भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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Saturday, April 04, 2009
विदेह २८ म अंक १५ फरबरी २००९ (वर्ष २ मास १४ अंक २८)part-ii
३.पद्य
३.१. निमिष झा बुद्ध आ आतंक
३.२.ज्योति-
३.३. पंकज पराशर
निमिष झा
बुद्ध आ आतंक
अणु बमक विस्फोकटक बाद
भयाउन वातावरणमे
आत्मा क शान्तिक नहि खोजू ।
रक्तपातक बाद, शून्यि आकाशमे
खुशीक चुम्बदन नहि करू ।
ओ अहाँक भूल हैत, महाभूल
रणभूमिमे
विश्वि शान्ति,क नारा लगायब ।
ओ अहाँक भूल हैत
तोपक गोलामे
भातृत्वलक सन्देश खोजब ।
घृणा आ स्वा र्थक सागरमे
विश्वआ बन्धु्त्विक शंखघोष किए करै छी
हिंसा आ आतंकक बीच
गौतम बुद्धक सन्देधश
फिका रहत ।
अपन फुसियाएल आर्दशकेँ
बनाबटी ढोङ्ग सँ नहि झाँपू
समय बहुत आगू बढ़ि गेल अछि ।
स्वाबर्थी आ व्यिक्तित्वंवादी समाजमे
कृत्रिम आदर्शक वीजारोपण नहि करू
अहाँक आदर्श सभ
कालान्तरमे
अहीँकेँ डसिलेत ।
विद्याधन-ज्योति झा चौधरी
विद्याधन
विद्या धन कतेक अनमोल
सोन चांदी सऽ कोना तौलायत
केहेनो संकट आऽ प््रा लय आबै
संगे रहत नहिं कतौ बिलायत
संचय के कोन प््रा वधान
जतेक बांटू ततेक बढ़ैत जायत
आऽ बॅंटनिहार सब लोक सऽ
सम्मान एवम् प््राोशंसा सेहो पायत
अथाह सागर अछि विद्याके
मंथन करै बला भने अघायत
मुदा अहि अनन्त भण्डारक
थाह कोनाकऽ कियो पायत
ज्ञानक संसारक सम्पूर्ण विधाके
ज्ञाता बनऽ जॅं कियो चाहत
अपन लक्ष्यक प्राप्तिमे
एक जीवन के तुच्छ पायत
डॉ पंकज पराशर-
रावलपिंडी
----------------------
(एक)
रावलपिंडी सँ आइयो बहुत दूर लगैत छैक लाहौर
बहुत दूर...
जतय स्वतंत्रता केर समवेत स्वर
प्रचंड नरमेधक अनंत इतिहास मे बदलि गेल छल
दूर-दूर होइत समय मे अनघोल करैत
अनंत स्वर-श्रृंखला...
जेहो सब छल निकट
से दूर भेल जा रहल अछि
दूर-दूर होइत बहुत किछु
विलीन भेल जा रहल अछि
चारू दिशा मे टहलैत इंसाफी मरड़ आ छड़ीदार लोकनि
इंसाफ करबाक लेल अपस्यांत
वर्तमान सँ भविष्य धरि आश्वस्त होइत
अगुताएल छथि इतिहासो मे घुरि कए इंसाफ करबाक लेल
(दू)
जखन हम फोन पर होइत छी खांटी मातृभाष्ी
मायक लेल बजैत चिंताहरण बोल
आ कि टैसी रोकैत ड्राइवर करीम खान
अविश्वास आ आश्चर्य भरल स्वर मे पुछैत अछि-
-भाय तोंय हिंदुस्तानी छहो?
हमरा अबा सँ तनी मिलभो-हुनि बोलइ छथिन इएह बोली
जे तोंय अखनी बोलइ रहो
आ शनैः शनैः पसरि जाइत अछि हमरा टैसी मे आकुल-व्याकुल
अविभाजित देशक भागलपुर आ मुंगेर
लाहौरक बाट मे
(तीन)
हमरा डाकघरक मोहर मे आइयो कायम अछि मुंगेर
आ एतय कतरनी धानक चूड़ा मोन पाड़ैत करीम खानक वृद्ध पिता
दुनिया सँ जयबा सँ पूर्व एक बेर
जाइ चाहैत छथि अपन देसकोस
एकटा देश भेटबाक बादो ओ तकैत छथि
अपन देसकोस
अपन देस सँ नगर-नगर बौआइत कइक कोस
हम पहुँचल छी रावलपिंडी
जतय आइयो पछोड़ धयनेँ अछि
देसकोस
कोस-कोस पर परिवर्तित होति पानि
एतेक कोस दूर ओहिना लगैत अछि
जेहन अपन गाम केर इनारक
आ दस कोस पर परिवर्तित होइत बोली
साठि-एकसठ बरखक बादो ओहने लगैत अछि
जेहन आजुक भागलपुरक
हम तकैत छी इतिहास दिस
आ सामूहिक स्मृति सँ विलीन इतिहास हमरा दिस
जे भेटैत अछि हमरा कइक कोस दूर रावलपिंडी मे
(चारि)
जतय एके संग घटि रहल अछि अनेक घटनाचक्र
गहूमक चिकस लेल तनाइत ए.के-सैंतालिस
सैंतालिस सँ सैंतालिसक चक्रवृद्धि देखैत
ठाम-ठाम सँ आयल रावलपिंडीक किछु वृद्धजन
उच्चरित करैत छथि मंत्र जकां-
इस्लामाबाद
इस्लाम-आबाद
आह...बाद
आबाद लोकक बीच
सब बर्बाद
(पांच)
बाघाक बाधा ब्रह्मांडक संपूर्ण बाधा सँ बेशी मोसकिल छैक नुनू
तोंय अइलहो हमरा सँ मुलाकात करलहो...
मिल विलीन होइत अस्सी बरखक जमकल नोर मे
हमरा मात्र लहो...लहो...लहो...केर सृष्टिक सब सँ आदिम स्वर पंचम मे
भागलपुरक सामूहिक स्मृति सँ विलीन इतिहासक
जीवंत कथा वर्तमानक कैनवास पर पसरि रहल छल!
कला आ संगीत शिक्षा
हृदय नारायण झा, आकाशवाणीक बी हाइग्रेड कलाकार। परम्परागत योगक शिक्षा प्राप्त।
मिथिलाक लुप्तप्राय गीत
विवाह संस्कारक लुप्तप्राय गीत
मिथिला मे अत्यंत व्यापक रहल अछि विवाह संस्कार गीतक परंपरा । विवाहपूर्वहि सॅ गीतक रीत अछि मिथिलाक लोक जीवन मे । विवाह योग्य कन्याक हेतु जखन सुयोग्य वर खोजऽ लेल पिता आ अन्य संबंधी लोकनि जाइत छथि तखन जे गीत गाओल जाइत अछि से सम्मर ,कुमार ,लगन आदि गीतक नाम सॅ जानल जाइत अछि । एहने एकटा सम्मर के बानगी अछि जकर विषय सीता स्वयंवर सॅ संबंधित अछि । मिथिलाक बेटी रूप मे सर्वमान्य सीताक विवाहक ओ सम्मर एखनहुॅ बीज रूप मे ,लोककण्ठ मे
सुरक्षित किन्तु लुप्तप्राय अछि । से गीत अछि -
जानकि अंगना बहारल धनुखा उठाओल हे । आहे पड़ल पिता मुख दृष्टि पिता प्रण ठानल हे ।।
राजा राज ने भावय भाखथि रानी हे । आहे बेटी बियाहन जोग सुजोग वर खोजह हे ।।
जे इहो धनुखा कॅे तोड़त देव लोक साक्षी हे। आहे राजा हो आ कि रंक ताहि देव जानकि हे ।।
देश हि विदेश केर भूप स्वयंवर आयल हे । आहे धनुखा तोड़ल सीरी राम मंगल धुनि बाजल हे ।।
विवाह सुनिश्चित भेला पर आंगन मे लगनक गीत गेबाक परंपरा रहल अछि । विवाह सॅ पूर्व कन्या क जे कोनो विध बेवहार होइत अछि ताहि मे लगनक गीत स्त्रीगण लोकनि द्वारा समूह मे गाओल जाइत अछि । एहन पारंपरिक गीतक पद आ धुन आबक विवाह संस्कार मे लुप्तप्राय अछि । लोककण्ठ सॅ प्राप्त एहने एकटा गीत अछि -
राजा जनक जी कठिन प्रण ठानल आहो राम रामा । दुअरहि राखल धनुखिया हो राम रामा ।।
जे इहो धनुखा केॅ तोड़ि नराओत आहो राम रामा । सीता केॅ व्याहि लय जाएत आहो राम रामा ।।
देश हि विदेश केर भूप सब आएल आहो राम रामा । धनुखा केॅ छुबि छुबि जाय आहो राम रामा ।।
लंकाधिपति राजा रावण आएल आहो राम रामा । ओ हो रे घुमल आधि बटिया हो राम रामा ।।
मुनि जी के संग दुई बालक आएल आहो राम रामा । धनुखा तोड़ल सीरी राम आहो राम रामा।।
विवाहक संबंध निश्चित कऽ बाबा अबै छथि आ विवाहक दहेज आ अन्य अनुष्ठान सभक चिन्ता मे सोचैत आॅखि मूनि बिछान पर पड़ि रहै छथि । आंगन मे सभक मोन मे विवाह सुनिश्चित हेबाक आनन्द आ उत्साह अछि । इ देखि बेटी केॅ जिज्ञासा होइ छै ओ बाबा सॅ हुनक एहि भावक कारण पुछैत अछि । एहि भावक एकटा ‘ कुमार ‘गीत अछि जाहि मे बाबा आ बेटी विवाहक संबंध मे परस्पर जिज्ञासाक समाधान अछि। पारंपरिक कुमार गीतक से पद आ धुन लुप्तप्राय अछि । ओहने एकटा गीत अछि -
बेटी- नदिया के तीरे तीरे बाजन बाजल किए बाबा सूतह निचिन्त हे ।
बाबा- किछु बाबा सूतल किछु बाबा जागल किछु रे बियाहक सोच हे ।।
के हे सम्हारत एते बरियात , के हे करत कन्यादान हे ।
बेटी -भइया सम्हारत एते बरियात , बाबा करता कन्यादान हे ।।
कथिए बिना बाबा खीरीयो ने होअए ,कथी बिनु होम ने होय हे ।
कथिए बिना इहो सइरा अन्हार भेल , कथी बिनु होमा ने होए हे ।।
बाबा-दूध बिना बेटी खिरीयो ने होअए , घीउ बिनु होम ने होय हे ।
बेटा बिना इहो सइरा अन्हार भेल , धिया बिनु धर्म ने होय हे।।
मिथिलाक विवाह संस्कार मे परिछन गीतक बहुतो पारंपरिक गीत आ धुन लुप्तप्राय अछि। ओहेन किछु
धुनक परिछन गीतक उदाहरण एहि रूपेॅ देखल जा सकइछ । बेटी के लछमी आ जमाय के विष्णु रूप मे व्यक्त करैत पारंपरिक परिछन अछि -
सखी हे लछमी के दुलहा लगइ छनि कोना ? जेना विष्णु उतरि अएला अंगना ।।
सखी हे दुलहा के चानन लगइ छनि कोना ? जेना बिजुरि तरंग छिटकु नभ ना ।।
सखी हे दुलहा के केस लगइ छनि कोना ? जेना साओनक श्याम घटा घन ना ।।
सखी हे दुलहा के हाथ सोभय कंगना । जेना हरि केर हाथ सुदर्शन ना ।।
सखी हे नहूॅ नहॅू दुलहा चलइ छथि कोना । जेना सिंह चलय निरभय वन ना ।।
परिछनक बिध जखन आरंभ होइत अछि तॅ सबसॅ पहिल बिछ होइछ धुरछक अर्थात् दुलहाक स्वागतगीत । एहि मे एक सोहागिन स्त्री माथ पर कलश लऽ कऽ दुलहाक समक्ष ठाढ होइत अछि आ परिछनक डाला सजओने विधकरीक सॅग स्त्रीगण लोकनिक समूह धुरछक के गीत गबइत अछि । ओहि गीत मे दुलहा सॅ जलपूर्ण घट मे द्रव्य अर्पित करबाक संकेत होइत अछि । एहन एक गीत अछि -
सुन्दरि नवेली ठाढ़ि धुरछक गाबथि हे सोहाओन लागे ।
सोना के कलसिया नेने माथ हे सोहाओन लागे ।।
आनन्द बधावा बाजे नृप जनवासा हे सोहाओन लागे ।
दशरथ बिराजथि सुत के साथ हे सोहावन लागे।।
सुनल अवधपति दुलहा के स्वागत सोहाओन लागे ।
कलशा मे देल मानिक सात हे सोहाओन लागे ।।
तखन वशिष्ठ मुनि देल अनुशासन हे सोहाओन लागे ।
करू जाय सिया के सनाथ हे सोहाओन लागे ।।
धुरछक के बाद जे परिछनक बिध होइत अछि ताहि मे अरवा चाउरक पीसल चानन ,सिन्दुर , काजर , ठऽक ,बऽक , बेसन , भालरि ,राई ,लवण आदि विविध उपचार सॅ सजाओल डाला होइत अछि बिध बेबहारक रीत परिछन गीत में व्यक्त होइत अछि । एहने एक परिछन अछि -
सखिया परीछू दुलहा हरषि अपार हे । जेहने सलोनी धीया तेहने कुमार हे ।।
चानन सजाउ सखि ऊॅचे रे लिलार हे । काजर लगाउ सखी नयना किनार हे ।।
निहुछू लवण राई टोनमा जे टार हे । बिहुॅसब चोराबे चित दिअ पान डार हे ।।
लखिये हरैये सुधि बुधियो हमार हे । कनक परीछू खोलि अन्तर दुआर हे ।।
एहन गीत गबइत दुलहा केॅ परीछि क आॅगन विवाहक वेदीक समीप ल जेबाक परंपरा अछि । दुआर सॅ आॅगन में प्रवेश भेला पर दुलहाक आॅगन मे स्वागत होइत अछि शुभकामनाक परिछन गीत सॅ । एहि भावक शुभकामना सॅ भरल परिछन गाबि गाइनि लोकनि दुलहा दुलहिन लेल शुभ शुभ कामना गीत मे व्यक्त करैत छथि । एहन एक गीत अछि -
परीछि लिअ वर केॅ शुभे हो शुभे दूभि अक्षत निछारू शुभे हो शुभे ।।
दधि केसर सम्हारू शुभे हो शुभे लगाउ निल दिठौना शुभे हो शुभे ।।
लागे जइ सॅ नइ टोना शुभे हो शुभे नीहछू लौन राई शुभे हो शुभे ।।
नैन करू आॅजनाइ शुभे हो शुभे फूल माला सजाउ शुभे हो शुभे ।।े
पान बीड़ा पवाउ शुभे हो शुभे घ्राण बासू अतर दय शुभे हो शुभे ।।
गाल सेदू शिला दय शुभे हो शुभे मूज लए मूजिआऊ शुभे हो शुभे ।।
रही लऽ रहियाऊ शुभे हो शुभे धन्य सीता सहेली शुभे हो शुभे ।।
ब्रह्म पाओल घरहि मे शुभे हो शुभे राखु हिय कोबरहि मे शुभे हो शुभे ।।
आब आगॉ लऽ चलियनु शुभे हो शुभे बिध आगॉ करबियनु शुभे हो शुभे ।।
मिथिला मे पर्वतराज हिमालय केॅ राजा , गौरी आ भगवान शिव केॅ जमाय रूप मानि कऽ बेटीक विवाह मे शिव विवाहक परिछन गीतक परंपरा समृ( रहल अछि । शिव विवाहक एक परिछन अछि -
शुभ दिन लगन बियाहन गौरी बनि ठनि दुलहा अएला हे ।
कंठ गरल नर उर सिर माला कंठ नाग लपटएला हे ।। शुभ दिन लगन .....
भाल तिलक शशिपाल लगैला जटा मे गंग बहएला हे ।
बूढ़ बड़द असवार सदासिब डमरू डिमिक बजएला हे ।। शुभ दिन लगन .....
भूत परेत डाकिन साकिन संग जोगिन नाच नचएला हे ।
अन्हरा लुलहा बहिरा लंगरा अगनित भेस सोभएला हे ।। शुभ दिन लगन ......
स्वान सुगर सिर जाल मुखर तन संग बरियतिया लएला हे ।
नगरक लोक सब सुनि सुनि बाजनि कोठा चढ़ि कऽदेखएला हे ।। शुभ दिन लगन .....
बजर परौ बरियात भयंकर सब कोई देखि पड़ैला हे ।
साहस करि सब सखियन संग भए परिछन मैना कएला हे ।। शुभ दिन लगन .....
नाग छोड़ति फुफुकार डेरएला खसति पड़ति घर अएला हे ।
सब बरियतिया हुलसति छतिया सब जन बासा गएला हे ।। शुभ दिन लगन.....
कन्यादानक वैदिक कर्मकाण्डीय विधिक बीच कन्यादानक गीतक परंपरा सेहो नवतुरिया पीढ़ीक बीच लुप्तप्राय अछि । एहन गीत मे शिव पार्वतीक विवाहक कन्यादान गीत गेबाक परंपरा अछि । एहन एक गीत अछि -
देखियनु देखियनु हे बहिना
जनक सुनयना मणिमंडप पर सुता दान दए ना ।।
जनु मएना हिमगिरि पुनि अएला पुण्य सुकृत अयना ।
देखु दुलह दुलहिन के जोड़ी चारू रती मएना ।।
पुलकित तन हुलसैछ मगन मन फूटनि नहि बएना ।
कर पर करतै पर फल अक्षत शंख सुसोहय ना ।।
सदानंद मृदु मंत्र पढ़ावथि करथि लोक विधि ना ।
सियाराम वात्सल्य भाव रस हिय मे उमड़य ना ।।
देखियनु देखियनु हे बहिना ।।
सीता राम विवाहक जे कन्यादान गीत अछि ताहि मे बेटीक वियोगक करूणा भाव व्यक्त अछि । बेटीक प्रति माएक भाव एहन गीत मे व्यक्त होइत अछि । मुदा आबक विवाह मे ई गीत सभ लुप्तप्राय अछि । कन्यादानक एहन एक गीत अछि -
जॅघिया चढ़ाए बाबा बैसला मण्डप पर बाबा करू ने धीया दान हे ।
वर कर कंजतर ललीकर ऊपर ताही मे सोहत फल पान हे ।।
गुरू वशिष्ठ जी मंत्र उचारथि मंत्र पढ़थि सीरी राम हे ।
सब सखियन मिलि मंगल गाबथि फुलबरिसत वहु वार हे ।।
सिसकि सिसकि कानथि मातु हे सुनैना आब बेटी भेल वीरान हे ।
जाहि बेटी लेल हम नटुआ नचओलहुॅ सेहो बेटी भेल मोर वीरान हे ।।
चुपे रहू चुपे रहू मातु हे सुनयना ई थिक जग बेवहार हे ।।
बरियातीक भोजनक समय मे प्रचलित ‘जेवनार ‘ गीत सेहो लुप्तप्राय अछि । परंपरा सॅ ई प्रचलन रहल जे जखन बरियाती भोजन जेमय बैसथि तॅ हुनक स्वागत जेवनार गीत सॅ कएल जाए । एहि गीत मे हास्य विनोदक शब्द ,स्वर आ प्रस्तुति सॅ परिपूर्ण बरियातक भोजन सेहो देखऽ जोग होइत छल । आब ओहन पद सभक गायन लुप्तप्राय अछि । ओहने एकटा ‘जेवनार‘ गीत अछि -
भोर भए मिथिलापति मंदिर समधी जेमन आयो जी ।।
खोआ के गिलाबा बना के बरफी के इटावा जोरायो जी ।
इमरती जिलेबी के जॅगला लगायो गुलजामुन के खंभा लगायो जी ।। भोर भए....
पापड़ के सखी छवनी छवायो निमकी के फाटक बनायो जी ।
दही चीनी के चूना पोतायो रचि रचि महल बनायो जी ।। भोर भए ......
पूड़ी कचैड़ी बिछौना बिछायो मलपूआ के चनमा टॅगायो जी ।
लड्डू के लटकन लटकायो खाजा के झाड़ लगायो जी ।। भोर भए ....
मंदिर मे बइसल समधी जन बाजे आनन्द बधाबा जी ।
छप्पन भोग बत्तीसो बेअंजन भरि भरि सोने के थारी जी ।।
भोर भए मिथिलापति मंदिर समधी जेमन आयो जी ।।
दुलहा मे धैर्य ,विनम्रता आ सहिष्णुताक भाव जगाबऽ लेल ‘डहकन ‘गीतक परंपरा रहल अछि । मान्यता अछि जे मिथिला मे भगवान श्रीराम सेहो विवाह मे मैथिलानीक गारि सुनि कऽ प्रसन्न भेल छलाह तेॅ ई परंपरा निर्बाध प्रचलित रहल । श्री राम लला केॅ जे गारि डहकन मे सूनऽ पड़लनि तकर पद अछि -
राम लला सन सुन्दर वर केॅ जुनि पढ़ियनु कियो गारि हे ।।
केवल हास विनोदक पुछियनु उचित कथा दुई चारि हे ।। राम लला ....
प्रथम कथा ई पुछियनु सजनी गे कहता कनेक विचारि हे ।
गोरे दशरथ गोरे कोशिल्या राम भरत किए कारी हे । । राम लला ....
सुनु सखी एक अनुपम घटना अचरज लागत भारी हे ।
खीर खाय बेटा जनमओलनि अवधपुरी के नारी हे ।। राम लला ....
अकथ कथा की बाजू सजनी हे रघुकुल के गति न्यारी हे ।
साठि हजार पु़त्र जनमओलनि सगरक नारि छिनारी हे ।। राम लला .....
मिथिला मे दुलहा सॅ हॅसी मजाकक परंपरा सेहो डहकन गीत मे अछि । दुलहाक समक्ष विवाहक विविध विध बेवहार सम्पन्न कराबऽ लेल उपस्थित गाइनि लोकनि डहकन गाबि कऽ दुलहा सॅ मजाक करैत छथि आ सब लोक हठाका लगाकऽ एकर आनंद लैत अछि । एहने एक गीत मे दुलहा के संबोधित गाइनि लोकनिक भाव अछि -
दुलहा गारि ने हम दइ छी बेवहार करइ छी । हम्मर बाबा छथि कुमार अहॉ के दाई मॉगइ छी ।।
दुलहा गारि ने हम दइ छी एकटा बात कहइ छी । हम्मर बाबू छथि कुमार अहॉ के माई मॉॅगै छी ।।
दुलहा गारि ने हम दइ छी एक विचार पूछै छी । हम्मर भइया छथि कुमार अहॉ के बहिन मॉगै छी ।।
विवाहक पश्चात् दुलहा दुलहिनक शयन कक्ष कोहबर मे चारि दिन तक रहबाक जे परंपरा अछि तकर पोषण करैत अछि कोहबर गीत । एहि तरहक गीत मेे कोहबरक बिलक्षण वर्णन होइत अछि जे दुलहा दुलहिन मे परस्पर प्रेम भाव केॅ बढ़ाबऽ बला भाव जगबइत अछि । सीता रामक कोहबर गीत मिथिलाक विवाह संस्कार गीत मे विशेष प्रसि( रहल अछि । मुदा आब ई गीत आ धुन लुप्तप्राय अछि । एहने एक गीत अछि -
कंचन महल मणिन के दियरा कंचन लागल केबाड़ रे बने बॉस के कोहबर ।।
गज दन्त सेज आ फूलक बिछौना । रतन के बनल श्रृंगार रे बने बॉस के कोहबर ।।
ताहि पर सूतथि रघुवर दुलहा । सीता दुलहिन संग बाम रे बने बॉस के कोहबर ।।
यों मुख फेरि सोवे रघुवर दुलहा । दुलहिन सोवे करि मान रे बने बॉस के कोहबर ।।
दुलहा दुलहिन अंग परसि परस्पर । हरषि नयन जल छाय रे बने बॉस के कोहबर ।।
मिथिला मे विवाह संस्कारक अभिन्न अंग अछि मधुश्रावणी । एहि पर्व मे नवविवाहिता तेरह दिनक व्रत अनुष्ठान एकभुक्त पूर्वक करैत छथि । नित्य दिन अपराह्ण मे फूल लोढ़ि कऽआनबाब परंपरा अछि । एहि परंपरा मे गाम भरिक नवविवाहिताक टोली फूल लोढ़बाक गीत गावि मनोरंजनपूर्वक व्रत निष्ठाक पालन करैत अछि । नाग नागिनक पूजा कएल जाइत अछि ताहि बीच बिसहाराक गीत गाओल जाइत अछि । ई दूनू तरहक गीत आब लुप्तप्राय अछि । फूल लोढ़ऽ सॅ संबंधित गीत अछि -
दुई चारि सखी सब सामर गोरिया कुसुम लोढै़ लेै चललि मालिन फुलवरिया कुसुम लोढ़ै लए
चलली मालिन फुलबरिया ।।
मॉग मे सिन्दुर सोभे माथे पे टिकुलिया पोरिया पोरिया ना सोभे अॅउठी मुनरिया पोरिया पोरिया ना ।
हाथ मे लेल सखी फूल के चॅगेरिया से रहिया चलइ ना ताके तिरछी नजरिया रहिया चलै ना ।।
फूल लोढ़ऽ के गौरीगीत विशेष प्रचलित रहल अछि । इ गीत परंपरा सॅ आबि रहल अछि आ वर्तमानहु मे प्रचलित अछि मुदा नवतुरिया पीढ़ीक बीच लुप्तप्राय अछि । एहन एक गीत अछि -
गौरी फूल लोढ़ऽ गेली फुलबरिया संग मे सहेलिया ना ।।
केओ सखी आगॉ आगॉ चलली केओ सखी पाछॉ पाछॉ चलली ।
केओ सखी बीचे बीचे गेली फुलबरिया संग मे सहेलिया ना ।।
राधा आगॉ आगॉ चलली सीता पाछॉ पाछॉ चलली ।
गउरी बीचे बीचे चलली फुलबरिया ।। संग मे...
केओ सखी डाली भरि लोढ़लनि केओ फुलडाली भरि लोढ़लनि
केओ सखी लोढ़ि लेलनि भरि फूल डलिया ।। संग मे.....
राधा डाली भरि लोढ़लनि सीता फुलडाली भरि लोढ़लनि
गउरी लोढ़ि लेलनि भरि फूल डलिया ।।संग में.....
केओ सखी कृष्ण वर मॉगलनि केओ सखी राम वर मॉगलनि
केओ सखी मॉगि लेलनि तपसी भिखरिया ।। संग मे.....
राधा कृष्ण वर मॉगलनि सीता राम वर मॉगलनि
गउरी मॉगि लेलनि तपसी भिखरिया संग में सहेलिया ना ।।
मधुश्रावणी पूजा मे पवनइतिन जखन नाग नागिनक पूजा करइ छथि तखन हुनक सुहागक शुभकामना व्यक्त करइत बिषहारा गीत गेबाक परंपरा अछि ।
विषहारा गीत
कथी के घइला बिषहरि कथीके गेरूलि राम कथी केर डोरी सॅ भरब निरमल जल ।।
सोना के घइला विषहरि रूपा के गेरूलि राम रेशमक डोरी सॅ भरब निरमल जल ।।
घइला भरि भरि बिषहरि असरा पुराएब राम एहि पर नाग बाबूू करथि असनान ।।
ओहि पार बिषहरि माइ रोदन पसार राम छोरू छोरू आहे नाग आॅचर हमार ।।
राम रोबइत होयतीह सेवक हमार ।।
लबे लब नबेरिया भइया लबे बॉस खेब राम कोने भइया खेबनहार किये होयती पर ।।
लबे लब नबेरिया भइया लबे बॉस खेब हे भैरव भइयार खेबनहार बिसहरि होयती पार।।
जहिना जुड़ाएलि सुहबे तहिना जुड़ाउ राम तोरो कन्त जीबउ गेे सुहबे लाख बरिस ।।
लुप्तप्राय अछि विवाह संस्कारक समदाउन । समदाउनक गायन बेटीक द्विरागमनक अवसर पर स्त्रीगण लोकनिक समवेत स्वर मे होइत अछि । नवतुरिया पीढ़ीक बीच करूणा प्रधान उदासी ओ समदाउन गीतक पद आ भास प्रायः लुप्तप्राय अछि । दू विभिन्न भासक गीत उल्लेखनीय अछि -
गोर लागूूॅ पैयॉ परूॅ सुरूज गोसइयॉ बेटी केे जनम जुनि देब ।।
बेटी के जनम जुनि देब हे विधाता निरधन कोखि जन्म जुनि देब ।।
निरधन कोखि जन्म जॅओ देब हे विधाता रूप अनूप जुनि देब ।।
रूप अनूप जॅओ देब हे विधाता पुरूख मुरूख जुनि देब ।।
कहरिया भासक एक समदाउन मे सीताक नहिरा सॅ बिछोहक करूणा भाव व्यक्त अछि -
सुभग पवित्र भूमि मिथिला नगरिया । हमरा केॅ कहॉ नेने जाइ छेॅ रे कहरिया ।
बेला ओ चमेली चम्पा मालती कुसुम गाछ । आब कहॉ देखबई हाय रे कहरिया।।
सुन्दर सुन्दर वन सुन्दर सुन्दर घन सुन्दर सुन्दर सब बाट रे कहरिया ।
केरा ओ कदम्ब आम पीपर पलास गाछ । आब कहॉ देखबइ हाय रे कहरिया ।।
किनकर नयना सॅ गंगा नीर बहि गेल किनकर हृदय कठोर रे कहरिया ।
माएक नयना सॅ गंगा नीर बहि गेल बाबू के हृदय कठोर रे कहरिया ।।
केहि मोरा सॉठल पउती पेटरिया । केहि मोरा देल धेनु गाय रे कहरिया ।
माए मोरा सॉठल पउती पेटरिया । बाबू मोरा देल धेनु गाय रे कहरिया ।।
बाबा के मुॅह हम देखबइ कोना आब काकी कोना बिसरब हाय रे कहरिया ।
भाइ भतीजा आओर सखिया सलेहर आब कहॉ देखबई हाय रे कहरिया ।।
आगॉ आगॉ रामचन्द्र पाछॉ भाइ लछुमन पहुॅचि गेल झटपट अवध नगरिया।
महल मे कोसिला रानी आरती उतारए लगली अयोध्या बाजए बधाई रे कहरिया।।
मिथिला के व्यावहारिक लोकगीत मे परस्पर सहयोग एवं श्रम प्रधान गीत ‘लगनी ‘;जॅतसार द्ध गृहस्थीक
अभिन्न अंग रहल अछि । ई गीत जॉत चलबइत दू स्त्रीक स्वर मे गायनक परंपरा रहल अछि । लगनी गीत भक्तिभाव ,करूणा आ व्यवहार प्रधान हेबाक कारणेॅ परस्पर संबंध के समृ( बनेबा मे सहायक अछि । मशीनीकरणक युग मे जॉतक चलन प्रायः बन्द भऽ गेल ,मुदा दूर देहात मे एखनहुॅ कतहुॅ कतहुॅ लोक कण्ठ मे सुरक्षित अछि लगनीक गीत आ एकर भास । राधाकृष्ण भक्ति पर आधारित किछु लगनी गीत साहेबदास पदावली सॅ संकलित कए प्रस्तुत अछि ।
;1द्ध
बसहुॅ वृन्दावन मोर जीवन धन
आ रे कान्हा सुनि सुनि छतिया मोरा सालय रे की ।।
जौं तोहें जएबह हरि जियबइ ने एको घड़ी ।
आ रे कान्हा हमर सपथ तोहि माधव रे की ।।
जाहु जुनि मधुबन तेजि कहुॅ मोहन ।
आ रे कान्हा हमर सपथ तोहि माधव रे की ।।
कंस के जान हॅति दइए अधम गति ।
आ हे राधा साहेब आओत कृष्ण माधव रे की ।।
;2द्ध काहि कहब दुःख वचन ने आबए मुख ।
आ रे उधो धइरज धएलो नहि जाइछ रे की ।।
किए तेजि हरि गेल कुबुजी अधीन भेल ।
आ रे उधो केओ ने कहए एहि गोकुल रे की ।।
शरण धएल जन्हि दुःख न पाओल तनि ।
आ रे उधो सत्य निगम गुण गाओल रे की ।।
कत गुण गएबउ कत नित हम रोएबउ ।
आ रे उधो कओन साहेब हरि आनब रे की ।।
;3
कत दूर मधुपुर जतए बसए माधव । आ रे सजनी वन वन माधव मुरली टेरए रे की ।।
अनबो मे चनन काठी लिखबो मे भाति भाति । आ रे सजनी दुख सुख लिखियो बनाइए रे की ।।
एक अंधियारी राति हरि बिन फाटय छाती । आ रे सजनी कोइली शबदे हिया मोरा सालय रे की ।।
साहेब गुनि गुनि बैसलहुॅ सिर धुनि । आ रे सजनी जगत जीवन नियरायल रे की ।।
मिथिला मे प्रचलित )तुप्रधान गीत मे मलार गीत आ धुन सेहो लुप्तप्राय अछि । मिथिला मे मलार गीतक परंपरा समृ( रहल अछि । वर्तमान मे मलारक ओ गीत आ धुन लुप्तप्राय अछि । मलार गीतक किछु पद साहेबदास पदावली सॅ संकलित प्रस्तुत अछि ।
;1द्ध
अली रे प्रीतम बड़ निरमोहिया ।।
आतुर वचन हमर नहि मानए । परम विषम भेल रतिया ।।
कॉपत देह घाम घमि आवत । ससरि खसत नव सरिया ।।
आवत वचन थिर नहि आनन । बहत नीर दुहू अॅखिया ।।
रमानन्द भामिनि रहूॅ थिर भए । सुख बीच कहू दुःख बतिया ।।
;2द्ध
हे उधो लिखब कओने विधि पाती ।।
अंचल पत्र नयन जल काजर । नख लिखि नहि थिर छाती ।।
चन्द्र किरण बध करत एतय पिय । ओतय रहहु दिन राति ।।
रेशम वसन कनक तन भूषण तेसर पवन जिबघाती ।।
कहथि रमानन्द सुनु विरहिनि तोहे । आओत श्याम विरहाती ।।
हे उधो लिखब कओने विधि पाती ।।
;3द्ध
हे उधो बड़ रे चतुर घटबरबा ।।
दूर सॅ बजओलनि नाव चढ़ओलनि । खेबि लए गेल मॅझधरबा ।।
नाव हिलओलनि मोहि डेरओलनि । कएलनि अजब खियलबा ।।
आॅचर धएलनि मोहि झिकझोरलनि । तोड़लनि गजमोति हरबा।।
सुकविदास कह तुम्हरे दरस को । जुग जुग जीबए घटबरबा ।।
प्रेम ,श्रृंगार आ रति भावक अभिव्यक्ति सॅ परिपूर्ण बटगमनी गीतक परंपरा सेहो लुप्त प्राय अछि । ओना एखनहु मांगलिक अनुष्ठान मे जखन स्त्री गण लोकनिक समूह ग्राम देवता डिहबार,ब्रह्मस्थान , माटिमंगल , आम महु बियाह आदि विधि लेल ढोल पिपही बाजा के संग निकलैत छथि तॅ बाट मे बटगमनी गीत गबइ छथि । मुदा नब पीढ़ीक मैथिल ललनाक बीच ओहि उमंग उत्साह आ प्रगल्भताक अभाव तॅॅॅ अछिए ,ओहन गीतक प्रति उदासीनताक कारणेॅ ओ बटगमनी गीत सभ लुप्त प्राय अछि । ओहने किछु संग्रहित बटगमनी प्रस्तुत अछि ।
स्नेहन , चुम्बन , आलिंगन ,राग आ अनुराग युक्त संभोगक वर्णन नायिकाक उक्ति मे प्रस्तुत बटगमनी अछि -
कॉच कली पहु तोड़थि सजनी गे , लए कोरा बैसाए सजनी गे ।।
अधर सुधा सम पीबथि सजनी गे , यौवन देखि लोभाय सजगी गे ।।
लए भुजपाश बान्हि दुनू सजनी गे, जखन करथि बरजोरि सजनी गे ।।
तखनुक गति की कहिए सजनी गे, पहु भेल कठिन कठोर सजनी गे ।।
नहि नहि जौं हम भाखब सजनी गे , तौ राखिए मन रोख सजनी गे ।।
पति जखन बहुतो दिन पत्नी केॅ विरह मे व्याकुल केलाक बाद अबैत अछि तॅ पति सॅ मिलनक उत्साह
केहन भऽसकैत अछि ? बहुत दिनक बाद परदेश सॅ आएल पति सॅ मिलन हेतु की की तैयारी आ साज श्रृंगार करबाक उत्कंठा होइत अछि , तकर वर्णन करैत बटगमनी अछि -
कतेक दिवस पर प्रीतम सजनी गे आएल छथि पहु मोर सजनी गे ।।
मन दए नेह लगाएब सजनी गे , रचि रचि अंक लगाएब सजनी गे ।।
पहु थिक चतुर सयानहि सजनी गे , हम धनि अंक लगाएब सजनी गे ।।
ई दिन जौं हम काटब सजनी गे , तखन करब बर गान सजनी गे ।।
गाबि सुनेबनि हुनकहुॅ सजनी गे , पहु करता बड़ मान सजनी गे ।।
बालानां कृते- 1. मध्य-प्रदेश यात्रा आ 2. देवीजी- ज्योति झा चौधरी
1. मध्य प्रदेश यात्रा
चारिम दिन ः
26 दिसम्बर 1991
आइर् भाेरे जल्दी उठीकऽ हम उर्मिला दीदी संगे “जय मां नर्मदे हर” मंदिर गेलहुं।आेतय नर्मदा कुण्डमे नहाकऽ पूजा केलहुं।श्री नर्मदेश्वर महादेवक मंदिर कुण्डक सामने छै। इर् बहुत छाेट मंदिर छै आर अकर फर्श पानि सऽ भरल छै।पूजाक बाद जखन घुरिक एलहुं तऽ सब उठि चुकल छल।नाश्ताक बाद पुनः भ्रमणक क्रम शुर्उ भेल।
सर्वप््रारथम कपिलधारा पहुंचलहुं।अतय कपिल मुनिक पदचिह्न। उपस्थित अछि।आेतसऽ कनिये दूर पर इर् धारा दूधधारामे बदलि जाइत छै।कपिलधारा दऽ लाेकाेक्तिप छै जे नर्मदा कपिलमुनिक पाछा करैत अतऽ तक एली आऽ जखन कपिल मुनि हुनका लग विवाहक प््रा स्ताव रखलखिन तऽ आे भागि गेली।कपिलमुनि आेतै ठार रहि गेलाह।जतऽ हुन्कर पदहिह्नव अखनाे तक विराजमान छैन।नर्मदा आेतय सऽ भागि करीब 100 फिट ऊॅंच झरनाक निर्माण करैत छथिन।अकरे कपिल धारा कहल गेल छै।कपिलधारा कनिक आगां जाकऽ एक अन्य झरना दूधधारामे बदलि जाएत छै।अहिठाम ऋषि दुर्वासाक आश्रम छलैन से मान्यता छै।कहलगेल छै जे वर्षाक समय अहिठामक जलधारा झागसऽ भरि जाइ छै जेना उफनइत दूध हाेइर्।ताहि द्वारे अहि धाराक नाम दूधधारा पड़ल छै।दूधधाराक निकलिकऽ हमसब जालेश्वर मंदिर पहुंचलहुं। इर् जंगलमे बसल एक छाेट मंदिर छै। इर् धर्मावलम्बि के लेल विशेष आकर्षक छै।हमर सबहक इर् यात्रा ट्रकसऽ भऽ रहल छल। बड़का ट्रक के पांछा बैस खुजल हवाक मजा लैत हमसब भ्रमण कऽ ुरहल छलहुं।हमसब भाेजनके लेल लाॅज वापस एलहुं।
भाेजनाेपरान्त हमर सबहक पदयात्रा प््रा ारम्भ भेल जे लगभग 11 किलाेमीटर के छल।हमसब सबसऽ पहिन रंगमहल देखलहुं जकर निर्माता महाभारत कालक पाण्डव सब मानल गेल छैथ।कहल गेल छै जे पाण्डव सब 10 काेठलीवला अहि महल के केवल 24 घण्टामे तैयार केने छलैथ।अकर बाद हमसब वृक्किमण्डल पहुंचलहुं।अतय एकटा विशाल चट्टान छै जे एक दिस सऽ धरतीसऽ कनी उठल छै।अहि खाेहमे हाथ घुसेला सऽ पानि भेटैत छलै।एकटा लाेकल गाइड बतेलक जे जकरा इर् पानि भेट जाइत छै से भाग्यशाली हाेइत अछि।हमसब पानि पाबैमे सक्षम भेलहुॅं।वस्तुतः अतय चट्टानक बीचमे खाेखला जगह छै जाहिमे बरसातमे पानि भरि जाइत छै आर धीरे धीरे इर् जलस्तर घटैत जाइत छै आर गर्मीमे समाप्तखप््रामय भऽ जाएत छै।अकरबाद हमसब धुनीपानी पहुॅंचलहुॅं जतय अनेकाे फल फूलक वृक्ष तथा जलकुण्ड छै।
अहिसबसऽ लाैटिकऽ हमरा सबहक रातिमे दू टा फिल्म देखक कार्यक्रम बनल।लेकिन चुंकि हमरा बेसी शाैक छलै नहिं तैं हम कनिक फिल्म देखलाक बाद एकटा शिक्षिका संगे सूतय आबि गेलहुं।फिल्म के चयनमे एकटा हास्यास्पद गप भेल।फिल्म आनैकाल वाेटिंग भेल जाहि मे दू टा फिल्म ‘फूल आैर कांटे’ एवम् ‘पत्थडर के फूल’ इर् दू टा मे सऽ एकटा चुनैके बात भेल आ आेहि पर विद्यार्थी सबमे बहुत बहस भेल।जखन शिक्षक महाेदय वापस एला तऽ कहला जे हम ‘पत्थबर के कांटे’ नामक फिल्म लऽ कऽ आयल छी ।सब आश्चर्य चकित रहैथ जे इर् काेन फिल्मक नाम अछि। बादमे पता चलल जे चुंकि शिक्षक महाेदय फिल्म सऽ बहुत अनभिज्ञ छैथ तैं हुन्का सऽ बाजयमे गलती भऽ गेलैन।
2.देवीजी :
देवीजी -निबन्ध प्रतियोगिता
विद्यालयमे आब प्रतियोगिताक समय आबि गेल छल। शुरुआत भेल निबन्ध़ भाषण एवम् वार्दविवाद प्रतियोगिता सऽ।देवीजी कहलखिन जे जॅं निबन्धके शीर्षक पहिने सऽ बूझल रहै तऽ प्रतियोगिता आर कठिन भऽ जायत छै लेकिन लेख लिखनाइर् आसान भऽ जायत छै।जखन शीर्षक प्रतियोगिता प्रारम्भ हुअ काल देल जायत छै तखन शीर्षक पर जानकारी रहनाइर् अत्यंजत आवश्यक छै।
देवीजी बच्चा सबके प्रतियोगिताक तैयारी लेल निम्नलिखित सलाह देलखिन ः
ज्ञान बढ़ाबऽ के उपाय ः
1. देश विदेशक समाचार सऽ अवगत रहू।टेलीविजऩ रेडियो़ अखबाऱ मासिक वाऽ साप्तााहिक वा अन्य पत्रिका सब पढ़ल करू।ओहि सबमे कोनो तरहक विषय पर बतायल अथवा लीखल निबन्ध के स्वरूप पर ध्यान दियौ।
2. खाली समय मे शब्दकोष पढ़ैके अभ्यास राखू। शब्द अंताक्षरी़ क्राॅसवर्ड इत्यादि खेल खेलल करू।
3. विद्यालयके पुस्तकालयके पूरा लाभ उठाऊ।अपन कक्षाक विषय के अतिरिक्त आनो तरहक पुस्तक पढ़ल करू।
4. दूरदर्शन पर आबैवला विभिन्न प्रकारक प्रश्नाेत्तरी तथा विचार विमर्श वला कार्यक्रम देखल करू।
5. समय समय पर सामुहिक विचारगाेष्ठी करक विचार सेहो सहायक भऽ सकैत अछि।
6. शब्दके शुद्ध लिखऽ पर ध्यान दियऽ। वर्तनी सम्बन्धित अशुद्धि के दूर करू।अहि लेल श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द पर विशेष ध्यान दियऽ।
7. वाक्यर संरचना के अभ्यास करू। अपन विचार ठीक सऽ व्यक्त केनाइर् नीक निबन्ध लीखक मुख्य् आवश्यकता छै। अहि लेल व्याकरणके अभ्यास समर्यसमय पर करैत रहू।
बढ़िया लेखके स्वरूप -
लेखक स्वरूप बढ़िया होय तऽ साधारण लेख सेहो रोचक बनि सकैत छै।आ कतबो तार्किक आऽ रोचक बात बिना व्यवस्थित ढंग सऽ लीखल गेल होय तऽ नहिं नीक लागैत छै।ताहि लेल देवीजी लेखक स्वरूप के जानकारी देलखिन। लेखके भूमिका़ मुख्य भाग तथा सारांश अहि तीन भागमे बांटल गेल अछि।
1. भूमिका ः भूमिका मे शीर्षक के मतलब तथा आगां लीखल गेल भागके संक्षिप्ता जानकारी देल जायत छै। कहल गेल छै ‘Morning shows the day’ अर्थात् दिवस केहेन हैत से भाेरे सऽ आभास भऽ जायत छै। भूमिका सबसऽ महत्वdपूर्ण भाग छै कोनो लेखके। आंकलन करैबला शिक्षकके जॅं भूमिका नीक लगलैन तऽ बढ़िया असर होयत छै।
2. मुख्ययभाग ः लेखक मुख्यग भाग सेहो कम महत्त्वापूर्ण नहिं होयत अछि। बिना पुनरावृत्तिके वर्णनात्म क विवरण लिखनाइर् सेहो क्रमबद्ध एमव् सम्बन्धित श्रृंखलामे बड आसान काज नहिं होयत छै। जॅं शब्दक संख्या पर ध्यान दी तऽ अहिमे सबसऽ बेसी शब्दक प्रयोग होयत अछि।कोनो विषय के नीक आ बेजय दुनु रूपक बखान अहिमे होयत अछि।
3हृ सारांश ः अंतमे सारांशमे पूरा विचार मंथनके एक तरह सऽ परिणाम लीखल जायत अछि। कोनो लेखक मूल भाव सारांशमे परिलक्षित होयत छै।
लेखके विशेष बनाबक तरीका ः
कोनो लेखमे जॅं विषय सऽ सम्बन्धित उदाहरण विशेषतः हालके समाचार सऽ अथवा आसपासके जन जीवन सऽ देल जाय तऽ ओ बेसी नीक कहाय छै। उदाहरणमे जॅं इतिहासक कोनो घटनाक विवरण होय आऽ तिथि स्थान आ लोकक नाम सेहो उल्लेखित होय तऽ अति उत्तम। लीखैके सुन्दरता सेहो महत्वा राखै छै।बेसी गन्दा अथवा कुदरूप लेखन सऽ नीको लेख कम आकर्षक लागि सकैत छै।अहि लेल रोज लिखना लीखू।
भाषण एवम् वाद र् विवाद प्रतियोगिताक ज्ञान ः
देवीजी भाषण एवम् वाद विवाद प्रतियोगिता लेल उच्चारणके शुद्धि पर विशेष ध्यान देलखिन।तकर बाद तर्कसंगत़ सत्यि एवम् प्रमाणयुक्त बात के बाजैपर जाेर देलखिन। अहि सबलेल शीर्षक के नीक सऽ बुझबाक चाही।अभ्यास आऽ आत्मएविश्वास के आवश्यकता बतेलखिन।अभ्यास सऽ समय आंकलन में विशेष रूप स सहायता होयत छै।
देवीजी के अहि परामर्श सॅं सबके बहुत प्रोत्सा हन भेटलै।सब देवीजीक बातक अनुसरणमे लागि गेल।आगामी प्रतियोगितामे सबके देवीजीक जानकारी बहुत उपयोगी सिद्ध भेल।चुंकि अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता सप्ताबह आऽ वैलेण्टाएन्स डे चली रहल छल तैं बेसी शीर्षक अही सब पर आधारित छल।अहुना वैलेन्टाएन्स डे द्वारा पाश्चात्य सभ्यताके आमंत्रित करै पर बुजुर्ग सबके त बड विराध छैन लेकिन अहि पर नब पीढ़ीके विचार ज्ञात करैके शिक्षक सब लेल ई बढ़िया अवसर छल।
बच्चा लोकनि द्वारा स्मरणीय श्लोक
१.प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त्त (सूर्योदयक एक घंटा पहिने) सर्वप्रथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई श्लोक बजबाक चाही।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
करक आगाँ लक्ष्मी बसैत छथि, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ब्रह्मा स्थित छथि। भोरमे ताहि द्वारे करक दर्शन करबाक थीक।
२.संध्या काल दीप लेसबाक काल-
दीपमूले स्थितो ब्रह्मा दीपमध्ये जनार्दनः।
दीपाग्रे शङ्करः प्रोक्त्तः सन्ध्याज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
दीपक मूल भागमे ब्रह्मा, दीपक मध्यभागमे जनार्दन (विष्णु) आऽ दीपक अग्र भागमे शङ्कर स्थित छथि। हे संध्याज्योति! अहाँकेँ नमस्कार।
३.सुतबाक काल-
रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।
शयने यः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नस्तस्य नश्यति॥
जे सभ दिन सुतबासँ पहिने राम, कुमारस्वामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक स्मरण करैत छथि, हुनकर दुःस्वप्न नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
४. नहेबाक समय-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू॥
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु आऽ कावेरी धार। एहि जलमे अपन सान्निध्य दिअ।
५.उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
समुद्रक उत्तरमे आऽ हिमालयक दक्षिणमे भारत अछि आऽ ओतुका सन्तति भारती कहबैत छथि।
६.अहल्या द्रौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।
पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशकम्॥
जे सभ दिन अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एहि पाँच साध्वी-स्त्रीक स्मरण करैत छथि, हुनकर सभ पाप नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
७.अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरञ्जीविनः॥
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनूमान्, विभीषण, कृपाचार्य आऽ परशुराम- ई सात टा चिरञ्जीवी कहबैत छथि।
८.साते भवतु सुप्रीता देवी शिखर वासिनी
उग्रेन तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।
सिद्धिः साध्ये सतामस्तु प्रसादान्तस्य धूर्जटेः
जाह्नवीफेनलेखेव यन्यूधि शशिनः कला॥
९. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥
१०. दूर्वाक्षत मंत्र(शुक्ल यजुर्वेद अध्याय २२, मंत्र २२)
आ ब्रह्मन्नित्यस्य प्रजापतिर्ॠषिः। लिंभोक्त्ता देवताः। स्वराडुत्कृतिश्छन्दः। षड्जः स्वरः॥
आ ब्रह्म॑न् ब्राह्म॒णो ब्र॑ह्मवर्च॒सी जा॑यता॒मा रा॒ष्ट्रे रा॑ज॒न्यः शुरे॑ऽइषव्यो॒ऽतिव्या॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोग्ध्रीं धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः सप्तिः॒ पुर॑न्धि॒र्योवा॑ जि॒ष्णू र॑थे॒ष्ठाः स॒भेयो॒ युवास्य यज॑मानस्य वी॒रो जा॒यतां निका॒मे-नि॑कामे नः प॒र्जन्यों वर्षतु॒ फल॑वत्यो न॒ऽओष॑धयः पच्यन्तां योगेक्ष॒मो नः॑ कल्पताम्॥२२॥
मन्त्रार्थाः सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव।
ॐ दीर्घायुर्भव। ॐ सौभाग्यवती भव।
हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आ’ सर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होथि, आ’ शुत्रुकेँ नाश कएनिहार सैनिक उत्पन्न होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सक्षम होथि आ’ घोड़ा त्वरित रूपेँ दौगय बला होए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबामे सक्षम होथि आ’ युवक सभामे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आ’ नेतृत्व देबामे सक्षम होथि। अपन देशमे जखन आवश्यक होय वर्षा होए आ’ औषधिक-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहए। एवं क्रमे सभ तरहेँ हमरा सभक कल्याण होए। शत्रुक बुद्धिक नाश होए आ’ मित्रक उदय होए॥
मनुष्यकें कोन वस्तुक इच्छा करबाक चाही तकर वर्णन एहि मंत्रमे कएल गेल अछि।
एहिमे वाचकलुप्तोपमालड़्कार अछि।
अन्वय-
ब्रह्म॑न् - विद्या आदि गुणसँ परिपूर्ण ब्रह्म
रा॒ष्ट्रे - देशमे
ब्र॑ह्मवर्च॒सी-ब्रह्म विद्याक तेजसँ युक्त्त
आ जा॑यतां॒- उत्पन्न होए
रा॑ज॒न्यः-राजा
शुरे॑ऽ–बिना डर बला
इषव्यो॒- बाण चलेबामे निपुण
ऽतिव्या॒धी-शत्रुकेँ तारण दय बला
म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीर
दोग्ध्रीं-कामना(दूध पूर्ण करए बाली)
धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी र्वोढा॑न॒ड्वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-त्वरित
सप्तिः॒-घोड़ा
पुर॑न्धि॒र्योवा॑- पुर॑न्धि॒- व्यवहारकेँ धारण करए बाली र्योवा॑-स्त्री
जि॒ष्णू-शत्रुकेँ जीतए बला
र॑थे॒ष्ठाः-रथ पर स्थिर
स॒भेयो॒-उत्तम सभामे
युवास्य-युवा जेहन
यज॑मानस्य-राजाक राज्यमे
वी॒रो-शत्रुकेँ पराजित करएबला
निका॒मे-नि॑कामे-निश्चययुक्त्त कार्यमे
नः-हमर सभक
प॒र्जन्यों-मेघ
वर्षतु॒-वर्षा होए
फल॑वत्यो-उत्तम फल बला
ओष॑धयः-औषधिः
पच्यन्तां- पाकए
योगेक्ष॒मो-अलभ्य लभ्य करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षा
नः॑-हमरा सभक हेतु
कल्पताम्-समर्थ होए
ग्रिफिथक अनुवाद- हे ब्रह्मण, हमर राज्यमे ब्राह्मण नीक धार्मिक विद्या बला, राजन्य-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जन्तु, उद्यमी नारी होथि। पार्जन्य आवश्यकता पड़ला पर वर्षा देथि, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपत्ति अर्जित/संरक्षित करी।
विदेह नूतन अंक भाषापाक रचना लेखन
Input: (कोष्ठकमे देवनागरी, मिथिलाक्षर किंवा फोनेटिक-रोमनमे टाइप करू। Input in Devanagari, Mithilakshara or Phonetic-Roman.)
Language: (परिणाम देवनागरी, मिथिलाक्षर आ फोनेटिक-रोमन/ रोमनमे। Result in Devanagari, Mithilakshara and Phonetic-Roman/ Roman.)
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विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.
१.पञ्जी डाटाबेस २.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
१.पञ्जी डाटाबेस-(डिजिटल इमेजिंग / मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण/ संकलन/ सम्पादन-पञ्जीकार विद्यानन्द झा , नागेन्द्र कुमार झा एवं गजेन्द्र ठाकुर द्वारा)
जय गणेशाय नम:
(43)
अपरा ठ. महामहोपाध्यामय ठ. मेघ सुतो सुतो ठ. (100/09) कृष्णाैनन्दक: खौआल सँनन्दकन सुत जगन्नााथ दौ।। (03/06) अपरा बाछे सुतो आड़नि: पबौलीसँ वाचस्परतिदे आड़निप्रि. रतनाकर सुता दिवाकर गदाधर धृतिकश: केडँटी एउढ़सँ हरिहर दौ। अपरौ लक्ष्मीनकर: महुआ सँ सिद्धेश्व रा परनामक दौ।।
लक्ष्मी कर सुतो नितिकर रूचिकरौ पनिचोभ सँ हरिवंश दौ।। छितिशर्मा सुतो बैकुण्ठत ऋषिकेशो:।। ऋषिकेश सुतौ वृरिवंश माने कौ।। हरिवंश सुता दिवाकर रतनाकर चन्द्र कर सूर्यकरा: बलाद्धिरसँ श्याामकंठ दौ।। नितिकर सुतो साधुकर: सरौनीसँनाइ सुतमहेश्वंर महो (19/04) साधुकर सुतो महो (14/02) सुधाकर: तिसउँत सँ शुचिकर दौ।। (08/09) हल्लेिश्विर सुतोबाभन: महुआ सँ बासुदेव दौ।। एक सुतौ गणपति तरूणी वरूआरी माण्डसर सँ विघू दौ।। गणपति सुता रघुपति रामपतिनन्दीिश्व रा: भरेहासँ देवे दौ।। रघुपति सुतो बाछे शुचिकरौ सकराढ़ी सँ महामहोयादमाट हरिहर दौ।। (03/02) महामहोपाध्यातय (128/04) हरिहर सुता सदुपाध्यातय (23/04) नादू सदुपाध्यारय भाद्र सदुपाध्या य (30/01) सुये सदुपाधय चांडोका: सरिसबसँ जयादित्य दौ (03/04) महामहोजयादित सुतो (20/04) दामूक: देवहार सरैनिसँ सर्वानन्द दौ।। क्वानचित ब्रहमानन्द0 दौ ।। शुचिकर सुता विहनगार दरिहरासँ भोगीश्वयर दौ।। (11/03) मण्ड:न सुतो ऐलौक: भदुआ भदुआल वासी एसुता जुहे पइम अनना पइम सुता भवशर्म्म। जयशर्म्मह विष्णुि शम्मशणि तत्र सोमशर्म्म/ सन्तहा ति विहनगर वासी।। सोमशर्म्मद सुता वासुदेव जयदेव कामदेव यशोदेव: गंगोली सँ पुरूषोत्तम दौ।। वासुदेव सुतो चण्डे्श्वमर रातू कौ पण्डोली वासी जल्लससदीसँ
(44) ''14''
शिवादित्यु दौ।। सेतू सुतो भोगीश्वार: कंज्जोजली मातृक।। भोगीश्वसर सुता करमहा सँहरदत्त दौ।। हरदत्त सुता लक्ष्मीोकर हरिकरौ दहुलासँ श्रीहर्ष सुत भवदन्त दौ ( 14/05) महो (24/05) सुधाकर सुतो बुद्धिकर: पाली सँ केशव दौ (09/08) श्री धर सुतो रामदन्त : गढ़ माण्ड र से सुये दौ दियोयसँ सुरेश्वलरटौणा रामदस्तस।। सुता केशव (21/02) सुता केशव माधव नरसिहं मुरारिय: (20/09) पबौली सँ बागे दौ 07/03) महो गंगाधर सुता पराउँ जीवे परवाई का: दरि श्यावमकंठ दौ।। पराउँ सुतो बागे क गढ़ निरबूतिसँ जगद्धा दौ (07/07) सिंहाश्रमसँ रतनेश्वार द्धौणा बागे सुतो धराधर महिधरौ (19/01) बुधौरा सकराढ़ीसँ प्रितिकर दौ।। केश्वतर सुतो सदुपाध्या7य गोदेक: नरउनसॅ कोने दौ (08/07) अपरा कोने सुता सक: जीवेश्व र दौ (08/01) खण्डेबला सँ जाई दौ।। महामहोपाध्यावय (42/07) बुद्धिक सुता (29/06) (126/05) वृद्धिकर कृष्णमकरे नन्द ना: बीाानि रूचिकर दौ (06/06) वीर सुता भगव कुमार शीत कान्हा तत्रादयास्त्र य पण्डोकलि दरिहरासँ बामन दौ अन्यो/ डीह परिहरासँ लक्ष्मेषश्वकर दौ।। कुमार सुतो वसुकंठ: सक गिरीश्वीर दौ।। वासुकंठ सुता रूचिकर रामकर सुधाकर मित्रकरा दरि वृद्धादिल्य दौ (07/04) चिन्ताशमणि सुतो अभिमन्युु विकर्णो।। अभिमन्युत सुतो दिवाकर (3031/05) गुणाकरौ दिवाकर सुतो वाचस्य ति जनमेजमो भोरवरिसँ पजाकरदौ।। जन्मेतजय सुता महा महोपा हरिदेव शिति कंठश्यासम कंठ लक्ष्मीचकंठ नील कंठाा: अपरौ देवादित्यो गिरीश्वतरौ।। महामहोउपा हरदेव सुता यवेश्विर विश्वाम्भसर लक्ष्मेरश्नयरा रादी कोइयारसँ सिंधुनाथ देल्हकन दौ।। अपरौ लक्ष्मी)पाणि
(45)
रतनपाणि सबौर मातुक:।। पाली सँगंगादित्यं दौ।। विश्वमम्म र सुतो लौरिक वृद्धादित्य शिवादित्यु शिवादित्यव (26/09) कोचे का।। तत्रादयास्त्रमय रामपुर नरवालसँ सीनू सुत लक्ष्मीयपतिदौ नरसिंह द्धौणा सुति घर पन्जीि।। सीरदौ इति मंगलघर पभ्जी।। अन्योादि माहव जल्लाकीसँ रविभात योगेश्वनर दौ।। लौरिक वृद्धादित्यी सुतो नारू (28/04) डालू कौ बुधवाससँ मधुकर दौ खण्डशवासॉं सुपै दौ।। अपरा सुता गोधुलि अलयसँ साठ दौ।। (13/08) साढू सुतौ (21/06) नारायण (32/08) हरिकी बलहा बलियाससँ रामशर्म्मप ढौ।। (01/02)।। श्री नाथ सुत जयशर्म्मढ सुतो रामशर्म्म6:।। रामशर्म्म3 सुता जाटू (37/05 (30/07) माधव बाटू का: टकबालसँ रतनधर दौ।। (36/03) रूचिकर सुता शुभंकर हरिकर शंकर: जगतिसँ केशव दौ।। धोधि सुतो गणपित नन्दी् कौ तत्रदय: गंगोली मातृक अन्यो1ुत राउढ़ मातूक:।। नन्दीर सुता शिरू नारू (27/07द्व वाचू मांगुरा: नेथाम सुएनसँ सुरेश्व र दौ।। शिरू सुतो माधव केशवौ मण्ड सिमसँ धृतिकर दौ।। केशव सुता गढ़ खण्ड।बलासँ अनन्नुत कुत सुपन दौ फनन्द7हसँ भवाई द्धौणा एवंनन्दनन मातृक चक्र।। नन्द न सुता जगन्नादथ देवनाथ (36/03) हौरिला (112/02) सोदरपुरसँ रातु सुत राम दौ।। सिंहारम सँ बीजी महामहोपाधय हलायुघर ए सुतौ मही दधिए।। सुतोमहो जाइक: ए सुतो महोमहिधर ए सुतो गांगुक: ए सुतो वागीश्वसर ए सुतो रतनेश्वुर रमेश्वचरौ नगरदतसँ विसव दौ।। रतनेश्व र सुतो महामहोपाधय हल्लेतश्व र महामहोपाध्याफय (18/09) सुरेश्वसर महामहो पात्यानय (21/01) जीवेश्व रा: पारपुर सकराढ़ी सँ अन्नशन्तव दौहित्री जयदेवी पुत्रा: सोदरपुर गामौ पार्थका:।। महामहोपाधया हल्लैसश्वरर सुतो राजू हलधरौ गढ़ बेलउँचसँ (28/07)
(46) ''15''
हल्लै6श्व8र दौ।। (04/05) सन्तो्ष सुतो लक्ष्मीगपाणि: पालीसँ विकर्ण दौ।। ए सुता हल्लैमश्वार पॉचू नीलकंठ देवकंठा पड़ारियॉं हासरू भवादित्य केश दौ हल्लै।श्व4र सुता बरैबा सँजयशर्म्मस दौ सकराढ़ी सँ धरानन्दश द्धौ।। (221/05) राजू सुता सुदपाध्या यभोगीश्व र (03/03) महेश्वलरा: गढ़ निखूतिसँ नाने प्रसिद्ध रतनधर दौ अन्योढ़ी सकराढ़ीसँ जीवधन द्धौ।। तिलईसँ लक्ष्मीतकर द्धौ।। नोने प्र. रतनधर सुता बहेराढ़ी सँ ठ. जयकंठ दौ।। (07/02) पबौलसँ वीर द्धौ सदुपाध्या्य भोगीश्वढर सुता महामहो (21/07) ग्रहेश्वनर रूदेश्वखर हिरेश्वुर (40/07) धीरेश्व र विश्वेसश्वररा: (19/08) दूबा सकराढ़ी सँ विभू दौ।। बैकुण्ठम सुतो श्रीवत्से: ए सुतौ सोमेश्वखर ए सुतौ।। जागेश्वुर देवेश्वलरौ देवेश्वौर सुतो विरेश्ववर: छतौनीसँ माधव दौ।। वीरेश्वीर सुता धीरेश्वूर रजेश्व र यहेश्व्रा: बमनियामसँ राम दौ।। रजेश्ववर सुतौ वासुदेव विभूकौ छादन सरिसब सँ शिवादित्यो दौ विभू सुतर बुधवालसँ हिरू दौ रेकौरा गंगोलीसँ मण्डँन दौ।। मण्डुवआसॅ नित्युकस्तुनल सदुपाध्यायय विश्वेसश्वसर सुतौ रातूक: पण्डौूली दरिहरासँ मुनिदौ (07/04) अपरा देवधर मण्डौ:ली वासी ए सुतौ उदयकर गौढि़ जल्लॅकीसँ खड़गधर दौ।। गोढि़ सुतो वामन: विठुवाल वासी भण्डाँरिसमसँ जगाई दौ।। ए सुता सप्तब: धृतिकर गुणाकर सोमेश्विर लतनकर भीमेश्वढर गुणेश्वरर रज्जेवश्विरा: तत्रादयो गंगोर सँ नारायणा दौ।। अपेरे सुसैला 29 लयसँ बलभद्रौ सोमेश्वर सुता वत्सेेश्व्र सिद्धेश्वेर (21/03) (22/04) वीरेश्वँर जीवेश्वयरा: तत्राद्पास्त्राय अहपुर करमहा सँ रूचिकर दौ अन्योध तपनपुर पालीसँ नरसिंह दौ।।
(47)
वीरेश्व्र सुतौ मुनिनम्नि (19/01) विदित: ए सुता दिवाकर (21/09) रविकर मित्रकरा: (56/05) बमनियाम सँ गोनन दौ (06/07) महवालसँ दिवाकर द्धौ।। अपरौ हरिकर: तल्ह1नपुरसँ लमशर्म्मज दौ (07/09) लभशर्म्माव सुता चोटवाल सकराढीसँ गोविनद दौ।। चोटबाल सकराढ़ी सँ बीजी सिद्धेश्व:र: ए सुतौ धृतिवर्द्धन त्रिलोचन प्र नामा: ए सुतौ हरदन्त : ।। ए सुता महादेव शिवदेव सिद्धेश्वररा:।। महादेव सुतौ व्याहस वासुदैवौ: वासुदेव सुतो कुसुमाकर: बहेराढ़ी सँ जयकंठ दौ।। अपेरो कान्ह : अपरा नीमाटकबालसँ रतनेश्व्र दौ।। एक सुता गोविन्दु माधव जगन्नातथा: यमुगामसँ हरदन्त0 दौ।। गोविन्दद सुता सुरगनसँ दुर्गादन्तशदौ (135/06) सुता (48/07) भवे (135/02) माधव रामा बेलउँचसँ धर्मादित्य दौ।। (19/03) (72/10) धर्मादित्य सुतो रतिकर वागूकौ खौआलसँ उँमापति दौ (11/02) कान्हौ सुतो नरसिंह: सुइरीसँ धर्माध्ययक्षक देवे दौ।। अपरौ (20/10) डालूक: सरौनीसँ धर्माध्यतक्ष्कत गढ़ाउन दौ।। नरसिंह सुतौ धर्माध्यकक्षक लमशर्म्मा: गोधेलि अलय सँ भोगीश्वधर दौ।। समशर्म्म3 सुता पनिहल नाने उँमापतिय:गोधोलि यलयसँ देवेस्मैिव दौ।। तैनेवदन्त्क:।। अन्योह बे केबौनी टकबाल सँ जगद्धदर सुत कान्हम दौ।। उँमापति सुतो (25/03) रमापति केउँटराम पण्डो्लीसँ दामोदर दौ।। ब्रहमधुरासँ पृथ्वी धर दौ।। (27/04) राम सुता हरिअम सँ नाने सुत दिनू दौ (12/01) (41/09) माधव सुतौ (18/08) भाई नाई कौ पंचवक विस्कीुसँ असाउँ दौ।। नाई सुतो धारूक: गंगोरसँ अनिरूद्ध दौ (07/07) विश्वुनाथसुता लक्ष्मीर नाथ शशिनाथ हरिनाथ श्रसपनाथ जगन्नााथा: पालीसँ ऐलो दौ।। 21 शिनाथ सुतो अनिरूद्ध नाने कौ फनन्दनहसँ लखाई दौ।।
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अनिरूद्ध लोकेक सँ सुत दौ सँ द्धौ।। धारू सुतो नोनेक: माण्ड।र सँ कीर्तिधर दौ।। (02/02) अपर शिलपाणि सुतो शुभंकर: ए सुतौ रतनाकर ए सुतौ चांड़ो कीतिघरों नरवालसन धर दौ।। कीर्तिधर सुता श्रीधर पृथ्वीरधर प्राणधर मुक्रिधर धर्मधा: पतिचोभसँ हरिहर दौ।। (25/08) नाने सुता (26/04) रति मति गुणै का: 46/04) एकना वलियाससँ नितिकर दौ (10/05) मित्रकर सुतोनितिकर: ए सुतौ (306/01) चन्द्राुक्रर विभाकरौ (351/01) पालीस भगंब दौ।। गणपति सुतौ भगव: डुबासँ शुचिकर दौ।। भगव सुता सिम्मुसनाम करमहासँ चारूदत्त दौ।। शाण्डिल्य6 गोत्रे करमह सँ बीजी सुरेश्व र: ए सुतो भूषण ए सुतो अमोथ: ए सुतो गुणदेव: ए सुतौ देहरि: ए सुता महार्णव कराक म.प. उ नारायणा मुरारी खेते का महार्ण कार महामहोपाधय नारायण सुतोहिंेक।। अरूपुर वासी मुरारी सुतोश्रीधर ए सुतो वंशधर ए सुतौहरदन्त्: ए ुसता वरदन्ता चारूदन्तक भवदन्ताो: तत्राद पा भिन्नर अन्योौ जगतिसँ धारेश्ववर दौ।। चारूदत्त सुता जय दत्त ब्रहमदस्त् त्रिलाठी धुसौतसँ देवदत्त दौ।। ( 11/04) सुपर सुतो देवदस्त्: खण्डतबलासँ विश्व्नाथ द्धौ।। कटाईसँ भीम द्धौ।। (1120/10) मिश्र (20/09) दिनू सुता रामकर (72/01) हलधर दामोदरा: (57/03) माण्डबरसँ लगाई दौ।। (02/04) नन्दी श्व1र सुतौ जीवेश्व्र वागीश्व।रौ तियुरी संगगेश्व र दौ पदमनाम ति वासी ए सुतौ लक्ष्मीापति: विस्फीलसँ मधुकरदौ।। ए सुतो भवेश्व0र: खनौरी सकराढ़ीसँ धर्माध्यशपक्षक सर्वानन्द द्धौ।। ए सुता गंगेश्वनर जगद्धर शिवशम्माी सुरगनसँ कौ दौ।।
(49)
गंगोर सँ साबे द्धौ।। गंगेश्वर सुतो गिरीश्वरर नरसिंहो बेला सकसढ़ीसँ हरदन्ता दौ पनिचोभसँ महादेव द्धो।। (58/07) बागेश्व्र सुता दूबे नगाई हिराई का: कुजौलीस राजू दौ।। (04/05) गंगोलीसँ केशव द्धौ।। नगाई सुता श्रीदन्तह चाको नरसिंह विश्व म्मशरा: दिनारी सरिसबसँ चाको दौ।। दिनारी सरिसबसँ बीजी जनार्दन।। जनार्दन सुता माने देवे कौ।। माने सुतो प्राणधर: प्राणधर सुता चंड़ो जीवे दिने भिरवे विठका: दहुलसँ ब्रहमेश्वसर दौ चांडो सुता (23/01) जगन्नारथ भवेश्वचरा: मछेटा पालसँ महेश्वार दौ।। एवं जगन्नालथ मात्रका चक्र।। जगन्नााथ सुतो (155/09) हरिकेश लक्ष्मीतपति विरपुर पनिचोभसँ शम्भू दौ (10/03) विश्व नाथ सुतो (41/05) राम: माण्डकरसँ कापनि माधवदौ।। राम सुतो बाटूक: पबौलीसँ मेढू दौ।। (11/07) हलधर सुता राम मेढ़ का: डीह दरिहरा सँ हरिहर मेढ सुता दो पोखरौ टकबालसँ शुक्त भिरवारी दौ।। (03/09) शुक्ले भिखारी सुतो चिलकौर दरिहरासँ गंगा दौ भारुर सरौनीसँ हरिवंश द्धौ।। बाढ़ सुता रात (140/04) हारू महेश्व0र बागू फलहारी (27/08) दिनकर मधुकरा:।। तत्र दयो पंच पत्सुहना खौआलसँ राम दौ अन्यो। बा गढ़ विस्फीवसमस्तूक होराई दौ।। माहब बरेबासँ रूद द्धौ।। सिद्धेश्विर सुतो राम चाको कौ पिहवालसँ रूद दौ अलयसँ रूद क्षै।।। राम सुतो गोपाल मुरारि: कोइयार गुणाकर दौ।। कोइयारसँ बीजी शूलपाणि ए सुतो सिधूक: ए सुता दोहन विश्व नाथ श्रीनाथा: सिंहाश्रमसँ विद्यापति दौ।। देल्ह।न सुतो जीवधर: ए सुतौ पृथ्वी्धर ए सुतो गुणाकर: ए सुल हरिसिंहपुर निरवूतिसँ जीवेश्वूर सुत गोंढि़ दौ।। बागू सुता खांत (40/10) मित्तू (26/05) गोविन्दि (26/05) बाछ लाखू का (30/01) का तत्रादया पंच चान्दोव वलियास सँ होरदौ गंगोर सँ विश्वखनाथ:
(50) ''17''
(07/08) शिवनाथ सुतो पदम नाथ: टकबाल सँ सोनमनि दौ चाउँटी टकबाल सँ बीजी रतनेश्वरर: ए सुतो बलदेव: ए सुता रतनाकर प्रभाकर धर्मकर सूर्यकरा:।। रतनाकर सुतो सोनमनि: दोहइन विस्कीमसँ अरविन्दा दौ।। सोनमनि सुतौ नरसिहं हरिसंहो अलारि दिधोसँ श्रीधर दौ।। खांतू सुता 84/07) डालू महो सुप महिधर पॉंखू ब्रम्मूक का: जजिवालसँ रतिकर दौ।। (08/03) (37/06) गौरीश्वशर सुतौ आवस्थिक सिद्धेश्व र विन्यैमहो श्व्रो माड़रसँ वाहन दौ।। मानसिक सिद्धेश्व।र सुता गयन धनेशनाने कोचे इन्द्रे श: पकलियांस नयदेव दौ।। इन्द्रर सुतो सीम भवेकौ वसुआलीसँ छीतर दौ।। सोम सुता (36/02) गोपाल नारू भगब (31/05) दामूका: मण्डा रिसमसँ साठू दौ।। अपरौ रतिकर मांगुकौ पण्डौरलीसँ लक्ष्मीखकर दौ रतिकर सुतो मति हरि: करहिया पनिचोभसँ प्रितिकर दौ (08/05) प्रतिकर सुता थरियासँ आनू दौ।। थरियासँ बीजी त्रिलोचन: ए सुतौ होरेक: दिधोय मातृक:।। होरे सुता रविनाथ जगन्नादथ नगनाथ शक्रिनाथ लक्ष्मीरनाथा बुजौलीसँ बर्द्धमान दौ।। रविनाथ सुता आनू गोपाल युद्धिकरा: फेनहथ गंगोली सँ होरे भागिनेय: आनू सुता आदू नादू बासू गांगू का: खूरी पानिचोभस रघुपति सुत रताई दौ करहिया वासी बुजौलीसँ त्रिपुरे द्धौणा शम्भूा सुतो चिकूक: बुजौली सँ जौर दौ।। (04/024) शुभंकर सुतो गाढि पण्डोाली सँ रूद्रभागिनेय: एसुतौ महिपति वानू कौ विनतीसँ पराक अच्यु त दौ बानू सुतो मानेक: निसूरीसँ भवेश्वीर दौ।। माने सुतो गोपाल: टकबाल सगुणाकर दौ शिलपाणि केथौनीवासी।। ए सुतो जगदेव वरदेवौ बुधरासँ मणिकंठ दौ।। वरदेव सुतो गुणाकर इबासँ शिवशर्म्मन दौ गुणाकर सुता
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जजि. भवदत्त दौ।। सकराढ़ीसँ लमशर्म्मत द्धौ गोपाल सुतो श्री (22/08) श्री वर्द्धन (23/03) वशवर्द्धनौ दूबा सकराढ़ीसँ विमू दौ (15/06) बुधवानसँ हिरू द्धौ।। वंशवर्द्धन सुते (35/09) (72/05) जीवे जोरो गढ़माण्डशरसँ बागे दौ 07/03 यमुगामसँ जीवेश्वँर द्धौ।। (72/01) जोर सुतो (153/05) गोविन्द् माण्डदरसँ शिवपति दौ (02/051) महामहोपाध्या य (20/01) मलेशसुता सदु नहो पशुपति महो रघुपति (23/06) महो आइन्नि महो 31/08 रतिपय: पनिचोभ सँ जीवेश्व2र दौ 10/02) देवशर्म्म7 सुतो ब्रहमशर्म्म् एसुतो जयशर्म्मान सिंहाश्रमसँ विधापति दौ मन्दोबालसँ विरदोहिब द्धो।। जयशर्म्मन सुतो जगद्धा रतिघरौ करमहा सँ खेते दो।। कलिया सँ वीर द्धदा।। अपरौ रामकर: दरिहरासँ जनमेजय दौ।। जगद्धर सुतौ जीवेश्व1र भवेश्वदरौ सरिसब सँ गयपाणि सुत हल्लै श्वार दौ।। जीवेश्व्र सुता (241/027) मधुकर नाने नाथै का: ब्रहपुरा दियोग्यसँ मुझे सुत मासौ दौ पनिचोभ सँ नददेव द्धौण अपरौ रातूक: कटाई भी दौ।। कटाईसँ बीड़ी वाचस्प ति: ए सुतौ देवपाणि ऐलपाणि।। ऐलपाणि सुतौ मौरीक: मौरी सुतो वी: वीर सुता हरि पुरूषोत्तम श्री पतिय:।। श्रीपति सुतो गंगाधर।। गंगाधर सुतो कवि केशरी महामहोपाधयभीम: निखूतिसँ सुरेश्वकर दौ।। भीम सुतो देवेश्व र निखूनिसँ रतिकर दौ।। सदु. महो पशुपति सुतो तत्र (26/04) कृष्णिपति: अलयसँ महामहोपाध्याेय रामेश्वनर दौ दरितरासँ रति द्धा अपरा पशुपति महो गुणपति महा शिवपति महो (20/07) इन्द्रभपनिय: सोदरपुरसँ मह महोपाठ विश्वानाथ दौ।। (15/09) महामहोपादपायसुरेश्वार सुतौ महामहोपासरब महामहोपा विश्वुनाथौ रतिनाथौ खौआतंज दामोदर सुख दिवाकर (22/010) (23/09) (19/01)
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दौ महवालसँ देहरि द्धौ।। महो शिवपति (48/05) सुतौ यग्युपति (32/07) अलयसॅ बुद्धिपर बुधंदौ।। (02/01) महोग्रहेश्वसर सुता धर्माधिकरणिक महोमहोपाध्याेय गढ़घर (42/06) रतनघर बुद्धिकर बुधे सुद्ध बेलउँचसँ धरादित्यव दौ।। (10/03) भरेहासँ गणपति द्धौ (21/01) बुद्धिधर प्र. सुता रधु कान्हर गणपतिय: गंगोलीसँ शिरू दौ (01/04) अपरा शूलपाणि सुत शंखद कमलपाणि शारड़पाणिय: कुमर वासन्यक: पालसँ जगपाणि दौ।। कमलपाणि सुतौ रामदेव लक्ष्मी्करौ।। लक्ष्मीरकर सुतौ डालूक: वेलउँच सँ अभिनन्द द डाल सुतौ शिरूक: सकुरीसँ धृतिपाणि रतनपाणि जालयसँ दाश दौ।। धृतिपाणि सुता थूवनिसँ धाम दौ।। शिरू सुता महिधर हलधर रामधए: फनन्दुह नरसिहं दौ (05/02) रतनेश्वणर सुतौ भीम (20/06) गुणे कौ तमादयो जगतिसँ सिधूदौ अन्योकम गंगोर सँ बराह द्धौ।। भीम सुतो नरसिहं किठोकौ महवालसँ देहरिदौ।। नरसिंह युवा श्रीकर कुसुमाकर मुधकरा: करमौली गंगोलीसँ पण्डित करण सुत साधुकर दौ सँ द्धौणा एक ठ. कृष्णा।नन्दा मातृक चक्र अपए म. म. उपा ठ. रामभद्र सुता ठ. हरिदेव महामहो ठ. (105/04) रामदेव महामहोठ रतिदेव महामहो ठ. कृष्णरदेव महामहो ठ लक्ष्मीअदेवा हरिउमसँ मणि सुत जगन्नाणथ दौ।। (16/01) मॉं सुतौ (25/07) गांगु हारू कौ सिसै सक महेश्व.र दौ।। हारू युवा वासुदेव हलधर श्रीधर शिरू का (शिरकता) माण्डारसँ गुणे सुत गयन दौ (02/04) अपर गुणे सुतौ गयन शोरे कौ पोर वरौनी एक (14/09)
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दामोदर दौ।। मिश्र (20/06) गयन सुतौ होरे बाछेकौ हरिसिंहपुर निखूतिसँ गोंढि़ सुत पहिधर दौ गंगुआलसँ गौरीपति द्धौणि।। (38/08) शिरू सुतो (55/07) नारायण शिवौ वलिया रूचि दौ।। चण्डेिवश्व़र सुतो हरानन्दस: टक जीवे दौ।। हरानन्द/ सुतो (49/05) सुरानन्दो रूचि टक शिरी दौ।। रूचि सुता धर्मादित्यच महादिल (63/04) रतनदित्या : नयसँ तपन सुत यटाधर दौ विस्कीतसँ रविशर्म्म। द्धौ।। (48/01) शिव सुता महो मणि (56/02) पारखू (32/07) गयणा: खौथालसँ विभाकर दौ।। (14/05) अपरा साधुकर सुतो श्रीकर (31/06) शुचिकरौ करमहासँ नाने सुत रामशर्म्म दौ पकलिमासँ मासौ द्धौ।। (75/09) पारखू गयणा (32/07) खौथालसँ विभाकर दौ।। 14/05) अपरा साधुकर सुतो श्रीकर (31/06) शुचिकरौ करमहासँ नाने सुत रामशर्म्मू दौ पकलियमासँ मसौ द्धौ।। (75/09) श्रीकर सुतो(31/04) सुतो रामकर विभाकरौ गंगोर सँ केशव सुत नोने दौ (07/01) अपरा विदू सुतो हरिनाथ: पालसँ हिंगू दौ।। हरिनाथ सुतो गौरीनाथ: सक पदमपाणि दौ।। गौरीनाथ सुतो शक्रिनाथ: भणुरिसमसँ लखाई दौ।। शक्रिना सुतो केश्व।नाथ: जगतिसँ वर्द्धन दौ।। केशवनाथ सुता नाने (29/07) सुकर शुभकर (47/08) रतिकरा: पालीसँ दुर्गादित्य/ दौ (05/02) प्रितिकर सुतो पदमकर ए सुतौ दुर्गादित्य। त्वुदोरसँ रतनेश्व/र दौ।। ए सुतौधदित्यभ (28/02) बलियासँ रामशर्मा दौ टक वत्से5वर द्धौण नाने सुता खौआल सँ शुचिकर सुत हेतू दज्ञै करमहसँ गौरी द्धौणा विभाकर (54/01) सुता (81/04) (20/09) मित्रकर (96/05) रविकरा: बहैराढ़ीसँ ढोंढ दौ (09/04) अपरा रविसुतो गांगुक: बेला सकराढ़ीसँ भोगीश्व र सुत चक्रेश्व0र दौ मनपुरस धर द्धौ गांगू (228/06) गादि सुता धाम ढ़ोढें कौ चुकी बलियाससँ दिनमणि दौ सुतो रतनाकर टक शुचिक सुत केछदौ सकराढ़ीसँ नयपति द्धौ।। (39/02) ढोंढं सुतापिलरवा माण्डुर विभूसुत मानुकर दौ।। (09/06) विभूसुतो भानुकर गंगोलीसँ जीवेश्वसर दौ मानुकर सुतो (53/06) बुद्धिका शुभंकरौ सकौनसँ गोपालसुत गौरी पति दौ।। हरिहरसुतो गोपाल एसुतो (24/09) नन्दीँय गौरीपति सरिसबसँ धरणीधर दौ।। गौरीपति सुता दियोयसँ जादू द्धौ।। एवं मणि मातृक चक्रं।। मिश्र मणि सुता जानू मुकुन्दँ जगन्ना थ उँमापतिय: सोदरपुरसँ श्रीधर दं
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18/010 रतिनाथ (24/04) सुतोडालू बाटू कौ दरिहरासँ विरेवर सुत मूनी दौ।। (31/07) वाटू सुतौ (128/04) हलधर श्री धरौ माण्ड4रसँ सुधाकर सुत होरे दो (09/03) सुधाकर सुता होरे (95/06) (95/06) शोर (48/07) शिरूका: करमहासँ गंगेश्वेर द्धौ।। (02/08) खौआलसँ आगू द्धौ।। होरे सुतो रतनपाणि देवपाणि नरउब्सँ खातू दौ।। (08/02) डालू खांतू (30/04) रतिकरौ सक. जीवेश्व0र दौ प्र. जाई द्धौण खांत सुतो सुपन शुचिकरौ (49/08) (27/06) माण्ड रसँ बागेदौ।। 07/03) यमुगामसँ जीवेश्वकर द्धौ।। श्रीधर सुतो वेणी (59/09) अन्दणकौ बुध वानसँ शिहदौ।। सदुपाध्या य मानूकर सुता महेश्वणर (49/01) गौरीश्व0र (36/06) विश्वेधवरा: दरिहरासॅ प्रतिशर्मा दौ।। (11/07) यमुगमसँ जीवेश्वसर द्धौ।। (26/07) महेश्व र सुतो शिरू (25/06) पोखूको माण्ड(रसँ अमतू सुत रविदन्तॅ द (02/05) सदुपाध्यासय अमन्तद सुता रविदन्तय (91/01) वासुदेव हरिदन्ता2: खण्ड(बसासें देही दौ।। रविदन्ते सुता टकबालसँ बाटु दौ।। (09/04) नरवाससँ यशु दौ हित्र (27/09) शिरू सुता (35/09) लाखू (56/05) सीथू ( 30/04) माने का: बेलउँचसँ जीवादित्यप सुत जोर दौ (10/03) महो जिवादित्यम सुता जोर मदन (3/08) दिनकर हरिकरा: बुधदालसँ शुभकरद विस्कीखसँ कीर्तिघर द्धौ।। जोर सुतो कोने (252/10) श्रीपति पवौलीसँ देवधर दौ (14/04) महिधर सुतो देवधर: सफ नयपति द्धौ देवधर सुता वलियास सँ भिखे सुत हिरम दो।। (11/03) जालसँ द्धौ।। एवं जगन्नालथ जागे मातृक चक्र।। (61/02( जगन्नावथ सुतो रामदेव कामदेवौ सोदरपुरसँ बागे सुत सुये दौ (15/04) विश्वे।श्वनर सुतो यहाधर: खौआल भूले दौ। (03/05) (84/05) देवादित्यक सुतो पाखूक: ए सुतो भूलेक: खण्डुबलासँ शिवथ दौ।। भूले सुता पइम (21/01) राम केउटू का कुनौलीसँ राजू दौ।। गंगोसँ केशव दैहिक यहाधर सुतो बागेक: धोसेतसँ रतिकान्तस सुत कीर्तिकर दौ।। धोसोतसँ बीजी महाकहोपाधय वसुदेव: ए सुतौदिवाकर ए सुतो खेइक: ए सुतो हे ए सुतौ (23/08) रूचिकर प्रज्ञा करौ।। प्रजाकर सुतौ (29/04) विस्फीकसँ धारेश्ववर ।। ए सुतौ रतिकान्तु सुपनौ माण्डेसँ सुत हरदन्त दौ माने द्धौ
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रतिकान्तद सुतो (25/07) गुणाकर कीर्तिकरौ खौआलसँ शुचिकर दौ।। (03/06) (26/04) शुचिकर सुतौ नाने यवे कौ करमहार्स नितिकर दौ।। की कीर्तिकर सुतौ इबे चौको सुपरानी गंगोलीसँ होरे दौ(05/07) धीर सुतो होरेक: बलि अशोमनि दौ।। होरे सुता पनिचोभसँ जीवेश्वीर दौ।। (18/05) ब्रहमपुरा दिद्योयसँ मासौ (76/01) बाग सुतो सुपेक: पानि ग्रहश्वे4र (70/07) महेश्व र सुता हरिश्वसर ग्रहेश्वदर शिवा माण्ड रसँ वागेश्वदर सुत रूचिकर दौ पचटी जजिबालसँ भावक (66/02) ग्रहेश्वेर सुता (44/06) अन्टूम पुरखू रति मण्ड्ना: सरिसबसँ गणेश्वार दौ।। (14/08) दामू सुता रामेश्व र माने (29/05) सोनेका: वरूआलीसँ सोसे दौ।। (27/03) माने सुतो ग्रहेश्वर (38/07) (41/06) गणेश ब्रहमपुरा ढरिहरासँ भवशर्म्म( द्धौ।। गणेश्वेर सुता विरेश्वँर यरेश्वहर बटेश्वूरा (98/08) खनाम फनन्दनह सँ मुरारि दौ (05/03) इन्द्रापति सुतौ वाचस्य/ति दुखाडि़ प्रसिद्ध नामा तरौनी करमहा सँ बाराह द्धौ वाराह सुतो रवि देवे कौ खण्डुबलासँ ज्ञानपति दौ बलियासँ बन्दद द्धौ।। (29/08) दुखडिसुत (223/06) (73/01) शंकर मधुकर रतिकर मतिकररा: पाली सँ रविनाथ दौ।। (41/03) (75/01) मुरारी सुतो रविनाथ: नरउनसँ कोने दौ। (14/05) सकराढ़ी सँ जीवेश्वकर दोत्रि दौ रविनाथ सुता खैआलसँ रविनाथ दौ (16/06) जातू सुतो बांतर ए सुतौ विश्व:नाथ सरिसब पिथाई द्धौ।। विश्व नाथ सुतो माधवनाथ (21/04) रघुनाथों खण्डवबलासँ भवेश्व6र द्धौ।। माधव (24/02) माधव सुतौ रविनाथ: सुपरानी गंगोलीसँ धीर सुत पौखू दौ जालयसँ होरे द्धौ। रविनाथ सुतौ (21/02)
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शंकरनाथ पाली सँ युश दौ (05/05) म बाछे सुता (21/05) रवि यशु वासूका एकमा खण्डँबना सँ हरिनाथ दौ।। यशु सुतो (36/08) सुरथ: सुरगनसँ विरेश्वार दौ नरउनसँ गणपति द्धौ रतिकर सुता शिरू मुरारी कृष्णा : बेलउँचसँ नोने दौ (10/04) मित्रादित्य0 सुता (21/07) मित्रादित्यग सुता नारू (71/05) गोपी नोने चक्रपाणिय: (51/03) चक्रपाणिय: अहपुरकरमहासँ शुंभशर सुतमधुकरदौ लक्ष्मी0कर सुत शमंकर सुतो मधुकर: नी मीमदौ।। मधुकर सुतो आदिय: वलियास स देवानन्द सुत यशानन्द दौ अलयसँ बागेद्धौ नोने सुता श्री कुमार (11/04) (70/06) बसावन विलाश हिरइ (24/10) बेगम भानुकरा वादि पवौलीसँ देवदत्त दौ।। जगद्धर सुतो दिवाकर ए सुते सुपन: अलयसं भव दौ।। सुपन सुता (34/06) श्रीस्त लक्ष्मीरदत्त हेवदला: एक रासं धाम सुत गणपति दौ स क हरिहर द्धौ।। देवदन्तस सुतो (21/01) सुतो (40/09) गोगेक: फनन्दर विश्वहनाथ दौ (18/06) गुणे सुतो मोरीक: खण्डशबलासँ धीर दौ।। मोरि सुता विश्वसनाथ हरिनाथ (76/07) शिवनाथा माण्ड रसँ गयन दौ (19/06) अपरागयन सुता (51/04) वीर सुरसर (22/02) गिरीश्वसरा: (27/05) तिसउँतसँ गयन सुत नरसिहं दौ दरिहरासँ मुनि द्धौ।। विश्वपनाथ सुतोबुधिनाथ (84/06) एकमा खण्ड2बालासँ मतिश्ववर सुत शिव दौ 11/01) थरियासँ रविनाथ द्धौ।। एवं 6 हरिदेवादि मातृकचक्र।। अपरा म.म उ बामभद्र सुता म. म. उ क. मधुसूदन म.म. ठ. भवदेव म.म. 3 ठ. कामदेवा (77/07) खौआलसँ श्रीधर दौत्रिय दौ (19/08) मित्रकर (34/02) सुतो श्रीधर: कटमाहरिअमसँ दिन दौ (16/07) अपरा दिनू सुतो अमरूकमलू कौ ब्रहमपुरा जजिबालसँ कुश दौ (12/07) (25/05) नारू सुतो कुश: खौआलसँ विश्वदनाथ दौ।। (20/011) खण्डूबलासँ भवेश्वरर द्धौ।। कुश सुतो देहरि: कनसम मण्डा(रसँ सुरपति द्धौ 18/02) अपरा म. म. उ पा बटेश सुतो (22/04) पक्षधर सुरपति खण्डशबलासँ लोहर दौ सुरपतिसु (25/01) सुरपतिसु (28/21) (33/02) रतनेश्वलर महेश्वनरा: एकमा खण्ड)बलासँ राजू दौ(11/02) रात सुतो राजूक: दहनोसँ धएई दौ।। (44/08) (22/09) राजू सुतो शान्तीुक: सकराढ़ीसँ श्रीधर सुत शिरू दौ
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एवं श्रीधर मात्रिक चंन्द्रव।। श्रीधर सुतौ ज्योितिविद (79/04) डीडर: महिया सोदरपुर सँ महिपति दौ।। 15/09 जीवेश्वोर सुतौ गणपति (24/04) हेरदन्तोर बलिमास सँ रतिकर दौ।। गणपति सुते वर्दन कान्होर विस्फीह सँ लड़ावन दौ।। 49/01) वर्द्धन सुतौ हरिनाथ लोकनाथो (57/05) हरिनाथ लोकनाथौ (57/05) माण्ड्रसँ छीतू सुत भवन्तय दौ (22/07) पॉंखू सुत छीतू सुतौ हरदन्तथ भवदन्तोल अलयसँ राम: (26/07) भवदत्त सुतौ केशव पबौलि सँ गोढि़ दौ।। (23/10) हरिनाथ सुतौ नोनेक: दरिहरासँ राम द्धौ (15/09) वत्से7श्व6र सुतौ राम: सकुरी सँ देवपति दौ।। रामसुता पनिचोभसँ समए़ सुत गोविनद दौ 89/01) सुत सुपनदाशे (81/03) पश्ुपतिय: पालीसँ विशोदौ (41/09) पुरूषौत्तम सुतौ आशा रामौ।। राम सुतोत्रिभुवन: ए सुतौ आदिदेव: ए सुतौ राजूक: ए सुतौ नारायण: ए सुतौ पएउँक: सकराढ़ीसँ ब्रहमेश्विर दौ।। पराउँ सता देवे (23/01) नादू हचलूका (31/01) नाउनसँ दिवाकर दौ।। नाउ सुनौ वागूक सरिवसँ चण्डेपश्व र पाली सँ महेश्व्र द्धौ।। बागू सुतौ रूद्र विशौ कौ माण्ड0रसँ सुरपति द्धै।। (20/01) खमुबलासँ राजू द्धौ।। विशो सुता रति (63/04) गुणे जाने (82/02) महाई साउलेका सोदापुरसँ भद्रेश्वँर दौ।। 15/04) (30/02) ग्रहेश्व:र सुता (57/01) नन्दीेश्व र भद्रेश्विर राम (39/09) कान्हु का: नाउन सँ डालू दौ (10/02) सक एढीसँ जीवेश्ववर द्धौ।। भद्रेश्वतर सुतौ गोनन (33/010) सोहनो गाउल करमरासँ गणवर्क जगद्धासुत गयन सुतौ (300/11) गोरीपति सुरगनसँ विरेश्व र दौ।। ए सुतौ बादूक: सुरगन गौरीदों।। बाइ सुता (39/010) रतिपति लक्ष्मी पति महिपति गणपतिय: तल्हशपुरह वीर दौ।। (21/01) वीर सुतौ (24/09) गोविन्दो: वभनियाम सँ वीर दौ दरिवाभन द्धौ गणपति युवा डालू सुपन रूपना: (29/06) सबुरी गंगोलीसँ शोरे सुत राम दौ माण्ड4कर कृत्रिम एवं पशुपति मात्रिक चक्र।। पशुपति सुतौ चिकू क: खौआल सँ कमलू दौ।। 19/09) राम सुता (28/09) मति गहराई का: (31/05) फनन्न दसँ गोरी दो (20/06) माण्डणरसँ गाटान द्धौ।। (58/10) मतिसु अमरू कमलू वेद लाखू का: (25/05) (84/01)
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बाढ़ अलयसँ बुद्धिधर बुधे देने (8/02) बुधे सुता डीह दरि नौरी पौत्र छीतू सुत गौरी दौ छीतर सुतौ गौरीक: सोदापुरसँ विश्वौनाथ दौ।। गौरी सुतौ राजू गिरीक: सकुरी सँ यशु सुत लोचन सुत नारूदौ।। कमलू सुतौ परान रूपनौ पालीसँ महाई दौ (14/03) केशव सुतों सदुपात्य या गोढंक नर कोने दौ पलिर्ण भरेन द्धौण सदुपध्यामय गोढ़े युवा (32/05) कान्ह8 लाखू (39/09) महाई का खौआल सँ रघुनाथ दौ (20/11) रघुनाथ सुता (33/05) धारू सोंसे विदूका: गंगोली सँ केशव दौ महाई सुतौ जीवे चान्दोह खोआल सँ गोविन्दु दों (03/01) लक्ष्मी घर सुतौ कवि किठो कृष्ण/पति कावी कृष्णूपति सुतौ भगव: सरिण्इ न्द्रौ दौ।। भगव सुतौ (32/09) नारायण गोविन्दोद पाली सँ रवि दौ।। (20/01) रवि सुतो (47/08) सुमो हेलूक बलियासँसूर्यत दौ (10/09) मछेटासँ गणेश्व र द्दौ।। गोविन्दग सुतों (52/09) रवि होरेकौ अलयसँ श्री कर दौ।। (15/03) (39/09) नारायण सुतों श्रीकर शुभकरौ (39/07) सोदाभोगीश्वनर दौ (15/04) सकराढीसं निमूहों श्रीकर सुता बेलउँलसँ मित्रादित्यह दौ (1120/02) अपरा मित्रादित्य3 सुतो (101/105) वासुदेव केशवी (34/03) सकराढ़ीसँ राजा दौ।। एवम मम्युससूदन मात्रिचक्र।। ठ. हरिदेव सुतो ठ. रघुपति: नहुआर करमहा सं केशव दौ।। (02/08) नरसिंह सुतो रतिकान्तढ: एकमा बलियाससँ शिवादित्यम दौ (10/05) साधुकर सुतौ (28/02) जीवेश्व र: ए सुतौ शिवादित्य : पालीसँ दिवाकरदौ।। (33/08) शिवादित्यब सुता टकबालसँ लाखू दौ।। (तिकान्तैंर सुतौ श्री कान्तु: परिहरासँ रविकर दौ।। (16/01) रविकर सुतौ (32/01) बुद्धिकर गंगोर सँ नोने दो।। (19/07) खौआलसँ हेलू दौ।। (128/04) श्री कान्तु सुता (75/05) मताई कृष्णिपति महो ( 72/08) हरपति महो (66/03) उँमापति महो जानपतिय: खौआल सँ गोविन्दौ दौ
(59)
(21/05) अपरा गोविन्द सुतौ (32/02) हरि (62/07) गुणे कौ खण्डपबलासँ नरहरि दौ।। (06/09) दिवाकर सुतौ साढूक:।। साढ़ सुतौ गोपाल: गोपाल सुतौ नरहरि श्रीहरि दरिहएसँ शिवादित्यद दौ।। नरहरि सुतो (69/04) गंगाहरि: नाउनसँ डालू सुत चन्द्र्कर दौ माण्डगरसँ विशो द्धौ।। (87/04) कृष्णयपति सुना रतिपति श्रीपति (89/04) रघुपतिय: जजिवालसँ सोम दौ।। (12/07) गोविन्दस सुतौ दामू सुयनो ढरिहरासँ माइवौ ।। (25/02) दामू दामोदर सुतोसोम: हरिअनसँ हारू दौ माण्ड9रसँ गयन द्धौ।। सोम सुता (84/09) रूद रवि रामा: सरहद माण्ड रसँ धनपति दौ (20/01) (39/01) पक्षधर सुता धनपति (33/08) विद्युपति शुभपतिय: पनिचोभसँ मधुकर सुत हरिकर दौ मधुकर सुत हरिकर सुतों श्रीकर : गंगोलीसँ बॉंखू दो।। धनपति सुतौ विष्णुापति (62/05) हरिपति निसूरी सँ ग्रहेश्वरर सुत सीधू दौ जमुनी जामवालसँ गोपाल द्धौ एवं रतिपति मात्रिक चक्र।। रतिपति सुतौ (108/01) मुरारीकेश बो माण्डसरसँ शुचि दे (09/05) शान्तिकरणीक (21/02) पोखू सुत रतिकर सुतौ डालूक: केउँट राम सँ रूद दौ।। डालू सुता (30/09) (47/04) गदाइ हिराई का: सोदापुरसँ गणपति दौ (21।01) विस्फीउसँ लड़वन द्धौ।। गढ़ाई सुता (38/04) दिनकर नन्दसन विदूका: कुजौलीसँ श्री वर्द्धन दौ।। 18/01) श्री वर्द्धन सुतौ हरिहर: खौआलसँ विश्व:नाथदौ विढ़ सुतौं शुचिकर (70/04) रघुनाथौ खण्डदबलासँ सान्हीस द्धौ।। (20/01) सान्हीर सुतौ (40/09) उद्धव नोने प्रश्ना रायगों सक शिव सुत देने दौ क्षरिसानूद्धौण शुचिकार विश्वडनाथ भवनाथो बभनियामसँ हीरे दौ (06/06) गणिपति सुत जयतिसुत जयदित्य/सुतौ साधुकर: ए सुतौ रतनाकर छादनसँ तत्वु चिनतामणि कारक
(60) ''22''
जगदगुरू गंगेश दौ।। रतनाकर सुतौ ग्रहेश्व0र: खण्डुबलासँ ठ. सुपन दौ।। रतनाकर सुतौग्रहेश्वनर: खण्डाबलासँ ठ. सुपन दौ।। ग्रहेश्वगर सुतौ होरे कौ सकराढ़ीसँ भिक्रिसुत शिरूदौ गंगुआल सँ शिवाई औत्रिय (134/26) होरि सुतौ मेधवती: कटौना माण्डशर सँ जगति द्धौ(20/07) मिस सुरसर सुता ग्रहेश्विर हरि (39/06) (41/05) ऋषि यति कीरतू (35/08) मतिश्वडरा: कुजौलीसँ राजू दौ।। (41/05) गंगोलीसँ पण्डित केशव द्धौ।। 49/09) यति युवा करमाहा सँ बुद्धिकर सुत लान्हि दौ दरिहरासँ जगन्ना थ द्धौ केशव मात्रिक चक्र।। केशव सुता रतौली दरिहरार यशु सुत वाचस्यदति दौ (15/09) सिद्धेश्वँर सुतर (30/06) सुपन रूपन ईश्वधरा: करमहा सँ रघु दौ (26/03) रूपन सुतौ भोगेश्वदर भोगे गिरीश्वँर (25/06) गिरीकौ पालीसँ रामदत्त दौ (14/102) पबौलीसँ बागे द्धौ।। भोगे सुता गोशे (30/08) शिव (37/08) शिव ओहरि मरसुरखा: (55/06) हारी सोदापुरसँ बराह दौ (51/02) अपरा राजू सुत मोगेश्व र (सुतौ बारात: कन्जौिलीसँ धीरकंठ दौ। बाराह सुतौ (28/08) रति हरि वलियाससँ इबे सुत श्रीधर दौ पालीस देवशर्मा द्धौ मन सुख सुत पौखू यशु सुधी कान्हा8 (65/04) उजान सुधवालनसँ देवे दौ (11/03) गुणीश्वयर सुतो (3/02) हरि देवे कौ एकहारासँ थानू दौ (13/02) रूचिकर सुतौ लक्ष्मी कर (28/05) आनन्दवकरै करमाहसँ महिपति दौ।। आनन्दवकर सुतौ धानूक: गंगोलीसँ रामकरदौ।। यानू (26/06) सुता शीत (25/10) मिते दिनेका: (32/05) दरिहरसूं प्रति शर्म्मध दौ (11/07) यमुगामसँ जीवेश्वूर द्धौ।। देवे सुतौ सोम (38/04) नोने कौ ओगही बेलउँचसँ गयादित्य/ दौ (10/03) महो गयादित्यद सुता रघुपति एतिपति कृष्णदपतिय: (29/08) भरेहासँ गणपति सुत केशव दौ सरगनसँ देवनाय एवम पशु मात्रिक चक्र।। पशु सुतौ वाचस्यदति लाखू कौ सोदरपुरसँ गदाधरदौ (18/010) म. प उ पा. विश्वमनाथ सुता म.प. उ पा. रविनाथ म. प. उपा. (27/07) रघुनाथ म. प. लक्ष्मी नाथा नरउनसँ प्रतिशर्म्म दौ कर नोने द्धौ।। म. म. उ पा. रविनाथ सुता म. प. (43/01) जीवनाथ म. उ पाठ भवनाथ परनामक अयाची दबे महामहो देवनाथा: भाण्डणर
(61)
म. म. उ. बटेश दौ। (8/02) पनिचोभसँ जीवेश्व4र द्धौ।। म. म. उ पा (39/07) भवनाथा परनामक अयाची दूबे सुता म.म.पा. शंकर महो (31/03) महादेव महोमासे महोदाशिका: खौआलसँ रघुपति दै (07/09) धुपरि सुतो (35/07) दूबे शुभ (30/07) कौ पनि वाट दौ (17/06) खौआल सँ राम द्धौ।। म. म. उ पा. (89/05) शंकर सुता महो गढाया यहॉं (37/09) गोविन्दे महो हरखू का कुजौली सँ सुपन दौ।। 19/01।। वंशवर्द्धन सुता यशोधर (36/01) सुपन (43/03) लक्ष्मीतकरा: (35/01) जालय (जल्दीूबे ) सँ म. प. उ. रामेश्वनर दौ।। 12/10 सकराढ़ीसँ धृतिकर द्धौण। सुपन (30/05) सुतानाथू पांथू सांथू का उपतिसँ कानह दौ (1106/02) भानू सुता होरे कान्ह6 गोपाला: पपुलियासँ बादे ढौ।। कान्ह सुता गंगोली सँ डांस देव सुत भवई दौ नाउन सँ चक्रेश्वंर द्धौ महामहो गदाधर सुता उँमापति धनपति भवन (51/01) भूवन धनानन्दक (166/07) भवदान्नौदा: विजनपुर परिहरासँ नरपति दौ।। (1106) महो धृतिपतिसुतौ (25/09) भवशर्म्मा। गोविन्दन शर्म्मदर्णो निसउँनसँ नोने दौ भवशर्म्मौ (25/09) सुतौ वर्द्धमान यटाधरौ खण्ड0बला सँ सोम दौ।। बर्द्धमान सुतौ खांतू विभूकौ फनन्दशह सँ नरसिहं दौ (18/07) गंगोली सँ साधुकर दैहिकमदों खांतसुता धनपति (47/06) कुलपति नरपति (76/05) चन्द्र्पतिय: कुजौली सँ सोमकर दौ (04/105) सोमकर सुतो मांगुक: सरिसबसँ श्रीकर दौ।। नरपति सुतो मुथे (119/110) जनदिना घुसौत स हरि दौ।। (19/110) रू चिकर सूतो शिवाइ सुतौ दामोदर: माण्ड्र से हरदन्तत दौ (19/011) केउँटामसँ माने द्धौ दामोदर सुतौ हरिडालूक: करमहासँ मधुकर दौ व लियाससँ जसानन्दम द्दोण हरिसुता सक लाख सुत श्री कर दौ भिगुआसँ माधव वछौ एवं वाया पति मात्रिक।। वाचस्यरति सुता महियासोदरपुरसँ परान दौ।। (21/02) हरिनाथ सुतो रूचिनाथ कीर्तिनाथो (31/05) कुं वंशवर्द्धन दौ।। (23/03) जलायसँ रामेश्वनर द्धौ।। रूचिनाथ सुतोगोढेक: पालसँ गांगु दौ (21/05) देवे सतो माधव: सक: सइदौ माधवसुतौ
(62)
गांगूक: माण्ड रसँ नन्दीाश्वंर सुत वागीश्वदर दौ खण्डावलासँ गोढि़ द्धौ।।गंगोरसँ नोने द्धौ यमरान चक्र।। परान सुतौ (96/09) द सुता सकराढ़ी सँ जाई दौ (041/11) कुजौली सँ राजू द्धौ। एवं गोढि़मात्रिक चक्र।। (20/05) गोढि़ सुतौ परान ऋषिकेशों टकबाल सँ रामकर सुत बाछे दौ ।। न खोध टकबाल अ बीजी शुचिकर:।। शुचिकर सुतौ थेद्य:।। रोध सुतौ प्रितिकर दामोदरो (64/08) कमग्राम सकराढ़ीसँ परपति दौ।। प्रितिकर सुतौ रतिकर लासू कौ खौआनसँ महामहो देवादित्य सुत जीवे दौ सुरगनसँ गंगाधर द्धौ।। रतिकर (46/07) रतिकर सुता रामकर रविकर ढोंढका सकगढ़ीसँ भीम दौ (14/07) सटुज नादू सुनौ भीम (64/06) सुरेश्वररो नरउन सँ गंगादाश दौ। भीम सुतो गंगेश्वकर रतीवश्रौद अलयसँ म. म. उपा. रामेश्वुर दौ (02/01) दरिहरासँ एति द्धौ।। रामकर सुतौ बाछेक: नरउनसँ श्रीकर दौ।। (08/07) (43/07) सुतो दूमे पर उकौ माण्डुरसँ महो रघुपति दौ (18/03) मसे रघुपति सुता (57/09) (26/07) जाने पति विभापति नजापतिय: सोदापुर सँ महामहो पाच्याय सरबए सुत खानू दौ खॉंआलसँ कृष्णासनि द्धौ एवं बाछे मात्रिक चक्र।। बादे सुता दरिहरा सँ सोमे सुत सौरि दौ।। (11/06) महामहो कीर्तिशर्म्म सुतौ केशव शिवौ बहेराढ़ी सँ लड़ावन सुत सुपनदौ पबौली रूदद्धौणा।। केशव सुता बागे साने कोने (30/02) ऋषय: पनिचोभ सँ सोंस दौ (08/51) सफराढीरू जीवेश्वरर दौतित्यत ढौ।। सोने सुता सिरू (35/02) कारू चन्द्रक (50/06) मोरि सौत्री का: सोदरपुरसँ रामनाथ दौ।। (18/10) (30/07) रामनाथ सुता बलिदगन सँ भिखि सुत्र हिरमणि हो जल्लतकीसँ भवेश द्धौण सोरि सुतो (32/10) दाशे दिने कौ (81/09) पालीसँ रतनपाणि दौ (05/04) नरसिहं सुत श्रीधर गुणीश्वशर: (81/09) एकहरासँ रूचिककर दौ (59/01) गोयाल सुतौ (31/06) रतनपाणि
भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
मैथिलीक मानक लेखन-शैली
1. नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक उच्चारण आ लेखन शैली आऽ 2.मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली
1.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक उच्चारण आ लेखन शैली
मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन
१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संधि, खंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्ग, चवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंक, चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओलोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोकबेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोटसन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽकऽ पवर्गधरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽकऽ ज्ञधरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।
२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र् ह”जकाँ होइत अछि। अतः जतऽ “र् ह”क उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ़ लिखल जाए। आनठाम खालि ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकनि, ढाठ आदि।
ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आदि।
उपर्युक्त शब्दसभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैत अछि। इएह नियम ड आ ड़क सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।
३.व आ ब : मैथिलीमे “व”क उच्चारण ब कएल जाइत अछि, मुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथ, बिद्या, नब, देबता, बिष्णु, बंश, बन्दना आदि। एहिसभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथ, विद्या, नव, देवता, विष्णु, वंश, वन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकील, ओजह आदि।
४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उच्चारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अछि, मुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जदि, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आदि कहल जाएवला शब्दसभकेँ क्रमशः यज्ञ, यदि, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम लिखबाक चाही।
५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहि, एना, एकर, एहन आदि। एहि शब्दसभक स्थानपर यहि, यना, यकर, यहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारूसहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे “ए”केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ “य”क प्रयोगक प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैल, हैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो “ए”क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।
६.हि, हु तथा एकार, ओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हि, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहि, अपनहु, ओकरहु, तत्कालहि, चोट्टहि, आनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनके, अपनो, तत्काले, चोट्टे, आनो आदि।
७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खड़यन्त्र), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आदि।
८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क)क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमेसँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।
अपूर्ण रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।
पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।
(ख)पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।
(ग)स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापद, संज्ञा, ओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ)वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ैत अछि, बजैत अछि, गबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढ़ै अछि, बजै अछि, गबै अछि।
(ङ)क्रियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौक, छियैक, छहीक, छौक, छैक, अबितैक, होइक।
अपूर्ण रूप : छियौ, छियै, छही, छौ, छै, अबितै, होइ।
(च)क्रियापदीय प्रत्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हि, कहलन्हि, कहलहुँ, गेलह, नहि।
अपूर्ण रूप : छनि, कहलनि, कहलौँ, गेलऽ, नइ, नञि, नै।
९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटिकऽ दोसरठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन), पानि (पाइन), दालि ( दाइल), माटि (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्दसभमे ई नियम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।
१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्दसभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषासम्बन्धी नियमअनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरणसम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेटिकऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनिकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽवला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषीपर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पड़िरहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषतासभ कुण्ठित नहि होइक, ताहूदिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ चलबाक प्रयास कएलहुँ अछि।
पोथीक वर्णविन्यास कक्षा ९ क पोथीसँ किछु मात्रामे भिन्न अछि। निरन्तर अध्ययन, अनुसन्धान आ विश्लेषणक कारणे ई सुधारात्मक भिन्नता आएल अछि। भविष्यमे आनहु पोथीकेँ परिमार्जित करैत मैथिली पाठ्यपुस्तकक वर्णविन्यासमे पूर्णरूपेण एकरूपता अनबाक हमरासभक प्रयत्न रहत।
कक्षा १० मैथिली लेखन तथा परिमार्जन महेन्द्र मलंगिया/ धीरेन्द्र प्रेमर्षि संयोजन- गणेशप्रसाद भट्टराई
प्रकाशक शिक्षा तथा खेलकूद मन्त्रालय, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र,सानोठिमी, भक्तपुर
सर्वाधिकार पाठ्यक्रम विकास केन्द्र एवं जनक शिक्षा सामग्री केन्द्र, सानोठिमी, भक्तपुर।
पहिल संस्करण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)
योगदान: शिवप्रसाद सत्याल, जगन्नाथ अवा, गोरखबहादुर सिंह, गणेशप्रसाद भट्टराई, डा. रामावतार यादव, डा. राजेन्द्र विमल, डा. रामदयाल राकेश, धर्मेन्द्र विह्वल, रूपा धीरू, नीरज कर्ण, रमेश रञ्जन
भाषा सम्पादन- नीरज कर्ण, रूपा झा
2. मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली
1. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-
ग्राह्य
एखन
ठाम
जकर,तकर
तनिकर
अछि
अग्राह्य
अखन,अखनि,एखेन,अखनी
ठिमा,ठिना,ठमा
जेकर, तेकर
तिनकर।(वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ, अहि, ए।
2. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैक्लपिकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।
3. प्राचीन मैथिलीक ‘न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ‘न’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।
4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।
5. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।
6. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।
7. स्वतंत्र ह्रस्व ‘ए’ वा ‘य’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।
8. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, विआह, वा धीया, अढ़ैया, बियाह।
9. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।
10. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:-हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ‘क’ क वैकल्पिक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अछि।
11. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।
12. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।
13. अर्द्ध ‘न’ ओ अर्द्ध ‘म’ क बदला अनुसार नहि लिखल जाय, किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।
14. हलंत चिह्न नियमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।
15. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क’ लिखल जाय, हटा क’ नहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।
16. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रा पर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं।
17. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।
18. समस्त पद सटा क’ लिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि क’ , हटा क’ नहि।
19. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।
20. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।
21.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा' ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।
ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६
आब 1.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली आऽ 2. मैथिली अकादमी, पटनाक मानक शैलीक अध्ययनक उपरान्त निम्न बिन्दु सभपर मनन कए निर्णय करू।
ग्राह्य / अग्राह्य
1.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/ होएबाक
2. आ’/आऽ आ
3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल
5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
6. लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’
7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला
8. बला वला
9. आङ्ल आंग्ल
10. प्रायः प्रायह
11. दुःख दुख
12. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
13. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
14. देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
15. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
16. चलैत/दैत चलति/दैति
17. एखनो अखनो
18. बढ़न्हि बढन्हि
19. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) ओ
20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
21. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
22. जे जे’/जेऽ
23. ना-नुकुर ना-नुकर
24. केलन्हि/कएलन्हि/कयलन्हि
25. तखन तँ तखनतँ
26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल
27. निकलय/निकलए लागल बहराय/बहराए लागल निकल’/बहरै लागल
28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए
29. की फूड़ल जे कि फूड़ल जे
30. जे जे’/जेऽ
31. कूदि/यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद
32. इहो/ओहो
33. हँसए/हँसय हँस’
34. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/नौ वा दस
35. सासु-ससुर सास-ससुर
36. छह/सात छ/छः/सात
37. की की’/कीऽ(दीर्घीकारान्तमे वर्जित)
38. जबाब जवाब
39. करएताह/करयताह करेताह
40. दलान दिशि दलान दिश
41. गेलाह गएलाह/गयलाह
42. किछु आर किछु और
43. जाइत छल जाति छल/जैत छल
44. पहुँचि/भेटि जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल
45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)
46. लय/लए क’/कऽ
47. ल’/लऽ कय/कए
48. एखन/अखने अखन/एखने
49. अहींकेँ अहीँकेँ
50. गहींर गहीँर
51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ
53. तहिना तेहिना
54. एकर अकर
55. बहिनउ बहनोइ
56. बहिन बहिनि
57. बहिनि-बहिनोइ बहिन-बहनउ
58. नहि/नै
59. करबा’/करबाय/करबाए
60. त’/त ऽ तय/तए 61. भाय भै
62. भाँय
63. यावत जावत
64. माय मै
65. देन्हि/दएन्हि/दयन्हि दन्हि/दैन्हि
66. द’/द ऽ/दए
67. ओ (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
68. तका’ कए तकाय तकाए
69. पैरे (on foot) पएरे
70. ताहुमे ताहूमे
71. पुत्रीक
72. बजा कय/ कए
73. बननाय
74. कोला
75. दिनुका दिनका
76. ततहिसँ
77. गरबओलन्हि गरबेलन्हि
78. बालु बालू
79. चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
80. जे जे’
81. से/ के से’/के’
82. एखुनका अखनुका
83. भुमिहार भूमिहार
84. सुगर सूगर
85. झठहाक झटहाक
86. छूबि
87. करइयो/ओ करैयो
88. पुबारि पुबाइ
89. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँटि
90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
91. खेलएबाक खेलेबाक
92. खेलाएबाक
93. लगा’
94. होए- हो
95. बुझल बूझल
96. बूझल (संबोधन अर्थमे)
97. यैह यएह
98. तातिल
99. अयनाय- अयनाइ
100. निन्न- निन्द
101. बिनु बिन
102. जाए जाइ
103. जाइ(in different sense)-last word of sentence
104. छत पर आबि जाइ
105. ने
106. खेलाए (play) –खेलाइ
107. शिकाइत- शिकायत
108. ढप- ढ़प
109. पढ़- पढ
110. कनिए/ कनिये कनिञे
111. राकस- राकश
112. होए/ होय होइ
113. अउरदा- औरदा
114. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
115. बुझएलन्हि/ बुझयलन्हि (understood himself)
116. चलि- चल
117. खधाइ- खधाय
118. मोन पाड़लखिन्ह मोन पारलखिन्ह
119. कैक- कएक- कइएक
120. लग ल’ग
121. जरेनाइ
122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ
123. होइत
124. गड़बेलन्हि/ गड़बओलन्हि
125. चिखैत- (to test)चिखइत
126. करइयो(willing to do) करैयो
127. जेकरा- जकरा
128. तकरा- तेकरा
129. बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
130. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ
131. हारिक (उच्चारण हाइरक)
132. ओजन वजन
133. आधे भाग/ आध-भागे
134. पिचा’/ पिचाय/पिचाए
135. नञ/ ने
136. बच्चा नञ (ने) पिचा जाय
137. तखन ने (नञ) कहैत अछि।
138. कतेक गोटे/ कताक गोटे
139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई
140. लग ल’ग
141. खेलाइ (for playing)
142. छथिन्ह छथिन
143. होइत होइ
144. क्यो कियो
145. केश (hair)
146. केस (court-case)
147. बननाइ/ बननाय/ बननाए
148. जरेनाइ
149. कुरसी कुर्सी
150. चरचा चर्चा
151. कर्म करम
152. डुबाबय/ डुमाबय
153. एखुनका/ अखुनका
154. लय (वाक्यक अतिम शब्द)- ल’
155. कएलक केलक
156. गरमी गर्मी
157. बरदी वर्दी
158. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
159. एनाइ-गेनाइ
160. तेनाने घेरलन्हि
161. नञ
162. डरो ड’रो
163. कतहु- कहीं
164. उमरिगर- उमरगर
165. भरिगर
166. धोल/धोअल धोएल
167. गप/गप्प
168. के के’
169. दरबज्जा/ दरबजा
170. ठाम
171. धरि तक
172. घूरि लौटि
173. थोरबेक
174. बड्ड
175. तोँ/ तूँ
176. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
177. तोँही/तोँहि
178. करबाइए करबाइये
179. एकेटा
180. करितथि करतथि
181. पहुँचि पहुँच
182. राखलन्हि रखलन्हि
183. लगलन्हि लागलन्हि
184. सुनि (उच्चारण सुइन)
185. अछि (उच्चारण अइछ)
186. एलथि गेलथि
187. बितओने बितेने
188. करबओलन्हि/ करेलखिन्ह
189. करएलन्हि
190. आकि कि
191. पहुँचि पहुँच
192. जराय/ जराए जरा’ (आगि लगा)
193. से से’
194. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
195. फेल फैल
196. फइल(spacious) फैल
197. होयतन्हि/ होएतन्हि हेतन्हि
198. हाथ मटिआयब/ हाथ मटियाबय
199. फेका फेंका
200. देखाए देखा’
201. देखाय देखा’
202. सत्तरि सत्तर
203. साहेब साहब
204.गेलैन्ह/ गेलन्हि
205.हेबाक/ होएबाक
206.केलो/ कएलो
207. किछु न किछु/ किछु ने किछु
208.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ
209. एलाक/ अएलाक
210. अः/ अह
211.लय/ लए (अर्थ-परिवर्त्तन)
212.कनीक/ कनेक
213.सबहक/ सभक
214.मिलाऽ/ मिला
215.कऽ/ क
216.जाऽ/जा
217.आऽ/ आ
218.भऽ/भ’ (’ फॉन्टक कमीक द्योतक)219.निअम/ नियम
220.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
221.पहिल अक्षर ढ/ बादक/बीचक ढ़
222.तहिं/तहिँ/ तञि/ तैं
223.कहिं/कहीं
224.तँइ/ तइँ
225.नँइ/नइँ/ नञि
226.है/ हइ
227.छञि/ छै/ छैक/छइ
228.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
229.आ (come)/ आऽ(conjunction)
230. आ (conjunction)/ आऽ(come)
231.कुनो/ कोनो
Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.com and her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.
My Valentine
Marvels of the sweet moments
Years past with love and faith
Very carefully I do preserve
Always in my deepest heart
Leaving all evils behind
Even if odd sometimes
Nicest moments do remind
Testing time needs patience
I must admire his elegance
Never easy to face the shine
Emitted from my valentine
English Translation of Gajendra Thakur's (Gajendra Thakur (b. 1971) is the editor of Maithili ejournal “Videha” that can be viewed at http://www.videha.co.in/ . His poem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scattered and is in print in single volume by the title “KurukShetram.” He can be reached at his email: ggajendra@airtelmail.in )Maithili Novel Sahasrabadhani by Smt. Jyoti Jha Chaudhary
Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.com and her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.
SahasraBarhani:The Comet
translated by Jyoti
He started believing in witches. He became sceptical to his neighbours. He was accompanying his children while going to appear in examinations suspecting that his enemies could harm his children. But after making his uncle his religious guru he became very confident. Again everything was going slowly - children’s education, their jobs, the same kind of middle class dreams, marriages, small matters of domestic conflicts etc. The confidence of surviving in and competing with the world shown by his children made Nand more relaxed because his children had never seen the outside world. As soon as they reached home they were away from the outside world, even his friends were not visiting his home. They used to pass the written examinations of all competitive exams but when it was time of interview they had to face the problems of distinction based on caste, language, region etc. Nand had never given his children such enviournment so they used to be very dumbfounded to see the outside world. Aaruni couldn’t achieve the post as higher as expected by his father but he got the ‘B’ group government job. Nand’s son-in-law was also an engineer so he got a government job too. His second son also got a job in a Bank. Nand’s children had not been watching cinema in the talkies for last 10 years. The fair of puja in Patna, Gol Ghar etc. had also not been visited for a long time. People used to laugh at those activities of Nand’s family but later on they started thinking that such things could be the reason of rise of Nand’s family. Nand’s didn’t have television that was also very unique for a general people. Aaruni bought a television after getting job. When Nand saw the advertisement of the Mahabharata in the television he asked his wife, “Why cannot we see Mahabharata in our TV?” His wife replied, “We only have DD1. Someone in the upper floor could see DD Metro because his son bought him a machine worth 300 rupees.
(continued)
(महत्त्वपूर्ण सूचना (१):महत्त्वपूर्ण सूचना: श्रीमान् नचिकेताजीक नाटक "नो एंट्री: मा प्रविश" केर 'विदेह' मे ई-प्रकाशित रूप देखि कए एकर प्रिंट रूपमे प्रकाशनक लेल 'विदेह' केर समक्ष "श्रुति प्रकाशन" केर प्रस्ताव आयल छल। श्री नचिकेता जी एकर प्रिंट रूप करबाक स्वीकृति दए देलन्हि। प्रिंट रूप हार्डबाउन्ड (ISBN NO.978-81-907729-0-7 मूल्य रु.१२५/- यू.एस. डॉलर ४०) आऽ पेपरबैक (ISBN No.978-81-907729-1-4 मूल्य रु. ७५/- यूएस.डॉलर २५/-) मे श्रुति प्रकाशन, १/७, द्वितीय तल, पटेल नगर (प.) नई दिल्ली-११०००८ द्वारा छापल गेल अछि। 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश २.अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। संप्रति मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोश-खण्ड-I-XVI. लेखक-गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा, दाम- रु.५००/- प्रति खण्ड । Combined ISBN No.978-81-907729-2-15 e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com website: http://www.shruti-publication.com
महत्त्वपूर्ण सूचना:(२). पञ्जी-प्रबन्ध विदेह डाटाबेस मिथिलाक्षरसँ देवनागरी पाण्डुलिपि लिप्यान्तरण- श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। पुस्तक-प्राप्तिक विधिक आऽ पोथीक मूल्यक सूचना एहि पृष्ठ पर शीघ्र देल जायत। पञ्जी-प्रबन्ध (डिजिटल इमेजिंग आ मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण)- तीनू पोथीक संकलन-सम्पादन-लिप्यांतरण गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा द्वारा ।
महत्त्वपूर्ण सूचना:(३) 'विदेह' द्वारा धारावाहिक रूपे ई-प्रकाशित कएल जा' रहल गजेन्द्र ठाकुरक 'सहस्रबाढ़नि'(उपन्यास), 'गल्प-गुच्छ'(कथा संग्रह) , 'भालसरि' (पद्य संग्रह), 'बालानां कृते', 'एकाङ्की संग्रह', 'महाभारत' 'बुद्ध चरित' (महाकाव्य)आ 'यात्रा वृत्तांत' विदेहमे संपूर्ण ई-प्रकाशनक बाद प्रिंट फॉर्ममे। - कुरुक्षेत्रम्–अन्तर्मनक, खण्ड-१ आ २ (लेखकक छिड़िआयल पद्य, उपन्यास, गल्प-कथा, नाटक-एकाङ्की, बालानां कृते, महाकाव्य, शोध-निबन्ध आदिक समग्र संकलन)- गजेन्द्र ठाकुर
महत्त्वपूर्ण सूचना (४): "विदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-प्रकाशित तँ होएबे करत, संगमे एकर प्रिंट संस्करण सेहो निकलत जाहिमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सम्मिलित कएल जाएत।
महत्त्वपूर्ण सूचना (५):सूचना: विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary. विदेहक भाषापाक- रचनालेखन स्तंभमे।
अंतिका प्रकाशन की नवीनतम पुस्तकें
सजिल्द
मीडिया, समाज, राजनीति और इतिहास
डिज़ास्टर : मीडिया एण्ड पॉलिटिक्स: पुण्य प्रसून वाजपेयी 2008 मूल्य रु. 200.00
राजनीति मेरी जान : पुण्य प्रसून वाजपेयी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.300.00
पालकालीन संस्कृति : मंजु कुमारी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 225.00
स्त्री : संघर्ष और सृजन : श्रीधरम प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.200.00
अथ निषाद कथा : भवदेव पाण्डेय प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु.180.00
उपन्यास
मोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
कहानी-संग्रह
रेल की बात : हरिमोहन झा प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.125.00
छछिया भर छाछ : महेश कटारे प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
कोहरे में कंदील : अवधेश प्रीत प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
शहर की आखिरी चिडिय़ा : प्रकाश कान्त प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
पीले कागज़ की उजली इबारत : कैलाश बनवासी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
नाच के बाहर : गौरीनाथ प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
आइस-पाइस : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 180.00
कुछ भी तो रूमानी नहीं : मनीषा कुलश्रेष्ठ प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
बडक़ू चाचा : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 195.00
भेम का भेरू माँगता कुल्हाड़ी ईमान : सत्यनारायण पटेल प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
कविता-संग्रह
या : शैलेय प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 160.00
जीना चाहता हूँ : भोलानाथ कुशवाहा प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 300.00
कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी : भोलानाथ कुशवाहा प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 225.00
लाल रिब्बन का फुलबा : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु.190.00
लूओं के बेहाल दिनों में : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 195.00
फैंटेसी : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 190.00
दु:खमय अराकचक्र : श्याम चैतन्य प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 190.00
कुर्आन कविताएँ : मनोज कुमार श्रीवास्तव प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 150.00
मैथिली पोथी
विकास ओ अर्थतंत्र (विचार) : नरेन्द्र झा प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 250.00
संग समय के (कविता-संग्रह) : महाप्रकाश प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 100.00
एक टा हेरायल दुनिया (कविता-संग्रह) : कृष्णमोहन झा प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 60.00
दकचल देबाल (कथा-संग्रह) : बलराम प्रकाशन वर्ष 2000 मूल्य रु. 40.00
सम्बन्ध (कथा-संग्रह) : मानेश्वर मनुज प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 165.00
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अंतिका, मैथिली त्रैमासिक, सम्पादक- अनलकांत
अंतिका प्रकाशन,सी-56/यूजीएफ-4, शालीमारगार्डन, एकसटेंशन-II,गाजियाबाद-201005 (उ.प्र.),फोन : 0120-6475212,मोबाइल नं.9868380797,9891245023,
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बया, हिन्दी छमाही पत्रिका, सम्पादक- गौरीनाथ
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पेपरबैक संस्करण
उपन्यास
मोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.100.00
कहानी-संग्रह
रेल की बात : हरिमोहन झा प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 70.00
छछिया भर छाछ : महेश कटारे प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
कोहरे में कंदील : अवधेश प्रीत प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
शहर की आखिरी चिडिय़ा : प्रकाश कान्त प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
पीले कागज़ की उजली इबारत : कैलाश बनवासी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
नाच के बाहर : गौरीनाथ प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 100.00
आइस-पाइस : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 90.00
कुछ भी तो रूमानी नहीं : मनीषा कुलश्रेष्ठ प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
भेम का भेरू माँगता कुल्हाड़ी ईमान : सत्यनारायण पटेल प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 90.00
शीघ्र प्रकाश्य
आलोचना
इतिहास : संयोग और सार्थकता : सुरेन्द्र चौधरी
संपादक : उदयशंकर
हिंदी कहानी : रचना और परिस्थिति : सुरेन्द्र चौधरी
संपादक : उदयशंकर
साधारण की प्रतिज्ञा : अंधेरे से साक्षात्कार : सुरेन्द्र चौधरी
संपादक : उदयशंकर
बादल सरकार : जीवन और रंगमंच : अशोक भौमिक
बालकृष्ण भट्ïट और आधुनिक हिंदी आलोचना का आरंभ : अभिषेक रौशन
सामाजिक चिंतन
किसान और किसानी : अनिल चमडिय़ा
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उपन्यास
माइक्रोस्कोप : राजेन्द्र कुमार कनौजिया
पृथ्वीपुत्र : ललित अनुवाद : महाप्रकाश
मोड़ पर : धूमकेतु अनुवाद : स्वर्णा
मोलारूज़ : पियैर ला मूर अनुवाद : सुनीता जैन
कहानी-संग्रह
धूँधली यादें और सिसकते ज़ख्म : निसार अहमद
जगधर की प्रेम कथा : हरिओम
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श्रुति प्रकाशनसँ
१.पंचदेवोपासना-भूमि मिथिला- मौन
२.मैथिली भाषा-साहित्य (२०म शताब्दी)- प्रेमशंकर सिंह
३.गुंजन जीक राधा (गद्य-पद्य-ब्रजबुली मिश्रित)- गंगेश गुंजन
४.बनैत-बिगड़ैत (कथा-गल्प संग्रह)-सुभाषचन्द्र यादव
५.कुरुक्षेत्रम्–अन्तर्मनक, खण्ड-१ आऽ २ (लेखकक छिड़िआयल पद्य, उपन्यास, गल्प-कथा, नाटक-एकाङ्की, बालानां कृते, महाकाव्य, शोध-निबन्ध आदिक समग्र संकलन)- गजेन्द्र ठाकुर
६.विलम्बित कइक युगमे निबद्ध (पद्य-संग्रह)- पंकज पराशर
७.हम पुछैत छी (पद्य-संग्रह)- विनीत उत्पल
८. नो एण्ट्री: मा प्रविश- डॉ. उदय नारायण सिंह “नचिकेता”
९/१०/११ 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश २.अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। संप्रति मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोश-खण्ड-I-XVI. लेखक-गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा, दाम- रु.५००/- प्रति खण्ड । Combined ISBN No.978-81-907729-2-15 ३.पञ्जी-प्रबन्ध (डिजिटल इमेजिंग आऽ मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण)- संकलन-सम्पादन-लिप्यांतरण गजेन्द्र ठाकुर , नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा द्वारा ।
श्रुति प्रकाशन, रजिस्टर्ड ऑफिस: एच.१/३१, द्वितीय तल, सेक्टर-६३, नोएडा (यू.पी.), कॉरपोरेट सह संपर्क कार्यालय- १/७, द्वितीय तल, पूर्वी पटेल नगर, दिल्ली-११०००८. दूरभाष-(०११) २५८८९६५६-५७ फैक्स- (०११)२५८८९६५८
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विदेह
मैथिली साहित्य आन्दोलन
(c)२००८-०९. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन। विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।(c) 2008 सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ' आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ' संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। रचनाक अनुवाद आ' पुनः प्रकाशन किंवा आर्काइवक उपयोगक अधिकार किनबाक हेतु ggajendra@videha.co.in पर संपर्क करू। एहि साइटकेँ प्रीति झा ठाकुर, मधूलिका चौधरी आ' रश्मि प्रिया द्वारा डिजाइन कएल गेल। सिद्धिरस्तु
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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