भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Monday, April 13, 2009

1. पूर्वजक जन्मभूमिकेँ शत-शत प्रणाम 2.आचार्य पंकज

1. पूर्वजक जन्मभूमिकेँ शत-शत प्रणाम-

३५० बरस पहिल हमर पूर्वज मिथिला जरूर छोड़ने छला किंतु मैथिल होबाक गर्व हम सब सब दिन महसूस केने छि.हम सब ओतने गर्वोन्नत मैथिल छि जेतना कौनो दोसर मैथिल होता।लगभग ३५० बरस स हमर परिवार आधुनिक झारखण्ड क देवघर जिला अंतर्गत सारथ थाना के खैरबनी ग्राम में रही रहल छे
३०० साल पहिने एक सिद्ध ज्योतिषी मिथिला सँ चलि आज के देवघर जिलाक सारथ ,जकरा पहिने सरहद कहल जाइत छल , राजदरबार मे राज ज्योतिषी स्थान ग्रहण केलन्हि .ध्यान देबा योग्य बात ई अछि जे राज दरबार मुस्लिम नबाबक रहए आ राज ज्योतिषी मैथिल ब्राह्मण बनलाह.तखनसँ आइ धरि ओ परिवार ओतहि रहि गेल जेना आइ हम दिल्लीक भेल जा रहल छी। मुदा ई तँ एक सामजिक आर ऐतिहासिक प्रक्रिया अछि .विस्थापन तथा परिभ्रमण इतिहासक अति महत्त्वपूर्ण घटना रहल अछि .लेकिन अपन धरती अपन देश--देसिल बयना ,सब जन मिट्ठा-- स्मृति हमरा आइयो मैथिल बनेने अछि .हमसभ अपन इलाकामे अपनाकेँ मैथिल ब्राह्मण कहैत छी मुदा एहिमे ब्राह्मण गौण रहैत अछि मैथिल प्रमुख भ' जाइत अछि। दोसर लोक हमरा सभक लेल मैथिल शब्दक प्रयोग करैत छथि। माने मैथिल शब्द हमर अस्मिता हमर अस्तित्वक द्योतक अछि .


2. आचार्य पंकज

पंकज जी
हम अमरनाथ झा,दिल्ली विश्वविद्यालयक स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज मे इतिहास विभाग मे अससोसिएत प्रोफ़ेसर छी । हम अहाँकेँ संताल परगना (झारखण्ड) मे हिंदी साहित्य आ हिंदी कविताक अलख जगेनिहार सैकड़ामे साहित्यकार पैदा करएवला ओहि महान साहित्यकार एवं हुनकर रचनासँ अवगत कराबए चाहैत छी जे अपन बहुमुखी प्रतिभाक बलपर समस्त संताल परगनाकेँ शिक्षाक लौ सँ रौशन केलन्हि। १९१९ मे जन्म लेल श्री ज्योतींद्र प्रसाद झा "पंकज" नामक एहि महामना द्वारा १९३४ मे देवघरक हिंदी विद्यापीठमे अध्यापनक कार्य शुरू कएल गेल आ अपन प्रकांड विद्वताक बलपर तत्कालीन हिंदी जगतक धुरंधरक ध्यान अपन दिस खिचलन्हि। १९४२ क भारत छोड़ो आन्दोलनक कमान एक शिक्षकक हैसियतसँ सम्हारलन्हि १९५४ मे ओ संताल परगना महाविद्यालय दुमका (ओहि समय भागलपुर विश्वविद्यालयक अंतर्गत )क संस्थापक शिक्षक एवं हिंदी विभागक अध्यक्ष बनि गेलाह। एहि बीच तत्कालीन पत्र-पत्रिकामे ओ "पंकज" क उपनामसँ कविता ,समीक्षा आ एकांकी लिखैत रहलाह ,जकर चर्चा होइत रहल। १९५८ मे हुनकर कविता संग्रह "स्नेहदीप" क नाम सँ छपल। १९६४ मे हुनकर दोसर कविता संग्रह"उदगार" क नामसँ छपल। १९६५ मे संताल परगनाक साहित्यकार सभ मिलि क’ एक बहुत पैघ साहित्यिक संगठनक निर्माण कएलन्हि जकर अध्यक्ष "पंकज"जी केँ बनाओल गेल आ एहि संगठनक नाम सेहो हुनके नाम पर "पंकज-गोष्ठी" राखल गेल। १९६५ सँ १९७५ धरि पंकज गोष्ठी संपूर्ण संताल परगनाक असगर आ सबसँ पैघ साहित्यिक आन्दोलन छल। सत्य तँ ई अछि जे ओहि दौर मे ओतए पंकज गोष्ठीक मान्यताक बिना कोनो साहित्यकारहि नहि कहाइत रहथि। पंकज गोष्ठी द्वारा प्रकाशित कविता संकलनक नाम छल "अर्पण" तथा एकांकी संकलनक नाम छल "साहित्यकार"। लक्ष्मी नारण "सुधांशु ",जनार्धन प्रसाद मिश्र "परमेश",बुद्धिनाथ झा"कैरव" क समकालीन एहि महान विभूति--प्रोफ़ेसर ज्योतींद्र प्रसाद झा "पंकज' क विद्वता,रचनाधर्मिता एवं क्रांतिकारिता सँ तत्कालीन महत्त्वपूर्ण हिंदी रचनाकार जेना--रामधारी सिंह"दिनकर",द्विजेन्द्र नाथ झा "द्विज",हंस कुमार तिवारी,सुमित्रानंदन"पन्त',जानकी वल्लभ शास्त्री नलिन विलोचन शर्मा आदि भली भांति परिचित छलाह । आत्मप्रचारसँ कोसो दूर रहए वाला "पंकज"जी केँ भले आइ हिंदी जगत बिसारि देलक अछि परन्तु ५८ साल कि अल्पायु मे १९७७ मे दिवंगत एहि आचार्य कविकेँ मृत्यक ३२ वर्षो बादो संताल परगनाक साहित्यकारे टा नहि वरन लाखों लोक अपन स्मृतिमे आइयो महान विभूतिक रूपमे जिन्दा रखने छथि। संताल परगनाक एहन कोनो गाम या शहर नहि अछि जतए "पंकज"जी सँ सम्बंधित किम्वदंति नहि प्रचलित होअए। की अहाँ हुन्अका आ हुनकर कृतिक ब्रिहद्तर हिन्दी जगतक समक्ष प्रस्तुत करबामे हमर सहायता करब ? अहाँक प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित अछि। अभिवादनक संग -उत्तरापेक्षी,अमरनाथ ।

मैथिल आर मिथिला से जुड्लाक बाद हम बेहद प्रसन्नता के अनुभव के रहल छि| लगभग ३५० बरस स हमर परिवार आधुनिक झारखण्ड क देवघर जिला अंतर्गत सारथ थाना के खैरबनी ग्राम में रही रहल छे.परिणाम स्वरुप हम सब घर म मैथिलि नै बजे छि.हम सब विशुद्ध अंगिका सेहो ने बजे छि.हमर बोली में किछु मैथिलि आर किछु अंगिका के सम्मिश्रण छे.ते दुआरे मैथिलि लिखे में जे किछु त्रुटी होए ओकरा क्षमा करू।मुदा हमारा इ मंच पर आमंत्रित के क जे सम्मान हमरा अपने देलोंओकरा लेल हम धन्यवाद ज्ञापित करे छि.आशा छे इ सम्बन्ध समय क संग आर प्रगाढ़ होयत।मैथिल आर मिथिला क योगदान सराहनीय।
शुभकामना सहित 
अमरनाथ झा
दिल्ली विश्वविद्यालय. 

12 comments:

  1. amarnath ji katek nik te likhait chhi, ehina maithili me aar likhoo

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  2. svagat achhi bhai ji, vividhta aani delahu, aar likhoo khoob likhoo

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  3. internet sabh ke jori delak, ek maithil ke dosar maithil se

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  4. ahank lekhni bad nik, angika te maithili ye ne achhi, pronunciation matrak phark achhi, svatantratak bad politician sabh maithili ke dabebak lel vajjika aa ankiga ke rora anlanhi, dekhiyau ne andhra me telengana bala sabha seho telugu baajaiye muda coastal area bala sabha ke andhraite kahaiye

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  5. aadarniya
    AMARNAATH JI, NAMASKAAR
    apanek bhavnaak abhibyakti bahut nik lagal.
    dhanyawaad bahut-bahut.
    prabandha kumar singh
    manigachi
    darbhanga

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  6. मनीष गौतम4:30 PM

    amarnath ji, namaskar,

    acharya pankaj jik bare me jankari debak lel dhanyavad,

    ekta aagrah je post ke edit kay ehi me pankaj jik photo sammilit karbak kripa karu

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  7. Rama Jha4:32 PM

    स्वर्गीय आचार्य पंकजजीक विषयमे जानकारी सूचना पाबि मोन तृप्त भेल।

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  8. acharya pankaj aa maithilak migration vishaya me jankari anupam

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  9. Anonymous5:16 PM

    apne sab ke bahut-bahut dhanyavaad,hamar sankshipta lekh padavaak lel.ham aabhaari seho chhi je apne sab utsahvardhak pratikriya dene chhi.Achaarya Pankaj se sambandhit web site seho apne sab visit ke sake chhi.site taiyar bha rahal chhe--kichhu din lagat.web add aichh---
    http://www.pankajgoshthi.org
    http://www.pankajgoshthi.com
    apne sab se nivedan chhe je ahina pratikriya bhaji ke hamra protsaahan diu,ham maithili me ekdam nav chhi.
    amarnath jha.

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  10. बहुत नीक प्रस्तुति

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