मास मे पन्द्रह दिन सासुरे मे डेरा ।
पबै छथि काजू-किशमिश, बर्फी-पेड़ा ।।
भोजन मे लगैत छनि बेस सचार ।
तरूआ, तिलकोर आ चटनी-अचार ।।
जेबी त गर्म रहबे करतैन, भेटैत रहै छनि गोरलगाई ।
हमर आशानन्द भाई, कमौआ ससुरक एकलौता जमाई ।
ससुर करैत छथिन ठीकेदारी ।
घटकैती मे छला अनारी ।।
जखन गेला ओ घटकैती मे ।
फँसि गेला बेचारे ठकैती मे ।।
आशानन्दक पिता कहलखिन- "सुनू औ मिस्टर !
हमर बेटा अछि "माइनेजिंग डाइरेक्टर" ।
के करत गाम मे हमर बेटाक परतर ।
के लेत इलाका मे हमरा बेटा सॅ टक्क्र ।।
तनख्वाह छैक सात अंक मे ।
कतेको लॉकर छैक "स्विस बैंक" मे ।।
कतेको लोक एला आ गेला, कियो ने छला लोक सुयोग्य ।
"बालक" देबैन हम ओही सज्जन के जे कियो हेता हमरा योग्य ।।
बीस लाख त द गेल छल, बूझू जे ओ कथा भ गेल छल ।
मुदा मात्र टाका खातिर बेटा के बेची हम नै छी ओ बाप कसाई" ।
हमर आशानन्द भाई, कमौआ ससुरक एकलौता जमाई ।
जोड़-तोड़ भेल, इ कथा पटि गेल ।
लगले विवाहक कार्ड बॅटि गेल ।।
दहेज भेटलनि लाख एगारह ।
आ आशानन्द भाईक पौ बारह ।।
शुभ-शुभ के भ गेलै ने विवाह ?
आब कनियॉक बाप होइत रहथु बताह ।
भेल विवाह मोर करबह की ?
आब पॉचों आंगुर सॅ टपकैत अछि घी ।
भले ही कनियॉ छैन कने कारी ।
मुदा विदाई मे त भेटलैन "टाटा सफारी" ।।
विवाहेक लेल ने छला बाहर मे ।
आब नौकरी-चाकरी जाय भाड़ मे ।।
आब जहन "बाबा" बले केनाई छनि फौदारी ।
तखन आब कियाक नै ओ ध लेता घरारी ।।
नै जेता ओ दिल्ली फेर, लगलैन हाथ ससुर के कमाई ।
हमर आशानन्द भाई, कमौआ ससुर के एकलौता जमाई ।
बिलास मे डूबल छथि आकंठ ।
सब दिन खेता रोहुएक "मुरघंट" ।
कुशल-क्षेम लेल हम पुछलियैन्ह- "की आशानन्द भाई ठीक" ?
ताहि पर कहला हमरा जे- "अहॉ के की तकलीफ ?
मुर्गा मोट फँसेलौ हम,
तें ने करै छी आइ बमबम" ।
कनियॉंक माई कपार पिटै छथि ।
"भाग्यक लेख" कहि संतोष करै छथि ।।
"हमर बुचिया के कपार केना एहन भेलै गे दाई !"
हमर आशानन्द भाई, कमौआ ससुर के एकलौता जमाई ।
बहुतो आशानन्द छथि एहि आस मे।
कहियो फँसबे करत कन्यागत ब्रह़मफॉंस मे ।।
कियो कहता जे हम "मार्केटिंग ऑफिसर",
कहता कियो हम छी कंपनीक "मैनेजर",
तड़क-भड़क द भ्रम फैलौने,
छथि अनेको "लाल नटवर" ।
ध क आडम्बर देने रहु, आशा क डोर धेने रहु ।
कोनो गरदनि भेटबे करत, अप्पन चक्कू पिजेने रहु ।।
भला करथुन एहन आशानन्द सभक जगदम्बा माई ।
हमर आशानन्द भाई, कमौआ ससुरक एकलौता जमाई ।।
ठीके आशानन्द भाइक तँ भाग्य बड़ जोरगर छन्हि।
ReplyDelete"बालक" देबैन हम ओही सज्जन के जे कियो हेता हमरा योग्य ।।
ReplyDeleteबीस लाख त द गेल छल, बूझू जे ओ कथा भ गेल छल ।
nik
हमर आशानन्द भाई, कमौआ ससुर के एकलौता जमाई ।
ReplyDeleteबिलास मे डूबल छथि आकंठ ।
सब दिन खेता रोहुएक "मुरघंट" ।
कुशल-क्षेम लेल हम पुछलियैन्ह- "की आशानन्द भाई ठीक" ?
ताहि पर कहला हमरा जे- "अहॉ के की तकलीफ ?
मुर्गा मोट फँसेलौ हम,
तें ने करै छी आइ बमबम" ।
ashanand bhai te kamal chhathi
nik prahar samajik kuriti par.
ReplyDeletebah
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