भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Tuesday, July 29, 2008

मिथिला विभूति (१/१५०+): स्व. हरिमोहन झा,स्व.यात्रीजी,रामरंग,मायानन्द मिश्र,मौन,प्रेमशंकर सिंह,विहंगम,नचिकेता...विद्यापति,जनक....प्रस्तुति-गजेन्द्र ठाकुर



१.स्व. श्री हरिमोहन झा (१९०८-१९८४)
जन्म १८ सितम्बर १९०८ ई. ग्राम+पो.- कुमर बाजितपुर , जिला- वैशाली, बिहार, भारत। पिता- स्वर्गीय पं. जनार्दन झा “जनसीदन” मैथिलीक अतिरिक्त हिन्दीक लब्धप्रतिष्ठ द्विवेदीयुगीन कवि-साहित्यकार। शिक्षा- दर्शनशास्त्रमे एम.ए.- १९३२, बिहार-उड़ीसामे सर्वोच्च स्थान लेल स्वर्णपदक प्राप्त। सन् १९३३ सँ बी.एन.कॉलेज पटनामे व्याख्याता, पटना कॉलेजमे १९४८ ई.सँ प्राध्यापक, सन् १९५३ सँ पटना विश्वविद्यालयमे प्रोफेसर तथा विभागाध्यक्ष आऽ सन् १९७० सँ १९७५ धरि यू.जी.सी. रिसर्च प्रोफेसर रहलाह। हिनकर मैथिली कृति १९३३ मे “कन्यादान” (उपन्यास), १९४३ मे “द्विरागमन”(उपन्यास), १९४५ मे “प्रणम्य देवता” (कथा-संग्रह), १९४९ मे “रंगशाला”(कथा-संग्रह), १९६० मे “चर्चरी”(कथा-संग्रह) आऽ १९४८ ई. मे “खट्टर ककाक तरंग” (व्यंग्य) अछि। “एकादशी” (कथा-संग्रह)क दोसर संस्करण १९८७ ए. मे आयल जाहिमे ग्रेजुअट पुतोहुक बदलाने “द्वादश निदान” सम्मिलित कएल गेल जे पहिने “मिथिला मिहिर”मे छपल छल मुदा पहिलुका कोनो संग्रहमे नहि आएल छल।श्री रमानथ झाक अनुरोधपर लिखल गेल “बाबाक संस्कार” सेहो एहि संग्रहमे अछि। आऽ हुनकर “खट्टर काका” हिन्दीमे सेहो १९७१ ई. मे पुस्तकाकार आएल। एकर अतिरिक्त हिनकक स्फुट प्रकाशित-लिखित पद्यक संग्रक “हरिमोहन झा रचनावली खण्ड ४ (कविता)” एहि नामसँ १९९९ ई.मे छपल आऽ हिनकर आत्मचरित “जीवन-यात्रा” १९८४ ई.मे छपल। हरिमोहन बाबूक “जीवन यात्रा” एकमात्र पोथी छल जे मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित भेल छल आऽ एहि ग्रंथपर हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कार १९८५ ई. मे मृत्योपरान्त देल गेलन्हि। साहित्य अकादमीसँ १९९९ ई. मे “बीछल कथा” नामसँ श्री राजमोहन झा आऽ श्री सुभाष चन्द्र यादव द्वारा चयनित हिनकर कथा सभक संग्रह प्रकाशित कएल गेल, एहि संग्रहमे किछु कथा एहनो अछि जे हिनकर एखन धरिक कोनो पुरान संग्रहमे सम्मिलित नहि छल। हिनकर अनेक रचना हिन्दी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगु आदि भाषामे अनुवादित भेल। हिन्दीमे “न्याय दर्शन”, “वैशेषिक दर्शन”, “तर्कशास्त्र”(निगमन), दत्त-चटर्जीक “भारतीय दर्शनक” अंग्रेजीसँ हिन्दी अनुवादक संग हिनकर सम्पादित “दार्शनिक विवेचनाएँ” आदि ग्रन्थ प्रकाशित अछि। अंग्रेजीमे हिनकर शोध ग्रंथ अछि- “ट्रेन्ड्स ऑफ लिंग्विस्टिक एनेलिसिस इन इंडियन फिलोसोफी”।
प्राचीन युगमे विद्यापति मैथिली काव्यकेँ उत्कर्षक जाहि उच्च शिखरपर आसीन कएलनि, हरिमोहन झा आधुनिक मैथिली गद्यकेँ ताहि स्थानपर पहुँचा देलनि। हास्य व्यंग्यपूर्णशैलीमे सामाजिक-धार्मिक रूढ़ि, अंधविश्वास आऽ पाखण्डपर चोट हिनकर लेखनक अन्यतम वैशिष्ट्य रहलनि। मैथिलीमे आइयो सर्वाधिक कीनल आऽ पढ़ल जायबला पीथी सभ हिनकहि छनि।
२.स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” (१९११-१९९८)
स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” केर जन्म १९११ ई. मे अपन मामागाम सतलखामे भेलन्हि, जे हुनकर गाम तरौनीक समीपहिमे अछि। यात्री जी अपन गामक संस्कृत पाठशालामे पढ़ए लगलाह, फेर ओऽ पढ़बाक लेल वाराणसी आऽ कलकत्ता सेहो गेलाह आऽ संस्कृतमे “साहित्य आचार्य” केर उपाधि प्राप्त कएलन्हि। तकर बाद ओऽ कोलम्बो लग कलनिआ स्थान गेलाह पाली आऽ बुद्ध धर्मक अध्ययनक लेल। ओतए ओऽ बुद्धधर्ममे दीक्षित भए गेलाह आऽ हुनकर नाम पड़लन्हि नागार्जुन। यात्रीजी मार्क्सवादसँ प्रभावित छलाह। १९२९ ई. क अन्तिम मासमेमे मैथिली भाषामे पद्य लिखब शुरू कएलन्हि यात्री जी। १९३५ ई.सँ हिन्दीमे सेहो लिखए लगलाह। स्वामी सहजानन्द सरस्वती आऽ राहुल सांकृत्यायनक संग ओऽ किसान आन्दोलनमे संलग्न रहलाह आऽ १९३९ सँ १९४१ धरि एहि क्रममे विभिन्न जेलक यात्रा कएलन्हि। हुनकर बहुत रास रचना जे महात्मा गाँधीक मृत्युक बाद लिखल गेल छल, प्रतिबन्धित कए देल गेल। भारत-चीन युद्धमे कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चीनकेँ देल समर्थनक बाद यात्रीजीक मतभेद कम्युनिस्ट पार्टीसँ भए गेलन्हि। जे.पी. अन्न्दोलनमे भाग लेबाक कारण आपात्कालमे हिनका जेलमे ठूसि देल गेल। यात्रीजी हिन्दीमे बाल साहित्य सेहो लिखलन्हि। हिन्दी आऽ मैथिलीक अतिरिक्त बांग्ला आऽ संस्कृतमे सेहो हिनकर लेखन आएल। मैथिलीक दोसर साहित्य अकादमी पुरस्कार १९६९ ई. मे यात्रीजीकेँ हुनकर कविता संग्रह “पत्रहीन नग्न गाछ”पर भेटलन्हि। १९९४ ई.मे हिनका साहित्य अकादमीक फेलो नियुक्त कएल गेल। यात्रीजी जखन २० वर्षक छलाह तखन १२ वर्षक कान्यासँ हिनकर विवाह भेल। हिनकर पिता गोकुल मिश्र अपन समाजमे अशिक्षितक गिनतीमे छलाह, मुदा चरित्रहीन छलाह। यात्रीजीक बच्चाक स्मृति छन्हि, जे हुनकर पिता कोना हुनकर अस्वस्थ आऽ ओछाओन धेने मायपर कुरहड़ि लए मारबाक लेल उठल छलाह, जखन ओऽ बेचारी हुनकासँ अपन चरित्रहीनता छोड़बाक गुहारि कए रहल छलीह। यात्रीजी मात्र छ वर्षक छलाह जखन हुनकर माए हुनका छोड़ि प्रयाण कए गेलीह। यात्रीजीकेँ अपन पिताक ओऽ चित्र सेहो रहि-रहि सतबैत रहलन्हि जाहिमे हुनकासँ मातृवत प्रेम करएबाली हुनकर विधवा काकीक, हुनकर पिताक अवैध सन्तानक गर्भपातमे, लगभग मृत्यु भए गेल छलन्हि। के एहन पाठक होएत जे यात्रीजीक हिन्दीमे लिखल “रतिनाथ की चाची” पढ़बाक काल बेर-बेर नहि कानल होएताह। पिता-पुत्रक ई घमासान एहन बढ़ल जे पुत्र अपन बाल-पत्नीकेँ पिता लग छोड़ि वाराणसी प्रयाण कए गेलाह।
कर्मक फल भोगथु बूढ़ बाप
हम टा संतति, से हुनक पाप
ई जानि ह्वैन्हि जनु मनस्ताप
अनको बिसरक थिक हमर नाम
माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम! (काशी/ नवंबर १९३६) काशीसँ श्रीलंका प्रयाण
“कर्मक फल भोगथु बूढ़ बाप” ई कहि यात्रीजी अपन पिताक प्रति सभ उद्गार बाहर कए दैत छथि।
१९४१ ई. मे यात्रीजी पत्नी, अपराजिता, लग आबि गेलथि। १९४१ ई. मे यात्रीजी दू टा मैथिली कविता लिखलन्हि- “बूढ़ वर” आऽ विलाप आऽ एकरा पाम्फलेट रूपमे छपबाए ट्रेनक यात्री लोकनिकेँ बेचलन्हि।जीविकाक ताकिमे सौँसे भारत दुनू प्राणी घुमलाह। पत्नीक जोर देलापर बीच-बीचमे तरौनी सेहो घुमि कए आबथि। आऽ फेर अएल १९४९ ई. अपना संग लेने यात्रीजीक पहिल मैथिली कविता-संग्रह “चित्रा”। १९५२ ई. धरि पत्नी संगमे घुमैत रहलथिन्ह, फेर तरौनीमे रहए लगलीह। यात्रीजी बीच- बीचमे आबथि। अपराजितासँ यात्रीजीकेँ छह टा सन्तान भेलन्हि, आऽ सभक सभ भार ओऽ अपना कान्हपर लेने रहलीह। यात्रीजी दमासँ परेशान रहैत छलथि।
हम जखन दरभंगामे पढ़ैत रही तँ यात्रीजी ख्वाजा सरायमे रहैत छलाह। हमरा मोन अछि जे मैथिलीक कोनो कार्यक्रममे यात्रीजी आएल छलाह आऽ कम्युनिस्ट पार्टीबला सभ एजेन्डा छीनि लेने छल। अगिले दिन यात्रीजी अपनाकेँ ओहि धोधा-धोखीमे गेल सभाक कार्यवाहीसँ हटा लेलन्हि। एमर्जेन्सीमे जेल गेलाह तँ आर.एस.एस. केर कार्यकर्ता लोकनिसँ जेलमे भेँट भेलन्हि। आऽ जे.पी.क सम्पूर्ण क्रान्तिक विरुद्ध सेहो जेलसँ बाहर अएलाक बाद लिखलन्हि यात्रीजी। यात्रीजी मैथिलीमे बैद्यनाथ मिश्र "यात्री" आऽ हिन्दीमे नागार्जुन केर नामसँ रचना लिखलन्हि।
“पृथ्वी ते पात्रं” १९५४ ई. मे “वैदेही”मे प्रकाशित भेल छल, हमरा सभक मैट्रिकक सिलेबसमे छल। यात्रीजी लिखैत छथि-
“आन पाबनि तिहार तँ जे से। मुदा नबान निर्भूमि परिवारकेँ देखार कए दैत छैक। से कातिक अबैत देरी अपराजिता देवीक घोघ लटकि जाइन्हि। कचोटेँ पपनियो नहि उठा होइन्ह ककरो दिश! बेसाहल अन्नसँ कतउ नबान भेलइए”?

आऽ अन्तमे यात्रीजीक संस्कृत पद्य:-
वासन्ती कनकप्रभा प्रगुणिता
पीतारुर्णेः पल्लवैः
हेमाम्भोजविलासविभ्रमरता
दूरे द्विरेफाः स्ता
यैशसण्डलकेलिकानन कथा
विस्मरिता भूतले
छायाविभ्रमतारतम्यतरलाः
तेऽमी “चिनार” द्रुमाः॥
बसंतक स्वर्णिम आभा द्विगुणित भऽ गेल अछि पीयर-लाल कोपड़सँ। स्वर्णकाल भ्रममे भौरा सभ एकरासँ दूर-दूर रहैत अछि। नन्दनवनक विहार जे पृथ्वीपर बिसारि दैत छथि, छाह झिलमिल घटैत-बढ़ैत जिनक डोलब अछि चंचल आ तरल। ओही चिनारकेँ हम देखने छी अडिग भेल ठाढ़।


३.श्री आरसी प्रसाद सिंह (१९११-१९९६), एरौत, समस्तीपुर। मैथिली आऽ हिन्दीक गीतकार। मैथिलीमे माटिक दीप, पूजाक फूल, सूर्यमुखी प्रकाशित। सूर्यमुखीपर १९८४क साहित्य अकादमी पुरस्कार।

४.रामाश्रय झा “रामरग” (१९२८-२००९ ) विद्वान, वागयकार, शिक्षक आऽ मंच सम्पादक छथि।
भारतीय शास्त्रीय संगीतक समर्पित आऽ विलक्षण ओऽ विख्यात संगीतज्ञ पं रामाश्रय झा ’रामरंग’ केर जन्म ११ अगस्त १९२८ ई. तदनुसारभाद्र कृष्णपक्ष एकादशी तिथिकेँ मधुबनी जिलान्तर्गत खजुरा नामक गाममे भेलन्हि। हिनकर पिताक नाम पं सुखदेव झा आऽ काकाक नाम पं मधुसदन झा छन्हि। रामाश्रयजीक संगीत शिक्षा हिनका दुनू गोटेसँ हारमोनियम आऽ गायनक रूपमे मात्र ५ वर्षक आयुमे शुरू भए गेलन्हि। तकरा बाद श्री अवध पाठकजीसँ गायनक शिक्षा भेटलन्हि।
१५ वर्ष धरि बनारसक एकटा प्रसिद्ध नाटक कम्पनीमे रामाश्रय झा जी कम्पोजरक रूपमे कार्य कएलन्हि। पं भोलानाथ भट्ट जी सँ २५ वर्ष धरि ध्रुवपद, धमार, खयाल, ठुमरी, दादरा, टप्पा शैली सभक विधिवत शिक्षा लेलन्हि।
पं भट्ट जीक अतिरिक्त्त रामाश्रय झा जी पं बी.एन. ठकार (प्रयाग), उस्ताद हबीब खाँ (किराना), पं बी.एस. पाठक (प्रयाग) सँ सेहो संगीतक शिक्षा प्राप्त कएलन्हि।
पं झा १९५४ सँ प्रयागमे स्थाई रूपसँ रहि रहल छथि। १९५५ ई.मे हिनकर नियुक्त्ति लूकरगंज संगीत विद्यालयमे संगीत अध्यापक रूपमे भेलन्हि। १९६० ई.मे हिनकर नियुक्त्ति प्रयाग संगीत समितिमे भेलन्हि, जतए १९७० धरि प्रभाकर आऽ संगीत प्रवीण कक्षाक शिक्षक रहलाह। १९७०मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक संगीत विभागाध्यक्ष श्री प्रो. उदयशंकर कोचकजी पं झाक संगीत क्षेत्रक सेवासँ प्रभावित भए विश्वविद्यालयमे हिनकर नियुक्त्ति कएलन्हि। पं झा उत्कृष्ट शिक्षक, गायक आऽ आकाशवाणीक प्रथम श्रेणीक कलाकार छथि। हिनकर अनेक शिष्य-शिष्या आकाशवाणीक प्रथम श्रेणीक कलाकार आऽ उत्तम शिक्षक छथि, जेना-
डॉ. गीता बनर्जी, श्रीमति कमला बोस, श्रीमति शुभा मुद्गल, श्रीकान्त वैश्य,श्री शान्ता राम कशालकर, श्री शान्ता राम कशालकर, श्री कामता खन्ना, श्रीमति सत्या दास, डॉ. रूपाली रानी झा, डॉ इला मालवीय, श्री अनिल कुमार शर्मा, श्री रामशंकर सिंह, श्रीमति संगीता सक्सेना, श्री राजन पर्रिकर, श्रीमति रचना उपाध्याय, श्री नरसिंह भट्त, श्री भूपेन्द्र शुक्ला, श्री जगबन्धु इत्यादि।
पं झा संगीत शास्त्र केर श्रेष्ठ लेखक छथि आऽ हिनकर लिखल अभिनव गीतांजलि केर पांचू भाग प्रकाशित भए चुकल अछि, जाहिमे २००सँ ऊपर रागक व्याख्या अछि आऽ दू हजारक आसपास बंदिश अछि।
मिथिलावासी श्री रामरंग राग तीरभुक्त्ति, राग वैदेही भैरव, आऽ राग विद्यापति कल्याण केर रचना सेहो कएने छथि आऽ मैथिली भाषामे हिनकर खयाल ’रंजयति इति रागः’ केर अनुरूप अछि।

अभिनव गीतांजलि, हुनकर उच्चकोटिक शास्त्र रचना अछि, जे पाँच भागमे अछि। अपन साहित्यिक वाणी, शाब्दिक रूप जे होइत अछि कोनो संगीत रचनाक, आऽ धातु जे अछि स्वरक लयक रचना आऽ एहि सभ गुणसँ युक्त्त छथि “रामरंग”। रामरंगक बंदिश वा रचनामे अहाँकेँ भेटत स्वर, शब्द आऽ मात्राक लयबद्ध बंधन। पुरान ध्रुपद जेकाँ पद्य आऽ स्वरकेँ ओऽ तेनाकेँ बान्हि दैत छथि, जे दुनू एक दोसरमे मिलि जाइत अछि। हुनकर रचना हुनकर उच्चारणसँ मिलि कए मौलिक तात्त्विक स्थायी भरण, सभ बितैत दिन एकटा नव आत्मनिरीक्षण एकटा नव स्थायी।
रामरंगमे संगीतक लाक्षणिक तत्त्व प्रखर होइत छन्हि। संगीतक व्याकरणक सम्पूर्ण पकड़ छन्हि, जाहिसँ उचित शब्दक प्रयोगक निर्णय ओऽ कए पबैत छथि। छन्द शास्त्रक, कोषक, अलंकारक, भावक आऽ रसक वृहत् ज्ञान छन्हि रामरंगकेँ। संगहि स्थानीय संस्कृतिक, विभिन्न भाषाक आऽ ललित कलाक सिद्धान्तक सेहो गहन अध्ययन छन्हि रामाश्रय झा जीकेँ। वादन, गाय आऽ नृत्यक, साधल-कण्ठ, लय-ताल-काल, देशी राग, दोसराक मनसमे जाऽ कए बुझनिहार, नव लय आऽ अभ्व्यक्त्ति, प्रबन्धक समस्त ज्ञान, कम समयमे गीत रचना, विभिन्न मौखिक संरचना निर्माण, आलापक प्रदर्शन आऽ गमक एहि सभटामे पारंगत छथि रामरंग।
५.स्व. राजकमल (मणीन्द्र नारायण चौधरी) (१९२९-१९६७), महिषी, सहरसा। रचना:- आदि कथा, आन्दोलन, पाथर फूल (उपन्यास), स्वरगंधा (कविता संग्रह), ललका पाग (कथा संग्रह), कथा पराग (कथा संग्रह सम्पादन)। हिन्दीमे अनेक उपन्यास, कविताक रचना, चौरङ्गी (बङला उपन्यासक हिन्दी रूपान्तर) अत्यन्त प्रसिद्ध। मिथिलांचलक मध्य वर्गक आर्थिक एवं सामाजिक संघर्षमे बाधक सभ तरहक संस्कार पर प्रहार करब हिनक वैशिष्ट्य रहलन्हि अछि। कथा, कविता, उपन्यास सभ विधामे ई नवीन विचार धाराक छाप छोड़ि गेल छथि।
६.स्व. श्री गोपालजी झा “गोपेश” क जन्म मधुबनी जिलाक मेहथ गाममे १९३१ ई.मे भेलन्हि। गोपेशजी बिहार सरकारक राजभाषा विभागसँ सेवानिवृत्त भेल छलाह। गोपेशजी कविता, एकांकी आऽ लघुकथा लिखबामे अभिरुचि छलन्हि। ई विभिन्न विधामे रचन कए मैथिलीक सेवा कएलन्हि। हिनकर रचित चारि गोट कविता संग्रह “सोन दाइक चिट्ठी”, “गुम भेल ठाढ़ छी”, “एलबम” आऽ “आब कहू मन केहन लगैए” प्रकाशित भेल जाहिमे सोनदाइक चिट्ठी बेश लोकप्रिय भेल। वस्तुस्थितिक यथावत् वर्णन करब हिनक काव्य-रचनाक विशेषता छन्हि। श्री मायानन्द मिश्रजीसँ दूरभाषपर गपक क्रममे ई गप पता चलल जे गोपेशजी नहि रहलाह, फेर देवशंकर नवीन जी सेहो कहलन्हि। हमर पिताक १९९५ ई.मे मृत्युक उपरान्त हमहूँ ढ़ेर रास आन्ही-बिहाड़ि देखैत एक-शहरसँ दोसर शहर बौएलहुँ, बीचमे एकाध बेर गोपेशजी सँ गप्पो भेल, ओऽ ईएह कहथि जे पिताक सिद्धांतकेँ पकड़ने रहब। फेर पटना नगर छोड़लहुँ आऽ आइ गोपेशजीकेँ श्रद्धांजलिक रूपमे स्मरण कए रहल छियन्हि। स्मरण: हमरा सभक डेरापर भागलपुरमे गोपेशजी आऽ हरिमोहन झा एक बेर आयल छलाह। गोपेशजी सनेस घुरैत काल मधुर लेलन्हि आऽ हरिमोहनझा जी कुरथी! हुनकर कवितामे सेहो वस्तुस्थितिक एहि तरह्क यथावत वर्णनक आग्रह अछि जे हुनका चरित्रमे रहैत छथि। हरिमोहन झाजीक अन्तिम समयमे प्रायः गोपेशजीकेँ अखबार पढ़िकेँ सुनबैत देखैत छलियन्हि। हरिमोहनझाक १९८४ ई.मेमृत्युक किछु दिनुका बादहिसँ ओऽ शनैः शनैः मैथिली साहित्यक हलचलसँ दूर होमए लगलाह। एहि बीच एकटा साक्षात्कारमे शरदिन्दु चौधरी सेहो हुनकासँ एहि विषयपर पुछबाक कोशिश कएने छलाह मुदा गोपेशजी कहियो ने कन्ट्रोवर्सीमे रहलाह, से ओऽ ई प्रश्न टालि गेल छलाह।

७.मायानन्द मिश्रक हिनक जन्म १७ अगस्त १९३४ ई. केँ सुपौल जिलाक बनैनियाँ गाममे भेलनि। तत्कालीन बनैनियाँ कोसीक प्रकोपसँ उजड़ि गेल। फलतः हिनक आरम्भिक शिक्षा अपन मामा स्व. रामकृष्ण झा “किसुन” क सान्निध्यमे सुपौलसँ भेलनि। उच्च शिक्षाक हेतु ई दरभंगा चलि गेलाह आऽ ओतएसँ बी.ए. कएल। पश्चात् बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुरसँ हिन्दी एवं मैथिलीमे एम.ए. कएलनि। १९५६ ई. मे आकाशवाणी पटनामे मैथिली कार्यक्रमक लेल नियुक्त भेलाह। एहि अवधिमे मायानन्द बाबू १० गोट रेडियो नाटक लिखलनि जे अत्यन्त प्रशंसनीय रहल। १९६१ ई.मे ओऽ व्याख्याता, मैथिली विभाग, सहरसा कॉलेज सहरसा, पदपर नियुक्त कएल गेलाह, जतए ई विश्वविद्यालय आचार्य एवं मैथिली विभागाध्यक्षक पदकेँ सुशोभित कएल तथा एक सफल शिक्षकक रूपमे अगस्त १९९४ मे एही विभागसँ अवकाश ग्रहण कएलनि।
छात्रजीवनसँ हिनक सुकोमल गेय गीतक रचना-
“नभ आंगनमे पवनक रथपर कारी कारी बादरि आयल।
देखितहि धरणीक बिषम पियास, सजल-सजल भए गेल आकाश
बिजुरी केर कोमल कोरामे डुबइत सुरुज किरण अलसायल।
झिहरि-झिहरि सुनि गगनक गान, धरणि अधर पर मृदु मुसुकान
आकुल कोमल दूबरि दूभिक मनमे नव-नव आशा उमड़ल।"

मैथिली काव्य मंचक श्रोताक हृदयकेँ जीति चुकल छल। आचार्य रमानाथ झाक “कविता कुसुम” मे ई कविता स्थान पाबि विश्वविद्यालयक पाठ्यक्रममे अध्ययन-अध्यापनक हेतु स्वीकृत भेल। हिनक उद्घोषण-कला आऽ मंच-संचालन कौशलसँ मैथिलीक कोन मंच नहि लाभान्वित भेल होएत। तेँ हिनका मैथिली मंचक सम्राट कहल जाइत छल। १९६० ई.सँ २००० ई. धरि सफलतम मंच संचालन आऽ अपन चुम्बकीय वाणीसँ मैथिली जनमानसकेँ अपना दिस आकृष्ट कएलनि। भाषा आन्दोलनक सूत्रधारक रूपमे हिनक सहयोगकेँ मिथिला आऽ मैथिली सेहो सभदिन स्मरण राखत।
पहिने मायानन्द जी कविता लिखलन्हि,पछाति जा कय हिनक प्रतिभा आलोचनात्मक निबंध, उपन्यास आ’ कथामे सेहो प्रकट भेलन्हि। भाङ्क लोटा, आगि मोम आ’ पाथर आओर चन्द्र-बिन्दु- हिनकर कथा संग्रह सभ छन्हि। बिहाड़ि पात पाथर , मंत्र-पुत्र ,खोता आ’ चिडै आ’ सूर्यास्त हिनकर उपन्यास सभ अछि॥ दिशांतर हिनकर कविता संग्रह अछि। एकर अतिरिक्त सोने की नैय्या माटी के लोग, प्रथमं शैल पुत्री च,मंत्रपुत्र, पुरोहित आ’ स्त्री-धन हिनकर हिन्दीक कृति अछि। मंत्रपुत्र हिन्दी आ’ मैथिली दुनू भाषामे प्रकाशित भेल आ’ एकर मैथिली संस्करणक हेतु हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेलन्हि। श्री मायानन्द मिश्र प्रबोध सम्मानसँ सेहो पुरस्कृत छथि। पहिने मायानन्द जी कोमल पदावलीक रचना करैत छलाह , पाछाँ जा’ कय प्रयोगवादी कविता सभ सेहो रचलन्हि।
८.डॉ प्रफुल्ल कुमार सिंह ‘मौन’ (१९३८- )- ग्राम+पोस्ट- हसनपुर, जिला-समस्तीपुर। पिता स्व. वीरेन्द्र नारायण सिँह, माता स्व. रामकली देवी। जन्मतिथि- २० जनवरी १९३८. एम.ए., डिप.एड., विद्या-वारिधि(डि.लिट)। सेवाक्रम: नेपाल आऽ भारतमे प्राध्यापन। १.म.मो.कॉलेज, विराटनगर, नेपाल, १९६३-७३ ई.। २. प्रधानाचार्य, रा.प्र. सिंह कॉलेज, महनार (वैशाली), १९७३-९१ ई.। ३. महाविद्यालय निरीक्षक, बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, १९९१-९८.
मैथिलीक अतिरिक्त नेपाली अंग्रेजी आऽ हिन्दीक ज्ञाता।
मैथिलीमे १.नेपालक मैथिली साहित्यक इतिहास(विराटनगर,१९७२ई.), २.ब्रह्मग्राम(रिपोर्ताज दरभंगा १९७२ ई.), ३.’मैथिली’ त्रैमासिकक सम्पादन (विराटनगर,नेपाल १९७०-७३ई.), ४.मैथिलीक नेनागीत (पटना, १९८८ ई.), ५.नेपालक आधुनिक मैथिली साहित्य (पटना, १९९८ ई.), ६. प्रेमचन्द चयनित कथा, भाग- १ आऽ २ (अनुवाद), ७. वाल्मीकिक देशमे (महनार, २००५ ई.)।
प्रकाशनाधीन: “विदापत” (लोकधर्मी नाट्य) एवं “मिथिलाक लोकसंस्कृति”।
भूमिका लेखन: १. नेपालक शिलोत्कीर्ण मैथिली गीत (डॉ रामदेव झा), २.धर्मराज युधिष्ठिर (महाकाव्य प्रो. लक्ष्मण शास्त्री), ३.अनंग कुसुमा (महाकाव्य डॉ मणिपद्म), ४.जट-जटिन/ सामा-चकेबा/ अनिल पतंग), ५.जट-जटिन (रामभरोस कापड़ि भ्रमर)।
अकादमिक अवदान: परामर्शी, साहित्य अकादमी, दिल्ली। कार्यकारिणी सदस्य, भारतीय नृत्य कला मन्दिर, पटना। सदस्य, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर। भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली। कार्यकारिणी सदस्य, जनकपुर ललित कला प्रतिष्ठान, जनकपुरधाम, नेपाल।
सम्मान: मौन जीकेँ साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार, २००४ ई., मिथिला विभूति सम्मान, दरभंगा, रेणु सम्मान, विराटनगर, नेपाल, मैथिली इतिहास सम्मान, वीरगंज, नेपाल, लोक-संस्कृति सम्मान, जनकपुरधाम,नेपाल, सलहेस शिखर सम्मान, सिरहा नेपाल, पूर्वोत्तर मैथिल सम्मान, गौहाटी, सरहपाद शिखर सम्मान, रानी, बेगूसराय आऽ चेतना समिति, पटनाक सम्मान भेटल छन्हि।
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठीमे सहभागिता- इम्फाल (मणिपुर), गोहाटी (असम), कोलकाता (प. बंगाल), भोपाल (मध्यप्रदेश), आगरा (उ.प्र.), भागलपुर, हजारीबाग, (झारखण्ड), सहरसा, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पटना, काठमाण्डू (नेपाल), जनकपुर (नेपाल)।
मीडिया: भारत एवं नेपालक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे सहस्राधिक रचना प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शनसँ प्रायः साठ-सत्तर वार्तादि प्रसारित।
अप्रकाशित कृति सभ: १. मिथिलाक लोकसंस्कृति, २. बिहरैत बनजारा मन (रिपोर्ताज), ३.मैथिलीक गाथा-नायक, ४.कथा-लघु-कथा, ५.शोध-बोध (अनुसन्धान परक आलेख)।
व्यक्तित्व-कृतित्व मूल्यांकन: प्रो. प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन: साधना और साहित्य, सम्पादक डॉ.रामप्रवेश सिंह, डॉ. शेखर शंकर (मुजफ्फरपुर, १९९८ई.)।
चर्चित हिन्दी पुस्तक सभ: थारू लोकगीत (१९६८ ई.), सुनसरी (रिपोर्ताज, १९७७), बिहार के बौद्ध संदर्भ (१९९२), हमारे लोक देवी-देवता (१९९९ ई.), बिहार की जैन संस्कृति (२००४ ई.), मेरे रेडियो नाटक (१९९१ ई.), सम्पादित- बुद्ध, विदेह और मिथिला (१९८५), बुद्ध और विहार (१९८४ ई.), बुद्ध और अम्बपाली (१९८७ ई.), राजा सलहेस: साहित्य और संस्कृति (२००२ ई.), मिथिला की लोक संस्कृति (२००६ ई.)।
वर्तमानमे मौनजी अपन गाममे साहित्य शोध आऽ रचनामे लीन छथि।
९.डॉ. प्रेमशंकर सिंह (१९४२- ) ग्राम+पोस्ट- जोगियारा, थाना- जाले, जिला- दरभंगा। मैथिलीक वरिष्ठ सृजनशील, मननशील आऽ अध्ययनशील प्रतिभाक धनी साहित्य-चिन्तक, दिशा-बोधक, समालोचक, नाटक ओ रंगमंचक निष्णात गवेषक, मैथिली गद्यकेँ नव-स्वरूप देनिहार, कुशल अनुवादक, प्रवीण सम्पादक, मैथिली, हिन्दी, संस्कृत साहित्यक प्रखर विद्वान् तथा बाङला एवं अंग्रेजी साहित्यक अध्ययन-अन्वेषणमे निरत प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर सिंह ( २० जनवरी १९४२ )क विलक्षण लेखनीसँ एकपर एक अक्षय कृति भेल अछि निःसृत। हिनक बहुमूल्य गवेषणात्मक, मौलिक, अनूदित आऽ सम्पादित कृति रहल अछि अविरल चर्चित-अर्चित। ओऽ अदम्य उत्साह, धैर्य, लगन आऽ संघर्ष कऽ तन्मयताक संग मैथिलीक बहुमूल्य धरोरादिक अन्वेषण कऽ देलनि पुस्तकाकार रूप। हिनक अन्वेषण पूर्ण ग्रन्थ आऽ प्रबन्धकार आलेखादि व्यापक, चिन्तन, मनन, मैथिल संस्कृतिक आऽ परम्पराक थिक धरोहर। हिनक सृजनशीलतासँ अनुप्राणित भऽ चेतना समिति, पटना मिथिला विभूति सम्मान (ताम्र-पत्र) एवं मिथिला-दर्पण, मुम्बई वरिष्ठ लेखक सम्मानसँ कयलक अछि अलंकृत। सम्प्रति चारि दशक धरि भागलपुर विश्वविद्यालयक प्रोफेसर एवं मैथिली विभागाध्यक्षक गरिमापूर्ण पदसँ अवकाशोपरान्त अनवरत मैथिली विभागाध्यक्षक गरिमापूर्ण पदसँ अवकाशोपरान्त अनवरत मैथिली साहित्यक भण्डारकेँ अभिवर्द्धित करबाक दिशामे संलग्न छथि, स्वतन्त्र सारस्वत-साधनामे।
कृति-
लिप्यान्तरण-१. अङ्कीयानाट, मनोज प्रकाशन, भागलपुर, १९६७।
सम्पादन- १. गद्यवल्लरी, महेश प्रकाशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एकांकी, महेश प्रकाशन, भागलपुर, १९६७, ३.पत्र-पुष्प, महेश प्रकाशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलतिका, महेश प्रकाशन, भागलपुर, १९८७, ५. अनमिल आखर, कर्णगोष्ठी, कोलकाता, २००० ६.मणिकण, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेल छल, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००४, ८. मैथिली लोकगाथाक इतिहास, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००३, ९. भारतीक बिलाड़ि, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००३, १०.चित्रा-विचित्रा, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००३, ११. साहित्यकारक दिन, मिथिला सांस्कृतिक परिषद, कोलकाता, २००७. १२. वुआड़िभक्तितरङ्गिणी, ऋचा प्रकाशन, भागलपुर २००८, १३.मैथिली लोकोक्ति कोश, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर, २००८, १४.रूपा सोना हीरा, कर्णगोष्ठी, कोलकाता, २००८।
पत्रिका सम्पादन- भूमिजा २००२
मौलिक मैथिली: १.मैथिली नाटक ओ रंगमंच,मैथिली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैथिली नाटक परिचय, मैथिली अकादमी, पटना, १९८१ ३.पुरुषार्थ ओ विद्यापति, ऋचा प्रकाशन, भागलपुर, १९८६ ४.मिथिलाक विभूति जीवन झा, मैथिली अकादमी, पटना, १९८७५.नाट्यान्वाचय, शेखर प्रकाशन, पटना २००२ ६.आधुनिक मैथिली साहित्यमे हास्य-व्यंग्य, मैथिली अकादमी, पटना, २००४ ७.प्रपाणिका, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००५, ८.ईक्षण, ऋचा प्रकाशन भागलपुर २००८ ९.युगसंधिक प्रतिमान, ऋचा प्रकाशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना समिति ओ नाट्यमंच, चेतना समिति, पटना २००८
मौलिक हिन्दी: १.विद्यापति अनुशीलन और मूल्यांकन, प्रथमखण्ड, बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, पटना १९७१ २.विद्यापति अनुशीलन और मूल्यांकन, द्वितीय खण्ड, बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, पटना १९७२, ३.हिन्दी नाटक कोश, नेशनल पब्लिकेशन हाउस, दिल्ली १९७६.
अनुवाद: हिन्दी एवं मैथिली- १.श्रीपादकृष्ण कोल्हटकर, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली १९८८, २.अरण्य फसिल, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली २००१ ३.पागल दुनिया, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली २००१, ४.गोविन्ददास, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली २००७ ५.रक्तानल, ऋचा प्रकाशन, भागलपुर २००८.
१०.श्री बिलट पासवान “विहंगम” जीक जन्म मधुबनी जिलाक एकहत्था ग्राममे १९४० ई. मे भेलन्हि। छात्रावस्थासँ राजनीति एवं साहित्य दुनूमे अभिरुचि रहलन्हि अछि। किछु अवधिक हेतु ई बिहार राज्यक उपमंत्री पदकेँ सेहो सुशोभित कएलन्हि आऽ बिहार विधान सभाक सदस्य रहलाह। गाम घरक चित्रण एवं दलित वर्गक वर्णन हिनक रचनामे सर्वत्र भेटत।
११.श्री डॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )। जन्म स्थान- पिलखबाड़, मधुबनी। एम.ए. (हिन्दी), रेडियो नाटक पर पी.एच.डी.। कवि, कथाकार, नाटककार आ' उपन्यासकार।१९६४-६५ मे पाँच गोटे कवि-लेखक “काल पुरुष”(कालपुरुष अर्थात् आब स्वर्गीय प्रभास कुमार चौधरी, श्री गंगेश गुन्जन, श्री साकेतानन्द, आब स्वर्गीय श्री बालेश्वर तथा गौरीकान्त चौधरीकान्त, आब स्वर्गीय) नामसँ सम्पादित करैत मैथिलीक प्रथम नवलेखनक अनियमितकालीन पत्रिका “अनामा”-जकर ई नाम साकेतानन्दजी द्वारा देल गेल छल आऽ बाकी चारू गोटे द्वारा अभिहित भेल छल- छपल छल। ओहि समयमे ई प्रयास ताहि समयक यथास्थितिवादी मैथिलीमे पैघ दुस्साहस मानल गेलैक। फणीश्वरनाथ “रेणु” जी अनामाक लोकार्पण करैत काल कहलन्हि, “ किछु छिनार छौरा सभक ई साहित्यिक प्रयास अनामा भावी मैथिली लेखनमे युगचेतनाक जरूरी अनुभवक बाट खोलत आऽ आधुनिक बनाओत”। “किछु छिनार छौरा सभक” रेणुजीक अपन अन्दाज छलन्हि बजबाक, जे हुनकर सन्सर्गमे रहल आऽ सुनने अछि, तकरा एकर व्यञ्जना आऽ रस बूझल हेतैक। ओना “अनामा”क कालपुरुष लोकनि कोनो रूपमे साहित्यिक मान्य मर्यादाक प्रति अवहेलना वा तिरस्कार नहि कएने रहथि। एकाध टिप्पणीमे मैथिलीक पुरानपंथी काव्यरुचिक प्रति कतिपय मुखर आविष्कारक स्वर अवश्य रहैक, जे सभ युगमे नव-पीढ़ीक स्वाभाविक व्यवहार होइछ। आओर जे पुरान पीढ़ीक लेखककेँ प्रिय नहि लगैत छनि आऽ सेहो स्वभाविके। मुदा अनामा केर तीन अंक मात्र निकलि सकलैक। सैह अनाम्मा बादमे “कथादिशा”क नामसँ स्व.श्री प्रभास कुमार चौधरी आऽ श्री गंगेश गुंजन दू गोटेक सम्पादनमे -तकनीकी-व्यवहारिक कारणसँ-छपैत रहल। कथा-दिशाक ऐतिहासिक कथा विशेषांक लोकक मानसमे एखनो ओहिना छन्हि। श्री गंगेश गुंजन मैथिलीक प्रथम चौबटिया नाटक बुधिबधियाक लेखक छथि आऽ हिनका उचितवक्ता (कथा संग्रह) क लेल साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छन्हि। एकर अतिरिक्त्त मैथिलीमे हम एकटा मिथ्या परिचय, लोक सुनू (कविता संग्रह), अन्हार- इजोत (कथा संग्रह), पहिल लोक (उपन्यास), आइ भोर (नाटक)प्रकाशित। हिन्दीमे मिथिलांचल की लोक कथाएँ, मणिपद्मक नैका- बनिजाराक मैथिलीसँ हिन्दी अनुवाद आऽ शब्द तैयार है (कविता संग्रह)।
१२.सुभाष चन्द्र यादव, कथाकार, समीक्षक एवं अनुवादक, जन्म ०५ मार्च १९४८, मातृक दीवानगंज, सुपौलमे। पैतृक स्थान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मधुबनी। आरम्भिक शिक्षा दीवानगंज एवं सुपौलमे। पटना कॉलेज, पटनासँ बी.ए.। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्लीसँ हिन्दीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ सँ अध्यापन। सम्प्रति: अध्यक्ष, स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, पश्चिमी परिसर, सहरसा, बिहार। मैथिली, हिन्दी, बंगला, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, स्पेनिश एवं फ्रेंच भाषाक ज्ञान।
प्रकाशन: घरदेखिया (मैथिली कथा-संग्रह), मैथिली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अंग्रेजीसँ मैथिली अनुवाद), साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, १९८८, बीछल कथा (हरिमोहन झाक कथाक चयन एवं भूमिका), साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, १९९९, बिहाड़ि आउ (बंगला सँ मैथिली अनुवाद), किसुन संकल्प लोक, सुपौल, १९९५, भारत-विभाजन और हिन्दी उपन्यास (हिन्दी आलोचना), बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, २००१, राजकमल चौधरी का सफर (हिन्दी जीवनी) सारांश प्रकाशन, नई दिल्ली, २००१, मैथिलीमे करीब सत्तरि टा कथा, तीस टा समीक्षा आ हिन्दी, बंगला तथा अंग्रेजी मे अनेक अनुवाद प्रकाशित।
भूतपूर्व सदस्य: साहित्य अकादमी परामर्श मंडल, मैथिली अकादमी कार्य-समिति, बिहार सरकारक सांस्कृतिक नीति-निर्धारण समिति।
१३.प्रोफेसर उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’ जन्म-१९५१ ई. कलकत्तामे।
शिक्षा- बी. ए. (सम्मान) भाषाविज्ञान (प्रथम ईशान स्कॉलर) कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता
एम.ए. भाषाविज्ञान, पी-एचडी. भाषाविज्ञान, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
रचना संसार- मैथिली साहित्य मध्य छद्म नाम ‘नचितकेता’क नामे, मैथिली आ बंगला साहित्यक कवि आ नाटककारक रूपमे प्रख्यात श्री सिंह एखन धरि चारि कविता संग्रह, एगारह गोट नाटक (मैथिलीमे), छओ साहित्यिक निबंध आ दू टा कविता संग्रह (बांग्लामे), एकर अतिरिक्त एहि दुनू भाषामे आ अंग्रेजीमे कतोक पुस्तकक अनुवाद क’ चुकल छथि। १९६६ मे १५ वर्षक उम्रमे पहिल काव्य संग्रह ‘कवयो वदन्ति’। १९७१ ‘अमृतस्य पुत्राः’ (कविता संकलन) आऽ ‘नायकक नाम जीवन’ (नाटक)| १९७४ मे ‘एक छल राजा’/ ’नाटकक लेल’ (नाटक)। १९७६-७७ ‘प्रत्यावर्त्तन’/ ’रामलीला’(नाटक)। १९७८मे जनक आऽ अन्य एकांकी। १९८१ ‘अनुत्तरण’(कविता-संकलन)। १९८८ ‘प्रियंवदा’ (नाटिका)। १९९७-‘रवीन्द्रनाथक बाल-साहित्य’(अनुवाद)। १९९८ ‘अनुकृति’- आधुनिक मैथिली कविताक बंगलामे अनुवाद, संगहि बंगलामे दूटा कविता संकलन। १९९९ ‘अश्रु ओ परिहास’। २००२ ‘खाम खेयाली’। २००६मे ‘मध्यमपुरुष एकवचन’(कविता संग्रह। २००८ ई. मे नाटक "नो एण्ट्री: मा प्रविश" सम्पूर्ण रूपेँ "विदेह" ई- पत्रिकामे धारावाहिक रूपेँ ई-प्रकाशित भए एकटा कीर्तिमान बनेलक। भाषा-विज्ञानक क्षेत्रमे दसटा पोथी आऽ दू सयसँ बेशी शोध-पत्र प्रकाशित। १४ टा पी.एच.डी. आऽ २९ टा एम.फिल. शोध-कर्मक दिशा निर्देश।
आन साहित्यिक गतिविधि- प्रो. सिंह बांगलादेश, कॅरबियन आयलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, सिंगापुर, स्वीडन, थायलैंड आर अमेरिकामे विविध विषय पर अपन व्याख्यान देने छथि।
इंडो-इटैलियन कल्चरल एक्सचेंज फॉर क्रिएटिव रायटर्सक सदस्य(1999), त्रिनिदाद आर टॉबेगो मे कार्यालयी प्रतिनिधिक सदस्य (2002), आ मॉरीशस (2005), फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेलामे आमंत्रित कवि, जतय ‘इंडिया गेस्ट ऑफ ऑनर’ सँ सम्मानित भेलाह (2006), हालहिमे चीन मे संपन्न एगारह लेखकक सांस्कृतिक प्रतिनिधिक प्रमुखक रूपमे भाग नेने छलाह।
कार्यक्षेत्र- महाराजा सियाजी राव विश्वविद्यालय,बड़ौदा,(1979-81), दक्षिणी गुजरात विश्वविद्यालय (1981-85), दिल्ली विश्वविद्यालय,दिल्ली (1985-87), हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद,(1987-2000) मे भाषाविज्ञानक प्रोफेसर, ओ अतिथि प्रोफेसरक रूपमे इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ एडवांस स्टडी, शिमला (1989) मे काज करैत वर्तमानमे केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर मे निदेशकक पद पर आसीन छथि।
१४.श्री रामभरोस कापड़ि “भ्रमर” (१९५१- ) जन्म-बघचौरा, जिला धनुषा (नेपाल)। सम्प्रति-जनकपुरधाम, नेपाल। त्रिभुवन विश्वविद्यालयसँ एम.ए., पी.एच.डी. (मानद)।

हाल: प्रधान सम्पादक: गामघर साप्ताहिक, जनकपुर एक्सप्रेस दैनिक, आंजुर मासिक, आंगन अर्द्धवार्षिक (प्रकाशक नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, कमलादी)।

मौलिक कृति: बन्नकोठरी: औनाइत धुँआ (कविता संग्रह), नहि, आब नहि (दीर्घ कविता), तोरा संगे जएबौ रे कुजबा (कथा संग्रह, मैथिली अकादमी पटना, १९८४), मोमक पघलैत अधर (गीत, गजल संग्रह, १९८३), अप्पन अनचिन्हार (कविता संग्रह, १९९० ई.), रानी चन्द्रावती (नाटक), एकटा आओर बसन्त (नाटक), महिषासुर मुर्दाबाद एवं अन्य नाटक (नाटक संग्रह), अन्ततः (कथा-संग्रह), मैथिली संस्कृति बीच रमाउंदा (सांस्कृतिक निबन्ध सभक संग्रह), बिसरल-बिसरल सन (कविता-संग्रह), जनकपुर लोक चित्र (मिथिला पेंटिङ्गस), लोक नाट्य: जट-जटिन (अनुसन्धान)।

नेपाली कृति: आजको धनुषा, जनकपुरधाम र यस क्षेत्रका सांस्कृतिक सम्पदाहरु (आलेख-संग्रह), भ्रमरका उत्कृष्ट नाटकहरु (अनुवाद)।

सम्पादन: मैथिली पद्य संग्रह (नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान), लाबाक धान (कविता संग्रह), माथुरजीक “त्रिशुली” खण्डकाव्य (कवि स्व. मथुरानन्द चौधरी “माथुर”), नेपालमे मैथिली पत्रकारिता, मैथिली लोक नृत्य: भाव, भंगिमा एवं स्वरूप (आलेख संग्रह)। गामघर साप्ताहिकक २६ वर्षसँ सम्पादन-प्रकाशन, “अर्चना” साहित्यिक संग्रहक १५ वर्ष धरि सम्पादन-प्रकाशन। “आँजुर” मैथिली मासिकक सम्पादन प्रकाशन, “अंजुली” नेपाली मासिक/ पाक्षिकक सम्पादन प्रकाशन।

अनुवाद: भयो, अब भयो (“नहि आब नहि”क मनु ब्राजाकीद्वारा कयल नेपाली अनुवाद)

सम्मान: नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्वारा पहिल बेर १९९५ ई.मे घोषित ५० हजार टाकाक मायादेवी प्रज्ञा पुरस्कारक पहिल प्राप्तकर्ता। प्रधानमंत्रीद्वारा प्रशस्तिपत्र एवं पुरस्कार प्रदान। विद्यापति सेवा संस्थान दरिभङ्गाद्वारा सम्मानित, मैथिली साहित्य परिषद, वीरगंजद्वारा सम्मानित, “आकृति” जनकपुर द्वारा सम्मानित, दीर्घ पत्रकारिता सेवाक लेल नेपाल पत्रकार महासंघ धनुषाद्वारा सम्मानित, जिल्ला विकास समिति धनुषा द्वारा दीर्घ पत्रकारिता सेवाक लेल पुरस्कृत एवं सम्मानित, नेपाली मैथिली साहित्य परिषद द्वारा २०५९ सालक अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन मुम्वई द्वारा “मिथिला रत्न” द्वारा सम्मानित, शेखर प्रकाशन “पटना” द्वारा “शेखर सम्मान”, मधुरिमा नेपाल (काठमाण्डौ) द्वारा २०६३ सालक मधुरिमा सम्मान प्राप्त। काठमाण्डूमे आयोजित सार्कस्तरीय कवि गोष्ठीमे मैथिली भाषाक प्रतिनिधित्व।

सामाजिक सेवा : अध्यक्ष-तराई जनजाति अध्ययन प्रतिष्ठान, जनकपुर, अध्यक्ष- जनकपुर ललित कला प्रतिष्ठान, जनकपुर, उपाध्यक्ष- मैथिली प्रज्ञा प्रतिष्ठान, जनकपुर, उपकुलपति- मैथिली अकादमी, नेपाल, उपाध्यक्ष- नेपाल मैथिली थाई सांस्कृतिक परिषद, सचिव- दीनानाथ भगवती समाज कल्याण गुठी, जनकपुर, सदस्य- जिल्ला वाल कल्याण समिति, धनुषा, सदस्य- मैथिली विकास कोष, धनुषा, राष्ट्रीय पार्षद- नेपाल पत्रकार महासंघ, धनुषा।
१५.डॉ महेन्द्र नारायण राम (१९५८- ), मैथिलीमे एम.ए. आऽ पी.एच..डी., नीलकमल नाट्य कला परिषद, खुटौनाक संस्थापक, दीपायतनक मास्टर ट्रेनर, सम्पादन-“नव ज्योति” पत्रिका, “लोकशक्ति” सामाजिक मुख-पत्रक। लोकवृत्त ताहूमे लोकगाथाक अध्येता। ओऽ अध्यक्ष मैथिली अकादमी, बिहारक संग अनेक संस्थामे विभिन्न पदकेँ सुशोभित कएलनि। हिनका बिहार ग्रंथ अकादमी, पटना, राष्ट्रभाषा परिषद, पटना, लोक साहित्यिक मंच, पटना, साहित्यकार संसद, समस्तीपुर लोकभाषा साहित्य पुरस्कार सहित विभिन्न संस्थासँ कतिपय साहित्यिक सामाजिक सम्मान प्राप्त छनि। हिनकर प्रकाशनमे मैथिली लोकमहागाथा: कारिख पजियार, कारिख-गीतावली, कारिख लोकगाथा, जागि गेल छी, गहवर, सहलेस लोकगाथा, दीना भद्री लोकगाथा, रमणजी: ग्रामसभा से विधानसभा तक(हिन्दी) प्रमुख अछि।
१६.भालचन्द्र झा, ए.टी.डी., बी.ए., (अर्थशास्त्र), मुम्बईसँ थिएटर कलामे डिप्लोमा। मैथिलीक अतिरिक्त हिन्दी, मराठी, अग्रेजी आऽ गुजरातीमे निष्णात। १९७४ ई.सँ मराठी आऽ हिन्दी थिएटरमे निदेशक। महाराष्ट्र राज्य उपाधि १९८६ आऽ १९९९ मे। थिएटर वर्कशॉप पर अतिथीय भाषण आऽ नामी संस्थानक नाटक प्रतियोगिताक हेतु न्यायाधीश। आइ.एन.टी. केर लेल नाटक “सीता” केर निर्देशन। “वासुदेव संगति” आइ.एन.टी.क लोक कलाक शोध आऽ प्रदर्शनसँ जुड़ल छथि आऽ नाट्यशालासँ जुड़ल छथि विकलांग बाल लेल थिएटरसँ। निम्न टी.वी. मीडियामे रचनात्मक निदेशक रूपेँ कार्य- आभलमया (मराठी दैनिक धारावाहिक ६० एपीसोड), आकाश (हिन्दी, जी.टी.वी.), जीवन संध्या (मराठी), सफलता (रजस्थानी), पोलिसनामा (महाराष्ट्र शासनक लेल), मुन्गी उदाली आकाशी (मराठी), जय गणेश (मराठी), कच्ची-सौन्धी (हिन्दी डी.डी.), यात्रा (मराठी), धनाजी नाना चौधरी (महाराष्ट्र शासनक लेल), श्री पी.के अना पाटिल (मराठी), स्वयम्बर (मराठी), फिर नहीं कभी नहीं( नशा-सुधारपर), आहट (एड्सपर), बैंगन राजा (बच्चाक लेल कठपुतली शो), मेरा देश महान (बच्चाक लेल कठपुतली शो), झूठा पालतू(बच्चाक लेल कठपुतली शो),

टी.वी. नाटक- बन्दी (लेखक- राजीव जोशी), शतकवली (लेखक- स्व. उत्पल दत्त), चित्रकाठी (लेखक- स्व. मनोहर वाकोडे), हृदयची गोस्ता (लेखक- राजीव जोशी), हद्दापार (लेखक- एह.एम.मराठे), वालन (लेखक- अज्ञात)।

लेखन-

बीछल बेरायल मराठी एकांकी, सिंहावलोकन (मराठी साहित्यक १५० वर्ष), आकाश (जी.टी.वी.क धारावाहिकक ३० एपीसोड), जीवन सन्ध्या( मराठी साप्ताहिक, डी.डी, मुम्बई), धनाजी नाना चौधरी (मराठी), स्वयम्बर (मराठी), फिर नहीं कभी नहीं( हिन्दी), आहट (हिन्दी), यात्रा ( मराठी सीरयल), मयूरपन्ख ( मराठी बाल-धारावाहिक), हेल्थकेअर इन २०० ए.डी.) (डी.डी.)।

थिएटर वर्कशॉप- कला विभाग, महाराष्ट्र सरकार, अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद, दक्षिण-मध्य क्षेत्र कला केन्द्र, नागपुर, स्व. गजानन जहागीरदारक प्राध्यापकत्वमे चन्द्राक फिल्मक लेल अभिनय स्कूल, उस्ताद अमजद अली खानक दू टा संगीत प्रदर्शन।

श्री भालचन्द्र झा एखन फ़्री-लान्स लेखक-निदेशकक रूपमे कार्यरत छथि।
१७.डॉ. देवशंकर नवीन (१९६२- ), ओ ना मा सी (गद्य-पद्य मिश्रित हिन्दी-मैथिलीक प्रारम्भिक सर्जना), चानन-काजर (मैथिली कविता संग्रह), आधुनिक (मैथिली) साहित्यक परिदृश्य, गीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली, राजकमल चौधरी का रचनाकर्म (आलोचना), जमाना बदल गया, सोना बाबू का यार, पहचान (हिन्दी कहानी), अभिधा (हिन्दी कविता-संग्रह), हाथी चलए बजार (कथा-संग्रह)।
सम्पादन: प्रतिनिधि कहानियाँ: राजकमल चौधरी, अग्निस्नान एवं अन्य उपन्यास (राजकमल चौधरी), पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ (राजकमल की कहानियाँ), विचित्रा (राजकमल चौधरी की अप्रकाशित कविताएँ), साँझक गाछ (राजकमल चौधरी की मैथिली कहानियाँ), राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहानियाँ, बन्द कमरे में कब्रगाह (राजकमल की कहानियाँ), शवयात्रा के बाद देहशुद्धि, ऑडिट रिपोर्ट (राजकमल चौधरी की कविताएँ), बर्फ और सफेद कब्र पर एक फूल, उत्तर आधुनिकता कुछ विचार, सद्भाव मिशन (पत्रिका)क किछि अंकक सम्पादन, उदाहरण (मैथिली कथा संग्रह संपादन)।
सम्प्रति नेशनल बुक ट्रस्टमे सम्पादक।
१८.तारानन्द वियोगी (१९६६- ), महिषी, सहरसामे जन्म। मैथिलीक समर्थ कवि, कथाकार आऽ समालोचक। पिता श्री बद्री महतो, माता श्रीमति बदामी देवी। संस्कृत साहित्यमे आचार्य, एम.ए., पी.एच.डी. आदि कयलाक बाद केन्द्रीय विद्यालयमे अध्यापक भेलाह। सम्प्रति बिहार प्राशासनिक सेवामे छथि। १९७९ ई.मे पहिल रचना “मिथिला मिहिर”मे प्रकाशित भेलन्हि। ताहिसँ पहिने संगी लोकनि हिनकर एकटा कविता संग्रह छापि चुकल छलाह। पहिल पोथी अपन युद्धक साक्ष्य (गजल संग्रह) १९९१ मे प्रकाशित। अन्य पुस्तक हस्तक्षेप (कविता-संग्रह), अतिक्रमण (कथा-संग्रह), शिलालेख(लघुकथा संग्रह), कर्मधारय। रमेशक संग राजकमल चौधरीक कथाकृति एकटा चंपाकली एकटा विषधर कऽ संपादन कयलनि। स्वातन्त्र्योत्तर मैथिली कथा संग्रह देसिल बयनाक संपादन। कहियो काल हिन्दीमे लिखैत छथि। अपन हिन्दी कविताक लेल वर्ष १९९५ मे “मुक्तिबोध पुरस्कार”सँ सम्मानित। मैथिलीक श्रेष्ठ साहित्यकेँ राष्ट्रीय धरातलपर अनूदित-प्रसारित करबामे विशेष रुचि। पं. गोविन्द झाक महत्वपूर्ण उपन्यास भनहि विद्यापति तथा मैथिली की प्रतिनिधि कहानियाँ अनूदित-संपादित। एक संपादित कृति राजकमल चौधरी: सृजन के आयाम। समय-समयपर मैथिली हिन्दीमे कैक गोट पत्रिका/ संकलनक संपादन कयलनि। किछु रचना बंगला, तेलुगु, अंग्रेजीमे अनूदित भेलनि अछि।
१९.डॉ कैलास कुमार मिश्र (८ फरबरी १९६७- ) दिल्ली विश्वविद्यालयसँ एम.एस.सी., एम.फिल., “मैथिली फॉकलोर स्ट्रक्चर एण्ड कॊग्निशन ऑफ द फॉकसांग्स ऑफ मिथिला: एन एनेलिटिकल स्टडी ऑफ एन्थ्रोपोलोजी ऑफ म्युजिक” पर पी.एच.डी.। मानव अधिकार मे स्नातकोत्तर, ४०० सँ बेशी प्रबन्ध -अंग्रेजी-हिन्दी आऽ मैथिली भाषामे- फॉकलोर, एन्थ्रोपोलोजी, कला-इतिहास, यात्रावृत्तांत आऽ साहित्य विषयपर जर्नल, पत्रिका, समाचारपत्र आऽ सम्पादित-ग्रन्थ सभमे प्रकाशित। भारतक लगभग सभ सांस्कृतिक क्षेत्रमे भ्रमण, एखन उत्तर-पूर्वमे मौखिक आऽ लोक संस्कृतिक सर्वांगीन पक्षपर गहन रूपसँ कार्यरत। यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का, यू.एस.ए. केर “फॉकलोर ऑफ इण्डिया” विषयक रेफ़ेरी। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालयक पुरस्कारक रेफरी सेहो। सय सँ ऊपर सेमीनार आऽ वर्कशॉपक संचालन, बहु-विषयक राष्ट्रीय आऽ अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठीमे सहभागिता। एम.फिल. आऽ पी. एच.डी. छात्रकेँ दिशा-निर्देशक संग कैलाशजी विजिटिंग फैकल्टीक रूपमे विश्वविद्यालय आऽ उच्च-प्रशस्ति प्राप्त संस्थानमे अध्यापन सेहो करैत छथि। मैथिलीक लोक गीत, मैथिलीक डहकन, विद्यापति-गीत, मधुपजीक गीत सभक अंग्रेजीमे अनुवाद।
२०.चन्दा झा (१८३१-१९०७), मूलनाम चन्द्रनाथ झा, ग्राम- पिण्डारुछ, दरभंगा। कवीश्वर, कविचन्द्र नामसँ विभूषित। ग्रिएर्सनकेँ मैथिलीक प्रसंगमे मुख्य सहायता केनिहार।
कृति- मिथिला भाषा रामायण, गीति-सुधा, महेशवाणी संग्रह, चन्द्र पदावली, लक्ष्मीश्वर विलास, अहिल्याचरित आऽ विद्यापति रचित संस्कृत पुरुष-परीक्षाक गद्य-पद्यमय अनुवाद।
२१.सर्वतंत्र स्वतंत्र श्री धर्मदत्त झा(बच्चा झा) (1860 ई.-1918 ई.)

मिथिला आ’ संस्कृत स्तंभमे एहि अंकमे सर्वतंत्र स्वतंत्र श्री धर्मदत्त झा जिनकर प्रसिद्धि बच्चा झाक नामसँ बेशी छन्हि, केर जीवनी द’ रहल छी।
मधुबनी जिलांतर्गत लवाणी(नवानी) गाममे हिनकर जन्म भेलन्हि। वाराणसीमे श्री विशुद्धानन्द सरस्वती आ’ बालशास्त्रीसँ शिक्षा ग्रहण करबाक बाद गाम आबि गेलाह आ’ शारदा भवन विद्यापीठक स्थापना गामेमे कएलन्हि।गुरुकुल पद्धति सँ एतय संन्यासी आ’ गृहस्थ शिक्षा ग्रहण करैत छलाह। विद्यार्थीगणक खर्चा गुरुजी उठबैत रहलाह। द्वारकाक शंकराचार्य हिनका आमंत्रित कए नव्यन्यायक अध्ययन कएलन्हि। आस्तिक आ’ नास्तिक आ’ नव्यन्यायक विद्वत्तक दृष्टिये हिनका सर्वतंत्र स्वतंत्रक उपाधि देल गेलन्हि। हिनका बच्चामे लोक बच्चा झा कहैत छलन्हि, आ’ ईएह नाम धर्मदत्त झाक अपेक्षा बेशी प्रचलित रहल। हिनक कृति सभ अछि। 1. सुलोचन-माधव चम्पू काव्य, 2.न्यायवार्त्तिक तात्पर्य व्याख्यान, 3.गूढ़ार्थ तत्त्वलोक(श्री मदभागवतगीता व्याख्याभूत मधुसूदनी टीका पर) 4.व्याप्तिपंचक टीका 5.अवच्छदकत्व निरुक्त्ति विवेचन 6.सव्यभिचार टिप्पण 7.सतप्रतिपक्ष टिप्पण 8.व्याप्तनुगन विवेचन 9.सिद्धांत लक्षण विवेक 10.व्युत्पत्तिवाद गूढार्थ तत्वालोक 11.शक्त्तिवाद टिप्पण 12.खण्डन-ख़ण्ड खाद्य टिप्पण 13. अद्वैत सिद्धि चन्द्रिका टिप्पण 14.कुकुकाञ्जलि प्रकाश टिप्पण.
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंहक सिंहासनारोहणक बहुत दिन बाद धरि धौत परीक्षा नहि भेल छल। ई परीक्षा दरभंगा राजक संस्थापक श्री महेश ठाकुर द्वारा प्रारम्भ कएल गेल छल आ’ एहिमे मौखिक परीक्षा द्वारा श्रेष्ठ पंडितक चयन कएल जाइत छल। महाराज रमेश्वर सिंह एकर आयोजन करबओलन्हि आ’ श्री गंगानाथ झाकेँ एकर दायित्व देल गेल। श्री गंगानाथ झा परीक्षार्थीक रूपमे सेहो आवेदन कएने छलाह। महाराज परेक्षाक हेतु लिखित पद्धतिक आदेश देने छलाह। प्रश्निक नियुक्त्त भेलाह श्री बच्चा झा आ’ श्री शिव कुमार मिश्र। ई दुनू गोटे क्लिष्ट प्राश्निक आ’ कृपण परीक्षक मानल जाइत छलाह। मुदा ताहि पर श्री गंगानाथ झाकेँ 200 मे 197 अंक भेटलन्हि। महाराज पुरान परम्पराक अनुसार हिनका धोती तँ देलखिन्ह, मुदा नवीन पद्धतिक अनुसार दुशाला नहि देलखिन्ह, कारण संस्कृतक विद्वान् होयतहुँ श्री गंगानाथ झाक झुकाव अंग्रेजी दिशि छल। श्री बच्चा झा प्रकाण्ड पण्डित छलाह। महाराष्ट्र आ’ काशीक पण्डितक प्रसंगमे ओ’ कहैत छलाह जे शब्द खण्डक प्रसंगमे ओ’ सभ किछु नहि जनैत छलाह। ओहि समयमे महामहोपाध्याय दामोदर शास्त्री काशीक एकटा प्रसिद्ध वैयाकरण छलाह। विद्वान लोकनिक सुझाव पर दरभंगा महाराज गुरुधाममे एकटा पंडित सभाक आयोजन कएलन्हि। एहिमे हथुआ महाराज विशिष्ट अतिथि छलाह। काशीक सभ प्रमुख विद्वान एहिमे उपस्थित छलाह। प्रतियोगी छलाह पं.बच्चा झा आ’ म.म. दामोदर शास्त्री भरद्वाज। निर्णायक छलाह पं.कैलाश शिरोमणि भट्टाचार्या आ’ म.म.पं शिव कुमार मिश्र। एकटा सरल समस्यासँ शास्त्रार्थ प्रारम्भ भेल। एकर नैय्यायिक पक्ष लेलन्हि बच्चा झा आ’ व्याकरण पक्ष पंदामोदर शास्त्री।
दामोदर शास्त्री अपन जवाब अत्यंत सरल शब्दमे वैयाकरणिक आधार पर द’ देलन्हि। आब बच्चा झाक बेर आयल। बच्चा झा गहन परिष्कार प्रारम्भ कएलन्हि। विद्वान लोकनिमे विवाद भेलन्हि जे हुनकर प्रश्न प्रासंगिक छन्हि वा नहि। निर्णायक लोकनि एकरा प्रासंगिक मानलन्हि। जौँ-जौँ बच्चा झा आगू बढ़ैत गेलाह हुनकर उत्तर दामोदर शास्त्री आ’ निर्णायक लोकनिक हेतु अबोधगम्य होइत गेलन्हि। मध्य रात्रि तक ई चलल। अन्ततः अनिर्णीत राखि कए सभा विसर्जित भेल।
पं. रत्नपाणि झाक पुत्र केँ बच्चा झाकेँ अपर गङ्गेश उपाध्याय सेहो कहल जाइत अछि। हिनकर प्रारम्भिक अध्ययन गामे पर भेलन्हि। तकरा बाद ओ’ विश्वनाथ झासँ अध्ययनक हेतु ‘ठाढ़ी’ गाम चलि गेलाह। फेर बबुजन झा आ’ ऋद्धि झासँ न्यायदर्शनक विधिवत अध्ययन कएलन्हि। फेर धर्मदत्त झा प्रसिद्ध बच्चा झा काशी गेलाह। ओतय स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वतीसँ मीमांसा, वेदान्तक अध्ययन कएलन्हि।
सन् 1886 ई. केर गप छी। एकटा पुष्करिणीक उद्घाटनक उत्सवमे दामोदर शास्त्री जी काशीसँ मिथिलाक राघोपुर ग्राममे निमंत्रित भेल छलाह। ओतय हुनकर शास्त्रार्थ परम्परानुसार बच्चा झाक विद्यागुरु ऋद्धि झासँ भेल छलन्हि। एहिमे ऋद्धि झा परास्त भेल छलाह। गुरुक पराजयक प्रतिशोध लेबाक हेतु सन् 1889 मे बच्चा झा काशी गेलाह। बच्चा झाक उम्र ओहि समयमे 29 वर्ष मात्र छलन्हि। ओ’ प्रायः दामोदर शास्त्रीकेँ लक्ष्य करैत छलाह, जे काशीक वैय्याकरणिक पण्डित लोकनिकेँ शब्द-खण्डक कोनो ज्ञान नहि छन्हि।बच्चा झा समस्त काशीक विद्वान् लोकनिकेँ शास्त्रार्थक हेतु ललकारा देलन्हि। दामोदर शास्त्रीसँ भेल शास्त्रार्थक वर्णन पछिला अंकमे कएल जा’ चुकल अछि। शास्त्रार्थ तीन दिन धरि चलल। ई शास्त्रार्थ सन्ध्यासँ शुरू होइत छल, आ’ मध्य रात्रि धरि चलैत छल।शास्त्रार्थक तेसर दिन दामोदर शास्त्री तर्क कएनाइ बन्न कए देलन्हि, आ’ श्रोताक रूपमे बच्चा झाक तर्क सुनैत रहलाह। पं शिवकुमार शास्त्री आ’ कैलाशचन्द्र शिरोमणि दू टा निर्णायक छलाह। शिरोमणिजीक दृष्टिमे वादी श्री बच्चा झाक पक्ष न्यायशास्त्रक दृष्टिसँ समुचित छल। शिवकुमारजीक सम्मतिमे प्रतिवादी श्री दामोदरशास्त्रीक पक्ष व्याकरणक मंतव्यानुसार औचित्यसम्पन्न छलन्हि।दुनू पण्डितक शास्त्रार्थ कलाक संस्तुति कएल गेल आ’ दुनू गोटेकेँ अपन सिद्धान्तक उत्कृष्ट व्यवस्थापनक लेल विजयी मानल गेल।
बच्चा झा गामेमे रहि कए अध्यापन करैत छलाह। मुदा महाराजाधिराज दरभंगा नरेश श्री रमेश्वरसिंहक अकाट्य आग्रहक कारणसँ मुजफ्फरपुरक धर्म समाज संस्कृत कॉलेजक प्रधानाचार्यक पद स्वीकार कएलन्हि।
मुदा एकर एकहि वर्षमे ओ’ शरीर त्याग कए देलन्हि। बच्चा झाजीकेँ समालोचकगण किछु उदण्ड आ’ अभिमानी मनबाक गलती करैत रहलाह अछि। मुदा एकटा उदाहरण हमरा लगमे एहन अछि, जाहिसँ ई गलत सिद्ध होइत अछि।
ई घटना एहन सन अछि। मुजफ्फरपुर धर्मसमाज संस्कृत विद्यालयमे बच्चा झा प्रधानाचार्य/अध्यक्ष पद पर छलाह, आ’ हुनकर शिष्य पं बालकृष्ण मिश्र ओतय प्रध्यापक छलाह। ओहि समय काशीक पण्डित-पत्रमे गंगाधर शास्त्रीक एकटा श्लोकक विषयमे बच्चा झा कहलन्हि, जे एहि श्लोकमे एकहि पदर्थ वारिधर एक बेर
मृदंग बजबय बला चेतन व्यक्त्तिक रूपमे आ’ दोसर बेर वैह अम्बुद- जवनिकारूपी अचेतन रूपमे वर्णित अछि। एतय पदार्थाशुद्धि अछि।
एहि पर हुनकर शिष्य बालकृष्ण टोकलखिन्ह- गुरुजी! एहिमे कोनो दोष नहि अछि। किएक तँ वारिकेँ धारण करए बला मेघ(वारिधर) केर स्थिति आकाशमे ऊपर होइत अछि, आ’ अम्बु(जल) केँ देबय बला मेघ (अम्बुद) केर स्थिति नीचाँ होइत अछि।अतः दुनूमे स्थानक भिन्नता अछि। वारिधर आ’ वारिद एहि दुनू शब्दसँ दू भिन्न अर्थ ज्ञात होइत अछि। ताहि हेतु एतय पदार्थक अशुद्धि नहि अछि।
ई श्लोक निम्न प्रकारे छल:-
मृदुमृदङ्गनिनादमनोहरे, ध्वनित वारिधरे चपला नटी।
वियति नृत्यति रङ्ग इवाम्बुदे, जवनिकामनुकुर्वति सम्प्रति॥

२२. म.म. शंकर मिश्र

पन्द्रहम शताब्दीमे भवनाथ मिश्रक घरमे मधुबनी जिलाक सरिसव ग्राममे शंकर मिश्रक जन्म भेल। भवनाथ मिश्र बहुत पैघ नैय्यायिक छलाह आऽ कहियो ककरोसँ कोनो वस्तुक याचना नहि कएलन्हि, ताहि लेल सभ हुनका अयाची मिश्र कहए लगलन्हि। शँकर मिश्र पितासँ अध्ययन प्राप्त कएलन्हि आऽ पैघ भाए जीवनाथ मिश्रससँ विद्याक अधिग्रहण कएलन्हि।
जखन शंकर मिश्र पाँच वर्षक छलाह तँ महाराज शिव सिंहक सबारी जाऽ रहल छल। राजा ओहि प्रतिभाशाली बालककेँ देखलन्हि आऽ हुनकासँ परिचय पुछलन्हि। तखन उत्तर भेटलन्हि-
बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥

फेर राजाक आग्रह पर ओऽ दोसर श्लोक पढ़लन्हि-
चलितश्चकितच्च्हन्नः प्रयाणे तव भूपते।
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्रपात् ॥

राजा प्रसन्न भए द्रव्य देलखिन्ह जाहिसँ, शंकरक माए पोखरि खुनबेलन्हि, ओऽ पोखरि एखनो सरिसबमे अछि।
शंकर मिश्र महाराज भैरव सिंहक कनिष्ठ पुत्र राजा पुरुषोत्तमदेवक आश्रित छलाह। एकर वर्णन रसार्णव ग्रंथमे भेटैत अछि।
शंकर मिश्र कवि, नाटककार, धर्मशास्त्री आऽ न्याय-वैशेषिक केर व्याक्याकार रहथि।
शंकर मिश्र ग्रंथावली-
१. १.गौरी दिगम्बर प्रहसन
२. २.कृष्ण विनोद नाटक
३. ३.मनोभवपराभव नाटक
४. ४.रसार्णव
५. ५.दुर्गा-टीका
६. ६.वादिविनोद
७. ७.वैशेषिक सूत्र पर उपस्कार
८. ८.कुसुमांजलि पर आमोद
९. ९.खण्डनखण्ड-खाद्य टीका
१०.१०.छन्दोगाह्निकोद्धार
११.श्राद्ध प्रदीप
१२.प्रायश्चित प्रदीप।
अंतिम तीनू टा ग्रन्थ धर्मशास्त्र पर लिखल गेल आऽ क्रमसँ सामवेदक अनुसारे दैनिक धार्मिक कृत्यक नियमावली, श्राद्ध कर्म आऽ प्रायश्चितिक अनुष्ठानसँ संबंधित अछि।शंकर मिश्रसँ संबंधित बहुत रास जनश्रुति प्रसिद्ध अछि। अयाची वृद्ध भए गेल छलाह, परन्तु पुत्रविहीन रहथि। पत्नी भवानी दुःखसँ काँट भए गेल छलीह। तखन अयाची मिश्र बाबा वैद्यनाथसँ पुत्रक याचना कएलन्हि आऽ हुनकर मनोकामना पूर्ण भेलन्हि-स्वयं शंकर भगवान अवतरित भेलाह आऽ ताहि द्वारे बालकक नाम शंकर पड़ल। जन्म पर गामक आया किंवा चमैन इनाम मँगलखिन्ह, मुदा परिवारक लगमे किछु नहि छल आऽ ताहि हेतु भवानी वचन देलखिन्ह जे बालकक प्रथम कमाइ अहाँकेँ दए देब। से जखन एक बेर राजा शिव सिंह खुशी भए बालककें कहलखिन्ह जे अहाँ जतेक सोना-चाँदी लए जा सकी लए जाऊ। बालक मात्र धरिया पहिरने छलाह तेँ मात्र किछु सोनाक छड़ लए जाऽ सकलाह, आऽ सेहो भवानी अपन वचनक अनुरूपें आया-चमैनकेँ दए देलखिन्ह। चमैन ओहि पाइसँ एकटा पोखरि सरिसवमे खुनबएलन्हि, जे चमनियाँ पोख्रिक नामसँ एखनो विद्यमान अछि।

२३. विद्यापति(१३५०-१४५०)विद्यापतिक जन्म १३७० ई.क लगातिमे बिस्फी गाममे भेलन्हि। हिनकर परवर्ती सभ आइ-काल्हि सौराठ गाममे रहैत छथि। एकर प्रमाण निम्न गप सभसँ लगैत अछि। १३९४-९६ क बीच कएल पदक समर्पण गियासौद्दीन आजमशाह आ नसरत शाहकेँ कएल गेल अछि। देव सिंहक आदेश सँ १४०० ई.क लगातिमे ई “भू-परिक्रमा लिखलन्हि। १४०२-०४ क बीच कीर्तिलताक रचना कीर्ति सिंहक राज्यकालमे कएलन्हि। १४०९-१४१५ ई.क बीच कीर्तिपताकाक रचना। पूर्वार्ध १४०९ क लगातिमे मे - हरि केलि अर्जुन सिंहक कीर्तिगाथासँ सम्बन्धित अछि आ उत्तरार्ध १४१५ क लगातिमे शिवसिंहक युद्ध आ तिरोधानसँ सम्बद्ध अछि। विद्यापति जीक आदेशसँ १४१० ई. मे “काव्य प्रकाश विवेक”क प्रतिलिपि बनाओल गेल। १४१० ई.मे शिवसिंहक राज्यारोहण भेल आ एहि उपक्ष्यमे विद्यापतिकेँ बिसपीक दानपत्र प्रदान कएल गेल। शिवसिंहक राज्यकाल १४१०-१४ ई. धरि रहल आ एहि अवधिमे गोरक्ष विजय नाटक, पुरुष-परीक्षा आ मैथिली-पदावलीक अधिकांश भागक रचना भेल। १४१६ ई. क लगाति पुरादित्यक आदेशसँ लिखनावलीक निर्माण भेल। १४२८ ई. मे भागवत पुराणक विद्यापति लिखित प्रतिलिपि पूर्ण भेल। १४२७-१४३९ ई. मे पद्म सिंहक महारानी विश्वास देवी क आदेशसँ शैव सर्वस्वसार, शैव सर्वस्वसार प्रमाण भूत संग्रह आ गंगा वाक्यावलीक रचना, १४५३-६० ई.क लगाति राजा नरसिंह दर्पनारायण आ रानी धीरिमतिक समयमे विभागसार, व्याडिभक्ति तरंगिणी आ दानवाक्यावलीक रचना भेल। १४५५ ई. क लगाति भैरव सिंहक अनुज्ञासँ “दुर्गाभक्ति तरंगिणी”क रचना भेल आ १४६१ ई. मे श्री रूपधर हिनकासँ छात्र रूपमे अध्ययन कएलन्हि। १४६५ ई.क आसपास हिनकर मृत्यु भेल होएतन्हि, जनश्रुति अछि जे ई दीर्घायु भेल छलाह आ सए बरखक आयु प्राप्त कएने छलाह। हिनकर रचनामे एक बेर जगज्जननी सीताक चरचा एहि रूपमे आएल अछि-
I.
इन्द्रस्येव शची समुज्जवलगुणा गौरीव गौरीपतेः कामस्येव रतिः स्वभावमधुरा सीतेव रामस्य या। विष्णोः श्रीरिव पद्मसिंहनृपतेरेषा परा प्रेयसी विश्वख्यातनया द्विजेन्द्रतनया जागर्ति भूमण्डले॥9॥

उपर्युक्त पद्य विद्यापतिकृत शैवसर्वस्वसारक प्रारम्भक नवम श्लोक छी। एकर अर्थ अछि- उत्कृष्ट गुणवती, मधुर स्वभाववाली, ब्राह्मण-वंशजा, नीति-कौशलमे विश्वविख्यातओ’ महारानी विश्वासदेवी सम्प्रति संसारमे सुशोभित छथि, जे पृथ्वी-पति पद्मसिंहकेँ तहिना प्रिय छलीह जहिना इन्द्रकेँ शची, शिवकेँ गौरी, कामकेँ रति , रामकेँ सीता ओ’ विष्णुकेँ लक्ष्मी॥9॥

२४.श्रीकर

श्रीकर प्रथम मैथिल निबन्धकार छलाह। विज्ञानेश्वर, हरिनाथ, जीमूतवाहन चण्डेश्वर ठाकुर ई सभ श्रीकरक विचारक उल्लेख कएने छथि। श्रीकर एहि हिसाबसँ सातम शताब्दीक बुझना जाइत छथि।
श्रीकर याज्ञवल्क्य आऽ लक्ष्मीधरक बीचक सूत्र छथि। ओऽ कल्पतरु लिखलन्हि, जाहिमे १४ भाग छल, मुदा हुनकर कोनो कार्य एखन उपलब्ध नहि अछि।
श्रीकरक अनुसार आध्यात्मिक लाभ उत्तराधिकारक लेल आवश्यक अछि। चण्देश्वर ठाकुर अपन राजनीतिरत्नाकरमे श्रीकरक सिद्धांत ई सिद्धांत रखने छथि, जे गरीबक अधिकार राजा आऽ राज्यक सम्पत्तिमे छैक।

२५.लक्ष्मीधर

कृत्यकल्पतरुक लेखक लक्ष्मीधर भट्ट हृदयधरक पुत्र छलाह। हुनकर पिता राजा गोविन्दचन्द्रक दरबारमे शान्ति आऽ युद्धक मंत्री छलाह। लक्ष्मीधर मीमांसक छलाह। चण्डेश्वर, वाचस्पति आऽ रुद्रधर अपन-अपन रचनामे लक्ष्मीधरक उद्धरण प्रचुर मात्रामे देने छथि। लक्ष्मीधर एगारहम शताब्दीक दोसर भाग आऽ बारहम शताब्दीक पहिल भागमे अवतरित भेल छलाह।
लक्ष्मीधरक कृत्यकल्पतरु महाभारतक एक तिहाइ आकारक अछि आऽ जीवन जीबाक कला आऽ निअमक वर्णन करैत अछि। मैथिल-स्मृतिशास्त्रक ई श्रेष्ठतम योगदान अछि। चण्डेश्वरक विवाद रत्नाकर पूर्ण रूपसँ कृत्यकल्पतरुपर आधारित अछि, विद्यापतिक विभागसार सेहो कल्पतरुक विषयसूचीक प्रयोग करैत अछि।
लक्ष्मीधरक विचार- राजाक कार्य कानून आऽ न्याय प्रदान केनाइ छैक। व्यवहार तार्किक रूपसँ राजधर्मक रूपमे बुझल जाऽ सकैत अछि। राज्यक सात टा पारम्परिक तत्त्वक सेहो चरचा अबैत अछि। राजाक कर्तव्यक छह प्रकारक षडगुण्यम केर सेहो चर्च अछि। राजशाहीकेँ ओऽ सरकारक एकमात्र विकल्प कहैत छथि। मुदा लक्ष्मीधर राजाक दैविक उत्पत्तिमे विश्वास नहि करैत छथि। राजा जनताक ट्रस्टी अछि, न्यायी अछि आऽ धर्मक अनुसार कार्य करैत अछि। मुदा राजाकेँ धार्मिक-कानून बदलबाक कोनो अधिकार नहि छल। सर्वभौमिकताक अभिषेकक बाद राजाक शिक्षा-दीक्षा आऽ जनताक प्रति आदरपर ओऽ बहुत जोड़ देलन्हि। लक्ष्मीधर राजकर्मचारीक आचार-संहितापर बड़ जोर दैत छथि। दुर्गक विवरण ओऽ राजमहल आऽ किलाक रूपमे करैत छथि।

२६.हरिनाथ (१३००-१४०० ई.)

हरिनाथ गंगौर मूलक मैथिल ब्राह्मणक छलाह आऽ हुनकर पौत्र शिवनाथक विवाह पाली मूलक ज्योतिरीश्वर ठाकुरक पुत्रीसँ भेल छलन्हि। हिनकर विवाह गलतीसँ अपन पुरखाक वंशजसँ भऽ गेलन्हि, ताहि द्वारे हरसिंहदेव पञ्जी व्यवस्थाक प्रारम्भ केलन्हि।
हरिनाथ स्मृतिसार लिखलन्हि, जे धर्मशास्त्रक विभिन्न अध्यायपर आधारित छल। हरिनाथ संस्कारक ८ भेद करैत छथि। आचार खण्डमे संस्कारक अतिरिक्त आह्निका- द्विजक नित्यकर्म, श्राद्ध आऽ प्रायश्चितक विवरण अछि।
विवाद, व्यवहार आऽ उत्तराधिकारपर सेहो हरिनाथ लिखने छथि। ज्येष्ठ पुत्रकेँ जेठांश, स्त्रीधन, पुत्रक विभिन्न प्रकार, विभिन्न प्रकारक दण्ड इत्यादिक वर्णन हरिनाथ कएने छथि। विधिमे कोना कम्प्लेन फाइल करी, ओकर उत्तर, न्याय आऽ न्यायक आधार आऽ न्यायक पुनरीक्षण, एहि सभक चरचा अछि। विवादक १८ टा प्रकार आऽ सिविल आऽ आपराधिक विधि जे न्यायालयमे अपनाओल जाइत अछि, तकर विवरण हरिनाथ देने छथि।

२७.चाणक्य...कौटिल्य

चाण्क्य भारतकेँ एकटा सुदृढ़ आऽ केन्द्रीकृत शासन प्रदान कएलन्हि, जकर अनुभव भारतवासीकेँ पूर्वमे नहि छलन्हि।
चाणक्यक जीवन आऽ वंश विषयक सूचना अप्रामाणिक अछि। चाणक्यक आन नाम सभ सेहो अछि। जेना कौटिल्य, विष्णुगुप्त, वात्स्यायन, मालांग, द्रामिल, पाक्षिल, स्वामी आऽ आंगुल। विष्णुगुप्त नाम कामंदक केर नीतिसार, विशाखादत्तक मुद्राराक्षस आऽ दंडीक दशकुमारचरितमे भेटैत अछि। अर्थशास्त्रक समापनमे सेहो ई चर्च अछि जे नन्द राजासँ भूमिकेँ उद्धार केनिहार विष्णुगुप्त द्वारा अर्थशास्त्रक रचना भेल। अर्थशास्त्रक सभटा अध्यायक समापनमे एकर रचयिताक रूपमे कौटिल्यक वर्णन अछि। जैन भिक्षु हेमचन्द्र हिनका चणकक पुत्र कहैत छथि। अर्थशास्त्रमे उल्लिखित अछि जे कौटिल्य कुटाल गोत्रमे उत्पन्न भेलाह।
पन्द्रहम अधिकरणमे कौटिल्य अपनाकेँ ब्राह्मण कहैत छथि। कौटिल्य गोत्रक नाम, विष्णुगुप्त व्यक्तिगत नाम आऽ चाणक्य वंशगत नाम बुझना जाइत अछि।
धर्म आऽ विधिक क्षेत्रमे कौटिल्यक अर्थशास्त्र आऽ याज्ञवल्क्य स्मृतिमे बड्ड समानत अछि जे चाणक्यक मिथिलावासी होयबाक प्रमाण अछि।
अर्थशास्त्रमे(१.६ विनयाधिकारिके प्रथमाधिकरणे षडोऽध्यायः इन्द्रियजये अरिषड्वर्गत्यागः) कराल जनक केर पतनक सेहो चर्चा अछि।
तद्विरुद्धवृत्तिरवश्येन्द्रियश्चातुरन्तोऽपि राजा सद्यो विनश्यति- यथा

दाण्डक्यो नाम भोजः कामाद् ब्राह्मण कन्यायमभिमन्यमानः सबन्धराष्ट्रो विननाश करालश्च वैदेहः,...।

अर्थशास्त्रमे १५ टा अधिकरण अछि। सभ अधिकरण केर विभाजन प्रकरणमे भेल अछि।
कौटिल्यक राज्य संब्धी विचार सप्तांग सिद्धांतमे अछि।स्वामी, अमात्य, राष्ट्र, दुर्ग, कोष, दंड आऽ मित्र केर रूपमे राज्यक सातटा अंग अछि। कऊतिल्यक संप्रभुता सिद्धांतमे राज्यक प्राशसनिक विभा वा तीर्थक चर्च अछि- ई १८ ट अछि। १.मंत्री२.पुरोहित३.सेनापति४.युवराज५.दौवारिक६.अंतर्वांशिक७.प्रशास्त्र८.संहर्त्ता९.सन्निधात्रा१०.प्रदेष्टा११.नअयक१२.पौर व्यावहारिक१३.कर्मांतिक१४.मंत्रिपरिषदाध्यक्ष१५,.दंडपाल१६.दुर्गपाल१७.अंतर्पाल१८.आत्विक।
विधिक चरिटा श्रोत अछि- धर्म, व्यवहार, चरित्र आऽ राजशासन।
कौटिल्यक अतरराज्य संबंध केर सिद्धांत मंडल सिद्धांत केर नामसँ प्रतिपादित अछि। विजिगीषु राजा- विजय केर इच्छा बला राजा- केर चारू कात अरिप्रकृति राजा आऽ अरिप्रकृति राजाक सीमा पर निम्न प्रकृति राजा रहैत छथि। विजुगीषु राजाक सोझाँ मित्र, अरिमित्र, मित्र-मित्र आऽ अरिमित्र-मित्र रहैत छथि आऽ पाछाँ पार्ष्णिग्राह९फीठक शत्रु), आक्रंद (पीठक मित्र), पार्ष्णिग्राहासार (फार्ष्णिग्राहक मित्र) आऽ अक्रंदसार (आक्रंदक मित्र) रहैत छथि।
विजिगीषुक षाड्गुण्य सिद्धांत अछि, संधि, विग्रह, यान, आसन, संश्रय आऽ द्वैधीभाव। कऊटिल्यक अर्थशास्त्रक प्रथम अधिकरणक पन्द्रहम अध्यायमे दूत आऽ गुप्तचर व्यवस्थाक वर्णन अछि।

भारतीय शिलालेखसँ पता चलैत अछि जे चन्द्रगुप्त मौर्य ३२१ ई.पू. मे आऽ अशोकवर्द्धन २९६ ई.पू. मे राजा बललाह। तदनुसार अर्थशास्त्रक रचना ३२१ ई.पू आऽ २९६ ई.पू. केर बीच भेल सिद्ध होइत अछि।

२८.याज्ञवल्क्य

याज्ञवल्क्य मिथिलाक दार्शनिक राजा कृति जनकक दरबारमे छलाह। हुनकर माताक वा पिताक नाम सम्भवतः वाजसनी छलन्हि। ओना हुनकर पिता देवरातकेँ मानल जाइत छन्हि। हुनकर माता ऋषि वैशम्पायनक बहिन छलीह। वैशम्पायन याज्ञवल्क्यक मामा छलाह संझ्गहि हुनकर गुरु सेहो। हुनकर पिता खेनाइ पुरस्कारक रूपमे बँटैत रहथि आऽ तेँ हुनकर नाम बाजसनि सेहो छन्हि। ब्यासक चारू पुत्रसँ ओऽ चारू वेदक शिक्षा पओलन्हि। यजुर्वेद ओऽ वैशम्पायनसँ सेहो सिखलन्हि, वेदान्त उद्दालक आरुणिसँ आऽ योगक शिक्षा हिरण्यनाभसँ लेलन्हि।
याज्ञवल्क्यक दू टा पत्नी छलथिन्ह, १. कात्यायनी आऽ दोसर मैत्रेयी। मत्रेयी ब्रह्मवादिनी छलीह। कात्यायनीसँ हुनका तीनटा पुत्र छलन्हि- चन्द्रकान्ता, महामेघ आऽ विजय।

याज्ञवल्क्य १. शुक्ल यजुरवेद, २. शतपथ ब्राह्मण, बृहदारण्यक उपनिषद आऽ याज्ञवल्क्य स्मृतिक दृष्टा/लेखक छथि। याज्ञवल्क्य स्मृतिमे आचार, व्यवहार, आऽ प्रायश्चित अध्याय अछि।राजधर्म, सिविल आऽ क्रिमिनल लॉ एहिमे अछि।कौटिल्य जेकाँ याज्ञवल्क्य सेहो मानैत छथि जे राजा आऽ पुरहित दुनू दण्डनीतिक ज्ञान राखथि। याज्ञवल्क्य राज्यक सप्तांग सिद्धांतक चरचा सेहो विस्तारमे करैत छथि।


२९.जनक

’वैदेह राजा’ ऋगवेदिक कालक नमी सप्याक नामसँ छलाह, यज्ञ करैत सदेह स्वर्ग गेलाह। ऋगवेदमे वर्णन अछि। ओऽ इन्द्रक संग देलन्हि असुर नमुचीक विरुद्ध आऽ ताहिमे इन्द्र हुनका बचओलन्हि।
पुरोहित गौतम राहूगण ऋगवेदक एकटा महत्त्वपूर्ण ऋषि छथि। शुक्ल यजुरवेदक लेखक रूपमे याज्ञवल्क्य प्रसिद्ध छथि। शतपथ ब्राह्म्णक माथव विदेह आऽ पुराणक निमि दुनू गोटेक पुरोहित गौतम छथि से दुनू एके छाथि आऽ एतएसँ विदेह राज्यक प्रारम्भ देखल जाऽ सकैत अछि। माथवक पुरहित गौतम मित्रविन्द यज्ञक/बलिक प्रारम्भ कएलन्हि आऽ पुनः एकर पुनःस्थापना भेल महाजनक २ केर समयमे याज्ञवल्क्य द्वारा। निमि गौतमक आश्रमक लग जयन्त आऽ मिथि जिनका मिथिला नामसँ सेहो सोर कएल जाइत छन्हि, मिथिला नगरक निर्माण कएलन्हि।
’सीरध्वज जनक’ सीताक पिता छथि आऽ एतयसँ मिथिलाक राजाक सुदृढ़ परम्परा देखबामे अबैत अछि। ’कृति जनक’ सीरध्वजक बादक 18म पुस्तमे भेल छलाह।
कृति हिरण्यनाभक पुत्र छलाह, आऽ जनक बहुलाश्वक पुत्र छलाह। याज्ञवलक्य हिरण्याभक शिष्य छलाह, हुनकासँ योगक शिक्षा लेने छलाह। कराल जनक द्वारा एकटा ब्राह्मण युवतीक शील-अपहरणक प्रयास भेल आऽ जनक राजवंश समाप्त भए गेल (अश्वघोष-बुद्धचरित आऽ कौटिल्य-अर्थशास्त्र)


३० . मैथिलीक पुरोधा जयकान्त मिश्र (1922-2009) क 3 फरबरी 2009 केँ सात बजे साँझमे निधन भ' गेलन्हि।

मैथिली साहित्यक एकटा बड़ पैघ विद्वान डॉ. जयकांत मिश्र 1982 ई. मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी आ आधुनिक यूरोपियन भाषा विभागक प्रोफेसर आ हेड पद सँ सेवा निवृत्त भेल छलाह। तकरा बाद ओ चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालयमे भाषा आ समाज विज्ञानक डीन रूपमे कार्य कएलन्हि।

स्व. मिश्र अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समिति, इलाहाबादक अध्यक्ष, गंगानाथ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबादक अवैतनिक सचिव आ सम्पादक, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागक प्रबन्ध विभागक संयोजक आ साहित्य अकादमी, नई दिल्लीक मैथिली प्रतिनिधि आ भाषा सम्पादक रहल छलाह।

मैथिली साहित्यक इतिहास, फोक लिटेरेचर ऑफ मिथिला, कीर्तनिया ड्रामा सभक क्रिटिकल एडीशन, लेक्चर्स ऑन थॉमस हार्डी, लेक्चर्स ऑन फोर पोएट्स आ द कॉम्प्लेक्स स्टाइल इन एंगलिश पोएट्री हिनक लिखित किछु ग्रंथ अछि।

हिनकर वृहत मैथिली शब्द कोष मात्र दू खण्ड प्रकाशित भए सकल, जाहिमे देवनागरीक संग मिथिलाक्षर आ फोनेटिक अंग्रेजीमे सेहो मैथिली शब्दक नाम रहए। ई दुनू खण्ड मैथिली शब्दकोष संकलक लोकनिक लेल सर्वदा प्रेरणास्पद रहत।

विदेह डाटाबेस आधार पर सोलह खण्डमे गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा आ पञ्जीकार विद्यानन्द झाक मैथिली अंग्रेजी शब्दकोष जाहिमे मिथिलाक्षर आ अंतर्राष्ट्रीय फोनेटिक रोमन आ देवनागरीमे शब्द आ शब्दार्थ देल गेल अछि प्रेसमे अछि आ एहि मासमे ओकर पहिल खण्ड प्रकाशित भए जाएत। ई पोथी दीनबन्धु झा, जयकांत मिश्र आ गोविन्द झाकेँ समर्पित कएल जा रहल अछि।

स्व. जयकांत मिश्रकेँ मैथिल आर मिथिला परिवार दिससँ श्रद्धांजलि।

एहि घटनापर मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध समीक्षक प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर सिंह जीक उद्गार-

" डॉ. जयकांत मिश्रक मृत्यु मैथिलीक लेल एकटा अपूरणीय क्षति अछि। मैथिलीक लेल हिनकर सेवाक कोनो जोड़ नहि अछि, ग्रियर्सनक बाद ई एकमात्र एहन मैथिली प्रेमी रहथि जे मैथिलीकेँ विश्व-स्तर तक अनलन्हि आ विश्वक सोझाँ अनलन्हि।"

एहि घटनापर मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध कवि-कथाकार डॉ. गंगेश गुंजन जीक उद्गार-

"जयकांत बाबूक निधन बहुत सांघातिक सूचना। समस्त मैथिल, मिथिला आ मिथिलांचल लेल। किछु कहल सम्भव नहि भ' रहल अछि....।"

३१. डॉ विजयकांत मिश्रा जिक जन्म १० अगस्त १९२७


डो. विजयकांत मिश्रक जन्म मंगरौनी गाम - जे नव्य न्याय आ तांत्रिक साधनाक जन्म-स्थली अछि- (जिला मधुबनी) मे
भेलन्हि।

ओ 1948 मे प्राचीन भारतीय इतिहास आ संस्कृति विषयमे एलाहाबाद विश्वविद्यालयसँ सनात्तकोत्तर उपाधि कएलाक बाद कतेक बरख धरि बिहार सरकार आ पटना विश्वद्यालयसँ सम्बद्ध रहलाह आ 1957 ई. सँ भारतीय पुरात्तत्व विभागमे काज कएलन्हि आ ओकर शिशुपालगढ़, कौशाम्बी, वैशाली, हस्तिनापुर, कुम्हरार, पाटलिपुत्र, करियन, सोनपुर, बिलावली, नालन्दा, राजगीर, चन्द्रवल्ली, आ हम्पी खुदाइमे विभिना भूमिकामे भाग लेलन्हि।
हिनकर लिखल-सम्पादित पोथी सभमे अछि:
1.वैशाली,1950
2.कुम्हरार एक्सकेवेशंस: 1950-1957
3.पुरातत्व की दृष्टिमे वैशाली
4.नागेश भट्टाज पारिभाषेन्दुशेखर
5.मिथिला आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर (सम्पादित)
6.कल्चरल हेरिटेज ऑफ मिथिला
7.श्रृंगार भजनावली- एक अध्ययन
8.क्षेत्र पुरातत्वविज्ञान -
9.पुरातत्व शब्दावली

३२. स्व. अनिलचन्द्र ठाकुर जीक जन्म 13 सितम्बर 1954 ई.केँ कटिहार जिलाक समेली गाममे भेलन्हि। 1982 ई.मे हिन्दी साहित्यमे स्नातकोत्तर केलाक बाद नवम्बर '93 सँ नवम्बर '94 धरि "सुबह" हस्तलिखित पत्रिकाक सम्पादन-प्रकाशन कएलन्हि आ कोशी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकमे अधिकारी रहथि। मैथिली, अंगिका, हिन्दी आ अंग्रेजीमे समानरूपेँ लेखन।
मृत्युक पूर्व ब्रेन ट्यूमरसँ बीमार चलि रहल छलाह।
प्रकाशित कृति:
आब मानि जाउ(मैथिली उपन्यास)- पहिने भारती-मंडन पत्रिकामे प्रकाशित भेल, फेर मैलोरंग द्वारा पुस्तकाकार प्रकाशित भेल।
कच( अंगिकाक पहिल खण्ड काव्य,1975)
एक और राम (हिन्दी नाटक,1981)
एक घर सड़क पर (हिन्दी उपन्यास, 1982)
द पपेट्स (अंग्रेजी उपन्यास, 1990)
अनत कहाँ सुख पावै (हिन्दी कहानी संग्रह,2007)

आब मानि जाउ(मैथिली उपन्यास)- एहि उपन्यासमे एक एहन युवतीक संघर्ष-गाथा अंकित अछि जे अपन लगनसँ जीवन बदलैत अछि। असंख्य गामक ई कथा, कुलीनताक अधःपतनक कथा, संस्कारविहीनताक उद्घाटन आ भविष्यक पीढ़ीकेँ बचएबाक चेतौनी छी ई कथा।

३३. डा. रमानन्द झा ‘रमण’
जन्म: 02 जनबरी,1949, शिक्षा-एम.ए., पीएच.डी., आजीविका-भारतीय रिजर्व बैंक, पटना (सेवा निवृत्त)।
प्रकाशन: मौलिक- समीक्षा 1. नवीन मैथिली कविता,1982, 2. मैथिली नऽव कविता,1993, 3. मैथिली साहित्य ओ राजनीति, 1994, 4. अखियासल, 1995, 5. बेसाहल,2003, 6. भजारल, 2005., 7. निर्यात कैसे शुरू करें? हिन्दी- रिजर्व बैंक, पटनाक प्रकाशन सम्पादित 8. मैथिलीक आरम्भिक कथा, 1978 समीक्षा, 9. श्यामानन्द रचनावली, 1981, 10. जनार्दनझा‘ जनसीदनकृत निर्दयीसासु (1914) आ पुनर्विवाह (1926), 1984, 11. चेतनाथझाकृत श्रीजगन्नाथपुरी यात्रा (1910), 1994, 12. तेजनाथ झाकृत सुरराजविजय नाटक (1919), 1994, 13. रासबिहारीलाल दासकृत सुमति (1918), 1996, 14. जीबछ मिश्रकृत रामेश्वर (1916), 1996, 15. भेटघॉंट (भेटवार्ता), 1998, 16. रूचय तँ सत्य ने तँ फूसि, 1998, 17. पुण्यानन्द झाकृत मिथिला दर्पण (1925), 2003, 18. यदुवर रचनावली (1888-1934) 2003, 19. श्रीवल्लभ झा (1905-1940) कृत विद्यापति विवरण, 2005, 20. मैथिली उपन्यासमे चित्रित समाज, 2003, 21. पण्डित गोविन्द झाः अर्चा ओ चर्चा, 1997 प्रबन्ध सम्पादक, 22. कवीश्वर चेतना, 2008, चेतना समिति, पटना अनुवाद 23. मौलियरक दू नाटक, 1991, साहित्य अकादमी, 24. छओ बिगहा आठ कटठा, 1999, साहित्य अकादमी, 25. मानवाधिकार घोषणा Universal Declaration of Human Rights २००७( यूनेसको), 26. राजू आ’ टाकाक गाछ, 2008 रिजर्व बेंक -वित्तीय शिक्षा योजना के अन्तर्गत पत्रिका सम्पादन-सह-सम्पादन 1. प्रयोजन, 1993 (मासिक), 2. कोषाक्षर (हिन्दी) 1982, 3. घर बाहर, त्रैमासिक, चेतना समिति, पटना कार्यशाला 1. National Workshop on Literary Translation,- Dec 20.1991 to January 12,02,1992, Sahitya Akademi, New Delhi2.Bonds Beyond the Borders (India-Nepal civil society interaction on Cross Border issues) -Consulate General of India, Birgunj, Nepal and B.P. Koirala India-Nepal Foundation-May 27-28, 20062.Preparation of Intensive Course in Maithili- ERLC, Bhubneswar जूरी 6th Inter National Maithili Drama Festival,1992 -Biratnagar, Nepal पुरस्कार- सम्मान
1. जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार, 1994-95, राजभाषा विभाग,बिहार सरकार, मैथिली नऽव कविता पुस्तक पर, 2. भाषा भारती सम्मान, 2004-05 छओ बिगहा आठ कटठा, (अनुवाद) CIIL, मैसूर।
राजेन्द्र विमल (1949- )।
चामत्कारिक लेखन-प्रतिभाक स्वामी राजेन्द्र विमल नेपालक मैथिली साहित्यक एक स्तम्भ छथि। मैथिली, नेपाली आ हिन्दी भाषाक प्राज्ञ विमल शिक्षाक हकमे विद्यावारिधि (पी.एच.डी.)क उपाधि प्राप्त कएने छथि। सुललित शब्द चयन एवं भाषामे प्राञ्जलता डा. विमलक लेखनक विशेषता रहलनि अछि। अपन सिद्धहस्त लेखनसँ ई कोनहु पाठकक हृदयमे स्थान बना लैत छथि। कथा आ समालोचनाक सङ्गहि मर्मभेदी गीत गजल लिखबामे प्रवीण डा. विमलक निबन्ध, अनुवाद आदि सेहो विलक्षण होइत छनि। कम्मो लिखिकऽ यथेष्ट यश अरजनिहार डा. विमलक लेखनीक प्रशंसा मैथिलीक सङ्गसङ्ग नेपाली आ हिन्दी साहित्यमे सेहो होइत रहलनि अछि। खास कऽ मानवीय संवेदनाक अभिव्यक्तिमे हिनक कलम बेजोड़ देखल जाइत अछि। त्रिभुवन विश्वविद्यालयअन्तर्गत रा.रा.ब. कैम्पस, जनकपुरधाममे प्राध्यापन कएनिहार डा. विमलक पूर्ण नाम राजेन्द्र लाभ छियनि। हिनक जन्म २६ जुलाई १९४९ ई. कऽ भेल अछि। साहित्यकारक नव पीढ़ीकेँ निरन्तर उत्प्रेरित करबाक कारणे ई डा.धीरेन्द्रक बाद जनकपुर-परिसरक साहित्यिक गुरुक रूपमे स्थापित भऽ गेल छथि। जनकपुरधामक देवी चौक स्थित हिनक घर सदति साहित्यक जिज्ञासुसभकअखाड़ाजकाँबनलरहैतअछि।

३४.प्रकाश झा
सुपरिचित रंगकर्मी। राष्ट्रीय स्तरक सांस्कृतिक संस्था सभक संग कार्यक अनुभव। शोध आलेख (लोकनाट्य एवं रंगमंच) आ
कथा लेखन। राष्ट्रीय जूनियर फेलोशिप, भारत सरकार प्राप्त। राजधानी दिल्लीमे मैथिली लोक रंग महोत्सवक शुरुआत। मैथिली लोककला आ संस्कृतिक प्रलेखन आ विश्व फलकपर विस्तारक लेल प्रतिबद्ध। अपन कर्मठ संगीक संग मैलोरंगक संस्थापक, निदेशक। मैलोरंग पत्रिकाक सम्पादन। संप्रति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्लीक रंगमंचीय शोध पत्रिका रंग-प्रसंगक सहयोगी संपादकक रूपमे कार्यरत।
३५.डॉ मित्रनाथ झा (१९५६-)
पिता स्वनामधन्य मिथिला चित्रकार स्व. लक्ष्मीनाथ झा प्रसिद्ध खोखा बाबू, ग्राम-सरिसब, पोस्ट सरिसब-पाही, भाया- मनीगाछी, जिला-मधुबनी (भारत), सम्प्रति मिथिला शोध संस्थान, दरिभङ्गामे पाण्डुलिपि विभागाध्यक्ष ओ एम.ए. (संस्कृत) कक्षाक शिक्षार्थीकेँ एम.ए. पाठ्यक्रमक सभ पत्रक अध्यापन। लेखन, उच्चस्तरीय शोध ओ समाज-सेवामे रुचि। संस्कृत, मैथिली, हिन्दी, अंग्रेजी, भोजपुरी ओ उर्दू भाषामे गद्य-पद्य लेखन। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर सुप्रतिष्ठित अनेकानेक पत्र-पत्रिका, अभिनन्दन-ग्रन्थ ओ स्मृति-ग्रन्थादिमे अनेक रचना प्रकाशित। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर आयोजित अनेक सेमिनार, कॉनफेरेन्स, वर्कशॉप आदिमे सक्रिय सहभागिता।—
३६.सुनील कुमार मल्लिक, गायक, जनकपुर, नेपाल 1968-

मैथिलीक गायक-सग्ङीतकारक रूपमे प्रसिद्ध छथि । मैथिली भाषाक गीतसभमे मौलिक तथा सार्थक सग्ङीतक सृजनमे हिनक सक्रियता प्रशंसनीय छनि । सुनीलक गायन तथा सग्ङीतमे कैसेट एलबमसभ सेहो बाहर भेल अछि ।लेखनदिस हिनक सक्रियता परिमाणात्मक रूपमे कम रहितहुँ गुणात्मक दृष्टिएँ हृदयस्पर्शी मानल जाइत अछि ।पेशासँ विज्ञान-शिक्षक छथि ।


३७.काशीकान्त मिश्र "मधुप" (1906-1987)
’राधाविरह’ (महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक प्रशस्त कवि आ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता ’झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि । प्रकृति प्रेमक विलक्षण कवि । ’घसल अठन्नी कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना—दुहू स्तर पर चरम लोकप्रियता भेटलनि।

३८.महेन्द्र मलंगिया

मैथिलीक सुपरिचित नाटककार, रंग निर्देशक एवं मैलोरंगक संस्थापक अध्यक्ष । लोक साहित्य पर गंभीर शोध आलेख । मैथिलीमे 13टा नाटक, 19टा एकांकी, 14टा नुक्कड़ आ 10टा रेडियो नाटक प्रकाशित आ आकाशवाणी सँ प्रसारित । सीनियर फेलोशिप (भारत सरकार), इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिच्यूट (नेपाल), प्रबोध साहित्य सम्मान आदि सँ सम्मानित । संप्रति ज्योतिरीश्वर लिखित मैथिलीक प्रथम पुस्तक वर्णरत्नाकर पर शोध कार्य । श्री महेन्द्र मलगियाक जन्म २० जनबरी १९४६ मे मधुबनी जिलाक मलंगिया गाममे भेलन्हि। मलंगियाजी मैथिली हिन्दी, अंग्रेजी आ नेपाली भाषाक जानकार आ थियेटर शिक्षण, पटकथा लेखन आ तत्सम्बन्धी शोधक फ्रीलान्स शिक्षक छथि। सम्मान, उपाधि आ पुरस्कार: २००६(सीनियर फ़ेलो, मानव ससाधन विकास विभाग, भारत सरकार), २००५ ई. मे मैथिली भाषाक सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रबोध सम्मान, उनाप सम्मान, परवाहा (उवा नाट्य परिषद, परवाहा), भानु कला पुरस्कार (कला जानकी संस्थान, जनकपुर), २००४- पाटलिपुत्र पुरस्कार ( प्रांगन थिएटर, पटना), इप्टा पुरस्कार (कटिहार इप्टा, कटिहार), २००३- गोपीनाथ आर्यल पुरस्कार (इन्टरनेशनल थिएटर इन्स्टीट्यूट, नेपाल), यात्री चेतना पुरस्कार (चेतना समिति, पटना), बैद्यनाथ सियादेवी पुरस्कार (बी.एस.डी.पी. काठमाण्डू), २०००- चेतना समिति सम्मान (चेतना समिति, पटना), जिला विकास धनुषा साहित्य पुरस्कार (जिला विकास समिति, जनकपुर), १९९९- विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान (विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान, दरभंगा), १९९८- रंग रत्न उपाधि (अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य परिषद, राँची), १९९७- सर्वोत्तम निर्देशक पुरस्कार (सांस्कृतिक संस्थान, काठमाण्डू), १९९१- भानु कला पुरस्कार, विराटनगर (भानु कला परिषद, बिराटनगर), १९९०- सर्वनाम पुरस्कार (सर्वनाम समिति, काठमाण्डू), १९८५- आरोहण सम्मान, काठमाण्डू, १९८३- वैदेही पुरस्कार (विद्यापति स्मारक समिति, राँची),
शोध कार्य: सलहेस: एकटा ऐतिहासिक अध्ययन, विरहा: मिथिलाक एकटा लोकरूप, सामा चकेबा: लोकनाट्यक एक अवलोकन, सलहेसक काल निर्धारण, विद्यापतिक उगना, शिवक गण, मधुबनी एकटा नगर अछि, हम जनकपुर छी, ई जनकपुर अछि।
हिनकर दू टा पोथी “ओकरा आँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगाक मैथिली पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर दू टा पोथी त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमाण्डू केर एम.ए. पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर कैकटा आलेख आ किताब सेकेण्डरी आ हायर सेकेण्डरी पाठ्यक्रममे अछि।
प्रकाशित पोथी: नाटक: ओकरा आँगनक बारहमासा, जुआयल कंकनी, गाम नञि सुतय, काठक लोक, ओरिजनल काम, राजा सलहेस, कमला कातक राम, लक्ष्मण आ सीता, लक्ष्मण रेखा खण्डित, एक कमल नोरमे, पूष जाड़ कि माघ जाड़, खिच्चड़ि, छुतहा घैल, ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेर आ कैक ठाम खेलाएल गेल अछि। एकाङ्की: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आन्हरमे एकटा इजोत, गोनूक गबाह, हमरो जे साम्ब भैया, “बिरजू, बिलटू आओर बाबू”, मामा सावधान, देहपर कोठी खसा दिअ, नसबन्दी, आलूक बोरी, भूतहा घर, प्रेत चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बताहि आयल छलय, मालिक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान, फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़ा पाप, मुहक कात, प्राण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मंचित भऽ चुकल अछि। २५ टा चौबटिया नाटक: चक्रव्युह, लटर पटर अहाँ बन्द करू, बाढ़ि फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत, सेर पर सवा सेर, ई गुर खेने कान छेदेने, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ स्कूल जेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़ पर, ककर लाल आदि। ई सभटा चौबटिया वीथीपर खेलायल गेल अछि। ११ टा रेडियो नाटक: आलूक बोरी, ई जनम हम व्यर्थ गमाओल, नाकक पूरा, फटफटिया काका आदि। ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ नेपालक रेडियो स्टेशनसँ प्रसारित भेल अछि। सम्पादन: मैथिली एकाङ्की (साहित्य अकादमी, नई दिल्ली), विदेहक नगरीसँ (कविता संग्रह), मैथिली भाषा पुस्तक (सेकेण्डरी स्कूल पोथी), लोकवेद (मैथिली पत्रिका)। कथा: प्रह्लाद जड़ि गेल, धार, एक दिनक जिनगी, बनैया सुगा, बालूक भीत, बुलबुल्ला आदि। लघुकथा: डपोरशंख, मुहचिड़ा आदि। सदस्यता: अध्यक्ष, मैथिली लोक रंग, सदस्य कार्यकारी बोर्ड, मिनाप, जनकपुर, यात्री मधुबनी, मिथिला सांस्कृतिक मंच, मधुबनी। राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार सभमे सहभागिता।
३९.मैथिलीपुत्र प्रदीप
१. श्री मैथिली पुत्र प्रदीप (१९३६- )। ग्राम- कथवार, दरभंगा। प्रशिक्षित एम.ए., साहित्य रत्न, नवीन शास्त्री, पंचाग्नि साधक। हिनकर रचित "जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर’ आ ’सभक सुधि अहाँ लए छी हे अम्बे हमरा किए बिसरै छी यै" मिथिलामे लेजेंड भए गेलअछि।

४०.अयोध्यानाथ चौधरी
धनुषा, नेपाल 1947-
मूलत: कविक रूपमे परिचित छथि। नेपालक आधुनिक कविताक क्षेत्रमे हिनक नाम उल्लेखनीय अछि। श्री चौधरीक लेखनमे मानवीय संवेदनाक प्रतिबिम्ब पाओल जाइत अछि। कविताक संग कथा आ निबन्धमे सेहो ई कलम चलबैत छथि। फड़िछाएल लेखन हिनक विशेषता थिकनि।धनुषा जिलाक दुहबी गामक रहनिहार श्री चौधरीक जन्म ६अक्टुबर १९४७कऽ भेल छनि। हिनक क्षितिजक ओहिपार नामसँ एक कविता-संग्रह प्रकाशित छनि।–
४१.बी.के कर्ण (1963-)
पिता श्री निर्भय नारायण दास गाम- बलौर, भाया- मनीगाछी, जिला-दरभंगा। पैकेजिंग टेक्नोलोजीमे स्नातकोत्तर आ यू.एन.डी.पी. जर्मनी आ इग्लैण्डक कार्यक्रमक फेलोशिप, २२ वर्षक पेशेवर अनुभव आ २७ टा पत्र प्रकाशित। डायगनोस्टिक मिथिला पेंटिंग आ मिथिलाक सामाजिक-आर्थिक समस्यापर चिन्तन। सम्प्रति इन्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, हैदराबादमे उपनिदेशक (क्षेत्रीय प्रमुख)।—
४२.वृषेश चन्द्र लाल
जन्म 29 मार्च 1955 ई. केँ भेलन्हि। पिताः स्व. उदितनारायण लाल,माताः श्रीमती भुवनेश्वरी देव। हिनकर छठिहारक नाम विश्वेश्वर छन्हि। मूलतः राजनीतिककर्मी । नेपालमे लोकतन्त्रलेल निरन्तर संघर्षक क्रममे १७ बेर गिरफ्तार। लगभग ८ वर्ष जेल । सम्प्रति तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीक राष्ट्री्य उपाध्यक्ष। मैथिलीमे किछु कथा विभिन्न पत्रपत्रिकामे प्रकाशित। आन्दोलन कविता संग्रह आ बी.पीं कोइरालाक प्रसिद्ध लघु उपन्यास मोदिआइनक मैथिली रुपान्तरण तथा नेपालीमे संघीय शासनतिर नामक पुस्तक प्रकाशित। ओ विश्वेश्वर प्रसाद कोइरालाक प्रतिबद्ध राजनीति अनुयायी आ नेपालक प्रजातांत्रिक आन्दोलनक सक्रिय योद्धा छथि। नेपाली राजनीतिपर बरोबरि लिखैत रहैत छथि।
४३.धर्मेन्द्र विह्वलजन्म विक्रम सम्वत २०२३-१२-०४, बस्तीपुर सिरहा,शिक्षा: एम ए (मैथिली/राजनीतिशास्त्र), डिप्लोमा ईन डेभलपमेन्ट जर्नालिज्म, प्रकाशित कृति : एक समयक बात (वि स २०६१ मैथिली हाईकु संग्रह ), रस्ता तकैत जिनगी (वि स २०५०/ कविता संग्रह ),एक सृष्टि एक कविता (२०५७/दीर्घ कविता ),हमर मैथिली पोथी (कक्षा 1 सं ५ धरिक पाठय पुस्तक),सम्प्रति: सभापति, नेपाल पत्रकार महासंघ—

४४.धीरेन्द्र प्रेमर्षि (१९६७- )
मैथिली भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति आदि विभिन्न क्षेत्रक काजमे समान रूपेँ निरन्तर सक्रिय व्यक्तिक रूपमे चिन्हल जाइत छथि धीरेन्द्र प्रेमर्षि। वि.सं.२०२४ साल भादब १८ गते सिरहा जिलाक गोविन्दपुर-१, बस्तीपुर गाममे जन्म लेनिहार प्रेमर्षिक पूर्ण नाम धीरेन्द्र झा छियनि। सरल आ सुस्पष्ट भाषा-शैलीमे लिखनिहार प्रेमर्षि कथा, कविताक अतिरिक्त लेख, निबन्ध, अनुवाद आ पत्रकारिताक माध्यमसँ मैथिली आ नेपाली दुनू भाषाक क्षेत्रमे सुपरिचित छथि। नेपालक स्कूली कक्षा १,२,३,४,९ आ १०क ऐच्छिक मैथिली तथा १० कक्षाक ऐच्छिक हिन्दी विषयक पाठ्यपुस्तकक लेखन सेहो कएने छथि। साहित्यिक ग्रन्थमे हिनक एक सम्पादित आ एक अनूदित कृति प्रकाशित छनि। प्रेमर्षि लेखनक अतिरिक्त सङ्गीत, अभिनय आ समाचार-वाचन क्षेत्रसँ सेहो सम्बद्ध छथि। नेपालक पहिल मैथिली टेलिफिल्म मिथिलाक व्यथा आ ऐतिहासिक मैथिली टेलिश्रृङ्खला महाकवि विद्यापति सहित अनेक नाटकमे अभिनय आ निर्देशन कऽ चुकल प्रेमर्षिकेँ नेपालसँ पहिलबेर मैथिली गीतक कैसेट कलियुगी दुनिया निकालबाक श्रेय सेहो जाइत छनि। हिनक स्वर सङ्गीतमे आधा दर्जनसँ अधिक कैसेट एलबम बाहर भऽ चुकल अछि। कान्तिपुरसँ हेल्लो मिथिला कार्यक्रम प्रस्तुत कर्ता जोड़ी रूपा-धीरेन्द्रक धीरेन्द्रक अबाज गामक बच्चा-बच्चा चिन्हैत अछि। “पल्लव” मैथिली साहित्यिक पत्रिका आ “समाज” मैथिली सामाजिक पत्रिकाक—
४५.ज्योति प्रकाश लाल
ग्राम-जगतपुर, सुपौल, (भारत)।ज्योतिप्रकाश लाल विप्रो टेक्नोलोजी, हैदराबादमे सॉफ्टवेअर अभियन्ता छथि, स्पेन आ यू.एस.ए.मे पहिने काज कए चुकल छथि। एप्लिकेशन आ वेब आधारित सॉफ्टवेअरक निर्माणमे संलग्न। माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन, वाशिंगटनमे विन्डोज ऑपेरेटिंग सिस्टमपर शोध आ विकासमे योगदान। स्कूल, कम्प्य़ुटर इंस्टीट्यूट आ सरकारी पोलीटेकनिकमे शिक्षणक पूर्व अनुभव। वर्तमानमे साक्षातकार आ व्यक्तित्व विकासपर पोथी लिखबामे व्यस्त।
श्री लालमे संगठनात्मक शक्ति छन्हि आ ओऽ विभिन्न ग्रुप आ फोरमसँ जुड़ल छथि। किछु आर अनुभवी सहयोगीक संग ओऽ www.jyoticonsultant.com द्वारा मुफ्त कैरिअर सुझाव दए रहल छथि।–
४६.केदारनाथ चौधरी
जन्म 3 जनवरी 1936 ई नेहरा, जिला दरभंगामे। 1958 ई.मे अर्थशास्त्रमे स्नातकोत्तर, 1959 ई.मे लॉ। 1969 ई.मे कैलिफोर्निया वि.वि.सँ अर्थस्थास्त्र मे स्नातकोत्तर, 1971 ई.मे सानफ्रांसिस्को वि.वि.सँ एम.बी.ए., 1978मे भारत आगमन। 1981-86क बीच तेहरान आ प्रैंकफुर्तमे। फेर बम्बई पुने होइत 2000सँ लहेरियासरायमे निवास। मैथिली फिल्म ममता गाबय गीतक मदनमोहन दास आ उदयभानु सिंहक संग सह निर्माता।तीन टा उपन्यास 2004मे चमेली रानी, 2006मे करार, 2008 मे माहुर।

४७.कृपानन्द झा (1970- ),
जन्म- समौल, मधुबनी, मिथिला। गणितमे स्नातकोत्तर (एल.एन.एम.यू, दरभंगा), बी.लिब. (जामिया मिलिया इस्लामिया) आ सोचाना विज्ञानमे एसोसिएटशिप, आइ.एन.एस.डी.ओ.सी., नई दिल्ली। कृपानन्द जी मीरा बाइ पोलीटेकनिक, महारानी बाग, नई दिल्लीमे व्याखाता छथि। कृपानन्दजी यूथ ऑफ मिथिलाक अध्यक्ष छलाह आ एखन अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक जेनरल सेक्रेटरी छथि। हिनकर ६ टा शोध पेपर सूचना प्रबन्धनक क्षेत्रमे प्रकाशित छन्हि, संगहि हिन्दी आ अग्रेजीमे एक-एकटा कविता सेहो प्रकाशित छन्हि।
४८.कृष्णमोहन झा (1968- )
जन्म मधेपुरा जिलाक जीतपुर गाममे। “विजयदेव नारायण साही की काव्यानुभूति की बनावट” विषयपर जे.एन.यू. सँ एम.फिल आ ओतहिसँ “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में प्रेम की परिकल्पना” विषयपर पी.एच.डी.। हिन्दीमे एकटा कविता सँग्रह “समय को चीरकर” आ मैथिलीमे “एकटा हेरायल दुनिया” प्रकाशित। हिन्दी कविता लेल “कन्हैया स्मृति सम्मान”(1998) आ “हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार” (2003)। असम विश्वविद्यालय, सिल्चरक हिन्दी विभागमे अध्यापन।
४९.कुमार मनोज कश्यप
जन्‌म : १९६९ ई़ मे मधुबनी जिलांतर्गत सलेमपुर गाम मे। स्कूली शिक्षा गाममे आ उच्च शिक्षा मधुबनी मे। बाल्य काले सँ लेखनमे आभरुचि। कैक गोट रचना आकाशवाणी सँ प्रसारित आ विभिन्न पत्र-पत्रिका मे प्रकाशित। सम्प्रति केंद्रिय सचिवालयमे अनुभाग अधिकारी पद पर पदस्थापित।—
५०.हिमांशु चौधरी
पिता : स्वर्गीय कामेश्र्वर चौधरी,माताः श्रीमती चन्द्रावती चौधरी,जन्मः वि स २०२०/६/५ लहान, सिरहा,शिक्षाः स्नातकोत्तर(नेपाली),पेशाः पत्रकारिता (सम्प्रति : राष्ट्रिय समाचार समिति ),कृति : की भार सांठू ? (मैथिली कविता संग्रह), विगत दू दशकसं नेपाली आ मैथिली लेखन तथा अभियानमे निरन्तर क्रियाशील आ विभिन्न संघ संस्थासं आबद्ध।

५१. नीरज कर्ण, धनुषा, नेपाल 1970-

समाजशास्त्रक छात्र आ गणित तथा विज्ञानक शिक्षक छथि, मुदा मैथिली साहित्य आ संगठनक क्षेत्रमे सेहो निरन्तर सक्रिय छथि । भाषा, व्याकरण आदिक मेंही पक्षसभपर सेहो ई पूर्ण अधिकार रखैत छथि । जन्म धनुषा जिलाक कुर्था गाममे भेल छनि । विभिन्न पत्रपत्रिकामे हिनक कथा, कविता, लेख-रचनासभ मैथिली, नेपाली आ अग्ङरेजी भाषामे प्रकाशित होइत रहैत छनि । अनुवादक क्षेत्रमे सेहो हिनक नीक अधिकार छनि ।

५२.श्री आद्याचरण झा (१९२०- )
मंगरौनी। संस्कृतक महान विद्वान। मैथिलीमे मिहिर, बटुक, वैदेहीमे रचना प्रकाशित।
दरभंगा संस्कृत वि.वि. केर प्रतिकुलपति। राष्ट्रपतिसँ सम्मान प्राप्त।

५३.श्री रामलोचन ठाकुर
जन्म १८ मार्च १९४९ ई.पलिमोहन, मधुबनीमे। वरिष्ठ कवि, रंगकर्मी, सम्पादक, समीक्षक। भाषाई आन्दोलनमे सक्रिय भागीदारी। प्रकाशित कृति- इतिहासहन्ता, माटिपानिक गीत, देशक नाम छल सोन चिड़ैया, अपूर्वा (कविता संग्रह), बेताल कथा (व्यंग्य), मैथिली लोक कथा (लोककथा), प्रतिध्वनि (अनुदित कविता), जा सकै छी, किन्तु किए जाउ(अनुदित कविता), लाख प्रश्न अनुत्तरित (कविता), जादूगर (अनुवाद), स्मृतिक धोखरल रंग (संस्मरणात्मक निबन्ध), आंखि मुनने: आंखि खोलने (निबन्ध)।–
५४.प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र (१९४५- )
पूर्व अध्यक्ष, इतिहास विभाग, ल.ना.मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा। अनुवादक, निबन्धकार। प्रकाशन: तमिल साहित्यक इतिहास, भवभूति (दुनू अनुवाद)।

५५.डॉ शंभु कुमार सिंह
जन्म: 18 अप्रील 1965 सहरसा जिलाक महिषी प्रखंडक लहुआर गाममे। आरंभिक शिक्षा, गामहिसँ, आइ.ए., बी.ए. (मैथिली सम्मान) एम.ए. मैथिली (स्वर्णपदक प्राप्त) तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। BET [बिहार पात्रता परीक्षा (NET क समतुल्य) व्याख्याता हेतु उत्तीर्ण, 1995] “मैथिली नाटकक सामाजिक विवर्त्तन” विषय पर पी-एच.डी. वर्ष 2008, तिलका माँ. भा.विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। मैथिलीक कतोक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे कविता, कथा, निबंध आदि समय-समय पर प्रकाशित। वर्तमानमे शैक्षिक सलाहकार (मैथिली) राष्ट्रीय अनुवाद मिशन, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर-6 मे कार्यरत।
५६.श्याम सुन्दर शशि
जनकपुरधाम, नेपाल। पेशा-पत्रकारिता। शिक्षा: त्रिभुवन विश्वविद्यालयसँ, एम.ए. मैथिली, प्रथम श्रेणीमे प्रथम स्थान। मैथिलीक प्रायः सभ विधामे रचनारत। बहुत रास रचना विभिन्न पत्र-पत्रिकामे प्रकाशित। हिन्दी, नेपाली आ अंग्रेजी भाषामे सेहो रचनारत आ बहुतरास रचना प्रकाशित। सम्प्रति- कान्तिपुर प्रवासक अरब ब्यूरोमे कार्यरत।–
५७.श्री बैकुण्ठ झा
पिता-स्वर्गीय रामचन्द्र झा, जन्म-२४-०७-१९५४ (ग्राम-भरवाड़ा, जिला-दरभंगा), शिक्षा-स्नायतकोत्तर (अर्थशास्त्र),पेशा- शिक्षक। मैथिली, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा मे लगभग २०० गीत कऽ रचना। गोनू झा पर आधारित नाटक ''हास्यशिरोमणि गोनू झा तथा अन्य कहानी कऽ लेखन। अहि के अलावा हिन्दी मे लगभग १५ उपन्यास तथा कहानीक लेखन।
५८.श्री विद्यानन्द झा
पञ्जीकार प्रसिद्ध मोहनजी
जन्म-09.04.1957, पण्डुआ, ततैल, ककरौड़ (मधुबनी), रशाढ़य (पूर्णिया), शिवनगर (अररिया) आ’ सम्प्रति पूर्णिया। पिता लब्ध धौत पञ्जीशास्त्र मार्त्तण्ड पञ्जीकार मोदानन्द झा, शिवनगर, अररिया, पूर्णिया|पितामह-स्व. श्री भिखिया झा। पञ्जीशास्त्रक दस वर्ष धरि 1970 ई.सँ 1979 ई. धरि अध्ययन,32 वर्षक वयससँ पञ्जी-प्रबंधक संवर्द्धन आ संरक्षणमे संलग्न।–

५९.विनीत उत्पल (१९७८- )।
आनंदपुरा, मधेपुरा। प्रारंभिक शिक्षासँ इंटर धरि मुंगेर जिला अंतर्गत रणगांव आs तारापुरमे। तिलकामांझी भागलपुर, विश्वविद्यालयसँ गणितमे बीएससी (आनर्स)। गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालयसँ जनसंचारमे मास्टर डिग्री। भारतीय विद्या भवन, नई दिल्लीसँ अंगरेजी पत्रकारितामे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्लीसँ जनसंचार आऽ रचनात्मक लेखनमे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन, जामिया मिलिया इस्लामियाक पहिल बैचक छात्र भs सर्टिफिकेट प्राप्त। भारतीय विद्या भवनक फ्रेंच कोर्सक छात्र।
आकाशवाणी भागलपुरसँ कविता पाठ, परिचर्चा आदि प्रसारित। देशक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे विभिन्न विषयपर स्वतंत्र लेखन। पत्रकारिता कैरियर- दैनिक भास्कर, इंदौर, रायपुर, दिल्ली प्रेस, दैनिक हिंदुस्तान, नई दिल्ली, फरीदाबाद, अकिंचन भारत, आगरा, देशबंधु, दिल्ली मे। एखन राष्ट्रीय सहारा, नोएडा मे वरिष्ट उपसंपादक।—
६०.देवांशु वत्स
मैथिली चित्र-श्रृंखला (कॉमिक्स)
जन्म- तुलापट्टी, सुपौल। मास कम्युनिकेशनमे एम.ए। हिन्दी, अंग्रेजी आ मैथिलीक विभिन्न पत्र-पत्रिकामे कथा, लघुकथा, विज्ञान-कथा, चित्र-कथा, कार्टून, चित्र-प्रहेलिका इत्यादिक प्रकाशन। विशेष: गुजरात राज्य शाला पाठ्य-पुस्तक मंडल द्वारा आठम कक्षाक लेल विज्ञान कथा “जंग” प्रकाशित (2004 ई.)-


६१.जीवकान्त- पूर्ण नाम- जीवकान्त झा
पिता-गुणानन्द झा, माता-महेश्वरी देवी, जन्म तिथि-२५.०७.१९३६ स्थान अभुआढ़, जिला-सुपौल
शिक्षा-मैट्रिक (१९५५ उ.वि.डेवढ़), आइ.एस.सी. (१९५७ आर.के.कॉलेज, मधुबनी), बी.ए. (१९६४ बिहार वि.वि.स्वतंत्र छात्र), डिप.इन.एड.(१९६९ मिथिला वि.वि.)
नौकरी-उच्च विद्यालयमे सहायक शिक्षक। विज्ञान शिक्षक (उ.वि.खजौली १९५७-८१), हिन्दी शिक्षक (उ.वि.डेओढ़ एवं उ.वि.पोखराम १९८१-९८)
पहिल रचना-इजोड़िया आ टिटही (कविता, जनवरी १९६५ मिथिला मिहिर)
पहिल छपल पोथी- दू कुहेसक बाट (उपन्यास १९६८)
नवीनतम पोथी-खिखिरक बीअरि (२००७ बाल पद्य कथा), अठन्नी खसलइ वनमे (पद्य-कथा संग्रह) आ पंजरि प्रेम प्रकासिया (जीवन-वृत्तक अंश) प्रेसमे
पुरस्कार-साहित्य अकादेमी (दिल्ली १९९८), किरण सम्मान (१९९८), वैदेही सम्मान (१९८५)
प्रकाशित पोथी-
कविता संग्रह:
नाचू हे पृथ्वी (७१), धार नहि होइछ मुक्त (९१), तकैत अछि चिड़ै (९५), खाँड़ो (१९९६), पानिमे जोगने अछि बस्ती (९८), फुनगी नीलाकाशमे (२०००), गाछ झूल-झूल (२००४), छाह सोहाओन (२००६), खिखिरिक बीअरि (२००७)
कथा-संग्रह:
एकसरि ठाढ़ि कदम तर रे (७२), सूर्य गलि रहल अछि (७५), वस्तु (८३), करमी झील (९८)
उपन्यास:
दू कुहेसक बाट(६८), पनिपत(७७), नहि, कतहु नहि (७६), पीयर गुलाब छल (७१), अगिनबान (८१)
हिन्दी अनुवाद- निशान्त की चिड़िया (हिन्दी अनुवाद-तकैत अछि चिड़ै, साहित्य अकादमी, दिल्ली २००३)



जीवकांत 1936-

जन्म स्थान ड्योढ़, घोघरडीहा, मधुबनी, बिहार । विशिष्ट कथाकार, कवि, उपन्यासकार । ’तकैत अछि चिड़ै’ (कविता) हेतु साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति: एकसरि ठाढ़ि कदम तर रे, सूर्य गलि रहल आछि, वस्तु, करमी झील (कथा संग्रह), दू कुहेसक बाट, पीयर गुलाब छल, नहि कतहु नहि पनिपत, अगिनबान (उपन्यास), नाचू हे पृथ्वी, तकैत अछि चिड़ै, खाँड़ो (कवितासंग्रह)।

६२. महाकवि लालदास 1856-1921

हिनक जन्म खड़ौआ ग्राममे १८५६ ई. मे तथा मृत्यु १९२१ ई. मे भेलन्हि । हिनक अनेक रचना उपलब्ध होइत अछि, यथा—रमेश्वर चरित रामायाण,’ स्त्री शिक्षा,’ ’सावित्री-सत्यवान,’ ’चण्डी चरित,’ ’विरुदावली,’ ’दुर्गा सप्तशती,’ तन्त्रोक्त मिथिला माहात्म्य’ आदि । मैथिलीक अतिरिक्त ई संस्कृत, हिन्दी तथा फारसीक ज्ञाता छलाह । कविताक अतिरिक्त गद्यमे सेहो ई रचना कएल । रमेश्वर चरित रामायण हिनक सभसँ विशिष्ट ग्रन्थ अछि । राम-कथाक उल्लेखमे सीताक महिमाक महत्त्व दए मिथिला तथा मैथिलीक प्रति ई अपन श्रद्धा तथा भक्तिकेँ व्यक्त कएल अछि ।

६३.म. म. परमेश्वर झा 1856-1924

जन्म 1856 ई. मे तरौनी ग्राम (दरभंगा) जिलामे भेल छलन्हि तथा निधन 1924 ई. मे । संस्कृत व्याकरणक ई दिग्गज विद्वान् छलाह तथा ‘वैयाकरण केशरी’ क उपाधिसँ विभूषित छलाह । मैथिली साहित्यमे अपन कृति ‘मिथिलातत्त्व विमर्श’ तथा ‘सीमंतिनी आख्यायिका’क कारणे महत्त्वपूर्ण स्थान रखैत छथि । ई महाराज रमेश्वर सिंहक दरवारमे राज-पंडितक पदपर अनेको वर्ष धरि सुप्रतिष्ठित छलाह ।

६४.मुकुन्द झा "बख्शी" 1869-1936

जन्म हरिपुर बख्शी टोल ग्राम (मधुबनी जिला) मे 1869 ई. मे भेल तथा हिनक निधन काशीमे 1937 ई. मे भेलन्हि । हिनक लिखल संस्कृत मे अनेक ग्रंथ अछि । मैथिलीमे हिनक महत्त्वपूर्ण कृति अछि ‘मिथिला भाषामय इतिहास’ । एकर अतिरिक्त मैथिलीमे हिनक स्फुट निबन्ध सभ सेहो प्रकाशित भेल । मिथिलाक ऐतिहासिक वर्णन सभसँ पहिने हिनके प्रकाशित भेल । एहि इतिहासमे मिथिलाक सर्वतोमुखी परिचय प्रस्तुत कएल गेल अछि ।

६५.डॉ. सर गंगानाथ झा 1871-1941

जन्म मधुबनी जिलाक सरिसब-पाही ग्राममे 1871 ई. मे भेल तथा निधन प्रयागमे 1941 ई. मे । ई अपना समयक संस्कृतक प्रकाण्ड विद्वान म. म. चित्रधर मिश्र, म. म. जयदेव मिश्र तथा म. म. शिवकुमार शास्त्नीसँ मीमांसा एवं दर्शनक अध्ययन कएलन्हि तथा दर्शनक विभित्र दुरूह ग्रंथक अङरेजीमे अनुवाद कए पाश्चात्य संसारक ध्यान आकृष्ट कएलन्हि । ई गवर्नमेन्ट संस्कृत कॉलेज बनारसमे 1917 सँ 1923 धरि प्रिसिपल छलाह तथा एलाहाबाद विश्वविद्यालयक 1923 सँ 1932 पर्यन्त कुलपति रहलाह । मैथिलीमे हिनक सम्पादित चन्दा झाक ‘महेशवाणी संग्रह’ तथा ‘गणनाथ-विन्ध्यनाथ पदावली’ प्रकाशित अछि । मैथिली साहित्य परिषद् द्वारा प्रकाशित हिनक ‘वेदान्त दीपक’ (दर्शन) विषयक अपूर्व ग्रंथ अछि । एहिसँ भिन्न हिनक निबंध सभ सामयिक मैथिली पत्न-पत्निकामे प्रकाशित अछि ।

६६. बलदेव मिश्र 1890-1975

हिनक जन्म सहरसा जिलाक वनगाँव ग्राममे 1890 ई. मे एवं निधन फरवरी, 1975मे भेलन्हि । प्रारम्भमे पं. गेनालाल चौधरीसँ ज्यौतिष पढ़ि ई काशीमे पं. सुधाकर द्विवेदीजीक शिष्य भेलाह । बहुत वर्ष धरि सरस्वती भवन (वाराणसी) मे हस्तलिखित विभागमे कार्य कएल । पश्चात् पटनाक काशीप्रसाद जयसवाल रिसर्च संस्थानमे अनेक प्राचीन तिब्बती हस्तलिपिकेँ देवनारीमे लिप्यन्तरित कएल। ’मिथिलामोद’ प्रकाशन एवं म.म. मुरलीधर झाक प्रोत्साहनसँ ज्यौतिषीजी १९१० ई.सँ ’मोद’मे लिखए लगलाह। हिनक प्रकाशित रचना अछि—’रामायण शिक्षा’, ’चन्दा झा’, ’संस्कृति’, ’भारत शिक्षा’, ’गप्प-सप्प विवेक’, ’समाज’ आदि । पण्डितजी यावत् धरि पटना रहलाह बराबरि ’मिहिर’मे लिखैत रहलाह ।

६७.सीताराम झा 1891-1975

जन्म चौगामा ग्राममे १८९१ ई.मे तथा निधन १९७५ ई. मे भेलन्हि । संस्कृतमे ज्योतिष शास्त्रक अनेक रचनाक .अतिरिक्त मैथिलीमे हिनक ’अम्ब चरित’ (महाकाव्य), ’सूक्ति सुधा,’ लोक लक्षण,’ ’पढ़ुआचरित,’ ’पूर्वापर व्यवहार,’ उनटा बसात,’ ’अलंकार दर्पण’, ’भूकम्प वर्णन’, ’काव्य षट-रस’, ’मैथिली काव्योपवन’, आदि ग्रन्थ उपलब्ध अछि । हिनक गीताक मैथिली अनुवाद सेहो उपलब्ध अछि । मिथिला मोदक सम्पादन १९२० ई.सँ १९२७ ई. धरि ई कएल ।

६८.बद्रीनाथ झा 1893-1973

जन्म मधुबनी जिलाक सरिसव ग्राममे १८९३ ई. मे भेलन्हि तथा १९१४ ई. मे ई काशी लाभ कएलिन्ह । बहुत दिन धरि ई मुजफ्फरपुरक धर्म्म समाज संस्कृत कॉलेजमे साहित्यक अध्यापक छलाह । मैथिलीक विख्यात कवि लोकनि यथा सुमनजी, मधुपजी, मोहनजी आदि हिनक शिष्य छथिन्ह । संस्कृत साहित्यमे हिनक अनेक रचना अछि । जाहिमे राधा परिणय’ (महाकाव्य) क स्थान विशिष्ट अछि । मैथिलीमे हिनक ’एकावली परिणय’ (महाकाव्य) एक नवीन कीर्तिमान स्थापित कएलक। कोनो अलंकारक दृष्टान्त तकबाक हेतु ’एकावली परिणय’ पर्याप्त अछि ।

६९.उमेश मिश्र 1895-1967

जन्म मधुबनी जिलाक गजहरा ग्राममे 1895 ई. मे भेल छलन्हि । ई एकहतरि वर्षक आयुमे १९६७ ई. मे प्रयागमे स्वर्गवासी भेलाह । ई अपन स्वनाम-धन्य पिता म. म. जयदेव मिश्र तथा म. म. डा. गंगानाथ झाक सान्निध्यमे विद्यार्जन कएल। १९२३ सँ १९५९ धरि मिश्रजी एलाहाबाद विश्वविद्यालयमे संस्कृतक प्राध्यापक छलाह । दरभंगा ’मिथिला शोध संस्थान’क निदेशक पदपर किछु समय कार्य कए १९६२ सँ ६५ धरि कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालयक कुलपति रहलाह ।म. म. मुरलीधर झासँ प्रभावित भए ’मिथिलामोद’मे ई लिखब प्रारम्भ कएलन्हि तथा अपन विविध प्रकारक रचनासँ मैथिलीक गद्यकेँ समृद्ध् कएलन्हि । मैथिलीमे हिनक प्रसिद्ध ग्रन्थ अछि—’कमला’ (शेक्सपीयरक ’टेम्पेस्ट’क भावानुवाद), ’नलोपाख्यान’, ‘मैथिली-संस्कृति’ तथा अनेक वर्णनात्मक एवं आलोचनात्मक निबन्ध; मनबोधक कृष्णजन्मक सम्पादन, विद्यापतिक कीर्तिलता, कीर्तिपताका, गोरक्ष विजय आदिक अनुवाद-सम्पादन सेहो कएल।

७०. अमरनाथ झा 1897-1955

सरिसब पाहीटोल ग्राममे १८९७ ई. मे भेल । हिनक निधन पटनामे जखन ई बिहार लोक सेवा आयोगक अध्यक्ष छलाह, १९५५ मे भेलन्हि । ई एलाहाबाद विश्वविद्यालयक नओ वर्ष धरि कुलपति रहि पश्चात् हिन्दू विश्वविद्यालयक सेहो कुलपतिक पदकेँ सुशोभित कएलन्हि । ई अंगरेजीक प्रकाण्ड विद्वान् छलाह, ताहि संग हिन्दी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, बङला एवं मैथिलीक सेहो अद्भुत विद्वान् छलाह ।मैथिलीमे हिनका द्वारा सम्पादित ‘हर्षनाथ काव्य ग्रन्थावली’ तथा ‘गोविन्ददासक श्रृग्ङारभजन’ महत्त्वपूर्ण अछि । एहिसँ भिन्न हिनक मैथिली साहित्य परिषदक अध्यक्षीय भाषण तथा अन्य लेख प्रकाशित अछि ।

७१. भोलालाल दास 1897-1977

हिनक जन्म दरभंगा जिलाक कसरौर मे भेलन्हि । साहित्य सर्जनाक अतिरिक्त अपन संगठन क्षमता तथा मैथिली साहित्यक सर्वतोमुखी विकासक हेतु सतत तत्पर रहबाक कारणेँ भोला बाबू मैथिली संसारक एक स्तम्भक रूपमे रहलाह । हिनक निधन 1977 ई. मे भेल ।

मैथिलीक प्रचार-प्रसारमे ई अपन जीवन समपित कएने छलाह। पाठ्यक्रममे मैथिलीकेँ स्थान हो ताहि हेतु ई बीड़ा उठओलन्हि । विद्यालय स्तरक अनेक पोथीक निर्माण कएल । मैथिली साहित्य परिषदक ई संस्थापक मण्डलक सदस्य छलाह । 1931 सँ 1940 ई. पर्यन्त ओकर प्रधान मन्त्नी रहलाह । हिनक मन्त्नित्वकालमे ’भारती’ नामक मासिक पत्नक प्रकाशन भेल । एहिसँ पूर्व (१९२९-३१) कुशेश्वर कुमरजीक संग संयुक्त सम्पादनमे ’मिथिला’ नामक पत्न चलाओल ।

ई नवीन एवं प्रगतिशील विचारक लोक छलाह । ननव लेखककेँ प्रोत्साहित करब, शैलीमे एकरूपता आनब, नव प्रकाशनसँ मैथिलीक साहित्य भंडारक पूर्त्ति करब हिनक कर्त्तव्य बनि गेल छल ।

हिनक लिखल ‘मैथिली व्याकरण’ तथा हिनकहि द्वारा सम्पादित ‘गद्यकुसुमांजलि बहुत दिन धरि विद्यालयमे पढ़ाओल जाइत रहल । हिनक लिखल अनेक निबन्ध समालोचना, कविता, संस्मरण, जीवनी-साहित्य मैथिलीक पत्र-पत्निकामे छिड़िआएल अछि ।

७२. कुमार गंगानन्द सिंह 1898-1971

जन्म—बनैली राजपरिवारमे 24-9-1898, मृत्यु:-श्रीनगर पूर्णिञा 17-1-1970 । भूतपूर्व शिक्षामंत्नी, बिहार एबं कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ।रचना—अगिलही (उपन्यास) तथा अनेक कथा एवं एकांकी । साहित्यकारक रूपमे अगिलही लएकेँ विशेष रव्याति । युगक अनुरूप सामाजिक कुरीति आदिकेँ आधार बनाए सुधारवादी दृष्टिएँ कथा सभहिक रचना|

७३. रमानाथ झा 1906-1971

जन्म दरभंगा जिलाक उजान (धर्मपुर) ग्राममे 1906 ई. मे एवं हिनक निधन दरभंगामे १९७१ ई. मे भेलन्हि । 1930 ई. मे अङरेजीमे एम. ए. कएलाक बाद ई कतोक वर्ष धरि मधेपुर उच्च विद्यालयक प्रधानाध्यापक छलाह, तकरा बाद दरभग्ङा-राज-लाइब्रेरीक पुस्तकालयाध्यक्षक रूपमे 1936 सँ अन्तिम समय धरि रहलाह । 1952 सँ 62 चन्द्रधारी मिथिला कॉलेजमे प्रो. झा अङरेजीक प्राध्यापक रूपेँ काजka पश्चात् ओही कॉलेजमे मैथिली विभागाध्यक्ष बनाओल गेलाह । 1965 मे रमानाथ बाबू साहित्य अकादमीक मैथिलीक प्रतिनिधि निर्वाचित भेलाह जाहि पद पर ओ जीवनक अन्त समय तक रहलाह ।

हिनक रचनाक क्षेत्न बहुत व्यापक छल । हिनक अनुसंधानात्मक निबंक दू गोट संग्रह ‘निबन्धमाला’ तथा ‘प्रबंध संग्रह’ प्रकाशित अछि । संकलित सम्पादित पुस्तक सभमे ‘मैथिली पद्य-संग्रह’, ‘मैथिली गद्य-संग्रह’, ‘प्राचीन गीत’, ‘कथा काव्य’, ‘नवीन गीत’, ‘कविता कुसुम’, ‘कथा संग्रह’ आदि अछि । ‘कथासरित्सागर’क आधार पर प्राञ्जल गद्य शैलीमे हिनक ‘उदयन-कथा’ तथा ‘बररुचि-कथा’ बेश ख्याति पओलक । व्याकरणक ‘मिथिला भाषा प्रकाश’, ‘अलक्ङारप्रवेश’ आदि अनेक ग्रन्थ प्रकाशित अछि । ‘मैथिली साहित्य पत्र’ त्नैमासिक पत्रिकाक संपादक।

७४. काशीकान्त मिश्र "मधुप" 1906-1987

’राधाविरह’ (महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक प्रशस्त कवि आ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता ’झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि । प्रकृति प्रेमक विलक्षण कवि । ’घसल अठन्नी कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना—दुहू स्तर पर चरम लोकप्रियता भेटलनि।

७५. कांञ्चीनाथ झा "किरण" 1906-1988

जन्म स्थान-धर्मपुर,लोहना रोड, दरभंगा बिहार । मैथिली भाषा आंदोलनमे महत्वपूर्ण भूमिका। ’पराशर’ महाकाव्य लेल साहित्य अकादमी ओ ’कथा किरण’ लेल वैदेही पुरस्कारसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति: चंद्रग्रहण (उपन्यास), वीर-प्रसून (बालकथा), जय जन्मभूमि (एकांकी), विजेता विद्यापति (नाटक), कथा-किरण (कथा-संग्रह), किरण-कवितावली, कतेक दिनक बाद (कविता-संग्रह), पराशर (महाकाव्य) ओ किरण-निबंधावली (निबंध-संग्रह) आदि।

७६. ईशनाथ झा 1907-1965

बहुमुखी प्रतिभाक कवि । प्राचीन आ नवीन पद्धतिक काव्य-रचनाक विलक्षण संयोग हिनकर कवितामे भेटैत अछि । दलित वर्ग, शोषणक समस्या, स्वदेश प्रेमक यथार्थवादी रचनाक संग संग व्यक्तिनिष्ठ कल्पनाक अनेक विशिष्ट कविता मैथिलीमे लिखलनि ।

७७. भुवनेश्वर सिंह 'भुवन' 1907-1944

अपन खाढ़ीक बहुमुखी प्रतिभाक कवि । प्राचीन आ नवीन रीतिक कविताक रचना विपुल संख्यामे कएलनि । ’भुवन भारती’ कविता संकलन प्रकाशनसँ मैथिली ओज आ नव चेतनाक शंख फुकलनि।

७८. तंत्रनाथ झा 1909-1984

जन्म १९०९ ई मे दरभंगा जिलाक धर्मपुर ग्राममे भेलन्हि मुत्यु ४-५-’८४,चन्द्रधारी मिथिला कॉलेजमे अर्थशास्त्नक प्राध्यापक छलाह । अवकाश ग्रहण क काव्य साधनामे लागल रहलाह । महाकाव्य, मुक्तक, एकांकी सभ विधामे ई सिद्ध हस्त छलाह । हिनक ’कीचक वंध’ महाकाव्य अङरेजीक ‘ब्लैक्ङ भर्स’ (अमित्नाक्षर छन्द) म लिखल अछि । मैथिलीमे ’सौनेट’ एवं ब्लैक्ङ भर्स’क ई प्रथम प्रयोक्ता थिकाह । संस्कृत परम्परामे काव्य रचना करितहुँ पाश्चात्य शैलीक नवीनता हिनका रचनामे भेल । हिनक ’कीचक वध’ ओ ’कृष्ण चरित’ महाकाव्य—‘मङ्गल-पञ्चाशिका’ एवं ‘नमस्या’ मैथिली साहित्यमे अपन विशिष्ट स्थान रखैछ । तकर अतिरिक्त मुक्तक काव्यमे विषय वस्तुक व्यापकता एवं शिल्प शैलिक प्रचुरता अबैत अछि । एक दिश यदि प्राचीन ढंगक ईश्बर वन्दनाक रचना कएलन्हि तँ दोसर दिस ‘सौनेट’ (चतुर्दशपदी) ‘बैलेड’ आदि लिखबामे पूर्ण सफलता प्राप्त कएलन्हि ।‘कृष्ण चरित’ महाकाव्य पर हिनका 1979 ई क साहित्यक अकादमी पुरस्कार भेटलन्हि । 1980 ई. मे हिनका अभिनन्दन ग्रन्थसमर्पित कएल गेलन्हि ।

७९. सुरेन्द्र झा 'सुमन' 1910-2002

जन्म: ग्राम : बल्लीपुर, जिला-समस्तीपुर । प्रकाशित कृति: प्रतिपदा, अर्चना,साओन-भादव,अंकावली, अन्तर्नाद, पयस्विनी, उत्तरा आदि तीससँ अधिक मौलिक कविता-पुस्तक;पुरुष-परीक्षा, अनुगीतांजलि, ऋतु श्रृंगार तथा वर्णरत्नाकर, पारिजात-हरण, कृष्णजन्म, आनन्द-विजय आदि कतिपय ग्रन्थक अनुवाद-संपादन; ’मैथिली काव्य पर संस्कृतक प्रभाव’ नामक समीक्षा-ग्रंथ। ’पयस्विनी’ लेल १९७१ मे साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा ’उत्तरा’ पर १९१८ मे मैथिली अकादेमीक विद्यापति पुरस्कार प्राप्त । मैथिलीक प्रथम दैनिक पत्र ’स्वदेश’क लब्धप्रतिष्ठ सम्पादक।

८०. उपेन्द्र ठाकुर 'मोहन' 1913-1980

जन्म १९१३ ई. मे दरभंगा जिलाक चतरिया ग्राममे भेलन्हि । मृत्यु २४-५-१९८० । संस्कृत शिक्षामे साहित्याचार्य ओ बड़ौदा राजक विद्वत्-परीक्षासँ ‘साहित्य-रत्न’क उपाधिसँ विभूषित भेलाह । दैनिक आर्यावर्तमे आदिअहिसँ, पश्चात् १९६० सँ मिथिला मिहिरक उप-सम्पादक एवं सह-सम्पादक रूपेँ कार्य करैत १९७७ मे सेवा निवृत भेलाह ।मोहनजी करीब पचास वर्ष साहित्य साधनामे लागल रहलाह । विजयानन्द, कुंजरंजन, सुदर्शन, पुण्डरीक, शास्त्नी, बामन आदि छद्म नामसँ पत्न-पत्निकामे विविध विषयपर हिनक लेख सभ प्रकाशित भेल अछि ।मोहन जीक ‘बाजि उठल मुरली’मे १०१ गोट कविताक संकलन अछि जाहिमे हिनक सुदीर्घ काव्य-आराधनाक विभित्र विचारधाराक ओ विभित्र अनुभूतिक सामग्री उपलब्ध अछि । एहि पुस्तकपर मोहन’जीकेँ १९७८ मे साहित्य अकादम् पुरस्कार भेटलन्हि। एहिसँ बहुत पूर्व हिनक ’फुलडाली’ नामक कविता संग्रह सेहो प्रकाशित भेल छल |

८१. पञ्जीकार मोदानन्द झा 1914-1998

लब्ध धौत पञ्जीशास्त्र मार्त्तण्ड पञ्जीकार मोदानन्द झा, शिवनगर, अररिया, पूर्णिया। पिता-स्व. श्री भिखिया झा। गुरु- पञ्जीकार भिखिया झा। शास्त्रार्थ परीक्षा- दरभंगा महाराज कुमार जीवेश्वर सिंहक यज्ञोपवीत संस्कारक अवसर पर महाराजाधिराज(दरभंगा) कामेश्वर सिंह द्वारा आयोजित परीक्षा-1937 ई. जाहिमे मौखिक परीक्षाक मुख्य परीक्षक म.म. डॉ. सर गंगानाथ झा छलाह।

८२. उपेन्द्र नाथ झा 'व्यास' 1917-2002

जन्म स्थान-हरिपुर वकशीटोल, मधुबनी, बिहार । ’दू-पत्र’ लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित । साहित्य अकादेमीक अनुवाद पुरस्कार प्राप्त । प्रकाशित कृति: कुमार, दू पत्र (उपन्यास), विडंबना, भजना भजले (कथा-संग्रह), पतन संन्यासी, प्रतीक (काव्य), महाभारत (पहिल दू पर्व) आदि।

८३. ब्रजकिशोर वर्मा 'मणिपद्म' 1918-1986

जन्म स्थान-बहेड़ा, दरभंगा बिहार । नैका बनिजार (उपन्यास) लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित । उपन्यासकार, कथाकार ओ कवि । प्रकाशित कृति: कोब्रागर्ल, कनकी, अर्द्धनारीश्वर, लोरिक विजय, नैका-बनिजारा, लवहरि-कुशहरि, राय रणपाल, आदिम गुलाम आदि उपन्यास ओ कंठहार (नाटक) आदि।

८४.बुद्धिधारी सिंह रमाकर 1919-1991

जन्म मधुबनीमे 1919 ई. मे भेल । अपन पिता स्व. क्षेमधारी सिंहसँ विभित्र विषयक शिक्षा ग्रहण कएलन्हि । ई रामकृष्ण कॉलेज, मधुबनीक मैथिली विभागाध्यक्ष छलाह । जतएसँ अवकाश प्राप्त कएलन्हि । बाल्या-वस्थहिसँ ई कविकार्यमे लागल रहलाह अछि । संस्कृत तथा मैथिली दुनू भाषामे हिनक रचना प्रकाशित अछि । यथा—मैथिलीमे ‘प्रयास’ (कथा-संग्रह), ‘मधुमती’, ‘अमरबापू’ (कविता-संग्रह), ‘शरशय्या’ (खंड-काव्य) ‘स्मृति साहस्री’ (महाकाव्य) आदि ।

८५. गोविन्द झा 1923-

जन्मस्थान-इसहपुर, सनकोर्थु सरिसब पाही, मधुबनी, बिहार । प्रसिद्धकथाहार,उपन्यासकार, नाटककार, भाषा वैज्ञानिक ओ अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कारसँ सम्मानित। बिहार सरकारसँ कामिल बुल्के पुरस्कार, ग्रियर्सन पुरस्कार आदिसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति: उपन्यास, नाटक, कथा, कविता, भाषा विज्ञान आदि विभिन्न विधामे अड़तीस टा पोथी प्रकाशित । प्रकाशन: सामाक पौती,नेपाली साहित्यक इतिहास (अनु) आदि । प्रबोध सम्मान 2006 सँ सम्मानित।

८६. सुधांशु शेखर चौधरी 1922-1990

जन्म दरभंगाक मिश्रटोलामे 1922 ई. मे भेलन्हि तथा मृत्यु 1990 ई. मे भेलन्हि । किछु दिन विभिन्न जीविकामे रहि पश्चात् साहित्यकारक जीवन प्रारम्भ कएल । किछु दिन ‘बैदेही’क सम्पादन श्री सुमनजी एवं श्री कृष्णकान्त मिश्रजीक संग कएल तत्पश्चात् 1060 ई. सँ 1982 ई. धरि पटनामे ‘मिथिला मिहिर’’क सफल सम्पादन कएल ।हिनक दू गोट नाट्यकृति-‘भफाइत चाहक जिनगी’, लेटाइत आँचर’, तथा ‘पहिल साँझ’ हिनक नाटकक नीक व्यावहारिक अनुभवक परिचायक अछि ।छद्मनामसँ हिनक दू गोट उपन्यास मिहिर’ मे प्रकाशित भेल अछि । हिनक उपन्यास ई वतहा संसार’ जे मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित भेल आ जाहि पर 1980 क साहित्य अकादमीक पुरस्कार देल गेल |

८७. योगानन्द झा 1923-1986

हिनक जन्म मधुबनी जिलाक कोइलख ग्राममे 1923 ई. मे भेलन्हि । मृत्यु 1986 मे भेलनि । अग्रेजीमे एम. ए. कएलाक पश्चात् ई किछु दिन चन्द्रधरी मिथिला कॉलेजमे प्राध्यापक रहलाह । बिहार प्रशासनिक सेवामे 1981 धरि विभिन्न पदपर कार्य कएल । तत्पश्चात्मैथिली अकादमीक निदेशक ’84 धरि ।योगानन्द झाजी मैथिली साहित्यमे अपन उपन्यास ‘भलमानुस’ एवं ‘पवित्ना’क हेतु ख्यात छथि । हिनक नाटक ‘मुनिक मतिभ्रम’ एवं कथा संग्रह ‘उड़ैत वंशी’ यथेष्ट प्रतिष्ठा प्राप्त कएने अछि । एकर अतिरिक्त ई महात्मा गान्धीक आत्मकथाक अनुवाद एवं ‘आमक जलखरी’ नामक एक कथा संग्रहक सम्पादन सेहो कएने छथि |

८८. रामकृष्ण झा 'किसुन' 1923-1970

आधुनिक धाराक विशिष्ट कवि, कथाकार, चिन्तक । प्रकाशित कृति: आत्मनेपद (कविता संग्रह), मैथिली नवकविता (सम्पादन)। मृतयुपरान्त ’किसुन रचनावली’ तीन खण्डमे प्रकाशित ।

८९. उमानाथ झा 1923-

जन्म:-1-1-1923: महरैल, भधुबनी ।भूतपूर्व अङरेजी विभागाध्यक्ष एवं प्रति-कुलपति मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा । रचना:-रेखाचित्न, अतीत (कथा संग्रह); मैथिली नवीन साहित्य, इन्द्र धनुष, विद्यापति गीतशती (सम्पादन)।

९०. प्रबोध नारायण सिंह 1924-2005

हिन्दी, संस्कृत, मैथिली, पाली एवं फारसीक विद्वान्। मिथिला, मैथिल एवं मैथिलीक ई अनन्य भक्त छथि । कलकत्ता रहि मिथिला दर्शन’, मैथिली कविता’, मैथिली रंगमंच’ आदि पत्निकाक प्रकाशनक माध्यमसँ श्री प्रबोधजी मैथिलीक जे सेवा कएल अछि तकर वर्णन थोड़मे सम्भव नहि । अनेक बङला कृतिक ई अनुवाद सेहो कएल अछि ।हिन्दीमे सेहो हिनक ‘कविता संग्रह’ प्रकाशित अछि ।कलकत्ता विश्वविद्यालयमे हिन्दीक पूर्व अध्यक्ष।

९१. चन्द्रनाथ मिश्र अमर 1925-

जन्म: खोजपुर, मधुबनी । वरिष्ठ कवि, कथाकार-उपन्यासकार । हास्य-व्यंग्यक कवितामे बेजोड़। मैथिलीक लेल समर्पित व्यक्तित्व । पांच दर्जनसं बेसी कथा आ विदागरी, वीरकन्या (उपन्यास) जल समाधि (कथा संग्रह) प्रकाशित । ’पत्रकारिताक इतिहास’ लेल साहित्य अकादमीसं सम्मानित। एम. एल. एकेडमी, लहेरिरियासरायसं शिक्षकक रूपमे अवकाश प्राप्त। आशा दिशा, गुदगुदी, युगचक्र, उनटा पाल आदि कविता संग्रह प्रकाशित।

९२.जयधारी सिंह 1929-2007

समीक्षक, कवि । प्रकाशन: बौद्धगानमे तांत्रिक सिद्धांत, समीक्षा शास्त्रा अदि । रामकृष्ण कॉलेज, मधुबनीमै मैथिली विभागक पूर्व अध्यक्ष

९३.गोपालजी झा 'गोपेश' 1931-2008

जन्म मधुबनी जिलाक मेहथ गाममे १९३१ ई.मे भेलन्हि।हिनकर रचित “सोन दाइक चिट्ठी”, “गुम भेल ठाढ़ छी”, “एलबम” “आब कहू मन केहन लगैए”, "मखानक पात" प्रकाशित भेल जाहिमे सोनदाइक चिट्ठी बेश लोकप्रिय भेल

९४. ललित 1932-1983

जन्म स्थान बसैठ चानपुरा मधुबनी, बिहार । प्रसिद्ध कथाकार ओ उपन्यासकार । प्रकाशित कृति: प्रतिनिधि, (कथा संग्रह), पृथ्वी-पुत्र (उपन्यास) आदि।

९५. धूमकेतु 1932-2000

जन्म स्थान कोइलख, मधुबनी, बिहार । प्रसिद्ध कथाकार, उपन्यासकार ओ कवि । प्रकाशित कृति : दू टा कथा संग्रह ओ एक टा उपन्यास ।

९६. राजमोहन झा 1934-

जन्म स्थान कुमरबाजितपुर, वैशाली, बिहार । प्रख्यात कथाकार ओ संपादक । आइ काल्हि परसू (कथा-संग्रह) लेल साहित्य अकादेमीसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति : एक आदि एकांत, झूठ साँच, एकटा तेसर, अनुलग्नक, आइ काल्हि परसू (कथा संग्रह), गलतीनामा, भनहि विद्यापति, टीप्पणीत्यादि (आलोचना)। ’आरम्भ’ पत्रिकाक संपादन।प्रबोध सम्मान 2009 सँ सम्मानित।

९७. डॉ. धीरेन्द्र 1934-2004

जन्म स्थान लोहन, सरिसब पाही, मधुबनी, बिहार । प्रसिद्ध कथाकार,उपन्यासकार ओ कवि । प्रकाशित कृति: कुहेस आ किरण, पझाइत घूरक आगि, शतरूपा ओ मनु अपन मन्दिर (कथासंग्रह) हैंगरमे टाँगल कोट, काल्हि ओ आइ (कविता संग्रह) सहित कैक विधामे विभिन्न पोथी।

९८. सोमदेव 1934-

उपन्यासकार ओ कवि । साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति: चानोदाइ, होटल अनारकली (उपन्यास), काल ध्वनि (कविता संग्रह), चरैवेति (गीति नाट्य) सोम सतसइ (दोहा)।

९९. रमानन्द रेणु 1934-

जन्म स्थान उसमामठ, दरभंगा, बिहार । वरिष्ठ कवि, कथाकार ओ उपन्यासकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित। प्रकाशित कृति: कचोट, त्रिकोण, अंतहीन आकाश (कथा-संग्रह), दूधफूल (उपन्यास), अंतत:, ओकरे नाम (कविता-संग्रह)

१००. रामभद्र, धनुषा, नेपाल 1935-

साहित्य तथा अन्यान्य क्षेत्रक कतोक सफल व्यक्तिसभ अपन प्रेरणास्रोत आ पथ-प्रदर्शक मानैत छथि । मैथिली साहित्य-क्षेत्रमे हिनक परिचयक मादे एतबाए कहब पर्याप्त होएत जे मैथिलीक मूर्द्धन्य साहित्यकार डा. धीरेन्द्र हिनका मैथिली साहित्यक सर्वश्रेष्ठ कथाकार मानैत छथि ।हिनक कथामे प्रतीकात्मकताक अदभुत प्रयोगहिटा नहि, अपितु एकटा आदर्श कथाक समस्त वैशिष्टसभविद्यमान रहैत अछि । कथाकारक अतिरिक्त ई उत्कृष्ट समालोचक, नाटककार आ कवि सेहो छथि । नेपालमे मैथिलीक पहिल मोनोड्रामा लिखबाक श्रेय सेहो हिनका जाइत छनि ।सामाजिक कुरीतिसभकँ कुशलतासँ चित्रण करबामे, चिन्तनीय बनएबामे आ मन-मस्तिष्कपर अमिट छाप छोड़बामे रामभद्र सिद्धहस्त छथि । धनुषा जिलाक कुर्था गाममे जनमल रामभद्रक पूर्ण नाम रामभद्र कर्ण छनि । अग्ङरेजी विषयक अवकाशप्राप्त शिक्षक रामभद्र व्याकरण, पाठयपुस्तक आ सहायक पुस्तकसभ लिखबाक काजमे निरन्तर सक्रिय छथि।

१०१. केदारनाथ चौधरी 1936-

जन्म 3 जनवरी 1936 ई नेहरा, जिला दरभंगामे। 1958 ई.मे अर्थशास्त्रमे स्नातकोत्तर, 1959 ई.मे लॉ। 1969 ई.मे कैलिफोर्निया वि.वि.सँ अर्थस्थास्त्र मे स्नातकोत्तर, 1971 ई.मे सानफ्रांसिस्को वि.वि.सँ एम.बी.ए., 1978मे भारत आगमन। 1981-86क बीच तेहरान आ प्रैंकफुर्तमे। फेर बम्बई, पुणे होइत 2000 सँ लहेरियासरायमे निवास। मैथिली फिल्म 'ममता गाबय गीत'क मदनमोहन दास आ उदयभानु सिंहक संग सह निर्माता। तीन टा उपन्यास 2004 मे चमेली रानी, 2006 मे करार, 2008 मे माहुर।

१०२. डॉ अमरेश पाठक 1936-

हिनक जन्म सीतामढ़ी जिलाक अन्तर्गत सामारि ग्राममे १९३६ मे भेलन्हि । १९५७ मे पटना विश्वविद्यालयसँ मैथिलीक एम. ए. परीक्षामे प्रथम श्रेणीमे प्रथमस्थान पाओल । १९५७ सँ १९६० धरि रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनीमे व्याख्याता रूपेँ तकरा बाद पटना विश्वविद्यालयमे व्याख्याता रूपमे कार्य करए लगलाह । पटना विश्वविद्यालयमे मैथिली विभागाध्यक्ष रूपेँ । मैथिली उपन्यासक आलोचनात्मक अध्ययन’ शोध प्रबन्धपर हिनका बिहार विश्व-विद्यालय द्वारा डि. लिट्क उपाधि भेटलन्हि । ई शोध प्रबन्ध पुस्तकाकार रूपेँ सेहो प्रकाशित भेल अछि बिहार राष्ट्रभाषा परिषदक विद्यापति ग्रन्थावलीक सम्पादक मण्डलक सदस्य । हिनक अन्य प्रकाशित रचना अछि ’निबन्ध संकलन’ । एकरा छोड़ि विभित्र पत्न-पत्निकामे हिनक कतेको निबन्ध प्रकाशित छन्हि । मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित कथा-संग्रहक इहो एक सम्पादक छथि । ई अधिकतर उच्च स्तरीय आलोचनात्मक निबन्ध लिखैत छथि ।

१०३. बलराम 1936-2008

जन्म स्थान पचही, मधुबनी, बिहार । विशिष्ट कथाकार । प्रकाशित कृति : दकचल देबाल (कथा-संग्रह)।

१०४. रामदेव झा 1936-

कथाकर, समीक्षक, अनुवादक, ग्रंथ सम्पादक । साहित्य अकादेमीक मूल एवं अनुवाद पुरस्कार प्राप्त कर्त्ता ल. ना. मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगाक मैथिली विभागक पूर्व प्राचार्य । प्रकाशन: पसिझैत पाथर, (अनु.) आदि ।

१०५. रवीन्द्र नाथ ठाकुर 1936-

जन्म पूर्णिञा जिलाक धमदाहा ग्राममे 1936 ई. मे भेलन्हि । नेने अवस्थासँ गीत गएबामे एवं कविता लिखबामे विशेष रुचि । कोनो मंच पर ठाढ़ भेला पर ई सहजहि श्रीताकेँ आह्लादित करैत छथि । हिनक सात गोट मैथिलीक गीत संग्रह, एक मिनी महाकाव्य, एक प्रयोगधर्मी काव्य, एक उपन्यास, एक नाटक ‘एक राति’ एवं एक हिन्दी नाटक, प्रकाशित भेल छन्हि ।

१०६. कीर्तिनारायण मिश्र 1937-



जन्म १७ जुलाई १९३७ ई. केँ ग्राम शोकहारा (बरौनी), जिला बेगूसरायमे भेलन्हि। हुनकर प्रकाशित कृति अछि सीमान्त, हम स्तवन नहि लिखब (कविता संग्रह)। आखर पत्रिकाक लब्धप्रतिष्ठ सम्पादक।

१०७. कुलानन्द मिश्र 1939-

कुलानन्द मिश्र (१९४०-२०००), जन्म पकड़ी कोठी, सीतामढ़ी, बिहार। सुविख्यात कवि,, संपादक, समालोचक। प्रकाशित कृति- तावत एतबे, भोरक प्रतीक्षामे (कविता संग्रह), भारतक भाषा सर्वेक्षण, पारो, राजकमल चौधरी की ग्यारह कहानियाँ (अनुवाद)। साहित्य अकादेमीसँ पुरस्कृत।

१०८. बिलट पासवान 'विहंगम' 1940-

जन्म मधुबनी जिलाक एकहत्था ग्राममे १९४० ई. मे भेलन्हि।

१०९. प्रभास कुमार चौधरी 1941-1998

गाम- पिंडारुछ, जिला- दरभंगा ।प्रख्यात कथाकार ओ उपन्यासकार । प्रभासक कथा (कथा-संग्रह) लेल साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति : कथा-प्रभास, प्रभासक कथा, नव घर उठय पुरान घर खसय, दिदवल (कथासंग्रह), अभिशप्त, युगपुरुष, हमरा लग रहब, नवारम्भ, राजा पोखरिमे कतेक मछरी (उपन्यास) । विभिन्न महत्वपूर्ण पत्रिकाक सम्पादन । त्रैमासिक कथा गोष्ठी 'सगर राति दीप जरय' केर प्रारम्भ

११०. साकेतानन्द 1941-

वरिष्ठ कथाकार, गणनायक (कथा-संग्रह) लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित। प्रकाशित कृति: गणनायक (कथासंग्रह), सर्वस्वांत (उपन्यास)।

१११. मार्कण्डेय प्रवासी 1942-

जन्म ग्राम: गरुआर, जिला: समस्तीपुर । प्रकाशित कृति: अगस्त्यायिनी (महाकाव्य); एतदर्थ (कविता संग्रह), अक्षर चेतना (काव्य संग्रह)। अभियान, हम कालिदास (उपन्यास)। ’अगस्त्यायिनी’ लेल । १९८१मे साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त।

११२. मोहन भारद्वाज 1943-

गाम- नवानी, जिला- मधुबनी । मैथिलीक प्रखर समालोचक, प्रबोध सम्मान 2008 सँ सम्मानित

११३. भीमनाथ झा 1945-

जन्म:कोइलख, मधुबनी, बिहार । प्रखर कवि, समालोचक, प्राध्यापक । ’विविधा’पुस्तक लेल सन् १९९२मे सहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित । प्रकाशित कृति: त्रिधारा, वीणा, की फुरैए की नहि, नाम तँ थिक ओएह (कविता संकलन), परिचायिका, सीताराम झा, कवि चूड़ामणिक काव्य साधना, विविधा (निबंध, आलोचना) आदि ।

११४. डॉ रामदयाल राकेश, सर्लाही, नेपाल 1942-

मैथिली मातृभाषा, हिन्दीक प्राध्यापक आ नेपालीक लेखक ई तीनू भाषा ’राकेश’क व्यक्तित्वमे एना ने मिझराएल छैक जे कोनहुसँ हिनका भिन्न नहि कएल जा सकैत अछि । ई विशेषत: नेपालीमे लिखैत छथि, मुदा लेखनक विषय मूलत: मैथिलीए संस्कृति रहैत छनि । ओना मैथिली, हिन्दी आ अग्ङरेजीमे सेहो ई अनेक रचना कएने छथि ।नेपालक राजकीय-प्रज्ञा-प्रतिष्ठानक सदस्य ’राकेश’ दिल्ली विश्वविद्यालयसँ पीएचडी आ अमेरिकास्थित इण्डियाना यूनिभर्सिटीसँ पोस्ट डाक्टरल रिसर्च कएने छथि । डा. ’राकेश’क जन्म २५ जुलाइ १९४२ ई. कऽ सर्लाही जिलाक सिसौटियामे भेल छनि । नेपाली, मैथिली, हिन्दी आ अग्ङरेजीमे मौलिक, सम्पादित आ अनूदित कऽ करीब दू दर्जन पोथी प्रकाशित , दर्जनभरि देशक भ्रमण सेहो कएने छथि ।

११५. उपेन्द्र दोषी 1943-2001

जन्म स्थान रामपुर-कोरिगामा, दरभंगा । कवि-कथाकार, गीत-गजलकार । प्रकाशित कृति: यंत्रणाक क्षणमे (कविता संग्रह)। हिन्दीमे अनेक पोथी प्रकाशित। ओड़ियासँ मैथिली अनुवाद हेतु मृत्युपरान्त साहित्य अकादेमीसँ पुरस्कृत।

११६. उदयचन्द्र झा "विनोद" 1943-

गाम- रहिका, मधुबनी । जन्म-ग्राम- दुलहा, मधुबनी । प्रकाशित कृति: संक्रान्ति, मौसम अयला पर, एहना स्थितिमे, भरि देह गौरा (कविता-संग्रह), धूरी (सहयोगी कविता संग्रह); जांत (कथा संग्रह) ’माटि पानि’क वरेण्य सम्पादक।

११७. मंत्रेश्वर झा 1944-

जन्म ६ जनवरी १९४४ ई.ग्राम-लालगंज, जिला-मधुबनीमे। प्रकाशित कृति: खाधि, अन्चिनहार गाम, बहसल रातिक इजोत (कविता संग्रह); एक बटे दू (कथा संग्रह), ओझा लेखे गाम बताह (ललित निबन्ध)। मैथिली कथा संग्रहक हिन्दी अनुवाद “कुंडली” नामसँ प्रकाशित। दि फूल्स पैराडाइज (अंग्रेजीमे ललित निबन्ध), कतेक डारि पर (आत्मकथा)।

११८. रत्नेश्वर मिश्र 1945-

अनुवादक, निबंधकार । प्रकाशन: तमिल साहित्यक इतिहास,भवभूति (दुनू अनुवाद)।

११९. वीरेन्द्र मल्लिक 1945-

कवि, सम्पादक, समीक्षक । आखर, अगनिपत्रक सम्पादन

१२०. शैलेन्द्र आनन्द 1955-

जन्म स्थान शिवनगर मधुबनी, दू टा समीक्षा, तीन टा कथा संग्रह, दू टा गीत-गजल संग्रह ओ चारि टा कथा-संग्रह प्रकाशित।

१२१. पद्म नारायण झा "विरंचि" 1941-

जन्म- गाम खोजपुर, जिला-मधुबनीमे । मिथिला मिहिरक प्रशस्त स्तंभकार । 1977 केर जनता आन्दोलनमे अग्रणी भूमिका, पार्टीक मुखपत्र "जनता"क सम्पादक। बादमे लोक दल (ब) मे हेमवतीनन्दन बहुगुणाक राजनीतिक सलाहकार।

१२२. विजयकान्त मिश्र इतिहासकार 1927-1994

डॉ. विजयकांत मिश्रक जन्म १० अगस्त १९२७ मंगरौनी गाम - जे नव्य न्याय आ तांत्रिक साधनाक जन्म-स्थली अछि- (जिला मधुबनी) मे भेलन्हि। ओ 1948 मे प्राचीन भारतीय इतिहास आ संस्कृति विषयमे एलाहाबाद विश्वविद्यालयसँ सनात्तकोत्तर उपाधि कएलाक बाद कतेक बरख धरि बिहार सरकार आ पटना विश्वद्यालयसँ सम्बद्ध रहलाह आ 1957 ई. सँ भारतीय पुरात्तत्व विभागमे काज कएलन्हि आ ओकर शिशुपालगढ़, कौशाम्बी, वैशाली, हस्तिनापुर, कुम्हरार, पाटलिपुत्र, करियन, सोनपुर, बिलावली, नालन्दा, राजगीर, चन्द्रवल्ली, आ हम्पी खुदाइमे विभिना भूमिकामे भाग लेलन्हि।हिनकर लिखल-सम्पादित पोथी सभमे अछि: 1.वैशाली,1950 2.कुम्हरार एक्सकेवेशंस: 1950-1957 3.पुरातत्व की दृष्टिमे वैशाली 4.नागेश भट्टाज पारिभाषेन्दुशेखर 5.मिथिला आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर (सम्पादित) 6.कल्चरल हेरिटेज ऑफ मिथिला 7.श्रृंगार भजनावली- एक अध्ययन 8.क्षेत्र पुरातत्वविज्ञान- 9.पुरातत्व शब्दावली

१२३. विनोद बिहारी लाल 1953-

जन्म स्थान पचही, मधुबनी, बिहार ।चर्चित कथाकार । सयसँ ऊपर कथा प्रकाशित

१२४. श्याम दरिहरे 1954-

जन्म स्थान बरहा, बेनीपट्टी मधुबनी, बिहार । कवि, कथाकार । प्रकाशित कृति : सरिसोमे भूत (कथा संग्रह) अनूदित कृति : कनिप्रिया (धर्मवीर भारती

१२५. प्रोफेसर महेन्द्र 1947-

जन्म: भेलाही, सुपौल, बिहार । प्रसिद्ध कवि, कथाकार, आलोचक । वृत्ति: भू.ना. विश्वविद्यालयक स्नातकोत्तर केन्द्र, सहरसामे मैथिली विभागाध्यक्ष। प्रकाशित कृति साहित्य अकादेमीसँ प्राकाशित मोनोग्राफ शैलेन्द्र मोहन झा । सहयोगी संकलन-संकल्प । ’राजकमल जयन्ती प्रसंगक संपादन

१२६. बैकुण्ठ झा 1954-

श्री बैकुण्ठ झा,पिता-स्वर्गीय रामचन्द्र झा, जन्म-२४ - ०७ - १९५४ (ग्राम-भरवाड़ा, जिला-दरभंगा),शिक्षा-स्नात्कोत्तर (अर्थशास्त्र),पेशा- शिक्षक। मैथिली, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा मे लगभग २०० गीत कऽ रचना। गोनू झा पर आधारित नाटक ''हास्यशिरोमणि गोनू झा तथा अन्य कहानी कऽ लेखन। अहि के अलावा हिन्दी मे लगभग १५ उपन्यास तथा कहानी के लेखन।

१२७. विद्यानन्द झा 'पञ्जीकार' 1957-

जन्म-09.04.1957,पण्डुआ, ततैल, ककरौड़(मधुबनी), रशाढ़य(पूर्णिया), शिवनगर (अररिया) आ’ सम्प्रति पूर्णिया। पिता लब्ध धौत पञ्जीशास्त्र मार्त्तण्ड पञ्जीकार मोदानन्द झा, शिवनगर, अररिया, पूर्णिया|पितामह-स्व. श्री भिखिया झा। पञ्जीशास्त्रक दस वर्ष धरि 1970 ई.सँ 1979 ई. धरि अध्ययन,32 वर्षक वयससँ पञ्जी-प्रबंधक संवर्द्धन आऽ संरक्षणमे संलग्न। कृति- पञ्जी शाखा पुस्तकक लिप्यांतरण आऽ संवर्द्धन।

१२८. महाप्रकाश 1946-

जन्म: बनगांव, सहरसा, बिहार । वरिष्ट कवि ओ कथाकार। प्रकाशित कृति: कविता संभवा, संग समय के (कविता संग्रह)।

१२९. अयोध्यानाथ चौधरी, धनुषा, नेपाल 1947-

मूलत: कविक रूपमे परिचित छथि । नेपालक आधुनिक कविताक क्षेत्रमे हिनक नाम उल्लेखनीय अछि । श्री चौधरीक लेखनमे मानवीय संवेदनाक प्रतिबिम्ब पाओल जाइत अछि । कविताक संग कथा आ निबन्धमे सेहो ई कलम चलबैत छथि । फड़िछाएल लेखन हिनक विशेषता थिकनि ।धनुषा जिलाक दुहबी गामक रहनिहार श्री चौधरीक जन्म ६अक्टुबर १९४७कऽ भेल छनि । हिनक क्षितिजक ओहिपार नामसँ एक कविता-सग्ङप्रह प्रकाशित छनि

१३०. सियाराम झा "सरस" 1948-

जन्म स्थान मेंहथ, मधुबनी बिहार । प्रसिद्ध गीतकार, बादमे कथा लेखन प्रारम्भ केलनि । प्रकाशित कृति आंजुर भरि सिंगरहार, शोणिताएल उगैत सूर्यक धम्मक (कथा संग्रह)।

१३१. अग्निपुष्प 1948-

जन्म: तरौनी, दरभंगा। मूलनाम : महेन्द्र झा । मैथिलीमे सहस्त्रबाहु कविता संग्रह प्रकाशित । मुक्ति प्रसंगक अनुवाद प्रकाशित । वामपंथी आन्दोलनमे सक्रिय। शिक्षा, सम्वाद आदि पत्रिकाक सम्पादन । वामपंथी विचारधाराक सशक्त कवि।

१३२. रामलोचन ठाकुर 1949-

श्री रामलचन ठाकुर, जन्म १८ मार्च १९४९ ई.पलिमोहन, मधुबनीमे। वरिष्ठ कवि, रंगकर्मी, सम्पादक, समीक्षक। भाषाई आन्दोलनमे सक्रिय भागीदारी। प्रकाशित कृति- इतिहासहन्ता, माटिपानिक गीत, देशक नाम छल सोन चिड़ैया, अपूर्वा (कविता संग्रह), बेताल कथा (व्यंग्य), मैथिली लोक कथा (लोककथा), प्रतिध्वनि (अनुदित कविता), जा सकै छी, किन्तु किए जाउ(अनुदित कविता), लाख प्रश्न अनुत्तरित (कविता), जादूगर (अनुवाद), स्मृतिक धोखरल रंग (संस्मरणात्मक निबन्ध), आंखि मुनने: आंखि खोलने (निबन्ध)।

१३३. राजेन्द्र विमल, जनकपुर, नेपाल 1949-

राजेन्द्र विमल (1949- )। मैथिली, नेपाली आ हिन्दी भाषाक प्राज्ञ विमल शिक्षाक हकमे विद्यावारिधि (पी.एच.डी.)क उपाधि प्राप्त कएने छथि।कम्मो लिखिकऽ यथेष्ट यश अरजनिहार डा. विमलक लेखनीक प्रशंसा मैथिलीक सङ्गसङ्ग नेपाली आ हिन्दी साहित्यमे सेहो होइत रहलनि अछि। त्रिभुवन विश्वविद्यालयअन्तर्गत रा.रा.ब. कैम्पस, जनकपुरधाममे प्राध्यापन कएनिहार डा. विमलक पूर्ण नाम राजेन्द्र लाभ छियनि। हिनक जन्म २६ जुलाई १९४९ ई. कऽ भेल अछि। साहित्यकारक नव पीढ़ीकेँ निरन्तर उत्प्रेरित करबाक कारणे ई डा.धीरेन्द्रक बाद जनकपुर-परिसरक साहित्यिक गुरुक रूपमे स्थापित भऽ गेल छथि।

१३४. हरेकृष्ण झा 1950-

जन्म १० जुलाई १९५० ई. गाम- कोइलखमे। अभियंत्रणक अध्ययण छोड़ि मार्क्सवादी राजनीतिमे सक्रिय। अनेक कविता आ आलोचनात्मक निबन्ध प्रकाशित। अनुवाद एवं विकास विषयक शोध कार्यमे रुचि। स्वतंत्र लेखन। प्रकृति एवं जीवनक तादात्म्य बोधक अग्रणी कवि। "एना त’ नहि जे" (कविता संग्रह)।

१३५. शिवेन्द्रलाल कर्ण, धनुषा, नेपाल 1951-

लेखकसँ अधिक शिक्षकक रूपमे परिचित आ प्रतिष्ठित छथि । त्रिभुवन विश्वविद्यालयअन्तर्गतरा. रा. ब. कैम्पस, जनकपुर-धामक सह-प्राध्यापक श्री कर्णक ऐतिहासिक विषय-वस्तुपर लिखल कतोक लेख मैथिली, हिन्दी आ अग्ङरेजी भाषामे प्रकाशित अछि । स्वान्त-सुखाय ई कहियो कालकऽ कविता-कथा सेहो लिखि लैत छथि । हिनक लेखन ज्ञानवर्द्धक, जानकारीमूलक एवं सोझारएल रहैत अछि । देखलापर बुझना जाइत अछि जे ई हिनक गम्भीर अध्ययनक परिणति थिक ।सामाजिक तथा साहित्यिक सङ्घ-संस्थासभमे सेहो सक्रिय प्राध्यापक कर्णक जन्म धनुषा जिलाक देवडीहा गाममे २ जनवरी १९५१ ई. कऽ भेल छनि ।

१३६. शैलेन्द्र कुमार झा 1952-

जन्म स्थान हरिपुर, वकशी टोल, मधुबनी बिहार। प्रकाशित कृति: आरोह अवरोह, दशम खुट्टी (कथा संग्रह), इकोनोमिक हिस्ट्री ऑफ मिथिला (अंग्रेजी) ।

१३७. शिवशंकर श्रीनिवास 1953-

जन्म स्थान लोहना मधुबनी, बिहार । चर्चित कथाकार ओ आलोचक । गीत ओ कविता सेहो कहियो काल लिखैत छथि । प्रकाशित कृति : त्रिकोण, अदहन, गाछ-पात, गामक लोक (कथा संग्रह)।

१३८. अशोक 1953-

जन्म स्थान लोहना, मधुबनी, बिहार। चर्चित कथाकार, कवि ओ सम्पादक । प्रकाशित कृति : चक्रव्यूह (कविता संग्रह) त्रिकोण (सहयोगी कथा संग्रह), ओहि रातिक भोर (कथा-संग्रह), मातवर (कथा संग्रह)।

१३९. विभूति आनन्द 1953-

जन्म: शिवनगर, मधुबनी, बिहार। चर्चित कवि, कथाकार, संपादक । प्रकाशित कृति टूटा उपन्यास टूटा समीक्षा, तीन टा कथ संग्रह, टूटा गीत-गजल संग्रह ओ चारिटा कथा-संग्रह प्रकाशित।

१४०. डॉ. शशिनाथ झा 1954-

गाम-दीप, जिला- मधुबनी। मैथिली, बांग्ला, नेवारी आ देवनागरी पांडुलिपिक विशेषज्ञ।

१४१. लल्लन प्रसाद ठाकुर 1951-1995

जन्म ५ फरबरी १९५१ मुंगेर मे श्रीमती सुभद्रा देवी आ श्री हीरानंद ठाकुरक द्वितीय बालक । हिनक ग्राम- समौल,जिला-मधुबनी। सिविल इंजीनियर, टाटा स्टीलमे चाकरी। प्रकाश झाक फ़िल्म "कथा माधोपुर की" मे मुख्य भुमिका। नाटककार आ मंच अभिनेता। हुनक लिखल किछु प्रसिद्ध मैथिली नाटक छन्हि :बडका साहेब,मिस्टर निलो काका, लोंगिया मिरचाई,बकलेल आदि वा अंत।


१४२. सुकांत सोम 1950-

जन्म दरभंगा जिलाक तरौनी गाममे 1950 ई. मे भेलन्हि । बी. ए. पास कए ई पटनाक दैनिक ‘जनशक्ति’क सहायक सम्पादक छलाह । फेर नव भारत टाइम्स, पटनामे।बाल्यवस्थासँ अपन पैतृक (पिता यात्नीजी) गुण कविता करबाक तथा कथा लिखबामे सेहो यश अर्जन कएलन्हि अछि । वर्त्तमान राजनीति सामाजिक विषयसँ सम्बद्ध व्यंग्यात्मक, सरल भाषामे लिखल नव कविता हिनक विशेषता छन्हि । गामघरक परिवेश तदनुकूल शब्द एवं बिम्ब रचनामे क्रमहि सिद्ध छथि ।

१४३. पशुपतिनाथ झा, महोत्तरी, नेपाल 1954-

हिनक लेखन विवरणात्मक होइत अछि आ सम्बद्ध विषयमे नीकजकॉ जानकारी दैत अछि । विभिन्न पत्र-पत्रिकामे हिनक लेख-रचना बरोबरि देखबामे अबैत रहैछ ।रा.रा.ब. कैम्पस, जनकपुरधाममे मैथिली विषयक प्राध्यापनमे संलग्न श्री झा मैथिलीसम्बन्धी सग्ङठनात्मक गतिविधिसँ सेहो जुड़ल छथि । मैथिली भाषाक लोपोन्मुख अवस्थामे रहल अपन लिपि तिरहुतामे विशेषज्ञता रखनिहार श्री झा एकर संरक्षण-सम्बर्द्धनक दिशामे सेहो क्रियाशील छथि ।प्रध्यापक झा मैथिली महाकाव्यमे रस निरूपण विषयपर विद्यावारिधि कएने छथि आ शिक्षा तथा कानून विषयमे सेहो स्नातक छथि । महोत्तरी जिलाक एकरहिया रहनिहार श्री झाक जन्म ४ दिसम्बर १९५४ कऽ भेलछनि ।

१४४. वृखेश चन्द्र लाल, नेपाल 1955-

जन्म 29 मार्च 1955 ई. केँ भेलन्हि। पिताः स्व. उदितनारायण लाल,माताः श्रीमती भुवनेश्वरी देव। हिनकर छठिहारक नाम विश्वेश्वर छन्हि। मूलतः राजनीतिककर्मी । नेपालमे लोकतन्त्रलेल निरन्तर संघर्षक क्रममे १७ बेर गिरफ्तार । लगभग ८ वर्ष जेल ।सम्प्रति तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीक राष्ट«ीय उपाध्यक्ष । मैथिलीमे किछु कथा विभिन्न पत्रपत्रिकामे प्रकाशित । आन्दोलन कविता संग्रह आ बी.पीं कोइरालाक प्रसिद्ध लघु उपन्यास मोदिआइनक मैथिली रुपान्तरण तथा नेपालीमे संघीय शासनतिर नामक पुस्तक प्रकाशित । ओ विश्वेश्वर प्रसाद कोइरालाक प्रतिबद्ध राजनीति अनुयायी आ नेपालक प्रजातांत्रिक आन्दोलनक सक्रिय योद्धा छथि। नेपाली राजनीतिपर बरोबरि लिखैत रहैत छथि।

१४५. नारायणजी 1956-

जन्म: घोघरडीहा (मधुबनी)। मैथिली भाषा-साहित्यमे एम. ए., पी-एच. डी. कामेश्वर लता संस्कृत विद्यालय, घोघरडीहामे अध्यापन । प्रकाशित कृति: ’घरि घुरि रहल छी’ (काव्य-संग्रह)।

१४६. केदार कानन 1959-

जन्म स्थान सुपौल, बिहार। चर्चित कवि, कथाकार ओ संपादक। प्रकाशित कृति : आकार लैत शब्द (कविता संग्रह), अनूदित कृति राजा राम मोहन राय, प्रायश्चित। सम्पादन संकल्प, भारती मंडन (पत्रिका)।

१४७. मानेश्वर मनुज 1958-

जन्म गम्हरिया (मानपौर, मधुबनी)मे, 1978सँ 1992 धरि नौसेनामे विभिन्न जहाजपर कार्यरत, फेर यात्री रेलमे। सम्बन्ध (कथा संग्रह) प्रकाशित।

१४८. महेन्द्र नारायण राम 1958-

सम्पादन-“नव ज्योति” पत्रिका, “लोकशक्ति” सामाजिक मुख-पत्रक। लोकवृत्त ताहूमे लोकगाथाक अध्येता।

१४९. तारानन्द वियोगी 1966-

महिषी, सहरसामे जन्म।पहिल पोथी अपन युद्धक साक्ष्य (गजल संग्रह) १९९१ मे प्रकाशित। अन्य पुस्तक हस्तक्षेप (कविता-संग्रह), अतिक्रमण (कथा-संग्रह), शिलालेख(लघुकथा संग्रह), कर्मधारय।राजकमल चौधरीक कथाकृति एकटा चंपाकली एकटा विषधर संकलन-स‍पादन।

१५०. भालचन्द्र झा

मैथिलीक अतिरिक्त हिन्दी, मराठी, अग्रेजी आऽ गुजरातीमे निष्णात। १९७४ ई.सँ मराठी आऽ हिन्दी थिएटरमे निदेशक।बीछल बेरायल मराठी एकांकीक मैथिली अनुवाद।

१५१. रमेश 1961-

जन्म स्थान मेंहथ, मधुबनी, बिहार। चर्चित कथाकार ओ कवि । प्रकाशित कृति: समांग, समानांतर (कथा संग्रह), नागफेनी (गजल संग्रह), संगोर, समवेत स्वरक आगू, कोसी धारक सभ्यता, पाथर पर दूभि (काव्य संग्रह), प्रतिक्रिया (आलोचनात्मक निबंध)।

१५२. प्रदीप बिहारी 1963-

जन्म स्थान कन्हौली मल्लिक टोल, खजौली, मधुबनी, बिहार। चर्चित कथाकार, उपन्यासकार ओ रंगकर्मी । प्रकाशित कृति: गुमकी ओ बिहाड़ि, विसूवियस (उपन्यास), औतीह कमला जयतीह कमला, खण्ड-खण्ड जिनगी, सरोकार (कथा संग्रह)।

१५३. फूलचन्द्र झा "प्रवीण" 1961-

गाम तुमौल दरभंगा, आयल नवल प्रभात, पांगल गाछक छाहरि, हमरा मोनक खजन चिड़ैया, बसंतक बजनिञा (कविता संग्रह), भूत होइत भविष्य़ (कथा संग्रह)।

१५४. विद्यानन्द झा 1965-

बुद्धपूर्णिमा, १९६५कें कैथिनियाँ, झंझारपुर मुधुबनीमे जन्म। पराती जकाँ (कविता संग्रह) प्रकाशित । मूलतः कवि, थोड़ कथा लिखलनि, जे अपन मार्मिक अभिव्यक्तिक कारण बेस चर्चित भेल । विडम्बनापूर्ण परिस्थितिक पाछू जिम्मेवार समाजार्थिक कारणक खोज हिनकर मूल सृजन प्रेरणा थिक

१५५. रमेश रंजन, परवाहा, नेपाल 1966-

परवाहा, नेपालमे जन्म । नेपालीय कथा-जगतक नवीन मुदा सम्मानित नाम । जनपक्षधर कथा-दृष्टि आ मोहक शिल्प । थोड़ लिखलनि, मुदा बेर-बेर चर्चित रहलाह ।

१५६. धीरेन्द्र प्रेमर्षि, सिरहा, नेपाल 1967-

वि.सं.२०२४ साल भादब १८ गते सिरहा जिलाक गोविन्दपुर-१, बस्तीपुर गाममे जन्म लेनिहार प्रेमर्षिक पूर्ण नाम धीरेन्द्र झा छियनि।कान्तिपुरसँ हेल्लो मिथिला कार्यक्रम प्रस्तुत कर्ता जोड़ी रूपा-धीरेन्द्रक धीरेन्द्रक अबाज गामक बच्चा-बच्चा चिन्हैत अछि। “पल्लव” मैथिली साहित्यिक पत्रिका आ “समाज” मैथिली सामाजिक पत्रिकाक सम्पादन।

१५७.श्याम सुन्दर शशि, नेपाल

श्याम सुन्दर शशि, जनकपुरधाम, नेपाल। पेशा-पत्रकारिता। शिक्षा: त्रिभुवन विश्वविद्यालयसँ,एम.ए. मैथिली, प्रथम श्रेणीमे प्रथम स्थान। मैथिलीक प्रायः सभ विधामे रचनारत। बहुत रास रचना विभिन्न पत्र-पत्रिकामे प्रकाशित। हिन्दी, नेपाली आऽ अंग्रेजी भाषामे सेहो रचनारत आऽ बहुतरास रचना प्रकाशित। सम्प्रति- कान्तिपुर प्रवासक अरब ब्यूरोमे कार्यरत।

१५८.हिमांशु चौधरी, नेपाल

पिता : स्वर्गीय कामेश्र्वर चौधरी,माताः श्रीमती चन्द्रावती चौधरी,जन्मः वि स २०२०/६/५ लहान, सिरहा,शिक्षाः स्नातकोत्तर(नेपाली),पेशाः पत्रकारिता (सम्प्रति : राष्ट्रिय समाचार समिति ),कृति : की भार सांठू ? (मैथिली कविता संग्रह ),विगत दू दशकसं नेपाली आ मैथिली लेखन तथा अभियानमे निरन्तर क्रियाशील आ विभिन्न संघ संस्थासं आबद्ध ।

16 comments:

  1. param aadarniye gajendra jee,
    saadar abhivaadan. sabse pahil baat ta ee je aahan ke ayla san laaeeg rahal aichh je aab ee blog ke saarthaktaa baidh gel . vibha ranee jee san parichay karbai lel dhanyavaad. ummeed aichh je ahan sa bahut keechh sekhay lel bhetat.

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  2. अजय जी, धन्यवाद।

    मिथिला विभूतिमे स्व. हरिमोहन झा, श्री मायानन्द मिश्र आऽ श्री उदयनारायण सिंह "नचिकेता" जीक संक्षिप्त जीवनी सेहो श्रीमति विभा रानी जीक संग दए रहल छी। एहिना उत्साहवर्धन करैत रहू।
    গজেন্দ্র ঠাকুব

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  3. आइ श्री रामाश्रय झा "रामर‍ंग" जे शुभा मुद्गल सन-सन कलाकारक गुरु छथि, जीक निःस्वार्थ जीवनक आलेख सेहो जोड़ि देलहुँ।
    গজেন্দ্র ঠাকুব

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  4. mithila vibhooti column ke ehina paigh karait rahoo, harimohan jha jik vishaya me te bujhal chhal muda aar jaanakaaree bhetal.
    ramrang jik jeevanee se prerana bhetal, anyatam

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  5. रामरंग आ' विभा रानी जीक जीवनी ह्दय चूबि गेल। दोसर लोकनि साहित्यमे योगदान देलन्हि सेहो नीक लागल।

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  6. ekta aaro baat,

    yatri ji ke kiyek bisari gelahu.

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  7. यात्रीजीकेँ कोना बिसरबन्हि। शीघ्र हुनको विषयमे निबन्ध आयत, मिथिला विभूतिमे।

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  8. dhanyavad, bahut nik, hunkar vishay me bahut navin gap pata chalal.

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  9. 1 se shuru kay 9 ta vibhooti tak pahuchelahu, ahank parishram se ham sabh labh utha rhal chhi prerna lay rahal chhi

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  10. prernadayi vibhooti lokanik varnan achhi.

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  11. ee sankalan te apoorv achi

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  12. abhhopoorva prernadayi sangrah

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  13. 1 se 29 dhari vibhooti loknik sangrh pahuchi gel mudaa aab ehi me bhag-2 kay nav post shuru karu karan bad paigh page bhay gel achhi, khujay me ehi se beshi dela par dikkat hoyat.

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  14. ee blog samanya aa gambhir dunu tarahak pathakak lel achhi, maithilik bahut paigh seva ahan lokani kay rahal chhi, takar jatek charchaa hoy se kam achhi.

    dr palan jha

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  15. गजेन्द्र जी मिथिला विभूति प्रस्तुति के लेल बहुत-बहुत धन्यवाद संगही एकता आग्रह ई जे "यात्री जी" "किरण जी" के नहीं बिसरू

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  16. दयाकांतजी, किरणजी आ आर बहुत रास (आब डेढ सए सँ ऊपर) विभूतिक वर्णन दए देलहुँ ।

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