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रामाश्रय झा “रामरंग” प्रसिद्ध अभिनव भातखण्डे जीक मृत्यु- हिन्दुस्तानी संगीतक गायक, शिक्षक आ वाग्यकार/ शास्त्रकार श्री रामाश्र झा “रामरंग” जीक मृत्यु १ जनवरी २००९ केँ कोलकातामे भऽ गेलन्हि। ओ ८० बरखक छलाह। संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्लीक २००५ मे पुरस्कार प्राप्त श्री रामरंग केँ यू.पी. संगीत नाटकक फेलोशिप सेहो प्रदान कएल गेल छलन्हि।
श्री रामाश्रय झा “रामरंग”क जन्म १९२८ ई. मे मधुबनी जिलाक खजुरा गाममे भेलन्हि। हिनका संगीतक प्रारम्भिक शिक्षा अपन पिता सुखदेव झा सँ भेटलन्हि। बादमे ओ वाराणसीमे नाटक कम्पनीमे बहुत दिन धरि संगीत देलन्हि फेर पं भोलाराम भट्टसँ एलाहाबादमे संगीतक शिक्षा प्राप्त कएलन्हि। एलाहाबाद विश्वविद्यालयक संगीत विभागमे ई प्रोफेसर आ हेड रहलाह।
रामरंग ढेर रास खयाल रचना बनओलन्हि आ कतेक रास नव रागक निर्माण कएलन्हि। हिनकर पाँच खण्डमे नव आ पुरान रागक वर्णन आ समालोचना “अभिनव गीताञ्जलि” हिनक बड्ड प्रसिद्दि प्रदान कएलकन्हि आ ई “अभिनव भातखण्डे” नामसँ प्रसिद्ध भऽ गेलाह। अपन ध्रुपद आ खयाल रचनाक आधारपर श्री “रामरंग” हनुमानकेँ समर्पित “संगीत रामायण”क रचना सेहो कएलन्हि।
मैथिलीमे “विदेह” ई पत्रिका लेल पठाओल हिनकर “राग विद्यापति कल्याण”, “राग तीरभुक्ति”, “राग वैदेही भैरव” आदि नव राग आ ओहिपर आधारित मैथिली भाषाक रचना पाठकक मोनमे एखनो अछि।
हुनकर स्मरण: एहि पंक्तिक लेखकक संग वार्तालापमे रामरंग जी अपन जीवनक समस्त अनुभव कहि सुनेने रहथि। ओहि आधारपर हुनक जीवनी विस्तृत रूपमे “मैथिल आर मिथिला ब्लॉग” मे मिथिला विभूति-१ केर अन्तर्गत देखल जाऽ सकैत अछि।
रामरंग जीकेँ हजारो रचना कंठस्थ मोन छलन्हि मुदा बादमे हुनकर हाथ थरथड़ाइत छलन्हि आ ओ वार्ताक क्रममे कहनहिओ छलाह जे- के सीखत आ के लिखत।
२०म शताब्दीक सर्वश्रेष्ठ मिथिला रत्नकेँ “मैथिल आर मिथिला” ब्लॉग दिससँ श्रद्धांजलि।
2009 ke pahil din bhagvan hunka sadgati delkhinh, hamra dis se shradhanjali
ReplyDelete, ee blog 2009 me ehina sabh kshetrak soochna dait rahay se aasha.
हुनका हमर भावान्वित श्रद्धांजलि ....
ReplyDelete२०म शताब्दीक सर्वश्रेष्ठ मिथीलाक रत्नकेँ हमर श्रद्धांजलि....
ReplyDeletebad nik prastuti, samyik, dharohar chhalah ramrang ji
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