साँच जिनगी मे बीतल जे गाबैत छी।
वेदना हम ह्रदय के सुनाबैत छी॥
कहू माताक आँचर मे की सुख भेटल।
चढ़ते कोरा जेना सब हमर दुःख मेटल।
आय ममता उपेक्षित कियै रति-दिन,
सोचि कोठी मे मुंह कय नुकाबैत छी।
साँच जिनगी मे बीतल जे गाबैत छी।
वेदना हम ह्रदय के सुनाबैत छी॥
खूब बचपन मे खेललहुं बहिन-भाय संग।
प्रेम साँ भीज जाय छल हरएक अंग-अंग।
कोना सम्बन्ध शोणित कय टूटल एखन,
एक दोसर के शोणित बहाबैत छी।
साँच जिनगी मे बीतल जे गाबैत छी।
वेदना हम ह्रदय के सुनाबैत छी॥
दूर अप्पन कियै अछि पड़ोसी लगीच।
कटत जिनगी सुमन के बगीचे के बीच।
बात घर घर के छी इ सोचब ध्यान साँ,
स्वयं दर्पण स्वयं के देखाबैत छी।
साँच जिनगी मे बीतल जे गाबैत छी।
वेदना हम ह्रदय के सुनाबैत छी॥
श्यामल सुमन, प्रशासनिक पदाधिकारी टाटा स्टील, जमशेदपुर - झारखण्ड,
चाचाजी अपनेक आगमन सs ब्लॉगक शान दुगुणित भो गेल ! ब्लॉग प्रेमी बंधूगन कें अपनेक आर निक निक रचना पढाई लेल मिल्तैन इ आशा अछि !
ReplyDeleteश्यामलजी, मैथिल आर मिथिलामे अहाँक आगमन एहि ब्लॉगकेँ आर सुवासित बना देलक। अहाँसँ आर ढेर रास रचनाक भविष्यमे सेहो आशा रहत।
ReplyDeleteसाँच जिनगी मे बीतल जे गाबैत छी।
ReplyDeleteवेदना हम ह्रदय के सुनाबैत छी॥
bah
दूर अप्पन कियै अछि पड़ोसी लगीच।
कटत जिनगी सुमन के बगीचे के बीच।
बात घर घर के छी इ सोचब ध्यान साँ,
स्वयं दर्पण स्वयं के देखाबैत छी।
ee blog te din par din chandrama jeka badhal ja rahal achi, kichu aan blog me chandramak ghatanti dekhal ja rahal achi, muda etay mithila aar maithil blog me poornima sada rahat se vishvas achhi,
ReplyDeleteदूर अप्पन कियै अछि पड़ोसी लगीच।
ReplyDeleteकटत जिनगी सुमन के बगीचे के बीच।
बात घर घर के छी इ सोचब ध्यान साँ,
स्वयं दर्पण स्वयं के देखाबैत छी।
साँच जिनगी मे बीतल जे गाबैत छी।
वेदना हम ह्रदय के सुनाबैत छी॥
bad nik
ee blog nirantar rachnatmak aa navin rachna se poorna bujhi me abait achhi, matik sugandhik sang
ReplyDeleteutkriskt rachna sabhak bhadar achi ee site, parishramak parinam sarvada nik hoit achi, rang roop me seho utkrishta aayal acchi rachane jeka.
ReplyDeleteati sundar
ReplyDelete