भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Saturday, April 11, 2009

ललकार -रूपेश कुमार झा 'त्योंथ'


बाध-वन आ नदी -पहाड़
सउँसे सं आबय ललकार
बारम्बार तोरा धिक्कार
नहि सुनैत छए मिथिलाक चीत्कार ?
बधिर भेल छौ तोहर कान
केहन छए मिथिलाक संतान ?
आंखि रहितो भेल छए आन्हर
हाथ-पएर रहितो तों सब
छए एकदम सं लुल्ह -नांगर
बुद्धि रहितो भेल छए बेबुधिगर
कान कयने छए की तूर सं जाम ?
केहन छए मिथिलाक संतान ?
सीता जनमल एही माटि सं
आओर बनलथि पाहुन राम
यैह थिक राजा जनकक गाम
भेल एही ठाम मंडन-अयाची
आओर ने जानि कते विद्वान
एहन भेल मिथिलाक संतान ।
गबै छए समदाओन आ सोहर
कखन देखेबए अपन जोहर
ध्यान कतय छौ भटकल तोहर
पटना मे तोहर नहि मोजर
दिल्ली तोरा सं अनजान
केहन छए मिथिलाक संतान ?
गुंजल एतय विद्यापतिक गान
धरती अछि पावन मिथिलाधाम
करै एकर तों मान-सम्मान
रोशन कर जग मे एकर नाम
जाग आब भेलौ बिहान
केहन छए मिथिलाक संतान ?

6 comments:

  1. रुपेश जी बहुत सुन्दर लागल अपनेक रचना ललकार पढ़ी के

    सब मिल नारा दियो जय मिथिल जय मिथिला जय मिथिला समाज

    ReplyDelete
  2. ध्यान कतय छौ भटकल तोहर
    पटना मे तोहर नहि मोजर
    दिल्ली तोरा सं अनजान
    केहन छए मिथिलाक संतान ?
    sabh apan samasya lel apne jimmedar hoit chhathi,
    mithilak santanak dasha lel mithile vasi jimmedar chhathi,

    krishnamohan jha likhait chhathi

    आह!वाह!- कृष्णमोहन झा

    आह मिथिला!
    वाह मिथिला!
    सब मिलिक’ केलिऔ
    तोरा खूब तबाह मिथिला!

    ReplyDelete
  3. गुंजल एतय विद्यापतिक गान
    धरती अछि पावन मिथिलाधाम
    करै एकर तों मान-सम्मान
    रोशन कर जग मे एकर नाम
    जाग आब भेलौ बिहान
    केहन छए मिथिलाक संतान ?

    dekhu kavi ji katek gote jagai chhathi,
    eko gote jagathi te ahan saphal chhi

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  4. Anonymous12:25 AM

    bin lalkara dene nahi kyo sunat se thike kelahu

    mahesh jha

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  5. बहुत नीक प्रस्तुति

    ReplyDelete

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