भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Sunday, July 27, 2008

विदेह 15 अप्रैल 2008 वर्ष 1 मास 4 अंक 8 14. मैथिली भाषापाक (1)- गजेन्द्र ठाकुर

14. मैथिली भाषापाक (1)- गजेन्द्र ठाकुर

मूल्यांकन
अत्युत्तम- 14-15
उत्तम- 12-13
बड़-बढ़िया- 09-11

1.अरिया-दुर्भिक्ष: क. दाही ख. रौदी. ग. आरिक एक दिशि अकाल एक दिशि नहि घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
2. कोलपति: क. चोकटल ख. फूलल ग. मसुआयल. घ. बसिया।
3. दकचब: क. यत्र-तत्र काटब ख. तोड़ब ग.फोड़ब घ. घँसब।
4. थकुचब: क. आघात पहुँचायब. ख.फेकब, ग. लोकब. घ. खसब।
5. निहुछल: क. फेकल. ख. राखल. ग. देवताकेँ पूजब. घ. देवताक प्रदानार्थ अलगसँ राखब।
6. ओड़हा: क. बदाम भूजल(घूरमे) ख. सुखायल दाना. ग. तरल दाना. घ. भीजल दाना।
7.खखड़ी: क. दानाविहीन धान ख.दाना सहित धान. ग. उसनल धान घ. भुस्सा।
8. गोजू: क. डंटाकेँ पानिमे भेसू. ख. डंटाकेँ जमीनमे भेसू. ग. डंटाकेँ हवामे भेसू. घ. डंटाकेँ आगिमे भेसू।
9. बर्जब: क. त्यागब. ख. आनब. ग. सहब. घ. हँसब।
10. सिटब: क. फेँकब ख. आनि कए राखब. ग. आनि कए फेंकब. घ. विन्यासयुक्त्त करब।
11. खुटब: क. लटकायब. ख. सुखायब. ग. खुट्टा गाड़ि नापब. घ.एहिमे सँ कोनो नहि।
12. गेँटब: क. एम्हर-ओम्हर एकत्र करब ख. तराउपड़ी एकत्र करब.ग. एक पंत्तिमे राखब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
13. डपटब: क. हँसब. ख. कानब. ग. तमसायब घ. दुलार करब।
14. खटब: क. आलस्य करब. ख. फुर्ती करब. ग. अनवरत कार्य करब. घ. एहिमे सँ कोनो नहि।
15. हँटब: क. भागब. ख. दूर जायब. ग. दबाड़ब. घ. हँसायब।
उत्तर
मैथिली भाषापाक (1) केर उत्तर:
1. ग. (खेतक आरिक एक दिशि नीक खेती एक दिशि नहि)।
2. क. चोकटल आम।
3. क. यत्र-तत्र काटब।
4. क. आघात पहुँचायब.
5. घ. देवताक प्रदानार्थ अलगसँ राखब।
6. क. बदाम भूजल(घूरमे)-खेतमे।
7. क. दानाविहीन धान(दुद्धा धान बाढ़िक पानिमे पूराडूबि गेलाक परिणाम)।
8. क. डंटाकेँ पानिमे भेसू।
9. क. त्यागब।
10. घ. विन्यासयुक्त्त करब।
11. ग. खुट्टा गाड़ि नापब।
12. ख. तराउपड़ी एकत्र करब।
13. ग. तमसायब।
14. ग. अनवरत कार्य करब।
15. ग. दबाड़ब।
मूल्यांकन
अत्युत्तम- 14-15
उत्तम- 12-13
बड़-बढ़िया- 09-11
(c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।

विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.co.in केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx आ’ .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

1 comment:

  1. मान्यवर,
    1.अहाँकेँ सूचित करैत हर्ष भ’ रहल अछि, जे ‘विदेह’ प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/ पर ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ’ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ’ सातो दिन उपलब्ध होए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होए आ’ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ’ भौगोलिक दूरीक अंत भ’ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ’ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ’ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। पुरान अंक pdf स्वरूपमे डाउनलोड कएल जा सकैत अछि आ’ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ’ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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