भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor:
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रूपमे इन्टरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम
उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल
इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह"
पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली
पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/ पर
ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक
प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि।
विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA
भाइ अहाँक कविता तँ रटि कए सोचैत छी, सुग्गा बना लेलहुँ अहाँ हमरा, अहाँक कविता संग जे फोटो सेलेक्शन अछि सेहो बड्ड नीक रहैए।
ReplyDeleteआ किछु दिन धरि बिसबिसायब
अहाँक मोन मे उड़ियाएब
नहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब!
तीन पैराग्राफक ई नीन टा नूतन अंत, बड्ड नीक लागल ।
vivahak teen vidhik prateek ekta bis bisbait , ekta aakansha bani mon me uriyabait aa tesar vilin hoit, ee teenoo bimb bad nik.
ReplyDeleteehi blog par kahiyo ee nahi hoi ye je aabi aa kono nav rachna nahi padhbak lel bhetay, sabh rachna eke starak hoy se te sambhavo nahi chhaik, se krishnamohan ji ahan regular etay post karait rahi se aagrah,
bad nik bhai ji
ReplyDeleteजिलेबीक काँट जकाँ
हम अहाँक धानक लाबा सन तरबा मे गड़ि जायब
आ किछु दिन धरि बिसबिसायब
चतुर्थीक औंठी आ बरसाइतक मेहदी जकाँ
हम अहाँक विकल संसर्ग मे आयब
आ असंख्य सुग्गा बनि
अहाँक मोन मे उड़ियाएब
हम तँ फूलडालीक कनेर छी
अहाँक लौलसा मे भीजल देवता पर चढब
आ पराते
हजारो-हजार मौलायल फूलक संगे
नहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब
sampoorna kavita vilakshana bani paral achhi
hamar ratuka duty saphal bhay gel ahank kavita padhi ke bhai krishnamohan ji,
ReplyDeleteaab bin coffy pine ninn nahi aaeta, sphoorti aani delahu
mon aanandit kelahu, katek gaheer soch achhi ahank, hamra sabh ke te phuraite nahi achhi
ReplyDeletebad nik kavita, hriday sparsh karay bala, mon me suga bani ghumray bala
ReplyDeleteनहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब!
ReplyDeletebhavnak ee uphan ahi ta me achhi krishnamohan ji
hindik kavita sabh me o bat kahan , phuldalik kaner, name dekhoo ne,
ReplyDeletedhanyavad
bad nik lagal, gun dhun kay rahal chhi je kon rahasya acchi ehi kavita me
ReplyDeleteehi blog par ahank teen ta tin tarahak kavita padhlahu jahi me ekta common chiz chhal,
ReplyDeleteutkrishtata
हम तँ फूलडालीक कनेर छी
ReplyDeleteअहाँक लौलसा मे भीजल देवता पर चढब
अदभुत रचना..........धन्यवाद.
ReplyDeleteभाइ अपनेक रचना पढ़ल, शुरुआत नीक मुदा बिच्चे मे कने -----
ReplyDeleteजेना की-----------
१) जे नेता धोती पहिरत सएह देशी होएत। हमरा बुझने असंभव। कोट- पैंट पहिरि कए सेहो देशक हित कएल जा सकैत छैक।
आर सभ नीक
धन्यवाद
उपरोक्त टिप्पणी " केदन पुछैइ"( मनीष झा बौआ भाइ) लेल कएल गेल अछि। असावधानी वश इ टिप्पणी कृष्ण मोहन झाक कविताक लेल भए गेल , जाहि लेल हम दूनू कवि एवं पाठक सँ क्षमा मगैत छी।
ReplyDeleteध्नवाद (आशीष अनचिनहार)
Bhai ji ahank kavita padhi sochni rog lagi gel achhi,
ReplyDeletebhavnatmak bana dait chhi hamro san lok ke ahan
अपने सभक आभारी छी।
ReplyDeleteआशा अछि जे अहिना अपने सभक सहयोग
भेटैत रहत।