भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Saturday, September 01, 2012

'विदेह' ११३ म अंक ०१ सितम्बर २०१२ (वर्ष ५ मास ५७ अंक ११३) - PART I



                     ISSN 2229-547X VIDEHA
'विदेह' ११३ म अंक ०१ सितम्बर २०१२ (वर्ष ५ मास ५७ अंक ११३)India Flag Nepal Flag

 

 अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य













३. पद्य














बालानां कृते-१.इरा मल्लिक -बालगीत२.जगदानन्द झा मनु- संंकल्पक धनी विल्मा रुडोंल्फ

 

भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित-Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]




विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

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example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र
 'मिथिला रत्न' मे देखू।

example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू
 'मिथिलाक खोज'


मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू
 "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"


ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
Thank you for voting!

श्री राजदेव मण्डलक अम्बरा” (कविता-संग्रह) 12.5%  

श्री बेचन ठाकुरक बेटीक अपमान आ छीनरदेवी”(दूटा नाटक) 10.83%  

श्रीमती आशा मिश्रक उचाट” (उपन्यास) 6.39%  

श्रीमती पन्ना झाक अनुभूति” (कथा संग्रह) 4.72%  

श्री उदय नारायण सिंह नचिकेतानो एण्ट्री:मा प्रविश (नाटक) 5.28%  

श्री सुभाष चन्द्र यादवक बनैत बिगड़ैत” (कथा-संग्रह) 5%  

श्रीमती वीणा कर्ण- भावनाक अस्थिपंजर (कविता संग्रह) 5.28%  

श्रीमती शेफालिका वर्माक किस्त-किस्त जीवन (आत्मकथा) 8.61%  

श्रीमती विभा रानीक भाग रौ आ बलचन्दा” (दूटा नाटक) 6.67%  

श्री महाप्रकाश-संग समय के (कविता संग्रह) 5.28%  

श्री तारानन्द वियोगी- प्रलय रहस्य (कविता-संग्रह) 5%  

श्री महेन्द्र मलंगियाक छुतहा घैल” (नाटक) 9.72%  

श्रीमती नीता झाक देश-काल” (कथा-संग्रह) 5.56%  

श्री सियाराम झा "सरस"क थोड़े आगि थोड़े पानि (गजल संग्रह) 7.22%  

Other: 1.94%
  

 

ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?

Thank you for voting!
श्रीमती ज्योति सुनीत चौधरीक अर्चिस” (कविता संग्रह) 27.44%  

श्री विनीत उत्पलक हम पुछैत छी” (कविता संग्रह) 7.32%  

श्रीमती कामिनीक समयसँ सम्वाद करैत”, (कविता संग्रह) 6.1%  

श्री प्रवीण काश्यपक विषदन्ती वरमाल कालक रति” (कविता संग्रह) 4.27%  

श्री आशीष अनचिन्हारक "अनचिन्हार आखर"(गजल संग्रह) 21.95%  

श्री अरुणाभ सौरभक एतबे टा नहि” (कविता संग्रह) 6.1%  

श्री दिलीप कुमार झा "लूटन"क जगले रहबै (कविता संग्रह) 7.32%  

श्री आदि यायावरक भोथर पेंसिलसँ लिखल” (कथा संग्रह) 6.1%  

श्री उमेश मण्डलक निश्तुकी” (कविता संग्रह) 11.59%  

Other: 1.83%
   
 
   
 
 
 

ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?

Thank you for voting!
श्री नरेश कुमार विकल "ययाति" (मराठी उपन्यास श्री विष्णु सखाराम खाण्डेकर) 32.08%  

श्री महेन्द्र नारायण राम "कार्मेलीन" (कोंकणी उपन्यास श्री दामोदर मावजो) 12.26%  

श्री देवेन्द्र झा "अनुभव"(बांग्ला उपन्यास श्री दिव्येन्दु पालित) 12.26%  

श्रीमती मेनका मल्लिक "देश आ अन्य कविता सभ" (नेपालीक अनुवाद मूल- रेमिका थापा) 16.98%  

श्री कृष्ण कुमार कश्यप आ श्रीमती शशिबाला- मैथिली गीतगोविन्द ( जयदेव संस्कृत) 14.15%  

श्री रामनारायण सिंह "मलाहिन" (श्री तकषी शिवशंकर पिल्लैक मलयाली उपन्यास) 11.32%  

Other: 0.94%
   
 
 
 
 



फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य अकादेमी, दिल्ली

Thank you for voting!
श्री राजनन्दन लाल दास 50%  

श्री डॉ. अमरेन्द्र 28.26%  

श्री चन्द्रभानु सिंह 19.57%  

Other: 2.17%  
   
 
 

 

1.संपादकीय

मैथिली प्रतिभा पुरस्कारसँ ७ गोटे राजबिराजमे सम्मानित
-मैथिली कवि परिषद (मैथिली साहित्य परिषदक शाखा)क , द्वारा ई पहिने मैथिली बाल प्रतिभा पुरस्कार रूपेँ देल जाइ छल। ई पुरस्कार मैथिली कवि परिषदक अध्यक्ष श्री महेन्द्र मण्डल बनबारी द्वारा प्रारम्भ कएल गेल रहए। ऐ बेरसँ एकर नाम मैथिली प्रतिभा पुरस्कार राखल गेल अछि।
-कवि सागर वीर कादरी, रेडियो नाटक कलाकार जीबछ दास, भूपेन्द्र मण्डल, गायक देवेन्द्र साहा सोनी आ शिवशंकर यादव, मैथिली संगीतक क्षेत्रमे राम अधीन साहा आ प्रीति अधिकारीकेँ ई पुरस्कार देल गेलन्हि।

सुभाष चन्द्र यादव "बनैत- बिगड़ैत" सँ जातिवादी मानसिकताक मैथिली साहित्यकारक कष्टक कारण स्पष्ट अछि। सुभाष चन्द्र यादव जै कम्यूनिटीसँ आबै छथि ओकरा धोखा नै दै छथि, ओकर समस्या, ओकर भाषा लेल संघर्षरत छथि, समझौता नै करै छथि, आइडियोलोजीमे स्थिरता छन
्हि (जे तारानन्द वियोगी आ महेन्द्र नारायण राममे नै छन्हि), आ सएह कारण अछि जे ओ ओइ जातिवादी मानसिकताक मोहन भारद्वाज, योगानन्द झा, रामदेव झा आदिक कोपक शिकार छथि (जखन कि तारानन्द वियोगी आ महेन्द्र नारायण राम स्वीकृत)। यएह कारण अछि जे जखन मैथिली लेखक संघमे सुभाषचन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत"पर परिचर्चा आयोजित भेल तखन अशोक आ तारानन्द वियोगी अपन आलेख रखबाक हिम्मत जुटेलन्हि मुदा योगानन्द झा आ मोहन भारद्वाज मौन धारण केने रहलाह (नवेन्दु कुमार झा ओइ परिचर्चामे उपस्थित रहथि)। मुदा जखन कबिलपुरक ब्लैकमेलर सभक पत्र "विद्यापति टाइम्स" हम देखलौं तँ चकित रहि गेलौं- एकटा हेडिंग रहै - "घरदेखियासँ आगाँ नै बढ़ि सकला बनैत-बिगड़ैत केर लेखक- मोहन भारद्वाज"!!! -मैथिली लेखक संघक परिचर्चाक रिपोर्ट!!! योगानन्द झाक घृणित मानसिकता सोझाँ आएल छल हमरा लग। मोहन भारद्वाज ओइ खबरिक आइ धरि खण्डन नै केलनि, माने हुनकर सहमतिसँ ई झूठ प्रकाशित भेल। घर-बाहरमे आ मिथिला दर्शनमे कमल मोहन चुन्नूक "महेन्द्र मलंगिया" आ "मोहन भारद्वाज" सन जातिवादी मानसिकताक लोक लेल साहित्य अकादेमी पुरस्ककार वकालति जखन लगातार प्रारम्भ भेल तखन अनायास हमरा "विद्यापति टाइम्स" मोन पड़ि गेल आ पूरा साजिश सोझाँ आबि गेल। की ई सुभाष चन्द्र यादव बनैत-बिगड़ैतक विरुद्ध साजिश नै अछि? जखन नचिकेताक "नो एण्ट्री मा प्रविश"क विरुद्ध अमरेश पाठक, चन्द्रनाथ मिश्र अमर आ मायानन्द मिश्र एकजुट भऽ गेला आ प्रतिक्रियावादी कवि उदयचन्द्र झा विनोदकेँ पछिला साल अकादेमी पुरस्कार दिया देल गेल तखनो सभ किछु स्पष्ट छल। पढ़ू बनैत-बिगड़ैत http://sites.google.com/a/shruti-publication.com/shruti-publication/Home/Banait_Bigrait_SubhashChandraYadav.pdf?attredirects=0

घर-बाहरक जातिवादी रंगमंचसँ जुड़ल वा सहिष्णु सम्पादक मण्डलक (वासुकीनाथ झा, रमानन्द झा रमण आ कमल मोहन चुन्नू) कृत्य: घर-बाहर जुलाई २०१२: ब्राह्मणवादी तेवर, माने चोरिक खुलेआम समर्थन। पंकज पराशर नामक चोरकेँ जुग-जुग जीबथु कॉलममे स्थान देल गेल अछि,जै मिथिलाक समाजमे बारहो वर्ण चोरकेँ खेहारि कऽ बाहर कऽ दै छै, ओतै मैथिली साहित्यक ब्राह्मणवादी सम्पादक मण्डल चोरक खुलेआम समर्थक बनि गेल, कारण चोर ओकर जातिक अछि। दोसर ऐ चित्र मे आनन्द कुमार झाकेँ युवा नाटककार सम्मान भेटलापर ऐ जातिवादी रंगमंचक सम्पादक लोकनिकेँ कष्ट छन्हि, - चयन प्रक्रियापर की सवाल उठल छल से अनुत्तरित अछि, माने ब्राह्मणवादी ब्लैकमेलिंग, जातिवादी रंगमंचसँ जुड़ु, सहयोगी बनू आ नै तँ ब्लैकमेलिंग झेलू।

ऐ बेरुका बाल साहित्य पुरस्कार मैथिलीमे अ-बाल साहित्य, मुरलीधर झाक "पिलपिलहा गाछ", केँ देल गेल, मुरलीधर झा निर्लज्जतापूर्वक फूल-माला-पाग पहीरि रहल छथि आ किछु जातिवादी लोक निर्लज्जतापूर्वक ई सभ हुनका पहिरा रहल अछि। प्रस्तुत अछि ऐ अंकमे ऐपर रिपोर्ट आ चन्द्रनाथ मिश्र अमर-रामदेव झाक तेसर पीढ़ीक गारिक अपशब्द। किछु मेल आ एस.एम.एस. सँ आएल गारिक संकलन ओइ रिपोर्टमे अछि।
जिनका विजयदेव झा वा शंकरदेव झा (चन्द्रनाथ मिश्र अमर-रामदेव झाक तेसर पीढ़ी)क गारियुक्त पोस्टकार्ड-ई-मेल (वा अखबार-पत्रिकामे ब्लैकमेलिंगबला न्यूज) वा अपशब्दयुक्त एस.एम.एस. भेटल छन्हि ओ हमर ई-मेल ggajendra@videha.com पर स्कैन कॉपी अग्रसारित करथु वा मेल फॉरवार्ड करथु। एकर सभक अपशब्दयुक्त एस.एम.एस. हमर मोबाइल नम्बर ०९९११३८२०७८ पर अग्रसारित करू।
ई सभ व्यक्ति जकर स्थान जेल छिऐ ओ नपुंशक जातिवादी साहित्यिक (!!) लोक सभक चलैत साहित्य अकादेमीक माध्यमसँ मैथिली साहित्यकेँ पछिला ४५ सालसँ ब्लैकमेल करैत रहल, मुदा तकर आइ अन्तिम दिन छल।
एकटा अखबारमे ब्लैकमेलिंगबला न्यूज-रिपोर्टमे ई सभ ब्लैकमेलर नचिकेताकेँ मैथिल नै मानैए। नचिकेता, भीमनाथ झा आदि सेहो ऐ सभ लेल परोक्ष रूपसँ जिम्मेवार छथि, जे ऐ तरहक गारि-गरौअलि सुनैत रहला आ एकर सभक मोन बढ़ैत रहलै। मैथिलीक ब्राह्मणवादी आ कायस्थवादी (यएह दूटा वाद मे मैथिलीक पत्र-पत्रिका सभ बँटल अछि) पत्र-पत्रिकामे आपसमे घोर मतविभिन्नता छै, मारि-काटि छै मुदा विदेहक विरुद्ध ई सभ एक भऽ जाइए। नचिकेता जीक "मिथिला दर्शन" सेहो आब ब्राह्मणवादी पत्रिका भऽ गेल अछि, आ प्रधान सम्पादक जिम्मेवारीसँ बचि नै सकै छथि, हुनकर ई कर्तव्य छन्हि जे ओ अपन सम्पादक मण्डलमे सुधार करथु आ ओइमे किछु गोटेमे साहसक संचार करथु।
दि‍ल्‍ली जाइसँ पहि‍ने भोगेन्‍द्रजी कम्‍युनि‍स्‍ट पार्टीक जि‍ला-कार्यालयमे जगदीश प्रसाद मण्डल जी केँ कहि‍ देलखि‍न जे आब जे आएब तँ बेरमो जेबे करब, तँए ओइपर नजरि‍ राखब। जहि‍ना हाटो-बजारमे आ गामो-घरमे वस्‍तुक लेन-देन तीन तरहक लोकक बीच होइत अछि‍, एक वस्‍तुबला, दोसर लेबाल (कीनैबला)क बीचमुदा ऐ बीच तेसरो फड़ि‍ जाइए, ओ फड़बैए गर्ज। जखन वस्‍तु बेचि‍नि‍हारो आ लेनि‍हारोकेँ समानक गर्ज रहैए तखुनका बेवहार सुलभ होइए। कारणो होइ छै जे वस्‍तु बेचि‍ वा कीनि‍ कऽ अमुख काज करब, जे जरूरी अछि‍। दोसर तरहक होइए जे बेचि‍नि‍हारकेँ काजक दुआरे अधि‍क गर्ज रहल आ कीनि‍नि‍हार अगधाएल रहल। तइठाम बेचि‍नि‍हार कटाइए आ कीनि‍नि‍हार नफगर रहैए। तहि‍ना कतौ लेबाल (कीनि‍नि‍हार) गरजू रहल आ बेचि‍नि‍हार ना-गरजू। तइठाम कीनि‍नि‍हार कटाइए आ बेचि‍नि‍हार नफामे रहैए। कि‍एक तँ मने-मन अगधाइत रहल जे पानि‍मे पाथर सड़ैए। तहि‍ना लेबालोक बीच होइत रहै छै जे पाइ कि‍ कोनो कुट-कुट कटैए जे अनेरे कतौ फेकि‍ देब। यएह बिचला दुनि‍याँक कलाकार छी, जे अपने संग दुनि‍योकेँ नचबैए।
अदौसँ एक दि‍सक लोक दोसर दि‍सक दुनि‍याँ लेल वि‍कट परि‍स्‍थि‍ति‍ पैदा करैत रहल अछि‍ आ कंठ दबैत रहल अछि‍। मुदा से नै भेल। जहि‍ना भोगेन्‍द्र जीक कार्यक्रमक जि‍ज्ञासा बेरमा लोककेँ छल तहि‍ना भोगेन्‍द्रोजी आ कम्‍युनिस्ट पार्टियोकेँ छलै। सकरी सभाक बात  बेरमा गाममे जोर-शोरसँ चलए लागल। नीकसँ नीक कार्यक्रम हुअए, तइ पाछू सभ लागल, तँ दोसर दि‍स नव क्षेत्र भेट‍ने भोगेन्‍द्रोजी आ पार्टियो कार्यक्रमकेँ नीकसँ नीक बनबैक फि‍राकमे लागल। ओना आइसँ १९६७ ई.सँ पूर्व एकबेर कम्‍युनस्ट पार्टी बेरमामे सेहो बनल छल मुदा बेबहारि‍क पक्ष कमजोर रहने टि‍क नै पाएल रहए। नव-युवक बीच पार्टी बनल, कमोबेश अधि‍कतर युवक पढ़ल-लि‍खल। सबहक बीच पार्टीक कोनो तौर-तरीका नै बूझल तँए थाहि‍-थाहि‍ कि‍छु-कि‍छु सि‍खैत, अकाससँ पताल धरि‍क बात उड़ि‍-उड़ि‍ सभककानमे आबै जइसँ कि‍छु-ने-कि‍छु उत्‍साह तँ जगि‍ते रहै। जँ से नै होइतै तँ आन पार्टीक (पँूजीवादी) अपेक्षा चरि‍त्र ि‍नर्माण केना एतऽ होइ छै? संघर्षे चरि‍त्र खरादै छै।
संसद बैसार समाप्‍ति‍क तेसर दि‍न भोगेन्‍द्रजी मधुबनी पहुँच गेला। अखन धरि‍ भोगेन्‍द्रजी केँ तेना भऽ कऽ लोक नै चि‍न्‍हैत रहनि‍ तँए औता कि‍ नै औताह सेअसमंजस बनल रहै, बनबो स्‍वाभावि‍के रहै कि‍एक तँ आन-आन कतेक कार्यक्रम एहेन भऽ चुकल रहै जइमे नेता नै पहुँचल रहथि‍। संसद समाप्‍ति‍क पराते भेने भोगेन्‍द्रजी पटना पहुँच गेल रहथि‍। पहि‍ल बेर बि‍हारसँ कांग्रेसक वि‍रोधी दलक सांसद बहुमतमे दि‍ल्‍ली पहुँचल रहथि‍। बि‍हारोमे वि‍रोधि‍ये दलक सरकार महामाया प्रसाद सि‍ंहक नेतृत्‍वमे बनल रहए। कर्पूरी ठाकुर उपमुख्‍यमंत्री बनलाह। ओना महामाया बाबू कांग्रेससँ टूटि‍ कऽ आबि‍ जनक्रान्‍ति‍ दल बनौने रहथि‍। बि‍हार सरकारमे सभसँ बेसी सोशलिस्ट पार्टीक वि‍धायक रहथि‍ जइसँ सरकारोमे अधि‍क भागीदारी भेलनि‍। पहि‍ल बेर धनिकलाल मण्‍डल जीत कऽ गेल रहथि‍, मुदा तैयो वि‍धान सभा अध्‍यक्ष बनलाह। भारतीय कम्‍युनि‍स्‍ट पार्टीक कोटामे दूटा केबि‍नेट आ दूटा राज्‍य मंत्री बनलाह। दरभंगा जि‍लाक कोटामे तेजनारायण जी (श्री तेज नारायण झा) राज्‍य मंत्री बनलाह। ओना चारू गोटे अपना-अपना क्षेत्रमे कर्मठ रहथि‍। जहि‍ना इन्‍द्रदीप भाय (श्री इन्‍द्रदीप सि‍ंह) वि‍द्वान (अर्थशास्‍त्री) रहथि‍ तहि‍ना चन्‍द्रशेखर भाय (श्री चन्‍द्र शेखर सि‍ंह) सेहो क्रान्‍ति‍कारी रहथि‍। श्री शत्रुध्‍न बेसरा आदि‍वासीक नेता रहथि‍ तँ तेजनारायण जी कि‍सान नेता। एक तँ ओहि‍ना सरकार दल-दलमे डोलैत रहए तइपर रौदी आरो डोलबैत रहै।
कि‍सान नेताक संग-संग भोगेन्‍द्र जी बि‍हारक नेता सेहो रहथि‍ तँए काजक भार बहुत अधि‍क पड़ि‍ गेल रहनि‍। पटना आबि‍ राज्‍यक स्‍थि‍ति‍क वि‍चार-वि‍मर्श करैत-करैत पहि‍ल दि‍न बीति‍ गेलनि‍। मुदा पराते भनेसँ क्षेत्रक समए बना लेने रहथि‍। राता-राती मधुबनी आबि‍ गेलाह। मधुबनी अबि‍ते सभकेँ खबड़ि‍ भऽ गेल जे काल्हि‍ भोगेन्‍द्र जी बेरमाक कार्य-क्रममे रहताह। ओना सभ प्रचार करि‍ते रहथि, पर्चो छपबाइये नेने रहथि, दि‍नमे आम सभा करताह आ राति‍मे कार्यकर्ता-मीटि‍ंग। खाइयो-पीबैक ओरि‍यान भेल रहै। आम सभाक अंति‍म समए पाँच बजेक बाद भोगेन्‍द्रजी जीपसँ बेरमा पहुँचलाह। आम सभामे उपस्‍थि‍त सबहक मनमे भऽ गेलै जे आब  नै औताह। फौनो-फान अखुनका जकाँ नहि‍ये रहै, भोगेन्‍द्र जीकेँ अबैसँ पहि‍ने, आम सभा मरहन्ने जकाँ रहल मुदा हुनका अबि‍ते जना रंगे-रूप बदलि‍ गेल। कते गोटे जे उठि‍-उठि‍ कऽ रस्‍ता पकड़ि‍ नेने रहथि‍, ओहो सभ घुमलाह। संग-संग कि‍छु नवो लोक पहुँचलाह। जीपसँ उतरि‍ भोगेन्द्र जी बजलाह-
एक गि‍लास पानि‍ आ चाह पि‍आउ। ताबे मंचपर बैसै छी।
लोक धड़फड़ाएल जे जखन भोगेन्‍द्रजी पहुँच गेला तखन हुनक समैकेँ अनेरे दुइर करै छि‍यनि‍। मंचपर भोगेन्‍द्रजी चुपचाप बैस देखैत-सुनैत रहथि‍। पानि‍ पीब चाह पीलनि‍। चाह पीबैते बजैक आग्रह भेलनि‍। आग्रह होइते  कहलखि‍न जे सभकेँ पूछि‍ लि‍अनु जे कि‍नको कि‍छु पुछबाक छन्‍हि‍। मुदा सभ तँ सुनैले उत्‍सुक तँए एकोटा प्रश्न नै आएल रहए। उठि‍ते दि‍ल्‍लीक कांग्रेसी सरकारक खेरहा संक्षेपमे  कहलखि‍न जे केना अखन पूँजीपति‍, कारखानादार आ सामंत (राजा-महराजाक) क बीच वि‍वाद फँसल अछि‍। वि‍वादक चर्च करैत कहलखि‍न जे देशक वि‍कास अवरूद्ध भऽ गेल अछि‍। मुदा से बात कमे लोक बुझलक। कि‍एक तँ गामक लोक सरकारक माने कोटाक गहुम आ थाना मात्र बुझैत छल, गोटि‍-पंगरा चापा-कलो गड़ा जाइ छलै। ताबत चीनी-मटि‍या तेलक कोटाे भेल रहै ओना गहुमो कोटेक हि‍साबसँ भेटै मुदा लेबालक अभाव (पाइक दुआरे) रहने से नै बूझि‍ पड़ै। दि‍ल्‍ली  सरकारक लगले बि‍हार सरकारक चर्च केलखि‍न। रौदीक स्‍थि‍ति‍ भयावहता आ बि‍हार सरकारक आँट-पेट खोलि‍ कऽ राखि‍ देलखि‍न। कोसी-नहरि‍क चर्च वि‍स्‍तारसँ केेलखि‍न जे ई योजना मि‍थि‍लांचलक लेल कीअछि‍?मि‍थि‍लांचल चर्चक क्रममे ऐठामक सामाजि‍क शोषण, जे एक-दोसरकेँ आगू बढ़ैसँ रोकैत अछि‍,  वि‍स्‍तारसँ चर्च केलखि‍न।
ओना भोगेन्‍द्र जीक भाषण दू घंटासँ चारि‍ घंटा होइत छल, मुदा से नै भेल। घंटा पुरैत-पुरैत समए समाप्‍त भऽ गेल। सभा समाप्‍ति‍ होइते  कहलखि‍न जे ओना कार्यकर्ता-बैसार करैक कार्यक्रम सेहो अछि‍ मुदा से नीक जकाँ नै भऽ सकत। मुदा तैयो अहाँ सभ तैयारी करब जते काल छी तहीमे ओहो भइये जेतै। तइ बीच चाह एलै,  जलखै नै केलनि‍। चाहे पिबैत काल अय्यर-आयोगक चर्च सेहो केलखि‍न। कि‍छु कांग्रेसी नेता, जे सभ सरकारमे रहलाह, गोल-मालक जाँच करताह।
ओना जइ हि‍साबसँ कम्‍युनिस्ट पार्टीक पहि‍ल आम सभा छल तइ हि‍साबसँ बहुत नीक भेल छलै, जे भोगेन्‍द्रजी अपनो बजलाह।
कार्यकर्ता मीटि‍ंग शुरू होइते जना भोगेन्‍द्र जीक रूप बदलि‍ गेलनि‍। बजलाह-
कम्‍युनिस्ट पार्टी राजनीति‍क पार्टी छि‍ऐ, अहाँ सभ पार्टीक सदस्‍य बनि‍ पार्टी बनेलौं, एकरा सम्‍हारबोक भार अहीं सबहक ऊपर रहत। अहाँ सभ अपनाकेँ क्रान्‍ति‍कारी पार्टीक सदस्‍य बूझि‍ सामाजि‍क बेवस्‍थाकेँ बदलि‍ सुधारू, जाधरि‍ सामाजि‍क बेवस्‍था नै बदलत ताधरि‍ सर्व-कल्‍याणकारी समाज नै बनत। जाधरि‍ सर्व-कल्‍याणकारी समाज नै बनत ताधरि‍ कि‍छु गोटे लुटबे करत आ कि‍छु गोटे लुटेबे करत। कमाएब अहाँ, खा जाएत दोसर। मुदा पार्टी तँ गामसँ लऽ कऽ दुनि‍याँ भरि‍मे पसरल अछि‍। तँए एक-दोसरमे जुटि‍ कऽ केना रहब, ई तौर-तरीका सीखए पड़त। गामसँ लऽ कऽ दुनि‍याँ भरि‍मे लूट-खसोट चलि‍ रहल अछि‍, जे साधारण नै अछि‍, सभ तरहक शक्‍ति‍ ओकरा छै। ओइ शक्‍ति‍क मुकाबला करैक जे शक्‍ति‍ छैक ओ बनबए पड़त। अखन तँ हमहूँ औगताएले छी तँए नीक जकाँ नै बुझा पाएब। कनी नि‍चेन होइ छी तखन फेर आएब। अखन कि‍छु मूल बात जे छै से कहि‍ दइ छी। अहाँ गाममे पार्टी बनेलौं, गामक जे समस्‍या अछि‍ ओकरा पकड़ू। पार्टीक सभ सदस्‍य एकठाम बैस ओइ समस्‍यापर वि‍चार करू। लोके लऽ कऽ समाज बनै छैक। जते गोटे अहाँ सभ छी जँ ओतबो गोटे एकजुट भऽ समाधान करब तँ असानीसँ समाधान होइत जाएत। ओना जते असान बुझै छि‍ऐ बेवस्‍था तोड़ब ओते असान नै छै। वि‍रोधीक आक्रमणक संग अपना पार्टियोमे मतभेद हएत, तइ संग परि‍वारोमे हएत। बड़-बढ़ि‍या खाइ-पीबैक जोगार सेहो केने छी। सभ एकठाम बैस खाएब-पीब तखन ने खाइ-पीबैक छुआछुतक रोग जे अछि‍, से टुटत। जाबे से नै टुटत ताबे मन-भेद होइते रहत। नि‍यमि‍त बैसार करू। जाबे अपना पार्टी कार्यालय नै भेल अछि‍ ताबे टोले-टोल बैसार करू। ओइ टोलक की समस्‍या छै आ ओकर समाधान केना हेतै, बैसारक मुख्‍य काज भेल। ई तँ सामाजि‍क स्‍तरपर भेल मुदा ऐ संग आरो क्षेत्र अछि‍। कोनो समस्‍या लऽ कऽ ब्‍लौकमे प्रदर्शन करब, ब्‍लौक भरि‍क पार्टीक प्रदर्शन हएत। ओहीमे बेरमाक जे समस्‍या अछि‍ ओकरो मुद्दा बनाएब। अहि‍ना जि‍लोमे होइ छै। राज्‍यक राजधानि‍योमे होइ छै, दि‍ल्‍लि‍योमे होइ छै। सभमे भाग लेब। दुनू दि‍सक समस्‍या रहत, तँए ऊपरका समस्‍या  प्रमुख भेल।
 धड़फड़ाएल रहबे करथि‍, नअ बजे करीब वि‍दा भऽ गेला। हुनका गेला पछाति‍ खेनाइ-पिनाइ भेल। कार्यक्रम समाप्‍त भेल।
गाममे एकटा नव नजरि‍क जन्‍म भेल। जेना पहि‍ने गामकेँ लोक बुझैत छल तइसँ भि‍न्न बुझैक प्रक्रि‍या शुरू भेल। ओहुना चारि‍ गोटे एकठाम भऽ कोनो काज शुरू केलक। ओना पहि‍नौं कि‍छु लोक सामाजि‍क काजमे समाज सहयोगी बनैत छलाह, मुदा ओ दायरा कमि‍ गेल। कि‍छु परि‍वार धरि‍ समटा गेल छल। अपन काज,अपन बातकेँ छि‍पा कऽ राखब स्‍वभाव बनि‍ गेल छल, अखनो अछि‍।
अंतमे, चारि‍ गोटेक बीच रहला आ बजलासँ बजबाक अभ्‍यास हुअए लगै छै। तइ संग ईहो होइ छै जे दोहरा-तेहरा कऽ एके बात बाजी वा कि‍छु नव गप बाजी। पार्टीमे जुटलासँ दि‍ल्‍लीक रैली तक जगदीश प्रसाद मण्डल भाग लि‍अए लगला। नव-नव लोकसँ भेँट-घाँट, क्षेत्रक हि‍साबसँ नव-नव कला-संस्‍कृति‍ देखैक अवसर जगदीश प्रसाद मण्डलकेँ भेटए लगलन्हि। तइ संग ईहो भेलन्हि जे दू-आना, चारि‍ आनामे नीक कि‍ताब भेटए लगलन्हि जइसँ नव-नव जानकारी हुअए लगलन्हि।
सन् सैंतालीस...
भारतक स्वतंत्र त्रिवार्णिक झण्डा फहरा रहल छल।
मुदा कम्यूनिस्ट पार्टीक माननाइ छल जे भारत स्वतंत्र नै भेल अछि।
असली स्वतंत्रता भेटब बाँकी छै...
मिथिलाक एकटा गाम
जन्म भेल रहए एकटा बच्चाक.. ओही बर्ख ...
ओइ स्वतंत्र वा स्वतंत्र नै भारतमे...
पिताक मृत्यु...गरीबी.. केस मोकदमा...
वंचितक लेल संघर्षमे भेटलै स्वतंत्र भारतक वा स्वतंत्र नै भेल भारतक जेल....
आइ बेरमामे पाँच-दस बीघासँ पैघ जोत ककरो नै..
ओइ गाममे जीवित अछि आइयो किसानी आत्मनिर्भर संस्कृति...
पुरोहितवादपर ब्राह्मणवादक एकछत्र राज्यक जतऽ भेल समाप्ति..
संघर्षक समाप्तिक बाद जिनकर लेखन मैथिली साहित्यमे आनि देलक पुनर्जागरण...

जगदीश प्रसाद मण्डल- एकटा बायोग्राफी...गजेन्द्र ठाकुर द्वारा (अनुवर्तते...)


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गजेन्द्र ठाकुर

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