25
मारी माछ नहि ऊपछी खत्ता
भरि समाज घोड़नकेँ छत्ता
परचट्ट बनल जनता छी
खाइ छी गरदनिपर कत्ता
कांकोड़ बिएल केांकड़े खए
भय गेल देशक लत्ता लत्ता
सगरो नाँघल जाइत अछि
छन छन मरीयादाकेँ हत्ता
रहब भरोसे कतेक ’मनु’
भेटे एक दिन हमरो भत्ता
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-११)
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26
सुरशाक मुँह बेएने महगाइ मारलक
बरख-बरखपर पाबि बधाइ मारलक
छलहुँ भने बड़ नीक बिन बन्हले कतेक
गोर-नार कनियाँ संगक सगाइ मारलक
झूठक रंगमे डूबि जीबितहुँ कतेक दिन
रंग हटैत देरी झूठक बड़ाइ मारलक
सुधि बिसरि कए सभटा निसामे बहेलहुँ
दिन राति पीया कए गाम गमाइ मारलक
भौतिक सुखमे डूबल ’मनु’ सगरो दुनियाँ
जतए ततए फरजीकेँ उघाइ मारलक
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)
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27
सभकेँ हम करि सम्मान सभ बुझैत अछि गदहा
सभकेँ गप्प हम सुनै छी सभ कहैत अछि गदहा
सभतरि मचल हाहाकार मनुक्ख खाए गेल चाड़ा
भ्रष्टाचारमे डूबि आइ देश चलबैत अछि गदहा
नवयुवक फँसल भमरमे साधु करए कबड्डी
देखू गाँधी टोपी पहिर किछु कहबैत अछि गदहा
भगवा चोला पहिर-पहिर आँखिमे झोँकै मिरचाई
धर्माचार बनल बैसल धर्म बेचैत अछि गदहा
जंगल बनल समाजमे सोनितसँ भिजल धरती
शेर सगरो पड़ा गेलै चैनसँ सूतैत अछि गदहा
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-२०)
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28
गीत आ गजलमे अहाँ ओझराति किएक छी
हुए मैथिलीक विकास अंसोहाति किएक छी
परती पराँत जतए कोनो उपजा नै होइ
तीन फसल ओतएसँ फरमाति किएक छी
जतए सह सह बिच्छू आ साँप भरल होइ
ओतए बिना नोतने अहाँ देखाति किएक छी
अपन चटीएसँ नै फुरसैत भेटे अहाँकेँ
सिलौटपर माथ फोरि कऽ औनाति किएक छी
आँखि पथने बरखसँ अहीँक रस्ता तकै छी
प्राणसँ बेसी ’मनु’ मनकेँ सोहाति किएक छी
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १७)
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29
किछु एहन काज करब हमहूँ
नै फोटोमे टाँगल रहब हमहूँ
एलहुँ जन्म लए कए दुनियाँमे
एक नै एक दिन मरब हमहूँ
कुक्कुर बिलाई जकाँ पेट पोसैट
आब जुनि ओहेन बनब हमहूँ
आगू बढ़ि नव समाज बनाएब
नै पाछू आब आगू चलब हमहूँ
खाख छनि ’मनु’ बहुत बौएलहुँ
आब अपने घर बसब हमहूँ
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण -१३)
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30
गजल नहि लिखतौं तँ हम करितौं की
गजल बिनु जिनगी अपन जीबितौं की
शराबमे निसा छैक बुझलहुँ हमहूँ
शराब नहि पीबितौं तँ हम पीबितौं की
सभ कहलक नहि दिमाग हमरामे
एहिसँ बेसी लए कए हम पबितौं की
दुनियाँमे सभतरि भऽ जाइ सोने सोना
तँ कहू सोनाकेँ कियो कनिको पूछितौं की
मन मारने ’मनु’ बैसल छी नहि बुझू
एते हल्लामे बजितौं तँ अहाँ सुनितौं की
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण - १५)
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31
हम ढोलक छी सदिखन बजिते रहलहुँ
नहि सुनलक कियो बात पीबिते रहलहुँ
हमर मोनक गप्प मोनेमे रहिगेल बंद
कहब कोना जीवन भरि सोचिते रहलहुँ
जकर छल आस ओ सभ छोरि चलि देलक
अनचिन्हारसँ ससिनेह भेटिते रहलहुँ
चीरो कऽ करेजा देखाएब तँ पतियाएतकेँ
अपन टूटल करेजकेँ जोड़िते रहलहुँ
बुझाएब कोना मोनकेँ शराबो भेल महग
आँखि निहारि ’मनु’ आब तँ तकिते रहलहुँ
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)
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32
ओ निसाँ शराबमे कतए चाही जे पीबैक लेल
बहाँना माहुरमे कतए चाही जे चीखैक लेल
सगरो बहल अछि धाड़ आब शराबक देखू
लाबू कतयसँ सूई-ताग ई धाड़ सीबैक लेल
बचल किए आब शराबे टूटल करेज लेल
बहुतो छै जीवनमे एकर बादो जीबैक लेल
जँ डगमगएल डेग शराबे किएक थामलौं
बाँकी अछि एकर बादो बहुत सीखैक लेल
बहाँना बहुत अछि दुनियाँमे एखनो जीवैकेँ
आबू ’मनु’ देखू बहुत किछु अछि पाबैक लेल
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १८)
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33
कहलन्हि ओ मंदीरमे नहि पीबू एतए शराब
कोनठाम ओ नहि छथि कहु पीबू ततए शराब
ई नहि अछि खराप बदनाम एकरा केने अछि
ओ की बुझत भेटलै नहि जेकरा कतए शराब
मरलाबादो हम नहि पियासल जाएब स्वर्गमे
जाएब जतए सदिखन भेटए ओतए शराब
मारा-मारि भऽ रहल अछि जाति पातिकेँ नामपर
मेल देखक हुए तँ देखू भेटए जतए शराब
सभ गोटेकेँ निमंत्रण ससिनेह ’मनु’ दैत अछि
आबै जाए जाउ सभमिल पीब बहुतए शराब
(सरल वार्णिक वर्ण, वर्ण-१९)
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34
बेटी नहि होइ दुनिआमे कहु बेटा लाएब कतएसँ
जँ दीपमे बाती नहि तँ कहु दीप जड़ाएब कतएसँ
आबै दियौ जगमे बेटीकेँ के कहे ओ प्रतिभा इन्द्रा होइ
भ्रूण-हत्या करब तँ कल्पना सुनीता पाएब कतएसँ
मातृ-स्नेह, वात्सलकेँ ममता बेटी छोरि के दोसर देत
बिन बेटी वरकेँ कनियाँ घरमे सजाएब कतएसँ
धरती बिन उपजा कतए घर बिनु कतए घराड़ी
बिन बेटी सपनोमे नव संसार बसाएब कतएसँ
हमर कनियाँ माए बाबी ओहो तँ किनको बेटीए छथि
बिनु बेटी एहि दुनिआमे ’मनु’ कहू आएब कतएसँ
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-२१ )
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35
छुपि-छुपि कऽ सदिखन कनै छी हम
घुटि-घुटि कऽ दिन राति मरै छी हम
लगन एहन है छै छल नै बुझल
विरहकेँ आगिमे आब जरै छी हम
पल भरिकेँ दूरी सहलो नै जाइए
छन-छन जाएक दिन गनै छी हम
सभ तँ बताह कहैत अछि हमरा
हुनक ध्यानमे रमल रहै छी हम
जाहि बाटपर चलि प्रियतम गेला
‘मनु’ ओ बाटकेँ निहारि तकै छी हम
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१४)
36
दर्द करेजक देखाएब तs अहाँ गानब की
हमर बात कनी सपनोमे अहाँ मानब की
अहाँ कहलौं पुरुषक प्रेम गोबर आ रुई
करेज चीरो कs देखाएब तँ अहाँ कानब की
दोख एकेटामे होइ छैक सभमे कत्तौ नहि
सभकेँ संग हमरो अहाँ ओहिमे सानब की
अहाँ कहैत छी सभठाम अन्हारे-अन्हारे छै
इजोरियासँ आँखि मुनि अन्हरिया छानब की
एक बेर हमरोपर भरोसा कय कs देखू
प्रेम केकरा कहैत छैक 'मनु'सँ जानब की
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)
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37
नहि हमरा सागक तोड़न चाही
नहि हमरा पातक छोड़न चाही
नव मिथिला निर्माणक बल लेने
शुभ मिथिला राजक जोड़न चाही
सूपक भाँटा सन डोलति लोकक
मोनक बदलति नै मोरन चाही
बिनु जानक भय केने छोरै नहि
घर घर बिषबिश्षी घोड़न चाहि
हक हमरा एखन अप्पन चाही
सभटा तीमन नहि फोड़न चाही
(वर्ण-१३, मात्रा- नअ नअटा दीर्घ सभ पाँतिमे)
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38
टोना ओहे जे टोनै सभकेँ
तारी ओहे जे तारै सभकेँ
लेखक ओहे जे मानै मनकेँ
रचना सभ हुनकर छूबै सभकेँ
कनियाँ ओहे जे भाबै वरकेँ
सासुरमे अपना बूझै सभकेँ
नेता ओहे जे माने विधि नै
जूता मुक्का जे खालै सभकेँ
घरकेँ बेटा नै राखै मनदू
आश्रम आगू ओ जीतै सभकेँ
(मात्रा क्रम - नअ नअटा दीर्घ सभ पाँतिमे)
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39
जकर मोनक रावण नै मरलै
राम आजुक कोना ओ बनलै
डशल साँपक पइनो मंगै छै
डशल मनुक्खक कनिको नै कनलै
गेल आँगन घर सभ पलटै छै
मोन भेटत कोना जे जड़लै
हाथ रखने सभतरि भस्मासुर
निकलितो साउध बाहर डड़लै
छोड़ि ढेपापर चुगला ’मनु’केँ
शहर दिस नेन्ना सभटा भगलै
(मात्रा क्रम - २१२२-२२-२२२, सभ पाँतिमे)
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40
जेना जेना राति बीतल जाइए
तेना तेना देह धीपल जाइए
जुल्मी संगे संग रहितो हे सखी
नहिए हुनकर मोन जीतल जाइए
योवनमे पुरबा बसातक जोड़ छै
साबरिया बिनु नै त' जीबल जाइए
डूबल निनमे सगर दुनिया छै जखन
बीया प्रेमक एत' छीटल जाइए
भोरे उठिते प्रेम बोरल 'मनु' छलौं
लाजे मरि मुँह आब तीतल जाइए
(मात्राक्रम – २२२-२२१२-२२१२)
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41
हम हँसलौ तँ संसार ई हँसल
कानलपर हमर नै कियो कनल
सिदहामे बझल आइ लोक सभ
आनक नै सरोकार छै बचल
घुन खेने सगर घरक खामकेँ
ख’र बाती निकलि डोलिते चलल
खूनसँ ओरयानी सभक पटल
सुनतै आब के केकरो कहल
‘मनु’ मनभौक गुड़ चौर खा कए
किरदानी सभक देखते रहल
(मात्रा क्रम – २२२१-२२१-२१२)
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जँ नाराज छी मानि जाऊ
पिया प्रेम बिधि जानि जाऊ
महिस भेल पारी तरे अछि
घरक खीरसा छानि जाऊ
मरल माछ पौरल दही अछि
हिया हमर सभ गानि जाऊ
करीया बड़द मुइल परसू
किछो नै कनी कानि जाऊ
छिटल रोपनी सम्हरत नै
घरो घुरि अहाँ ठानि जाऊ
(बहरे मुतकारिब, मात्रा क्रम-१२२-१२२-१२२)
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हकन नोर माए कनै छै
तकर पुत्र मुखिया बनै छै
कते आब बैमान बढ़लै
गरीबक टकाकेँ गनै छै
पतित बनल नेता तँ देशक
दुनू हाथ ओ मल सनै छै
पएलक कियो जतय मौका
अपन बनि कऽ ओहे टनै छै
बनल भोकना जेठरैअति
मुदा ’मनु’ तँ सभटा जनै छै
(बहरे मुतकारिब, मात्रा क्रम-१२२-१२२-१२२)
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रहब आब नै दास बनि हम
अपन नीक इतिहास जनि हम
जखन ठानलहुँ हम अपनपर
समुद्रो लएलहुँ तँ सनि हम
उठा मांथ जतएसँ तकलहुँ
दएलहुँ तँ नक्षत्र गनि हम
दुनीयाँक माहुर पीने
चलै छी अपन मोन तनि हम
जमल खून मारलक धधरा
लएलहुँ विजय विश्व ठनि हम
(बहरे मुतकारिब, मात्रा क्रम-१२२-१२२-१२२)
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ई हँसी हमर सुनलौं अहाँ
दर्दकेँ नै तँ बुझलौं अहाँ
दाँतकेँ बीचमे जीभ सन
मोनमे अपन मुनलौं अहाँ
नै हमर मोनकेँ चिन्हलौं
मुँह किए देख घुमलौं अहाँ
प्रेमकेँ हमर हँसि बिसरलौं
मोनकेँ तोरि झुमलौं अहाँ
हाथ संगे खुशीकेँ पकरि
हृदय ‘मनु’ केर खुनलौं अहाँ
(बहरे मुतदारिक, २१२-२१२-२१२)
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धाख सभटा बिसरि गेलै
घोघ हुनकर उतरि गेलै
झूठ कोनाकेँ नुकायत
जखन सोंझा बजरि गेलै
सय बचायब बचत कोना
लाज सभटा ससरि गेलै
ओ छलै फेसनसँ डूबल
काज सयटा पसरि गेलै
भेल नेता नीनमे सभ
देश सगरो रगरि गेलै
(बहरे रमल, मात्रा क्रम-२१२२-२१२२)
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47
सुख भरल संसार चाही
दुखक नै अंबार चाही
मोन सदिखन खूब हरखे
बमक नै टंकार चाही
भरल घर मिथलाक ज्ञानसँ
अन्नकेँ भंडार चाही
डोलि अम्बर फूल बरखे
भक्तकेँ झंकार चाही
सभ कियो ’मनु’ हँसि कऽ भेटे
एहने संसार चाही
(बहरे रमल, मात्रा क्रम-२१२२-२१२२)
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48
रंग देखू भरल अछि सभतरि तँ खूनसँ
देश गेलै गैल बैमानीक घूनसँ
साग तरकारी कते भेलै महग छै
आब छी पोसैत नेना भात नूनसँ
नामकेँ लत्ता गरीबक देहपर अछि
लदल कबिलाहा कते छै गरम ऊनसँ
छैक भिसकी रम बहै भरपूर सभतरि
एखनो हम गुजर केलौं पान चूनसँ
मारि गरमी देखु ’मनु’ बेबस कनै छी
ओ तँ अछि पेरीसमे पोसाति जूनसँ
(बहरे रमल, मात्रा क्रम-२१२२-२१२२-२१२२)
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तेल बिनु जेना निशठ टेमी धएने
बिनु पिया जीवन बितत कोना अएने
बरख बरखसँ हम तुसारी पूजने छी
बुझब की सुख साँझ पाबनि बिनु कएने
छै धिया सुख की बुझब कोना धिया बिनु
भ्रूण हत्यारा बुझत की बिनु पएने
मोल जीवनमे हमर बाबूक की अछि
मोन बुझलक छन्नमे हुनका गएने
रंग बदलति देखलौं सभकेँ हँसीमे
देखि ’मनु’ दुनियाँक रहलौं मुँह बएने
(बहरे रमल, मात्रा क्रम २१२२-२१२२-२१२२)
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जीवन कखन तक छैक नै बुझलक कियो
कखनो करेजक गप्प नै जनलक कियो
भेटल तँ जीवनमे सुखक संगी बहुत
देखैत दुखमे आँखि नै तकलक कियो
दुखकेँ अपन बेसी बुझै किछु लोक सभ
भेलै जँ दोसरकेँ तँ नै सुनलक कियो
सदिखन रहल भागैत सभ काजे अपन
नै नोर आनक घुरि कए बिछलक कियो
जीवन तँ अछि जीवैत ’मनु’ सभ एतए
मइरो कऽ जे जीवैत नै बनलक कियो
(बहरे रजज, मात्रा क्रम-२२१२ तीन-तीन बेर सभ पाँतिमे)
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जखन खगता सभसँ बेसी तखन ओ मुँह मोड़ि लेलनि
जानि आफत छोरि हमरा सुखसँ नाता जोड़ि लेलनि
देखि चकमक रंग सभतरि ओहिमे बहि ओ तँ गेली
जानि खखड़ी ओ हमर हँसिते करेजा कोड़ि लेलनि
बन्द केने हम मनोरथ अप्पन सदिखन चूप रहलौं
पाञ्च बरखे आबि देख फेर सपना तोड़ि लेलनि
दुखसँ अप्पन अधिक दोसरकेँ सुखक चिन्ता कएने
आँखि जे फूटै दुनू तैँ एक अप्पन फोड़ि लेलनि
चलक सप्पत संग लेलौं जीवनक जतराक पथपर
मेघ दुखकेँ देखते ओ संग ‘मनु’केँ छोड़ि लेलनि
(बहरे रमल, मात्राक्रम - २१२२ चारि-चारि बेर सभ पांतिमे)
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घोड़ा जखन कोनो भऽ नाँगड़ जाइ छै
कहि ओकरा मालिक झटसँ दै बाइ छै
माए बनल फसरी तँ बाबू बोझ छथि
नव लोक सभकेँ लेल सभटा पाइ छै
घर सेबने बैसल मरदबा छै किए
चिन्हैत सभ कनियाँक नामसँ आइ छै
कानूनकेँ रखने बुझू ताकपर जे
बाजार भरिमे ओ कहाइत भाइ छै
खाए कए मौसी हजारो मूषरी
बनि बैसलै कोना कऽ बड़की दाइ छै
पोसाकमे नेताक जिनगी भरि रहल
जीतैत मातर देशकेँ ‘मनु’ खाइ छै
(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२ तीन-तीन बेर सभ पाँतिमे)
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वेदरदिया नै दरदिया जानै हमर
टाकासँ जुल्मी प्रेमकेँ गानै हमर
सदिखन जरैए मन विरहकेँ आगिमे
तैयो पिया नै किछु दरद मानै हमर
साउन बितल घुरियो कs नै एला पिया
नहि खीच हुनका प्रेम ल’ग आनै हमर
बरखा खुबे बरिसय तँ गरजय बदरबा
छतिया दगध भेलै हिया कानै हमर
बसला पिया 'मनु' दूर बड़ परदेशमे
झरकल हिया कनिको तँ नै मानै हमर
(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२ तीन-तीन बेर सभ पाँतिमे)
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हमर मिथिलाक माटिसँ सोन उपजैए
कऽलसँ बनि पानि अमृत धार निकलैए
सगर पोखरिक छह छह पानिमे गामक
रुपैया बनि मखाने माछ गमकैए
घरे घर सभ छटैए बड्ड बुधियारी
दलानसँ राजनीतिक जैड़ जनमैए
युवाकेँ हाथ बल छै ओ बढ़त आँगा
जँ लेलै ठानि छनमे चान पकरैए
अपन माटिसँ भएलहुँ दूर ‘मनु’ कोना
विरहमे हमर आँखिसँ नोर झहरैए
(बहरे हजज, मात्रा क्रम- १२२२-१२२२-१२२२)
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लुटेए गाम गाबेए कियो लगनी
किए लागल इना सभकेँ शहर भगनी
कियो नै सोचलक परदेश ओगरलक
भऽ गेलै गामपर माए किए जगनी
उठेलौं बोझ हम आनेक भरि जिनगी
अपन घरमे रहल सदिखन बसल खगनी
बिसरलौं सुधि सगर कोना कऽ हम हुनकर
बनेलौं अपन जिनका हम घरक दगनी
अपन जननी जनमकेँ भूमि नहि बिसरल
भरल बाँकी तँ अछि सभठाम ‘मनु’ ठगनी
(बहरे हजज, मात्रा क्रम १२२२ तीन तीन बेर सभ पांतिमे)
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करेजामे अपन हम की बसेने छी
अहाँकेँ नामटा लिख-लिख नुकेने छी
बितैए राति नै कनिको कटैए दिन
अहाँकेँ बाटमे पपनी सजेने छी
हमर ठोरक हँसीकेँ देख नै हँसियौ
अहाँ हँसि लिअ दरद तेँ हम दबेने छी
हमर जीवन अहाँ बिनु नै छलै जीवन
मनुक्खसँ देवता हमरा बनेने छी
निसा ई गजलमे आँखिक अहीँकेँ ‘मनु’
बुझू नै हम महग ताड़ी चढ़ेने छी
(बहरे हजज, मात्रा क्रम – १२२२-१२२२-१२२२)
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57
मन होइए हम मरि जाइ
बस पाँच काठी परि जाइ
जे झूठमे सदिखन भरल
एहन तँ दुनिआ गड़ि जाइ
नै घुस बिना जतए काज
ओ सगर शासन जरि जाइ
एक्को सड़ल पोखरिमे जँ
सभ माछ ओकर सड़ि जाइ
कुल जाहिमे एक्को भक्त
ओ सगर कुल ’मनु’ तरि जाइ
(बहरे मुन्सरक, मात्रा क्रम-२२१२-२२२१)
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देख मुँह मूँगबा बहुतो बटाइत छै
नाम ककरो गरीबक नै सुहाइत छै
अन्न जे भेट जेए भुखलकेँ साँझे
एहि लोभक तरे दिन भरि खटाइत छै
मीठ भाषण बरख पाँचे कते दै छै
जीतकेँ बाद नेतासभ नुकाइत छै
घूस खा खा कऽ बनलै भोकना पारा
आन दमड़ीसँ चमड़ी बड़ चबाइत छै
भ्रष्ट नेता घुमै बीएमडब्लूमे
एखनो ’मनु’ गरीबक हक दबाइत छै
(बहरे मुशाकिल, मात्रा क्रम २१२२-१२२२-१२२२)
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खाल रंगेल गीदड़ बड्ड फरि गेलै
एहने आइ सभतरि ढंग परि गेलै
घुरि कऽ इसकूल जे नै गेल जिनगीमे
नांघिते तीनबटिया सगर तरि गेलै
देखलक भरल पूरल घर जँ कनखी भरि
आँखि फटलै दुनू डाहेसँ मरि गेलै
सभ अपन अपनमे बहटरल कोना अछि
मनुखकेँ मनुख बास्ते मोन जरि गेलै
बीछतै ‘मनु’ करेजाकेँ दरद कोना
जहरकेँ घूंट सगरो पी कऽ भरि गेलै
(बहरे मुशाकिल, मात्रा क्रम २१२२-१२२२-१२२२)
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60
घोड़ कलियुग घड़ी केहन आबि गेलै
एकटा कंस घर घरमे पाबि गेलै
बनल अछि रक्षकेँ भक्षक आब सगरो
बिबश जनताक हक सभटा दाबि गेलै
अन्न खा थाह पेटक किछु नै पएलक
मालकेँ सगर भूस्सा चुप चाबि गेलै
शहर नै गाम आ घर-घर आब देखू
गीत पूवक हबामे सभ गाबि गेलै
डूबि नव फेशनक संगे आइ दुनियाँ
एक गजमे अरज देहक पाबि गेलै
(बहरे असम, मात्रा क्रम- २१२२-१२२२-२१२२)
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हम जँ पीलहुँ शराबी कहलक जमाना
टीस नै दुख करेजक बुझलक जमाना
भटकलहुँ बड्ड भेटेए नेह मोनक
देख मुँह नै करेजक सुनलक जमाना
लिखल कोना कहब की की अछि कपारक
छल तँ बहुतो मुदा सभ छिनलक जमाना
दोख नै हमर नै ककरो आर कहियौ
देख हारैत हमरा हँसलक जमाना
दर्द जे भेटलै नै ‘मनु’ कनी बूझब
आन अनकर कखन दुख जनलक जमाना
(बहरे असम, मात्रा क्रम - २१२२-१२२२-२१२२)
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62
भूतलेलौं किए एना मित बना लिअ
छोड़ि सगरो बहानाकेँ प्रित लगा लिअ
वचन नै देब हम नै किछु मोल एकर
आउ चलि संगमे हमरो अप्पना लिअ
जीवनक काँट ई कोना बिछ्ब एते
संग हमरा ल’ मोनक संसय हटा लिअ
जुनि बुझू आन जगमे सपनोसँ कखनो
बुझि क’ अप्पन कनी छू ठोरसँ सटा लिअ
रूप सुन्नर अहाँकेँ ई ओहिपर बदरा
जीब कोना करेजामे "मनु" बसा लिअ
(बहरे - असम, मात्रा क्रम – २१२२-१२२२-२१२२)
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63
दड़ड़िते खेसारी बखाड़ी बनेलक
बीच तरहत्थीपर दही ओ जमेलक
बिसरि रौदी दाही अपन कष्ट सभटा
कर्म पथपर खेतिहर चलि हऽर चलेलक
केखनो नहि पढ़ि रहल मड़राति सगरो
राजमंत्री बनि उम्र भरि ओ कमेलक
पहिर चश्मा दिन राति जे खूब पढ़लक
घूस दय चपरासी किरानी कहेलक
देख आगाँ इस्कूलकेँ घुरि परेए
बनि कऽ ‘मनु’ शाइर गजल सभकेँ सुनेलक
(बहरे खफीक, मात्रा क्रम- २१२२-२२१२-२१२२)
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64
भाइ भाइसँ बैरीन केलक रुपैया
गाम छोड़ा सभकेँ भगेलक रुपैया
आँखि मुँह मुनि परदेसमे जा कऽ बसलहुँ
सगर बुझितो माहुर पियेलक रुपैया
आइड़े आइड़ ख’र बटोरैत माए
खेतमे बाबूकेँ कनेलक रुपैया
गोल चश्मा मुन्सी लगा ताकए की
खून चुसि चुसि सभटा दबेलक रुपैया
भाइ बाबूकेँ ‘मनु’ बिसरि जाउ छनमे
राज नै आब तँ घर चलेलक रुपैया
(बहरे खफीक, मात्रा क्रम - २१२२-२२१२-२१२२)
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अछि जँ जिनगी तँ प्रेम केनाइ सिख लिअ
दुख बिसरि जगमे मन लगेनाइ सिख लिअ
काल्हिकेँ नै कोनो भरोसा बचल अछि
आइपर हिल मिल आबि जेनाइ सिख लिअ
जीवनक सुख दुख बाट दू छैक बुझलौं
दूबटीयापर हँसि कऽ गेनाइ सिख लिअ
अपन मनमे प्रेमक जगाबैत बाती
आँखि सभकेँ सोझाँ उठेनाइ सिख लिअ
के बुझेलक ‘मनु’ छै अछूतगर पापी
पाप आबो संगे मिटेनाइ सिख लिअ
(बहरे खफीक, मात्रा क्रम - २१२२-२२१२-२१२२)
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66
कखनो कियो हमरो प्रेम करबे करत
गेलहुँ जँ नै घर ओ बाट तकबे करत
भागैत अछि टोलक लोक नामसँ हमर
एकदिन सभ हमरो संग चलबे करत
बैसल घरे घर सभ कान मुनने अपन
दोसर मुँहसँ हमरो लेल सुनबे करत
के एतए अमृत पी कए आएल
सभ एक नै दोसर दिन मरबे करत
जे प्रेम केलक कहियो जँ मिसियो ‘मनु’सँ
दू नोर मुइलापर ओ तँ कनबे करत
(बहरे सलीम, मात्रा क्रम-२२१२-२२२१-२२२१)
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कोना अहाँकेँ घुरि कहब आबै लेल
बड़ दूर गेलौं टाका कमाबै लेल
नै रीत कनिको प्रीतक बुझल पहिनेसँ
टूटल करेजा अछि किछु सुनाबै लेल
लागल कपारक ठोकर जखन देखलहुँ
नै आँखिमे नोरक बुन नुकाबै लेल
बुझलौं अहाँ बैसल मोनमे छी हमर
ई दूर गेलौं हमरा कनाबै लेल
कोना कऽ ‘मनु’ कहतै आब अप्पन दोख
घुरि आउ फेरसँ संसार बसाबै लेल
(बहरे- सलीम, मात्रा क्रम-२२१२-२२२१-२२२१)
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आइ सगरो गाममे हाहाकार छै
मचल एना ई किए अत्याचार छै
आँखि मुनने बोगला बैसल भगत बनि
खून पीबै लेल कोना तैयार छै
देखतै के केकरा आजुक समयमे
देशकेँ सिस्टम तँ अपने बेमार छै
देखते मुँह पाइकेँ कोना मुँह मोरलक
मांगि नै लेए खगल सभ बेकार छै
भरल भिरमे एखनो धरि एसगर छी
केकरो मनपर ‘मनु’क नै अधिकार छै
(बहरे जदीद, मात्रा क्रम - २१२२-२१२२-२२१२)
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हमर जीवन भरि करेजा टुटिते रहल
सभ कियो हमरासँ दूरे हटिते रहल
जेकरा हम अपन तन मन सभ सोपलौं
मोनकेँ ओ हमर सदिखन लुटिते रहल
हमर भागक कनिक लिखलाहा देखियौ
किछु जँ लिखलौं छन्नमे सभ मिटिते रहल
पीठ पाछू सभ कियो रेतै कंठ छै
एक दोसर केर नाता छुटिते रहल
हम सिनेहक कलश ‘मनु’ कतबो जोड़लौं
काँच बासन सन भहरि सभ फुटिते रहल
(बहरे जदीद, मात्रा क्रम २१२२-२१२२-२२१२)
70
एखनो कोना कऽ छी नै जनेलौं हम
छोरि मनकेँ आन नै धन कमेलौं हम
सभक आनै लेल मुँहपर हँसी चललौं
अपनकेँ नै जानि कतए हरेलौं हम
हृदय खोखरलक हमर जे दुनू हाथसँ
ओकरो हँसि-हँसि क’ अप्पन बनेलौं हम
फूल सगरो छोरि काँटे किए बिछलौं
ई करेजा जानि कोना लगेलौं हम
‘मनु’ करेजा तोरि एना अहाँ जुनि हँसु
मग्न भय कहि गजल ताड़ी चढ़ेलौं हम
(बहरे कलीब, मात्रा क्रम-२१२२-२१२२-१२२२)
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