भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Sunday, July 27, 2008

विदेह 15 अप्रैल 2008 वर्ष 1 मास 4 अंक 8 4.उपन्यास सहस्रबाढ़नि -गजेन्द्र ठाकुर

4.उपन्यास
सहस्रबाढ़नि -गजेन्द्र ठाकुर


गणित आ’ विज्ञानक अतिरिक्त्त कोनो आन विषयकेँ नहि तँ हम एक बेरसँ दोसर बेर पढ़ैत छलहुँ आ’ नहिये एहि हेतु मास्टर साहेबे कहैत छलाह। कोनो विद्यार्थीकेँ मास्टर साहेब इतिहास आ’ नागरिक शास्त्रक किताबकेँ एकसँ दोसर-तेसर बेर पढ़ैत देखि जाइत छलाह तखन तँ ओहि विद्यार्थीक नामे ओहि विषयसँ पड़ि जाइत छल। आब ओ’ गणितो पढ़त तँ ओकरा सुनय पड़तैक जे बाबू ई इतिहास नहि छियैक, जे कंठस्थ कए रहल छी। सैया-निनानबे अनठानबे- सन्तानबे-छियानबे-पनचानबे कहैत-कहैत आ’ बोराक आसनीकेँ बरषाक समयमे छत्ता बनओने पाँच चारि तीन दू एक-एक-एक करैत भागैत विद्यार्थी सभ। कहियो छुट्टीक दिन जौँ कबड्डी खेलाबय काल मास्टर साहेब साइकिल पर चढ़ल देखा पड़थि, तँ कबड्डी-कबड्डी, मास्टर साहेब प्रणाम कबड्डी-कबड्डी कहैत भागैत विद्यार्थी। आ’ एहने एकटा घटनामे हम मास्टर साहेबकेँ ठाढ़ भ’ कए साँस तोड़ि कए प्रणाम कएने रहियन्हि आ’ एहि क्रममे विपक्षी पार्टी द्वारा लोकि लेल गेल छलहुँ, तँ एहि पर कोइलख बला मास्टर साहेब प्रसन्न भेल रहथि, आ’ एकर चर्चा स्कूलमे सभक समक्ष कएने रहथि।

बुझु जे गामक प्रवास बादक समयमे एकटा पैघ संबल सिद्ध भेल छल।खड़ाम पहिरि कए गतिसँ दौगैत रही, फेर बर्षामे आरि पर पिच्छड़ पर खड़ाम पहिरि कए दौगैत रही।पिच्छड़ पर खड़ाम नहि पिछड़ैत छल। बादमे हवाइ चप्पलक आगमन भेलाक बाद कतेक गोटे खसि-खसि कए डाँर पर गरम पानिक भाप लैत छलाह। अगिलही, किरासन तेलक लाइन, रोशनाइक गोटी, लबनचूस, रबड़क बॉल, ओधिक गेंद, पसीधक रसक विषसँ पोखरिमे माछ मरलाक बाद भेल दू टोलक बीचमे बाझल मारि, बाढ़िक दृश्य देखबाक लेल जुटल भीड़,छोट-छोट गप पर होइत पंचैती, आमक मासक आमक जाबीसँ बहराइत गछपक्कू आमक छटा, ई सभ टा अलोपित तँ नहि भ’ जायत।

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