भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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Tuesday, April 14, 2009
एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी(पाँचम कड़ी)
हम महदेव झा कs विषय में सोचति सोचति नहि जानि कतय ध्यान मग्न भs गेलहुं, अचानक हमर ध्यान खुजल तs देखति छी इ हमरा सोझां में ठाढ़ भs मुस्की दs रहल छथि। इ देखि कs हमरा लाज भs गेल, आ इ तुंरत हमरा दिस हाथ आगू कs कहलाह, " लिय, अहाँक लेल हम मुँह बजाओन अनलौंह अछि, ई हमरा दिस सs अहाँक लेल पहिल उपहार थिक। चतुर्थी दिन वाला तs दादक कीनल छलैन्ह, ई हमरा दिस सs अछि"। ई कहि हमरा दिस एकटा किताब आगू बढ़ा देलथि।
पँचमी दिन भोरे भोर दादी सभ गोटे कs उठा देलथिन। हिनको उठय परि गेलैन्ह, इहो भोरे भोर तैयार भs गेलाह, हिनको हमारा संग पूजा पर बैसय कs छलैन्ह। पूजा पर बैसैत बैसैत ९ बाजि गेलैक। दादी भरि गामक लोक कs हकार दियबोने रहथि मुदा पूजा काल गामक सभ गोटे नहि आयल छलथि हाँ, अपन दियादि महक सभ कियो अवश्य आयल रहथि। परंच भरि दिन लोकक एनाइ गेनाइ लागल छलय। पूजा आ कथा समाप्त होयत होयत १ बाजि गेलय। सब सs पहिने हिनकर भोजनक व्यवस्था कs हिनका खुआयल गेलैन्ह, तकर बाद अहिबाति सबहक खेनाइ कs ओरिओन कs हुनका सब कs बैसायल गेलैन्ह। हमरो हुनके सबहक संग बीच में बैसि कs खेबाक छलs। हमारा मिट्ठ खेबाक एको रत्ती इच्छा नहि होयत छलs। सब गोटे खेबाक लेल जिद्द कs देलैथ इ कहि जे बस एकर बाद आब मिट्ठ नहि खाय परत । दोसर साँझ भेला पर किछु नय खेबाक छल, कहुना कनि खीर खा कs उठि गेलहुँ
पूजा पर सs उठला पर ततेक नय थाकि गेल रहि जे होयत छलs जे चुप चाप सुति रहि मुदा कनि कनि काल पर कियो नय कियो आबि जायत रहथि आ हुनका सब लग बैसय लेल तुंरत बजाहटि आबि जायत छल। दुपहर में हम सब फेर फूल लोढ़य लेल गेलहुँ ओहि दिन हम बहुत थाकल रहि, तथापि जेना जेना सभ गोटे फूल पत्ति तोरथि तहिना हमहुँ तोरि कs राखने जाइ, ओहि दिन बुझ परैत छलs सब थाकल रहथि, ओहि दिन हम सभ जल्दिये आपस भs गेलंहु।
प्रतिदिन हमसब फूल लोढ़य लेल जाइ आ एक पथिया करीब रोज फूल पात आनि। बारहम दिन हमसब कनि जल्दी जाs कs फूल जाहि जूही लs अनलियय ओहि दिन बहुत लोकक ओतहि पाहुन कs अयबाक छलैन्ह, किनको ससुर कs अयबाक छलैन्ह तs किनको वर कs। बारहम दिन धरि करीब खिड़की तक फुल पातक टालि लागि गेलैक, ताहि पर उपर सs दूध, जल प्रसाद चढायल जायत छलैक। कोहबर घर में ओना तs धूप दीप जरति छलैक मुदा तइयो कनेक मनेक गंध रहति छलैक। बारहम दिन साँझ में पूजा वाला सबटा फूल पात हटाs कs ओहि ठाम साफ करायल गेलैक, कियैक तs मधुश्रावणी दिन फेर सs सभटा फूल पात हटेलाक बाद ओतहि साफ कs फेर सs अरिपन परैत छैक। जखैन्ह फूल पात हटायल जायत छलैक तखैन्ह बुझय में आयल जे हमसभ कतेक फूल पात आ जाहि जूही तोरने रहि, खत्मे नहि होयत छलैक ।
साँझ में हमर ससुर अपने, हमर एकटा पितिऔत दियोर कs संग भार लs कs अयलाह। तखैन्ह सs घर में सबगोटे आओर व्यस्त भs जाय गेल्थिन।हमर दादी आ माँ भार देखबा आ देखेबा में व्यस्त छलिह। बिधक की सब आयल अछि की सब नहि। हमर ससुर सेहो विवाहक बाद पहिल बेर आयल छलाह। हिनको अपन दादा (पिताजी) सs विवाहक बाद पहिल बेर भेंट भेल छलैन्ह, गप्प सप में देरी भs गेलैक।
हम सुनने रहि जे मधुश्रावणी दिन कनिया कs सासुर सs बिधक सामान संग टेमी सेहो अबैत छैक आ ओहि सs कनिया कs दुनु ठेहुन कs डाहल जायत छैक। टेमी सs डाहलाक बाद ओकरा पर पान आ सुपारी दs ओकरा रगरि देल जायत छैक जाहि सs फोका अवश्य होय। फोका भेला सs निक मानल जायत छैक। सब दिन फुल लोढ़य काल इ सब गप्प होयत रहैत छलैक। हम सांझे सs डरल रहि आ जखैन्ह सs हमर ससुर आबि गेलाह तखैन्ह सs दर्दक कल्पना कs आओर डरि जायत रहि। दादी कs गप्प मोन परि जाय जे "मधुश्रावणी लोकक एके बेर होयत छैक"। किनको सs किछु पुछबो नय करियैन्ह।
राति में सुतय में देर तs भs गेल छलैक, भगवान भगवान कs सुतय लेल गेलहुं। हम ओनाहों कम बाजति छलौंह ओहि दिन आओर किछु नय बाजति छलियs इ हमरा सs दू तिन बेर पुछ्लाह किछु भेल अछि, हम सब बेर नय कहि दियनि मुदा हिनका बुझs में आबि गेलैन्ह कि किछु गप्प अवश्य छैक। जखैन्ह इ हमरा बहुत पुछ्लथि तs हम धीरे सs कहलियैन्ह, "हमरा डर होयत अछि"। हिनका किछु बुझय में नय अयलैन्ह, अचानक हमरा डर कियैक होयत छलs। इ हमरा बहुत निक सs बुझा कs पुछ्लाह "डरबाकs आखिर कोन गप्प छैक", अहाँ पहिने डरु नय आ हमरा कहु की गप्प छैक"? हम डरैत हिनका कहलियैन्ह "हमरा टेमी सs डर होयत अछि"। "टेमी... कियाक टेमी सs डर होइत अछि"? हम हुनका तुंरत सभटा कहि देलियैन्ह जे काल्हि कs लेल डरि रहल छलन्हु। इ हमरा कहलाह "अहाँ जुनि डरु एकतs हमरा बुझलि अछि जे हमारा ओतय टेमी नहि होयत अछि, दोसर जाओं होयतो होयत तs अहाँ कs नहि होमय देबैक, हमर गप्प के कियो नय काटतिह "। ओहि दिन पता नहि कोना आ कियाक, तुंरत हिनका पर पूर्ण रूपेण विश्वास भs गेल, हम निश्चिंत भs गेलहुं जे आब हमरा टेमी नहि परत। ओकर बाद हमरा मोन में कोनो डर नहि छलs।
भोरे उठी कs तैयार भेलन्हु मुदा मोन में कनिको डर नहि छलs। मधुश्रावणी दिन पूजा में कनेक आओर बेसी समय लगलैक, जखैन्ह टेमी देबाक भेलs तs जहिना हमर बिधकरि उठलथि इ तुंरत कहि देलथिन हमरा सब में टेमी नय होयत अछि। इ सुनतहि हमरा ततेक नय खुशी भेल जकर वर्णन नहि कयल जा सकति अछि। बिधकरि उठि कs एकटा टेमि आनि कहलथिन ठीके हिनका सभके शीतल टेमि होयत छैन्ह। एकटा टेमि में चंदन लगा ओहि सs हमर दुनु ठेहुन में लगा देल गेल।
ओहि दिन फेर अहिबातिक संग खेबाक छलs। हमर ससुरक सौजनि सेहो छलैन्ह। पाबनि सs उठलाक बाद हिनकर भोजनक व्यवस्था आ हमर ससुरक सौजनि भेलैन्ह आ हम खेलाक बाद जहिना सोचलौन्ह आब आराम करैत छि कि माँ आबि कs कहलैथ तैयार होयबाक अछि हमर ससुर, दादा जी आबैत होयताह। दादा जी कs आदेश छलैन्ह जे ओ हमरा भगवति घर में देखताह। हम फेर तैयार भs भगवति घर चलि गेलंहु । दियोर आ दादा जी दुनु गोटे भगवति घर अयलाह आ कनि दूर ठाढ़ भs गेलाह। हमरा संग जे छलिह ओ हमरा जाs कs गोर लागय लेल कहलैथ, हम ठाढ़ भs दादा जी लग जा हुनका गोर लागि लेलियैन्ह आ ओहि ठाम बैसि गेलंहु, ओ तुंरत देखेबाक लेल कहलैथ आ हुनका जहिना देखा देल गेलैन्ह हमरा हाथ में एकटा गहना दs ओतय सs चलि गेलाह।
दादा जी साँझ में चलि गेलाह। हमारो सबके दू दिन बाद जेबाक छलs। हमर छोट भायक मुंडन छलैन्ह अरेराज मंदिर में, हुनकर मुंडन करा हमरा राँची में छोरति, छोटका भाय आ तिनु बहिन के संग माँ बाबुजी कs अरुणाचल जयबाक छलैन्ह बाबुजी कs छुट्टी से ख़तम भs गेल छलैन्ह। । हिनका सेहो मुंडन में उपस्थित रहबाक लेल माँ बाबुजी सब कहैत रहथि।
राति में इ हमरा सs हमर मोन जांचय लेल पुछ्लथि अहांक माँ बाबुजी हमरो मुंडन में उपस्थित होयबाक लेल कहैत छथि, हम की करि । हम पहिने त चुप रहि मुदा टेमी वाला बातक बाद स हमर कनि धाख टुटि गेल छल। हम धीरे सs कहलियनि छुट्टी अछि त अहुँ हमरे सब संग चलु , मुंडन कs बाद अहाँ मुजफ्फरपुर चलि जायब आ हम सब राँची चलि जायब। इ हमरा कहलथि हमर कॉलेज में हरताल चलैत अछि। जाहि दिन शुरू भेल छलैक ओहि दिन अहाँक बाबुजी पहुँचि गेलाह , हम सोचिते छलहुँ अयबाक लेल ताधरि हमरा बाबुजी कहि देलैथ छुट्टी अछि तs अहि ठाम कि करब चलु हमरा संग आ हम चलि आयल रहि। दोसर अहाँ चिट्ठी जे लिखने रही, हमरा ततेक नय ख़ुशी भेल जे हम तुंरत आबय चाहति रहि।
हम हिनकर गप्प सुनी कs मोने मोन बड खुश भेलहुँ , मुदा इ हमर मोनक गप्प कोना बुझि गेलाह से नहि जानि। इ हमरा अपने मोने कहय लगलाह राँची तs अहि ठाम स दूर छैक परंच हम कोशिश करब जखैन्ह छुट्टी होयत हम आबि जायब अहाँ चिंता जुनि करब, खूब मोन स पढ़ब। हम इ सुनतहि उदास भ गेलौहुं, तखनि हमरा लागल जे आब हमरा हिनका सs अलग रहय में निक नय लागत।
तेसर दिन हम दुनु गोटे, माँ बाबूजी, हमर भाय बहिन सब दादी बाबा कs संग गाम सs अरेराज कs लेल बिदा भs गेलहुँ। राति सबगोटे मोतिहारी में रुकि भोरे भोर हमसब मन्दिर पहुँची गेलहुँ आ मुंडन भेला पर सबगोटे मन्दिर दर्शन करय लेल जाय गेलियय, हम आ ई बाहरे सs भोला बाबा कs गोर लागि लेलियैन्ह। दादी कहने छलथि विवाहक एक बरख धरि लोग मन्दिर कs भीतर नहि जायत छैक। सबगोटे वापस फेर मोतिहारी आबि गेलहुँ, दादी बाबा गाम चलि गेलाह आ हमसब ओहि दिन मोतिहारी रुकि गेलहुं , दोसर दिन हमारा सब के मुजफ्फरपुर सs राँची के लेल रेल गाड़ी छलs।
क्रमशः ........
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9 comments:
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आन बेर जकाँ फेर एक बेर मोन बान्हि कए रखलक ई भाग।
ReplyDeleteशीतल टेमी!!!
ReplyDeleteनीक लागल।
1. रचनामे कोनो तथ्यगत कमी नहि अछि।
2. कनेक परिमार्जन आवश्यक, जेना "में" एहि मे हिन्दीमे अनुस्वार होइत अछि मुदा मैथिलीमे मधुरता रक्षार्थ अनुस्वार नहि होइए।
3.टंकनमे कतहु-कतहु त्रुटि अछि मुदा से पठनमे बाधक नहि अछि से लेखकीय कौशलता देखबैत अछि।
4.कोनो आर त्रुटि नहि।
5. पात्र सभक नाम सेहो अएबाक चाही, कल्पिते सही। नाम नहि तँ फलना गाम बाली, जेना बिधकरीक नाम आदि।
धन्यवाद।
आपको और आपके पुरे परिवार को वैशाखी की हार्दिक शुभ कामना !
ReplyDeletekusum jee,
ReplyDeletepahine ta ee kahu je agilaa bhaag kakhan paidh sakait chhee, bahut kamaal ke lekhan aichh, mon prasann bha gel, bahut kam log aihee shailee mein likh sakait chhaith.
pravah bANAL ACHHI, BAD NIK AAROH
ReplyDeleteee ansh seho otabe rochak jatek pahiluka bhag sabh chhal
ReplyDeletesampoorna rachna me eko tham avrodh nahi, nirjhar jeka jhari rahal achhi lekhni se rachna,
ReplyDeletedhanyavad kusumji
बहुत नीक प्रस्तुति
ReplyDeletenik prastuti ek ber pher
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