अंतिम चारू साइट विकी मैथिली प्रोजेक्टक अछि। एहि लिंक सभ पर जा कय प्रोजेक्टकेँ आगाँ बढ़ाऊ।
B R E A K the Language Barrier - Read in your own scriptRoman(Eng) Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
Via chitthajagat.in
एहि पन्नाकेँ देवनागरी आ’ मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below) तँ एहि हेतु नीचाँकलिंक सभ पर जाऊ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक पढ़ू।
(There are known compatibility issues with Mozilla Firefox/ Flock. Please use Internet Explorer/ Opera/ Safari for best view of 'Videha' e-magazine at http://www.videha.co.in/ .)
http://devanaagarii.net/
http://www.akshargram.com/sarvagya/index.php/How_to_Type_in_Hindi
http://quillpad.in/hindi/ (एहि लिंक पर ऑनलाइन टाइप क' ई-मेल करू वा कॉपी करू आ' वर्ड डॉक्युमेन्ट मे पेस्ट करू।)
http://kaulonline.com/uninagari
VIDEHA MITHILA MAITHIL MAITHILI NEWS SERVICE
Guardian - Nepal goes to polls with hope for lasting peace powered by google
Loading...
विदेहक नव-पुरान अंकमे ताकू (कोष्ठकमे देवनागरी, मिथिलाक्षर किंवा रोमनमे टाइप करू)। powered by google
एहि पृष्ठ पर देल गेल मिथिला आ' मैथिलीसँ संबंधित साइट सभमे ताकू (कोष्ठकमे देवनागरी, मिथिलाक्षर किंवा रोमनमे टाइप करू)। powered by google
विदेह मिथिला रत्न आर्काइव
विदेह मिथिलाक खोज आर्काइव
'विदेह' पुरान अंकक आर्काइव
विदेहक पुरान अंक .pdf फॉर्मेटमे डाउनलोड करू। नीचाँक लिंक पर राइट क्लिक आ' सेव टारगेट एज किंवा सेव लिंक एज क्लिक करू।
विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 1 विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 2
विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 3 विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 4
विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 5 विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 6
विदेह मैथिली ई पत्रिका अंक 7
अहाँक बच्चा ऋ केँ री आ' ज्ञ केँ ग्य उच्चारित करैत छथि? तखन शुद्ध उच्चारणक हेतु नीचाँ लिखल फाइल डाउनलोड करू।(नीचाँक लिंक पर राइट क्लिक आ' सेव टारगेट एज किंवा सेव लिंक एज क्लिक करू।)
अ सँ ज्ञ
विद्यापतिक बड़ सुखसार डाउनलोड करू।(नीचाँक लिंक पर राइट क्लिक आ' सेव टारगेट एज किंवा सेव लिंक एज क्लिक करू।)
बड़ सुख सार
दूर्वाक्षत मंत्र (शुक्ल यजुर्वेद अध्याय 22, मंत्र 22) डाउनलोड करू।(नीचाँक लिंक पर राइट क्लिक आ' सेव टारगेट एज किंवा सेव लिंक एज क्लिक करू।)
विश्वक प्रथम देशभक्त्ति गीत
दूर्वाक्षत मंत्र (शुक्ल यजुर्वेद अध्याय 22, मंत्र 22)
आ ब्रह्मन्नित्यस्य प्रजापतिर्ॠषिः। लिंभोक्त्ता देवताः। स्वराडुत्कृतिश्छन्दः। षड्जः स्वरः॥
आ ब्रह्म॑न् ब्राह्म॒णो ब्र॑ह्मवर्च॒सी जा॑यता॒मा रा॒ष्ट्रे रा॑ज॒न्यः शुरे॑ऽइषव्यो॒ऽतिव्या॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोग्ध्रीं धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः सप्तिः॒ पुर॑न्धि॒र्योवा॑ जि॒ष्णू र॑थे॒ष्ठाः स॒भेयो॒ युवास्य यज॑मानस्य वी॒रो जा॒यतां निका॒मे-नि॑कामे नः प॒र्जन्यों वर्षतु॒ फल॑वत्यो न॒ऽओष॑धयः पच्यन्तां योगेक्ष॒मो नः॑ कल्पताम्॥२२॥
मन्त्रार्थाः सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव।
हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आ’ सर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होथि, आ’ शुत्रुकेँ नाश कएनिहार सैनिक उत्पन्न होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सक्षम होथि आ’ घोड़ा त्वरित रूपेँ दौगय बला होए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबामे सक्षम होथि आ’ युवक सभामे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आ’ नेतृत्व देबामे सक्षम होथि। अपन देशमे जखन आवश्यक होय वर्षा होए आ’ औषधिक-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहए। एवं क्रमे सभ तरहेँ हमरा सभक कल्याण होए। शत्रुक बुद्धिक नाश होए आ’ मित्रक उदय होए॥
मनुष्यकें कोन वस्तुक इच्छा करबाक चाही तकर वर्णन एहि मंत्रमे कएल गेल अछि।
एहिमे वाचकलुप्तोपमालड़्कार अछि।
अन्वय-
ब्रह्म॑न् - विद्या आदि गुणसँ परिपूर्ण ब्रह्म
रा॒ष्ट्रे - देशमे
ब्र॑ह्मवर्च॒सी-ब्रह्म विद्याक तेजसँ युक्त्त
आ जा॑यतां॒- उत्पन्न होए
रा॑ज॒न्यः-राजा
शुरे॑ऽ–बिना डर बला
इषव्यो॒- बाण चलेबामे निपुण
ऽतिव्या॒धी-शत्रुकेँ तारण दय बला
म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीर
दोग्ध्रीं-कामना(दूध पूर्ण करए बाली)
धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी र्वोढा॑न॒ड्वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-त्वरित
सप्तिः॒-घोड़ा
पुर॑न्धि॒र्योवा॑- पुर॑न्धि॒- व्यवहारकेँ धारण करए बाली र्योवा॑-स्त्री
जि॒ष्णू-शत्रुकेँ जीतए बला
र॑थे॒ष्ठाः-रथ पर स्थिर
स॒भेयो॒-उत्तम सभामे
युवास्य-युवा जेहन
यज॑मानस्य-राजाक राज्यमे
वी॒रो-शत्रुकेँ पराजित करएबला
निका॒मे-नि॑कामे-निश्चययुक्त्त कार्यमे
नः-हमर सभक
प॒र्जन्यों-मेघ
वर्षतु॒-वर्षा होए
फल॑वत्यो-उत्तम फल बला
ओष॑धयः-औषधिः
पच्यन्तां- पाकए
योगेक्ष॒मो-अलभ्य लभ्य करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षा
नः॑-हमरा सभक हेतु
कल्पताम्-समर्थ होए
ग्रिफिथक अनुवाद- हे ब्रह्मण, हमर राज्यमे ब्राह्मण नीक धार्मिक विद्या बला, राजन्य-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जन्तु, उद्यमी नारी होथि। पार्जन्य आवश्यकता पड़ला पर वर्षा देथि, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपत्ति अर्जित/संरक्षित करी।
× close
(c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।
विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.co.in केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx आ’ .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।
JaiMithila.com
ReplyDelete