि पजरलै जखन, धुआँ उठबे करत यौ।
इ प्रेम मे डूबल मोन खिस्सा रचबे करत यौ।
किया करेज पर खंजर नैनक अहाँ चलेलौं,
ककरो खून भेलै इ दुनिया बूझबे करत यौ।
होइ छै प्रेमक डोरी तन्नुक, एकरा जूनि तोडू,
जोडबै तोडल डोरी गिरह बनबे करत यौ।
राम-नाम मुख रखने प्रेमक बाट नै धेलियै,
प्रेमक बाट जे चलबै मुक्ति भेंटबे करत यौ।
बीत-बीत दुनियाक प्रेमक रंग मे रंगि दियौ,
"ओम"क इ सपना अहाँ संग पूरबे करत यौ।
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१
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अगहन के धान छी अहां
पूर्णिमाक चान छी अहां।
दौड़ि-दौड़ि थाकि गेल छी
दूर आसमान छी अहां।
बेर-बेर छी पढ़ैत हम
वेद आ पुराण छी अहां।
कांट अछि भरल बाट पर
दूभि आओर धान छी अहां।
जीबितहिं स्वर्ग देखि लेल
पान आ मखान छी अहां।
जिनगीमे प्रश्न अछि कते
सभहक निदान छी अहां।
गजल 2.
कर्जाक मोटा माथ पर उठेलहुं कतेक बेर
बैंकक गाड़ी देखि क’ पड़ेलहुं कतेक बेर।
जमायक बात सूनि आइ करेज फटैए
सासु-ससुर कें हमहूं कनेलहुं कतेक बेर।
बांचि गेलहुं चोर आ उचक्का सं दिल्लीमे
मुदा अपनहि घरमे ठकेलहुं कतेक बेर।
नियारि कतहु जायब से पार नहि लागल
तत्कालहि के टिकट कटेलहुं कतेक बेर।
सुंदर सं सुंदर शब्दक तलाशमे रहलहुं
लीखि-लीखि अपनहि मेटेलहुं कतेक बेर।
आइ चुरूक भरि पानिमे डूबैत छी किए’
बाढ़िमे कतेक लोक कें बचेलहुं कतेक बेर।
२
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आई यदि अहां रुकिये जयतहु
अहां चल जायब नहि बुझलाहु
की जैते जे हम झुकिये जयतहु
किछु गॅप झांपल विश्वास तोड़ल
की होएते यदि बुझिए जयतहु
गेलहु विदेश देलहु नहि ध्यान
की होएते यदि रुकिये जयतहु
पता जे रहितय प्रेम नगर के
कहुना कय के घुसिये जयतहु
कोने भाय्या अनथिन संखा चूडी, कोने भाय्या अनथिन सिंदूर
कोने बहिनो पिनहथीं आलेर झालेर कोने बहिनो पिनहथीं पटोर
कोने बहीना पिनहथीं संखा चूडी कोने बियाहिनो पिनहथीं सिंदूर
बड़का भैया अनथिन आलेर झालेर मझला भाय्या अनथिन पटोर
सैनझला भाय्या अनथिन संखा चूडी छोट्का भाय्या अनथिन सिंदूर
बड्की बहिनो पिनहथीं आलेर झालेर मनझली बहिनो पिनहथीं पटोर
सैनझली बहिनो पिनहथीं संखा चूडी छोट्की बहिनो पिनहथीं सिंदूर
-------------------------------------------------------------
गाम के अधिकारी तोहे मझला भाय्या हो
भाईय्या हाथ दस पोखरि खुनाई दहो
चंपा फूल लगाई दहो हे
फूलवा लोरहेई त बहिनी घमी गेली हे
आहे घाम गेलनी सिर के सिंदूर नैना केर काजर घमली हे
छ्टवा लाना दौड़ाल ऐल्खिन बड़का भाईय्या हे
बैसो बहिनो ईहो जुड़ी छाहरि की हमारो के आशीष दियो
कथी बाझायब बनतित्तिर हे
आहे कथी बाझायब राजा हंस चकेवा
जाले बझायेब बहिनो तित्तिर हे
आहे रौब सा बझायेब राजा हंस चकेवा
खेल करू हे बहिनो खेल करू हे
भाइय्या झटायल फूल बहिनो हार गुथु हे
आहे सहो हार पिनहथीं भौजो
बहिनो खेल करू हे
------------------------------------------
बृंदावन म आगि लागे
कोई ना मिझावे हे
हमर भाईय्या फलना भैया
दौड़ दौड़ मिझावे हे
---
छौड, छौड, छौड
हमरा भाय्या कोठी छौड.
छौड, छौड, छौड
चुगला घर मे छौड
चुगला करे चुगली
बिलयईया करे मीयौ
चुगला के जीभ हम
नोंच नूच खाओं
----------------------------
समा हे चकेवा हे
ऩहिरा नई बिसरैह हे
ससुरा म पूजा पाईह हे
कोडल खेत मे रहिह हे
जोतल खेत मे रहिह हे
रंगेई रंग पटिया ऊछाबि ह हे
ढेपा फोडि फोडि खाईह हे
ओस पिबि पिबि रहीह हे
हमर भाई क आसीस दिह हे
आगिला साल फेर आइह हे
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मन पड़ैत अछि पोखरि- झांखरि,
अपना गामक बान्ह
अपना गामक खेत-पथार
टेढ़-मेढ़ ओ बाट
मन पड़ैत अछि महमह गमकैत,
मोजरल आमक गाछ
भोर अन्हारे महु बिछ आनब,
लोढ़ब फुल-बेलपात
मन पड़ैत अछि लुधकल जामुन,
लीची, बैर, अनार
आमक कुच्चा, सागक मोचरा,
इमली आर अचार
रनै-बनै कत फिरै छँ,
मां क झिड़की डांट
चल सभ बच्चा कलम चलै छी
पिताक सहज दुलार
टोला परके धिया पुता आर
कलमक ऊँच मचान
गsप-सsप आ हंसी-हंसी मे
सीखब जीवन पाठ...।
(मिथिलांगन द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन मे पाठ कएल गेल कविता)
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आइ तरेगन बना किए दूर केलौं !
सब आखर सिनेहक हम गुनैत छलौं
आइ आखर किए आहाँ बिसरा गेलौं !
हम एसगर अहीं संग दोसर भेलौं
आइ तेसर बना किए आन केलौं !
ठोर अहाँक ने कहियो हम चुम्मा केलौं
तीर तरकस जकाँ संग सदिखन छलौं,
आइ तीरे लगा किए पीर देलौं !!
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7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।
"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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