भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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Wednesday, April 01, 2009
समीक्षा श्रृंखला-३ गजेन्द्र ठाकुरक मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोशपर- उदय नारायण सिंह "नचिकेता"
अंग्रेजी जेना एकरा हम आइ देखैत छी, भाषाक वैश्विक इतिहासमे एकटा सापेक्षतया नूतन घटना अछि संभवतः मैथिलीसँ किछुए पुरान। ई एहि लेल किएक तँ जखन मैथिलीक सभसँ पुरान उपलब्ध ग्रन्थ ज्योतिरीश्वर द्वारा लिखल जा रहल छल ओ समय रहए अंग्रेजीमे चौसरक। पाश्चात्य कोशमे सभसँ पुरान कोश तखुनका अक्कादी साम्राज्यमे रचित भेल जाहिमे सुमेरी-अक्कादी शब्द सूची रहए (आधुनिक सीरियाक एबलामे प्राप्त) आ एकर समय छल लगभग २३०० ई.पू.। मुदा सभसँ प्राचीन ग्रीक कोश एपोलोनियश द सोफिस्ट प्रथम स्शताब्दीक, ई होमरयुगीन शब्दपरिभाषा आ अर्थ सूचीबद्ध करैत अछि आ एकटा उदाहरण प्रस्तुत करैत अछि। द्वितीय सहस्राब्दी ई.पू. उर्रा= हुबुल्लु शब्दार्थसूची जे एहने द्विभाषी शब्द सूचीक संग पुरान कोशीय लेखाक उदाहरण एकटा आर उदाहरण अछि जेकर तुलना तेसर शताब्दीक चीनी परम्परे सँ कएल जा सकैत अछि। प्रारम्भिक जापानी प्रयास ६८२ ई.क चीनी अक्षरक नीना ग्लॉसरी आ सभसँ पुरान उपलब्ध जापानी कोश तेनरेइ बान्शो मैगी (८३५ ई.) सेहो महत्त्वपूर्ण प्रयास छल। भारतमे वैदिक साहित्यक संरक्षण व्याकरण आ कोशीय रचनाक लेल सभसँ पैघ उत्प्रेरक छल। संस्कृतक पाणिनीय आ दोसर वैयाकरणिक परम्परामे ई एकटा सामान्य आ पूर्णतः आधारभूत कार्य रहए- वैदिक वाक्यकेँ शब्दमे खण्ड-खण्ड करब आ शब्दकेँ खण्ड करब धातु-प्रत्ययगघतकमे। एहि क्रममे शाब्दिक संरचना, भाषायी ध्वनि तन्त्रक संग संरचनात्मक-ध्वन्यात्मक सिद्धांत सभ सेहो विकसित भेल। ई विश्वास कएल जाइत अछि जे निघण्टु (७०० ई.पू.) पर यास्क एकटा निरुक्त नाम्ना भाष्य लिखलन्हि जे आइ सभसँ पुरान ज्ञात कृति अछि आ ई परम्परा सेहो पाली परम्परा धरि चलल। ओ सभटा कोशीय सामग्रीकेँ समानार्थी आ समानह्रिजए-ध्वनि अनुसार सजेलन्हि। शास्त्रीय संस्कृतमे सभसँ लोकप्रिय कृति अछि अमरसिंहक अमरकोष (६ठम धताब्दी)। कटालोगस कैटालोगोरम मात्र अमरकोषपर कमसँ कम ४० टा भाष्यक सूची दैत अछि जे प्राचीन भारतमे एहि समानार्थी कोशक महत्व आ लोकप्रियता देखबैत अछि। एहि तरहक आर कोश जे कम-बेशी अमरकोषक आधारपर रचित भेल आ एहिमे सम्मिलित अछि (संदर्भ मल्हार कुलकर्णी- TDIL अन्तर्जालपर):-
१. भोजक कृत नाममालिका (११म शताब्दी)
२. सहजकीर्तिक सिद्धशब्दार्नव (१७म शताब्दी)
३. हर्षकीर्तिक शारदीयाख्यानाममाला (१७म शताब्दी)
४. धनन्जय भट्टक पर्यायशब्दरत्न
५. कोशकल्पतरु
६. नानार्थरत्नमाला- इरुगप दण्डाधिनाथ (१४म शताब्दी)
७. राघवक नानार्थमञ्जरी
८. धरनीदासक धरणीकोश (१२म शताब्दी)
९. शिवदत्त मिश्रक शिवकोश
१०. सौभरीक एकार्थनाममाला-द्वक्षारनभमाला
११. मकरन्ददासक परमानन्दीयनाममाला
पहिल अधुनातन युगक संस्कृत कोश जे पाश्चात्य सिद्धांतकेँ प्रयुक्त कए बनाओल गेल से अछि प्रोफेसर एच.एच.विल्सन द्वारा संगृहीत आ १८१३ ई. मे प्रकाशित संस्कृत-अंग्रेजी कोश। दू टा भारतीय कोश तकर बाद आएल पं. सर राजा राधाकान्त देवक शब्दकल्पद्रुम आ पं. ताराकान्त तर्कवाचस्पतिक वाचस्पत्यम् ।
हमर विचारमे प्रयुक्त शब्दकोशशास्त्र आकि कोश संग्रहक विज्ञान वा कला जे अछि कोश सभकेँ विभिन्न कार्यक लेल लिखब आ संपादन करब आ ई सेहो ततबे महत्वपूर्ण अछि जतेक सैद्धांतिक कोशशास्त्र महत्वपूर्ण अछि। शब्दकोशशास्त्र शब्द एकटा कथ्यक रूपमे १६८० ई.मे आबि कए प्रयुक्त भेल जखन कि कोश शब्द अंग्रेजी भाषामे १५२६ ई. मे आबि कए प्रयुक्त भेल जेनाकि मेरिअम-वेब्सटर कोश कहैत अछि। हमरा सभकेँ कहल जाइत अछि जे कोशमे ई सभ सम्मिलित होएबाक चाही:-
१. प्रिंत वा इलेक्ट्रॉनिक रूपमे संदर्भ स्रोत जाहिमे वर्णमालाक आधारपर सजाओल शब्द रहए, जाहिमे ओकर रूप, उच्चारण, कार्य, व्युत्पत्ति, अर्थ आ वाक्य रचना आ कहबी युक्त प्रयोग होअए।
२. एकटा संदर्भ ग्रंथ जाहिमे संबंधित कार्य-विषयक महत्त्वपूर्ण पदबंध आ नामक वर्णानुसार सूची होअए- संगमे ओकर अर्थ आ अनुप्रयोगक चर्चा सेहो रहए।
३. एकटा संदर्भ ग्रंथ जाहिमे एक भाषाक शब्दक लेल दोसर भाषामे समानार्थ देल रहए।
४. एकटा संगणकीय संशोधित सूची (दत्तांशशब्द वा शब्द पदक) जे सूचना प्राप्ति वा शब्द संसाधकक लेल संदर्भक रूप उपयोग कएल जा सकए।
एहि असाधारण आ समय साध्य कलाक अनुप्रयोगमे सम्मिलित कार्य सभमे ई सभ आवश्यक रूपमे सम्मिलित अछि:-
*प्रयोक्ताक निर्धारण आ ओकर आवश्यकताक निर्धारण
*सामान्यजनक शब्दशक्तिक आधारपर भाषिक शब्दक संख्याक निर्धारण आ एकटा निश्चित सीमित परिधिमे ओकर निर्णय
*परिभाषा आ विवरणक सज्जाक विषयमे निर्णय
*कोशक संदर्भमे सूचना संचरण आ विचार-क्रियाक निर्धारण
*कोशक विभिन्न अंगक निर्धारण दत्तांशक संग्रह आ प्रदर्शनक लेल उचित संरचनाक चयन (जेना आवरण-संरचना, संवर्गीकरण, वर्गीकरण, प्रसारण आ एकसँ दोसर अंशमे सन्दर्भ-संकेत)
*प्रधान शब्द आ जोड़एवला शब्दक चयन- पारिभाषिक शब्द बनएबाक लेल
*समानधर्मिता आ संधिकेँ चिन्हित करब
*अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (आइ.पी.ए.) आ ब्लॉच एण्ड ट्रैगर चिन्हक प्रयोगसँ शब्द उच्चारणक निर्देश
*सुरुचिपूर्ण आ वर्ग-स्थान-विशेष बोली स्वरूपक योग
*बहुभाषिक कोशक लक्ष्य भाषाक लेल समानार्थी शब्दक चयन
*छपल आ इलेक्ट्रॉनिक दुनू तरहक कोशमे उपयोक्ताक लेल प्रवेशमार्ग बटन आ आन सुविधा
बिहारक गंगाक मैदान आ नेपालमे हिमालयक निचुलका पहाड़ीक तराइ क्षेत्र मिलि कऽ मैथिली आ मिथिलाक सांस्कृतिक क्षेत्रक निर्धारण करैत अछि, जे बहुत पहिने १९०८ ई. मे जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन द्वारा चर्चित भेल, ओना ओ मुख्यतः भारतमे स्थित मिथिला क्षेत्रपर केन्द्रित रहल। एहि क्षेत्रमे बहुत रास परिवर्तन आ सीमाक पुनर्निर्धारण भेल। २०म शताब्दीक प्रारम्भमे ग्रियर्सन मैथिली भाषाक क्षेत्र सम्पूर्ण दरभंगा आ भागलपुर जिलाकेँ मानलन्हि। एकर अतिरिक्त ओ मैथिलीकेँ मुजफ्फरपुर, मुंगेर, पूर्णियाँ आ संथाल परगनाक बहुसंख्यक लोक द्वारा बाजल जाएवला भाषाक रूपमे चिन्हित कएलन्हि। मुदा आइ-काल्हि एहिमे सँ किछु अंश झारखण्ड राज्यक अंग भऽ गेल अछि।
एतए ई तथ्य आनब सेहो समीचीन होएत जे एहि बीच राज्यक मान्यताक क्रममे मात्र १७ मे सँ ५ जिला (ई अछि भागलपुर, पूर्णियाँ, सहरसा, दरभंगा आ मुजफ्फरपुर) बिहारक मैथिली भाषी क्षेत्रक रूपमे सामान्य रूपमे अभिहित भेल। पॉल ब्रास (१९७४) मैथिली आन्दोलनक अपन वृहत् अध्ययन उत्तर भारतमे भाषा,धर्म आ राजनीति मे एकरा सामान्य रूपमे परिभाषित भौगोलिक क्षेत्रक रूपमे लेलन्हि। १९८० क दशकमे बिहारक ३१ जिलामे भेल विभाजनक बाद एकटा प्रोजेक्ट रिपोर्टमे (द मैथिली लैंगुएज मूवमेन्ट इन नॉर्थ बिहार: अ सोशियो लिंगुइस्टिक इन्वेस्टीगेशन नामसँ) संयुक्त रूपसँ हमरा आ एन.राजाराम आ प्रदीप कुमार बोस बनाओल गेल, हम सभ एहि निर्णयपर पहुँचल छलहुँ जे ३१ मे सँ ई सभ १० जिलाकेँ मैथिली भाषी क्षेत्र मानल जएबाक चाही: भागलपुर, कटिहार, पूर्णियाँ, सहरसा, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर आ वैशाली। से एहि भौगोलिक सीमाक परिवर्तन प्राकृतिक परिवर्तन (कोशी धार २०० बरखमे सात बेर अपन दिशा बदलने अछि) आ जिलाक पुनर्गठनक परिणामस्वरूप भेल अछि।
ई ककरो लेल एकटा पैघ चुनौती होएत जे मैथिलीक एकटा भीमकाय कोश बनेबाक प्रयास करताह जेना गजेन्द्र ठाकुर कएने छथि। ई परिस्थिति आर ओझरा जाइत अछि कारण मैथिलीक शब्द चयन अंशतः वा अधिकांशतः एहि सांस्कृतिक क्षेत्रमे बाजल जाएवला १२ टा आन भाषासँ संभवतः प्रभावित होइत अछि। एतए एहि लगभग १२ टा दोसर भाषाक वर्णन सेहो वर्णन योग्य अछि। मैथिलीक आस-पड़ोसमे भोजपुरी आ मगही अछि आ हिन्दी एहि सभपर ऊपरसँ आच्छादित अछि जे एहि तीनू भाषा समूहक लोक द्वारा बाजल जाइत अछि। मुदा बिहार एकटा बहु-भाषी राज्य अछि आ नेपाली आ बांग्ला भाषी सेहो एतए प्रचुर मात्रामे देखल जा सकैत छथि। एकर अतिरिक्त किएक तँ मैथिली भाषी झारखण्ड क्षेत्रमे सेहो पर्याप्त मात्रामे छथि, ई बुझबाक थिक जे ओराँव, मुण्डारी, हो, बिरहोर, धांगर, संथाली आ संख्यामे कम ऑस्ट्रिक भाषा समूहक वक्ता सेहो हुनका संग निवास करैत छथि। ओना तँ मिथिला क्षेत्रक बहुत रास मुस्लिम अपन मातृभाषा मैथिली देखबैत छथि मुदा बहुत रास एहनो छथि जे अपनाकेँ उर्दूभाषी घोषित करैत छथि। एहि सभ भाषामे मात्र चारि टा केँ सांवैधानिक मान्यता भेटल अछि- हिन्दी, उर्दू, बांग्ला आ नेपाली (पछाति संथालीकेँ सेहो)। हमरा विचारेँ मैथिलीक वाक्य-रचनापर ऑस्ट्रिक भाषा समूह सहित विभिन्न कोणसँ प्रभाव पड़ल अछि। मुदा कोशीय स्तरपर योग आ अनुकूलन सीमित स्रोतसँ भेल अछि जेना उर्दू, हिन्दी, भोजपुरी आ मगहीसँ। कोश आत्मसात करैत अछि देशी शब्दावलीकेँ देशज शब्दावलीक संग। ई एहि कारणसँ कारण हमरा विचारेँ बेशीसँ बेशी २५-३०% वक्ता मैथिलीकेँ एकभाषीय रूपमे बजैत छथि। कारण शेष दोसर भाषामे सेहो नीक पइठ रखैत छथि। ओ मथिली भाषी जे बिहारक पश्चिमी सिमानपर रहैत छथि, भोजपुरी सेहो बजैत छथि आ पटना-राँची-गया-मुंगेर-क्षेत्रमे रहनिहार मगही जनैत छथि आ सेहो हिन्दीक अतिरिक्त। मुदा एकटा अत्यल्प प्रतिशत कहू जे ३-५ % सँ कम्मे, एहन मैथिल छथि जे अंग्रेजीमे सेहो प्रभावी रूपमे बाजि सकैत छथि। मुदा अंग्रेजीसँ मैथिलीमे शब्दक आगम ततबे वृहत अछि जेना ई कोनो दोसर नव भारतीय भाषा (न.भा.भा.) सभमे अछि।
बहुत गोटे ई शंका व्यक्त कऽ सकैत छथि जे कतेक गोटे एहन होएताह जिनका गजेन्द्र जी सनक प्रयाससँ लाभ भेटतन्हि ? ओना तँ मैथिली भाषीक संख्याक आधिकारिक आँकड़ा स्थिर नहि रहल अछि मुदा एहि तथ्यक विस्तारसँ वर्णन आवश्यक अछि। जनसंख्याक आँकड़ा वास्तविक नहि अछि जेना २००१ ई.क जनसंख्याक ई आँकड़ा: १,२१,७९,१२२. एकरापर अविश्वास पक्का अछि। जखन हम देखैत छी जे मैथिली भाषीक संख्याक संदर्भमे दस बरखक अंतरालमे लेल जनसँख्या आँकड़ामे बहुत बेशी परिवर्तन अछि। ई १८९१ सँ दस बरखक अंतरालमे जनसंख्याक आँकड़ामे बढ़ल आ घटल संख्याक तुलनासँ स्पष्ट अछि:
१९०१-११: +३.१२%
१९११-२१: -०.७७%
१९२१-३१: +७.६८%
१९३१-४१: +९.१३%
१९४१-५१: गणना नहि भेल
१९५१-६१: +२२.३५%
१९६१-७१: +२०.८९%
१९७१-८१: +२४.१९%
तार्किक रूपेँ वास्तवमे मैथिली वक्ताक संख्या स्थिर रूपेँ बढ़ल अछि। हमर अनुमानसँ किछु संकेत देल जा सकैत अछि जे अनिमानित ४ करोड़ धरि पहुँचैत अछि। १८९११ मे ग्रियर्सन (१९०८) अनुमान कएलन्हि जे मैथिली भाषीक संख्या ९२,८९,३७६ अछि। एकर विरुद्ध १९६१क जनसंख्या आँकड़ा एकरा ४९,८२,६१५ कऽ दैत अछि। निश्चयरूपेण १९६१ क जनसंख्या आँकड़ा वास्तविक नहि अछि। ओना ग्रियर्सनक (१९०९) जनसंख्या आकलन जे हुनकर १८९१ ई. मे कएल सर्वेक्षणपर आधारित अछि, सभक द्वारा सम्मति प्राप्त नहि अछि। वर्तमान शताब्दीक प्रारम्भमे मैथिली निम्न क्षेत्रमे बाजल जाइत छल:-
(i) सम्पूर्ण दरभंगा आ भागलपुर
(ii) मुजफ्फरपुरक ६/७ भाग
(iii) मुंगेरक १/२ भाग
(iv) पूर्णियाँक २/३ भाग
(v) संथाल परगनाक ४/५ भाग जे जनगणना आँकड़ामे वर्णित हिन्दी भाषी छथि।
१८१६ ई. मे उत्तर दिसुका भाषायी क्षेत्र नेपाल राजशाही द्वारा स्थायी रूपसँ नेपालमे सम्मिलित कए लेल गेल। ताहि द्वारे भाषा बजनिहारक संख्या पर पहुँचबाक लेल नेपालक जनसंख्याक १४% हिस्सा आर जोड़ए पड़त। पॉल ब्रास (१९७४:६४-६) गेटक गणना (जनसंख्या वर्ष १९०१ ई.) १८८५ ई.सँ उपलब्ध विभिन्न दस्तावेजक आधारपर करैत छथि आ १,६५,६५,४७७ संख्यापर पहुँचैत छथि। ई गणना ग्रियर्सनक आकलनकेँ आधार लए आ तकर बादक ८ दशकमे बिहारमे जनसंख्या वृद्धिकेँ आधार लए कएल गेल अछि। १९८१ क जनसंख्या आँकड़ाक आधारपर आ मिथिला क्षेत्रक बाहर पसरल मैथिलक संख्याकेँ जोड़ि कऽ आ १० जिलाक जनसंख्याकेँ (३१ जिलामेसँ) ध्यानमे राखि हम आ हमर सहयोगी १९८० क दशकक मध्यमे २,२९,७२,८०७ (सिंह, राजाराम आ बोस १९८५) क संख्यापर पहुँचलहुँ। ई संख्या हमर विचारमे जनसंख्याक दसवर्षीय वृद्धिकेँ ध्यानमे रखैत ४ करोड़ धरि पहुँचल अछि आ ताहि द्वारे बहुत रास लोक कोशक एहि भीमकाय प्रयाससँ लाभान्वित होएताह। ई सामान्यतः मानल जाइत अछि जे मैथिली मिथिला क्षेत्रक ब्राह्मण द्वारा बाजल जाइत अछि। ई एकटा पहिलुका कुप्रचार छल जे एकरा हिन्दीक बोलीक रूपमे सिद्ध कए चाहैत रहथि मुख्यतः हिन्दी भाषीक आधिकारिक संख्यामे वृद्धिक उद्देश्यसँ। मुदा उत्तरी बिहारक जाति संरचनाकेँ देखैत मैथिलीक जनसंख्या संबंधी आँकड़ा एकर सत्य कथा कहत। सापेक्षतया मैथिलीक बेस संख्या जे जनगणना रिपोर्टमे आएल, केँ एहि तथ्य मात्रसँ व्याख्यायित कएल जा सकैत अछि जे ओना तँ मैथिली भाषी जिलाक कतोक क्षेत्रमे ४६.८४% धरि मुस्लिम आ ३१.०६% धरि हिन्दू निवास करैत छथि, मैथिलीक लेल जे सहयोग आएल अछि से एहिमे सँ एकटा पैघ संख्या द्वारा मैथिलीकेँ अपन मातृभाषा घोषित कएने बिना संभव नहि छल।
मिथिलामे भाषा प्रयोगक एकटा सर्वेक्षण ई देखा सकैत अछि जे ओना तँ भाषाक औपचारिक क्षेत्र सभमे प्रयोग कम भेल अछि मुदा ई सेहो सत्य अछि जे एकर साहित्यिक उत्पादकता आ उपलब्धि आइ अखिल भारतीय स्तरपर बेशी नीक जकाँ सोझाँ आबि रहल अछि तुलनात्मक रूपेँ जतेक ई आइसँ २० बरख पूर्व अबैत छल। मधुबनी चित्रकला वा मिथिला कला आइ भरि भारतमे सुप्रसिद्ध भऽ गेल अछि आ विश्व-बजार धरि पहुँचि गेल अछि। मात्र तखने जखन मैथिली भाषी नव-पीढ़ी अपन सांस्कृतिक भाषायी बोधसँ हटबाक निर्णय करताह तखने एकरा कोनो खतरा सोझाँ अएतैक। हमरा विचारेँ सांवैधानिक अधिकार नहि भेटनाइ अप्रत्यक्ष रूपमे मैथिलीक लेल वरदान साबित भेल कारण ई साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधिकेँ बल देलक। ई पहिनहियेँ बहुत रास सांवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषा सभकेँ पाछाँ छोड़ि देलक, जेना मणीपुरी, कोंकणी, नेपाली आ सिन्धी सेहो। आ आब जखन की ई अष्टम सूचीमे अछि एकरा सभटा आधिकारिक आ आन तरहक संरक्षण भेटबाक चाही जकर ई अधिकारी अछि। एकरा एकर उपयोगकर्ताक सहयोग सेहो भेटबाक चाही जे आब आधुनिक अओजार सभक ताकिमे छथि जेना ऑनलाइन पत्रिका, ई-कोश, सुविधाजनक जंगम परिभाषा-कोश सभ आ स्वचालित प्रश्नोत्तर प्रणाली इत्यादि। ताहि स्तरपर ई मैथिली कोश जे अन्तर्जाल आ छपल दुनू संस्करणमे उपलब्ध होएत, से संग्रहकर्त्ता द्वारा एकटा महत्वपूर्ण योगदान होएत। मैथिली भाषी समुदाय आ आन भाषाक अनुवादक-विद्वान द्वारा गजेन्द्र ठाकुर आ प्रकाशक विशेष प्रशंसाक पात्र छथि। ई सत्य अछि जे मैथिली कोश-विज्ञान बहुत बादमे विकसित भेल, म.म. दीनबन्धु झाक प्रयासक बहुत बाद आ आब जा कए हमरा सभक सोझाँ महत्त्वपूर्ण कार्य सभ आएल अछि जेना पं गोविन्द झा द्वारा कल्याणी कोश वा जयकान्त मिश्रक वृहत् मैथिली शब्दकोश, मतिनाथ मिश्र ‘मतंग’ क मिथिला शब्द प्रकाश वा अलाइस डेविसक बेसिक कलोक्विअल मैथिली : अ मैथिली-नेपाली-अंग्रेजी वोकाबुलरी। संक्षिप्त मैथिली शब्दकोश आ द्विभाषी मैथिली शब्दकोश जे मैथिली अकादमी द्वारा संकल्पित अछि, अयनाइ एखन बाकी अछि। राष्ट्रीय अनुवाद मिशन द्वारा संकल्पित (देखू www.ntm.org.in) लांगमैन- सी.आइ.आइ.एल. बेसिक इंगलिश- इंगलिश- मैथिली जे कॉर्पोरापर आधारित अछिसेहो एकटा रुचिगर उत्पाद होएत। मुदा सभटा कहला आ केलाक बाद एहि कार्यक महत्त्व समय बितलाक संगे अनुभूत कएल जाएत।
२८.०२.२००९ प्रोफेसर उदय नारायण सिंह
मैसूर
निदेशक
केन्द्रीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.)
8 comments:
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6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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samiksha srinkhlak aaga badhla par nik lagi rahal achhi.
ReplyDeleteehi vidvattapoorna lekh lel dhanyavad
ehi blog par bahuaayami nibandh, katha,kavita padhi mon prasann bhay jait achhi
ReplyDeleteblogak sabh lekhak gan, visheh kay jitu ji, gajendra ji ke dhanyavad,
ReplyDeletegamak matik sugandhak sang free me ee sabh padhbak mauka bhetait achhi, dhanyavad..dhanyavaad....dhanyavaada
muh se vah niklait achhi, blogak moderator lokani ke vishesh dhanyavad.
ReplyDeletekoshak lel utsukta badhi gel achhi
ReplyDeleteसंक्षिप्त मैथिली शब्दकोश आ द्विभाषी मैथिली शब्दकोश जे मैथिली अकादमी द्वारा संकल्पित अछि, अयनाइ एखन बाकी अछि।
ReplyDeletebahut-bahut dhanywad bhai ji
nik aalekh
ReplyDeleteबहुत नीक प्रस्तुति
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