भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Monday, April 13, 2009
कविता- हे हमर प्रेयसी- आशीष अनचिन्हार
हे हमर प्रेयसी
जहिना
फूल झहरि-झहरि खसैत अछि
माटि पर
ओकरा सजबए लेल
मेघ हहरि-हहरि
बुन्नी बनि जाइत छैक
फसिलक लेल
सुगंध उड़ि-उड़ि
बसात मे मीलि जाइत छैक
ओकर सौन्दर्यक लेल
तहिना
हे हमर प्रेयसी, हे हमर सोन
आउ
हम दूनू मीलि जाइ
एक दोसरा मे
नव जिनगी , नव चेतनाक
लेल
7 comments:
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
AABA KAVITO GAZLE JEKA SUNDAR AA UTKRISHTA
ReplyDeleteहे हमर प्रेयसी
जहिना
फूल झहरि-झहरि खसैत अछि
माटि पर
ओकरा सजबए लेल
मेघ हहरि-हहरि
बुन्नी बनि जाइत छैक
फसिलक लेल
सुगंध उड़ि-उड़ि
बसात मे मीलि जाइत छैक
ओकर सौन्दर्यक लेल
तहिना
हे हमर प्रेयसी, हे हमर सोन
आउ
हम दूनू मीलि जाइ
एक दोसरा मे
नव जिनगी , नव चेतनाक
लेल
SABH SHABD CHUNI CHUNI, BEECHI BEECHI, BIKCHHIYA BIKCHHIYA LEL GEL ACHHI.
ReplyDeleteAA EKAR PARINAM ACHHI ETEK NIK KAVITA
KAMAL KARAI CHHI BHAI
ReplyDeleteहे हमर प्रेयसी, हे हमर सोन
HE HAMAR SON LIKHI BAHUT KICCHU AANI DELAHU EHI KAVITA ME
EK BER PHER EKTA NIK RACHNA AHANK KALAM SE PADHLAHU
ReplyDeleteaab te kavito jhurjhar aabay laagal; ahank
ReplyDeletebah bhai, sabhta udaharanak explanation optimistic,
ReplyDeletenik lagal,
muda jingi me...
बहुत नीक प्रस्तुति
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