भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Tuesday, February 17, 2009
एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी( प्रथम कड़ी)
एक बेर हमारा एक पत्रिका में किछु लिखय लेल कहल गेल छल, ई सन् १९९६ क गप्प थिक। हम बस एतबे लिखी सकलौं "हम की लिखी हमर त लेखनिये हेरा गेल"। मुदा आई बुझना जैत अछि जे नै, हमारा एकटा कर्तव्यक निर्वाहन करबाक अछि।
हम सदिखन अपना के हुनकर शिष्या सहचरी आ नही जानि कि सब बुझैत रही। हुनक कि एकोटा एहन रचना छलैन जकरा कि हम पूरा होम स पहिने कैएक बेर नहि सुनैत रही। हम त हुनक एक- एक रचना के ततेक बेर सुनैत रही जे करीब करीब कंठस्त भ जैत छल। एक एक संवाद आई धरि ओहिना हमर कान में गूंजैत रहित अछि। हम त हुनक सबस पैघ आलोचक, सबस पैघ प्रशंसक रही। अद्भुद कलाकार छलाह, एक कलाकार में एक संग एतेक रास गुण भैरसक नहि होइत छैक। लेखक, निर्देशक, अभिनेता,गीतकार, संगीतकार, सब गुण विद्यमान छलैन्ह। हमारा कि बुझल जे नीक लोकक संग बेसी दिनक नहि होइत छैक। भगवनोके नीक लोकक ओतबे काज होइत छैन्ह जतबा कि मनुष्य के। हमत भगवान् स कहियो किछु नै मान्गलियैन, बस हुनक संग सदा भेंटय
यैह टा कामना छल। मुदा एक टा बात निश्चित अछि जे, जओं भगवान छैथ आ कहियो भेंटलैथ त अवश्य पुछ्बैन्ह जे ओ हमारा कोन गल्तिक सजा देलैथ, हम त कहियो ककरो ख़राब नै चाहलिये।
एतेक कम दिनक संग परंच ओ जे हमरा पर विश्वास केलैंह आ हमारा स्नेह देलैंह शायद हमरा सात जन्मों में नहि भेंट सकैत छल। एखनो जं हम हुनक फोटो के सामने ठाढ़ भ जैत छी त बुझैत अछि जे ओ कहि रहल छैथ हम सदिखैन अहाँक संग छी।
12 comments:
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
kusum ji mithila aar maithili blog me ahak ee pahil prastuti, bad niki lagal. kanek aar janbak aa sunbak ichha aabi gel achhi muda..
ReplyDeletesvagat achhi.
प्रस्तुति विलक्षण मुदा मात्र विषयक इंट्रोडक्शन आएल अछि, शीघ्र विस्तृत विवरण आएत ताहि आशाक संग।
ReplyDeletenik pratuti aa chamatkaaree lekhan, aar padhbak sunbak shesh
ReplyDeleteehi sarvashreshtha maithili blog me ahank aagman ekar saphlta me ekta aar yogdan delak,
ReplyDeletemuda prakram/ srinkhla aaga basdhau,
aa jaldi-jaldi aaa beshi likhoo
lekhan par professional lekhak san pakar acchi, aasha achhi bhavishya me seho nirantar likhait rahab
ReplyDeleteee ekta nik aatmkathatmak katha bani sakait achhi je ekara vistar del jay,
ReplyDeletebhasha par vastutah asim pakar,
kusum thakur ee nam maithili sahitya jagat me sheeghra ekta bhavya nam bani aayat se aasha acchi, yadi regular likhait rahi.
bhasha me laya aa sampreshank adbhut kshamta,
ReplyDeleteahank yogdan satat aa nirantar dekhme aayat se aasha acchi.
kusum ji maithil aar mithilak ahank aagman se aar nik bhay gel, ahank rachnatmak yogdan dekhba lel ee pahil rachna utkantha utpan kay delak achhi.
ReplyDeletekusum ji ee rachna nik te lagal muda apoorn lagal,
ReplyDeletelekhakiya saphalta kahi sakait chhi je pahil part utsukta badhabay me saphal achhi,
muda spashta karitahu je ekar dosar part kahiya dhari aayat
हम एतबा कहि सकैत छि जे अपन पाठक गणक प्रशंसा स हम ओत प्रोत भ गेलों, जहाँ तक किछु पाठकक आलोचना जे अपूर्ण लागैत अछि से सत् थिक, बहुत जल्दि हम हुनकर सबहक अनुरोध के पूरा का देबैंह.
ReplyDeletedidi ,
ReplyDeleteAwesome !!! Job .
Binny ( USA ) .
कुसुम जी, मिथिला आर मैथिली ब्लॉगमे अहाँक स्वागत अछि, एहिना अहाँक रचना पाठक लोकनिकेँ आगाँ पढ़बाक अवसर भेटतन्हि ताहि आशाक संग।
ReplyDeleteई रचना अपनामे विशिष्ट आ हृदयस्पर्शी लागल।