भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Thursday, April 02, 2009

कविता- भूतःवर्तमानःभविष्य- आशीष अनचिन्हार

कविता
भूतःवर्तमानःभविष्य

अकबर के जोधाबाइक संग
विआह करबाक लेल परामर्श के देने रहैक
भूत बाजि ने रहल


रोमिला थापरक तर्क संपूर्ण रुपे सत्त
नागेश ओकक फूसि
लोक के गोधरे किएक देखाइत छैक
कश्मीरी पंडित आ राजौरी किएक नहि
वर्तमान नहि बाजि रहल


तुष्टीकरण के
कहिआ धरि भारत मे
धर्मनिरपेक्षता मानल जेतैक
भविष्य बाजि ने रहल

7 comments:

  1. bhavishya bajat, muda democracy ke je samikaran chhaik se ke badlat,

    vartman bajat, muda democracy ke je samikaran chhaik se ke badlat

    bhoot bajat muda aristocracy ke je samikaran chhaik se ke badlat

    ReplyDelete
  2. dar yaih achhi je ahu sanghvadi ne ghoshit kay del jai, corruption aa characterlessness ke jhapbak lel lok secularism ke sahayta lebe ne karait chhathi,

    nik prastuti

    ReplyDelete
  3. कविता
    भूतःवर्तमानःभविष्य

    अकबर के जोधाबाइक संग
    विआह करबाक लेल परामर्श के देने रहैक
    भूत बाजि ने रहल

    रोमिला थापरक तर्क संपूर्ण रुपे सत्त
    नागेश ओकक फूसि
    लोक के गोधरे किएक देखाइत छैक
    कश्मीरी पंडित आ राजौरी किएक नहि
    वर्तमान नहि बाजि रहल

    तुष्टीकरण के
    कहिआ धरि भारत मे
    धर्मनिरपेक्षता मानल जेतैक
    भविष्य बाजि ने रहल

    aashish ji ehi par ekta gazal aa ekta kundaliya seho bhay jai

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  4. ahank rachna aa tippani dunu me dhar rahait chhaik sreeman, kon aagi hriday me rakhne chhi

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  5. एहिपर पैघ डिसकश भ' सकैत अछि। एतेक छोट कवितामे बहुत किछु अस्पष्ट रहि गेल।

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  6. बहुत नीक प्रस्तुति

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